क्या अब डिजिटल की भाषा हो गई है हिन्दी ?

कोरोना ने सभी को डिजिटल बना दिया है । हर वर्ग डिजिटल से कार्य लेने लगा है । देखा जाऐ तो आज डिजिटल की भाषा हिन्दी हो गई है । यहीं जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है अब  आये विचारों को देखते हैं : -
डिजिटल शब्द अंग्रेजी शब्द डिजिट का विस्तारण है। डिजिट का अर्थ होता है- अंक। इस प्रकार डिजिटल का अर्थ है-- अंकीय । मोटे तौर पर किसी भी भाषा को अंकीय रूप में परिवर्तित करने से वह भाषा डिजिटल हो जाती है। इसकी आवश्यकता तब महसूस हुई जब अपनी भाषा के विस्तार के लिए इसे कंप्यूटिरित करना आवश्यक हो गया। क्योंकि कंप्यूटर से इंटरनेट द्वारा अपने भावों को कुछ सेकेंड में ही संसार के किसी भी कोने में पहुंचाया जा सकता है। इस कंप्यूटर युग में बहुत सारी भाषाएं कंप्यूटर पर पढ़ी और लिखी जाने लगी है। इसी क्रम में हिंदी भाषा को भी सभी क्षेत्रों में डिजिटल प्लेटफॉर्म दिया गया।
       इसका लाभ यह हुआ कि हम अपने विचारों का आदान-प्रदान और राजकीय कार्यों का निस्तारण बहुत ही कम समय में सुविधा पूर्वक करने लगे। इसका सबसे सरल उदाहरण यह है कि जिस सूचना को गंतव्य स्थल तक पहुंचाने के लिए जहां कई दिन लगते थे वहीं अपनी भाषा हिंदी के डिजिटल होने पर सूचना कुछ सेकेंड में ही पहुंच जाती है। इस प्रकार कह सकते हैं कि वर्तमान समय में हिंदी भाषा कुछ क्षेत्रों में डिजिटल हो गई है।
        आगे आने वाले समय में भी हिंदी भाषा की मांग को देखते हुए मानव- जीवन से जुड़े सभी क्षेत्रों में इसके प्रबल होने की सबल संभावनाएं दिख रही हैं।
 - डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
 हमारे भारत में कोस कोस में पानी बदलता है चार कोस में  बानी फिर भी भारत में अनेकता में एकता है आज डिजिटल का जमाना है अतः हिंदी और अन्य सभी भारतीय भाषाओं के लिए डिजिटल क्रांति एक ऐसा मौका है जिससे पकड़ निश्चित तौर से ऊंची छलांग लगाई जा सकती है तकनीकी के क्षेत्र में भारत में अभूतपूर्व विकास और विस्तार हुआ है  !  यह सच है डिजिटल युग में साहित्य के द्वारा हिंदी भाषा काफी उभरकर सामने आई है!  भारत सरकार भी हिंदी भाषा को डिजिटल करने का अभियान कर रही है ताकि कम परिश्रम, एवं कम समय,खर्च पर कार्य हो अतः इलोक्ट्रोनिक माध्यम से नई तकनीकी की शिक्षा दे रही हैं! वैसे भी तकनीकी क्षेत्र में भारत में अभूतपूर्व विकास और विस्तार हुआ है ! अब हमे अपनी भारतीय भाषा में इंटरनेट का निर्माण करना होगा और नए नए एप्स भी हिंदी में तैयार करने होंगें!यू ट्यूब से हम अपनी प्रतिभा को सबके सम्मुख तो ले आते हैं किंतु आगे यू ट्यूब अंग्रेजी में कहता है मतलब साफ है हमे हिंदी यूट्यूब तैयार करना होगा ताकि वह हमसे हिंदी में बात करे ! हमारे उद्धयोग सिनेमा मिडिया बाजार सभी हिंदी में होना चाहिए !प्रायमरी से ही बच्चों को हिंदी टायपिंग की शिक्षा देनी होगी ! यदि हम हिंदी का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करें तो गूगल पर उचित स्थान मिल जाएगा और हमारी हिंदी भी डिजिटल हो जाएगी !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
ऑनलाइन काव्य सम्मेलन, कविता, स्लोगन, कहानी, संस्मरण आज डिजिटल युग में डिजिटल हो गये हैं इससे हिंदी की महत्ता घटी नहीं बढ़ी ही है l हमारे दिग्गज हिंदी प्रेमियों ने इस मार्ग पर चलकर हिंदी के लिए अहिंदियों की प्यास जगाई है l  आजहम  कार्यनीतिमें हिंदी को  अपनाकर हिंदी भाषा के साथ देवनागरी लिपि जो देश की अखण्ता और एकता को बनाये रखने में सक्षम है को डिजिटल श्रेणी में ले आये हैं जो गौरव की बात है l 
"अब हिंदी का जमाना आ गया है, उसका भविष्य उज्ज्वल है l "
             --सुब्रह्मण्यम भारती 
हिंदी डिजिटल की भाषा होने के कारण आज अंतर्राष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थान पा चुकी है l हिंदी विश्व की एकमात्र वैज्ञानिक भाषा है l इसीलिए हिंदी का भविष्य उज्ज्वल है l मारीशस के एक हिंदी कवि के शब्दों में --
हिंदी है देवों की वाणी, परम् -पुरातन सुखद सुहानी l.. 
       हिंदी दिवस के इस पावन पर्व पर हम संकल्प ले कि हम अपने समाज, राष्ट्र के विकासार्थ हिंदी में ही काम करेंगे l 
          ---चलते चलते हिंदी है हमारी राष्ट्र भाषा, हिंदी को हम राज भाषा बनावें l 
हिंदी बने जग की जननी, हम ऐसी पवित्र डिजिटल मशाल जलावें l 
         -डॉ. छाया शर्मा
 अजमेर - राजस्थान
भाषा किसी भी व्यक्ति की अभिव्यक्ति का सबसे बड़ा सहारा है ।भाषा जड़ नहीं होती उसमें जीवन की तरह चेतनता होती है ।इस चेतना की अनुभूति भाषा के विकास और समृद्धि से होती है  ।भाषा में ताकत होती है  ,जहां से भी गुजरती है वहां की परिस्थिति को अपने में समाहित करती है। भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी अपने आप में विशेष महत्व रखती है ।हिंदी जनसंपर्क की विस्तृत व समृद्ध भाषा है इस प्रगतिशील समय की मांग है कि इसका संरक्षण अति आवश्यक है ।  जिस गति से कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी का विकास हो रहा है आने वाले दिनों में अर्थात कुछ वर्षों पश्चात पढ़ने लिखने की व्यवस्था में कंप्यूटर का क्या योगदान होगा? ऐसा सोचने पर हम मजबूर हो जाते हैं ।आज डिजिटल शिक्षण और डिजिटल अधिगम जैसी प्रणालियां चल पड़ी है । आने वाले समय में उन्हीं समाजों, व्यवस्थाओं और भाषाओं का अस्तित्व रहेगा जो डिजिटल माध्यमों से अपने आपको जोड़ सकेंगे। डिजिटल हिंदी एक व्यापक संकल्पना है ,इसमें कुछ बातों का ध्यान रखना होगा  -जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर हिंदी सामग्री का विकास , डिजिटल कार्यक्रमों द्वारा हिंदी शिक्षण , हिंदी माध्यम से अन्य विषयों का शिक्षण तथा हिंदी के भाषिक सॉफ्टवेयर का विकास । भाषा शास्त्रियों का मत है कि भविष्य में हिंदी का महत्व और बढ़ने वाला है। जिस तरह दुनिया बदल रही है उसके चलते 21वीं शताब्दी के खत्म होने तक 6000 भाषाओं में से 90% भाषाएं विलुप्त हो जाने के कगार पर है आता है  ।हमें अपनी हिंदी भाषा का संरक्षण करना होगा । यह हमारा दायित्व बनता है कि हम भाषा को कैसे समृद्ध बनाएं और चीजों को जोड़ें। हिंदी भाषा हमारे पास एक विरासत के रूप में है हमारा फर्ज बनता है कि उसे सुरक्षित रखें और आने वाली पीढ़ी को सौंप दें ।  अतः हमें हिंदी और भारतीय भाषाओं को तकनीकी के लिए परिवर्तित करना होगा भाषा की ताकत का अंदाजा उसके लुप्त होने के बाद होता है  ।हिंदी भाषा  का संरक्षण अति आवश्यक है ।
- शीला सिंह 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश 
हिन्दी अभी पूरी तरह से डिजीटल भाषा नही हुई है लेकिन कह सकते हैं कि इस ओर कदम बढ़ा रहे हैं। अभी भी तकनीकी क्षेत्र में हिन्दी की स्थिति कोई बहुत बढ़िया नहीं है क्योकि हिन्दी भाषा के की-बोर्ड का उचित मानकीकरण नहीं हुआ। बैंकिग और रेल विभाग इस से जुड़े हैं लेकिन पूरी से नहीं। अगर विस्तार से जानकारी लेनी हो तो अंगरेजी में ही उपलब्ध है। इन विभाग में भी हिन्दीकरण सीमित है। 
        हिन्दी भाषा को डिजिटल बनाने के लिए अधिक से अधिक ऐपस बनाने की जरूरत है जिससे हिन्दी भाषा के प्रचार और प्रसार आसान होगा। स्कूलों में भी ज्यादा अंगरेजी की टाइप सिखाई जाती है क्योकि हिन्दी भाषा वालों के लिए नौकरियां भी कम होती है। अभी हिन्दी भाषा को डिजिटल की भाषा बनने में समय लगेगा। 
      सीडैक हिन्दी को डिजिटल प्रयोग  के लिए तकनीकी तौर पर और आसान बनाने का काम कर रहा है। कई साफ्टवेयर भी बनाये जा रहे हैं जिस में आईलीप काफी लोकप्रिय है। बदलती परिस्थितियों के अनुसार हिन्दी भाषा को डिजिटल की भाषा होना लाजिमी है। 
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप - पंजाब
हिंदी भाषा को डिजिटल करने के लिए बहुत सारे संगठन ऑफिस और बहुत सारे हिंदी प्रेमी लोग सहयोग कर रहे हैं जिनके कारण बहुत हद तक नौजवानों को उसके बारे में जानकारी मिल रही है और वह खुद इसके विकास के लिए आगे आ रहे हैं।
डिजिटल इंडिया से हिंदी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया हुआ यह एक अभियान हैं।
सरकार द्वारा इस अभियान को शुरू करने का उद्देश्य की कागजी कार्यवाही कम हो सके और लोगों के परिश्रम को भी बचाया जा सके नागरिकों को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से सरकारी सेवाओं को प्रदान करना और कुशल तकनीकी लोगों को तैयार करना जिससे काफी हद तक समय और मानव शक्ति बचेगी।
कम समय में अधिक से अधिक लोगों को हिंदी की जानकारी दी जा सके और कार्यालयों में हिंदी के कामकाज को बढ़ावा दिया जा सके।
भारत एक विशाल देश है और सबसे प्राचीन रास्ते भी है हमारा राष्ट्रीय ध्वज राष्ट्रीय गीत राष्ट्रीय गान मुद्राएं भाषाएं सभी हमारी राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक है और हमारी पहचान हिंदी ब्राउज़र भाषा है जो कि हमारी राष्ट्रीय भाषा भी है हमारी प्रांतीय भाषाएं अलग अलग है पर हिंदी को हमने गौरवपूर्ण स्थान दिया है अन्य भाषाओं को नहीं देश के अधिकतर लोग हिंदी पढ़ने लिखने और बोलने में देशी भाषाओं का प्रयोग करते हैं पर जब सभी प्रांत के लोग एक दूसरे के से मिलते हैं या एक दूसरे के राज्य में जाते हैं तो वह हिंदी के माध्यम से ही अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।हिंदी के प्रचार प्रसार में लोगों को खुलकर आना चाहिए और सभी को यथासंभव कार्य हिंदी में करनी चाहिए हिंदी दिवस या पखवाड़ा मनाने का कर्तव्य को इतिश्री नहीं समझना चाहिए हिंदी को प्राथमिकता देने के लिए शिक्षा के उच्चतम शिखर में पढ़ाने की व्यवस्था होनी चाहिए हिंदी राजकाज हिंदी के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए ही डिजिटल इंडिया प्रोग्राम शुरू किया गया है विश्व में सबसे समृद्ध भाषा हिंदी और हिंदी साहित्य दान प्रदान हो सके हमारे राजनेता एक दूसरे के देश में जाते हैं तो हिंदी में अपने व्यक्तित्व भाषण वार्तालाप का भी प्रयोग करना चाहिए अंतरराष्ट्रीय मंचों में भी हिंदी को प्रोत्साहन मिलना चाहिए अटल बिहारी वाजपेई संयुक्त राष्ट्र संघ में का प्रयोग का प्रश्न शुरुआत किए थे भारत के नेताओं को भी उनका अनुकरण करना चाहिए हमें हिंदी को बढ़ावा देना चाहिए और इसके सहयोग प्रचार प्रसार में करना चाहिए गौरव प्रदान करना चाहिए राष्ट्रभाषा के रूप में सबको मिलना चाहिए लेकिन गैर हिंदुओं के हितों का ख्याल रखना चाहिए भाषा का भेदभाव नहीं कर रहे हैं पर हमें राष्ट्रहित में सोचना चाहिए।
भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने बहुत बढ़िया बात कही है। 
"निज भाषा उन्नति अहै सब उन्नति को मूल।
बिना निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय शूल।"
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
डिजिटल भाषा अर्थात व्यापकता,, जैसे, इन्टरनेट पर स्थाई स्थान ,तो बिल्कुल कुछ समय में हमारी हिंदी डिजिटल हो जाएगी अगर वर्तमान की बात करें तो हम सभी ऐसे समूहों से जुड़े हैं जहां कितने ही सम्मेलन ओनलाइन होते हैं और हिंदी में अपने भावों की अभिव्यक्ति देनी होती है इसके अतिरिक्त हमारे हिन्दी का साहित्य का भंडार डिजिटल उपलब्ध है किसी भी कवि की रचना लिख कर डालते ही पल में उपलब्ध हो जाती है जहां पहले कोई उपन्यास पढ़ने हेतु खरीदना पड़ता था और पर्याप्त रूपए न होने पर लोग पढ़ नहीं पाते थे परन्तु अब  हिन्दी की हर सामग्री ओनलाइन उपलब्ध है।।
अगर हम हिंदी का और प्रसार ,प्रचार करें तो हिंदी गूगल पर अपना उचित स्थान पा लेगी आज। गूगल पर हिंदी। ग्रंथों को पढ़ा जा सकता है।।
अतः इसमें कोई संदेह नहीं है कि आने वाले समय में हमारी हिंदी डिजिटल हो जाएगी।।।।
- ज्योति वधवा "रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
 ये कथन पूर्ण -रूपेण सत्य तो नहीं फिर भी असत्य भी नहीं। पहले लोग मंचों पर पन्नो पर लिखकर कविताएं या अपनी रचनाये प्रेषित करते थे। कुछ नाम चीन लोगों की किताबें ही छपती थी। हिन्दी के बारे में जानकारी  या लेखकों की किताबें पढ़ने के लिए लोग "पुस्तकालय " का रुख करते थे। सभी को  छन्द ,दोहा  की जानकारी नहीं थी। आज नेट के युग में कई मंचों पर शालाएं चलाई जा रहीं है । डिजिटल युग में हमारी हिन्दी समृद्ध भी हुई है और लोगों को लिखने का एक बड़ा "प्लेटफार्म " भी।  इससे पहले इतने वृहद रूप में हिन्दी का प्रसार-प्रचार नहीं हुआ था। सच मायने में डिजिटल युग में हिन्दी सिखने वालों की ,लिखने वालों की ,पढ़ने वालों की वृद्धि हुई है और लगातार हो रही है। 
- अनीता मिश्रा 'सिद्धि' 
पटना - बिहार
आज की चर्चा में जहांँ तक यह प्रश्न है कि क्या अब डिजिटल की भाषा हो गई है हिंदी तो मैं कहना चाहूंगा कि इसमें कोई संदेह नहीं है विश्व भर में हिंदी के बोलने लिखने और पढ़ने वालों की संख्या बहुत तेजी के साथ बढ़ रही है और उसका कारण ही है कि भारत एक बहुत बड़ा बाजार है और विश्व के अनेक देश अपनी कम्पनियों के विभिन्न उत्पादों को भारत में लॉन्च करने के लिए बहुत आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं और ऐसा करने के प्रयास में वहां के ऐसे अनेक लोग न केवल हिंदी सीख रहे हैं लिख रहे हैं पढ़ रहे हैं बल्कि भविष्य की गलोबल भाषा के तौर पर भी हिन्दी को देखा जा रहा है और इस कारण हिंदी का डिजिटल भाषा के रूप में प्रयोग काफी तेजी से बढ़ रहा है इसमें कोई संदेह नहीं है कि हिंदी की लोकप्रियता बढ़ी है और उसका महत्व है यह एक बहुत ही समृद्ध भाषा है जिसके जानने वाले अनेक देशों मे है और जिसमें लिखना पढ़ना बोलना आसान है और प्रर्याप्त समृद्ध शब्द भंडार भी है भारतीय जो विश्वभर  के देशों मे बसे इसके प्रचार व प्रसार मे योगदान दे रहे है हिन्दी का व्याकरण जटिल नहीं है इस इसे सीखना भी मुश्किल नही है यह सब देखते हुए निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि हिंदी अब डिजिटल की भाषा हो गई है असंख्य पत्र पत्रिकाएं देश विदेश में निकल रहे हैं पाठकों की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ रही है और ऑनलाइन बहुत सारी पुस्तकें पत्रिकाएं पढ़ी जा रही हैं अनेक विधाओं में नए और पुराने लोग लेखन कर रहे हैं इससे हिंदी और अधिक समृद्ध होती जा रही है और यह स्थिति दिन प्रतिदिन बेहतर होगी ऐसा ही मेरा विश्वास है ़़
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
सोशल मीडिया के हर भाग में हिन्दी के विस्तार प्रचार व प्रसार को देखते हुए कहना गलत नहीं होगा कि अब डिजिटल की भाषा हो गई है हिन्दी।
 कुछ वर्ष पहले तक की-बोर्ड में हिन्दी टाइपराइटिंग की सुविधा न होने के कारण हिन्दी भाषी अपने विचारों को खुलकर हर विधा में व्यक्त नहीं कर पाते थे। सर्वत्र अंग्रेजी का दबदबा दिखता था पर वर्तमान में हिंदी की सभी विधाओं में फेसबुक, व्हाट्सएप, यूट्यूब चैनल पर हिन्दी भाषा में हर तरह के विषय वस्तु मौजूद है। गूगल द्वारा हिंदी में अपने इच्छानुसार प्रत्येक विषय की जानकारी हम प्राप्त कर लेते हैं।
  आज सभी को आगे बढ़ने के लिए हर भाषा के लिए डिजिटल क्रांति एक अवसर बनकर उभरा है। आज हिन्दी की की-बोर्ड का ऐप्प विकसित करना व्यवसायिक सफलता बनता जा रहा है। हिन्दी में सॉफ्टवेयर निर्माण के लिए थोड़ा जोर लगाने की जरूरत है। वैश्वीकरण के जमाने में सरकार से प्रोत्साहन की उम्मीद है। हिन्दी में सॉफ्टवेयर बनाने के लिए थोड़े से वित्तीय संसाधन और कुछ हिन्दी प्रेमी तकनीकी युवाओं की जरूरत है और हमारे यहां ऐसे होनहार युवाओं की कमी नहीं है।सभी के सहयोग से हम ऊंचाइयों तक पहुंच सकते हैं और यह कहना गलत नहीं होगा कि अब डिजिटल की भाषा हो गई है हिन्दी।
                    - सुनीता रानी राठौर
                     ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
हिन्दी  के प्रति लोगों का झुकाब वढ़ रहा है, बहुत ज्यादा लोग हिन्दी का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन तकनीकी  क्षेत्र में अभी यह इतनी उभर कर नहीं  आई है जिसके प्रयास जारी हैं। 
मध्य प्रदेश की  राजधानी भोपाल के दसवें हिन्दी  सम्मेलन में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने कहा कि हिन्दी को अन्य भारतिय भाषाओं से जोड़ते हुए डिजिटल दूनिया में उपयोग बढ़ाना होगा, 
उम्मीद है शीघ्र ही हिन्दी डिजिटल भाषा हो जाएगी। 
लेकिन यह हमारा सभी का दायित्ब वनता है कि हिन्दी भाषा को सनृद वनाया जाए, 
अगर हम हिन्दी और रामचरितमानस के भूल जाते हैं, तो हमारी  हालत हिन्दी के  विना एेसी होगी  जैसे हम बगैर पांब के खड़े हुए हैं। 
यही नहीं हिन्दी भाषा भारत की ताकत है, हिन्दोस्तान को सभी भाषाओं में उतम हिस्सा हिन्दी में मिला है। 
अब डिजिटल दूनिया  ने हमारे जीबन में गहरा प्रवेश किया है, इसलिए हिन्दी  भाषा को तकनीकी के लिए  तब्दील करना होगा, अत: हिन्दी भाषा का  सम्मेलन १२सितम्मबर तक था जिसका आकर्षण अभिनेता अमिताभ बच्चन  ने  किया, और हजारों की तदाद में लोगों ने हिस्सा लिया जिसमें हिन्दी साफ्टवेयर निर्माण की बात भी हुई है उम्मीद है जल्द ही हिन्दी भाषा डिजिटल भाषा हो जाएगी। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा 
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जी हां, हिंदी ही नहीं लगभग सभी भारतीय भाषाएं डिजिटल की भाषा बन गयी है। इसमें एक सुखद संकेत और है कि भारत में इंटरनेट पर उपयोग में हिंदी ने, अंग्रेजी को पीछे छोड़ दिया है। इंटरनेट पर हिंदी में हर विषय पर प्रचुर मात्रा में सामग्री उपलब्ध है। प्रतिदिन लाखों पेज इस पर लिखे और जोड़े जा रहे हैं। हिंदी में सर्च करने वाले नये लोग इससे जुड़ रहे हैं। समाचार पत्र पत्रिकाओं और पुस्तकों की पी डी एफ इसके भंडार को रोज बढ़ा रही है। विभिन्न वाट्स एप ग्रुप्स, फेसबुक पेज,पोर्टल,फर्लांग आदि पर हिंदी की गतिविधियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हिंदी इस डिजिटल युग की सर्वाधिक रोचक भाषा बन गयी है। विभिन्न विदेशी भाषाओं की वीडियो हिन्दी में डब करके यू टयूब के माध्यम से सामने आ रही है। क्षेत्रीय भारतीय भाषाओं का साहित्य,दृश्य श्रव्य सामग्री सहित हिन्दी में हमें सहज ही उपलब्ध हो रहा है। यह विश्व में प्रथम स्थान पर होगी, हमें पूर्ण विश्वास है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
        जी हां ,अब डिजिटल की भाषा हो गई है हिंदी। अब अधिकांशतः काम फोंट के माध्यम से ही हो रहा है और उसे ही मान्यता दी जा रही है। आज के इस प्रगतिवादी युग में हिंदी का डिजिटल होना स्वाभाविक ही है। वह मातृभाषा के अलावा अधिकांश प्रांतों की राजकीय भाषा भी है।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
     प्रारंभिक शिक्षा में हिन्दी शुद्ध लेखन का महत्व काफी रहता था, जिसके माध्यम से हिन्दी मात्राओं में सुधार के साथ ही साथ अपनी मातृभाषा का ज्ञान अर्जित कर सकते थे। हिन्दी के समाचार पत्रों को पढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता था, ताकि हिन्दी में परिपक्व हो। जिसके कारण गद्य और पद्य में रचनाएँ लिखी, पढ़ी  और प्रकाशित की जाती थी। जहाँ प्रबुद्धजन हिन्दी जानने उत्सुकता बनी रहती थी। जब फोन लगाने का समय आया तो सालों-साल इंतज़ार किया जाना पढ़ता था, कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते थे। एक यह भी समय था, टाइपराइटर हिन्दी युग, जिसमें उंगलियों के माध्यम से शब्दों को पिरोया जाता था। आज परिवर्तित समय में स्थितियाँ बदली, घर बैठे कम्प्यूटर, मोबाईल आने लगें। जिसमें जिसे दबावों सब कुछ, दिखाई देता, अपार शब्दों का भण्डार?  हर कोई डिजिटलीकरण के पीछे भाग रहा हैं। पलक-झपट कार्यवाही करने तत्परता के साथ ही साथ जीवन यापन कर जीवित हैं। डिजिटल की भाषा में कैद होकर रह गई हैं,  हिन्दी ?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
आज के समय में अब डिजिटल की भाषा हिंदी हो गई है। जिसका उपयोग लोग आप कर रहे हैं। हर देश और भाषा के जीवन में कुछ ऐसे समय आते हैं जो उन्हें चिर काल के बदल देते हैं। एक समय में औद्योगिक क्रांति ने विश्व का नक्शा बदल कर रख दिया था और यूरोप की भाषाओं को एक अलग स्तर पर आकर खड़ा किया था। तकनीकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व  विकास हुआ है लेकिन तकनीकी के क्षेत्र में हिंदी की स्थिति कोई बहुत बेहतर नहीं है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण हिंदी बोर्ड का उचित मानकीकरण तक ना हो पाना है। हालांकि आजकल ऐप अपने आप को हिंदी में ला खड़ा कर रहे हैं। यह मुख्यता बैंकिंग यात्रा और एक कॉमर्स से जुड़े हैं परंतु इनका हिंदी करण पहले एक दो पन्ने का ही होता है और उसके बाद सारी सामग्री अंग्रेजी में होती है। समस्या यह है कि हम इंटरनेट को भारतीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं। और इस कोशिश में फिलहाल अनुवाद से ज्यादा कुछ खास नहीं हो पा रहा है। आप भारतीय भाषाओं में एक भारतीय इंटरनेट का निर्माण करने की आवश्यकता है ताकि उसका स्वरूप भारत की भाषाएं की विशेषता के हिसाब से हो। आज मनोरंजन समाचार धारावाहिक आधी यूट्यूब पर ज्यादा देखे जाते हैं। हालांकि छोटे शहरों में हमारे होनहार यूट्यूब पर सेलिब्रिटी बन चुके हैं। 
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
            हाँ ! अब डिजिटल की भाषा हिंदी हो गई है। बहुत सारे डिजिटल कार्य हिंदी में होने लगें हैं। मेरे ख्याल से अब शायद ही कोई कार्य बचा हो डिजिटल रूप में जो हिंदी में नहीं हो रहा है। वाट्सएप, इंटरनेट,हर तरह सर्टिफिकेट, हर तरह का कार्ड,बहुत सारे गेम और भी कई चीजों में जो डिजिटल हो रही है डिजिटल हिंदी का प्रयोग हो रहा है। इसलिए हम कह सकते हैं कि हिंदी डिजिटल हो गई है।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - प.बंगाल
भारत को डिजिटल बनाने के सरकारी प्रयासों से मुझे तब सहानुभूति होने लगती है जब डिजिटल वर्ल्ड में हिन्दी की सीमितता देखता हूं। नि:सन्देह डिजिटल दुनिया में हिन्दी का सम्मान हो रहा है, उसको स्थान मिल रहा है परन्तु अभी यह नहीं कहा जा सकता कि हिन्दी डिजिटल की भाषा हो गयी है।
डिजिटल इंडिया भारत सरकार की महत्वपूर्ण योजना है। डिजिटल क्रांति एक ऐसा सुअवसर है जब हिन्दी को डिजिटल की भाषा बनाने हेतु सुनियोजित प्रयास किये जायें तो हिन्दी डिजिटल की भाषा हो सकती है परन्तु इसमें राजनीति सबसे बड़ा अवरोध है। 
तकनीक के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास और विस्तार होने के बावजूद हिन्दी तकनीक के क्षेत्र में अधिक बेहतर स्थिति में नहीं है। हिन्दी कुंजी-पटल (की-बोर्ड) का उचित मानकीकरण तक नहीं हो पाया है। 
कई एप्स हिन्दी में स्वयं को प्रकट कर रहे हैं फिर भी अधिक कारगर नहीं हो पा रहे हैं। यू-ट्यूब जैसा प्रसिद्ध एप्प हिन्दी में प्रस्तुतिकरण नहीं करता। 
यदि हिन्दी को डिजिटल की भाषा बनाना है तो सर्वप्रथम भारतीय इंटर्नेट बनाना होगा। तकनीकी दक्ष युवाओं में हिन्दी के प्रति समर्पण भाव को जगाना होगा। विद्यालयों में कक्षा-१२ तक के विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से हिन्दी टंकण (हिन्दी टाइपिंग) का प्रशिक्षण देना होगा। हिन्दी में साफ्टवेयर निर्माण के कार्यों पर जोर देना होगा। 
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकारी स्तर पर पूर्ण प्रोत्साहन मिले तथा यह प्रोत्साहन अथवा प्रयास मात्र हिन्दी दिवस या हिन्दी पखवाड़े तक ही सीमित ना रहें और भारतीयों में हिन्दी के प्रयोग के प्रति समर्पण भाव जगे तो वह दिन दूर नहीं जब हिन्दी डिजिटल की भाषा होगी। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
तकनीकी क्षेत्र में बदलाव
बदलते वक्त के साथ  तकनीकी क्षेत्र में
बहुत क्रांति आई शुरुआती दौर में अंग्रेजी का ही वर्चस्व था अब सभी काम हिंदी में भी होने लगे हैं या कहिए कि हिंदी डिजिटल हो गई है इससे
सभी को कामकाज में बहुत अधिक सुविधाएं प्राप्त हो गई है समय की भी बचत है कार्य में प्रगति भी हो रही है।
हिंदी के डिजिटल होने से जन जन तक इसकी पहुंच हो गई है सभी लाभांवित हो रहे हैं।
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
हर देश और हर भाषा के जीवन में कुछ ऐसे क्षण आते हैं जो उन्हें चिरकाल  के लिए बदल देते हैं। औद्योगिक क्रांति ने विश्व के नक्शा ही बदल कर रख दिया है।
आजादी के 70 साल बाद  मुश्किल से अब  7% से 8% तक भारतीय अंग्रेजी बोलते हैं।लेकिन अंग्रेजी आज के प्रगति और विज्ञान की ही भाषा बन कर रह गयी  है। अंग्रेजी के बिना आप उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
हिंदी और साथ ही साथ स्थानीय भारतीय भाषाओं के लिए डिजिटल क्रांति एक मौका है ।जिसे यदि पकड़ लिया जाए तो निश्चित रूप से एक बड़ी छलांग लगाई जा सकती है।
आज हर व्यक्ति के पास निजी मोबाइल है। चाहे वह छोटा हो या बड़ा हो। टेक्नोलॉजी वह चीज है जिसके पीछे हर व्यक्ति कतार में खड़ी है ।तकनीकी क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास और विस्तार हुआ है।
लेखक का विचार:-हम इंटरनेट को भारतीय बनाने का प्रयास कर रहे हैं। धीरे-धीरे भारतीय भाषाओं में एक भारतीय इंटरनेट के निर्माण करने के आवश्यकता है। नए सिरे से सिर्फ हिंदी के ऐप बनाना है ।ऐसे उपाय से ही हिंदी का सही मायनों में विकास होगा ।यदि मौका छुटा तो हिंदी हमेशा उपयोग- उपभोग की भाषा से वंचित हो जाएगा।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
हिन्दी डिजिटल की भाषा होने के पथ पर तीव्र गति से अग्रसर है। कुछ समय पूर्व गूगल जैसे प्लेटफार्म पर डिजिटल हिन्दी का धीरे-धीरे आगमन हुआ और अब डिजिटल हिन्दी अपना सशक्त रूप दिखा रही है।  विश्व के अनेक देशों में जिस प्रकार हिन्दी डिजिटल की भाषा बनती जा रही है वह आश्चर्यजनक है।  कोरोनाकाल ने हम सभी को घर में रहने को बाध्य किया।  नतीजतन एक नया परिदृष्य उत्पन्न हुआ।  वेबिनार्स के माध्यम से डिजिटल हिन्दी ने अपना रूप दिखाया।  इन वेबिनार्स से जुड़ने के बाद सुखद आश्चर्य हुआ कि हिन्दी डिजिटल भाषा बनती जा रही है।  देश-विदेश के हिन्दी साहित्य के विद्वानों ने अभूतपूर्व ज्ञान साझा किया।  यह अत्यन्त हर्ष और गौरव का विषय है कि हिन्दी ने डिजिटल रूप धारण कर अहिन्दी भाषी क्षेत्रों और लोगों में अपनी जगह बनाने में सफलता हासिल की है।  डिजिटल हिन्दी अब अन्य डिजिटल भाषाओं की भांति डिजिटल प्लेटफार्म की शोभा बन चुकी है।  गूगल जैसे प्रतिष्ठित प्लेटफार्म पर डिजिटल हिन्दी की उपस्थिति देदीप्यमान हो रही है।  आगामी दिनों में डिजिटल की भाषा हिन्दी अपना सिक्का जमाने में सफल होगी।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
डिजिटल की भाषा कुछ समय बाद अवश्य ही हिंदी हो सकती है ; यदि हम लोग इसी तरह सामूहिक रूप से लिखते और पढ़ते रहें तो । हमें भाषा, बोली, प्रांतवाद;  इन सबसे ऊपर उठकर हिंद और हिंदी हित के लिए कार्य करने चाहिए ।
गूगल द्वारा उसी भाषा को प्रथम स्थान मिल सकता है,जिस भाषा के लोग ज्यादा सक्रिय रहेंगे, जिसका साहित्य ज्यादा पढ़ा जायेगा , जिसमें ज्यादा प्रश्न उत्तर खोजे जायेंगे ।
हम सभी को एक जुट होकर नयी पीढ़ी के हृदय में हिंदी प्रेम को जाग्रत करना होगा । अपने प्राचीन ग्रन्थों को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुँचाना हमारा लक्ष्य होना चाहिए । हिंदी बचेगी तभी संस्कृति व संस्कार पुष्पित और पल्लवित हो सकेंगे ।
आइए इस हिंदी दिवस पर हम संकल्प लें कि इसे सबसे अधिक बोली व पढ़ी जाने वाली डिजिटल हिंदी बना कर ही दम लेंगे ।
जय हिंद जय हिंदी
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
हिंदी के प्रचार और प्रसार के कारण हिंदी की व्यापकता बहुत बढ़ गई है एक समय था जब हिंदी को बोलने में लिखने में अपने आप में एक हीन भावना महसूस करते थे पर डिजिटल हिंदी जो सरकार द्वारा चलाया गया यह कैसा मुहिम है जिसके माध्यम से सभी सरकारी दफ्तरों में हिंदी माध्यम से ही कथनों का प्रेषण किया जाएगा और डिजिटल हिंदी की व्यापकता बन जाएगी वर्तमान समय में डिजिटल की भाषा तो अंग्रेजी ही है पर इसकी व्यापकता को लेकर बहुत जल्दी ही गूगल इसे एक भाषा के रूप में आदान प्रदान करता हुआ स्वीकार लेगा और जिस डिजिटल की भाषा हिंदी हो जाएगी
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
       निस्संदेह हिन्दी अब डिजिटल होने की कगार पर पहुंच गई है। क्योंकि एक समय था जब मुझे हिन्दी में कार्य करने पर संघर्ष करना पड़ता था। हिन्दी के हस्ताक्षर माने नहीं जाते थे। कड़वा सच यह है कि हिन्दी में कार्य अथवा वार्ता करने वालों को घृणा से देखा जाता था। परंतु वह घृणा झेलते समय मुझे अनुमान था कि एक दिन वही हिन्दी मुझे मेरी पहचान देगी।
       चूंकि वर्तमान में संविधान के तीन स्तंभ विधायिका, कार्यपालिका और पत्रकारिता हिन्दी को अपनाते हुए उसमें कार्य करने पर प्रसन्नता एवं गौरव मानने लगे हैं। किंतु न्यायपालिका अभी ब्रिटिश सरकार की निष्ठावान है। जो अभी भी अंग्रेजी को गले लगाए हुए है।
       मेरा दावा है कि जिस दिन न्यायपालिका ने ब्रिटिश सरकार की निष्ठा को त्याग कर भारतीय सभ्यता और संस्कृति को गले लगाते हुए हिन्दी को प्राथमिकता दे दी। तो उस दिन हिन्दी भाषा सम्पूर्ण डिजिटल व सर्वश्रेष्ठ मानी जाएगी।
       उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले मैंने अत्यंत परिश्रम कर माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में हिन्दी भाषा में याचिका दाखिल की थी। किन्तु उस समय मुझे भारी झटका लगा जब मेरी याचिका पर हिन्दी भाषा के कारण आपत्ति जताई गई और आपत्ति दूर करने के लिए कहा गया था। जिसके बाद मुझे विवशतावश अंग्रेजी में याचिका दाखिल करनी पड़ी।
       आशा है कि एक न एक दिन भारतीय न्यायपालिका भी अपनी गलती सुधारते हुए हिन्दी भाषा को अपनाएगी और भारतीयों को निर्णय के स्थान पर सम्पूर्ण न्याय प्राप्त होगा। उस दिन हिन्दी भाषा को डिजिटल होने का सम्मान मिलेगा और हमारे वीर शहीदों की आत्मा तृप्त होगी‌।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर

" मेरी दृष्टि में " फेसबुक , Twitter, WhatsApp आदि हर किसी के पास है । जो अधिकतर रूप से हिन्दी भाषा में चल रहे हैं । अब डिजिटल की भाषा हिन्दी होती जा रही है ।
                                                       - बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान

Comments

  1. The article of Dr Rekha Saxena is beautifully step by step explained 😊

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  2. Dr Rekha saxena's thoughts are appreciable

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  3. डा रेखा सक्सेना जी का आलेख बहुत ही स्तरीय एवं सारगर्भित है।

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  4. डा रेखा सक्षेना जी का आलेख बहुत ही सुंदर और सार्थक है।
    डा वेणु वनिता मेरठ

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. Well defined by Dr Rekha Saxena as well as deeply justified the subject of Hindi Digitalization comparetively than other participants .

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  7. जी हां हिंदी अब डिजिटल की भाषा होती जा रही है। उसकी डिजिटल आई जेशन में कोरोना का भी बहुत बड़ा हाथ है। इंसान घरों में कैद है। फेसबुक व्हाट्सएप टि्वटर आदि के माध्यम से लोग बाग एक दूसरे से जुड़ कर एक दूसरे से विचार व्यक्त कर पा रहे हैं और विचारों को साझा कर पा रहे हैं निश्चित रूप से तकनीकी क्षेत्र में हिंदी का विकास करने से संपूर्ण विश्व में हिंदी का डिजिटलाइजेशन हो सकेगा और वह विश्व की सर्वोच्च भाषा होगी

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  8. डॉक्टर रेखा सक्सेना जी का आलेख सार्थक एवं सारगर्भित है।
    नूपुर नव्या बरेली।

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  9. Dr. Rekha Saxena ... your thoughts are appreciable

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