लघुकथा मैराथन

पहले दिन : -
जय #हिन्दी ! जय #भारत !

#लघुकथा_मैराथन :-

कोई भी लघुकथाकार,  लघुकथा मैराथन में भाग ले सकता है । किसी को भी शामिल  करने का अनुरोध  नहीं करना है । सिर्फ अपनी मौलिक लघुकथा दस दिन तक लगातार , #प्रतिदिन अपने फेसबुक पर , अपनी कोई भी फोटों के साथ एक #लघुकथा पोस्ट करनी है। यह आयोजन #भारतीय_लघुकथा_विकास_मंच का है। यह कार्य शोध व अनेक भाषा में अनुवाद के लिये है : -

पहले दिन की लघुकथा : -

                         स्कूल की फीस

      कालिया स्कूल के बाहर खड़ा रौ रहा है। तभी स्कूल का मास्टर राम केसर आ जाता है। कालिया से पूछते है -
 " बेटा ! क्यों रौ रहे हो ? "
 " पापा ने स्कूल की फीस नहीं दी ।"
 " बेटा ! तेरा पापा एक नम्बर का शराबी है ।"
 " नहीं मास्टर जी ! मेरे पापा शराब नहीं पीते है ।"
 " बेटा ! तेरा पापा एक नम्बर का जुहारी है ।"
 " नहीं मास्टर जी ! मेरे पापा जुआ नहीं खेलते है ।" 
            तभी एक भिखारी आ जाता है और बच्चे से पूछता है - " बेटा ! क्यों रौ रहें हो ? "
    " पापा ने स्कूल की फीस नहीं दी है । "
    भिखारी पूछता है - " स्कूल की फीस कितनी है ? "
    कालिया - " तीस रुपये " 
    तुरन्त भिखारी तीस रुपये कालिया को देकर चल देता है। कालिया खुशी - खुशी स्कूल के अन्दर चला जाता है। मास्टर राम केसर तो भिखारी को देखता ही रह जाता है। ००
    - #बीजेन्द्र_जैमिनी
    #पानीपत - #हरियाणा 
    16 अक्टूबर 2020

दूसरे दिन : -
जय #हिन्दी ! जय #भारत !

नामित किये बिना #लघुकथा_मैराथन में भाग लेने का अवसर :-

कोई भी लघुकथाकार,  लघुकथा मैराथन में भाग ले सकता है । किसी को भी शामिल  करने का अनुरोध  नहीं करना है । सिर्फ अपनी मौलिक लघुकथा दस दिन तक लगातार , #प्रतिदिन अपने फेसबुक पर , अपनी कोई भी फोटों के साथ एक #लघुकथा पोस्ट करनी है। यह आयोजन #भारतीय_लघुकथा_विकास_मंच का है। यह कार्य शोध व अनेक भाषा में अनुवाद के लिये है : -

दूसरे दिन की लघुकथा : -

                         परिवार में बेटी
                                                                                         
       ‎ "पापा ! दीदी की मृत्यु को  एक साल से भी अधिक हो गया है। परन्तु आप ने दीदी की कापीयां - क़िताबें अब तक क्यों संभाल कर रखीं हैं ? दीदी अब जिन्दा होकर आने वाली नहीं है जो आगे पढ़ने के लिए ......! " कहते हुए कालिया रों पड़ता है। 
          अन्दर से मां आती है। कालिया को चुप करवातीं है और अपने साथ अन्दर ले जाती है। 
          पापा , बेटी की कापियां-किताबें को देख कर ,अब भी गुम सुम से है। बेटी को स्कूल जाते कुछ लड़कों ने अपहरण कर के बलात्कार के बाद हत्या कर दी थी। पापा अब भी सोच रहा है । अगर बेटी को स्कूल ना भेजता तो बेटी  भी जिन्दा होती .....! पापा ने ही बेटी को स्कूल भेजने के लिए परिवार पर दबाव बनाया था। पहले परिवार में बेटी स्कूल नहीं जाती थी ।  ‌ °°
          
    - #बीजेन्द्र_जैमिनी
    #पानीपत - #हरियाणा 
    17 अक्टूबर 2020
तीसरे दिन : -                                               
जय #हिन्दी ! जय #भारत !

नामित किये बिना #लघुकथा_मैराथन में भाग लेने का अवसर :-

कोई भी लघुकथाकार,  लघुकथा मैराथन में भाग ले सकता है । किसी को भी शामिल  करने का अनुरोध  नहीं करना है । सिर्फ अपनी मौलिक लघुकथा दस दिन तक लगातार , #प्रतिदिन अपने फेसबुक पर , अपनी कोई भी फोटों के साथ एक #लघुकथा पोस्ट करनी है। यह आयोजन #भारतीय_लघुकथा_विकास_मंच का है। यह कार्य शोध व अनेक भाषा में अनुवाद के लिये है : -

तीसरे दिन की लघुकथा : -

                           ज़िन्दगी का पहला वेतन                  
                                                     
      कालिया जिन्दगी का पहला वेतन लेकर घर आ रहा था। घर के बाहर भिखारी ने रोक लिया और हाथ आगे कर के बोला - कुछ दे दो ?

        ‎कालिया ने जेब से पर्स निकाल कर, उसमें से एक सौ का नोट देते हुए बोला - कितने दिन तक भीख नहीं मांगेगा ?

        ‎भिखारी ने उत्तर दिया -   सिर्फ़ तीन दिन

        कालिया ने कहा - अगर पांच  सौ का नोट दे दूं तो ?

        ‎भिखारी ने कहा - कम से कम पंद्रह दिन तक।

        ‎कालिया ने फिर कहा - अगर दस हज़ार दे दूं तो ‌?

        ‎भिखारी का सिर घूम गया और कालिया की ओर घूरते हुए बोला - भिखारी की मज़ाक मत उड़ाओ ।

        ‎कालिया ने कहा- मैं मज़ाक नहीं कर रहा हूं।

        ‎भिखारी ने तंवर घुमाते हुए बोला - जिन्दगी में कभी भीख नहीं मांगूंगा। इन पैसों से काम करूंगा।

        ‎कालिया ने तुरन्त जिन्दगी का पहला वेतन के पूरे के पूरे दस हजार भिखारी के हाथ पर रख दिए। भिखारी खुशी के मारें रौ पड़ा ।  कालिया तो भिखारी के पांव छू कर घर में घुस गया। यह सब नजारा कालिया के पिता जी देख रहे हैं और सोचने लगें कि मेरे पिता जी ने मेरा जिन्दगी का पहला वेतन का शनि मंदिर के बाहर लंगर लगाया था। परन्तु कालिया तो मेरे पिता जी से भी आगे निकल गया ।  ००

    - #बीजेन्द्र_जैमिनी
    #पानीपत - #हरियाणा 
    18 अक्टूबर 2020

चौथे दिन :-                                                            
जय #हिन्दी ! जय #भारत !

नामित किये बिना #लघुकथा_मैराथन में भाग लेने का अवसर :-

कोई भी लघुकथाकार,  लघुकथा मैराथन में भाग ले सकता है । किसी को भी शामिल  करने का अनुरोध  नहीं करना है । सिर्फ अपनी मौलिक लघुकथा दस दिन तक लगातार , #प्रतिदिन अपने फेसबुक पर , अपनी कोई भी फोटों के साथ एक #लघुकथा पोस्ट करनी है। यह आयोजन #भारतीय_लघुकथा_विकास_मंच का है। यह कार्य शोध व अनेक भाषा में अनुवाद के लिये है : -

चौथे दिन की लघुकथा : -                                       

                                 पति महोदय                            
            रोजाना की तरह डाकं खोल खोल कर पढ़ रहा हूँ। एक डाकं खोली तो देखा, अपने ही शहर में जन्मी लेखिका का संक्षेप परिचय –
अच्छा लगा! अपने शहर की लेखिका का परिचय पढ़ते-पढ़ते बहुत आनन्द मिला,उस ने अपने माता – पिता का भी उल्लेख किया है परन्तु पति महोदय का नाम कहीं पर भी नंजर नहीं आया । लगा!शायद शादीं ही नहीं हुई होगी…। परन्तु फोटो श्रृंखला देखते- देखते पुरस्कार समारोह में पोते का जिक्र कर रखा है अच्छा लगा कि लेखिका शादींशुद्वा है। लगता है पति महोदय का जिक्र करना कहीं तक उचित नहीं समझा है ? ००
                                                  
    - #बीजेन्द्र_जैमिनी
    #पानीपत - #हरियाणा 
    19 अक्टूबर 2020
पांचवे दिन :-
जय #हिन्दी ! जय #भारत !

नामित किये बिना #लघुकथा_मैराथन में भाग लेने का अवसर :-

कोई भी लघुकथाकार,  लघुकथा मैराथन में भाग ले सकता है । किसी को भी शामिल  करने का अनुरोध  नहीं करना है । सिर्फ अपनी मौलिक लघुकथा दस दिन तक लगातार , #प्रतिदिन अपने फेसबुक पर , अपनी कोई भी फोटों के साथ एक #लघुकथा पोस्ट करनी है। यह आयोजन #भारतीय_लघुकथा_विकास_मंच का है। यह कार्य शोध व अनेक भाषा में अनुवाद के लिये है : -

पांचवें दिन की लघुकथा : -

                                स्नेंह
                             
           पिता अपने चार-पाँच साल के बच्चे को पढ़ा रहे है - ओ से ओखली , परन्तु बच्चा ओ से नोकली कहता है । पिता बार-बार समझाता है परन्तु बच्चा ओ से नोकली ही कहता है। पिता को गुस्सा आ जाता है। जिस से बच्चे के मुंह पर चार- पाँच थप्पड़ जमा देता है । माँ अन्दर से चिल्लाती है
           - ये क्या कर रहे हो ?
           - मेरे समझने के बाद भी ओ से नोकली कह रहा है।
           - बच्चे को कोई पीटा जाता है बच्चे को स्नेंह से सिखाया जाता है
            और अब माँ बच्चे को पढाना शुरु करती है। स्नेंह से ही बच्चा एक दिन में ही ओ से ओखली कहना शुरु कर देता है। ००
                                                  
    - #बीजेन्द्र_जैमिनी
    #पानीपत - #हरियाणा 
    20 अक्टूबर 2020
छठें दिन : - 

जय #हिन्दी ! जय #भारत !

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कोई भी लघुकथाकार,  लघुकथा मैराथन में भाग ले सकता है । किसी को भी शामिल  करने का अनुरोध  नहीं करना है । सिर्फ अपनी मौलिक लघुकथा दस दिन तक लगातार , #प्रतिदिन अपने फेसबुक पर , अपनी कोई भी फोटों के साथ एक #लघुकथा पोस्ट करनी है। यह आयोजन #भारतीय_लघुकथा_विकास_मंच का है। यह कार्य शोध व अनेक भाषा में अनुवाद के लिये है : -

छठवें दिन की लघुकथा : -

                             कालिया का चुनाव
                                              

       मां अपने मकान में घुसती है । तभी लड़का दौड़ता हुआ आता है -
     " मम्मी - मम्मी ! कालिया अकंल आये थे । जो चुनाव में खड़े है । दो हजार रुपये दे गये है । कहँ रहे थे । वोट मुझे ही देना । नहीं तो जिन्दा नहीं रहोगे ।"
     " नहीं बेटा ! कालिया को वोट नहीं देगें । इसने चार - पांच हत्या कर रखीं हैं । अब तो पुलिस पकड़ भी लेती है । चुनाव जीतने के बाद तो पुलिस भी नहीं पकड़ेगी । नहीं बेटा ! किसी कीमत पर कालिया को वोट नहीं देगें । चाहे कुछ भी हो जायें । " 
     देखते - देखते कालिया चुनाव हार जाता है । अगले दिन हत्या के अपराध में पुलिस , कालिया को पकड़ लेती है। परन्तु हाई कोर्ट से जमानत मिल जाती है । हर कोई कालिया से घबराया हुआ है । चुपचाप एकत्रित हो कर जीतने वाले नेता से मिलते हैं । नेता आश्वासन देता है कि इस समस्या को समाधान शीध्र निकाल लिया जाऐगा । परन्तु आप सब इतने  सावधान रहें ।
     कालिया की कोर्ट की तारीख टूट जाती है । कोर्ट के आदेश पर पुलिस छापेमारी शुरू कर देती है । परन्तु कालिया पुलिस की गिरफ्त में नहीं आता है। एक दिन पता चलता है कि पुलिस की मुटभेड़ में कालिया मारा जाता है। ***                               
    - #बीजेन्द्र_जैमिनी
    #पानीपत - #हरियाणा #blogger
    21 अक्टूबर 2020

सातवें दिन : -                                                           
जय #हिन्दी ! जय #भारत !

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कोई भी लघुकथाकार,  लघुकथा मैराथन में भाग ले सकता है । किसी को भी शामिल  करने का अनुरोध  नहीं करना है । सिर्फ अपनी मौलिक लघुकथा दस दिन तक लगातार , #प्रतिदिन अपने फेसबुक पर , अपनी कोई भी फोटों के साथ एक #लघुकथा पोस्ट करनी है। यह आयोजन #भारतीय_लघुकथा_विकास_मंच का है। यह कार्य शोध व अनेक भाषा में अनुवाद के लिये है : -

सातवें दिन की लघुकथा : -                                    

                                  ईमानदारी                        

         सुभाष की पत्नी बहुत बीमार थी। इस लिए सरकारी हस्पताल ले जाता है। डाक्टर साहब पैन हिलाते हुए बोलता है
            - कृपा कर के बाहर बैठ जाए।
             और बाहर पड़ी कुर्सि पर बैठ जाता है । तभी नज़र चपड़ासी पर पड़ती है तथा उसके पास चला जाता है और पूछ बैठता है
             - डाक्टर साहब ! रिश्वत तो नहीं लेते है?
             - बाबू जी ! राम का नाम लो। डा. साहब ईमानदार आदमी है।
              तभी घन्टी बजती है और चपड़ासी अन्दर चला जाता है। इतने में सुभाष की पत्नी बाहर आ जाती है। पीछे - पीछे चपड़ासी भी आता है 
              - बाबू जी ! इस काम की फीस दो सौ रूपये है।
               सुभाष सोचता है कि यह ईमानदारी कैसी है
              - बाबू जी ! यह रिश्वत नहीं है यह डाक्टर साहब की फीस है।
               - हाँ भाई !मुझे मालूम है कि डाक्टर साहब ईमानदार आदमी है।००
                             
    - #बीजेन्द्र_जैमिनी
    #पानीपत - #हरियाणा #blogger
    22 अक्टूबर 2020





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