क्या धैर्य की ताकत से कर्म पूर्ण होते हैं ?
धैर्य की ताकत से सभी कार्य को पूरा किया जा सकता है । बिना धैर्य के कुछ भी सम्भव नहीं हो सकता है बल्कि कार्य बिगड़ जाते हैं । यही जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
. क्या धैर्य की ताकत से कर्म पूर्ण होते हैं
" धीरे-धीरे रे मना .धीरे सबकुछ होये
माली सिचत सौ घड़ा ऋतु आये फल होये।।
..किसी भी काम को करने के लिए मन में लग्न , कार्य के प्रति सही सोच, सही मार्गदर्शन जितना आवश्यक है उतना ही जरूरी है धैर्य। हर काम को करने का एक निश्चित तरीका और समय अवधि होती है। किसी भी काम की बेहतरी के लिए जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए।
हम सब लोग ऐसे कितने ही उदाहरण जानते हैं जहाँ जल्दबाज़ी के कारण बना बनाया काम भी बिगड़ जाता है । जल्दी का काम शैतान का काम । मानव ही नहीं प्रकृति का कण कण समय बद्ध है। हर मौसम का अपना गुण धर्म और समयावधि है । विज्ञान चाहे जितनी प्रगति कर ले । कितनी ही मशीने बना ले।धैर्य की ताकत के बिना कुछ नहीं हो सकता है। जिस के पास धैर्य की ताकत है वो हर तूफान से सुरक्षित निकल आयेगा।
- ड़ा.नीना छिब्बर
जोधपुर - राजस्थान
कर्म फल ही वह ताकत हैं, जो जीविकोपार्जन करने धैर्यरता सिखना पड़ता हैं। श्री कृष्ण ने पाण्डवों को धैर्य रहने कहा था, जिसका प्रतिफल सार्थक हुआ। श्री राम ने भी धैर्य धारण करते हुए, अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हुए थे। धैर्यवान होना सरल मन बनना पढ़ता हैं, किन्तु आज की दुनिया में धैर्य धारण करना अत्यंत कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है, सफलता वही अर्जित करता हैं, जिसमें सहनशीलता, क्रोध का परित्याग, दीर्घकालिक तौर पर विभिन्न प्रकार के कार्यों को सम्पादित करने में सक्षम रहते हैं और अनन्त समय तक चलता रहता, तभी क्षमता भी धैर्य का एक उदाहरण हैं। जिसने अपनी इंद्रियों को बस कर लिया तो उसे हर पल खुशी ही दिखाई देती हैं, नहीं तो नकारात्मक सोच के कारण आत्महत्या करने मजबूर हो जाता हैं। अपनी ताकत ही अपना मन हैं। अधिकांशतः देखने में आता हैं, कि जिसका मन कमजोर, तकलीफ़ों से ग्रसित हो, वह कर्म शक्तिशाली नहीं हो सकता हैं, सकारात्मक प्रतिक्रिया के साथ ही साथ जीवन यापन कर जीवित अवस्था में पहुँचा नें विफलताओं का सामना करना पड़ता हैं। इसलिए कहा जाता हैं, कि "जैसा कर्म करोगे, तो वैसा ही फल भोगेगा"।
सत्यता की झलकियां दिखाई देती हैं।
-आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
आज की चर्चा का विषय है- 'क्या धैर्य की ताकत से कर्म पूर्ण होते हैं?' वस्तव में धैर्य की ताकत के बिना कोई कर्म पूर्ण हो ही नहीं सकता है. आज से 70 वर्ष पूर्व बचपन में पिताजी ने चूहे के दूध में गिरने की कहानी सुनाई थी, जो बड़े धैर्य से लगातार बाहर निकलने की कोशिश करता रहा और अंत में मक्खन के पेड़े की मदद से बाहर निकल पाया. फिर स्कूल में कबीर जी का दोहा पढ़ा-
''धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय।''
सत्संग में मनु स्मृति में धर्म की परिभाषा सुनी और गुनी-
'' धृति: क्षमा दमोअस्तेयं शोचं इन्द्रिय निग्रह:
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणं.''
धर्म का पहला लक्षण है धैर्य.
इतिहास साक्षी है, कि धैर्य के बिना कोई विकास या परिवर्तन नहीं हुआ, चाहे वह स्त्री शिक्षा का मुद्दा हो, बाल विवाह, सती प्रथा या फिर देश की गुलामी से मुक्ति. सबके लिए धैर्यपूर्वक साम-दाम-दंड-भेद से संघर्ष करना पड़ा.
इतिहास ही क्यों, विज्ञान भी साक्षी है, कि हर आविष्कार के लिए धैर्य से कार्य किया गया, तब जाकर सफलता मिली.
व्यावहारिक जीवन में भी पल-पल धैर्य का दामन थामने से ही कार्य पूर्ण होते हैं. तैश में आकर बिना सोचे-समझे त्वरित प्रतिक्रिया काम भी बिगाड़ती है और रिश्ते भी. लिफ्ट को आदेश देने पर वह भी तनिक धैर्य से सोचती है, कि उसे ऊपर जाना है या नीचे.
धैर्य का अर्थ है शांति से कदम उठाना. धैर्यवान होना सरल काम नहीं है, पर इस विशेषता है को निरंतर अभ्यास से विकसित किया जा सकता है. जो लोग धैर्यवान होते हैं उन्हें विभिन्न मार्गो से इसका सुफल भी मिलता है.
- लीला तिवानी
दिल्ली
धीरे -धीरे रे मना,धीरे सब कुछ होय,
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आये फल होय।।
संत कबीर जी की दोहा है।
धैर्य, दृढता और पसीना सफलता के लिए एक अपराजये मिश्रण है। कठिन परिस्थितियों में घबराना नहीं चाहिए बल्कि धैर्य ताकत बनकर उभरेगा।
एक सफल व्यक्ति वह है जो औरों द्वारा अपने ऊपर फेंके गए ईटौ से एक मजबूत नीव बना लेता है।
यदि सफलता चाहते हैं तो इसे अपना लक्ष्य ना बनाइए सिर्फ वह करिए जो करने से आपको अच्छा लगता है।
जिसमें आपको विश्वास है खुद ब खुद आप को सफलता मिलेगी ही।बार-बार असफल होने पर भी उत्साह न खोए- सफलता अवश्य मिलेगी।
धैर्य के माध्यम से कई लोग उन परिस्थितियों में सफल हो जाते हैं जो कि एक निश्चित असफलता जान पड़ती है। यही है धैर्य की ताकत इसे पूर्ण होते खुशी होती हैं।
लेखक का विचार:-धैर्य के माध्यम से कई लोग उन परिस्थितियों में भी सफल हो जाते हैं, जो कि एक निश्चित असफलता जान पड़ती है । धैर्य कड़वा है लेकिन उसका फल बहुत मीठा है ।मेहनत हिम्मत और लगन से कल्पना साकार होती है ।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
यह बात एक दम सच है धैर्य की ताकत से ही कर्म पूरे होते हैं। यदि हम आदर्शों के प्रति जिसको हमने अपना आया है उस मार्ग में चलने के प्रति अपने आप को ग्रहण किया है ,निष्ठावान हैं तो अपनी लड़ाई हमने आधी जीत ली । संघर्षों से हम घबराना नहीं चाहिए। अपने साहस और धैर्य के बल पर ही हम सफलता को प्राप्त कर सकते हैं। साहस का अर्थ दूसरों को धक्का देना नहीं है।
मनुष्य को जो आदर्श के लिए संघर्ष करता हो वह अपने पतन से कभी भयभीत नहीं होता व्यक्ति लड़ता है और गिरता है और गिर कर भी जब ऊपर उठता है तो वह कभी पराजित नहीं होता ।यह प्रेरणा हमें चीटियों से लेनी चाहिए पतन होता है और अभाव में ही हम ज्यादा संघर्ष कर लेते हैं उच्च आदर्शों के प्रति समर्पण द्वारा ही अमरत्व प्राप्त कर लेते हैं।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
आज की चर्चा में जहाँ तक यह प्रश्न है कि क्या धैर्य की ताकत से कर्म पूर्ण होते हैं तो मैं कहना चाहूँगा कि हाँं धैर्य वह ताकत है जो हमें हमारे कर्तव्यों को पूरा करने में बहुत ताकत और संबल प्रदान करती है धैर्यवान व्यक्ति कितनी भी विपरीत परिस्थितियां हो अपने कार्य को बहुत ही शांतिपूर्ण ढँंग से और अच्छे ढँंग से कर पाता है तनिक भी विचलित नहीं होता और उसकी यही विशेषता उसे अन्य व्यक्तियों से अलग बनाती है और ऐसे व्यक्ति को समाज में धीरे-धीरे विशेष स्थान और सम्मान मिलने लगता है इसलिए धैर्य पूर्ण होना बहुत ही आवश्यक है अन्य चारित्रिक गुणों में धैर्य सबसे बड़ा गुण है यदि धैर्य नहीं है तो बहुत ज्ञानवान व्यक्ति भी कभी-कभी गलत कार्य कर बैठता है और यहाँ तक की वह अपना भी अहित कर सकता है इसलिए प्रत्येक परिस्थिति में धैर्य रखना बहुत महत्वपूर्ण है और इसी में व्यक्ति का न केवल अपना बल्कि घर परिवार समाज और देश का भी भला है धैर्य ढंग से किए गए कार्य हमेशा शुभ फलदायक होते और सभी को प्रसन्नता प्रदान करते हैं एवं उन्नति में सहायक होते हैं |
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
अगर हमारे मन में धैर्य है तो हम अपनी कमजोरी को भी ताकत बना सकते हैं लेकिन अगर मन में अधैर्य है तो कोई कितना ही ताकतवर क्यों न हो सदा कमजोर ही रहेगा क्योंकि उसकी अधीरता ही उसका सबसे बड़ा अवगुण है |लेकिन ऐसा होता क्यों है जब भी हमारे जीवन में कोई विकट परिस्थिति बनती है तो हम घबरा जाते हैं और धैर्य खोने लगता है |दूसरी और जब हम प्रगति की राह पर आगे बढ़ रहे होते हैं और उसमें कोई बाधा उत्पन्न होती है तो भी हम अपना धैर्य खो देते हैं |संबंधों में अनुकूलता नहीं होने या फिर मनचाही सफलता प्राप्त न होने पर भी हम धेर्य खो देते हैं |इन्हीं कारणों से हमारे जीवन में अधैर्य का प्रवेश होता है |अधीरता का जन्म होता है |और व्यक्ति अविचल हो जाता है ऐसी स्थिति में धैर्य बनाए रखने को ही बुद्धिमत्ता कह सकते हैं |जीवन तो सुख दुख का संगम है अगर हम अगर विचलित हो जाते हैं अपने दुखों के कारण तो हम अपनी क्षमताओं को भी खो देते हैं | जीवन की राह पर चलते हुए जब जीवन विपत्तियों से घिर जाता है तो उस समय ही व्यक्ति के धैर्य की परीक्षा होती है |ऐसी स्थिति में अगर कोई व्यक्ति अपने धीरज को नहीं गंवाता और प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भली प्रकार व्यवहार करता है, अपना संतुलन नहीं खोता |
रात कितनी ही अंधेरी क्यों न हो हमें संभल कर ही चलना होगा अगर हम चीख - पुकार मचाएंगे तो रात के अंधेरों से बच नहीं पाएंगे |इसलिए एक ही समाधान है कि हमें रात्रि के अंधकार को स्वीकार करके आगे बढ़ना होगा |
हम अपना धैर्य तभी गंवाते हैं जब हम अपनी प्रतिकूल परिस्थितियों को स्वीकार नहीं करते| धैर्य पूर्वक काम करना भी एक कला है |अगर हम संयम से अपनी भावनाओं पर थोड़ा सा नियंत्रण करते हुए धैर्य को अपनाते हुए
कोई भी कर्म करते हैं तो हमारी सफलता निश्चित है | क्योंकि धैर्य के प्रकाश में हमें सारी परिस्थितियां साफ-साफ दिखाई पड़ती हैं और हम उन परिस्थितियों में मन और मस्तिष्क का संतुलन रखते हुए कार्य करके सफल हो सकते हैं | और हम सफलता के चरम शिखर को छू सकते हैं|
- चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
कर्म पूर्ण होने के लिए जिन बातों का ध्यान रखना चाहिए उनमें से धैर्य भी एक है बल्कि यूँ कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कर्म पूर्ण करने के लिए धैर्य, महत्वपूर्ण विशेषता के साथ- साथ प्राथमिकता से निभाने का आवश्यक गुण भी है।
धैर्य ऐसी विशेषता लिए हुए होता है कि वह हमें कभी उद्देश्य से विचलित नहीं होने देता और सदैव उत्साह एवं उम्मीद की सरसता से सहज और सरल बनाए रखता है।
कहा गया है, ' जल्दी का काम शैतान का ।'
धैर्य का स्वभाव इसके विपरीत है, वह हमेशा बचाव के लिए तैयार रहता है और साहस बनाए रखता है। जल्दबाजी या उतावलापन इतना जोखिम और असावधानी लिए होता है कि संभावित भूलचूक को नजरअंदाज करने में देर नहीं लगती और बने बनाए काम को बुरी तरह बाधित कर देती है, जिसके परिणाम में सिर्फ पछतावा ही रह जाता है। जबकि धैर्य की खूबियाँ, न बाधित करती हैं, न भूलचूक जैसी कोई गलती होने देतीं हैं।
कहा गया है, ' देर आय, दुरुस्त आय।' ' दुर्घटना से देर भली।'
देर का आशय इसी धैर्य से है। धैर्य , हमें किसी भी कर्म के प्रति पूरी जिम्मेदारी, सावधानी, ज्ञान, विवेक, मंत्रणा, सोचने- समझने की सजगता और तैयारी करने का पूरा अवसर देता है। जो ताकत बनकर, कर्म को न केवल पूर्ण करने का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि सफलता भी सुनिश्चित करती है।
सार यह कि धैर्य हमारे स्वभाव की बहुत बड़ी पूँजी होती है, जो ताकत बनकर हमें सामर्थ्यवान बनाती है और फिर सफलता भी दिलाती है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
मन की सहनशीलता का नाम है धैर्य। कठिन समय में भी धैर्य बनाए रखें और नकारात्मक विचारों से दूर है। जिस व्यक्ति के पास धैर्य की ताकत है उसके कर्म पूर्ण होते है। जीवन में सफलता पाने के लिए धैर्यवान होना अति आवश्यक है। सुख को मनुष्य सहज ही बिता लेते हैं, परंतु दुख को सहना पड़ता है। जिस शक्ति के सहारे अपना दुख पूर्व जीवन बिताते हैं वही धैर्य की शक्ति हमारे पास ना हो तो हमारा जीवन दुख से नीचे दबकर एक दिन में चूर चूर हो जाता है। मनुष्य के पास अनेक प्रकार के धन हो सकते हैं परंतु सच्चा धन मनुष्य को तभी प्राप्त होता है जब वह सहनशीलता रूपी धन को प्राप्त कर लेता है। धैर्य ही वह ताकत है जो मनुष्य को महान बनाता है। जो देश का स्वाभिमान है वह सबका सम्मान है। तेज बुद्धि का साथी अगर धैर्य व बुद्धि मिल जाए तो आसमान की ऊंचाई को छू सकता है। हमारे पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय एपीजे कलाम ने अपना पूरा जीवन देश हित में लगाया। उनका कहना है कि धैर्य ही वह शक्ति है जो मलवरी वृक्ष के पत्ते को भी रेशम में बदल सकता है। धैर्य जीवन की कुंजी है जो सफलता की ताले को खोलती है। प्रतिक्रिया हमें कई माध्यम से धैर्य का पाठ पढ़ाती है। एक नन्ही सी चींटी सिखाती है कि धैर्य से आगे बढ़ो मंजिल तक पहुंच जाओगे । आज के युग में जो हमारी नई पीढ़ी है उसमें धैर्य और सहनशीलता का अभाव है। यही कारण है कि धैर्य की शक्ति का युवाओं के बीच विकास नहीं हो पा रहा है। बच्चों में क्रोध ईर्ष्या मन में अस्थिरता बढ़ते जा रही है। उनमें धैर्य की कमी होती जा रही है। यही एक कारण है कि उनके जीवन की समस्या कर्म को बिगाड़ रहा है, इसलिए आज के समय में अभिभावकों को बच्चों में सहनशीलता और धैर्य लाने के लिए तरह तरह से तरीके अपनाने चाहिए, ताकि बच्चों में बढ़ रहे ईर्ष्या, क्रोध व अस्थिरता को कम किया जा सके। अगर बच्चों में धैर्य और सहनशीलता आ जाए तो उनका चहुमुखी विकास होगा। धैर्यवान वही है जो दुख में भी मुस्कुराता रहे।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
जी हां।आज की परिचर्चा का यह विषय ऐसे काल में सामने रखा गया है,जबकि पिछले छह माह से हम सब धैर्यपूर्वक कोविड-19 के संबंध में सरकारी गाइड लाइन का पालन कर रहे हैं,तो इसके महत्व से इंकार कैसे किया जा सकता है।
धैर्य के संबंध में रहीमदास का एक दोहा,
रहिमन चुप ह्वै बैठिए,देख दिनों को फेर।
जब नीकै दिन आइहैं,बनत न लगिहै देर।।
धैर्य के महत्व को दर्शाता है।धैर्य से बड़े बड़े कार्य सिद्ध हो जाते हैं।हर कार्य की प्रक्रिया में एक निश्चित समय लगता है अगर उस काल में जल्दबाजी की तो काम बिगड़ना निश्चित है। इसलिए धैर्य का होना तो बहुत जरूरी है।
बीज बोने पर एकदम फल नहीं आते,समय लगता है,पौधा,वृक्ष बनने,फूल आने और फल आने में इस प्रक्रिया में धैर्य न रखा जाएं तो काम बनेगा ही नहीं।यह तो रही सामान्य काल की बात।अब इस पर भी विचार करें, धीरज,धर्म,मित्र अरु नारी, आपतकाल परखिए चारि। आपातकाल में भी धीरज को प्रथम परखने की बात कही है,यानि इसे अपनाने से बुरा वक्त भी बिताने में सहयोग मिलता है।अत: धैर्य का जीवन में होना बहुत जरूरी है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जी, धैर्य की ताकत से कर्म पूर्ण होते हैं बशर्ते धैर्य पूर्वक कार्य में संलग्न रहा जाए। पूर्ण निष्ठा के साथ प्रगति पूर्ण ढंग से कार्य करते रहने से कुछ समय अवश्य लगता है किंतु सफलता प्राप्त होती है निश्चित रूप से। धैर्य का फल हमेशा मीठा एवं स्थाई प्रभाव वाला होता है। कुछ लोग धैर्यवान नहीं होते उन्हें हर कार्य की शीघ्रता होती है जिसके परिणाम स्वरूप कार्य पूर्ण नहीं होता और वे भाग्य को या अन्य किसी चीज पर दोषारोपण करने लगते हैं।
- श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
आज की चर्चा क्या धैर्य की ताकत से कर्म पूर्ण होते हैं।
जीवन में सफल होने के लिए धैर्य होना अति आवश्यक है। किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए समय निकालना पड़ता है और उसे प्रतिदिन समय निकालकर करना पड़ता है। धैर्य के साथ साथ कर्म करना अति आवश्यक होता है। प्रत्येक व्यक्ति को यह देख कर कार्य करना चाहिए। सुख के दिन या दुख के समय को देख कर कार्य करते रहो दुख में धैर्य की अधिक आवश्यकता होती है बुरे वक्त में धैर्य नहीं रखने पर अनर्थ हो सकता है। जो बीत गया उसे मत देखो उसमें जो गलती हुई उसमें बदलाव लाना चाहिए ।अतः धैर्य से कार्य कर आगे बढ़ते चलो सफलता कदम चूमेगी।
- पदमा ओजेंद्र तिवारी
दमोह - मध्य प्रदेश
कबीरदास जी कहते हैं.....
"धीरे-धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होय।
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होय।।"
कितनी सरलता से कर्म के साथ धैर्य की महत्ता समझा दी है संत कबीरदास जी ने।
मनुष्य के कर्म की गति अबाध रूप से चलायमान रहती है परन्तु सत्य यही है कि कर्म की पूर्णता का सुफल समयानुसार ही प्राप्त होता है जिसके लिए मनुष्य में धैर्य का होना आवश्यक है।
मनुष्य के कर्म करने की क्षमता और धैर्य की परीक्षा जीवन के प्रत्येक कार्य में होती है। कर्म के साथ कम-अधिक चुनौती जुड़ी होती है। मनुष्य के व्यवहार में प्राकृतिक रूप से संघर्ष का गुण होता है, यही संघर्ष कर्मठता का द्योतक है। कर्मठ मनुष्य ही सफलता का वरण करता है । परन्तु इन सबके साथ-साथ मनुष्य के कर्म-पथ पर धीरता का समावेश होना आवश्यक है तभी कार्य की सकारात्मक सम्पूर्णता का लाभ मनुष्य को प्राप्त होता है।
"चुनौतियों संग जीवन सजीवता का आभास कराता है,
विषमताओं से संघर्ष कर्मठता से परिचय कराता है।
सौ गुणों के बाद भी अधूरे रह जाते हैं मानव-कर्म,
धैर्य ही वह गुण है जो मनुष्य को सम्पूर्ण बनाता है।।"
कालिदास जी कह गये हैं.....
"विकार हेतो सति विक्रियन्ते येषां न चेतांसि त एव धीरा:।"
अर्थात्....."वास्तव में वे ही पुरुष धीर हैं जिनका मन विकार उत्पन्न करने वाली परिस्थितियों में भी विकृत नहीं होता।"...... (कालिदास)
निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि धैर्य में बहुत ताकत होती है जिस मनुष्य के मन-मस्तिष्क में धैर्य की ताकत विद्यमान है वह निश्चित रूप से कर्म की सम्पूर्णता को प्राप्त करता है। किसी ने सत्य ही कहा है कि...."धैर्य का फल मीठा होता है।" बस संयम को संजोये रखना चाहिए।
इसीलिए मैं कहता हूं कि......
"हैं आँधियाँ तो हिस्सा, चुनौती है जीवन डगर,
मुश्किलों के तूफानों से डरकर धैर्य न गंवा साथी।
अपने हौसलों में धीरता की अधिकता रख सदा,
वसुधा से धीरजता शैल से शिखरता सीख साथी।।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखंड
आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में हम धैर्य रख कर बड़ी से बड़ी समस्या को सुलझा सकते हैं। मन में चिंता, तनाव और उदासी को दूर कर देना का गुण धैर्य में होता है ।जिंदगी का दूसरा नाम संघर्ष है।हमें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वो हम धैर्य की ताकत से ही कर सकते हैं।धैर्य की ताकत से कर्म पूर्ण होते हैं लेकिन हम एक ही छलांग में शिखर पर नहीं पहुँच सकते।हरेक क्षेत्र में जैसे उद्योग, चिकित्सा, व्यापार और अध्यापन आदि सब का एक क्रम होता है। क्रम का उल्लंघन करने से लाभ की जगह हानि होती है। समय की बरबादी और शक्ति का अपव्यय होता है। तभी तो हमारे विचारक कहते हैं ----
करज धीरे होत हैं, काये होत अधीर
समय पर तरुवर फलै , केतक सींचों नीर ।
जैसे सोना भट्ठी में तप कर कुंदन बनता है, उसी तरह धैर्य वान कठिनाइयों में दहकता है। धैर्य सारे आनंद और शक्तियों का मूल है। धैर्य हर मुश्किल की कुंजी है। साथ में यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि धैर्य की भी एक सीमा होती है। हद से ज्यादा धैर्य नहीं रखना चाहिए नहीं तो दुनिया मूर्ख घोषित करने में देर नहीं लगायेगी।
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
सुना तो यही है कि धैर्य वह शक्ति है जो विश्व ही नहीं बल्कि ब्रह्मांड पर विजय प्राप्त करने में सक्षम है। परंतु सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास नहीं किया जा सकता। इसलिए धैर्य की शक्ति का तुलनात्मक अध्ययन स्वयं पर कर रहा हूं और देख रहा हूं कि क्या उपरोक्त कथन परीक्षा में उत्तीर्ण होता है?
उदाहरणार्थ मुझे पागल का ठप्पा लगाकर प्रताड़ित किया गया और मैंने धैर्य रखा। मुझे देशद्रोही कहा गया पर मैंने धैर्य रखा। मुझे अधिवक्ताओं ने ही नहीं बल्कि राज्य और केंद्र सरकार एवं उसके चिकित्सालयों, रेडक्रास और विश्व स्वास्थ्य संगठन, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली व जम्मू-कश्मीर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के साथ-साथ माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने भी धोखा दिया और अंतड़ियों की तपेदिक के स्थान पर मानसिक उपचार कराया परंतु मैंने धैर्य रखा। जो अब तक ढाक के तीन पात ही प्रमाणित हुआ है।
परंतु अब जब मैंने माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में स्वयं याचिका दाखिल की तो मुझे माननीय न्यायाधीश से वार्ता करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। हालांकि प्राथमिक स्तर पर मेरी पराजय हुई है। परंतु 16 पन्नों के निर्णय में माननीय न्यायाधीश महोदय जी ने जो कहा है उस पर मेरी 193 पन्नों की पुनर्विचार याचिका धैर्य की शक्ति का अनुभव करा रही है। चूंकि मेरी पुनर्विचार याचिका निर्णय के तथ्यों पर भारी पड़ रही है।
अतः विजयश्री प्राप्त होने की संभावना मन-मस्तिष्क में जागृत हो रही है। इसलिए यदि पुनर्विचार याचिका में मुझे जीत या कुछ राहत मिलती है तो धैर्य की शक्ति से कर्म पूर्ण होते हैं अन्यथा सम्पूर्ण निष्फल प्रमाणित हो जाएगी।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
निस्संदेह धैर्य की ताकत से कोई भी कर्म पूर्ण होता है या हम कह सकते हैं की धैर्य ही वह शक्ति है जो हमें किसी भी कार्य अथवा लक्ष्य को पूर्ण करने मैं सहायक होती है
कोई भी निर्धारित अथवा वांछित कार्य का पूर्ण होना बहुत से पहलुओं पर निर्भर करता है जैसे परिस्थिति समय वातावरण परिवेश उपलभ्द साधन आदि .इसलिए किसी भी कार्य अथवा कर्म को पूर्ण करने के लिए धैर्य की कसौटी पर खरा उतरना पड़ता है
जिनमें धैर्य व सब्रका अभाव होता है वे कर्म पूर्ण होने से पहले ही मैदान छोड़कर भाग जाते हैं व असफलता प्राप्त करते हैं व धैर्यवान सफल होते हैं कर्म पूर्ण करने मैं व सफलता प्राप्त करने में
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
अवश्य धैर्य की ताकत से कर्म पूर्ण होते हैं। किसी भी काम को करने के लिए धैर्य की आवश्यकता तो होती ही है।धैर्य से सालभर पढ़ने के बाद परीक्षा का परिणाम आता है। किसान फसल लगाता है तो उसके कर्म का फल छह माह बाद मिलता है।यानी काम पूरा होता है। धैर्य रख कर पहाड़ पर चढ़ने का जो कर्म करता है तो उसका कर्म पूरा होता है शिखर पर पहुंचने के बाद।
अगर सही ढंग से देखा जाय तो दुनिया के हर कार्य में धैर्य की आवश्यकता होती है। तभी कोई भी कार्य पूरा होता है। इसलिए ये बात सत्य है कि धैर्य की ताकत से कर्म पूरे होते हैं।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - पं.बंगाल
'ज्ञानी काटे ज्ञान से, अज्ञानी काटे रोए ।
मौत बुढ़ापा आपदा ,
सब काहू को होय ।'
कबीर दास जी के दोहे से यह स्पष्ट होता है कि संसार में रहते हुए विपरीत परिस्थितियां अथवा आपत्तियां आना स्वाभाविक प्रक्रिया है किंतु जो अपने विवेक को धारण करते हुए धैर्य के साथ आगे बढ़ता है ,वही संसार में इतिहास रचता है ।
धैर्य का अर्थ है -धीरता अथवा सहनशीलता। विषम परिस्थितियां उत्पन्न हो जाने पर भी मन में चिंता ,शोक और उदासी उत्पन्न ना होने देने का गुण धैर्य है ।धैर्य मनुष्य के व्यक्तित्व को ऊंचा उठाने का एक उत्तम गुण है।
धैर्य को जब हम आत्मसात कर लेते हैं तो जीवन की मुश्किलों को आसान कर लेते हैं । धैर्य व्यक्ति को जीवन की परीक्षा में सफलता दिलाता है ।
जो व्यक्ति धैर्य के साथ सभी कार्यों को कर्मठता व इमानदारी से संपादित करता है वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा व आदर्श बन जाता है ।
सभी जीवो में मनुष्य ऐसा प्राणी है जिसके पास विवेक की शक्ति है ,वह अपने विवेक से महत्वपूर्ण कार्य कर सकता है और उन्नति के मार्ग पर अग्रसर हो सकता है ।
धैर्य की सीख हमें प्रकृति से भी मिलती है । धरती हमें सहनशीलता का पाठ पढ़ाती है वनस्पति हम हमें धीरज की परिभाषा सिखाती है । किनारों में बंधी हुई नदियां हमें अनुशासित और संयमित जीवन जीना सिखाती है।
अतः ईश्वरीय प्रेरणादाई रचनाओं से शिक्षा लेकर कर्म को सफलता का आधार मानकर हम अपने जीवन को सत्यम शिवम सुंदरम बना सकते हैं ।
कर्म जीवन की अनिवार्य प्रक्रिया है किसी भी कर्म की पूर्णता में धैर्य की विशेष भूमिका रहती है । धैर्य साथ ना हो तो कर्म को पूरा करने में मुश्किल आती है । संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं , उनकी महानता का कारण धैर्य एवं सहिष्णुता ही रहा है ।
धैर्य और विश्वास जीवन की वह कुंजी है जो सफलता का मार्ग प्रशस्त करती है जिसके पास धैर्य है वह कठिन से कठिन राह से गुजर कर भी अपनी मंजिल को प्राप्त कर लेता है । धैर्य आत्म त्याग से जुड़ कर श्रेष्ठता प्रदान करता है । धैर्य के गुण को प्राप्त करके मनुष्य में असाधारण सामर्थ्य आ जाती है , वह न केवल अपने लक्ष्यों को अविचल रूप से प्राप्त करता जाता है बल्कि दूसरों को उचित सलाह देने के लिए भी हमेशा तत्पर रहता है ।
पवित्र पुस्तक 'गीता 'में मनुष्य के इस गुण को दैवीय संपदा बताया गया है, इस गुण के अभाव में मनुष्य अधार्मिक कार्यों या कुकर्मों में संलग्न हो सकता है ।ऐसे समाज में आसुरी वृत्ति बढ़ती जाती है ।समाज में मानवीय मूल्यों की रक्षा करने के लिए हमें धैर्य शाली अवश्य बनना चाहिए ।
घर परिवार में भी धैर्य का बहुत महत्व है माता पिता अपने बच्चों को उनकी छोटी-छोटी बातों पर झिड़क देते हैं और आजकल बच्चे भी मां-बाप की प्रति जल्दी प्रतिक्रिया देते हैं बच्चों में गुस्से की प्रवृत्ति बहुत बढ़ गई है आत्महत्या जैसे गलत कदम उठाने में कोई कसर नहीं छोड़ते । इस प्रकार के कृत्य धैर्य की कमी के कारण ही होते हैं । छोटी-छोटी बातों को तूल देना तनाव की उत्पत्ति करता है ।ऐसे में यह 'धैर्य' शब्द एक ऐसी औषधि है, जिसका परिणाम अंत में प्रेम में बदल जाता है । परिवार में धैर्यशीलता रिश्तो को मजबूत करती है एक दूसरे के प्रति स्नेह व सम्मान की भावना बढ़ती है ।
अतः धैर्य अथवा सहनशीलता ऐसी शक्ति है जो हर कर्म को पूर्णता प्रदान करती हुई हमें सामर्थ्यवान बनाती है । जीवन को सार्थक सफल बनाने के लिए धैर्य अति महत्वपूर्ण है ।
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
धैर्य के बिना कोई भी महान कार्य संभव नहीं।वो कहते हैं न कि,एक साधारण सा घर बनने में एक साल लगता है परंतु एक खूबसूरत महल बनने में सालों लग जाते हैं। कोई भी व्यक्ति अपनी मंजिल पर अवश्य पहुंचेगा अगर वो अथक परिश्रम करने से बाज न आये और उम्मीद का दामन थामे रखें।कई बार किसी काम में मनोवांछित सफलता हासिल करने में वक्त लगता है और शुरूआती दौर में असफलता ही हाथ लगती है । बहुत से लोग इस असफलता को स्वीकार नहीं कर पाते और कोशिश करना छोड़ कर मायूसी और डिप्रेशन आदि के शिकार हो जाते हैं। वहीं दूसरी ओर अपनी हार से विचलित हुए बिना धैर्य का दामन कसकर पकड़ें रहकर निरन्तर प्रयासरत रहते हैं और अपने लक्ष्य को हासिल कर के मिसाल कायम करते हैं।
ऐसे ही लोग दुनिया बदलने की क्षमता रखते हैं।
- संगीता राय
पंचकुला- हरियाणा
धैर्य किसी भी कार्य की एक बड़ी चुनौती है और निसंदेह धैर्य के कारण से कर्म पूर्ण होते हैं, अति चंचलता अत्यधिक उल्लास अति आत्मविश्वास भी बहुत से कार्य को बिगाड़ देता है,अत्यधिक धीमे गति से काम भी कार्य की गरिमा को धूमिल कर देता है धैर्य एक नियत समय अवधि को ध्यान में रखते हुए कार्य को पूर्ण करता है
अतः धैर्य से बड़े से बड़े कार्य पूर्ण किये जाते है।
- मंजुला ठाकुर
भोपाल - मध्यप्रदेश
धैर्य व्यक्तित्व का एक ऐसा गुण है जो मन को शांत करता है और कर्म की ओर एकाग्र चित्त होने में मदद करता है धैर्य ता पूर्वक किसी भी काम को करने से निश्चित ही उसके परिणाम अच्छे मिलते हैं और कर्म में एक ताकत भी होती है
धैर्य के माध्यम से कामों में मदद मिलती है कई ऐसे दृष्टांत है जिसमें निराश होकर के इंसान हारने लगता है लेकिन फिर धैर्य रखते हुए उस पर गहन चिंतन करता है तो सही तरीके सामने आ जाते हैं इसलिए धैर्य में यह ताकत है जो कर्म को सफल बनाती है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
यह कथा सभी ने सुनी होगी। एक व्यक्ति को अपने एक पौधे पर तितली का कोकून दिखाई दिया! तितली जब अंडे से बाहर निकलती है, तो वह एक इल्ली की तरह होती है, जब यह इल्ली पौधों की पत्तियां खा कर बड़ी हो जाती है, तो यह अपने मुह से, रेशम जैसे धागों को बनाकर, अपने आस पास एक खोल बनाकर उसमे बंद हो जाती है, इसी खोल को कोकून कहतें हैं। इस कोकून के अंदर ही, यह इल्ली आश्चर्यजनक रूप से तितली के रूप में विकसित हो जाती है। वह प्रतिदिन उसे कौतूहल से देखने लगा। एक दिन उसने देखा कि कोकून का मुंह कुछ खुला हुआ है और तितली बाहर आने के लिए संघर्ष कर रही है। उसने सोचा कि इस तितली की मदद करूं और उसने तिनके की सहायता से पूरा कोकून खोल दिया ताकि तितली आसानी से निकल जाये। तितली आसानी से निकल तो गयी, लेकिन उसका शरीर फूला हुआ और एक पंख मुरझाया हुआ था। वह इंतजार करता रहा कि कब उसके पंख खुले और यह कब उड़ेगी। पर अफसोस ऐसा कभी नहीं हुआ, बल्कि वह तितली कभी नहीं उड़ पायी। दया और उत्सुकता की जल्दी में वह व्यक्ति यह नहीं समझ पाया कि कोकून की सख्त खोल को तोड़कर, निकलने के लिए तितली का संघर्ष, ईश्वर द्वारा बनायी गयी एक आवश्यक प्रक्रिया थी, जिससे तितली के शरीर का तरल और रक्त उसके पंख में पहुँच कर उसे फैला सके, और वह उड़ान भरने के लिए तैयार हो जाये। परन्तु उस व्यक्ति की अधीरता ने व्यवधान डाला और एक कर्म अपूर्ण रह गया। यह कथा इस तथ्य की पुष्टि करती है कि धैर्य की ताकत से ही कर्म पूर्ण होते हैं।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
*मन धीरज तू रख ले तेरे राम मिलेंगे कभी न कभी*
भारत में संस्कार संस्कृति अध्यात्म यह तीनों साथ ही साथ चलते हैं पुरानी सनातनी परंपराओं पर चली आ रही परिपाटी माता-पिता बच्चों को संस्कार के साथ-साथ धैर्य और धीरज का सदा ही महत्त्व बतलाते हैं वह बच्चों को छोटे पन से ही धैर्य रखना धीरज रखना आत्म संयम यह सब सिखाते हैं वेदों पुराणों में वर्णित कथा कहानी धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातों को दादी नानी की कहानियों में सदा ही प्रेरणादाई कथाएं होती हैं धैर्य धीरज ईमानदारी स्वाभिमान मानवता जैसे गुणों से ओतप्रोत कहानियां बच्चों को बहुत ही प्रेरित करती है शबरी के सब्र का ही फल था श्री राम का दर्शन हुआ भारत वासियों के सब्र का फल धारा 370 हटाया गया, 500 साल बाद राम मंदिर भूमि पूजन निर्माण हुआ भारत भूमि पर रहने वाले हर राम भक्तों का धैर्य का प्रतिफल है निश्चित ही धैर्य रखना
साथ-साथ अपने कर्म पर लगन के साथ दृढ़ संकल्प से आत्मविश्वास के साथ अग्रसर होते रहिए सफलता सफलता मत देखें सिर्फ कर्म को करते चले अवश्य ही कर्म पूर्ण होते हैं।
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
यह सच है कि धैर्य से हारी हुई बाजी भी जीती जा सकती है बस हमारे विचार ,हमारी सोच सकारात्मक होनी चाहिए ! कठिन संघर्ष के बाद भी लक्ष्य प्राप्ति में असफलता हाथ लगती है तो हमें हिम्मत न हारकर शांति से धैर्यता के साथ अपनी उस गल्ती का आंकलन करना चाहिए कि कहां चूक हो गई ! धैर्य हमें मन की शांति देता है ! शांत मन हमारे अंदर सुंदर विचार लाता है और हम पुनः जोश और विश्वास के साथ संघर्ष कर लक्ष्य की प्राप्ती में सफलता हासिल कर ही लेते हैं ! हमारे बुजुर्ग कहते हैं धीरज का फल मीठा होता है सही कहते हैं !
हमारी जो इंद्रियां है उसमे धैर्य का समावेश भी है अतः समय सर हम इंद्रियों पर विजय हासिल कर लेते हैं तो वह हमारी ताकत बन कर्म पूरा करता है !
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
अत्यंत पुरानी ये कहावत प्रत्येक काल और संदर्भ में पूर्णतया प्रमाणित है।
किसी भी कार्य का आरंभ हमें शांत चित्त और पूर्ण एकाग्रता के साथ करना चाहिए। वांछित फल प्राप्ति और कार्य की सफलता के लिए ये बातें जितनी महत्वपूर्ण हैं उतना ही अधिक महत्त्व इस बात का है कि हमें अपने पूरे कार्य का समापन धैर्यपूर्वक ही करना चाहिए। चित्त की व्यग्रता कभी कभी मंजिल पर पहुँचने में बाधक भी हो सकती है। अपने कार्य में कितनी भी बड़ी कठिनाई क्यों न आ जाए हमें धैर्य कभी नहीं खोना चाहिए। धैर्यपूर्वक सूझबूझ के साथ ही कठिनाई को सफलतापूर्वक पार करना संभव होता है। अतः ये बात पूर्णतया सत्य है कि धैर्य की ताकत से कर्म पूर्ण होते हैं।
- रूणा रश्मि "दीप्त"
राँची - झारखंड
कर्म में सफल वही व्यक्ति होते हैं जिनमें धैर्य और सहनशीलता होती है क्योंकि धैर्यवान रहकर हम किसी विपरीत परिस्थिति में विजय प्राप्त कर सकते हैं l धैर्य खोने पर हमारा विवेक नष्ट हो जाता है l फलतः हम अपने कर्म में सफल नहीं हो पाते l
धैर्य धारण करने से मानसिक शांति उतपन्न होती है तथा मन को एहसास होता है कि हम परमात्मा के बताये मार्ग पर चल रहे हैं l धैर्य वह शक्ति है जो हारी हुई लड़ाई को भी जीत में बदल सकता है l
कर्म में सफलता कोई एक दिवसीय प्रक्रिया नहीं है इसके लिए धैर्य के साथ साथ कठोर परिश्रम, आत्मविश्वास और समय की आवश्यकता होती है l कहा गया है --
धीरे धीरे रे मना धीरे सब कुछ होय l
माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आये फल होय ll
कर्म में सफलता के लिए धैर्य को रखना ही है l विपरीत परिस्थितिओं को भी उत्सव के रूप में मनाना होगा क्योंकि सकारात्मक चिंतन के अभाव में हम धैर्य खो देंगें तो सफलता संदिग्ध होगी ऐसे में कर्म में सफलता मन की सोच पर भी निर्भर करेगी l
धैर्य और संयम कर्म में सफलता की सीढ़ी हैं l हमारा मन जब इन्द्रियों के वशीभूत हो जाता है तो संयम की लक्ष्मण रेखा लांघे जाने का खतरा उतपन्न हो जाता है l परिणाम ये होता है कि हम असंवेदनशील हो जाते हैं, मर्यादाएं भंग हो जाती हैं, ऐसे में कर्म में सफलता कहाँ? असंयम और अधीरता अनैतिकता का पाठ पढ़ाती है l अपराध की तरफ बढ़ते कदम इसका परिणाम हैं l मैं मानती हूँ कि आधुनिक दौड़ में भोग से योग की तरफ लौटना मुश्किल है लेकिन दोनों में संतुलन बनाकर कर्म में सफलता प्राप्त कर सकते हैं l
चलते चलते ----
1. मनुष्य में देव और दानव दोनों बसते हैं हम देव भले ही न बन पाये लेकिन दानव बनने से हमें बचना होगा और इस कार्य में धैर्य आपका अंगरक्षक है l
2. महात्मा गाँधी के अनुसार -"धैर्य रखना यानि की खुद का परीक्षण करना है l "
-डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
क्या कभी आपने धैर्य की ताकत को पहचाना है, अगर नहीं तो आईये आज धैर्य की ताकत को जानते हैं,
क्योंकी वड़ी कामयाबी हासिल करने के लिए मेहनत व धैर्य की जरूरत बराबर चाहिए, इसलिए हर महान इन्सान ने अपनी कामयाबी का श्रेय धैर्य को दिया है।
यही नहीं जब कामयाबी जल्दी न मिले तो इंसान को सहारा देने वाला उसका सच्चा दोस्त धैर्य ही है,
सच्चे संकल्पवान व्यक्ति धैर्य की नाव पर सवार होकर तेज बहाव में डूबने से बच निकलते हैंऔर अपनी मंजिल तक पहुंच जाते हैं।
इसलिए धैर्य की ताकत से भी कर्म पूर्ण होते हैं।
यदि लोग जीवन में धर्मवान और कर्मवान हो जाएं तो उनको उनके लक्ष्य तक पहुंचने में दूनिया की कोई ताकत नहीं हरा सकती।
यही नहीं धैर्यवान व्यक्ति अपना कोई भी काम धैर्य से करता है, सोच विचार से करता है, वह वो करता है जो उसकी आत्मा कहती है और उसमें कामयावी भी हासिल करता है।
अगर सोचा जाए तो धैर्य की ताकत से ही हर कर्म पूर्ण होता हैऔर उसका फल मीठा भी होता है,
इसलिए कहा है धैर्य, दृढ़ता, और पसीना कामयाबी हासिल करने काअपराजेय गठजोड़ है,
यही नहीं धैर्य एक एकाकी सदगुण है लेकिन इसके पुरस्कार बहुत हैं, विना धैर्य शान्ति असंभव है।
इतना ही नहीं जीवन के सच्चे आशीर्वाद अक्सर हमारे सामने पीड़ाओं, घाटे व निराशाओं के रूप में आते हैं,
लेकिन हमें धैर्य रखना चाहिए, क्योंकी जल्दी ही हमें उनके उपयुक्त रूप दिखने लगते हैं।
यही नहीं विवेक भी धैर्य की मांग करता है, इसलिए कामयाबी के लिए धैर्य जरूरी है, क्योंकी धैर्य हमारी किस्मत को गढ़ता है।
इसलिए धैर्य ताकत है, धैर्य कर्म का अभाव नही है, यह सही ढंग से काम करने के ठीक समय का इंतजार करना है, प्रेम और धैर्य से इस दुनिया में कुछ भीअसंभव नहीं है।
धैर्य उन सवसे अच्छे गुणों में एक है जो किसी इन्सान के अन्दर संभव हो सकते हैं।
अन्त में यही कहुंगा धैर्य सीखना मुश्किल सबक जरूर है, मगर इसका फल इंतजार करने के लायक है, इसलिए हर कार्य में धैर्य रखिए इसी की ताकत से कर्म पूर्ण होते हैं,
कहा भी है,
"धीरे धीरे रे मना, धीरे सब कुछ होषे, माली सींचे सौ घड़ा ऋतु आये ही फल होये"।
कहने का मतलब धैर्य ही महान है और इसका फल हमेशा मीठा होता है।
यह भी सच है,
" बुलंदी की उड़ान पर हों तो,
जरा सब्र रखकर हबाओं में उड़ो, परिन्दे बताते हैं कि आशमान में ठिकाने नहीं होते"। कहने का मतलब धैर्य की ताकत से ही हर कर्म पूर्ण व फलदायक होता है इसे कभी मत खोइऐ।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जी हां धैर्य की ताकत से कर्म पूना होते हैं कोई भी कार्य करने के पहले धरी अता की आवश्यकता होती है धैर्य से ही हम धीरे-धीरे उस कार्य को क्रियान्वयन कर पूर्णता की ओर जाते हैं। उतावलापन आया आवे से कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो पाता क्योंकि उतावला या आवेश में किया गया कार्य हमेशा गलत होने की संभावना रहती है अतः हर मनुष्य को शांति मन से धैर्य के साथ कार्य करने से ही कार्य पूर्ण होता है अतः धैर्य की ताकत से ही कर्म की पूर्णता होती है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
हां, धैर्य की ताकत बहुत बड़ी शक्ति है जिसके द्वारा हम बड़े से बड़ा काम भी कर सकते हैं। किसी भी कार्य को सम्पन्न करने में धैर्य रखना अतिआवश्यक है। हमारी जल्द बाजी और अधीरता से हमारा काम बिगड़ सकता है। इसलिए यह सच कहा गया है कि धैर्य की ताकत बहुत बड़ी हमारी हथियार है जिसके द्वारा हम अपने सारे कर्म पूर्ण कर सकतें हैं।सफलता की प्रमुख सीढ़ी धैर्य हीं है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
" मेरी दृष्टि में " धैर्य ही जीवन की कामयाबी का राज है ।धैर्य के लिए बड़े - बड़े विद्वानों ने मार्गदर्शन दिया है । जिस से धैर्य रखने के लिए सफलता प्राप्त की जा सके । जो इंसान धैर्य पर विजय पा लेता है । वह जीवन में सफलता प्राप्त करने में पीछे नहीं रहे सकता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
डिजिटल सम्मान
धैर्य की शक्ति से किसी भी कार्य को निर्विघ्न पूर्ण किया जा सकता है बशर्ते कार्य को पूर्ण लगन के साथ किया जाए वा कितनी भी बाधा आए कार्य निरंतर चलता रहे। धैर्य पूर्वक इमानदारी से किए गए कार्य में देर लग सकती है किंतु उसका परिणाम अच्छा निकलता है। कुछ लोग शीघ्रता के चक्कर में अपना कार्य बिगाड़ लेते हैं, उनमें धैर्य की कमी रहती है। धैर्य का फल हमेशा मीठा ही होता है
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