हाथरस के डी एम की कार्यप्रणाली पर सवाल क्यों उठ रहे हैं ?

हाथरस के डी एम की कार्यप्रणाली पर हर कोई सवाल उठा रहा है । पुलिस के खिलाफ कारवाई हो गई है । एस आई टी का गठन के बाद सी बी आई   जाँच की घोषणा हो गई है ।  पीडित परिवार के खिलाफ नारे बाजी भी हो रही है । परन्तु डी एम के खिलाफ आवाज शान्त नहीं हो रही है । कैसी है डी एम की कार्यप्रणाली ? यहीं जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को भी देखते हैं : - 
हाथरस के डी एम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने स्वाभाविक हैं. डी एम हमेशा जिले के आपराधिक प्रशासन का प्रमुख होता है और इसीलिए वह थानेदार और दूसरे पुलिस कर्मियों को आदेश भी देता है और उनकी मीटिंग भी लेता है. उसके बाद अगर कार्यप्रणाली पर सवाल उठते हैं, तो निश्चय ही उसका जिम्मेदार डी एम को ही ठहराया जाना चाहिए. हाथरस रेप कांड में कार्रवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने घटना थाना क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों और एसपी को सस्पेंड कर दिया था. इस पर आपत्ति जताना नितांत तर्कसंगत है. अगर किसी को सस्पेंड किया जाना है, तो डी एम को ही किया जाना चाहिए.
- लीला तिवानी 
दिल्ली
हाथरस में जो घटना घटी उसकी जितनी निंदा की जाए उतनी कम है, यही नहीं हाथरस में पीड़िता के शव को आधिरात मेंअंतिम संस्कार किया गया जो कई सवालों को जन्म देता है। परिवार व गांव वाले इसके लिए पुलिस व प़शासन को दोषी मान रहे हैं, इस मामले में जिला पंचायत अध्यक्ष कवासी हरिश ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया है, उन्होंने यहां तक कह दिया यह तो निर्दयता की हद है, उन्होने सवाल उठाते हुए कहा , प्रशासन को इतनी जल्दी क्या थी की पीड़ता के परिजनों के बिना इजाजत लिए  बिना शव का अंतिम संस्कार कर दिया, आखिर क्यों ऐसा किया गया। 
लोगों का कहना है कि अगर पीएम रिपोर्ट सही है तो पुलिस ने आधीरात को विना परिवार की रजाबंदी अंतिम संस्कार क्यों किया, इस बात के सीधे सीधे सवाल डीएम की कार्यप्रणाली पर उठ रहे हैं। लोगों का कहना है, कि पीड़िता परिवार को पुलिस ने डीएम के इशारे पर नजरबंद कर दिया और गांव के चारों तरफ फोर्स तैनात कर दी थी। इधर भीम आर्मी का दावा है कि उन्होंने पीड़ता के परिवार  से बात की है जिसमें एक विडियो के तहत परिवार के लोगों ने डीएम पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि डीएम ने हमैं धमकाया है और धमकी देते हुए यह कहा है कि पूरे केस को बदल दूंगा कुछ नहीं हो पायगा। इसके एलावा घरवालों का मोबाइल छीनकर एक कमरे में  बंद करने का आरोप भी डीएम पर ही लगाया है। पीड़ता के परिवार वाले पुलिस और प्रशासन की और से उन पर  की जा रही ज्यादती व्यां कर रहे हैंऔर बता रहे हैं उन के ऊपर डीएम ने दबाब वनाया हुआ है। पीड़ता के परिवार का यह भी कहना है की डीएम यह भी झूठ कह रहे हैं कि घटना रात साढै नौ बजे की है जो सरा सर झूठ है, उनका कहना है रात को घास कौन काटता है। इसके एलावा पीड़ता का परिवार डीएम पर यह भी आरोप लगा रहा है कि डीएम साहव कह रहे हैं मैं पूरा केस बदल दूंगा सब हमारे साथ हैं कुछ नहीं होगा। इन सारी बातों से पता चलता है कि हाथरस के डीएम की कार्यप्रणाली पर ही गंभीर आरोप लग रहे हैं व सवाल पर सवाल उठ रहे हैं। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
हाथरस में जो  हुआ वह बहुत शर्मनाक हैं। जो घटना घटी वह तो  शर्मसार थी ही परंतु बाद में प्रशासन पुलिस, डीएम सभी का व्यवहार  विवादास्पद रहा 
। किसी भी जिला के डीएम का उत्तरदायित्व बहुत महत्वपूर्ण होता है । हाथरस में इसके विपरीत हुआ । 
एक गरीब, दलित, मजदूर परिवार जो पूरी तरह से असहाय था, उसकी इज्जत को तार-तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई । जुर्म झेलता परिवार निरंतर दबाव में रहा । घर की बेटी की इज्जत आबरू लूटी गई । भयावह तरीके से उसे मारा गया । हड्डियां तोड़ दी गई जीभ काट दी गई । पंद्रह सोलह दिन जीवन और मौत के मध्य संघर्ष करती हुई हाथरस की वह बेटी आखिर जिंदगी की जंग हार जाती है । 
हमदर्दी की जगह नफरत मिली, यह उस विवश बेटी ने कभी नहीं सोचा होगा ।
 पोस्टमार्टम रिपोर्ट को परिवार वालों से छुपाना परिवार वालों की सहमति के बिना ही आधी रात को मिट्टी का तेल डालकर शव का दाह संस्कार कर देना । यह अनीतिपूर्ण कार्य सब डीएम के निर्देश अनुसार ही हुआ ।
 इसके अलावा परिवार वालों के साथ डीएम की बेरुखी यह दर्शाती है कि गरीब , पीड़ित परिवार के प्रति डीएम का व्यवहार संतोषजनक नहीं रहा । परिवार वालों ने जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बारे में पूछा तो उन्हें धमकाया गया पीड़िता के भाई को कहां गया कि क्या तुम पढ़े लिखे हो तुम्हें पता है क्या होता है पोस्टमार्टम?  पीड़िता की मां को भी बहुत जलील किया गया डीएम ने कहा कि यदि तुम्हारी बेटी कोरोना से मर जाती तो क्या तुम्हें इतना मुआवजा मिलता? तो क्या तुम्हें इतना पैसा मिलता ? पीड़ित परिवार पर ब्यान पर दबाव बनाए रखना भी एक जिम्मेदार अफसर को शोभा नहीं देना । यही कारण है कि हाथरस के डीएम की कार्यप्रणाली पर अनेकों सवाल उठ रहे हैं ।
 पीड़ित परिवार की भी यही डिमांड है कि जब और अफसरों को बदला गया तो डीएम को क्यों नहीं बदला दिया । डीएम हाथरस भी बदलना चाहिए । यही पीड़ित परिवार की मांग रही है । 
 - शीला सिंह 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
     डी एम अर्थात डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट अर्थात जिला दण्डाधिकारी पर सवाल उठने का अर्थ है कि माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी द्वारा परिवर्तन के प्रति ली गई प्रतिज्ञा सम्पूर्ण हो रही है। अन्यथा कोई बड़े से बड़ा व्यक्ति तहसीलदार/पटवारी पर भी प्रश्न नहीं उठाता। जबकि सब जानते हैं कि भारत में सबसे अधिक भ्रष्टाचार न्यायालयों के बाद तहसीलों में होता है‌। चाहे वह हाथरस जिला हो या भारत का कोई भी अन्य जिला हो।
       विचित्र पहेली है कि हाथरस में अभी तक सवाल ही उठ रहे हैं। जबकि वहां एक कन्या की हत्या के बाद उसके शव का उसके परिवार को अंतिम दर्शन करवाए बिना रात को पेट्रोल डालकर अंतिम संस्कार किया गया है। जिसे हिन्दू धर्म के शास्त्र पाप की संज्ञा देते हैं और यह पाप हाथरस जिला के जिला दण्डाधिकारी के क्षेत्र में पुलिस प्रशासन द्वारा किया गया है। जिसे देशवासियों ने ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी देखा है।
    जिस पर न्याय की कसौटी कहती है कि यदि कोई कानूनी रक्षक कानून का भक्षक बनता है तो वह कड़े से कड़े दण्ड का भागी है। क्योंकि रक्षक का भक्षक बनना क्रूरतम से क्रूरतम अपराध की श्रेणी में आता है। 
      क्योंकि यह सत्य है कि कन्या-हत्या हुई है। उसकी हत्या किसने की और किसने नहीं की यह गंभीर जांच का विषय है। जिसकी गम्भीरता को देखते हुए योगी सरकार ने पहले ही सीबीआई जांच कराने के लिए केंद्र सरकार को लिख दिया है। जबकि उस लड़की के शव का पुलिस प्रशासन द्वारा रात के अंधेरे में पेट्रोल डालकर अंतिम संस्कार किया जा चुका है। जिस दुस्साहस के चित्र सार्वजनिक हो चुके हैं। जो घृणित अपराध है और वह अपराध भारतीय दण्ड संहिता में क्षमा योग्य कदापि नहीं है।
     अतः भारतीय स्वतन्त्रता के इतने दशकों बाद अब न्याय प्रक्रियाओं पर सवाल उठने अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आवश्यक हैं। भले ही वह सवाल हाथरस जिला दण्डाधिकारी पर हों या फिर भारत की माननीय उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पर ही क्यों न हों?
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
हाथरस कांड में जिला अधिकारी प्रवीण कुमार ने पीड़िता के परिवार पर दबाव डालने और धमकाने का आरोप लगा है। पीड़िता के भाई का कहना है कि हमने कौन सा जुर्म किया है ,जिसके कारण हमसे इतनी बदतमीजी से बात कर रहे हैं।
पुलिस प्रशासन की लापरवाही के कारण ही यह सब सवाल उठ रहे हैं।
पहले तो वह मामला को दबाना चाह रहे थे लेकिन मीडिया के कारण यह मामला नहीं दबा।
दबंग लोग हमेशा कमजोर लोगों को ही दबाते हैं।
भगवान जाने इस देश और इस देश की राजनीति का क्या होगा।
- प्रीतिमिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
हाथरस कांड में पुलिस और प्रशासन की तानाशाही बढ़ने के कारण सवाल उठ रही है। प्रशासन के हाथ बंधे रहते हैं सरकार के हाथों से यानि सत्तापक्ष जो चाहते हैं प्रशासन को करने को मजबूर होता है।
प्रशासन पीड़िता के परिवार का मोबाइल बंद करा दिए, किसी से भी बात करने पर रोक लगा दिए।
डीएम प्रवीण कुमार को धमकाने वाली वीडियो  वायरस हुआ। इसलिए हाथरस की सीमा को सील कर दिया गया कोई भी नेता मीडिया वाले  नहीं आ सकते हैं।
पूरे विपक्ष को कोई राजनीति मुद्दा नहीं है  इसलिए यह  मौका हाथ मे आया है इस लिए हाय तौबा मचा रही है।
विपक्ष आईपीएस एसोसिएशन को उकसा दिया। आईपीएस एसोसिएशन द्वारा यह कहां गया की पुलिस परेशान क्यों, और डीएम को क्यों छोड़ दिया गया। 
यह देखते हुए  योगी सरकार ने सीबीआई आदेश के लिए सिफारिश कर दिए हैं।
लेखक का विचार:-हाथरस गैंग रेप कांड के पीड़ित परिवार से बात कर विपक्ष ने  डीएम पर धमकाने आदि की बात करते हैं तो यह बहुत ही दुखद है। 
प्रशासन तो लाचार होता है नेता राजनेताओं से।
इसलिए नेता राजनेताओं से शिक्षित होकर राज करें और रामराज स्थापित करें।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
हाथरस बलात्कार-कांड जैसी हृदय विदारक घटनाओं के घटित होने के बाद राजनीतिक दलों, मिडिया व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जो मानवीय संवेदनाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही है वो हमारे सामाजिक पतन की ओर इशारा करती है। किसी को भी पीड़िता अथवा उसके परिवार से कोई सरोकार नहीं है सब अपनी-अपनी नीजि स्वार्थो के लिए मामले का इस्तेमाल कर रहें हैं।इस संदर्भ में प्रदेश सरकार का रवैया भी संदेहास्पद है,ये साफ दिखाई दे रहा है। हाथरस के जिलाधिकारी जिस तरह पीड़ित परिवार को धमकाते हुए दिखाई देते हैं वो निश्चित तौर पर निंदनीय कृत्य है।ऐसे वक्त पर जब वो परिवार एक घोर त्रासदी से गुजर रहा है और उसे मानसिक और भावनात्मक संबल की‌ आवश्यकता है , ऐसी संवेदनहीनता और वो भी इतने उच्च-पद पर बैठे अधिकारी को कतई शोभा नहीं देता।
- संगीता राय
पंचकुला - हरियाणा
हाथरस के डी एम की कार्यप्रणाली पर इस लिए सवाल उठ रहे हैं कि उसने कार्य ही कुछ उल्टा पलटा कर दिया है। उसके क्षेत्र में इतना बड़ा साजिश रचा गया और उसको कोई  होश नहीं है। इतना बड़ा कांड हो गया  और वो एक तरफा फैसला ले रहा है। पीड़िता के शव को रातों रात जलवा देता है। उसके परिवार वालों को मृत देह नहीं सौपा गया। उसके परिवार वालों को धमकाया जाता है। जबकि उन्हें उनलोगों की सुरक्षा करनी चाहिए। पीड़ित परिवार का कहना है कि स्वयं डीएम उन्हें घमकी दे रहे हैं। जबकि एक डीएम को ऐसा नहीं होना चाहिए। उनके सभी कार्य सिर्फ एक जाति विशेष के लोगों को बचाने या यों कहें बलात्कारियों को बचाने में लगते हैं।लगता है बलात्कारियों से उनकी कोई साठगांठ हो गई हो। उनका कोई भी कार्य न्याय पूर्ण नहीं लगता था इस लिए उनके कार्य प्रणाली पर सवाल उठ रहें हैं।एक डीएम को निष्पक्ष होना चाहिए। हाथरस के डीएम निष्पक्ष नहीं थे। इसलिए उनके कार्य प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
          पीड़िता के शव को रातों रात जलाना ही सिद्ध करता है कि डीएम हाथरस बलात्कार हत्या कांड में शामिल हैं या हत्या के दोषियों को बचाना चाहते हैं। इसलिए उनके कार्य प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं।
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - प. बंगाल
पूरे देश में हाथरस की दलित युवती के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या को लेकर आक्रोश है। यूपी की आदित्यनाथ योगी सरकार की इस पूरे मामले में किरकिरी हो चुकी है। हाथरस के जिला अधिकारी परवीन की कार्यप्रणाली पर सारे सवाल उठ रहे हैं। पीड़िता के परिवार वालों ने जिलाधिकारी पर धमकी देने का आरोप लगा चुके हैं। डीएम प्रवीण कुमार का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें वह पीड़िता के परिवार वालों से कह रहे हैं कि आप अपने विश्वसनीयता को बनाए रखिए। मीडिया आ गया है। कल नहीं रहेगी। सब चले जाएंगे। आप सरकार की बात मान लो। आप बार-बार बयान बदल कर ठीक नहीं कर रहे हैं। आपकी क्या इच्छा है क्या पता कल हम भी  बदल जायेंगे। ऐसा परिवार वालों को डीएम द्वारा दी जा रही दबाव और धमकी को यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती और कांग्रेस नेता राहुल गांधी व प्रियंका गांधी ने भी नाराजगी जताते हुए डीएम को वहां से हटाने की मांग की है। पीड़िता के भाई ने आरोप लगाते हुए कहा है कि ऐसा हमने कौन सा गुनाह कर दिया है जो हमारे परिवार वालों के साथ इतनी बदसलूकी की जा रही है। उन्होंने डीएम को हटाने की मांग की है। इसके साथ ही परिवार वालों ने अस्थियों को विसर्जित नहीं करने का ऐलान कर दिया है। उनका कहना है कि यह अवश्य उनकी बच्ची की नहीं है। भाई का आरोप है की शव को बिना उनकी अनुमति के ही अंतिम संस्कार कर दिया गया। यहां तक कि शव को परिवार वाले को अंतिम दर्शनीय तक नहीं करने दिया गया। प्रशासन के लोगों ने शव को पेट्रोल से जला दिया। इतनी बुरी तरह से उसकी संस्कार कर दिया गया जो बहुत ही निंदनीय है। हालांकि इस मामले की जांच की सिफारिश मुख्यमंत्री आदित्य योगी नाथ ने सीबीआई से कर दी है इसके बावजूद तनाव कम होने का नाम नहीं ले रहा है। देशभर में हाथरस कांड को लेकर धरना प्रदर्शन और विरोध जारी है। पीड़िता के भाई का कहना है कि हमलोगों ने सीबीआई जांच की मांग नहीं की थी। भाई ने कहा कि हम तो सुप्रीम कोर्ट के जज से न्यायिक जांच की मांग की है। उसने कहा कि सीबीआई जांच भी सही है। हाथरस कांड में यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का कहना है कि जब तक डीएम यहां रहेंगे तब सीबीआई निष्पक्ष जांच कैसे कर सकती है। जिलाधिकारी परवीन कुमार को दलित परिवार को धमकाने के बावजूद वहां से नहीं हटाए जाने पर गुस्सा पूरे देश में योगी सरकार पर है। लोगों के बीच किस बात पर चर्चा है कि जिस तरह से हाथरस में बलात्कार और हत्या की शिकार युवती केशव को परिवार वालों के बगैर पुलिस ने अंतिम संस्कार किया वह बहुत ही गलत है।
- अंकिता सिन्हा कवायित्री 
जमशेदपुर - झारखंड
हाथरस के डीएम द्वारा पीड़ित परिवार से की गई बातचीत के आधार पर यह कहा जा रहा है कि उनकी कार्यप्रणाली दबाव डालने जैसी है।  उन पर यह भी आरोप लगा है कि वे पीड़ित परिवार को धमका रहे हैं।  मीडिया के अनुसार उनका कहना है कि आप अपनी विश्वसनीयता खत्म मत करिए, मीडिया वाले चले जायेंगे पर हम ही आप के साथ खड़े रहेंगे।  उनका पीड़ित परिवार को यह भी कहना है कि बार-बार बयान बदले तो वे भी बदल सकते हैं।  डीएम मुआवजे की राशि को लेकर भी सवालों के घेरे में आए हुए हैं। उन्हें लोग संवेदनहीन कह रहे हैं। आशा है सत्य शीघ्र सामने आयेगा और धुंध छटेगी।
- सुदर्शन खन्ना 
दिल्ली 
गैंगरेप की शिकार हाथरस की युवती के मंगलवार सुबह अस्पताल में मौत हो गई| लोगों में इस घटना को लेकर बहुत  रोष  फैला हुआ है  और लोग उत्तर प्रदेश  वहां पुलिस प्रशासन पर कई प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं| युवती  की मौत के बाद  से लेकर  उसके   अंतिम संस्कार करने तक  की सभी घटनाओं पर  लोगों की दृष्टि है | जैसे जैसे लोगों को पता चलता है   वे और और अधिक भड़क उठते हैं |
यह भी सुना गया था कि   पीड़िता का शव उस के गांव में पहुंच गया था   जहां युवती के साथ कई लोगों ने दुष्कर्म किया | यह भी सुना गया कि  सभी अधिकारी  भी पीड़िता के घर पहुंचे थे |  अगर ऐसा है तो  पीड़िता के शव को  पुलिस ने परिवार से पूछे बिना ही अपनी मर्जी से क्यों  जला दिया  ?  यह अंधेर है  |आखिर क्या  छिपाना  चाहते थे  अधिकारी गण ? इतना  ही नहीं पुलिस ने परिवार के लोगों और स्थानीय लोगों को भी अपने अपने घरों के अंदर बंद कर दिया | अपनी बेटी को अंत समय में उसका परिवार उसे नहीं देख पाया | ऐसा इसलिए भी लगता है कि पीड़िता के साथ बहुत ही  घृणित व्  नृशंस   अत्याचार किया गया है इसलिए उन्होंने उसके शव को जला दिया एक पत्रकार ने तो यहां तक लिखा है कि पीड़िता का जब शव  जल  रहा था  तो  पुलिस ने परिवार को उनके घर के अंदर बैरिकेडिंग कर दिया गया था
उसी समय पुलिस वालों से बातचीत करने के दौरान अधिकारियों ने जवाब दिया कि हम इस विषय में कुछ नहीं कह सकते हैं| और फिर वे प्रश्नकर्ताओं से पूछते हैं  है कि क्या उनकी बात डीएम साहब से हुई है और वह इस बात को एक बार नहीं कई बार कहते हैं  इस तरह मौके पर उपस्थित व्यक्ति  किसी की बात का कोई उत्तर नहीं देते | प्रशासन की ओर से की गई लापरवाही  और पीड़िता के परिवार से किया गया  दुर्व्यवहार  लोगों में  रोष  का कारण बना हुआ है जो कि  सत्य भी है  इसलिए लोग डी एम पर तरह तरह के प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं|
- चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
     बहुचर्चित हाथरस कांड, हास्यास्पद होकर रह गया हैं। जिसके कारण प्रशासनिक व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। जो भी घटनाएं घटित होती हैं, डी.एम. प्रमुख होता हैं, जिस पर सवाल उठना स्वाभाविक हैं।  इतना ही नहीं आई. पी. एस. एसोसिएशन ने भी आपत्ति जताई हैं, मात्र घटना  थाना क्षेत्र के पुलिस अधिकारियों और एस.पी. को निलंबित किया गया हैं,  अगर वस्तु स्थिति का आंकलन किया जायें, तो पुलिस और प्रशासन की तानाशाही बढ़ी हैं,  घर वालों पर कठोर कार्यवाही करते हुए, उनकी निगरानी, गांव में किसी को प्रवेश नहीं दिया जा रहा हैं, पीड़िता के परिवार के  मोबाईल बंद कर दिया हैं, जिसके कारण वे, अपने-अपनों से बात भी नहीं कर पा रहे हैं। जिस तरह से घटनाओं को अंजाम दिया गया हैं, उसके कारण जनजीवन के साथ ही साथ जीवन यापन प्रभावित होता नजर आ रहा हैं। अगर डी.एम. की कार्य प्रणाली सुचारू रूप से होती तो, वास्तविक तथ्य सामने नहीं आते। प्रायः राजतंत्र के ऊपर निर्भर करता हैं, प्रशासनिक व्यवस्थाएं कैसी हो?
प्रशासनिक व्यवस्थाएं स्वतंत्र होनी चाहिये, ताकि भविष्य में कोई भी  दुष्परिणाम सामने नहीं आयें?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
हाथरस के डी एम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लाजिमी हैं कयोंकि डी एम जिले का मालिक होता है। कोई भी कार्य उस की रज़ामंदी के बिना नहीं होता।उस के लिए राजा हो या रंक सब एक बराबर होते हैं और सभी को संरक्षण देना होता है। लेकिन एक दलित लड़की के साथ दरिंदगी होने के बाद उस के परिवार की शिकायत पर कोई गौर नहीं किया जाता।लड़की की गंभीर हालत पर भी ध्यान न देना।जब प्रशासन जागा तब बहुत देर हो चुकी थी। लड़की की मृत्यु के बाद उस के परिजनों को मुंह तक ना दिखाना और रात के अंधेरे में ही जला देना अमानवीय व्यवहार है और मानव अधिकारों का उल्लंघन है।इस लिए डी एम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लाजिमी हैं।बड़े मगरमच्छ को छोड़ देना और छोटी मछलियों को पकड़ना कहाँ का न्याय है। 
- कैलाश ठाकुर
 नंगल टाउनशिप - पंजाब 
         हाथरस के डीएम और कलेक्टर ने मिलकर पुलिस को आदेश दिया बलात्कार पीड़िता को रात में चुपचाप जलाने का। किसी को भी यह अधिकार नहीं है कि परिवार के होते हुए उस का अग्नि संस्कार करें। डीएम के आदेश से पुलिस वालों ने चुपचाप रात में पीड़िता को जला दिया। उसके परिवार वालों को उसका मुख देखने को भी नहीं मिला। बाद में उसके दादा की उंगलियां भी तोड़ दी गई मार-मार कर। समय पर उसकी f.i.r. नहीं लिखी गई और दिल्ली भी उसे 8 दिन बाद भेजा गया। समय पर कार्यवाही हो जाती और पीड़िता को तत्काल इलाज मिल जाता तो हो सकता है वह बच जाती। इस तरह के कार्यकलाप डीएम की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठा रहे हैं जोकि जायज भी है।
 - श्रीमती गायत्री ठाकर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
        हाथरस के डीएम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है। डीएम जिले का सर्वेसर्वा होता है, उनके देखरेख में ही पूरे जिले का प्रशासनिक कार्य होता है। डीएम को चाहिए था कि पीड़िता और पीड़ित परिवार की उचित सुरक्षा प्रदान करते हुए मदद पहुंचाने की कोशिश करना। परन्तु वह पीड़ित परिवार को धमकाने के अंदाज में सुनाता रहा--मैं यहां पर तुम्हारे साथ रहूंगा। मीडिया 2 दिन के लिए हैं। उनकी बात पर मत जाओ --इस तरह का बात व्यवहार उनके पद के अनुकूल नहीं है।
    एक तो किसी की बेटी के साथ इतना दर्दनाक वाकया --उसके बाद उसका अंतिम संस्कार भी जबरदस्ती तानाशाही रूप में करना और उसके बाद परिवार को धमकी देना कि मीडिया से अपने मन की बात, अपनी परेशानी तुम बयां नहीं करोगे-- डीएम का इस तरह का व्यवहार प्रजातंत्र शासन के अनुकूल नहीं है।
    इंसानियत को शर्मसार करने वाले वाक्य जो उन्होंने कहा कि तुम्हारी बेटी कोरोना से मर गई होती तो क्या इतना मुआवजा मिला होता।
    इतनी घटिया दर्जे की सोच -- एक डीएम के द्वारा कही जाने वाली बात कितनी हास्यास्पद है। अगर उनकी बेटी के साथ यह हादसा होता और इस तरह का व्यवहार होता, मुआवजे का ऐलान होता-- तो क्या उनकी आत्मा को तसल्ली मिल जाती।
    इन्हीं अभद्र और निम्न स्तर के आचरण  के कारण उनके कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगा।
                       -   सुनीता रानी राठौर 
                         ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
हाथरस के डीएम की कार्यप्रणाली पर जो सवाल उठ रहे हैं उस पर मेरा यह विचार है कि पीड़िता का परिवार अभी शोक संतप्त है सामान्य सामाजिक नियमों के अनुसार शोक संतप्त सिर्फ संवेगो 
 की ही भाषा को सुनना पसंद करते हैं उनके लिए उस भाषा के माध्यम से ही उनके दुखों को कम किया जा सकता है लेकिन व्यवस्थापिका कार्यप्रणाली के अनुसार सांवेगिक भाषाओं का प्रयोग करने पर समस्या जटिल हो जाएगी कहीं ना कहीं नियंत्रण के बाहर परिस्थिति ना हो जाए इस कारण से डीएमके कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
हाथरस गैंग रेप कांड पूरे देश की सियासत को हिला कर रख दिया है पूरे गांव को सीज कर दिया गया मीडिया कर्मी और राजनीतिक पार्टियों को नहीं जाने दिया जा रहा है गांव में परिवार को एक अंधेरे कमरे में रखा गया पीड़िता की मौत होने के बाद उसके शव को रात में जलाया गया ! हिंदू धर्म के अनुसार भावनाएं आहत हुई अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है।
कानपुर में महिला अधिवक्ता आकांक्षा सविता ने हाथरस के डीएम प्रवीण कुमार एसपी विक्रांत वीर इंस्पेक्टर संजीव शर्मा के खिलाफ सीएमएम कोर्ट में परिवाद दाखिल किया है मामले की सुनवाई 18 अक्टूबर की तारीख दी है।
अधिवक्ता आकांक्षा ने हाथरस के डीएम एसपी और इंस्पेक्टर के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 ए, 406, 304, 147, 148, 219, 201,
120 बी के तहत परिवाद दाखिल कराया प्रशासन और सरकार को गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने में
पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली में प्रश्न चिन्ह लगा कर रख दिया है।सभी राज्यों में प्रदर्शन शुरू हो गए हैं।
पीड़िता के परिवार वालों का कहना है कि हम पर डीएम के द्वारा दबाव बनाया जा रहा है पूरे मामले को बदल कर रख देंगे। कई राजनीतिक पार्टियां भी अब शामिल हो गई है अब यह चुनावी और राजनीतिक मुद्दा बन गया है ।
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
हाथरस के डीएम पर एक विडीयो को लेकर चर्चा हो रही है जिसमे उन्होने कुछ बाते कही होंगी जो उन्हें नागवार लग रही है ! 
इसमे राजनीतिक दांवपेच खेला जा रहा है ! पहले धर्म को क्षद्दा बनाया (शाहीन बाग ) और अब जाति को ! इस समय तो हद्द कर दी पुलिस प्रशासन को ही कटघरे में ले आये हैं ! दलित बेटी के नाम पर दंगा ,पूरे गैंग की साजिश, पुलिस प्रशासन को बदनाम करना ! कहा जाता है यह एमनेस्टी इंटरनेशनल फंडिंग के आधार पर सब हो रहा है ! सरकार को बदनाम करने की साजिश है बाकी वेबसाइट हाथरस में दंगे के नाम पर थी !हाथरस पहले ही जातीय दंगे के लीस्ट में थी ! बाकी प्रथम पुलिस प्रशासन को ही सामने आना पड़ता है और वक्त की मार भी उन्हें ही झेलनी पड़ती है ! चाहे रोटियां दोनों दलों की सिकती हो आग में तो पुलिस ही जलती है और साथ ही निर्दोष किसी की बहु बेटियां !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र


" मेरी दृष्टि में " हाथरस की पुलिस डी एम के आदेश का पालन कर रही है । सब से बडा सवाल यह है कि रातों रात शव को जलान की आवश्यकता क्यों पड़ी है ?  इससे अधिकतर साबूत नष्ट हो गये है ।  फिर भी डी एम अपनी कुर्सी को बचाने में कामयाब कैसे है ? जिस की वजह से जातपात व राजनीति  चरम सीमा है । जो किसी के लिए भी उचित नहीं है । 
- बीजेन्द्र जैमिनी 
डिजिटल सम्मान

Comments

  1. हाथरस के डीएम की कार्यप्रणाली पर उंगली उठाना जायज है। प्रशासनिक अधिकारी होने के नाते संपूर्ण जिले की जिम्मेदारी उस पर रहती है सुरक्षा की किंतु उसने बलात्कार पीड़िता की मदद करने की बजाय रातों-रात पुलिस को आदेश देकर सबूत नष्ट करके जलवा दिया। उससे पहले f.i.r. लिखने में भी टाइम लगाया और उसको दिल्ली भेजने में भी देरी की। एसपी और अन्य अधिकारी को सस्पेंड किया गया किंतु डीएम अभी तक कुर्सी पकड़े हुए हैं कैसे? उस पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हुई अतः लोगों का क्रोधित होना जायज है। उसके ऊपर कार्यवाही करके सजा देना बहुत जरूरी है।

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