आत्महत्या विषय पर ऑनलाइन कवि सम्मेलन

जैमिनी अकादमी द्वारा साप्ताहिक ऑनलाइन कवि सम्मेलन का 15 वॉ एपिसोड " आत्महत्या " विषय पर रखा गया है । जो  WhatsApp ग्रुप पर आमंत्रित किया गया है । विषय अनुकूल सभी कविताओं को यहां पेश किया जा रहा है : -
  
आत्महत्या
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कायरता 
है आत्महत्या
समस्याओं 
का हल तलाशने
के स्थान पर 
पलायन की 
तैयारी नही 
तो और क्या है
यह निराशा की 
उपज है और 
अवसाद की देन
है आत्महत्या
परमात्मा के दिये
जीवन का 
अपमान 
भी है इसे खोना
यह पागलपन की
परकाष्ठा है
संस्कारों 
संस्कृति से 
खिलवाड है
यह एकाकी पन
परिणाम 
एक 
जधन्य पाप है
अपनी आत्मा
के साथ 
आत्महंता द्वारा
सच है ना
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर
  आत्महत्या 
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मानव जन्म अनमोल है विचार करो
आत्महत्या से  इसे ना तार तार करो
            दुःख सुख जीवन के हैं दो रंग
           बस जीने का आना चाहिए ढंग ।
जिंदगी की मुश्किलें हंस कर सुलझाई जाएँ 
मंथन, चिंतन कर ये आसान बनाई जाएँ ।
      आत्महत्या समस्या का समाधान नहीं 
     मत सोचो मुश्किलों का कोई निदान नहीं। 
डट जाओ कठिन कितना भी हो पथ
 हौसले से दौड़ेगा जीवन रूपी  रथ
      बढ़ते जाओ पथ पर न हारो तुम 
     जीवन अनमोल है बस विचारों तुम 
आशा का दीप मन में जलाकर रखो 
भागेगा अंधेरा भरोसा बना कर रखो
      जिंदगी खूबसूरत है मत गंवाओ इसे
     सुन्दर सरगम सी है गुनगुनाओ इसे 
माता-पिता के प्रेम की ना धज्जियां उड़ाओ 
खानदान की ना तुम जगहंसाई कराओ
      उठो,जागो जिंदगी का गीत गाओ
      दुःख सुख सांझा करने की रीत लाओ
मानव जीवन अनमोल है विचार करो
आत्महत्या से ना इसे तार तार करो
- कैलाश ठाकुर 
नंगल टाउनशिप -  पंजाब 
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.
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माना कि मैं तनावग्रस्त हूं,
तनावग्रस्त हूं, अभावग्रस्त भी हूं,
चिताओं ने मुझे घेर रखा है,
अपमान का मैंने दंश चखा है,
मैं वीर जननी का जाया हूं,
मैं वीर बनने आया हूं,
आत्महत्या करके 
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

जीवन सुख-दुःख का संगम है,
कोई स्थावर कोई जंगम है,
स्थावर स्थिर रहने में पीड़ित है,
जंगम को चलायमान होने का ग़म है,
मैं पीड़ा-ग़म से किंचित नहीं डरूंगा,
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

असफलताएं आती हैं, आती रहें,
असफलताएं ही मुझे राह दिखाती रहें,
''असफलताओं से सफलता की राह मिलती है'',
आने वाली भावी पीढ़ियां मेरे लिए शान से कहें,
असफलता भी  एडिसन बनाती है,
1,093 आविष्कारों को पेटेंट करवाती है,
मैं असफलताओं को निराश करके ही रहूंगा,
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

इतिहास साक्षी है दुःख सबको दास बना देता है,
इस तरह खुद को ख़ास बना देता है,
लेकिन मैं उसको अपना दास बना लूंगा,
दुःख को भी नाकों चने चबवा दूंगा,
आएगा वह मेरी पनाह में शरण लेने,
मैं उसको शरण दूंगा, निराश नहीं करूंगा,
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

माना कि गमों ने पाला मुझे,
मधु के बदले मिली हाला मुझे,
मत समझो कि मैं कोई कायर हूं, 
अपने ही दुःख से कातर हूं, 
मैं वीर भोग्या वसुंधरा का बेटा हूं, 
बार अनेक शर-शैय्या पर लेटा हूं. 
शर-धार को भौंथरा कर दूंगा 
मैं मां के दूध का मान कम कैसे होने दूंगा?
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.

प्यार में हार ने लैला मजनू को अमर बनाया,
शीरी-फरहाद को प्यार का मानक बनाया,
विफल अल्बर्ट आइंस्टीन ने हार न मानकर,
विशेष सापेक्षिकता का सिद्धांत सिखाया, 
लियोनार्डो दा विंसी को मूर्तिकार-वास्तुशिल्पी बनाया,
"वॉल्ट" डिज़्नी से मनोरंजन के क्षेत्र में योगदान करवाया,
मैं भी उनकी राह पर चलने का प्रयास करूंगा,
मैं आत्महंता नहीं बनूंगा.
-लीला तिवानी 
द्वारका - दिल्ली
आत्महत्या
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उलझन न सुलझे , राह न सूझे 
इच्छा शक्ति  कमजोर बने l 
संकल्प शक्ति की कमी रहे 
आवेश में अति उद्विग्न बने ll 

चहुँदिशि आशंका, निराशा 
विवशता, असफलता यहाँ l 
अवसाद, तनाव और चिंता 
करते तुम अपनी ही हत्या ll 

कुछ पल का गुस्सा है ये तो
अपनी ही समझ को खो बैठे  l 
विवेक व्याग्र होता है जब 
खुद के  खुद दुश्मन बन बैठे  ll 

दुष्प्रवृतियाँ जब घर हैं करें
क्यों अंतःस्थ ज्वालामुखी फूटे? 
पागलपन का शिकार बने 
कैसे साधक तुम आज बने? 

ब्रह्ममय ये जगत है देखो
 ईश्वर अस्तित्व स्व आत्मा l
दर्शन वेदांत साधना में 
ईश्वर हत्या पापात्मा ll 

डोर जिंदगी की न तोड़ो 
आत्महत्या के कूचे में l 
सिसक रही ख़ामोशी, अपनों की 
आत्महत्या का दंश मिटाये ll 

ह्रदय किसी का मिल टटोल हम
 छिपे अश्कों को देख है पाये l 
हालातों से हारे नहीं हम 
मन की ड़गर पर ज्योति जलाये ll 

जग में परेशानी आनी है 
कुछ डर गये, कुछ झेल गये l 
मौत वही जो दुनियाँ देखे 
आओ, मिल आगाज़ करें ll 
     - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
आत्महत्या
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कभी ना सोचो भूल कर,
आत्महत्या के बारे में
यह करते हैं कायरों।
आत्महत्या करने वाले
सारी समस्या से छुटकारा तो पाते
चाहे शादी-शुदा हो या रहे कुंवारा।
कहीं कहीं देखने को मिलते हैं
प्रेमी -युगल  लेते हैं फंदे।
यह करते हैं आवेश में
दोष किसी का भी हो।

हर के जीवन में दुख है,
कोई एक दिखा दो खुश है?

पहले सोचो एक बार,
अपने परिवार संसार के बारे में।

तुम संतान हो उस प्रभु की
तुम्हारे पास है क्षमता समाधान की।

भूल कर भी नहीं सोचो
आत्महत्या के बारे में।
तुम हो प्रभु, माता -पिता के
 अनमोल रत्न इस धरती के ऊपर।
इसे अपनी मर्जी से नष्ट ना करो।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
         क्षणिक भावुकता--आत्महत्या 
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पढ़े लिखे समझदारों में प्रचलित होती प्रचलन,
आशिकी में डिप्रेश हो उठा रहे निंदनीय कदम।

कायरतापूर्ण फैसला लील लेती कई जिंदगियां,
खुद नहीं मरते, मिटा देते मां-बाप की हस्तियां।

फ़िक्र जिसे सिर्फ अपने खुशनुमा अरमानों का,
घोट देते गला मरकर वे पालने-पोषने वालों का।

सुख न दे सके अपने को चैन क्यों छीन लेते हो?
जिंदगी बोझ बना जिंदा लाश क्यों छोड़ देते हो?

 तकदीर और हालात के मारे वे अभिभावक गण,
मर कर भी परिवार का छीछालेदर करवाते संतान।

किस जन्म के गुनाहों की सजा मिला मां बाप को,
क्षणिक भावुकता में आत्महत्या कर लेते हैं संतान।

संवेदनाएं क्यूं जताऊं खुद मौत गले लगाने वाले पर?
संवेदनाएं जागती जिंदा लाश मां-बाप के बनने पर।

प्रतिभावान,सामर्थ्यवान,धनी व्यक्तित्व के स्वामी जो,
कायरतापूर्ण कदम से युवाओं को क्या संदेश देते वो?
                              - सुनीता रानी राठौर
                            ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
आत्महत्या
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मत कर आत्महत्या इन्सान रे,  
यह जिन्दगी तेरी इम्तहान रे
                 तेरा हीरा जन्म अनमोल रे, मिट्टी में इसे मत, रोल रे, हिम्मत रख, क्यों होता, तु परेशान रे,  यह जिन्दगी तेरी इम्तहान रे, 
 मत आत्महत्या कर इन्सान रे। 
हर जोनि से तेरा जन्म  अनो़खा, फिर  तू क्यों खाता बात बात में धोखा, कर ले नेक कमाई, मत ले सर पर 
इल्जाम रे,  
 यह जिन्दगी तेरी इम्तहान रे, 
मत कर आत्महत्या तू इन्सान रे। 
सोच समझ कर तू कर हर काम रे, न डर  धोखे, चिन्ता से, मेहनत ही तेरा नाम रे, 
 तू रख सच्ची लगन उस में, 
तेरा रखवाला खुद भगवान रे, 
हिम्मत रख, मत  आत्महत्या कर इन्सान रे। 
तू मानव है, बड़ा  मुल्यवान, 
तुझे करना है हर जाति का कल्याण, 
 तेरा पल पल बहुत मुल्यवान रे, कर ले नेक काम तू वंदे तेरी यही पहचान रे, मत कर आत्महत्या तू इन्सान रे। 

छोटी, मोटी बात पर न तू कर क्रोध रे, 
जो मिल गया उसी को ले, 
न कर तू लोभ रे,  
हंसते हंसते हर बात को झेल, 
मान कर इसे जिन्दगी का खेल,  न हो तू परेशान रे, 
मत आत्महत्या  कर तू इन्सान रे। 
नन्हा सा था तू जब दूनिया में आया, 
मात पिता ने पाला तुझको, 
समझ के अपना जाया, 
मात पिता की सेवा कर, 
कर ले चारों धाम रे,  
हर किसी का कहना मान, 
बन जाए तेरी पहचान रे, 
मत कर आत्महत्या  न वन तू नादान रे। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्म् - जम्म् कश्मीर

 आत्महत्या
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जीवन है अनमोल एक बार मिलता...
जीवन को साहस से जीना सीखो..
एकाकीपन से दूर निकलो..
मन में नैराश्य भाव ना हो उत्पन्न
 अंतरात्मा में ना दुखी हो..
जीवन संघर्षों से भरा..
जग में किसको सुनहरी चादर मिली..
सभी ने जीना एक दूसरे से सीखा...
खुद ही अपने पांव के नीचे ज़मीं..
चलना सीखा औरों को भी सिखाया..
 योग्यता और क्षमता को पहचानो..
बात छोटी हो या बड़ी...
मन में हो कोई भी बात..
माता पिता भाई बंधु से कहो..
परिवार से बड़ा कोई संबल नहीं..
भारत की सभ्यता संस्कृति ऐसी कहां..
अध्यात्म ध्यान योग की तपोभूमि..
विदेशी संस्कृति की यह देन...
पूर्वजों के जमाने में ना होती थी...
आज की जैसी आत्महत्या...
संयुक्त परिवार बहुत महत्वपूर्ण...
उसकी महत्ता को तुम पहचानो...
एकाकीपन से अवसाद का जन्म...
जिंदगी से पलायन ना  करो...
अंग्रेजों की गुलामी से भारत को..
 आजाद  किया वीरों को याद करो..
कैसे वीर जवान थे वह देश के लिए समर्पण, त्याग , अटूट आत्मविश्वास ...
आज भारत में अब वैसा संघर्ष नहीं..
नई युवा पीढ़ी बस अपने बारे में...
पल दो पल माता-पिता परिवार...
पत्नी बच्चों को याद करो...
बालक का सुंदर मुखड़ा देख कर...
जीवन को तुम जीना सीखो...
आत्महत्या कोई हल ही नहीं...
जीवन से भागना  यह कायरता...
घोर अपराध आत्महंता...
ऐसा जघन्य अपराध ना करो...
भारत की भूमि की माटी से..
विश्व के और देशों को मिलता है ज्ञान..
ना तुम लज्जित करो भारत मां को..
ना लज्जित होने दो जन्म दात्री मां को.
एक व्यक्ति की आत्महत्या से..
घर ,परिवार, समाज देश राष्ट्र लज्जित
अपने जीवन का अमूल्य योगदान दो..
जीवन के सत्य कर्मों में..
कुछ काम करो कुछ नाम करो..
आत्महत्या है सरल बहुत..
संघर्षों के बीच जीना ही जीवन...
नैराश्य मन में ना होने दो..
वेद पुराण गीता रामायण पढ़ो...
भारत की यह परंपरा नहीं...
भारतवासी आत्मनिर्भर संघर्षों में..
पलकर श्री लाल बहादुर ,निराला मुंशी प्रेमचंद विवेकानंद सुभाष चंद्र बोस...
मन में अच्छे विचारों को उत्पन्न करो..
कुछ अच्छी किताबें पढ़ा करो...
कुत्सित संगत से होते हैं जन्म..
ध्यान योग अध्यात्म अपनाओ...
आत्महत्या से जीवन को बचाना है..
संयुक्त परिवार ,आत्म संयम, धैर्य..
महत्वाकांक्षा ठीक अति महत्वाकांक्षा
का तुम जीवन से करो त्याग..
मित्र हो पार्थ कृष्ण जैसा..
जो जीवन में सही मार्गदर्शन करें..
जीवन से प्रेम करना सीखो..
जीवन बड़ा अनमोल है..
एक बार मिला ना मिलेगा यह दोबारा.
आत्महत्या कोई हल नहीं..
क्षणिक आवेश निर्णय का  परिणाम..
अच्छे विचारों का विस्तार करो..
माता पिता गुरु का ध्यान करो..
भारत की भूमि को नमन करो...
आत्महत्या  हो देश से कम..
दुनिया को तुम यह संदेश दो...
यूं ही विश्व गुरु नहीं भारत है...
विश्व गुरु की छवि को ना धूमिल करो..
हाथ जोड़कर करती भारत मां..
तुमसे है विनती बालक...
आत्महत्या नहीं जीवन जीना सीखो..
संघर्षों से निपटना सीखो..
खुद के लिए और दूसरों को प्रेरित करो
आत्महत्या समस्या का हल नहीं..
आत्म संयम ही इसका हल ..!!!
- आरती तिवारी सनत
 दिल्ली
आत्महत्या
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अपने ही प्राणों को लेना 
बहुत कठिन, आसान नहीं। 
आत्महत्या करने वालों को,
खुद की ही पहचान नहीं।। 
ईश्वर की अनुपम कृति मानव,
इसमें छिपी है शक्ति अपार।
बस थोड़ी सी कमी रहे जो 
पा नहीं पाते उनका सार ।।
आत्महत्या से बेहतर होता,
आत्म चिंतन और आत्ममंथन।
इनसे सही राह मिल जाती, 
सहज गति चलता जीवन।। 
हो निराश जीवन से जब भी, 
करना विचार व आत्मचिंतन।
एक नई किरण मिलेगी ,
न होगा आत्महत्या का मन।।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
आत्महत्या
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गांव हो या शहर
पढ़िए हर दिन आत्महत्या की खबर

मन विचलित हो जाता पढ़कर
न्यूज़ चैनल पर खबर देखकर

विचारों की श्रृंखला में मन मस्तिष्क उलझ जाता
मानव कितना कमजोर बना
क्या कारण इसके पीछे बना

कारण खोजती हो तो
कभी तस्वीर उभरती परवरिश की
कभी तस्वीर उभरती महत्वाकांक्षी की
कभी तस्वीर उभरती निराशा की
कभी तस्वीर उभरती असफलता की

आत्महत्या का सीधा संबंध
मानसिक हताशा निराशा विषाद

कविता के माध्यम से देती हूं संदेश सभी को
करो ना आत्महत्या कभी
क्योंकि आत्महत्या होती नहीं अकेली
रिश्ते नाते भावनाओं की भी होती है हत्याएं
मां बाप घर परिवार
के हो तुम अनमोल रतन
साथ तुम्हारा है जग सारा संसार
कह दो अपनी समस्या उलझन सभी को
सब मिलकर कर देगा निदान
- कुमकुम वेद सेन
 मुंबई - महाराष्ट्र
आत्महत्या
*********


इंतज़ार है मुझे बरसों से
उस समय का  जब- 

आ जाएगा हुनर खुद को/
 हालात को गढ़ने का

लोगों के चरित्र की लिखावट
चेहरे की बनावट को पढ़ने का

सम्बन्धों में अपनों को ढूंढ निकालने का

जीवन के समस्त कष्ट/संघर्ष हो जाएंगे ओझल जब
कोई मानुष न रहेगा तनावग्रस्त कभी/ न करेगा आत्महत्या कोई अवसादग्रस्त होकर

हां.... हां.... मुझे इंतज़ार है 
उस समय का
- मोहम्मद मुमताज़ हसन
गया - बिहार 
                आत्महत्या
              ********
 आत्महत्या एक जघन्य अपराधहै
  बहुत बडी़ बेवकूफी 
कभी सुखी हुआ कोई दुनिया में
ऐसा करके ।
 ये बुजदिली है ।कायरता है ।
पता है तुम्हारे जाने के बाद क्या 2
भोगता है परिवार
हो जाता है जीना सभी का दुश्वार
  दुःख तो  धूप - छाँव है ।
आनी - जानी है ।
 लेकिन तुम्हारे जाने के बाद वापसी का कोई मार्ग नहीं है ।
जो ऐसा करते हैं 
उन्हें ये दुनिया बुलाती है ।
 नपुंसक व कायर 
 चाहते हो छुटकारा परेशानी से करो खुद का हौसला बुलंद
 बढो़ थाम लो दामन तरक्की का
 जिसका इंन्तजार था।
  ईश्वर कमजो़र का साथ नहीं देता
सबसे कीमती तोहफा मिला है।
    तुम्हे दिमाग का करो इस्तेमाल
बिखर जाते हैं जाने कितने,
परिवार आत्महत्या से ।
  यह कदम बेहद शर्मनाक है ।
    जिसका सपना देखा
सुखी स्वस्थ परिवार नेस्तनाबूद
   हो जाएगा ।
  इसलिए मेरे दोस्तो आत्महत्या
किसी मुश्किल का हल नहीं है।
          - डॉ. नेहा इलाहाबादी
दिल्ली
 आत्महत्या 
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तेजी से गतिशील संसार, हजारों की भीड़ आसपास 
फिर भी एकाकी है इंसान,  मन में कितने ही अवसाद 
कभी कभी आत्महत्या की ओर बड़ जाता है इंसान 
किन्तु फिर भी जीवन की, नई चुनौती को करता स्वीकार 
लड़ता है अपने अंदर भी एक संग्राम अविराम.... 
कभी सम्हलता कभी लड़खड़ाता, उठता गिरता... 
किन्तु कभी अपनों के हाथों भी छल लिया जाता... 
दिल पर गहरा सा असर करता है विश्वासघात... 
अपनों के दिये घाव, या होकर किसी षड़यंत्र का शिकार 
पीकर अपमान का गरल, भाग्य की किसी नियति से बेहाल.... 
कभी कभी हो जाता है एकाकी पन का शिकार.... 
अंतर की घुटन... कर देती है परेशान... 
मस्तिष्क की धमनियाँ में रुक जाता है रक्त प्रवाह.. 
उसका एकाकीपन ले जाता है अँधेरी  कुंठाओं के कूप में 
और अनजाने में... आत्महत्या की ओर बड़ा देता है कदम 
जब व्यक्त ना हो भावों का बहाव..... 
खुद से लड़ता, टूट जाता है इंसान.... 
और हो कर एकाकीपन का शिकार... 
चल पड़ता है अनजान राह... 
काश कोई स्नेह से भरा हाथ कंधे पर 
रख... सम्हाल लेता उसके जज्बात... 
उस गहरी सुरंग से ले आता रोशनी 
की कोई सौगात.... 
तोड़ कर एकाकीपन की ख़ामोशी... 
चुरा लेता उसका दर्द... 
और शायद... 
वो पत्थर जिसका बोझ असहनीय बन.. 
उसे छल गया था.. 
किसी अपने के अपनेपन से कम हो जाता 
एकाकीपन का पत्थर पिघल कर 
कम हो जाता... 
वो जिंदा लाश सा इंसान... 
प्यार की ऊष्मा से फिर से जी जाता 
थोड़ा सा साहस उसकी संवेदना को सहारा दे कर... 
मन की इस बीमारी से लड़ने की ताकत बन जाता 
अवसाद भी बस एक बीमारी है... 
काश इसको हमारा समाज 
सहज़ स्वीकार कर पाता 
तो शायद..... 
अनेकों का जीवन इससे आसानी से बच पाता. 
 श्रीमती पूजा नबीरा 
 नागपुर - महाराष्ट्र 
 आत्महत्या 
********

ज़िंदगी से हो जाता जो निराश । 
आत्महत्या कर करता विनाश।।

सब जंजालों से छुटकारा ।
आत्महत्या एक ही सहारा ।।

झूले पंखे से डाल गले में रस्सी का फंदा ।
खाते हैं जो बहुत ज़िंदगी में अपनों से धोखा ।।

कहीं कोई हाथ की नस काट सोते मिले ।
कहीं कोई नींद की गोलियाँ खा रोते मिले ।।

रोज़ समाचार में छपती खबरे । 
आत्महत्या के नये नये कारनामें।।

कोई ज़हर खा कर करता अंत है 
कोई पहाणों से लगाता छलांग है ।।

शादी शुदा होते या होते कुंवारे  भी । 
प्रेमी प्रेमिका हो या धोखा खायें भी ।।

मेरा कहना मान लो भाई ख़ुश रह पाओगें । 
आत्महत्या कभी नहीं कर पाओगें ।।

 पहले विचार करो फिर बात करो अपनों से ।
मन की हर दुविधा खोलो सब कह डालो अपनों सें ।।

आत्महत्या का विचार फिर भाग जायेगा ।
हौसलों की उड़ान ,समाधान पायेगा ।।

ज़िंदगी जंग है यह मान लो संघर्ष जीवन है जान लो । 
लड़ने का जज़्बा पैदा कर ज़िंदगी मुस्करायेंगी जान लो ।।

अपने लहू में जूनून जगा , ठान कुछ , उम्मीदें जगा । 
हार - जीत , सुख -दुख,  समय चक्र है इनसे न घबरा ।।

जीवन एक बार मिला है भरपूर उसका आनंद ले ।
मात पिता को सुख सागर से नहला दे ।।

हर तूफ़ानों से लड़ जा आँधियों से भीड़ जा 
आत्महत्या भुल जा ज़िंदगी जिना सिख जा ।।

ईश्वर की अनुपम अदभूद कृति हो । 
तुम में बुद्धि , विवेक , निर्णय की क्षमता रखते हो ।। 

आत्महत्या करना घोर अपराध है जान लो 
इसके आलावा भी बहुत कुछ सुखद है जान लो ।।

आत्महत्या कोई हल नहीं , जरुरी नही ।
बहुत सुंदर जीवन पड़ा है जीने की कोशिश तो कर ।।
- डॉ अलका पाण्डेय 
 मुम्बई - महाराष्ट्र
आत्महत्या 
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कदमों में जो कभी ठहराव आ जाये, 
मन में जो कभी निराशा के भाव आ जायें, 
निष्प्राण लगे जब संसार का सौन्दर्य, 
अवसाद में मन-मस्तिष्क डूब जाये, 
जिजीविषा को तब प्रबल करना हे मानव। 
जीने की राह के तब साधन मिल जायें।। 

डूबकर आंसुओं में हृदय शिथिल पड़ जाये, 
राहें जीवन-पथ की बंद होती दिख जायें, 
स्वप्न बिखर जायें कभी, मन के द्वार चटक जायें, 
जीवन-पथ के संघर्ष, चुनौती बन सामने आयें, 
स्वयं के आस्तित्व को मिटाना हल नहीं फिर भी। 
प्रश्नों के उत्तर आत्महत्या से भले कभी मिल पायें।।

मन की आवाज, मन का हौसला ही जीवन है, 
इसे सुनने, परखने का फैसला ही जीवन है, 
जीवन में दुश्वारियां मात्र मृगतृष्णा समान हैं, 
बीच कांटों के खिले गुलाबों का गमला ही जीवन है, 
मंजिलें दूर ही सही पर निरन्तर चला जाये। 
विरोधाभासों से सदा सार्थक संघर्ष किया जाये।। 

सोच सही नहीं जीवन में केवल खुद के मन की करना, 
पर गलत है खुद के मन से डरना, खुद के मन का मरना, 
मुश्किल है जीवन में सरलता से किनारा मिलना, 
असंभव नहीं है पर, जीवन में लहरों पर चढ़ना-उतरना, 
हैगमानव तो मानव बन मुश्किलों से युद्ध किया जाये। 
मानुष जन्म हीरा आत्महत्या से क्यूं व्यर्थ गंवाया जाये।। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
नमन मंच
शीर्षक- आत्महत्या
**************
आत्महत्या..
ओह....
कितना कठोर...
नकारात्मक...
दर्द से भरा शब्द...
हत्या विचारों की...
इच्छाओं की...
मन की...
उन सारे सपनों की...
जो माता-पिता ने की होती हैं...
अपने बच्चों से...
हत्या उन संस्कारों की...
जो बुजुर्गों से मिली होती है..
इतनी सस्ती नहीं है जिंदगी...
क्यों स्वयं की हत्या कर लेते हैं.. 
जीवन है..
तो संघर्ष है...
संघर्ष से भागना विजय नहीं...
हार है, कायरता है...
मुश्किलों से घबराना ना..
स्वयं को जीवन दान दो...
स्वयं की हत्या कर..
न परमात्मा का अपमान करो।
        सुधा कर्ण
         रांची , झारखंड
       ******
      आत्महत्या        
**********

जीवन के पल है 
बढ़े ही अनमोल 
मत करो आत्महत्या 
जीवन है अनमोल 

जीवन फिर न मिलेगा 
समझो इसके मान को
यह है ईश्वर कि देन 
जान लो इस बात को 

कर्म हीन न बनो तुम 
बल शाली हो तुम 
कर्म करो नित्य बढो 
मानव हो तुम 
- कमलेश कुमार राठौर 

 आत्महत्या
*********

आत्महत्या घातक है, है कायरता
करने वाले को शायद ये नहीं है पता।
        आशा का दामन छूट गया
      नभ में कोई तारा टूट गया
        जीवन में सांसें बाकी हैं
      रब कहां हमसे रूठ गया
विश्वास डगर पर चले चलो
न भूलकर भी करो ये खता।

      सांसों की डोरी चलती है
      नित कुदरत ये बदलती है
     घिरे व्यर्थ ही तुम अवसाद में
     निराशा ही तुम्हें छलती है
आशा का दीप जलाए चलो
क्या लुट गया भाई ये तो बता।

     सूरज का है तेज अभी
     बहती नदियों का शोर अभी
     पक्षी नभ में अभी गाते हैं
     उत्साह जगत में कितना अभी
बिन रुके थके तुम चले चलो
चाहे छूटे अंतिम कपड़ा लत्ता।
- प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़
गोधरा -  गुजरात
आत्महत्या
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उथल-पुथल जीवन में जब भी,
होता मन बेचैन कभी भी।
नहीं सूझता जीवन में तब,
होगा क्या अंजाम हमारा।।

लोग बहुत है आगे पीछे,
लेकिन अपना कोई नहीं है।
बात-बात पर तानाशाही,
करके मन को तोड़ रहे हैं।।

कभी वेदना की चाहत मन,
टीस भरी अंगारों की है।
कहीं अकेलापन खा जाता,
जिसका कोई तोड़ नहीं है।।

मन हताश होता है जब भी, नदी किनारा मिल जाता है।
देख उसे चंचल मन कहता,
इन लहरों से क्या नाता है।।

कभी वेदना आहत करती,
घर की चारदीवारी भीतर।
किस से कहें बात अपनी वह,
सुनने वाला कोई नहीं है। चीख चीखकर कर मन है रोता,
फफक-फफक कर आंसू बहते।
खड़े तमाशा देख रहे हैं सब,
दुखड़ा कोई नहीं सुनता है।।

तब ऐसा लगता है मानो,
यह जीवन बेकार है मेरा।
सूझबूझ सब खो जाती है,
जब अपने ही देते धोखा।।

मन टूटा विश्वास है टूटा।
जीवन की धारा है टूटी।
सुबह शाम की आस है टूटी,
जिस पर वह विश्वास दिखा था।।

विरह वेदना से पीड़ित मन,
जब जब आहट होता है।
पाया छोड़ यहां से जाऊं,
जो दीपक बन कर जलता है।।

एकाकी जीवन मत जीना,
ना मन को बहलाना तुम।
बड़ी कठिन ता से मिलता है,
जीवन का अनमोल रतन।।

क्रूर भावना इच्छा मुक्त कर,
जीवन सफल बनाना तुम।
आत्महत्या कभी मत करना,
होगा क्या अंजाम तुम्हारा।।

उथल-पुथल जीवन में जब भी,
होता मन बेचैन कभी भी।
नहीं सूझता कोई रास्ता,
 होगा क्या अंजाम हमारा।।

- अन्नपूर्णा मालवीय सुभाषिनी 
 प्रयागराज - उत्तर प्रदेश
आत्महत्या 
********

आत्महत्या है जघन्य पाप,
 कभी नहीं करना चाहिए।
 संयम और विवेक के द्वारा,
 आत्ममंथन करना चाहिए।

 ऐसा व्यक्ति नहीं सोचता,
अपने  स्वयं के बारे में।
 क्या होगा उसके बाद,
 उसके परिवार के बारे में।

 क्षणिक आवेश में आकर,
 उठा लेता वह गलत कदम।
 जिसका मलाल रहता सदा,
परिवार वालों को  "सक्षम"।

जीवन उसी का नहीं होता,
 जुड़े  रहते हैं उससे सभी ,
भावना व संबंध के द्वारा,
 कई व्यक्ति समाज के भी।

 अपनी समस्या का समाधान,
 अपनों से मिलकर उसे करना
 चाहिए सदा।  प्राणायाम
 वह योग से भी कोशिश करनी चाहिए।
 - श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
आत्महत्या
*******

 तुम पर केवल अपना अधिकार  नहीं 
आत्महत्या से पहले सोचो एक बार सही 
आत्महत्या कोई समाधान नहीं विमुख जीवन से हो बनोगे महान नहीं !

जीवन में सुख दुख का है आना जाना 
आशा निराशा का बना रहेगा ताना-बाना 
 अरे पक्षी भी करते अंतिम क्षण तक संघर्ष 
क्या मनुष्य समस्या का नहीं निकाल पाता निष्कर्ष !

जो समुद्र की लहरों से लड़कर सहता मार पत्थर से टकरा कर कभी न माने जीवन में हार 
उसकी नैया होती है पार !

हौसले बुलंद हो तो
हार के भी जीत मिलती है
जीवन में संघर्ष जरुरी है
 आत्महत्या जरुरी नहीं !

पंख को उड़ान दो
जीतना है ठान लो
मनुष्य का जीवन मिला
प्रभु का दिया वरदान है
हिम्मत तुम्हारे साथ है फिर
आत्म हत्या समाधान नहीं !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
 आत्महत्या 
*******

जीवन की अनमोल धरोहर को ,
क्यों कोई कैसे लुटा देता है ,
बोलो कैसे जीवन की चलती सांसों पर ,
भला पूर्णविराम  लगा सकता है ,
खूबसूरत है जिन्दगी का फलसफा ,
फिर क्यों उसे इतना कम कर देता है ,
अपनी ही कहानी के बताओ ,
अध्याय कम कर दिया देता है ,
लिखना चाहती हैं आंखें ,
देखी हुई अपनी ही दृष्टि से ,
तमन्ना है आगे भी देखने की ,
फिर कैसे कोई आंखें बन्द कर देता है ,
देखने से भविष्य उन्हें रोक देता है ,
कदम भी इस दुनिया में चल रहे होते हैं ,
फिर क्यों रोका जाता है ,
हौसले मुश्किलों से लड़ रहे होते हैं,
फिर क्यों उन्हें तोड़ते हैं ,
बताओ क्यों ये जिन्दगी से खेलते हैं ,
लोग अपनी ही आत्मा की ,
आत्महत्या कर देते हैं ,
दुखों के बादल तो छंट जाएंगे ,
पर जिन्दा रहेंगे तभी उनका ,
पूर्ण रूप से अहसास कर पाएंगे ,
जीवन के सतरंगी इन्द्रधनुष को ,
पूरा का पूरा  देख पाएंगे ,
आखिर आत्महत्या ना करने पर ही ,
हम जिन्दगी का यथार्थ जी पाएंगे ,
अपने जीवन के साथ भी ,
पूरा इंसाफ कर पाएंगे।
-  नरेश सिंह नयाल
देहरादून -  उत्तराखंड
आत्महत्या
*********
       
जीवन मिला है
तो जिओ
भरपूर
न सोचो 
मरने के बारे में
दिखाओ दमखम
विपरीत हालातों से
लड़ने में
दिखाओ हौसला
तभी बनेगी बात
होगा
जगमग दिन
झिलमिल रात
मायूस न हो
पराभूत न हो
हिम्मत से
जीतो 
कठिनाईयों को
आत्महत्या पाप है
कायरता की निशानी है
जीवित रहना ही
ज़िन्दादिली
की कहानी है ।
       - प्रो शरद नारायण खरे
              मंडला - मध्यप्रदेश

शामिल सभी कवियों का धन्यवाद । यह साप्ताहिक ऑनलाइन कवि 

Comments

  1. most respectfully shri bijendra ji this episode of your online smmelan subjected - aatm hatyaa - was like pervious fully jubilant episodes
    here all the entries are wow and well crafted i must congratulate ur admin leadership qualities from the core of my heart

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  2. आत्महत्या जघन्य अपराध है उसे कभी नहीं करना चाहिए। अपने कर्तव्य से पलायन करके ईश्वर की अनमोल देन जीवन खत्म कर देना निहायत बेवकूफी का काम है। क्षणिक आवेश या अंतर्मन की घुटन पल भर में जीवन समाप्त कर देती है और छोड़ जाती है बिलखता हुआ परिवार तथा अनगिनत गिनती यादें।

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    1. resp, gayitri thakur ji / bijendra ji - this episode of * jaimini akaadmi was wonderful both the participants and the organizer are wow each has given his / her best

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  3. बहुत-बहुत सुन्दर आयोजन एवं सार्थक विषय
    हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं आदरणीय बिजेन्द्र जैमिनी जी एवं पूरी टीम को🙏🙏

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  4. बहुत ही प्रासंगिक विषय और काव्य सम्मेलन की पूरी टीम को शुभकामनायें आयोजन बहुत अच्छा रहा l

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  5. आज का विषय बहुत ही ज्वलंत विषय --आत्महत्या--
    मानसिक रूप से परेशान लोगों को समझने और समझाने की आवश्यकता है कि आत्महत्या कर वो खुद को नहीं मारते बल्कि अपनों को जीते जी मार देते हैं।
    आदरणीय जैमिनी सर और टीम के समस्त सम्मानित सदस्यों को बहुत-बहुत हार्दिक आभार ज्वलंत मुद्दों पर लोगों को जागरूक करने के लिए और हृदय तल से आभार मेरी कविता को शामिल करने के लिए🙏🌹🙏

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  6. ज्वलंत समस्या, प्रासंगिक विषय आपने इस प्रश्न को उठा एक दिशा प्रदान करी है, साधुवाद l
    --डॉ. छाया शर्मा, अजमेर, राजस्थान

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