हार जीत कोई पैमाना नहीं है कि आप सहीं है या गलत ?

 जीत का अर्थ यह नहीं है कि आप सही है । ऐसा अक्सर देखा गया है कि जीत के लिए पैसा व ताकत का प्रयोग होता है । तब गलत भी अपनी जीत दर्ज करवा लेता है ।ऐसा ही उद्देश्य " आज की चर्चा " का है। आये विचारों को भी देखते हैं  : - 
गलत व्यक्ति आज नहीं तो कल अवश्य हारेगा । जब व्यक्ति धर्म की राह पर सत्य के साथ चलता है तो वो अवश्य ही जीतता है । तात्कालिक रूप से भले ही हार जीत , सही गलत का पैमाना न हो किन्तु इसके दीर्घकालिक परिणाम जीत और हार अवश्य निर्धारित करते हैं । रावण पर श्रीराम की जीत अधर्म पर धर्म की जीत थी । इसी तरह कंस पर श्रीकृष्ण की जीत अन्याय पर न्याय की जीत थी ।श्रेष्ठ न्याय वही होता है जहाँ जीत सही व्यक्ति को मिलती है और हार का सामना गलत व्यक्ति करता है । कहा भी गया है भगवान के यहाँ देर है अंधेर नहीं ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
 हार जीत कोई पैमाना नहीं है, कि आप सही हैं या गलत ?
 हार जीत कोई पैमाना नहीं है। लेकिन हार जीत का परिणाम मानव दुख और सुख के रूप में एहसास करता है। जो व्यक्ति को क्रिया के  नियम का पता रहता है तो कार्य सही होता है सही होने से मनुष्य को सफलता प्राप्त होती है। जिससे मनुष्य को सुख का अहसास होता है और जिस मनुष्य को  क्रिया के नियम का पता नहीं होता है, नियम पता ना होने से गलतियां हो जाती है, तो वह जो चाहता है वह नहीं मिल पाता जिससे हार या असफलता मिलती है इसके फलन में दुख का एहसास होता है। हार जीत का पैमाना नहीं है ,सही गलत का परिणाम दुख सुख के रूप में है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
हार जीत गलत ओर सही का पेमाना नहीं होता । हार और जीत प्रयत्नों से ज्यादा परिवेश और परिस्थितियों पर निर्भर होती है । एक बुद्धिमान या चरित्रवान भी कभी कभी परिस्थितियों से परास्त.हो जाता है और बुद्धिहीन या चरित्रहीन  विजयी बन जाता है ,जो जीत के नशे में रहते हुए अपनी वास्तविकता को अनावृत कर देता है।
-  डा.चंद्रा सायता
 इंदौर - मध्यप्रदेश
हार जीत  तो  एक  परिणाम  है  जो  विभिन्न  क्षेत्रों  से  संबंधित  हैं  ।  ये  जीवन  की  जंग  से  भी  जुड़ी  है  ।  कोई   व्यक्ति  बीमारी  से  जंग  जीत  जाता  है  तो  कोई  हार  जाता  है  ।   हार जीत  यह  सुनिश्चित  नहीं  कर  सकती  कि  हम  सही   हैं  अथवा  गलत  ।  इससे  व्यक्ति  को  सही  गलत  के  तराजू  पर  नहीं  मापा  जा  सकता  ।  कभी-कभी  कोई  हार  कर  भी  जीत  जाता  है  तो  कोई  जीत  कर  भी  हार  जाता  है  ।   हमारा  स्वयं  का  मन  जानता  है  कि  हम  सही  हैं  अथवा  गलत  ।  आत्मा  की  आवाज  सुनकर,  मन  के  दर्पण  में  झांक  कर  देखेंगे  तो  गलत   सही  का  पता  अवश्य  चलेगा  ।   वैसे  जीवन  में  हार  जीत  तो  लगी  ही  रहती  है  ।  हार  से  सबक  लेने  के  बाद  जब  जीत  हासिल  होती  है  तो  उसका  आनंद  तो  कुछ  और  ही  होता  है  । 
         - बसन्ती पंवार 
         जोधपुर - राजस्थान 
हार-जीत एक तात्कालिक प्रतिस्पर्धा है, जिसके निर्णय से आप कोई सार या निश्चित निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते और ऐसा करना उचित भी नहीं है। ना ही ऐसा सोचना या मानना चाहिए। हर दिन या यूँ कहें कि हर पल हमारी मनःस्थितियाँ और परिस्थितियाँ बदलती चलती हैं और साथ ही साथ अन्य की भी। हार-जीत यह तय नहीं करती कि आप सक्षम नहीं हैं। वह उस समय के प्रतियोगिओं में आपका क्रम निर्णित करती है। इसीलिए जिसमें निष्कर्ष हार -जीत पर हो,उसे उस समय का ही मानकर चलना चाहिए और अपना ध्येय, संकल्प, प्रयास, तैयारी, उत्साह, आत्मबल सभी दृढ़ रखते हुये सतत जुटे रहना चाहिए। हाँ,अपनी कमियों , खामियों को पहचानते ,खोजते हुये उन्हें दूर करना चाहिए और पारंगत होने के लिये सावधानियां और सुरक्षा बरतते हुये पूर्णता की ओर बढ़ते रहना चाहिए। तभी सफल भी होंगे, सही भी होंगे और श्रेष्ठ भी होंगे।
अतः हार-जीत से सही-गलत का आकलन करना निरर्थक होगा। 
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
बिल्कुल  सही  हार  जीत  पैमाना  हो  नही  सकता  है  यह तो  परिस्थिति  का  एक परिणाम  है ।हार  जीत एक  सिक्के  के  दो  पहलू  है अकेला  किसी  का  कोई  अस्तित्व  नही है ।
जीत  अपने  आगे  होने  का  सिर्फ  परिचय  देता  है हर हार की  श्रेणी  मे  खड़े  होनेवाले  के आगे  के  कारक  को  अलग  कर  देने  पर  हारने  वाला  जीत  जाता  है । हार  कर जीतना  भी  एक  कला है ।बाबा भारती  और  खडग  सिह  डाकू  की यही कहानी  है बाबा भारती  स्वयं को  हारकर  डाकू  कार मन  जीत  लिया  । मन कार हारे  हार  है मन  का जीते  जीत । इसलिए  हारने और जीत  कोई  पैमाना  नही  है सही  और  गलत होने का ।
- डाँ. कुमकुम  वेदसेन  
मुम्बई - महाराष्ट्र
हार जीत को मापने का कोई यंत्र का आविष्कार आज तक तो नहीं हुआ शायद आगे वैज्ञानिक करते हैं यह भी बात असंभव नहीं है।हार जीत का सोचने वाले हिसाब करने वाले व्यक्ति कभी अपने जीवन में आगे नहीं पढ़ पाते मन के हारे हार है मन के जीते जीत। हमारी पराजय का सीधा अर्थ है, की विजय के लिए पूरे मन से प्रयास नहीं किया गया कभी-कभी समझदार भी पीछे रह जाते हैं और हारते हैं क्योंकि वह पूरी मेहनत से अपने लक्ष्य की प्राप्ति में नहीं लगते हैं कभी-कभी अज्ञानी लोग भी बिना दिमाग के रोज वही रट रट कर याद करते हैं और जीवन में सफल हो जाते हैं या यूं कहें कि जीत जाते हैं बहुत बड़े संत ने कहा है करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान रसरी आवत जात है सिल पर परत निशान।           
हमारे वेद ग्रंथों में अनेक उदाहरण मिलते हैं , जो हमें जीवन जीने की सीख देते हैं।          
  १ राम और रावण के युद्ध में राम ने बंदरों की सेना खट्टा की और उन्होंने पूरी लंका को नष्ट करके रावण के अहंकार को तोड़कर अपने आप में विश्वास के कारण ही जीता ।        
२ रानी लक्ष्मीबाई भी अपने अटल आत्मविश्वास के कारण ही अंग्रेजों से लड़कर वीरगति को प्राप्त हुई उसने यह नहीं सोचा कि इतनी बड़ी सेना का मैं कैसे अकेले मुकाबला करूंगी।   
 ३ आत्मविश्वास के कारण है हमने बचपन में कहानी सुनी थी कछुआ और खरगोश की इसमें कछुआ जीता   
४ मन के विश्वास के कारण नहीं श्री कृष्ण ने जब अर्जुन युद्ध नहीं कर रहे थे तब उन्हें गीता का उपदेश दिया और कर्म योगी बनाया। 
 ५ मन की विश्वास के कारण दशरथ मांझी ने पूरा पहाड़ खोज कर एक रास्ता बना दिया।    
 मन में अगर विश्वास हो तो वह बड़े-बड़े काम कर सकता है सूरज भी हमें रोज जीने और मरने की शिक्षा देता है ऐसे प्रकृति में हमें अनेकों उदाहरण मिल जाएंगे पशु पक्षी अपने आत्मविश्वास के कारण ही जीते हैं हमें मेहनत करनी चाहिए मेहनत का कोई शॉर्टकट नहीं होता सफलता हमें अपने आप ही मिल जाएगी। 
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर -मध्य प्रदेश
हार जीत कोई पैमाना नहीं है यह सच है यह तो हमारे साथ हर परिक्षेत्र में होता है !हार में ही हमारी जीत है यदि दो प्रतिस्पर्धी हैं तो उसमें से एक को तो हारना ही है वरना जीत कैसे हासिल होगी ! हारने वाला स्वयं कहता है कि मैं हारा इसलिए तो तू जीता !इस हार से वह भी कुछ पाता है वह है उसका अनुभव और यही अनुभव उसे आगे जीत प्राप्त कराता है क्योंकि वह पहले की गलती पुनः नहीं दोहराता ! अतःसही कहा है कि हार-जीत सिक्के के दो पहलू हैं ! 'कभी हार कभी जीत' ! सदा जीतने वाला भी हारता है यह तो सुख दुख की तरह ही है , 'राम की माया कहीं धूप कहीं छाया ' ! हां यदि जीवन में कुछ कर गुजरना है तो हार जीत का चक्र तो चलता रहेगा ! हमारी सोच सकारात्मक बनी रहनी चाहिए मान लिए तो हार और ठान ले तो जीत ! यदि जीवन में संघर्ष करते हुए भी सही परिणाम नहीं मिलता तो हार न मानकर पुनः जज्बे के साथ उठो और ठान लो कि अबकी बार अवश्य सफलता मिलेगी या यूं कहो जीत अवश्य हासिल होगी ! हमारा जीवन और उसका सफर ही आपस में प्रतिस्पर्धी है! यदि जीवन में हमें आगे बढ़ना है तो हमें संघर्ष करना होगा और संघर्ष से खुशी और जीत हासिल हुई तो ठीक वरना सिक्के का दूसरा पहलू तो मिलना ही है किंतु हम सोच सकारात्मक रखते हुए कड़ा संघर्ष कर ठान लेते हैं जीत हासिल करनी है यानि सुख प्राप्त करना है तो अवश्य मिलता है !कभी-कभी योग्यता होते हुए भी हार मिलती है इसका यह मतलब यह नहीं है कि आगे भी हमें हार मिलेगी हार जीत तो चलती ही रहेगी !  अतः अंत में यही कहूंगी कि हार जीत की प्रमाणिकता कोई पैमाना नहीं है जिस तरह रेखा छोटी है तो आगे खींचने से बड़ी होती है एक सी नहीं रह जाती ठीक उसी तरह हार जीत भी किसी पैमाने में सिमटकर नहीं रहती परिस्थिति के अनुसार बदलती रहती है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
हार जीत किसी भी व्यक्ति के सही-गलत होने का पैमाना नहीं हो सकता। हार-जीत परिस्थिति पर निर्भर करती है। कोई व्यक्ति सही और ईमानदार होते हुए भी गलत समझ लिया जाता है और कभी गलत व्यक्ति अपनी व्यवहार कुशलता से सही सिद्ध हो जाता है। लेकिन अंत में सच्चाई और ईमानदारी ही सही-गलत का निर्णय करवाती है। यही हार-जीत का पैमाना हो सकता है। अधर्म कुछ समय अपनी विजय पताका फहरा कर विजयी दिख सकता है, पर धर्म के सामने वह पराजित ही होता है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
     देहरादून - उत्तराखंड
जी । सत्य कहा है । हर जीत का फैसला तो खेल में होता है । वह हमारे जीवन निर्माण नहीं करता है । बल्कि वह आगे गलतियों को सुधारने की मोहलत देता है । युधिष्ठिर जुआ हार गए लेकिन वो सत्यवादी थे अंत में अपना राज्य प्राप्त किया।दानवों ने देवता को हराया तो क्या दानव सही थे। यह सवाल आज के युवाओं के दृष्टिकोण से बहुत उपयुक्त है। छोटी-सी हार में अपना जीवन हार देते हैं। जीवन का एक निर्णय गलत है तो उसे सुधारा जा सकता है। सभी घटना को हार-जीत के पैमाने पर तौलना गलत है ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
हार जीत ...’सही क्या ग़लत क्या का पैमाना नहीं हो सकता 
हार से घबराना नहीं चाहिऐ हार ने वाला ही एक जीतता है । 
खेल का सिद्धांत है एक की हार तभी दूसरे की जीत 
जीतने का सबसे ज़्यादा मज़ा तब आता है,जब सारे आपकी हार का इंतज़ार कर रहे हों…!! इंसान जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए बहुत मेहनत करता है। लेकिन जब वह सफल नहीं हो पता है तो निराश हो जाता है और मेहनत करना छोड़ देता है। इस बात को अगर दूसरे नजरिए से देखा जाए तो हमारे जीवन में आने वाली असफलताएं हमें तजुर्बा देती हैं और गलतियां करने से बचाती हैं। इसलिए इंसान को कभी मायूस नहीं होना चाहिए, उसे मेहनत करते रहना चाहिए। एक दिन ऐसा आएगा कि मेहनत का फल सफलता में बदल जाएगा। आज हार हुई है, तो कल जीत भी हो सकती है। हार के गम में सुधार की कोशिश छोड़ देना समझदारी नहीं होती है। निराश होने की जगह ये सोचना चाहिए कि हमसे कहां चूक हुई है। रेस में लंबे समय तक बने रहना है तो तेज दौड़ने से ज्यादा फोकस देर तक दौड़ने पर करना चाहिए। अटल जी ये कविता जीवन में जोश और जीत की जीत है ...
हार नहीं मानूंगा, रार नई ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं,
गीत नया गाता हूं.
जब यह भावना हो तो जीत तो निश्चित है । 
अटल जी कहते हैं....
किन्तु फिर भी जूझने का प्रण
अंगद ने बढ़ाया चरण
प्राण-पण से करेंगे प्रतिकार
समर्पण की मांग अस्वीकार
दांव पर सब कुछ लगा है, रुक नहीं सकते
टूट सकते हैं मगर हम झुक नहीं सकते।
मैं हार नहीं मानूंगा
तो तुम जीतोगे कैसे 
यह भी सही है कोई तो हारेगा तब ही कोई जीतेगा । 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र

               " मेरी दृष्टि में " हार जीत परिस्थितियों का परिणाम है । कई बार परिणाम सबूत के अभाव में जीत हासिल कर जाते हैं ।ऐसा अनेकों बार देखा गया है । क्या ये जीत वास्तव में जीत होती है । नहीं ! ये परिस्थितियों ने उसे हार का सामना करना पड़ रहा है । अतः हार जीत के अन्तर में भेद छुपा होता है । जो वास्तविक होते हुए भी सिद्ध करना असम्भव होता है ।
                                                       - बीजेन्द्र जैमिनी




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