क्या शब्दों द्वारा बिगड़ा काम भी बना सकते हैं ?

शब्दों के खेल से बहुत कुछ हो सकता है । ऐसा बड़ें - बड़ें कवियों ने कर के भी दिखाया है । बिगड़े कार्यों को सुधारने के लिए सकारात्मक शब्दों का प्रयोग कर के अच्छे परिणाम निकालें जा सकता है । ऐसा करने से बड़ी - बड़ी समस्या का समाधान हो सकता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब चर्चा में आये विचारों को देखते हैं : - 
शब्दों द्वारा बिगड़ा काम तभी बन सकता है जब सामने वाला सहनशील, गंभीर और संवदेनशील हो क्योंकि वही अपशब्द कहने वाले की मनःस्थिति को समझ सकता है और काम में मदद कर देता है ।हम यदि अपनी गलती का एहसास कर परिस्थितिवश हुई भूल को सुधारने के लिए क्षमा याचना करें तो शायद काम बन सकता है लेकिन ये पूरी तरह काम करने वाले पर निर्भर होता है ।
- सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
भावों और विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम भाषिक शब्द ही हैं, अतः शब्द को असीमित  शक्ति के कारण ही इसे परमब्रह्म माना गया है।जब हमारे शब्द सकारात्मक होंगे तो घर- परिवार, समाज, राष्ट्र एवं विश्व में मंगलमय वातावरण बनेगा अन्यथा नकारात्मक शब्द गाली- गलौज ,जीवन- मूल्यों के विपरीतार्थक शब्द बोलने से तो अमंगल ही बढ़ेगा तथा द्वंद की स्थितियां होंगी।  शब्दों की मारक क्षमता से ही लड़ाई- झगड़े ,प्यार- मोहब्बत, नफरत सब बिगड़ते एवं संभलते हैं। रिश्तो की मधुरता, कोर्ट -कचहरी , अपराधियों हेतु वकीलों के शब्दों के प्रयोग की योग्यता घर- परिवार में आशीर्वाद और बद्दुआ सबमें शब्दों का ही  महत्व है  शब्दों की प्रधानता ही है जो "आई एम सॉरी" कहने से बिगड़ी स्थिति को भी संभाल सकते हैं। कबीर दास ने इसको इस रूप में संदेश दिया----
  " वाणी ऐसी बोलिए मन का आपा खोए /औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय "।
    इसी प्रकार से हमें ध्यान रखना होगा कि हमारे शब्दों से द्वंद की स्थिति ना बन जाए क्योंकि गलत शब्दों के इस्तेमाल से हर बिगड़ी बात का संभालना मुश्किल हो जाता है। रहीम दास जी ने भी कहा है ---
     " बिगड़ी बात बने नहीं लाख जतन करे कोई /रहीमन फटे दूध को मथे न माखन होय/
    शब्दों की महिमा अपरंपार है। स्वामी विवेकानंद ने सत्संग में और विदेश में जाकर शब्दों के माध्यम से ही अपना प्रभाव बनाया। अतः बिगड़े माहौल में शब्दों के महारथियों को नापतोल कर कर्णप्रिय मनभावन शब्दों का प्रयोग करना चाहिए ।
- डॉ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
शब्दों में गर वजन हो, वे सकारात्मक ऊर्जा लिये हों, सशक्त व सही तरीके से कहे गये हों, प्रेम व विश्वास से परिपूर्ण हों, अपनेपन की भावनाओं से ओतप्रोत हों तो बिगड़े काम ऐसे बनेंगे कि बिगड़ने का कहीं नामोनिशान नजर नहीं आयेगा।
- दर्शना जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
जब एक या एक से अधिक वर्ण मिलकर स्वतंत्र सार्थक ध्वनि उत्पन्न करें तो उसे शब्द कहते हैं ।  शब्द को ब्रह्म अर्थात निर्माता कहा जाता है। कई शब्द मिलकर एक पूरा वाक्य बनाते है। 
*बातन हाथी पाइए , बातन हाथी पाँव*
इसका अर्थ है कि सही शब्दों का प्रयोग जहाँ आपको  हाथी जैसा विशाल,  मूल्यवान उपहार दिलवा सकता है तो वहीं दूसरी ओर गलत शब्दों का प्रयोग  आप को हाथी के पैर के नीचे अर्थात कष्ट या घोर दुःख भी  दे सकता है । शब्दों के महत्व को प्रतिपादित करती हुयी ये  लोकोक्ति पूर्ण रूपेण सही है ।  जिस तरह कटु शब्दों की मारक क्षमता तलवार से भी अधिक होती है ठीक वैसे ही मधुर शब्द की मिठास शहद  से भी अधिक होती है इसके प्रयोग से कोई भी कार्य  करवाया जा सकता है । यदि सच्चे मन से अपनी गलती मानते हुए किसी से क्षमा माँगे या बड़े मन की सोच रखते हुए किसी को माफ़ कर दें । इन सबमें शब्द महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं इसीलिए कहा जाता है कोई भी बात बोलने से पहले सौ बार सोचना चाहिए या तोल मोल के  बोल । मीठी वाणी से क्या कुछ संभव नहीं है ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
शब्द अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त साधन है, इसलिए इसकी असीमित शक्ति से हर कोई परिचित होगा। शब्द औषधि, घाव, तीर-तलवार, प्रेम-घृणा, अमृत-विष सभी अपने में समाये हुए हैं। शब्दों का प्रयोग कर सकने की योग्यता भी मनुष्य को ही मिली है। अब ईश्वर की श्रेष्ठ रचना मनुष्य का दायित्व और भी अधिक बढ़ जाता है कि वह बुद्धि, विवेक और योग्यता से शब्दों का सम्मान कर उनका प्रयोग करे। शब्दों का सही प्रयोग अच्छे व्यवहार के साथ हो तो न होने वाले, बिगड़े हुए काम भी चुटकियों में सुलझ कर हो जाते है, इसके विपरीत गलत शब्द, खराब और अक्खड़ व्यवहार होने वाले , हुए काम को भी सदा के लिए अटका देते हैं। अपने अध्यापकीय जीवन में दसवीं कक्षा में जब पढ़ाती थी तो एक पाठ में आया एक प्रसंग आज भी प्रासंगिक लगता है। पात्र दो, व्यवहार दोनों का दो परिस्थिति में अलग-अलग। भाभी की एक आँख है, बाहर से आया देवर आते ही कहता है... कानी भाभी ! पानी पिला। भाभी का उत्तर... पानी! और तुम्हें! दूसरी स्थिति......रानी भाभी! पानी पिला। और भाभी!.... पानी पियें तुम्हारे दुश्मन! अभी लाई मैं दूध और मिठाई!  तो यह है शब्दों की ताकत! शब्दों का अच्छे व्यवहार से मेल सोने पे सुहागा! करके तो देखिये, चमत्कार ही चमत्कार देखने को मिलेंगे, कड़वे शब्द और अक्कड़-घमंडी व्यवहार के साथ करेंगे तो सिर धुनेंगे। चुनाव हमारे ही हाथ है प्यार से बिगड़े काम बनायें या अपने खराब व्यवहार से बिगड़े को सदा के लिए बिगाड़ दें कि अच्छा होने की संभावना ही समाप्त कर दे।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
अवश्य शब्दों द्वारा बिगडे़ काम बन सकते हैं! शब्द ही तलवार है शब्द ही मल्लहार..... अगर गुस्से में  कोई हमें  अपशब्द  कह जाता है तो तुरंत पलटकर हमें  जवाब नहीं  देना चाहिए! सामने वाले की मनःस्थिति को देख  समझकर धैर्य से काम लेना चाहिए! यह तभी हो सकता है जब हममें धैर्य, सहनशीलता ,संवेदनात्मक भावनाएं एवं स्थिति का आकलन करने की क्षमता हो! शब्दों  की कमान में (जीभ) में  कटु ,तीक्ष्ण शब्दों के अलावा अमृत बरसाने वाले शब्द  रुपी बाण भी होते हैं किंतु हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हम क्या, कब और किसके लिए बोल रहे हैं! शब्द  निकालने से पहले दस बार सोच लेना चाहिए यह सामान्य रुप में  कहा जाता है! 
अपनी गलती होने पर मान अपमान को परे रख माफी मांग लें या न भी हो तो प्रेम से दो मधुर बोल ,बोल बात को वहीं खत्म करते हैं तो बात बिगड़ने से पहले ही शांत हो जाती है! मीठी जबान मरहम का काम करती है ! मुझे मृदु शब्द से हमारे सामने चाहे कितना भी शातिर आदमी हो झुक जायेगा! 
अंत में  यही कहूंगी की शब्दों की शक्ति इतनी तीव्र होती है जो कटु हो तो प्रहार करेगी और वाणी में  मिठास  हो तो बिगडे़ काम भी बना देगी!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
शब्द शब्द सभंलकर बोलिये ,
शब्द के नहीं हाथ ,नहीं पाँव .
एक शब्द में है औषधि और 
एक शब्द में घाव .
यह हमारे स्वंय के ऊपर निर्भर है कि हम उसका उपयोग औषधि के रूप में करना चाहते हैं या घाव देने के लिए .यदि द्रौपदी दुर्योधन को यह नहीं कहती कि अंधे के तो अंधे पैदा होते है तो शायद ,महाभारत का युद्ध नहीं होता .हमारा स्वभाव ,वाणी और बोलने की कला हमारा भाग्य चमका देती है .हमारा मंतव्य अर्थात मन में उठे विचार ,विचारों की अभिव्यक्ति वक्तव्य ,वक्तव्य के बाद हमारा कर्म से कर्तव्य और कर्तव्य के बाहर हम जाते हैं ये है गन्तव्य .इन चारों में समानता ,एकरूपता होने पर ही हम गैरों के ह्रदय पटल पर हम दस्तक देने में कामयाब होंगे .हम ह्रदय रूपी तराजू में अपने शब्दों को ,अपनी वाणी को तौलकर ही बोले .तराजू में वाणी रूपी फ़िलटर लगाना आवश्यक है .विपरीत इसके आपके बनते काम भी बिगड़ जायेंगे . हमारे व्यक्तित्व को ऐसा बना देंगे शब्द और निरूपण -
महफ़िल हो गैरों की ,
और चर्चा हो हमारी .
आँसू हो गैरों के ,
और आँखें हो हमारी .
तन की खूबसूरती एक नेमते है 
पर सबसे खूबसूरत आपकी जुबां है .
चाहे तो दिल जीत ले और चाहे तो दिल चीर दे .
"अल्फाजों का अहम क़िरदार रहा है ,दूरियां बढ़ाने का .
कभी वो समझा न पाए ,कभी हम समझा न पाए .
- डाँ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
हाँ जी बिलकुल बना सकते है शतप्रतिशत बना सकते है ....
शब्द को  ब्रह्म कहा गया है । मीठे वचनों से पाषाण ह्दय भी द्रवित हो उठता है। बात बात पर क्रोध करने हर वक्त गाली गलौज करना , इंसान की प्रतिष्ठा गिरा देता है वह संतुलित व मिठे शब्द बोलता है तो लोगों को शंका होती है जरुर कोई मतलब होगा । ग़ुस्सा होने से बिगड़ा काम नहीं बनने बाला । हाँ अगर आप ने संतुलन बनाया व नाराज न होकर समाने बाले को समझा उसे समझाया तो भविष्य में वह और सतर्कता से काम करेगा , आप का सम्मान करेगा 
जीवन भर आपके प्रति कृतज्ञ रहेगा । 
आपके शब्दों द्वारा ही आप यह तो सम्मान पा सकते हैं या नफ़रत ....
मीठे शब्दों में बहुत शक्ति है वह असम्भ काम भी करवा सकता है आदमी में आत्मविश्वास भर सकते है । 
मधुर बोलने वाला हर जगह इज़्ज़त पाता है । 
और अपशब्द बोलने वालों से लोग दूर भागते है । 
हमेशा अपने आप को याद दिलाये कि नाराज़ हो कर हम बिगड़ा काम बना नहीं सकते 
परन्तु अच्छा बोल कर आप अधिक नुक़सान से बच सकते है 
जो हो गया वह हो गया , भविष्य में न हो इसका ध्यान रखें और ये आपके शब्द ही कर सकते है 
मज़ाक़ व हल्के फुलके मज़ेदार शब्द वातावरण कोखुशनुमा बना देते है , और माहौल अच्छा तो ....काम अच्छा । 
शब्द और शब्दों को बोलने का लहजा दोनों को ही हमें सम्भालना है । तभी हम बेहतर नेतृत्व कर पायेगा व लोगों में पापुलर भी होंगे 
मीठी बानी बोलिये ......मन का आपा खोल   
ओरों को शीतल करे आपो शीतल हो....    
हमेशा याद रखे 
शब्द एक बार जिव्हा से निकल  गया सो निकल गया ...    
तो बहुत तौल मौल कर बोले 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कुछ हद तक सहमत हूँ वरना ज़्यादातर देखा गया है कि शब्दों के ग़लत इस्तेमाल से बनते हुए काम बिगड़ जाते हैं |तू तू मैं मैं के बाद रिश्ते टूट जाते हैं |किंतु समझदार व्यक्ति अपने शब्दों की चाशनी से नकारात्मक सोच रखनेवाले व्यक्ति के सोच को बदल कर उसके ह्रदय में परिवर्तन ले आता है और बिगड़े काम बन जातें है |जिससे टूटते रिश्ते जुड़ जाते है|आज हर व्यक्ति एक दूसरे को नीचा दिखाने की ताक में रहता है एक-दूसरे की बुराई करना बात बात पर अपशब्द कह कर अपमानित करना जिसके कारण लोग अपनी दुनिया में रहने लगे हैं |प्यार के मीठे बोल या खुलकर तारीफ़ करना आपके बड़प्पन को दर्शाता है,जिससे आप भरी महफ़िल में चार चाँद लगा सकते हैं |आप एक अच्छे व्यक्ति के रूप में याद किए जाएँगे |
           - सविता गुप्ता 
        राँची - झारखंड
शब्द ब्रम्ह है ।शब्द का कभी नाश नहीं होता ,अक्षर अ+क्षर अ हर उच्चारण में नीहित है ।शब्द इन्द्रियों का विषय है ।शब्द के प्रभाव से महभारत हुआ ।शब्दों मे मन्त्र की शक्ति है ।हम शब्दों से बिगड़ा काम भी बनासकते हैं ।बस भाषा में विनम्रता ,अनुरोध ,कोमलता शिष्टता ,क्षमायाचना ,ओज जैसे गुण शामिल होने चाहिए ।बस हमारी भाषा विध्वंसक न हो अनुनय -विनय सब के दिल को जीत लेता है ।हमारे बिगड़े काम भी बन जाते हैं ।बोझिल वातावरण भी हल्का हो जाता है ।आगे का रास्ता साफ दिखाई देने लगता है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
शब्द वह ब्रह्म है, जो बड़ी से बड़ी बातों का रुख बदल देता है । इसका भंडार इतना बड़ा और अर्थात्मक है कि गलत से गलत बातों को सही करार देता है। दिलों में पलने वाले द्वेष को एक पल में बदल कर प्रेम की गंगा बहा देता है ।विद्वान मनुष्य हमेशा सुमधुर शब्दों का इस्तेमाल करते हैं । जैसे अपशब्द  कार्य बिगाड़ते हैं उसी तरह अच्छे शब्द बिगड़े काम बनाते है । हमेशा दूरी कम करें बनिस्पत बढ़ाने के। सोच समझ कर शब्द जबान पर लाएं, जो कभी किसी को कष्ट न दे ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
बाबा कबीरदास जी कहते हैं कि ~
" ऐसी बानी बोलिये मन का आपा खोय 
औरन को सीतल करै आपहु सीतल होय ||"
मीठे शब्दों का जादू व्यक्ति के मन, वाणी, शरीर पर बेहद सकारात्मक प्रभाव डालता है | जहाँ, कटु, कर्कश वाणी बोलने वाले व्यक्ति से सभी रिश्तेदार, मित्र, परिचित आदि दूर भागते हैं | ऐसे असंवेदनशील व्यक्ति को कोई भी मनुष्य पसंद नहीं करता | वहीं मधुर शब्दों के साथ मीठे व्यवहार के द्वारा व्यक्ति परायें मनुष्यों को भी अपना मित्र बना लेता है | 
मीठे, मधुर व्यवहार सम्बन्धों के द्वारा व्यक्ति के बिगड़े काम भी बन जाते हैं |यदि मधुरभाषी व्यक्ति का कोई कार्य बिगड़ भी जाता है तो उसे सामूहिक रूप में अन्य मित्रों, परिजनों का शारीरिक आर्थिक,मानसिक सहयोग, संबल प्राप्त होता है तो ऐसे व्यक्ति का मनोबल, साहस, संकल्प शक्ति बढ जाती है | 
और वह बड़ी से बड़ी विपत्ति का सामना हँसते खेलते कर जाता है |ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति शारीरिक और मानसिक कठिनता को पार करके बिगड़े कार्यो को भी सुधार लेता है |
- सीमा गर्ग मंजरी
 मेरठ - उत्तर प्रदेश
वास्तव में शब्दों के द्वारा बिगड़ा काम बहुत ही आसानी से बन जाता है। मीठे बोल से सभी का मन जीता जा सकता है । बोलते समय शब्दों में मिठास घोलकर वाणी निकालने पर कठिन काम को भी शब्दों की एकरसता से आसानी पूर्वक किया जा सकता है। कड़वे वचन बनते कार्य भी बिगाड़ देते है, उसी जगह बिगड़े काम भी मीठे बोल बना देते है ।
सदैव सभी को सहज वाणी ही प्रयोग करना चाहिए, क्योकि जबान से निकली हुई वाणी और धनुष से निकला हुआ तीर कभी वापस नहीं आता है। चाहे लाख माफ़ी मांग लो ।
- डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'
      मुम्बई - महाराष्ट्र
जी हाँ शब्दों के माध्यम से क्या असंभव है बस प्रस्तुतीकरण का भाव होना चाहिए ।शब्द ही है जो सृष्टि के सूक्ष्म से सूक्ष्म और विशाल से विशाल जीव को बांधते हैं ।शब्द की शक्तियों को विद्वान अभिधा लक्षलक्षणा और व्यंजना के रुप में बांटते हैं ।आवश्यकतानुसार प्रयोग भी होता है इनके अपने अपने प्रभाव भी हैं ।छन्द शास्त्र के मूर्त रूप का आधार भी ।
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर -उत्तर प्रदेश
शब्द  अमृत  है  तो  ज़हर   भी  है  ।  इन्हें  बोलने  का  भी  अपना  एक  अलग  अंदाज  होता  है  जो  सुनने  वाले  पर  सकारात्मक / नकारात्मक  प्रभाव  डालता  है  ।  अतः  मुंह  से  शब्द  निकालने  से  पहले  सावधानी  बरतनी  अति  आवश्यक  है  । होने  वाले  परिणाम  के  विषय  में  सोचना  जरूरी  है  ।  एक  प्यारा- सा  शब्द  है- 'साॅरी'  जो  गलत  बोले  गये  शब्दों  पर  औषधि  का  काम  करती  है  ।  किसी  के  लिए  बोले  गये  सकारात्मक  शब्द  उसे  प्रोत्साहित  करते  हैं  जबकि  नकारात्मक  शब्द  हतोत्साहित  ।  कहते  हैं-- 'जब  अमृत  देने  से  ही  कोई  मर  जाए  तो  फिर  उसे  जहर  क्यों  दिया  जाय  ।'  अर्थात  बोलते  समय  शब्दों  में  मिठास  घोलकर  बिगड़े  कामों  को  बनाया  जा  सकता  है  । 
         - बसन्ती पंवार 
           जोधपुर - राजस्थान 
सामान्यतः और व्यवहारिक दृष्टि में बेशक 'शब्द ' एक ऐसा अनमोल और अद्भुत माध्यम है जो न केवल हमारे बिगड़े काम बखूबी बना  सकता  है बल्कि माहौल और रिश्ते में मधुरता भी ला सकता है। बशर्तें सुधार हेतु शब्द  निःश्छल, प्रेम और पवित्रता  से भरे हों। निवेदन और विनम्रता झलकती हो।भूल या गलती के लिये क्षमा याचना और भविष्य में पुनरावृत्ति न होने का आश्वासन भी हो। इन सबके बावजूद भी बिगड़े काम का बनना , काम के प्रकार,रूप ,स्थिति, परिस्थिति, मनःस्थिति और मूल्य पर भी निर्भर हो सकता है। इसमें नियम ,नीति और न्याय का पक्ष भी महत्वपूर्ण होता है। 
  - नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
हां,, शब्दों के बाण कभी बनते काम भी बिगाड़ देते हैं,,और कभी शब्दों की मिश्री से बिगड़े काम भी बना देती है । इसलिए समय_ समय पर शब्द अपना काम और प्रभाव करते हैं । इसलिए कहा गया है कि कुछ भी बोलने से पहले व्यक्ति को सोच समझ लेना चाहिए फिर कुछ बोलना चाहिए , क्योंकि बोले गये शब्द ,चलाए गये तीर के समान होते हैं जिसको हम दुबारा  वापस नहीं ले सकते हैं ।  इसीलिए कहा भी गया है,,,"तोल मोल कर बोल। " किसी भी ग़लत किए गये कार्य के लिए  अगर व्यक्ति तुरंत " माफ़ी या सारी" जैसे शब्द  का प्रयोग कर लें तो सामने वाला व्यक्ति ज़रूर माफ़ कर देगा ।उसी प्रकार मीठे शब्दों का बहुत असर पड़ता है ,,जो बहुत  हद तक बिगड़े काम को  भी बना सकते हैं । इसलिए शब्दों में बड़ा असर होता है ,जिसका प्रभाव बिगड़े काम को  सुधारने पर भी जरुर  पड़ता है। ऐसा मेरा मानना है ।‌
-डॉ पूनम देवा 
पटना - बिहार
शब्द  भाषा  अभिव्यक्ति का अद्भुत  माध्यम है भावनाओ  विचारो  की अभिव्यक्ति भाषाओ  के द्वारा  की जाती  है
कहा ही गया है शब्द ही घाव  है शब्द  ही मरहम  है शब्द ही नफरत  है शब्द  ही मोहब्बत  है। शब्द  भाषा का गलत  इस्तेमाल  इन्सान  को मानसिक  पीडा देती है ।परिवार  मे गलतफहमी  मनमुटाव  , पति-पत्नी का  क्लेश  दो पीढ़ी  का  तकरार  सभी  नकारात्मक  परिस्थिति  पैदा  कर देती ठीक दूसरी  तरफ  मुझे  माफ  कर दे  यह वाक्य  मरहम  पट्टी  कर  देती  है   परिस्थिति  मे कोई   बदलाव  नही  है ।।उसी  तरह  प्यार  के दो मीठे वचन भी  तो शब्द ही  कहलाते  जो परिवार  मे  खुशिया  लाती है मीठे  वचन  पे तज  दे वचन  कठोर  वशीकरण  यह मंत्र है 
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र


" मेरी दृष्टि में " मुँह से बोले गये शब्दों में वो शक्ति होती है । जो दुश्मन को मित्र बनाने में भी सक्षम होता है । इसलिए कहते हैं कि बोल से पहले वाक्य को तोलना सीखे । जो इस काम में परफेक्ट है वह कभी मार नहीं खाँ सकता है । 
                                                 - बीजेन्द्र जैमिनी

मैं और मेरा परिवार
फोटो : 05 मई 1996 
मैं = बीजेन्द्र जैमिनी 
पत्नी = संगीता रानी 
बेटी : लोहिनी          
बेटा = उमेश जैमिनी 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

इंसान अपनी परछाईं से क्यों डरता है ?