क्या मानवीय गुणों में विनम्रता सर्वोत्तम होती है ?

मानव अनेक गुणों के कारण अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ माना जाता है । इसमें एक गुण  विनम्रता का है । जो मानव का सर्वोत्तम  गुण कहाँ जाता है । यह गुण सभी में विधमान नहीं होता है । जिसमें होता है वह श्रेष्ठ मानव की गिनती में आता है । विनम्रता के कारण से वह अपना कार्य दुसरो से आसानी से करवा लेते हैं । विनम्रता के चारों ओर " आज की चर्चा " घुमती है । आये विचारों को भी देखते हैं : -
विनम्रता मनुष्य का वो गुण है जिससे वो सबको अपना बना लेता है और समाज में स्थान पाता है ।मनुष्य के सद्गुण सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं क्योंकि सहनशीलता, दया, परोपकार, ममता, त्याग आदि ऐसी ही भावनाएँ हैं जो विनम्रता से जुड़ी हैं।विनम्र व्यक्ति ही संवेदनशील और भावुक होते हैं।उनकी भाषा, व्यवहार में मधुरता और दूसरों के प्रति आदर भाव होता है ।वास्तव में कहा जाए तो विनम्रता मानवीय गुणों में सर्वोत्तम है ।फल से लदा  वृक्ष विनम्रता  से सदा झुका रहता है, अपना सर्वस्व दूसरों के लिए न्योछावर कर देता है इसीलिए हम भी उसका आदर करते हैं उसी प्रकार विनम्र व्यक्ति भी सदा परोपकारी होता है इसीलिए समाज में पूजनीय बन जाता है ।वाणी, व्यवहार, स्वभाव, आचरण से ही मानव की विनम्रता झलकती  है ।कहते हैं 
   नर की और नल नीर की, गति एक सम होय।
   जेतो नींचौ व्है चलै, तेतो ऊँचो होई ।।
- सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
मानवीय गुणों में विनम्रता सर्वोत्तम इस लिये है की यदि मानव विनम्र है तो बाक़ी समाज कल्याण की भावन आ ही जायेगी पहली सिढी  है एक व्यक्ति के व्यक्तित्व को जानने के लिये विनम्र होना , तभी अन्य गुण भी वह अात्मसात करेगा ।
विनम्रता एक पुण्य है जो शायद ही इन दिनों कभी देखी जाती है। लोग इन दिनों अपने आप में इतने व्यस्त हैं कि वे अपनी जरूरतों और इच्छाओं को पूरी करते हैं और दूसरों की प्राय: अनदेखी करते हैं। दूसरों के प्रति विनम्र होना बड़ा मुश्किल सवाल बन गया है। दया दूसरों की ओर विनम्र और विचारशील होने का गुण है। यह एक ऐसा गुण है जो हर किसी के पास नहीं है। इस दुनिया में बहुत कम लोगों को ऐसे गुण से नवाज़ा गया है और उनकी उपस्थिति उनके चारों ओर के लोगों के लिए एक वरदान है। विनम्रता से तात्पर्य हमारे आसपास के लोगों के प्रति अच्छा होना है। दयालु उनकी तरफ विनम्र बनकर, उन्हें भावनात्मक समर्थन देकर, उनकी आर्थिक रूप से सहायता कर, उनके मनोबल को बढ़ा कर या बस उनके प्रति सहायक होकर बना जा सकता है। हमारे द्वारा किए गए अच्छे कृत्य और विनम्र कृत्य न केवल मदद की आस लगाए बैठे लोगों के लिए वरदान हैं बल्कि हमारे लिए भी एक वरदान हैं। जब हम दूसरों को उनके कार्यों में सहायता करते हैं, उनके प्रति विनम्र होते हैं और ऐसे अच्छे कृत्य करते हैं तो हमें सिद्धि और खुशी का अहसास मिलता है। एक सुखद स्वभाव वाले और दूसरों के लिए चिंता करने वाले व्यक्ति को विनम्र होना कहा जाता है। ऐसे लोग दूसरों के प्रति संवेदनशील होते हैं। जब भी लोगों को उनकी ज़रूरत होती है वे अपने आसपास के लोगों की मदद करते हैं और कभी भी दूसरे लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने के लिए अपनी सीमा से बाहर जाने से संकोच नहीं करते हैं।
विनम्रता बहुत बड़ा मानवी गुण है वह है कभी अन्य गुण भी होंगे नहीं को नही 
सर्वोत्तम है तभी और मिलकर सर्वश्रेष्ठ  बनता है 
दूसरों के प्रति विनम्र होना, उनकी मदद करना और मुस्कुराहट फैलाना ना सिर्फ लोगों के लिए अच्छा होता है बल्कि इन कार्यों को करने वाले व्यक्ति को भी संतुष्ट करने वाली गहरी समझ प्रदान करता है। वह मानवता का प्रतिक होता है 
- डॉ . अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
विनम्रता मानवीय गुण है। इस गुण की उपज हमारे मन द्वारा हुई है ।व्यक्ति की परवरिश में परिवार के संस्कार और देश की संस्कृति का प्रभाव  तो पड़ता ही है; इसीके फल स्वरूप उसके व्यवहार में विनम्रता का गुण पनपता है। विनम्रता से व्यक्ति में पात्रता आती है। विषम परिस्थितियों में भी सामंजस्य कर बुद्धिमानी से इस गुण के द्वारा मनचाही सफलता प्राप्त कर सकता है। इसके द्वारा शांति का साम्राज्य स्थापित किया जा सकता है तथा पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय एवं विश्व स्तर तक हम अपने अच्छे संबंध बना सकते हैं; क्योंकि इस गुण के कारण व्यक्ति अहंकार और घमंड से कोसों दूर हो जाता है। सभ्य ,सुसंस्कृत तथा मन से खूबसूरत लोगों का यह गुण सर्वत्र प्रभावकारी है।
- डॉ रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
विनम्रता मानव का सबसे बहुमूल्य श्रृंगार है|कोई भी कार्य कठोरता से नहीं करवाया जा सकता है।|उग्रता से बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं |आप कितने भी पढ़े लिखे हैं लेकिन आपके स्वभाव में विनम्रता नहीं है तो आप कितना भी शिक्षित हो सब व्यर्थ है |समाज में विनम्र व्यक्ति ही सफल एंव शीर्ष तक पहुँचते है और संसार से जाने के बाद भी याद किए जाते हैं | वास्तव में विनम्रता मानव को महान बनाती है|
                    - सविता गुप्ता 
                   राँची - झारखंड
विनम्रता मानव का सब से बड़ा गुण है। जो  व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में भी संयम रख कर विनम्रता से व्यवहार करता है उसके आधे दुख तो वहीं खत्म हो जाते हैं। घर परिवार ,समाज व व्यवसाय में भी लोग उसकी अच्छाई का उदाहरण देकर प्रेरणा लेते है।विनम्र व्यक्ति सभीको प्रिय होता है। जीवन में जब भी हमें कुछ सीखना होता है तो हमें सामने वाले को अपना गुरू मानकर , विनम्र रहकर ही सच्ची शिक्षा मिलती है।धन दौलत सोना चाँदी, हीरे मोती से भी अधिक मूल्यवान है  यह गुण।
- ड़ा.नीना छिब्बर
जोधपुर - राजस्थान
        विनम्रता मानव के जीवन का सर्वोत्तम आभूषण है। जिसके पास यह है, जिसके स्वभाव में यह निहित है वह व्यक्ति सर्वग्राह्य होकर सबके हृदय में वास करता है। 
        यह सर्व विदित है कि विद्या विनय देती है और विनय यानी विनम्रता पात्रता अर्थात् पाने की योग्यता प्रदान करती है। उस योग्यता से वह धन, धर्म  सभी कुछ पा सकता है। कहने का अर्थ यह है कि विनम्रता व्यक्ति में पाने की योग्यता का विकास करती है। यह योग्यता जिसमें होगी वह अपने परिश्रम और विनम्र स्वभाव से  सबका दिल ही नहीं जीतता, सर्वप्रिय भी बनता है।  आज के इस भौतिकवादी समय में कभी-कभी विनम्रता को व्यक्ति की कमजोरी और कायरता भी समझ लिया जाता है, पर जब विनम्रता व्यक्ति में पाने की योग्यता विकसित करती है तो साथ ही विवेक और समझ भी देती है कि वह अपना भला-बुरा समझ सके।  इसलिए मानव जीवन के इस सर्वोत्तम गुण और आभूषण को सर्वदा अपने स्वभाव में बनाये रखना चाहिए।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखण्ड
विनम्रता   एक सर्वोत्तम  और  उत्कृष्ट  मानवीय  गुण है  जो  अर्जित  है ।परवरिश  और परिवेश  का  यह प्रतिफल है 
मानवीय  गुणो  मे विनम्रता  एक  ऐसा  गुण  है जिसमे  मिठास  होती है सम्मान  आदर सहयोग  और दूसरो के  लिए  सर्वस्व  लुटाने  की प्रवृत्ति  होती है या  यो कहे  हार  कर जीतने की  तमन्ना  होती  है। 
फलो  से  लदा वृक्ष  की  तरह मानवीय  गुण  है 
महापुरुष के  जीवन  इस की ज्वलंत  उदाहरण  है 
वर्तमान  मे माननीय  प्रधानमंत्री  हर  क्षण  हजारो  गालियो  खाने के  बावजूद भी  सरलता से विनम्र तापूर्वक अपने  कार्य  मे लगे  रहते  है परामर्श  है हर इंसान  अपने  जीवन  मे विनम्रता  को अपना  ले  तो हर परिवार  का जीवन  खुशियो  से भर जाएगा
- डाँ . कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
हाँ! अवश्य ही, मानवीय जीवन को सार्थक,सफल एवं आदर्श बनाने के लिए मानव के स्वभाव में नैसर्गिक गुण विनम्रता के गुण का होना अत्यावश्यक है | क्योंकि अपने विनम्र व्यवहार के कारण ही व्यक्ति दूसरों के ह्रदय में सम्मानजनक स्थान प्राप्त करने के काबिल बनता है | त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम करूणानिधान भगवान श्रीराम के स्वभाव में संयम, विवेक, ज्ञान, भक्ति, बुद्धि,वैराग्य, साहस,वीरता जैसे दिव्य गुणों के साथ ही विनम्रता के दिव्य गुण का अद्भुत संगम देखने को मिलता है |जहाँ श्रीराम के अनुज भ्राताश्री लक्ष्मण उग्र स्वभाव वाले थे |वहीं भगवान श्रीराम की विनम्रता जग जाहिर थी |सीता स्वयंवर के समय जब श्रीराम ने शिव धनुष पर बाण का अनुसंधान कर धनुष तोड़ा था |तब महर्षि परशुराम बेहद क्रोधित होकर सभा भवन में पधारे थे | महर्षि परशुराम द्वारा बहुत बार ललकारने पर भी भगवान श्रीराम ने उन्हें कुछ भी अपमानजनक अपशब्द नहीं बोले थे |सम्पूर्ण संसार का पालन करने वाले त्रिलोकीनाथ भगवान श्रीराम यदि चाहते तो परशुराम जी को सभा भवन में अपमानित कर उन्हें प्रतिउत्तर दे सकते थे |किंतु मिथिला के महाराजा जनक, वहाँ का जन समुदाय अनेक देशों के राजा, महाराजाओं के साथ ही रिषि, मुनि एवं अपने गुरूजनों के मध्य भगवान श्रीराम ने अपने स्वभाव में स्थित विनम्रता का बेहद सुन्दर परिचय दिया | अपने विनयशील स्वभाव के कारण ही भगवान श्रीराम आज भी घर, घर में पूजे जाते हैं | एवं आज भी जनमानस के मध्य सेवा, पूजा, ध्यान, आराधना द्वारा श्रीरामचरित मानस का पाठ प्रेमपूर्वक एवं श्रद्धा, भक्ति के साथ किया जाता है |
 भगवान श्रीराम का दिव्य चरित्र आज भी सबके ह्रदयों में गहरा उतरा हुआ हैं | तत्पश्चात सभा भवन में महर्षि परशुराम जी ने संतुष्ट होकर,भगवान श्रीराम को पारब्रह्म परमेश्वर मानकर अति प्रसन्नता के साथ स्वयंवर सभा से विदा ली | 
- सीमा गर्ग मंजरी 
मेरठ - उत्तर प्रदेश
हां विनम्रता  का गुण सर्वोत्तम हैं चूंकि  यदि मनुष्य  विनम्र है तो बाकी के गुण तो उसमे आ ही जाते हैं  ! हमारे यहां संस्कारी होना यानिकी हममे सहनशीलता ,दया ,संवेदना भावना, आदर और विनम्रता सभी गुण का होना !
 किसी भी बात को लेकर यदि कोई हमसे गुस्से से बात करता है और हम एकदम विनम्रता से उसका जवाब देते हैं तो सामने वाला वैसे ही ठण्डा पड़ जाता है! पढ़ लिखकर ज्ञान प्राप्त कर हममे विनम्रता नहीं है और ज्ञान के अहंकार ने घर कर लिया है तो वह ज्ञान  किस काम का! फल कच्चा होता है तब एकदम डाल पर सीधा लटकता है किंतु पकने पर झुक जाता है  और मीठा भी लगता है! विनम्रता का पलड़ा अहंकार भरे ज्ञान के पलड़े से भारी होता है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
जन्म और मृत्यु के बीच का समय   जीवन होता है। यह जीवन जितना तनाव मुक्त बीतता है,वही जीवन सफल है। तनाव मुक्त में आशय तनाव ना लेना ,ना देना से है। हमारी वजह से किसी को कष्ट न पहुंचे,प्रयास ये भी होने का ध्येय होना चाहिए। इसीलिए प्रेम और त्यागमय व्यवहार को सौहार्दमय   माना जाता है। इन सब आदर्शों को निभाने के लिये आचरण में  विनम्रता  बहुत जरुरी है। विनम्रता  से  त्याग, त्याग से प्रेम,प्रेम से सौहार्दमय व्यवहार बनता है जो वातावरण को सुख-शांति देता है ,रिश्तों में माधुर्य ला, जीवन के ध्येय को सार्थक करता है। इसलिए कहा जा सकता है कि मानव गुणों में विनम्रता सर्वोत्तम होती है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि मानवीय गुणों में विनम्रता सर्वोत्तम है ।
*विद्या ददाति विनयम*
सरल स्वभाव में ही विनम्रता का वास होता है । इस बात की सिख हमें उन वृक्षों से लेनी चाहिए जो कि फल आने पर गर्वित न होकर झुक जाते है और अपनी विनय शीलता का भली भांति सभी को परिचय दे देते है । विनम्र वही है जो उदार होता है । उदारवान व्यक्ति सहनशील व मृदुभाषी होता है । विनम्र स्वभाव का होना मानवता के लिए बहुत आवश्यक है।
*मानव हो विनयी अगर*
*सर्वोत्तम हो जाय,*
*सीख दे समाज को*
*गुणवत्ता खिल जाय ।*
- डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'
मुम्बई - महाराष्ट्र
"मेरी अपनी क्रिया और प्रकृति से दूसरों को हानि कदापि नहीं पहुँचे ."यह मानव जीवन का मूल सूत्र होना चाहिए .मानवजीवन के इस मूल सूत्र को धारण करने हेतु मानवीय गुणों में विनम्रता अपना सर्वोच्च स्थान रखती है ,यद्यपि कर्म ,सोच का ही परिमार्जित रूप होता है .लेकिन मानव के सोच और कर्म में काफी अंतर होता है .इस दोहरे माप मानदंड के चलते व्यक्ति अपनी अंतर आत्मा की आवाज़ को दबा देता है 
मानव जीवन में प्रत्येक व्यक्ति सुख की चाहना रखता है लेकिन यह अलग बात है कि सबके लिए सुख के मायने अलग हैं ,उसे प्राप्त करने का साधन अलग अलग है .
कुछ ईर्ष्यालु जनों को दूसरों की निंदा और तिरस्कार करके मन ,वचन कर्म से किसी को दुःख पहुंचाने में सुख का अनुभव करते हैं जबकि संस्कारित व्यक्ति का आचरण "आदर्श "होता है .वह सत्यम ,शिवं ,सुंदरम का उपासक होते हुए
विनयशीलता के साथ धार्मिक आचरण करता हुआ अपना जीवन धन्य करता है .
प्रश्न यह है -धर्म क्या है ?धर्म संस्कृति के धृत शब्द रूप से बना है .जिसका अर्थ है ,मनुष्य के जो धारण करने योग्य है ,वही धर्म है .हमारे जीवन में संस्कार ,दया ,विनयशीलता ,परोपकार का समावेश होने पर ही हम वसुधैव कुटुंबकम की भावना को चरितार्थ कर सकेंगे अन्यथा यह केवल "भावना "ही रह जाएगी .वर्तमान में यह नितांत आवश्यक है कि हम संचित ज्ञान का सदुपयोग करें ,अधिक से अधिक हस्तांतरण करें और हमारे जीवन में सकारात्मक परिणाम आएं .तुलसीदास जी के विनय के पदों में शक्ति ,शील और सौंदर्य का समावेश करते हुए कहा है कि मानव मात्र के दुःखों का मूल कारण यह है कि व्यक्ति अपने किये का तुरंत प्रतिदान चाहता है ,किन्तु अन्य पशु पक्षी ऐसा नहीं करते .मानव जीवन में मूल सूत्र की उपलब्धि कराने में विनयशीलता "मील का पत्थर "साबित होगी लेकिन जीवन में निराश मत होना .मैथलीशरण गुप्त के अनुसार आशा ही जीवन है .
नर हो न निराश करो मन को ,
जग में रहकर कुछ काम करो .
यह जन्म हुआ किस अर्थ अहो 
समझ लो जिसमें यह व्यर्थ न हो .
अंत में -विनियमताश्च गुणा सर्वे 
सर्व गुण विनय के अधीन हैं 
- डाँ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जी हाँ विनम्रता मानवीय गुणों से महत्त्वपूर्ण होती है ।मैं विनम्रता के लिए कहती हूँ -
जब आती आँधी  -तूफान 
जब गिरते हैं ओले 
वनस्पतियाँ  झुक जाती 
घास को उखाड़ नहीं पाती 
तब नम्रता से घास बच जाती
  विनम्रता जीवन का आभूषण है। जो हमारे मानवीय गुणों प्रेम , अहिंसा , दया आदि में चार चाँद लगा देती हसे । हर किसी को यह गुण नहीं मिलता है । इसे हम संस्कारों से अर्जित करते हैं ।  विनम्रता शहद जैदी मीठी होती है । जो मां , अपमान , अंहकार को नहीं मानती है ।जिसमें विनय का भाव रहता है । उसकी आत्मा आनन्दित रहती है ।  
   प्रकृति विनय की मिसाल है । हमारी सारी सत्ता की मालकिन है ।तो भी  प्रकृति में अंहकार नहीं आता है ।
पेड़ पर जब फल लगते हैं तो डालियाँ  खुद से झक जाती हैं । पेड़ की नम्रता से समाज फल पाता है ।
  मित्रो ! , क्या काटों को आपने झुका देखा है क्या ?
उत्तर नहीं में है ।  क्योंकि तना हुआ अकड़वाला
व्यक्ति काँटे की तरह दुखदायी होता है ।विद्वान रावण के अहं को दुनिया जानती है । उसनेअपने इस दुर्गण से अपना और कुल का सर्वनाश किया था । नम्रता गुणों की खान है । जिसने इसे अपने जीवन धारण किया । वह व्यक्ति जीवन में सदा  सफल , सुखी रहा है । बिगड़े काम बन जाते हैं । जो मोक्ष के द्वार। खोल देता है । त्रेता के प्रभु राम की नम्रता से हम सीख सकते हैं । दलित शबरी के झूठे बेर खा के जातिभेद की दीवारें गिरायी थी । उसके लिए मोक्ष द्वार खोले । 
    नम्रता से जब हम किसी अजनबी से मिलते हैं । वह भी अपना बन जाता है । हम नम्र बनके सबको आदर  सम्मान दें । या हमारा कल्याण होता है । ईश की कृपा भी बरसती है ।  नम्रता कुवचनों को भी सह लेती है ।
  महात्मा का जीवन चरित्र विनम्रता की धरोहर है ।
  विनम्रता के प्रसंग में सूरज और हवा के झगड़े की कहानी में विनम्र सूरज की जीत हमें विनम्रता के महत्त्व को बताती है।
नम्रता के लिए संतो ने कहा -
कबीरा नवै सो आपको , पर को नवै न कोय ।
घालि तराजू तौलिए , नवै सो भारी होय ।
 अंत में मैं कहती हूँ -
 विनय युक्त  मीठे वचन , मंजु लेय जग जीत ।
   करें सभी को सुखी हैं , रहे सभी से प्रीत ।
 - डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
मानव में गुण ,अवगुण सब समान रूप से पाये जातें हैं । मानवीय गुणों में विनम्रता सर्वोत्तम गुण होती है ऐसा कहा जा सकता है , क्यों कि व्यक्ति में अगर विनम्रता है तो उसमें आपरुपी अन्य गुण भी सन्नीहित होते हैं । व्यक्ति में अन्य गुण हों,,लेकिन‌ विनम्रता ना हो तो सब बेकार है । विनम्रता से व्यक्ति लोगों  के दिलों में घर बड़ी आसानी से  बना लेता है । मेरे विचार से मानवीय गुणों में विनम्रता सर्वोत्तम गुण होती है ।
- डॉ पूनम देवा 
पटना - बिहार
विनम्रता  मानव आचरण का एक भाव है जिससे  सुसंस्कृत  व्यक्ति की पहचान होती है । सफल व्यक्ति वही होता है जो अहंकार का परित्याग कर अपनी जड़ों से जुड़ा रहता है । महात्मा बुद्ध के  अनुसार जो  मनुष्य अपने व्यवहार से लोगों के दिलों को जीतता है , हमेशा विनम्र रहकर क्रोध का परित्याग करता है उसे सफल होने से देवता भी रोक नहीं सकते हैं ।अपने विनम्र स्वभाव के कारण ही विवेकानंद , अब्राहम लिंकन जन- जन  के  बीच लोकप्रिय बने रहे ।मानवीय गुणों में विनम्रता सर्वोत्तम होती है व्यक्ति जिस वातावरण में रहता है उसका असर उस पर पड़ना स्वाभाविक है किंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो हर परिस्थिति में अपना मूल स्वभाव नहीं छोड़ते हैं और विनम्रता पूर्वक सबका सहयोग करते रहते हैं । 
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
विनम्रता  जीवन  का  सर्वोत्तम  गुण  है  ।  इस  गुण  के  कारण  व्यक्ति  दुश्मन  को  भी  अपना  बना  सकता  है  ।  विनम्र  स्वभाव  वाले  सभी  को  प्रिय  लगते  हैं  ।  उनकी  विनम्रता  के  कारण  उनके  घर - परिवार  व  आसपास  का  वातावरण  प्रेममय  बना  रहता  है  ।  क्रोध  और  झगड़े  के  समय  तो  इस  गुण  का  महत्व  और  भी  बढ़ जाता  है  क्योंकि  विनम्र  व्यवहार  वाला  क्रोध  तथा  झगड़े  को  शीघ्र  शांत  कर  देता   है  ।  कभी-कभी  विनम्रता  को  उस  व्यक्ति  की  कमजोरी  समझ  लिया  जाता  है  मगर  यह  उसकी  कमजोरी  नहीं  बल्कि  उसकी  महानता  होती  है  क्योंकि  जो  जीवन  में  झुकना  नहीं  जानते,  वे  टूट  जाते  हैं  । 
        - बसन्ती पंवार 
          जोधपुर - राजस्थान 
विनम्रता आदर्श व्यक्ति का पैमाना बनाया गया है । इसका कारण है कि विनम्र मनुष्य हर तरह के अन्याय को मुंहतोड़ जवाब देने का मजबूत स्तंभ है । विनम्रता मनुष्य की अंतरात्मा को शक्ति देता है । कहा भी गया है 'गुस्सा मनुष्य के सोचने की शक्ति को कमजोर कर देता है'। विनम्रता सभी आक्रोश को बर्दाश्त करने की शक्ति प्रदान करता है क्योंकि वह परिस्थिति की बारीकियों को आसानी से समझ पाता है और उससे निपटने में अपनी शक्ति खर्च करता है । विनम्रता के माध्यम से किसी से भी सहायता ली जा सकती है । किसी से भी कोई भी काम लिया जा सकता है । अतः यह सर्वोत्तम गुण है ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में " विनम्रता एक  ऐसा गुण है । जिससे साहनुभूति  प्राप्त की जा सकती है और लोगों के बीच सज्जन मानव की पहचान बन जाती है । फिर भी कुछ लोगों द्वारा गलत फायदा उठाने का भी प्रयास होता है । यह भी सच्चाई है ।
                                               - बीजेन्द्र जैमिनी          


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