अनुभव से प्राप्त ज्ञान की क्या सार्थकता है ?

जीवन का अनुभव ही ज्ञान कहलाता है । जो आने वाली पीढी को सम्मान के रूप में प्रदान होता है । ये ज्ञान अनमोल होता है । यह किसी किताब में नहीं लिखा होता है । फिर भी हम इस अनुभव के ज्ञान से अनजान रहते है । यह हमारी अज्ञात का परिचय है । परन्तु यह अनुभव का ज्ञान सार्थकता की कसौटी पर खरा उतरता आया है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।अब देखते हैं आये विचारों को : -
अनुभवी ज्ञान की एक अलग चमक होती है खरा सोना होता है अनुभवी ज्ञान । शब्द ज्ञान अर्थात पुस्तकीय ज्ञान से अनुभव ज्ञान जीवन की सार्थकता के लिए आवश्यक होता है। बिना अनुभव ज्ञान के सरल कार्य भी कठिन हो जाता है। शब्द ज्ञान किसी भी ग्रंथ के स्वाध्याय से स्वयं प्राप्त किया जा सकता है, परन्तु अनुभव ज्ञान बिना किसी अनुभवी गुरु के प्राप्त करना बहुत कठिन होता है।  वेद ज्ञाता ब्रह्मर्षि श्री अधीश जी के अनुभवी ज्ञानानुसार--`गुरु बिन मिले न युक्ति, बिन युक्ति मिले न मुक्ति। युक्ति गुरु देव बता देगें, जीवन सुखी बना देगें ||` श्री गुरु अपने अनुभव ज्ञान द्वारा शिष्य के जीवन का प्रत्येक कार्य सुगम बना देते हैं। अनुभव ज्ञान श्री गुरु जी के सान्निध्य में ही रहकर प्राप्त किया जा सकता है। प्रमुख्य बात होती है कि गुरु कितना अनुभवी है। कहा भी गया है- जैसा गुरु वैसा चेला। प्राचीन लौक्किती भी है- गुरु कीजै जान कर , पानी पीजै छान कर।' अनुभव का ज्ञान अधिक सार्थक है जितनी कहावतें बनी है सब अनुभव के आधार पर ...
- डॉ अलका पाण्डेय 
मुम्बई - महाराष्ट्र
हमारे जीवन में अनुभव से प्राप्त ज्ञान की ही ज्यादा सार्थकता है ।यह ज्ञान हमारे रोजमर्रा के व्वहारिक दिनचर्या में मार्ग दर्शन का कार्य करता है ।कभी कभी किताबी ज्ञान व्वहारिक जीवन में जरा भी सामन्जस्य नहीं  रख पाता तब यही अनुभव से प्राप्त ज्ञान की ही पथ प्रदर्शक बनता है।किताबी ज्ञान आवश्यक है सभी के लिए लेकिन अनुभव से प्राप्त ज्ञान की सार्थकता ज्यादा  है।
 - रंजना वर्मा
रांची - झारखण्ड
किसी भी चीज़  के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू का ज्ञान अनुभव से ही प्राप्त होता है . व्यक्ति भुगतकर ही अनुभव प्राप्त करता है . यदि किसी अन्य के अनुभव से हम सीखते हैं तो उस अप्रिय स्थिति से बच जाते हैं जो व्यक्ति विशेष ने अनुभव प्राप्त करते हुए झेली होगी . एक व्यक्ति का अनुभव दूसरे का ज्योतिस्तंभ बन सकता है
- नंदिता बाली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
अनुभव की जमीन ज्ञान को परिपक्व दिशा की तरफ मोड़ती है ।अनुभव का धरातल बहुत व्यापक होता है अनुभव आत्मज्ञान और ज्ञान के बीच की कड़ी है ।व्यक्तित्व के विकास में अनुभव और ज्ञान की भूमिका समान रूप से चलती है ।अतः हम कह सकते हैं ज्ञान अनुभव के बिना अधूरा है ।
- डॉ .आशा सिंह सिकरवार
 अहमदाबाद - गुजरात
अनुभव से प्राप्त ज्ञान स्थाई होता है। भ्रमित होने की संभावना बिल्कुल नहीं रहती।ऐसी बात भी नहीं है कि सुनी हुई और पढ़ी हुई बातों से ज्ञान नहीं होता। होता है, परंतु अनुभव की मुहर लग जाने पर उस ज्ञान में दृढ़ता आ जाती है।
             - गीता चौबे
             रांची - झारखंड
कहा गया है "जिसके पैर न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई।"
' अनुभव ' का आशय या यूँ कहें कि अनुभव का ज्ञान इसमें निहित है।अनुभव ऐसा ज्ञान से लवरेज मार्गदर्शन है, जिसका आधार यथार्थ से होता है। इसमें विकल्प, संघर्ष, अड़चनें, असुविधा, अच्छे-बुरे ,हानि-लाभ, सहयोग, असहयोग,परिश्रम, युक्ति, सावधानी, आवश्यकता, महत्व जैसे महत्त्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में विस्तार से भी एवं सार में भी पूर्ण  समझाईश होती है।  अनमोल वचन, प्रेरक प्रसंग, मुहावरे,लोकोक्तियां,साखी,दोहे आदि ऐसी अनेक साहित्यिक विधाओं में भी अनुभव समाहित हैं, जो हमें जीवन के उतार-चढ़ाव में मार्गदर्शन देने का काम करते हैं। समाज एवं परिवार में बुजुर्गों के अनुभव और उनकी उपस्थिति व सहभागिता भी ऐसा ही महत्व रखती है,क्योंकि उनके जीवन के अनुभव, अन्य के जीवन में होने वाली समस्याओं के निदान में सहायक बनकर , वरदान साबित होता है। संक्षेप में कह सकते हैं कि अनुभव से प्राप्त ज्ञान ,जीवन को सरल,सहज और सरसता के लिये रामबाण है और ... उसकी यही सार्थकता है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
मेरे अनुसार अनुभव से जो ज्ञान मिलता है उसका असर हम पर किताबी ज्ञान से ज्यादा होता है।बिना प्रैक्टिकल जैसे कंप्यूटर के बारे में पढ़ कर इतना समझ नही आता वैसे ही हमारा जीवन है।हमारे जीवन में जितना किताबी ज्ञान आवश्यक है उतना ही अनुभव भी।
- पूनम रानी
कैथल - हरियाणा
बड़ों की सही समझाइश भी तब तक हमें पूरी तरह सही नहीं लगेगी जब तक कि उस समझाइश का अनुभव न हो। एक बार अनुभव हो जाये तो वह समझाइश जीवन में उतर जाती है। जैसे मम्मी ने छोटे बच्चे को समझाया कि आग में हाथ नहीं डालना, हाथ जल जायेगा, बेटे ने सुना नहीं और हाथ डाल दिया, जब हाथ जला तो दर्द का अनुभव हुआ और मम्मी की समझाइश बच्चे ने गांठ बांध ली।
- दर्शना जैन
खंडवा - मध्यप्रदेश
निश्चित ही ज्ञान अनुभव के बिना अधूरा है ।उसके सार्थक होने संभावना क्षक्षीण है अतः अनुभव ज्ञान से  अवश्य जोड़ना चाहिये ।
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर -उत्तर प्रदेश
 जब किसी भी तथ्य या घटना को हम उससे जुड़कर महसूस करते हैं , जीते हैं तो  वो घटना हमेशा के लिये मनोमष्तिष्क में बैठ जाती है । जैसे पानी के संपर्क से हम गीले होंगे, आग से हम जलेंगे,  तेज हवा से आँखों में कचरा उड़ कर जाने का खतरा होता है इसी तरह ठंड से बचाव न करने पर  शीत जकड़ लेती है ।
*जाके पैर न फटी बेबाई ते का जाने पीर पराई*  अर्थात जिसके पैर में  एड़ी फटने के कारण दर्द न हुआ हो वो दूसरे की फटी एड़ी को देखकर ये नहीं समझ सकता कि इससे भी दर्द होता है ।  इसी को अनुभव कहते हैं ।
केवल किताबी ज्ञान के बल पर सफलता नहीं मिलती जब हम जमीनी स्तर पर किसी कार्य को करते हैं तो उससे बहुत कुछ सीखने को मिलता है । कहते हैं कि तैरना सीखने हेतु जल में उतरना ही पड़ेगा । जब  अपने अनुभव से कोई चीज सीखी जाती है तो वो हमेशा के लिए समझ में आ जाती है । और ये ज्ञान स्थायी  होता है ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
अनुभव से ही ज्ञान की सार्थकता है क्योंकि विना अनुभव से ज्ञान अंधेरे रास्ते में चलते हुए ठोकर खाते हुए मंजिल में न पंहुचना है। अनुभव के विना ज्ञान अच्छी तरह सफल नहीं हो सकता जानकारी अनुभव से सार्थक हो सकता है।
- हीरा सिंह कौशल
 मंडी - हिमाचल प्रदेश
अनुभव से प्राप्त ज्ञान की बहुत सार्थकता है क्योंकि अनुभवी व्यक्ति हर परिस्थिति को स्वयं भोगता है ।उसके भले और बुरे परिणाम का साक्षी होता है ।उसे विषय का पूरा ज्ञान होने के कारण ही वह दूसरों को ज्ञान देने योग्य बनता है ।इसलिए अनुभव से प्राप्त ज्ञान ही सार्थक कहा जा सकता है ।
- सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
अनुभव से प्राप्त ज्ञान की. सार्थकता है, जब हम उससे किसी जरूरतमंद की,उसके द्वारा मांगे जाने अधवा उसकी मूक अपेक्षा पर  मदद करते हैं।
-  डा. चंद्रा सायता
 इंदौर - मध्यप्रदेश
"अनुभव वह नहीं, जो मनुष्य के साथ घटता है। अनुभव वह है; जो मनुष्य उन घटनाओं के निचोड़ से सीखता है।" अनुभव भी दो प्रकार के होते हैं सुखद अनुभव और दुखद अनुभव। हमारा जीवन विभिन्न घटनाओं से जुड़े अनुभवों की श्रंखला है; जिनमें सुख-दुख, उतार-चढ़ाव, प्रसन्नता- विक्षोभ, जीत- हार की अनुभूतियां अनुभव होती हैं। यह जीवन घटनाओं के प्रभाव के चलते कभी तो लाचारी तो कभी विपरीत चलने में थकान महसूस करता है; जिसके फलस्वरूप तनाव, चिंता, कुंठा, निराशा, असफलता, हताशा का सामना करके मनुष्य ऐसे निष्कर्ष पर पहुंचता है; जहां प्रथम तो उसे अनुभवों से अपनी गलतियों को न दोहराने का ज्ञान होता है; साथ ही कार्य के प्रति सजगता, कार्य- कुशलता में वृद्धि, स्वयं तथा दूसरे के लिए दिशा- निर्देशन में सार्थक होते  हैं ।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
जी हाँ ! अनुभव से प्राप्त ज्ञान की  सार्थकता है 
हमें सर्प्रथम अनुभव के बारे में जानना होगा । जब हम किसी भी काम को करते हैं । चाहे उसमें हममें सफलता मिले  या नहीं मिले । उस काम करने से हमें जो व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त हुआ । वह अनुभव कहलाता है । अगर हम उस काम को करेंगे ही नहीं तो हमें अनुभव नहीं मिलेगा ।उदाहरण के तौर पर जैसे मैने शिक्षिका की पूरी डिग्री ले के शिक्षिका बनना चाहती हूँ । तो जब मैं विद्यालय में छात्रों को पढ़ाऊँगी । तो वह मेरे शिक्षिका के रूप में मेरा अनुभव होगा । आज कहीं भी हम नोकरी करने के लिये जाते हैं । तो इंटरव्यू  में यही पूछते हैं । तुम्हें इस काम का क्या अनुभव है ?  जिसे अपने काम के फील्ड का अनुभव होता है । वह संस्था उस व्यक्ति को फाटक से नोकरी या काम दे देती है । जी हाँ , ! अनुभव से प्राप्त ज्ञान की  हमारे जीवन में यही  सार्थकता है और जीवन के लिए फलदायी होता है । अनुभव के द्वारा हम कठिन काम आसान बना सकते हैं । अनुभव ज्ञान प्राप्त करने के लिए हमें गुरु की
आवश्यकता होती है । किसी सन्त ने कहा है 
" गुरु बिन मिले न युक्ति , बिन युक्ति मिले  न मुक्ति ।  " 
उदाहरण के तौर पर 15 वीं सदी की बात है ।कबीरदास जी रामानन्द जी को अपना गुरु बनाने चाहते थे । इसके  लिए कबीर ने युक्ति सोची ।बनारस के पंचगंगा के घाट की सीढ़ी  पर भोर में लेट गए और रामानन्द जी गंगा स्नान के लिए आए तो अँधेरे में उनका पैर कबीर के शरीर पर पड़ गया । रामानन्द जी मुँह से राम शब्द निकला इसी शब्द राम को कबीर ने दीक्षा मन्त्र मान  लिया । गुरु के ज्ञान अनुभवों को कबीर ने अपने जीवन के साथ समाज को सार्थक किया । कोई भी सदी कबीर को नहीं भूली । आज 21 वीं सदी में कबीर के चिंतन  अनुभवों  में पिरोया ज्ञान इस सदी के लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है ।आज विश्व गाँधी जी को युग पुरुष के रूप मनाता है ।
उनके जीवन दर्शन का अनुभव आज भी प्रासंगिक है ।
देश - विश्व उनके अनुभवों से लाभ उठा रहे हैं । हम आज अपने पूर्वजों के अनुभव का लाभ उठाएँ ।उन्होंने हमें मिलकर रहना , एकता , भाईचारे , विश्वबंधुतत्व का पाठ पढ़ाया । हमारी भारतीय संस्कृति इन्ही तत्वों को मनाती है । जल संकट विश्व और भारत में छाया हुआ है । जल संकट दूर करने के लिए हमारे  पूर्वजों के अनुभवों का प्रयोग जैसे वाटर हार्वेस्टिंग प्लांट लगा के जल समस्या को निदान मिल रहा है । 
अंत में अनुभवों से प्राप्त ज्ञान से पीढ़ी दर पीढ़ी को सशक्त , सबंल , आत्मनिर्भर , स्वाबलंबी हम बना सकते हैं ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
अनुभव तो ऐसा गुण है, जो मेहनत करने वालों को ही मिलता है । समाज के प्रति जागरूक रहने वाले ही इस का ज्ञान प्राप्त कर पाते हैं । इसका संबंध किताबों और डिग्रियों से कतई नहीं है । यह ज्ञान परिस्थिति को अपने काबू में करने के लिए बहुत जरूरी है । जीवन के युवावस्था से ही इसकी जरूरत पड़ती है । इसलिए बुजुर्गों को साथ रख कर उनके इस ज्ञान का उपयोग करना चाहिए ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
मानव जीवन के सम्पूर्ण जीवन काल का यदि हम अध्ययन करें तो यह हमारा यह मानव जीवन पल, प्रतिपल गत बर्षों के खट्टे, मीठे अनुभव के खजाने से मिले ज्ञान के आधार पर ही सफल और सार्थक हो पाता है | अपने माता,पिता की अँगुली थामे बच्चा जब प्रथम कदम इस धरा पर रखता है |
 तब वह अनेक बार गिरता सम्भलता है | बार बार गिरने, चलने, सम्भलने के अनुभवों से अति शीध्र ही वह दृढ़ कदमों को रखते हुए चलना, भागना, दौड़ना सीख जाते हैं | 
इसी प्रकार जब किशोरी रसोईघर में अपनी दादी माँ या माता के साथ खाना बनाना सीखना प्रारम्भ करती है |तब वह आड़ी,गोल,चौड़ी  तिरछी,त्रिभुजाकार ,बेलनाकार रोटी बनाते, बनाते अनुभव के आधार पर कुछ ही समय में गोल, मटोल, मुलायम, स्वादिष्ट रोटी बनानी सीख जाती है | चाहे, कोई भी मनुष्य क्यों न हो, वह मनुष्य कार्य को करने से उस कार्य को करने में मिले अनुभव के आधार पर ही प्रयत्नपूर्वक किये गये कार्य को और बेहतर ढंग से अंजाम देते हैं | कुछ गल्तियों को करते हुये और उस गलती से सीख लेकर आगे गलती न दोहराने के दृढ संकल्प का आश्रय लेने वाले उस व्यक्ति का जीवन सफल एवं सुखद बन जाता है | किसी भी कार्य को करने के लिए बार, बार किये गये अभ्यास के आधार पर मिले अनुभव के द्वारा ही व्यक्ति का जीवन सफल और सार्थक बन जाता है |
" करत, करत अभ्यास के जडमति होत सुजान |
रसरी आवत जात ते सिल पर पडत निसान |" 
-  सीमा गर्ग मंजरी 
मेरठ - उत्तर प्रदेश
अनुभव ज्ञान की कुंजी है यह कहना गलत नहीं होगा। ज्ञान हम कई स्रोतों से प्राप्त करते हैं। आज के तकनीकी युग में तो ज्ञान प्राप्त करने के कई स्रोत हैं। अनुभव उन स्रोतों में से सबसे जीवंत, महत्वपूर्ण और सार्थक स्रोत है। अनुभवों से मिला ज्ञान स्थायी होता है और हमारे मस्तिष्क में सदा के लिए संग्रहित हो जाता है। कुछ ज्ञान हमें स्वयं के अनुभवों से मिलता है कुछ ज्ञान हमें अपने घर के बुजुर्गों से, माता-पिता से, संबंधियों से, बहन- भाइयों, परिचितों यहाँ तक कि अपरिचितों से भी मिलता है। अनुभवों से मिला ज्ञान व्यावहारिक जीवन में बहुत उपयोगी सिद्ध होता है। कभी-कभी हम बातचीत में, समझाने में कहावतों और मुहावरों का उपयोग करते हैं, तो इन मुहावरे और कहावतें के पीछे भी हमारे पूर्वजों के जीवन के अनुभव जुड़े हुए है। उन्हीं अनुभवों के चलते कहते-कहते ये कहावतेंऔर मुहावरे बन कर कब ज्ञान के स्रोत बन गये ये किसी को नहीं पता। पर जीवन में ज्ञान देने की इनकी सकारात्मक और सार्थक भूमिका है...यह तो सभी मानते हैं। मेरा तो मानना है कि हर व्यक्ति को अपने घर के, बाहर के जो भी बुजुर्ग उसके जीवन में आते हैं, उनके और अपने अनुभवों को पहले डायरी में लिख कर संग्रह कर करना चाहिए और बाद में उसका संपादन करके पुस्तक का रूप देना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी उन अनुभवों से ज्ञान प्राप्त कर अपने जीवन में उसका लाभ उठा सकें। अनुभव तो जीवन की ऐसी पुस्तक है इसे जितना पढ़ोगे और जितनी बार पढ़ोगे उसके हर बार नये अर्थ निकलेंगे और वे ज्ञान से समृद्ध करेंगे।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
ज्ञान प्राप्त करने के तो कई स्त्रोत हैं किंतु अनुभव से ज्ञान प्राप्त करने के लिए स्वयं को भट्टी में झोकना पड़ता है । तपकर निखरे ज्ञान को तभी हम दूसरों के साथ बांटते हैं! 
जीवन में हार कर जीतने वाला ही अनुभवी कहलाता है और उस समय जो ज्ञान उसे प्राप्त होता है  वह अनुभवी ज्ञान दूसरे के लिए सार्थक सिद्ध हो सकता है  ! बचपन में बोलने खड़े होने से आगे तक के जीवन में कुछ हमारा अनुभव काम करता है और कुछ हमारे बुजुर्गो का! अनुभव का ज्ञान एक ही गलती को पुनः नहीं  दोहराता ! बड़े बुजुर्ग हमें अच्छे संस्कार देते हैं यदि हम उनके बताये गए मार्ग पर चलते हैं अथवा यों कहें के उनके अनुभव के ज्ञान का अनुसरण करें तो निःसंदेह उनकी तरह भट्टी में  तपकर खरे सोने की तरह चमकीला बना अपना जीवन सार्थक कर सकते हैं  ! अंत में  यही कहूंगी कि हमारे जीवन के हर क्षण हर पहलू मे अनुभव से प्राप्त ज्ञान की पूर्ण  रुप से सार्थकता है!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
व्यक्ति  अपने  जीवनकाल  में  कई  स्थितियों  / परिस्थितियों  से  गुजरता  है  ।  जन्म  से  जैसे  -जैसे  वह  बड़ा  होता  जाता  है,  उसके  अनुभवों  का  भंडार  भरता  जाता  है  । अच्छे  / बुरे  ये  अनुभव  उसे  सभी  क्षेत्रों  में  होते  रहते  हैं  जिनसे  वह  निरंतर  सीखता  रहता  है  ।  ठोकरें  खाता  है .....गिरता  है ......संभलता  है  और  फिर  चल  पड़ता  है  ।  अपनी  ठोकरों  से .....गलतियों  से  सबक  लेता  है  जिन्हें  वह  दोबारा  दोहराने  से  बचता  है  जैसे--' दूध  का  जला  छाछ  को  भी  फूंक- फूंक  कर  पीता  है  ।'  साथ  ही  वह  अपने  परिवारजनों  व  अन्य  को  नसीहतें  भी  देता  है  ताकि  वे  संभल  जाएं .....गलतियां  न  करें  । 
         अनुभव  से  प्राप्त  ज्ञान  प्रयोगशाला  में  प्रयोग  करके  देखने  के  समान  है  क्योंकि  ये  करके  देखा  जाता  है  जिसके  कारण  इस  प्रकार  सीखा  हुआ   स्थायी  होता  है  ।  यही  स्थिति  अनुभव  से  प्राप्त  ज्ञान  की  होती  है  और  यही  इसकी  सार्थकता  है  । 
            - बसन्ती पंवार 
              जोधपुर - राजस्थान 
अनुभव  रूपी  ज्ञान  हर समस्या  की कुंजी  है। ज्ञान  दो तरह के होते  है एक व्यवहारिक  ज्ञान दूसरा किताबी  ज्ञान 
मानव  जीवन  का हर मोड  पर  अनुभव  अपना रंग  दिखाता  है ।बच्चे  को जब  गरम  चीजो  को  छूने  से  मना करिये  तो मानेंगे  नही  फिर  उन्हे  सटा  कर  अनुभव  करा  दे  तो  उनकी  आदत  बदल जाती  है। यह व्यवहारिक  ज्ञान  से वे बहुत  कुछ  सीख  जाते  है उसी प्रकार  जीवन  के  हर मोड पर अनुभव  से  सीखते  रहते है अनुभव  मौखिक  लिखित  और कार्मिक  और आथिर्क  होते  है 
इन  अनुभव  से ही  तो  पुस्तको  की रचना  हुई  आज  पुस्तकालय  पीढियो  से रची  गई  पुस्तको  का संग्रह  है  
कितने बार  तो  अनुभव  रूपी  ज्ञान  जीवन  दान  दिया  है
बडे बडे  अनुसंधान  अनुभव  के ही तो परिणाम  है 
इसलिए अनुभव  का  महत्व  100%सार्थक  है
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
अनुभव से प्राप्त  ज्ञान ज्यादा हीं सारगर्भित होता है ।हम सभी जानते हैं कि अनुभव से परिपक्वता आती है , इसलिए  अनुभव हमारे जीवन का सार होता है । हम अपने जीवन में बहुत  कुछ अनुभव से ही सीखते हैं,और दूसरों को भी   अपने प्राप्त हुए अनुभव से ही ज्ञान बांटते हैं ।  दादा,,नानी के अनुभव ज्ञान का सभी को लाभ होता है । इसलिए अनुभव से प्राप्त  ज्ञान की सार्थकता हमारे लिए अनमोल,, अमूल्य है जो हमें आजीवन राह दिखाते हैं ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
अनुभव से प्राप्त ज्ञान की सार्थकता सर्वोपरि है । कोई भी कार्य करने के पश्चात उसके सही गलत का जो ज्ञान प्राप्त होता है उसे ही अनुभव कहते है । एक अनुभवी व्यक्ति ही आप को किसी कार्य के लिए आपका सही दिशा निर्देशन कर सकता है । हर परिस्थिति से मजा हुआ व्यक्ति ही अनुभवी होता है, क्योकि वह स्थिति को समझने में माहिर हैं ।
अनुभव से प्राप्त ज्ञान ही ज्यादा सार्थक सिद्घ हुआ है ।
- डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'
  मुम्बई - महाराष्ट्र
ज्ञान का एकमात्र स्रोत तो अनुभव ही है। युगों-युगों से कितने ही लोग, अपने अनुभवों की पूँजी को किताबों, उपदेश-प्रवचनों, कहानी-किंवदंतियों के माध्यम से प्रसारित करते रहे हैं जिनके प्रकाश में बढ़ता हुआ इन्सान इसमें अपने अनुभव घोलता, बड़ा होता है। सपनों में या तप-तपस्या से ज्ञान प्राप्ति की जो बातें होती हैं, मुझे लगता है वे भी चेतन-अचेतन अवस्था में हुए वे अनुभव ही होते हैं जो  मानस की उलझी हुई वीथियों में कहीं मौजूद होते हैं, हमारे अंजाने ही उसपर मनन कर, गहन सोंच से उत्पन्न निष्कर्ष को हम अचानक उद्घाटित कर लेते हैं।
- श्रुत कीर्ति अग्रवाल 
पटना - बिहार 

     " मेरी दृष्टि में " सभी प्रकार के ज्ञान के लिए अनुभव जरूरी है । बिना अनुभव के कोई भी ज्ञान सार्थक नहीं हो सकता है । इसलिए कम्पनियों में  बड़ी - बड़ी डिग्रियों के साथ अनुभव की मांग रखीं जाती है । अनुभव की सार्थकता सबसे ऊपर मानी जाती है ।
                                           - बीजेन्द्र जैमिनी

बीजेन्द्र जैमिनी 
फोटो : 10 अगस्त 1988



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