क्या संघर्ष हमारे जीवन का सबसे बड़ा वरदान सिद्ध होता है ?
बिना संघर्ष के जीवन भी अधूरा है । संघर्ष से पता चलता है कि दुनियां कैसी है ? संघर्ष से व्यक्तित्व में निखार आता है । संघर्ष ही हमें जीवन में वो ताकत देता है । जिससे जीवनभर सफलता प्राप्त करने के इरादे को मजबूती प्रदान होती हैं । जिसने संघर्ष नहीं किया है । वह सफल इंसान नहीं हो सकता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । और हमें संघर्ष से कभी नहीं घबराना चाहिए । इससे जीवन के हर क्षेत्र में सफलता की राह दिखाई देती है । अब चर्चा पर आये विचारों को देखते हैं :-
"संघर्ष हमारे जीवन का सबसे बड़ा वरदान सिद्ध होता है " ये शत-प्रतिशत सही है ।प्रत्येक प्राणी मात्र ईश्वर की ऐसी अद्भुत रचना है जो बिना संघर्ष के जीवन यापन नहीं कर सकता ।हाँ इसकी मात्रा कम या अधिक अवश्य हो सकती है ।जीवन 'अग्नि पथ ' है और बिना परिश्रम, बिना संघर्ष इसका आनंद लेना असंभव है ।बिना श्वेत रक्त बहाए हमें वरदान नहीं मिल सकता । एक अजन्मा बच्चा भी संसार में आने के लिए माँ के पेट में नौ महीने संघर्ष करता है तभी पूर्ण अंग प्राप्त होते हैं और जन्म के समय भी वही संघर्ष के साथ दुनिया में प्रवेश करता है ।यहीं से प्रारंभ हो जाती है संघर्ष की कहानी ।मनुष्य ही नहीं बल्कि समस्त प्राणी जल, थल और नभ पर विचरण करने वाले जीव को दाना-पानी के लिए दूर-दूर भटकना है कि पड़ता है ।यहाँ तक कि पेड़ -पौधे भी संघर्ष कर धरती को चीरकर प्रकृति में आ पाते हैं ।जंगल के प्राणी भी अपने शिकार के लिए दूर-दूर तक छलांगें भरते हैं ।
इतिहास गवाह है कि आज हम जिस मुकाम पर भी हैं वो सभी के संघर्ष का ही परिणाम है ।हमारी सफलता का एकमात्र आधार संघर्ष ही तो है ।हर व्यक्ति अपने-अपने तरीके से संघर्ष करते हुए जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं ।यही हमारी "किस्मत की चाबी है।"
- सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
"संघर्ष ही जीवन है" संघर्ष बिना जीवन का कोई मोल नहीं जीवन में प्रत्येक इंसान को अपने कर्मों अनुसार संघर्ष करना ही पड़ता है और जो हम संघर्ष करते हैं उसी के आधार पर हमें उसका फल मिलता है। क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के संघर्ष अलग-अलग होते हैं।और हर व्यक्ति को अपने संघर्षों का सामना परिस्थितियों के अनुसार करना पड़ता है। चिड़िया को भी घोंसला बनाने के लिए तिनके एकत्र करने पड़ते हैं।तभी जाकर वह अपने लिए वअपने बच्चों के लिए सुरक्षित स्थान बना पाती है।उसे भी संघर्ष करना ही पड़ता है इसलिए संघर्ष ही हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जिस प्रकार हम संघर्षों को करते हैं उसी प्रकार उसके अनुरूप ही हमें वह वरदान के रूप में प्राप्त होता है इसलिए संघर्ष हमारे जीवन का वरदान सिद्ध होता है।
- वंदना पुणतांबेकर
इंदौर - मध्यप्रदेश
जीवन संघर्ष का दूसरा नाम है
हाँ जी संघर्ष ही जीवन है ।
संघर्ष! यह एक ऐसा अनुभव है जिससे शायद ही दुनिया का कोई व्यक्ति वंचित हो। हमें बचपन से सिखाया जाता हैं कुछ भी पाने के लिए संघर्ष करना ही पड़ता है। बिना इसके कभी कुछ हासिल नहीं होता। समाज में प्रतिष्ठा, नाम-शोहरत, रुपया-पैसा, तरक्की या फिर पढ़ाई में अव्वल होना हो, चाहे जो भी लक्ष्य हो उसे प्राप्त करना बिना संघर्ष के संभव नहीं।
इसमें कोई दोराह नहीं की संघर्ष जीवन को तराशता है, निखारता है, सँवारता है और फिर हमें ऐसे साँचे में गढ़ता है जिसकी प्रसिद्धि दुनिया करते नहीं थकती। शायद यही वो मुकाम होता है जिसके लिए मनुष्य अथक प्रयास करते जाता है जिसे हम संघर्ष कहते हैं। इसके पश्चात जो सफलता प्राप्त होती है निसंदेह वो अतुलनीय होती हैं। संघर्ष ही है सफलता की कुंजी । संघर्ष जीवन के उतार-चढ़ाव का अनुभव कराता है, अच्छे-बुरे का ज्ञान करवाता हैं, सतत सक्रिय रहना सिखाता है, समय की कीमत सिखाता है जिससे प्रेरित होकर हम सशक्तिकरण के साथ फिर से अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित होते है और जीवन जीने के सही तरीके को सीखते हैं। दुनिया का हर व्यक्ति जीवन में सफलता की उम्मीद करता हैं जिसके लिए वो अथक प्रयास भी करता है। कई बार कुछ अलग करने की चाह और प्रबल प्रेरणा से व्यक्ति अपने मुकाम के करीब पहुँच भी जाता है लेकिन कुछ कठिन संघर्ष को सामने देख सफलता से वंचित हो जाता है।
वे नहीं जान पाते की उनके साथ ऐसा क्यों होता है जिस कारण उनके सपने अधूरे रह जाते है और जीवन के अंतिम पलों तक उनकी इच्छाएँ आधी-अधूरी रह जाती है। ऐसी इच्छाएँ उन्हें अपने जीवन से निराश करती है क्योंकि अधिकांश लोग अपने संपूर्ण जीवन में यह जान ही नहीं पाते की सफलता कैसे हासिल हो। जीवन ‘संघर्ष’ का दूसरा नाम हैं। एक बात हमेशा याद रखिए, अपनी मंजिल का आधा रास्ता तय करने के बाद पीछे ना देखे बल्कि पूरे जुनून और विश्वास के साथ बाकी की आधी दूरी तय करे, बीच रास्ते से लौटने का कोई फायदा नहीं क्योंकि लौटने पर आपको उतनी ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुँच सकते है। आगे बढ़कर भी अगर सफलता ना मिल पाई तो भी कोई बात नहीं कम से कम अनुभव तो नया होगा। बार-बार हार के भी हिम्मत के साथ अपने टारगेट की तरफ कदम बढ़ाना ही संघर्ष है। अपनी हर असफलता से कुछ सीखिए और निडरता के साथ संघर्ष का दामन थाम के मंजिल की ओर आगे बढ़िए।
जब तक जीवन में संघर्ष नहीं होता तब तक जीवन जीने के अंदाज को, सच्ची खुशी को, आनंद को, सफलता को अनुभव भी नहीं कर सकते। जिस तरह बिना चोट के पत्थर भी भगवान नहीं होता। ठीक उसी तरह मनुष्य का जीवन भी संघर्ष की तपिश के बिना ना तो निखर सकता है, ना शिखर तक पहुँच सकता है और ना ही मनोवांछित सफलता पा सकता है। क्योंकि ”संघर्ष हमारे जीवन का सबसे बड़ा वरदान है और वो हमें सहनशील, संवेदनशील और देवतुल्य बनाता हैं।” संघर्ष के इस सूत्र को समझिए और उसपर चलने की कोशिश कीजिए। यकीन मानिए आप जीवन को एक अलग रूप से देखने लगेंगे।
”इच्छाशक्ति + स्थिरता = संकल्प, संकल्प + कड़ी मेहनत (संघर्ष) = सफलता”
आप सोच रहे होंगे यह सब पढ़ना या लिखना बहुत आसान है लेकिन करना बहुत ही मुश्किल! जीवन कभी भी आसान नहीं होता। सरलता व सहजता से कभी किसी को कुछ हासिल नहीं हुआ। इतिहास गवाह है इस बात का आज भी लोग महान और सफल लोगों को उनके संघर्ष से उन्हें याद करते है। संघर्ष से डर के जीवन में अपने कदमों को पीछे मत कीजिए। आज का संघर्ष आपके कल को सुरक्षित करता है। आप जिस तरह का संघर्ष करते है भाग्य भी उसी के अनुरूप फल देता है। यह सत्य है जीवन में कई बार बुनियादी, सामाजिक, पारिवारिक आदि समस्याएँ आ जाती है तब लक्ष्य के प्रति संघर्ष की इच्छाशक्ति को बनाए रखना मुश्किल हो जाता है क्योंकि ऐसी परिस्थिति में जीवन का संघर्ष कई गुणा बढ़ जाता है।
लेकिन ऐसी स्थिति में भी सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति अपनी आंतरिक इच्छाशक्ति की ताकत और शारीरिक व मानसिक क्षमता के बल पर किसी भी संघर्ष से जूझ सकता है बस उसमें अपने लक्ष्य के प्रति ललक होनी चाहिए। क्योंकि ”जितना कठिन संघर्ष होगा, जीत भी उतनी ही शानदार होगी।”
संघर्ष ही प्रकृति का नियम है –
जो व्यक्ति प्रकृति के इस नियम को समझ जाता है वह जीवन में सफल हो जाता है, क्योंकि सफलता का सफर असफलता से शुरू होता है। इसलिए असफलता को चुनौती समझकर स्वीकार करे और दुगनी ताकत के साथ असफलता को सफलता में बदलने का अथक प्रयास करते रहे। जो असफलता से डर जाता है वह कभी संघर्ष नहीं कर सकता।
प्रकृति ने संघर्ष की प्रक्रिया को इसलिए ही इतना कठिन बनाया है क्योंकि बिना कठिन परिश्रम के हम उतने मजबूत कभी नहीं बन सकते जितनी हमारी क्षमता है। अगर बिना जतन के ही सब कुछ मिल जाए तो क्या हम अपंग का जीवन जीना पसंद करेंगे? शायद नहीं!!
जिन लोगों को विरासत में सब कुछ मिलता है उन लोगों को भी इस विरासत को सहेज कर रखने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। विरासत बनाने के लिए किसी पीढ़ी ने तो संघर्ष किया होता है ।आपका आज का संघर्ष आपके कल को यानी आपके बाद की पीढ़ी को सुरक्षित करता है।
इसलिए जीवन के कठिन पलों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखिए, फिर आपको जीवन की उड़ान कितनी सरल, सफल व सहज नजर आएगी। आप कुछ ऐसा सीख जाएँगे की दुनिया को मिसाल की तौर पर सिखा जाएँगे।
जीवन हमारा है तो निश्चित तौर पर संघर्ष भी हमारा ही होगा इसलिए कोशिश करे संघर्ष से हारकर कभी किसी की मदद ना लेनी पड़े। मदद इंसान को दूसरों पर आश्रित कर देती है। स्वयं की सोच और विश्वास पर अंकुश का ताला लगा देती है। आश्रित व्यक्ति का कोई अपना वजूद नहीं होता।
स्वयं के प्रयासों से सफलता को प्राप्त कीजिए फिर महसूस कीजिए संघर्ष क्यों जरूरी था। अगर एक बार संघर्ष के दौरान सहायता की लत लग गई तो आप हमेशा सहारा ही खोजेंगे। यह कभी ना भूले सफलता की सीढ़ी संघर्ष से होकर गुजरती है सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। यह कहावत गलत नहीं की संघर्ष के बाद मिली सफलता अधिक टिकाऊ होती है। कही आप अपनों को अपाहिज तो नहीं कर रहे उनके संघर्ष में उनकी मदद करके। मदद कीजिए अपना साथ देके, अपना विश्वास दिखा के, उनका हौसला बढ़ा के और जब सही समय आए तब अपने तरीके से उनकी मदद कीजिए। आप देखेंगे इस दौरान आपके अपने भी उतनी ही मजबूती से खड़े है जीतने की आप। संघर्ष आपको और आपके अपनों को जीना सिखाता है, जीवन के कई रंग दिखाता है, कठिनाइयों से पार पाना सिखाता है, अनुभवी बनाता है और सबसे जरूरी जमीन से जुड़े रहना सिखाता है। जीवन में कुछ ठान लो तो जीत है और मान लो तो हार है। अगर आप चाहते है की समाज आपको एक आदर्श उदाहरण के रूप में याद रखे तो आपको आज और अभी से यह अमल करना होगा की सफलता की इमारत संघर्ष की नींव पर टिकी होती है। महाभारत के युद्ध में श्री कृष्ण अगर पांडवों की मदद करते तो क्या आज हम पांडवों को याद रखते, शायद नहीं!! जबकि श्री कृष्ण चाहते तो पांडवों की मदद कर उन्हें जीवन में कोई संघर्ष करने ही नहीं देते। जीवन में सफलता उसी को मिलती है जिसने संघर्षो से जूझना सीखा है। भगवान श्री कृष्ण ने भी गीता में कहा है – “जीवन एक संघर्ष है एंव इसका सामना प्रत्येक व्यक्ति को करना पड़ता है।”
जीवन एक बार मिलता है बार-बार नहीं। कई लोग अपने इस जीवन में सफलता के झंडे गाड़ देते है तो कइयों का अपना कोई वजूद ही नहीं होता। आप स्वयं तय कीजिए आपको कैसा जीवन जीना है एक सफल व्यक्ति की तरह का या एक चलती भीड़ का हिस्सा बनना है। मंजिल आपकी है तो चुनाव भी आपका ही होगा।
एक सलाह है- कुएं के मेढक की तरह का जीवन कभी ना चुने जो पूरी जिंदगी कुएं में बिना उफ के गुजार देता है और इस दुनिया से चला जाता है। आपका जीवन आपका है सपने देखिए, स्वयं की परवाह करे और दृढ़ संकल्प के साथ अपने सपनों को साकार कीजिए। आपकी खुशी ही संघर्ष की जीत है। अगर आपके जीवन में कोई संघर्ष नहीं है तो समझ लीजिए की कोई प्रगती भी नहीं हैं।
“अधिकतर लोग ठीक उसी समय हार मान लेते है, जब सफलता उन्हें मिलने वाली होती है। विजय रेखा बस एक कदम दूर होती है, तभी वे कोशिश करना बंद कर देते है। वे खेल के मैदान से अंतिम मिनट में हट जाते है, जबकि उस समय जीत का निशान उनसे केवल एक फुट के फासले पर होता है।” क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। –
”जिस संघर्ष में आज आप हैं वो आपके कल के लिए ताकत विकसित कर रहा है।”
- डॉ. अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
संघर्ष हमारे जीवन का कष्टदायक समय होता है।लेकिन सर्वदा यह हमारी आंतरिक एवं बाहरी शक्ति को बढ़ाने वाला तथा हमारी कार्य क्षमता की वृद्धि करने वाला सिद्ध होता है ।अतः संघर्ष को अपने जीवन का सबसे बड़ा वरदान भी समझ सकते हैं ।पर यह हमारी परीक्षा की घड़ी भी होती है और मुश्किल भरी भी।अगर हम इसमें उतीर्ण हो जाते हैं तो हममें विजयी होने की अनुभूति तो होती ही है साथ में हमारे पास आत्मविश्वास और जीवन की विषम परिस्थितियों का सामना करने की हिम्मत भी होती है ।
- रंजना वर्मा
रांची - झारखण्ड
संघर्ष हमारे जीवन का वरदान इसलिए भी है कि इसके बिना जीवन का वास्तविक आनंद भी नहीं ।संघर्ष करने से न केवल मानव अपने कार्य को सिद्ध करने में समर्थ होता है साथ ही कार्य करने की क्षमता बढ़ती है ।सफलता के लिए नयी नयी संभावनाएं जन्म लेती है ।हम फल प्राप्ति के और समीप आ जाते हैं ।अतः यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि संघर्ष हमारे जीवन का वरदान है ।
- शशांक मिश्र भारती
शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश
संघर्ष अपने अस्तित्व को कायम रखने के लिए हो सकता है, दो व्यक्तियों के बीच हो सकता है , प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाये रखने के लिये हो सकता है ऐसे ही बहुत सारे अवसर आते हैं जब सफलता के लिए हमें जूझना पड़ता है । संघर्ष के दौरान व्यक्ति की छिपी हुयी प्रतिभा बाहर आती है । वह पूरे मनोयोग से अपना शत प्रतिशत खुद को साबित करने में लगा देता है । जिस तरह सोने की धातु से आभूषण बनाने के लिए सोने को भट्टी में तपाना पड़ता है और इसी तरह हीरे में भी चमक लाने हेतु उसे तराशना होता है ।
कुम्हार भी मिट्टी से घड़ा बनाते समय उसे ठोक पीट कर सही आकार देता है और फिर उसे आग में पका कर मजबूत बनाता है । इसी तरह जल प्रपात बनाने हेतु नदियों को पत्थरों का सीना चीर कर उसके पार जाना होता है । कहने का अर्थ ये है कि संघर्ष जीवित, निर्जीव सभी के लिए समान रूप से आवश्यक है ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
जीवन की सबसे बड़ी वास्तविकता यह है कि संघर्ष ही जीवन को सुदृढ़ और मूल्यवान बना देती है। कठिन से कठिन कार्यो को संघर्ष के द्वारा ही सफलता प्राप्त हुई है । जितना कठिन परिश्रम उतना ही सुखमय जीवन। बिना तपस्या के सिद्धि प्राप्त नही होती। इस बात का इतिहास भी गवाह है। कर्म तो करना ही पड़ेगा, और सफल होना ही जीवन का सबसे बड़ा वरदान है ।
*सफलता प्राप्त करना ही*
*सदा उद्देश्य है जिसका*
*वही काँटो पे चलता है*
*करे इंतजार जन उसका।*
- डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'
मुम्बई - महाराष्ट्र
जीवन के साथ संघर्ष जुड़ा हुआ समझना ,समझदारी ही नहीं जागरूकता भी है।जीवन का रूप कोई और कैसा भी हो,संघर्ष सन्निहित होता है। संघर्ष की परिस्थिति ,मनःस्थिति और अवधि भी अलग-अलग होती हैं।
संघर्ष मजबूत भी कर सकता है और कमजोर भी। थकित और व्यथित भी कर सकता है और प्रसन्नचित भी।
संघर्ष से परिपक्वता ,बलिष्ठता और निपुणता आती है।
संघर्ष के लिये समझाइश भी दी गई है,ढाढ़स भी बंधाया जाता है कि इस स्थिति में धैर्य रखना आवश्यक होता है क्योंकि संघर्ष के परिणाम सुखद और अच्छे निकलते हैं,सफलता देते हैं और तो और वरदान भी साबित हो सकते हैं।
कविवर मैथिली शरण गुप्त जी ने अपनी कृति "पंचवटी" में एक प्रसंग में कहा भी है-
"जितने कष्ट कंटकों में है
जिनका जीवन सुमन खिला।
गौरव ,गंध उन्हें उतना ही
यत्र,तत्र,सर्वत्र मिला।।
अतः संघर्ष से न घबराते हुये, उत्साह, हिम्मत,लगन और हौसला बनाये रख स्थिति और परिस्थितियों से निपटना चाहिए।परिणाम और विकल्प सुखद मिलेंगे।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
संघर्ष ही जीवन है पैदा होने के लिए भी एक संघर्ष करना होता है स्वंय को जीवित रखने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। निरन्तर किए गए प्रयास ही संघर्ष है। इस प्रयास मे यह आवश्यक नही है कि सफलता मिल ही जाए प्रयास मे जुटे रहना ही संघर्ष है कभी कभी मंजिल के निकट आकर हिम्मत हारने लगते है ऐसे समय मे एक परिपक्व motivator की जरूरत होती है ।हमे हमेशा याद रखना है सफलता की पायदान संघर्ष है कहा ही गया है कि अपने हौसले को यह मत बता कि तेरी समस्या क्या है ।अपनी समस्या को अवश्य बताओ कि तेरा हौसला क्या है । बिना संघर्ष के पत्थर भी भगवान् नही बनता तु तो एक मानव है
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
जीव जब जन्म लेता है वो क्षण भी संघर्षमय ही होता है। यह संघर्ष प्राणीमात्र के लिए एक समान ही होता है। जिस प्रकार ठहरे हुए पानी में काई जम जाती है उसी प्रकार उतार चढ़ाव के बिना जीवन भी मृतप्रायः है। यह सच है कि जो आसानी से मिलता है ,उसका महत्व हम नहीं समझते हैं। कठिनाइयों से गुजर कर जब मंजिल मिलती है तो वह अद्भुत आनंद देती है । संघर्ष यकिनन वरदान है क्योंकि तब हम अपनी भीतरी ताकत, आत्मिक बल और सहनशीलता को एक कर के आगे बढ़ते हैं। संघर्ष के समय मनुष्य का पूरा ध्यान काम की सफलता पर होता है। नकरात्मकता ,उदासी, अकेलापन, भावनाओं में बहना, दीवा स्वपन सब हमें बेकार लगते हैं । लक्ष्य सर्वोपरि है। कहते हैं ईश्वर सोने को ही तपाता है। हिम्मत वाले को ही कष्ट देता है इसीलिए यह वरदान सहर्ष स्वीकार है।
- ड़ा.नीना छिब्बर
जोधपुर - राजस्थान
"सच है महज संघर्ष ही" कहकर कवि ने जीवन की सत्यता को स्वीकारा है.कुछ ऐसा ही विचार मेरा भी है.आठों याम निरंतर चलते रहने का क्रम ही सक्रियता का परिचायक है. मानव के जीवन में सुख दुःख, शुभ लाभ,हर्ष गम सभी की अवस्थिति जरूरी है. शैशव,यौवन और बुढ़ापा सभी अवस्थाओं में कर्मशील रहकर उत्तरदायित्वों का निर्वहन करना भी संघर्ष का ही पर्याय है. संत महात्मा बनकर जग के मोह को त्यागना,आत्महत्या करके जीवन के जोखिम से पिंड छुड़ा लेना आसान तो है,लेकिन संघर्षशील जीवन से मुंह मोड़ना भी है.संघर्ष के बिना हमारा व्यक्तित्व परिमार्जित हो ही नहीं सकता है.सचमुच यह वरदान ही है
- डाँ. अजू लता सिंह
दिल्ली
जीवन है तो संघर्ष है ! इसमे कोई दो राय नहीं है संघर्ष ही जीवन है! जो भी जीवधारी पृथ्वी पर आता है उसे अपनी आपूर्तियों को पूर्ण करने के लिए संघर्ष तो करना ही है !
किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए जब हम संघर्ष करते हैं तब पूरी निष्ठा के साथ जुट जाते हैं !कठिन परिश्रम करने पर भी जब सफलता नहीं मिलती तब पुनः विश्वास और हिम्मत के साथ लक्ष्य प्राप्ति में जुट जाते हैं यदि फिर भी सफलता नहीं मिलती तो फिर लक्ष्य को प्राप्त करना हमारा ज़ुनून बन जाता है! असफल होने से हम कुछ खाते नहीं बल्कि हमें अनुभव प्राप्त होता है! संघर्ष यदि हमारा मूलधन है तो अनुभव हमे ब्याज के तौर पर मिलता है अतः हमें हार नहीं मानना चाहिए!
भीमराव आंबेडकर को जाति-भेद के कारण शिक्षा प्राप्ति के लिए कितना संघर्ष करना पड़ा !उनका एक ही लक्ष्य था उच्च शिक्षा प्राप्त करना ,कितनी कठिनाईयां आई किंतु उन्होंने हार न मानी! शिक्षा प्राप्त करना उनका ज़ुनून बन गया था!
कड़ी मेहनत, हिम्मत, आत्मविश्वास , ज़ुनून दृढसंकलपता, दृढनिश्चय और अपने अनुभव को साथ लेकर वे संघर्ष करते रहे और अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लिया! देश का संविधान भी उन्होंने लिखा! उनके द्वारा किया गया संघर्ष उनके लिए वरदान सिद्ध हुआ! इसी तरह कई उद्योगपति, कलाकार, फर्श से अर्श तक को चूमा है ! विज्ञान के क्षेत्र में भी चंद्रयान -2 की असफलता के बाद भी उन्होने संघर्ष जारी रखा है और अपने अनुभव के आधार पर सफलता प्राप्त करने की पूरी उम्मीद है! अब यह उनका जुनून बन गया है !यह सफलता अवश्य वरदान सिद्ध होगी!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
संघर्ष ही सुखमय जीवन का फल है |संघर्ष करके जो उपलब्धि प्राप्त होती है ,उसका स्वाद अद्भुत होता है |आसानी से या मुफ़्त में पाई गई सफलता का कोई मोल नहीं |चाहें वह धन ,शिक्षा ,पद ,प्रतिष्ठा,शोहरत या अन्य कुछ भी हो |मेहनत ,लगन से किया हर कार्य संतोषप्रद और सच्ची ख़ुशी प्रदान करता है |संघर्ष के ताप से मनुष्य निखर कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है | कई बार जीवन में संघर्ष करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती लेकिन उस असफलता से हम निडर,सहनशील,संवेदनशील बनते हैं|ये सच है कि ;यह सब लिखने,पढ़ने में अच्छा लगता है ,लेकिन संसार में कितने ऐसे उदाहरण हैं जिन्हें उनके संघर्ष ने ही सफल और महान बनाया है |कई बार जीवन में बुनियादी समस्याएँ आती है लेकिन यह भी सत्य है कि जितना कठिन संघर्ष होगा जीत भी उतनी ही शानदार होगी |
- सविता गुप्ता
राँची - झारखंड
संघर्ष ही जीवन है और जीवन ही संघर्ष है।
अगर जीवन का संघर्ष समाप्त हो जाएगा तो जिजीविषा खतम होने के साथ ही मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक शक्ति भी खतम होने लगती है। संघर्ष ही हमें विचार शील और प्रकृति से तादात्म्य रखने में मदद करता है। दैनिक जीवन की छोटी मोटी जद्दोजहद भी छोटे छोटे संघर्ष ही हैं जिनको समय पर ही निबटा दिया जाता है अन्यथा बड़ा संघर्ष का हिस्सा बन अशांति पैदा करता है । हर पल एक संघर्ष है और इसी संघर्ष में जीवन है।वस्तुतः संघर्ष जीवन का श्रृंगार है ।यह मानव को निखारता है।संतुलन बनाने में मदद करता है।
- मनोरमा जैन पाखी
भिंड - मध्यप्रदेश
जब जीवन है तो संघर्ष भी होगा और संघर्ष तभी होगा जब जीवन होगा। कहा जा सकता है कि जीवन और संघर्ष दोनों एक-दूसरे के जैसे पर्याय हैं। जीवन भी संघर्ष से ही आरंभ होता है। अपना अस्तित्व बनाये-बचाये रखने के लिए हर पल संघर्ष करना होता है। जितना बड़ा संघर्ष उतनी ही बड़ी सफलता! सोने को भी अपना रूप प्राप्त करने के लिए अग्नि में तपना पड़ता है। उसी तरह संघर्ष की अग्नि में तप कर व्यक्ति निखरता है, उसमें दृढ़ इच्छा शक्ति, संकल्प शक्ति विकसित होती है, उसका आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और वह अपने जीवन में बड़े निर्णय करने में सक्षम बनता है। संघर्ष के बाद मिली सफलता मूल्यवान होती है और जीवन के लिए निसंदेह वरदान सिद्ध होती है।संघर्षों से पीछे हटने वाला, डरने वाला कभी इसे वरदान के रूप में नहीं परिवर्तित कर सकता। जीवट वाला साहसी व्यक्ति ही संघर्षों से जूझने की शक्ति रखता है, जूझता है और सफलता के शिखर पर पहुँच कर उसे अपने जीवन का वरदान सिद्ध करने की चुनौती स्वीकार कर उसे पूरा करता है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
जीवन एक संघर्ष की कहानी ही है।
इसे लड़ते हुए जाना ही स्वयं का महत्व खोजना जैसा है
- नीतेश उपाध्याय
दमोह - मध्यप्रदेश
जब संघर्ष ही जीवन है तब संघर्ष शक्ति और प्रगति का भी पर्याय है। देखें तो--- चेष्टा, प्रयत्न, स्पर्धा सब के सब संघर्ष से जुड़े हैं ।यह संघर्ष वैयक्तिक और सामूहिक दोनों ही होते हैं ।जीवन के किसी भी क्षेत्र में बढ़ने के लिए हमें मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार से संघर्ष करना पड़ता है ।संघर्ष को वरदान का रूप देने के लिए संघर्षशील व्यक्ति को व्यक्तित्व में सुदृढ़ता, मौलिक- सिद्धांत ,नए सबल प्रभावोत्पादक विचार और भावनाएं जिससे संघर्ष के दौरान किम युक्तम किम अयुक्तम का जब उसे ज्ञान होगा तो वह सुख- दुख, लाभ- हानि, जय- पराजय, उन्नति- अवनति की स्थितियों में आसानी से सामंजस्य स्थापित कर लेगा। किसी ने कहा भी है---" जब-जब जग उस पर हंसा है/ तब तब उसी ने इतिहास रचा है "। किसी ने इसे इस तरह भी समझा जो कि सच है।
" जीवन में संघर्ष ही है जो हमें जिंदा होने का एहसास दिलाता है/ वरना संघर्ष खत्म होने का तो मौत भी इंतजार करती है।"
अत: संघर्ष हमारी जीवंतता का तथा जीवन में श्रेष्ठता हासिल करने का वरदान सिद्ध होता है
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
हां,,कुछ मामले में यह बिल्कुल सटीक बैठता है ।यह साधारण सी बात है कि यदि व्यक्ति को बिना प्रयास और परिश्रम के कुछ भी बैठे बिठाए मिल जाता है तो न हीं व्यक्ति विशेष उसकी कद्र करता है और न ही उसको उतना महत्व हीं देता है ,, लेकिन अगर वही चीज व्यक्ति संघर्ष से प्राप्त करता है तो वह उसको अपनी बहुत बड़ी उपलब्धि मानता है । संघर्ष हमारे जीवन में निरन्तर जारी रहता है और इसी कारण हम नित्य नई समस्याओं से जुझते है और सफलता की सीढ़ियों पर अविराम चढ़ते जातें हैं। जो हमारे लिए वरदान साबित होता है। सारांश में हम कह सकते हैं,,, "संघर्ष हीं जीवन है" । जीवन जीने का असली मजा संघर्ष से हीं मिलता है। संघर्ष ना हो तो जीवन की गति रूक सी जाती है मानों जैसे जल का बहाव हीं रूक जाए तो उस पानी से दुर्गंध भी आ सकती है । इसलिए हमारे जीवन का वरदान है ,, संघर्ष हीं है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
संघर्ष जीवन का अभिन्न अंग है।छोटा हो या बड़ा, अमीर हो या गरीब, मनुष्य हो अथवा सृष्ठि का कोई भी प्राणी,बिना संघर्ष नहीं जी पाता।यह अगर क्षमता के आंदर है तो निश्चित ही वरदान है।दूसरे शब्दों में कहा जाय तो व्यक्ति की सहनशीलता की सीमा के अंदर हो ,तो सचमुच यह वरदान है, अन्यथा जीवन की इति।
- डा. चंद्रा सायता
इंदौर - मध्यप्रदेश
जी । संघर्ष हीं जीवन है । हर काम के लिए कुछ संघर्ष करना ही पड़ता है । साधारण सी बात है आप पढ़ते हैं या लिखते हैं तो भी किताब या कलम-कागज उठाने के लिए उठ कर जाना पड़ता है, वह भी संघर्ष है । अब है कि आप कितना संघर्ष कर पाते हैं । जितना ज्यादा संघर्ष करेंगे परिणाम उतना ही उम्दा होगा । अतः संघर्ष से घबड़ाना नहीं चाहिए ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
" मेरी दृष्टि में " संघर्ष एक अनमोल साधन है । जिससे जीवन की मुश्किलों को एक नया आयाम मिलता है और सहनशीलता व सवेंदनशील बनता है। भले ही संसार दुखों से भरा हुआ है परन्तु दुखों पर काबू पाने के लिए संघर्ष हमारे पास है । हर संघर्ष जीवन को चमकता है । अतः सफलता की इमारत की नीव संघर्ष पर ही खड़ी होती है । यही जीवन की सफलता का मूल मंत्र है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
हिन्दी साहित्य सम्मेलन , प्रयाग
द्वारा
राष्ट्र भाषा सम्मेलन
सोलन - हिमाचल प्रदेश
दिनांक : 30 मई 1998
कार्यक्रम के समय फोटो
राज्य कवि उदय भानु हंस के साथ बीजेन्द्र जैमिनी
संघर्ष पर अच्छी चर्चा ।कुछ मित्रों ने अधिक विस्तार दे दिया है ।चर्चा में विचार संक्षिप्तीकरण का अपना महत्व है प्रभावपूर्णता भी
ReplyDeleteशशांक मिश्र भारती शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश
बहुत ही सुन्दर और जीवनपथ प्रर्दशित करने वाले बिंदु को चुना जो पूरे जिंदगी इंसान की गति प्रगति को प्रर्दशित करता है आप सभी महानुभावों का जितना आभार व्यक्त किया जाऐ वह कम है क्योंकि ज्ञान मिलना आसान नहीं और इतना अनमोल तो असम्भव पुनः आभार।
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