क्या कोरोना के चलते खुलें में घुम रहे अपने परिवार को मौत के मुहँ में पहुंचा रहे हैं ?
लॉक डाउन में खुलें में घुम रहें व्यक्ति कोलोन को फैलाने में भूमिका निभा रहेंं हैं साथ ही अपने परिवार को भी मौत के मुहँ में पहुंचा रहे है । कोरोना मरीजों की सख्या बहुत तेजी बढती है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
हां करो ना वायरस के चलते जो लोग बाहर खुले में घूम रहे हैं वे अपने परिवार को संकट में डाल रहे हैं वे घर आकर चार लोगों को और संक्रमित करेंगे वह चार और किसी को यह चेन बनती ही रहेगी,चेन टूटे इसीलिए सरकार ने यह फैसला लिया है कि लोग घर पर रहे घर पर रहेंगे तो लोग संक्रमण से बचेंगे। संक्रमित लोगों को भी चाहिए कि वह अपनी बीमारी को छुपाए ना और इलाज कराएं एक कमरे में अपने आप को बंद करें।
बात की गंभीरता को नहीं समझते और मजाक में खुलेआम घूमते हैं अपने आपको बहादुर दिखाते हैं पुलिस भी परेशान है। इस समस्या का ना ही कोई हल है ना ही कोई दवाई ,लॉक डाउन है फिर भी हम किस्मत वाले हैं कि हमें सब्जी रोजमर्रा की जरूरत का सामान, दवाइयां आदि सब सामान उपलब्ध है।
निकल कर हम अपनी जरूरत की चीजें को ले सकते हैं। दुकान वाले घर तक पहुंचा रहे हैं होम डिलीवरी दे रहे हैं
शाकाहारी, पौष्टिक भोजन करें।
अंकुरित अनाज होता लगाएं।
सही खानपान और साथ रहे।
सरकार के इस फैसले को माने और घर में रहे क्योंकि यह वायरस एक राक्षस की तरह है यह पूरा का पूरा शहर को खा जाएगा इसलिए अपने अपने परिवार के और अपने देश की सुरक्षा के लिए यह बहुत जरूरी है। इस समस्या से घबराने की जरूरत नहीं है डट के इसका मुकाबला करना है हर संकट पार हो जाता है यह भी पार हो जाएगा लोगों को जागरूक रहना है और अपने आसपास के लोगों को जागरूक करना है सबकी मदद करनी है।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
यह कड़वा सत्य है कि जो कोरोना की भयावहता को देखते-जानते और समझते हुए भी खुले में घूमने का दुस्साहस कर रहे हैं वह स्वयं के साथ-साथ अपने परिवार के लिए भी संकट को आमंत्रित कर रहे हैं।
हमारे प्रधानमंत्री जी, सेलेब्रिटिज, सोशल मीडिया पर हर व्यक्ति सोशल डिसटेंसिंग रखने की बात रोज कर रहा है, टेलीविजन पर भी यह बात दोहरायी जा रही है कि इक्कीस दिनों तक घर में रहें, सुरक्षित रहें। पर इन खुले घूमने वालों को शायद अपने और परिवार वालों के जीवन से प्यार नहीं है, नहीं तो ऐसी नासमझी... समझ पाना मुश्किल है। ऐसों को हाथ मिलाने, गले मिलने में भी कोई परेशानी नहीं हो रही है। तो इन्हें क्या कहा जाय... कोरोना के ग्रास बन कर और परिवार जनों को
संकट में डालने की ओर उन्मुख?
यह सबसे कठिन समय है। कोई भी आवश्यकता जीवन को सुरक्षित रखने से बड़ी नहीं हो सकती। चीजें लेने के लिए जिस तरह भीड़ लगा कर लोग टूटे पड़े जा रहे हैं उन्हें यह सोचना चाहिए कि सरकार सभी व्यवस्थाएँ करने का प्रयास कर रही है। तो वे भी धैर्य रख कर इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलने देने में अपना सहयोग करें। घर में रहें और सुरक्षित रहें।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून उत्तराखंड
हां ! इस स्थिति को देखकर तो यही कहना उचित होगा !कोरोना वायरस आज की तारीख में बहुत ही गंभीर विषय है -- लोग समझते क्यों नहीं ! क्यों हल्के में ले रहे हैं !
यह एक वैश्विक महामारी है इसका संक्रमण इतना तीव्र फैलता है कि हम कुछ समझ पाए क्या हो रहा है तब तक तो वह दूसरे को लग चुका होता है !एक कोरोना मरीज दूसरे चार पैदा करता है 4:00 से 20:20 से उसकी चैन बनती जाती है थमने का नाम ही नहीं लेते ! सबसे बड़ी समस्या है कि इसका इलाज अभी उपलब्ध नहीं है !
यदि खुद की बुद्धि काम नहीं करती तो प्रशासन ,मीडिया ,हमारे अपने, जो कह रहे हैं उसे तो सुनो कुछ सीखो और समझो खुले में रहकर आप क्या करना चाहते हैं ,और बताना चाहते हैं कि हम पहलवान हैं हमें कोरोना कभी नहीं हो सकता अथवा आप अपने परिवार से प्यार करते ही नहीं, अथवा जिंदगी की जंग से हार गए हो यदि ऐसा है तो दूसरों के लिए खतरा ना बने "हम तो डूबेंगे सनम औरों को भी ले डूबेंगे " ऐसी गलत भावना को लेकर ना जायें! इसे खेल ना समझो हां यदि बाहर जाना बहुत जरूरी हो तो मास्क लगाकर सावधानी बरतें, भीड़ में अथवा कतार में दूरियां बना कर रहे ,सैनिटाइजर का उपयोग करें, बड़े बुजुर्गों को बाहर ना जाने दे ,सामान की लिस्ट बना एक ही बार में सामान ले आए ताकि बार-बार ना जाना पड़े !मनुष्य की वृत्ति स्वार्थी होती है वह पहले अपने परिवार की खुशी चाहता है बाद में दूसरा कुछ सोचता है जब आपको यह खुशी सामने से आकर मिली है ,आप घर पर परिवार के साथ रहें और खुशियां बटोरे एक दूसरे के मन को परखें, उनकी कमजोरियां, अच्छाइयां ,उनको समझने का कितना सुंदर मौका मिला है खुशियां बटोरें नासमझी दिखा क्यों मरने मारने के लिए इस संक्रमण को न्योता देते हो !
धन्य है वह डॉक्टर्स , नर्स ,सफाई कर्मचारी ,पुलिस डिपार्टमेंट ,फौजी, प्रशासन ,मीडिया, जो आपके परिवार को बचाने के लिए खुद को दांव पर लगाते हैं क्या उन्हें अपने परिवार से प्यार नहीं है ?अवश्य है ! फिर भी उनकी सूझबूझ उनका कर्तव्य लोगों के लिए उनकी संवेदनाएं इतनी तीव्र है और उनकी भावनाएं अटूट प्यार लिए , दूसरों के जीवन के लिए सोचती है वह हमारे लिए अपनी जान की परवाह नहीं करते तो हम इतना तो कर ही सकते हैं कि परिवार के साथ घर पर समय बिता उन्हें संक्रमण से बचाएं !प्रशासन आपको सभी जीवनापयोगी चीजें मुहैया करा रही है बदले में आपसे केवल इतना चाहती है आप खुले में घूमकर संक्रमण ना फैलाएं घर पर रहकर अपना और अपने परिवार का ख्याल रखें !
इसे नजर कैद ना समझे परिवार के साथ समय बिताने का सुनहरा मौका समझे !
हमारी जरा सी लापरवाही से हमारा देश चीन इटली, ईरान ,स्पेन के जैसे कोरोना वायरस का शिकार ना हो जाए वरना भगवान भी हमें नहीं बचा पाएंगे !
अंत में कहूंगी यदि परिवार से प्यार है तो नासमझी छोड़ो और अक्ल से काम लें !
"खुद जियो औरों को भी जीने दो" !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
"देदो मुझे घर में ही रहने का वचन "
सर उठाती हुई मौजो से ,हवाओं ने कहा l
वक्त के साथ चलो ,वक्त से उलझा न करो ll - इक़बाल
खुदा के हाथों में मत सौंप सारे काम को l
बदलें वक्त पर कुछ अपना इख़्तियार भी रख ll
व्यक्ति न केवल परिवार ,समाज और राष्ट्र को मौत के मुँह में पहुंचा रहें हैं अपितु भारत की गौरवशाली संस्कृति पर आघात कर रहें हैं l संसार में दुःख चाहें व्यक्तिगत हो या सामूहिक ,उसका एक ही कारण है वह है "कुबुद्धि "और यह आवरण मनुष्य की मनोभूमि पर जितना मोटा चढ़ा होगा वह उतना ही स्वयं भी दुःखी होगा और अपने परिवार तथा प्रिय जनों को भी दुःखी करेगा l कहा भी गया है - "विनाशकाले विपरीत बुद्धि l"आज कोरोना विश्वव्यापी महामारी से निज़ात पाने में माननीय प्रधानमंत्री के ह्रदयस्पर्शी हाथ जोड़कर किये गए निवेदन पर हमारी स्वच्छंदता का उन्माद और कुबुद्धि के साये में जी रहे व्यक्ति सोशल डिस्टेंसिंग जोकि इस महामारी का एक मात्र विकल्प है की धज्जियां उड़ा रहे हैं l कुबुद्धि का रंगीन चश्मा लगा लेने से सीधी साधारण सी परिस्थितियाँ और घटनाएँ भी दुःखदायी देने लगती हैं l ऐसा रंगीन चश्मा पहने हुए व्यक्ति इस राष्ट्रीय आपदा के समय rashtr विरोधी गतिविधिओं में लिप्त रहते परिवार ,समाज और स्वयं को मौत के मुँह में धकेल रहे हैं l
प्रशासन को सख्ती अपनाते हुए गोली मरने तक के आदेश करने पड़ सकते हैं l मानस में कहा गया है - "भय बिनु होय न प्रीति l"चाणक्य नीति के अनुसार ,साम ,दण्ड और भेद की नीति अपनाते हुए ऐसे व्यक्तियों पर प्रभावी नियंत्रण करने पर ही इस महामारी से जीवन रक्षा कर सकेंगे l कहते हैं - "जान है to जहांन है "लेकिन ऐसे सिरफिरे व्यक्तिओं के लिए न तो जान है और न ही जहांन है l अवसर को पहिचानिये ,वक्त को पहिचानिये ,भारत माता के सपूतों की अपने माँ -बाप ,परिवार और स्वयं के लिए ,अपनी प्राण रक्षा के लिए घर में ही रहें ,स्वस्थ्य रहें ,प्रसन्न रहें l "
वक्त को जिसने न पहिचाना ,उसे मिटना पड़ा है l
बच गया तलवार से तो क्या ,फूलों से कटना पड़ा है l
विदुर ने अवसर देख कर युधिष्ठिर से पूछा -वत्स !जंगल में भीषण आग लग जाये तो जंगल में कौन -कौन से जानवर सुरक्षित रहेंगे ?
युधिष्ठिर ने उतर दिया जंगल में आग लगने पर स्वच्छंद और निर्भय घूमने वाले शेर ,चीते हिरण आदि जंगल की आग में जलकर राख हो जायेंगे परन्तु बिलों में रहने वाले चूहें सुरक्षित रहेंगे ,दावानल शांत होने पर चूहे बिलों से बाहर निकल कर शांति पूर्ण जीवन व्यतीत करेंगे l कोरोना वायरस भयंकर दावाग्नि के रूप में अपने पाँव पसार रहा है l जो लोग अपने घरों में रहेंगे वह स्वयं अपने प्रिय जनों के साथ "स्वस्ति पंथांमनुचरेम "के पथिक बनकर सत्यम ,शिवं ,सुंदरम के उपासक बनेंगे l
दिनकर के अनुसार -( स्वच्छंद घूमने वाले व्यक्तियों के लिए )कृष्ण कौरवों के पास दूत बनकर 5 गांव को देने का प्रस्ताव लेकर जाते हैं तो कौरव कृष्ण को दूत मानकर बाँधने का प्रयास करते हैं ,कृष्ण संदेश देते हैं -"रश्मि रथ "का प्रसंग -
सौभाग्य न सब दिन सोता है ,देखो आगे क्या होता है ,
मैत्री की राह बताने को ,सब को सुमार्ग पर लाने को ,
दुर्योधन रूपी दानवों को को
भीषण विध्वंस बचाने को ,
मोदी जी आए और निखर ,
देदो मुझे घर में ही रहने का वचन ,
देदो मुझे घर में ही रहने का वचनl
- डाँ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
जो लोग इसकी गम्भीरता को नहीं समझ रहे हैं और बहार घुम रहे है वो कोरोना को पुरे घर व आस पास सम्पर्क में आने वालों को मौत का न्यौता दे रहे है यह बीमारी का कोई इलाज नहीं है सिर्फ़ व सिर्फ़ घर में बंद रहे , लोगो के सम्पर्क में आने से बचे
यही इलाज है की घर में रहे , बहार जाना की संक्रमण को घर लाना ।
कोरोना वायरस
कोरोना वायरस के बढ़ते हुए प्रकोप को देखते हुए भारत सहित दुनिया के अधिकतर देशो ने चीन में अपने देश वासियों को घुमने आदि पर चेतावनी जारी कर दी है | जिसका कारण पिछले कुछ समय में चीन में भारी मात्रा में मिले कोरोना वायरस के रोगी है |
भारत में कोरोना से संक्रमित 43 लोगों को इलाज के बाद घर भेज दिया गया है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अब तक भारत में कोरोना से दस लोगों की मौत हुई है.
भारत में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र और केरल में देखने को मिले हैं. महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के अब तक 97 पॉजिटिव केस सामने आ चुके है. इसके अलावा केरल में 95 लोग कोरोना से संक्रमित हैं. वहीं कोरोना वायरस के कारण आज दो लोगों की मौत हुई. जिससे कोरोना वायरस के कारण देश में मरने वालों की सख्या 10 तक पहुंच चुकी है.
कोरोना वायरस के लक्षण
गला खराब रहना
सिर दर्द
गले में खराश का रहना
नाक बहना
अस्थमा के लक्षण
फेफड़ो में सूजन
बिना काम किये थकान होना
बहुत अधिक छींक आना
ठंड के साथ बुखार होना
कोरोना वायरस से बचाव ही उपचार है
अभी तक कोरोना वायरस की किसी प्रकार की कोई मेडिसिन की पुष्टि नही हुई है ऐसे में बचाव ही उपचार है |
अपने आसपास के परिवेश को साफ़ सुथरा बनाये रखे |
घर से बहार जाने पर वापस घर पहुंचते ही साबुन से अच्छे से हाथ धोये
किसी भी प्रकार के बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के पास बिना मास्क पहने ना जाये | किसी भी व्यक्ति से हाथ ना मिलाये |
मवेशियों को कम से कम जानवरों के सम्पर्क में रहना चाहिए |
अंडे और मीट आदि को भलीभांति पकाए |
मुह पर हाथ लगाने से पहले साबुन से अच्छे से साफ करे |
किसी भी प्रकार के बहारी व्यक्ति से सम्पर्क में आने से बचे
एक मात्र उपायें सब से अलग रहो , सबको बचाव व खुद भी बचे । दिल में घरवालों के लियें पैदा करो करुणा प्रेम तभी घटेगी कोरोना महामारी
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
हां, यह सही कहा गया है ।जब हम सब यह जान चुके हैं कि कोरोना जैसी भयानक महामारी बीमारी का घर में खुद को पैक कर लेना हीं काफ़ी हद तक इसका कारगर उपाय है ,तब भी कुछ लोग इस बात की गंभीरता को नहीं समझ रहे हैं और इस नियम का पालन ना कर इसका उल्लंघन कर रहें हैं ।यह सरासर ग़लत है ।बाहर यदि अतिआवश्यक है तभी किसी व्यक्ति को बाहर जाना चाहिए, लेकिन जो सारे नियम और उपाय बचाव के लिए बताएं गये हैं उसका भी अवश्य पालन करना चाहिए । यह अब तक सभी को पता चल गया है कि भीड़ से परहेज़ रखना है ,, बाहरी लोगों से मिलना _जुलना बंद रखना है ,फिर ऐसे में जो लोग भी नियम की अवहेलना कर घर से बाहर खुले में घुम रहे हैं, तो वो अपने साथ_ साथ ,अपने परिवार ,अपने मुहल्ले,गांव,शहर,देश सब के लिए घातक है क्योंकि यह बीमारी एक दूसरे के संसर्ग से और भी तेजी से आग की तरह फैलती है , इसीलिए इसी चेन को हमें तोड़ना है । अतः खुले में ना घुमे और सभी नियमों का पालन करें इस लाइलाज संक्रामक महामारी से ख़ुद भी बचें लोगों को भी जागरूक करें ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
कैराना का तांडव विश्व में कहर मचानेके बाद भारत में 2 स्टेज में है । वायरस की चेन को खत्म करने के लिए भारत सरकार के पैनल की राय से ही मा प्रधानमंत्री जी
ने भारत बंद यानी संपूर्ण देश का लॉक डाउन किया है ।
अब ऐसी स्थिति में 95 % लोग घर में बैठे हैं । 5% लोग बाहर निकल रहे हैं । ऐसे मनचले लोग पुलिस के डंडे भी खा रहे हैं । पढ़े - लिखे लोग सब्जी मंडियों ,दुकानों में बिना मॉस्क लगाए बिना दूरी बनाए सब्जी सामान खरीद रहे हैं । जो कोरोना फैलाने में इनकी सक्रिय भूमिका ही रहेगी । हमारे प्रधानमंत्री जी के चेहरे पर चिंता की लकीर लिये भारत को बचाने के लिए हाथ जोड़ कर देशवासियों से अपील कर रहे हैं ।आप सब घर में सेफ रहोगे । तभी कोरोना से दूरी रहेगी । घर में समाज में लक्ष्मण रेखा खींचो । घर के अंदर भी 1 मीटर की दूरी बनाकर बात करें । अलगाव में रहें , क्वारंटाइन में रहे ।
हमें सबको एक जुट खड़े होकर कोरोना से लड़ना होगा ।
सब राज्यों में पुलिस चाकचोबन्द से लोगो को निगरानी के लिए खड़ी है ।
जम्मू कश्मीर में बाहर निकले लोगों पर पुलिस ने 218 एफआईआर दर्ज की है । सरकार भी नहीं चाहती है कि जनता मुश्किलों को सामना नहीं करे । जरूरी काम के लिए घर से निकले । बैंक में लोग काम कर रहे हैं । सेनेटाइजर रखे हैं । वक्त के तकाजे पर बैंकवाले वसूली पर रोक लगा रहे हैं ।
कोरोना का संक्रमण बढ़ ही रहा है । कोरोना से अमीर , गरीब कोई सलामत नहीं है । ब्रिटेन के युवराज प्रिंस चार्ल्स भी इसकी चपेट में हैं ।
भारत बंद होने पर मजदूर वर्ग , गरीब लोग अपने गाँव को पैदल ही जा रहे हैं । ट्रेन , बस परिवाहन के साधन सब बंद हैं । सरकार हेल्थ के , मेडिकल।वर्कर्स को इंश्योरेंस कवरेज दे रही है ।
लॉकडाउन का आज दूसरा दिन है । 14 अप्रैल तक लोग घर में रह के सामाजिक दूरी बनाए । लोग घर में रहे , देश सुरक्षित रहेगा । व्हाट्सएप से मिलेगा कर्फ्यू ई - पास ।लोगों का जरूरी नहीं है घर से बाहर निकलना ।
सब्जीवाले , मॉस्क बेचने वाले कालाबाजारी करने में लगे हैं । जनता को तिगुने रेट में सब्जी बेच रहे हैं । ऐसे कहते के समय इनकी मानवता मर गयी है ।
बॉलीवुड वाले , क्रिकेटर भी घर में रहने का वीडियो , गाने गा कर घर में रहने की अपील कर जागरूकता अभियान चला रहे हैं ।
मैं खुद घर में रहकर मोबाइल से वीडियो से लोगो को कविता के माध्यम से घर में रहने के लिये जागरूक कर रही हूँ ।
डॉ मंजु गुप्ता
नवी मुंबई - महाराष्ट्र
जी यही तक रहता तब तो ठीक था वह नियम का पालन करने वालों व्यक्तित्वों परिवारों समाज सरकार व रात दिन इस महामारी से जुझ रहे सेवा संरक्षा में लगे लोगों की मेहनत जीवन का मूल्य नहीं समझ रहे यही कष्ट है ।यह स्थिति गावों कस्बों में अधिक है ।कुछ लोगों तर्क भी ऐसे हैं जो गले नहीं उतर सकते और न ही उनका कोई वैज्ञानिक आधार है ।
पिछले लगभग एक माह से भारत सरकार के साथ साथ विभिन्न राज्यों की सरकारें व निजी मशीनरी हर संभव प्रयास कर रही है कि स्पेन ईरान जैसे हाल न हों हर तरह से लोगों तक अपनी बात सूचना समाचार पहुंचाये जा रहे हैं ।एलाउंस हो रहे हैं ।राजय के मुख्यमंत्रियों के अलावा दो प्रधानमंत्री स्वयं देश को संबोधित कर चुके हैं सार्क देश हों या जी २० हर जगह प्रयास हैं विश्व स्वास्थ्य संगठन लगभग सभी बड़े राजनेता मिलकर खड़े हैं पर कुछ सिरफिरे नहीं समझ रहे हैं सबका श्रम निरथर्क कर हैं यह बड़ा दुःखद है ।मैं तो चाहता हूं सरकारें ऐसों से सख्ती से पेश आयें अर्थ दंड व सजा दोनों दें यह उसी योग्य हैं ।
- शशांक मिश्र भारती
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
बिल्कुल ऐसे लोग जो अनावश्यक घूम रहे हैं वे इसके लिए जिम्मेदार अवश्य होंगे । रोजमर्रा की जरूरतों हेतु जाना तो होगा पर अपनी सुरक्षा व सावधानी का ध्यान अवश्य रखें । जाने से पहले हाथ सेनेटॉयज अवश्य करें । किसी व्यक्ति वस्तु के सम्पर्क में आने पर अपना हाथ मुह में न लगे इसका ध्यान रखें । आने के बाद कपड़े बदल कर ; हाथों को अच्छे से धोएँ ।
जरूरतमन्द लोग पुलिस से सम्पर्क कर उन्हें समस्या बताएँ तो अवश्य ही उपाय देंगे । बहुत सी संस्थाएँ निःशुल्क भोजन सामग्री उपलब्ध करवा रहीं हैं ।
वास्तविक जरूरत पड़ने पर ही निकलें , पूरी लिस्ट बना लें ताकि जल्दी - जल्दी बार- बार जाने से बच सकें । आपकी एक गलती न केवल आपका , परिवार का , समाज का वरन देश का भी नुकसान करेगी ।
ये सभी के लिए चिंतन का विषय है कि यदि इतने व्यापक स्तर पर लॉक डाउन हुआ है तो अवश्य ही खतरे की घड़ी हम सबके सम्मुख है । ये तो सौभाग्य की बात है कि हमारे पास एक ऐसा मुखिया है जो मूलभूत जरूरतों को पूरा कर रहा है । यहाँ तक कि रोज कमाने वाले, प्रायवेट सर्विस वाले भी निश्चिंत है कि उनको अगले माह का वेतन मिलेगा अतः उनको घर पर बैठकर चैन से खाना चाहिए । अन्यथा वे सब भी परेशान होकर जमीन पर उतर आते और स्थिति पर काबू पाना और भी कठिन हो जाता ।
अतः सभी लोग धैर्य से काम लें अपने पास पड़ोस की यथा संभव मदद करें, फोन पर हाल चाल पूछे , बिना घर से गये जो सहयोग बन सकता है वो सभी एक दूसरे का करें ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
अनावश्यक खुले में घूमने वाले व्यक्ति एवं करो ना से बचने के लिए जो भी साधन भी इस्तेमाल करने के लिए कहा गया है उसे लापरवाही से व साधन का उपयोग ना करते हुए खुले में घूमने वाला व्यक्ति निश्चित ही अपने परिवार को मौत के मुंह में पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं ।ऐसे व्यक्ति ना तो खुद के प्रति प्यार है, ना परिवार के प्रति ,जो खुद और परिवार के प्रति प्यार नहीं है, ऐसा व्यक्ति क्या समाज और प्रकृति से प्यार करेगा ऐसा इंसान संवेदनहीन इंसान कहलाता है। जिसे इस धरती पर जीने का अधिकार नहीं है जैसा लगता है। इंसान अपने विवेक का इस्तेमाल सही कार्य करने के लिए किया जाना है। लेकिन बार-बार मोदी जी जनता को आह्वान कर रहे हैं, कि विश्व में बहुत बड़ी भयानक समस्या आन पड़ी है इससे निपटने के लिए सिर्फ और सिर्फ अपने घर पर ही रहे बाहर ना निकले ।करोना वायरस अपने आप नहीं आती है इसको लाने के लिए बाहर जाना पड़ता है अतः समस्त हमारे भारत वासियों को समझना है कि हमारे देश को किस तरह हम लाँक डाउन का पालन करके ईमानदारी से अपने परिवार के साथ अपने घर में रहकर सुरक्षित रह सकें ।आज वर्तमान में मनुष्य की सबसे बड़ी संकल्प है इस संकल्प को हम सब मानव जाति मिलकर पूरा करें और कोरोनावायरस से निजात पाकर चैन की सांस ले यहां वायरस कोई मामूली बात नहीं है जो एक से अनेकों तक किस तरह फैलती है पता ही नहीं चल पाता है यही मानव जाति की और सबसे बड़ी समस्या है जो दिखता नहीं है और कुछ पल में
भयंकर घटना का परिणाम आ जाता है अतः कहा जा सकता है कि करोना के चलते खुले में घूम रहे लापरवाह लोगअपने परिवार को मौत के मुंह में पहुंचा रहे हैं।
हम सभी भारत वासियों को धैर्य और साहस के साथ इस कोरोना वायरस को समूल नष्ट करने के लिए जो बीड़ा उठाया गया है उस पर अमल कर अपने वीरता और धैर्यता का परिचय देने का वक्त आ गया।
नित्यम यातु शुभोदयम्
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
खुले में घूमना घातक नहीं है पर किसी के संपर्क में आने से कोरोना के संक्रमण की बहुत संभावना है ।
अब चूँकि भारतीयों में सामाजिकता इतने उच्चतम पर है कि उन्हें एक दूसरे के संपर्क से रोक पाना बहुत दुष्कर है इसलिए सरकार ने इतनी कड़ाई से कर्फ्यू और लाॅकडाउन का फैसला लिया है ।
यदि हमारा स्वयं पर नियंत्रण नहीं , तो निश्चित ही खुले में घूमने से हानि तो होना ही है ।
किसी का अति उत्साह और नासमझी
जाने कितने लोगों की जान दाँव पर लगा देगा ।
पुलिस को डंडे फटकारते देख एक बारगी तो बुरा लगता है ,पर पुलिस का डर ही है जो लोगों को घरों में रखकर कोरोना की भयावहता को कम कर सकता हैं ।
देखने में तो यह भी आ रहा है कि लोग, बाहर रोड पर तो नहीं निकल रहे, पर अपनी छतों पर पार्टी मना रहे हैं जिसमें बूढ़े भी हैं बच्चे भी हैं और जवान भी । भारतीय अपने ज्ञान, संस्कार, मर्यादा, नियम और अनुशासन पर गर्वित तो होते हैं पर जरूरत पड़ने पर उन्हें ताक पर रखने में भी पीछेनहीं हटते ।
रात दिन टीवी, सोशल मीडिया चीख चीख कर लोगों को सावधान कर रहा हैं पर लोग हैं कि मानने को तैयार नहीं।
- वंदना दुबे
धार - मध्य प्रदेश
जी हाँ। जब हमें सारी जानकरी उपलब्ध है। टीवी, रेडियो, पुलिस सभी हर तरह के बचाव की बातें बात रहे हैं तो फिर बिना किसी प्रोटेक्शन के घूमना मुसीबत को न्यौता देना है। साथ हीं परिवार के दूसरे सदस्यों को भी कोरोना उपहार स्वरूप देना है।
पहली शर्त है कोरोना की कड़ी को तोड़ना । इसके लिए संपर्क टूटना ही चाहिए । कुछ नौजवानों की आदत होती है, नजारा देखने निकल पड़े। कई लोग तो इन हालातों में भी हत्या और चोरी को अंजाम दे रहे हैं । कितनी गलत सोच का उदाहरण है।
सरकार सभी की चिंता कर रही है । जिनके पास काम नही है या कहना नहीं है, उन्हें भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। उसके बाबजूद लोग भूखे-प्यासे हजारों किलोमीटर की यात्रा पर निकल पड़े हैं।बहुत ही दर्दनाक स्थिति उत्पन्न हो गई है । इस यात्रा में कई छोटे बच्चे भी शामिल हैं । उन्हें तो अपने शहर के पुलिस स्टेशन से संपर्क करना चाहिए था। आगे अगर वे अपनी गलतियों को समझ सकें और जहाँ हैं वहीं की पुलिस से सम्पर्क कर सकें तो अभी भी हालत सुधार सकते हैं ।
मैं आग्रह करूँगी कि सभी अपने देश पर, अपने राज्य पर और अपनी सरकार पर भरोसा करें ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
" मेरी दृष्टि मे " घुमने से कोरोना वायरस परिवार में आसानी से आ जाता है । लॉक डाउन से इस चक्र को तोडऩे का प्रयास किया जा रहा है । अगर तोडऩे में सफल नहीं हुये तो परिणाम बहुत बुरे हो सकते हैं । शायद चीन , जापान , अमरीका से भी ज्यादा हालत खराब हो सकता हैं। अतः खुले में घूमने से बचना चाहिए ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सभी प्रभृति विद्वानों के विचार प्रशंसनीय है .इतने विचारों को एकमंचपर वास्तव में स्तुत्य प्रयास है .
ReplyDeleteछाया शर्मा ,अजमेर