क्या कोरोना संदिग्ध को आइसोलेट करने में जनता को सहयोग देना चाहिए ?
जब जनता जागरूक हो जाती है तभी ऐसा कुछ सम्भव होता है । बिना सहयोग किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिलती है । वर्तमान में कोरोना वायरल के संदिग्ध को हर स्थिति में आइसोलेट में पहुंचना चाहिए । तभी हम सब सुरक्षित हो सकते हैं । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
कोरोना जैसे संक्रामक रोग से प्रत्येक व्यक्ति को एहतियात बरतना चाहिए |कोरोना संदिग्ध को तो विशेष सावधानी बरतनी चाहिए न सिर्फ़ अपने और अपने परिवार के लिए बल्कि पूरे समाज और अपने देश के लिए |कुछ दिनों की सावधानी से वह कोरोना मुक्त हो सकता है|खुद को आइसोलेट ;यानी अपने आप को एक कमरे में बंद कर लें ,हो सके तो कमरे से जुड़ा शौचालय का उपयोग करें |देखभाल करने वाला व्यक्ति भी दूर से ही ज़रूरत की चीजें दे और समय समय पर हांथों को धोए |साफ सफ़ाई का विशेष ध्यान रखे|
जनता और आस पड़ोस को भी सजग रह कर ऐसे संदिग्ध व्यक्ति की सूचना प्रशासन को समय रहते देकर मदद करनी चाहिए |कई बार व्यक्ति इस भ्रम में रहता है कि मुझे कुछ नहीं हो सकता मैं तो स्वस्थ हूँ |लेकिन कोरोना जैसी घातक बिमारी एक तो तुरंत पता नहीं चलता ,कभी कभी तो हफ़्ते दस दिन बाद पता चलता है |तब तक पीड़ित व्यक्ति कई लोगों को यह रोग लगा चूका होता है| जागरूक जनता से ही स्वस्थ समाज का निर्माण संभव है |इसलिए जो व्यक्ति विदेश से यात्रा किया हो या ऐसे किसी जगह गया हो जहां से संक्रमण फैलने की आशंका हो सकता है उसे स्वंय ही आइसोलेशन में चला जाना चाहिए |
- सविता गुप्ता
राँची - झारखंड
कोरोना का प्रकोप जिस तरह से बढ़ रहा है, उसे देखते हुए तो कोरोना प्रभावित हर बीमार व्यक्ति के आइसोलेशन में समाज का सहयोग जरुरी है। आइसोलेशन समाज से मरीज का और मरीज से समाज का यह दोनो ही जरुरी है ।समाज आइसोलेशन की गाइड लाइन का न तो किसी को उल्लंघन करने दे और न ही उल्लंघन करे। बाहर से आये किसी भी पारिवारिक सदस्य को फोन से पहले ही स्पष्ट कर दें कि आइसोलेशन की अवधि के बाद ही घर आये।जो घर में आ चुके हैं उनका मेडिकल चेकअप कराएं और घर में ही एक कमरे को आइसोलेशन वार्ड बना दे। जहां निर्धारित अवधि तक वह रहे,और किसी के संपर्क में न आये। जरा सा सहयोग इस भयंकर संकट से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मुहल्ले ,पड़ोस या घर में कोई बाहर से आया सदस्य कोरोना संदिग्ध है तो तुरंत प्रशासन को सूचित कर,कोरोना से बचाव में अपना योगदान करे।लाकडाउन के दौरान अपने घर में रहना एक तरह से स्वयं को आइसोलेशन करने का बेहतर उपाय है,जो आपको ही सुरक्षा देगा।
- अनिल शर्मा अनिल
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
सजग और जागरुक नागरिक का कर्तव्य है कि इसतरह का शंक भी हो तो उसे आइसोलेट करवाने में मदद करें व अपने कर्तव्यों का पालन भी करें । कहते हैं कि विपत्ति में आपके धैर्य के साथ चरित्र की भी परीक्षा होती है. कोरोनावायरस के भारत में फैलाव के साथ ही देश के नागरिकों से अधिक हमारी सरकार के चरित्र की परीक्षा होगी। दुनिया के हर देश में जहां कोरोना का वायरस और उसका प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा है वहां अध्ययन में एक बात सामने आई है कि इन देशों में शुरुआती दिनों के बाद इस बीमारी का विस्फोट हुआ है और कोरोना के संक्रमित लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है
भारत सरकार इस स्थिति पर, वैश्विक महामारी के ट्रैक रिकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखे हुए है ।हालांकि कुछ देश ऐसे भी हैं, जिन्होंने आवश्यक निर्णय किए और अपने यहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा आइसोलेट करके स्थिति को संभाला है, इसमें नागरिकों की भूमिका बहुत अहम रही
आज जब बड़े और विकसित देशों में इस महामारी का व्यापक प्रभाव देख रहे हैं, तो भारत पर इसका कोई प्रभाव न पड़े यह मानना गलत है। इस बीमारी का मुकाबला करने के लिए दो प्रमुख बातों की जरूरत है - पहला संकल्प और दूसरा संयम ।आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा कि हम नागरिक के नाते अपने कर्तव्यों का पालन करें
केंद्र और राज्य सरकारों के दिशा निर्देशों का पालन करें पूरी तरह से, आज हमें संकल्प लेना होगा कि हम स्वंय संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को बचाएंगे
इस तरह की वैश्विक महामारी में एक मंत्र काम करता है, हम स्वस्थ्य तो जगत स्वस्थ्य
ऐसी स्थिति में जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है तो हमारा स्वस्थ्य बने रहना पहली आव्श्यकता है
इस बीमारी से लड़ने में दूसरी अनिवार्यता है संयम
संयम का मतलब है भीड़ से बचना, घर से बाहर निकलने से बचना, सोशल डिस्टेंसिंग, कोरोना के दौर में सोशल डिस्टेंसिंग बहुत जरूरी और कारगर है
हमारा संकल्प और संयम इस वैश्विक महामारी से लड़ने में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगा
आपको लगता कि आपको कुछ नहीं होगा, आप ऐसे ही घूमते रहेंगे, सड़कों पर जाते रहेंगे, तो कोरोना से बचे रहेंगे, वह सही नहीं है, ऐसा करके आप अपने साथ और अपने प्रियजनों और परिवार के साथ अन्याय करेंगे
सभी देशवासियोंसे आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक बहुत जरूरी हो तभी घर से बाहर निकलें
जितना संभव हो, आप अपना काम जो भी हो, हो सके तो अपने घर से करें
जो लोग सरकारी सेवाओं में हैं, अस्पताल से जुड़े हैं, जन प्रतिनिधि हैं, मीडिया कर्मी हैं, उनकी सक्रियता आवश्यक है, बाकी समाज के लोगों को भीड़भाड़ से, समारोहों से आइसोलेट कर लेना चाहिए
और कहीं भी शंका हो कोरोना से संक्रमित व्यक्ति की तो उसे हेल्प लाईन पर फ़ोन कर आइसोलेट करवाने में मददत करे यह सच्ची सेवा होगी ।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
बिल्कुल ये लॉक डाउन जनमानस के कल्याण के लिए ही तो किया गया है अतः हम सबको पूरा प्रयास करना चाहिए कि न तो हम लोग बाहर निकले न ही कोई अन्य । ऐसे लोग जो बाहर से आये हैं या जिनकी ट्रैवल हिस्ट्री है उन लोगों को तो अवश्य ही आइसोलेशन में रहना चाहिए । जिस भी राष्ट्र की जनता जागरुक होती है वहाँ की उन्नति को कोई नहीं रोक सकता है।
स्वयं को जानने समझने का इतना अच्छा समय कभी नहीं मिलेगा अतः इन 21 दिनों का उपयोग करें । लोगों से केवल फोन द्वारा सम्पर्क में रहें । हाँ कोई जरूरतमंद हो तो उसकी मदद अवश्य करें । आइसोलेशन का ध्यान सभी को रखना चाहिए क्योंकि सावधानी ही बचाव है । कहते हैं न सावधानी हटी दुर्घटना घटी ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
विश्व में प्रतिदिन कोरोना मरीजो की संख्या में उत्तरोतर वृद्धि हो रही है जिसका कारण कही न कही हमारी लापरवाही ही रहा है।
दुनिया में जहाँ कही भी कोरोना मरीजो की संख्या में आश्चर्यजनक वृद्धि हुई है उन सब मे एक ही बात सामने आयी कि उन्होने सामाजिक दूरी (सोशिएल डिस्टेन्डिग) का पालन नहीं किया जिसका दंश आज उन्हे झेलना भी पड़ रहा है।
उन्हे चाहिए था कि वे स्वयं को आइसोलेट कर लेते अर्थात् एकांतवास में चले जाते जो कि केवल कुछ समय का ही होता परंतु अब पालन न करने के कारण सदा के लिए ही एकांत में चले गए।
खैर इस कार्य में सहयोग जनता का सहयोग भी उतना ही अपेक्षित है जितना की स्वयं संदिग्ध व्यक्ति का। जनता को चाहिये अगर कोई केस उन्हें मिलता है तो स्वयं के प्रयासों से ही उस व्यक्ति को आइसोलेट कराने का सार्थक प्रयास करे, फ़िर भी असफ़लता की स्थिति में प्रशासन का सहयोग ले क्योंकि संदिग्ध व्यक्तियों के बाहर घूमने पर वे खुद भी इसकी चपेट में आ सकते हैं।
बहुत सारे मामलों में देखा गया कि जनता खुद ही इन मामलों को दबाती है जो कि बाद में खुद के लिए नासुर बन जाता है अतः मैं तो यही कहूगा कि आपका सहयोग ही आपका बचाव है।
संदिग्ध व्यक्ति के मिलने पर उसे आइसोलेट तो करे ही साथ ही लॉकडाउन जैसी गम्भीर स्थिति पैदा होने पर स्वयं भी उसका पालन पूर्ण निष्ठा से करे तथा घर भी रहे।
- विभोर अग्रवाल
धामपुर -उत्तर प्रदेश
भारत तपोभूमि है ,यहाँ प्रमादी व्यक्ति का कल्याण सम्भव नहीं है l ऊपर से मानवता कोरोना के वैश्विक संकट से जूझ रही है ,शायद हमारी पीढ़ी का सबसे बड़ा संकट है जो हमारी अर्थ व्यवस्था ,राजनीती और संस्कृति को भी नए तरीके से विरूपित करेगा लेकिन इस संकट से निज़ात पाने के लिए हमारा बोधि उत्तरदायित्व बनता है कि हमारे दायित्वों के विकल्पों का चुनाव करते समय खुद से सिर्फ यहीं नहीं पूछे कि इस खतरे से कैसे निपटा जाये ,इस राष्ट्रीय आपदा
के समय गिलहरी की भांति मैं अपना क्या योगदान दे सकता हूँ अपितु इस आपदा के गुजर जाने के बाद हम किस तरह दुनियाँ में रह रहे होंगे l
प्रश्न यह है कि क्या हमें कोरोना संदिग्ध को आइसोलेशन में योगदान देना चाहिए ?बड़ा ही विचारणीय प्रश्न है जो पारिवारिक ,सामाजिक और मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देता है क्योंकि जब सारे लोग घर में काम करते है और एक दूसरे से दूरी रखते हुए संवाद करते है तो कैसी अनुभूति होती है... लेकिन भावनाएँ कर्तव्य के मार्ग में बाधक नहीं बन सकती ,हमें मानवता और राष्ट्र सेवा का संकल्प लेकर नागरिक सशक्तिकरण का ही चुनाव करना होगा l
ध्यान रहे -"वो संकल्प ही क्या जो विकल्पों के भँवर में फँस जाये "हमें कोरोना संदिग्ध के आइसोलेशन में तन -मन -धन से सहयोग करने के लिए आतुर रहना होगा मानस की पंक्ति -"राम काज करिबे को आतुर ,मोहि कहाँ विश्राम l"हमें राष्ट्र काज नहीं ,भारत माता के सपूतों को आपदा से उबारने के लिए आतुर होकर अपना योगदान देना होगा l
ऐसे परिवेश में कैसे हो निगरानी की व्यवस्था ?विचार करें तो दो व्यवस्था सम्भव हैं -
1. सरकार लोगों की निगरानी करे और निर्णयों का उलघ्घन करने वालों को सजा दे तथा निवारक उपायों का प्रचार -प्रसार करे l
2. लोग स्वयं अन्तःकरण से अनुशासन में रहकर इस राष्ट्रीय आपदा में मानव धर्म और राज धर्म का पालन करे तो सरकार की निगरानी की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी l अगर अब भी हम सावधान नहीं हुए तो यह महामारी निगरानी की बहुत बड़ी और कितनी क़ीमत चुकानी पड़ेगी हम कल्पना भी नहीं कर सकते l सोशलडिस्टेंसिंग और हमारा मानव धर्म की पालना करते हुए कोरोना संदिग्ध को आइसोलेशन करना और कराना समय की पुकार है l इस तरह की व्यवस्था निश्चित रूप से इस मुहीम को कुछ ही दिनों में रोक सकती है l कहा गया है "डरी व्यवस्था बड़ी घिनौनी होती है "डर से हमें उक्त कार्य नहीं करने हैं l स्व उत्स के साथ सोशलडिस्टेंसिंग और आइसोलेशन करना होगा l जैसे -मैं साबुन से चालीस बार हाथ इसलिए धोता हूँ कि मैं समझ चुका हूँ इसके द्वारा सूक्ष्म जीवाणु वाइरसों और अन्य बिमारिओं से बच सकता हूँ l
इस तरह का परिणाम और सहयोग प्राप्त करने के लिए आमजन विज्ञान और पब्लिक ऑथर्टीज मीडिया में विश्वास करें l आज कोरोना वायरस महामारी नागरिकता की वास्तविक परीक्षा है l परमात्मा हमें प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण करे ..इन्हीं भावनाओं के साथ -
फासले कुरबतों से बेहतर ...
यूँ ही बेबस बेवजह न घूमा करो ,
कोई शाम घर भी रहा करो
वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके -चुपके पढ़ा करो
कोई हाथ भी न मिलायेगा ,
जो गले मिलोगे तपाक से
ये नए मिज़ाज का शहर है
जरा फासले से मिला करो l
- डाँ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
केवल एक ही जगह व कार्य में नहीं हर जगह सहयोग देना चाहिए ।वर्तमान में देश की जो स्थिति है ।विश्व जिस तरह कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है उसमे केवल एक ही विकल्प बचता है कि हम सब किन्तु परन्तु लेकिन वेकिन से ऊपर उठकर सरकार का सहयोग करें ।उसके निर्देशों का पालन करें व दूसरों से भी पिलन करवायें।अन्यथा अमेरिका स्पेन ईरान इटली जैसी भयावह स्थिति में बचना बचाना मुश्किल हो जायेगा ।
- शशांक मिश्र भारती बड़ागांव
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
शत प्रतिशत सहयोग अपेक्षित है नहीं का तो सवाल ही नहीं उठता है संदिग्ध व्यक्ति के आइसोलेशन में पूरी तरह से उस व्यक्ति को लाभ है खुद भी बचेगा परिवार भी बचेगा समाज और देश भी सुरक्षित रह सकेगा।
पर इंसान की मानसिकता भी अद्भुत है बिना आवश्यकता के भी घर से बाहर जाने की तत्परता बनी रहती है ।
आइसोलेशन के अलावा कोई विकल्प नहीं है ।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में मेडिकल की सुविधा संतोषजनक नहीं है ऐसी भयावह स्थिति में हर इंसान यदि स्वयं और अपने परिवार को यदि सुरक्षित रख पाए तो सच्ची देशभक्ति मानी जाएगी।
- डाँ.कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
इस बीमारी का कोई हल नहीं है और जब तक कोई हल नहीं मिल जाता तब तक आइसोलेट कर कर हम संक्रमण को रोक पाएंगे वरना इस तरह एक इंसान ही पता नहीं कितनों को इस बीमारी से ग्रसित कर देगा।
इसमें जनता का बहुत बड़ा योगदान रहेगा अगर वह अपने आसपास किसी संक्रमित व्यक्ति को देखते हैं या जानते हैं या वह खुद संक्रमित हैं तो उन्हें आइसोलेट होना चाहिए है।
ताकि उनकी यह बीमारी और लोगों तक ना पहुंचे।
वरना एक इंसान ही लाखों लोगों को इस बीमारी से संक्रमित करने की क्षमता रखता है।
लोगों को चाहिए कि इस बीमारी के बारे में समझें और इसको हल्के में ना लेकर बहुत ध्यान पूर्वक इसकी सारी बातें मानी और अपने आप को संक्रमित होने से बचा बचाए रखें।
यदि वह संक्रमित हो जाएं तो डॉक्टर से सलाह लें तथा आइसोलेशन में ही रहे इसी में उनकी और देश की भलाई होगी।
***सावधानी हटी*
तो दुर्घटना घटी*
इस मूलमंत्र को हमेशा याद रखें और इस बीमारी में यही मूल मंत्र जो आपको बचाए रखेगा
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
क्या कोरोना संदिग्ध को आइसोलेट कराने में जनता को सहयोग देना चाहिए ? जी हाँ ये बहुत ज़रूरी है अगर हम एक रोगी व्यक्ति को चिकित्सा सुविधा की निगरानी में भेजने में मदद करते हैं तो निश्चित तौर पर बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं मानव समाज की भलाई के लिए ये बहुत महत्वपूर्ण है। इससे एक तीर से दो निशाने लगाने वाली कहावत सिद्ध हो जाती है क्योंकि ऐसा करने से संक्रामक रोग फैलने से रूकेगा और रोगी को समय रहते चिकित्सा संरक्षण मिल जाने से काल के गाल में जाने से रक्षा हो जाएगी ।
अन्य देशों की भयावह तस्वीर देखकर लगता है कि समय पर सही निर्णय जहां जहां लिया गया वहाँ इस संकट का सामना तो करना पड़ा परन्तु बहुत अधिक धनहानि तथा मौतें भी नही हुई और पछताने की ज़रूरत भी नही पड़ी ठीक इसके विपरीत उन सभी देशों की स्थिति किसी से छुपी नहीं है जहां लोगों ने इस ख़तरे को ख़तरा न मानकर बहुत हल्के में लिया और स्थिति बहुत ख़राब हो गई जिसकी उन्हें क़ीमत चुकानी पड़ी और एक ऐसी क़ीमत जिसकी भरपाई कभी नही हो सकती ।
चीन के बाद हमारे देश में कुल दुनिया की सबसे अधिक आबादी निवास करती है कोरोना वायरस का संक्रमण जब बहुत तेज़ी से मानव से मानव के शरीर में फैलता है विशेषज्ञों का कहना है कि जिसको केवल और केवल मध्य में दूरी बनाकर रोका जा सकता है । कोरोना संक्रमित व्यक्ति अधिक दिनों तक अगर पब्लिक के बीच रहेगा तो निश्चित तौर पर प्रतिदिन जितने लोगों से मिलेगा संक्रमित करेगा और दूसरे तीसरे को, तीसरे चौथे को इस प्रकार एक चैन बन जाएगी जिसे रोक पाना बस से बाहर हो जाएगा ठीक वैसे ही जैसे इटली स्पेन और अमेरिका में हुआ ।
*ये तो सर्व विदित है एक फल बेचने वाला भी संक्रमित फल को टोकरी से जितना जल्दी हो सके अलग कर देता है क्योंकि उसे पता है कि अगर ऐसा नहीं किया तो पूरी टोकरी के फल बेकार हो जाएँगे ।* संक्रमित फल की यही बात ध्यान में रखते हुए हमें भी जितना जल्दी हो सके संदिग्ध कोरोना संक्रमित को आइसोलेशन तक पहुँचाने में योगदान अवश्य करना चाहिए ऐसा करने से संक्रमण की चैन टूटेगी और मानव समाज के स्वास्थ्य की रक्षा होगी ।
*समस्त विश्व के स्वास्थ्य की कामनाओं को मन में धारण करते हुए बुद्धि और विवेक रूपी शक्ति को नमन ।*
- डॉ भूपेन्द्र कुमार
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस एक दूसरे के संपर्क मे आने से फैलता है ।इसलिए कोरोना संदिग्ध को आइसोलेट कराने मे जनता को सहयोग करना चाहिए । जब मरीज अलग थलग हो जाएगा तो दूसरे लोग इस बीमारी से बच जायगे । माननीय प्रधानमंत्री इस कड़ी को तोड़ने के लिए अच्छी पहल की है।
- बालकृष्ण पचौरी
भिण्ड - मध्यप्रदेश
अवश्य देना चाहिए। मानव धर्म से कोई बड़ा धर्म नहीं है। गीता में श्री कृष्णा ने कहा है कि कर्म करते रहो फल की चिंता मत करो । कर्म मे ही उसका फल परिणाम छुपा रहता है अगर कर्म सही है तो जरूर सफलता मिलती है और कर्म बुरे हैं तो इसका भी परिणाम बुरा ही होता है जो अभी वर्तमान में कोरोनावायरस का तबाही, उदाहरण के रूप में दिख रहा है।
करो ना संदिग्ध को आइसोलेट करने में जनता को जरूर सहयोग देना चाहिए। हमें भय से दूर होकर हमारी कर्तव्य पर ध्यान देना चाहिए अगर हमारा कर्म सही है तो कि इसका फल अवश्य सही होगा। मनुष्य मे अगर मानत्व का गुण है तो वह अवश्य सुख हो या दुख हो ऐसी स्थिति में अपना मन ,तन ,धन का सदुपयोग करेगा यही मानव धर्म है ।मानत्व को ना समझ पाने के कारण ही मनुष्य आज विश्व में तबाही मचाने वाली करोना वायरस का उत्पत्ति अपने नासमझी के कारण किया है। जो मानव के बर्बादी के रूप में पैर पसारते जा रहा है। करोना से संदिग्ध को आइसो लोट करने में अपनी सुरक्षा और सामर्थ्य के अनुसार जरूर सहयोग करना चाहिए फिलहाल वर्तमान स्थिति में यही हमारा कर्तव्य है। सुरक्षित रह कर अपने कर्तव्य के प्रति सजग रहना है ताकि हम स्वयं सुरक्षित रहे और उनको सुरक्षित रखने में सहयोगी हो सके।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
परिवारिक , व्यवहारिक , सामाजिक , धार्मिक , मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से कोरोना संदिग्ध को आइसोलेट कराने में जनता को सहयोग करना चाहिए ।
ये लड़ाई हम सबकी है । हम सबको मिलके इससे लड़ना होगा । घर में रहकर परिवार के साथ रचनात्मक कामों के साथ समय बिताएँ ।जब परिवार सुरक्षित रहेगा तो पड़ोस सुरक्षित रहेगा ।तब समाज देश सुरक्षित रहेगा ।
तभी हम जिंदा रहेंगे । देश जिंदा रहेगा ।
आज लॉकडाउन को चौथा दिन है । पूरे भारत
में मजदूर पैदल अपने परिवार , बच्चों के सङ्ग कोई छोटे बच्चों को गोदी में सिर पर उठाके अपने गांव जा रहै हैं ।
मजदूरों की मजबूरी है ।ये दिहाड़ी पर काम करते हैं । पेट की भूख शांत करने के लिए अपने गाँवों से शहर आना पड़ता है । अब ये बेरोजगार हो गए हैं ।
अब ऐसे में वायरस तो बुरी तरह से इनके द्वारा समाज में संक्रमण फैलेगा । सरकार के आश्वासन के बाद भी मजदूरों का पलायन जारी है । पेट की आग जीवन पर भारी है । परिवार का बोझ लिए लाखों लोग राज्यों के बॉर्डर पर मजदूर , गरीब खड़े हैं । भीड़ से बचने के बजाए बस के लिए मारामारी हो रही है ।
ये देखकर इनके लिए अब सरकार ने बस की व्यवस्था की है । लेकिन इन मजदूरों की जांच में कोरोना पीड़ित पाए गए हैं । मेडिकल कैंप में इनकी जांच की जा रही है । मकानमालिक मजदूरों से अपने घर खाली करवा रहे हैं । लेकिन अब राज्य सरकार इनकी समस्याएं को निदान कर रही है ।कोरोना की 5 लाख लोगों जाँच करने की क्षमता सरकारी मेडिक्ल केंद्रों को है ।
दुनिया में वैक्सीन का ह्यूमैन ट्रायल अभी तक नहीं हुआ है । संदिग्ध लोगों के पास कोरोना की कोई जांच सुविधा नहीं पहुँच पा रही है ।
लोग कोरोना पीड़ित की हिस्ट्री नहीं बता रहे हैं । मीडिया ने बड़े लोगो की केस उछाले हैं । तब वे शख्सियत पकड़ में आयी हैं । जांच को लेकर लोगों की डरने की जरूरत नहीं है ।
लॉकडाउन से कोरोना वायरस फैलने पर 60 प्रतिशत रोक लगी है ।
आज हेल्थ मिनिस्ट्री ने एलान किया जो कोरोना से पीड़ित हैं । उन्हें 3 महीने की दवा दी जाएगी । एम्स कोरोना का केंद्र बनाया है ।हेल्थ सचिव ने सभी राज्यों से कोरोना पर चर्चा की है । डॉक्टर , नर्स को ऑन लाइन ट्रेनिग दे रहे हैं ।
देश में 850 से ज्यादा कोरोना के मरीज हैं । आपातकालीन सेवाओ के लिए कोरोना से लड़ने के लिए रेल मंत्रालय ने रेल कोच को आइसोलेशन वार्ड बनाया ।
कोविड - 19 के लिए हर राज्य आईसोलेशन वार्ड बनाए राज्य को आपदा फंड को आपातकालीन घड़ी में इस्तेमाल करना चाहिए ।
ट्रांसमिशन की चैन तोड़ने के लिए हमें घर में ही रहना होगा । घर में साफ सफाई दूरी का ध्यान रखना होगा ।
कोरोना का लॉकडाउन करने के लिए दूरी जरूरी है ।यह कोरोना से लड़ने के लिए यही हथियार है । घर में भी अलगाव में रहे । जब जरूरी हो तभी घर के बाहर निकलें ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुम्बई - महाराष्ट्र
जनता को सहयोग देना ही है। हर नागरिक को भी व्यक्तिगत रूप से सहयोग देना है। इस आकस्मिक आपदा में हम जितने परिवार के सदस्य हैं उतने ही नागरिक भी हैं। अभी हम उस महत्वपूर्ण और गंभीर दौर में हैं कि हमें अपने दायित्वों को समझना भी है और निभाना भी है और अन्य को प्रेरित भी करना है। आज का निभाया गया हमारा हर कर्तव्य और दायित्व , न केवल हमें आज की इस मुसीबत और बुरे वक्त से निजात दिलायेगा बल्कि सुरक्षित कर हमें खुशहाल भविष्य की ओर भी ले जायेगा। हमें तन,मन,धन से सजग,सावधान और सहयोगी बनना है। अतः कोई संदिग्ध हमारी नजर में आवे तो आइसोलेट करने में भय,संंकोच,शर्म को छोड़कर शासन की जानकारी में लावें।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण की दहशत में है। इस महाामारी के इलाज को कोई टीका अभी तक विकसित नहीं होने तथा प्रसार की तीव्र रफतार के चलते यह बहुत ही घातक बना हुआ है। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति को जागरूक होना होगा कि हम इस कठिन समय में जहां पूरी दुनिया इस से जूझ रही है कैसे एक अच्छे नागरिक का फर्ज निभा सकते हैं कैसे अपने देश के काम आ सकते हैं। तो अब ये वक्त आ गया है कि सबसे पहले हम अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हों और जरा सा भी यह संदेह हो कि हमारे शरीर में कोई बदलाव हो रहा है या हम किसी ऐसे संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आये हैं तो हमें तुरन्त डाक्टर से सम्पर्क करना चाहिये। इसमें डर की कोई बात नहीं है आप अपने परिवार समाज और देश को संक्रमित होने से बचा सकते हैं और संक्रमण की चेन को तोड़ सकते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण मैंने अपनी कॉलोनी में अनुभव किया जब हमारी कॉलोनी पंचशील, अजमेर में हमारे घर से 200 मीटर की दूरी पर चिकित्सा विभाग के द्वारा एक घर में संक्रमित संदिग्घ का बोर्ड लगा दिया गया। जब तहकीकात की गयी तो पता चला कि परिवार स्पेन से आया है और आते ही परिवार ने चिकित्सा विभाग की सलाह पर 14 दिन के लिये अपने को होम आइसोलेट कर लिया है। यही है हमारी अपने आप के लिये अपने परिवार आस पास के लोगों और समाज के लिये देश भक्ति अन्त में मैं यही कहना चाहूंगी कि यदि हमारी नजर में कोई संदिग्घ आये तो हमें संकोच नहीं करके प्रशासन को इतला करनी चाहिये ताकि सभी सुरक्षित रह सकें।
- ज्योति वाजपेयी
अजमेर - राजस्थान
अवश्य और शत-प्रतिशत देना चाहिए ! शुरुआत अपने से करें क्योंकि कोरोनावायरस ने महामारी का रूप धारण कर लिया है और यह समस्या हमारी अपने अकेले की नहीं है यह वैश्विक समस्या है ! पूरे विश्व में यह वायरस फैल गया है !इससे बचाव का कारण पूर्ण नहीं खोज पाए हैं सभी अपने आप को बचाना चाहते हैं यह एक तरह से एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलता है किंतु कैसे इस वायरस से अपने आप को बचाना है यह हमें ज्ञात है!
मनुष्य स्वार्थी होता है ऐसे समय में वह केवल अपने और अपने परिवार की सोचता है अच्छी बात है !समय आने पर हमें संयम के साथ रहते हुए दूसरों के लिये भी सोचना चाहिए अपने लिए तो सभी सोचते हैं !इसका संक्रमण इतना तीव्र है कि 1 से 11 व्यक्ति तुरंत हो जाते हैं यदि हम इससे संक्रमित हैं तो बिना छुपाए हमें अपने को आइसोलेट कर लेना चाहिए क्योंकि यदि अपने परिवार से प्यार है और वे इससे संक्रमित ना हो तुरंत हमें खबर कर देना चाहिए ताकि इस महामारी की चैन को हम रोक सके ! हमारे जवान अन्य कर्मचारी अपनी परवाह न करते हुए हमारे निःस्वार्थ सेवा में जुटे हैं तो हम इतना तो कर ही सकते हैं कि अपने आपको आइसोलेट कर लें और इधर-उधर बिना मतलब के बाहर निकल संक्रमण न फैलाए!
बस इसी तरह की भावना को लेकर दूसरों के लिए भी सोचते हैं तो हम देश के सच्चे फौजी की भूमिका अदा करते हैं हां !स्वार्थी ही सही किंतु अपने साथ आप कितनों को इस वायरस से बचाएंगे यह आपको अंदाजा नहीं है। किसी का हाथ मत पकड़ो पर किसी का साथ भी ना छोड़ो! दूरियां जरूर रखें किंतु संक्रमण से , व्यक्ति से नहीं ! हमें ऐसी कठिन परिस्थिति में एक दूसरे का साथ देना है! खास ध्यान देना है हमारे चलते औरों को तकलीफ ना हो !
अंत में करेंगी सच्चे सैनिक बन इस कठिन परिस्थिति में हमें एकजुट हो इस संक्रमण की चैन को तोड़ देश की इस महामारी से रक्षा करनी है हम विजयी होंगे !
बेहतरीन दिनों के लिए बुरे दिनों से लड़ना पड़ता है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना समस्त भारत को अपने चपेट में लेने की कोशिश कर रहा है।लेकिन हम हम देशवासियों के हौसले बुलंद है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार के नियमो का पालन किया जा है।लेकिन जो कोरोना पीड़ित है उनके लिए सभी को अपने अपने हिसाब से सहयोग करना चाहिए।ताकि आइसोलोसन में लोगो को रखने में आसानी हो। अभी दान नही किया और मानवता का भला न हुआ तो दान कोई काम का नही होगा। हमे अपने आपको बचाते हुए आगे कदम बढ़ाकर लोगो की मदद करना चाहिए। अभी धर्म और जाति की बात न करके मानवता का फर्ज निभाना अति आवश्यक है। और जनता को जागरूक करें कि आगे आकर कोरोना संदिग्धों को मदद करे।
- राम नारायण साहू " राज "
रायपुर - छत्तीसगढ़
हां जनता को ही सहयोग कराना चाहिए।क्योंकि 'कोरोना महामारी' की उत्पत्ति की मूल जड़ जनता ही तो है।किन्तु 'कोरोना विज्ञापन' नि:शुल्क नहीं होने चाहिए।
सर्वविधित है कि जब आदरणीय अमिताभ बच्चन जी बिमार हुए थे।तब उनके स्वस्थ होने की दुआ करने वाले भारतीयों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी।उनसे कोई धन की मांग नहीं की थी।ऐसे में वह जनहित के विज्ञापनों पर स्वास्थ्य मंत्रालय से 'विज्ञापनों' का धन क्यों ले रहे हैं?क्या विपत्ति की इस घड़ी में उन्हें नि:शुल्क विज्ञापन नहीं देने चाहिए?
समस्त पत्रकारिता यानि कि मीडिया 'कोरोना विज्ञापनों' पर करोड़ों का लाभ ले रही है।क्या उसे सेवाभाव और मानवता के लिए इस महामारी में नि:शुल्क विज्ञापन नहीं देने चाहिए?क्या कोरोना मात्र और मात्र 'गरीबों की परीक्षा' के लिए ही 'महामारी' लेकर आया है?
संवैधानिक राष्ट्रप्रेम हमेशा गरीबों का ही क्यों रक्त सूचता है?क्यों प्रत्येक परिस्थिति में गरीब ही बलि का बकरा बनता है?जबकि चंद गिने-चुने भारतीय अमीरों के पास अत्याधिक धन है।जिन्हें खुलकर राष्ट्रहित में मानवता के बचाव हेतु आगे आना चाहिए।
उदाहरणार्थ जब शनिदेव सेवा सिमिति छम्ब-ज्यौड़ियां 'कोरोना महामारी' के बचाव के लिए दान दे सकती है।तो बाकी अन्य धर्मस्थल इत्यादि-इत्यादि चुप्पी क्यों साधे हुए हैं?यदि राष्ट्र सर्वोपरि है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
" मेरी दृष्टि में " कोरोना संदिग्ध एक भी बाहर नहीं रहना चाहिए । नहीं तो कोरोना से लड़ाई फेल हो जाऐगी । इस महा बीमारी के परिणाम बहुत ही खतरनाक साबित होगें । इसलिए कोई भी संदिग्ध आइसोलेट से बाहर नहीं रहना चाहिए ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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