कोरोना ( काव्य संकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
सम्पादकीय
कोरोना से दुनियां में दहशत
दुनियां में कोरोना ने हालत काफी खराब कर दिये हैं । एक तरफ तो कोई स्थाई इलाज सम्भव नहीं हो पा रहा है । दुनियां में एक सौ 63 देशों में यह बिमारियों पैर पसार चुकी है तथा एक लाख 68 हजार से अधिक लोग बीमारी की चपेट में आ चुके हैं । 66 सौ से अधिक लोग जान गवा चुके हैं ।
डब्ल्यू एच ओ के प्रमुख टेडोस एडहैनोम घेब्रेयसन ने कहा कि आप आँख पर पट्टी बाधंकर आग नहीं बुझा सकते हैं । अगर इस बिमारी पर काबू पाना है तो एक ही उपाय है जांच , जांच और जांच । हमें हर संदिग्ध मामले की जांच करनी होगी ।
कवियों ने हर युग में हर समस्या से लड़ने के लिए अपनी कलम की ताकत दिखाई है । आज फिर कोरोना से लडने के लिए कलम उठाई है । कवि अपनी - अपनी कविता लेकर यहां पेश हुआ है । सबकी अपनी - अपनी शैली है । फिर भी सभी का स्वागत करते हैं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सम्पादक
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क्रमांक - 001
विश्व में दहशत
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विश्व में दहशत कोरोना की देश देश में है यह छाया
शुरु चीन ने किया शव दहन और इसका अस्तित्व मिटाया ।
बाकी सारे प्रावधान है जल में बहाओ या दफनाओ
मिट जाती है देह समूची बच जाता कोरोना भाया ।।
- मनोज श्रीवास्तव
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 002
कोरोना
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बार-बार हाथों को अपने सेनेटाइजर से धोना,
सर्दी-खांसी हो जिसके भी उससे दूरी रखोना।
तब होगा नहीं कोरोना.. तब होगा नहीं कोरोना।
जब तक ना हो बहुत जरुरी यात्रा पर ना जाना,
धूप में जितना सम्भव हो तुम, उतना समय बिताना।
पीने से पहले पानी को भी तुम गरम करोना।
तब होगा नहीं कोरोना, तब होगा नहीं कोरोना।।
हाथ जोड़ बस करो नमस्ते, अब ना हाथ मिलाना,
मांसाहार को त्याग सभी, शाकाहारी बन जाना।
स्वच्छ रहें कीटाणु मुक्त हो घर का हर इक कोना।
तब होगा नही कोरोना, तब होगा नहीं कोरोना।।
- कीर्ति तिवारी 'व्यथा'
बुरहानपुर - मध्यप्रदेश
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क्रमांक - 003
जैसे हो भूकंप
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कोरोना फैला रहा,
दुनिया मे हड़कंप...
हर जन का मन कांपता,
जैसे हो भूकंप!
जैसे हो भूकंप कि...
अब निज घर ही रहना,
इधर-उधर मुंह मारा तो...
फिर पड़ेगा रोना!
- अंजू अग्रवाल 'लखनवी'
अजमेर - राजस्थान
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क्रमांक - 004
कोरोना का कहर
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इधर कोरोना उधर कोरोना
सब पर ढ़ाये कहर कोरोना
वुहान शहर चीन से फैला
खाते खग-पशु सर्प बिषैला |
देश शहर घर नगर कोरोना
सब पर ढ़ाये कहर कोरोना ||
सर्दी जुखाम खाँसी लक्षण
इसका फैले तेज संक्रमण |
मचा रहा है गदर कोरोना
सब पर ढ़ाये कहर कोरोना ||
रहें सतर्क और मास्क लगायें
करें नमस्ते ! न हाथ मिलायें |
अब होगा बेअसर कोरोना
सब पर ढ़ाये कहर कोरोना ||
हर पल रहना सावधान तुम
संभल के करना खान-पान तुम |
खतरनाक सा जहर कोरोना
सब पर ढ़ाये कहर कोरोना ||
स्वच्छ रहें और करें सफाई
वैक्सीन न बनी दवाई |
जहाँ सुनो बस खबर कोरोना
सब पर ढ़ाये कहर कोरोना ||
यह है एक महामारी
चिंतित है दुनिया सारी |
यह हारेगा आप डरो ना
सब पर ढ़ाये कहर कोरोना ||
- पुनीत सत्यम
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 005
कोरोना वायरस
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अदृश्य गरल रस
जीवाणु कोविद उन्नीस
सूक्ष्म जहरीला वायरस
सर्वत्र
सुनामी सा दस्तक
हर शख़्स हैं नतमस्तक
पहचान नयी युद्ध शक्ति
न काट न भेद
शीश धरे
बेबस हर मानव, रहम की
आस करो ,न डरो ना
प्रणाम का महत्व समझो
संपर्क मे आओ ना
दूर ही रहो ना
कलयुग की आहट में न फँसो ना
धैर्य धरो सतर्क रहो ना
सशंकित है जीवन
थमा रफ़्तार
बेबस सब ,अब
इस आफ़त से लड़ो ना
अदृश्य पहचान ,अविष्कार
भेदक करो ना...
बंद गाँव ,शहर व जगत
ज्ञान से अटे मानव सारे
मन के विकारों से पटे
जीवाणु से हारे
स्वच्छता का ध्यान धरो ना
एक जुट हो बात बात
पर न लड़ो ना...
देती हूँ संदेश
मैं कोरोना !
- सविता गुप्ता
राँची - झारखंड
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क्रमांक - 006
कोरोना करो ना
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कोरोना के भय से
तुम इतना डरो ना।
साफ-सफाई को तुम
अपनी आदत बना लो ना।
सर्दी - खाँसी अगर हो तो
क्रोसिन - विटामिन सी लो ना।
बाहर से घर आओ तो
हाथ जरूर धो लेना।
आईसक्रीम, पिज्जा, बर्गर को
सख्ती से कह दो ना-ना।
कोई हाथ मिलाना चाहे
तो हँसकर नमस्ते कर देना।
भावनाओं के मरूस्थल में
रिश्तों को मत खो देना।
नफरतों के इस दौर में
प्यार की फसल तो उगाओ ना।
गर हम एक साथ खड़े हों प्रतिरोध में
तो क्या कर लेगा ये कोरोना-कोरोना?
- विजयानंद विजय
बक्सर - बिहार
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क्रमांक - 007
कोरोना
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हे #कोरोना...
बस इतनी सी कृपा #करो_ना..
आये हो जैसे वैसे ही जाओ न...
हो रही हमे तुमसे पढेसानी -पढेसानी...
बस इतनी कृपा #करो_ना..
न घूम सकते कहीं और न कहि जा सकते हैं...
मित्रों संग गपशप पर भी रोक लगी है ...
ऐसी कृपा तुम्हारी #कोरोना ...
कोरोना कृपा #करो_ना ..
मंदिर भी जाते हैं मास्क लगा के
भगवान भी आशिर्वाद देते हैं मास्क लगा के...
शादियां भी हो रही मास्क लगा के...
कृपा करो_ना #कोरोना।
जय जयकार तुम्हारी हो रही #कोरोना...
हाय, हैलो बन्द किया ...
#नमस्ते को विस्व में #पहचान दिया तुमने #कोरोना...
#कोरोना ...वो .....#कोरोना
तुम्हारा सुक्रिया..
बस अब और नही ...
जैसे आये थे वैसे ही जाओ..ना
मास्क लगा के तुमको #नमस्ते # कोरोना।
- बिना कुमारी
धनबाद - झारखण्ड
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क्रमांक - 008
कोरोना
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जब से चीन से आया कोरोना
शापिंग मॉल, सिनेमा घर का हो गया रोना
रात में क्या, दिन में भी मुश्किल हो गया सोना
जब से चीन से आया कोरोना
बकरों और मुर्गियों का चैन से हो रहा सोना
क्योकि आदमी को डरा रहा कोरोना
सात रुपये का मास्क सत्तर में बिक रहा है
इसका असर अंतर्राष्ट्रीय बाजार में दिख रहा है
हर कवि अपनी कलम से कोरोना के बारे में लिख रहा है
चीन का कोरोना भारत में दिख रहा है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
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क्रमांक - 009
भारत मेरा
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सतर्क रहें
हवा से नहीं फैले
बेखौफ रहें
कोरोना से ना डरें
सावधानी ही बचाव
कोरोना आया
संग नमस्ते लाया
शाकाहार भी
पीढियों के संस्कार
फिर याद दिलाया
कोरोना क्या है
छोटी सी बीमारी है
हौवा नहीं है
होश-हवास रखो
हौसलों की बारी है!!
भारत मेरा
पुरातन देश है
लाखों कोरोना
आयुर्वेद से हारे
यह विश्व गुरु है!!
कोरोना नहीं
हाथों की रेखाओं को
स्वच्छ रखें
किस्मत पर नहीं
जागरूकता रखें।।
- हेमलता मिश्र ' मानवी '
नागपुर - महाराष्ट्र
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क्रमांक - 010
कोरोना आया
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को रोना आया को रोना आया
चारों ओर देख हड़कंप मचाया।
चीन से ना संभाल सके भारत भिजवाया,
स्वास्थ्य विभाग को बड़ा झटका दिलाया।
एयरपोर्ट पर मेला सा भर आया,
सभी को सजग कर काम पर लगाया।
एन पंचानवे का मास्क लगवा कर
पब्लिक को शहर के बीच में घुमाया।
वायरस लाइलाज दवा की तलाश,
आज नहीं तो कल पूरी हो आस।
- रश्मि लता मिश्रा
सी जी बिलासपुर - छत्तीसगढ़
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क्रमांक - 011
श्रीमान वायरस
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विश्व से वुहान प्रान्त से
महारोगाणू ने जन - जन को
अपने पाश मे बांध कर
नर - नारी को भंयकर माया जाल में
चीन - अमरीका भारत जपान
योरुप - ईरान - इटली राष्ट्र को
वायरस ने विचित्र रोग - किटाणू दिये ।
हवा की गति से चल कर,
मानव ने रोगाणु को फैलाया
धरती को हरा - भरा न कर
उस को बंजर बना दिया
वायु - जल को दुषित कर ।
नर - नारी ने रोगों का निवास बना दिया ,
प्राकृति का मानव से शाश्वत सम्बन्ध है
पृथ्वी का श्रंगार कर वृक्ष - पौधों का रोपण कर
वन - वाटिका - उपवन को मन मोहक बनाओ
बसुन्धरा पर जल - समीर शुद्ध मिलेगा
विश्व को रोगमुक्त कर -
जन- जन को प्राणवायु मिलेगी ।
- मदन मोहन ' मोहन '
पानीपत - हरियाणा
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क्रमांक - 012
सावधान कोरोना
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हमारी
भारतीय संस्कृति में
ऐसी ऐसी बातें हैं
व्यवहार में लाते रहें
स्वस्थ बने रहेंगे,
मानने लगे हैं अब
संपूर्ण विश्व के लोग
हाथ जोड़ कर
प्रणाम में भी
छिपा स्वस्थ रहने का
रहस्य है,
योग ने तो
वैसे भी छुड़ाये हैं छक्के
उन सारे रोगों के
हो जाती जहाँ पर
एलोपैथी भी अनुत्तीर्ण है,
बारहों मास जो
पीता रहे गर्म पानी
ऐसा व्यक्ति
स्वस्थ होकर
रहता सदाबहार है,
शाकाहार अपना ले जो भी
होता दीर्घायु है
प्रकृति संरक्षण में भी
करता योगदान है,
ऐसे ऐसे
श्रेष्ठ कर्म
विज्ञान सम्मत हैं यहाँ,
तो त्रुटिवश
मार्ग भूल कर
कोरोना यदि आ रहा है
उलटे पैरों भागता
वो नजर आयेगा,
आयुर्वेद, योग के सम्मुख
कभी टिक नहीं पायेगा ।
-डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखण्ड
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क्रमांक - 013
उपचार
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भारत देश में
बंटता है प्यार
देखिए बाहर से भी
ला रही है हमारी सरकार
बेबस लाचार
कैरोना के बीमार
करने के लिए उनका उपचार।
- आशा शैली
सम्पादक शैलसूत्र
नैनीताल-उत्तराखण्ड
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क्रमांक - 014
कोरोना
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विष अणु हुआ आपाती उद्भव
आक्रामक जटिल चीन के प्रांगण में
भयाक्रांत मानव
हिल उठीं
विश्व सीढ़ी
आपाती समस्या आन पड़ी
रोना और धोना
नहीं समस्या का समाधान
खोज औषधि
कोरोना
हम सब भय मुक्त
हो कर लडें
संकट घड़ी में
स्वच्छता और सावधानी
स्वास्थय की
टल जाएंगे
बड़े बड़े काल
धैर्य और शांति में
करूणा करती कार्य
एक दूजे के लिए
सदैव रहें तैयार
कोरोना होता विफल
- डॉ .आशा सिंह सिकरवार
अहमदाबाद - गुजरात
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क्रमांक - 015
यह दावा
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कोई न कोई वायरस
अब आम बात है
कभी केरल से
तो इस बार चीन से
आ ही जाता है।
हम भी
आधुनिक से आधुनिक
होते जा रहे
पर भारतीय संस्कृति परम्परा में
जिस तांबे को
सर्वाधिक सुरक्षित माना
अब विश्व भी मान गया
दैनिक जीवन में न अपना रहे।
अन्य किसी भी वस्तु से
एक सौ प्रतिशत अधिक
परिणाम देगा यह दावा है
हमारा नहीं हमारी परम्परा
गौरव का संस्कृति का भी।
- शशांक मिश्र भारती
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 016
कोरोना से डरो
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मैं कोई लेखक नहीं हूँ,
लेकिन लिखता हूँ।
उसी विधा में,
जिस विधा में सुविधा हो।
आखिर दुविधा-विधा में क्यों हो?
वो बात और है कि
जिसकी प्रिय विधा काव्य है
वह गा नहीं सकता - कोरोना वायरस है कैसा?
जिसकी प्रिय विधा फोटोग्राफी है
वह खींच नहीं सकता चित्र - कोरोना वायरस का।
जिसकी प्रिय विधा कहानी है
वह कह नहीं सकता - कोरोना वायरस के लिए।
और जब ये कु्छ नहीं कर सकते तब
यह देख कर मैं...
इंसानों को डरा सकता हूँ
उसका नाम लेकर –
सावधान रहो कहकर।
क्योंकि मैं लिखता हूँ सिर्फ डर।
क्योंकि डर के पीछे... धन है।
मेरी प्रिय विधा डर ही है।
चाहे मैं अखबार हूँ या टीवी।
या हूँ किसी मंत्री की कुर्सी के पीछे छिपा देश का भविष्य।
हूँ चोटिल चेहरे वाला सुधार भी।
दुःख है कि मंदिरों-मस्जिदों में भी हूँ।
लेकिन मर जाता है मेरा नामुराद दिल
क्योंकि अपनी सर्व-व्यापकता के कारण
मै डर को बना के बहुत बड़ा पर्दा,
स्कूलों में भी हूँ।
काश! न होता।
काश! होता उसकी चिकित्सा - जिसका डर हूँ।
- डॉ चंद्रेश कुमार छतलानी
उदयपुर - राजस्थान
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क्रमांक - 017
मेरा नाम है करोना
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कल रात मुझसे मिलने
आई थी करोना
देख कर मैं तो डर गया था
कांप गया था मैं तो भय से
पर उसने कहा
क्यों डरते हो मुझसे
मैं तुम्हें क्या किसी को भी
कुछ नही करने वाला
बेकार डर रहे हो
मेरे नाम करोना से
उन्हें डरने की कोई बात नही
जो अपनी सभ्यता संस्कृति का
करता है पालन
नही दुखाता है किसी मानव को
हाँ, मुझसे वे डरे
जो भ्रष्टाचारी है
जिससे मानव जीवन खतरे में हैं
जो लोगों को जीने नही देता है
जिसमें मानवता नही है
वे डरे मुझसे
उसे छोड़ने वाला नही हूँ
मेरा नाम है करोना
- संजय कुमार सुमन
मधेपुरा - बिहार
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क्रमांक - 018
दंगों के वायरस
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आज से
तय करो कि
मिलने पर
हाथ नहीं,
दिल मिलायेंगे,
करोना और
दंगों के वायरस
खुद ही फाँसी खा
मर जायेंगे ।
- घनश्याम अग्रवाल
अकेला - महाराष्ट्र
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क्रमांक - 019
कुंडलियां छंद
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कोरोना का वायरस, फैला सकल जहान।
यह संक्रामक रोग है, बचे ना जिससे प्रान।।
बचे न जिससे प्रान, बनी न कोई दवाई।
शाकाहार निदान, रखे बस साफ सफाई।
कहता 'शिव' दिव्यांग, भीड़ से बचकर रहना।
रुग्ण लगाएं मास्क, रुकेगा तब कोरोना।।01
जितना ज्यादा हो सके, स्वच्छ रखें परिवेश।
हम शाकाहारी बनें, ऐसा दें संदेश ।।
ऐसा दें संदेश, रहेगा दूर कोरोना।
पिए गर्म कर नीर, हाथ मल-मल के धोना।।
कहता 'शिव' दिव्यांग, करें यह खुद से वादा।
रहें भीड़ से दूर, हो सके जितना ज्यादा।02
- शिवेन्द्र मिश्र ' शिव '
लखीमपुर - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 020
दोहे
सकल विश्व में छा चुका, 'कोरोना' आतंक ।
इसकी जद में हैं सभी, राजा हो या रंक ।।
'कोरोना' की न्यूज़ से, पटा मीडिया आज ।
दहशत वाला है विषय, जो है नहीं इलाज ।।
साफ-सफाई का रखें, यदि हम पूरा ध्यान ।
'कोरोना' से दूरियाँ, तभी रहें श्रीमान ।।
हाथ मिलाना छोड़कर, करें नमस्ते आप ।
'कोरोना' के विस्तार को, तभी सकेंगे नाप ।।
बार-बार मत हाथ से, छूना अपनी नाक ।
सनटाइजर से हाथ को, करते रहिए पाक ।।
खाँसी-ताप-जुकाम से, लक्षण मिले समान ।
लेकिन कम संभावना, जाँच बिना श्रीमान ।।
बस रोगी मुँह को ढँकें, करके मास्क प्रयोग ।
कालाबाजारी रुके, यदि समझेंगे लोग ।।
अफवाहों का गर्म है, देखो अब बाजार ।
धीरज दामन थामिए, 'कोरोना' की मार ।।
रहें बचे उतना सुनो, जितना रहें सतर्क ।
होगा बेड़ा देखिए, 'कोरोना' का गर्क ।।
वैज्ञानिक संसार के, लेंगे खोज निदान ।
नहीं अंधविश्वास को, पनपाएँ इंसान ।।
बहुत जरूरी हो तभी, करिए बाहर सैर ।
वरना नहीं निकालिए, अपने घर से पैर ।।
बाबा-ओझा-मौलिवी, लगे छेड़ने राग ।
जो पूजा-ताबीज से, कहें 'करोना' भाग ।।
- पीयूष कुमार द्विवेदी 'पूतू'
फतेहपुर - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 021
कोरोना: बचाव ही इलाज
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रोग विदेशी भयावह, कोरोना जी नाम ।
मित्रों करें बचाव बस, वर्ना काम तमाम ।।
परिजन पुर जन स्वच्छ ,हों, खुद भी रहिए साफ ।
परजीवी कीटाणु हैं, नहीं करेंगे माफ।।
जूडी खांसी शूल सिर नजला आंखें लाल ।
अवरोधन कुछ श्वास का, लक्षण भारी भाल ।
नहीं हाथ मुँह पर रहे, छींकें जा एकांत ।
नमन करें दूरी रखें, जागें मीत नितांत । ।
उष्ण भोज्य हल्का तरल, घर दी रोटी दाल।
गर चूके चौहान तो, करना पड़े मलाल।।
रोग ग्रसित या शंकर वत, ढ़ूँढ़े वैद्य सुषैन।
परिचर्या उत्तम दवा, माने तद प्रति बैन।।
- डॉ प्रखर दीक्षित
फर्रुखाबाद - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 022
नमस्कार कोरोना
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दहशत से तेरी डर गए सब यार कोरोना
तू सच भी है कि झूठ का व्यापार कोरोना
हालात ऐसे पैदा हुए किस वजह से ही
कहता है करके देख लो विचार कोरोना
आदत जो जानवर को खाने की डाले ली
ईनाम उस बला का दुराचार कोरोना
अब हाथ मिलाने की रिवायत बदल गई
अपनाया तेरे डर से नमस्कार कोरोना
सेहत पर सिर्फ इंसा के ना हो रहा असर
हर देश डर से मांगता उपचार कोरोना.
- रूपेंद्र राज
रायपुर - छत्तीसगढ़
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क्रमांक - 023
करोना
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आयुर्वेद पर विश्वास करो
इस बीमारी से डरोना
तुलसी के पत्ते पुदीने की चटनी
योग नियमित तुम करोना
काली मिर्च त्रिफला लो चूर्ण
क्या करेगा तुम्हारा करोना।
अँग्रेज़ी दवाओं का मोह छोडो।
देसी दवाइयों से तुम नाता जोडो
करोगे योग क्रिया वमन तुम
क्या बिगाडेगा तुम्हारा करोना।
देश मे धँधा बन गया करोना
मास्क गोलियां बढे पर लो ना
अफवाहों से कभी तुम डरो ना।
क्या बिगाडेगा तुम्हारा करोना?
स्वच्छ भोजन तुम खूब खाओ
हीँग मैथी का तडका लगाओ
लोम अनुलोम तुम आजमाओ।
विदेशी चोचलों से कभी तुम डरो ना
क्या बिगाडेगा हमारा करोना।।
- आचार्य मदन हिमाँचली
सोलन - हिमाचल प्रदेश
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क्रमांक - 024
मत डरना कोरोना से
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मत डरना "कोरोना" से तुम
हम भारत वासी हैं
है पवित्र ये देश हमारा
ऋषि मुनियों की थाती हैं ।
यज्ञ ,हवन होते हैं निसदिन
समिधाएँ जलती हैं
लौंग, कपूर, घृत, चंदन से
ये सामग्री बनती हैं।
अग्नि प्रज्वलित होती है तब
लौ ऊपर उठती है
महक फैलती है चहुँ दिस तब
वायु शुद्ध करती है ।
कोरोना को रोना ना बस
शाकाहारी बन जाओ
शुद्ध, सात्विक भोजन कर लो
मूक जानवर ना खाओ ।
- श्रीमती सुशीला शर्मा
जयपुर - राजस्थान
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क्रमांक - 025
करोना की अफवाह
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उड़ती हुई अफवाह जब मुझ तक पहुंँची तो,
मैं हैरान हो गई यह देख कर कि इस को हवा दे रहे थे
समाज के पढ़े-लिखे लोग।
सतर्कता नहीं ना समझी का मास्क पहनकर जो खुले में छिंकते खाँसते है
वे लोग आज दूसरों को व्हाट्सएप पर थोड़ी थोड़ी देर मेंआते मैसेज को इधर-उधर भेजने में व्यस्त हैं,
ना कि यह समझने में कि कहीं यह अखबार झूठी तो नहीं।
जो खुद को छिपाते घूम रहे हैं अपने परिजनों के पास उनकी समझदारी को मेरा शत-शत प्रणाम ।
वे खुद को दे रहे हैं तमगा जागरूकता का।
जो खुद को तो जोखिम में डाल रहे हैं साथ ही उनको जो उनके आसपास मौजूद है उनके लिए भी खड्डे खोद रहे हैं।
जब वे बेजुबान जानवरों की बोटियों को चूसते हैं तब इनकी समझदारी पानी भरने चली जाती है ।
अपने पूर्वजों , ऋषियों,ग्रंथों की वाणी को समझ नहीं पाते हैं।
शाकाहारी जीवन ,स्वस्थ जीवन के नारे को नकारते हैं ।
"जागरूक रहिए, सतर्क रहिए ,अफवाह ना तो फैलाए ,ना ही का हिस्सा बने ।
- मोनिका शर्मा मन
गुरुग्राम - हरियाणा
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क्रमांक -026
कोरोना वायरस
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चीन देश से बरपा कहर
एक वायरस कोरोना
चौपट हुई अर्थ व्यवस्था
भयभीत हर कोना।
स्वच्छता की ताकत से
भगाएं महामारी
छोड़ो हाथ मिलाना आई
नमस्कार की बारी।
मत छूना आंख,नाक
हाथ धोना साबुन से
भीड़ में मत जाना
दूर रहो बाहरी भोजन से।
भारतीय संस्कृति को अपनाकर
इस आतंक को जीतें
संयमित जीवन, सावधानी
अफवाहों से बचें।
धिक्कार उन्हें जो मुसीबत में भी
स्वार्थी बन जाते हैं
सेनेटाइजर,मास्क आदि की
कीमतें बढ़ाते हैं।
है देश से प्यार अगर तो
ज़रा इंसानियत दिखाओ
इस वायरस से लड़ने हेतु
मदद के हाथ बढ़ाओ।
- डॉ सुरिन्दर कौर नीलम
रांची - झारखंड
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क्रमांक - 027
कोरोना
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भय का दूसरा नाम है कोरोना,
रोग से ज्यादा भय है कोरोना ।
हाथ, गले मिलने से डरते लोग,
भारतीय पद्धति से नमस्कार करते लोग।
भीड़ में जाने से बहुत घबराते,
बैठक, सम्मेलन के नाम से थरथराते ।
स्वागत में देते नहीं फूलों का गुलदस्ता ,
हाथों में टपका देते सैनिटाइजर का टपका।
छींक की आवाज से सब चौक जाते ,
सर्दी ग्रसित व्यक्ति से दूरी बनाते।
टेलीविजन, रेडियो ,अखबार और इंटरनेट से,
अपने शारीरिक लक्षणों को कोरोना से मिलाते।
विमान यात्रा को सब टालते,
ट्रेनों में जाने से भी घबराते।
जिन जिन शहरों में कोरोना के है मरीज ,
उसके आसपास के शहरों में भी नहीं जाते।
कोरोनाा से इतना घबराने से क्या होगा,
यह तो महामारी है, यह तो फैलेगा।
जिस बीमारी का इलाज नहीं,
उससे करना बचाव सही है।
कहते डॉक्टर बार बार धो लो हाथ,
घड़ी घड़ी चेहरे को नहीं लगाना हाथ ।
भीड़ वाली जगह में जाने से बचना ,
घर का गरम खाना और ज्यादा घर में ही रहना।
- रंजना वर्मा
राँची - झारखंड
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क्रमांक - 028
कोरोना का कर्फ्यू
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वुहान से आया जग में
साठ वायरस वाला क्रूर कोरोना
मानव को रुला के
मचा रहा मौत का कोहराम
संक्रामक बन के
फैलायी है महामारी
आफ़तकाल बना आपातकाल
देखो वायरस का महाप्रताप
प्राइमरी परीक्षा हुयी सब रद्द
सभी छात्रों हो गए उत्तीर्ण
स्कूल , मॉल ,मंदिर , ऑफिस पिक्चर हॉल हुए बंद
ब्रिटिश कोलंबिया भी हुआ शट डाउन
सब्जी मंडी , बाजारों में हुई भीड़ कम
विदेशों से लोगों के आने पर लगाई रोक
कोविड-19 बना प्रभावी प्रबंधन
भारतीय सीमाओं को किया सील
पर्यटन पर लगायी पाबंदी
वसुधैव कुटुंबकम का भारत
बना है संस्कृति का परिचायक
मानवता की ले जिम्मेदारी
करे सार्क देशों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
बढ़ाए मदद के हाथ
मॉस्क से बचाब की छायी बाहर
जगह - जगह चला सेनिटाइजर से
स्वच्छता अभियान
दरवाजे , हेंडिल रेलिंग करें स्वच्छ
तन के साथ मन भी हो साफ
नकली बिकते सेनिटाइजर
फेंके मॉस्क से करें व्यापार
डरो नहीं जागरूक बनो
हाथ , मुँह को हर बार धोओ
और
फ़ौरन संक्रमित रोगी ' मंजु '
जाए डाक्टर , आईसोलेशन वार्ड ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
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क्रमांक - 029
कोरोना दोहे
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डर कोरोना का यहाँ, फैल गया चहुँ ओर।
ध्यान स्वच्छता का रखें, मचा हुआ है शोर।।
भयाक्रांत होना नहीं, करें शांति से काम।
सावधान होकर रहें, तन को दें आराम।।
बाहर से आएं कभी, पहले धोएं हाथ।
दूर वायरस को करें, दृढ़ इच्छा के साथ।।
सिर्फ सफाई का हमें, रखना है बस ध्यान।
सफल बनाएं हम सभी, कोरोना अभियान।।
हो पूरा सहयोग तो, संकट होगा दूर।
इस कोरोना की कमर, हो जाएगी चूर।।
- गीता चौबे "गूँज"
राँची - झारखंड
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क्रमांक - 030
कोरोना वायरस
**************
साफ सफाई शुचिता रखो ना
प्यारे बन्धु न वायरस से घबराना
मांसाहारी भोजन हाथ न लगाना
शाकाहार ,फल,सब्जी को खाना
हाथ जोड़ नमन करना
दो मीटर की दूरी रखना
मेल,मिलाप, स्पर्श मत करना
अॉखे चार किसी से ना करना
नासिका मुख को ना छूना
नल के नीचे साबुन से हाथ धोना
खांसी-जुकाम संक्रमण में
मास्क का प्रयोग जरूर करना
बाल,वृद्ध,आबाल,नरनारी
भोजन खाना शाकाहारी
प्राणायाम, कपालभाती
योगासन है अति लाभकारी
दूध,दही,फल, ताजा भोजन
नित्य करो तुम इनका सेवन
तुलसी अदरक लौंग गिलोय
नींबू आंवला नीम सुरक्षित होय
ईश सेवा, उपासना करना
निर्मल विचार ह्रदय में रखना
बुरा किसी का कभी न करना
तनमन में पवित्रता रखना
प्रतिरोधक क्षमता बढाना
जन मन में ये बात बताना
वायरस से फिर काहे डरना
दुम दबा भागेगा कोरोना ।
- सीमा गर्ग मंजरी
मेरठ छावनी - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक -031
क्यों कोरोना ?
**************
दिल की धड़कने रुकती
हुई नजर आ रही है
जाने क्यों ये दहशत फैली हुई है !!
कोरोना आया , क्यों आया
ये कोहराम मचा हुआ है
प्रकृति हमारी अनमोल है
भव्य हम मनुष्य नेक है
पर करते नित-दिन द्वेष है !!
लिया सब कुछ प्रकृति से तूने
भला मन से उसे दिया क्या
सोच मनुष्य तूने किया क्या !!
अभिलाषा तेरी प्रकृति-परमात्मा
से जुड़ी क्षण-क्षण
रोता तू संदेह कर पल-पल !!
मन के गागर को,निरसता से भर के
पाया क्या प्रकृति से लड़ के
काटा तूने, विनाश किया
तो सोचता क्यो है !!
कोरोना-कोरोना करता क्यों है
प्रकृति से ही सरसता हमारी
इससे मुँह मोड़ता क्यों है
मोड़ता क्यों है !!
- रेखा सिनु साव
दुमका - झारखण्ड
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क्रमांक - 032
कोरोना से न डरेंगे
****************
मम्मी मुझको सर्दी हो गई
और ज़रा सी खांसी हो गई
कुछ -कुछ है फीवर भी मम्मी
और सताए डर भी मम्मी
कोई वायरस बो न जाये
कहीं कोरोना हो न जाये
सुनकर के ये बोली मम्मी
मुंह को अपने खोली मम्मी
बेजा तुमको ये सब डर है
नहीं कोरोना का ये असर है
जिसे कोरोना हो जाता है
फिर सम्पर्क में जो आता है
उससे फैले ये बीमारी
करें हम बचने की तैयारी
भीड़ -भाड़ में यूँ न जाएं
शाकाहारी भोजन खाएं
रखें ज़रा चेहरे को ढक कर
हाथ जो धो लें और है बेहतर
अगर बचाव हम सब कर लेंगे
कभी कोरोना से न डरेंगे
- डा जियाउर रहमान जाफरी
नालंदा - बिहार
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क्रमांक -033
कोरोना का रोना
**************
कोरोना का हर तरफ है रोना।
कोरोना से इतना भी तुम
डरो ना ।।
साफ सफाई की आदत
बना लो ना।
हर बार साबुन से हाथ धोना।।
सर्दी जुखा़म से अगर हो किसी का सामना।
उसे हिकारत भरी नज़रों से तुम देखो ना।।
आयुर्वेद की सहायता से डट कर करो सामना।
कोरोना को भारत से पड़ेगा भागना।।
सनातन जीवनशैली अपना लो ना।
फिर तो आयेगा कोरोना वायरस को ही रोना।
कोरोना की रोकथाम हम सबको मिलकर ही है करना।
स्वस्थ रहें हम सब यही चाहती है आनंदलीना।।
- लीना बाजपेयी
भोपाल - मध्यप्रदेश
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क्रमांक -034
सहमें हैं लोग आज
**************
छेड़ोगे प्रकृति को तो ऐसे बवण्डर
आते ही रहेंगे
कभी चिकन गुनिया कभी स्वाइन फ्लू
बन कर डराते ही रहेंगे।
कोरोना है सबसे अलग बन गया है विकराल काल
सहमें हैं लोग आज
बन्द हुए शिक्षा के द्वार
परेशान हैं बाल गोपाल
घर में मचा रहे उत्पात।
है ये ऐसा संक्रामक
पीड़ित जन के स्पर्श मात्र से
बढ़ता है ये हर पल
सब अभिवादन के नियम बदल गए
कोई न करता चरण स्पर्श
अब न कोई हाथ मिलाये
हाथ जोड़ करते वन्दन।
बड़ा अद्भुत समय चल रहा
सब डर कर कर रहे नियम पालन
चाहे हो सेनिटाइजर या हो साबुन या डेटॉल
सब हाथ धोकर भोजन करते
चल रहा स्वच्छता का अभियान
पर क्या है कोरोना आया कहाँ से?
यह प्रश्न बड़ा जटिल है
वैज्ञानिक शोध कर रहे
औषधि बता रहे आयुर्वेदाचार्य
है मानव तुम रखो धीरज
जो आता है वो जाता है
ये भी विपदा टल जाएगी
जीवन हो जाएगा पूर्वत।
- इन्दिरा तिवारी
रायपुर - छत्तीसगढ़
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क्रमांक -035
बीमारों को बचाने पर
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कोरोना ने दस्तक दे दी , मूक- पच्छियौ को खाने पर ।
सभ्य मानव होकर के , सूप चमगादड़ पीने पर ।
अब क्यो रोयो क्यों घवड़ाओ, जीवों का हक खाने पर।
सब जीवों मे बसा है ईश्वर, सबका हक है बसुधा पर।
बालकृष्ण करे प्रार्थना ,भाई चारा बढ़ाने पर ।
सब मिलकर इस धरा पर रहियो, बीमारो को बचाने पर ।
- बालकृष्ण पचौरी
भिण्ड - मध्यप्रदेश
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क्रमांक - 036
कोरोना
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पूरा ब्रह्माण्ड विस्मित हैरान
भयावह वायरस से परेशान।
जीवाणु इसके विषाक्त संक्रमित
ले रहा है कितनों की जान।।
अमेरिका, चीन, जापान या इटली
कोरोना के प्रकोप से हालत पतली।
साफ्टवेयर का कारोबार अब घर से
आॅफिस - स्कूल की गुल है बिजली।।
स्वच्छता का ख्याल है रखना
शाकाहारी भोजन है करना।
करना हाथ जोड़कर अभिवादन
गले मिल चुंबन न करना।।
कोरोना से नहीं है घबराना
हाथ साबुन से कई बार धोना।
बुखार, खाँसी और साँस में तकलीफ
तुरंत डॉक्टर के पास है जाना।।
- कल्याणी झा
राँची - झारखंड
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क्रमांक - 037
करोना वायरस का उपहार
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आंखों में अंगारे भरो, कर में कटार धरो।
बढ़े चलो वीर तुम, करोना को मारना है।
धरती भी कहती है अंबर भी कहता है।
अब लो वायु भी लगी है पुकारने
शाकाहारी को कमजोरी बुझते हैं।
चलो अब मांस खाने का नशा उतारने।
अति सुख कर है सात्विक रहे ।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्यप्रदेश
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क्रमांक - 038
सुना है कोरोनावायरस
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सुना है कोरोनावायरस
चीन से है आया,
विश्व में हड़कंप मचाया
हर ओर खौफ,
अर्थव्यवस्था भी चरमराया।
खतरनाक ये अणुबम से ज्यादा
पल भर में मानव में प्रवेश पाता
इसके डर से बंद हो गए,
स्कूल, कॉलेज, पार्क,सीनेमा
सभी को इसने घर बैठाया
अर्थव्यवस्था भी चरमराया।
इसे नहीं पता,
ये है भारत की धरा
ऋषि-मुनि के तप से सना
यज्ञ-हवन से संवरा है पवन
नहीं होगा यूंही मानव मरण,
डेंगू,स्वाइन फ्लू गया,
ये भी जाएगा।
सभी स्वच्छता, सावधानी और
संस्कारों का रखें ध्यान
करें जड़ी बूटी का रसपान
मिलें एक-दूजे से, करें प्रणाम,
होगा मानव कल्याण। अब
चैत्र मास की धूप में
बढ़ेगा तापमान,तो स्वतः
कोरोनावायरस का होगा समाधान।
- रेणु झा
रांची - झारखंड
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क्रमांक - 039
कोरोना का कहर
****************
कोरोना का कहर समाया, है कैसा सबके दिल में,
एकाकी ही रहें सभी, जाना नहि चाहें महफिल में।
बन्द हो गए दफ्तर कितने, बन्द हुए विद्यालय भी।
समा गया है डर इतना कि बन्द हुए देवालय भी।
सहम गया है जग ये सारा, थम गई है सारी रफ्तार।
बना दिया इस जीवाणु ने, हम सबको कैसे लाचार।
सूनी सूनी सड़कें हैं और शहर दिखे अब तो सुनसान।
सजग बनाना है सबको अब, रहे नहीं कोई अनजान।
अपनाकर स्वच्छता बचें हम, इस भीषण बीमारी से।
और बचा लें जग को अपने, आनेवाली महामारी से।
- रूणा रश्मि
राँची - झारखंड
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क्रमांक - 040
कोरोना आया है
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पुनः प्रकृति ने आज प्रकोप बरपाया है
देखो देखो कोरोना आया है
किए कुकर्मों पर अब इंसान पछताया है
देखो देखो कोरोना आया है
निर्दयता से फिर दया पर सभी को लौटाया है
देखो देखो कोरोना आया है
युद्धों को छोड़ छाड़ कर शांति को फिर दोहराने आया है
देखो देखो कोरोना आया है
विकट स्थितियों को फिर से विश्व के निकट लाया है
देखो देखो कोरोना आया है
जन जन को हानि पहुँचाने यह बृहद दुःख लाया है
देखो देखो कोरोना आया है
- नीतेश उपाध्याय
दमोह - मध्यप्रदेश
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क्रमांक - 041
कोरोना वायरस
***************
कोरोना कोई ऐसी बड़ी बीमारी नहीं है
इसका साधारण सा उपाय है भारत में जो कहीं नहीं है
हाथ पांव तो घर आकर धोते बाहर से आने पर
जो भारत में संस्कार सिखाये जाते अपने घर पर
बस सुबह चार पत्ती नीम की खाये नीम तेल हाथों में लगाये
कहाँ का वायरस करोना और खुद को स्वस्थ पायें
ऐसी कोई बीमारी नहीं जिसका कोई इलाज न हो
सजग रहें बस करोना, करोना से कोई डर न हो
ये तो एक प्रकार का आतंक फैलाना सा है
सारे जन समूह को जो डंक मारने का जाला सा है
जीवन में बहुत उतार चढ़ाव आ ही जाते हैं
समय पर सभी सम्हल भी जाते हैं
- राजकुमारी रैकवार राज
जबलपुर - मध्यप्रदेश
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क्रमांक - 042
कोरोना
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कोराना का खौप जारी है
डॉक्टर लगा रहे दिमाग भारी हैं
लेकिन वायरस का तोड़ नही है
पर नेताजी का भी ठौर नही है
कहते हैं हमारे पास है ई का इलाज़
कोराना भी दम तोड़ेगा सरताज
लोगों ने पूछा अचरज से
नेताजी बोले हस हस के
चींटी का दूध इकट्ठा करना होगा
इसे ही कोराना का दफन होगा
डॉक्टर बोले ये क्या ऐंडबेंड बकते हो
चींटी भी क्या दूध देती हेै नेताजी
बस यही फरक करके दुनिया हारी है
जब गाय अपने बछड़े के लिए दूध देती है
भैंस बकरी व शेरनी तक देती है
फिर चींटी क्यों नही देती
डॉक्टर ने कहा चलो देती भी हो
मगर कोरोना का खत्मा कैसे कर सकती है
नेताजी ने सीना फुलाकर कहा
डॉक्टर साहब जब एक चींटी
बड़े से जानवर हाथी की जान ले सकती है
तो ये कोरोना तो उसके दूध से मिट जायेगा
लोग चींटी ढूँढने में व्यस्त रहे
कोरोना वायरस से दूरस्थ रहे
नेताजी की स्कीम काम आ गई
अब जनता ने सुकून की सांस ली
नेताजी जगह जगह कह रहे हैं
को रोना हम हैं तो न डरो ना
- डॉ . विनोद नायक
नागपुर - महाराष्ट्र
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क्रमांक - 043
ये कुदरत का हैं कहर
****************
पूरी दूनिया में मचा
दिया हा हा कार
ये कुदरत का हैं कहर
जब भी अप्राकृतिकता बढेंगी
मानवता को यूहीं ड़सेगी
विश्व का प्रमुख बनने की भूख
अब माँगों जिंदा रहने की भीख
मानव सभ्यता विचलित
और जीवन के आधार
बुरा डर कोरोना का
घबराया संसार
ठप्प हैं अर्थव्यवस्था
ठप्प हैं सब काम
बंद हैं मंदिर और मस्जिद
बंद हैं घर में अवाम
बुरा करने चला था दूसरों का
भोग रहा अब
फल अपने कर्मों का
- शालिनी खरे
भोपाल - मध्यप्रदेश
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क्रमांक - 044
धर धैर्य
**********
है संकट विकट बड़ा
पर होना न भयभीत
संयम और सावधानी से
हम जंग जायेंगे जीत।
कुछ बातों का करो ध्यान
और कुछ बातें लो सब मान
स्वच्छता की आदत अपनाओ
इस विपदा को दूर भगाओ।
नियम से स्नान करो
ईश्वर का तुम ध्यान करो
हाथों की रखो सफाई
इसमें सबकी है भलाई।
भीड हो चाहे हो मेले
इनमें जाओगे तो होंगे झमेले
छींक आए या हो खाँसी का नाम
मुँह को ढंको रहो सावधान।
ठंडी चीजों का रख परहेज
गर्म कर शरीर को रखना सहेज।
सेनिटाइजर हो हमेशा साथ
चाहे जैसे हो हालात।
घबराहट से बात न बनेगी
सबको चलना होगा साथ।
मास्क नहीं है तो रोना नहीं
सयंम अपना खोना नहीं।
रूमाल हो या गमछा यार
चेहरे पर लपेट हो तैयार।
रेलिंग हो या बस के दरवाजे
छूना न बच कर रहना आगे।
नींबू रोज निचोडकर खाओ
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाओ
कर लो मिलकर तैयारी
दूर हो जायेगी यह बीमारी।
- दिव्या राकेश शर्मा
गुरुग्राम - हरियाणा
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क्रमांक - 045
मिटा दो करोना का नामोनिशान
***********************
धूप का सेवन करें
स्वछता का रखें ध्यान
पोषणयुक्त आहार लें
मिटा दो करोना का नामोनिशान
दौनों हाथ जोड़ करो प्रणाम
भीड़भाड़ से बना लो दूरी
बाहर के भोजन से करलो तोबा
घर में रह कर ईश्वर का करलो ध्यान
मिटा दो करोना का नामोनिशान
मास्क नहीं तो डरो नहीं
गमछा रुमाल का करो इस्तेमाल
हाथ की सफाई का रखो ध्यान
डोर बेल को करें हर दिन साफ
मिटा दो करोना का नामोनिशान
- अर्विना गहलोत
नोएडा - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 046
तभी भागेगी ये बिमारी करोना
**********************
छोड़ो बाक़ी सब बातें
हो गया जो था होना
मिलकर अब तो लड़ना होगा
तभी भागेगी ये बीमारी करोना
छोड़कर माँस जानवर का
शाकाहारी होगा होना
ले संकल्प स्वच्छता का
करे साफ़ देश का कोना कोना
बीमारी आई है इलाज भी आएगा
छोड़े बात बात पर रोना
बढ़ाए रोग प्रतिरोध क्षमता
ख़ुश रहो बिन वजह यूँ डरोना
डट कर करेंगे सामना इसका
तभी भागेगी ये बीमारी करोना
- नीलम नारंग
हिसार - हरियाणा
====================================
क्रमांक - 047
कोरोना और अकेलापन
*******************
वह
सात समंदर पार है
मेरा चैन
मेरी नींदें
उसके पास हैं
मैं
उठती हूँ
उसके सोने के बाद
मैं
उठी रहती हूँ
उसके उठने के बाद
यहाँ की रातों में
कमरे की धीमी बत्तियों में
अपने अकेलेपन के साथ ।
टोरटीआ
ब्रेड के कुछ टुकड़े
फ्रिज़ में रखा पास्ता
जब
वह कांटें - चम्मच से खाती है
मैं
अपना पेट भरने की
कोशिश करती हूँ
काँच के ग्लास
जब भर उठते हैं
बचे हुए एप्पल जूस से
मेरी प्यास
बढ़ जाती है
और उसकी
हर घूंट से
मैं
अपनी प्यास
बुझाना चाहती हूँ ।
वीडियो कॉलिंग से
कुछ देशी खाना
बनवाने की
कोशिश करती हूँ
कट जाती हैं
कभी उसकी मासूम उंगलियां
तेज चाकू की नोक से
और रिसने लगता है
एक माँ का दिल ।
जानती हूं
सुरक्षित है वह
साहसी है वह
पर
कभी - कभी
बढ़ जाती है
चिन्ताएँ
कहीं उसका
ग्रॉसरी खत्म न हो जाएं
उसका फ्रिज़
खाली न हो जाए
और
खाली न हो जाए
वहाँ का वालमार्ट और क्रोगर शॉप
क्योंकि
दूर देश में
अपने फ्लैट में
पिछले बारह दिनों से
वह अकेली है
और
अकेली है यहाँ
एक माँ की ममता
सिर्फ़ और सिर्फ़
कोरोना के डर से ।
- सारिका भूषण
राँची - झारखंड
====================================
क्रमांक - 048
कोरोना
***********
जब से आया है कोरोना,
दहशत में है कोना- कोना।
दुनिया में फैली है महामारी,
कई जिंदगियों को पड़ा है खोना।
चाईना में हुई मौत भी सस्ती,
गलत खान - पान का है टोना।
खांसी, जुकाम सिरदर्द हैं लक्ष्ण,
भीड़ - भाड़ से सब दूर ही होना।
ध्यान रखना खान - पान का,
हाथों को भी अच्छे से धोना।
इलाज नहीं है परहेज ही रखना,
नहीं पड़ेगा बीमारी को ढोना।
रखेंगे अगर सावधानी पूरी,
होगा ना फिर बाद में रोना।
अच्छी सभ्यता, संस्कृति, संस्कार हमारे,
गर्व है हमें इक भारतीय होना।
- महाराज सिंह 'परदेसी'
चम्बा - हिमाचल प्रदेश
=====================================
क्रमांक - 049
कुंडलिया
**********
कोरोना ने जब किया ,जग पर ऐसा वार |
राह न सूझे किसी को ,विश्व हुआ लाचार |
विश्व हुआ लाचार ,चैन है सब का छीना |
डर से काँपे लोग ,मुश्किल हो गया जीना |
समझ कुदरत के खेल ,बंद कर रोना -धोना |
बदलो सारी रीत ,घर न आये कोरोना |
- चन्द्रकान्ता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
====================================
क्रमांक - 050
मार भगाओ
*************
'कोरोना' ने उत्पात मचाकर
हमको बहुत डराया है,
लेकिन हमारे आयुर्वेद ने
बचना भी सिखलाया है।
दहेज की भांति इसी ने ही
फैलाया अत्याचार है,
मार भगाओ इस वायरस को
यह पूरे विश्व पर भार है।
इसी बीमारी ने चहुं ओर
भयंकर बाढ़ फैलाई है,
सेनिटाइजर और मास्क में
बेईमानी सिखलाई है।
'तूने' ऐसा रूप धार कर
रचा क्रूर व्यवहार है,
सैकड़ों-हज़ारों,नहीं लाखों ने
छोड़ दिया संसार है।
उठो साथियों,देखो!अब तो
'नमस्ते' को अपनाना है,
मिटाकर फासला ऊंच-नीच का
'कोरोना' को मार भगाना है।।
- मधु गोयल
कैथल - हरियाणा
===================================== क्रमांक - 051
दे दो इसको मात
**************
कोरोना के खौंफ से, विश्व रहा है कांप।
मानव की नस-नस में ज्यों,दौड़ रहा है सांप।।
कोरोना कोरोना से सब अटे पड़े अख़बार।
टी वी पर भी आ रही खबरें बारम्बार।।
हाथ मिला न किसी से, रह दूर नमस्ते बोल।
गलत हाथ गर मिल गया,जीवन जाये डोल।।
तुलसी,अदरख़,दालचीनी, संग में डाल गिलोय।
इनका काढ़ा बना पी, फिर तान कै घर में सोय।।
डेंगू, प्लेग, स्वाईन-फ्लु अब, कोरोना सौगात।
भारत के आयुर्वेद से, दे दो इसको मात।।
- राजश्री गौड़़
सोनीपत - हरियाणा
====================================
क्रमांक - 052
कोरोना गीत
**********
कोरोना कोरोना कोरोना कोरोना
जो हम कर रहे हैं,वो तुम भी करो ना
ज़रा ख़ुद को संयम ,
सिखा कर तो देखो
क्या करेगा कोरोना, तुम इससे डरो ना ।।
सदा सूर्य को,अर्घ्य देते सबेरे
नयन में हैं बसते ,प्रकृति के चितेरे
सुबह का वो आनंद ,हृदय में भरो ना
क्या करेगा कोरोना ,तुम इससे डरो ना ।।
ताज़ा थे खाते,सुबह ही नहाते
सभी पूजे जाते, थे ईश्वर कहाते
पशु और प्राणी की,हत्या करो ना
क्या करेगा कोरोना,तुम इससे डरो ना ।।
था दिन का पता,ना थी रातों की गफ़लत
कमाने की हर पल,न रहती थी दहशत
सुखी थे सदा ,अब भी सुख से रहो ना
क्या करेगा कोरोना, तुम इससे डरो ना ।।
यही संस्कृति है,यही सभ्यता है
हमें याद है सब,हमें सब पता है
सुसंस्कार, सादर,
नमस्कार हो ना
क्या करेगा कोरोना,तुम इससे डरो ना।।
- डॉ० दुर्गा सिन्हा ‘ उदार ‘
फ़रीदाबाद - हरियाणा
=====================================
क्रमांक -053
कोरोना पर दोहे
**************
संक्रामक इक रोग है,कोरोना है नाम।
तेजी से ये फैलता, *जां* लेना है काम।
ये खराश से हो शुरू, सर्दी खाँसी होय।
आये तेज बुखार तो,कोरोना ही होय।।
कीटों का है फैलना ,तब हो जब हो छींक।
मुख रुमाल से ढाँपिये, यही सीख है नीक।।
साँसों को बाधित करे,कमजोरी भी होय।
रोधन क्षमता रोग की , रोगी तुरतहिँ खोय।।
कोरोना को रोकने , करिये एक उपाय
साबुन से कर धोइये,रोग फटक नहिँ पाय।।
कोविड नाइनटीन से,जग सारा भयभीत।
निमोनिया जैसा लगे, होती भीषण शीत।।
बड़ा महामारी हुआ ,कोरोना का रोग ।
विश्व संगठन चाहता, होवे विश्व निरोग।।
मिल के लड़ना है हमें,मानवता के साथ।
वसुधा ही परिवार है,सदा साथ हो हाथ।।
कोरोना से नहिँ डरें ,सावधान इंसान।
हाथ मिलाने की जगह,नमन करें श्रीमान।।
भारतीय संस्कृति नियम ,रखें रोग को दूर।
परंपरा अपनाइये ,स्वस्थ रहें भरपूर।।
- डॉ मंजुला श्रीवास्तव
रायपुर - छत्तीसगढ़
===========================
क्रमांक - 054
बचाव में ही बचाव
************
कोरोना जबसे फैलाए हुए हैं अपने पर
कोरोना कोरोना मंत्रजाप हो रहा हर घर ।
खाँसी जुखाम गर किसी को हो ले
चर्चा खूब होती है उसकी गाँव शहर ।।
नाक मुँह ढक के रखो तुम अपने
हाथ अपने सैनेटाइज लो तुम कर ।
इलाज सम्भव नहीं है इसका कोई
जरूरी है सावधानी चलो तुम अपना कर ।।
बचाव में ही है बचाव यारो
खाँसी जुखाम हो जाए अगर ।
अस्पताल जाके टैस्ट करवा लो
मत करो तुम अगर मगर ।।
फैलाओ नहीं झूठी अफवाह कोई
बिमारी हो जाए कोई तुम्हें अगर ।
हर खाँसी जुखाम कोरोना नहीं
बचाव कर लीजिए सावधान होकर ।।
- अनिल शर्मा नील
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
============================
क्रमांक - 055
कोरोना
*******
कोरोना के खौफ से, हमको लगे न डर,
साफ सफाई और सुरक्षा, रहते हैं निडर|
रहते हम निडर, क्या कर लेगा कोरोना,
हो इम्यूनिटी मजबूत, फिर काहे का रोना|
आतंकी वायरस, त्रस्त विश्व का कोना कोना,
नीम तुलसी गिलोय, क्या कर लेगा कोरोना|
डर नही लगता हमको यारो, कोरोना के वायरस से,
साफ सफाई सदैव ही रखते, बचने को वायरस से|
आन्तरिक ताकत सदा बढाई, नही बिमारी से डरते,
तनाव मुक्त हो जीवन जीते, बिमारी के वायरस से|
- अ कीर्ति वर्द्धन
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
=====================================
क्रमांक - 056
खुशी
******
ये खुशी कौन है?
रहती है कहां?
ढूंढता फिर रहा-
इसको सारा जहां.
देखो कितना हुआ गजब
परिवेश भी हुआ अजब
हा!कोरोना फैल रहा
भागा फिरता है अनथक
डरे हुए हैं इससे सब
याद आ रहा सबको रब
खतम करेंगे इसे चिकित्सक
सबने मन में ठानी है
खोई है जो खुशी हमारी
झटपट वापस लानी है.
कुछ दिन दूरी रक्खो जी-
मजा धैर्य का चक्खो जी,
गले मिलो न,हाथ धरो-
नमस्ते हर बार करो
छींको और गर खांसो तुम-
मुख पर बस रूमाल धरो.
पीछे भले छिपी फिरती हो-
जल्दी आगे आएगी..
खुशी सभी को भाएगी.
गम की घोर घटा जो छाई-
सरपट ही छंट जाएगी
खुशी सामने आएगी
भला कहाँ रह जाएगी
रंग बिरंगे गुब्बारों सी
हमको वो बहलाएगी
- डा. अंजु लता सिंह
दिल्ली
====================================
क्रमांक - 057
कोरोना वायरस
**************
महामारी का रूप ले कलयुग में दानव आया,
ले अपनी चपेट में सबको कोरोना वायरस ये कहलाया !
छोटा सा एक वायरस बड़े-बड़े महारथियों को हराया
क्या पाया क्या गवांया इंसान, कुछ समझ में आया !
इन हवाओं में ज़हर अपने हाथों से मिलाया है
तुम्हारा बोया बीज खुद तुम्हारे सामने आया है !
विज्ञान की खोज में आपस की जंग में
चीन से आया वायरस स्वयं को ही ले डूबा !
वायरस को जन्म दे चायना लगा रहा है अब अनुमान
विश्वव्यापी इस महामारी से क्या बच पाएगा इंसान !
कोरोना वायरस ने किया शक्तिहीन मानव हुआ अब दिशाहीन
महामारी का यह दानव अब बन गया विश्वव्यापी अभियान !
थम गई जिंदगी विश्व की हर इलाज नाकाम हुआ
हार न मानेगा यह मानव करता है दावा अपना!
जीवन में आए इस खौफ से हमें नहीं है डरना
वायरस को नाबूद करने हमें जागरुक है रहना!
महामारी के वायरस से हमको है बचना
बार बार साबुन से हाथ है धोना !
नमस्कार की मुद्रा है संस्कार हमारा
सात्विक भोजन ही लेना है ऋषि मुनियों का कहना !
आहार-विहार ,पर्यावरण,जीवदया की पार्शीता जब दुनिया में बढ़ने लगा
तो कुदरत का कोप भी अब वायरस बन हमें डसने लगा !
अपने को भगवान समझ प्रकृति पर किया जो तुमने वार
पाप तुम्हारा बना रहा विश्वको कोरोना का आहार!
जाग विश्व मानव अब तु पशु, पक्षी, कीटों पर न कर अत्याचार
पर्यावरण की मर्यादा में रह भोजन ले तू शाकाहार!
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
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क्रमांक - 058
कोरोना से डरोना
**************
कोरोना की राम कहानी,
सुन लो मेरी प्यारी रानी
साफ सफाई जो भी रखे
कोरोना उनको नहीं चखे
कह कोरोना कोरोना वो मरे
जो कभी न दूजा दुःख हरे।
दिखावे की दुनिया से दूर रहो
भारतीय संस्कृति को मन धरो
गाल सटाना, हाथ मिलाना छोड़ के
हाथ जोड़ नमस्कार किया करो
नमस्कार में है जिसकी भक्ति
कोरोना से लड़ने की है उसमें शक्ति।
भीड़-भाड़ से बचे रहो
घर के अंदर डटे रहो
जो चीज बाहर से लाओ
जल से उसे स्नान कराओ
घंटा दो घंटा छोड़ करो प्रयोग
कोरोना भगाने का ये हठयोग।
- प्रियंका श्रीवास्तव 'शुभ्र'
पटना - बिहार
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क्रमांक - 059
हाय कोरोना
*************
कोरोना- कोरोना करकें
सबई कछु तो कर रए..!
समझ में न आ रई दद्दा
लोग इत्ते कायको डर रए...!!
सुनो है होटल में खानों
सुई हो गओ है सस्तो...!
वे तक जा रए ,जिनने देखो
न हतो होटलन को रस्तो..!
खूब ठूंस -ठूंस के खा रए
इतने कम बेतन में......!
वो देखो बैठे हैं लोटा लेकें
लाईन से खेतन में...!
और तुम का समझ रए
वे बैठके उते घांस चर रए...!
कोरोना- कोरोना करकें
सबई कछु तो कर रए..!!
स्कूल- काॅलेजन की भलेई
कर दई हो छुट्टी.....!
छिप के मिल रए मोड़ा-मोड़ी
कोऊ ना कर रओ कट्टी...!
क्लब भी नोट देख के
सोई खोले जा रए....
अम्मा कों जे बता रए
हम मंदिर से अबईं आ रए..!
नेक पुन्यई कमालें, का जाने
आज मरत के कल मर रए..!
कोरोना- कोरोना कर कें
सबई कछु तो कर रए..
तुलसी - लोंग - इलायची
कूटकें खूब चाय में डारें....!
शाम सबेरे कपूर जलावें
चाहें तो काजल पारें..!
चिपक -चिपक के मिलवे वारे
विदेशी कोरोना को डर भर रए..!
जो ना मिलावें हाथ कभऊं
बस वेई सब तो तर रए..!
वो देखो सयाने लोग लुगाई
निश्चिंत हो खाट पे पर रए..!
समझ में न आ रई दद्दा
लोग इत्ते कायको डर रए...!
कोरोना- कोरोना करकें
सबई कछु तो कर रए..!!
- सीमा शिवहरे सुमन
भोपाल - मध्यप्रदेश
=====================================क्रमांक - 060
यही उपाय बस
************
नासमझी इन्सान तुम्हारी
महामारी बन गई है आज,
सहम गई है दुनिया सारी
मानवता पर आ गिरी है गाज।
क्षुद्र मानव के बड़े-बड़े दंभ
प्रकृति ने भला सहे कब हैं?
धूल-धूसरित हुए सिंहासन
पल भर में अरे, ढहा सब है।
संप्रभुता हासिल करने को
इक सोये शेर को जगा दिया!
निकल न जाए हाथ से सबकुछ,
हा मानव, ये क्या कर दिया?
अब नासमझी मत दोहराना
हर ऐश्वर्य का त्याग करो तुम,
शुचिता रखो, हर स्पर्श बचाओ,
यही उपाय बस, याद रखो तुम।
- श्रतु कीर्ति अग्रवाल
पटना - बिहार
=====================================क्रमांक - 061
"महामारी --कोरोना "
*****************
आई है कहर बन कर मानवजाति पर
जानलेवा कोरोना विषाणु से होकर
संक्रमित बीमारी महामारी के रूप में
वहीं ,
जहाँ विश्व संगठन नाम दिया है
इसका वैश्विक महामारी का
वहीं ....,
बचना है इस बीमारी से --तो
आओ चलें हम सभी लें ,
एक संकल्प ,सुरक्षा और सयंम का
और अपनायें साफ सफाई जीवन में
रहें दूर हम भीड़ भाड़ से और
मुँह पर बांधे इक कपड़ा साफ सदा
और करो अमल ,सलाह डॉक्टर की
रखो हाथ स्वच्छ सदा सेनेटाइजर से
और दूर भगायें इस बीमारी को
नाम है जिसका कोरोना
नाम है जिसका कोरोना ... ||
- शशि कांत श्रीवास्तव
डेराबस्सी - पंजाब
===============================
क्रमांक - 062
देखो भूल न जाना
****************
इधर भी कोरोना, उधर भी कोरोना,
चारों ओर फैला क़रोना ही कोरोना,
अब भारत में भी पैर पसारता कोरोना,
सारे विश्व को अपनी आगोश में भरता कोरोना।
हे मानव तुम न घबराना कोरोना से,
तुमको दी सोचने-समझने की क्षमता भगवान ने,
करना प्रयोग अपनी क्षमताओं का,
देना पछाड़ इस कोरोना वायरस को।
घर से तभी निकलना जब हो कोई जरूरी काम,
हाथों में दस्ताने और मुंह को भी ढकना,
साथ रखना सेनिटाइजर और साबुन,
रखना स्वच्छता का ध्यान।
अगर आ जाए फिर भी कोई लक्षण कोरोना का,
तो मिलाना हेल्पलाइन नंबर तुरंत,
कराना जांच और इलाज़,
बना लेना दूरियां स्वस्थ लोगों से।
देना अपना योगदान ,
निभाना अपना कर्त्तव्य,
बन जाना एक अनोखी मिसाल,
अपने भारतवर्ष के लिए।
- नूतन गर्ग
दिल्ली
=====================================
क्रमांक - 063
कुण्डलिया छंद
***********
जनता कर्फ़्यू जब लगे , देना सब सहयोग ।
मोदी जी का हो सफल , विषाणु हनन प्रयोग ।
विषाणु हनन प्रयोग , मिले थोड़ी सी राहत।
रखिये सब परहेज़ , नहीं हो कोई आहत ।
करिये अब जयकार , काम दिखता है बनता ।
दुष्कर भी हो काम , सफल करती है जनता ।।
मानो जनक समान ही , मोदी का आदेश ।
सोच समझ कर देश हित , धरा रूप दरवेश ।।
धरा रूप दरवेश , ख़ैर सोची है सबकी ।
जनता कर्फ़्यू ख़ास , जान लो आज्ञा रब की ।
कर्फ़्यू का महातम , इसी आशेय से जानो ।
हो पालित आदेश , जनक की आज्ञा मानो ।।
जनता कर्फ़्यू से दिखी , सावधान सरकार ।
प्रगति शील की सोच की , होती जय जयकार ।।
होती जय जयकार , करें क़ाबू कोरोना ।
बने जनक सम तुल्य , कहें बस और न रोना ।
सोचा है उपचार , नहीं हो इसकी घनता ।
लगे रोग पर थाम , लगाया कर्फ़्यू जनता ।।
- ऊषा सेठी कमाल
सिरसा - हरियाणा
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क्रमांक - 064
कोरोना
********
डर करोना का फ़ैल रहा जग मे
निर्भीक रह कर अब हमे रहना।
सामना मिलजुल कर हम करे,
उपचार अब इस बीमारी का हैं करना ।।
नयी नयी विधि खोजनी हैं
अब हमको,
विनाश अब इसका जड से हैं करना।
मुक लाचार विहग जो काँपते थे,
शिकारी के तीखे अस्त्र और शस्त्र से,
मृत्यु समक्ष समर्पण करते थे
आज विद्याता को था न्याय उनका देना।
संक्रमण, स्वच्छता, सावधानी ना नादानी,
सतर्कता ही बचाव, घरेलु ही खाना पानी ।
अब ऐसी कामयाबी, रास्ता मिलेगा।
सारे वायरसो का जड से खात्मा मिलेगा ।
- ध्वनि दबंग
डूँगरपुर - राजस्थान
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क्रमांक - 065
कोरोनो
**********
लख चौरासी योनि में
मानव कितना इतराया है।
चमगादड़ से उपजा कोरोना
जगजीवन सब घबराया है।।
जीव की हिंसा पापाचार है
चोट से आहत होते हैं सब।
बदला लेता है हर प्राणी
फिर मूक बधिर हो जाते हैं।।
हर जीव की जैविकता भी
हाहाकार मचा सकती है ।
इतराए जो विकसित होकर
सबक उन्हें सिखला सकती है।
संस्कार की सीमा हमारी
पाश्चात्य पर पहरेदारी।
भोगवाद से दूरी बना लो
सच में होगी समझ हमारी।।
हस्त जोड़ अभिवादन करना
व्यर्थ मौज मस्ती ना करना।
हाथों का प्रक्षालन क्षण-क्षण
जन कर्फ्यू का पालन करना।।
मानव से विशाल नहीं कोई
तन-मन से प्रण ठान ले।
नहीं असंभव जग में कुछ भी
कोरोना का मान जान ले ।।
यदि चाहिए सब की सुरक्षा
आदेशो का पालन करना।
जियो और जीने दो में ही बस
कोरोना को मिटा ही देना।।
- डाँ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 066
बचाव
********
धरो फासला भीड़ से , संक्रमण रखो दूर ।
मास्क लगा मुँह ढाँपिये , रहो स्वस्थ भरपूर ।।
गन्दे हाथों से कभी , मलो न अपनी आँख ।
पहुँचे भीतर वायरस , जमे स्वास्थ्य पर खाक ।।
कोरोना को धकेल कर , धोओ अपने हाथ ।
करो नमस्ते दूर से , गले लगो मत माथ ।।
रुमाल टॉवल मास्क भी ,कभी न दीजे कोय ।
उनमें भी दिख जाएगा , कोरोना का मोय ।।
फोन हैंडल सीट पर ,हो वायरस अनेक ।
इसीलिए इन सभी से , दूर रहो बन नेक ।।
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 067
कांपे मेरा हिया
************
मेरे पिया हैं दूर प्रदेश,
फैल रहा कोरोना वायरस संपूर्ण देश।
थर-थर कांपे मेरा हिया,
लागे न कहीं मेरा जिया।
हो गयी है उनसे मेरी अनबन,
बजा न सकती मोबाइल घंटी टनटन,
जा रे कागा , कहना उनसे मेरी बात
किसी से मत मिलाए हाथ।
साबुन से धो बारम्बार हाथ रखें साफ,
भारतीय परंपरा का सर्वत्र
करें जाप,
गुनगुने पानी का करें सेवन,
निषेधात्मक उपाय अपना रहे चेतन।
अपने सिर ले न अधिक कार्य भार,
मुझे है उनसे प्यार बेशुमार।
- रीतु प्रज्ञा
दरभंगा - बिहार
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क्रमांक - 068
कोरोना की पराजय
**************
कोरोना का शोर है सब तरफ
फैला रहा है महामारी
जूझ रहे दुनिया के नर नारी
ये वायरस है संक्रमण का
तेज बुखार ,गला खराब ,होती खांसी भारी, सांस मे पीड़ा
लगे अगर सांस लेना मुश्किल
तो तुरंत अपनी जांच करना
जो करोगे शीघ्रता से ईलाज
बच सकती है जान,
सुरक्षित सभी नाते, रिश्तेदार
इस से बचनें का उपाय है यही
स्वच्छता रखना , हाथ धोते रहना
ग्राम पानी से गले की करना सेक
लेना सुबह नींबू पानी
बनी रहेगी रोगप्रतिरोधक शक्ती
सेवन गिलोय तुलसी ,नीम सत्व ,देता इसमें लाभ
अपने आयुर्वेद में है सटीक उपाय
भारत के संस्कार पा लेंगे इस पर विजय
खत्म कर देंगे हम विश्व से इस का कहर ।
हाथ जोड़ नमस्ते करना
ना मिलाना हाथ किसी से
भीड़ की जगह से बचना
घर में ही रहकर करना काम
जो जाना पड़े बाहर
लगाकर जाना मुंह पर मास्क
घर में खाना स्वच्छता से बना खाना
बाहर होटल का न खायें खाना
ध्यान रखना अपनें सब का
अपने आसपास के जन का
खत्म होगा कोरोना का कहर
कोरोना पर विजय पा
अपने प्यारे वतन को बचाना ।
- बबिता कंसल
दिल्ली
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क्रमांक - 069
कोरोना
*******
कोरोना के खोफ का, चोगरदे हड़कम्प।
बीमारी या चीन की, मारै सारै जम्प।
मारै सारै जम्प, खलबली माची भाई।
बीमारी या नई, वायरस बड़ा कसाई।
करता ऐसी मार, पड़ै यो जीवन खोना।
रखो साफ सफाई, रोकने को कोरोना।
आंगन सब सुंदर लगे, जब हो कती क्लीन।
लुक हो इको फ्रेंडली, ग्रीन ग्रीन सा सीन।
ग्रीन ग्रीन सा सीन, भगादे रै कोरोना।
जीणा हो खुशहाल, बीमारी तै डरो ना।
रखो साफ सफाई, सुखी होगा फिर जीवन।
कोरोना का कहर, पड़ै ना अपणे आंगन।
कोरोना आतंक म्ह, जीणा सै दुस्वार।
मास्क लगाकै घूमते, माचा हाहाकार।
माचा हाहाकार, आपदा आई भारी।
नोवेल कोरोना, चीन की या बीमारी।
साफ सफाई राख, देख थम फेर डरो ना।
सजगता कै आग्गै, टिकै ना यो कोरोना।
कोरोणा के वार का, सुणलो सौ का तोड़।
आणा जाणा भीड़ म्ह, थोड़े दिन दो छोड़।
थोड़े दिन दो छोड़, भई ये हाथ मिलाणा।
साबण तै धो हाथ, सफाई भूल न जाणा।
लापरवाही छोड़, हाथ मुँह हरदम धोणा।
साफ सफाई करै, दूर वायरस कोरोणा।
कोरोना को रोकणा, कर लो ये उपचार।
हाथ मिलाना छोड़कै, करो नमस्ते यार।
करो नमस्ते यार, फास्ट फूड नहीं खाणा।
दूध दही घी रोज, मौज तै खाणा खिलाणा।
कहै 'भारती' सदा, हाथ साबण तै धोना।
साफ सफाई करै, दूर वायरस कोरोना।
फैल्या देश विदेश म्ह, कोरोणा का रोग।
माचा हाहाकार रै, सांसत म्ह सै लोग।
सांसत म्ह सै लोग, रोग ये घणा कसूता।
उसनै लेवै घेर, जो संक्रमित नै छूता।
जंता कर्फ्यू करो, म्हारे पी एम गैल्या।
भारत म्ह दो रोक, देश विदेश जो फैल्या।
मेला नै थम छोड़ दो, रहो भीड़ तै दूर।
बचो बचाओ देश नै, कोरोणा सै क्रूर।
कोरोणा सै क्रूर, दूर तै करो नमस्ते।
हाथ नहीं मिलाणा, मिलै कोई भी रस्ते।
कोरोणा का खोफ़, घणा कसूता झमेला।
देश बचाण खातर, प्रतिबंधित करो मेला।
कोरोना के रोग का, मसला है गम्भीर।
इसपर पाये जीत दो, संकल्प और धीर।
संकल्प और धीर, सभी ये मन में धारे।
जनता कर्फ्यू लगे, बाइस मार्च को सारे।
पीएम का दो साथ, वायरस यदि है खोना।
दुनिया हो आबाद, मारकर ये कोरोना।
जंता कर्फ्यू लावणा, पीअम करी अपील।
बाइस मार्च नै करा, चौदा घँटे सील।
चौदा घँटे सील, रहो सभ घर म्ह अपणे।
करो सैनेटाइज़, मिलकै घर नै सभ जणे।
कहै भारती फेर, मिटै म्हारी सभ चिंता।
कोरोना नै मात, दे भई कर्फ्यू जंता।
- भूपसिंह 'भारती'
नारनौल - हरियाणा
===================================
क्रमांक - 070
दूरी तुम बनाना
*************
बचिएगा कोरोना से,औरों को भी बचाना।
घर में ही रहना मित्रों,बाहर कहीं न जाना।।
कोरोना,नाम की ये, आयी नयी बीमारी,
ये फैलती तेजी से, भयभीत दुनिया सारी,
इससे बचाव हेतु,बस करिएगा तैयारी,
हाथ धोना अपने,और इम्युनिटी बढ़ाना।
बचिएगा कोरोना से,औरों को भी बचाना।।
खांसी, बुखार संग संग,यदि सांस की परेशानी,
हो सकता है कोरोना,ये इसकी है निशानी,
उपचार कराने में,करना न आनाकानी,
बनना न स्वयं डॉक्टर,तुम अस्पताल जाना।
बचिएगा कोरोना से,औरों को भी बचाना।।
एक दूसरे से रहिए,दूरी जरा बनाकर,
उनसे विशेष बचिए,जो आये विदेश जाकर,
न बुलाइए किसी को,न जाओ बुलावा पाकर,
भीड़-भाड़ से अब, दूरी तुम बनाना।
बचिएगा कोरोना से,औरों को भी बचाना।।
इससे बचें रहोगे,बस रखना सावधानी,
लेना सुपाच्य भोजन,और पीना गर्म पानी,
रखिएगा ध्यान अपना, जिंदगी स्वयं बचानी,
करिएगा बस नमस्ते,अब हाथ न मिलाना।
बचिएगा कोरोना से,औरों को भी बचाना।।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
=====================================क्रमांक - 071
कोरोना
*********
कोरोना से बच्चो रे भाई ।
मुंह पर मास्क लगाओ भाई ।
भीड़-भाड़ से बचना भाई ।
कोरोना को दूर भगाए ।
धूले कपड़े पहनो भाई ।
साबुन से हाथ धोते रहो भाई।
सूखी खांसी जब हो जाई ।
जुखाम बुखार साथ में आई ।
तुरंत ही डॉक्टर को दिखाओ भाई।
- सुखदेव पचौरी
ग्वालियर - मध्यप्रदेश
===================================
क्रमांक - 072
जग में बड़ी बीमारी को रोना
********************
बच्चे नहीं है तो बच्चों को रोना ।
बच्चे हो गए तो खर्चों को रोना ।
छोटे बच्चे पढ़ने को रोना ।
बड़े बच्चे नौकरी को रोना ।
जग में बड़ी बीमारी को रोना ।
गरीबी में पैसों को रोना ।
नेता लोग वोटों को रोना ।
अधिकारी रिश्वत को रोना ।
खाद्य सामग्री में शुद्ध को रोना ।
जग में बड़ी बीमारी कोरोना ।
मानव रूप में असुरों को रोना ।
महिलाओं के सील को रोना ।
गरीबों के हक को रोना ।
भ्रष्ट को खोजने को रोना ।
जग में बड़ी बीमारी को रोना ।
- प्रीती शर्मा
भिण्ड - मध्यप्रदेश
===================================
क्रमांक - 073
बचाओ भाई
************
कोरोना ऐसा दुखदाई
जड़ से प्राणों को हरता भाई
सीताराम को नाम गाई
घर से वाहार न निकलो भाई
मांस भक्षण मत करो भाई
कोरोना को दूर भगाई
चीनी वायरस है दुखदाई
राम बिहारी अर्जी लगाई
अपने प्राणों को बचाओ भाई
- राम बिहारी पचौरी
भिण्ड - मध्यप्रदेश
====================================
क्रमांक - 074
सिर्फ संकट देता है कोरोना
*******************
साबुन से हाथ धौ कर सो गया
रात भर नींद नहीं आई
सोचता रहा दिन निकल आये
बिस्तार छोड़ कर खड़ा हो गया
सिर्फ संकट देता है कोरोना
पानी पी कर फ्रैश हो गया
ब्रुश कर के नहा लिया
कपड़ें पहन कर नाश्ता कर लिया
साबुन से हाथ धौ कर चल दिया
सिर्फ संकट देता है कोरोना
दोपहर का समय हुआ
समय से घर पहुंच गया
मैडम ने खाना लगा दिया
साबुन से हाथ धौ कर बैठ गया
सिर्फ संकट देता है कोरोना
शाम को चाय का समय हुआ
चाय भी आ गई
साथ में समोसा भी आ गया
साबुन से हाथ धौ कर चाय पी गया
सिर्फ संकट देता है कोरोना
रूटीन में साबुन से हाथ धौयें
हाथ मिलने की अपेक्षा
हाथ जोड़ कर नमस्ते करे
फिर कोरोना से क्या डरना
सिर्फ संकट देता है कोरोना
- बीजेन्द्र जैमिनी
पानीपत - हरियाणा
=================================
क्रमांक - 075
मानवता को - रोना
*************
याद अभी भी है वह मंजर
जब अमरीका ने परमाणु बम फोड़ा था
क्या चीन भी वही दुहरा रहा है
विश्व को संकट में डाल अपना वर्चस्व दिखला रहा है?
"करे कोई भरे कोई" खूब लिखा क्या
खूब कही पूरा विश्व संकट में झूल रहा है
क्या खूब चीन ने करामात दिखाई।
वैसे ही इंसानी जीवन में
"करो और करो ना" में सब फंसे हुए थे
अब रात और दिन भी दुभर हो गए,
दिन - रात "कोरोना" कहानी है,
अब रात "को - रोना" और दिन भी "को-रोना ",
हम सब के दिनचर्या में समाई है।
- ईशानी सरकार
पटना - बिहार
=====================================क्रमांक - 076
छोड़ेगा यह साथ
*************
कोरोना से मत डरो,
रखो सफाई खूब।
जाएगी मझधार में,
इसकी नैया डूब।।
मुख पर मास्क लगाइए,
नहीं मिलाओ हाथ।
करो नमस्ते दूर से,
छोड़ेगा यह साथ।।
संक्रामक यह रोग है,
नहीं है लाइलाज।
इलाज इसका लीजिए,
होगा सुखी समाज।।
- ज्ञानप्रकाश 'पीयूष'
सिरसा - हरियाणा
=====================================क्रमांक - 077
कोरोना का रोना
************
कोरोना कोरोना करोना
खुँशीयां मनाओं न , धूप ,दीप जलाओं ना ।।
कोरोना कोरोना का क्या करोना ....
गंदगी हो रही है साफ ,
सफ़ाई का महत्व समझाया जा रहा ।।
भीड़भाड़ कम हो रही चौराहों पर ट्रैफ़िक भी कोरोना से घबराया ।
शोकाकुल है लोग चिंता सबको सता रही ,
शोर भी थमने लगा सन्नाटा छा रहा गलियारों औरचौबारों में ।।
व्यापार सारे बंद हुये , काम हुआ ठप
स्कूल , कालेज , दफ़्तर भी बंद हुए ।।
यात्राओं पर लग रही रोक , सरकारी है फ़रमान
घर में बैठे मुद्दतों बाद आत्मीयता दर्शा रहे ।।
कोरोना कोरोना ने कैसा कमाल किया,
कुस्सकारो की होली जलाई
भारतीय परम्परा को गले लगाया
स्वागत में हाथ जोड़ना सबने सीखा
धूप , दीप , गुगल की ख़ुशबू सबको भा गई ,
कपूर के जलने से हवाएँ महक उठी।।
भक्क्ष , कुभक्क्ष खाना सब का ंछुटता जा रहा ,
शुद्ध शाकाहारी भोजन सब ने अपनाया ।.
एक दूसरे की मददत को सब आगे आ रहे ,
दंगे फ़साद लडाई, झगड़ों का दौर थमा ,
प्यार मोहब्बत दिलों में अपना परचम लहरा गया ।।
कोरोना ने देखो क्या किया नज़ारे दिखलाए
जानवरों की हत्याएं कम होने लगी ,
सब जीव हत्या को घोर पाप बता रहें ।।
तुलसी लोगं अदरक हल्दी गिलोय , सबको नाम याद आया
हाथ पैर धोना रोज़ ,नहाना भूलो न भैया
पुरखे दे गये थे यह रीत हमें
कोरोना ने फिर वही याद कराया
कोरोना कोरोना डरो न कोरोना
भागो कोरोना
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
=====================================
क्रमांक - 078
कोरोना शोरोनो
************
भाईयो हम तो आजमाए हुए हैं।
देख लो इसलिए ठुकराए हुए हैं।।
डाक्टरों का भ्रष्टाचार कोरोना है।
मंदबुद्धी पे इतना इतराए हुए हैं।।
विज्ञानिक ठहर न पाया एक भी।
महामारी ने यूँ हाथ बढ़ाए हुए हैं।।
भिखारियों से कहाँ अच्छे हैं वह।
जिन डाक्टरों से हम सताए हुए हैं।।
हम तो प्रशंसक हैं भले डाक्टरों के।
जो आज भी मन में समाए हुए हैं।।
कोरोना शोरोना कुछ भी तो नहीं।
बस कुकर्मों का फल खाए हुए हैं।।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
==================================क्रमांक - 079
कोरोना है बडी लडाई
***************
कोरोना है बड़ी लड़ाई
हिम्मत से लड़ना मेरे भाई।
हथियारोंका काम नहीं है
सावधानी ही सुरक्षा भाई।
घर से बाहर मत जाना
जाओ तो मास्क लगा जाना।
हाथों को साबुन से धोना
रखना बहुत ही साफ-सफाई।
पार्टी वार्टी बंद करो
घर पर तुम आराम करो।
संदेशों का ध्यान रखो
अफवाहों की भली चलाई।
खानपान का रखो ध्यान
सर्दी खांसी बुखार लो जान।
सही समय पर जांच कराओ
सबसे पहले जीवन भाई।
संयम विवेक समझदारी
कोरोना की है तैयारी।
नहीं किसी को गले लगाना
दूर-से कर दो बाई-बाई।
हमको इसे हराना है
जंग जीत ये जाना है।
थोड़ा-थोड़ा करो जतन
लौटे यह अपने घर भाई।
- डा.वर्षा चौबे
भोपाल - मध्यप्रदेश
=====================================
क्रमांक - 080
कालकंवलित होगा कोरोना
*******************
कोरोना का हम रोए क्यों रोना शाकाहार हो हमारा ओड़ना
और स्वच्छता बने बिछोना,
सफर के काट देंगे फर कुछ दिन आराम से जिंदगी
घर में ही करेंगे बसर,
हाल फिलहाल छोड़ देंगे पार्टी-शार्टी मोज मस्ती क्योंकि जिंदगी नहीं है सस्ती ,
हाथ मिलाने की अपेक्षा ज्यादा सम्मान युक्त है सिर झुकाना
उमड़े सरनेम फिर भी ना गले लगना ना लगाना ,
बरतो एतिहात रखो हाथ साफ नहीं पड़ेगा जीवन खोना,
फिर देखो भारत में
कैसे सिर पर हाथ रख रोएगा कोरोना '
- मीरा जैन
उज्जैन - मध्यप्रदेश
====================================
क्रमांक - 081
कारोना
********
डरने की अब बात नहीं है
कारोना हारेगा ।
कारोना हारेगा भाई
कारोना हारेगा ।।
जब भी कोई संकट आया
एक हुए हैं सारे ।
आओ मिलकर चलो हराएँ
कारोना को प्यारे ।।
खतरनाक ये बीमारी है
घातक लापरवाही ।
व्यर्थ नहीं बाहर घूमो सब
मत कर आवाजाही ।।
कारोना हारेगा भाई
कारोना हारेगा ।
चीन जन्मदाता है इसका
इटली, यू के , फैला ।
अमरीका भी इससे आहत
वातावरण विषैला ।।
मोदी जी की सफल नीति से
विजयमाल पहनेंगे ।
जनता कर्फ़्यू पालन करके
धन्यवाद भी देंगे ।।
कारोना हारेगा भाई
कारोना हारेगा ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
===================================
क्रमांक - 082
छीन लेती है
*******
कोरोना जैसी बीमारी बहारे छीन लेती है
न जाने कितनी माओं के सहारे छीन लेती है
गैर भी छीन लेती है हमारे छीन लेती है
बिगड़ जाती है किस्मत तो सितारे छीन लेती है
मगर बिगडा़ मुकद्दर भी कभी तो बन ही जाता है
कोशिशे इंसा की अंबर से तारे छीन लेती है
हमारी आँखों ने यारों बहुत से दौर देखें हैं
ये इंसानी निगाहें फिर नजा़रे छीन लेती है
- मुकेश इन्दौरी
इन्दौर - मध्यप्रदेश
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क्रमांक - 083
आया रोग करोना जी
******************
आया रोग करोना जी,
किसने किसको ढोना जी?
दुनिया सारी बोल रही,
होना है सो होना जी।
हमको भी यदि बचना है,
हाथ पड़ेगा धोना जी।
घर में रहत अकेले जी,
और न कोई टोना जी।
जकड़ लिया है इसने तो,
भारत का हर कोना जी।
समझ 'नवीन' खुदाई को,
बोलो पैरी - पोना जी।
- नवीन हलदूणवी
कांगड़ा - हिमाचल प्रदेश
=====================================
क्रमांक - 084
है क्या बला ये ज़ालिम कोरोना
*********************
आख़िर है क्या बला ये ज़ालिम कोरोना
चले ना जोर इस पर किसी का, देखो ना,
एहतियात माना जरुरी है, मगर ये सुनो
दूबके-सहमे हैं सब, है ये वाजिब? कहो ना।
रखो स्वच्छ खुद को, सेहतमंद रहो तुम
हो दफ़्तर में चाहे, घर में बंद रहो तुम,
जीत लोगे देखना ये जंग भी एक दिन
शर्त इतनी है, नियमों के पाबंद रहो तुम।
जियो और जीने दो, प्रकृति यही कहती है
ना लो अगर सबक, कहर बनकर बरसती है,
सत्व और शक्ति से अब उत्थान की बात करो
कि विध्वंस के बीजों से जिदंगी कहाँ पनपती है।
-अमृता सिन्हा
पटना - बिहार
====================================
क्रमांक - 085
कोरोना वायरस
*************
कोराेना है एक महामारी
दहशत फैली जिसकी भारी
सुरक्षित हो परिवार हमारा
फैल न पाये बीमारी
बायरस बढ़ते इसके जल्दी
स्वच्छता है हमारी जवाबदारी
हर घंटे हाथ धोओ धुलवाओ
न हो पाए हमें लाचारी
मोदी जी का मानो आदेश
बच लो बाहर की दुनियादारी
घर में करो कैद बच्चों बड़ों को
बढ़ें न इसके कीटाणु भारी
करो रोकथाम इसकी
सिनेटाइजर लगाओ बारी बारी
सुरक्षा की रख ध्यान
कर्फ्यू की सफलता है जिम्मेदारी
- पदमा ओजेंद्र तिवारी
दमोह - मध्य प्रदेश
=====================================क्रमांक - 086
चूपचाप
********
पसर ही गया पूरे घर में कोना ,
अच्छा है तुम्हारा परहेज कोरोना ।
खुद को निहारा खुद को पुकारा,
लापरवाह होकर सलीका बिखेरा।
सालों बिताया खुद से बेबाक हुए ,
लम्हों के खजाने से अवाक हुए ।
वजूद की तलाश में सवाक हुए,
पुरोधा बन समय पुरोवाक हुए।
कब मुंडेर पे मौसम मोरनी हुआ,
छतों पर अब धूप ओढ़नी हुए ।
गांवों की लुनाई की छुपा छुपाई,
दिन से पहाड़ों का मुंह उजला हुए
मिर्चियों की रंगतें उड़ी सी क्यों थी
मुद्दतें हुई तीखापन को गुम हुए ।
त्वचा की रंगत याद ही नहीं रही,
अरसा हुआ आलस को गुम हुए।
कोलाहल के जंगलों में चुपचाप ,
बीती रातें जुगनुओं के गुम हुए ।
- रजनी शर्मा
रायपुर - छत्तीसगढ़
====================================
क्रमांक - 087
कुण्डलियां
********
जनता करे स्वयं करे सोच समझ से अपनी सुरक्षा.
तोडेगी अमल करके कोरोना की श्रृंखला जनता.
जनता को कोरोना से बचने बढिया मोदी ने मंत्र सुरक्षा.
खुद को सुरक्षित कर ले स्वयं को अपने कर्फ्यू में ले जनता..
वाईस मार्च को सुबह सात से रात नौ बजे तक न निकले जनता.
आपदा के कामगारों के लिए शाम पांच बजे ताली घंटी बजाये जनता..
जनता के लिए यह बनाया मोदी ने छतीस घंटों का मंत्र वैज्ञानिक सुरक्षा.
लापरवाही मत बरतना सभी ने अमल करना तभी सुरक्षित होगी जनता..
जनता करे स्वयं करे सोच समझ से अपनी सुरक्षा.
तोडेगी अमल करके कोरोना की श्रृंखला जनता.
जनता को कोरोना से बचने बढिया मोदी ने मंत्र सुरक्षा.
खुद को सुरक्षित कर ले स्वयं को अपने कर्फ्यू में ले जनता..
वाईस मार्च को सुबह सात से रात नौ बजे तक न निकले जनता.
आपदा के कामगारों के लिए शाम पांच बजे ताली घंटी बजाये जनता..
जनता के लिए यह बनाया मोदी ने छतीस घंटों का मंत्र वैज्ञानिक सुरक्षा.
लापरवाही मत बरतना सभी ने अमल करना तभी सुरक्षित होगी जनता..
- हीरा सिंह कौशल
मंडी - हिमाचल प्रदेेश
मंडी - हिमाचल प्रदेेश
=====================================
क्रमांक - 088
कोरोना
*****
लील रहा जीवन
मारकर भगाना है
रोगाणु से लड़कर
ये नाम कमाना है,
हार गए अगर तो
स्वर्ग तो पाना है
जीत अगर गए तो
खूब नाम पाना है।
वार पर वार करे
हम निहत्थे खड़े
जोश से काम ले
दो-दो हाथ करे,
हार जाते है जन
जो विषाणु से डरे
बुलंद हौसले रखे
कायरता से न मरे।
- होशियार सिंह
महेंद्रगढ़ -हरियाणा
=====================================क्रमांक - 089
कोरोना की दवाई
************
कोरोना से निपटो जाई।
गिलोय तुलसी घोटो भाई ।
काली मिर्च देउ मिलाई ।
पानी में उबालो जाई ।
चाय के रूप में पीलो भाई ।
कोरोना को देउ भगाई ।
दुर्गा देवी अर्जी लगाई।
पीएम कर्फ्यू मानो भाई।
हिन्दुस्तान को लेऊ बचाई ।
विश्व गुरु बन जाउ भाई ।
स्वयं की रक्षा कर लो भाई ।
- दुर्गा मिश्रा
अकोड़ा - मध्य प्रदेश
=====================================क्रमांक - 090
जग में हाहाकार
************
कोरोना नामक दैत्य से धरती हुई तबाह ।
हे! प्रभु विनती है यही सुनो मनुज की आह ।
इक तो ओला वृष्टि से फसलों की है मार ।
ऊपर से कोरोना रहा अपने पांव पसार ।
कोरोना नामक दैत्य ये घुस आया उद्दंड ।
सारी दुनिया व्यथित है मत दो हे!प्रभु दण्ड।
बिन कसूर का दण्ड ये ,ये कैसा सन्ताप ।
मानव जन को क्षमा दो माफ़ करो सब पाप ।
कोरोना से मची है जग मे हाहाकार।
कविता लिखने को नही मन मे अब उदगार ।
साफ सफाई का रखो मीत बहुत ही ध्यान।
प्रभु को सौंपो स्वयं को वो बख्शेंगे जान ।
कोरोना के खौफ से पाबंदी चहुँ ओर ।
करो सफाई स्वयं ही खुद पर ही है जोर ।
त्राहिमाम करते रहो प्रभु रखेंगे खैर ।
निपटो इस आपात से भूल भाल सब बैर ।
बीमारी ना देखती जात पात के भेद ।
कोरोना को मात दो करो न कोई खेद ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
===================================क्रमांक - 091
कोरोना से बचाना
*************
जग को कोरोना से बचाना
कभी दूर विदेश न जाना
चीनी है कोरोना खजाना
बीमारी को न देश में लाना
राम नाम ले बीमारी बचाना
बालाजी का धरना ध्याना
मन को टेंशन मुक्त बनाना
प्रियंका वेज भोज को खाना
जग को कोरोना से बचाना
- प्रियंका शर्मा
अमायन - मध्य प्रदेश
====================================क्रमांक - 092
हाथ जोड़कर
**********
कीलर कोरोना चल ले चाहे जितनी चाल
मेरे वतन में नहीं गलेगी तेरी दाल
पाक पवित्र हमारा खान-पान
हार जाएगा कोरोना शैतान
जानवरों को हम नहीं खाते,हम उनसे प्यार जताते हैं
हाथ जोड़कर करते हम अभिवादन
तन से किसी को हम नहीं लिपटाते हैं
- दर्शना जांगड़ा
हिसार - हरियाणा
===================================क्रमांक - 093
कोरोना पर जीत
*************
सुनो तुम घबराओ नही
धैर्य धरो, हिम्मत रखो
विपदा ऐसी आई नही
हम हार नहीं मानेंगे
कोरोना को जीत जाएँगे
संस्कृति हमारी रक्षक है
गर करते इसका पालन है
विश्व इसे मान रहा
मूल्यो को पहचान रहा
नमस्ते, शाकाहार को जान रहा
तुलसी, अदरक को मान रहा
कुछ नहीं , बस इतना करना
हाथ मुँह और आसपास
को रखना तुमको है साफ
भीड़-भाड़ और संक्रमित से
दूरी रखना है आवश्यक
गर यदि हो जाए खाँसी
बुखार, सिरदर्द और कमजोरी
तुरंत डाक्टर के पास जाएँ
अपना पूरा इलाज करवाएँ
आओ हम सब डट जाएँ
कोरोना के कहर का
मिलजुलकर सामना करो
- जगदीप कौर
अजमेर - राजस्थान
====================================क्रमांक - 094
कोरोना वायरस
*************
चीन से आया
बिन बुलाए मेहमान
जुकाम खाँसी से
फैला रहा तबाही
जिसका नाम कोरोना
पूरा विश्व को किया परेशान
चारों तरफ मचा कोहराम
कितनों किया घर बर्बाद
कितनों का छीना कारोबार
अपनों से अपनों को दूर किया
सबको तूने मास्क लगवाया
मुस्किल कर दिया तूने जीना
तूने घर से बाहर निकलना
बंद करवाया
तूने अपनों से गले से गले
लगना छोडवाया
नहीं मिला सकते किसी से हाथ
सेनेटाइजर का प्रयोग करवाया
हाथों को साबुन से धोकर
आँख, नाक छूना सिखाया
बहुत दे दिया तूने ज्ञान
अब तो चला जा अपने
देश विदेशी मेहमान।
- प्रेमलता सिंह
पटना - बिहार
====================================
क्रमांक - 095
कर्म से कोरोना
**********
हें! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
कोरोना को जन्म देकर l
त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,
कोरोना को फैलाकर ll
हें! मानव,
प्रकृति को भूल कर,
तोड़ी तुमने मर्यादा l
मार पड़ी जब प्रकृति की,
तो हो गया हक्का - बक्का ll
हें! मानव,
तुम हल्के में नहीं लेवे,
कोरोना की महामारी को l
इटली और चाइना की तबाही,
देख रोके नहीं रुकती ll
हें! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
कोरोना को जन्म देकर l
त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,
कोरोना को फैलाकर ll
हें! मानव,
बच्चे, बूढ़े और बेघर का,
तुम्हें रखना है ख्याल l
सभी रहें अपने घर,
कोरोना का हैं ईलाज ll
हें! मानव,
नहीं होवे जनहानि,
कोरोना की महामारी से l
अफवाहों को न फैलाएं,
अफवाहें हैं बड़ा वायरस ll
हें! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
कोरोना को जन्म देकर l
त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,
कोरोना को फैलाकर ll
हें! मानव,
संबंधो में थी दूरिया,
पहले से ही गहरी l
कोरोना के वायरस से,
गहरी हो गई और दूरिया ll
हें! मानव,
स्वच्छता और एकांतपन है,
कोरोना का बचाव l
समय नहीं है घबराने का,
सतर्कता का दे सुझाव ll
हें! मानव,
कैसा कर्म कर लिया तुमने,
कोरोना को जन्म देकर l
त्राहिम- त्राहिम मचाया तुमने,
कोरोना को फैलाकर ll
- कुमार जितेन्द्र "जीत"
बाड़मेर - राजस्थान
====================================
क्रमांक - 096
हे ! करोना
************
हे! करोना तुम,
जल्दी से दूर हो ना ।
दहशत का माहौल है,
हो भी क्यूं ना ,
जीवन सब का, अनमोलहै।
डरे नहीं,
साफ_सफाई का रखें,
बेहतर इंतजाम,
घरों से हीं करें काम ।
खुद भी समझें,
लोगों को समझाएं,
पास जाकर नहीं,
दूर से हीं बताएं ।
फोन नेटवर्किंग का करें,
आज सही सदुपयोग ,
ताकि जल्दी दूर हो जाए,
यह भयंकर रोग ।
हे ! करोना तुम ,
जल्दी से दूर हो ना।।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
================================
क्रमांक - 097
करो ना धरती पर आया है
****************
जब से आया है विश्व में क रोना,
चिंता भय और हताहत से
हो रहा है रोना।
करो ना अपने से नहीं मानव ने इसे लाया है,
मानव की नासमझी से करो ना धरती पर आया है।
प्रकृति असंतुलन हो गई मानव के अत्याचार में,
अब उधम मचा है करो ना का इस संसार में।
जलवायु ,मिट्टी ,हवा को अशुद्ध किया है तू दानव,
हरेक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है बचकर जाएगा कहां तू मानव।
प्रकृति को रुलाने वाला तू सुख चैन से क्या जी पाएगा ,
करो ना जैसे वायरस जीवाणु पैदा कर सिमटकर जाएगा।
आज तक क्या है ,मानव तुम्हारा भोजन तुझे पता नहीं,
वनस्पति को छोड़कर जंतु को खाया समस्या का तुझे पता नहीं।
लाया है लापरवाही से करोना का आज संसार में त्यौहार,
भय ,शंका और चिंता से हो रहा है संसार में हाहाकार।
जब जब प्रकृति पर मानव अत्याचार करेगा,
प्रकृति की व्यवस्था को समझे बिना मानव इसी तरह मरेगा।
यह धरती मनोरंजन और भोग की वस्तु नहीं है,
यह आश्रय और आवश्यकता की पूर्ति के लिए बनी है।
तू मानव मनमानी कर भौतिक वस्तु को भोग मनोरंजन बनाया है,
इस मनोरंजन के फलन में तू ही देख, मानव तू क्या आफत लाया है।
भय, आशंका और दुख, रोना, करो ना करो ना का मातम छाया है।
अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मारकर,
बेमौत समस्या को लाया है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
=====================================
क्रमांक - 098
कोरोना
*******
एक देश चाइना,
वहाँ राक्षस बसते हैं,
दर्द नहीं है,
तनिको उनके !
जो अपनी जनता को,
खाते रहे हैं,
छोड़ा वायरस,
नाम कोरेना!
आज विश्व में,
मची गदर है,
सभी काम हो गए,
बन्द हैं, रेल, डाक,
उत्सव, खुशियाँ,
सब कुछ!
जाने किसकी,
नजर लगी,
कोरेना की,
गदर मची!!
- सतीश " बब्बा "
चित्रकूट - उत्तर प्रदेश
=====================================
क्रमांक - 099
कोरोना आया
**********
कोरोना आया भाई, कोरोना आया
इसने बहुत सबको, चमकाया।
गांव गांव शहर शहर मे सनदेश सबको आया।
बच बच के रहो सभी सबको समझाया।
भाई सुना सभी ने कोरोना आया।
यह अब किसी को भी नहीं भाया।
खुद बचो दूसरों को बचाओपयारो,
अब हाथ मिलाना भी बंद करो यारो ।
प्रेम से केवल प्रणाम करो यारो।
एक दूसरे कोसलाह दो यारो।
जितना बच सको दूर रहो यारो।
सरकार का आदेश है पालन करो यारो,
खुद बचो दुसरो को बचाओमेरे भाई पयारो।
- जयप्रकाश सूर्य वंशी
नागपुर - महाराष्ट्र
====================================
क्रमांक - 100
कोरोना महामारी
*************
पूरी दुनिया में कैसी यह
महामारी छाई है,
रिश्तों के गांँव में इसने
कर्फ्यू सी लगाई है.
मानव लाचार इसके आगे
सूझे न कोई चतुराई है,
कितने ही लोगों को इसने
मौत की नींद सुलाई है.
थमी रफ्तार जिंदगी की जैसे
शहरें शमशान हुईं हैं,
मॉल सिनेमा बाजार डगर
वीरान-बेजान हुईं हैं.
दोष मढे़ं तो अब हम किस पर
मानवजाति शर्मसार हुई है,
बदला लेने को प्रकृति रानी
रूप चंडी का दिखाई है.
आगे क्या होगा रब जाने
यह तो रघुराई है,
जन-जन कांँप रहा थर-थर
विकट परिस्थिति आई है.
जल्द सुधर जायें हम सब
अंतिम घड़ी आई है,
फले-फूले धरती-प्रकृति
इसमें सब की भलाई है.
- डाँ. विवेक कुमार
दुमका - झारखण्ड
=====================================क्रमांक - 101
कदम बढ़ाना होगा
***************
मिलकर कदम बढ़ाना होगा
कोरोना के विरुद्ध लड़ना होगा।
तेज खासी बुखार लगता हो
तुरंत डॉक्टर को दिखाना होगा।।
मिलकर कदम बढ़ाना होगा
एक दूसरे को सचेत करना होगा।
हाथ न मिलाओ गले न लगाओ
सख्त नियम पालन करना होगा ।।
मिलकर कदम बढ़ाना होगा
अनुशासन के साथ चलना होगा ।
यारों हिम्मत से काम लेना होगा
कोरोना को अब मिटाना होगा ।।
- डाॅ. सुनील कुमार परीट
बेलगांव - कर्नाटक
=====================================
क्रमांक - 102
ये कोरोना है साहब
*************
ये कोरोना भी गजब करता है साहब!
नहीं था जिनके पास एक मिनट का भी समय
आज उन सब को घंटों साथ बैठा कर खेलना सिखा गया
एक मकान के अन्दर ही रह रहे लोगो को
उनके एक होने का एहसास करा गया
ये कोरोना है साहब ना जाने क्या क्या करा गया
दिल से दिल को मिलवा गया
सबको एक साथ खड़ा होना सिखा गया
मिटवा दी धून्धली तस्वीरे घरो की
जनता कर्फ़्यू के बहाने
घरो की सफ़ाई करवा गया
ताजा करा दी यादे पुरानी
पुराने रिश्तो को याद करा गया
ये कोरोना है साहब ना जाने क्या क्या करा गया
देश को स्वच्छता संदेश दे गया
एकजुटता संदेश दे गया
भारत की पुरानी संस्कृति याद करा गया
कैसे लड़े सब मिलकर महामारी से
ये सब करना सिखा गया
ये कोरोना है साहब ना जाने क्या क्या सिखा गया
- विभोर अग्रवाल
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
=====================================
क्रमांक - 103
कुण्डलिया छन्द
***************
कोरोना पर आप हम, कर लें आज विचार।
जागरूकता ही प्रथम, है इसका उपचार!!
है इसका उपचार, नहीं हम हाथ मिलाएँ।
कुछ दिन रह एकान्त,देह को त्राण दिलाएँ।।
मात्र गर्म हों पेय, हाथ साबुन से धोना।
जागरूकता देख, भाग जाता कोरोना।।
कोरोना को चाहिए,अब सामाजिक क्रान्ति।
जब होगा निर्मूल यह,तभी मिलेगी शान्ति।।
तभी मिलेगी शान्ति,सजगता को अपनाएँ।
फैल रही जो भ्रान्ति,उसे हम दूर भगाएँ।।
कर निर्दिष्ट उपाय, त्याग दें रोना धोना।
मौसम होगा गर्म, लुप्त होगा कोरोना।।
कोरोना से विश्व की, हालत है गम्भीर।
संक्रामक इस रोग से,मत हों आप अधीर।।
मत हों आप अधीर,सजगता रखना जानें।
पानी पीएँ गर्म, रोग को भी पहचानें।।
रहें भीड़ से दूर, छोड़ दें रोना धोना।
आएगा ऋतु ग्रीष्म,हटेगा फिर कोरोना।।
====================================
क्रमांक - 104
कोरोना जंग
*********
हो जाओ तैयार साथिओं
होजाओ तैयार
आओ ,मिलजुल कोरोना को भगाएं
हो जाओ बेकरार
दबे पाँव पदचाप आ रही
हो जाओ होशियार
जन कर्फ्यू स्वयं पर लगाकर
मिटा दो अहंकार
थाली बजाकर ,शंख निनाद से
कर लो आज ,आर और पार
कोरोना जंग ध्वज फहराकर
स्वच्छता को रखो बरकरार .
- डाँ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
=====================================
क्रमांक - 105
कोरोना! कोरोना!! कोरोना!!!
*******************
उचर कर
त्राहिमाम् - त्राहिमाम् सब चिल्लाते हो!
फैल रही चहुंदिश तामसिकता को
तौल नहीं तुम रे मानव पाते हो!!
कार्निभोरस नहीं तन से पर-
भक्षण कर विष उगल रहे हो!
समय अभी भी है बाकि,
चेत सात्विकता नहीं गह पाते हो!!
- डॉ. कवि कुमार निर्मल
प. चंपारण - बिहार
=====================================
क्रमांक - 106
कोरोना का कहर
*************
केसा ये खतरे का ब्यूगल हे, दुनिया पूरी मे जहर हे।
केसा ये कोरोना का कहर हे ,हर जगह हवा मे जहर हे
हर चेहरे पे मास्क लगा हे,हर इनसा सेवा मे खड़ा हे
जहा भी देखो हाल यही हे ,आज भयानक रात पड़ी हे,
पंजाब मे कर्फ़्यू लगा हे,सभी शहर मे लोक लगा हे
मौन की छाया हर शहर हे ,कब क्या होगा किसे खबर हे
चीन से कोरोना चला हे,पूरे विश्व मे फ़ेल चुका हे
बध हे व्यापार बंद हे द्वारे ,बैठे हे सब डर की वजह से
क्या होगा इन बेचारों का ? क्या होगा इन लाचारों का ?
कोरोना का कहर चला हे,लगता कोई चाल चला हे
इनका सब कुछ खो सकता हे,इन पे हमला हो सकता हे
कोई रक्षक नजर नहीं आता ,सोया हे आकाश मे दाता,
ये क्या हाल हुआ अपनों का,प्यार का आज निकल रहा हे जनाजा
कवि गुलाब कहे तुम सतर्क रहना ,कोरोना से तुम न डरना
- डॉ गुलाब चंद पटेल
अहमदाबाद - गुजरात
====================================
क्रमांक - 107
सजग रहो
*******
कोरोना से हो परेशान।
सभी हो रहे हैं हलाकान।।
बाहर कर्फ्यू, सब लाचार।
घर में है पूरा परिवार।।
सूनी सड़क,गली,मोहल्ला।
नहीं शोर,न हल्ला-गुल्ला।।
टी.व्ही, हो या हो अखबार।
कोरोना का ही समाचार।।
सजग रहो, निर्देश निभाओ।
सुरक्षा के उपाय अपनाओ।
-नरेन्द्र श्रीवास्तव
नरसिंहपुर - मध्यप्रदेश
=============================
क्रमांक - 108
कोरोना
*******
कोरोना कोरोना कोरोना
कोरोना से इतना डरोना
जीते जी तुम मरोना
कोरोना से इतना डरोना
हाथ धोते रहो
सेनेटाइजर प्रयोग करते रहो
पीते रहो गरम पानी
ठंढी चीज खाओना
कोरोना से इतना डरोना
स्वच्छता का रखो पूरा ध्यान
भीड़ भाड़ में रहोना
कोरोना से इतना डरोना
नमस्ते का करो प्रयोग
बंद करो हाथ मिलाना
गले से किसी से मिलोना
कोरोना से इतना डरोना
सुरक्षा ही बचाव है
इसमें ग़फ़लत करोना
कोरोना से इतना डरोना
आये खांसी या छींक
मुँह पर रुमाल रखो
बीवी हो या बच्चा
किसी का चुम्बन करोना
कोरोना से इतना डरोना
दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश" कलकत्ता
दिनेश: "कोरोना" पार्ट-2
कोरोना इतनी भी बुरी नहीं है
पूरे विश्व को भारतीय संस्कृति
सिखा रही है
हाथ जोड़कर सबको
अभिवादन करना बता रही है
कितना भी किसी को समझाओ
शाकाहारी बनता नहीं था
अब कोरोना के डर से
सब शाकाहारी बन रहें हैं
किसी को छूने के बहाने
हाथ मिला रहे थे
गले मिलना तो अलग
अब दूर से ही
सब नमस्ते कर रहे हैं
जप तप हवन यज्ञ से
वातावरण शुद्ध होता है
बहुत से लोग इसे
फालतू बात कह रहे थे
आज सब हवन कर
कोरोना भगा रहे हैं
- दिनेश चंद्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - प. बगाल
====================================
क्रमांक - 109
आगे बढते हैं
********
विपदा की यह घड़ी,
माना मुश्किल है बड़ी।
पर हिम्मत के आगे,
हर विपदा दूर भागे।
चलो मिलकर करें हम संकल्प,
मिटा दे विपदा का हर विकल्प।
रोग शोक दुख दारिद्र की जड़,
कोरोना का समूल कर दें नष्ट।
जो सक्षम हैं वे करें यह प्रयास,
गरीबों के जीवन की बनें आस।
धन दौलत का क्या फिर से जुट जाएगी,
गर गई जिंदगी एक बार दोबारा न आएगी।
श्रमिक,मजदूर बिना हम कुछ भी न कर पाएंगे,
किया गर थोड़ा प्रयास तो उनको भी बचाएंगे।
घर से बाहर भी तो निकल कर नहीं जाना है,
पर थोड़े प्रयास से गरीबों को भी बचाना है।
सरकार तो कर ही रही है अथक प्रयास,
कृपया मान लें न करें इस बात पर हास।
समय रहते अगर न हुए हम सावधान,
तो जीवन बन जाएगा सबका जंजाल।
चलो एकजुट होकर हम सब भी आगे बढ़ते हैं,
निकट आई इस विपदा से संघर्ष कर लड़ते हैं।
- डॉ.विभा जोशी(विभूति)
दिल्ली
===================================
क्रमांक - 110
घरों में रहना
*********
सजग रहो, सतर्क रहो और घरों में रहना
फिर काहे का रोना, क्या कर लेगा कोरोना
समय समय पर हाथ धुले जो
और मुह पर बांधे मास्क
आसपास भी नजर जमाये
कभी कोई पड़ोसी हो बीमार
ऐसे लोगो की प्रशासन को जानकारी देना
फिर काहे का रोना, क्या कर लेगा कोरोना
लोकडाउन है देश सारा
हमारा फर्ज है तुम्हे बताना
तुम्हारा फर्ज है इसे निभाना
घर मे रहकर इसे सफल बनाना
ये सफल हुआ जो, तो फिर ना बंधन में रहना
सजग रहो, सतर्क रहो और घरों में रहना
फिर काहे का रोना, क्या कर लेगा कोरोना
- परीक्षित गुप्ता
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक -111
Corona एक मानव जन्य महामारी
************************
कुछ ही पल में सहसा, मौन सा है छा गया।
जितना किया है पाप हमने, देखो सम्मुख आ गया।।
उन्नति की दौड़ में भूल गए अपना कर्तव्य,
इस उन्नति के परिणाम ने, अवनति पर ला दिया।।
संसार भर में Corona का प्रकोप है,
अपनी करनी पर हे मानव क्या तुझे कोई शोक है?
चल पड़ा तूफान उठकर, हमकों है समझा रहा।
खुद की ही करनी का हमको फलसफा समझा रहा।।
स्वच्छ रहना, स्वस्थ रहना थी किसकी जिम्मेदारियां,
हमनें तो बस ढूंढा नफा-नुकसान और हिस्सेदारियां।
विज्ञान लेकर आया शिखर पर , है ये वेशक मानतें
और कारण हम हैं पतन का क्यों न अब तक मानते।।
अब भी समय है मिला, जो खुद को हम रोक लें।
सहसा थमीं सी जिन्दगीं का मायना अब खोज लें।
अब भी ना मानोगे जो, पछतावा ही बस होगा,
खुद तो मिटोगे साथ में और काफिला होगा।।
है पहला मौका जहाँ, न युद्ध की हैं कामना।
अमन - चैन हो सबमें ऐसी सबकी प्रार्थना।
मिल जाए जो साथ फिर कैसा हारना।
पार पा लेंगे सबसे, मिलकर करेंगे सामना।।
कुछ का है कहना करें क्या, कैसे निजात इससे मिलें।
घर में बैठें व्यस्त होकर, चेहरे फिर सबके खिलें। ।
ध्यान रखना हाथ अपने लगातार धोते रहें।
मिलते वक्त बाहरी से, एक मीटर दूरी रखें।।
मान लो और ठान लों, लों संकल्प अब उत्थान का।
खुद की तुम रक्षा करो, है समय देश के सम्मान का।
टिकने ना देंगे तुझे Corona तू ये जान ले।
ले हिन्दुस्तानी से पंगा, भ्रम ना ऐसा पाल वे।।
है ये हिन्दुस्तान, यहाँ हर बात में प्रीत यहां कण-कण में औषध हैं मिली,
हर दिल यहाँ मन मीत है।।
हर बच्चा बच्चा जानता कि डर के आगे जीत है।।
- जितेन्द्र कुमार
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 112
कोरोना
*****
कोरोना के कहर से ,
हुए सभी बेहाल ।
इटली चीन अमेरिका,
बुरा सभी का हाल ॥ १॥
चुपके चुपके चीन ने ,
चल दी घातक चाल ।
पहले अपने ही मरे ,
तब हुआ अति मलाल ॥ २॥
कोविड-उन्नीस ने लिया ,
महामारी का रूप ।
जनता कर्फ्यू लग गया,
भारतवर्ष अनूप ॥ ३॥
प्रधानमंत्री ने किया ,
इक ऐसा आह्वान ।
एक साथ घर में रहा,
सारा हिन्दुस्तान ॥४॥
देश सेवको का किया ,
अति उत्तम सम्मान ।
पाँच बजे दस मिनट तक ,
वाद्यध्वनि का दान ॥ ५॥
ताली थाली शंख बजे ,
और घंटी घड़ियाल ।
बाईस मार्च 'बीस को ,
हो गये सभी निहाल ॥६॥
गले लगाना छोड़ दें ,
नहीं मिलाना हाथ ।
करें नमस्ते दूर से ,
जोड़ें दोनों हाथ ॥ ७॥
अपने घर पर ही रहें ,
रहो न बाहर आप ।
टूटे कोरोना कड़ी,
मिट जाये संताप ॥ ८॥
दूर दूर रह कर करें ,
अपनों से व्यवहार ।
हाथ धुलें 'मास्क' पहनें,
यही श्रेष्ठ उपचार ॥९॥
सारे कारज भूल कर ,
रहे सफाई याद ।
हाथों को धोते रहें ,
हर दो घण्टे बाद ॥१०॥
रोग प्रतिरोधक क्षमता,
सदा बढ़ायें आप ।
ताजे फल गर्म भोजन,
सदा ही खायें आप ॥११॥
निराश कभी न होइये ,
मन में हो उल्लास ।
कोई कष्ट भी आपके ,
नहीं आयेगा पास ॥१२॥
सूखी खाँसी संग ही ,
यदि हो तेज बुखार ।
साँस लेने में कष्ट हो ,
चलें चिकित्सक द्वार ॥१३॥
न उड़ायें न उड़ने दें ,
कभी कहीं अफवाह ।
धैर्य से सभी काम लें ,
सही दिखायें राह ॥१४॥
कोरोना से मच रहा ,
जग में हा हाकार ।
आर्य संस्कृति समर्थ है,
रोकती है प्रसार ॥ १५॥
सारा विश्व निहारता ,
अब भारत की ओर ।
इससे अच्छा है नहीं ,
और कहीं भी ठोर ॥१६॥
डॉ.सुरेन्द्र सिंह राजपूत
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
=====================================क्रमांक - 113
कोरोना को दूर भगाओ
***************
नियम पुराने तोड़ दीजिए
हाथ मिलाना छोड़ दीजिए
हिम्मत कुछ अपनी दिखलाओ ।
कोरोना को ------- --।१।
प्रेम-मुहब्बत बोते रहिए
हाथ बराबर धोते रहिए
व्यर्थ कहीं मत आओ-जाओ ।
कोरोना को दूर - --।2।
बीमारी से मत घबराना
भूल न जाना मास्क लगाना
घर-घर ज्ञान सुधा बरसाओ ।
कोरोना को दूर -----।3।
मांसाहार नहीं अपनाना
भीड़भाड़ में कहीं न जाना
सेनेटाइजर खूब लगाओ ।
कोरोना को दूर------।4।
फूँक-फूँककर पग हर धरना
कर्त्तव्यों का पावन करना
रहें वृद्ध घर में ,समझाओ ।
कोरोना को दूर ------।5।
- ओ३म शरण आर्य "चंचल"
नैनीताल - उत्तराखण्ड
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क्रमांक - 114
जीतेगा जग जंग
***********
कोरोना वायरस वाला•••
चीन देश से उड़ा परिन्दा
घिस-माँज पंजे शैतानी
घूम रहा है अखिल विश्व में
लेकर रफ्तार तूफानी।
खूब मचाई तबाही•••
गिनती से भी परे लिये
भोलेभाले से जन-प्राण
निखिल विश्व चिंता में डूबा
कि मिले किस तरह त्राण।
इस त्रासदी से•••
डरा-डरा सहमा-सहमा सा
मेरी धरती का परिवार
कि धीरे-धीरे हिल रहा है
इस सृष्टि का दृढ़ आधार।
अंततः युक्ति सूझी•••
अपनी घर-देहरी पर खींचो
एक अदृश्य लखन-लकीर
इसी तरह टूटेगी शायद
महामारी की दुष्ट जंजीर।
अब यह मंज़र•••
देश-देश में तालाबंदी
अरु शहर-शहर वीरान है
सड़कें सब खामोश खड़ी हैं
गलियाँ भी सुनसान हैं।
आलम यह कि•••
बगिया में है फूल महकते
पर कोई पास नहीं जाता
पवन है सुरभि बाँट रही
पर दामन न कोई फैलाता।
आशावादी स्वर•••
संयम और संकल्प से ही
जीतेगा जग यह जंग
बिखरेंगे फिर हर जगह
स्वस्थ सुनहरे खुशरंग।
इनके अतिरिक्त भी•••
साथ दवाइयों के चलें
अखंड दुआ के शुभ दौर
याद रखें कि गगन पर
महा डॉक्टर है इक और।
- कमल कपूर
फरीदाबाद - हरियाणा
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क्रमांक - 115
एक जंग
*******
लम्हो ने खता की सदियों ने सजा पाई
सुना ही होगा
पर ये खता सदियों की है
आज जो जग भुगत रहा झलक है ़़
एक मानव के अन्दर बसी अमानवता की,
आज गोर कर रहे हो क्या?
क्या क्या गलती की हमने
इन गलतियों पर ध्यान भी नही गया जब तक जगाया नहीं रब ने ,अभी हल्का सा झिझोरा है
अमानवता का हिसाब अभी बाकी है,,
बेजुवान जीव हत्या पर तू बलवान बनता होगा ,पीड़ा उसको भी हुई होगी
चीख रहा आज जग सारा पर उन चीखो का हिसाब अभी बाकी है,,
एक होकर सब लड़ रहे है महामारी से
जीत निश्चय ही होगी
पर जीत के उपरांत सो ना जाए तेरी जगी हुई मानवता
अंतरात्मा पर पडी चोट से नव युग निर्माण अभी बाकी है,,,
टूट ना जाना ये हिसाब देना ही होगा जुर्म किया या नही बेगुनाह को भी कर्ज चुकाना होगा ,,
उस खुदा ने तुझे सर्व शक्तिशाली बनाया
तू सर्व विनाश पर उतर आया
तू भी प्रकृति की रहमत पर जिंदा है
तेरे गुरूर को कम करना अभी बाकी है,,
अपनी और अपनो की जिंदगी दाव पर लगी है
प्रकृति के बदले का सबक है ये
अभी सबक से सीख लेना बाकी है,,
सबक है जब जब जीव हत्या होगी, मानवता का अंत होगा
प्रकृति चेतायेगी तुझे तेरी औकात दिखायेगी
स्वार्थी है तू स्वार्थ से आगे सोचा नही कभी इसलिए
प्रकृति ने तेरे स्वार्थ पर चोट की है
अभी तो अनुशासन हुआ है आत्मशुद्धि अभी बाकी है ।
- प्राची
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 116
नवजीवन का आवाहन है
****************
है आवाहन देश का घर से निकलना तू नहीं
फिर से नवजीवन मिलेगा यार डरना तू नहीं
खौफ का मंजर शहर में मौत मंडराती है सर
वेवज़ह बेकार राहों में टहलना तू नहीं
सब नियम से गर चले सुख चैन की हो जिंदगी
हाँ उलंघन कर नियम फिर हाथ मलना तू नहीं
देश की ख़ातिर बशर सहयोग तेरा है अहम
सुन बहस करके पुलिस से अब उलझना तू नहीं
आज मानवता पे संकट है विकट तू जाने ले
मैं जवां हूँ जानकर मस्ती में चलना तू नहीं
- स्नेहलता "स्नेह"
सरगुजा - छत्तीसगढ़
=====================================क्रमांक - 117
**********
कोरोना
*****
दुख की बदली कोरोना है।
इसके पीछे रोना है।
तन मन धन दे इसे मिटाओ ।
फिर यह जीवन सलोना है ।
मानव भूल का यह परिणाम ।
सुबह लाना था ले आये शाम ।
कैसे दोष दें हम चीन को ।
खुद को सुरक्षित बनाना है ।
संयम नियम से हम रहें ।
दूसरों को भी यही कहें ।
शासन का कहना माने ।
सबको यही बताना है ।
दूरी बनाकर चलें हम।
हाथ मिलायें न गले हम ।
बार बार हाथ धोते रहें ।
राह यही अपनाना है ।
जो कर्मों में बंधे हैं ।
जो सेवा में लगे हैं ।
अपने लोगों की है यह सेवा।
कहें किसी को नहीं घबराना हैं ।
- गिरधारी लाल चौहान
चांपा - छत्तीसगढ़
=====================================क्रमांक - 119
कोरोना को चेतावनी
**************
कोरोना करुणा करो ,
सन् उन्नीस में जाओ ।
वहीं तुम्हारा वास है ,
यहां ना आफत ढाओ ।
कहर मचाया विश्व में ,
मानव तुम से है त्रस्त ।
बोलो अब कब जाओगे ,
हुई अवधि तुम्हारी अस्त ।
मानव ने निश्चय कर लिया ,
कमर कसी है आज ।
तुम्हें विश्व से निष्क्रमण ,
विज्ञान करेगा आज ।
अति सूक्ष्म अदृश्य तुम ,
करते मानव पर घात ।
नहीं दिखेगी अब तुम्हें ,
मानव और मानव जात ।
जीवन तुम्हारा क्षणिक है ,
मिट जाएगा खुद आप ।
फिर विकास रथ बढ़ेगा ,
स्वर्णिम होगा सुर चाप ।
कोरोना से कॄमि अनेक ,
आ करके मिट गए स्वयं ।
कोरोना अब बिस्तर बांधो ,
कहे पथिक त्याग अपना अहऀ ।
- सीता राम चौहान पथिक
दिल्ली
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क्रमांक - 120
कोरोना से भयभीत नही होना
*******************
आयी है विपदा भारी संकट में है दुनिया सारी।
रक्तबीज की संतति करोना अदृश्य चक्रव्यूह में है कोना कोना।
सुरसा जैसी मुँह फैलाये, बढ़ रही है लांघ सीमाएं।
नही निदान कोई समुचित , खुदका बचाव ही है उचित।
बारम्बार धोना तुम हाथ, छूने से बचना मुँह आंख नाक।
महज देश की बात नही, विश्व्यापी है ये महामारी।
हिल चुका है यूरोप एशिया, अमेरिका भी है चहुँओर घिरा।
ले रही बदला प्रकृति, या है ये मानव निर्मित कुकृति।
चीन से आया ये विषाणु, निगल रहा मानव संताने।
घरों तक रहो खुद सीमित तुम, त्याग करो सार्वजनिक कृत्य तुम।
भीड़ भाड़ से खुद बचो, सबको समझाओ इसके निमित्त।
चक्र कोरोना खंडित होगा, जब अनुशासन में हर जन होगा।
सरकारी दिशा निर्देशों का पालन, ईमानदारी पूर्वक करना होगा।
भीषण संकट की घड़ी है भाई, धीरज संयम से रहना है भाई।
मिलजुलकर है लड़ना इससे, उपाय मात्र अब यही सटीक है।
विशुद्ध सनातन जीवन शैली, कुंजी है स्वस्थ जीवन का।
पूर्ण वैज्ञानिक संस्कृति अपनी, फिर क्या डराएगी कोरोना।
- प्रतिमा त्रिपाठी
राँची - झारखण्ड
====================================== क्रमांक - 121
करोना
****
किया दोहन हमने विश्व का
फिर सज़ा से क्यों इतना डरना
क्रिया पर प्रतिक्रिया
रहा प्रकृति का नियम सदा से
निरिह और बेज़ुबानों को
किया हलाल, तोड़ सृष्टि का नियम
साँप, चूहे और चमदागड बने
जब साधन क्षुधा मिटाने के
मची पूरे विश्व में हलचल
मानव को भी ना समझना कम
करना है प्रतिकार इसका हमें
है मानव जाति को बचाना
कर सारे नियमों का पालन , हम करोना को धत्ता दिखाएँगे
रह कर घर में ,रिश्तों को मधुर बनाएँगे
छोटे बड़े कामों में हाथ बँटाकर
माँ का साथ निभाएँगे
आओ कुछ सीखे सिखाए समय
को अपना दोस्त बनाएँगे
मिला है समय आज,आओ खुद से ही बतियाएँ हम
झाँके मन के भीतर अपने और पहचाने ख़ुद को
झटक बाहर करे निराशा से भरे
विचारों को
दीप जलाए एक ऐसा करे दूर जो मन के तम को
मिला है एक मौक़ा , इस मन को समझाए हम
डटे हुए है मैदान में जो ,रक्षा हमारी कर रहे
आज उनको देंगे भावांजलि हम अपनी
ढोल , शंख ,ताली या थाली बजाकर
- शारदा गुप्ता
इन्दौर - मध्यप्रदेश
===================================
क्रमांक - 122
करोना का कर्र-कर्र
****************
ओ, करोना,तू कैसा चाइना वाला।
देखते ही इटली को ऐसा लपेटा.. ।
लाखों की तूने ले ली देखते ही जान।
हाय रे, करोना तू तो बड़ा बेईमान।
दुनिया है जीवन के पीछे,लेकिन तू
है पड़ा, इंसानी जान के पीछे.......।
इंसानी काया ही तुझको क्यों भाए।
कब्जा भी उस पर तू ऐसा खूब जताए।
कर दिया है तूने इंसानों का बेड़ा गर्क।
हाय रे करोना तू तो निकला बड़ा बेदर्द।
भारत की जनता तो है ही बड़ी भोली।
थाली बजा कर वह तुझ से करे ठिठोली ।
घर में अब रहना तूने सबको सिखा दिया।
घूमते मजनूंओं को भी खूब चमका दिया ।
दोस्ती का असली अब मतलब समझा दिया।
हाथ मिलाने की विदेशी परम्परा को भुला दिया।
आज आदमी से आदमी को दूर तूने कर दिया।
गले मिलने की परम्परा को तूने दूरी बना दिया।
पास खड़े होने से भी अब लोग घबराने लगे हैं।
सर्दी-जुकाम से भी तूने अब सबको डरा दिया है।
हाय रे करोना तू निकला बड़ा बेदर्द...........,
गलती किसकी और सजा कौन पा रहा है।
चीन को बचा,इटली वालों को तू मार रहा है।
तबीयत से तबाह तो चीन को ही करना था।
- डाॅ.क्षमा सिसोदिया
उज्जैन - मध्यप्रदेश
=====================================क्रमांक - 123
कोरोना हराने में अपनी भूमिका निभाओ
***************************
देवों का निवास जहाँ उस वसुधा पर कोरोना ने आँख है तरेरी
जननायक के आहृवान पर भारत में भी बज उठ अब रणभेरी शिवा और राणा की सन्तानें हम तलवार की धारों पै चलते हैं
अन्त करने शत्रुओं का भारतवंशियों के हाथ सदा मचलते हैं
जिन सांपो से उत्पन्न हुआ ये वायरस वे शिव के हैं कंठहार
भक्तों की भक्ति से वशीभूत महादेव गरल पान को सदा तैयार
शेषनागों की शैय्या पर सागर में लक्ष्मी संग विष्णु करें विहार
कालिन्दी में भी शेषनाग के फन पर होवे कन्हैया की जयकार
कलयुग के दानव से बचाने को जनता से कर्फ्यू की है दरकार
प्रणाम की परम्परा निभाये जग भारत की बोले जयजयकार
प्रेम का भाव रखो सबसे दूर से रहकर ही करो उनसे मनुहार
साबुन से हाथों का मैल मिटाकर सुरक्षित रखो अपना परिवार
इटली ,चायना जैसे विनाश से भारत बचाओ रखोआपसी दूरी
जगत कल्याण में अपनी भूमिका निभाने में क्या है मजबूरी
- निहाल चन्द्र शिवहरे
झांसी - उत्तर प्रदेश
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क्रमांक - 124
हम अनेक में एक
*************
धन्य धन्य है भारतवासी धन्य धन्य है देश
धन्य धन्य संस्कृति अपनी धन्य धन्य परिवेश
'सर्वे भवन्तु सुखिन:' का मंत्र सदा अपनाया
जब भी संकट आया मिलकर साथ निभाया
ये ही तो पहचान हमारी हम अनेक में एक
सदियों की इस परंपरा को विश्व रहा है देख
सृष्टि के हर जीव की चिंता सदा रही सताई
तब जाकर भारत माता 'विश्व-गुरु' कहलाई
एकजुटता बनी रहे सबकी सद् बुद्धि दे सहारा
कोरोना हो या फिर कोई क्या कर लेगा हमारा
- विश्वम्भर पाण्डेय 'व्यग्र'
गंगापुर सिटी - राजस्थान
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क्रमांक - 125
कोरोना का कहर
************
कैसी अंतरराष्ट्रीय आपदा की घड़ी
हर व्यक्ति पर विपदा ही पड़ी, दहशत में है घर, शहर, देश, परदेश
स्वास्थ्य विभाग का पूरा अमला जुटा
पर कोरोना टिका का टिका
जाना है तो इतना कि
सुरक्षा ही इसका अचूक उपाय
दीदी, भैया, दादी, नानी सब जान जाए,
सरकार की कोशिश है जारी पर कोरोना अब भी है भारी
महज सरकार ही नहीं जागरूकता हर नेता,अभिनेता,प्रणेता,कार्यकर्ता
को दिखाना होगा
ऑफिस आशियाने छोड़
घर-घर ज्योत जलाना होगा
जब आती है सत्ता की बारी
तो कैसे हो जाती है सौगातो की बमबारी,
आज उन्हें ही बचाना है
जिन्होंने सत्ता का अधिकार दिया जागो सजग कार्यकर्ताओं जिस तरह बांटे कंबल साड़ी
अब फिनाइल डेटॉल मास्क की बारी।
कहां है वह सामाजिक कार्यकर्ता बड़े-बड़े संस्थाएं महिला मंडल चेंबर ऑफ कॉमर्स
आगे बढ़े स्काउट एनसीसी, एनएसएस के हैंडल
आगे सबको आना है नुक्कड़ नाटक, नाचा, प्रदर्शनी से जगाना है
स्वदेशी अपनाएं नारा लगाना बाहरी चीजों को है जलाना
दादी, नानी का कहा आज भी याद दिलाना,
घर का खाना और भारतीय संस्कृति अपनाना।
सतर्कता से स्वयं को बचाना।
- माधवी गणवीर
राजनांदगांव - छत्तीसगढ़
====================================
क्रमांक - 126
कोरोना से आप नहीं डरो ना
*******************
"कोरोना "से आप नहीं डरो ना,
भयभीत तनिक नहीं होना है।
सुरक्षा ही बचाव हो उसका,
और संयम भी नहीं खोना है।।
भीड़ - भाड़ से दूर रहना है,
मुंह नाक में मास्क लगाओ जी।
जगह-जगह में न खासों थूको,
"डर"दिल से दूर भगाओ जी।।
हाथ धो लो साबुन से आप,
ना, गले , हाथ मिलाओ जी।
खासी , सर्दी आ जाए तो,
झट डाक्टर को दिखाओ जी।।
खासी, छींक आए तब तो,
मुंह ढंक लेना रुमाल से,।
लापरवाही तनिक न करें,
बचना है जी इस बवाल से।।
तरल एवं पौष्टिक आहार लेवें,
खाने पीने का रखिए ध्यान।
ताजे फल और ताजी सब्जी,
संयमित रहे सबका खान-पान।
चीन, इटली से आई बीमारी,
भारत से इसे भगाना है।
हिम्मत से सभीकरें मुकाबला,
"कोरॉना" को मिलकर हराना है।।
- गुलाब सिंह कंवर "गुलाब"
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
====================================क्रमांक - 127
जोड़ो हाथ सदा !
**********
चाहे....खांसो !
चाहे....छींको !
चाहे थूको, मगर रुको ।
चाहे ज्वर हो !
दर्द..अगर हो !
जाँच कराओ, नहीं रुको ।
डरो न भाई !
मुफ़्त...दवाई !
लेकर स्वस्थ, सानंद रहो ।
स्वस्थ अगरचे !
सुनो.. मगरचे !
अपने घर में बन्द रहो ।
तन से तन की !
रख कर दूरी !
मन से मन का मेल दिखे ।
घर व गलियां !
देश व दुनिया !
बिना कोरोना तभी दिखे ।
मूरख...वाली !
बात..निराली !
कहो नहीं जी,भाग्य बदा ।
आना- जाना !
हाथ मिलाना !
छोड़ के जोड़ो हाथ सदा ।
- कवि इन्द्रदेव भारती
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
====================================
क्रमांक - 128
कोरोना
******
देश-देश के राजा डर गए, वेबस दिए दिखाई रे
सत्यानाश हो तेरा कोरोना, जनता सभी डराई रे
छद्म वेश धारण कर तूने, कफ रोगों से की यारी
छुपके तन में बैठ गया तू, रचने के हित महामारी
सहम गई ये दुनिया सारी, हा- हाकार मचाई रे
कोरोना तू हारा जब युवाशक्ति के प्रतिकार हुए
रोगी निर्बल वृद्धावस्था ये सब तेरे शिकार हुए
कोई जीता, कोई हारा, जीवन में तेरी लड़ाई रे
हाथ धुले सौ बार-२, जैसे काली करतूत कोई
एक दूजे के छुए को धोएँ जैसे छूत अछूत कोई
छुप क़ैदी सा पड़ा बैठना, घर की जेल बनाई रे
नित्य भोर काम को जाते साँझ परे घर आते जो
रोज़ी रोटी के लाले झेले, मज़दूरी कर खाते जो
लाभ हानि की गणना कैसी, कौन करे भरपाई रे
यूँ तो २१ दिन में तुझको, खुद वखुद ही मरना है
ना आएगा लौट कभी, उपचार तेरा वो करना है
चतुर अनाड़ी वैधो डॉक्टर, वो देंगे तेरी दवाई रे
- डॉ भूपेन्द्र कुमार
धामपुर - उत्तर प्रदेश
====================================क्रमांक - 129
दूर दूर
*****
दूर दूर रहके, हम पास पास होंगे।
बाद कुछ दिनों के, ना हम उदास होंगे ।
बलशाली संगठन है, जब साथ हम चले हैं,
और अनेकों संकट, पल भर में ही टले है।।
संगठन की लेकिन परिभाषा आज सुन लो,
प्रकाश पुंज बनाने, अलग-अलग जले हैं।
हम दूर होंगे तब ही कोरोना नाश होंगे।
दूर-दूर.......
देश पर है यारों, संकट बहुत ही गहरा,
घर में कैद होकर, ऐसे लगाओ पहरा।
बिन बोले मिल सभी हम, आवाज यू लगाएं,
कोरोना फिर हमेशा, होगा ऐसे बहरा।
ढोते मिलकर हम सब , उसकी लाश होंगे।।
दूर-दूर.........
- हितेन प्रताप सिंह
मरेठ - उत्तर प्रदेश
====================================क्रमांक - 130
कौन सूत्रधार है
***********
जल रहा है हर ठिकाना,
उजड़ी सभी बस्तियाँ ।
गुजरते हैं अब काफिले,
कसते लोग फब्तियाँ ।
जुल्म किसने है ये ढाया ,
बढ़ चला आज पहरा ।
बनी जनता मूक मोहरा,
बाँधे गद्दार सेहरा ।
सुनाई देती हैं सिसकियाँ ।
पढ़ न सके तख्तियाँ ।।
ये कौन मददगार है ,
बना कौन मित्र यार है ।
हाथ अपनों के खंजर,
हुआ देश भी जर्जर ।
ये कौन सूत्रधार है ।
कर रहे जो सख्तियाँ ।।
- मनोरमा जैन पाखी
भिण्ड - मध्यप्रदेश
====================================क्रमांक - 131
कोरोना आया है
*********
कोरोना आया है
कोरोना आया है
कोरोना दुश्मन घात लगाए बैठा
कमजोर इसे तुम जानो ना
घर पर रहकर इसे हराना
बात यही तुम मानो ना
होगा सब पर उपकार
कोरोना आया है...
सरकार ने सभी जरूरी चीजें
घर-घर तक पहुंचाई है
अन्न योजना, उज्जवला योजना, जनधन योजना भी चलाई है
करो सभी सेवा करने वालों को नमस्कार
कोरोना आया है...
मेरे देश की रीत यही है हम सब भाई भाई हैं
संकट की इस घड़ी में सब ने मिलकर मुहिम चलाई है
सबने देना है खुल कर दान
कोरोना आया है...
डॉक्टर ,नर्स ,पुलिस और सभी सेवादार बने भगवान हैं
घर पर रहना और देश बचाना इसी में सबका कल्याण है
करो सब अपने ईश का ध्यान
कोरोना आया है...
- नीलम त्रिखा
पंचकूला - हरियाणा
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क्रमांक -132
इसको मिलकर सहना है
****************
कोरोना से बचना है तो सबको घर में रहना है ।
बहुत बड़ा संकट आया है इसको मिलकर सहना है ।।
दुनिया भर में रोग बड़ा ये लोग हजारों मार गया,
सुपर पावर अमेरिका भी कोरोना से हार गया,
इटली के हालात देख लो और भला क्या कहना है ।
बहुत बड़ा संकट आया है इसको मिलकर सहना है ।।
शासन और प्रशासन के आदेशों को जो टाल रहा,
ऐसा मूर्ख मानव सबको ही संकट में डाल रहा,
अगर नहीं समझे सम्भले तो किला हमारा ढहना है ।
बहुत बड़ा संकट आया है इसको मिलकर सहना है ।।
हाथ मिलाना छोड़ो सारे दूर से ही सत्कार करो,
कहो नमस्ते राम राम और दिल से सबको प्यार करो,
तन मन सबका ठीक रहे बस यही हमारा गहना है ।
बहुत बड़ा संकट आया है इसको मिलकर सहना है ।।
आओ जिम्मेदार बनें हम कुदरत से अरदास करें,
रोग मुक्त हो देश हमारा इसका सब प्रयास करें,
इस वायरस की विष वायु के साथ नहीं अब बहना है ।
बहुत बड़ा संकट आया है इसको मिलकर सहना है ।।
- बेगराज कलवांसिया 'ढूकड़ा'
ऐलनाबाद - हरियाणा
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क्रमांक - 133
नहीं है खबर
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आज क्यु मेरा उदास है शहर
किसने घोला है फ़िजा मे जहर
चिड़ियों की चहचाहट हुई मौन है
क्या आने वाला है कोई कहर
सूनी हुई पगडंडी गाँव की
सूना सूना हुआ है डगर
पत्तों की सरसराहट मौन है
देखो वक्त भी आज गया है ठहर
सहमा सहमा इंसान डरा इस कदर
उसको अपनो की कुछ भी नहीं है खबर
मुश्किलें तो हिमालय से ऊंचा हुआ
राह कोई भी अब नही आती नजर
- सुरेन्द्र अग्निहोत्री "आगी "
महासमुन्द - छत्तीसगढ़
=====================================क्रमांक - 134
कोरोना का डर
************
घर के अन्दर दुबके बैठे,
दादा दबंग सिकन्दर।
कोरोना से रहना बचकर,
फैला नया बवंडर।
अदरक तुलसी और मुलैठी,
एक लौंग का जोड़ा।
सुबह शाम चाय बनाकर,
पीना थोड़ा - थोड़ा।
गले लगो ना हाथ मिलाओ,
रखना थोड़ी दूरी।
माॅस्क पहन लो मन से भाई,
समझो ना मजबूरी।
आँख नाक छूने से पहले,
धो लो हाथ रगड़कर।
बाहर से जब घर आओ,
मिलना ज़रा संभलकर।
ठंड गुलाबी का मौसम है ,
ठंडी चीज न खाना।
कोई खांसे और छींके तो,
दूरी सदा बनाना।
तबियत यदि नर्म-गर्म हो,
छोड़ो घर और दफ्तर।
अस्पताल में रहना होगा,
कोरोना का चक्कर।।
- नरेन्द्र सिंह नीहार
नई दिल्ली
===================================क्रमांक - 135
हमें सबको बचाना है
***********
न बाहर तुमको आना है, न बाहर हमको जाना है।
घरों में बैठ करके ही, हमें सबको बचाना हैं।।
अभी थोड़ी समस्या है, तो इसका हल सरल होगा।
मगर छोटी सी गलती से, किसी का भी कल न होगा।।
हमारा काम भी, जीवन में खुशियां ही तो लाना है।
घरों में बैठ करके ही, हमें सबको बचाना है।।
मिली है जिंदगी, इसका भी कुछ मतलब निकलता है।
गति के साथ स्थिरता हो, मतलब तब निकलता है।।
कभी जो दौड़ कर पाया, वो रुककर आज पाना है।
घरों में बैठ करके ही, हमें सबको बचाना है।।
रहेंगे स्वच्छता से हम, तो बीमारी नहीं होगी।
अभी जो चल रही, ऐसी महामारी नहीं होगी।।
है रहना स्वस्थ, क्योंकि देश के भी काम आना है।
घरों में बैठ करके ही, हमें सबको बचाना है।।
बदलता पथ है जीवन का, पथिक अनुसार चलता है।
सफ़र से पता, जीवन का पूरा सार चलता है।।
किसी को आज जाना है, किसी को कल जाना है।
घरों में बैठ करके ही, हमें सबको बचाना है।।
- सेतराम साहू
पिथौरा - छत्तीसगढ़
=====================================क्रमांक - 136
परेशान तो बहुत है
*************
कारोना वायरस मौत से कम तो नहीं
पर ये सबकी मौत तो नहीं।
कुदरत का भी अजीब खेल इस दुनिया में आया है
सबको मिलने के लिए कोरोना को आसमां में उड़ाया ।
कॉरोना वायरस को देखकर परेशान तो बहुत है,
मगर मजबूत इतने बने है कि इसका बाप भी हमे परेशान ना कर पाया।
घर ना बैठने वालो को इसने घर बैठाया,
उन्हें एक रिश्ते का अहसास कराया,
फिर एक बार जिन्दगी ने परिवार का परिवार से मिलन कराया।
और ना जाने जिन्दगी में ये कैसा दिन आया,
डॉक्टर ने भी अपनी जान को जान पर लगाया
सलाम है उन सबको,
जिन्होंने अपनी जान को जान पर लगाकर हम सबको बचाया,
इस कोरॉना को भागने के लिए हम सबको एक विश्वास दिलाया।
- अपूर्वा अग्रवाल
धामपुर - उत्तर प्रदेश
====================================क्रमांक - 137
डॉक्टर है भगवान
************
डॉक्टर है भगवान,
बनों तुम बलवान,
तभी होगा बेड़ापार,
समझ दिखाओ ना।१।
अगर हो सर्दी खांसी,
अस्पताल जाओ वासी,
रखो नित सावधानी,
बाय बाय कहोना।२।
जाग चुकी सरकारें,
बंद है धार्मिक स्थलें,
बंद है कॉलेज-स्कूलें,
पग नही धरोना।३।
कोरोना से न डरिये,
शंका आप न पालिये,
भागेगा देश से दूर,
तुम नही डरोना।४।
- कुमार कारनिक
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
=====================================क्रमांक - 138
एक प्रयास
*******
भाग जाये ये दुष्ट करोना,
मिल कर सभी प्रयास करो- ना
शासन ने क्यों बैन लगाया,
इसका भी अहसास करो- ना ।
कहना है, अफवाह बाजों से,
व्यर्थ कोई बकवास करो- ना ।
घर में रहो, बाहर मत निकलो,
कुछ दिन घर में वास करो- ना ।
हारेगा यह जल्द करोना,
मन में यह विश्वास करो-ना ।
"राज"विश्व सारा संकट में,
सच समझो, उपहास करो-ना ।
- रमेश माहेश्वरी "राजहंस"
बिजनौर -उत्तर प्रदेश
=====================================क्रमांक - 139
रहेंगे हम घर के अंदर
****************
मुखिया ने किया है आह्वान
हाथ अपने जोड़कर।
इक्कीस दिन गुजारने हैं,
हम सबको घर पर रहकर।।
कोरोना को बढ़ने से रोकने
रहेंगे हम घर के अंदर।
इस मौके का लाभ उठाएं
अपनों संग वक़्त बिताकर।।
इसका अब तक का दिन
गया था अच्छे से गुजर।
घरवास का हर दिन हम
हँसकर करेंगे गुजर-बसर।।
नियमों का करेंगे पालन
रहकर हम घर पर।
देशसेवा करने का हमें
मिला है सुनहरा अवसर।।
जिम्मेदारी निभाएंगे अपनी
समाज से दूर रहकर।
मिटाना है हमको ही तो
सबके मन से कोरोना का डर।।
- प्रवीण चतुर्वेदी
खरसिया - छत्तीसगढ़
=====================================क्रमांक - 140
कोरोना
******
कोरोना कोरोना कोरोना
चारो ओर कोहराम मचा
यहां नहीं जाना वहां नहीं जाना,
इसे न छुना उसे न छुना
न हाथ मिलाना, बस प्रणाम करना,
आफत मे डाला ये कोरोना
डरी सहमी है सारी दुनियां
कितने बे मौत भी मर रहे
है लोग बेचैन और खौफ में
गाँव, शहर, स्कूल, कॉलेज चुप है
दफ्तर,आफिस सब हैं मौन
कब तक रहेंगे संकट के बादल
कब मिलेगा इससे निजात
संकट अपार, मिलकर निपटना है
सतर्कता सावधानी से काम लेना है
भीड़-भाड़ से बचना
बारबार हाथ धोना
विकट समस्या लाया
जागरुक बने सचेत रहे
तभी मिलेगा छुटकारा।
- संघमित्रा चौहान
भिलाई - छत्तीसगढ़
====================================क्रमांक - 141
कोरोना
******
मत घबराना
कोरोना से
मिल कर
लडेंगें कोरोना से
इसको हल्के में
मत लेना
मचाएगा कोहराम
होगा तबाही
सरकारी फरमान
नहीं मानोगे तो
चीन इटली
जैसे होगा हाल
कितने लोगों की जान जाएगी
गिनती नहीं कर पाओगे
कहां जलाओगे?
कहां दफनाओंगे?
जगह मिल पाएगी?
ज्वलंत प्रश्न है
करो विचार
आत्म सुधार
से ही होगी नैया पार
इसलिए घर से बाहर मत निकलो
भीड़ से बचो
वायरस अपने आप मर जायेगा
मान लो मेरा कहना
करो सब का सहयोग
नहीं तो जिंदगी का होगा अंत
मानोगे गर कहना
तो फिर से होगी
नई जिंदगी की शुरुआत
- डिग्री लाल जगत निर्भीक
खरसिया - छत्तीसगढ़
====================================क्रमांक -142
छप्पय छंद
********
साथ रहे परिवार,बिताये आनंदित पल।
करके खुद को बंद,निकाले कोरोना हल।
टूटे जब संपर्क, महामारी रुक जाये।
तोड़ श्रृंखला एक, हजारों जान बचाये।
जनता कर्फ्यू आव्हान से,होता रोग निदान है।
जनता कर्फ्यू सम्मान से,बचती सबकी जान है।
घर में बैठे लोग,अनेकों किये उपक्रम
गलियाँ थे सुनसान,सफल था यह कार्यक्रम ।
घर घर पूजा पाठ,जिम्मेदारी संभाली।
पाँच बजे कर याद,बजाई ताली थाली।
बचने का यही उपाय है, लाइलाज यह रोग है
सुदृढ़ मनोबल लेकर खड़े,कमर कसे सब लोग है।
- सुकमोती चौहान रुचि
बिछिया - छत्तीसगढ़
=====================================
क्रमांक - 143
ये ईश्वर की शिक्षा है
**************
परीक्षा की घड़ी है हर परीक्षा पर परीक्षा है।
वनों से राम लौट आए, मगर फिर भी तितिक्षा है।
तुम्हारी राह में , मैं भी तुम्हारे साथ हूं लोगों।
चले जाना जरा रुक जाओ , ये ईश्वर की शिक्षा है।।
समाजिक लोग भी अब कर रहे हैं आपकी परवाह।
वही खालो जो अब कुछ मिल रहा है वो ही भिक्षा है।।
उठो शिक्षित बनों , हर नागरिक ,हर जन , हरक व्यक्ति।
यही है समय की अब धारणा, ऋषियों की शिक्षा है।।
- संजीव शर्मा
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
===============================
क्रमांक - 144
क्रमांक - 147
क्रमांक - 148
क्रमांक - 149
क्रमांक - 150
क्रमांक - 151
क्रमांक - 153
क्रमांक - 158
क्रमांक - 159
क्रमांक - 166
क्रमांक - 167
क्रमांक - 168
क्रमांक - 169
क्रमांक - 144
कोरोना
कोरोना को लेकर कांहे को रोना ,
बस वर्जित काम कतई करोना ,
आज दूर रहकर कल मिल पाओगे ,
आत्म सुरक्षा द्वारा राष्ट्र भक्ति करोना !
- डाँ. ए. पी. जैन
पानीपत - हरियाणा
=====================================
क्रमांक - 145
करोना के चपेट में
*************
बेजुबान जानवरों का श्राप
आज हमें लग गयी
वो आजाद ,
हम कमरें में बंद
समय सब पे भारी
वो आज हमें बता गयी।
सर्दी,खांसी,जुकाम
करोना तेरा लक्षण
हर पल निकल
रहा है एक नया शरीर
विनाश के गर्त में
पड़े हैं हज़ारों लाशें
बिखरे पड़े हैं
हवाओं में तेरे जहर
तहस-नहस हो गये
आधुनिक मानव
तेरा जनजीवन।
- सुमिधाहेम सिदार
सरकण्डा - छत्तीसगढ़
=====================================
क्रमांक - 146
नाश करो महामारी
**************
माँ दुर्गा से विनती है, नाश करो महामारी।
आज दिखा रुप प्रचंड, बन जाओ हितकारी।
आतंकी कोरोना से ,नहीं हमें है हारना।
साफ सफाई घर मे रह,हम करेंगे सामना।
जिन्दा रहना है हमको, स्वस्थ भी रहना है।
राशन सब्जी बाजारों में,भीड़ नहीं करना है।
हांथ धुलाई हरदम हो,वायरस को भगाओ।
ताजा भोजन ही करना, समझो भी समझाओ।
अपने से अपनों की रक्षा, रखनी होगी दूरी है।
संयम से रहना है हमको, नाम न दो मजबूरी है।
इस दुखद घड़ी में लोगों, करना नहीं सफर।
चांद हो जाओ ईद के,कहीं आओ नहीं नजर।
वक्त का यही तकाजा, सब जोड़ो जी हांथ।
आई संकट की घड़ी, घर में रहो एक साथ।
कोरोना का उठा कहर,छाया धुंध संसार में।
नष्ट हो जाये कीटाणु, उड़े न एक बयार में।
जग को हिला दिया है, कैसा सिला दिया है।
जहरीली वायरस से,हमको मिला दिया है।
कुछ ऐसा गीत गाते हैं, कोरोना भगाते हैं।
माँ दुर्गा से विनती कर,स्वच्छ धरा लाते हैं।
पूजा होती होता प्रेयर,शबद कीर्तन अजान भी।
जहाँ समस्या है होती, होता वहां समाधान भी।
हलाहल पीते शिव यहाँ,कष्ट हर्ता प्रलयंकारी।
देवी देवताओं से विनती,*नाश करो महामारी*
- रुक्मिणी सिंह राजपूत
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
=====================================क्रमांक - 147
कोरोना
*******
कोरोना का है संकट छाया
पर यह सबको समझ में आया
मेल-जोल तो अच्छा होता
पर अलगाव बुरा न होता
जीवन यदि बचाना है
तो सबको यही सिखाना है
कुछ दिन घर के अंदर रहना
जीवन का यह दौर भी सहना
तन से दूरी तो मजबूरी
पर दिल से न रखना दूरी।
- डाॅ अरविंद श्रीवास्तव
दतिया - मध्यप्रदेश
=================================क्रमांक - 148
घर में रहना मेरा 'राष्ट्रधर्म'
*****************
मैं भी घर पर हूँ,तुम भी घर पर रहो
नही कह रहा तुम से कोई बॉडर पर लड़ने को
नही कह रहा तुम से कोई एयर स्ट्राइक करने को
राष्ट्रप्रेम तुम में भी है ,राष्ट्रप्रेम मुझमें भी है
अपनी मातृभूमि को बचाने की खातिर
बस इतना करो
मैं भी घर पर हूँ तुम भी घर पर रहो
एक अकेला मोदी नहीं लड़ सकता इस कोरोना महामारी से
मैंने संकल्प लिया है,तुम भी संकल्प करो
एक बार अपने मोदी पर भरोसा और करो
मैंने तो भरोसा किया है बस तुम भी और करो
मैं भी घर पर हूँ ,तुम भी घर पर रहो
जैसे बॉडर पर वीर जवान ने हॉस्पिटल में डॉक्टर ने राष्ट्रधर्म है निभाया
वैसे ही चौराहे पे पुलिस ने और मीडियाकर्मी ने भी राष्ट्रधर्म है निभाया
आओ मैं भी राष्ट्रधर्म निभाऊं और
तुम भी राष्ट्रधर्म निभाओ
बस इतना करो
मैं भी घर पर हूँ, तुम भी घर पर रहो
- प्राची राजपूत
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
====================================क्रमांक - 149
समय की यही पुकार
************
कोरोना का वायरस
है चीन की देन
थोड़े दिन की बात है
वापस होगा चैन
इक्कीस दिन का लाँक डाउन
समय की यही पुकार
सैनेटाईज कर अपना टाउन
सब पर करें उपकार
भीड़-भाड़ से रखकर दूरी
अपनों का बस ऱखकर ध्यान
सतर्कता रक्खें बस पूरी
स्वस्थ बनायें देश महान
- रवि भूषण खरे
दतिया - मध्यप्रदेश
=====================================क्रमांक - 150
कोरोना
******
जीवन है अनमोल बहुत ही इसको ना तुम खोना।
आओ मिलकर जंग लड़े हम दूर होगा कोरोना
।
जाति _ पाति का भेद भुलाकर सब दीवारेंतोड़ दो ।
दिल में प्यार बनाए रखना हाथ मिलाना छोड़ दो।
मुंह पर मास्क लगा कर रखना , हाथों को साबुन से धोना।
जीवन है,,,,,,,,,,
सड़कों पर ना भीड़ बढ़ाना छिपी क़यामत इसमें है।
अपने देश से है जो मोहब्बत सबकी हिफाजत इसमें है।।
खुद पर अंकुश रखोगे तो क्या कर लेगा कोरोना।
जीवन है,,,,,,,,,,
संकट की घड़ियां भी देखो कुछ दिन में टल जाएंगी।
आंगन में खुशियां ही खुशियां लौट के फिर आ जाएंगी।
लापरवाही मत रखना और खेल तुम इसको समझो ना।
जीवन है ,,,,,,,,,,,,
जां पर खेल के लगे हमारी जो सेवा में तत्पर हैं।
संकट की इस घड़ी में देखो हम भी उन पर निर्भर हैं।
आओ उनको नमन करें हम साथ में उनके हो ना।
जीवन है,,,,,,,
- डॉ मंजू जौहरी "मधुर"
नजीबाबाद - उत्तरप्रदेश
====================================क्रमांक - 151
दूर दूर हो जाओ
***********
गली गली में सन्नाटा फैला
हर मोहल्ला सूना
अपने देस और परदेस आओ है एसो
जुल्मी कोरोना
बचके रहियो भईया ख़ुद भी औरो को भी बचाओ
मिलो ना इक दूजे से कोऊ दूर दूर हो जाओ
कछु दिना की बात पारस फ़िर घूमेंगे पूना
डॉ रमेश कटारिया पारस
ग्वालियर - मध्यप्रदेश
===================================
क्रमांक - 152
बाय बाय करोना
************
मत रो रोना
करोना का
स्वस्थ बनाओ तन मन को
करो बाय बाय करोना को
सूर्योदय से पहले
बिस्तर का मोह त्यागो
करो योग बनो निरोग
खूब गहरी सांस लो
धीरे धीरे बाहर निकालो
श्वसन तंत्र को स्वस्थ बनाओ
करोना को दूर भगाओ
ओम हरि ओम का करो जाप
हनुमान चालीसा का करो पाठ
मत रो रोना करोना का
प्रातः सवेरे करो पानी गरम
उसमें डालो नींबू का रस
धीरे धीरे पियो पानी
दूर होगी परेशानी
बंद करो रोना करोना का।
दिन में तीन चार बार
जोर से रगडो हथेलियों को
कोई बैक्टीरिया वायरस
प्रभाव नहीं डालेगा
स्वतः ही मर जायेगा करोना
ईश्वर ने दिया है प्राकृतिक सैनीटाईजर
मत रो रोना करोना का
खट्टे खट्टे फलों का सेवन
संतरा नींबू साइट्रक फल
को अपनाओ खूब खाओ
करोना को दूर भगाओ
स्वस्थ बनाओ तन मन को
बाय बाय करोना बाय बाय।
- डां अंजुल कंसल"कनुप्रिया"
इंदौर - मध्यप्रदेश
=====================================क्रमांक - 153
कोरोना से डरोना
**********
बजी थाली बजी ताली
बजी घंटी हुए शंखनाद
नित करो सभी प्रयास।
कोरोना से डरोना ....
ना फैलाओं भ्रांति
चित में रखो शांति
करो प्रयास सफल होना
कोरोना से डरो ना ।
आयी है जग में महामारी
है विपदा बड़ी लाचारी
एकजुट होकर लो संकल्प
बचने का यही है विकल्प।
कोरोना से डरोना I
हाथ जोड़ करनी है नमस्ते
आते जाते रस्ते।
दूरी हमे बनानी होगी
कुछ दिन और बढ़ानी होगी
होगे आसान रस्ते।
नही उड़ानी है मज़ाक
नित करना है प्रयास
बार बार धो ले हाथ
मुँह पर बाँधे मास्क रूमाल
देशहित की बातो को क्यो नही समझते।
नमस्ते नमस्ते नमस्ते|
- नीमा हँसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
===================================
क्रमांक - 154
कोरोना
****
जिधर देखो उधर
कोरोना का है कहर।
चाहे गाँव हो या हो शहर
जिधर देखो उधर
कोरोना का है कहर।
जहां देखो वहां
बंद हो गया है डगर
गली मोहल्ला सूना हो गया
बंद हो गया है सफर
जिधर देखो उधर
कोरोना का है कहर।
रहना है सुरक्षित अगर
लगाना है मास्क और सेनेटाइजर
जिधर देखो उधर
कोरोना का है कहर।
कोरोना से बचना है अगर
घर से नहीं निकलना है बाहर
जिधर देखो उधर
कोरोना का है कहर।
स्वच्छ रखो घर और द्वार
हाथ मुँह धोलो बार बार
यही निवेदन है मेरा
आप सभी को बारम्बार
जिधर देखो उधर
कोरोना का है कहर
- टिकेश्वर सिदार दीपक
महासमुंद - छत्तीसगढ़
===================================
क्रमांक - 155
हिंदुस्तान को बचाना है
******************
चलो खाओ एक कसम हिंदुस्तान को बचाना है
जंग ऐसी लड़ना है सबको साथ आना है
हिन्दू मुस्लिम राजनीति ये सब बाद का फसाना है
अभी सारे लोगो को कोरोना से बचाना है
कुछ दिन घर में यूंही बैठो
अपनो से बिल्कुल ना रूठो
जो रूठ गए है उनको मना लो
जाना कहीं नहीं बस सबको फोन मिला लो
हाल चाल पूछ लो और जान लो कैसी है तबीयत
क्या पता किस हाल में हो वो और कैसी हो उनकी अजियत
हो अगर साहिब-ए-हैसियत तो कुछ काम ये कर दो
अपने आस पास गरीबों के घर खाने का राशन भर दो
लड़ाई बहुत लंबी है इस बीमारी को हराना है
चलो खाओ एक कसम हिंदुस्तान को बचाना है
जो तुम साथ ना दोगे घर से यूंही निकलोगे
देश के साथ तुम भी इस का कहर भुगतोगे
ये याद रखो नुकसान इसमें नहीं सिर्फ तुम्हारा है
इटली चीन जापान और अमेरिका इससे सब हारा है
क्या चाहते हो तुम इटली जैसा हाल हो
पूरा की पूरा देश इससे बेहाल हो
क्या अच्छा लगेगा तुम्हे जब अस्पतालों में लाश ही लाश हो
पूरे देश का सिर्फ विनाश ही विनाश हो
है वक़्त अभी भी जाग जाओ
जिम्मेदार नागरिक बनते हुए ये जिम्मेदारी उठाओ
जो कोई बिना जरूरत बाहर निकले उसको ये बताओ
अगर खुद को और देश को बचाना है
तो कुछ दिन घर पे बिताना है
नवाज़ जितना हो सके उतना और समझाना है
चलो खाओ एक कसम हिंदुस्तान को बचाना है.
- नवाज़ शरीफ मालिक
उन्नाव ( कानपुर ) उत्तर प्रदेश
=================================
क्रमांक - 156
कोरोना निषेध
*********
चलो इस तरह
कोरोना निषेध मनाये ।
भारत भूगोल से, इस विषाणु का
अस्तित्व ही मिटाए ।
छीके ख़ासे मास्क पहन कर
घर पर समय बिताए ।
ना ही किसी कॊ करे स्पर्श
ना ही गले लगाए ।
सुरक्षाकर्मी लगें परहित में
उनका सहयोग बढ़ाए !
ध्यान करे उस अंतिम विजय का
भारत परचम लहराए ॥
- रेखा सहदेव
खटीमा - उत्तराखण्ड
===================================
क्रमांक - 157
दूरियां
*****
कुछ दिनो तक दूरियों का
जहर ही अच्छा हैं !
सोचता हूँ फसलों का
शहर ही अच्छा हैं !
ख़ा गई जमाने कॊ
जाने किसकी ऩजर,
आबोहवा में सुना सा
पहर ही अच्छा हैं !
चौबारे, गालियो में
आवारगी नाप मत सहदेव
कोरोना से मोहतरमा के
तानों का कहर ही अच्छा हैं॥
- जे.एम .सहदेव
खटीमा - उत्तराखण्ड
=================================क्रमांक - 158
सारे जगत कोरोना
************
हाथ तुम बार बार ये धोना
साफ रहने से हो न कोरोना
गर सफाई नही रखोगे तो,
काम कोई न आएगा टोना।
खांसी और छींक से बचो जितना,
दूर उतना रहेगा कोरोना।
जान आफत में सबकी आ जाये
बीज ऐसे न कोई तुम बोना
चन्द दिन में हज़ार जाँ ले ली
है खतरनाक इतना कोरोना
क्या असर ये दिखा रहा है कमल
आ गया सारे जगत कोरोना
- कमल पुरोहित " अपरिचित "
कलकत्ता - प. बगाल
=================================क्रमांक - 159
क्यासे क्या हो गया
*************
क्या से क्या हो गया, कोरोना तेरे आने से,
डर गया जमाना सारा, कोरोना तेरे आने से ।
मन का चलो ये भ्रम टूटा,
खांसी जुकाम होता खतरनाक है,
डरने लगी है सारी दुनिया ,
क्या बीमारी क्या बला है
दिल कितना सहमा आज, कोरोना तेरे आने से ।
लोगों के बीच कर दिये फ़ासले,
एकान्त वास में रहना अब तो,
यकीं नहीं था तू लेगा विकराल रूप,
किस राह पर सब चल पड़े हैं,
अपनों से ही दूर हुए हम, कोरोना तेरे आने से ।
क्या से क्या हो गया, कोरोना तेरे आने से,
डर गया जमाना सारा, कोरोना तेरे आने से ।।
-डॉ राजमती पोखरना सुराना
भीलवाड़ा- राजस्थान
=====================================
क्रमांक -160
कोरोना
*******
एक कदम करो ना की ओर
हर कदम स्वच्छता की भोर..
भीड भाड मे जाये ना
किसी से हाथ मिलाये ना
मांस मंदिरा छोडो ना
आंख नाक मुंह को छुये ना
एक कदम उदासीनता की डोर
हर कदम बढे मौत की ओर
तेज बुखार ,बलगम प्रहार
सर्दी खांसी ,हो बार बार
सांस मे तकलीफ लगातार
इन्सुलेन्ट रहे, करे उपचार
एक कदम सावधानी कीओर
हर कदम समझदारी की जोर
करें दूर से ही नमस्कार
मुंह मास्क से ढक लो यार
धो साबुन से हाथ लगातार
प्रतिरोधक क्षमता बढाओ यार
एक कदम करो ना की ओर
हर कदम स्वच्छता की भोर
- कमलकिशोर ताम्रकार "काश"
गरियाबंद - छत्तीसगढ़
====================================
क्रमांक - 161
कोरोना
******
करोना बणी बमारी आया मितरो,
सारेयां जो घरें बठाया मितरो।
डरना नी असां कुसी इसते,
मिली जुली देणा नठाई मितरो।
ना छड्डया चीन ना छड्डया इराक,
सारे बणाए इनी अपणी खराक।
नठाणे ताएं इसजो तोप्पेया सुराख,
अपु चें दूर रही नठाई देणा मितरो।
देशे म्हारे दा सरदार स्याणा,
बोले करनी नमस्ते हथ नी मलाणा।
तीन फुट दूर खडोई करी असां,
करणी अप्पु बिच गल मितरो।
असां जेह्डा ग्लांदे तेह्डा कमांदे,
बुरे टैमे इक दूजे कन्ने खडोंदे।
नी मंन्ने कोई ता लांबुआ लगांदे,
फिरी करोने दी क्या मज़ाल मितरो।
साबणे ने मऴी मऴी हथ मुंह धोणे,
ना जाणा ना सद्दणे परोह्णे।
मास्क मुंहे लगाई बाहर जाणा,
कर्फ्यू ही है इसदी दवा मितरो।
मन्ना गल दीक्षिते दी भाईयो सारे,
घरे अंदर ही रिह्या हुण सारे।
नी मंन्ने तां दूर नी सैह दिन,
मुंढा देणे जो नी मिलणा मांह्णु।
- सुदेश दीक्षित
कांगड़ा- हिमाचल प्रदेश
=====================================
क्रमांक -162
कोरोना पर वार
***********
कोरोना पर वार आज तो भैया जी,
उसका तो संहार आज तो भैया जी।
घबराने से कुछ भी हासिल ना होगा,
ज़ोरदार जयकार आज तो भैया जी ।
साफ-सफाई को मानो सबसे बढ़कर,
वह तो है उपहार आज तो भैया जी ।
चीनी मानवता के दुश्मन बन बैठे,
दहल रहा संसार आज तो भैया जी ।
सब कुछ अस्तव्यस्त अब तो इस दुनिया में,
जनजीवन पर मार आज तो भैया जी ।
नहीं गीत,न पल मनभावन,न ही चैनो अमन रहा,
बंद ह्रदय-झंकार आज तो भैया जी ।
मन के हारे हार मिले,और मन के जीते जीत,
मानें ना हम हार आज तो भैया जी ।
चीन बहुत ही वहशी है यह सिध्द हुआ,
हो गाली-बौछार आज तो भैया जी ।
आशाओं का दामन थामो,ज़िन्दाबाद,
साहस के आसार आज तो भैया जी ।
वक़्त चुनौती लेकर आया आज "शरद",
कर लो पैनी धार आज तो भैया जी ।
-प्रो.शरद नारायण खरे
मंडला - मध्यप्रदेश
=====================================
क्रमांक - 163
जिंदाबाद
******
लाईलाज घातक
वायरस के आगमन पर
देवालय, खुदालय व गोडालय
या अन्य धर्मस्थल
सब बंद हैं
आरती, अजान व प्रार्थना
अनिश्चित काल के लिए
टाल दीं गईं हैं
अनुष्ठान निलंबित हैं
टोने-टोटके
जादू-मंत्र
सब निष्प्रभावी हैं
खुले हैं
औषधालय, दवालय व जांचालय
चिकित्सक जिंदाबाद
बहुउद्देशीय स्वास्थ्य-कर्मी जिंदाबाद
विज्ञान जिंदाबाद
मास्क बनाने वाले
जिंदाबाद
मास्क बांटने वाले
जिंदाबाद
-विनोद सिल्ला
टोहाना - हरियाणा
=====================================
क्रमांक - 164
जग भी क्या जंग है
**************
है सामने दुश्मन मगर दिखता नहीं ।
यह सदी की जंग भी क्या जंग है ।।
मानी नहीं उसकी कहीं तो देख ले।
उसका सिखाने का अनोखा ढंग है।।
सोचते थे चांद पर बसने की तुम ।
देख लो धरती का कैसा रंग है ।।
नाप कर दूरी खड़ा है आज वो ।
कल जो कहता था कि तेरे संग है ।।
डर खुदा से यह नहीं है इंतहा ।
अब भी फूलों में महक ओ रंग है ।।
- अशोक दर्द
चम्बा - हिमालय प्रदेश
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क्रमांक -165
कोरोना वायरस
**********
कोरोना वायरस पर हम मिलकर करें विचार,
हाय! इसकी चपेट में आज है सारा संसार।
चीन वासियों ने पिया चमगादड़ का सूप ,
असाध्य बीमारी से देखो भर गया जीवन कूप।
सर्प भक्षण मनुज बन रहे देखो मृत्यु के ग्रास,
स्वस्थ जीवन का आधुनिक युग में होने लगा ह्रास।
चीन निर्मित सामान का करें हम बहिष्कार ,
स्वदेशी अपनाएं, स्वस्थ जीवन का आधार।
कोरोना वायरस का अब बढ़ने लगा है रूप,
सृष्टि के सौंदर्य को मृत्यु ने किया कुरूप।
व्यक्तिगत स्वच्छता का आओ करें हम ध्यान,
सादा जीवन शैली का प्रतिदिन करें गुणगान।
मैत्री संबंध नहीं बढ़ाएंगे चीन के साथ,
चीन अस्वस्थ हो गया मिला कोरोना से हाथ ।
ठंडे खाद्य पदार्थों के सेवन से करें परहेज ,
अपने उत्तम स्वास्थ्य को रखें हम सहेज।
नमक के पानी से गरारे ,करें उत्तम भोजन ,
जैसा खाएंगे अन्न वैसा ही होगा मन।
कोरोना ने बरपाया विश्व पर कहर ,
कई हजार व्यक्तियों का मृत्यु बना घर।
आओ फिर से विचरण करें प्रकृति के अंक में,
चारों प्रहर क्यों जियें कोरोना के आतंक में?
मांसाहारी भोजन का कर दें हम सब त्याग,
तभी बुझ सकेगी यह कोरोना की आग।
आओ सुषप्त आत्माओं के खोल दे हम द्वार,
सादा जीवन जियें हम, उत्तम रहें विचार।
परिवेशीय स्वच्छता का आओ रखें खयाल,
कोरोना वायरस से दशा हुई बदहाल।
- प्रीति चौधरी (मनोरमा)
बुलन्दशहर - उत्तरप्रदेश
===================================क्रमांक - 166
दो मुक्तक
*******
01
कोरोना तूम्हें दूर से ही हम
करते बारम बार प्रणाम हम
प्राणीयो पर रहम करो कोरोना
करते तूमसे यही प्रार्थना हम।
02
कोरोना ऐसा वायरस हैं
सूरक्षा से ही उसे मिटाना हैं
लाॅकडाउन का पालन कर
कोरोना को जड़ से मिटाना हैं।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्यप्रदेश
=====================================क्रमांक - 167
वक्त का कहर
*********
बहुत रही कामना
पल हर पल
कदम दर कदम
वक्त से बहुत आगे बढ़ने की
सतत चलने की
चलते सूरज के
अश्वों से आगे निकलने की
मगर अब सब कुछ
वही आकर शून्य में
ठहर सा गया है ।
तब कहता हूं
दिल की भावना है कि
अब ठहरो ,
जरा रुको और
अपनों के बहुत करीब
आकर बैठ जाओ
दुनिया को मुट्ठी से
निकाल कर स्वयं को
हथेली में ले लो ।
यह समय की चुनौती है
गफलतों के लिए
यहां लेश भर भी
जगह नहीं है
यह दौर है
जिंदगी और मौत के
बीच का
कोई कुछ भी
वजह नहीं है ।
अब आशा-निराशा
संकल्प-विकल्प
इन तमाम
वादों-इरादों को
पुराने कोट की जेब में
कायदे से रखने का
सही समय है
फिर निकलेंगे
गर हम सब
सही समय पर
सब को बचाने
अपने घर पर
सुरक्षित रह लिए ।
तो ... तो...
कोई रोक नहीं सकेगा
हमें कल की सुबह में
एक चमकते मुस्कुराते
सूरज को
अपनी हथेली पर उगाने से
अब तो हम बचेंगे
कोरोना के कहर से
सिर्फ और सिर्फ
स्वयं को बचाने से
क्या था
क्या है
क्या होगा
सब बकवास है बातें ।
अमन घर रहकर
लड़ेंगे कोरोना से
यही है सब खास बातें ।।
- मुकेश बोहरा अमन
बाड़मेर - राजस्थान
=====================================क्रमांक - 168
कोरोना सन्देश
***********
देख रहा हूँ स्टेशन पर रेल नहीं है
सड़कें सुनी कोई रेलम पेल नहीं है
कुछ दिन की है बात घरों में कैद रहे
भला इसी में सबका कोई जेल नहीं है
घातक इतना है ये सबको ले डूबे
कोरोना है मच्छर वाला खेल नहीं है
तड़फ तड़फ कर प्राण छोड़ने पड़ते हैं
इसकी कोई दवा जड़ी औ तेल नहीं है
जंग बहुत है पत्ता पत्ता बोल रहा
रुकने वाली आसानी से बेल नहीं है
केवल एक बचा है रस्ता दूर रहो
भीड़ भाड़ से करना कोई मेल नहीं है
- श्याम फिरोजाबादी
उज्जैन - मध्यप्रदेश
=====================================क्रमांक - 169
कोरोना को भगाना है
***************
स्वयं अब जागकर हमको , अपना देश जगाना है !
लोकडाउन का पालन करके, कोरोना को भगाना है ।
संयम, संकल्प, साधना ,ओर सावधानी हम बरतेंगे ।
स्वयं बचें ,ओर देश बचाएँ , पूरी ताक़त झोंक देंगे ।
नमस्ते को अपनाना है , हाथ नहीं किसी से मिलाना है ।
लॉकडाउन का पालन करके, कोरोना को भगाना है ।
नहीं है अब समय कोई , गहन निद्रा में सोने का ।
सरकारी आदेश मानेंगे , परिचय देंगे आदर्श नागरिक होने का ।
बढ़े बल राष्ट्र का जिससे , वही नियम अपनाना है ।
लॉकडाउन का पालन करके, कोरोना को भगाना है ।
हमारी भारत माता , हमें अपने प्राणों से प्यारी है ।
यहाँ जाति अनेक , धर्म अनेक , भाषा भी न्यारी न्यारी है ।
हर हिंदुस्तानी एक है , इस महामारी से बचाना है ।
लॉकडाउन का पालन करके , कोरोना को भगाना है ।
सेवा करती संस्थाओं का , डॉक्टर ओर नर्सों का ।
आभार करते हम सब , इन जोखिम भरे मेहनतकसों का ।
सुलेख भूखें हैं मज़दूर जो , इनका भी साथ निभाना है ।
लॉकडाउन का पालन करके , कोरोना को भगाना है
=====================================
क्रमांक - 170
डट कर सोना
*********
तभी दूर भागेगा यह करोना ।
जब तक तुम आपस ना छोना ।।
कभी फालतू में बाहर नहीं जाना
बस सोना और बस डट के खाना
मन ना लगे तो साफ सफाई करो।
नलकों से बरतनों में पानी भरो ।।
चैन्ज देने के लिये पूजा पाठ करो
घर में रखे धर्म ग्रन्थों को पढो
घर की सीढियां दस बार सब चढ़ो
बच्चों के लिये तुम कहानियां पढो
टेलीविजन पर हालातको जान लो
ये सारी जानकारी सबमें बांट दो
प्यारे बीमार होने से बचके रहना ।
येमोबाइल परऔरों से भी कहना।
- सुरेन्द्र मिन्हास
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
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क्रमांक -171
अब तो चले जाओ, कोरोना
******************
ऐ कोरोना! क्यूँ तू विश्व भ्रमण पर चल दिया?
तेरे चलते सारे हिन्दुस्तानियों को लॉकडाउन होना पड़ गया
घूमने का मन कर रहा था, तो अपनी जमीं पर ही घूमते
हिंदुस्तान देखना था तो पहले, हिंदुस्तानियों की इजाजत तो ले लेते
क्यूँ हम इंसानों से चिपट चिपट कर चल दिया
ऐ कोरोना! क्यूँ तू विश्व भ्रमण पर निकल पड़ा?
तेरी मौजूदगी, बच्चे, बूढ़े, जवानों में खौफ पैदा कर रही
खुद तू बेखौफ घूम रहा, हमारी बेबसी न तुझको दिख रही
न डे याद रहता अब तो,न डेट याद रहती है
ख़ाली पेट किसी को नींद भी नहीं आती है
क्यूँ हम बेकसूरों को इतना लाचार कर दिया?
ऐ कोरोना! क्यूँ तू विश्व भ्रमण पर चल दिया?
हर जिंदगी रुक गई, अब तो प्रकोप अपना रोक ले
यहाँ से आया है, अपना रुख,, उधर ही मोड़ ले
मत सता अब किसी को, भस्म स्वयं को तू अब कर ही ले
फिर कभी न आने की, कसम तू मन में धर ही ले
तेरे ज़रिए, हम नादान भारतवासियों को छलियों ने छल लिया
ऐ कोरोना! क्यूँ पैर जमाता जा रहा, तू क्यूँ नहीं, यहाँ से चल दिया?
- लक्ष्मी मित्तल
दिल्ली
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क्रमांक - 172
कोरोना कुण्डलिया छंद
****************
¶कोरोना की घात से, जन-मानस लाचार।
साया जानो मौत का, होता नित विस्तार।।
होता नित विस्तार, दुर्दशा परिवारों की।
लाखों संकट ग्रस्त, हुई मौत हजारों की।।
कह नायक करजोरि, धैर्य को कभी न खोना।
सूझ-बूझ के साथ, भगायेंगे कोरोना।।
¶चीनी साजिश जान लो, कोरोना की घात।
संक्रामक छल दैत्य है, समझो सब यह बात।।
समझो सब यह बात, स्वच्छता सब अपनाना।
हिम्मत से लो काम, पड़ेगा इसको जाना।।
कह नायक करजोरि, खुशी इसने है छीनी।
पाल दिशा निर्देश, भगायें आफत चीनी।।
¶मानो इलाज है यही, स्वच्छ रखो निज गात।
दो मीटर रख फासला, करो जरूरी बात।।
करो जरूरी बात, दूर से प्रणाम कहना।
करो नमन जयहिंद, हाथ का मेल न करना।।
कह नायक करजोरि, अस्त्र जैविक यह जानो।
खाना-पीना गर्म, स्वच्छता इलाज मानो।।
- भरत नायक "बाबूजी"
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
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क्रमांक - 173
ये कोरोना आ गया
**************
दुनियाभर में आज कैसा ये अंधेरा छा गया गया
देख मंज़र आज ये मुँह को कलेजा आ गया
सुनी सड़के, बंद घरों में हो गए इंसान सब
देख कर मंज़र भयानक मुझको रोना आ गया
दूर होता जा रहा है आदमी से आदमी
देश भर में साथियों ये दौर कैसा आ गया
मौत से ही लड़ रहे है सारे ही जिन्नों बशर
मेरे मालिक आज कैसा ये कोरोना आ गया
समझो ना इसको खिलौना माफ़ी रब से मांग लो
क्योंकि ये है इक हक़ीक़त कि कोरोना आ गया
सारी खुशियाँ एक पल में ये निगल ही जाएगा
गर कोरोना को ज़रा सा हल्के में समझा गया
एक दिन खुशियों की मंज़िल हम सभी पा जाएंगे
गर कोरोना से सभी को जंग लड़ना आ गया
- कृष्णा शर्मा दामिनी
फरीदाबाद - हरियाणा
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क्रमांक - 174
कोरोना काल की सलाह दोहों में
***********************
घर में बैठे अरु लिखें,कविताएं दो चार।
समय कटेगा प्यार से,बचे सकल संसार।(1)
बिना सुगर के ही पिये, हम कितनी भी चाय।
कविता में देते रहें ,मीठी - मीठी राय। (2)
सुबह शाम योगा करें,दिन में देखें न्यूज।
बेमतलब की बात में,ना होवें कन्फ्यूज।(3)
हम बिल्कुल भी ना छुएं, ताला कुंडी द्वार।
धोखे से यदि छू गए , धुलें हाथ हर बार।(4)
इज्जत की अब बात है,बचे आँख मुँह नाक।
देव स्वरूपा मानकर, इनको रखना पाक।(5)
जीवन भर पिसते रहे , करते- करते काम।
मुश्किल से है अब मिला,इक्कीस दिन विश्राम।(6)
कठिन दिनों में हम करें,सृजन भरे कुछ काम।
जो सदियों तक दे सके ,जग में अपना नाम।(7)
नव दुर्गा में हो सकें ,सेवा के कुछ काम।
मानो संगम में उतर, कर लिए चारों धाम।(8)
घर मानें हिम कन्दरा ,जहाँ लगालें ध्यान।
मिली ऊर्जित शक्ति से,तोड़ें रिपु अभिमान।(9)
कर एकान्तिक साधना , होकर सबसे दूर।
फिर खुलकर जीवन जियें, खुशियों से भरपूर।(10)
बाहर जाने की नहीं ,चले भ्रात तरकीब।
घर के आँगन में जियें,खिलकर ज्यों राजीव। (11)
- डॉ राजीव पाण्डेय
गाजियाबाद - उत्तरप्रदेश
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क्रमांक - 175
कोरोना आया
**********
आया-आया कोरोना आया
डर-दहशत का साम्राज्य लाया
आओ साथी हो जायें सजग सावधान
बचायें स्वयं की परिवार - समाज की जान
घरों में छिपकर बैठ जायें
काम हो बहुत जरूरी तभी बाहर आयें
हाथ धोएं बार-बार कई बार मलमल
कोरोना से बचने का ध्यान रखें पलपल
मास्क लगायें, एक मीटर की दूरी बनाये हर जन
सेनेटाइजर का करो इस्तेमाल स्वस्थ रहे तन-मन
परदेशियों से बनायें दूरी, करें नमस्ते
अफवाह न फैलायें, पुलिस के डंडे बड़े हैं सस्ते...
- मुकेश कुमार ऋषि वर्मा
आगरा - उत्तरप्रदेश
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क्रमांक - 176
कोरोना
******
अपनी छोड़ो सब की सोचो,छोड़ो सब रोना धोना
जब भी मिलें हम करें नमस्ते,क्या कर लेगा कोरोना
जब भी मिलें हम........
1
साबुन से कर धोते रहना,नाक मुँह ढक कर रखना
बहुत जरुरी हो तो तब ही, तुम अपने घर से चलना
बार-बार ना मिले येजिंदगी,इसको व्यर्था ही मत खोना
जब भी मिलें हम करें........
2
इक दूजे से दूरी रख पर,मैल दिलों में मत रखना
हर मुश्किल में साथ रहो पर, छुआ-छूत से तुम बचना
रखो स्वच्छ हर घर आंगन का,सब मिलकर कोना-कोना
जब भी मिलें हम करें.........
3
अफवाह पर मत ध्यान करो, कोशिश ना करो बहकाने की
हर एक हाथ हो साथ-साथ तो बात नहीं घबराने की
हारेगा वो बैरी "अटल" ,जिसने ये किया जादू टोना
जब भी मिलें हम.........
- सुशील अग्रवाल " अटल "
नरवाना - हरियाणा
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क्रमांक - 177
कोरोना से देश बचा रहे
***************
कोरोना से देश बचा रहे इसीलिए हम घर में ठहरे हैं।
अनदेखा ना करना इसके घाव बड़े गहरे हैं ।
हाथ जोड़कर करो नमस्ते यह दूर रहेगा ।
मुँह पर मास्क लागाये रखो कुछ ना कहेगा ।
उन्नति में झूम रहे थे हम कब ठहरे हैं।
चीन देश सेचलकर आया।
और फैल गया।
सर्दी खांसी बुखार के लक्षण से नर दहल गया।
अब चप्पे-चप्पे चौराहे पर लगे पहरे हैं।
जीव जंतु की हत्या प्रकृति के दोहन से ।
और अधिक और अधिक के सम्मोहन से ।
जो धौंस दिखाते शस्त्रों की उनके मायूस चेहरे हैं।
बैठ घर में मौन साधकर जो जीत जाएगा।
जो घर से बाहर निकला वह पछताएगा।
उथले उथले से भागते थे,अब हम गहरे है।
योग जोग की भरी विरासत याद दिलाता।
सनातन में एकांतवास हमको सिखाता ।
हे हिंदू संस्कृति सबसे अच्छे संस्कार तेरे हैं ।
कोरोना से देश बचा रहे इसलिए हम घर में ठहरे
- सुनीता यादव
भोपाल - मध्यप्रदेश
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क्रमांक - 178
दूर- दूर करियो बिछौना
*****************
घर में रऔ बाहर निकलौना,जौ खतरनाक छा रओ कोरोना!
ईकौ नईयां कहूँ उपचार, पड़ियो न भईया बीमार,
जौ तो है भौतऊं बेकार,
सेंहातन ईसैं मरौना......
हारे गुनियां और चिकित्सक,
हारो दिखा- दिखा कें आज तक,
ईसैं मर गए कईयक अब तक,
चारौ तरफ फैलो रोना धोना.........
ईसैं रखियौ खूब बचाव,
देवी देवतन खैं खूबइ मनाव,
राखौ दूरी है एकइ उपाव,
जम के लड़ौं ईसैं हारौना......
अगर भगाने है जौ रोग, लौकडाउन पै करौ सहयोग,
करफ्यू ही दुनिया में योग,
दूर- दूर करियो बिछौना....
- दीप संदीप
पन्ना - मध्यप्रदेश
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क्रमांक - 179
हम और आप साथ दे तो
******************
प्रकृति से होता जब खिलवाड़
वायरस हो जाता है तैयार ।
फिर कहर यह बरसाता है
कोई शहर ना बच पाता है।।
वक्त की अब यही पुकार
लॉक डाउन का साथ दो यार ।
तभी हम तुम बच पाएंगे
आगे की दुनिया देख पाएंगे ।।
हाथ मिलाकर गले मिल लेना
बात-बात में सबको छू देना ।
यह सब छोड़ो अब मेरे यार
कोरोना भगाने हो जाओ सब तैयार ।।
चीन में मचा कर तबाही
इस ने इटली पर कहर ढाया है ।
अमेरिका भी बच ना पाया
अब भारत पे नजर गड़ाया है ।।
आओ घर में रहकर काम करें
मास्क लगा कर ही बाहर जाए ।
सैनिटाइजर से बार-बार हाथ धोकर
इस वायरस को घुसने ना दें घर पर ।।
सर्दी खांसी और गले में खराश
फिर आने लगता है बुखार ।
सांसों में आने लगती परेशानी
कोरोनावायरस की यही जुबानी ।।
आवो यह संकल्प उठाएं
यम नियम संयम को अपनाएं ।
दूर दूर रहकर ही सही
कोरोनावायरस को दूर भगाएं।।
घर में रहकर कुछ तो कर दो
कैरम लूडो शतरंज खेल लो ।
और नहीं तो खाना बना लो
साफ-सफाई कुछ कर लो ।।
गंदगी और जाले साफ कर लो
पढ़कर कुछ मनन कर लो ।
जीने का नया तरीका सीखो
निर्देशो का पालन कर लो ।।
देश और राज्य के प्रधानों की
चिंता बढ़ चुकी है भारी ।
हम और आप साथ दे तो
भारतव्यापी न होगी ये महामारी ।।
- अरविन्द कुमार वैष्णव
रायपुर - छत्तीसगढ़
===================================
क्रमांक - 180
बात करो
*******
सच में जीने की बात करो,
करोना से लड़ने की बात करो।
भीड़-भाड़ में न जाकर,
२१ दिन घर में रहने की बात करो।।
- रविन्द्र जैन रूपम
धार - मध्यप्रदेश
=================================
क्रमांक - 181
हर घर में होशियार हैं हम
******************
बड़ी जंग को तैयार हैं हम। आखिर देश का सार हैं हम।।
ना निकलेंगी घर से बाहर।
वादा करती नार हैं हम।।
कर ली हमने खूब तैयारी।
हर घर में होशियार हैं हम।
भीड़ का हिस्सा नहीं बनेंगी। इतनी तो समझदार हैं हम।
नहीं डरेंगी कोरोना से।
शक्ति का अवतार हैं हम।।
हाथ में रखतीं सेनेटाइजर।
स्वयं की पहरेदार हैं हम।।
'संतोष' कहे सुनो सब नारी।
नहीं कहें लाचार हैं हम।
-संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़
==================================
क्रमांक - 182
घायल करें कोरोना
************
भयंकर रूप धारण करे कोरोना
विष जीवन भ्रमण करे कोरोना
अचंभित रुप घेराव में मानव
मानसिक तनाव उत्पन्न करे कोरोना
संस्कृति के विकृत कण के धूल
मानव हृदय घायल करे कोरोना
आधुनिकता के बदलाव अज़ीब
रुप निरालेपन घोषित करे कोरोना
सम्पर्क सम्पूर्ण हो ना पाये
अलगाववादी पोशाकें पहने कोरोना
प्राचीन पंरपरा जंजीरों को तोड़े प्राणी
अब ख़ूबसूरत चेहरों को ढंके कोरोना
प्रकृति की ओर से चेतावनी
अमानवपन, को सचेत करे कोरोना
मोलभाव जल हो जाये धरातल
पल पल हाथों को धुलाये कोरोना
- अंकिता सिन्हा
जमशेदपुर - झारखंड
==================================
16 मई 2020 को सम्मानित
28 मई 2020 को मिला
29 मई 2020
14 जून 2020
14 जून 2020
प्रस्तुत कोरोना ( काव्य संकलन ) में सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक हैं !
ReplyDeleteजनमानस को जागरूक करता हुआ बेहतरीन संकलन,,,
जिसमें मेरी भी रचना प्रकाशित हुई है ! आदरणीय संपादक श्री विजेंद्र जैमिनी सर जी का हृदयतल से आभार !💐💐🙏🙏
हे प्रभु! आकर अब रक्षा कर,
ReplyDeleteरोक इस महामारी का कहर,
सारे लोग अब घबराये हुए हैं-
जी रहे हैं हमसब डर-डरकर ।
--पूनम झा
कोटा राजस्थान
( WhatsApp से साभार )
नमस्ते कहिए या आदाब कहिए
ReplyDeleteज़रा दूर से पर ज़नाब कहिए
ये फ़ासला, नहीं दूरी दिलों की
समय का लगा कुछ हिसाब कहिए
Thank you much sir ..Nice addition of corona poem..
ReplyDeleteSeema shivhare suman
Bhopal m.p.
बहुत बहुत आभार ब्लॉग में स्थान देने के लिए ।।
ReplyDeleteप्रतिदिन प्रभु से प्रार्थना करती हूँ ,हे प्रभु मेरे प्यारे भारत को बचाओ सबकी रक्षा करना ,सबका कल्याण करना .बहुत बहुत आभारी. मैंने सोचा भी नथा कि कविता संकलित हो जाएगी .
ReplyDeleteकोरोना पर कविता
ReplyDeleteमनःक्षितिज
डॉ सुशील शर्मा
मनःक्षितिज पर उदित
भोर में सपना
प्यास रह गयी शेष
अलसायी परछाइयाँ
मौन के क्रंदन में
कोरोना की अभिव्यक्तियाँ।
भूखे बाप के दोनों कन्धों पर
भूखी बेटियाँ अभिशप्त जीवन
कई किलोमीटर पैदल।
सूखे स्तन से जूझता शिशु
बगैर दूध के
भूखी माँ की आँखों से गिरते आँसू।
जीवन की विह्वल करुणा में
मुँह चिढ़ाते स्वप्न लोक
किसी तरह रात काटी
सड़क के नीरव छोरों पर
भूखी सुबह ,आस भर दोपहर।
बंद बंद सब कुछ
सिर्फ खुले तन मन के कष्ट
आशाओं के छिपे कोश बिखरे।
उखड़े लोगों की भीड़ों ने
समझाया है
भूख मौत से भारी होती।
भूख की मौत से उनको लगती
अच्छी कोरोना की करारी मौत।
देश ,काल सब बंद हुए फिर
हिरोशिमा याद फिर आया
परिमंडल में व्यापक हल्ले हैं
मानवता को आग में झोंक कर
सारे देश छलाँग लगाने तैयार हैं
विकास की आकाश गंगा में।
मौतों के सौदागर चुपचाप
जुगुप्सा भरी मुस्कुराहट लिए
हर मौत में ढूँढ रहें हैं व्यापार।
अंतस के महाशून्य में
भूखे बाप के कंधें पर
बैठी भूखी बेटियाँ।
रोती हुई भूखी माँ के
सूखे स्तन में दूध ढूँढ़ता शिशु
पलायन करते
बेरोजगार भूखे युवक।
अपने घर में परिवार के साथ
बंद मेरा देश।
खाली सड़कों पर
लोगों को ढूँढ़ता कोरोना।
मनःक्षितिज पर अस्त होता सूरज।
बहुत ही अच्छा संदेश देती हुई कविताएँ।
ReplyDeleteसभी एक से बढ़कर एक है। मैंने भी आप लोगों से प्रेरणा लेकर कुछ पंक्तियाँ लिखने का प्रयास किया है। और आपके माध्यम से इस समूह से जुड़ना चाहती हूँ। कृपया मार्ग दिखलाएँ।
असीमित सीमा(सीमा मोंगा)
बहुत बहुत धन्यवाद संचालक महोदय,
ReplyDeleteमेरी रचना से किसी को भी सीख मिलती हैं तब मेरी रचना सार्थक होगी
Thanks Sir
ReplyDeleteबहुत अच्छी पहल है भाई साहब लोगों को जरुक करने का उत्तम माध्यम। सरकार की तो सुन नहीं रहे कवियों की सुनकर ही सजग हो जाएं
ReplyDeleteबहुत अच्छी पहल है भाई साहब लोगों को जागरूक करने का उत्तम माध्यम। सरकार की तो सुन नहीं रहे कवियों की सुनकर ही सजग हो जाएं
ReplyDeleteवाहहह सुशील जी सुंदर भावों से भरी उत्कृष्ट रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई धन्यवाद आदरणीय बीजेंद्र जी 181 पन्ना पर आपने मुझे स्थान दिया । साभार
ReplyDeleteथोड़ा भय थोड़ी उम्मीद कि आगे सब अच्छा होगा.....
ReplyDeleteविस्तीर्ण पोस्ट है, आराम से पढेंगे.
ReplyDeleteकोरोना लाॅकडाउन
ReplyDeleteजहाँ हो
वही रहो
चाहे तुम
कहीं रहो।
सबको याद
करते रहो
जो भी मिले
वही चरते रहो।
न घर बैठे
हाथ मलते रहो
कुछ न कुछ
करते रहो।
आदेशों का पालन
करते रहो
घर से ही
सब काम
करते रहो।
हँसते रहो
खिल्खिलाते रहो
सब में उम्मीद
जगाते रहो।
भय सब का
भगाते रहो
जीवन का संगीत
बजाते रहो।
स्वच्छता का गीत
गाते रहो
गर्म पानी पीते
पिलाते रहो।
जो भी मन करे
गुनगुनाते रहो
पौष्टिक भोजन
खाते-खिलाते रहो।
घर बैठे सब
रिश्ते-नाते
निभाते रहो
सबको
अपने पास ही
पाते रहो।
'लाॅकडाउन' का पालन
करते-कराते रहो
'नीरज' सबको
महकाते रहो।
नीरज भुक्कल
गाँव-धर्मगढ़
जिला-पानीपत (हरि•)
M.9050771896