कुशल व्यवहार क्या आपके जीवन का आईना है ?
हर कोई कुशल व्यवहार से अपना परिचय देना चाहता है । पता भी व्यवहार से ही चलता है कि ये इंसान कैसा है ? फिर भी हर कोई अपने व्यवहार से पहचाना जाता है । यहीं " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। आये विचारों को देखते हैं : -
कुशल व्यवहार आपके जीवन का आईना है..यइसका आप जितना अधिक इस्तेमाल करेंगे आपकी चमक उतनी ही बढ़ जाएगी...! व्यवहार में कुशल होने का मतलब है: “हालात की नज़ाकत को समझने की काबिलीयत रखना और उसके मुताबिक ऐसी बात कहना या काम करना जो सबसे उचित हो।” जिस तरह हमारी उँगलियाँ चिपचिपी, कोमल, नरम, गरम या फिर रोएँदार चीज़ को महसूस कर लेती हैं, ठीक उसी तरह व्यवहार कुशल व्यक्ति दूसरों की भावनाओं को महसूस कर सकता है। वह अच्छी तरह समझ लेता है कि उसकी कही बात या उसके किए काम का दूसरों पर कैसा असर हो रहा है। लेकिन व्यवहार में कुशल होना सिर्फ एक हुनर ही नहीं है बल्कि इसके लिए एक व्यक्ति में दूसरों को ठेस न पहुँचाने की दिली तमन्ना भी होनी चाहिए।
माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को दूसरों की परवाह करना सिखाएँ क्योंकि यही गुण उन्हें कुशलता से व्यवहार करने के लिए उकसाएगा । जब आपको किसी से कोई शिकायत होती है, खासकर तब उसके साथ अपनी बातचीत में व्यवहार कुशलता दिखाना बहुत ज़रूरी होता है, वरना आप बड़ी आसानी से उसके सम्मान को ठेस पहुँचा सकते हैं। इसलिए बेहतर होगा कि सबसे पहले आप उसकी कुछ अच्छाइयों का ज़िक्र करें। उसकी नुक्ताचीनी करने के बजाय समस्या को सुलझाने पर ध्यान दें। समझाएँ कि उसके तौर-तरीकों की वजह से आप कैसा महसूस करते हैं और उसकी कौन-सी बात है, जो आप चाहते हैं कि वह बदले। फिर उसकी भी सुनने के लिए तैयार रहें। हो सकता है कि आपने ही उसे गलत समझा हो। लोगों की यह ख्वाहिश होती है कि आप उनके विचारों को समझें, फिर चाहे आप उनसे सहमत न भी हों। अगर आप सोच-समझकर बात करने की कला सीखते हैं तो यह कला आपको दूसरों के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाने में मदद देगी, तब भी जब दूसरे आपके इरादे को गलत समझ लेते हैं और आपसे नाखुश और नाराज़ होते हैं। हमेशा यह समझने की कोशिश कीजिए कि आपके शब्दों का दूसरों पर कैसा असर हो सकता है। जब आप व्यवहार में कुशल होने की कोशिश करेंगे तो आप खुशी का अनुभव करेंगे
और लोगों को भी ख़ुशी देंगे । आपका व्यवहार ही आपके व्यक्तित्व का आईना है ।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कुशल व्यवहार वाला व्यक्ति स्वय के जीवन का एक ऐसा आईना होता है, जिसे देखकर उसके संपर्क में आने वला हर व्यक्ति प्रसन्नचित हो जाता है, क्योंकि अलग अलग स्वभाव , सोच और अपेक्षा रखने वाले व्क्ति उस एक आदमी से अपेक्षित व्यवहार पाकर उसका प्रशंसक बन जाता है। वह आतँम संतोष का अनुभव करता है।हर.व्क्ति उसमें अफनेगुणों के दर्शन करता है। सचमुच वह अपने जीवन का आईना होता है।
- डा. चंद्रा सायता
इदौर - मध्यप्रदेश
कुशल व्यवहार हमारा ही नहीं सभी के जीवन का दर्पण है ।आप कितने योग्य हैं ।कुछ भी क्यों न सीख लिये हैं ।पर यदि वह आपके व्यवहार कार्य शैली से नहीं झलकता है ।तो आपका पढा लिखा होना बेकार है ।डिग्री गले लटकाए रहने से भी कोई लाभ नहीं है ।लाभ तभी है जब दर्पण हमारे कुशल व्यवहार को दर्शाये
- शशांक मिश्र भारती
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
कुशल व्यवहार और मधुर वाणी में एक जादू होता है वह निर्मल और पानी की तरह स्वच्छ साफ रहती है अच्छे महापुरुष का जीवन एक खुली किताब की तरह रहता है उसमें हमेशा सच्चाई रहती है ईमानदारी अपनी वाणी के निर्मल जादू से सब लोग उनकी ओर खींचे चले आते हैं हम अगर सच्चाई से रहे तो हमारे हृदय की सा आईने के भांति हो जाएगा। यदि हम कभी अपनी दिनचर्या को आईने में देखें या रात्रि में विचार करें कि आज दिन भर क्या किया तो स्वयं ही हमें अपनी अच्छाई और बुराई का ज्ञात हो जाएगा।
कहावत भी है कि दर्पण कभी झूठ नहीं बोलता।
और सच्चाई को किसी की परवाह नहीं रहती झूठ के पैर कितने भी लंबे हो पर एक दिन सच्चाई सबके सामने ही आती है। परमात्मा ने सूर्य के माध्यम से भौतिक प्रकाश दिया है जिससे हमारे नेत्र पूरे संसार के क्रियाकलापों को देखते हैं आनंद ,उल्लास ,उत्साह आदि भावनाओं की अनुभूति और अभिव्यक्ति भी होती है भावनाएं ना रहे तो जीवन नीरस हो जाएगा यह मानव की सबसे बड़ी उपलब्धि है।
हम अच्छाई बुराई को पहचान कर बुराई को छोड़कर अच्छाई को ग्रहण कर लें यदि परमात्मा सृष्टि के आरंभ में वेद ज्ञान ना होते हुए भी हम पशु पक्षियों की निष्ठा से सब कुछ सीखते थे यह प्रकृति हमें सब कुछ सिखाती है।पुरुष हमेशा अपने बुराई करने वालों को या आलोचना करने वाले को अपने पास रखते हैं उनको अपने पास रखने से हमारा हृदय और हम आईने की तरह साफ हो जाएंगे उसके लिए एक प्रसिद्ध दोहा भी है।
*निंदक नियरे राखिए, ऑंगन कुटी छवाय, बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्यप्रदेश
हमारा व्यवहार ही हमारा व्यक्तिव बनाता है । व्यवहार कुशल व्यक्ति हर परिस्थिति में अपने कुशल व्यवहार से सामंजस्य बना लेता है । जीवन में कभी-कभी आपको आक्रामक होना पड़ता है। इसका मतलब है आपमें भरपूर जोश हो, लेकिन जोश और जज्बा विवेक से दूर भी ले जाता है, इसलिए जरूरत पड़ने पर आक्रमक हों परंतु साथ में व्यवहार कुशल भी हों। दूसरों की सुविधा का भी ध्यान रखना। हमसे किसी को असुविधा न हो, बल्कि हमारी मौजूदगी में दूसरों को लगना चाहिए कि वे किसी से संरक्षित हैं। व्यवहार कुशल होने के लिए सहनशील भी होना पड़ता है । व्यवहार कुशल होने के लिये आप को कुछ जरुरी कार्य या टीप्प देता हूँ , आप व्यवहार कुशल होंगे । एक, ड्राइविंग करें। इससे आपकी असहजता दूर होती है। दो, थोड़ी देर एक टांग पर खड़े होकर सारा ध्यान स्पाइनल कॉर्ड पर लगाएं। तीन, भीड़ भरे इलाके में पैदल घूमिए। चार, जो वातावरण सूट न होता हो, कुछ देर उसमें भी रहिए। पांच, कुछ समय बदबूदार स्थान पर बिताइए। छह, कुछ देर वहां भी रहिए जहां बहुत शोर हो रहा हो और सात, जो लोग आपको पसंद न हों, जितना हो सके, उनके साथ भी रहिए, लेकिन व्यक्त न होने दें। इससे सहनशीलता बढ़ती है और आपकी आक्रामकता दूसरों की परेशानी का कारण नहीं बनेगी। यह सहनशीलता सफल होने में आपकी मदद करती है और सफल होने के बाद शांत रहने में व्यवहार कुशलता काम आएगी। जब हम व्यवहार कुशल होते है । हमें परिस्थितियों के अनुरूप संयम रख व्यवहार करना आ जाता लोगों को हम पंसद आते है । हमारा व्यवहार लोग अनुकरण करते है । हम सबके दिलों में राज करते है । हमार व्यवहार ही हमारा व्यक्तित्व बनाता है ।
- अश्विन पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
हम अपने जीवन में तभी पूर्ण रूपेण सफल माने जायेंगे जब हमारे सौहार्द्रमय और कुशल व्यवहार से अधिक से अधिक लोग प्रसन्न रहेंगे,हम उनके और वह हमारे सुख-दुःख और जरूरत में पारस्परिक रूप से सहयोगी और सहभागी बनेंगे। हमारी उपस्थिति से प्रसन्न होना,प्रेम और आदर मिलना, हमारे कुशल व्यवहार का परिचायक है । अप्रत्यक्षरूप से यह हमारे जीवन के लिये दिशा वर्धक है... आईना है। हम अपने व्यवहार में जितने उदार, मिलनसार , मर्यादित , स्नेही, सहयोगी, सपष्टवादी ,निःश्चल और निःश्छल रहेंगे , हमें लोग उतना ही अधिक पसंद करेंगे। हमसे जुड़ेंगे। सच पूछा जाये तो हमारे जीवन की व्यवहारिकता का ध्येय भी यही होना चाहिए। हम अच्छे न बन पायें कोई बात नहीं मगर हम बुरे न बन पायें ये सावधानी तो रखनी ही होगी। हमारे मित्रों की संख्या भले ही ज्यादा न हो मगर हमारे दुश्मन एक भी नहीं होना चाहिए। इसके लिए हमें विनम्र ,मृदुल और धैर्यवान भी होना चाहिए। छोटी-छोटी बातों को नजरअंदाज करना आना चाहिए। यही जीवन की सार्थकता है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
हाँ! कुशल व्यवहार हर मनुष्य के जीवन का आईना है। जिस तरह खुशबू देने वाले फूल बिना खुशबू देने वाली फूल की अपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण होता है ठीक उसी तरह और अव्यवहार कुशल मनुष्य से व्यवहार कुशल मनुष्य श्रेष्ठ होता है कुशल व्यवहार से ही किसी मनुष्य का मूल्यांकन से मूल्य का पता चलता है। मनुष्य का आचरण व्यवहार रूप में प्रकट होता है जिस तरह आईना में चेहरा देखने से चेहरे की बदसूरत या खूबसूरत का पता चलता है ठीक उसी तरह मनुष्य का कुशल व्यवहार से ही उसकी व्यक्तित्व का पता चलता है अर्थात व्यक्ति का आचरण व त्व का पता चलता है। आचरण से ही मनुष्य स्वयं व्यवस्था में समस्या मुक्त होकर खुशी से जी पाता है, उसी तरह हुआ अन्य के साथ व्यवहार पर दूसरों को खुशी देता है यही मनुष्य की व्यवहार है व्यवहार कुशल व्यक्ति जहां भी रहता है ।वहां का वातावरण खुशमिजाज रहता है क्योंकि आचरण अर्थात व्यवहार रूपी खुशबू से सभी को प्रेरणा एवं सुख मिलता है आईना के मनुष्य का चेहरा स्पष्ट और साफ दिखाई देता है ,उसी तरह मनुष्य का जीवन में व्यवहार स्पष्ट और साफ दिखाई देता है। स्पष्ट और कुशल व्यवहार दूसरों को दुख नहीं पहुंचाता बल्कि समस्या का समाधान करने में अपने आचरण को व्यवहार के रूप में व्यक्त करता है। इसीलिए कहा जा सकता है ,कि हर मनुष्य का कुशल व्यवहार ही उसके जीवन का आईना होता है ।कुशल व्यवहार ही मनुष्य को श्रेष्ठ बनाता है ।जीवन में श्रेष्ठता ही मनुष्य की पूंजी है, जो जितना अधिक इस श्रेष्ठता रूपी पूंजी का व्यापार करता है, वह परम श्रेष्ठता की बुलंदी को छूता है ।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
यह सच है, हमारा कुशल व्यवहार ही हमारे जीवन का आईना होता है; क्योंकि व्यवहार के माध्यम से हमारी स्वभावगत प्रवृत्तियाॅ प्रकट होती हैं। चाहे वह दैवीय गुणों से परिपूरित हो अथवा आसुरी से। हमारी आवश्यकताएं, रुचियां जीवन का लक्ष्य एवं आदर्श, साथ ही हमें अपनी कमजोरियों का ज्ञान होना भी जरूरी है; क्योंकि इसी आधार पर हम परिचित और अपरिचित व्यक्ति के प्रति सम्यक व्यवहार कर पाते हैं।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है; जहां पर व्यवहार में कुशल और अव्यवहारी दोनो ही प्रकार के व्यक्ति होते हैं। फिर भी व्यवहार की कुशलता वही है जो पराए को भी अपना बना दे। कुशल व्यवहार के लिए आवश्यक है कि किसी के दुर्गुणों को अनदेखा करें, एक सीमा तक तालमेल व समायोजन रखें, किसी के व्यक्तिगत जीवन में अनावश्यक हस्तक्षेप न करें, शांति एवम सौहार्दपूर्ण संबंधों को वरीयता देना, परिस्थिति के सकारात्मक रुख पर विचार एवम तदनुसार क्रियात्मक रहना।
इस प्रकार ध्यान रखते हुए सामाजिक संबंधों में परिस्थिति के अनुरूप व्यवहार कुशलता से निर्वाहित सफल जीवन वास्तव में एक स्वच्छ आईना ही होता है; क्योंकि यहां जीवन जीने की एक कला है।
- डॉ रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
वास्तव में कुशल व्यवहार ही हमारे जीवन का आईना है, हमारी पहचान है। व्यवहार कुशल होने का अर्थ है यह कि कब,कहाँ परिस्थिति के अनुसार क्या बोलना है और और कैसा व्यवहार, कैसे बातचीत करनी है यह सब भली-भाँति आता हो। किस अवसर पर हमें क्या पहन कर जाना है... यह भी व्यवहार कुशलता के अंतर्गत आता है।
जो ऐसा नहीं करता वह हँसी का पात्र बनता है, सबके बीच अलग-थलग और अजीब दिखाई देता है। जिस तरह कोयल और काक अपने बोलने से पहचाने जाते हैं उसी तरह व्यक्ति अपनी व्यवहार कुशलता से सर्वत्र जाना-पहचाना जाता है। हम चाहे कितने भी पढ़े-लिखे क्यों न हों, यदि हम अपनी ही बात कहते चले जाते है, दूसरों को बोलने का अवसर ही नहीं देते, दूसरों के विचारों का सम्मान नहीं करते, छोटी-छोटी बात पर क्रोधित होकर सबके बीच से उठ कर चल देते हैं, अपने विचारों को ही सही सिद्ध करने के लिए विवाद में उलझ जाते हैं तो इसका सीधा सा अर्थ यही निकलता है कि हम व्यवहार कुशल नहीं, केवल आत्मकेंद्रित व्यक्ति है।
किसी भी इंसान को सीधा-सरल होते हुए अपना व्यवहार ऐसा रखना चाहिए कि उसके पीछे भी लोग उसकी प्रशंसा करें और एक अच्छे उदाहरण के रूप में दूसरे लोगों को बतायें।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
मनुष्य को अपनी ओर खींचने वाला यदि दुनिया में कोई चुंबक है तो वह है उसका प्रेम और व्यवहार... किसी मनुष्य के व्यवहार में प्रेम ,विवेक ,इमानदारी, सोहाद्रता निःस्वार्थ की भावना , सामने वाले को समझने की शक्ति , आदि आदि अनेक गुण है तो उसे हम व्यावहारिक है कहते हैं !
एक व्यवहार कुशल आदमी का दिल शीशे की तरह होता है वह दूसरों की मदद पूरी ईमानदारी और निस्वार्थ भाव से करता है किसी से भी काम निकालने में वाकचातुर्य का गुण होता है! वह किसी का अपमान किए बिना अपना काम भी कर लेता है और दूसरों की मदद भी करता है ! किसी व्यक्ति में व्यवहार कुशलता है कहते हैं इसका मतलब यही होता है कि उस व्यक्ति में छल कपट की भावना नही है और हमे उस पर पूर्ण विश्वास होता है!
एक व्यवहार कुशल व्यक्ति किसी के मान सम्मान को ठेस नहीं पहुंचाता छोटे बड़ों को प्रेम और स्नेह दे अपनी और चुंबक की तरह खींचता है दूसरों के प्रति सद्भावना और सब विचार ही हमें व्यवहारिक तौर तरीके सिखाता है व्यवहार कुशल व्यक्ति किसी के लिए कुछ करजात आता नहीं है अभिमान नहीं करता बल्कि सामने वाला उसके कार्य और व्यवहार का सम्मान करता है !
अंत में कहूंगी किसी भी व्यक्ति का व्यक्तित्व ही उसके आचरण को दर्शाता है ! यही कुशल व्यवहार जिंदगी में व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना होता है जो शीशे की तरह साफ और सच्चा होता है !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
जी नहीं सम्माननीयों।मैं तो हमेशा मानव, मनवता और मानवीयता की ओर अग्रसर होता रहा हूँ।कुशलता तो इन कर्मों के पास फटकती भी नहीं है।चूंकि मानव, मनवता और मानवीयता कुशलता का नहीं पागलों का प्रतीक है।
हम तो बस गंजों के शहर में कंघे और अंधों के शहर में चश्में बेचते रहे।देश की उन्नती और विकास के स्वप्न देखते रहे।यह समझ ही नहीं आई कि स्वयं के विकास से देश के विकास को नापा जाता है और बीवी के पहनेे सोने से देश तोला जाता है।वह विकास चाहे भ्रष्टाचार से अर्जित किया गया हो या राष्ट्र के तिरस्कार के रूप में पाया हो।इससे कोई मतलब नहीं है।
जबकि हम परोपकार, देशभक्ति और ईमानदारी के रोग से ग्रसित होकर परिवार सहित आँसू बहाते रहे हैं।
उक्त व्यवहार का कुशल समाज ने जो आईना दिखाया उसमे अपने आपको 'सम्पूर्ण पागल' पाया है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जी हाँ हमारा कुशल व्यवहार हमारे चेहरे का आईना होता है । जैसे साहित्य समाज का दर्पण होता है ।
उक्ति है शुद्ध तन में शुद्ध मन में का निवास होता है ।समाज में हमारा आचरण हमारा व्यवहार ही हमारे व्यक्तित्व को दर्शाता है । हाल ही में उत्तरी, पूर्वी दिल्ली में उपद्रवियों ने सुनियोजित दंगें करवाये । निर्दोष लोगों के हत्यारे बने । इन स्वार्थी देश द्रोही के हत्यारों के कुसंस्कारों का परिणाम ही अपराधवृत्ति करते हैं । इनकी परवरिश , इनके कुसंस्कार ही बुरे व्यवहार ही है ।
समाज में यह नर संहार जिसकी साजिश थी और ये दंगाई के बुरे , कपटी , अमनावियता के क्रूर जहरीले व्यवहार को दर्शाता है ।
अब ऐसे दुख की घड़ी के भयानक मंजर में कितने सारे लोगों के मदद के हाथ उन निर्दोष को बचाने के लिए आगे आए । तो ऐसे लोगों को मैं व्यवहार कुशल कहूँगी । उन्होंने ऐसे बुरे वक्त में उनके दर्द को अपना दर्द मान के मित्र बन सहायता की।
इन्होंने भाईचारा , सद्भाव , नेकी और अच्छाई का पाठ समाज को दिया । ऐसे संस्कारों नैतिक मूल्यों से गढ़े व्यक्तित्व ही व्यवहार कुशल काम कर सकता है ।जैसे हम व्यवहार करते हैं । ईश्वर हमें वैसा ही फल देता है । कहा भी अच्छे व्यवहार करनेवालों को अच्छा पुण्य मिलता है । दिल अच्छे व्यवहार करने के आनन्दित होता होता । जिस चरम सुख की प्राप्ति होती है । वह सत्यं शिवं सुंदरमं की परिणीति होती है ।
दिल्ली दंगे का आतंकी शाहरूख ने फायरिंग की और वहीं साहसी दिलेर दिल्ली पुलिस हेड कॉन्स्टेबल दीपक पर पिस्तौल तान करके उसे मारने की धमकी दी । पुलिसवाले ने अपने व्यवहार कुशलता से उससे अपनी जान बचाई संग में भीड़ की भी जान बचायी । शाहरुख का अमानवीय चेहरा उधर हेड कॉन्स्टेबल का मानवीय चेहरा दुनिया ने देखा ।
व्यवहार कुशल लोगों को समाज सम्मान , आदर की दृष्टि से देखता है । एक इंसान फर्ज निभाते हुए जान की परवाह न करके अच्छा काम करता है , वहीं दूसरा इंसान
समाज के लोगों की जान लेता है । एक पुण्य का हकदार है । दूसरा पाप का हकदार हुआ ।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय अमेरिका के एअर मार्शल टिबेट्स ने हिरोशिमा -नागासाकी पर अपने हाथों से बम गिरा के खूब आनंदित हुए थे । जब नर संहार को देखा, खबरें पढ़ी तो उनका हृदय इस अपराध बोध , पश्चाताप के लिए ताउम्र मानसिक रोग से ग्रसित रहे । इसी निंदनीय काम से उनको शांति से जीने नहीं दिया ।उन्हें
पछतावा मरने तक रहा था ।
अतः इंसान को हमेशा अपना विवेक जगाए रखना है । न कि गलत काम करके जीवन भर पश्चाताप न करना पड़े ।
व्यवहार कुशल लोगों , संत , महात्माओं , महापुरुषों ने हमारे समाज का एमी - समय पर मार्गदर्शन किया है । जैसे बुद्ध , महावीर , अशोक , गाँधी , कबीर का सहृदयता , निरहंकार , निस्वार्थ , अहिंसामय व्यवहार से जड़ , चेतन में समस्त सृष्टि , प्रकृति में हर प्राणी में ईश के रूप में दर्शन कर समाज में अपने सूक्ष्म ज्ञान से योगदान दिया।
हमारा सुव्यवहार ही इहलोक में , परलोक में शिखर पर ले जाता है । अच्छे , व्यवहार कुशल आदमी की पहचान यही है कि उसके मरने के लोगों के आँखों में आँसू आ जाएँ ।
हमारे मा स्व भूतपूर्व राष्ट्रपति एपीजे अबब्दुल कलाम व्यवहार कुशल की प्रमुर्ति थे । पूरा देश , विश्व रोया था । तब उनके बड़े भाई को पता लगा कि मेरा भाई को देश , संसार ने कितनी इज्जत , कितना चाहा है ।
अंत व्यवहार कुशलता हमारी सोच को साकारत्मक , ऊर्जामय बनाये रखता है । इको का भी यही सिंद्धान्त है । जैसी आवाज हम बोलेंगे वैसी ही आवाज हमारे पास लौट के वापिस आती है । जैसा व्यवहार हम दूसरों के साथ करेंगे । वैसा ही व्यवहार हमें मिलेगा । कभी उल्टा भी होजाता है । दूसरा व्यक्ति जैसा भी व्यवहार करें वह उसका कर्म है । हम उस पर क्या जवाब दें ।यह हमारा कर्म है । इसलिए मेरा यही प्रयास होता है । दूसरों लिए हितकारी व्यवहार , काम करूँ । यही अच्छे व्यवहारकुशल इंसान बनने का सूत्र भी है ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
व्यवहार कुशल हो या अकुशल वही आईना बन जाता है। कुशलता हमारा काफिला बड़ा बना देता है।वहीं अकुशलता का दायरा छोटा होता जाता है। अब है कि आप क्या चाहते हैं? समाज के अंतर्मन में बसना चाहते हैं वो भी कुशलता के आधार पर तो आप व्यवहारिकता अपनाएंगे। समाज आईना बन कर सामने खड़ा होगा। दुर्विचार सुंदर चेहरे को भी डरावना बना देता है। लेकिन उस बदसूरत चेहरे को आईना नहीं मिलता। इस तरह वह चेहरा अपनी बदसूरती से वाकिफ नहीं हो पाता ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
हमारे विचार ही हमारे व्यवहार में प्रतिबिंबित होते हैं। कथनी करनी की सार्थकता भी तभी प्रमाणित होती है , जब हमारी छवि पारदर्शिता की पर्याय हो। बेशक़ आवरण , मुखौटे हमें अपनी ओर आकर्षित करते हो , परंतु व्यवहार की सरलता , सहजता ही हमें और हमारे व्यक्तित्व को परिभाषित करती है।
- संगीता सहाय "अनुभूति"
रांची - झारखंड
व्यवहार-कुशलता ही क्यों ? व्यवहार- शून्यता भी व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना होती है। व्यक्ति जैसे विचार रखता है वह उसके हाव भाव और व्यवहार में दृष्टिगोचर होने लगते हैं।
और यही व्यवहार उसे अच्छा व बुरा इंसान भी बनाते हैं । व्यवहार शून्य व्यक्ति के कार्य जितनी कठिनाई से पूरे होते हैं , वहीं व्यवहार कुशल व्यक्ति के कार्य आसानी से संपन्न हो जाते हैं । व्यवहार कुशल व्यक्ति सकारात्मक सोच के कारण प्रसन्न और सुलझते हुए विचार वाला होता है । सामने वाले को समझने और अपनी बात दूसरों को आसानी से समझा सकने की अद्भुत योग्यता होती है उसमें । व्यवहार कुशल व्यक्ति अच्छा श्रोता भी होता है। उसके चेहरे पर संतोष और मुस्कराहट बनी रहती हैं। वह सच्चाई पर चलने वाला, ईमानदार , आत्मविश्वास से भरा हुआ और सहयोगी होता है । उसकी चारित्रिक विशेषताएँ ही उसे सबका प्रिय और जीवन में सफल इंसान बनाती हैं। व्यवहार कुशलता उसके जीवन का आईना है, जो लोगों को प्रभावित करता है।
- वंदना दुबे
धार - मध्य प्रदेश
व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके व्यवहार का प्रारुप होता है । कुशल व्यवहार व्यक्ति के व्यक्तित्व में चार चांद लगा देता है । हमारे व्यवहार के कारण हीं हमें हमारा आस _ पड़ोस, मोहल्ला, समाज सब हमें जानते हैं उसमें अगर व्यवहार हमारा "कुशल "हो तो अति उत्तम । हर व्यक्ति का आचरण व्यक्ति के व्यक्तित्व पर निर्भर करता है । कहा जाता है कि "दर्पण झूठ ना बोले" इसलिए हम जैसा व्यवहार करते हैं उसकी झांकी हमारे मन के आईने में प्रतिबिंबित होती हीं है । इसलिए यह बहुत सही कहा गया है कि कुशल व्यवहार हमारे जीवन का आईना होता है अतैव हमें सदा अपने व्यवहार को सही रखने की आवश्यकता है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
हमारा व्यवहार ही हमारा आईना होता है जिसमें लोगों को वही प्रतिबिंब दिखता है जो जाने अनजाने हम करते हैं । कहा भी गया है कि आप अपने से छोटे के साथ कैसा व्यवहार करते हैं इससे आपका मूल्यांकन किया जा सकता है ।
अक्सर घर के बच्चों का व्यवहार ही आपके आचरण की गाथा स्वयं कह देता है । हम जैसा व्यवहार अपने लिए चाहते हैं वैसा ही दूसरों के साथ करना चाहिए । हमें धैर्य के सकारात्मक चिंतन करना चाहिए जिससे हमारी कार्यप्रणाली लोगों के लिए आदर्श बन सके । मनुष्य सामाजिक प्राणी है उसे आपसी सामंजस्य को बनाकर रखते हुए अपने कार्यों को करना चाहिए । आपके बाद आपका व्यवहार ही याद किया जाता है अतः सबके सहयोगी बनें । हम जो कुछ करेंगे उसका असर बच्चों पर अवश्य पड़ेगा अतः सोच समझकर सत्य व ईमानदारी पूर्ण आचरण करना चाहिए ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
व्यक्ति का व्यवहार उसके मन-मस्तिष्क का दर्पण है ।
कुशलता उसमें चार चांद लगा देती है ।कुशल व्यवहार से परिवार समाज में प्रसन्नता झलकता है कुशल व्यवहार के कारण हर जगह इंसान आदरणीय कहलाता है मान-सम्मान बढ़ जाता है व्यक्ति का व्यवहार फूलों की खुशबू की तरह है जो सुंगध बिखेरती है ।
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
कुशल व्यवहार मानव जीवन का आधार। कुशल व्यवहार मूलतः अच्छी शिक्षा का घोतक है। यदि गुरुजनों द्वारा दी गई शिक्षा को आत्मसात कर लिया जाय तो व्यक्ति में कुशल व्यवहार के लक्षण स्पष्ट दिखाई दे ते है। कुशल व्यवहार के आगे बड़ी बड़ी डिग्रीयां भी फिकी है। संत महात्माओं ने भी सबसे अधिक कुशल व्यवहार पर ही जोर दिया है। इस आपाधापी के युग में तो कुशल व्यवहार का महत्व और अधिक बढ़ रहा है। कुशल व्यवहार में व्यक्ति को पारंगत होना चाहिए। मर्यादा, सत्य, शांत चित्त, मिलनसार, धैर्यवान, सहनशीलता कुशल व्यवहार के गुण है।
- उदय श्री. ताम्हणे
भोपाल - मध्यप्रदेश
" मेरी दृष्टि में " इंसान का सबसे बड़ा व्यवहार होता है । जिस का व्यवहार सही है । उस को दुनियां में किसी की चीज की कोई कमी नहीं होती है । यही व्यक्ति को व्यवहार कहा जाता है और यही व्यकितत्व का आईना होता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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ReplyDeleteमुझे चर्चा में शामिल करने के लिए धन्यवाद बिजेंद्र जैमिनी जी।
ReplyDeleteगंभीर चिंतन के साथ सभी विद्वानो के बोध गम्य विचारो से रूबरूहोने का सुअवसर मिला सभी साधुवाद के पात्र है डा सुषमा शर्मा
ReplyDeleteजयपुर - राजस्थान
( WhatsApp ग्रुप से साभार )