क्या संघर्ष करने से बड़ी होती हैं ख्वाहिशें ?

बिना संघर्ष के दुनियां में कोई जीवन नहीं है ।  संघर्ष से ख्वाहिशों का जन्म होता है । सफलता मिलने से ख्वाहिशें बड़ी होतीं चली जाती है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
हाँ संघर्ष करने से बड़ी होती है ख्वाइशें । सभी इंसान के लक्ष्य अलग - अलग होते हैं । हर किसी को  संघर्ष करना पड़ता है । संघर्ष मानव को मजबूत बनाता है । जिंदगी संघर्ष का नाम है । हर इंसान को हर दिन अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खुद ही संघर्ष करना पड़ता है । हमें अपनी ख्वाइशें पूरी करने के लिए  संघर्ष करना पड़ता है । जितनी बड़ी ख्वाइशें होंगी । उतना ही बड़ा संघर्ष करना होता है । एक सदी तक  भारत गुलाम रहा था । हर भारतवासी की ख्वाइश थी कि हम आजादी की सांसें लें ।  भारत की आजादी के लिए 1857 में  आजादी के आंदोलन की चिंगारी फूटी । तब कही जाकर भारत लगभग  एक सदी बाद 15 अगस्त 1947 को आजाद हुआ । खुली हवा में आजादी की साँसें लेने की  खुशियाँ का  आनंद   अवर्णीनीयहै ।हमारा संघर्ष ख्वाइशों तक पहुंचने की सीढ़ी होती है । यही संघर्ष अगर भारतवासी  डर, हिंसा से  अगर बीच में ही छोड़ देते तो  अधूरी ख्वाइश का दुखों का दंश हम सभी को झेलना होता है । शारीरिक रूप से अपंग हेलन केलर ने कहा है -" खुशी का एक दरवाजा बंद होता है । तो दूसरा खुल जाता है ।हम बन्द दरवाजे को ही देखते रह जाते हैं ।उसे नहीं देख पाते , जिसे हमारे लिए खोला जाता है । " 
हर चीज पाने के लिए हमें संघर्ष करने पड़ता है । रोटी के  जुगाड़ के लिए कर्म करना पड़ता है । घर बैठे हमें कुछ नहीं मिलता है । उसके लिए संघर्ष करना पड़ता है । बादल को भी बरसने के लिए नदियों , समुद्र से पानी सूर्य के द्वारा लेना पड़ता है । तब कहीं जाकर धरा , प्राणियों की प्यास को बुझाता है । कहने का मतलब यही है कि इच्छाओं की पूर्ति करने के लिए हमें  कर्म  करके ही संघर्ष करना पड़ता है ।  तभी हमें इच्छित फल की प्राप्ति होती है । जल  थल नभचर र जीव ओ जीने के लिए संघर्ष करना पड़ता आए  । नृत्यांगना सुधा चन्दरन की कार दुर्घटना में दोनों पैर कट गए थे ।  उसने जीवन से संघर्ष किया । नकली जयपुर के पैर लगा के  दर्द को जीत के आज सफल नृत्यांगना , अभिनेत्री है । संघर्ष ही चुनोती से लड़ने की ताकत देता है । अरुणिमा सिन्हा की अचानक दर्दनाक रेल दुर्घटना में पैर कट गए । लेकिन उसने माउंट एवरेस्ट पर चढ़कर  असंभव को संभव कर दिया ।लेकिन उसने असहनीय दर्द को सह के पथरीली , बर्फीली चट्टानों का प्रशिक्षण ले के खूब प्रेक्टिस की थी । उसने सफलता के लिए हार नहीं मानी ।  कहने आशय यही है कि परिस्थतियों से जो टकराएगा । उसे ही सुंदर जहान मिलेगा ।
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
हां संघर्ष करने से बड़ी होती है संघर्ष करने की ख्वाहिश।
हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है। जंगल में भी हिरण अपनी जान को बचाने के लिए तेज दौड़ता है और उसे जीना है तो उसे इस दौड़ में शामिल होना पड़ेगा वह शेर से भी तेज दौड़ता है और यह ख्वाहिश रखता है कि मैं उससे आगे निकल जाऊंगा ख्वाहिश रखने वालों के ही सपने पूरे होते हैं आगे बढ़ने के लिए हमें ख्वाहिश रखनी चाहिए पर यह ख्वाहिश हमारी सकारात्मक ऊर्जा और आशावादी के साथ होनी चाहिए निराशावादी और नकारात्मक ऊर्जा की ख्वाहिश के कारण ही देश में दंगे और आतंक हो रहा है हम बीमारियों को भी निमंत्रण दे रहे हैं सपने देखना बहुत अच्छी बात है अच्छे सपने देखने चाहिए परसों अपने से तो जीवन ही चलता है कभी-कभी ख्वाहिश को मार कर दूसरों के ही तो कभी काम करना चाहिए। ख्वाइशें तो है बहुत है, साहब  जेब में छेद हो तो सिक्के के गिरने से पहले रिश्ते बदल जाते हैं।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि
हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमां
लेकिन फिर भी कम निकले।
राह में चाहे कितनी ही मुश्किलें क्यों न आएं, पर हौसले आसानी से पस्त नहीं होते। यह सच है कि दोनों हाथों से उपलब्धियां बटोरने के लिए हमें बहुत कुछ छोडना भी पडता है, फिर भी पाने की लालसा इतनी जबर्दस्त है कि उसके लिए हम बहुत कुछ खोने को तैयार हैं। जीवन में इतना संघर्ष क्यों है इसका एकदम सटीक जवाब शायद ही कोई जानता होगा। भगवान ने हमें हमारा जीवन दिया है और इस अनमोल जीवन को पाने के लिए अगर हम थोड़ा संघर्ष कर भी लेते हैं तो इसमें कोई बुराई नहीं है। हर इंसान के जीवन में संघर्ष की एक कहानी जरूर होती है। जीवन में आए संघर्ष के समय से कभी डरना नहीं चाहिए, क्योंकि आप यह जान लीजिए कि अगर आप इस संघर्ष को पूरी हिम्मत के साथ पार कर लेते हैं, तो इसके आगे आपके जीवन में कई सफलता और खुशियां आपका इंतजार कर रही होती हैं। जीवन में जो संघर्ष से हार मान जाता है समझो वह अपने जीवन से भी हार जाता है। जीवन में शायद इतना संघर्ष इसलिए भी है, ताकि हम भगवान की दी हुई चीजों की कीमत समझ सके। आप खुद सोच कर देखिए अगर जीवन एकदम आसानी से बिना किसी परेशानी के चलने लगे तो क्या हमें जीवन में रिश्तें, पैसे, प्रकृति या हमारे पास जीवन में जो कुछ भी है उसकी अहमियत हमें समझ आएगी? नहीं आएगी। 
अगर सब कुछ मिल जायेगा जिंदगी में तो तमन्ना किसकी करोगे, कुछ अधूरी ख्वाहिशें तो जिंदगी जीने का मज़ा देती है। ।
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
संघर्ष और ख्वाहिशों का रिश्ता चोली और दामन का सा होता है। ख्वाहिशें रखना मानव का स्वभाव है। यह भी उतना ही सच है कि ख़्वाहिशें सरलता से पूरी नहीं होती। उन्हें पूरा करने के लिए संघर्ष की, श्रम की अग्नि में तपना पड़ता है।
      कभी ऐसा भी होता है कि व्यक्ति संघर्ष करता है अपने सपनों और ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए, पर वे पूरे नहीं हो पाते। कुछ समय के लिए व्यक्ति का हौसला,साहस टूटता है पर उसकी ख्वाहिशें ही उसे पुनः आशा, उत्साह और ऊर्जा देकर उन्हें पूरा करने के लिए संघर्ष करते रहने को प्रेरित करती हैं। जब वे पूरी होती हैं , संघर्ष का सुखदायक प्रतिफल मिलता है तो व्यक्ति की क्षमता और बढ़ती है, वह जूझारू बनता है। नये सपने देखता है, नयी ख्वाहिशें बुनता है अपने घर-परिवार, समाज और देश के लिए और उन्हें पूरा करने के लिए फिर संघर्ष के मार्ग पर चल पड़ता है। जीवन है तो सपने भी होंगे, ख्वाहिशें भी होंगी और संघर्ष भी होगा। ये यात्रा तो व्यक्ति की अंतिम श्वास के साथ ही समाप्त होती है। जीवन का आनंद तो इसी में है कि.... नित्य जागी आँखों कुछ सपने बुने जायें, ख्वाहिशों के ताने-बाने नित्य ताने जायें, उनमें से कुछ को लेकर, चल रे साथी! संघर्ष के पथ पर अपनी क्षमता को कसौटी पर कस लिया जाये।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई 
देहरादून - उत्तराखंड
प्रश्न है संघर्ष करने से बड़ी होती है ख्वाहिशें अवश्य बड़ी होती हैं अगर ख्वाहिशें ही नहीं हैं तो संघर्ष कैसा जीवन है तो संघर्ष है हम जीना चाहते हैं प्रकृति ने हमें सब दिया है  उसे प्राप्त करने के लिए हमें संघर्ष तो करना ही पड़ेगा और संघर्ष हम कब करते हैं जब हम किसी चीज की इच्छा अथवा ख्वाहिश रखते हैं !जीने की ख्वाहिश है तो हमें पेट की क्षुधा शांति के लिए भोजन (अनाज) की आवश्यकता होगी !उसके लिए अनाज प्राप्ति के लिए हमें खेती करना होगा धूप ठंड बारिश सभी में अपने को झोंकना होगा ,तपाना होगा यानिकी संघर्ष करना होगा !जब हम जीवन जी रहे हैं तो हमारी इच्छाएं भी तो बढ़ती है या यूं कहो आवश्यकताएं !आवश्यकताओं की तो कभी पूर्ति होती नहीं ,हम नई नई ख्वाहिशों की कामना करते हैं चाहे उसके लिए कितना भी संघर्ष क्यों न करना पड़े जितनी बड़ी ख्वाहिश उतना बड़ा संघर्ष ! ख्वाहिश में  संघर्ष  का रंग जितना गहरा होता है वह अधिक महत्व रखता है! पिता द्वारा संघर्ष कर संचित किया धन को वारिस  बिंदास खर्च करता है चूंकि उसे तैयार धन मिला है यदि स्वयं संघर्ष करता तो उसका महत्व समझता! आज हमारे वैज्ञानिकों ने चंद्रलोक मंगल ग्रह तक जाने की इच्छा या ख़्वाहिश रखी वहां क्या है ,कैसा है, बहुत से प्रश्न है जानना चाहता है उसके लिए रात दिन संघर्ष कर रहे हैं और आज उनके संघर्ष का परिणाम यह है कि हम घर बैठे वहां के जानकारी रखते हैं ! अंत में कहूंगी यदि ख्वाहिशें या इच्छाएं ना होंगी तो संघर्ष कैसा और संघर्ष ना हो तो उनकी पूर्ति कैसे होगी दोनों  का "चोली दामन का साथ " है इतना जरूर कहूंगी कि संघर्ष से मिला फल हमारे जीवन में  बहुत ही मायने रखता है!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
संघर्ष ही प्रगति का मूलाधार है । केवल ख्वाहिश ही आपको सब कुछ नहीं दे सकती है इस हेतु आपको निरन्तर प्रयास करते रहना चाहिए । जितने भी लोगों ने सही दिशा में परिश्रम किया वो अवश्य ही सफल हुए । इसका सबसे बड़ा उदाहरण पूर्व राष्ट्रपति, मिशाइल मैन डॉ अब्दुल कलाम आजाद हैं । उन्होंने अपनी संयमित जीवन शैली व जीवन संघर्ष से वो सब कुछ हासिल किया जिसकी ख्वाहिश उन्होंने की थी ।
इसी तरह माउंटेन मैन दसरथ माँझी ने 22 वर्षों तक परिश्रम करते हुए  संघर्ष किया  और पहाड़ का सीना चीर का रास्ता बना दिया । इसी तरह बहुत से उदाहरण हैं जहाँ संघर्ष से ख्वाहिशो को पूरा किया गया ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
जब हम किसी भी चीज को मुश्किल से बड़ी कठिनाइयों से पाते हैं तो उसकी कीमत हमारे जीवन में बढ़ जाती है। शायद इसलिए भगवान ने हमें जीवन में इतने संघर्ष दिए हैं। ताकि हम जीवन में उपलब्ध चीजों की कीमत समझ सके उसे सहेजें और जीवन को संतुलित करते हुए आगे बढ़ते जाएं। 
जीवन का दूसरा नाम ही संघर्ष है। अगर आप पौराणिक कथाओं को पढ़ेंगे तो देवी-देवताओं के जीवन में भी संघर्ष था। फिर तो हम सामान्य से मानव है। हमें तो भगवान द्वारा ली गई परीक्षा का सामना करना ही पड़ेगा। आप 
जीवन में अगर संघर्ष नहीं हो, तो जीने का क्या मज़ा? कोई भी डायरेक्टर उसी एक्टर को अच्छा और मुश्किल किरदार देता है, जो की उसे कर पाने के काबिल होता है। उसी प्रकार भगवान् इस दुनिया का निर्देशक है, वो भी सबसे ज्यादा अच्छा और मुश्किल किरदार उसी को देता है, जो उसे कर पाने के काबिल होता है। बस फर्क है सोच का। कोई उस संघर्ष से भरे किरदार को कोसता रहता है, तो कोई उस किरदार को मज़े से निभाता है। जो भी उस किरदार को स्वीकार करके उस संघर्ष से एक हीरो की तरह बाहर आ जाता है, वो इस दुनिया का प्रिय बन जाता है और लोग उसी की मिसाल देते हैं। दोस्तों, संघर्ष के साथ जीवन जीने का मजा ही कुछ और है। अगर जीवन में संघर्ष न हुआ तो, जो खुशी होती है बहुत दुख के बाद मिलती है वह शायद मिलेगी ही नहीं। हाँ माना कि संघर्ष से जूझना बहुत ही मुश्किल काम है और यह काम वही कर पाता है, जो मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत है। हम अपने पूरे जीवन में कई बार ऐसे मोड़ से गुजरते हैं जहाँ हमको बहुत उतार-चढ़ाव से जूझना पड़ता है, बहुत सारे संघर्ष देखने पड़ते हैं। लेकिन यह संघर्ष बहुत जरूरी होते हैं। क्योंकि यही हमें सिखाते हैं आखिर खुशी होती क्या है, और गम होता क्या है।
संघर्ष से मिली सफलता की ख़ुशी भी बहुत बड़ी होती है ।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
ख्वाहिश शब्द का अर्थ है चाह, अभिलाषा , इच्छा।
 प्रश्न है कि क्या ख्वाहिशें संघर्ष से बड़ी होती हैं? यह सच है कि ख्वाइशे संघर्ष से बड़ी होती हैं। बड़ी इसलिए क्योंकि जन्म से ही इनकी उत्पत्ति होने लगती है; जैसा कि अबोध नवजात शिशु भी सोते समय कुछ मुस्कुराता है, चौकता है। अक्सर कहा जाता है कि वेमाता इसको मां की उपस्थिति और अनुपस्थिति का बोध कराकर अचानक रुलाती हैं, हंसाती हैं। यानी हर समय उसे मां के सामीप्य की इच्छा बलवती होने लगती है। फिर भूखा होने पर कसकर अपना रोना दर्शाकर भोजन (दूध) के लिए संघर्ष करता है । अतः जीवन में मनुष्य जन्म से लेकर मृत्युपर्यंत अनंत और अपार इच्छाओं को स्वत: जन्म देता है। इन कामनाओं, कल्पनाओं के सम्मिश्रण से मन में विचारों का सृजन होता है; तदनुसार हम कर्म में प्रवृत्त होते हैं और फिर उसकी प्राप्ति के लिए संघर्ष करते हैं फिर अक्सर कर्म और परिश्रम से ही इच्छा पूर्ति हो जाती है। इसीलिए ख्वाइशों की संख्या बढ़ती जाती है। एक इच्छा पूरी होने पर दूसरी इच्छा जन्म ले लेती है। यह बड़ी तीव्रगामी भी होती हैं। इसीलिए ख्वाहिशें संघर्ष से मात्रा, परिणाम, सहजता, अनंत्ता, अपारता में बहुत बड़ी मानी जानी चाहिए।  संघर्ष तो किसी विशेष ख्वाहिश के लिए जो जीवन का मुख्य लक्ष्य होता है; उसके लिए होता है; हर ख्वाहिश के लिए नही। संघर्ष में हमारी संकल्पशक्ति , प्राणबल और शारीरिक क्षमता की मुख्य भूमिका होती है। अतः ख्वाहिशें तो हम सोते, जागते, उठते- बैठते, खाते-पीते ,यानी 24 घंटे में असंख्य व महत्वहीन हो सकती हैं; पर संघर्ष में ऐसा नहीं है । मेरे विचार से ख्वाहिशें क्वांटिटी है और संघर्ष क्वालिटी है।
 - डॉ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
संघर्ष और ख्वाहिशें जीवन में एक नयी चुनौतियाँ लाती है । जीवन का तो अर्थ ही है लड़ना, बढ़ना, जीतना ,हारना और फिर जीतने के लिए अर्थात लक्ष्य को पूरा करने के लिए दुबारा कमर कसना। ख्वाहिशें यानि इच्छाएं, कामनाएं ,सपने जिन्हें हम पूरा करना चाहते हैं ।उन्हें पूरा करने के लिए अपनी शिक्षा, अनुभव, बड़़ों का मार्गदर्शन भी लेते हैं। हर संभव कोशिश रहती है कि ख्वाहिशें हकीकत बन जाए। बड़े सपने बड़े संघर्ष। ईश्वर भी उसी को कष्ट देता है जो सहने का मादा रखता है।संघर्ष करने से ख्वाहिशें  पूरी होती हैं । राष्ट्रपति माननीय ड़ा.ए.पी.जी .कलाम ने कहा था कि सपने देख़, बड़े सपने। देखो और जागती आँखो देखो। फिर उसे पूरा करने के लिए चल पड़ो।. ख्वाहिशें जीवन की खुशबू है इसे बनाए रखना ही सौंदर्य है। 
  - ड़ा.नीना छिब्बर
जोधपुर - राजस्थान
संघर्ष, मेहनत का ही रूप है। हम जितनी मेहनत करेंगे, उतने निपुण होते जायेंगे। हमारा ज्ञानवर्धन भी होगा और हम में अनुभव की भी वृद्धि होती जायेगी। इसका हमें लाभ यह मिलेगा कि हम अपने उद्देश्य में सूक्षमता से परिपक्व होते जायेंगे।  कहां अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता है,कहां रुकावट हो सकती है,कहां मुश्किलें हैं ,अनुभव की वजह से इन सब बातों के प्रति हमारी चेतना, हमारा ज्ञान, हमारी ताकत, हमारी सामर्थ्य बढ़ती जाती है। जो हमें बड़े...और बड़े ... कार्य करने के मनोबल को बढ़ाती है। यही मनोबल हममें उत्साह और जोखिम लेने का साहस पैदा करता है। बस,हमें इस मेहनत और संघर्ष में कभी असफलता मिलने पर निराश और हताश नहीं होना है। बल्कि यदि ऐसे अवसर आ पड़ते हैं तो उस वजह को दूर करना है। कहते हैं 'असफलता यह सिद्ध करती है कि सफलता के प्रयास सच्चे दिल से नहीं किये गये।' हमें अपने काम में पूरे मनोबल से समर्पित भावना के साथ लगना है। तभी हम सफल होंगे और होते चले जायेंगे। सार यह है कि ये सच है कि संघर्ष करने से बड़ी होती हैं ख्वाहिशें।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
 ख्वाहिशें संघर्ष से तभी बड़ी होती है ,जब सफलता तक पहुंचती है ।सफलता  तभी मिलती है  जब मनुष्य संघर्ष के साथ-साथ श्रम शील होता है। बिना संघर्ष के ख्वाहिशें पूरी नहीं होती और बिना ख्वाहिशों से संघर्ष नहीं होता अतः ख्वाहिशें  और संघर्ष अविभाज्य हैं दोनों एक दूसरे के  पूरक है ।इच्छा होने से ही  कार्य किया जाता है और कार्य करने से ही इच्छा की पूर्ति की जाती है अतः दोनों  क्रियाएं साथ साथ चलती है। फिर भी कहा जा सकता है । इच्छा से ही संघर्ष की शुरुआत की जाती है। बिना संघर्ष के ख्वाहिशें पूरी नहीं होती ,अतः संघर्ष करने से बड़ी होती है, ख्वाहिशें ,कहा जा सकता है ।इच्छा पूर्ण होती है तो ऐसे कहा जा सकता है ख्वाहिशें पूर्ण ना होने पर संघर्ष का कोई महत्व नहीं होता ।ख्वाहिशें को सफल बनाने के लिए संघर्ष करना अनिवार्य है संघर्ष की अनिवार्यता से ही ख्वाहिशें बड़ी हो सकती हैं। आज तक  ऐसा कोई ख्वाहिशे नही है,जो बिना  संघर्ष का पूर्ण हुआ हो। फिर भी ख्वाहिशो से ही  संघर्ष तक पहुंचते हैं। निष्कर्ष में यही कहा जा सकता है कि ख्वाहिशें और संघर्ष दोनों मनुष्य को सफलता तक पहुंचाती हैं। ख्वाइशें और संघर्ष दोनों की मनुष्य को आवश्यकता है ,अतः मानव जीवन में दोनों अपनी जगह उपयोगी है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
जीवन एक संघर्ष है । संघर्ष मनुष्य में आत्मविश्वास बढ़ाता है । जब आत्मविश्वास बढ़ता है तो नई-नई ख्वाहिशों का जन्म लेना वाजिव है। इसलिए संघर्ष एक मंत्र है ।यह आगे बढ़ने  की शक्ति देता है। समस्या के हल ढूंढने में सहायता करता है। आत्मा को मजबूती प्रदान करता है। जिससे उसकी आकांक्षा की उड़ान बड़ी होने लगती है। वह फिर से नई मंजिल को पाने के लिए संघर्षरत हो जाता है। अतः उन उड़ानों को पंख लगाने में हम मदद जरूर कर सकें तो ही जीवन की सार्थकता है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में "  संघर्ष से जीवन सफल होता है । बिना सफलता के इंसान टूट जाता है । तभी सफलता से बड़ी ख्वाहिश होती है । जो जीवन आगे बढने की प्ररेणा देती हैं ।
                                                          - बीजेन्द्र जैमिनी


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