क्या कोरोना पर लॉक डाउन समस्या से बड़ा समाधान है ?

लॉक डाउन से लोगों को समस्या हो रही है । जिसे सरकार कम तो कर रही है । परन्तु समस्या खत्म नहीं हो सकती है ।कोरोना के खिलाफ सब से बड़ा समाधान यही है । क्यों कि स्थाई इलाज अभी तक सम्भव नही हो पाया है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
कोरोना वैश्विक महामारी के रूप में समस्त विश्व में अपना पैर तेजी से फैलाता जा रहा है।  इस समस्या का सबसे बड़ा समाधान हमारी जागरूकता है। कोरोना एक अति संक्रामक रोग है ।यह इंसान में एक दूसरे के सम्पर्क में आने से यानी संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आने से फैलता है। इसके बचाव के तौर पर चेन ऑफ ट्रांसमिशन को तोड़ना सबसे आवश्यक है ।लाॅक डाउन की स्थिति में जब लोग अपने घरों में  रहेंगे,और दूसरे लोगों यानी संक्रमित व्यक्ति,संक्रमित जगहो और चीजों के सम्पर्क में  नहीं आयेंगे तो ट्रांसमिशन चेन ब्रेक हो जायेगा तथा इससे बहुत हद तक इस समस्या का समाधान हो पायेगा ।अतः वायरस का चेन तोड़ने के लिए लाॅक डाउन सर्वोत्तम उपाय है। 
                       - रंजना वर्मा
                         रांची - झारखण्ड
लॉक डाउन होने से वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है क्योंकि एक संक्रमित व्यक्ति अगर 10 व्यक्ति से मिल रहा है 10 और 10 से मिलेंगे तो पूरी चेन तैयार हो जाती है। वायरस को संकरण पहनाने और एक्टिव होने का मौका ही नहीं मिलेगा यह एक महामारी है इसका कोई इलाज नहीं है सब इसका इलाज ढूंढ रहे हैं यह 60 साल के बुजुर्गों को और बच्चों को संक्रमित होने का ज्यादा खतरा रहता है क्योंकि उनका रजिस्टेंस पावर कमजोर रहता है दूधवाले कामवाली बाई न्यूज़पेपर इन सब से भी संक्रमण फैल सकता है हमें सही जानकारी रहनी चाहिए कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए आज हमें अपने बुजुर्गों की बातों को याद करना चाहिए और हमें हमारे आयुर्वेद जैसे रहने को कहता था वह सारे स्वच्छता के तरीके को अपना अपने को और अपने परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं।

1. शौचालय और स्नानघर निवास स्थान के बाहर होते थे।
2.क्यों बाल कटवाने के बाद या किसी के दाह संस्कार से वापस घर आने पर बाहर ही स्नान करना होता था बिना किसी व्यक्ति या समान को हाथ लगाए हुए।
3. क्यों पैरो की चप्पल या जूते घर के बाहर उतारा जाता था, घर के अंदर लेना निषेध था।
4. क्यों घर के बाहर पानी रखा जाता था और कही से भी घर वापस आने पर हाथ पैर धोने के बाद अंदर प्रवेश मिलता था।
5.क्यों जन्म या मृत्यु के बाद घरवालों को 10 या 13 दिनों तक सामाजिक कार्यों से दूर रहना होता था।
6. क्यों किसी घर में मृत्यु होने पर भोजन नहीं बनता था ।
7. क्यों मृत व्यक्ति और दाह संस्कार करने वाले व्यक्ति के वस्त्र शमशान में त्याग देना पड़ता था।
8. क्यों भोजन बनाने से पहले स्नान करना जरूरी था और कोसे के गीले कपड़े पहने जाते थे।
9.क्यों स्नान के पश्चात किसी अशुद्ध वस्तु या व्यक्ति के संपर्क से बचा जाता था।
10.क्यों प्रातःकाल स्नान कर घर में अगरबत्ती,कपूर,धूप एवम घंटी और शंख बजा कर पूजा की जाती थी।
हमने अपने पूर्वजों द्वारा स्थापित नियमों को ढकोसला समझ छोड़ दिया और पश्चिम का अंधा अनुसरण करने लगे।
आज कॉरोना वायरस ने हमें फिर से अपने संस्कारों की याद दिला दी है,उनका महत्व बताया है।
हिन्दू धर्म, ज्ञान और परंपरा हमेशा से समृद्ध रही है।
आज वक्त है अपनी आंखो पर पड़ी धूल झाड़ने और ये उच्च संस्कार अपने परिवार और बच्चो को देने का।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
आज जिस हाल में हम है, उसे देखते हुए तोह लॉक डाउन न तो बड़ा न छोटा परन्तु मेरी समझ से एक मात्र समाधान है.. और इसके कई कारण है,
आज हम ऐसे समय मैं रह रहे जहाँ लोग स्वंतंत्र है, पर स्वंतंत्र के मैंने नहीं जानते। लॉक डाउन जैसी समाधान भी उन्हें अपनी स्वतंत्र के खिलाफ लगती है।
इस समय हम ऐसे लोगों को बीच रह रहे है, जिन्हे यह घ्यात ही नहीं के हु कितनी बड़ी समस्या में है, और शायद इसीलिए वह अब भी अपनी बहादुरी के नमूने पेश करते है, जोह की मेरी नज़र में उनकी मूर्खता का प्रमाण पता है..
हिंदुस्तान में कोरोना एक मात्र समस्या नहीं है, हमारी आबादी, हमारा अन्धविश्वास, हमारा पडोसी मुल्क, यह भी हमारी समस्या है, जिनके चलते कोरोना कुछ ही पलो में हमें सिखस्त दे सकता है.
१३० करोड़ की अब्बड़ी में हम कैसे इस वीमारी से सुरक्षित रह ससकते है, एक कोरोना पडित अगर मुंबई की लोकल ट्रैन में सफर करले तोह मात्रा २ दिन में मुंबई में लाशो का बाजार लग जाएंगे... उसपर हमारा अन्धविश्वास के नीम के पत्तों का जूस कोरोना को मारता है इत्यादि, आज कोरोना के २८९ मरीज़ है पर हमारे पास १३० करोड़ डॉक्टर होगये है, यह भी बहुत खतरनाक है।  ऐसे ही क्षण  का इंतज़ार हमारा पडोसी मुल्क करता है, जोह कभी भी अपने स्लीपर सेल को जागरूक करके किसी भी इलाके में त्राहि मचा सकता है, या तोह फिर अपने आतंकवादीयो को हमारे मुल्क में भेज सकता है.. और फिर हमारे ही कुछ लोग है, जोह विदेश से आये है, उन्हें १४ दिनों तक खुद घर में रहने कहाँ गया है, पर वह तो बड़े बहादुर है, उन्हें क्या हो सकता है, इसीलिए वह पार्टियों में जाते है, शादियों में जाते है और फिर कोरोना पोसिटीव पाते है
बिहार में एक मस्जिद मैं  ३० चीन से आये मुस्लिम भाइयो को पिछले २ महीने से छुपा कर रखा था अब इन लोगो ने कितने लोगो को यह बिमारी दी होगी यह तो आने वाला वक़्त ही बताएंगा.  जब कल शाम ५ बजे केवल हमें हमारी सेवा और मदद कर रहे लोगो की हौसला अफजाई करनी थी, वही कुछ लोग सड़को पर ऐसे निकले के भारत विश्वकप जीत चूका है,
 जब इतनी परेशानिया होना तो हम दूसरो को सुरक्षित नहीं कर सकते , हममें खुद को और अपनों को सुरक्षित रखना पड़ेगा.. और इस लिए मेरी मने तो लॉक डाउन आज एक मात्र समाधान है..
 - अश्श्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
इस तरह से "कोरोना वायरस" महामारी का रूप धारण कर लिया है चिंता का विषय है। चूंकि ये वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के द्वारा फैल रहा है। ऐसी स्थिति में "लॉक डाउन" समस्या का समाधान हो सकता हैं।चीन में पूरी तरह लॉक डाउन से समस्या का समाधान देखा जा रहा है।
सरकार के साथ साथ हम सभी को भी लॉक डाउन का सख्ती पालन करना चाहिए तभी हम इस संकट से उबर पाएंगे। देखा जा रहा है कि लोग सरकार के लॉक डाउन के बावजूद भी ज्यादातर लोग लापरवाही बरतते हुए नजर आ रहे है। ये लोग खुद का जीवन तो खतरा में दाल ही रहे हैं, बाकियों के जिन्दगी भी खतरे में दाल रहे है। ऐसे लोगों पर प्रशासन को सख्ती से रोकना होगा और साथ मे जागरूक भी करना होगा। तभी बच पायेगी हम सभी की जिंदगियां।
                                -  प्रेमलता सिंह, 
                                 पटना -बिहार
यह सच है कि लॉक डाउन एक समाधान है क्योंकि इस वायरस ने वैश्विक महामारी का रूप धारण कर लिया है तो हमें यह करना उचित लगता है और फिर इसकी वैक्सीन (रसी ) भी तो तैयार नहीं हुई है अतः मरता क्या नहीं करता ! 
किसी भी उपाय से यदि लाभ होता है तो वह बिल्कुल सही है किंतु समस्याएं भी कुछ कम उभरकर नहीं आई है !हम तो राशन पानी भर लेते हैं, पोष्टिक आहार भी ले लेते हैं ,सैनिटाइजर उपयोग में लाना, मास्क लगाना, घर से बाहर ना जाना, आदि आदि के नियमों का पालन कर लेते हैं किंतु जो रोज कुआं खोदकर गड्ढा भरते हैं उनका क्या ? बेचारे गरीबी में रहने वाले ऐसे समय में गरीबी की महामारी से मर जाते हैं ! 
देश की रक्षा के लिए चंद फौजी को शहीद तो होना ही पड़ता है वही बात गरीबी के साथ है!
 प्रशासन अनाज दे रही है किंतु सभी को तो नहीं मिलता हम भी कुछ लोगों की मदद कर संतुष्ट हो जाते हैं !नौकर चाकर की उतने दिन की पगार नहीं काटते ,चंद रुपयों से उनकी मदद कर देते हैं किंतु कब तक वह तो गरीबी के वायरस से मर रहे हैं और यह कोरोना वायरस जब तक है अर्थतंत्र तो वैसे ही बिगड़ रहा है वायरस के बाद जो महंगाई ,काला बाजारी ,चोरी चपाटी की समस्या से जो वायरस अच्छे-अच्छे को पकड़ेगा वह बाद की बात है पहले जो समस्या सामने हैं उसका समाधान जरूरी है !"मरता क्या नहीं करता"
कोरोना का संक्रमण फिलहाल भारी पड़ रहा है अतःलॉक डाउन ही समाधान की कुंजी है क्योंकि जीवन है तो विपत्तियां तो आती रहेंगी हमें आशा नहीं छोड़नी चाहिए  करोना के विरुद्ध जंग जारी रखनी चाहिए! 
अंत में कहूंगी कोरोना वायरस के लगते जो भी समाधान यानी कि लॉक डाउन किया है फिलहाल उचित है !
"जान है तो जहान है "!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना बीमारी एक महामारी की तरह फैल रही है। इसके रोकथाम के लिए सुरक्षा उपायों में एक उपाय अपने चारों तरफ एक सुरक्षा घेरा (लाॅक डाउन) एक कारगर उपाय है। हम घरों के अंदर रहकर ज्यादा सुरक्षित रहेंगे। जब हम बाहर नहीं निकलेंगे तो किसी के संपर्क में नहीं आएंगे और फिर इस कोरोना वायरस के वाहक बनने से स्वयं को तो बचाएंगे ही, दूसरों को भी सुरक्षित रख सकेंगे। इसलिए मेरे विचार में लाॅक डाउन कोरोना समस्या का एक बड़ा समाधान है।
      - गीता चौबे "गूँज"
            राँची -  झारखंड
समस्या से बड़ा समाधान है या नहीं यह तो समय बतायेगा । 
पहले से कुछ कहाँ नहीं जा सकता है । हाँ यह जरुर है की हमारी इस महामारी से सुरक्षा जरुर करेगा । हमें जागरुक रहना है और लाँक डाऊन काफ़ी तक इस समस्या का समाधान है , पहले तो हम आपको बता दें कि लॉक डाउन से आपको डरने की जरूरत नहीं है। यह आपकी सुविधा के लिए है। ताकि आप भी कोरोना वायरस से प्रभावित ना हो। लॉक डाउन आपकी सुरक्षा के लिए किया जा रहा है। आप भीड़-भाड़ वाले क्षेत्र से दूर रहें और खुद की सुरक्षा पर ध्यान दें।
लॉकडाउन' का सीधा सा मतलब होता है तालाबंदी। जिस तरह किसी संस्थान या फैक्ट्री को बंद किया जाता है तो वहां तालाबंदी हो जाती है। उसी तरह शहर लॉक डाउन का अर्थ है कि आप अनावश्यक कार्य के लिए सड़कों पर ना निकलें। कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने का अभी तक कोई पुख्ता इलाज सामने नहीं आया है। इससे बचने का एक ही रास्ता है कि आप खुद को संक्रमि‍त व्यक्ति से बचाव करें। देश में जिस तरह से लगातार संक्रमित व्यक्ति‍यों की तादाद बढ़ रही है उसे देखते हुए आप अन्य लोगों के संपर्क में नहीं आएं।
दरअसल, लॉकडाउन एक एमरजेंसी व्यवस्था है जो किसी आपदा के वक्त शहर में सरकारी तौर पर लागू होती है। लॉक डाउन की स्थ‍िति में उस क्षेत्र के लोगों को घरों से निकलने की अनुमति नहीं होती है। उन्हें सिर्फ दवा या अनाज जैसी जरूरी चीजों के लिए बाहर आने की इजाजत मिलती है। लेनदेन के लिए आप बैंक से पैसा निकालने के लिए भी जा सकते हैं।
क्यों लागू होता है लॉक डाउन?
किसी सोसायटी या शहर में रहने वाले वहां के स्थानीय लोगों को स्वास्थ्य या अन्य जोख‍िम से बचाव के लिए इसे लागू किया जाता है. इन दिनों कोरोना संक्रमण के मद्देनजर कई देशों में इसे अपनाया जा रहा है लॉक डाऊन सरकार द्वारा जनता की सुरक्षा के लिये होता । कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिये यह जरुरी है लांकडाऊन से लाभ ही होगा लोगों को बचाया जा सकता है कोरोना से , कोरोना लोगों के सम्पर्क में आने से होता है लाँक डाऊन कोरोना की श्रृंखला को तोड़ेगा , और १२ से १४ घंटें में वहीं दम तोड़ देगा 
कोरोना से बचने का यही विकल्प है । और समस्या का समाधान भी 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई -महाराष्ट्र
भयावह महाविनाशकारी कोरोना वायरस संपूर्ण देशों के लिए ज्वलंत समस्या है। चीन ने इसे कंट्रोल करने के लिए शहरों के साथ-साथ सोसाइटी को भी पूरी तरह लॉक डाउन किया; जिसका लोगों ने सेल्फ केयर मानते हुए तत्परता से पालन भी किया। परिणामस्वरूप वहां यह समस्या समाधान के  रूप में कारगर सिद्ध हुई। जिसे तेजी से कंट्रोल भी कर लिया गया। जबकि इटली, फ्रांस व अन्य देशों में ऐसा नहीं हो पा रहा
          चाहें हम भारतीय हो या कोई और देश के निवासी सरकारें यथासंभव भरपूर समाधान खोज कर पब्लिक के सामने लाती हैं पूरी तरह सोसाइटी को लाॅक डाउन किया जाता है; पर जब जनता सरकारी नियमों को तोड़ती है; इसे मजाक या सहजता में लेती है। लोग इस विषय पर गंभीर नहीं हैं। लोगों में डिसिप्लिन नहीं है; तो यह सब (यानी लॉक डाउन) करना एक कोशिश ही मानी जाएगी।
          सरकारों को चाहिए पूरे के पूरे जिले को कर्फ्यू में तब्दील कर दें ।मात्र खाद्य पदार्थ व दवाइयां जैसी चीजों के लिए कुछ समय वह भी धारा 144 के अंतर्गत खरीदारी के लिए निर्धारित करें। परिवार के सभी व्यक्ति बाहर ना निकलें। एक ही वह भी बहुत जरूरी हो; तभी बाहर जाए। सारे जरूरी कामों को अपने स्तर से प्रतिबंधित करना होगा। कुछ समय के लिए एटीएम भी बंद होने चाहिए। ऑनलाइन शॉपिंग करें । देश के हर नागरिक को लाॅक डाउन का पालन करना चाहिए नहीं तो सरकार को इसके लिए कानूनी कार्यवाही तथा पेनाल्टी की सख्ती भी दिखाना जरूरी है।
      अतः लॉक डाउन के विषय पर सरकार का सख्त से सख्त रवैया रखना और  जनता द्वारा उसका गंभीरता से पालन हो ; तब ही समस्या से समाधान बड़ा हो सकता है। 
- डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
      जी हां लाँक डाऊन ही समस्या का मात्र समाधान है।यह लाँक डाऊन प्रमाण-पत्र है कि 'कोरोना' भेदभाव नहीं करता।इसकी दृष्टि में अमीर-गरीब में कोई अंतर नहीं है।यह राजा और रंक में भेद नहीं करता।उल्लेखनीय यह भी है कि इसकी तराजु   न्यायपालिका की न्यायालयों में लगी तराजु से भी पूर्णतया भिन्न है,जो धनवानों के धन के बल पर बिकती नहीं है।यह रंगभेद और लिंगभेद में भी विश्वास नहीं करता।यह पत्रकारिता के झूठे-सच्चे समाचारों से भी विचलित नहीं होता।भारतीय प्रशासनिक सेवा के अंतर्गत समस्त अधिकारियों की धौंस एवं क्रूरता से भी नहीं घबराता।
      सत्य तो यह भी है कि विश्व के समस्त देशों की सीमाएं और उस पर खड़ी सशक्त सेनाएं भी इसको रोकने में असमर्थ हो चुकी हैं।यह दीमक खाई विधायिका, न्यायपालिका, कार्यपालिका और पत्रकारिता के क्रूरत्म से क्रूरत्म उत्पीड़न से नहीं डरता,बल्कि इसके डर से विधायिका,न्यायपालिका, कार्यपालिका और पत्रकारिता थर-थर कांप रही हैं।
      अर्थाथ यह मानव को मानवता सिखाने के लिए आया है।भेदभाव मिटाने के लिए आया है।परमात्मा की याद दिलाने के लिए आया।यह बुद्धिमता की प्राकृतिक परीक्षा लेने आया है।यह बताना चाहता है कि वह काम क्रोध लोभ मोह और अंहकार का दास नहीं है।इसलिए यह भ्रष्टों की आत्मा को जगाने एवं उनके कालर पकड़ कर उनसे पूछने आया है कि बोलो मुझे समाप्त करने के लिए कितनी घूस लोगे?
      इसलिए जब तक सम्पूर्ण शुद्ध  ईमानदार प्रवृति के राष्ट्रभक्त वैज्ञानिक 'कोरोना' के नाक में नकेल नहीं डाल लेते।तब तक लाँक डाऊण के अंतर्गत एकांतवास के अलावा कोई वैकल्पिक समाधान नहीं है। 
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कोरोना पर लाकडाउन से समस्या से बड़ा सामाधान है ,  यहि एकमात्र हल है । बेहद जरूरी है । लेकिन भारत की जनता इसके प्रति  जानलेवा लापरवाही बरत रही है । कोरोना से खतरा है । इसलिए सामाजिक दूरी लाने के लिए लाकडाउन किया है । यह लड़ाई हम सबको मिल के लड़नी है   ।कोरोना  संक्रमण  से बचने का तरीका है ।घर में रहने पर ही बचाव है । संसद भी अनिश्चित काल के लिए बंद कर दी । 
हम  अंदर घर में रहकर ही सुरक्षित रहेंगे । लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं । बसों लोगों की भीड़ दिख रही है ।
सरकार , दूरदर्शन कोरोना के खिलाफ अपील कर रही है । लाकडाउन राज्यों में लोग बाहर, बाजार , सड़क पर  निकल रहे हैं ।सभी  डाक्टर काम पर हैं । जिससे आप  देश सुरक्षित रहे । भारत के स्वास्थ मंत्रालय के हॉस्पिटलों के पास इस संक्रमण की विकसित देशों जैसी सुविधा , तकनीकी नहीं हैं । लोग शहर से गाँव में नहीं जाएँ । इस तरह सावधानी बरतें । इस संक्रमण से कोई किसी को नहीं बचा पाएगा ।
 हम अभी तक कोरोना के स्टेज 2  पर हैं । हर पर संक्रमण  की चैन टूटेगी । तभी हम बचेंगे । हम सामाजिक संक्रमण पर रोक लगा रहे हैं । तभी हम सुरक्षित हैं ।
लाकडाउन तोड़ने पर 6 महीने की सजा भी मिलेगी । एक लापरवाही से 135 करोड़ लोगों पर भारी पड़ेगा । 
इटली ने लाकडाउन को नहीं माना । अब रोज 10 हजार लोग मर रहे हैं । 
दुकान , दफ्तर , मॉल , स्कूल , बस , मेट्रो आदि बंद हैं ।
पढ़े लिखे लोग बाहर कर्फ्यू  देखने निकल रहे हैं ।भारत में कोरोना के 415 मामले है । 8 लोग मर गए हैं ।
मैं मुम्बई से हूँ ।राज्य  सरकार ने परिस्थिति  को देख  के पूरे महाराष्ट्र में कर्फ्यू लगा दिया । महाराष्ट्र ने अपनी सीमाएँ सील की हैं । राज्य सरकार दृशा निर्देश देने होंगे ।
शासन - प्रशासन दोनों सचेत हैं । देश हित में हम संकल्प ले । संक्रमण को आगे न फैलाने दें । हम इटली की तरह संक्रमण को नहीं फैलाएँ ।इटली को   देख के कोरोना से बचने की  लड़ाई करें । छुआछूत की इस महामारी से बचना है ।यही राष्ट्रीय  धर्म , राष्ट्रीय सेवा है ।
हमारा भारत देश मिसाल बना है । लाकडाउन समय से पहले  किया।  अन्य देशों से  सीख ले के सरकार ने  लॉक डाउन किया है ।  15 दिन लाकडाउन से संक्रमण बच सकता है । हमारे जान - माल को खतरा है ।
दूरदर्शन हमें जागरूक कर रहा है । हम इस बयोलॉजिकल एटमबम से देश को बचाना है ।  हर नागरिक भारत की सेना है । देश को बचाना है ।
भारत के पास इस  नयी बीमारी की दवाई , इंजेक्शन नहीं हैं ।  अगर लॉकडाउन को नहीं माना तो जान हारेगा , देश हारेगा । 
देश को बचाना है । तो लाकडाउन का सम्मान करें  सामाजिक दूरी करें  , घर में अलगाव में रहें । दुनिया के 188 देशों में कोरोना का संक्रमण है । कोरोना के लिए 
डॉक्टर को रिट्रेंड करें । 
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
समस्या से बड़ा समाधान न होकर यह प्रयास मात्र है ।अगर सफलता मिल जाती है ।जाने बचती हैं ।रोग संक्रमण नहीं होते हैं तो इसको समस्या से बड़ा समाधान कहने में कोई संकोच न होगा । एक ओर जहाँ १९२ देश कोरोना से प्रभावित हैं मरने वालों की संख्या लाख की ओर हैं ।चीन में दो तीन दिन मरीज न मिलने के बाद पुनः मिलने लगे हैं ।भारत की केन्द्रीय व राज्य सरकारों को कानून लागू करना ही नहीं करवाना भी होगा ।अन्यथा अभी भी जो लापरवाही की स्थिति है कई लोग वर्ग  गम्भीरता से नहीं ले रहे हैं ।गले न उतरने वाले सदा की तरह तर्क दे रहे हैं वह किये धरे पर पानी फेर देंगे और यह समस्या और विकराल हो जायेगी ।इसलिए आवश्यक है जैसा कि भारत सरकार की आज की गाइड लाइन लोकडाउन सख्ती से लागू होना चाहिए भले बल प्रयोग करना पड जाये ।
- शशांक मिश्र भारती 
शाहजहांपुर - उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस जिस तरह बेहद तेजी से अपना विस्तार कर रहा है उसे रोकने के लिए लॉक डाउन जरूरी है। ताकि लोग एक-दूसरे से मिलने न पाएं। एक दूसरे से दूरी बनाना इस वायरस को रोकने में मददगार बनेगा।इस महामारी को हल्के में लेना,इसे मजाक समझना या फिर ये मान लेना कि"कुछ नहीं होगा"बिल्कुल बेवकूफी और लापरवाही होगी। ऐसा करने से हम खुद तो संकट में आएंगे एवं अन्य लोगों को भी चपेट में ले लेंगे।यह वायरस एक चेन के जरिए फ़ैल रहा है तो बहुत जरूरी है कि लॉक डाउन से इस चेन को रोका जाए। सरकार हमारे लिए चिंतित है, हमारे प्रधानमंत्री एक अभिभावक की तरह हमें समझा रहे हैं, अपनी जान जोखिम में डालकर सफाई कर्मचारी, डाक्टर, नर्सें, अस्पताल का स्टाफ,गार्ड, चौकीदार, पुलिस, सेना इत्यादि सभी हमारे लिए अपनी सेवाएं दे रहे हैं, ऐसे में हर नागरिक का कर्तव्य बनता है कि इस समस्या को और न बढ़ाएं, सहयोग देते हुए घरों में रहें, जागरूक और सावधान रहें ताकि मिल कर इस महामारी को रोका जा सके।लॉक डाउन का स्वागत करें, इसमें सहयोग करें क्योंकि इस समस्या में लॉकडाउन बड़ा समाधान है।
- डॉ सुरिन्दर कौर नीलम
रांची - झारखंड
लॉक डाउन से बड़ा समाधान होगा तो जरूर और संबंधित इसके लिए प्रयास भी कर रहे होंगे। लॉक डाउन से समाधान का तरीका वैसा ही जैसा दिल्ली में प्रदूषण को लेकर एक दिन सम संख्या और एक दिन विषम संख्या के वाहन चलाने का तय किया गया था और इस तरीके से सभी सहमत भी नहीं थे। कोरोना ,आज की सबसे बड़ी मुश्किल है और वर्तमान में सुरक्षा की दृष्टि से लॉक डाउन की अपेक्षा अन्य कोई बड़ा उपाय नहीं है,इसीलिए सभी एकमत हैं। परंतु ऐसा अधिक दिनों तक नहीं किया जा सकता वरना दूसरी स्थितियां और परिस्थितियाँ शुरू होने लगेंगी। क्योंकि हमारे देश का एक तबका इतना लाचार और बेबस है कि वह दैनिक रोजगारी पर निर्भर है। उन्हें मुश्किल हो सकतीं हैं।मांग और पूर्त्ति का सामंजस्य भी गड़बड़ा जायेगा। अतः इस गंभीर समस्या के निदान शीघ्र आवश्यक हैं और पूरे देशवासियों को भी इसके लिए सामूहिक रूप से अपेक्षित सहयोग करना और निभाना होगा।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
यह वायरस के फैलने का दस्तूर आपस में मिलना से बनता है।
लाक डाउन ही एक ऐसा तरीका है जिससे सम्पर्क की स्थिति में एक ठहराव लाया जा सकता है  चूंकि कौन संक्रमित है इसे ही पता करना मुश्किल हो गया है भीड़भाड़ की अवस्था में यह बहुत तेजी से फैलता है । फिलहाल मेडिसिन भी उपलब्ध नहीं है इसलिए लाक डाउन के अलावा दूसरा ‌ कोई विकल्प भी नहीं है। आत्मसंयम  ही एक विकल्प है सरकारी आदेश होने से आत्मसंयम करने में आत्मबल मिला है ।
- डाँ .कुमकुम वेदसेन 
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन को समस्या का एक मात्र समाधान माना जा रहा है । दरसल वायरल डिजीज बहुगुणित होकर फैलती है जिससे बहुत कम समय में ही लोग इसके वाहक बनकर अन्य को भी संक्रमित कर देंगे । कुछ दिनों की सावधानी से यदि खतरा टलता है तो इसे सबको अवश्य पालन करना चाहिए ।
ऐसा अवसर कम मिलता है जब इस तरह का अवकाश हो । रोज कमा कर जीवन यापन करने वाले अवश्य ही बहुत परेशान हो जायेंगे । एक दो दिन तो ठीक है उसके बाद उनके लिए कोई न कोई समाधान सरकार को अवश्य ढूंढना चाहिए । साथ ही जो लोग जिस स्तर पर मदद कर सकते हैं वो भी ऐसे लोगों की मदद अवश्य करें जो भूख से  परेशान हों । रोज कमा कर खाने वालों की चिंता अवश्य करनी चाहिए । कोई भी मदद छोटी नहीं होती । बूंद - बूंद से ही सागर बनता है ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
कोरोना पर लॉक डाउन होना बेहद आवश्यक है क्योंकि हमारे देश की आबादी बहुत बड़ी है और सबसे बड़ी बात है कि कुछ लोग लॉक डाउन को कुछ अलग ही रूप देने मे ही उतारू है पर सकारात्मक पक्ष ये है कि बहुत से लोगों ने इसका समर्थन किया है पर बात यहा परिलक्षित होती है गेहूँ के साथ घुन,,अब तक कि जो भी महामारी से हम गुजरे उसमें हम अधिक्तर जानवरों पानी य्या किसी चीज के सेवन मच्छर इत्यादि से उसका तालुक था पर ये हर वस्तुओं के साथ साथ इसका विषाणु मानव से मानव की  ओर हस्तांतरित हो रही है जिसके लिए यह आवश्यक है कि हमे सफाई का बहुत ही बारीकी से ध्यान देना होगा और सामाजिक दूरी और कार्यक्रमो को आगे बढ़ाना होगा जिसमें ज्यादा से ज्यादा लोग दूर रहे और इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए हम सबको एकजुट होकर प्रशासन का और जो भी हमें दिशा निर्देश दिए जा रहे है उसका कड़ाई से पालन करना होगा, इस विषाणु को हल्के मे न ले क्योंकि हमारी जितनी आबादी है उतनी हमारे पास चिकित्सीय संसाधन उपलब्ध नहीं है इसलिए नियम के पालन के साथ कठोर अनुशासन भी रखना होगा, जिससे इस महामारी की रोकथाम की जा सके इसे लड़ा जा सके और इसको भगाया जा सके।स्वयं सुरक्षित रहे और लोगो को भी सुरक्षित रखे और सामाजिक दूरी की कड़ी बहुत हद तक लॉक डाउन से संभव है और हम सब के इसको अपनाने से ही हम एक स्वस्थ हवा में सांस ले सकेंगे इसलिए लॉक डाउन का पालन करना अति आवश्यक है क्योंकि 
मैं हु तो लोग हैं और लोग हैं तो ये संसार।।
- मंजुला ठाकुर।
भोपाल - मध्यप्रदेश
 समस्या है तो समाधान है ही फिलहाल अभी वर्तमान में समस्या का समाधान नहीं मिल पाया है तो इस समस्या से कुछ तो राहत मिलने के लिए एक उपाय मात्रा लॉक डाउन देख रहा है लॉक डाउन से उम्मीद की जा रही है करोना का जो चैन है वह टूटेगा तो करोना का फैलाव धीरे धीरे कम हो जाएगा ।वर्तमान में फिलहाल यही उपाय श्रेष्ठ माना जा रहा है अतः हमारे पास अभी जो भी उपाय हैं उसका ईमानदारी पूर्वक पालन करना हम सब मानव जाति का सर्व शुभ के लिए अति महत्वपूर्ण है ।अतः अभी हम विश्व के  संपूर्ण मानव जाति को धैर्य और साहस के साथ एकजुट होकर इस कोरोना का सामना करने की आवश्यकता है। तभी यह करो ना से निजात पाया जा सकता है। अभी इसका कोई विशेष मेडिसिन नहीं मिल पाया है तब तक हमें कुछ ना कुछ उपाय  करना चाहिए ताकि  कोरोना वायरस का  प्रसार कम हो सके करोना पर लाँक डाउन समस्या से बड़ा फिलहाल यही समाधान है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
विश्व में ऐसी परिस्थिति कई बार आई है , जब शहरों को लॉक डाउन कर समस्या का समाधान निकला गया है|जैसे अमेरिका में जब ९/११ हुआ था ,तब तीन महीने के लिए लॉक डाउन करके समस्या का निदान किया गया था |
अभी की स्थिति तो भयावह है|पूरा विश्व कोरोना जैसे संक्रामक रोग से ग्रसित है और लॉक डाउन का ही सहारा ले कर संक्रमण से रोक थाम कर रहे हैं|कोविड -१९ जो इतनी तेज़ी से पूरी दुनिया को गिरफ़्त में ले रहा है कि सरकारों को पूरे सिस्टम को सँभालना बेहद मुश्किल व हाँथ से निकलता जा रहा है|इस चुनौतीपूर्ण माहौल में इंसानों की जान बचाना ,संक्रमण होने से रोकने के लिए लॉक डाउन को सख़्ती से लागू करना ही एकमात्र उपाय है |हमें भी इसका सख़्ती से पालन करना चाहिए और इस मुहिम से जुड़कर खुद को और अन्य को सुरक्षित करना चाहिए |
           -  सविता गुप्ता 
           राँची - झारखंड
कोरोना इतनी खतरनाक महामारी के रूप में पूरे विश्व के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है । भारत में जनसंख्या के हिसाब से स्वास्थ्यगत सुविधाओं की बहुत कमी है । इटली की जनसंख्या 6 करोड़ पर स्वास्थ्य सुविधाओं में विश्व में उसका स्थान दूसरे नंबर पर है जबकि भारत की जनसंख्या 133 करोड़ है पर स्वास्थ्य सुविधाओं में उसका स्थान 112 नंबर पर है तो अंदाज लगाया जा सकता है कि भारतीयों को कितनी सावधानी की जरूरत है ।  चीन ने जहाँ कोरोना प्रभावितों के लिए अब तक सर्वाधिक रु 16 बिलियन खर्च किये वहीं कम जनसंख्या वाले इटली ने रु 08 बिलियन खर्च कर दिये जबकि भारत अब तक राजनीति उठा पटक में ही लगा है । जनवरी में पूरे विश्व में इस वायरस ने हाहाकार मचा दिया था तब यदि हम अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ सील कर देते तो स्थिति यहाँ तक न पहुंचती, किन्तु सियासत तो अपने हानि लाभ में लगी थी । जब स्वार्थ के सारे प्रयोजन पूरे हो गए तो अब सरकार जागी है । न हमारे पास कोरोना प्रभावितों को आइसोलेशन में रखने की पर्याप्त व्यवस्था है ,न ही इसकी जांच की समुचित व्यवस्था है और न ही गंभीरता और जिम्मेदारी । हम तो अधूरा लाॅक डाउन करके केवल शंख  घंटा और थाली बजाने पर ही खुश हो रहे हैं  । दुखद और हास्यास्पद स्थिति यह है कि घंटे शंख बजाकर कोरोना को भगाने की मानसिकता विकसित हो गई है । इस महामारी की गंभीरता को मजाक बना दिया गया। कई भारतीयों की अंधभक्ति और अज्ञानता को देख कर तो लगता है लाॅकडाउन नहीं कर्फ्यू द्वारा बलपूर्वक ही लोगों की भीड़ को रोका जा सकेगा। 
- वंदना दुबे
धार - मध्यप्रदेश
कोरोना इस समय वैश्विक महामारी का रूप लेकर सभी देशों के लिए एक बहुत बड़े संकट का रूप धारण कर चुका है। ऐसी परिस्थिति और कोरोना को इस समय बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। दूसरे देशों और अपने देश की स्थिति से हम हर पल परिचित हो रहे हैं और क्या समस्याएँ सामने आ रही हैं यह भी जान रहे हैं। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति का यह दायित्व बन जाता है कि हम स्वयं को, अपने परिवार को बचायें, सरकार द्वारा जो दिशा निर्देश  दिए जा रहे हैं उनका कड़ाई से पालन करें। संयम और नियंत्रण ही हमें कोरोना से संक्रमित होने से बचा सकता है। अतः बाहर कम से कम जायें और केवल तभी जायें जब कोई दवा, अनाज, सब्जी लाना आवश्यक हो।
           अन्यथा वह दिन दूर नहीं होगा जब यह यह कोरोना संकट दूसरे देशों की तरह हमारे देश में भी पैर पसारता चला जायेगा और हम मृत्यु की ओर बढ़ते जीवन को बचा पाने में असमर्थ होंगे।
        अतः कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सरकार द्वारा जनता की सुरक्षा के लिए इस समय लॉक डाउन ही सबसे जरूरी उपाय है ताकि लोग कोरोना से संक्रमित होने से बच सकें। लॉक डाउन का कड़ाई से पालन किया जाना इस समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखण्ड
कोरोना से बचने का एक यही तरीका है । क्योंकि उसकी कोई दवा नहीं है । जिस तरह यह वैश्विक महामारी बन गई है, उस हालात में तो बचाव सबसे जरूरी है। बचाव केवल लॉक डाउन ही है। अगर हम अपने आप को 14 दिन तक दूसरों से अलग रखेंगे तभी अपने परिवार व समाज को सुरक्षित रख सकेंगे। इस महामारी से देश और दुनिया को बचा सकेंगे ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में " कोरोना का फिलहाल सबसे बड़ा समाधान लॉक डाउन ही है । इसे पूरी दुनिया में अपनाया जा रहा है । इससे बड़ा समाधान अभी नहीं आया है ।
                                                       - बीजेन्द्र जैमिनी





Comments

  1. भरपूर शौपिंग करना आज बहुत जरुरी है
    कहर कोरोना का सामने खड़ा, मजबूरी है
    थोड़ा कम पर वाहन का टैंक फुल कलवा लें
    कुकिंग गैस सिलेंडर खाली गर हो , भरवालें
    खासमखास मित्र बाट जोह रहे, मिल कर गले लगालें
    कहर जारी है, कुछ 'इमजेंसी' दवा का डिब्बा भरवालें
    कपड़े-चप्पल-जूते अभी हैं पास- धो-चमकालें
    महामारी को "सरकारी आदेश" मान भाई टालें
    कोरोना कहता करो ना वार, मृत्यु को समझादें

    डॉ. कवि कुमार निर्मल

    ReplyDelete
  2. 👿👹👿👹👿👹👿👹👿👹👿
    कोरोना! कोरोना!! कोरोना!!!
    उचर कर
    त्राहिमाम् - त्राहिमाम् सब चिल्लाते हो!
    फैल रही चहुंदिश तामसिकता को
    तौल नहीं तुम रे मानव पाते हो!!
    कार्निभोरस नहीं तन से पर-
    भक्षण कर विष उगल रहे हो!
    समय अभी भी है बाकि,
    चेत सात्विकता नहीं गह पाते हो!!

    डॉ. कवि कुमार निर्मल
    बेतिया, बिहार
    +917209833141

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

इंसान अपनी परछाईं से क्यों डरता है ?