केरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का क्या महत्व है ?

वर्तमान में कोरोना का प्रमुख इलाज सोशल डिस्टेंसिंग  ही है । जो जनता के सहयोग के बिना सम्भव नहीं है । हम सब को मिलकर सोशल डिस्टेंसिंग के अभियान का सफल बना कर दुनिया को बचाना है । यही " आज की चर्चा " का प्रमाण विषय है । अब आये विचारों को भी देखते हैं : -
आज कोरोना जैसे दानव ने जो सारे विश्व में तांडव मचाया है उसे खत्म करने के लिए ही हमें सामाजिक दूरियां बनानी पड़ रही है वरना हम सभी जानते हैं मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और वह समूह में अथवा अपने परिवार ,मित्र ,अथवा समाज में रहना पसंद करता है किंतु आज की स्थिति इस महामारी से बचने के लिए सभी व्यक्ति को अलग-अलग दूरियां बनाकर रहने को प्रेरित करती है ! कोरोना जैसी महामारी ने सभी को दूर कर दिया है! यह एक ऐसा संक्रमित रोग है जो किसी के छूने से तो होता ही है पास खड़े होने से भी इसका संक्रमण होता है इसलिए 21 दिन लॉक डाउन किया गया है ताकि कोरोना के संक्रमण को फैलने से हम रोक सकें!
कोरोना के संक्रमण से पूरा विश्व हिल गया है इस समय हमें स्वार्थी बन जाना चाहिए !इस स्वार्थ में भी दूसरों के मदद की भावना होती है! हमें अपने परिवार के साथ खुशी के साथ रहना चाहिए ताकि हम संक्रमण से बचें और औरों को भी इस संक्रमण से बचाएं !
वैश्विक महामारी को केवल सामाजिक दूरी रखने से ही हम उसे कंट्रोल कर सकते हैं ! इससे बचने के लिए बार-बार हाथ धोए ,भीड़ में ना जाए ,बीमारी के लक्षण दिखते ही खबर कर स्वयं को आइसोलेट में डाल देना इन नियमों का हमें ईमानदारी के साथ पालन करना चाहिए! 
करोना और मानव के मध्य ही युद्ध नहीं है यह कोरोना और मानवता के बीच युद्ध है! 
अतः अंत में  मैं कहूंगी मानवता का फर्ज निभाते हुए हमें इस संक्रमण से बचने के लिए जो हिदायत दी है इमानदारी से उसका पालन करें स्वयं बचें और औरों को भी जीवनदान दे !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई -महाराष्ट्र
कोरोना सोशल डिस्टेंसिंग से ही खत्म होगा। यह चेन में ही पलता-बढ़ता है। जैसे ही चेन टूटा, वायरस वहीं मर गया । उसके लिए भी 14 दिन का समय चाहिए । अगर 14 दिन अलग-थलग इलाज के साथ रह लें तो कोरोना भाग जाएगा । 
कुछ लोग तो नियम का पालन कर रहे हैं , लेकिन कुछ लोग अस्पताल से भाग जाते हैं। यह खतरनाक है । आप जिसके पास जाएंगे उसे ही कोरोना वाहक बना देंगे। साथ ही आपकी अपनी जान भी नहीं बचाई जा सकेगी । इसलिए हर नियम का अक्षरशः पालन करना जरूरी है ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
कोरोना मैं सोशल डिस्टेंसिंग बनाने का विशेष महत्व है क्योंकि हम सोशल डिस्टेंस इन के द्वारा ही इस वायरस से संक्रमित होने से बच सकते हैं अगर हमें कोरो ना से लड़ाई लड़ने हैं तो जो भी व्यक्ति इससे संक्रमित है उनसे हम दूरी बनाकर रखी जिसे खांसी आती है , एक कपड़ा मुंह पर रखना चाहिए या मार्क्स लगाना चाहिए 
 कम से कम एक डंडा लेकर 6 फीट की दूरी पर ही बैठना चाहिए
 चिकित्सक का सुझाव है कि सोशल डिस्टेंस होने से बच सकते है।
सीताराम सीताराम कहिए
जेहि विधि मोदी राखी वाहि विधि रहिए।
छींक ,खांसी आए तो रुमाल मुख पर रखिए ।
गिलोय आंवला तुलसी का सेवन करिए।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
 सोशल डिस्टेंसिंग को यूँ तो  सामान्यतया एक नकारात्मक व्यवहार में गिना जाता था ,मगर आज कोरोना  के दुष्प्रभाव के चलते सोशल डिस्टेंसिंग एक अति आवश्यक सकारात्मक कदम बन चुका है ।बात कुछ समय की ही तो है, अगर हम शारीरिक रूप से अपने आप को अपने घरों में समेट लेते हैं तो इससे हमारा व  Fहमारे परिवार का तो कल्याण होगा ही साथ में देश का एवं संपूर्ण मानवता का भी भला होगा। मेडिकल स्रोतों के अनुसार कोरोना वैश्विक महामारी की व्यापकता मानव शरीर के एक दूसरे से संपर्क में ही निहित है ,तो कौन नहीं चाहेगा कि हमारा एवं हमारे परिवार का, अपने देश का एवं संपूर्ण मानवता का भला हो। कुछ वक्त के लिए कार्यप्रणाली जरूर थम गई है ,मगर आगे चलकर सब सही हो जाएगा जब हम सब जीवित बचेंगे तो सब संभाल लेंगे। और फिर सोशल डिस्टेंसिंग का मतलब भावनात्मक अलगाव तो कदापि नहीं है, यह तो मात्र सुरक्षा का कवच है ,जिसे ओढ़ना आज की नितांत आवश्यकता बन पड़ी है। अतः सोशल डिस्टेंस बनाकर रखें निरंतर साफ सफाई करें ,दूसरों को भी प्रेरित करते रहें ,जागरूक करते रहे, मगर डराएं  नहीं। सकारात्मक सोच रखते हुए परमेश्वर से प्रार्थना करते रहे। अंततः यही सत्य है कि विश्व विजेता सिकंदर भी भारत में ही हारा था ,तो फिर कोरोना का भी वही हश्र होना निश्चित है ।सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामयः।
 - सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
वर्तमान में विश्व में कोरोना एक भयावह स्थिति ले चुका है। कोरोना के चलते अब सम्पर्क विश्व मे एक ही बात कही जा रही है कि आप सोशल डिस्टेन्सिग अर्थात् सामाजिक दूरी बनाये रखें क्योंकि फ़िलहाल केवल एक ये ही विकल्प हमे दिखाई दे रहा है ।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना एक संक्रामक बीमारी है जो एक दूसरे के सम्पर्क में आने मात्र से फ़ैल जाती है। यदि हम लोगों से मिलेंगे नहीं, साथ ही कोई आवाजाही नहीं करेंगे, एक दूसरे के सम्पर्क में नहीं आयेंगे तो निश्चित रुप से इसके प्रसार से मुक्ति पा सकते हैं। 
इस सम्बन्ध में जिसने सोशल डिस्टेन्सिग का पालन नहीं किया उसे बहुत कठिनाईयो का सामना करना पड़ा जिसका जीता जागता उदाहरण अमेरिका हम सभी के सम्मुख है।
अमेरिका यदि सोशल डिस्टेन्सिग का पालन करता तो इतनी भयावह स्थिति का सामना उसे नहीं करना पड़ता। 
एक बात ओर हमे ध्यान रखनी है कि यदि हमे किसी भी महत्वपूर्ण कार्य से घर से बाहर निकलना पड़े तो जहाँ भी जाये, वहां अन्य व्यक्तियों से कम से कम 1 मीटर की दूरी पर रहे क्योंकि ये ही सोशल डिस्टेन्सिग है।
आपस में दूर दूर रहकर कार्य करना ओर सम्भव हो सके तो फ़िलहाल कुछ दिनों तक समाज से दूरी बना लेना।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस उददेश्य हेतु ये लॉकडाउन कार्यक्रम प्रारंभ किया था जिसका मुख्य उद्देश्य ही सोशल डिस्टेन्सिग अपनाना है। अतः आपसे मेरा पुनः विन्रम निवेदन है कि आप भी सोशल डिस्टेन्सिग का पालन करें और दूसरों को भी इसके पालन के लिए जागरूक करे।
हमारी जागरूकता ही हमारा बचाव है जिसे हम सभी मिलकर ला सकते हैं।
- विभोर अग्रवाल 
 बिजनोर -उत्तर प्रदेश
बचाव में ही सुरक्षा है। इस समय,कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिंग ही है। इसीलिए देश में लॉकडाउन किया गया कि सामाजिक दूरी बनी रहे। ध्यान रहे यह दूरी मात्र शारीरिक या प्रत्यक्ष दूरी है, इसे भावनात्मक या मानसिक दूरी न बनने दें। वैसे भी अब इंसान सोशल मीडिया के युग की आभासी दुनिया में अधिक समय देने लगा है, वास्तविक जीवन से तो दूर है ही। हम बात कर रहे थे सामाजिक दूरी बनाए रखने की ,यह दूरी इसलिए बहुत जरूरी है कि कोरोना छूत की बीमारी बन गया है, मरीजों का इलाज करने वाले चिकित्सक भी इसकी चपेट से नहीं बच पा रहे। इसलिए सिर्फ और सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग को अपनाकर ही इससे बचाव संभव है।हम सब अपने घरों में रहकर कोरोना की रोकथाम में अपना योगदान दें।
- डॉ अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
  भारत सहित दुनिया के लगभग 199   देश कोरोना वायरस(covid-19) के संक्रमण की समस्या से जूझ रहे हैं ।कुछ देशों में स्थिति खतरनाक दौर में पहुँच चुकी है ।इस संक्रमण से बचाव के लिए फिलहाल कोई बैक्सीन या दवा सफल रूप में सामने नहीं आ पायी है ।इसका कारगर उपाय केवल और केवल सोशल डिस्टेंसिग अर्थात् 'एक दूसरे से सामाजिक तौर पर दूरी बनाकर रखना' है ।यह वायरस स्पर्श से फैलता है और अगर एक दूसरे के संपर्क व स्पर्श से वचने का प्रयास किया जाएगा तो यह वायरस स्वतः समाप्त हो जाएगा । हमारे देश में बहुत से लोग इस संक्रमण की भयावहता अभी भी समझ पाने में असमर्थ रहे हैं और धार्मिक स्थलों या खरीददारी के समय सोशल डिस्टेंसिग नहीं रख रहे हैं, ऐसे लोगों को बिगूचन या बिचहुत की स्थिति से शीघ्र बाहर लाना बहुत आवश्यक है । वर्तमान परिस्थितियों में कोरोना के संक्रमण से वचने का एक मात्र हल सोशल डिस्टेंसिग तथा साफ-सफाई ही है।
    - डॉ अरविंद श्रीवास्तव
 दतिया - मध्यप्रदेश
जैसा कि हम जानते हैं कि सारा विश्व इस समय कोरोना वायरस की चपेट में है|तथा इसके दुष्प्रभाव के कारण महामारी से जूझ रहा है|यह एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज आसानी से संभव नहीं है क्योंकि इस बीमारी के उपचार हेतु विश्व में अभी तक कोई ऐसी कारगर दवा नहीं बन पाई है जो शीघ्रातिशीघ्र इस बीमारी से निजात दिला सके|विश्व भर के डाँक्टरों के शोध के अनुसार यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति से संपर्क करने से फैल रही है|अत; इस बीमारी की श्रंखला /चैन को तोड़ना बहुत आवश्यक है और चैन को तोड़ने का केवल एक ही उपाय है और वह है सोशल डिस्टेंसिंग, सामाजिक दूरी ,वर्तमान में इस उपाय से ही इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है सामान्यतया  जब हम  भीड़भाड़ वाले इलाके में किसी काम से जाते हैं तो हमें यह पता नहीं होता है कि कौन सा व्यक्ति इस बीमारी से संक्रमित हो चुका है शायद यह बात उस संक्रमित व्यक्ति को भी पता नहीं होती है क्योंकि इस बीमारी के लक्षण तत्काल किसी भी व्यक्ति में प्रकट नहीं होते हैं अतः कोई भी इस बीमारी को  आसानी से नहीं पहचान पाता  है |केवल और केवल सोशल डिस्टेंसिंग के आसान उपाय से ही  हम स्वयं और अपने परिवार को इस बीमारी से बचा सकते हैं अत बिना कुछ ज्यादा सोचे  बेचारे ही तत्काल इस पर अमल शुरू किया जाना अति  आवश्यक है तथा केवल सोशल डिस्टेंसिंग ही नहीं बल्कि परिवार के लोगों में आपस में भी दूरी बनाए रखना आवश्यक है 
अतः यह बात पूर्णत: प्रमाणिक व स्वयं सिद्ध हो चुकी है 
" कोरोना को यदि  चाहते हैं हराना 
 सोशल डिस्टेंस जरूरी है बनाना"
- रवि भूषण खरे 
दतिया - मध्यप्रदेश
करोना  के चलते सोशल डिस्ट्रेसिंग का क्या महत्व है?
 कोई भी भयंकर जानलेवा समस्या या मनुष्य को जिंदगी जीने के लिए कोई भी समस्या आती है तो उस समस्या से निजात पाने के लिए सोशल डिस्टेसिंग  जैसे ब्रह्मास्त्र का  पालन कर समस्या से निजात पाया जा सकता है वर्तमान में कोरोनावायरस पूरे विश्व मे  तांडव मचा रखा है इससे निजात पाने के लिए नियम बनाया गया है इस नियम को सामूहिक रूप से कडाई एवं ईमानदारी के साथ पालन करना है यही सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व है ।कोई भी नियम तभी बनाए जाते हैं जब मामला गंभीर होने वाली है इस गंभीरता को रोकने के  नियम  का पालन करना होता है । उसका सब मिलकर  सामना करें धैर्यता  के साथ। नियम समस्या के समाधान के लिए बनाई जाती है ना कि समस्या पैदा करने के लिए अतः हम सब मानव जाति मे समस्या पैदा ना हो और ना हम समस्या पैदा करें ,बल्कि कैसी जल्दी से जल्दी इस समस्या से मुक्ति मिल जाए इसके बारे में हर पल हर  क्षण विचार करते हुए अपने दायरे क्षेत्र में रहे।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
सोशल डिसँटेस आज कैरोना से मुकाबला करने के लिए ब्रम्हास्त्र है।स्वयं तो स्वय़ं हमेः दूसरों को भी इसी ब्रह्मास्त्र काप्रयोग करने के लिए प्रदेश रिय करना चाहिए। सूक्ष्म जीवाश्म कोरोना वायरस से ग्रस्त व्यक्ति के खा़ँसने की क्रिया से भी हम स़क्रमित है सकते हैं ,स्पर्श की तो बात खतरनाक है ही  ओर संक्रमण की गति सौगुनी होकर  वह अपने वृहतर क्षेत्र को अपने कब्जे में कर लेता है।
 क्यों हम केवल भुक्तभोगी बनकर ही कुछ समझना चाहते हैं? 
देख - सुनकर तो.बिलकुल नहीं।
 दूरी बनाए रखें। खुद के साथ औरो़ं को भी बचाएं।
  -  डा. चंद्रा सायता  
इंदौर - मध्यप्रदेश
कोरोना के चलते सोशल डिस्टेन्सिग बहुत महत्वपूर्ण है । क्योंकि कोरोना रिसर्च वैज्ञानिकों  के अनुसार यह वायरस सम्पर्क में आने से ही फैलता है । कोरोना संक्रमित के खाँसने, छींकने से साँस के ज़रिये नाक और मुँह से निकलने वाले ड्रापलेट लगभग १-२ मीटर की दूरी तक बिखरते हैं (जिनमें  कुछ मिनटों से लेकर कुछ दिन बाद तक वायरस जीवित रह सकता है ) और ये ड्रापलेट सूखने तक हवा अथवा किसी सतह पर चिपक जाते हैं तथा जब कोई व्यक्ति इनके सम्पर्क में आता है तो हाथों के माध्यम से संक्रमण होने की संभावना बहुत सीमा तक बढ़ जाती है इसलिए ऐसी स्थिति में अगर आपसी डिस्टेसिंग को बढ़ाया जाएगा तो निश्चित तौर पर यह संक्रमण फैलने से रूक जाएगा ।
    सोशल डिस्टेसिंग को न बनाने का दुष्प्रभाव इटली स्पेन और अमेरिका के बीच फैली महामारी के भयावह परिणामों से समझ सकते है और ठीक इसके विपरीत सोशल डिस्टेसिंग के द्वारा कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए चीन द्वारा उठाए गए कड़े कदमों से सीख सकते हैं । चीन और भारत में जनसंख्या के आधार पर बहुत अन्तर नही है वायरस के संक्रमण की प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए इन देशों में जनसंख्या घनत्व अधिक होने के कारण सोशल डिस्टेसिंग के अलावा और कोई उचित विकल्प नही है । 
   जिन देशों में उन्नत चिकित्सा सुविधा होते हुए भी महामारी को रोकने में परेशानी हो रही है ऐसी स्थिति में हमारा देश बहुत पीछे है चिकित्सा व्यवस्था के नाम पर न तो अस्पतालों की ठीक स्थिति है और न चिकित्सकों की पर्याप्त संख्या, वैक्सीन रिसर्च सेंटर भी उस लेवल के नही है        ख़ास बात यह है कि संसाधनों की कमी के कारण जिस प्रकार एक कुशल गृहणी के घर में पात्रों की संख्या कम होने और मेहमानों की संख्या अधिक होने पर सेवा करने में असमर्थता ज़ाहिर करती है ठीक ऐसा ही हमारे देश के चिकित्सा विभाग की हालत है । सुविधा के अभाव में होने वाली परेशानियों से बचने के लिए सोशल डिस्टेन्सिग ही एक मात्र उपाय है । अपनी व अपने प्रियजनों, समाज की सुरक्षा में समस्त भारतवासियों को सोशल डिस्टेन्सिग का पालन ज़रूर करना चाहिए ।
-डॉ भूपेन्द्र कुमार 
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
जीवन रक्ष की इस जंग को सामूहिक रूप से मिलकर लड़ने की जरुरत है । 
हम हमेशा से पढ़ते-सुनते आए हैं कि व्यक्ति को हर प्रतिकूल परिस्थिति का सामना धर्य के साथ सकारात्मक सोच अपनाते हुये करना चाहिए. आज की परिस्थितियों में यह फॉर्मूला अत्यंत प्रभावी है.
घर से बाहर कहीं आना-जाना नहीं. ऐसे में ऐसे में घर के लोग बर्तनों कि तरह जब-तब टकराने लगते हैं. कहाँ तो कि हर परिवार इस गंभीर समस्या से जूझ रहा है. ऐसे में क्यों न इस क्वान्टिटी टाइम को क्वालिटी टाइम बनाने की कोशिश की जाये.
क्या करें
सुबह जल्दी उठने की जल्दबाज़ी न करें और अपने तन-मन को आराम दें.
घर के सभी सदस्य एक साथ योगा-कसरत, मेडिटेशन आदि करें.
साफ-सफाई आदि का कोई काम पेंडिंग हो तो सब मिलकर उसे निपटाये.
पति एवं बच्चों से अधिकारपूर्वक रसोई में मदद करने के लिए कहें. मिलकर बनाएँ… मिलकर खाएं…
लूडो, कैरम, शतरंज जैसे इनडोर गेम खेलें. घर में उपलब्ध नहीं हों तो इंटरनेट का सहारा लिया जा सकता है.
कॉमेडी मूवी देखें ताकि मानसिक तनाव कम हो.
दोस्तों, सहेलियों, रिशतेदारों से विडियो कॉलिंग के जरिये संपर्क बनाए रखें.
विडियो चैट के माध्यम से ऑनलाइन अंत्याक्षरी खेली जा सकती है.
खुली छत हो तो सुबह या शाम के समय टहलें. प्रकृति और पक्षियों की चहचहाट सकारात्मकता बढ़ाती है.
यदि कोई बुजुर्ग घर में है तो उनके अनुभवों का लाभ उठाएँ. छोटा बच्चा तो स्वयं ही पूरे घर का मनोरंजन करने में सक्षम है. उसकी बाल सुलभ क्रियाओं का आनंद लें.
पूरे दिन में परिवार का हर सदस्य घंटा-दो घंटा अवश्य ही किसी रचनात्मक कार्य में लगाए. इससे भी सकारात्मकता बढ़ती है.
जो शौक घर की चारदीवारी में पूरे किए जा सकते हैं उन्हें करें. सिलाई-बुनाई… कुकिंग-बेकिंग… पढ़ना-लिखना… ड्राइंग-पेंटिंग… गीत-गजल सुनना इसमें शामिल हैं.
क्या ना करें
परिवार का कोई सदस्य यदि देर तक सोना चाहता है तो उस पर जल्दी उठने का दबाव बनाकर उसका मूड खराब न करें.
हर समय टीवी पर ना चिपके रहें. यह भी तनाव बढ़ाता है.
अपने खाली दिमाग को शैतान का घर न बनने दें. न अफवाहों पर ध्यान दें और ना ही उन्हें फैलाने में सहायक बनें.
बच्चे यदि अपने दोस्तों के साथ ग्रुप चैट कर रहे हैं तो उन्हें रोकटोक कर घर में अनावश्यक तनाव न बढ़ाएँ बल्कि खुश हों कि कम से कम वे व्यस्त तो हैं.
घरेलू काम को लेकर चिकचिक ना करें क्योंकि किसी को भी देर नहीं हो रही है.
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ऊपर दी गई क्या करें और क्या ना करें की सूची देखकर ही लग रहा है कि यहाँ करने वाले कार्यों की सूची न करने वाले कार्यों से कहीं अधिक लंबी है. इसलिए अब यदि हमें क्वान्टिटी टाइम मिला है तो इसे क्वालिटी टाइम में बदल कर  इसका सदुपयोग करें. खुद भी खुश रहें और अन्य सदस्यों की खुशी में भी भागीदार बनें.
-डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
        शोसल डिसटेंसिंग यानि सामाजिक दूरी| पश्चिम शोसल डिसटेंसिंग का आदि है| पूर्व को मजबूरन शोसल डिसटेंसिंग अपनाना पड़ रहा है| परिवर्तन प्रकृति की सतत प्रक्रिया है| हर बड़ी घटना-दुर्घटना अपना प्रभाव-दुष्प्रभाव, परिणाम-दुष्परिणाम छोड़ जाती है| 
    कौरोना वायरस द्वारा उत्पीड़न व जान-माल की हानि भी इक्कीसवीं शदी की विश्वव्यापि
कुख्यात आपदा के तौर पर जानी जाएगी| इस महामारी से उबरने के बाद पूरे विश्व में लोगों के सोचने व तौर तरीकों में बदलाव अपेक्षित है| 
     शोसल डिसटेंसिंग आपातकाल तक तो ठीक है| इसका आदतों में शामिल होना सही नहीं है| वरना समाज का ताना-बाना बुरी तरह उलझ जाएगा| शोसल डिसटेंसिंग भारतीय परिवेश में फिट बैठने वाली नहीं है| यहाँ संयुक्त परिवार, संयुक्त समाज की सराहनीय परम्परा रही है| शोसल डिसटेंसिंग उस परम्परा को न निगल जाए| 
    शोसल डिसटेंसिंग महामारी के उन्मूलन तक ही उचित है| मैं कामना करता हूँ, भारत का अंतिम पायदान तक का व्यक्ति स्वस्थ रहे, खुशहाल रहे, आबाद रहे| भारत शिघ्रातिशिघ्र कोरोना वायरस को समूल नष्ट करने का उपचार ढूंढने में कामयाब हो|
-विनोद सिल्ला
टोहाना - हरियाणा
कोरोना एक संक्रमित रोग है । जो लोग संक्रमित के पास आएगे वही भी संक्रमित हो जाएगे। इसलिए इसको रोकने के लिए,इसकी कड़ी तोड़ना पड़ेगी । इसलिए जैविनी सहाव आप भी धन्यवाद के पात्र है । आप यह मंच के द्वारा  जनता को जागरूक कर रहे है।
- बालकृष्ण पचौरी
भिण्ड - मध्यप्रदेश
कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिंग का ही सबसे अधिक महत्व है। कुछ लोग अभी भी लापरवाह बने हुए हैं और पूरी तरह इसका पालन नहीं कर रहे हैं। यही करके हम कोरोना के संक्रमण से बच सकते हैं। यह पहली ऐसी लड़ाई है जिसे सामूहिक रूप से सब अपने घरों में रह कर लड़ रहे हैं। इस समय हम सभी योद्धा हैं और इस युद्ध को घर में रह कर लड़ना है।
         क्या करना है और क्या नहीं करना है इसे हम समाचारपत्रों में रोज पढ़ रहे हैं, टेलीविजन में समाचारों में सुन रहे हैं। आवश्यकता अभी इस बात की सबसे अधिक है कि हम अपनी पूरी निष्ठा से प्रधानमंत्री जी द्वारा घोषित लॉक डाउन का पालन करें। गले न मिले, हाथ न मिलायें, बात करते समय दूरी रखें, घर, अपने को, अपने पाले जानवरों को सैनिटाइज करते रहें, बाहर से आने पर और बीच-बीच में भी हाथ धोते रहें।
        अपने जीवन की सुरक्षा करके ही हम दूसरों का जीवन सुरक्षित कर सकते हैं। मानव के लिए हर मानव को मानवता के धर्म का पालन करते हुए सोशल डिस्टेंसिंग को इस लॉक डाउन के समय में पूरी तरह अपना कर देश सेवा में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
    अतः घर में रहें, सुरक्षित रहें, अपनी जिम्मेदारी निभायें।
-डा० भारती वर्मा बौड़ाई
    देहरादून - उत्तराखंड
कोरोना वायरस चीन द्वारा चलाया गया जैविक हथियार है।इससे सम्पूर्ण विश्व परेशान है।सभी देशों में मौत का तांडव हो रहा है।विश्व आर्थिक तंगी जैसी समस्या उत्पन्न हो गयी है।इस समस्या के निवारण का एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंस हैं। एक-दूसरे से दूर रहकर संयमित रहने मे ही हम सबकी भलाई है।घर में रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे।ऐसा करके हम परिवार, समाज,राष्ट्र हित कार्य कर सकते हैं।घर पर रहकर साहित्यिक चर्चा, बच्चों की  पढाई, संस्कार ,धर्म इत्यादि की चर्चा कर आने कल को सुनहरा बनाने की योजना बनाए। हमें विश्वास है कि कुछ दिन सोशल डिस्टेंस अपनाकर कोरोना वायरस को हराने में अवश्य कामयाबी मिलेगी।मन में है विश्वास ,पूरा है विश्वास।हम होंगें कामयाब एक दिन।
             -  रीतु देवी
     दरभंगा - बिहार
सारा विश्व कोरोना महामारी से ग्रस्त है । आज तारीख 30/ 3 /2020 में  भारत में 1071 कोरोना के मरीज हैं ।  सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए फोन से  मेडिकल सहायता के लिए पुलिस ने ऑन लाइन सुविधा दे रही है । जिससे लाकडाउन सफल हो । पूरे मेडिकल स्टाफ हमारी रक्षा में लगा  है ।
पुलिस , सामाजिक संगठन के लोग कोरोना वारियर्स बन के आन लाइन फोन के द्वारा जनता की सेवा कर रही  है । अन्नदाता आंदोलन के द्वारा भूखे , गरीबों को राष्ट्र धर्म मान के लोग भोजन से  धन से सेवा  दान कर रहे हैं । 
मानवता के लिए इस संकट की घड़ी में हर नागरिक तन मन धन से  सेवा कर सकता है ।
अभी भारत कोरोना के  2 स्टेज पर है । सामाजिक दूरी
भारत ने अन्य देशों से सबक ले के समय पर ही सोशल डिस्टेंसिंग  भारत में लॉकडाउन से की है । जिससे वायरस की रोकथाम हुई है ।  भौगोलिक सीमाओं से पार भी जी 20 के द्वारा हमारे प्रधानमंत्री ने सब देशों को एक साथ मिलकर के वैश्विक समस्या का समाधान संगठित होके करना होगा । 
  सरकार के साथ सरकारी मेडिकल सुविधा सजगता बरत रही है ।सबसे भयानक महामारी है । कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं । लाकडाउन का लक्ष्य सामाजिक दूरी रखना है । तभी वायरस की चैन टूटेगी ।
वंचित , गरीब , दिहाड़ी मजदूरों ने पलायन करके लाकडाउन को तोड़ा है । सरकार ने हालात काबू में किये हैं । देश में होटलों को क्वारंण्टाइन के लिए व्यवस्था की है ।  दिल्ली पुलिस ने आवश्यक चीजों के , डाक्टर से मिलने के लिए 30 हजार ई - पास भी लोगों को दिए हैं ।
 अस्पताल में कोविड -19 की बराबरी जाँच हो रही हैं।
वहाँ स्थिति सामान्य है । सभी डाक्टर आत्म सुरक्षा के किट पहने हुए हैं । सब मेडिकल स्टाफ भी सामाजिक दूरी बनाके रहते हैं ।  भारत के लोग जागरूक हुए हैं । वे घर में अलगाव में सामाजिक दूरी  पर रह रहे हैं ।
   आज लाकडाउन का 6 दिन है ।नवरात्रे का भी 6 दिन है । रक्तबीज राक्षस को जब माँ दुर्गा मारती थी । फ़िर वह    असंख्य बनके जिंदा हो जाता था । यही दशा कोरोना के वायरस की है । देवी मैया सभी की रक्षा करेगी ।
बरेली के मजदुरों  पर  आज कीटनाशक   का स्प्रे किया है
 ।  यह घटना शर्मसार करती है । अच्छा होता उन को साबुन के पानी , सेनिटाइजर का स्प्रे कराते । लाकडाउन पर कुछ गद्दार अफवाह उड़ा रहे हैं । गरीब वर्ग को भड़का के भीड़ इकट्ठी करने में लगे  हैं ।
 एक भी व्यक्ति की लापरवाही से कोरोना के भंयकर परिणाम मिलेंगे । सारे भारत के बॉर्डर सील किये हैं  इसलिए लाकडाउन से  सामाजिक दूरी का महत्त्व बढ़ जाता है ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
मनुष्य एक समाजिक प्राणी है ।समाज को एक कर के ही दुनिया का निर्माण हुआ है ।हम सभी एक दूसरे के पूरक हैं ।रोगी को डाक्टर की जरुरत होती है और डा०को जीवन यापन के लिए धनराशी की ,दुकान दार ,आफिस का कर्मचारी ,खिलाड़ी ,करीगर सभी एक दूसरे रे पूरक बनकर धनराशी पाते हैं ।इस वजह से हमसभी संपर्क में रहते हैं ।कोरोना वायरस संपर्क में आने से बड़ी तेजी से बढ़ता है । इसको समाप्त करने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग ही कारगर उपाय है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
समाजिक दूरी  ही कोरोना की समस्या से निजात पाने का विश्वसनीय तरीका है । संक्रमण छुने सटने से बढ़ता और फैलता है।
सिर्फ व्यक्ति के छूने से नहीं बल्कि संक्रमित व्यक्ति यदि कुछ छू ले और उस वस्तु को दूसरा व्यक्ति छू लेता है तो वह  संक्रमित हो जाता है। इसलिए दूरी व्यक्ति के साथ-साथ वस्तु से भी बनानी है । यही कारण है कि lockdown  होने से समाजिक दूरी स्वभाविक तौर पर बन जाएगी।
यह सोशल डिसटेनशी परिवार समाज एवम् देश को सुरक्षित और संरक्षित के लिए नितांत आवश्यक है
- डाँ . कुमकुम वेदसेन 
मुम्बई - महाराष्ट्र
सोशल डिस्टेंसिग अर्थात समाजिक दूरी बनाना ताकि किसी भी मनुष्य को किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से रोका जा सके जिससे कि संक्रमण कम हो सके।
आज विस्व में कोरोना का कहर चारो ओर छाया हुआ है किसी को भी नही पता कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक कैसे फैल जा रहा लेकिन जब जांच किया गया तो पता चला कि यह एक ऐसा संक्रमण है जो छुआ छूत से फैल रहा है तब लोगो ने एक दूसरे से दूरी बनाना आवश्यक समझा और सामाजिक दूरी को महत्व दिया। 
 कोरोना से प्रभावित लोगों की संख्या बढ़ती ही जा रही है इस खतरे को मद्देनजर रखते हुए तमाम देशों जो कोरोना से प्रभावित हैं ने सोशल डिस्टेंसिग को अपनाया ...जहाँ हाथ मिलाया जाता था वहाँ हाथ जोड़कर नमस्ते करना उचित समझा गया 
 यह सामाजिक दूरी का सबसे बड़ा उदाहरण है और तरीका भी  ...ताकि हाथों से फैलने वाले संक्रमण से बचा सके।
अतः विस्व व्यापी महामारी कोरोना से बचने में सोशल डिस्टेंसिग एक रामबाण है और इसीलिए भारत ,चाइना ,आस्ट्रेलियाऔर तमाम देशों ने सामाजिक दूरी लॉकडाउन को लागु किया।
- बिना कुमारी
धनबाद - झारखण्ड
सोशल डिस्टेंसिंग ही एक मात्र उपाय है कोरोना से बचने का । इसी दिशा में सम्पूर्ण लॉक डाउन किया गया ताकि आपस में दूरी बनी रहे और  हम लोग  कारोना वायरस से बच सकें ।
जब भी कोई रोग फैलता है तो रोगी को अलग रखने की सलाह इसीलिए दी जाती है कि उसके दुष्प्रभाव से अन्य लोग बच सकें । सब के समवेत प्रयास व जागरुकता से जल्द ही इसके चक्र को तोड़ कर हम इस संकट से उभर का सुख की साँस लेंगे । 
अभी भी कुछ घटनाओं से ऐसा लगा कि स्थिति हाथ से निकली जा रही है पर जल्द ही  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी की सूझबूझ व प्रशासन की सक्रियता से पुनः सब कुछ संभल गया  । जो जहाँ है उसे वहीं रोककर भोजन पानी व आवास की व्यवस्था की गयी । नए - नए आइसोलेशन सेंटर बनें जिससे सोशल डिस्टेंसिंग बनी रह सके ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश


" मेरी दृष्टि में " लॉक डाउन का उद्देश्य सोशल डिस्टेंसिंग ही है । कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिंग ही बहुत ही कारगर उपाय है । जिसके बिना कोरोना से बचना असम्भव है । 
                                                          - बीजेन्द्र जैमिनी




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