क्या उम्र के साथ अनुभव अपने आप में सबसे बड़ा सबक है ?
जैसे - जैसे उम्र बढते है तो कुछ अनुभव जीवन का सबक बन जाते है । जो अच्छे भी हो सकते है बुरे भी ....। पर , जो भी हो अनमोल सबक होते हैं । उन को किसी भी किताब में देखा या पढ़ा नहीं जा सकता है और ना ही किसी डिग्री या कोर्स का हिस्सा होते हैं । फिर भी जीवन का सबसे बड़ा सबक होते हैं । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को भी देखते हैं : -
अनुभव, जीवन का कुशल मार्गदर्शक होता है । यह खुद के लिए तो प्रेरक होता ही है, यदि इसे किसी भी रूप में उपयोग में लिए जा सकता हो तो औरों के लिए भी महत्वपूर्ण बन सकता है। इसलिए महापुरुषों के जीवन, उनके कथन, अनमोल वचन के रूप में आज भी प्रासंगिक हैं। आज भी जरूरत के समय बुजुर्गों की राय ,उनके सुझावों को प्राथमिकता दी जाती है। इसका आधार उनकी उम्र और इस वजह से उनका अनुभव ही होता है। हमारा जीवन अनिश्चितताओं से भरा है। कब, क्या हो जाये कह नहीं सकते। इसके अलावा जटिलताएं भी हैं। जिनसे उबरने के लिए हमें सूझबूझ से निर्णय लेने होते हैं। गलत निर्णय हमें नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए हम सदैव हर महत्वपूर्ण निर्णय लेने के पूर्व अपने हितैषियों से विमर्श करने में समझदारी दिखलाते हैं। आज हमारे द्वारा लिए जाने वाले निर्णय से निकले परिणाम कल औरों के लिए मार्गदर्शन का काम करेंगे। हम ज्यों- ज्यों बड़े होंगे, हमारे रोज के जीवन के संघर्ष में आयीं समस्याओं, बाधाओं के अवसर पर किया गया सामना, अपनाये गये तरीके और उनसे पायी सफलता या असफलता में रहीं कमियों, खामियों और खूबियोंऊ का वर्णन ही हमारे अनुभव होते हैं जिनके आधार पर हम अपने और अपनों के भविष्य में आ सकने वाली संभावित समस्याओं के बचाव एवं निजात के लिए सजग और सावधान कर लेते हैं। इस तैयारी में जो छूट जाता है, जो विशेष होता है वह सबक बन जाता है ... और इस तरह से यह क्रम चलता रहता है... चल रहा है... चलता रहेगा... अनवरत। यही उम्र के साथ का अनुभव है। महत्वपूर्ण, प्रेरक,अनुकरणीय।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
हां उम्र के साथ ही अनुभव आता है। जब हमारा जीवन गुजरने लगता है बाल काले से हम युवावस्था में जाते हैं तब हमें रोज नए नए अनुभव मिलते हैं और जीवन हमें रोज एक नया ज्ञान देती है मनुष्य गीली मिट्टी की तरह रहता है बचपन में वाह यह समाज स्थिति और परिस्थिति के अनुसार यह डालता है प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे तो यह नतीजा भी हम मानव को ही भोगना पड़ेगा जैसा बोलेंगे वैसा ही काटेंगे यह प्रकृति का अटल सच है।
बड़ों की बात माननी चाहिए।
दो मित्रों ने गन्ने कि खेती की फसल तैयार होने पर फसल बाटने की बात चली, भोले मित्र ने कहा तुम बांटो चालक मित्र ने कहा मै जड़ ले लेता हूं तुम ऊपर का भाग लेलो। उसने स्वीकार के लिए। संसार में अधिक भोलापन भी हानिकारक होता है। ऐसे जीवन हमें बहुत सबक सिखाती रहती है बाद में अनुभव के तौर पर निकलती है। कोई कितना भी होष्यार हो अनुभव तो ठोकर खाने के बाद ही मिलता है।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्यप्रदेश
निःसंदेह। अनुभव ही किसी इंसान की सबसे बड़ी पूंजी होती है। अच्छे बुरे की पहचान सही गलत का आकलन भलाई बुराई की समझ सब कुछ तो अनुभव ही से आती है।
हाँ महत्वपूर्ण यह है कि आप अपने अनुभवों से कितना सबक लेते हैं। अनेकानेक अनुभवों के आधार पर कितना सुधार अपने आप में लाते हैं। सच कहें तो मंदिर और श्मशान दोनों ही इंसान के भीतर होते हैं। अच्छे अनुभवों को मन के मंदिर में बसा लें और बुरे अनुभवों को मन के श्मशान में जला दें तो जीवन की राहें सरल सहज सुगम हो सकती हैं। अनुभव से प्राप्त सबक आपके विचारों में निष्पक्षता और मंथन मनन की प्रवृत्ति उत्पन्न करते हैं और स्वभाव में विनम्रता सह्दयता और दूसरों के लिए सम्मान का भाव पैदा करते हैं।
सच है कि डूबती संध्या में सूरज को भी दिए से हारना पड़ता है लेकिन कल की सुबह की उजली किरण उसके भीतर ही विद्यमान है यह आशा सूरज को मलीन नहीं होने देती--उसकी सुंदरता को कम नहीं होने देती उसी तरह जीवन भर के अनुभव जीवन की सांध्य बेला को अधिक प्रभावी अभिनंदनीय और अभिजात्य बनाते हैं। तात्पर्य यही कि अनुभवों की उम्र इंसानियत से भी अधिक होती है और अनुभव की पूंजी ता उम्र साथ देती है। आमीन!!
- हेमलता मिश्र मानवी
नागपुर - महाराष्ट्र
उम्र और अनुभव को हम एक-दूसरे का पूरक और पर्याय भी कह सकते हैं। जीवन की पाठशाला में भी हम अनुभवों की पूँजी एकत्रित करते हैं और बढ़ती उम्र भी हमें अनुभवों से धनवान बनाती चलती है। ये सबक, ये अनुभव धीरे-धीरे हमें परिपक्व बनाते हैं। अपने बड़ों से, विशेष रूप से अपने माता-पिता से प्राप्त अनुभव जीवन यात्रा में बहुत सहायक बनते हैं। हमें पता भी नहीं चलता कि कब उनसे प्राप्त हुए अनुभवों की पूँजी हम अनायास ही सहेजते चले जाते हैं और वे अनुभव ही हमारे मार्गदर्शक, प्रकाश स्तंभ बन जाते हैं। हर नयी पीढ़ी को चाहिए कि वह अपने बड़े-बुजुर्गों से प्राप्त अनुभवों से अपने जीवन में लाभ लेने की आदत बनायें, क्योंकि अनुभव उम्र बढ़ने के साथ-साथ ही मिलते हैं। यह देखने में भी आता है कि जब घर में कोई बीमार होता है तो घर के बड़े के अनुभवी होने के कारण सलाह ली जाती है, किसी काम को करने में उहापोह की स्थिति में भी हम अपने माता-पिता से सलाह लेते हैं। बड़ी उम्र से प्राप्त अनुभव तो सोने-चाँदी से भी अधिक मूल्यवान हैं। जो इस बात को समझता है वह इन्हें सहेज कर अपने अनुभवों की गठरी में मिला कर संभाल लेता है। समय से बड़ा प्रशिक्षक कोई नहीं हैं और अभ्यास उसे पूर्णता देता है। अपने अनुभव से तो सभी सीखते है, दूसरों के अनुभवों से सीखना अधिक बुद्धिमानी है।
- डा० भारती वर्मा बौराई
देहरादून - उत्तराखंड
अनुभव तो उम्र के साथ साथ ही आते है , हम बचपन से ही होने वाली घटनाओं परिस्थितियों से अनुभव कर सिखते है ।
समय हमें बहुत कुँछ अनुभव कराता है ।
बहुत बार ऐसा होता है कि आप कुछ सोच समझ कर करने जाते हो पर बड़े-बुजुर्ग आपको ये कहकर मना कर देते हैं कि उनके पास अनुभव है, उन्होंने दुनिया देखी है। इससे आपको ये लगने लगता है कि आपके लिये हुए निर्णयों में कुछ कमी है और अनुभव ही मायने रखता है। पर ये भी सुना है कि सुनो सबकी पर करो अपने मन की। इन सब बातों से मन बड़ा ही भ्रमित हो जाता है कि करें तो करें क्या। ऐसे में क्या करना चाहिए? दो बातें हैं इसमें। पहली कि ‘अनुभव का क्या महत्व है, अनुभव की क्या कीमत है’? दूसरी कि ‘सुनो सबकी, पर करो अपने मन की’। ये क्या बात है? जो कुछ भी बार-बार होता है, दोहराया जाता है; वहाँ निश्चित रूप से अनुभव का महत्व है। अनुभव का मतलब होता है, समय। और जितने समय तक तुम घिसोगे रस्सी को, पत्थर पर निशान पड़ेगा ही पड़ेगा। यहाँ अनुभव का महत्व है। ‘प्रशिक्षण’ में अनुभव का बड़ा महत्व है। एक ही काम तुम दस हज़ार बार करो तो तुम उसमें बड़े पारंगत हो जाओगे। यहाँ तक अनुभव कीमती है और ये बात हमें माननी ही होगी। किताबों से हम ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं और अनुभव तोजिन्होने ने लम्बी जिंदगी बिताई है अनुभव उनके पास होता अनुभव काम करते करते धीरे धीरे-धीरे आता है । कहाँ जाता है अनुभव हमें बहुत कुछ सिखा जाता है । हमारी उम्र बढ़ने और अनुभव की बात यह है कि अनुभव कभी समय या यात्रा के साथ साथ नहीं आता है।
लेकिन, उन चीजों का अभ्यास करके आता है जो परिणाम में अनुभव देता है। हमें दिखावा करने में विश्वास नहीं करना चाहिए, इसके बजाय हमें सच्चा अनुभव प्राप्त करना चाहिए जिसमें परिपक्वता निहित है। जब हम कोई कार्य करते है उसको करने में क्या क्या परेशानी , अड़चनें आई कैसे किया कैसे सफल हुये यह है हमारा अनुभव , दूसरी बात करने में आसानी होगी क्यो की बहुत सी बातें हमने पहले के अनुभव से सिख लि है । उम्र के साथ साथ अनुभव आते है समझ आती है हमने कई लोगों को सुना है “ये बाल धूप में यू ही सँफेद नहीं किये “ इसका मतलब वह कह रहे है बेटा मैं तुमने अधिक दुनियाँ देख चुका हूँ मेरा अनुभव तुमसे ज़्यादा है ।
जो जितना काम करेगा उसे उतने अनुभव होंगे , कुँछ करेंगे नहीं तोअनुभव कहाँ से लाओगे ।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
जैसे जैसे उम्र और जिम्मेदारी बढती जाती है ,वैसे वैसे अनुभव भी बढते जाता है।अनुभवी व्यक्ति ही जीवन मे सफलता की ओर बढता है।सफल व्यक्ति ही जिन्दगी मे सुकुन के साथ जीता है।अतः कहा जा सकता है कि उम्र के साथ अनुभव अपने आप मे सबसे बडा सबक है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
जीवन की पाठशाला में बचपन से ही नित्य नयी बात ,शिक्षा , हम सीखते हैं । ये अनुभव , सीख हमारे जीवन को निखारते हैं । अनुभव मेरे लिए उत्सव , दर्शन , साहित्य के समान होते हैं । प्रकृति हमें दिव्य संदेश परहित में जीवन जीने का संदेश देती है । मैंने उम्र के साथ जितने अनुभव प्राप्त किये , समाज , दोस्तों , जो मेरे संपर्क में शख्शियत आयीं । उन सबसे सबक सीखा और इन्हीं अनुभवों को मैंने अपनी कृतियों , पत्रिकाओं कहानियो , कविता , निबंध , आलेखों के में गूँथा । जिसने मुझे व्यष्टि से समिष्ट बनाया ।जीवन यथार्थ में पारस्परिक संबंधों को बोध है । जिसमें हमें खट्टे , मीठे अनुभव चिंतन , विचारधाराएँ देखने को मिलते हैं । अनुभव हमारे मित्र बन हमारा साथ निभाते हैं और गलत रास्ते पर जाने से रोकते हैं । हम अपने भीतर - बाहर के घटकों से अनुभव लेते हैं । अपने आप में कोई इंसान संपूर्ण नहीं होता है । मानव है तो गलतियाँ करते हैं । गलती जीवन को सीख देती है ।
मेरा कुछ वर्ष पहले एक टैक्सी से दर्घटना हो गयी थी । मेरी कूल्हे की हड्डी टूट गयी थी । मैं खड़ी नहीं हो सकती थी । मैं डाक्टर , पति , अपनी डॉक्टर बेटी की सेवाओं से ठीक हो गयी ।मैं खुशनसीब थी कि मुझे परिवार का पूरा समर्पण , सहयोग , प्रेम मिला । हमें उन्होंने पुनर्जीवन दिया । ऐसे ही हम दूसरों की मदद करें । अब सड़क पर बहुत ध्यान से चलती हूँ । कहीं फिर कोई टैक्सी मुझे ठोक नहीं दें । ऐसी दर्घटना फिर कभी नही।अनुभव मुझे जीने की कला सिखाती है । सकारात्मक सोच के अनुभव से दुख को सुख की शक्ति मिल जाती है ।ज्ञान , आनंद , शांति के स्रोत तो अनुभव ही होते हैं ।
अंत में
मैं तो कोई भी नया काम इसलिए भी करती हूँ सफलता मिले या नहीं मिले लेकिन उस काम का अनुभव जरूर मिल जाता है । यही अनुभव हमारे जीवन को साकारत्मकता से भर देता है । युधिष्ठर जब भीष्म पितामह के अंतिम क्षणों में सफ़लता का रहस्य पूछते हैं । तो वह कहते हैं , " अपनी असफलताओं से अपने को अपमानित अनुभव नहीं करो , सफलता को सदैव अपने करीब ही समझो । उसे अपने लक्ष्य के लिए ढूंढों और प्राप्त करने के लिए सतत लगे रहो । "
जीवन यात्रा भी जिंदगी का एक शानदार सबक है ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
ये सच है कि व्यक्ति का उम्र ज्यों ज्यो बढ़ता है इंसान के पास वैसे वैसे अनुभव आने लगता हैं। जीवन के उतार -चढ़ाव, दुःख- सुख का अहम भूमिका होती हैं जिससे हर व्यक्ति सबक लेता हैं। कुछ तो सबक (ठोकर) धोखा खाने से भी आता हैं। जिसको हम मदद करते हैं, समय आने पर वो हमसे दूर चला जाता हैं तब भी हम सीखते है। जीवन एक पाठशाला हैं जहाँ हम हर दिन कुछ- न -कुछ सीखते रहते हैं। जब भी कोई अनुभवी व्यक्ति हमे अपना ज्ञान देने चाहें, हमे उनकी बात धैर्यपूर्वक सुनना चाहिए। अनुभवी व्यक्ति के बातों को ध्यान रखते हुए कोई निर्णय लेना चाहिए। हम कह सकते हैं कि उम्र के साथ अनुभव अपने आप सबसे बड़ा सबक हैं।
- प्रेमलता सिंह,
पटना - बिहार
उम्र के साथ अनुभव अपने आफ में सब से बड़ा सबक है। उम्र और अनुभवों को लेकर कयी प्रचलित कथन हैं ।कुछ सबक ऐसे होते हैं जिन्हें जिंदगी ही सीखा सकती है । वह किताबों में नहीं मिलते ।जैसे जैसे हम बढ़े होते हैं कर्मक्षेत्र में अनेक अनुभवों से गुजरते हैं। काम के दौरान गल्तियाँ भी होती हैं और उन्हें सुधारने में कुछ नयी सीख भी मिलती है । हम दूसरों से तो सीखते हीं हैं पर अपने अनुभव
से जो जानकाउ मिलती है वो वास्तविक होती है क्योंकि वह स्व अनुभूत है ।जीवन भर हम सीखते रहते हैं और अनुभवों की एक धरोहर इक्कठी कर लेते हैं।
मनुष्य वही है जो हमेशा हार से जीत की ओर चले और जीत से सद्भाव बाँटते हुए आस पास के लोगों का भी कल्याण करे ।
सबक सीखने की ललक ही साधारण मानव को महा मानव बनाती है ।
- ड़ा.नीना छिब्बर
जोधपुर - राजस्थान
जैसे - जैसे उम्र बढ़ती जाती है वैसे- वैसे अनुभव की गठरी भी बड़ी होने लगती है । जीवन के बहुत से सबक या तो हम स्वयं ठोकर खा कर सीखते हैं या दूसरों को देखकर । अक्सर बुजुर्ग कहते हुए मिल जायेंगे कि मैंने धूप में बाल सफेद नहीं किये हैं । मेरे अनुभवों का लाभ लो पर तुम लोग तो सुनते ही नहीं । वहीं दूसरी ओर नयी पीढ़ी केवल विज्ञान पर परखे गए तथ्य को ही सही मानती है । त्रेता में भगवान राम ने अपने अनुज लक्ष्मण जी को मरनासन्न रावण के पास भेजा था अनुभव का ज्ञान लेने हेतु ; ये उनकी विनम्रता व दूरदर्शिता थी । आजकल तो कोई किसी की सुनता ही नहीं । तभी तो विज्ञापन की यह पंक्ति बहुत प्रचलित है पहले इस्तेमाल करो फिर विश्वास करो । कहा भी गया है सफल व्यक्ति वो नहीं जो हर बात स्वयं की गलती से सीखे बल्कि वो है जो दूसरों की गलतियों से भी सीखता चले । हमें अपने बुजुर्गों का सम्मान करते हुए उनके अनुभवों का लाभ लेना चाहिए ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
" मेरी दृष्टि में " उम्र का अनुभव बहुत बड़ा होता है । जो हमेशा अनमोल होता है । जो इस का आदर करता है । वहीं इस ज्ञान का फायदा उठाता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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