पद्मश्री भवानी प्रसाद मिश्र की स्मृति में कवि सम्मेलन
जैमिनी अकादमी द्वारा साप्ताहिक कवि सम्मेलन इस बार " होली " विषय पर रखा गया है । जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के कवियों ने भाग लिया है । विषय अनुकूल कविता के कवियों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है । सम्मान पद्मश्री भवानी प्रसाद मिश्र के नाम से रखा गया है ।
भवानी प्रसाद मिश्र का जन्म 29 मार्च1913 को गांव टिगरिया , होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ । इनकी प्रारंभिक शिक्षा सोहागपुर, होशंगाबाद, नरसिंहपुर और जबलपुर में हुई | इन्होंने हिन्दी, अंग्रेज़ी और संस्कृत विषय लेकर बी. ए. पास किया। ये हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा दूसरे तार-सप्तक के प्रमुख कवि थे। ये विचारों, संस्कारों और अपने कार्यों से पूर्णत: गांधीवादी हैं। गाँधीवाद की स्वच्छता, पावनता और नैतिकता का प्रभाव और उसकी झलक भवानी कविताओं में साफ़ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह 'गीत-फ़रोश' अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं के कारण अत्यंत लोकप्रिय हुआ।महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर ही शिक्षा देने के उदेश्य से एक स्कूल खोल लिया और उस स्कूल को चलाते हुए ही 1942 में गिरफ्तार होकर 1949 में छूटे। उसी वर्ष महिलाश्रम में शिक्षक की तरह चार पाँच साल वर्धा में बिताए। इनकी मुख्य पुस्तकें 'गीत फ़रोश', 'बुनी हुई रस्सी', 'नीली रेखा तक', 'मानसरोवर', 'अनाम तुम आते हो', 'त्रिकाल संध्या', 'चकित है दु:ख' और 'अन्धेरी कविताएँ', आदि प्रकाशित हुई है ।इन को 'साहित्य अकादमी पुरस्कार' और 'पद्मश्री', राज्य स्तरीय शिखर सम्मान प्राप्त हुए हैं । इन की मृत्यु 20 फ़रवरी, 1985 को हुई ।
सम्मान के साथ रचना : -
गजल
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फाल्गुन के मास में श्रृंगार फिर से
हो रही है रंगों की बौछार फिर से
यूँ भिगो तन मन चला चितचोर ऐसे
छोड दी चल आज की तकरार फिर से
रंग छाये लाल पीले हैं हरे सब*
अब न सावन का कोई बीमार फिर से
कब पिया को देख पाऊंगी दुबारा
दिल न ऐसे हो ज़रा लाचार फिर से
रंग उडने जब लगा वो याद आया
हो पुराने यार का दीदार फिर से
रंग पिचकारी से खेलें मस्त हो सब
हाँ खुशी का छा गया आधार फिर से
चल गले से तू लगा ले आज सबको
छोड दीपा बैर कर ले प्यार फिर से
- दीपा परिहार 'दीप्ति'
जोधपुर - राजस्थान
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होली पर दोहें
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काव्य पंछी फाग में, गावै बाजत चंग।
पीली लाल गुलाल से, राव लगाया रंग।।
हमने गाये फाग में, फागण तेरे छंद।
गाल गुलाबी हो गए, दोनों पलकें बंद।।
रंग अबीर गुलाल से, होली बालम संग।
मिलकर हमने घोट दी, दो लोटे की भंग।।
झूम उठा मधुमास तो, होगी पूरी आस।
भीगा तन मन रंग में, टूटेगा उपवास।।
प्रेमभाव से तुम मिलो, प्रेम रंग में डूब।
भाईचारा कह रहा, मानव ही महबूब।।
होली के दिन मैं उठा, सुन मुर्गे की बांग।
उठकर जब देखा उसे, घोट रही थी भांग।।
मिलकर फागण मास में, घोटी घिस घिस भांग।
ढाई लोटे पी गई, सीमा सारी लांघ।।
नेट कभी पकड़ा नहीं, कैसे करता चैट।
गोरी फागण लग गया, अब तो दे दो डेट।।
बोली गोरी भांग में, दंगल दांव दबंग।
होली आई साजना, कर दो रंगारंग।।
- छगनराज राव "दीप"
जोधपुर - राजस्थान
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होली
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आओ मिलकर खेले होली,
सब एक दूजे के संग
खाओ गुजिया पी लो भांग
हर घर महके खुशियों की तरंग
हर गलियों में बाजे ढोल
और संग बाजे मिरदंग
हिमांशु -सानू हो हर संग
खेले सब लाल - पीले के रंगों के संग
हर गली में मचा दे हम सब रंगों का हुड़दंग दे दो नफरत की होलिका में आहुति रंगों से भर दो हर माथे पर
भभूति ।
नफरतें मिटा कर भर दो रंग प्यार का..... .!
चलो सखियां फागुन के
खुशी मनाएं रंगों के साथ
सखियों के साथ गाएं नाचे झुमके
पीले पीले सरसों के खेत में
कितने कंचन समेटे हुए
कोयल बहन हो गई बावली
कुहू कुहू अपनी लडीं सुनाएं
चलो सखी फागुन की खुशियां मनाएं
आमों के भोरा गुच्छे लगे
भंवरा के दल हो गए बाबले
चलो सखी फागुन की खुशियां मनाएं।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
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हम संग संग संग
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तेरे गोरे गोरे गालों पे
गुलाल है भारी
तेरी तीखी कटारी
लगे हैं बड़ी प्यारी
चलो झूमे हम तुम
इस होली के संग
आओ होली मनाएं
हम संग संग संग !
हौले हौले नाचे गायें आपके संग
पीके शिव शंभू का भांग
दिखाएं अपना रंग
सींच होली का रंग
तु करे है मुझे तंग
आओ होली मनाए
हम संग संग संग !
तेरी मस्ती से भरी
हर चाल निराली
बिन पीये घूमाये है
तेरे होठों की लाली
लेकर होली का रंग
पिचकारी के संग
आओ होली मनाए
हम संग संग संग !
तेरे नखरे उठाए
भरथार तेरा
तुझे मस्ती से भिगोये है
यार तेरा
हर रंग करे है
इंतजार तेरा
आओ होली मनाए
हम संग संग संग !
तुझे फूलों से सजाये
सरताज तेरा
रस पीये है गोरी
यार तेरा
हर होली में होता
दीदार तेरा
आओ होली मनाए
हम संग संग संग !
न आये जाति भेद की दुर्गंध
देके प्रेम का रंग
भर दे सुगंध
भेद जाति का इस दिन
भुलाए हम तुम
आओ होली मनाए
हम संग संग संग
आओ होली मनाए
हम संग संग संग!
- चंद्रिका व्यास
खारघर नवी मुंबई - महाराष्ट्र
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खेलो होली ऐसी आज
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आया होली का त्योहार,
पड़े रंग की फुहार,
आज धरती-गगन से भी,
बरसा है दुलार.
रंग एकता का डालो,
रंग डालो प्रेम का,
भेदभाव को हटाओ,
छेड़ो राह स्नेह का.
भाईचारे का गुलाल,
मौज-मस्ती का गुलाल,
रंग प्रीत का चढ़े,
मिट जाएगा मलाल.
धैर्य-साहस का अबीर,
क्षमा-दया का अबीर,
अत्याचार को मिटाए,
वही खरा है अबीर.
आई होली रंग-रंगीली,
लेकर खुशियों का संदेश,
छोड़ो खून-खराबा प्यारे,
वरना नहीं रहेगा देश.
खेलो होली ऐसी आज,
झूमे-महके देश-समाज,
भारत प्यारा देश बने हम ऐसी,
करें प्रतिज्ञा आज.
- लीला तिवानी
द्वारका - दिल्ली
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होली
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चारों ओर मचा है देखो होली का हुडदंग।
फागुन मस्त महीना आया छाये सभी है रंग।
पीली -पीली सरसों फूली,
खिले हैं फूल गुलाब।
नव-नव कोंपले डाली-डाली,
गुलशन पर है शबाब।
रंग बिरंगी आभा देखो छायी बड़ी मस्त उमंग।
फागुन मस्त महीना आया छाये सभी हैं रंग।
अबीर गुलाल सजे हुए हैं,
लाल, हरे और पीले।
भर भरकर मारे पिचकारी,
वसन हुए हैं गीले।
आज बुरा नहीं माने कोई, सभी हुए बेढंग।
फागुन मस्त महीना आया छाये सभी हैं रंग।
ईर्ष्या, द्वेष, नफरत को आओ
होली-दहन में जलाये।
जो रूठे जो झगड़े अब तक
उनको गले मिलाये।
आज प्रेममय हो जायें सब कोई नहीं दबंग।
फागुन मस्त महीना आया छाये सभी हैं रंग।
- डा. साधना तोमर
बड़ौत - उत्तर प्रदेश
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रंगो की होली
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आयी रंगो की होली
खट्टी मीठी प्यार की बोली
सोंचा रंग जमायेगें अबकी बार
जब खूल जायेंगे बाजार
लूट चुका हैं दिल का चैन
मन सबका हो रहां बैचैन
सब खुशियाँ बांट लेंगे साथ
सुनी सड़के किससे करें बात
मायूसी हैं सब ओर छाई
यैसे समय फिर होली आयी
न हो रहां धूम धडक्का
ना खेलेंगे हैं इरादा पक्का
पिछला साल भी कुछ यैसा निकला
समय देखों पल पल फिसला
पलायन की आयी थी बारी
रोजगार छूटा महंगाई भारी
वेक्सीन भी है देखो भाई
कोरोना मिटाने है ये आई
होली का रंग हो रहा फिका
नया स्टेन फिर कहीं दिखा
लाॅकडाउन ने ना पिछा छोड़ा
अब तो सम्भल जाओ थोड़ा
सोशल डिस्टेंस की धज्जियाँ उड़ी
ना मुँह पर मास्क कहाँ होशियारी छोडी
नही सज रहीं गुजिया की थाली
घर सुना हैं बैचैन हो रही दूनिया सारी
फिर एक बार विनती सुनो भाई
महामारी को मात करने न बजे थाली
रंग चले गुलाल उड़े
सबके चेहरे हो खिले
सबके घर-घर आयें खुशहाली
जब चले रंगो की होली।
जब चले रंगो की होली।।
- सुनील कुमार निखारे
नागपुर - महाराष्ट्र
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जोगिरा सारा रा रा
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नीला पीला हरा गुलाबी, निखरा है हर रंग।
आओ मिलकर खुशियाँ बाँटे, खेले होली संग।
जोगिरा सारा रा रा...
कहे गोपाल मीरा रानी, राधा कहती श्याम।
हर नारी है मीरा राधा, कहते राधे श्याम ।
जोगिरा सारा रा रा ..
मैल मिटा दो मन से सारा, रखना ना अब बैर।
एक रंग में हम मिल जायें,
अब ना कोई गैर।
जोगिरा सारा रा रा ...
होली आयी खुशियाँ लायी,प्यारा लगता रंग।
गले लगे सब मिलकर ऐसे, दुश्मन भी हो दंग ।
जोगिरा सारा रा रा ...
कष्टों की होलिका जलाना,हो जाना सब मस्त ।
सभी वैक्सीन जरूर लेना, कोरोना हो पस्त।
जोगिरा सारा रा रा
- रंजना वर्मा उन्मुक्त
रांची - झारखण्ड
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भर पिचकारी खेलो होली
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साल में आता है एक बार
होली का रंगीन त्यौहार
रंग गुलाल भांग मस्ती
सब पर छा जाता है होली का बहार
नफरत को जलाने आई है होली
तन मन की बुराई जलाने आई है होली
दफन कर दो कड़वी बोली
आ गया है इंद्रधनुषी होली
फगुआ का नशा है रंग
बजाओ ताल मृदंग सब के संग
गाओ सब मिलकर होली आई रे
रंग गुलाल की मस्ती छाई रे
ससुराल में मनाओ होली
मिलेंगे साला साली और हमजोली
उम्र का ना करो लिहाज
रंग बिरंगे होली का त्योहार
फगुआ का है ऐसा नशा
साला लगे घर का नाला
साली लगे आधी घरवाली
वर्षों बाद फिर आएगी यह होली
भर पिचकारी खेलो होली
घर में बनते पुआ पकवान
सखियान सब मिलजुल खाते सरेआम
पहन नए नए कपड़े गुलाल को लेते
आपस में गले मिलते लेते हैं आशीर्वाद
होली का आया है त्योहार
खुशियां मनाओ खुल कर यार
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
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होली
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बहु रंगों की होली खेले
बैर भावों की फूको फाग
प्रेम रंग की बौछार करके
धोले अपने हृदय के दाग।
चार दिनों का जीवन है यह
कभी तो बुलावा आएगा
रह जाएगा धरा धराया
आ अंत समय पछताएगा।
लाल -हरा औ नीला- पीला
सबको करें रंग रंगीला
प्रेम धार का जल बरसाएं
आज न कोई बचने पाए ।
ढोल नगाड़े लेकर आओ
सारे मिलकर होली गाओ
धर्म जाति का भेद भुलाओ
नाचो गाओ खुशी मनाओ।
- ललिता कश्यप
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
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एक रंग बिरंगी ग़ज़ल
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उड़ रहा है रंग ओ गुलाल होली में
दिखता नहीँ है कहीँ भी मलाल होली में
यार दोस्त बिछुड़ के जो दूर बस गए है
मिल जाते है आकर के हर साल होली में
हर कोई गुझिया और नमकीन खा रहा
खाता नहीँ है कोई रोटी दाल होली में
पहचान नहीँ पाते माँ बाप अपने बच्चे
लालों को कर देते है इतना लाल होली में
अब तक लगा है गालों पे तेरे प्यार का कलर
तुमने लगाया था जो परसाल होली में
भंग और शराब पीके आगये सब यहाँ
लगने लगा है घर मेरा घुडसाल होली में
रंगने का मुझको करके इरादा वो बैठे है
मुस्करा के फेंकते है वो जाल होली में
रूखा सूखा रोज़ जो खाते थे यार लोग
उड़ा रहे है सब के सब तर माल होली में
- डॉ रमेश कटारिया पारस
ग्वालियर - मध्यप्रदेश
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रंग बरसे
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कान्हा के संग खेलूँ होरी,
जाने कब से आस लगी है!
रंग बरसे है ब्रज-मण्डल में
द्वार-द्वार पर धूम मची है,
आज अबीर-गुलाल उड़त हैं
ब्रज की माटी महक उठी है,
नंदनंदन की देख छटा को
राधाजू भी खूब हँसी है!
बरसाने का अजब नजारा
श्याम खड़े थामे पिचकारी,
संग में ग्वाल-बाल की टोली
ढूँढ रहे ब्रजभान-दुलारी,
सोचे राधा, रंग को डारूँ
ओट लिए चुपचाप खड़ी है!
एक ग्वाल ने देखी राधा
कान्हा को फिर किया इशारा,
हौले- हौले पहुँचे मोहन
वृषभानुजा को रंग डारा,
भीगी चुनरिया, अँगिया-चोली
जो मोती की माल जड़ी है!
- प्रकाश "सूना"
मुज़फ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
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प्रेम प्रीत की होली हो
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प्रेम भाव से हिलमिल खेलो।
हरा गुलाबी रंग हो ।
नाचो गाओ खुशी मनाओ।
होली करें हुड़दंग हो।।
आज होली खेलत रघुवीरा।
अवध उड़े गुलाल हो।
लाल गुलाबी सत रंगों में
रंग गई धरती आज हो।।
कोई के हाथ है पिचकारी और,
कोई के हाथ सयानी हो।
रंग-बिरंगे खिले हैं चेहरे।
कोई का कोई ना जाने हो।।
इह होली का असली रंग है।
एक हुआ मन आज हो।
प्रेम भाव से हिलमिल खाओ।
गुजिया और पकवान हो।।(१)
भेद भाव के रंग मिटाकर।
लाल हुए सब आज हैं।
खींचा तानी मची हुई है।
मतवाले मन आज है।।
कोई मदमस्त हुआ रंगों में।
अपने में ही झूम रहा।
कोई प्रेम की प्रीत में डूबा।
मदहोशी मे चूर रहा।।
ऐसा नशा चढ़ा इस रंग पर।
रंग-रेजवा भी फेल हुआ।।
गले मिले एक दूजे के संग।
प्रेम प्रीत की होली हो।।
प्रेम भाव से हिल मिल खेलो।
रंग बिरंगी होली हो।।
- अन्नपूर्णा मालवीय (सुभाषिनी)
प्रयागराज - उत्तर प्रदेश
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होली के रंग
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होली की मस्ती भी अनोखा सा उत्सव है....
फागुन के रंग मचाते हलचल हैं...
पिया हौले से आज भी रंग
पहले मुझे ही लगाते हैं...
ग़ुलाल का रंग
कपोल पर लाली बन छा जाते हैं
वसंत की वो हलकी सी रंगत
मौसम की थोड़ी सी ठंडक
भी गजब सी लगती है
ये होली का त्यौहार भी...
मन को खूब लुभाता है...
पिया का सबसे पहले
रंग मुझको ही लगाना...
रंग अपनत्व का
अंतस में गहरा कर जाता है...
रंग जीवन में यही तो निखारते हैं
फिर रंग सारे कितने खिलते हैं...
जो जीवन को ख़ुशी से गुलजार
करते हैं...
- पूजा नबीरा
नागपुर - महाराष्ट्र
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रंग जाए सम रंग
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रंगों की आई है विहान ,निकली यारों की टोली।
चलो मिल जुल कर खेलें आज,रंग बिरंगी सी होली।
गिला शिकवा भूल कर आओ,रंग जाए सम रंग में,
भर कर पिचकारी ख़ुशियों से,निकलीं यारों की टोली।
रंग लगा हो जहाँ प्यार का,ख़ुशी से भरी हो झोली,
आ गया फाल्गुन का महीना,संग संग हो हम जोली।
हरा ,गुलाबी ,नीला,पीला ,चढ़ा है रंग भी गाढ़ा ,
शर्म से हो गई मैं तो लाल ,औ भीगी मेरी चोली।
सुध बुध खोयी राधा रानी,मुरली के तान में डूबी।
गोपियाँ हो गई मतवाली,हुई हरि रंग में अजूबी।
यमुना तीरे जोरा जोरी,नंदों ने मटकी फोड़ी,
मथुरा की फूलों की होली,कृष्ण पुरी भंग में डूबी।
खेल रहे हैं अबीर गुलाल,नहीं किसी को है मलाल,
नाच रहे ढोल बजाकर ,नशे में करे हैं कमाल।
याद जो आई गाँव की तो,सकल मन हो गया गीला,
माता-पिता का चरण छूते,और करते ख़ूब धमाल।
- सविता गुप्ता
राँची - झारखंड
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रंग उड़ा लो जरा
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मेरे सपनों को हवा दे दो ,
फागुन आया है जाना,
तुम आओ ना रंग लेकर,
इनमें रंग डालकर ,
जरा और भी गाड़ा कर दो,
गुलाल संग ,
रंग उम्मीद का लेकर आना,
पिचकारी भर कर,
उसमें रंग ,
मिलन का घोलकर आना,
पर हां सुनो ना,
जब रंग होली का जमे,
तो हमें डूब जाने देना,
तर ब तर हो जाएं,
तो रंगों के नशे में,
हमें डूब रहने देना,
सबसे मिलेंगे खुलकर,
पर हमें रंगों का,
मुखौटा पहने रहने देना,
हमसे मिलने आओ,
तो दिलों के रंग लेकर आना,
खुलकर मिलना ,
फिर रिश्तों के रंगों को चढ़ने देना,
अब के होली में,
चेहरों पर भी मुखौटा होगा,
दूर से रंग डालकर ,
भाव मिला लेना,
फिर खुलकर अखियों से तुम,
होली के मिलन के छोड़ देना,
अब की होली में भी,
रंग खूब लेकर चलना।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
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होली के रंग में
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फागुन की रुत आई मितवा,
मस्ती दिलों पर छा गई,
रंगोत्सव की रंगोली,
उमंग दिलों में जगा गई।
उमंग दिलों में जगा गयी...
रंग के मेघ घटा बन बनकर,
उमड घुमड़ कर आ गये,
गाढे केसर रंग सजा कर,
अरे रे दिल पर बरसा गये।
अपे रे दिल पर बरसा गयी...
अबीर गुलाल से भर पिचकारी,
श्याम सलोने आ गए,
गुलाबी गालों पर गुल का,
रंग गुलाबी कर गए।
रंग गुलाबी कर गये....
मेघ मल्हार सुनाएं फागुन,
जों अगहन आया रे,
रंगोत्सव की छटा निराली,
पात पात मुस्काया रे।
पात पात मुस्काया रे...
इस होली में सारी कलुषता,
धरी दिलों की बह जाए,
प्रेम प्रीत के रंग उत्सव में,
स्नेह दिलों में भर जाए।
स्नेह दिलों में भर जाए....
- सुखमिला अग्रवाल
मुंबई - महाराष्ट्र
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होली का त्यौहार
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होली का अबीर-गुलाल हो,
आपके जीवन में रंगों की बहार हो।
रंगों से सजी होली के रंगों का,
आपके व्यक्तित्व पर प्रभाव हो।।
लाल-हरे रंग से शक्ति, समृद्धि का,
उपहार आपको प्रदान हो।
नारंगी-गुलाबी रंग से हृदय में,
धैर्य, प्यार का सद्भाव हो।।
नीले-सुनहरे रंग से ईमानदारी,
सम्पन्नता का वैभव प्राप्त हो।
जीवन में सारे रंग फलीभूत हों,
ऐसा होली का शुभ त्यौहार हो।।
पकवानों की मिठास हो,
दिलों में सबके प्यार हो।
घर का हर कोना चहके,
आँगन में खुशियाँ अपार हों।
होली के पावन पर्व पर चहुँ ओर,
उल्लास की लहर का संचार हो।
सद्भाव, शान्ति, समृद्धि का,
अमृत जन-जन को प्राप्त हो।।
नफरत का बीज मिटे जग में,
प्रेम के वृक्ष का पूर्ण रोपाचार हो
मानवता की भावना से परिपूर्ण,
ऐसा होली का त्यौहार हो।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
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होली_हमजोली
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मिला हमको, मिला सबको,सुअवसर आज होली है ।
चलो झूमो, चलो नाचो कि प्रियवर आज होली है ।।
कहीं फगुआइ धुन गुंजित, सरस संगीत कानों में ।
रखो आँचल में, रँग -भर भर, कि सर सर आज होली है ।।
सजे श्यामा, सजी राधा, मगन मन मीत प्रियतम सा।
कि हरि हर, हो रही हरि हर, सुअवसर आज होली है ।।
मेरे मोहन कहें राधा सजी गालियाँ सुहावन सी ।
तेरे रंगों में रंग रंग कर कि मधुकर आज होली है ।।
बड़े भागों से मिलती है, हमें ब्रजधाम की धूली ।
करें प्रभु नाम का सुमिरन, कि घर घर आज होली है ।।
- छाया सक्सेना ' प्रभु '
जबलपुर - मध्यप्रदेश
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कोरोना में होली
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कैसे अब गले लगाऊं सखियों को,
कैसे रंग-गुलाल लगाऊं सखियों को।
करूं दो गज दूरी नियम का पालन,
या रंग अबीर से सजाऊं सखियों को।
पिछले साल भी उदास रही होली,
इस साल भी फिकी लग रही होली।
न्यूज़ रिपोर्टरों का न्यूज़ सुन कर,
हृदय में दहशत ला रही है होली।
वैक्सीन आई फिर भी न जाए हरजाई
मास्क लगाकर होली मैं खेलन आई।
देवर-जेठ आज न पहचान में आवे।
दूर-दूर से रंग फेंक कर मनाई होली।
मिठाई पकवान खाते भी लागे है डर,
कोरोना ने हम सबकी चैन ली है हर।
खुद को बचाऊं या संग होली मनाऊं,
कोरोना में होली खेलत लागे है डर।
प्रेम भाईचारा मिलन का प्रतीक होली,
ईर्ष्या, द्वेष मनमुटाव को दूर करें होली।
आओ समझदारी से हम होली मनाये,
स्वास्थ का ध्यान रखकर खेलें होली।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
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होली
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होली
बरसाना की हो
मथुरा वृंदावन की हो
शांतिनिकेतन की
गाँव शहर की हो
खेले जाते जिसमें
रंग फूलों के
अबीर गुलाल के
सच्चाई और विश्वास के
तभी खिलते
बिखरते सर्वत्र
रंग उमंग उल्लास के
ख़ुशियों से सराबोर
जीवन में
पर
सिर उठाती विकृतियाँ
लील रही
रंग होली के
अब होली
नहीं जगाती उमंग
मन में रंगों से खेलने की
जिनकी आड़ में
विकृत मानसिकता
करती बेरंग
चेहरों को
आइए
खेलें होली
शुचिता लिए रंगों से
पकवानों की
सुगंध के साथ
पर खेलें न कभी
किसी की
जिंदगी के साथ।
- डॉ भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
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तुम रंगों को छू लेना
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कागज पर जो रंग लगाए
उन रंगों को छू लेना
मैं समझूँगा खेल ली होली
उन रंगों को छू लेना ।
जिस्म अलग पर जान तो इक है
इक ही दिल में रहते हैं
अपने हाथ में रंग को लेकर
अपने अंग को छू लेना
मैं समझूँगा खेल ली होली
तुम रंगों को छू लेना ।
लाल, गुलाबी, पीले, नीले
रंग तो सबको भाते हैं
होली की पावन बेला में
प्रेमी रंग लगाते हैं
मेरे नाम को लेकर अंग में
कोई रंग लगा लेना
मैं समझूँगा खेल ली होली
तुम रंगों को छू लेना ।
गजेंद्र कुमार घोगरे
वाशिम - महाराष्ट्र
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होली
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मधुर बोली होली , जो कानों में आई ।
तन मन में मेरे भी , मस्ती थी छाई ।
वो बचपन का माहौल मुझे याद आया ।
थे संग में सखा सब फागुन गीत गाया ।
पडी पीक पावन वो पिचकारी सुहाई ।..............१
भस्म होलिका को सब सिर पर सजाते ।
रसिया कबीरा फाग के गीत गाते ।
ढोलक मजीरा झाँझ नगड़िया बजाई ।............२
भंग का संग सुन्दर यौवन तरंग होता ।
महबूब मुख को देखत मन भी सब्र खोता ।
जवानी दिवानी रही तब तन थी छाई ।.............३
अब हाल ये बुढापा तुम्हें क्या सुनाये ।
है दाँत नहीं मुख में चूमें चाट न खाये ।
है जान नहीं तन में , पर जान याद आई ।..........४
- राजेश तिवारी 'मक्खन'
झांसी - उत्तर प्रदेश
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रंग बिरंगा हो गया, तन मन का व्यवहार।।
होली जलती दे रही, जग को यह संदेश। भक्तजनों को कभी भी, होता नहीं क्लेश।। भक्तों की रक्षा सदा,करते प्रभु जी आप। होलिका के लिए बना, मनचाहा वर श्राप।।
निशिदिन घर पर पड़ रही, महंगाई की मार। फीका फीका लग रहा, होली का त्योहार।। रिश्तो में त्योहार पर, नहीं कोई उत्साह।
खाली जेबें कर रहे, परंपरा निर्वाह ।।
बिटिया है ससुराल में, मन में नहीं उमंग।
फीके फीके लग रहे, अब होली के रंग।।
चहल पहल होने लगी, बनते हैं पकवान।
दही बड़ा, नमकीन संग, गुजिया मठरी नान।। फागुन मासी पूर्णिमा,लायी यह उपहार ।
तन मन रंगने आ गया, रंगीला त्यौहार।।
- डॉ अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर- उत्तर प्रदेश
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मस्ती है छाई
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फाल्गुन चढ़ा गुलाल उड़ा चली है पुरवाई
गाती झूमती मस्ताने बच्चों की टोली है आई
विभिन्न रंगों से सरोबार हैं चेहरे सबके
देखो सबमें कैसी अजब मस्ती है छाई
टूटे दिल टूटे रिश्ते सब जुड़ जाते है
देखो कैसा मजेदार पर्व ये है भाई
सदियों से चली आई रीति रंगो की
भिगो दे मन सभी का चाची या है ताई
गुलाल पिचकारी से तन मन भिगोया
मन में खुशियों की सौगात ये है लाई
दूसरे रंगों के साथ ये भी एक रंग है
थकान उतारने को भांग है चढ़ाई
एहसास बना रहे उम्र भर इश्क का
प्रिया को रंग प्यार की पींग है बढ़ाई
भर गुब्बारे भरी पिचकारी पानी की
दही बड़े गुझियों से रसोई है महकाई
हर रंग की अपनी दास्तां अहमियत है
लगा रंग नीलम कहे होली है आई
- नीलम नारंग
हिसार हरियाणा
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होली के रंग
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आयी रूत बसंत की
होली के रंग के संग।
दिल खुश है अबीर गुलाल उड़ाके
बुरा क्या मानना आज, किसी के संग।।
छेड़ो धड़कनों की तान
होली की थाप पर, जीवन की।
मन मयूरा झूमकर नाच उठे
ठंडी होगी अगन, तन मन की।।
कोई कसर ना रहे बाकी
त्यौहार है, होली के उल्लास का।
कुछ कहो,कुछ करो, रंगी बनाओ
यादगार बना लो, दिन होली पर्व का। ।
प्रवाहित हो रही, बासंती बयार
सभी खुशी से, नाच रही नार।
हरीतिमा छाई धरती पर, मनभावन
रंगबिरंगी दिखती सभी, नई नवेली नार। ।
होली ने तन मन को, लगायी कैसी अगन
तीव्र हुई पिया, मिलन की प्यास।
होरी में आये हैं री, हमरे घर पिया
रंग में भिगोने की उन्हें, पूरी करूंगी आस। ।
- डाॅ•मधुकर राव लारोकर
नागपुर - महाराष्ट्र
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होली गीत
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जीवन के रंग त्योहारों के संग , रंग उत्सव होली मनाइये ,
हर दिलों को संग प्यार के रंग ,गीत सुनाइये
मनुहार मन उत्सव मिल ,होली मनाइये
सृष्टि के साज श्रिंग़ार को ,सुन्दर बनाइये !
होली रंग उत्सव से घर ,मधुबन सज़ाइये !!
हर दिलों को प्यार के रंग गीत सुनाइये !
मनुहार मन उत्सव मिल होली मनाइये !!
होली के रंग उन्मादो से जीवन ,गुज़ारिये !
दिलों को जीत प्यार की गंगा ,बहाइये ! !
हर दिलों को प्यार के रंग गीत सुनाइये !
मनुहार मन उत्सव मिल होली मनाइये !!
भेद सब मिटाकर नवरंग भरें गीत ,सुनाइये !
मनोहर मनभावन रंग उत्सव ,मनाइये !!
हर दिलों को प्यार के रंग गीत सुनाइये !
मनुहार मन उत्सव मिल होली मनाइये !!
घर आगंन को प्यार से , जीत मधुबन बनाइये !
लगी है चोट दिलों में तो , मधुर रसपान पिलाइये !!
हर दिलों को प्यार के रंग गीत सुनाइये !
मनुहार मन उत्सव मिल ,होली मनाइये !!
- अनिता शरद झा
रायपुर -छत्तीसगढ़
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रंग
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रंग नही है तो कुछ भी नही जिंदगी
कोरे कागज सी रह जाये न जिंदगी
एक अमीरी का रंग
एक गरीबी का रंग
प्रेम का रंग लगे तो हँसे जिंदगी
तितलियों में है रंग
मोर पंखों में रंग
पक्षियों के लगा रंग उड़े जिंदगी
पत्थरों में है रंग
मिट्टियों में भी रंग
कंकरों में पड़े रंग बने जिंदगी
शेर के भी हैं रंग
हाथियों के भी रंग
चींटियों का ले रंग में चले जिंदगी
हैं बचपन के रंग
हैं जवानी के रंग
हँसके जी ले बुढ़ापा तो है जिंदगी
हैं सितारों में रंग
हर ग्रहों में रंग
धरती पे रंगों की होली है जिंदगी
सच का भी एक रंग है
झूठ का भी रंग है
कृष्ण के रंग में साकार है जिंदगी
- विनोद नायक
नागपुर - महाराष्ट्र
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फाल्गुनी संदेश
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रंग अबीर ग़ुलाल उड़ाता l
होली का त्यौहार है आता ll
कोई बन कान्हा, कोई बन राधा l
जीवन की मुस्कान है लाता ll
प्रीत की पिचकारी के रंग से l
तन -मन को है भिगोकर जाता ll
है विश्वास की डोर को थामे l
लाल अबीर ये भाल लगाता ll
भाईचारे की चंग बजाकर l
प्रेम का फाल्गुनी गीत ये गाता ll
अकर्मण्य कर्मों को जलाता l
कर्म का ये संदेश है लाता ll
"भक्त प्रह्लाद "की याद दिलाता l
भक्ति भाव मन में है जगाता ll
इंद्रधनुषी रंगों में रंगकर l
सराबोर जग को कर जाता ll
- डॉo छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
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होली
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रंगों की खेल रहे होली,
जगह जगह खड़ी टोली,
कोई सिर पर डाले रंग,
कोई भिगो रहा है चोली।
कोई लाता चंदन टीका,
किसी का रंग हो फीका,
कोई गहरा रंग डाल रहा,
कोई रंग देखकर चीखा।
होली का पर्व है अनोखा,
दुश्मनी को कर देता दूर,
रंग जब डाले एक दूज,े
खत्म हो जाता जन गरूर।
कभी कभी यह होली भी,
बढ़ा जाती है बैरा पुराना,
दुश्मनी अधिक साध रह,े
पर्व का तो बस है बहाना।
- होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा
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होली त्यौहार
है रंगों के
उल्लास का
हास परिहास का
आपसी सहयोग
संवाद का
विश्वास का
खुशियों सौहार्द का
अपनत्व
का
मित्रता के
अहसास का
नमकीन
मीठे स्वाद का
प्यार बढाने
विवाद मिटाने
नफरत को जलाने
सत्य को पोषित करने
असत्य के
त्याग का
मीठी बोली का
शुद्ध ह्रदय वाली
हुडदंगी
टोली का
मजा लें सभी
प्यार भरी
रंग बिरंगी
होली का
- डा0 प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
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होली
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सलहज हो गयी असहज किसे लगाये अबीर
मातृभूमि के लिए हुए शहीद नन्दोई महाबीर
भाभी दालान में याद कर देवर को हुई अधीर
बलिदान हो गया देश की ख़ातिर घर का वीर
होली सूनी है आज नहीं साथ है दोस्तों शूरवीर
मॉं ले अब किसकी वलैंया मन में है गहरी पीर
पिता भी द्रवित हैं अब रहा नहीं उनका बेटा धीर
भाई भी अनुज की याद में है भाव विहल गंभीर
अर्द्धांगिनी के भी नयनों से झर -झर बहे नीर
बहना सजाये बैठी है थाल कहॉं गया मेरा बीर
होली पर बिखेरो रंग ऐसा ग़द्दारों का जागे ज़मीर
हमलावर शिखंडियों का हो अन्त गिद्व नोचे शरीर
- निहाल चन्द्र शिवहरे
झांसी - उत्तर प्रदेश
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होली
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हो ली सो हो ली अरे आज तो होली है,
भांग ,प्यार की सी गोली है,
ले के लग जा गले,
मत सोच ऊपर के तले,
कल होगी : हम तो चले ,हम तो चले,
अरमां न रह जाए , हम न थे भले ,हम न थे भले !!
- सुभाष भाटिया
पानीपत - हरियाणा
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नशीला फाग आया
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फागुन है रंग लाया ,
अंग -अंग नशा छाया,
गीतों ने फाग गाया ,
बरसी फुहार है।
लाल, गुलाबी रंग से
मौसम की उमंग से
रंग , बिरंगे फूलों से ,
सजा घर -द्वार है।
गुजिया की बहार है ,
मिष्ठानों का भंडार है ,
गुलाल का अंबार है,
होली का त्योहार है।
सीमा पर रंग घुले,
शौर्य ,प्रेम, मैत्री मिले
प्यारे हिंदुस्तान तले
रंगता संसार है।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
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खूब नाचेंगे सबके संग
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आओ सब मिल कर खेलें होली
पिचकारी से निकली रंगों की गोली
गले मिलते हैं प्यार से एक दूसरे के
निकली है मस्त मतवालों की टोली
कोई पीले रंग में रंगा है
कोई हुआ है लाल
कोई फैंक रहा पानी में डाल कर
कोई फैंक रहा सूखा गुलाल
उड़ रहा गुलाल छाई है मस्ती
दुआ मांग रहे हैं सारे
शांति प्यार और भाईचारा बना रहे
त्योहार मिल जुल कर मनाते रहें सारे
रंगों का त्योहार हैं होली
सब मिल जुल कर हैं मनाते
जात पात मज़हब कोई भी हो चाहे
गले मिलते एक दूसरे के गुलाल हैं लगाते
खुशियों का त्योहार है होली
आपस का प्यार सत्कार है होली
जीवन रंगों से भर जाए सबका
यही संदेश देती हरबार है होली
मन में है उल्लास बहुत
दिन है होली का खास बहुत
शिकवे भूलें और याद करें
जो दिल के हैं पास बहुत
पिचकारी से निकले जो रंग
लेके आएंगे नई उमंग
गले मिलेंगे इक दूजे के
खूब नाचेंगे सबके संग
- रवींद्र कुमार शर्मा
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
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होली
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होरिया में भीगे सब आज
रंगीलो भयो भारत हमार
एक दूजे पे रंग् डार
मनाये सब होली त्यौहार
जित जित जाऊ उत उत आये
चुपके से मोहे रंग लगाये
भर पिचकारी मारे हाय
मनाये सब होली त्योंहार
भाई बहना सखी और सजना
सब मिल खेले होली अंगना
भाभी देवर से खुद को बचाये
मनाये सब होली तयोहार
इस होली एक प्रण ये करेंगे
अबीर गुलाल से होली खेलेंगे
गीली होली को करके बाय बाय
मनायें सब होली त्यौहार
कैसा विषम समय ये आया
कोरोना ने बहुत सताया
कोविड 19 का करके हाय हाय
मनायें सब होली त्यौहार
- शुभा शुक्ला निशा
रायपुर - छत्तीसगढ़
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होली
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होली, असत्य पर सत्य की,
विजय का प्रतीक पर्व,
यह पर्व करता है प्रेरित हमें,
कि सत्पथ/सन्मार्ग पर चलें,
आसुरी प्रवृतियों की द्योतक होलिका,
सत्य रूपी प्रहलाद को,
भस्म/आहूत करने में रही असमर्थ,
राष्ट्रीय और सांप्रदायिक एकता के प्रतीक इस पर्व ने,
हर बार कोशिश की है कि समरसता का रंग चढ़े,
जो आहिस्ता-आहिस्ता गहराये,
रंगे जन-जन के मन को,टेसू के बसंती रंग से,
प्रकृति तो सराबोर है,स्नेह से,
तत्पर है,आतुर है,करने को अभिनंदन जड़-चेतन का,
आवश्यकता है!
चिंतन और मनन की,
कि प्रकृति से जुड़कर चैतन्य बने हम,
करें वातावरण को आनंदित,प्रफुल्लित,
मिटाकर मन का मलाल,
लगा कपोलों पर गुलाल,
आत्मीयता की ऊर्जा से,
जन-जन को ऊर्जस्वित होने दें।
- प्रज्ञा गुप्ता
बाँसवाड़ा - राजस्थान
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होली के रंग
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कभी प्यार के अफसाने सुने, झेली नफरत की आंधियाँ
चलते चलते जीवन बीता, बीत गई जिंदगानी यां
कभी हिंसा की होली, देखी प्यार की रवानियां
चलते चलते जीवन बीता बीत गई जिंदगानियां।
कभी खुशी में जीता मानव
गमगीन कभी हो जाता है
दुश्मनों से तो जीत भी जाता
दोस्तों से हार जाता है
जीवन में बदलाते रंग, रहती सिर्फ निशानियां
चलते चलते जीवन बीता बीत गई जिंदगानियां।
सोचा है गीतों में इतना
अंतर का मैं प्यार भरूं
नफ़रत, हिंसा छोड़ दें सारे
शांत रहें, इतना मैं करूं
जीवन में बदलते रंग, बचती सिर्फ कहानियां
चलते चलते जीवन बीता बीत गई जिंदगानियां।
कभी प्यार के अफसाने सुने, झेली नफ़रत की आंधियां
चलते चलते जीवन बीता बीत गई जिंदगानियां।
- प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़
गोधरा - गुजरात
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होली
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सब त्यौहारों से
न्यारा,
होली है हम सब का प्यारा ।
रंग ,गुलाल, अबीर,
है सब दिल के करीब
देखे न राजा- रंक
खेले होली मिलकर
संग -संग।
भूले राग और द्वेष
गले लगे अलग परिधान और परिवेश
तभी तो बोले होली है
विशेष।
मीठे- तीखे खास पकवान,
घर आते अनेक
मेहमान।
बड़े बुजुर्ग का आदर करना,
हंस -हंस कर सब से
मिलना।
छाई रहती मस्ती और
खुमारी,
निकले टोली -टोली में
रंग संग पिचकारी।
भूले गम लाए खुशियां
घर आए परदेशी सैंया।
जीवन में उत्सव- उमंग
फीका ना हो कभी होली का रंग।।
- डाॅ पूनम देवा
पटना- बिहार
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होली
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होली रे
आयी मन को भायी
फागुन में होली के रंग
कन्हैया के संग
उठी मन में तरंग श्र
राधा प्रीत रंग
चुनरी भीजे सतरंग
श्याम के रंग में रंग
कान्हा, राधा भीजे
प्रेम के रंग में संग ।
ढोल बाजे बाजे मृदंग ।
आई फागुन रूत
गुलमोहर महके ,
देते ताली पात
सतरंगी चुनर सजी
पवन झकोरे ले रही
अमवा की डाली सजी
मंजरी ने खोली पलकें
पुष्प -पुष्प मुस्कराएं
महक महक पुष्प गयें
अली मदमस्त डोले पात -पात
कोयल गाये गीत
खुशबु सी देह हुई
मन हुएं गुलाल
जोगिया सारारारारा...........
फागुन के रंग बिखरें
गली गली चौपाल
वृंदावन की कुंज गली में
होली रंग में डूबें गोपी ,ग्वाल
मतवालें हो नाचें दे ताली
जोगिया सारारारा..........
भर पिचकारी कान्हा मारी
भीगी राधा प्यारी
मुस्काये कान्हा दे ताली
जोगिया सारारारा.........
श्रीश्याम रंग में रंग कर राधा
भूली सुध-बुध सारी ......
कान्हा बसे हिय में
अब ना चाहते कोई
जोगिया सारारारा...........।
फागुन में बिखरें रंग कुंज गली
ढोल बाजे गुंजे गीत
बरसे प्रेम रंग
झलकें प्रीत रंग ....
जोगिया सारारारा .........।
होली है ............।
- बबिता कंसल
दिल्ली
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होली
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चलो होली मनाते हैं!
अपने देश की मिट्टी से
किसानों के पसीने से
वीरों के बलिदानों से
प्रकृति के खजानों से
चलो होली मनाते हैं।
गंगा,यमुना के स्वच्छता से
बूँद-बूँद नीर सहेज
गर्मी में वृक्षों को बचा कर
हरियाली से धरा सजा कर
चलो होली मनाते हैं।
प्रह्लाद के भक्ति रस से
निषेध मुक्त आचरण से
धर्म,जाति के भेद मिटा कर
भिन्न को अभिन्न करते हैं
चलो होली मनाते हैं।
लोभ,मोह,क्रोध,अहंकार,
नफरत,कलह,कुंठा,क्लेश,
इर्ष्या,द्वेष,की ढ़ेर को
अच्छाई की तीली से
होलीका दहन करते हैं
चलो होली मनाते हैं
प्रीत के रंग और
रीत के गुलाल से
देह और अंतस को
धरती और अंबर को
इस तरह भिगोते हैं
चलो होली मनाते हैं।
- राजकांता राज
पटना - बिहार
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होली आई
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होली आई होली आई
कितने सारे रंग लाई
दादी अम्मा की अब बारी आई
होली की कई कहानियां सुनाई
हर कहानी में छुपी हुई
सीख दादी अम्मा ने हमको सिखलाई
होली आई होली आई
कितने सारे रंग लाई
एक था राजा हृन्याक्ष
यश बना दिया उसने अपयश
भक्त प्रह्लाद को रुला ना पाया
बहन होलिका को बचा ना पाया
अंत उसका ऐसा रंग लाया
अवतार नरसिंह धरती पर प्रकटाया
होली आई होली आई
कितने सारे रंग लाई
कृष्ण ने अपनी लीला रचाई
राधा संग होली मनाई
पूरी दुनिया बन गोपियां
कृष्ण के रंग में रंगी- रंगाई
रंग -बिरंगे रंगों में
झलक राधा -कृष्ण की समाई
होली आई होली आई
कितने सारे रंग लाई .........
- मोनिका सिंह
डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
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होली आयी रे
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मित्रों जरा सम्भलना,इस बार
अबकी होली है,खतरों का खेल।
दूर से ही हवा में गुलाल उड़ाना
और जोड़ लेना तुम हाथ अपने।
माथे पर एक टिका लगा देना-लेना
और जोड़ लेना तुम हाथ अपने।
गुझिया और नमकीन खाना
और ठंडाई पीना तुम घर अपने।
हाथ मिलाओगे भी अब कैसे...!!,
उसमें भी अब छूत का रोग लग गया।
वक्त ने भी क्या रचा है खूब सितम
होली भी आज नही रंगीनहीन हुई है।
कुछ ऐसी वक्त की चली आँधिया
कि जल गये कई घरौंदे खड़े-खड़े।
सूख गयी माँ की छातियां...।
सूख गया आँखों का पानी...।
खो गयी भारतीय त्योहारी खुशियाँ।
और खोए-खोए से हैं आज हम सभी।
भारत के वासी हैं हम सब
सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाते हैं।
जीवन में कभी डरना नही
और न ही किसी को डराना कभी।
होलीत्सव की शुभकामनाएं
दो गज की दूरी से ही देते जाना।।
- डाॅ.क्षमा सिसोदिया
उज्जैन - मध्यप्रदेश
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होली
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होली खेलो मिलकर सखा के संग
हर जन में जगाओ प्यार की तरंग
नफरत के सब मिटा दो रंग
हर घर महके खुशियों के संग
होली गिले शिकवे मिटाने आई
प्यार के रिश्तों को दी गहराई
मौसम ने भी ली अंगडाई
शीत ऋतु की हो गई बिदाई
ग्रीष्म ऋतु दरवाजे पर आई
सूरज ने अपनी गर्मी दिखलाई
बच्चो परीक्षा पास है आई
दिल लगा कर करो पढ़ाई
कुदरत के संग प्रीत लगाओ
हर मेंढ पर तुम पेड़ उगाओ
कुदरत की चारों ओर रंगों की बेलें
भंवरे,तितलियाँ मानो होली खेलें
होली रंगो का त्योहार
बच्चों की टोली करे मनुहार
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
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