क्या किसी की सफलता से जलना उचित है ?
सफलता किसी की भी हो, फर्क क्या पड़ता है । जलना किसी भी सूरत में उचित नहीं होता है । फिर भी जलने वालें की कोई कमी नजर नहीं आती है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
कदापि नहीं! अपितु उसकी सफलता से अपने आप को प्रोत्साहित करने की कोशिश करना चाहिए! अपने आपको अंदर से जगाने की कोशिश करनी चाहिए! यह अलग बात है प्रत्येक जीव में मनुष्य हो अथवा जानवर या पक्षी सभी में ईष्या और जलन की भावना होती है! जलन करना प्रत्येक जीव का स्वभाव है फर्क इतना है कि उसकी सफलता से हमारे मन में सकारात्मक भाव आते हैं अथवा नकारात्मक!
सकारात्मक सोच वाले दूसरे की सफलता को प्रेरणाश्रोत मान स्वयं भी सफलता को अपना लक्ष्य बना जुनून, परिश्रम, जिद्द ,आत्म-विश्वास के साथ संघर्ष की उड़ान भरता हुआ सफलता के क्षितिज को चूम ही लेता है!
वहीं नकारात्मक सोच वाले अपनी तुलना सफल व्यक्ति से करते हैं और नाहक ही जलन करते हैं!
किसी की सफलता देख उससे तुलना करने की बजाय हमें अपने आप की खुबियों और कमजोरियों को पहचानने की जरुरत है! अर्थात प्रथम अपने आप को पहचानों !
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
नही ? कभी भी किसी की सफलता से जलना किसी भी तरह से उचित नहीं है। क्योंकि जिसने भी जो भी सफलता अर्जित की है अपने परिश्रम, अपनी बुद्धि और अपने कौशल से प्राप्त की है। अपनी किसमत से उसने सफलता अर्जित की है। उसमें आपका कुछ नहीं जाता है। बल्कि कभी समय आने पर आप उससे कोई लाभ ले सकते हैं या वो आपको कोई लाभ दे सकता है। इसलिए किसी की सफलता नहीं जलना चाहिए। जलने से उसका कुछ नुकसान नहीं हो सकता बल्कि आपका ही नुकसान होगा। व्यर्थ में आपका समय और शक्ति क्षय होगा। बल्कि दूसरे की सफलता से प्रेरणा लेकर स्वयं सफल होने की कोशिश करनी चाहिए।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - पं.बंगाल
किसी की सफलता से जलना उचित नहीं है ,क्योंकि हर व्यक्ति सफलता के साथ जीना चाहता है। जो भी जिंदगी में व्यवहार कार्य करता है ,वह सफलता के लिए करता है ।अतः सभी व्यक्ति को कैसे सफलता मिले इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है ,ना की जलने की ।व्यक्ति सफलता की चाहत में ही व्यवहार कार्य करता है ।सभी का एक ही लक्ष्य है सफलता से जीना अर्थात कोई भी चीज की कमी ना होना। समस्या से मुक्ति होकर के जीना। अतः सफलता से जलने के बजाय एक दूसरे की सहयोग करने की आवश्यकता है ,क्योंकि एक दूसरे का सहयोग करने से सभी सफल हो सकते हैं ।जलने से नहीं। जलन ईष्या होती है और इससे किसी की व्यवस्था को बिगाड़ने में लगाते हैं यह मनुष्य की मनुष्यता नहीं है, अतः हर इंसान को किसी की सफलता का सम्मान करते हुए, उसे प्रेरणा लेने की आवश्यकता है ताकि हर इंसान प्रेरित होकर सफलता प्राप्त कर , सभी के साथ प्रेम भाव से जी सकें।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
ईश्वर ने सोच और स्वभाव को लेकर जहाँ एक ओर अद्भुत विशेषता दी है, वहीं दूसरी ओर इसमें उलझा भी दिया है। जो इसके उलझनों के जाल से निकल गया, वही विजेता।
किसी को सफलता को देखकर जलना भी स्वभावगत दोष है। ऐसा होना स्वभाविक भी है। समान गुण वाले या समान उद्देश्य को लेकर चलने वालों में जब उनमें से कोई सफल होता है तो असफल होने वालों को जलन होना सामान्य बात है। लेकिन जलन न होना, उसकी व्यक्तिगत विशेषता है। यह विशेषता संयम, अभ्यास, विवेक और अनुकंपा से ही प्राप्त होती है।
किसी की सफलता से जलना उचित तो हो ही नहीं सकता। मगर ऐसा होना स्वभाविक है, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
किसी की सफलता के लिए जलना सही नहीं होता। सफल कौन नहीं होना चाहते हैं पर सफलता मिलना आसान नहीं है। यह एक लंबे संघर्ष की दास्तां है।जब कोई व्यक्ति अपना संघर्ष शुरु करता है तो साथ देने के लिए उसकी निगाहें सबसे पहले अपने परिवार रिश्तेदार दोस्तों और अपनो की तरफ आशा से देखती है, परंतु उसमें इक्का-दुक्का लोग ही साथ आते हैं बाकी इंतजार करते यह इंतजार करने वाले भी दोनों में पड़ जाते हैं। वह जो सोचते हैं कि अब आप असफल हो तो वह सीधा कर देंगे देखो मैंने तो पहले ही कहा था और दूसरे वो जो आपके सफल होने पर आपके साथ इसलिए आए क्योंकि उन्हें अपना कोई स्वार्थ दिख रहा है परंतु अंदर ही अंदर दोनों में ईर्ष्या वह जनरल रही होती है। सफलता अकेलापन लाती है व्यक्ति जैसे जैसे सफल होते जाता है अकेला होता जाता है जितने सफल व्यक्ति हुए हैं उन्होंने अपनों के बीच अपनापन महसूस किया है यह जलने वाले उसे अपने होते हैं।जलन तब तक है जब आपको चाहते हैं जो दूसरे के पास है जलन तब तक है जब आप चाहते हैं कि वह उनके पास भी ना हो।आपको लग सकता है कि आप जितने ज्यादा सफल होते जाएंगे उतने ही लोग आपके लिए खुश होंगे यह बहुत दुखद है कि लोग खुश होने का स्थान पर जलन करने लगेंगे सच यह है कि क्यों आप को गिराने का इंतजार करने लगेंगे। अगर आपको एक भी व्यक्ति ऐसा मिल जाता है जो आपकी सफलता पर दिल से खुश हो तो उसके सोने के सामान संभाल कर रखना चाहिए। हर कहीं सफल और सम्मान पाने वाले लोगों को देखकर आप भी उनकी तरह बनने का सपना देखते हैं लेकिन ऐसा तभी मुमकिन होगा जब सफल होने के लिए जरूरी बातों को अपने जीवन व्यवहार में अपनाएं। यह बातें जो आपको सफल बनाती है मान सम्मान भी लाती है। हर किसी को की चाहत होती है कि उसे व्यक्तिगत और व्यवसाय दोनों स्तर पर सम्मान मिले लेकिन लाख से आने के बाद प्रयास करने के बाद भी अगर ऐसा संभव नहीं हो पाता है तो समझ जाइए कि कुछ जरूरी बातें आप से नजरअंदाज हो रही है ऐसे में निराश ना हो कुछ सामान लेकिन कारगर बातों को अमल में लाएं ऐसा करने पर आपको मान सम्मान और सफलता दोनों ही मिलेगी और आपका जीवन खुशियों से भर जाएगा।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
मानवीय जीवन में किसी के स्वयंभू साहसिक कार्यों का अपने-अपनों के बीच स्वतः जलन की भावनाओं का जन्म होना, एक स्वाभाविक प्रक्रिया हैं, जिनके मन मस्तिष्क से निकालना मुश्किल हो जाता हैं। जबकि उसकी सफलता का मूल्यांकन कर आशीर्वाद देकर, उसका हौसला अफजाई करना चाहिए ताकि भविष्य में सकारात्मक परिणाम सार्थक हो और उसे हर पल खुशी ही दिखाई देती रहें। स्वयं तो कुछ भी नहीं कर सकते हैं और दूसरों की आलोचनात्मक करके व्यर्थ समय व्यतीत कर ऊर्जा नष्ट करने में जीवन यापन कर जीवित हैं। उत्थान-पतन एक सिक्के के दो पहलू हैं और दोनों की क्रियाऐं एक ही हैं, लोहे को जितना भी तपाओगें, उतनी ही अच्छी आकृतियां बनती जायेगी, उसी प्रकार से व्यक्ति की पहचान होती हैं, यही श्रृंखला का परिचयात्मक परिणाम हैं।
यह भी क्या हैं, स्वयं का खून जलाकर, अपने आपको गलाकर, जीवित अवस्था में रहना कहा का संदेश हैं, जब हम किसी का अच्छा सोच नहीं सकते तो बुरा भी नहीं सोचना चाहिए?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
मैंने अमूमन यह वाक्य कई जगह पढ़ा है कि 'जलो मत रीस करो' इसका मतलब यह दर्शना होता है कि हमें किसी की सफलता से जलना नहीं चाहिए बल्कि हमें भी वैसे ही सफलता हासिल करने का प्रयास करना चाहिए ।हर व्यक्ति सफल होना चाहता है लेकिन सफलता आसानी से नहीं मिलती । सफलता के पीछे एक लंबे संघर्ष की कहानी जुड़ जाती है। संघर्ष के बिना सफलता नहीं और बिना सफलता के जीवन खुशमय, सुखमय नहीं बनता। सुखी जीवन की इच्छा रखने वाला व्यक्ति सदा मानवीय और नैतिक गुणों से ओतप्रोत रहता है। किसी की सफलता से जलता नहीं है बल्कि सफल होने की इच्छा मन में पाल लेता है । दूसरों की सफलता से जलन ,ईर्ष्या का भाव नकारात्मकता का प्रदर्शन करता है ,जब कि किसी की सफलता को प्रेरणा मानकर स्वयं भी सफल होने का भाव रखना, सकारात्मक सोच कहलाती है। सफलता पाने के लिए कड़ी मेहनत और सच्ची लगन बहुत आवश्यक है,बिना मेहनत के कुछ नहीं मिलता। अतः किसी सफल व्यक्ति को जीवन आदर्श मानकर संघर्ष, मेहनत और लगन के आधार पर अपनी कला ,निपुणता ,सक्षमता और हुनर को निखारा जा सकता है और सफलता प्राप्त की जा सकती है। किसी भी सफल व्यक्ति के प्रति हमारा नजरिया नफरत और ईर्ष्या- द्वेष का नहीं होना चाहिए बल्कि आदर का भाव प्रदर्शित करते हुए प्रेरणा ग्रहण करनी चाहिए । तुच्छ मानसिकता मनुष्य को कभी भी सफलता के मार्ग पर अग्रसर होने नहीं देती ,हमेशा बाधक ही बनी रहती है । इसलिए ऐसी सोच को त्यागना ही श्रेय कर रहता है।
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
इस प्रश्न का उत्तर कौन "हाँ" में दे सकता है? किसी की सफलता से जलना मानवीय अवगुण है और कदापि उचित नहीं है। यह एक अलग बात है कि हम स्वयं, और हमारे मध्य अनेक ऐसे मनुष्य होते हैं जो अपनी असफलताओं के कारणों पर विचार नहीं करते बल्कि इस अवगुण के शिकार होते हैं। जबकि सफल व्यक्ति एक उदाहरण होते है और बहुत से सकारात्मक विचार वाले मनुष्यों की प्रेरणा होते हैं।
जब कोई व्यक्ति उत्तम प्रयासों और पूर्ण निष्ठा-लगन-मेहनत से सफलता प्राप्त करता है तो उसकी सफलता से जलने वाला कोई नाकारा और नकारात्मक भावों से युक्त व्यक्ति ही होगा।
किसी की सफलता हमारे लिए 'प्रेरक' का कार्य करती है या हमारे मन में 'ईर्ष्या' उत्पन्न करती है, यह अपने-अपने दृष्टिकोण की बात है।
साथ ही सफलता के सन्दर्भ में यह भी कहना चाहूँगा कि......
अपनी सफलताओं से व्यक्ति तभी सराहना पाता है जब वह सफलता बिना किसी अन्य को हानि पहुंचाये, प्राप्त की गयी हो।
"बेशक सुखों का समुन्दर लाती है सफलता तेरी,
पर रौंदकर स्वप्न किसी के न आई हो सफलता तेरी।
आनन्दित होगें सभी तुझसे ज्यादा तेरी सफलता पर,
पर किसी को रुला कर न आई हो सफलता तेरी।।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
जी कतई अनुचित है दूसरों की सफलता से जलन रखना । क्योंकि दूसरों की सफलता आपके मौके कम नही करती आठ दूसरों की सफलता को प्रेरणा की तरह अंगीकार करना चाहिए ।
सफल लोगो के लिए एक मशविरा है कि अगर लोग आप से जलते हैं तो खुश होइए कि आप सही काम कर रहे हैं क्योंकि असफल लोगों से कोई नहीं जलता ।कुछ लोग आपकी सफलता से खुश नहीं हो सकते यह उनकी समस्या है, आपकी नहीं ।
जो लोग दूसरों की सफलता से खुश नहीं हो सकते, वह कभी अपनी सफलता देख भी नहीं पाते, क्योंकि किसी की सफलता से कदापि नहीं चलना चाहिए। सच्चाई यह है कि किसी दूसरे की सफलता आपसे कुछ नहीं चुराती है ,उसे प्रेरणा की तरह लेना चाहिए ना कि ईर्ष्या से जलकर खुद का नुकसान करना ।
अगर कोई सफल होता है तो आपको खुश होना चाहिए कि अगर वह कर सकता है तो आप भी कर सकते हो ।
किसी और की सफलता आपके मौकों को कम नहीं करती बल्कि वह आपको प्रेरणा देती है आप वहां तक पहुंच सकते हो ।
जब कोई व्यक्ति संघर्ष शुरु करता है तो साथ देने के लिए उसकी निगाहें उसके अपने दोस्तों, रिश्तेदारों ,परिचितों की तरफ आशा से देखती हैं परंतु उसमें से इक्का-दुक्का लोग ही साथ आते हैं ,बाकी इंतजार करते हैं उसकी असफलता की सूचना का ।
व्यक्ति जैसे जैसे सफल होता जाता है ,अकेला होता जाता है। जितने व्यक्ति सफल हुए अपनों के बीच उन्होंने बेगाना पन महसूस किया ,ज्यादातर जलने वाले उसके अपने ही होते हैं ।
परंतु ऐसी सोच को त्याग देना चाहिए यह बहुत ही गलत बात है ऐसी सोच खुद को ही नुकसान करती है ,सफल व्यक्ति का नही ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
कतई उचित नहीं,किसी की सफलता से जलना। यह जलन, ईर्ष्या,डाह हमेशा नकारात्मक भाव, प्रभाव देती है। इसमें फंसकर अपना ही नुकसान होता है। कभी भी कोई लाभ नहीं होता।
एक दोहा याद आ रहा है -
लकड़ी जल कोयला भयी,कोयला जल भयी राख/मैं बैरन ऐसी जली,कोयला भयी न राख।
यहां उसी मानसिक जलन की चर्चा है,जिसका वर्णन इस दोहे में किया गया है।
यदि किसी की सफलता को प्रेरणा के रुप में लें तो देखिए किस तरह सफलता के द्वार आपके लिए खुलते हैं। यह ठीक है कि मात्र इतने से ही सफलता नहीं मिल जाएगी लेकिन सकारात्मक सोच ही सफलता की पहली सीढ़ी होती है।
जलन कब किस के मन में आ जाए,हो जाए कह नहीं सकते। वैसे जलन एक मानसिक रोग है, जिसका दुष्प्रभाव स्वयं पर ही नहीं आसपास में भी होता है। इसलिए जलन नहीं करनी चाहिए,प्रेरणा लेनी चाहिए।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
किसी की सफलता से जलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है और यही जलन, जलने वाले की प्रगति के मार्ग में बाधा उत्पन्न करती है क्योंकि जलने वाला व्यक्ति दिन रात सफल व्यक्ति का अहित करने की सोचता रहता है ।
माना कि यह उचित नहीं है परंतु इस आदत के चलते लोग 'चिकने घड़े' बन गए हैं, वे येन- केन- प्रकारेण सफलता की और अग्रसर व्यक्ति को हतोत्साहित करने में लगे रहते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए क्योंकि प्रकृति का यह नियम है कि जो कुछ हम किसी को देते हैं वही एक दिन हमारे पास लौटकर आता है । अतः सफलता सफल से जलने के स्थान पर उसे प्रोत्साहित कर आगे बढ़ने में सहयोग करना चाहिए इससे यह फायदा होगा कि असफल को भी सफलता की राह दिखाई देने लगेगी ।
- बसन्ती पंवार
जोधपुर - राजस्थान
हर इंसान इच्छुक होते हैं अपने जीवन मे अपने कार्य क्षेत्र में सफल होने के लिए। इनका जीवन शुरुआत में संघर्ष से शुरू होता है। साथ देने के लिए उनके निगाहें सबसे पहले रिश्तेदारों दोस्तों और परिजनों की तरफ आशा से देखती है। परंतु इसमें इक्का-दुक्का लोग ही साथ होते हैं। बाकी इंतजार करते हैं। इंतजार करने वाले भी दो भाग में बट जाते हैं एक वह जो सोचते हैं कि कब असफल हो और सिद्ध करें देखो मैंने पहले ही कहा था ,और दूसरे वो जो आपके सफल होने पर आपके पास इसलिए आए क्योंकि उन्हें अपना स्वार्थ दिख रहा है। अंदर ही अंदर दोनों के ईर्ष्या वह जलन पल रही होती है। सफलता अकेलापन लाती है, जैसे सफल हुए आप अकेला हो जाएंगे।
लेखक का विचार:--अगर लोग आप से जलते हैं तो खुश होइए , क्योंकि आप सही काम कर रहे हैं। असफल लोगों से कोई जलता नहीं।
मेरा सुझाव अगर कोई सफल हो रहा है तो आपको खुश होना चाहिए और उनसे प्रेरणा लेकर आप भी वहां तक पहुंच सकते हैं।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
इसका साधारण सा उत्तर है-नहीं।कभी किसी की सफलता से जलना उचित नहीं है पर ऐसा होता है क्योंकि यह ईर्ष्या भाव मानव का सामान्य स्वभाव है।जिस चीज को वह प्राप्त नहीं कर सका उसे जो प्राप्त करता है उसके प्रति जलन का भाव उत्पन्न होना मनुष्य का सामान्य भाव है।इसे कोई झुठला नहीं सकता।जिसके मन में इस भाव का उदय नहीं होता वह उसकी सफलता पर खुश होता है,उसे बधाई देता है।ऐसे व्यक्ति महान समझे जाते हैं।
अतः ईर्ष्या भाव को त्याग कर हर व्यक्ति को चाहिए कि सफल होने का उपाय ढूंढ़े और उस पर अमल करें तो सफलता उसके कदम चूमेगी।नैराश्य भाव दूर होंगे।जीवन सुखद होगा।
- इन्दिरा तिवारी
रायपुर-छत्तीसगढ़
"रास्ते खुद ही बनाए उस सख्स ने, जिसमें जुनून था,
जीत की जलन तो देखो पड़ोसियों को न सुकून था"।
जलन एक एैसी चीज है जो किसी भी तरह की हो सकती है, चाहे किसी की तरक्की की हो, किसी की पढ़ाई की हो या किसी का नाम उंचा होने की हो कहने का मतलब जब कोई इंसान कड़ी मेहनत से किसी भी फील्ड में तरक्की कर लेता है तो बहुत सारे लोग उसकी तरक्की को देखकर जलन महसूस करते हैं या ईष्या करते हैं लेकिन बहुत कम लोग खुश होते हैं,
तो आईये आज इसी बात पर चर्चा करते हैं कि क्या किसी की सफलता पर जलना उचित है?
मेरा मानना है कि हमें किसी की सफलता पर जलन महसूस नहीं करनी चाहिए, अगर कोई सफल होता है तो हमें खुश होना चाहिए, व उस व्यक्ति की प्रशंसा करनी चाहिए और उससे सीख लेना का प्रयास करना चाहिए ताकि हम भी अपने कार्य में उसी तरह से मेहनत करें ताकि हम भी तरक्की कर सकें इससे हमारा मान भी बढ़ेगा और उस व्यक्ति को अच्छा भी लगेगा इसके बदले अगर हम जलन महसूस करेंगे तो उस व्यक्ति की तरक्की तो रूकेगी नही़ उल्टा हम अपने आप को जलाएंगे,
अक्सर देखा गया है सफलता अकेलापन ही लाती है क्योंकी जैसे जैसे व्यक्ति सफल होता है अकेला होता जाता है आज तक जितने भी सफल व्यक्ति हुए उन्होंने अपने बीच बेगानापन महसूस किया यह भी पाया कि जलने वाले उनके अपने ही होते हैं,
सफलता का सबसे दुखद पहलु यह है कि कोई एक भी अपना नहीं मिलता जो सफलता को देखकर खुश होता होगा,
लोग दुसरों की सफलता को देखकर इसलिए जलते हैं वो उसकी सफलता को देखते हैं उसके परिश्रम को नहीं देखते, खुद तो परिश्रम करते नहीं दुसरे का सहन नहीं कर पाते लेकिन यह सच है कि ईर्ष्या की आग जलानै वालों को ज्यादा जलाती है,
सफलता कौन नहीं चाहता पर सफलता पाना इतना आसान नहीं यह एक लम्वे संघर्ष की दास्तां है, जब कोई संघर्ष करता है तो साथ देने के लिए उसकी निगाहें सबसे पहले अपने नाते रिश्तेदारों व दोस्तों की तरफ देखती हैं परंतु उनमें से इक्का दुक्का लोग ही साथ देते हैं बाकि तो इंतजार करते हैं कब यह असफल हो जाए तो हम इसे कहे़ कि आपका रास्ता सही नही़ था कुछ तो सफल होने पर अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए आते हैं लेकिन सफल व्यक्ति को इन सभी को कोई इतना फर्क महसूस नहीं होता क्योंकी वो अपना प्रयास बराबर जारी रखता है और कामयाबी उसका साथ नहीं छोडती फर्क तो पड़ेगा जलन करने वालों को क्योंकी ऐसा करने से हमारे दिमाग के किटाण सिकुड़ते हैं जिसका प्रभाव हमारे मन मों पड़ता है और हम हर पल दुखी रहने लगते हैं व चिड़चिडे हो जाते हैं, साथ में घर के लोगों के साथ हमारा व्यवहार गल्त हो जाता है और घर का वातावरण खराब हो जाता है व ऐसे लोग किसी को भी अत्छे नहीं लगते,
अन्त मो यही कहुंगा कि हमें किसी की खुशियों को देखकर खुश होना चाहिए और उसे और आगे बढ़ने का प्रोत्साहन देना चाहिए जिससे समाज मे भी छवि अच्छी बनती है और हमारे अन्दर खुशी की लहर भी सकारात्मक ऊर्जा देती है,
देखा जाए बहुत सारे दुखों का कारण हमारे अपने दुख नहीं होते वरना दुसरों की खुशी होती है हमें इससे ऊपर उठना चाहिए और दुसरों की सफलता को देखकर खुश रहने कै साथ साथ आगे बढ़ने की प्रेरणा भी लेनी चाहिए,
सच कहा है,
"ईर्ष्या की आग में इतना मत जलो कि राख बन जाओ,
सुलगा कर आग जुनूनीयत की बखूबी शोला कहलाओ"।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
किसी की सफलता पर जलना अच्छी बात नहीं। जो मनुष्य जलन करता है वह जिंदगी में कभी भी सफल नहीं हो सकता। जिंदगी में प्रत्येक व्यक्ति सफल होने चाहता है पर सफलता मिलना आसान नहीं होता। सफलता लम्बे संघर्ष की दास्ताँ होती है। इस लिए किसी की सफलता से जलना नहीं चाहिए।
यह जीवन का दुखद पहलू है कि लोग किसी की सफलता पर जलने लगते हैं ।जलना एक भावना है। यह मनुष्य की प्राकृति है। यह स्वाभाविक है।बहुत कम लोग होते हैं जो दूसरों को आगे बढ़ते देख खुश होते हैं।
हमें जलने की बजाय उस इन्सान के गुणों को अपनाएं और जीवन में उन से कुछ सीखें। जलने से तो खुद की जिंदगी बर्बाद करना है। जब किसी के प्रति जलन की भावना आए तो विचारों को सकारात्मक सोच की ओर मोड़ना चाहिए। मनुष्य को अपने कर्म पथ पर चलते रहना चाहिए और दूसरे की चिंता छोड़ देनी चाहिए।
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
किसी की सफलता से जलना या द्वेश करना उचित नहीं है । ईश्वर ने प्रकृति में तीन गुण उत्तपन्न किए ...सत्व ,रजो और तमो गुण । इन्हीं गुणों को मिला कर सृष्टि की रचना हुई ।अतः कमोबेस लेकिन हर व्यक्ति में तीनों गुण रहते हैं । तमो गुण वाले इंसान में विवेक नहीं होता या कम होता है । जलन या किसी को बढ़ता देख कर बेचैन होना ,तामसी गुण में आता है । उसके पास समझ और कर्म दोनों कम या नहीं होते हैं ।सभी बुरे आचरण उसके मित्र होते हैं । स्वस्थ दिमाग का व्यक्ति दूसरे की सफलता देख कर स्वयं भी प्रयास करता है जब की जलने वाला व्यक्ति स्वयं के समय को एेसे ही फालतू में नष्ट करता है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
किसी की सफलता से जलना उचित नहीं है। उचित यह है कि हम भी उतनी ही मेहनत कर वैसी सफलता प्राप्त करें या उससे अधिक सफलता प्राप्त करें। जलने से हम शक्तिहीन और लक्ष्यहीन हो भटक जाते हैं। किसी की सफलता से प्रेरित हों, जले नहीं।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
किसी के सफलता में जलना बिल्कुल अनुचित है यही तो नकारात्मक प्रवृत्ति है जिसके कारण दूसरे की हानि नहीं होती है खुद को ही हानि होती है दूसरे की सफलता अगर जलन का कारण बनता है तो जलन कहां हो गई है खुद में बीमार वह व्यक्ति होगा जो जलता है इसलिए व्यक्तिगत विनाश ना करें और दूसरों की सफलता से प्रोत्साहन लेने का प्रयास करें उन से टिप्स ले तरीका सीखे कैसे आप अपने क्षेत्र में सफल हुए हैं।
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
जी नहीं ।किसी की सफलता हमारा मार्गदर्शन करती है। आगे बढ़ने का मार्ग प्रशस्त करती है। दूसरे की तरक्की हमें भी अपने पथ को सफलता से जोड़ने को बाध्य करती है।
ऐसा होता नहीं है। मानव की प्रकृति के मूल में ईश्वर ने हरतरह की भावना डाली है। उसी में एक है जलन। जो दुर्विचार है। इसी के शेयर दुनिया में अपराध पनप रहे हैं । इस पर मनुष्य अगर काबू कर लेता है तभी वह साधुवाद का अधिकारी हो पाता है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
दूसरे की सफलता से जलना कदापि उचित नहीं है। चूंकि किसी को किसी की सफलता से जलने पर कोई लाभ नहीं होता। जबकि जलने वाले का रक्तचाप से लेकर मनोबल तक गिरता अवश्य है और गिरावट चाहे किसी भी प्रकार की हो "हानिकारक" ही होती है।
उल्लेखनीय है कि जिस प्रकार दीमक लकड़ी को खा जाती है उसी प्रकार ईर्ष्या व्यक्ति के व्यक्तित्व को खोखला कर देती है और मस्तिष्क को खा जाती है। इसलिए दूसरों की सफलता को चुनौती के रूप में लेकर संघर्ष करना चाहिए और स्वयं सफलता प्राप्त कर दूसरों के लिए उदाहरण बनना चाहिए।
देखने को मिलता है कि प्रायः लोग दूसरों की सफलता, सुंदरता, विकास, आत्मविश्वास और यहां तक कि आत्मनिर्भरता से जलते हैं और अपना सर्वनाश कर लेते हैं। उदाहरणार्थ पाकिस्तान भारत की सफलता से उत्साहित नहीं होने के कारण ही आज इस मुकाम पर पहुंच गया है कि कोरोनावायरस की रोकथाम हेतु भारत से औषधि मांगने पर भी संकोच कर रहा है। जबकि भारत दुनिया भर में अपनी औषधि पड़ोसियों को निशुल्क देकर अपनी विजय गाथा गाते हुए तिरंगा ऊंचा फहरा रहा है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जीवन में सफलता लम्बे संघर्ष की दास्तान है l आपकी सफलता पर जलने वाले दो प्रकार के लोग हैं -एक तो इंतजार करते हैं कि संघर्ष में आप कब असफल रहे और यह कहें कि मैंने पहले ही यह कहा था.... दूसरे वे जो आपकी सफलता पर स्वार्थवश आपके पास आते हैं लेकिन अन्तोगत्वा दोनों के मन में ईर्ष्या व जलन ही पनप रही होती है l जो अनुचित है, इतना तो सोचिये किसी की मोमबत्ती बुझाने का प्रयास करने का अर्थ यह कदापि नहीं कि आपकी मोमबत्ती तो जल गई है l
किसी की सफलता से जलना ईर्ष्या के स्थान पर आप उनसे प्रेरणा ले कि आप भी वहाँ पहुँच सकते हैं l गरुत्वआकर्षण का नियम कहता है कि बिना प्रयास के सिर्फ नीचे गिर सकते हैं, ऊपर नहीं उठ सकते l दूसरों की सफलता को उत्पालावन बल के रूप में ले लेकिन -
सकल पदार्थ हैं जग माहि
परमहीन नर पावत नाहि लिए
ऐसे कर्महीन व्यक्ति आपके सगे बनकर आपकी सफलता में बाधा ही उतपन्न करते हैं l जीवन में आई हुई बाधाओं को अवसर के रूप में पहचानकर लक्ष्य निर्धारण करते हुए सफलता अर्जित करें l
हम किसी भी सफलता पर जलन न करें अपितु इच्छा शक्ति को प्रबल करें क्योंकि यह वह कल्पवृक्ष है जो आपको हर वो चीज दे सकती है जिसकी आप कल्पना करते हैं l
चलते चलते ---
ईर्ष्या ऐसी विकृति है जो पहले व्यक्ति को स्वयं जलाती है बाद में दूसरों को नष्ट करती है l जैसे -माचिस की तीली स्वयं जलती है फिर दूसरों को जलाती है वैसे ही ईर्ष्या की प्रवृति होती है l अतः
अपो दीपो भव:l
- डॉ . छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
" मेरी दृष्टि में " सफलता से जलने की बजाय कुछ ना कुछ सीखना अवश्य चाहिए । उसे अपना आदर्श बना कर , अपना मार्ग दर्शन के लिए प्रयोग करना चाहिए । यही सभी की सफलता से प्ररेणा लेनी चाहिए ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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