सफलता के लिए कौन सी चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए ?

चुनौतियों के बिना कभी सफलता नहीं मिलती है । ऐसा सभी जानते हैं । फिर भी चुनौतियों को सोच समझ कर ही स्वीकार करना चाहिए । तभी सफलता कारगर सिद्ध हो सकती है । सफलता का मूलमंत्र का ज्ञान ही सबसे बड़ी चनौती होता है । यहीं कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों देखते हैं : -
सफलता के लिए परिस्थितियां, समस्याएं, कठिनाइयाँ, भाग्य, समय, असंभवता, हार ना मानना, आत्मनिरीक्षण, विश्वास, चिंता, सोच, प्रसन्नता, सामर्थ्य इत्यादि चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।पर जब हम जीवन का लक्ष्य निर्धारित करके अथक परिश्रम करते हुए उक्त बिंदुओं पर सकारात्मक सोच से अपनी राह पर चलते हैं और फिर भी यदि कहीं असफलता लगे तो लक्ष्य नहीं रणनीति बदल कर प्रसन्न भाव से संयम के साथ अज्ञान के संदेह को मिटाकर सफलता के हित जुट जाना ही श्रेयस्कर है; तब सफलता नि:संदेह हमारे चरण चूमती है। मेरे द्वारा लिखी कविता की पंक्तियां भी इस भाव को दर्शाती हैं----
 चाहते हो बनना अगर कालजयी।
कोष में शब्द पूजन का विश्वास है।।
 हर अंधेरे से चीखी यहां
 रात है । 
सत्य से अब सिसकता यहां प्रात है।।
 मंजिलों की मूठ हाथ की मुट्ठियाँ।
 एक स्वर से नकारें जो प्रतिघात है।।
 -  डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
चुनौतियां स्वीकार करना ही सफलता का मूल मंत्र है। जीवन में चुनौतियों से घबराना नहीं बल्कि मुकाबला कर सफलता के द्वार तक पहुंचना है। मनुष्य अपने जीवन में हमेशा सकारात्मक सोच लेकर ही जीना चाहिए और अपने जीवन में सफलता पाने के लिए कभी भी चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए। स्वीकार करते हुए जीवन में आगे बढ़ते रहना चाहिए वह प्रतिदिन अपने कार्यों को मंथन करें। अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अग्रसर रहना चाहिए।
लेखक का विचार:--- सफलता आपकी मानसिकता पर निर्भर करती है। जरूरत पड़ती है अपनी क्षमताओं पर विश्वास करना, सकारात्मक तरीके से चुनौतियों से लड़ने की इच्छा शक्ति दिखाएं।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
सफलता पाने के लिए हर व्यक्ति को किसी भी समस्या से डटकर मुकाबला करना चाहिए। जीवन में उतार-चढ़ाव परेशानी उसने आते रहती है पर हमें इसके लिए संयम बरतने की बहुत जरूरत होती है। क्षमा मैत्रीय ने कहा कि चुनौतियों को स्वीकार करना ही सफलता का मूल मंत्र है। इसलिए जीवन में चुनौतियों से घबराना नहीं बल्कि मूवी मुकाबला कर सफलता के द्वार तक पहुंचा जाता है। जीवन एक संघर्ष है। चुनौतियां तो आएगी इससे सहन कर जो हिम्मत हार जाते हैं सफलता उनसे दूर भाग जाती है जब समय विपरीत होता है तू मजबूत दिल के लोग और भी जोश के साथ आगे बढ़ते हैं मुश्किलें ही अंकिता समाप्त होती है साहसी आदमी का साहस कभी समाप्त नहीं होता।पदम श्री सम्मान से सम्मानित डॉ मत मैत्री कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में हमेशा सकारात्मक सोच लेकर ही जीना चाहिए और अपने जीवन में सफलता पाने के लिए कभी भी चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए और उन्हें स्वीकार करते हुए जीवन में आगे बढ़ना चाहिए और उन्हें स्वीकार करते हुए जीवन में आगे बनना चाहिए मनुष्य अपने जीवन के भीतर जाकर देखना चाहिए वह प्रतिदिन अपने कार्यों को मंत्र करना चाहिए कि आज उन्होंने क्या किया।
सफल लोग जीवन में आई कई तरह की चुनौतियों का सामना करके ही आगे बढ़ते हैं जहां अधिकतर लोग इन समस्याओं को अपनी सफलता के रास्ते में रुकावट के रूप में देखते हैं और घबरा जाते हैं। क्षमा मैत्रीय ने कहा कि चुनौतियों को स्वीकार करना ही सफलता का मूल मंत्र है। इसलिए जीवन में चुनौतियों से घबराना नहीं बल्कि मूवी मुकाबला कर सफलता के द्वार तक पहुंचा जाता है। जीवन एक संघर्ष है। चुनौतियां तो आएगी इससे सहन कर जो हिम्मत हार जाते हैं सफलता उनसे दूर भाग जाती है जब समय विपरीत होता है तू मजबूत दिल के लोग और भी जोश के साथ आगे बढ़ते हैं मुश्किलें ही अंकिता समाप्त होती है साहसी आदमी का साहस कभी समाप्त नहीं होता।पदम श्री सम्मान से सम्मानित डॉ मत मैत्री कहा कि मनुष्य को अपने जीवन में हमेशा सकारात्मक सोच लेकर ही जीना चाहिए और अपने जीवन में सफलता पाने के लिए कभी भी चुनौतियों से घबराना नहीं चाहिए और उन्हें स्वीकार करते हुए जीवन में आगे बढ़ना चाहिए और उन्हें स्वीकार करते हुए जीवन में आगे बनना चाहिए मनुष्य अपने जीवन के भीतर जाकर देखना चाहिए वह प्रतिदिन अपने कार्यों को मंत्र करना चाहिए कि आज उन्होंने क्या किया।
सफल लोग जीवन में आई कई तरह की चुनौतियों का सामना करके ही आगे बढ़ते हैं जहां अधिकतर लोग इन समस्याओं को अपनी सफलता के रास्ते में रुकावट के रूप में देखते हैं और घबरा जाते हैं।यह देखना वाकई दिलचस्प होता है कि सफल लोग अपनी समस्याओं से कैसे डील करते हैं और उनके समाधान कैसे ढूंढते हैं जहां अधिकतर लोग इन समस्याओं को अपनी असफलता के रास्ते में रुकावट के रूप में देखते हैं और घबरा जाते हैं वही सब लोग इन्हीं चुनौतियों के रूप में स्वीकार करते हैं और इसका सामना कर ज्यादा सफल होते हैं वह अपनी कठिनाइयों से ही साथ छोड़ पाते हैं क्योंकि उनमें कभी नकारात्मक विचारों को जाने देने की काबिलियत होती है अधिकतर लोग इन्हीं नकारात्मक विचारों की वजह से चुनौतियों से नहीं पाते असल में सफलता अपनी मानसिकता पर निर्भर करती है आपको जरूरत होती है तो बस अपनी क्षमताओं पर विश्वास करने की और सकारात्मक तरीकों से लड़ने की।
- अंकिता सिन्हा क्वयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
        चुनौतियों कुछ भी हों कर्म के आगे एक न एक दिन नतमस्तक हो ही जाती हैं। जो कर्मवीर की सहनशक्ति व सहनशीलता पर निर्भर करती हैं कि वह अपनी सफलता प्राप्ति के लिए उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों में धेर्य का कवच कब तक ओढ़े रखते हैं?
        सत्य तो यह है कि चुनौतियों को स्वीकार करना ही सफलता की कुंजी माना जाता है और चुनौतियों को स्वीकार करने वाला योद्धा कभी हार ही नहीं सकता। क्योंकि उस योद्धा को द्वापरयुग के विष्णु अवतार श्रीकृष्ण जी द्वारा महाभारत युद्ध में अर्जुन को दिए गीता उपदेश का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है और जिन्हें ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त हो जाए फिर 'सफलता' की क्या औकात कि उन्हें नतमस्तक न करे?
        उल्लेखनीय है कि चुनौतियां असल में जीवन का लक्ष्य निर्धारित करती हैं और लक्ष्य ही जीवनयापन का मूल आधार होता है। जिसे अनमोल जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कहना अतिश्योक्ति नहीं कहा जा सकता। अतः किसी भी चुनौती को स्वीकार करने पर सफलता अंततः अवश्य प्राप्त होती है और यह आवश्यक नहीं है कि चुनौतियों की विशेषताओं के प्रकार या स्वरूप क्या हों?
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
यह निर्विवाद सत्य है कि चुनौतियों के साथ जिद व संकल्प ही व्यक्ति  को सफलता  दिलाती है ।
सर्वप्रथम सफलता के लिए जरूरी है खुद को जानना खुद को  पहचानना  । 
सफलता क्या है ?  हर किसी की सफलता की परिभाषा दूसरों से भिन्न होती है ।
कुछ के लिए यह मन की अवस्था है ,कुछ के लिए भौतिक सुख तो कुछ के लिए एक निश्चित पद को पाना और कुछ के लिए समाज में कुछ बड़ा कर सोहरत व नाम कमाना ।
मेरे विचार से सफलता कभी पूरी नहीं होती ,बल्कि है सापेक्ष होती है। 
असल में सफलता हमेशा बेहतर करने व आगे बढ़ने का संदेश देती है ।
संसार की सफलताओं का मूल मंत्र उत्कृष्ट मानसिक शक्ति ही होता है ।
जिसमें दो प्रमुख मानसिक शक्तियां मानी जाती है एक तो दृढ़ संकल्प शक्ति और दूसरी संयम की शक्ति ,जिसकी प्रबलता से संसार में कोई भी वस्तु प्राप्त की जा सकती है ।
जीवन निर्माण के प्रत्येक क्षेत्र में संकल्प शक्ति व संयम को विशेष स्थान मिला मिला है ।
जब आप खुद को दूसरों से तुलना कर खुद को संतुष्ट महसूस करने लगते हैं तब आप लंबे समय तक सफल नहीं रह पाते। इसलिए आपको अपनी कामयाबी की तुलना दूसरों से नहीं करनी चाहिए।
 सफलता के लिए कुछ चुनौतियों को स्वीकार करना परम आवश्यक है ।
सफलता के लिए  बेहद जरूरी है अनुशासन व समय का सदुपयोग तथा जुझारूपन ।
संकल्प के साथ लक्ष्य के प्रति की गई मेहनत सफलता निश्चित तौर पर प्रदान करती है ।
चुनौतियों के साथ जिद व संकल्प सफलता दिलाती है।
 सफल होने के कई रास्ते हैं निर्भर करता है कि आप किस रास्ते को चुनते हैं । इसमें यह बात भी मायने रखती है कि वह रास्ता आपके  लिए कितना उपयुक्त है।
 लेकिन सफल लोगों में एक बात तो समान होती है कि वह कुछ खास आदतें विकसित कर लेते हैं, जिन्हें हर रोज दोहराते हैं ,फिर कोई भी हालात हों वह अपने रास्ते नहीं बदलते ।
सफलता के लिए आप अपनी मानसिक ऊर्जा को बढ़ाएं और जानकारियां ग्रहण करते रहें।
 बेहतर स्वास्थ्य के लिए खानपान और नियमित व्यायाम आवश्यक रूप से करें क्योंकि बीमार रहेंगे तो सफलता के मार्ग में बाधाएं  आएंगी । इसलिए सफलता के लिए सबसे जरूरी है  मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य  का बेहतर होना ।इसके साथ ही अच्छा व्यवहार भी जरूरी है ।
और सबसे बड़ी बात अपने जीवन के मकसद समझना चाहिए सफल होने के लिए।
 सही दिशा में काम करते रहे अपनी जरूरतों को प्राथमिकता देनी चाहिए एवम अपने कार्यस्थल पर तय वक्त से 15 मिनट पहले ही पहुंचना चाहिए। एक बात और सफलता के लिए जरूरी है कि काम और परिवार को अलग रखना चाहिए ।
सफलता के लिए संयम और अनुशासन का पाठ तो हमेशा से ही जरूरी रहा है ।
विश्व के महानतम लोगों ने अपने आचरण द्वारा इस संसार को पाठ पढ़ाया है और वह अपने लक्ष्य में सफल भी हुए हैं चाहे वह भीष्म पितामह  हों या महान योद्धा अर्जुन या फिर महात्मा गाँधी ।
सफलताएं स्वयम आपके चरण चूमेगीं बशर्ते आप चुनौतियों से डरे नही बल्कि डटें  रहें ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
सफलता प्राप्ति मार्ग में मनुष्य को विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। 
(1) एक तो जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों से उत्पन्न चुनौतियाँ।
जीवन की प्रतिकूल परिस्थितियों से संघर्ष करना मनुष्य की जिजीविषा पर निर्भर है। और सफलता प्राप्ति हेतु इन चुनौतियों को स्वीकार करना और उनका डटकर सामना करना मनुष्य के लिए कठिन तो हो सकता है परन्तु असंभव नहीं। इसलिए ऐसी चुनौतियों से कभी डरना नहीं चाहिए बल्कि यदि हम इनको स्वीकार कर मन-मस्तिष्क की पूर्ण शक्ति से प्रत्युत्तर देंगे तो निश्चित ही सफलता का वरण करेंगे। 
(2) दूसरे, ऐसी चुनौतियों को भी हमें स्वीकार करना और उनका सामना करना पड़ता है, जो सफलता की ओर बढ़ते हमारे कदमों को पीछे खींचने हेतु हमारे निकटवर्ती लोगों के द्वारा ही उत्पन्न की जाती हैं। 
उनसे पार पाने के लिए व्यक्ति को सदैव सजग रहना पड़ता है और सौ बात की एक बात कि...."जीवन में सदैव अपने आँख-कान खुले रखिए" तथा "विश्वास तो करो परन्तु अंधविश्वास किसी पर भी मत करो।" 
(3) सफलता के लिए सबसे बड़ी चुनौती हमारा स्वयं का मन और मस्तिष्क उत्पन्न करता है। जो कदम-कदम पर बाधाओं को देखकर भयभीत होता है और बढ़ते कदमों को वापस लौटने के लिए प्रेरित करता है। 
इसके लिए मन-मस्तिष्क की दृढ़ता अनिवार्य है। और यह दृढ़ता कहीं और से नहीं आती बल्कि मनुष्य को संकल्पों के द्वारा स्वयं प्रयास करने पढ़ते हैं। 
इसीलिए कहता हूँ कि...... 
"प्रयासों में हमारे जब समाया दृढ़ता का भाव हो, 
प्रारम्भ से ही मन में जब छाया जीत का चाव हो। 
सफलता का वरण करेगा अवश्य समर्पण हमारा, 
संकल्प में आसमाँ और धरा पर अडिग पाँव हो।।" 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
सर्वप्रथम तो चुनौतियों को स्वीकार कर लेना ही व्यक्ति की सबसे बडी़ सफलता है ! आधी जंग तो वह वहीं जीत जाता है ! किसी भी प्रकार के डर और भय के बिना अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता है चूंकि उसे अपनी क्षमता पर पूर्ण विश्वास है ! जीवन में समस्याएं ,असफलताएं तो आती रहती है उससे हमें तनिक भी विचलित नहीं होना चाहिये अपितु सकारात्मकता लाते हुए समाधान  ढूंढना चाहिए एवं दृढ़-संकल्पता के साथ वर्तमान की ओर कदम बढाना चाहिए ! पूर्ण आत्मविश्वास  एवं धैर्यता के साथ कार्य करें तो स्वीकार की गई चुनौती में सफलता अवश्य मिलती है ! अपने लक्ष्य की प्राप्ति अवश्य होती है ! हमें अपने आप को कभी कमजोर नहीं आंकना चाहिए ! जीवन में सफलता के सोपान और शिखर चूमना है तो नकारात्मकता को फेक सकारात्मकता लिये आगे बढ़ो!
इस संघर्षरत जीवन में मुश्किलें चुनौतियां बन आती रहेंगी जिसका सामना हमें संयमता, पूर्ण आत्मविश्वास, धैर्यता ,दृढसंकल्पता के साथ सकारात्मक सोच लिए निर्भिक बन करना होगा ...सफलता अवश्य मिलेगी !
              - चंद्रिका व्यास
             मुंबई - महाराष्ट्र
     जीवन-यापन करने के लिये सफलता भी मुख्य यंत्र हैं, जिसकी वजह से अनेकों रुपों में भी चुनौतियों का सामना करना पड़ता हैं। वर्तमान में विश्वास के साथ एकाग्रचित्त होकर अपना वर्चस्व स्थापित करने में सफलता अर्जित कर गौरवान्वित महसूस करता हैं। वह उसे अपने मन को केन्द्रित करने में सक्षम रहते हैं। जब तक हम स्वयं को ऊंचा उठाने तत्परता के साथ लक्ष्य निर्धारित न हो। नहीं तो अनेकानेक रुपों में मन का भटकाव करते रहे और सफलताऐं कहीं भी नहीं मिले, वैसे भी मानव का विचार एक रुपी नहीं हैं, जिसके परिपेक्ष्य में परिणाम सार्थक नहीं हो पाते और दूसरा संकुचित सोच में बदलाव की जगह नकारात्मक सोच में  रहते हैं, इसलिए अपनी ज्ञानेन्द्रयी को प्रकाश रुप में ध्यानाकर्षण की आवश्यकता प्रतीत होती हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
जब व्यक्ति किसी लक्ष्य को निर्धारित करें और उसके बीच में जो अड़चनें आए चुनौती बनकर उनको  स्वीकार कर के उनके बीच से मार्ग निकालने का प्रयास करना चाहिए ताकि कार्य में सफलता मिल सके। वह चुनौती हमारे जीवन से संबंधित हो सकती है, समाज से संबंधित हो सकती है या फिर देश काल से संबंधित  हो सकती है। जो हमारे उत्थान में सहायक हो, जिससे किसी का नुकसान न हो।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम"
 नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
"ज्यों खैरात में मिल जाती कामयाबी को हर शख्स कामयाब होता, 
फिर कदर न होती किसी हुनर की और न ही कोई शख्स लाजबाब होता, "। 
 हर शख्स जिंदगी में कामयाब होने की कामना करता है और यही सोचता है कि थोड़ी सी मेहनत करके वड़ी से वडी कामयाबी मिल जाए लेकिन ऐसा संभव नहीं है क्योंकी हर सफलता के पीछे कोई न कोई चुनौति छिपी होती है जब तक हम जीवन में चुनौतियों का सामना नहीं करेंगे हम कामयाब नहीं हो सकते, 
तो आईये आज इसी बात पर चर्चा करते हैं कि सफलता के लिए कौन सी चुनौतियां स्वीकार करनी चाहिए? 
 मेरा मानना है  सफलता पाने का मूल मंत्र है चुनौतियों को अवसर में बदलने का प्रयोग करें, 
सबसे पहले अपनी  गलतियों से सीखें क्योंकी  गलतियां करना और उनसे सिखना
 लगातार चलने वाली एक प्रक्रिया है, 
उन चुनौतियों को अबसर में बदलने का प्रयास करें जो आपकी राहा में बाधा डालती हैं, 
इसके  एलाबा जीवन की चुनौतियों का डटकर मुकाबला करें सफलता  अवश्य मिलेगी क्योंकी जीवन एक संधर्ष है इसमें चुनौतियां तो आएंगी इनसे डर कर हारना कायरयता है जो इन से डर जाते हैं वो कभी जिंदगी में  कामयाब नहीं होते, 
याद रखें जब समय विपरीत होता है मजबूत दिल के लोग और जोश से आगे बढ़ते हैं मुश्किलें ही अन्त में कम होती हैं साहसी व्यक्ति का साहस नहीं
अगर सफलता की सिढ़ियां हासिल करना चाहते हो तो कुछ चुनौतियों का साकारत्मक  सामना  करो क्योंकी सफलता आपकी  मानसिकता पर निर्भर करती है, 
नाकारात्मक विचारों को छोड़ कर साकारात्मक  विचारों को अपनाओ व आगे बढ़ो और अपने पर भरोसा रखो आप किसी भी उम्र में कुछ भी पा सकते हो, 
डर को कभी भी अपने उपर हावी न होने दो हर  चुनौति का बिने डर मुकाबला करो, 
बीते हुए कल को मत देखो आने बाले कल की चिन्ता करो उसके लिए डट कर मुकाबला करो व दुसरों से अपनी तुलना ं मत करो अपने काम से संतुष्ट रहें तथा कोई भी काम संकल्प के साथ करें सफलता अपने आप मिलेगी
अन्त में यही कहुंगा संघर्ष से ही आप अव्वल आ सकते हैं 
इसके लिए  अनुशासन और  समय का सुदपयोग भी जरूरी है, अपने इरादों को मजबूत रखें व खूब मेहनत करें अपना कार्य अपने  पर विश्वास रख कर करें, 
यह  मत भूलें सफलता हमेशा आपकी मानसिकता  पर निर्भर करती है आपको जरूरत होती है आपकी क्षमताओं पर विश्वास रखने की और साकारात्मक चुनौतियों से लड़ने की सफलता आपके चरण छुऐगी, 
सच कहा है, 
यूं ही हर कदम मत लड़खड़ाओ कामयाबी पानी है तो संभल जाओ, 
मत शोर करो अपने प्रयासों का, खामोशी से अपनी जिंदगी बदल जाओ,। 
 अपना  प्रयास जारी रखने से  ही आप हर मंजिल पा सकते हो, 
याद रखो, 
"बेहतर से बेहतर की तलाश करो, 
मिल जाए नदी तो समंदर की तलाश करो, 
टूट जाता है शीशा पत्थर की चोट से, टूट जाए पत्थर ऐसा शीशा तैयार करो,। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
आज लोक मानस पर दोहरा उन्माद चढ़ा है l
1. प्रथम वैज्ञानिक उपलब्धयों का
2. प्रत्यक्ष को तत्काल सब कुछ मानने का 
अर्थात सफलता के लिए अंधी दौड़,ऐसे में सफलता के रास्ते में चुनौतियां आना स्वाभाविक है l जैसे -1. यद्यपि शिक्षा को ज्ञान चक्षु की उपमा दी गयी है l इतना ही नहीं शिक्षा से अमृत की प्राप्ति भी उसी अवस्था में होती है जब वह मानव के गुण, कर्म, स्वभाव का परिमार्जन कर प्रतिभा को उन्नत और सुसंस्कृत बनाने में सहयोग दें l ऐसा न होने पर भ्रष्ट चिंतन और दुष्ट आचरण से मनुष्य के सामने शिक्षा ही समस्या बन जाती है l
2. दूसरी समस्या है वातावरण में सतत घुलता जहर l शारीरिक क्षमता पर प्रतिकूल असर डालकर सफलता के रास्ते में कई चुनौतियां उतपन्न करता है l
 3.नकारात्मकता -नकारात्मक विचार ऐसी चुनौती है जो कभी सफल नहीं होने देती l हमारा आशावादी दृष्टिकोण सफलता के रास्ते मील का पत्थर है l
4. दूसरे हमारे बारे में क्या सोचते हैं इसकी चिंता आपको सफल नहीं होने देगी l
5. सफलता का कोई शॉर्ट कट नहीं,कर्म योगी बनकर आगे बढे l
6. असफलता ही सफलता की पहली सीढ़ी है l अतः असफल होने पर हताश, निराश न हों, दुगने जोश से चुनौतियों को स्वीकार कर संघर्ष करें और विजय श्री प्राप्त करें l सफल वही होंगे -
सभी को दिखा हुनर मेरा
 लेकिन
किसी ने पूछा कि ये
जख्मों के निशा है क्यों?
चलते चलते ----
जिन रास्तों से हमने सफलता की बात सुनी हैl
उन रास्तों पर हमने, कड़ी धूप ही देखी है ll
       - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
आत्मविश्वास, दृढ़संकल्प, उत्साह, लगन, परिश्रम के साथ यदि निराशा, हताशा और कटाक्ष जैसी नकारात्मकता से बचना अत्यंत आवश्यक है। अनेक ऐसे अवसर आ सकते हैं, जब आकस्मिक या स्वभाविक बाधाएं और मुश्किलें  आ सकती हैं, तब ऐसे ही समय में इसे ही चुनौती मानते हुए दृढ़ता से अडिग रह हौसला बनाए रखना है। कहा भी गया है, " जो डर गया,समझ लो वो मर गया।"  अतः सार यही कि कठिन, विषम और प्रतिकूल परिस्थितियां ही  सफलता के लिए चुनौती होती हैं, तत्समय हिम्मत न हारते हुए हौसला बनाए रख, अपने काम और उद्देश्य में डटे रहना चाहिए। यही सफलता सुनिश्चित करने कि मूलमंत्र है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
 गाडरवारा - मध्यप्रदेश
 सफलता के लिए मनुष्य जिंदगी में तीन चुनौतियां हैं समझ ,संबंध, साधन। जीने के लिए हर मनुष्य को समाज अर्थात जाने की जरूरत होती है। और संबंधों के साथ जीना होता है परिवारिक संबंध सामाजिक संबंध अप्राकृतिक संबंध इन तीनों के साथ जीना होता है और शरीर के लिए सुविधा की आवश्यकता होती है अतः यही कहा जा सकता है कि मन अर्थात आत्मा के लिए ज्ञान (समझ) और हर मनुष्य को जीने के लिए परिवार तथा शरीर की पोषण संरक्षण के लिए भौतिक वस्तु धन की आवश्यकता होती है यह तीनों लक्ष्य जो मनुष्य प्राप्त कर लेता है वही मनुष्य सफलता को प्राप्त कर लेता है। यही तीन चुनौतियां हैं मनुष्य को सफल जिंदगी जीने के लिए और चार आयामों में मनुष्य जीता है अनुभव कोई भी कार्य का अनुभव प्राप्त करता है उसके बाद उस पर विचार करता है और तीसरा है उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए व्यवहार करता है बातचीत करता है उसके बाद कार्य करता है तभी उसका कार्य पूरा होता है बिना अनुभव विचार का कार्य पूरा नहीं होता तो इससे यही कहते बनता है कि हर मनुष्य की चाहत सफलतापूर्वक जीना होता है सफलतापूर्वक जीने के लिए उसे समझ की जरूरत संबंध की जरूरत और शरीर के लिए भौतिक वस्तु की जरूरत होती है यह तीनों लक्षण प्राप्त होने से ही मनुष्य सफल होता है।
-  उर्मिला सिदार
 रायगढ़ - छत्तीसगढ़
सफलता के लिए सच्चाई और ईमानदारी से चलते हुए राह में आने वाली सभी चुनौतियों को स्वीकार करना होगा। चाहे आलोचना हो, चाहे असहयोग हो, चाहे खिल्ली उड़े, चाहे आपकी सच्चाई और ईमानदारी का मजाक उड़ाया जाये। सफलता की ओर बढ़ते हुए कदमों को ज़माना तरह-तरह से रोकने की कोशिश करता है परन्तु किसी भी बात से हतोत्साहित हुए बिना बढ़ते रहें, बढ़ते रहें।
- सुदर्शन खन्ना 
 दिल्ली 
सफलता के लिए परिश्रम की चुनौती को स्वीकार करना चाहिए। क्योंकि परिश्रम से मिली सफलता स्थायी और सुखदायी होती है। कहा भी गया है कि परिश्रम का फल मीठा होता है। और उसका महत्व भी होता है। जो सफलता बिना मेहनत के मिलता है वह मन में हीन भावना पैदा करता है। खासकर उन लोगों के सामने जो कड़ी मेहनत और दिन रात परिश्रम कर के पाते हैं। सहज में मिली हुई कोई वस्तु और कठिन परिश्रम से मिली वस्तु में बहुत अंतर होता है। लोग शान से कहते हैं कि मैंने ये सफलता ऐसे ही नहीं पाई है इसके लिए बहुत परिश्रम करना पड़ा है। जो सफलता परिश्रम के द्वारा प्राप्त होती है उसे भोगने में हमें किसी तरह की कठिनाई नहीं होती है और अगर होती भी है तो हम उसको सहज करने या सहने या संभालने में सक्षम होते हैं। हमें पता होता है कि हम किस तरह इस सफलता को प्राप्त किया है। जबकि जो सफलता सहज में प्राप्त करते हैं वो किसी तरह की समस्या आने पर लड़खड़ा जाते हैं। इसलिए सफलता पाने के लिये कठिन से कठिन चुनौतियों को ही स्वीकार करना चाहिए।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं.बंगाल


" मेरी दृष्टि में " चुनौतियों वहीं स्वीकार करनी चाहिए । जो कानून व संस्कार की दृष्टि से उचित हो । बाकी तो अपराधी की श्रेणी में लाकर खड़ी कर देती है । यही अन्तर समझने की आवश्यकता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी

Comments

Popular posts from this blog

वृद्धाश्रमों की आवश्यकता क्यों हो रही हैं ?

लघुकथा - 2024 (लघुकथा संकलन) - सम्पादक ; बीजेन्द्र जैमिनी

इंसान अपनी परछाईं से क्यों डरता है ?