क्या अनुभव परिस्थितियों का सामना करने से आता है या उम्र से ?
सभी को उम्र बढने से अनुभव नहीं होता है । ऐसा अक्सर देखा गया है । जो परिस्थितियों का सामना कर के अनुभव प्राप्त करता है । इस में उम्र का कोई बन्धन नहीं होता है । ऐसा अनुभव सवोत्तम कहा गया है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
"जिन्दगी में किसी भी दिन को मत कोसना,
क्योंकी अच्छे दिन खुशियां लाते हैं और बुरे दिन अनुभव" ।
देखा जाए हर उम्र में जीवन में नए नए अनुभव आते हैं और उसी अनुभव द्वारा हम सही गल्त कार्यों का अवलोकन कर पाते हैं,
जिससे आगे जाकर हमें सही बातों का अनुभव होने लगता है,
तो आईये आज इस बात पर चर्चा करते हैं कि क्यी अनुभव परिस्थितियों का सामना करमे से आता है या उम्र से?
मेरा मानना है कि जीवन का सही अनुभव परिस्थितियों से ही प्राप्त होता है,
यह दूनिया की ऐसी वस्तु है जिसे आप से कोई नहीं छीन सकता और इसे हम जितना खर्च करते हैं उतना ही बढ़ता है,
इसको पाने के लिए ईमामदारी व सही समय उपयोग में लाना पड़ता है और यह कर्त विद्दया है व सीखने से आता है,
इसको खुद ही अर्जित करना पड़ता है और यह कहीं से खरीदा नहीं जा सकता,
यह इंसान की जिंदगी का कमाया हुआ फल है और हर पल काम आता है और दुसरों को राह दिखाता है,
अन्त में यही कहुंगा कि एक अनुभवी इंसान हर जगह सफल रहता है और उसे किसी की मदद की जरूरत नहीं होती जीवन में बडी सफलता के लिए बड़े अनुभव की जरूरत होती है और यह व्यक्ति से वोही करबाता है जो उसे करना चाहिए,
सच है,
ज्ञान से शब्द समझ आते हैं
और अनुभव से अर्थ।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
अनुभव के लिए परिस्थितियां और उम्र दोनों ही जिम्मेदार है। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है इंसान की समझ भी बढ़ती जाती है। उसका तजुर्बा बढ़ता जाता है। विभिन्न प्रकार की परिस्थितियां मानव जीवन में निरंतर आती रहती है और व्यक्ति को उसका निदान खोजना पड़ता है जिससे उसे नए अनुभव प्राप्त होते हैं। यदि व्यक्ति या इंसान मानसिक रूप से स्वस्थ है तो उम्र का भी असर अनुभव के लिए मिलता है क्योंकि जीवन के इतने वर्षों में हर इंसान अनगिनत परिस्थितियों का सामना एवं संघर्ष करता है जो प्रतिदिन उसे एक नया अनुभव देती जाती हैं। इसलिए अनुभव प्राप्ति के लिए परिस्थिति एवं उम्र दोनों का ही योगदान रहता है। एक प्रचलित कहावत है ,
ये बाल धूप में ही सफेद नहीं किए हैं।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
जीवन में अनुभवों के लिए जितना परिस्थितियों से सामना जरुरी है,उतनी ही जरुरी उम्र है।कुछ अनुभव उम्र से,कुछ परिस्थितियों से और कुछ इन दोनों के साथ होने से ही होते हैं। रंग,रस,गंध,स्वाद आदि का अनुभव किसी भी उम्र में हो सकता है, इसमें परिस्थिति विपरीत नहीं, अनुकूल होना जरुरी है।
विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में हमारी जीजिविषा एक महत्वपूर्ण कारक होती है।इसी के बल पर कुछ भी कर गुजरने की हिम्मत हो जाती है। भूख,भय,अभाव, मानवीय अवसरवादिता, अपनत्व आदि का अनुभव विपरीत परिस्थितियों में होता है।
यौनसुख, मातृत्व, पितृत्व का अनुभव एक आयु विशेष में होता है। शारीरिक अक्षमता का अनुभव बचपन और वृद्धावस्था में होता है जब हम किसी की सहायता की आवश्यकता महसूस करते हैं।
इसलिए अनुभवों के लिए उम्र और परिस्थितियां दोनों ही महत्वपूर्ण कारक हैं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जीवन का सही अनुभव तो परिस्थितियों से प्राप्त होता है। परिस्थितियाँ इन्सान को जीने का ढंग सिखाती हैं। हर जीवन में नये नये अनुभव आते हैं और उसी अनुभव के द्वारा हम सही गलत या हमारे द्वारा किए गए कार्यो का अवलोकन कर पाते हैं जिससे हमें सही गलत का अनुभव होने लगता है।
परिस्थति हमें कसौटी की जिंदगी में हर वक्त कसती रहती है। शिक्षा तो एक उम्र में जाकर पूरी हो जाती है लेकिन अनुभव हमें सारी उम्र सिखाते रहते हैं।
अकबर ने पहली जीत तेरह वर्ष की आयु में ही दर्ज कर ली थी ।इसका कारण छोटी उम्र में ही उसने मरूस्थल की परिस्थितियों को झेला था।जैसे जैसे घटना क्रम से इन्सान गुजरता है, जिन परिस्थितियों को वो झेलता है, अनुभव उसे आता है। अनुभव उम्र से नहीं परिस्थितियों से आता है।परिस्थितियों के थपेड़ों से इन्सान छोटी उम्र में ही उम्र दराज लोगों से अधिक बुद्धिमान हो जाता है। यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि इन्सान उम्र के साथ साथ अनुभव प्राप्त करता रहता है और परिपक्व होता रहता है। तभी तो बढ़े बूढ़े अपनी बात को सही ठहराने के लिए कहते हैं कि मैंने बाल धूप में सफेद नहीं किए हैं।
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
उम्र एक सीमा तक ही अनुभव प्रदान करती है। उम्र का हर दौर कुछ-न-कुछ अनुभव तो देता है परन्तु उम्र वही अनुभव देती है, जैसी व्यक्ति की स्थिति है। उम्र से मिले अनुभवों का एक निश्चित दायरा होता है। यह भी सत्य है कि बहुत से लोग उम्र की सीढ़ी पर चढ़ते जाते हैं परन्तु न जाने कितने अनुभवों से वंचित रहते हैं।
जीवन के प्रारम्भिक काल से ही प्रत्येक मनुष्य का विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों से सामना होता है। ये परिस्थितियाँ सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार की हो सकती हैं। और ये जीवन की किसी भी अवस्था में मनुष्य के समक्ष आ सकती हैं। इन परिस्थितियों से उत्पन्न अनुभव, चाहे वह अच्छा हो या खराब, उम्र के हर दौर में काम आता है।
इसलिए मेरे विचार से अनुभव परिस्थितियों का सामना करने से आता है न कि उम्र से।
इसीलिए कहता हूँ कि.......
"सफर किए बगैर राह की दुश्वारियों का अहसास नहीं होता।
ठोकर खाकर संभलने से बड़ा कोई प्रयास नहीं होता।
काँटों से जूझकर ही गुलाब मिलने का नाम है जिन्दगी,
परिस्थितियों से न हो सामना तो अनुभव खास नहीं होता।"
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
"जीवन में परिस्थतियों से संघर्ष "
अनुभव सिखाता है, उम्र से नहीं l
जीवन का सही अनुभव परिस्थिति से प्राप्त होता है l या यूँ कहूँ कि परिस्थितियाँ ही "कसौटी "जिंदगी है l
"शिक्षा हमारे सोच को विकसित करती है न कि अनुभव को, लेकिन परिस्थितियों के निर्माण में अपना क़िरदार बखूबी निभाती हैंl"अतः यह कहना न्याय संगत होगा कि शिक्षा +परिस्थिति =अनुभव है l "बुद्धिमान व्यक्ति न जीतता है न हारता है l वह जिंदगीभर अनुभव से कुछ न कुछ सीखता है l
लकीरों के भरोसे जीना छोड़ दे
खुद पर भरोसा करना हम सीख लें l
सफलता मिले या न मिले, अनुभव के लिए ही कर्म योगी बन जाये l
अनुभव सच में एक उम्दा स्कूल है लेकिन कमबख्त फीस बहुत लेता है l
अनुभव के लिए भारी फीस की दरकार क्यों?.......
मेरे विचार से प्रत्यक्षवाद ने आदर्शो पर से आस्थाएं पूरी तरह से डगमगा दी हैं l येन केन प्रकारेण स्वार्थ साधना ही हमारा प्रमुख ध्येय हो गया है l एकाकी परिवार, बढ़ते वृद्धाश्रम, आत्मानुभूति से ओतप्रोत बुजुर्गो की उपेक्षा, ऐसे परिवेश में ज्यादा फीस देकर भी हम अनुभव हासिल नहीं कर पायेंगे l
चलते चलते ----
शिक्षा संग मन आशाएं जागृत करता
मन वीणा बज उठती, अनुभव सुर सजाता है l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जब मानव पृथ्वी पर अवतरित होता हैं, शनैः-शनैः परिस्थितियाँ विपरित होती जाती हैं, वैसे-वैसे आवश्यकता प्रतीत होती जाती हैं, जिसके क्रियान्वयन करने में हलचल हालतों पर विभिन्न प्रकार से निर्भर करता हैं। जरुरी नहीं हैं, कि उम्र बढ़ती जायेगी तो अनुभव बढ़ता जायेगा। बाल्यावस्था में जिसने परिस्थितियों का सामना कर लिया, उसे भविष्य में कालचक्रों से पारंगत बना दिया जाता हैं और अनन्त समय तक सफलताऐं अर्जित होती जाती हैं। कार्यों को सम्पादित करने समसामयिक अन्य व्यवस्थाओं में अनुभवता पर प्रकाशात्मक पर निर्भर करता हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
अनुभव में अधिकांश भाग परिस्थिति जन्य का ही रहता है उम्र तो एक आवश्यक कारक है उम्र के साथ-साथ जितना ज्यादा ही परिस्थितियों में विभिन्नता होती रहेगी अनुभव का क्षेत्र उतना ज्यादा विस्तृत होता जाएगा उम्र एक शारीरिक परिपक्वता और वृद्धि है अनुभव एक मानसिक परिपक्वता और अनुभूति है, इसीलिए परवरिश के समय हम लोग इस बात का ध्यान रखते हैं बच्चों को समस्या पूर्ण परिस्थिति में छोड़ देना है वह अपने दिमाग से अनुभव से नया रास्ता निकालेगा जितनी नई-नई परिस्थितियों दी जाएगी उतना ज्यादा ही उसमें अनुभव का अंश बढ़ता जाएगा और परिपक्वता निर्णय लेने की ताकत भी बढ़ती जाएगी इसलिए उम्र एक कारक अवश्य है लेकिन परिस्थिति जन्य एक महत्वपूर्ण कारक है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
अनुभव के लिए दोनों ही अपनी -अपनी जगह उचित हैं। जीवन में परिस्थितियों का सामना कभी भी, किसी भी उम्र में हो सकता है। बचपन में भी विषम और भयावह स्थितियों का सामना करते हुए देखने के अनेक उदाहरण मिलते हैं।
अनुभव में उम्र को महत्व देने का कारण यह कि संबंधित व्यक्ति उम्र में जितना अधिक बड़ा होगा, उसने जीवन भी अपेक्षाकृत अधिक जिया है और जिये का भाव यह कि उन्होंने संघर्ष भी उतना किया है। आशय यही कि इसी संघर्ष का नाम है, परिस्थितियों से सामना और परिस्थितियों का सामना याने अनुभव दर अनुभव। अतः जो जितना बड़ा, अनुभव भी उतना ज्यादा।
सार यही है कि अनुभव परिस्थितियों से आते हैं। पर, इसके लिए उम्र का भी विशेष महत्व होता है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
अनुभव उम्र बढ़ने के साथ परिस्थितिजन्य होता है फिर जीवन के अनुभव तो सुखात्मक और दुखात्मक दोनों ही होते हैं। हम जैसे- जैसे उम्र के विभिन्न पड़ावों से गुजरते हैं; वैसे- वैसे जीवन अधिकांशत परिस्थितियों से प्रभावित होता जाता है। कभी- कभी भावनात्मक अनुभूतियों--- मान- अपमान, प्रेम- पीड़ा ,व्याभिचार - भ्रष्टाचार, मित्रता- शत्रुता में हमारे अनुभव ही हमें सुख- दुख का अनुभव कराते हैं। बाल्यावस्था, युवावस्था, प्रौढ़ावस्था, वृद्धावस्था तक आते-आते हम विभिन्न शारीरिक, सामाजिक, धार्मिक, राष्ट्रीय, अंतरराष्ट्रीय अनुभवों के क्रियाकलापों में जीते हैं। यथा-- कृष्ण की बाल्यावस्था में उनके नटखट रूप में विभिन्न क्रिया कलाप वात्सल्यजन्य सुखात्मक अनुभव हैं ; वही महाभारत में युद्ध के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश उनके परिस्थिति के साथ ज्ञानात्मक वह धार्मिक अनुभव को प्रकट करता है।
अतः अनुभव उम्र और परिस्थिति दोनों से ही आता है; किसी एक कारक को अनदेखा नहीं कर सकते।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
आज की चर्चा में जहां तक यह प्रश्न है कि क्या अनुभव परिस्थितियों का सामना करने से उत्पन्न होता है या उम्र से तो इस पर मैं कहना चाहूंगा कि अनुभव विभिन्न परिस्थितियों का सामना करने से उत्पन्न होता है न कि उम्र से हां यह जरूर है कि उम्र गुजरने के साथ-साथ आदमी को कड़वे मीठे अच्छे और बुरे अनुभव जरूर होते हैं परंतु वह व्यक्ति जो अपने जीवन में विभिन्न प्रकार की विषम परिस्थितियों का सामना कर लेता है उसे उन परिस्थितियों से निकलने का तरीका भी पता चल जाता है क्योंकि जब मुश्किलें आती है तो आदमी मुश्किलों से पार पाने का रास्ता भी खोजता है इसलिए यह जरूरी नहीं कि अधिक उम्र के व्यक्ति अधिक अनुभव रखते हो कम उम्र का ऐसा व्यक्ति भी जिसने अपने जीवन में विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में रहते हुए विभिन्न प्रकार के कष्टों को झेला है विभिन्न संधर्षो से पार पाया है अनुभव में एक अधिक उम्र के व्यक्ति से कहीं ज्यादा ज्ञान रखता है तो इस प्रकार कह सकते हैं कि अनुभव परिस्थितियों का सामना करने से अधिक उत्पन्न होता है ना कि अधिक उम्र से ........... !
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
अनुभव उम्र से नहीं बल्कि परिस्थितियों का सामना करने से आता है और परिस्थितियां व्यक्ति को जीने का ढंग सिखाती है।जिंदगी और कहानी खुद को साबित करने में जुटी रहती है फर्क बस इतना ही है जिंदगी अनुभव के साथ चलती है और कहानी कल्पनाओं के साथ। बुद्धिमान व्यक्ति कभी नहीं हारता ना ही वह जीता है वह जिंदगी भर अनुभव से सीखता है। यह सच है कि हम भविष्य नहीं देख सकते हैं पर औरों के हालातों और अनुभवों से अनुमान जरूर लगा सकते हैं। हर व्यक्ति के जीवन में कुछ न कुछ परेशानियां होती ही है। किसी के जीवन में छोटी तो किसी के जीवन में बड़ी। कुछ अपनी भौतिक जरूरतों को पूरा ना होने का रोना रोते हैं तो कोई किसी सगे की मृत्यु में शोक के कारण अपना जीवन अच्छाअंधकार में रखते हैं। यह भी सच है कि हम अपनी क्षमताओं का समुचित आकलन कर सकते हैं अनुभव के बगैर न तो हम अपनी जिंदगी जी सकते हैं और ना ही अपने अंदर समाज दिव्य क्षमताओं का परिचय पा सकते हैं इस सब को जानने समझने और सही नियोजन करने के लिए हमें उसी रूप में उन्हें महसूस करना चाहिए व्यक्ति के अंदर क्षमता है अंदर सुख के रूप में पड़ी रहती है इन्हें तभी जगह और जगह कर निर्दिष्ट कार्य में नियोजित किया जा सकता है जब हम इन्हें गहराई से महसूस करेंगे इन्हें हम जितना महसूस करेंगे उनकी पहचान उतने ही अधिक होगी जीवन में असीम क्षमता है समाई हुई है परंतु यह सोई पड़ी है ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जो इस दिव्य विभूतियों से वंचित होगा सभी में ऐसी महान विभूतियां समाई हुई है उनके एक हमसफर के सामने आने पर मनुष्य कहां से कहां पहुंच जाता है जीवन अनुभव का जखीरा है सिर्फ बातें बनाने वाला जिंदगी में कुछ भी नहीं सार्थक कर सकता है वह कल्पना से जिंदगी को बड़ा सुखद मानता है परंतु जीवन की राहें कटीले कांटों से फटी पड़ी है और इन कांटों को बेचकर गुलाब का स्पर्श किया जा सकता है। जीवन में अनुभव परिस्थितियां सिखा देती है यह भी बात है कि व्यक्ति की उम्र जब अधिक हो जाती है तो वह परिस्थितियों से बहुत कुछ सीख लेता है।लेकिन सही मायने में अनुभव अतिथियों का सामना करने से ही आता है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
अनुभव उम्र से नहीं बल्कि विपरीत परिस्थितियों का सामना करने से आता है। चूंकि यदि उम्र से ही अनुभव होता तो सभी बुजुर्गों अनुभवी होते। जबकि सभी बुजुर्गों के अनुभवों में अंतर होता है।
उल्लेखनीय है कि हर बुजुर्ग उन्हीं संस्कृतियों का अनुभवी होता है जिन संस्कृतियों का उसने अपने जीवनकाल में भोग किया होता है या जिन परिस्थितियों का उसने सामना किया होता। बिल्कुल उसी प्रकार जिस प्रकार डाक्टर अपने-अपने प्रशिक्षण के कारण अलग-अलग विशेषज्ञ कहलाते हैं।
जैसे एक साधारण व्यक्ति अपने अनुभव से अपना मुकदमा (अभियोग) स्वयं लड़कर विजयी हो जाता है। जिस मुकदमे को बड़े बुजुर्ग और ऊंचे-ऊंचे पद पर आसीन अधिवक्ता, महाधिवक्ता हारे हुए होते हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
अनुभव उम्र से नहीं बल्कि परिस्थितियों से मिलते हैं, और परिस्थितियां इंसान को जीने का ढंग सिखाती हैं ।
लेकिन उम्र का भी अवश्य रोल होता है अनुभव के मामले में ।
अनुभव उम्र एवं परिस्थिति दोनों स बेहतर ढंग से आता है ।
यह सत्य है कि एक समान परिस्थिति की स्थिति में कम उम्र वाले की तुलना में अधिक उम्र वाले को ज्यादा अनुभव आता है।
परिस्थिति हमें जिंदगी की कसौटी पर हर वक्त कसती रहती हैं ।समय की धारा ही अनेक परिस्थितियां लाकर खड़ी कर देती है । यही बिल्कुल सच है ,
जिससे व्यक्ति को जीवन जीने का अनुभव प्राप्त हो जाता है। परिस्थिति हमें अनुभव कराती है कि जिंदगी को कैसे जीना है। शिक्षा हमारी सोच को विकसित करती हैं ना कि अनुभवों को।
जीवन का सही अनुभव तो परिस्थितियां ही सिखाती हैं।
व्यक्ति शिक्षा प्राप्त करता है और अलग-अलग प्रकार की शिक्षा से दक्षता हासिल करता है, उस मनुष्य में सभी प्रकार की परिस्थितियां व जीवन का अनुभव हो यह बात पूरी तरह से सही नही है , लेकिन जीवन का अनुभव व्यक्ति जीवन जी कर ही प्राप्त करता है ।
पूरा जीवन एक अनुभव है ,,,आप जितने अधिक प्रयोग करते हैं उतना ही इसे बेहतर बनाते हैं। जीवन को शिक्षा के माध्यम से सीखा नहीं जा सकता ।
हर उम्र में जीवन में नए नए अनुभव आते हैं ,और उसी अनुभव के द्वारा हम सही गलत या हमारे द्वारा किए गए कार्यों का अवलोकन कर पाते हैं। जिससे कि आगे जाकर हमें सही बातों का अनुभव होने लगता है ।
देखा गया है कि बड़े बुजुर्गों में अधिक समय तक सभी बातों का अनुभव करने के कारण जीवन का अनुभव अधिक होता है ।
इसी प्रकार जो व्यक्ति जीवन को जीता है जीवन का सही अनुभव परिस्थितियों से प्राप्त कर लेता है।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
जीवन का सही अनुभव परिस्थिति से प्राप्त होता है। उम्र में जीवन में नए नए अनुभव आते हैं और उसी अनुभव के द्वारा किए गए कार्यों का अवलोकन कर पाते हैं जिससे आगे जाकर हमें सही बातों का अनुभव होने लगता है।
लेखक का विचार:-- हर उम्र में जीवन में नए नए अनुभव आते हैं उसी अनुभव के द्वारा हम सही गलत या हमारे किए गए कार्यों का अवलोकन कर पाते हैं। जिससे आगे चलकर हमें सही बातों का अनुभव होने लगता है जीवन में जितनी तकलीफ का संघर्ष होता है जीवन का अनुभव भी उतना ही गहरा हो जाता है।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
अनुभव परिस्थिति अनुसार अध्ययन अभ्यास से आता है जब तक हमें सही गलत की पहचान नहीं होती तब तक हमें अनुभव होगा ऐसा नहीं है गलत को सुधारना और सही की ओर जाने से ही अनुभव निरंतर अध्ययन अभ्यास से होता है अनुभव होने के बाद गलत या नहीं होती अनुभव ना होने से ही गलतियां होती है जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वैसे उसी हमारी जीने का दायरा भी बढ़ता जाता है अगर समझ नहीं है तो हमारी जीने की परिस्थितियां हमें समझने के लिए मजबूर करती है अगर हम समझ कर ही परिस्थितियों का सामना करते हैं। तो हमारी योग्यता बढ़ती जाती है योग्यता के अनुसार हम अपने अनुभव को व्यक्त करते हैं अनुभव संपन्न का सामना करते हुए आगे बढ़ता है यही कहा जा सकता है परिस्थितियों का सामना करने से योग्यता बढ़ती है योग्यता समझने के साथ बढ़ती है इसी का नाम अनुभव है ।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
अनुभव दोनों ही तरीके से आता है। परिस्थितियों का सामना करने से ज्यादा आता है। उम्र से कम आता है। लेकिन दोनों का समन्वय साथ-साथ रहता है। क्योंकि ज्यों-ज्यों उम्र बढ़ती है त्यों -त्यों तरह-तरह की परिस्थितियाँ आती रहती है। जिस-जिस तरह की परिस्थितियाँ आती हैं अनुभव भी उसी-उसी तरह का होता है। वैसे सभी लोगों के जीवन में बहुत सारी परिस्थितियाँ आती है और सभी उसे अनुभवान होते जाते हैं। कुछ ही लोग ऐसे होंगे जिन्हें बहुत कम परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। वैसे लोग उम्र से अनुभव प्राप्त करते हैं। लेकिन ज्यादातर लोग परिस्थितियों से ही अनुभव प्राप्त करते हैं। कुछ लोग दोनों से अनुभव प्राप्त करते हैं। जो दोनों से अनुभव प्राप्त करते हैं वो ज्यादा अनुभावान होते हैं।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - पं .बंगाल
अनुभव का हिंदी में शाब्दिक अर्थ प्रत्यक्ष ज्ञान, किसी काम की जानकारी अथवा तजुर्बा आदि होता है । किसी प्रयोग अथवा परीक्षा से प्राप्त ज्ञान भी अनुभव कहलाता है। व्यक्ति को जिंदगी की वास्तविक समझ अनुभव से ही पैदा होती है ।अपनी क्षमताओं का समुचित आकलन और नियोजन अनुभव करके ही कर सकते हैं । अनुभव किए बगैर न तो हम अपनी जिंदगी जी सकते हैं और न ही अपने अंदर समाई दिव्य क्षमताओं का परिचय ही पा सकते हैं। उम्र की अपेक्षा अनुभव परिस्थितियों का सामना करने से ज्यादा आता है। अनुभव ज्ञान के सिद्धांत की मूल अवधारणा में से एक है जीवन के सुख दुख, उतार चढ़ाव, लाभ हानि ,अच्छा बुरा ,हर परिस्थिति का सामना करते हुए ज्यादा अनुभव की प्राप्ति होती हैं । छोटी उम्र में भी अनुभव का दायरा विशाल हो सकता है । बचपन से संघर्षशील व्यक्ति हर परिस्थिति को झेलता हुआ अपने अनुभव से ही उसे अपने अनुरूप बनाता है और जीवन में सफलता प्राप्त करता है । अनुभव जीवन के मधुर- कटु मिश्रण का सार है। अनुभव हमारे अतीत का आईना होता है । क्या खोया ,क्या पाया हमारी कमियां ,उपलब्धियां सभी का अनुभव युक्त ज्ञान हमारे मानस पटल पर बस चुका होता है। उम्र का अनुभव से कोई वास्ता नहीं । परिस्थितियां सब कुछ सिखा देती है अनुभव करा देती है।
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
जिंदगी के हर पड़ाव पर दुःख और सुख की परिस्थितियां आती रहती हैं,वही अनुभवों की तह में जाकर कुछ न कुछ सिखाती हैं l
जहाँ तक उम्र का सवाल है ,तो जी हाँ सोपान दर सोपान मानव के विकसित होते हुए तन और मन को भी अनुभवों के थपेड़े कसौटी पर कसते हैं।
दोनों ही बातें अनुभवों का ताना-बाना बुनती हैं। हालात और बढ़ती आयु शरीर और मन में अनुभूत सत्य जगाते हैं।यही कारण है,कि यह कथोक्ति बार बार पुनरावृत्त की जाती है,कि- धूप में बाल सफेद नहीं किये मैंने, सालों साल ढेर खट्टे मीठे अनुभव जमा किये हैं।
इन अनुभवों का निचोड़ ही कलाकार को जन्म देता है।
- डा.अंजु लता सिंह
नई दिल्ली
अनुभव किसी इंसान के जीवन में सफलता के सरोकारों से जुड़ा होता है--जीवन की पूँजी - - सब सै अनमोल अमानत होता है। बुजुर्गवार बडे़ ही गर्व से कहते हैं - - - ये बाल धूप में सफेद नहीं किए हैं बरखुरदार - - उस वक्त चेहरे की चमक या चेहरे पर दुःख के बादल ही निर्धारित करते हैं कि अनुभव
किन परिस्थितियों में प्राप्त हुआ है।
तात्पर्य यही कि अनुभव और परिस्थितियों का चोली दामन का परस्परपूरक साथ है। परिस्थितियों का सामना करने से अनुभव आता है और अनुभव से हर स्थिति से उबरने की क्षमता भीतर पनपती है।
यह एक तरफा विवेचन होगा कि अनुभव उम्र से आता है। बीतती उम्र ने यदि स्थितियों से दो दो हाथ नहीं किए तो अनुभवहीन सरल सहज मानस अनेकों दुष्कर परिस्थितियों का निर्माण करेगा और वही अनुभव फिर आपमें हर स्थिति से निपटने का कौशल विकास करेगा। कहने का अर्थ है कि उम्र नहीं परिस्थितियाँ इंसान को बनाती हैं।
पर्वत सा अडिग विश्वास सरिता सी मंथर गहराई धरती सी सहनशक्ति सागर सा संतुलन सब कुछ अनुभव की देन हैं सिर्फ उम्र की नहीं।
- हेमलता मिश्र "मानवी"
नागपुर - महाराष्ट्र
अनुभव परिस्थितियों से आते हैं बचपन कठिन दौर से गुजरता तो वह समय से पहले ही बहुत कुछ सिखा जाता है । उम्र के साथ अनुभव बढ़ते हैं वे मनुष्य को बहुत कुछ सिखा जाते हैं । कुछ अनुभव कड़वे तो कुछ मीठे गुदगुदाने वाले होते हैं जिन्हें याद कर झुर्री दार चेहरे पर भी रौनक आ जाती है । समय के साथ अनुभव का पिटारा भरता ही जाता है ।
- अर्विना गहलोत
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
अनुभव और परिस्थिति दोनो एकदूसरे के पूरक हैं परिस्थिति अनुकूल और प्रतिकूल दोनो ही स्थिति में परिस्थिति हमे कुछ न कुछ सबक सिखाती है इन सबक से हम अपने अनुभव जोड़कर अच्छे या बुरे गलत य्या सही का आंकलन करना सीख जाते हैं और उम्र के बढ़ने से परिपक्वता और अनुभव का मिश्रण हमे प्राप्त होता है, बौद्धिक स्तर हमारा बढ़ता है इसलिए अनुभव परिस्थितियों का सामना करने से आता है यह अधिकतर सही सिद्ध होता है पर परिस्थितियों का भी इसमें अधिकतर महत्व होता हैं।
- मंजुला ठाकुर
भोपाल - मध्यप्रदेश
" मेरी दृष्टि में " अनुभव ऐसा ज्ञान है । जो अच्छे पढ़े - लिखे पर भी भारी पड़ता है । अनुभव से बड़ें से बड़ें कार्य को आसानी से हो जाता है । ऐसा अनुभव की कयामत है । जो पढी दर पढी काम आता है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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