विश्व कविता दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन
विश्व कविता दिवस प्रतिवर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने साल 1999 में पेरिस में आयोजित किए गए 30 वें सत्र के दौरान 21 मार्च को विश्व कविता दिवस के रूप में मान्यता दी थी।
जैमिनी अकादमी द्वारा इस बार विश्व कविता दिवस पर " सूर्य " पर कवि सम्मेलन रखा है । जो WhatsApp ग्रुप के माध्यम से चलाया गया है । विषय अनुकूल कविताओं के कवियों को भी सम्मानित किया गया है । सम्मान के साथ कविता भी पेश : -
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नभमंडल का चमकता तारा
वह है प्यारा सूरज हमारा
जड़-चेतन को जीवन देता
रौशन करता वह जग सारा
अंधियारे दूर हो जाते
सोने वाले सब जाग जाते
मुर्गे अपनी बांग लगाते
पंछी अंबर में पंख फैलाते
तितलियों की बागों में उड़ान
भँवरों की गूंजती उनकी तान
मधुमक्खियों के फूलों का रसपान
गुलज़ार हुई बागों की जहान
दिन रात इससे ही होते
मौसम का मिजाज बदलता
रूकता नहीं यह चलता रहता
गतिशील करता जीवन हमारा
भारत में इसे देवता मानते
सुबह सुबह जल हैं चढ़ाते
दूर क्षितिज में रहकर जीवन देता
सारा जग इसे शीश नमाता...
- रंजना वर्मा उन्मुक्त
रांची - झारखंड
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सूरज
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हो गई ऊंची दीवारें,
तलब के रिश्तो की,,,,,,
मधु,,,अब तो हवा भी ,
बेवजह खिड़की से ,
टकराती नहीं,,,,,,।
लौटकर आता रहा,
कारवां यादों का,,,
मगर मुसाफ़िर खाने में,
अब वो रौनक रहती नहीं,,,,,।
रखी है बेहिसाब,
अरमानों की संदूक यहां ,
फिर भी धागा मन्नत का,
चौखट पर बांधना,
वो भूलती नहीं,,,,,,।
होता है लाज़वाब
किरदार,,,,
ओस की बूंद का
फिर क्यूं,,,? *सूरज* की
स्वर्णिम रश्मियों संग ,,,
वो,,चलती नहीं,,,,,।
- मधु वैष्णव "मान्या"
जोधपुर - राजस्थान
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ब्रह्मांड का तारा सूरज
नित्य प्रातः करती हूं नमन
तेरे कारण संसार का जीवन
तेरी दम पर जग है रोशन
सात रंगो की तेरी किरणे
पोषण के हर तत्व तेरी कौशल
सूर्यदेव से हम तुझे जानते
वर्ष में दो बार आराधना करते
जल, फल से अखंड अर्चना करते
सूर्योदय सूर्यास्त तू कहलाता
दोनों पहर करती तेरी आराधना
देवों का देव है सूर्य देव
खुद जलकर उत्साह उमंग देता
तमस से दूर कर नई आशा देता
नदी तालाब समुद्र तेरी माया की जाल
सदियों से हो रहे हैं अन्वेषण
पूरे नहीं हो पाते कभी यह शोधन
अमावस ग्रहण तेरा है त्योहार
शरद ऋतु की तू है रानी
तेरी रोशनी से बन जाती सयानी
हर दिन तुझे करती हूं शत शत नमन
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
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तेजस्वी सूर्य
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हे जननायक, सिद्धिप्रदायक , विश्वेश, शक्ति मान
जिसको मिलती शक्ति तुम्हारी, तर जाता वो जहान
शक्ति तुम्हारी न पहचाने, नहीं कोई ऐसा नादान
जिसको मिलती शक्ति तुम्हारी, तर जाता वो जहान ।
युगों - युगों से तपते नभ में
शक्ति तुम बरसाते हो
रौद्र रूप है प्रभू तुम्हारा
जग को तुम हर्षाते हो
दुर्गुणों को सदा जलाते, हो गुणों की खान
जिसको मिलती शक्ति तुम्हारी, तर जाता वो जहान ।
कृपा तुम्हारी पाकर इंसान
तेजस्वी बन जाता है
दिनकर ,दिवाकर,रवि औ भानू
बन जग प्रकाशित करता है
युगों युगों से रहे चमकते ऐसे ज्ञानी तुम विद्वान
जिसको मिलती शक्ति तुम्हारी तर जाता वो जहान।
हे जननायक, सिद्धि प्रदायक, विष्वेश, शक्तिमान
जिसको मिलती शक्ति तुम्हारी तर जाता वो जहान।
- प्रो डॉ दिवाकर दिनेश गौड़
गोधरा - गुजरात
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मौसम
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प्रचण्ड रुप से सूरज तप रहा ,
चुपचाप धरती तपन सह रही ।
हवाओं ने आँधियों का रुप है धर लिया ।
पैरों की धूल भी शीश है चढ़ रही ।
इस तपन से प्रकृति भी बेहाल है ,
सूख रहे कुँएें नदी और ताल है
ये धरा भी कितना धीरज धरती है ,
इसीलिए भू से सोंधी खुशबू बहती है ।
ये गुबार ये तपन भी है उपकारी ,
किरणे गगन में कहीं जुटा रहीं है बारी ।
बारिद से जब क्षितिज गहन हो जायेगा ,
काले - काले प्यारे मेघा बूँद बरसायेगा ।
तपती धरती मांगे पानी ,
आजाओ प्यारी वर्षा रानी ।
देर न करना तुम आने में
कलंक लगेगा ,क्या वर्षा कृषि सुखाने !
- कमला अग्रवाल
गजियाबाद - उत्तर प्रदेश
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सूर्य
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रजनी के आँचल से निकला
तम को हरने, रश्मि पथ में l
कन -कन कनकमय होता चला
मिटा तम, दिनकर अंतःस्थ में ll
अंधकार आलोक एक ही हैं
ज्यों धूप और छाया का अस्तित्व l
अंधकार के अन्तर में है छिपा
ज्योति काया का है ये रहस्य ll
रवि किरणों से आँखमिचौनी
खेले निशि कभी दिनकर है l
कल्याण कामना संग लिए
वह कर्मतटी का नाविक है ll
ज्योति और तम जग का पहिया
संसृति -पटल सुहाना बना l
एक के पीछे दूजा आता
ज्यों सप्तपदी का हो फेरा ll
तम से डरने वालों, न डरो
कब अलग हुआ है प्रभाकर l
हृदय में आयी सीलन को
है दूर करेगा दिवाकर ll
ज्योतिर्मय सपने तुम देखो
प्रणय होगा -प्रसवन होगा l
मिल प्रेम -राग में डूबेंगे
उन्मन मन से आनंद होगा ll
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
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सूर्य की प्रथम किरणे
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पौ फटते दिवाकर आता
सकारात्मकता की लौ जगाता
होता पृथ्वी पर उसकाअभिवादन
अभ्यागत का होता है स्वागत !
नवप्रभात जब आता है
रवि नई उम्मीद जगाता है
अस्ताचल होने पर भी
इंद्रधनुषी रंग दे जाता है !
रवि भर्ता जीवन में उजाला
तम का महत्व भी है निराला
परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है
कभी मधु सा मीठा फल देता
कभी खटट्टा रसाला !
कभी ग्रहण चंद्र को ग्रसता है
कभी दिवाकर काले बादल में फंसता है
श्यामल मेघ के छट जाते ही
भास्कर पुनः उज्जवल
रश्मि के संग हंसता है!
छूपते शशी की शीतलता
कुछ सूरज की अपनी गरिमा
प्रथम किरण की सिंदूरी आभा
देख जीव की जागे अभिलाषा!
स्वछंद गगन में उड़ता तोता
सूर्य की स्वर्णिम किरणें देख
भोर हो गई उठ जा कहता
सुमन पर बैठ गुनगुन करती
तितली भी इतराती है
फूलों से रस ले लेकर
फुर्र से उड जाती है !
पवन संग हिलोरे लेते
तरुवर के शाखों के पत्ते
संगीत की धुन सुनाते हैं
सुन संगीत की धुन पंख फैलाये
अब मोर भी झुमकर नाचे है!
सौंदर्य की देवी पृथ्वी भी
नमन करे है प्रथम किरण को
रवि भी जीवन देता है
धरा में रहते हर जीवों को !
- चंद्रिका व्यास
मुंबई -महाराष्ट्र
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उदित सूर्य संग भोर हुई है
नाच उठा मन मोर ।
पंछी का कलरव गुंजित हो
घर के चारों ओर ।।
खिली सुनहरी धूप ऊर्जा
भर- भर देती तेज ।
अब तो जागो सोने वालों
छोड़ो आलस सेज ।।
दिव्य रश्मियाँ प्रखर ओज से
करतीं नव संचार ।
चलो सहेजें वन उपवन सह
रत्न खनिज जल धार ।।
सप्त किरण से शोभित होता
सुंदर जगत विहान ।
नमस्कार कर सूर्य देव को
बनिए बुद्धि सुजान ।।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - मध्यप्रदेश
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एक अकेला सूरज नभ में,
अविरल जाता है।
सोने जैसी किरणे उजली,
खुलकर खूब लूटता है।
एक अकेला चांद रात भर,
खूब चांदनी देता है।
जो भूले हैं भटके हैं पथ,
उनका दुख हर लेता है।
एक अकेली धरती माता,
पीड़ाओं को सहती है।
सोना उपजाकर जन के,
मन हर्षित करती है।
तुम भी बच्चों बड़ों अकेले,
बिना किसी का मोह किए।
औरों को सुख पहुंचाना है,
राष्ट्र प्रेम समर्पित दृढ़ संकल्प लिए।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्यप्रदेश
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सूर्य
की ऊर्जा
ही समाहित
है सभी मे
इसी से संचारित
है जीवन
सभी को जो
भी कुछ मिल रहा है
पोषण सब
निर्मित हो रहा है
सूर्य की रोशनी
मे निहित ऊर्जा कणों से
पौधे बदलते है
इस ऊर्जा को पोषक
पदार्थो मे
अवशोषण करते है
कार्बन डाई आक्साइड का
जो छोड़ते रहते है
हम सभी वातावरण मे
बनाते है भोजन सभी
के लिए देते है प्राण
वायु बचाते है जीवन
वास्तव में
जीवन प्रदाता है
सूर्य देव
- डा. प्रमोद शर्मा प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
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रोज सुबह को सूरज आया
नभ में छाया, चिड़ियों ने चह-चहकर ,
भानु के स्वागत में गीत गाए
अंधेरा दूर हो गया नभ मे
छा गया उजियारा
दिन भर खुद को जला जला कर
प्रकाश फैलाया, हम है तुम्हारे लिए तुम भी काम करो दूसरे के लिए
संदेश देकर प्रेरित किया।
शाम हुई लाली फैलाकर
अपने घर को जा रहा हूं
रोज सुबह को आकर
सबको सदा जगाऊंगा।
- विजयेन्द्र मोहन
बोकारो - झारखंड
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सूर्य
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उदित सूर्य से होती प्रभात
ढलते सूर्य से हो जाती रात
भोर होते ही सब प्राणी जाग जाएं
नतमस्तक हो सूर्य का आभार जताएं
पक्षी अपने आहार-विहार लिए उड़ जाएं
मनुष्य आपने कामों में तन मन से जुट जाएं
तेज़ सूर्य का भर देता नया ओज
नव चेतना,उमंगें भर देती जोश
सभी को एक नजर से देखो ,है सिखाता
भेद भाव को दूर करो ,प्रेम का पाठ पढ़ाता
कभी बादलों की ओट में छिप जाता
घोर निराशा से निकलना, हमें सिखाता
बदले में कुछ ना हम से लेता सूर्य
खुद जलकर प्रकाश फैलाता सूर्य
दूसरों के लिए जीना सीखो, हमें सिखाता
मानव जीवन का यही लक्ष्य, पाठ पढ़ाता
उदित सूर्य से होती प्रभात
ढलते सूर्य से हो जाती रात
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
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शनै: शनै: भास्कर
सूर्य नाम से जगत में विदित..
सूर्य जीवन में महत्व हमारे...
पल-पल बदलता
कभी उतरायण...
कभी दक्षिणायन..
कभी तीव्र ताप ..
कभी माध्यम ताप..
कभी न्यून ताप ...
नित द्वार पर दस्तक..
रोशनी की...
उम्मीद की...
जीवन के हर रंग को..
उतार-चढ़ाव भरी जिंदगी....
मन की उमंग कभी कम नहीं..
बदली में भी छुप-छुपकर निकलना..
असफलता में भी सफलता उम्मीद,
शनै:शनै: भास्कर.... दिवाकर..
आदित्य.. रवि.. हिरण्यगर्भाय..
अनेकों नाम जीवन के अनेक रंग
बदलता पल पल उम्मीद भरा जीवन..
तीव्र.. मध्यम... न्यून...
उम्मीद....... !!
- आरती तिवारी सनत
दिल्ली
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सूर्य
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मंडल का नक्षत्र प्यारा, मिटा अंधकार करे सर्वत्र उजियारा।
करे नतमस्तक आभार तुम्हारा, करे दिनकर प्रारंभ दिन हमारा।
तत्पर है चलता रहता
उर्जा देता है जीवन चलता ।
ठीक समय पर होते है दिन रात।
मौसम का भी मिजाज बदलता। सात रंगों का इंद्रधनुष दिखाता।
दिव्य किरणों के प्रखर ओंज से जल बरसाता ।
सभी सहेजे जन वन उपवन
रखें ध्यान।
देख प्रकृति की सुंदर छ टा
सूर्यदेव तुम्हें प्रणाम।
- रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
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