हिन्दी दिवस सम्मान -2021

           आज हिन्दी दिवस के अवसर पर " हिन्दी के प्रमुख लघुकथाकार " ( ई - लघुकथा संकलन ) के लेखकों को सम्मानित करने का निर्णय जैमिनी अकादमी ने लिया है । 
       2021 में लघुकथा साहित्य का सबसे अधिक प्रचलित संकलन बन गया है ।  जो प्रतिदिन पढा जा रहा है । यह अपने आप में एक रिकॉर्ड है । जबकि पाठक आजकल साहित्य से दूर होता जा रहा है । यह लघुकथा साहित्य के लिए अच्छी खबर है । यह हिन्दी दिवस डॉ. सतीशराज पुष्करणा को समर्पित किया गया है । जिन का देहावसान अभी हाल में हुआ है । मेरे हिसाब से इस से अच्छी श्रद्धांजलि नहीं हो सकती है । जैमिनी अकादमी की परम्परा अनुसार सम्मान दिये जा रहे हैं । जिसमें डॉ. सतीशराज पुष्करणा की स्मृति में भी सम्मान देने का निर्णय लिया है । पानीपत साहित्य अकादमी के अध्यक्ष आदरणीय मदन मोहन ' मोहन ' जी की स्मृति में भी सम्मान देने का निर्णय लिया है । अत : सम्मान इस प्रकार हैं : -

Comments

  1. सर्वप्रथम तो इस सम्मान के लिए आभार आपका।
    साक्षात्कार के जरिए जो सर्वे आपने किया है वह सभी के लिए महत्वपूर्ण है। इसके लिए बहुत बहुत बधाई।
    एवं मुझे जो मान आप सभी ने दिया है उसके लिए भी कृतज्ञता व्यक्त करती हूँ।

    बहुत दिनों से बीजेन्द्र जैमिनी जी के लिए मन में कुछ बातें घूम रही थी। आज इस मौके पर कहना उचित प्रतीत हो रहा है।

    बीजेन्द्र जैमिनी : मेरी नजर में एक समर्पित लघुकथाकार

    लघुकथा के प्रति रुचि होना, पढ़ते हुए अच्छी लघुकथाओं का सार सम्भाल करने की इच्छा जागृत होना, उसके लिए विभिन्न तरीकों से विचार करने के उपरांत मूर्त रूप देने के लिए उस पर चल पड़ना, लघुकथा के लिए काम करते हुए नवीन ऊर्जा का संचार महसूस करना ही लघुकथा के लिए समर्पित एक अच्छे कार्यकर्ता की पहचान है।
    यह पहचान आज के कार्यों को देखते हुए नहीं बल्कि हमने बीजेंद्र जैमिनी के कार्यों में विविधता और निरंतरता देखने के बाद बनाया है।
    पिछले 7 सालों से लगातार लघुकथा के क्षेत्र में कुछ ना कुछ करते हुए उन्हें पाया है। कभी तो वह किसी विषय विशेष को लेकर लोगों से लघुकथाएं मंगवाते हैं और कभी अन्य जानकारी।
    फिर उन सामग्रियों को संयोजित कर तरीके से अपने ब्लॉग पर स्थान देना। सालों निर्बाध गति से बिना किसी अपेक्षा के अपने काम में लगे हुए बीजेन्द्र जैमिनी मुझे दशरथ मांझी के समान लगते हैं।
    पूर्व में लघुकथा में कार्य करते हुए कई बार ऐसा भी हुआ कि जब कभी मुझे किसी व्यक्ति विशेष की लघुकथा पर बात करने की जरूरत महसूस हुई थी तब मैंने गूगल क्रोम में जाकर उस व्यक्ति के नाम से लघुकथाएं ढूंढने की कोशिश की। सर्च करने पर वह लघुकथा जो सोशल मीडिया पर समूहों में नहीं मिल रहा था जो मुझे ओपन बुक्स ऑनलाइन में उपलब्ध नहीं हो पाया था वह मुझे बीजेंद्र जैमिनी के ब्लॉग पर आसानी से मिल गया। उस दिन यह एक बड़ी बात थी मेरे लिए।
    उस दिन मैंने इस ब्लॉग पर संकलित लघुकथाओं की उपादेयता को समझा था।
    कुछ ऐसे रचनाकार जो फेसबुक, वेबसाइटों पर बहुत कम या नहीं के बराबर सक्रिय होते हैं, उनकी रचनाएँ व्हाट्सएप पर सम्पर्क कर उनसे मांगी जाती है तो वे आसानी से प्रेषित कर देते हैं।
    ये रचनाएं पाठकों, शोधकर्ताओं, संपादकों के साथ ही आलोचना के लिए सामग्री तलाशने वालों को भी सहज सुलभ हो जाया करती है।
    हम सब जानते हैं कि किसी भी संग्रह, संकलन, पत्र पत्रिकाओं का उद्देश्य पाठकों तक रचनात्मक कार्यों को पहुंचाया जाना ही मुख्य रूप से है।
    हम सब जानते हैं कि प्रिंट मीडिया में प्रकाशन का खर्च हम लेखकों पर बहुत भारी पड़ता है। प्रकाशन चाहे में प्रिंट मीडिया के माध्यम से हो अथवा अंतर्जाल पर उपलब्ध माध्यमों से, रचनाओं को सुरक्षित रखना ही प्रमुख उद्देश्य होता है। सामग्रियों का दस्तावेजीकरण होना महत्वपूर्ण है। उसे किस तरह से किया जा रहा है वह उतना महत्वपूर्ण नहीं है।
    बीजेद्र जैमिनी का कार्य इस लिए भी अधिक महत्व रखता है कि उनका उद्देश्य लघुकथा है। वे व्यक्ति विशेष के लिए काम नहीं करते। वे अपनी योजनाओं के संदर्भ में विज्ञप्ति जारी करते हैं। उनके साथ जो जुड़ता है, वे उन्हें साथ में लेकर आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए चलते रहते हैं।
    आपने जिस तरह से अपने कार्य को अंजाम दिया है यह बात मुझे बहुत प्रभावित करती है।
    मैं अपनी व्यस्तता के चलते आपको अपना साक्षात्कार नहीं भेज सकी इसका मुझे अफसोस है।
    आपने जिस पथ का चुनाव किया है उस पथ पर सदा अग्रसर रहें यह कामना करती हूँ। - कान्ता रॉय
    ( फेसबुक से साभार )

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