तेज वीर सिंह " तेज " से साक्षात्कार
जन्मतिथि : 21 जून 1949
जन्म स्थान : गाँव - बरहन , जिला आगरा, उत्तर प्रदेश
शिक्षा : बी. एस. सी. (जीव विज्ञान), एम. ए. (समाज शास्त्र),पी. जी. डिप्लोमा (पर्सनल मैनेजमैंट )
व्यवसाय : सेवा निवृत - कार्मिक एवं प्रशासनिक अधिकारी (केंद्र सरकार)
प्रकाशित पुस्तकें -
श्रंखला ( लघुकथा संग्रह ) -2019
साँझे लघुकथा संकलन -
1 - बूंद बूंद सागर- (2016)
2 - अपने अपने क्षितिज – (2017)
3 - सफ़र संवेदनाओं का – (2018)
4- आस पास से गुजरते हुए – (2018)
5 - लघुत्तम महत्तम - (2018)
6 - परिंदों के दरमियां - (2018)
7 - स्वाभिमान (2019)
8 - समकालीन प्रेम विषयक लघुकथायें (2019)
9 - पड़ाव और पड़ताल - खंड -30 (2019)
10 - जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
वर्तमान आवासीय डाक पता :
फ़्लैट नंबर 1102/03, बिल्डिंग - सी - 1,
मार्गोसा हाइट्स, मुहम्मद वाड़ी, पुणे - 411060 महाराष्ट्र
स्थाई आवासीय पता : 588, बसंत बिहार, कोटा -324009, राजस्थान
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - मेरी राय में लघुकथा का सबसे सशक्त पहलू उसका कथ्य होता है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - जिन लोगों के संपर्क में मैं आया हूँ ,उनके नाम गिना सकता हूँ। आदरणीय स्वर्गीय सतीशराज पुष्करणा जी , आदरणीय योगराज प्रभाकर ज़ी, आदरणीय डॉ नीरज शर्मा जी, आदरणीय कांता रॉय जी और आदरणीय मुकेश शर्मा जी
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - लघुकथा की समीक्षा का मुझे कोई विशेष अनुभव नहीं है। लेकिन अध्ययन से जो जानकारी मुझे प्राप्त हुई है, उसके आधार पर कह सकता हूँ कि लघुकथा में कथ्य, शैली, व्याकरण (वर्तनी की त्रुटियां ), संदेश, शीर्षक चयन एवं पंच पंक्ति और रोचकता अनिवार्य है।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा के प्रचार प्रसार में मीडिया का बहुत बड़ा योगदान है। मैं खुद मीडिया के माध्यम से ही इस लाजवाब विधा से जुड़ सका। मैंने जिन मीडिया ग्रुपों में सक्रियता से भाग लिया । उनके नाम निम्न लिखित हैं। 1. नया लेखन नये दस्तखत 2.लघुकथा के परिंदे 3. गागर में सागर 4.ओपिन बुक्स ओन लाइन 5 .साहित्य संवेद
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे विचार से वर्तमान में लघुकथा की स्थिति संतोष जनक कह सकते हैं। वैसे लघुकथा के क्षेत्र में बहुत नये लोग आ रहे हैं लेकिन उनमें लंबी दौड़ के घोड़े इक्के दुक्के ही निकल रहे हैं। लघुकथायें बहुतायत में लिखी जा रही हैं लेकिन स्तरीय रचनायें नगन्य हैं।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - मैं खुद अपने कार्य से ही संतुष्ट नहीं हूँ। अन्य लोगों के विषय में अधिक कहना असभ्यता होगी।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं केंद्र सरकार के एक उद्योग में कार्य रत था। लघुकथा से मेरा लगाव सेवा निवृति के बाद हुआ। इस पड़ाव पर मैंने अपनी क्षमता और काबिलियत के अनुरूप कभी भी मार्ग दर्शन करने का ना तो सोचा और ना ही कोशिश की। इसके बावज़ूद अगर किसी नये लघुकथाकार ने कोई परामर्श मांगा तो उसे निराश नहीं किया।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरी धर्मपत्नी हिंदी से एम ए हैं। व्याख्याता रह चुकी हैं। वे भी लिखती हैं। इसलिये उनका सहयोग निरंतर मिलता रहता है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - मेरे लेखन कार्य का मेरी आजीविका में कोई योगदान नहीं है। वैसे मैंने लेखन कार्य को इस उद्देश्य से अपनाया भी नहीं था। यह कार्य मैं व्यस्त रहने और मानसिक शांति हेतु करता हूँ।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मैं एक आशावादी व्यक्ति हूँ। मैं सदैव उत्तम और उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ। लघुकथा मेरे लिये एक प्रेरणा है। मानसिक शांति का श्रोत है।अतः मैं सदैव उसकी उत्तरोत्तर प्रगति की आशा करता हूँ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - जैसा कि मैंने पिछले प्रश्न के उत्तर में भी कहा कि लघुकथा लेखन से मुझे मानसिक शांति, आत्मिक संतोष और व्यस्तता तो मिलती ही है लेकिन इसके साथ कितने मशहूर और विद्वान लेखकों का सानिध्य प्राप्त हुआ। मैंने दस बारह लघुकथा संकलनों में साझेदारी की तथा एक अपना निजी लघुकथा संग्रह निकाला , उसकी वजह से समाज में एक सम्मान जनक स्थान मिला ।
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