मीरा जैन से साक्षात्कार
जन्मस्थल- जगदलपुर - छत्तीसगढ़
जन्म तारीख- 2. नवंबर
शिक्षा- स्नातक
संप्रति: पूर्व सदस्य बाल कल्याण समिति, पद- प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट. वर्ष 2019 मे भारत सरकार ने विद्वानों की सूची मे शामिल किया.
प्रकाशित किताबें-
मीरा जैन की सौ लघुकथाएं,
101 लघुकथाएं,
सम्यक लघुकथाएं,
मानवमीत लघुकथाएं,
कविताएं मीरा जैन की,
दीन बनाता है दिखावा,
श्रेष्ठ जीवन की संजीवनी. हेल्थ हदसा ,
जीवन बन जाए आनंद का पर्याय
सम्मान : -
- अनेक स्थानीय. राज्य. राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय पुरस्कार तथा सम्मान.
- 2014 मे नई दुनिया तथा टाटा शक्ति प्राइड स्टोरी सम्मान से सम्मानित व पुरस्कृत
- पुस्तक 101लघुकथाएं राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत.
- पुस्तक सम्यक लघुकथाएं राष्ट्रीय स्तर पर शब्द गुंजन, सम्मान से अलंकृत .अनेक लघुकथाएं राज्य व राष्ट्र स्तर पर पुरस्कृत, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संस्था जैज़
विशेष :-
- आकाशवाणी इंदौर . जगदलपुर , बोल हरियाणा बोल रेडियो तथा म. प्र. दूरदर्शन से प्रसारण.
- लघुकथाओं का कई भाषाओं मे अनुवाद
- वर्ष 2011 में मीरा जैन की 16 कथाएं पर विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा लघु शोध कार्य.
- केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय व छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किताबों का क्रय.
- जीआईएफ के अंतर्गत चेयर पर्सन गर्ल्स सेव चाइल्ड कमेटी सन 2016 से सन 2018
- पिछले पच्चीस वर्षों मे राष्ट्र स्तरीय की पत्र पत्रिकाओं मे लगभग एक हजार रचनाओं का प्रकाशन
पता : 516,साँईनाथ कालोनी , सेठी नगर
उज्जैन - मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - संक्षिप्तता के साथ सोउद्देश्य होना अति आवश्यक है ।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - लघुकथा के क्षेत्र में किन्हीं पांच नामों का उल्लेख करना सर्वथा मुश्किल कार्य है इस क्षेत्र में अनेक विद्वजनों द्वारा उल्लेखनीय कार्य किये जा रहा है फिर भी श्री बलराम जी अग्रवाल , श्री बीजेन्द्र जी जैमिनी, श्री योगराज जी प्रभाकर के साथ जिन दो नामों का और उल्लेख मैं करना चाहती हूं वह पिछले पांच-छह वर्षों से बाल साहित्य में लघुकथा को स्थापित करने हेतु पूर्ण तत्परता से कार्यरत हैं - वे हैं मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य अकादमी के निदेशक डॉक्टर विकास जी दवे एवं मासिक बाल पत्रिका देवपुत्र के कार्यकारी संपादक श्री गोपाल जी माहेश्वरी ।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - न्यूनतम शब्द संख्या, सरल भाषा-शैली एवं लघुकथा की प्रभावशीलता अर्थात कुल मिलाकर गागर में सागर ।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - व्हाट्सएप , फेसबुक , यूट्यूब , ब्लॉग आदि।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान में जन सामान्य की अति व्यस्ततम दिनचर्या के चलते साहित्यिक जगत में लघुकथाएं लगभग समस्त पाठकों की पहली पसंद बन चुकी हैं पूर्व में कहानी , कविताएं , व्यंग्य, क्षणिकाएं, आलेख आदि विधाएं मेरी लेखनी की महत्वपूर्ण अंग थी किंतु शनै: शनै: लघुकथाओं की मांग इतनी ज्यादा हो गई थी शेष विधाएं पीछे छूट गई अब लघुकथाओं पर ही ध्यान केंद्रित है ।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - वर्तमान में निश्चित ही लघुकथाएं पाठकों द्वारा पूर्ण तन्मयता से पढ़ी जा रही है किंतु वास्तव में जो लघुकथाएं लिखी जा रही हैं उनसे पूरी तरह संतुष्ट नहीं हूं मेरी नजर में मात्र 10-15 प्रतिशत लघुकथाएं ही प्रभावी व लघुकथाओं की श्रेणी में आती हैं शेष मे तो पात्रों के माध्यम से समाचार ही परोसे जा रहे हैं या फिर घर-परिवार , समाज में आए दिन होने वाली घटनाओं की हू ब हू नकल होती हैं और सबसे बड़ी विडंबना पत्र-पत्रिकाओं के संपादक इन्हें प्रकाशित भी कर रहे हैं इससे लघुकथा की गुणवत्ता मे कमी स्वभाविक है।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - जिस परिवेश में में पली-बढ़ी वहां साहित्य को छोड़ शेष सब कुछ बेहतर था । रहा मार्गदर्शक का सवाल तो मैंने स्वयं को कभी स्वयं के अतिरिक्त किसी और का मार्गदर्शक माना ही नहीं, हर रचनाकार के अपने विचार मौलिक होते हैं वह उसी के अनुरूप लिखे तो बेहतर है हां कभी-कभी जब कोई लघुकथाकार मुझसे लेखन से संबंधित किसी प्रकार का सहयोग चाहता है तो मैं अपने सामर्थ्यानुरूप सुझाव अवश्य देती हूं कभी किसी को निराश नहीं किया ।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरा लेखन पूर्णत: नैसर्गिक है ।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन और आजीविका का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - भविष्य में पठन-पाठन की दृष्टि से लघुकथाओं का स्थान निश्चित ही अति महत्वपूर्ण होगा यह विधा साहित्यिक जगत की प्रमुख विधा बन जाए तो भी कोईअतिशयोक्ति नहीं है ।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - ईमानदारी से कहूं तो कुछ प्राप्ति के लिए कभी कुछ लिखा ही नहीं हमेशा समाज को कुछ श्रेष्ठ देने के भाव से ही लिखती आ रही हूं आज नि:स्वार्थ लेखन मेरे जीवन का महत्वपूर्ण अंग बन चुका है लघुकथा प्रकाशन एवं प्रियजनों से प्राप्त प्रतिक्रियाओं से जो आत्मसंतोष एवं संतुष्टि मिलती है वह शब्दों में वर्णित करना असंभव है हां इतना अवश्य है कि माननीय संपादकों ने मेरी लघुकथाओं को प्रमुखता से प्रकाशित कर मेरे नाम को साहित्यिक जगत में अवश्य ही महत्वपूर्ण बना दिया है ।
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