अर्चना राय से साक्षात्कार
लेखकीय कोना - ( साहित्य मेरी नजर में) : -
"साहित्य सृजन मेरे लिए महज मनोरंजन या समय व्यतीत करने का माध्यम नहीं है। बल्कि एक साधना है। जो पूरे मनोयोग से करती हूँ।क्योंकि सृजन का गुण, मुझे आत्मिक सुकून और आनंद पाने, ईश्वर द्वारा प्रदत्त एक अलौकिक वरदान है।"
साथ ही मेरा लेखन को लेकर नजरिया है कि....
"लेखक होने के लिए,.. सबसे पहले एक अच्छा पाठक होना नितांत जरूरी सोपान है।
क्योंकि...
सतत् पठन- पाठन हमारे शब्द भंडार में ही वृद्धि नहीं करता है, बल्कि भावों के दायरे को भी विस्तृत करता है।
साझा संकलन :-
- इक्कीसवीं सदीं की प्रतिनिधि लघुकथाए
- लघुकथा संगम में पांच लघुकथाओं का प्रकाशन साथ ही संपादक मंडल में सम्मिलित
- जीवन की प्रथम लघुकथा ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- मां ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- लोकतंत्र का चुनाव ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- नारी के विभिन्न रूप ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2019
- लघुकथा - 2019 ( ई - लघुकथा संकलन )
- कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई - लघुकथा संकलन ) - 2020
- मतदान ( ई - काव्य संकलन ) - 2019
- पड़ाव और पड़ताल के खंड- 32,खंड- 33 में लघुकथाओं का चयन।
सम्मान :-
- कोरोना योद्धा रत्न सम्मान - 2020
- फेसबुक पर अनेक साहित्यिक समूहों में आयोजित प्रतियोगिताओं में पुरुस्कृत।
- फेसबुक समूह 'धर्म संसार' द्वारा आयोजित धार्मिक कहानी प्रतियोगिता में प्रथम स्थान।
- मातृभारती द्वारा स्वाभिमान विषय पर आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में 50 लघुकथाओं में स्थान
- साहित्य संवेद साहित्यिक समूह द्वारा आयोजित लघुकथा प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान।
- समीक्षा प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान।
- अन्तर्राष्ट्रीय लघुकथा समीक्षा प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया।
- रचनाकार आर्ग द्वारा आयोजित अखिलभारतीय लघुकथा लेखन प्रतियोगिता- 2019 में तृतीय स्थान.
- रचनाकार आर्ग द्वारा आयोजित नाटक लेखन प्रतियोगिता- 2020 में विशेष स्थान प्राप्त किया.
- साहित्य संगम संस्थान से वीणा पाणी सम्मान,
- दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान ,
- नारी मंच संगम सुवास से दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान, - संगम सुवास सम्मान
विशेष : -
- जबलपुर दैनिक अखबार में रचनाओं का प्रकाशन,
- लघुकथा वृत्त में भी अनेक लघुकथाओं का प्रकाशन।
- शब्द अभिव्यक्ति पत्रिका में प्रकाशित कहानियाँ,
- ई- पत्रिका अविचल प्रवाह में रचनाओं का प्रकाशन, एवं संपादक मंडल में सम्मिलित।
- बीजेन्द्र जैमिनी जी लघुकथा ब्लॉग में सम्मिलित रचनाएं
- उदंति पर भी लघुकथा प्रकाशित।
- शैल अग्रवाल जी की बेव- पत्रिका लेखनी के लघुकथा विशेषाॅंक में पाॅंच लघुकथाओं का प्रकाशन।
- लघुकथा. काॅम पर भी अनेक लघुकथाओं का प्रकाशन
- लघुकथा- वापसी का भाषांतर के अंतर्गत गुजराती भाषा में अनुवाद का प्रकाशन।
- मेरी पसंद के अंतर्गत दो लघुकथाओं की समीक्षा प्रकाशित।
- पंजाबी भाषा की प्रतिष्ठित पत्रिका 'मिन्नी' में लघुकथाओं का प्रकाशन।
- लघुकथा- कलश, दृष्टि, हिन्दी चेतना, क्षितिज, शैल शूत्र, आदि में लघुकथा प्रकाशित।
- कविता भट्ट जी के संपादन में गद्य कोष में रामेश्वर कांबोज जी की लघुकथा- नवजन्मा की समीक्षा प्रकाशित।
- सहज साहित्य बेवसाइट पर अनेक कविताओं का प्रकाशन
पता : आदर्श होटल , भेड़ाघाट ,
जबलपुर - 483053 मध्यप्रदेश
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा सीमित शब्दों में लिखी जाने वाली, अर्थात गागर में सागर समाहित करने वाली विधा है.इसलिए इसके सभी तत्व महत्वपूर्ण होते हैं.परंतु कथा तत्व और सकारात्मक संदेश का होना ही लघुकथा की सार्थकता के लिए बेहद जरुरी है.जब तक किसी लिखित विवरण में कथा तत्व मौजूद नहीं होगा तब तक वह विवरण, सत्य घटना, रिपोर्ट या संस्मरण आदि बनकर ही रह जाएगा.
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - मेरी नजर में प्रत्येक लघुकथाकार जो लघुकथा विधा के ककहरे को समझते हुए लघुकथा को उन्नत करने के लिए कार्यरत हैं.उसकी भूमिका लघुकथा के विकास में महत्वपूर्ण हैं.वर्तमान समय में देखा जाए तो कई वरिष्ठों के साथ नवोदित रचनाकार भी इस विधा को उन्नत कर रहे हैं जहाँ वरिष्ठों में रामेश्वर कांबोज हिमांशु जी, सुकेश साहनी जी, बीजेन्द्र जैमिनी जी, योगराज प्रभाकर जी, और अशोक भाटिया जी उल्लेखनीय नाम हैं.
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - किसी भी लघुकथा की समीक्षा करना अत्यंत गंभीर कार्य है.समीक्षा ही लघुकथा और पाठक के बीच में सेतु का कार्य करती है.लघुकथा के अंतर्निहित उस अनकहे को उजागर करना, जो लघुकथा का मर्म है, समीक्षक की महती जिम्मेदारी है. साथ ही पाठक के मन में लघुकथा के लिए उपजे प्रश्नों का समाधान देना भी समीक्षक का काम है. समीक्षा के द्वारा लघुकथा के सकारात्मक पहलुओं के साथ उसकी कमियों या नकारात्मक बिंदुओं का भी सधे हुए शब्दों में उद्धरण करना भी समीक्षक का कार्य होता है.
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - सोशल मीडिया के आगमन से साहित्य की सभी विधाओं में उन्नति की है, फिर लघुकथा भी इससे अछूती नहीं है.सोशल मीडिया के अनेक प्लेटफार्म व्हाट्सएप, फेसबुक, ब्लॉग , यूट्यूब...आदि अनेक प्लेटफार्म ने विधा को आगे बढ़ाने का कार्य किया है.
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लघुकथा, उपन्यास और कहानी परिवार की सबसे छोटी सदस्य है.गर्व की बात यह है कि अब इसे भी दोनों की तरह स्वतंत्र पहचान मिल चुकी है.आज लघुकथा अखबारों और पत्र-पत्रिकाओं में केवल फिलर की तरह नहीं बल्कि आवश्यक सामग्री की तरह प्रकाशित की जाने लगी है.लघुकथा का यह स्वर्णिम काल है.सोशल मीडिया ने भी लघुकथा के विकास में महती भूमिका निभाई है.
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - कुछ हद तक संतुष्ट हूँ पर पूरी तरह से नहीं..... ऐसा कहा गया है कि 'अति सर्वत्र वर्जयते'.... मुझे ऐसा लगता है कि सोशल मीडिया के आगमन से वर्तमान में थोक में लघुकथाएँ लिखी और पोस्ट की जा रहीं हैं.जहाँ एक ओर विधा का विकास हुआ है तो कहीं न कहीं विधा को नुक्सान भी हुआ है. सोशल मीडिया पर बने अनेक साहित्यिक समूहों में अपनी रचना पोस्ट करने और वाहवाही पाने की होड़ में लेखक धैर्य खो रहे हैं. परिणाम स्वरूप लघुकथा पर पूर्ण चिंतन मनन न कर कच्ची पक्की कैसी भी कथा पोस्ट कर रहे हैं. अर्थात संख्या की दृष्टि में वृद्धि हो रही है, पर गुणवत्ता के लिए अभी और समय देना होगा.
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मेरी पृष्ठभूमि में साहित्य का दूर-दूर तक कोई संबंध नहीं है.बचपन से ही मुझे पढ़ने में बहुत रुचि थी.जब भी मौका मिलता या फुर्सत के पल होते, मैं अपने किताब के संग बिजी हो जाती थी.यही पढ़ते रहने का हुनर धीरे-धीरे साहित्य लेखन की ओर भी मुझे ले गया.फिर सोशल मीडिया पर अनेक साहित्यिक समूहों में अन्य लेखकों की रचनाएं पढ़ते और अपनी रचनाएं प्रेषित करते हुए आगे बढ़ती गई.
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - मेरे परिवार ने सदा ही मेरे लेखन को प्रोत्साहित किया है.
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन मेरे लिए कोई आजीविका चलाने का साधन नहीं है.मेरे लिए लेखन आत्म संतुष्टि या यूं कहें सुकून पाने का मार्ग है. हाँ कुछ प्रतियोगिताओं में मैंने नगद राशि,पुरस्कार के रुप में अर्जित जरूर की है.पर उनका व्यय में प्रतियोगिताओं में शामिल होने या पुस्तक ग्रह में ही करती हूं.
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - मेरी नजर में लघुकथा का भविष्य सुनहरा है. क्योंकि जहाँ वरिष्ठ और नवोदित दोनों ही एक दूसरे का हाथ पकड़,कदम ताल मिलाते हुए लघुकथा के विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं. यही समय लघुकथा के विकास का स्वर्णिम काल है.
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लघुकथा साहित्य ने मुझे स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए पृष्ठभूमि प्रदान की है. समाज में व्याप्त विसंगतियों और कुरूतियों को देख कर मन खिन्न हो जाता है.मन में भावनाओं का तूफान घुमड़ने लगता है.तब वही तूफान कलम के रास्ते कागज पर लघुकथा के रूप में जन्मता है. तब मन में एक सुकून और शांति महसूस होती है.
लघुकथा लेखकों के मध्य लघुकथाकार के रूप में अदना- सा ही सही अपना नाम देखकर गर्व महसूस करती हूँ. साथ ही अनेक लेखकों से जान पहचान ही नहीं हुई है बल्कि उनका सानिध्ध्य और सहयोग भी मिला है ।
एक बढ़िया साक्षात्कार।
ReplyDeleteबेबाकी से उत्तर देने की कोशिश की है लेकिन अपने मौलिक विचारों की कमी साफ दिख रही है। उम्मीद है लेखिका अगली बार खुद के मौलिक विचारों के साथ पाठकों से बात करेंगी।