संतोष गर्ग से साक्षात्कार
जन्म स्थान: बुढ़लाड़ा (पंजाब)
जन्म तिथि: 12 नवम्बर 1960
पति: डॉ. एस एल गर्ग
शिक्षा: बी ए, फैशन डिजाइनिंग कोर्स
सेवा: उपाध्यक्षा : अ.भा.सा.परिषद, हरियाणा प्रांत
प्रकाशित 15 पुस्तकें : -
हरियाणा साहित्य अकादमी के सौजन्य से प्रकाशित दो पुस्तकें : -
1. सूख गए नैनन के आँसू (काव्य संग्रह)
2. मनांजलि (डायरी के पन्ने)
3. दिल मुट्ठी में (काव्य संग्रह )
4. अपनी-अपनी सोच ( लघुकथा संग्रह)
5. लघुता कुछ कहती है (लघुकथा संग्रह)
6. नानी, निक्की और कुंभ (बाल उपन्यास)
7. कागज़ की नाव' (बाल काव्य संग्रह)
आध्यात्मिक चिंतन 6 पुस्तकें:-
8. संवाद
9. सनातन-वार्ता
10. मानस मोती
11. सहस्त्र मानक
12. यात्रा गुरू के गाँव की
13. पंचामृत
हरियाणा की स्वर्ण जयंती पर संपादित पुस्तकें : -
14. दुनिया गोल मटोल (बाल काव्य संकलन)
15. कोरोना काल कवियों के झरोखे से ( काव्य संकलन)
सम्मान पुरस्कार :-
- श्रेष्ठ कृति पुरस्कार ,हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला द्वारा
- श्री टेक चंद गोरखपुरिया सम्मान-2000 , अखिल भारतीय साहित्य परिषद, हिसार द्वारा
- वूमैन एम्पावरमैंटअवार्ड-2017 चंडीगढ़
- लघुकथा सेवी सम्मान- वर्ष 2018' सिरसा
- लघुकथा स्वर्ण सम्मान- 2017,गुरूग्राम
- श्री विजय कृष्ण राठी समृति साहित्य सम्मान- 2017'कैथल।
- महादेवी वर्मा कविता गौरव सम्मान-2019' सिरसा।
- कायाकल्प साहित्य श्री सम्मान-2019,नोएडा।
- साहित्य सम्मेलन शताब्दी सम्मान'-2019' पटना में गोवा की गवर्नर दीदी श्रीमती मृदला सिन्हा के करकमलों द्वारा ।
- शब्द कोविद सम्मान-2020'नागपुर महाराष्ट्र।
- अग्नि शिखा साहित्य गौरव सम्मान'- 2020,मुंबई महाराष्ट्र।
- आचार्य की मानद उपाधि-1998 में जैमिनी अकादमी द्वारा
डिजिटल सम्मान: -
जैमिनी अकादमी द्वारा
- गुरु रविंद्र नाथ टैगोर सम्मान- 2020,
- गोस्वामी तुलसीदास सम्मान- 2020,
- मोहाली रत्न सम्मान- 2020,
- कबीर सम्मान- 2020,
- अटल रत्न सम्मान- 2020
कला कौशल साहित्य संगम छत्तीसगढ़ द्वारा
- साहित्य श्री सम्मान-2020,
- कोरोना योद्धा सम्मान- 2020 झारखंड व चंडीगढ से
व अन्य अनेक।
विशेष : -
- अ.भा.सा.परिषद व राष्ट्रीय कवि संगम के अनेक साहित्यिक सम्मेलनों में भाग लिया।
- कोरोना के दिनों आरंभ से अब तक 12-12 घंटे की ड्यूटी क्लीनिक में।
- स्वतंत्र लेखन हिन्दी व पंजाबी में।
- मैनेजिंग डायरेक्टर : एन जी डायग्नोस्टिक,पंचकूला।
- अध्यक्षा:- राष्ट्रीय कवि संगम, इकाई चंडीगढ।
- संयोजिका:- मनांजलि मंच।
- स्वयं बनवाए गए शिव मंदिर की, शिव मंदिर महिला समिति की 21 वर्ष अध्यक्षा रही।
- मातृशक्ति समिति, संयोजिका भारत माता मंदिर, हिसार।
- तीन शिवालय मंदिर स्थापित, हिसार
- यात्राएं: चारों कुंभ, चारों धाम, कैलाश मानसरोवर, युरोप, स्विट्जरलैंड देश-विदेश आदि- आदि।
पता : एन जी डायग्नोस्टिकस
SCF: 59, सेक्टर-6 ,पंचकूला - हरियाणा
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व जो लघुता में संवेदनशील, सार्थक, सकारात्मक भाव की अभिव्यक्ति जो पाठक के मन में गहरी छाप छोड़े महत्वपूर्ण है।
प्रश्न न.2 - समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - बड़ा मुश्किल प्रश्न है : -डॉ रूप देवगुण, डॉक्टर शील कौशिक, बीजेन्द्र जैमिनी, प्रद्युम्न भल्ला, महेश राजा आदि।
प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा के ज़रूरी मापदंड:- भावपूर्ण, प्रभावपूर्ण, आरंभ और अंत कैसा है, भाषा शैली, कथ्य का चुनाव, लघुता, समाज की विकृतियों को दर्शाती सकारात्मक सोच, लघुकथा हो न कि लघुकहानी, संदेश आदि- आदि।
प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - व्हाट्सएप, फेसबुक, यूट्यूब , ब्लॉग आदि- आदि।
प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - वर्तमान आपाधापी में किसी के पास लंबी- लंबी रचनाएँ पढ़ने का समय नहीं है इसलिए लघुकथा की स्थिति अति उत्तम है। प्रत्येक पाठक सबसे पहले लघुकथा को पढ़ना चाहता है।
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं ?
उत्तर - ऐसा है किसी भी काम में सौ पर्सेंट नहीं मिलता है। यदि अन्य विधाओं की तुलना में देखा जाए तो पाठक की दृष्टि से लघुकथा की स्थिति अच्छी है लेकिन लघुकथा पर जितनी संगोष्ठियाँ होनी चाहिए वह नहीं हो रही। जो सम्मान एक कवि को मिलता है वह लघुकथाकार को नहीं मिल रहा।
प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - परिवार में कोई लेखक नहीं था लेकिन माता-पिता, दादा- दादी व पूज्य गुरूदेव से संस्कार मिले। सौभाग्य है कि मुझे बड़े- बड़े साहित्यकार राज्यकवि प्रोफेसर उदयभानु हंस जी, डॉ राधेश्याम शुक्ल जी, प्रोफ़ेसर रामनिवास मानव, कमलेश भारतीय, डॉक्टर प्रदीप नील आदि का हिसार में रहते हुए सान्निध्य प्राप्त हुआ। उनके संग लगभग 24 वर्ष गोष्ठियाँ हुईं। बहुत कुछ सीखने को मिला। मार्गदर्शक के रुप में बहुत से नए लेखकों को अपने संग जोड़ा है। उन्हें लेखन के लिए तैयार किया, उनकी पुस्तकें भी प्रकाशित हुई, वह गोष्ठियों में भाग भी लेने लगे हैं और उन्हें सम्मान भी दिया है।
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - परिवार के पूरे सहयोग के बिना तो मेरी 15 पुस्तकें तैयार न हो पाती। गोष्ठियों में लगातार 88 से भाग ले रही हूं। तीन संस्थाओं को स्वयं चला रही हूं। हां! मैं स्वयं भी परिवार को पहल देती हूँ। परिवार की मेरी लेखन में महत्वपूर्ण भूमिका है।
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन में आजीविका की ओर कभी ध्यान नहीं दिया। मैं स्वयं की संतुष्टि के लिए लिखती हूँ। हरियाणा साहित्य अकादमी पंचकूला के सौजन्य से 2 पुस्तकें पहले प्रकाशित हुई थीं। अभी 2019 की पुस्तक पर श्रेष्ठ कृति पुरस्कार में ₹31000 पुरस्कार मिला।
प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर:- लघुकथा के उज्जवल भविष्य को शंका की दृष्टि से देख ही नहीं सकते। अभी लघु कथाओं को चित्र पुस्तकों के रूप में, लघुनाटकों के रूप में, लघु फिल्मों के रूप में पर्दे पर आना है। समय लगेगा परंतु मेरा विश्वास है ऐसा पक्का होगा।
प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर - लेखन में आत्मसंतुष्टि, आत्मसम्मान उत्साह मिला है। मेरे दो लघुकथा संग्रह प्रकाशित हुए हैं जो पाठकों द्वारा पसंद किए गए हैं। लघुकथा लेखन पर 'लघुकथा स्वर्ण सम्मान' भी प्राप्त हुआ है। सबसे बड़ी बात वर्तमान समय के अनुसार कम शब्दों में मुझे समाज को जो संदेश पहुंचाना है अपने मन की कह पाती हूँ । डॉ हरीश चंद्र वर्मा जी, प्रोफेसर उदयभानु हंस जी, प्रोफेसर रूप देवगुण जी, कमलेश भारतीय जी आदि प्रमुख साहित्यकारों द्वारा लिखित आशीर्वाद भी प्राप्त हुआ। सौभाग्य है लघुकथाकारों में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।
बहुत सुंदर व गंभीर विवेचन बधाई व शुभकामनाएँ
ReplyDeleteशशांक मिश्र भारती शाहजहांपुर उत्तर प्रदेश
लघुकथा के बारे में आदरणीय संतोष गर्ग जी के विचार साझा करने के लिए धन्यवाद।
ReplyDeleteसंतोष गर्ग जी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं।
मुझे खुशी है कि मैं संतोष जी के सम्पर्क में रहती हूँ और उनके सान्निध्य में मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता है।