सविता मिश्रा 'अक्षजा' से साक्षात्कार

 जन्म : एक जून 1973, प्रयागराज - उत्तर प्रदेश
शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक
(हिंदी, राजनीति-शास्त्र, इतिहास) 

 पुस्तक : -

'रोशनी के अंकुर' लघुकथा एकल संग्रह - 2019 
    

सम्मान : -

- लघुकथा विधा में जय विजय रचनाकार सम्मान - 2016
- शब्द निष्ठा लघुकथा सम्मान -  2017
 - शब्द निष्ठा व्यंग्य सम्मान - 2018
- कलमकार कहानी सांत्वना सम्मान -  2018
 - 'समाज सेवी सम्मान'  गहमर - 2018
- हिंदुस्तानी भाषा साहित्य समीक्षा सम्मान - 2018
 - कथादेश में लघुकथा पुरस्कृत - 2019
 - फलक 'फेसबुक ग्रुप' द्वारा लघुकथा पुरस्कृत 2019
- मासिक  पत्रिका 'साहित्य समीर दस्तक' द्वारा 'मन का चोर' कहानी पुरस्कृत 2019, 
 - जगेश्वर उमा स्मृति कहानी सम्मान में 'वह लौट आया'  कहानी पुरस्कृत 2020
- शब्द निष्ठा समीक्षा सम्मान - 2020

विशेष : -

- ब्लॉग : 'मन का गुबार' एवं 'दिल की गहराइयों से'
- अध्यक्ष 'महिला काव्य मंच' आगरा इकाई
- दिव्य ब्राह्मण समिति की ‘प्रदेश महामंत्री ‘महिला प्रकोष्ठ’ उत्तर प्रदेश 
- २८/१/२०२० को आकाशवाणी आगरा से 'मेहनतकश'  कहानी प्रसारित|  

पता : फ़्लैट नंबर -३०२, हिल हॉउस,
खंदारी अपार्टमेंट, खंदारी ,आगरा - 282002 उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - हमारे हिसाब से शिल्प

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओ ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर- महत्वपूर्ण भूमिका वालों को पांच नामों के जरिए बताना नाइंसाफी होगी औरों के प्रति, क्योंकि पुरोधाओं के साथ-साथ कई नये-नये लोग भी बड़े लग्न से लघुकथा की नाव की पतवार सम्भाले हुए हैं| फिर भी पांच नाम लेने ही हैं तो --१ श्री रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु', २-  श्री बलराम अग्रवाल, ३- श्री अशोक जैन, ४ -श्री मधुदीप गुप्ता, ५- श्री सुकेश साहनी

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - मन के दुराव के बजाय साहित्य के प्रति, वह भी इस प्रश्न के उत्तर में खासकर लघुकथा के प्रति लगाव प्रदर्शित होना चाहिए। पूर्वाग्रह से भी मुक्त होकर यदि समीक्षा होगी तो निसंदेह सार्थक होगी।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म  बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर- सोशल मीडिया के लगभग सभी प्लेटफार्म ने लघुकथा विद्या को हाथों हाथ लिया है। चाहे ह्वाट्सएप हो, चाहे और कोई सोशल साइट। फेसबुक ने तो लघुकथाओं के लिए पलक पाँवड़े ही बिछा रखा है।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर- वही जो चढ़ते सूरज की होती है| आशा है इस सूरज के कारण भविष्य में साहित्य प्रकाशवान अवश्य होगा |

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर- संतुष्ट न  होने का तो कोई सवाल ही नहीं उठता हैं|

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर- असाहित्यिक  पृष्ठभूमि रही है| अभी तो बस चलना ही सीखा है, अतः सिखाने में असमर्थ पाते हैं खुद को | लेकिन हाँ, किसी को प्रोत्साहित  करने से पीछे नहीं हटते हैं| 
प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ? 
उत्तर-- वही जो डूबने में तिनके की होती है।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
ऊतर-- भाड़ में अकेले चने की जैसी स्थिति है| यूँ समझिए कि भारी खर्च में साहित्य के जरिए तिनके का सहारा मिल ही जाता है|

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर- निसंदेह उज्ज्वल है

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर- परिजनों के बीच माँ - बहन, दादी - नानी की स्मृति के साथ अब साहित्य की राह में भी हमें हमारी लघुकथाओं के जरिए साहित्यिक लोग कभी कभार याद कर ही लिया करेंगे। और दूसरे, मानसिक द्वंद को लेखन के जरिए बाहर आने का मौका मिला,  प्रशंसा मिली, लोग हमें हमारे नाम से जानने लगे, इंसान को और भला क्या चाहिए! 


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