अन्तरा करवड़े से साक्षात्कार

जन्म : 02 मार्च 1977 , इन्दौर - मध्यप्रदेश       
शिक्षा : बी.कॉम, एम.आई.बी    
                                          
कार्यक्षेत्र : भाषा सेवाएं, बहुभाषी अनुवाद व वाणी सेवा, हिन्दी व मराठी साहित्य लेखन, श्रव्य , कार्यक्रम लेखन, निर्देशन व निर्माण.          

संप्रति : प्रतिष्ठान ’अनुध्वनि स्टूडियोज’ के माध्यम से भाषा अनुवाद, विविध वाणी सेवाएं लेखन सेवाएं व रेडियो वेरितास एशिया पर हिन्दी कार्यक्रम निर्माण.

पुस्तकें : -

देन उसकी हमारे लिये ( लघुकथा संग्रह )
बेपर उड़ानें ( कविता संग्रह )
शियर ब्लैसिंग्स ( अग्रेंजी कविता संग्रह )

सम्मान / पुरस्कार : -

अम्बिकाप्रसाद दिव्य रजत अलंकरण,
महाराजा कृष्ण जैन स्मृति पुरस्कार,
रेडियो वेरितास एशिया का ’सत्य स्वर’ रजत जयंति सम्मान,  केशरदेव बजाज पुरस्कार,
लघुकथा रत्न पुरस्कार, 
लघुकथा गौरव पुरस्कार,
विद्याभूषण पुरस्कार,
हिंदी सेवी पुरस्कार आदि।

विशेष : -

- क्रोएशियन इन्डोलॉजिस्ट्स द्वारा अंतर्राष्ट्रीय संग्रह में लघुकथा चयनित,
- छोटी बड़ी लघुकथाएं नामक स्नातक भाषा पाठ्यक्रम पुस्तक में लघुकथा
- जलतत्व पर आधारित साझा लघुकथा संग्रह "धारा"
-  लघुकथा रेखांकन संकलन ’कृति-आकृति’ का साझा संपादन,
- पड़ाव और पड़ताल महिला विशेष खन्ड
- लघुकथाओं का मराठी, पंजाबी, क्रोएशियन भाषा में अनुवाद,
- पत्रिका इन्द्रदर्शन का सम्पादन

पता : अनुध्वनि , 117 , श्रीनगर एक्सटेंशन ,
इन्दौर - 452018 मध्यप्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?

उत्तर - लघुकथा का संपूर्ण कलेवर। उसे पढ़ने के बाद जो प्रभाव पाठक पर पड़ता है या फिर जिसे हम लघुकथा की आत्मा कहें या समग्रता। जो तत्व लघुकथा को लघुकथा बनाता है वह सबसे महत्वपूर्ण है। एक निर्विवाद लघुकथा हमारे समक्ष जो प्रस्तुति देती है, जिसे अनुभूत करने के बाद हम उससे प्राप्त तत्व को स्वयं में पाते हैं न कि उसके आकार प्रकार, नियम आदि हम पर हावी होते हैं। ऎसा होना ही सबसे महत्वपूर्ण तत्व है।

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य में अनेकानेक नाम हैं जिन्होंने सक्रियता को आडम्बर बनाये बिना, प्रचार से दूर रहकर काम किया है। इस क्षेत्र में मैं अत्यंत ही कनिष्ठ स्थान पर हूं, इस प्रकार की टिप्पणी मेरे अधिकार क्षेत्र से बाहर है, मेरे लिये सभी प्रणम्य हैं।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - सबसे प्रथम दृष्टिकोण पाठक की स्वीकृति होनी चाहिये। रचना पाठक के लिये लिखी जानी अपेक्षित है न कि समीक्षक या उस विधा के अन्य लेखकों के लिये। सही भाषा प्रयोग, व्याकरण व वर्तनी की शुद्धता अनिवार्य रहे और लघुकथा पूर्णरुपेण अपने कथ्य के साथ न्याय कर सके, उसमें कुछ भी अनावश्यक नही रहे। समीक्षा का आधार रचना हो न कि रचनाकार।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है?
उत्तर -  लघुकथा विधा के लिये सोशल मीडिया ही नही अनेकानेक अभिव्यक्ति के मंच महत्वपूर्ण हैं। सामान्य रुप से फेसबुक, लाईव सुविधा देने वाले मंच यथा मीट, झूम, स्ट्रीम यार्ड, टीम्स आदि ने आयोजन सरल करने में महती भूमिका निभाई है। अनेकानेक यूट्यूब चैनल भी लघुकथा को लेकर उपलब्ध है। इसके अलावा ब्लॉग, साहित्यिक वेबसाइट्स के विशेष विभाग अपनी भूमिका निभा रहे हैं। अभी लघुकथा को दृश्य श्रव्य माध्यमों में यदा कदा दिखाई दे रही है, इसे पॉडकास्ट और इन्स्टा स्टोरीज के रुप में स्वयं को तैयार करने की आवश्यकता है जो शीघ्र ही पूरी होगी। अनेकानेक एप्प भी उपलब्ध हैं जो इसे छोटी कहानी आदि के रुप में प्रस्तुत कर रहे हैं। कुल मिलाकर एक अभिव्यक्ति का कलेवर तैयार होना बाकी है। आशा है आगे चलकर अनेक स्वरुपों द्वारा इस विधा का विस्तार होगा।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है?
उत्तर - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा उन विद्यार्थियों के समान है जिन्हें ऑनलाइन पढ़ाई और परीक्षा के बिना बहुत सारे अंक मिल चुके हैं। उनकी मेहनत वे ही जानते हैं और कहां किस प्रकार का न्याय हुआ है, इस बारे में शांति बेहतर होती है। चूंकि प्रसार, अभिव्यक्ति के माध्यम बहुतायत से है, आज प्रतिस्पर्धा नही है। ’वापसी का टिकट लगा लिफाफा’ वाली स्थिति से दो-चार होना नही है जिसके कारण आईना देखना आवश्यक हो जाता था। यही कारण है कि लघुकथा की स्थिति वैविध्यपूर्ण और असमान है लेकिन इतना तय है कि इसे अभी काफी लंबा रास्ता तय करना है जिसके लिये गुणवत्ता का पोषण आवश्यक है।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप संतुष्ट हैं ?
उत्तर - यदि हम भारतीय परिवेश की बात कर रहे हैं, तो नही। अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं? बताएं किस प्रकार  के मार्ग दर्शक बन पाए हैं?
उत्तर - गांव से जुड़े शहरी परिवार से हूं जहां खेती किसानी, धर्म, कला और सामाजिक सरोकार हमें उदार बनाते हैं, मन का विस्तार करते हैं।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में, आपके परिवार की भूमिका क्या है?
उत्तर - परिवार मेरे लेखन का आधार है। इस सहयोग के बिना लेखन और जीवन दोनों ही असंभव हैं।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में, आपके लेखन की क्या स्थिति है?
उत्तर - मेरी आजीविका की स्थिति में लेखन के समानांतर अनुवाद विधा और वाणी सेवाएं व्यावसायिक प्रमुखता से मौजूद है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - हमारे वर्तमान प्रयास इसके भविष्य को तय करेंगे। विषय और मानसिकता, दोनों के ही विस्तार का आधार लेने पर लघुकथा का भविष्य उज्ज्वल है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर -  गैर साहित्यिक पृष्ठभूमि से होने के कारण लघुकथा विधा ने ही शब्द साधना का ककहरा सिखाया। उदारमना होने के कारण अन्य विधाओं में लिखने और व्यक्तित्व को बेहतर बनाने में मदद की। अनेक मार्गदर्शक, स्वनामधन्य लेखकों का स्नेह और साथ इस विधा की ही देन है।



Comments

  1. लघुकथा विधा को पोषण देता उत्तम साक्षात्कार ! बहुत अच्छे प्रश्न और संतुलित ,गुणवत्तापूर्ण उत्तर साक्षात्कार और लघुकथा दोनों विधाओं को समृद्ध कर रहे हैं। हार्दिक शुभकामनाएं!

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