विष्णु सक्सेना से साक्षात्कार

जन्म : 26 जनवरी 1941 दिल्ली
शिक्षा : डी एम ई आनर रुड़की
सम्प्रति : एच एम टी पिंजौर से  डिप्टी चीफ़ इंजीनियर के पद से सेवा निवृत्त

प्रकाशित पुस्तकें :-

एक क़तरा सच ( लघुकथा संग्रह ) - 2018
अन्य मौलिक पुस्तकें : -

बैंजनी हवाओं में ( काव्य संग्रह ) - 1976
गुलाब कारख़ानों में बनते हैंं ( काव्य संग्रह ) -1995
धूप में बैठी लड़की ( काव्य संग्रह ) -2010
सिहरन साँसों की ( काव्य संग्रह ) -2013
अक्षर हो तुम ( खंड काव्य ) - 2013
बड़े भाई ( कहानी संग्रह ) -1995
वापसी ( कहानी संग्रह ) -2003

हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा श्रेष्ठ कृति पुरस्कार : -
बैंजनी हवाओं में - 1972
अक्षर हो तुम - 2014

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा तीन लघु शोध प्रबन्ध : -

विष्णु सक्सेना व्यक्तित्व व कृतित्व - 1998
कहानीकार विष्णु सक्सेना - 2004
अक्षर हो तुम में मानवीय मूल्य - 2017

पता :  एस जे 41 , शास्त्री नगर ग़ाज़ियाबाद 201002  उत्तर प्रदेश

प्रश्न न.1 -  लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ?
उत्तर -  महत्वपूर्ण तत्व लघुकथा में व्याप्त उसका आंतरिक तीखापन उसका महत्वपूर्ण तत्व है। लघुकथा का आकस्मिक धारदार अंत व उसका अंतिम वाक्य ही उसे पाठक के मन के साथ जोड़ता है

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य को आगे बढ़ाने में यूँ तो कई नाम हैं पर अपने विशिष्ट प्रयासों के कारण बलराम, सुकेश साहनी, बीजेन्द्र जैमिनी , अशोक जैन व योगराज प्रभाकर का योगदान सराहनीय है ।

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ?
उत्तर - समीक्षा के मापदंड- लघुकथा मन में चिंतन के स्वर अंकुरित करने में, अपनी तीखी चोट से मन संवेदित करने और कविता की तरह नपे तुले शब्दों में अपना संदेश देने में व समाज का मार्गदर्शन करने में समर्थ हो व उसमें कथा तत्व भी हो तभी यह लघुकथा की कसौटी पर खरी उतरती है ।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है ?
उत्तर -  सोशल मीडिया के महत्वपूर्ण प्लेट फार्म हैं : - फ़ेसबुक , वाटस एप , लघुकथा ग्रूप तथा लेखकों के ब्लाग आदि । जो लघुकथा के प्रचार व प्रसार में योगदान दे रहे हैं ।

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - साहित्यिक परिवेश में लघुकथा आज अपनी पहचान बना चुकी है व आंदोलनों के दौर से गुजर कर एक सशक्त विधा का रूप ले चुकी है ।

प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर - लघुकथा की वर्तमान स्तिथि से संतुष्ट तो नहीं, क्योंकि सोशल मीडिया पर आसानी से पहुँच के कारण लघुकथाकार केवल प्रकाशित होने के लिए लिखे जा रहे हैं ।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर -  मैं इंजीनियरिंग पृष्ठ भूमि से हूँ व एच एम टी पिंजौर में डिप्टी चीफ़ इंजीनियर के पद से सेवा निवृत्त हुआ हूँ । वहाँ रहकर मालिक मज़दूर के सम्बन्ध सुधारने के लिए चौपाल कथाएँ ( लघुकथा) लिखी । जो एच एम टी के मुख पत्र में प्रकाशित होती रही व बाद में संकलित कर ‘ बड़े भाई ‘ पुस्तक रूप में प्रकाशित करवाई ।

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
उत्तर - लेखन में परिवार की भूमिका भी महत्वपूर्ण है, विशेष तौर पर जीवन सहचरी के सहयोग के बिना लेखक साहित्य धर्म का निर्वाह नहीं कर सकता ।

प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आजीविका के लिए लेखन कार्य करना जोखिम भरा है । बहुत कम लोग इस क्षेत्र में सफल हो पाए हैं । आजकल तो समाचार पत्र भी परिश्रमिक तो क्या लेखकीय प्रति देने से भी परहेज़ करते हैं ।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ?
उत्तर - लघुकथा का भविष्य व्यवधानों के बावजूद भी उज्ज्वल है । लघुकथा अपनी पहचान बना कर निरंतर विकास की ओर बढ़ रही है ।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है
उत्तर - लघुकथा लेखन से आत्म संतुष्टि मिलती है व सकारात्मक विचारों से समाज को मार्गदर्शन करने का आत्म सुख भी मिलता है ।



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