डॉ. विभा रजंन ' कनक ' से साक्षात्कार

जन्म : 2 नवम्बर 1951, पटना - बिहार
शिक्षा : हिन्दी में स्नातकोत्तर , विद्या वाचस्पति 
पिता : स्व. चन्द्र देव प्रसाद श्रीवास्तव
माता : स्व.विदेहनंदनी देवी
पति : स्व. ज्ञान रजंन सदस्य (राज्य सभा) 
व्यवसाय : भूतपूर्व प्राचार्य महेंद्र प्रसाद महिला महाविद्यालय राँची झारखंड
(झारखंड एकेडमी काउंसिल से मान्यता प्राप्त)
संप्रति :बिहार विधान परिषद से मनोनीत सदस्या

लेखन विधा :  कविता ,कहानी एवं लघुकथा

साझा पुस्तकें : -
 
1. नीलाम्बरा ( काव्य संकलन )
2. साहित्य दर्पण ( काव्य संकलन )
3. सेदोका छंद ( काव्य संकलन )
4. काब्य सागर ( काव्य संकलन )
5. मां ( ई - लघुकथा संकलन )
6. जय माता दी ( ई - काव्य संकलन )
7. मतदान ( ई - काव्य संकलन )
8. जल ही जीवन है ( ई - काव्य संकलन )
9. भारत की शान : नरेन्द्र मोदी के नाम ( ई-काव्य संकलन )
10. लघुकथा - 2019 ( ई - लघुकथा संकलन )
11. लघुकथा - 2020 ( ई - लघुकथा संकलन )
12. कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( ई - लघुकथा संकलन )

सम्मान : -

1. कोरोना योद्घा रत्न सम्मान - 2020
2. जगदीश कश्यप लघुकथा रत्न सम्मान - 2020
3. 2020 - रत्न सम्मान ( एक सौ एक साहित्यकार )
          स्थूल रुप से अपने शारीरक अक्षमता के कारण किसी भी साहित्यिकी कार्यक्रम में भाग नहीं ले पाती है इस कारण पुरस्कार से वंचित रह जाती है।  पाठको के स्नेह और उनके उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया को ही अपना पुरस्कार मानती  है ।

विशेष :-

विभिन्न साहित्यिकी पत्रपत्रिकाओं में निरतंर रचनाओं का प्रकाशन..।

पता : डा.विभा रजंन ' कनक '
    बी/३८ आखिरी तल्ला , स्वामी नगर , नई दिल्ली
प्रश्न न.1 - लघुकथा में सबसे महत्वपूर्ण तत्व कौन सा है ? 
उत्तर - कथा तत्व, प्रभावशाली प्रस्तुतिकरण  , उपयुक्त परिवेश एवं उचित शब्दों का चयन..!

प्रश्न न.2 -  समकालीन लघुकथा साहित्य में कोई पांच नाम बताओं ? जिनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण है ?
उत्तर - समकालीन लघुकथा साहित्य के क्षेत्र मे बहुत से साहित्यकारों ने अपने योगदान से इसे समृद्ध किया है उनमें से पाँच नाम चुनना तारे गिनने जैसा है। फिर भी श्री योगराज प्रभाकर जी,श्री मधुदीप गुप्ता जी, श्रीमती कांता राय जी, , श्री बीजेन्द्र जैमिनी, श्री कमलेश भारतीय,

प्रश्न न.3 - लघुकथा की समीक्षा के कौन - कौन से मापदंड होने चाहिए ? 
उत्तर - कथ्य सरल स्पष्ट एवं कम शब्दों में हो लघुकथा गागर में सागर भरने जैसा है।

प्रश्न न.4 - लघुकथा साहित्य में सोशल मीडिया के कौन - कौन से प्लेटफार्म की बहुत ही महत्वपूर्ण है ? 
उत्तर -  आजकल साहित्य को घर घर पहुँचाने का कार्य डिजिटल मीडिया बहुत कुशलता से कर रहा है। जैसे :- फेसबुक , ब्लॉग , WhatsApp आदि

प्रश्न न.5 - आज के साहित्यिक परिवेश में लघुकथा की क्या स्थिति है ?
उत्तर - आज के साहित्य मे लघुकथा का स्थान बहुत महत्वपूर्ण हो गया है, लघुकथा अब समृद्ध हो गई है। इसने पत्रिकाओं के अतिरिक्त समाचारपत्रों में भी अपना स्थान बना लिया है। पत्रिकाओं ने लघुकथा विशेषांक निकालना आरम्भ कर दिया है। लघुकथा संग्रह एवं संकलन ने इस विधा को और भी विशिष्ट बना दिया है। अभी लघुकथा पर शोध भी किया जा रहा है, इसका भविष्य उज्जवल है। 
 
प्रश्न न.6 - लघुकथा की वर्तमान स्थिति से क्या आप सतुष्ट हैं ?
उत्तर -   संतुष्टि किसी भी प्रभाव को क्षति पहुँचा सकती है। परन्तु लघुकथा निरंतर अपने पथ पर आगे बढ रही है। आशा है यह अभी और निखरेगी।

प्रश्न न.7 - आप किस प्रकार के पृष्ठभूमि से आए हैं ? बतायें  किस प्रकार के मार्गदर्शक बन पाये हैं ?
उत्तर - मैं एक सामान्य परिवार से हूँ परन्तु साहित्यिक पृष्ठभूमि रही है। मेरे बडे बाबुजी साहित्य में रुची रखते थे कदाचित उनके गुण मुझमें आये। मुझे भी साहित्य में रुचि थी। कॉलेज के समय से मैं पटना तथा राँची आकाशवाणी से स्वरचित कहानियों का वाचन करती थी। 

प्रश्न न.8 - आप के लेखन में , आपके परिवार की भूमिका क्या है ?
 उत्तर -  साहित्य में रुचि की विरासत मुझे मेरे परिवार से मिली।मेरे बडे बाबुजी को साहित्य में रुचि थी, वह कविताएं एवं शायरी लिखा करते थे। मुझे साहित्य की विरासत उनसे मिली। 
 
प्रश्न न.9 - आप की आजीविका में , आपके लेखन की क्या स्थिति है ?
उत्तर - लेखन कला से कोई आय नहीं होती है, परन्तु लेखनी आत्मा को संतुष्ट अवश्य करती है।

प्रश्न न.10 - आपकी दृष्टि में लघुकथा का भविष्य कैसा होगा ? 
उत्तर - लघुकथा का स्वर्णयुग चल रहा है। आज यह हर समाचारपत्र , साहित्यिकी पत्रिकाओं में प्रतिष्ठा पूर्वक अपना अस्तित्व बनायें हुई है। लघुकथा का रुप लघु होने के कारण यह पाठकों को बहुत पसंद भी आ रही है।

प्रश्न न.11 - लघुकथा साहित्य से आपको क्या प्राप्त हुआ है ?
उत्तर -  लेखनी आत्मा को संतुष्ट करती है। गागर में सागर भरने की कला से परिचय होता है।


Comments

  1. सार्थक उत्तर दिए हैं आपने। आपको साधुवाद

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