क्या रिकॉर्ड वृद्धि के बाद भी देश में कोरोना के नयें मामलों में कमी आ रही है ?
कोरोना वायरस से प्रभावित की सख्या प्रतिदिन बढ रही है । फिलहाल जिस स्तर यानि जिस प्रतिशत से बढ रहा है ।वह दर वास्तव में कम हुआ है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आते हैं लोगों के आये विचारों पर : -
यह तथ्यात्मक सत्य है कि कोरोना के मरीजों की वृद्धि दर, बीते सप्ताह (19 से 26 मई 2020 ) में 38% रही है जबकि सक्रिय केस 31% मिले। देखा जाए तो कुल केस वृद्धि और सक्रिय केस वृद्धि में 7% का अंतर स्पष्ट दिखाई देता है। यह आंकड़ा है वर्ल्डोमीटर्स डॉट इन्फो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का। इसके मुताबिक भारत में 19 मई को एक लाख एक सौ सत्तावन केस थे। इनमें सक्रिय केस की संख्या थी, अट्ठावन हजार चार सौ तिरासी। इसके ठीक एक सप्ताह बाद 26 मई को भारत में कुल केस हैं एक लाख अड़तीस हजार आठ सौ पैंतालीस। इनमें से सक्रिय केस की संख्या है सतहत्तर हजार एक सौ तीन। इस तरह कुल केस बढ़ने और सक्रिय केस बढ़ने की दर में सात प्रतिशत का अंतर है। यदि सक्रिय केस कम हुए तो इसका कारण है मौसम का बढ़ता तापमान, पीड़ित मरीजों की देखभाल, खान-पान और जनजागरुकता। ये आंकड़े देखकर बहुत खुश होने की जरुरत नहीं है,क्योंकि 38% की वृद्धि दर बहुत बड़ी है। जिसकी रोकथाम जरुरी है।इलाज अभी मिल नहीं पाया है,केस बढ़ रहे हैं तो फिर बचाव ही सुरक्षा है। हमें ध्यान रखना चाहिए।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कोरोना की रिकाॅर्ड वृद्धि ने आम जनता को चिन्ता में डाल दिया हैं एक और लाॅकडाउन में लगातार छुट दि जा रही हैं काम धन्धे चालु हो रहे हैं कम्पनीया चालु हो रही हैं दूसरी ओर कोरोना पाजिटिव मरिजों की संख्या बढ रही हैं सम्भव हैं कल से आज हम ज्यादा कोरोना टेस्ट कर रहें हो पर आम जन तो आकड़ो की भाषा जानता हैं ओर यह काम न्यूज चेनल बखुबी कर रहें हैं यदी सरकार की माने तो ज्यादा कोरोना टेस्ट की वजह से मरिजों की संख्या बढ रह हैं जो भी हों डर बहुत जरूरी हैं जब तक हम कोरोना पर सम्पुर्ण विजय प्राप्त नही कर लेते।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्यप्रदेश
जिस प्रकार से देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की गिनती में तेजी से बृध्दि हो रही है वह निश्चित ही चिंता का विषय है।परंतु यदि हम जरा सा ध्यान दें तो पाएंगे कि इस बृध्दि ने तेजी पकड़ी है लॉकडाउन 4.0 में ढील देंव के बाद।जो कहीं ना कहीं हमारा ध्यान इस ओर भी आकर्षित करता है कि यह एक बार तो होना ही था।क्योंकि जो जीवनयापन हेतु अन्य प्रदेशों इन पलायित हुए थे,उनको सारे संसाधन बंद होने के कारण अपने रोजमर्रा की चीजों तक की आवश्यकता आन पड़ी थी जबकि दूसरी तरफ सारे कल-कारखाने,रेस्त्रां आदि आय के स्रोत बंद पड़े थे।ऐसे में उस राज्य की सरकार पर ये अतिरिक्त भार लगने लगे थे।
इसका दूसरा पक्ष देखें तो राज्य सरकारों को अपने जनमानस को वापस सही सलामत लाने का भी जोर डाला जा रहा था।इसी के चलते आवाजाही प्रारम्भ तो हुई परन्तु उसमें ऐतिहात बरतने में जरूर चूक हुई है जिसके कारण इस भयावह वैश्विक संक्रमण ने जोर पकड़ा है या अपना शिकंजा फैलाया है।
अंततः जब तक एक बार पूर्णरूप से आवाजाही को पूरा करके देश में पूर्णतः लॉकडाउन नहीं किया जाता स्थिति सम्भलना मुश्किल सी दिख रही है।अर्थात इसमें किसी भी प्रकार सुधार नजर नहीं आएगा।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
हां यह सच है कि रिकॉर्ड वृद्धि के बाद भी करो ना के मामले में कमी आई है क्योंकि करो ना तो बाहर विदेश से जो यात्रा करके आए थे या फ्लाइट से जो आए हैं विदेश घूमने गए हैं या जो बच्चे पढ़ने गए हैं उन्हीं के कारण हमारे देश में आया था और कुछ संगठन भी फैलाने की कोशिश कर रहे थे हमारी प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही मजबूत है हमारे यहां भी संस्कार जड़ों में हैं। नॉन वेज खाना का कमी है क्योंकि लोग गुरुवार के दिन नहीं खाते कुछ सोमवार के दिन नहीं खाते इस तरह से लोग ज्यादातर सब्जियां खाते हैं। और हमारे रहन-सहन के तरीके में भी खुलापन कुछ काम है विदेशों में ज्यादा खुलापन है हम लोग नमस्कार करते हैं जो सदस्य सिंह पहले से ही हम फॉलो करते हैं साफ-सफाई हम शुरू से ही रखते हैं आए हैं।
दूसरा कारण यह भी है कि हमारे देश में पर्याप्त टेस्ट किट्स नहीं है फिर भी हमारे देश में मलेरिया में जो दवाइयां मरीजों को दी जाती है पर अमेरिका तक में सप्लाई की है और लोग डाउन होने के कारण मामलों में वृद्धि नहीं हुई है कुछ कमी आई है हर चीज के दो पक्ष होते हैं यदि आप अच्छा पक्ष देखेंगे तो आप अच्छा ही नजर आएगी आशावादी ही रहेंगे और निराशावादी व्यक्ति को हर जगह गलत ही नजर आता है यह तो अपना अपना नजरिया और अपना अपना चश्मा होता है।
धीरे-धीरे लोग अपने काम पर लौट रहे हैं और बीमारी से डर के कितने दिनों तक घर में रहेंगे दाल रोटी तो सबको अपनी-अपनी चलाने हैं। किसी भी चीज से लड़ने के लिए हम सभी को मिलकर मुकाबला करना चाहिए तभी हम संभव होगा।
स्वच्छता का पालन करें सोशल स्टैंसिल फॉलो करें और सब अपना अपना काम करें ऐसी मैं आशा करती हूं।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
जब तक पूरी तरह जाँच नहीं होगी हम कुछ नहीं कह सकते
भारत में सुविधा ही नहीं है जाँच हो तभी सही स्थिति का चले कुछ भी कह देना ,झूठी तसल्ली कोरोना में भंयकर नुक़सान दे सकती है !
कुछ लोग इससे इत्तेफाक नहीं रखते. भारतीय मूल के अमरीकी चिकित्सक और कैंसर रोग विशेषज्ञ सिद्दार्थ मुखर्जी ने पत्रकार बरखा दत्त से हाल में कहा, "साफ कहूं तो भारत में इतनी कम मौतों के बारे में मैं कुछ नहीं जानता. दुनिया को भी इसके बारे में कुछ पता नहीं है. इतनी कम मौतें एक रहस्य है. मेरा तो मानना है कि कुछ हद तक कम टेस्टिंग इसके लिए जिम्मेदार है. भारत में हम पर्याप्त संख्या में टेस्टिंग नहीं कर रहे हैं. अगर हम ज्यादा टेस्टिंग कर रहे होते तो हमें इस सवाल का जवाब मिल सकता था.''
वह साफ तौर पर दोनों तरह के टेस्ट- डायगोनेस्टिक (संक्रामक लोगों की पहचान के लिए इस्तेमाल होने वाला) और एंटीबॉडी टेस्ट (संक्रमित और ठीक हो चुके व्यक्ति का टेस्ट) की ओर इशारा कर रहे थे.
एक बड़ा सवाल यह है कि क्या भारत कोविड-19 से हुई मौतों का पता नहीं लगा पा रहा है.
भारत की महत्वाकांक्षी 'मिलियन डेथ स्टडी' का नेतृत्व करने वाले टोरंटो यूनिवर्सिटी के प्रभात झा कहते हैं कि मौतों के आंकड़ों की रिपोर्टिंग सही तरीके से हो. कोरोना वायरस से हुई जिन मौतों की गिनती छूट गई हैं, उन्हें इसमें शामिल करना जरूरी है.
प्रभात झा का कहना है कि भारत में ज्यादातर मौत घरों में होती है, और यहां आगे भी ऐसा ही होता दिखता है. इसलिए मौतों के सही आंकड़े के लिए दूसरे तरीके आजमाने भी जरूरी हैं.
भारत में कोविड-19 संक्रमण का पहला पॉजिटिव केस दो महीने पहले रिकॉर्ड किया गया था. लेकिन तब से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले इस देश में कोरोना वायरस संक्रमण के 29,000 से अधिक मामले दर्ज हुए हैं. अब तक इस संक्रमण से यहां 900 से अधिक मौतें हुई हैं.
भारत में कोरोना वायरस से मौतें किस कदर बढ़ रही हैं, इसे समझने के लिए यह देखना होगा ये कितने दिनों में दोगुनी हो रही हैं. भारत में इस वक्त मौतें नौ दिनों में दोगुनी हो रही हैं. 25 अप्रैल तक यहां 825 मौतें हो चुकी थीं, जबकि 16 अप्रैल को ये मौतें लगभग इनकी आधी थीं.
पब्लिक हेल्थ सेक्टर के कई विशेषज्ञों और पेशेवरों का कहना है कि भारत में संक्रमण और मौतें अगर काबू में हैं तो इसके पीछे एक महीने से ज्यादा वक्त से चल रहे कड़े लॉकडाउन का रोल हो सकता है. मेडिकल जर्नल लान्सेट ने भी इसकी पुष्टि की है और कहा है कि लॉकडाउन, संक्रमण के बढ़ते ग्राफ को सपाट करने में मुफीद साबित हुआ है.
वैसे दिमाग़ काम नहीं करता हर न्युज कुछ अलग ही दिखाती है
किसपर भरोसा करें समझ में नहीं आता
सबसे अच्छा तरीक़ा है सब छोड़ो अपना ख़्याल करो घर में रहो जरुरी हो तो निकलो
सब अपने आप को बचाने में लग जायेगा तो कोरोना का बाप भी कुछ नहीं कर पायेगा
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
रिकार्ड के अनुसार वृद्धि के बाद देश में कोरोना के नए मामलों में कोई कमी नही आई है । बल्कि कोरोना पीड़ितों की जनसंख्या बढ़ गई है। कोरोना पीड़ितों के मामले में हम चीन से आगे निकल गए है जानकारी के मुताबिक आंकड़े बताते है कि दिन के हिसाब से यदि गिना जाए तो जितनी कोरोना पीड़ितों की जनसंख्या भारत मे हुई है उतना चीन मे भी नही था।। कोरोना पीड़ितों की बढ़ती जनसंख्या भारत के अर्थव्यवस्था पर भी असर डाल सकती है। व्यापार के डाउन होने से आम आदमी परेशान है। हम अभी ये नही कह सकते कि वृद्धि के अनुसार कोरोना के नए मामलें में कमी आई है क्योंकि अभी लगातार रिजल्ट बढ़ ही रहा है और अभी मामले बढ़ ही रहे है न कि घट रहे है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
दिन प्रतिदि कोरोना से ग्रसित होने वाले लोगो की संख्या बढ़ती हुई देखने को मिल रही है । जो आज प्रति 24 घण्टो में 6 से 7 हजार हो गई है । जिसे देख नए नए मामलों में वृद्धि नही हो रही है , ऐसा नही कहा जा सकता । और इस दृष्टि से भी यह कहना उचित नही होगा कि यदि लोगो को ये भ्रम हो जाता है कि अब नए मामले सामने नही आ रहे है या कोरोना का प्रकोप खत्म हो गया है तो लोग लापरवाह हो जाएंगे । और फिर जो अब तक लोकडाउन अथवा अन्य तरीके जो भी देश के लोगो को बचाने के लिए इख्तियार किये है , उनका कोई औचित्य नही रह जायेगा ।
हा ये जरूर कहा जा सकता है कि इन मरीजो को एक बड़ी संख्या में रिकवर किया जा रहा है । जो स्वस्थ हो रहे है और जो मौत को मात दे रहे है , यही वजह है कि कोरोना से मौत की एक बड़ी संख्या पर अंकुश लगाया जा सका है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
यह है कि कमी या वृद्धि का सही अकड़ा भारत जैसे देश में कोई दे ही नही सकता । क्योकि न तो अनुशासन है और न ही समर्पण । कोरोना योद्धा योद्धा बनने को विवश है क्योंकि उन्हें नौकरी करनी है । कोई प्राइवेट हस्पताल भी सामने आया है क्या ??
सरकार की नीतियां ऐसी की जब जो दिमाग मे आये बिना उसका परिणाम या बाधा को सोचे उसे लागू कर दो । लॉक डाउन का पालन करो लेकिन जो पैसे सरकार भेज रही है उसे लेने मत जाओ । एकांत वास करने लिए एक ही जगह पर दो दो मीटर के फासले पर एक साथ 100 संक्रमित हो कर रहो लेकिन खाने के लिए भीड़ मत लगाओ ।।
मौतों का आंकड़ा पूछ ही मत लेना । वह एक दुखती रग है । दबाने पर नाकामी का ठप्पा ऐसे समय मे लगेगा जब भारत WHO की अगवाई कर कद बढ़ा रहा है । विश्व का नेतृत्व करने की ओर अग्रसर है ।
हर महामारी का वास्तविक आंकड़ा उसके खत्म होने के बाद जनता के सामने आता है ।इसका भी आएगा अपने समय पर ।
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
लाकडाउन 4 में प्रवासी मजदूरों की क्वॉर्टाइन की कई राज्यों की व्यवस्था चिंतनीय है । पूरा भारत , दुनिया ने इसे देखा है ।बसों में , बस की छत ठूँसे हुए लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते हुए वे अपने गंतव्य की ओर जा रहे हैं । क्या ये व्यवस्था कोरोना की वृद्धि को बुलावा नहीं दे रहा है । प्रवासी मजदूर जहाँ जा रहे हैं , वे क्वार्टाइन हो रहे हैं क्या ?
अब मुंबई विश्व में कोरोना की वृद्धि में दूसरे नमंबर पर है । 3 महीने से लाकडाउन होने से आर्थिक व्यवस्था बिगड़ी है । भारत में महामारी के मुश्किल के दौर में अभी कोरोना बढ़ रहा है ।महाराष्ट्र में 50 हजार संख्या कोरोना पीड़ितों की है । हॉस्पिटल में भीQकोरोना पीड़ितों की लाशों को कोरिडोर में रखा हुआ है ।
देश मे कोरोना के 1 लाख 45 , 380 मरीज हैं । 4, 167 लोगों की मौत होगयी है ।देश में एक दिन में 6535 नए मामले आए हैं ।
यह सब आंकड़े कोरोना के बढ़ती वृद्धि को बता रहे हैं ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
कोरोना महामारी के कारण जन जीवन प्रभावित तो हुआ ही? साथ ही साथ जीवन यापन कर रहे, मानव से लेकर पशु-पक्षी तक यत्र-तत्र पूर्णतः हो चुके, व्यवस्थाएं परिवर्तित हो चुकी। गर्मी के मौसम में कई-कई योजनाओं का जन्म हुआ करता था, आज के परिधान में कैद हैं। कोरोना महामारी पल-पल में बीमारियों की संख्याओं में रिकॉर्ड तौड़ बढ़ोत्तरी हो रही हैं, जिसमें किसी भी तरह के नये मामलों में कमी आती है नहीं दिखाई दे रही हैं, यह तो शासकीय रिकाॅड हैं, मानव के? पशु-पक्षी तो गिनती से बाहर हैं? अभी तो शहर से लेकर ग्रामीण कस्बे में तो कितने हो सकते मानव, पशु-पक्षी हैं, जिसकी गिनती संभव नहीं हैं? यह शुभ संकेत नहीं हैं? बीमारियां पूर्व दर्शित हैं जबकि खुले मैदान में विधिवत होना चाहिए? दवाईयां वही हैं, ठीक भी होना हैं और मृत्यु का स्वागत भी करना हैं, सब एक ही दिशा में जनचर्चित बन कर रह गये हैं। सबका यही मत सामने आया, वह वहां से आया और वहां गया, इसलिए ऐसा हुआ, ऐसा था तो लाँकडाऊन लगाने के पूर्व ही व्यवस्था बनाई जा सकती थी, फिर ऐसे से वैसा नहीं होता? इन सब व्यवस्थाओं के चक्कर में मजदूर, निम्न वर्ग ही पिसता चला जा रहा हैं? कल क्या होगा, वह सोचने पर मजबूर हो गया हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
रिकॉर्ड वृद्धि के बाद भी देश मे कोरोना के नये मामलो मे कमी का जहाँ तक प्रश्न है ऐसा प्रतीत नही होता कि नये मामलो मे कमी आयी है हाँ रोगियो के ठीक होने का प्रतिशत अवश्य कुछ बढा कोरोना के नये मामले लोगो के सरकार द्वारा निर्देशो का पालन न करने और गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण अधिक बढे है और यदि जनता के व्यवहार मे अपेक्षित सुधार नही आया तो यह संकट को और अधिक भयावह रूप दे सकता है अत: वर्तमान समय में यह बहुत अधिक आवश्यक हो गया है कि पूरी तरह सावधानी बरती जाये और सरकार के निर्देशो का पूरी तरह पालन किया जाये.तभी हम स्वंय को और अपने परिवार को बचा सकते है - प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
आंकड़ों के आधार पर हम सभी जानते हैं की कोरोना संक्रमण हमारे देश में बहुत तेजी से अपने पैर पसार रहा है और विश्व के सबसे ज्यादा संक्रमित 10 देशों में भारत भी शामिल हो गया है। वर्तमान स्थिति में 1•45 लाख से अधिक मामले अभी तक रिकॉर्ड व संज्ञान में आए हैं हालांकि संतोषजनक बात यह भी है कि इनमें 60491 से अधिक संक्रमित लोग ठीक हो चुके हैं और यह भी बहुत संतोषजनक है कि हमारे देश में मृत्यु दर बहुत कम है। इतने संक्रमित मामलों में 4167 से कुछ अधिक लोगों की मृत्यु अभी तक रिकॉर्ड में दर्ज की गई है। इन सभी आंकड़ों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि देश में संक्रमण के मामलों में निश्चित तौर पर बहुत ज्यादा बृद्धि हुई है। प्रारम्भिक स्थिति में संक्रमित देशों में हम बहुत पीछे थे लेकिन हाल ही के दिनों में कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव में तेजी से वृद्धि होने के कारण हमारे देश में संक्रमित मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है ; यथार्थ में कोई कमी नहीं आई है ।मामलों में कमी के आसार भी नज़र नहीं आ रहे हैं । हां, यह जरूर संतोषजनक स्थिति है कि लोग स्वस्थ होकर अपने घरों में पहुंच रहे हैं और मृत्यु दर बहुत कम है।
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव ' असीम '
दतिया - मध्यप्रदेश
कहाँ जा रहा है की कोरोना के मामले में कमी आ रही है , पहले से टेस्टिंग बढ़ाने के बाद भी देश में कोरोना वायरस के केस बढ़ने में 40 फीसद की कमी आई है। एक अप्रैल से औसत ग्रोथ फैक्टर 1.2 देखने को मिल रहा है। यह 15 मार्च से 31 सार्च तक औसतन 2.1 था। अब तक कोरोना के 3,19,400 टेस्ट किए गए हैं। गुरुवार को 28,340 टेस्ट किए गए। लॉकडाउन से पहले तीन दिन में कोरोना वायरस के केस डबल हो रहे थे। लेकिन पिछले 7 दिनों के आंकड़ों के मुताबिक 6.2 दिनों में ऐसा हो रहा है। 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में औसत दोगुनी दर से भी कम है।
दुनिया के कई देशों की तुलना में भारत में इस संक्रमण से काफी कम लोगों की मौत हुई है. इसकी खूब चर्चा हो रही है. कुछ लोग इतनी कम मृत्यु दर के रहस्य पर बात कर रहे हैं तो कुछ का कहना है कि भारत कोरोना वायरस की घातक मार से खुद को बचाने में कामयाब दिख रहा है. कुछ लोग कोरोनावायरस के ग्लोबल हॉटस्पॉट्स की तुलना में प्रमुख भारतीय शहरों में कम मौतों पर सवाल कर रहे हैं.
भारत में कोरोना वायरस से मौतें किस कदर बढ़ रही हैं, इसे समझने के लिए यह देखना होगा ये कितने दिनों में दोगुनी हो रही हैं. भारत में इस वक्त मौतें नौ दिनों में दोगुनी हो रही हैं. 25 अप्रैल तक यहां 825 मौतें हो चुकी थीं, जबकि 16 अप्रैल को ये मौतें लगभग इनकी आधी थीं.
विशेषज्ञों का कहना है कि यह भारत के लिए बेहद राहत की बात है क्योंकि संक्रमण के इस स्टेज में न्यूयॉर्क में दो या तीन दिन में ही मौतों का आंकड़ा दोगुना तक पहुंच जा रहा है.
पब्लिक हेल्थ सेक्टर के कई विशेषज्ञों और पेशेवरों का कहना है कि भारत में संक्रमण और मौतें अगर काबू में हैं तो इसके पीछे एक महीने से ज्यादा वक्त से चल रहे कड़े लॉकडाउन का रोल हो सकता है. मेडिकल जर्नल लान्सेट ने भी इसकी पुष्टि की है और कहा है कि लॉकडाउन, संक्रमण के बढ़ते ग्राफ को सपाट करने में मुफीद साबित हुआ है.
कुछ लोगों का मानना है कि भारत में युवा आबादी ज्यादा है और इस वजह से संक्रमण से मौतें कम हो रही हैं. बुजुर्गों में इस संक्रमण से मौत का जोखिम ज्यादा होता है. कुछ हलकों में इस बात पर भी चर्चा हो रही है भारत में जिस वायरस का अटैक हुआ है, वह कम खतरनाक किस्म का है.
साथ ही कुछ लोग यह भी अंदाजा लगा रहे हैं कि शायद भारत के गर्म मौसम की वजह यह वायरस उतनी तेजी से यहां नहीं फैल रहा है, जितनी तेजी से ठंडे मौसम वाले पश्चिमी देशों में. हालांकि इन दावों और कयासों की अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है. इसके उलट, कोविड-19 के गंभीर मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि भारत में फैला कोरोना वायरस उतना ही संक्रामक है, जितना किसी और दूसरे देश में हो सकता है. तो क्या यह माना जाए कि भारत सचमुच कोरोना वायरस से होने वाली मौतों के मामले में काफी पीछे है?
जो भी हो पर भारत में दूसरे देशों की तुलना में मौते कम हुई है कारण कोई भी हो ।
यही हमारे लिये ख़ुशी
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
मेरे मतानुसार नए मामलों में न तो कोई कमी आ रही है और ना ही आगे आने की संभावना है जल्दी से।कुछ मजबूरियां ऐसी हैं जिनके आगे अब हम पूर्णतः असहाय हो चुके हैं।देश चलाने की मजबूरी।
बच्चों को कोटा से बुलाने की मजबूरी।मजदूरों को महापलायन की मजबूरी।राज्य सरकारों की मजदूरों को आश्रय और भोजन न दे पाने की मजबूरी।सरकार को शराब की दुकान खोलने की मजबूरी।लोगों की अनावश्यक घर से बाहर निकलने की मजबूरी आदि अनेक ऐसी मजबूरियां हैं जिनके आगे सब मजबूर हैं।
पता नही क्यों सारी जिंदगी कमाने के बाद भी अगर हम 6 महीने घर बैठ कर नही खा सकते तो खाक कमाया है हमने।बस खाया है और उड़ाया है हमने।
और ये हाल तब हैं जब सरकार 85 करोड़ लोगों को फ्री राशन दे रही है।खाते में पैसे डाल रही हैं।मजबूरी में ही सही लेकिन अनावश्यक खर्चे भी बंद हैं।
उसके बाद भी लोगों के पास घर से बाहर निकलने का कोई न कोई बहाना भी आ जाता है।
कड़वा है लेकिन सत्य है जून जुलाई में हम लोग बहुत प्रलयंकारी स्थिति के गवाह बन ने जा रहे हैं।
ईश्वर रक्षा करे।
- रोहन जैन
देहरादून - उत्तराखण्ड
देश में लगातार बढ़ोतरी के साथ-साथ संक्रमण के कुल मामलों की संख्या एक लाख 47 हजार के करीब पार कर चुकी है ,और मरने वालों की संख्या 4000 पार कर चुकी है ।भारत कोरोना महामारी से सर्वाधिक प्रभावित देशों की सूची में शामिल हो गया है। अमेरिका ,ब्राजील, ब्रिटेन ,रूस, स्पेन ,इटली ,फ्रांस ,चीन व जर्मनी वह देश हैं जहाँ कोरोना का कहर सबसे ज्यादा मचा हुआ है । देश में कोरोनावायरस के संक्रमण के मामले हर दिन तेजी से बढ़ते जा रहे हैं ।सोमवार को भी तो 24 घंटे के दौरान एक बार फिर कोरोना मामलों में रिकॉर्ड वृद्धि हुई ।स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार 24 घंटों के दौरान देश में वायरस के 147000 कुल केस थे जिनमे 7000 नये मामले थे ।महाराष्ट्र, गुजरात ,तमिलनाडु ,राजस्थान, दिल्ली व मध्य प्रदेश मे बहुत तेजी से संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है ,ऐसे हालात देखकर तो कतई नहीं लगता कि कोरोना के मामलों में रिकार्ड वृद्धि के बावजूद कमी भी आई है ।फिलहाल अभी तो हालात तो बहुत चिंताजनक व बिगड़े हुए हैं। बहुत ही सावधानी के साथ जीने का वक्त आ पहुँचा है।अब ईश्वर ही मालिक है ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
हां पहले की अपेक्षा कमी है! यह वायरस वुहान से जैसे ही अन्य देशों में बड़ी तीव्रता से संक्रमणशील होने लगा तभी हमारे देश ने इसके विरुद्ध मोर्चा बांध लिया था ! आरंभ मे विदेशों में हमारे स्वजनों के आने से अन्य भी उनसे संक्रमित हुए किंतु हमारे देश के सेनापति मोदी जी ने मोर्चा सम्हाल लिया! वायरस के संक्रमण से बचने के लिए हमे लॉकडाउन में रखा!और इसका मक़सद वायरस के ट्रांसमिशन की ऋंखला को तोड़ना था!
लॉकडाउन से पहले देश मे कोरोना के मामले हर पांच दिन मे दोगुना हो रहे थे अब 11-12 दिन में हो रहे हैं!
यानी लॉकडाउन से वायरस के वृद्धि का आंकड़ा कम हुआ है! किंतु स्थिर नहीं है!
लॉकडाउन से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई है किंतु कन्टेन्टमेन जोन की तहत स्थितियों को बांट दिया गया है ग्रीन, रेड, ओरेंज इससे भी संक्रमण को रोकने में थोड़ी राहत हुई है!
अब इस संक्रमण से बचने का दायित्व हम सभी को स्वयं उठाना होगा! संक्रमण से बचने के नियमों का पालन करना होगा!
मास्क लगा, सोशल डिस्टेंसिंग एवं सेनिटाइज़र अथवा साबुन से बार बार हाथ धोएं!
सदा सकारात्मक सोच रखें अवश्य कोरोना पर विजय हासिल होगी!
कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत ही तीव्रता से संक्रमित होता है
- चन्द्रिका व्यक्ति
मुम्बई - महाराष्ट्र
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के वक्तव्य के अनुसार सरकार ने कोरोना वायरस के प्रति चौकसी और संक्रमण की पहिचान एवं रोकथाम के लिए कई कदम उठाये हैं जिनके परिणाम स्वरूप रिकार्ड वृद्धि के बाद भी देश में कोरोना के नए मामलों में कमी आई है l मृत्यु दर 2से 3प्रतिशत के मध्य है l राजस्थान में शुक्रवार को 26नए मामले सामने आये जिससे कुल संक्रमितों की सँख्या 3453 हो गई है लेकिन अच्छी ख़बर यह है कि राजस्थान में कोरोना संक्रमण फैलने की रफ़्तार पर कुछ ब्रेक लगा है l पहिले केस 11दिन में डबल हो रहें थे अब उनमें कमी आई है लेकिन ऐतिहात के तौर पर राज्य से बाहर जाने वालों को गृह विभाग से अनुमति लेनी होगी l
स्वास्थ्यमंत्री राजस्थान ने बताया कि गुरुवार 2 बजे तक राज्य में 3400 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए उनमें से 1740स्वस्थ्य हुए जो की 50% से ऊपर रिकवरी है l उन्होंने उम्मीद जताई है कि कोरोना संक्रमण के लिए प्लाज्मा पद्धति से मृत्यु दर और कम होगी l लॉक डाउन में दी गई ढील के चलते सब्जी वाले और आम दुकानदारों से यह संक्रमण बढ़ रहा है l कोरोना संक्रमण का संघर्ष काफी लम्बा चलने वाला है l ऐसे में आमजन को इस दौरान बरती जाने वाली सावधानियों को ही आदत में शुमार करना होगा तथा लॉक डाउन की रियायतों को लापरवाही में नहीं लेना होगा l तभी नए मामलों में कमी
आएगी l
इस बीमारी में बचाव ही एकमात्र उपचार है l नए मामलों में कमी आ रही है, इसमें हमें सहयोग करना है l
चलते चलते -
मेरी जूनून का नतीजा जरूर निकलेगा l
इसी स्याह समुंदर से नूर
निकलेगा ll
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
क्या रिकार्ड वृद्धि के बाद में देश में कोरोना के नए मामले में कमी आ रही है?
प्रत्येक दिन की सर्वे रिपोर्ट जानकारी के अनुसार करो ना संक्रमण हट रहा है ऐसा कहा जा रहा है लेकिन स्पष्ट नहीं हो रहा है कि वास्तविक मामला क्या है जब करो ना का आशीर्वाद हुआ उस समय से लेकर आज तक परौना संक्रमण में कमी नहीं आई है आज इतना कहा जा सकता है कि अन्य देशों की तुलना में भारत में करुणा का संक्रमण गति धीमी है इसका कारण है लाख डाउन और भारत की संस्कृति का पालन करना। यहां जो करोना संक्रमण हुआ है अन्य देशों से आने वाले लोगों के कारण फैला है लेकिन भारत में लाभ डाउन से काफी हद तक नियंत्रण हो रहा है ऐसा प्रतीत हो रहा है लेकिन यह क्षेत्र इयत्ता के आधार पर हैं अभी भी इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं है फिर भी लोगों की सकारात्मक सोच से कहा जा रहा है कि अन्य देशों की तुलना में हमारे देश में करुणा संक्रमण गति धीमी है और इस दिन व्रती को हमें भी स्थिरता लाने में लापता उनका पालन करते हुए शख्स को सुरक्षित रखना है और अन्य को भी प्रेरित करना है ताकि परोना संक्रमण से निजात जल्दी से जल्दी पाया जा सके ऐसी आशा हर मनुष्य में बनी हुई है इस बीमारी से लड़ने के लिए अभी नहीं साहस दिखाई पड़ती है और साहस के साथ लड़ भी रहे हैं तभी तो इसकी गति धीमी है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
रिकार्ड वृद्धि के बावजूद भी कोरोना के मामले में कोई कमी नहीं आ रही है। बल्कि रोज हजारों की तादाद में बढ़ रहे हैं। यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है। चुकी अभी तक हमारे देश में टेस्ट तो हो रहे हैं। लेकिन दवा उपलब्ध नहीं होने की वजह से कोरोना दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। कोरोना के नए मामले न बढ़े इसके लिए आम आदमी और सरकार दोनों ही कमर कसे हुए है। लेकिन अभी तक आमूल चूल परिवर्तन नहीं दिख रहा है। अंदेशा है यदि यह ऐसे ही निरंतर बढ़ता रहा तो एक दिन पूरी दुनिया इसके चपेट में होगी इसमें कोई दोराय नहीं। बचाव वही अपनी सुरक्षा अपने हाथ।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुड़गांव - हरियाणा
सबसे पहले तो यह प्रश्न उठता है कि भारत में कोरोनावायरस की टेस्टिंग कम तो नहीं और कंफर्म मामलों की संख्या मेंवृद्धि हो रही है |प्रश्न यह उठता है कि भारत में रोजाना कितनी जांच हो रही है|क्या कम जांच की वजह से मामले कम है ?
वास्तव में अगर ज्यादा टेस्टिंग होती तो तबलीगी जमात मामला पहले सामने आ जाता ।ऐसे समय में जो भी मामले बढ़े उनकी संख्या तबलीगी जमात की वजह से ही बड़ी|
एक बात और देखने में आई है कि कोरोनावायरस के लक्षण धीरे धीरे गलत साबित होने लगे है
भारत के रूप में-कोविड-19 मामलों की संख्या 1 .4 लाख पहुंच गई है लेकिन कुछ लोग कहते हैं कि हमें संख्या में तेजी से हो रही वृद्धि के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए |डॉक्टर रजनीकांतका कहना है कि कि हमें संख्या की बजाय कमजोर समूहों की सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए बुजुर्गों और ऐसे लोग जो पहले से ही किसी बीमारी से ग्रसित हैं |उन लोगों को सुरक्षा की आवश्यकता है ।उन्होंने मजबूत रण नीतियों को विकसित करने पर जोर दिया ।उन्होंने आगे कहा;वर्तमान में बहुत लोग आसानी से घूम रहे हैं और सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन नहीं कर रहे हैं|' यही कारण है कि आज भारत कोरोना वायरस महामारी से सर्वाधिक प्रभावित 10 देशों की सूची में शामिल हो गया है| राजधानी दिल्ली ,मध्य प्रदेश व पश्चिमी बंगाल में संक्रमण के अधिकाधिक मामले सामने आए हैं |इसका इलाज क्या है ? आज संक्रमित लोगों की संख्या1,50 हजार के लगभग हो चुकी है और मृत्यु लगभग 4200 है और जो स्वस्थ हुए हैं उनकी संख्या है लगभग 61 हजार| देश में पिछले 24 घंटों में संक्रमित मरीजों के 6977 मामले सामने आए हैं जो लगातार चौथे दिन की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है|
आज तक संक्रमितों की संख्या में वृद्धि का कारण हम स्वयं है क्योंकि हम स्वयं अपनी सुरक्षा के विषय में नहीं सोचते| इसलिए हमें चाहिए कि हम कमजोर समूहों की सुरक्षा का प्रबंध करें| या फिर वैक्सीन की प्रतीक्षा करें| सबसे बड़ी बात यह है कि भारत में वृद्धि दर 13 दिन के बाद
दोगुनी होती है| और मृत्यु दर विश्व में सबसे कम है| ऐसे वातावरण में यही हमारी उपलब्धि है|
लेकिन केवल यही बात हमें राहत नहीं दे सकती हम अपनी सुरक्षा पर ध्यान देंगे तो वृद्धि दर भी कम होगी और मृत्यु दर भी|
- चंद्रकांता अग्निहोत्री
पंचकूला - हरियाणा
हाँ यह सच है धीरे-धीरे ही सही पर रिकॉर्ड वृद्धि के बाद भी देश में कोरोना के मामलों में कमी आ रही है। इसका कारण भारतीय संस्कृति को ही मानती हूँ जिसने यहाँ के यहाँ के लोगों को आयुर्वेद, योग, व्यायाम, शाकाहार, सुबह जल्दी उठना, स्वच्छता, हाथ जोड़ कर प्रणाम करना जैसी बातों को जीवन का अंग बना दिया है। जो लोग पश्चिम की नकल में हाथ मिलाने, गले मिलने आदि को जीवन में अपनाते देखे गए वे भी अब अपनी भारतीय संस्कृति की इन बातों की ओर लौटते और इसे महत्वपूर्ण बताते देखे जाते हैं।
इन सब बातों के कारण ही कोरोना के मामले धीरे-धीरे कम होते जायेंगे। लोगों को यह समझ आ चुकी है और जिन्हें नहीं आयी है उन्हें भी यह समझना पड़ेगा कि सरकार तो अपना काम कर चुकी और आगे भी करती रहेगी, पर अब हर व्यक्ति की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अपने को स्वस्थ रखे और इसके लिए मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग, साबुन से हाथ धोते रहने को अपनी आदत बना ले जीवन भर के लिए। हर व्यक्ति अपने को स्वस्थ रखेगा तो कोरोना के नये मामलों के आने में कमी अवश्य आएगी।
आवश्यकता इस समय सबसे बड़ी यह है कि सभी सकरतमकता दृष्टि और सोच अपना कर चलें।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
नहीं! कोरोना के केसों मेंभारत में दिनॉ दिन भारी बृद्धि देखने में आ रही है भारतअब दुनिया में कोरोना केसों के मामले में चीन को भी काफी पीछे छोड कर दसवें स्थान पर पहुंच गया है ।कोरोना के टेस्टों में बृद्धिहोने के कारण देश की कोरोना पर धरातलीय स्थिति उभर कर सामने आई है ।लोक तांत्रिक व्यवस्था होने के कारण आँकड़ों का प्रत्यक्ष चित्रण हमारे सामने है ।आँकड़ों से तो नहीं लगता कि कोरोना के मामले कम हो रहे हैं ।
- सुरेन्द्र मिन्हास
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
प्रतिदिन के न्यूज़ के आधार पर यह स्पष्ट है कि जनवरी महीने में कोरोना संक्रमण के केसेस कम थे लेकिन धीरे धीरे इन 3 महीनों में केसेस बढ़ गए हैं कुछ राज्य में कोरोना संक्रमण के केसेस कम थे पर देश में कुछ ऐसी घटनाएं घटी हैं जिसके कारण संक्रमण तेजी से फैल गया है सरकार लॉक डाउन कर स्थिति को काफी हद तक नियंत्रण में कर पाई है फिर भी प्रतिदिन का न्यूज़ यह स्पष्ट कर रहा है की कोरोना वायरस का संक्रमण बहुत विस्तृत हो गया है आवागमन के कारण जिन शहरों राज्यों में संक्रमण नियंत्रण में था वहां भी संख्याएं और प्रतिशत बढ़ गई हैं
एक महत्वपूर्ण तथ्य यह देखने को मिल रहा है कि संक्रमण से मृत्यु दर अन्य देशों की अपेक्षा भारत में कम है संक्रमित व्यक्ति को कोरोनावायरस से बचाया जा रहा है इसका मुख्य कारण है भारत की सभ्यता संस्कृति और जीवन शैली
भारत की सभ्यता में बचपन से ही सभी को यह सिखाया जाता है की प्रणाम या नमस्कार करो हाथ मिलाने की परंपरा तो आधुनिक जीवन का एक उदाहरण है जिसके कारण संक्रमण का फैलाव हल्का और कम हो रहा है
दूसरी महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यहां के जीवन शैली में खानपान की जो परंपरा है उसमें सात्विक भोजन की प्रधानता है यह भी एक महत्वपूर्ण कारण है जो इंसान के रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाती है
तीसरा महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि संक्रमण के फैलने के पहले ही सरकार द्वारा लॉक डाउन कर दिया गया और इस लॉक डाउन में नागरिकों को बार-बार हाथ धोने की मास्क लगाने की और सोशल डिस्टेंस मेंटेन करने की हिदायत दी जा रही है जिसका पालन करीब करीब सभी लोग कर रहे हैं फल स्वरूप भारत में कोरोना वायरस आया जरूर है संक्रमित भी किया है लेकिन उसका इलाज चिकित्सा के उपरांत स्वस्थ भी किया गया है कुछ ऐसे कैसे हुए हैं जो करीब करीब 4 से 5% हैं जिनकी मृत्यु हो गई है
दो ऐसे वर्ग हैं जिन्हें विशेष तौर पर बचाया जा रहा है वरीय नागरिक और बच्चे जो 10 वर्ष के नीचे हो इन दोनों के लिए विशेष प्रकार के नियम बनाए गए हैं इन्हें घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है इसका मुख्य कारण है कि इनके रोग प्रतिरोधक क्षमता युवा पीढ़ी के तुलना में कमजोर हो गए हैं इसलिए इन्हें विशेष तौर पर सुरक्षा प्रदान की गई है
कोरोनावायरस से संक्रमित प्रतिशत में कुछ राज्यों में गिरावट आई है लेकिन कुछ राज्यों में स्थिति यथावत है
इसलिए समझदारी यह है कि हर इंसान अपने आप को घर में रखें और सुरक्षित रहे यदि जीवन चाहते हैं तो सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का पूरी निष्ठा लगन और अनुशासित होकर पालन करें या संदेश हर इंसान का एक दूसरे के प्रति है हर इंसान को जागरूक होना है सामान्य तौर पर भी घर से बाहर निकलने के समय मास्क अवश्य पहने सैनिटाइजर अवश्य लगाएं घर वापस आने पर सभी सैनिटाइजर लगाकर घर में प्रवेश करें जूते एवं चप्पलों को घर के बाहर ही रखें यदि बाजार से कोई सामान खरीद के लाए हो तो उसे भी घर के बाहर ही रखें कम से कम 10 घंटे उसके बाद उन्हें धोकर धूप में सुखाएं तभी इस्तेमाल करें इसके अतिरिक्त बाहर से आने के बाद अपने कपड़ों को अवश्य उतार लें और उसे पानी में डाल दें और फिर से दूसरे कपड़े का इस्तेमाल करें मास्को को भी बदलते रहना है तो इन सावधानियों के साथ जीवन जीने की आवश्यकता आ गई है और ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि हम अपने जीवन को परिवार को देश को सुरक्षित रखें
- डॉ.कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
देश मे कोरोना के कारण लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। पिछले 24 घंटे में कोरोना के रिकॉर्ड 6 हजार 977 नए केश मिले हैं। इसके साथ ही 154 लोगों की मौत हुई है। देश मे संक्रमण के मामले 1 लाख 38 हजार 845 तक पहुँच गई है। जबकि मरने वालों की संख्या 4 हजार 21 है। 57 हजार 720 मरीज स्वस्थ होकर घर लौटे हैं। भारत मे 77 हजार 103 लोग अब भी संक्रमित हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार अब तक 41.57 प्रतिशत मरीज ठीक हुए हैं। आईसीएमआर ने एक बार फिर से पुष्टि की है कि करीबी संपर्क में आने से कोरोना के मामले में काफी तेजी से वृद्धि हो रही है। इसलिए शारीरिक दूरी, व्यक्तिगत स्वास्थ्य और संक्रमण नियंत्रण जैसे जनस्वास्थ्य के कदम महामारी के प्रसार को रोकने के लिए आवश्यक हैं, जिसका पालन लोग नहीं कर पा रहे हैं।
देश मे रिकॉर्ड वृद्धि के बाद भी कोरोना के नए मामलों में कमी आई है? देश की ख्याति प्राप्त संस्था जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " में सवाल पूछा गया है। इस सवाल के जवाब में यही कहना है कि रिकॉर्ड वृद्धि के बाद कोरोना के मामलों में कमी नहीं बल्कि इसमें और भी तेजी के साथ वृद्धि हुई है। पिछले चार दिनों से कोरोना के मामलों रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। कोरोना से बचने के लिए अभी लोगों को बहुत ही संभलकर रहना होगा। एम्स के निदेशक ने पहले ही स्पस्ट कर दिया है कि इसी तरह मामले बढ़ते रहे तो देश मे कोरोना के मामले जून जुलाई में चरम पर होंगे। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी कहना है कि भारत में कोरोना से बचाव के लिए और भी सख्ती से कदम उठाने होंगे। सही भी है कि लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर, छात्र, आम नागरिक अपने अपने राज्य, शहर और घर लौट रहे हैं। बाहर से आने वालों के कारण ही संक्रमण के मामलों में बहुत ही तेजी से वृद्धि हो रही है। आनेवाले समय में हम सभी को कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी। इससे बचने के लिए सरकार के गाइडलाइंस का पालन हर हाल में करना होगा। जैसे सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क पहनना, सेनेटर्राईएज, साबुन से हाथ धोना।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखण्ड
'रिकॉर्ड वृद्धि' और 'नये मामलों में कमी' स्वयं ही विरोधाभासी हैं। नये मामले सामने आ रहे हैं तभी तो रिकाॅर्ड वृद्धि हो रही है। पिछले 24 घंटों में कोरोना के लगभग 6500 नये मामले बता रहे हैं कि देश में कोरोना के नये मामले दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। निश्चित रूप से जो मरीज वर्तमान में सामने आ रहे हैं ये कुछ दिन पहले संक्रमित हुए होंगे, जिनके लक्षण अब उभरकर आये हैं। इसी प्रकार जिन लोगों को अब कोरोना जकड़ रहा होगा उनके लक्षण कुछ दिनों बाद उभरकर आयेंगे। ढीले लाॅकडाउन, पलायन और यातायात के साधनों (हवाई यात्रा, रेल यात्रा, बस यात्रा आदि) का पुन: आवागमन होने के पश्चात की भयावह स्थिति का तो अभी अनुमान लगाना भी मुश्किल है। वर्तमान आंकड़ों के आधार पर तो यह कहा जा सकता है कि कोरोना के नये मामलों में कोई कमी नहीं आ रही है अपितु इनकी संख्या में वृद्धि ही होती जा रही है।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
भारत में कोविड-19 की रोकथाम के समस्त उपायों के बावजूद आंकड़ों में रिकॉर्ड वृद्धि होना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है। चूंकि भारत के लोकतांत्रिक लोकप्रिय माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी ने लाॅकडाउन-1 से लेकर लाॅकडाउन-4 तक कुशलतापूर्वक लगाए। परंतु विपक्षी नकारात्मक भूमिका के कारण वह सफलता प्राप्त नहीं हुई। जिसकी कामना उन्होंने ने सम्पूर्ण लाॅकडाउन-1 लगाते समय की थी। जिसकी प्रशंसा विश्वस्तर पर भी हुई थी।
चूंकि समाचार प्रकाशन/प्रसारण में बताया जा रहा है कि भारत में कोविड-19 के रोगियों की संख्या 144069 के पार चली गई है। जिनमें से 58727 से अधिक रोगी कोविड-19 को मात देकर स्वस्थ हुए और 4117 से अधिक रोगी कोविड-19 के युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो चुके हैं।
इसके बावजूद युद्ध कोविड-19 विकराल रूप धारण कर रहा है। जिसके फलस्वरूप दिन प्रतिदिन रोग संक्रमण संख्या में वृद्धि हो रही है। जो पीड़ादायक है।
स्पष्ट शब्दों का प्रयोग करें तो मोदी जी के कुशल नेतृत्व वाली भारत सरकार के समस्त प्रयासों को कुचलते हुए कोविड-19 के नये मामलों में कमी नहीं आ रही है।
इसलिए कोविड-19 पर विजय प्राप्त करने हेतु सर्वप्रथम प्रशासनिक भ्रष्टाचार को रोकते हुए सचिव स्तर के उच्च अधिकारियों, विषाणु विशेषज्ञों, जीव एवं विषाणु शोधकर्ताओं की कुशलता को अधिक से अधिक पारदर्शी बढ़ावा देने की अत्यंत आवश्यकता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
लोक डाउन फॉर में कुछ हद तक ढील के बाद कोरोना संक्रमण का काफी ग्राफ बढ़ा है ।
संक्रमण से होने वाली संख्या में बढ़ोतरी चरम सीमा छूने को है फिर प्रवासियों का अपने-अपने राज्यों में जाने के बाद उन्हें होम कोरेन टाइ न रहने के लिए सख्त आदेश दे दिया जाता है।और गंभीर बीमार को हॉस्पिटल में एडमिट करके संक्रमण से बचाव किया जा रहा है ।
केंद्र सरकार ने लॉ क डाउन -फॉर में राज्य सरकार को राज्य सरकार ने जिले को जिम्मेदारी सौंपकर कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने की कोशिश की है ।जिले में जिलाधिकारी को पूर्ण दायित्व है कि वह अपने जिले को कोरोना संक्रमित संख्या के आधार पर रेड जोन ,ऑरेंज जोन , ग्रीन जोन व पूर्ण कर्फ्यू मैं बा टकर संक्रमण फैलने से रोकने की कोशिश करें
जिस जोन में कोई कोरोना सक्रिय संक्रमित व्यक्ति मिल जाता है उस एक किलोमीटर के एरिया को कर्फ्यू घोषित कर संक्रमण फैलने से रोका जा रहा है तथा कुछ जागरूक व्यक्ति अपना सॉन्ग स्वयं बचाव करके तथा आयुष काढ़ा पीकर अपने को संक्रमित होने से बचाते हैं। अभी हमारे देश में सभी कोरो ना टेस्ट नहीं करा रहे हैं।
सभी प्रवासी जब अपने अपने घर पहुंच जाएंगे नए करो ना कि मामले में असलियत तब सामने आएगी ।
जान है तो जहान है।
- रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
सम्पूर्ण विश्व आज कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार बना हुआ है । भारत भी इसके संक्रमण से अछूता नहीं है । भारत में पहला मामला 30 जनवरी 2020 को केरल के त्रिशुर जिला में आया था । तीन महीने 28 दिन बाद कोरोना संक्रमण के मामले लगभग 146371 हो गए हैं और 4187 लोग मौत के शिकार हो गए हैं । आज महाराष्ट्र , गुजरात , दिल्ली , राजस्थान , मध्य प्रदेश , आन्ध्र प्रदेश , पश्चिम बंगाल , पंजाब जैसे राज्यों अत्यधिक संक्रमित है । मुम्बई , दिल्ली , अहमदाबाद , पूणे , इन्दौर , ठाणे , जयपुर , जोधपुर , सुरत जैसे शहरों में संक्रमण बहुत ही अधिक है । बेशक संक्रमण का आँकड़ा निरन्तर बढ रहा है , डरा रहा है लेकिन सुखद पहलू यह है कि मृत्यु दर 3.1 फीसदी है और रिकवरी रेट 41. 39 प्रतिशत है । संक्रमण का आँकड़ा एक इकाई से शुरू होकर डेढ लाख के करीब हो गए हैं । स्पष्ट है कि वृद्धि के साथ साथ नए मामले भी बढ रहे हैं तभी तो भारत दस अत्यधिक संक्रमित देशों की सूची में आ गया । स्थिति बद से बदतर होती जा रही है ।
- अनिल शर्मा नील
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
- बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र
कोरोना की जंग पर फिर मिला आज सम्मान पत्र
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