क्या सरकार का संकट में भी अर्थिक पैकेज बड़ा संकल्प साबित होगा ?

कोरोना वायरस के चलते सरकार को लॉकडाउन लागू करना पड़ा है । जिससे सभी छोटे बड़े व्यापारी अर्थिक रूप से प्रभावित अवश्य हो रहे हैं । सरकार ने आर्थिक पैकेज का आलन किया है । सभी को सरकार से कुछ ना कुछ उम्मीद अवश्य है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को भी देखते हैं : -
जी आर्थिक देश की अर्थव्यवस्था को संकट उबारने के लिए रामबाण साबित होगा। तथा भविष्य चुनौतियों का सामना करने में भी सक्षम होगा। बशर्ते देश के सभी नागरिक ईमानदारी का परिचय देते हुए इसको संकट से देश को उबार सकते है। आज देश को संकट से उबारने के लिए सभी का सहयोग जरुरी है। इस कारण देश की आर्थिकी सुदृढ़ होगी। तथा देश मजबूत राष्ट्र के रूप में उभरेगा। भारत सरकार द्वारा जारी निस्सन्देह भारत की आर्थिक व्यवस्था को संकट से उबारने के लिए कारगर साबित हो सकता है।
- हीरा सिंह कौशल
  मंडी हिमाचल प्रदेश
तीसरे चरण के लॉकडाउन की समाप्ति में चंद दिन शेष रह गए हैं। लॉकडाउन समाप्त होगा या और बढ़ेगा, इसे लेकर पूरा देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर हसरत भरी नजरों से देख रहा था लेकिन उनके संभाषण में आत्मनिर्भर भारत की कल्पना तो दिखी लेकिन लॉकडाउन खत्म होने का कोई संकेत नजर नहीं आया। नियमों का पालन करते हुए अलबत्ते देशवासियों को कोरोना से लड़ने और आगे बढ़ने की सलाह जरूर दी। इससे साफ है कि सरकार का ध्यान अब देश को अपने पैरों पर खड़ा करने का है। वह कोरोना वायरस के संक्रमण का जानलेवा रिस्क भी नहीं लेना चाहती लेकिन अर्थव्यवस्था को भी ध्वस्त होते नहीं देखना चाहती। शायद यही वजह है कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की है। उन्होंने इस बात की देशवासियों को आश्वस्ति भी दिलाई है कि लॉकडाउन का चौथा चरण नए रंग रूप वाला ही नहीं, नए नियमों वाला भी होगा।
उन्होंने कहा कि हाल ही में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी आर्थिक घोषणाएं की थीं, रिजर्व बैंक ने फैसले किये थे। आज जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान हो रहा है, उसे जोड़कर यह पैकेज करीब 20 लाख करोड़ रुपए का है। सही मायने में यह पैकेज भारत की जीडीपी का तकरीबन 10 प्रतिशत है। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को सिद्ध करने के लिए सरकार इस पैकेज में भूमि, श्रमिक, नकदी और कानून सभी पर बल दे रही है। यह आर्थिक पैकेज कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, लघु एवं मध्यम उद्योग, एमएसएमई को तो संजीवनी देगा ही, लोगों की आजीविका का साधन एवं आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का मजबूत आधार भी साबित होगा। देश को आत्मनिर्भर बनाने की यह सोच निश्चित ही काबिले तारीफ है।
एक दिन पूर्व ही कोरोना महामारी और लॉकडाउन से निपटने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत की थी। उसमें अनेक मुख्यमंत्रियों का कहना था कि लॉकडाउन नहीं हटना चाहिए लेकिन औद्योगिक गतिविधियां आरंभ की जानी चाहिए। इसकी छूट मिलनी चाहिए।
कोरोना संकट से जूझ रहे देश के विभिन्न वर्गों के लिए मंगलवार को कुल 20 लाख करोड़ के पैकेज की घोषणा की. उन्होंने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपए का ये पैकेज, 2020 में आत्मनिर्भर भारत अभियान को एक नई गति देगा. उन्होंने कहा कि एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोना लंबे समय तक जिंदगी का हिस्सा बना रहेगा लेकिन हम अपने लक्ष्यों को दूर नहीं होने देंगे.
20 लाख करोड़ रुपय का ये पैकेज 2020 में, आत्मनिर्भर भारत अभियान को नया गति देगा.
ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक और किसान के लिए है जो देश वासियों के लिए दिन रात परिश्रम क्र रहा है.
ये मध्यम वर्ग के लिए है जो ईमानदारी से अपना टैक्स देता है और विकास का हिस्सा है.
ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटीर उद्योग, गृह उद्योग, हमारे लघु-मंझोले उद्योग, हमारे MSME के लिए है, जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन है, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है.
ये संकट इतना बड़ा है कि बड़ी से बड़ी व्यवस्था हिल गयी. देश ने हमारे ग्रीन भाई बहनों की शक्ति को देखा, ठेला लगाने वाले , श्रमिक, घरों में काम करने वाले भाई बेहेन बहुत कष्ट झेला है. ऐसा कौन है जिसने उनकी अनुपस्तिथि को महसूस नहीं किया. हमें अब उनके लिए कुछ करना है, हर तबके के लिए आर्थिक पैकेज में ऐलान किया जायेगा.
20 लाख करोड़ का ये जो पैकेज है, ये भारतीय इकॉनमी का 10 प्रतिशत है. इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी और लॉज सभी पर बल दिया गया है.
आज हमारे पास साधन हैं, हमारे पास सामर्थ्य है, हमारे पास दुनिया का सबसे बेहतरीन टैलेंट है, हम बेस्ट प्रोडक्ट्स बनाएंगे, अपनी क्वालिटी और बेहतर करेंगे, सप्लाई चेन को और आधुनिक बनाएंगे, ये हम कर सकते हैं और हम जरूर करेंगे.
यही हम भारतीयों की संकल्पशक्ति है. हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं. आज तो चाह भी है, राह भी है. ये है भारत को आत्मनिर्भर बनाना.
आत्मनिर्भर भारत का ये युग, हर भारतवासी के लिए नूतन प्रण भी होगा, नूतन पर्व भी होगा. अब एक नई प्राणशक्ति,नई संकल्पशक्ति के साथ हमें आगे बढ़ना है.
यह पैकेज आर्थिक जगत के लिए है जो भारत के आर्थिक विकास को बुलंदी देते हैं. आगे वित्त मंत्री के स्तर से इस आर्थिक पैकेज की विस्तार से जानकारी दी जाएगी.
सही मायने में काम हुआ तो उघौग जगत को मज़बूती देगा 
खडे होने में बैसाखी का काम करेगा 
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना वैश्विक महामारी आज चरम पर है । इसके संक्रमण को फैलने से नियंत्रित करने का एकमात्र उपचार है मास्क पहनना , सैनिटाइजेशन और सामाजिक दूरी । इसलिए आज देश में लाॅकडाउन चला हुआ है जिससे देश के कमाऊ पूत यानि उद्योग , कम्पनियां , प्रोजेक्ट , पर्यटन , होटल रेस्टोरेन्ट , परिवहन बंद पड़े हुए हैं  । आय के स्त्रोत ठप्प हैं , और कोविड़ - 19 से लड़ने के लिए व्यय जारी है । कोरोना लाॅकडाउन के चलते अर्थव्यवस्था चरमरा गई है  । शेयर मार्केट और नेफ्टी बुरी तरह से लुढक गए हैं  । रूपये का अवमूल्यन हो रहा है  । कोरोना संकट काल में सरकार का 20 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज अर्थव्यवस्था को सबल बनाने में संजीवनी का कार्य करेगी । किसानों - मजदूरों  , लघु - कुटीर उद्योगों  , कम्पनियों - परियोजनाओं के लिए मददगार साबित होगा । समाज का हर वर्ग लाभान्वित होगा  । जीडीपी में सुधार के लिए उत्प्रेरक का कार्य करेगा । देश की आत्मनिर्भरता की ओर यह आर्थिक पैकेज महत्वपूर्ण कदम होगा  । पस्त अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए यह पैकेज टाॅनिक  का कार्य करेगा  , और यह आर्थिक पैकेज अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ साथ प्रोत्साहन के लिए अहम कड़ी साबित होगा । इस तरह का आपेक्षित पैकेज तहस नहस पड़ी अर्थव्यवस्था में नव संचार करके उज्जवल भविष्य की ओर मार्ग तैयार करेगा  । इस तरह " मेक इन इंडिया  " का सपना भी साकार हो जाएगा  , और एक नई परिभाषा हमारे सामने होगी  । और वो है  - " भारत का , भारत के लिए और भारत द्वारा " ।
- अनिल शर्मा नील 
  बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
ऐसे गंभीर संकट के समय में भी सरकार ने 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है निश्चित तौर पर देखा जाए तो सरकार द्वारा घोषित आर्थिक पैकेज एक बड़े संकल्प को प्रदर्शित करता है माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये का पैकेज 2020 में देश की विकास यात्रा को आत्मनिर्भर बनाने में नई गति देगा ।
सूत्रों की मानें तो यह आर्थिक पैकेज जीडीपी का 10 फीसदी है । यह छोटा पैकेज नहीं है । यह बहुत बड़ी धनराशि है । उद्योग सेक्टर की जो मांग थी, वह उससे कई अधिक है ।
सरकार ने जिस आर्थिक पैकेज का ऐलान किया है, वह रकम इतनी बड़ी है कि कई देशों के सालाना बजट इसमें समा सकते हैं । अहम बात ये है कि ये आर्थिक पैकेज उन लोगों के लिए है जो कोरोना के चक्र में बुरी तरह फंस गए हैं । परिस्थितियों को देखते हुए आर्थिक पैकेज सरकार का ये संकल्प ही है । विपक्ष की शैली फिर भी विपक्ष की ही है परन्तु पैकेज की विपक्ष के लोगों ने कुछ तारीफ़ भी की है । 
- डॉ भूपेन्द्र कुमार
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस से व्याप्त संकट के समय में भारत सरकार का बीस लाख करोड़ रुपये का आर्थिक पैकेज देश की विकास यात्रा को आत्मनिर्भर बनाने में समुचित सहयोग प्रदान करेगा और समाज के हर वर्ग को इस पैकेज का लाभ मिलेगा, ऐसा मेरा विश्वास है। 
संकट की इस घड़ी में सरकार का यह आर्थिक पैकेज डूबते को तिनके का सहारा बनेगा। यह पैकेज मुख्यतः कोरोना से त्रस्त हुए लोगों के लिए है इसलिए इस पैकेज से कुटीर उद्योग, लघु/मध्यम उद्योग, किसान और मध्यम वर्ग लाभान्वित होगा। इससे हमारे उद्योग जगत को सम्बल मिलेगा इसलिए कहा जा सकता है कि इस पैकेज के माध्यम से सरकार ने परिस्थितियों से जूझने का जो संकल्प प्रकट किया है वह सराहनीय है। 
वित्त मंत्री ने बुधवार को इस पैकेज से जुड़ी अनेक बातों में से जो कुछ बातें साझा की हैं, उससे जाहिर है कि इस पैकेज से एम.एस.एम.ई. सेक्टर, रियल एस्टेट और करदाताओं के लिए राहत का सुअवसर प्राप्त होगा। 
अभी पूरा पिटारा खुलना बाकी है इसलिए हमें उम्मीद रखनी चाहिए कि इस पैकेज में गरीब श्रमिक, प्रवासी श्रमिकों के लिए बड़ी आर्थिक मदद की योजना अवश्य होगी क्योंकि कोरोना वायरस से उत्पन्न परिस्थितियों का सर्वाधिक दुष्प्रभाव उन्हीं पर पड़ा है और इस आर्थिक पैकेज का संकल्प तभी सार्थक होगा जब इसके अन्तर्गत गरीब प्रवासी श्रमिकों के भविष्य को सुदृढ़ बनाने की योजनाएं होंगी। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
कोरोना काल ने किया बेहाल
लॉक डाउन ने बिगाड़ी चाल।
आज देश और दुनिया के लोग बहुत ही मुश्किल में है। जहाँ जान का नुकसान तो हो ही रहा है वही जीवन व्यापन के लिए हालात बद से बदत्तर होते जा रहे हैं। इस संकट की घड़ी में सरकार के आर्थिक पैकेज से लोगों में नई उम्मीद जगी है। छोटे व्यापारियों को उत्पादन क्षेत्र में भी उतरना पड़ेगा। जिसके लिए पूँजी की जरूरत होगी। इस समय जब आत्मनिर्भर भारत बनाने की बात हो रही है तो पहले ये समझना होगा कि प्रत्येक वर्ग (निम्न हो या मध्यम) को लाभ होना चाहिए ताकि उसे काम करने और अपने उत्पाद के लिए मार्किट तक पहुचाने का भी पूर्ण विकल्प तैयार होना चाहिए। सरकारें अगर इन सब की सुचारू रूप से व्यवस्था कर पाती है तभी इन पैकेज का लाभ अर्थव्यवस्था को मिलेगा और हम सब की आर्थिक स्तिथि भी संभल सकती है।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
सभी जानते हैं कि इस समय covid-19 से लड़ने के लिए लॉक डाउन संपूर्ण देश में लगाया गया है। और माननीय प्रधानमंत्री जी के द्वारा नए रंग और रूप में लॉक डाउन 4 की भी रूपरेखा रख दी गई है। संकेत यही है कि अगले कुछ तो तक हमें और भी लॉक डाउन का समर्थन करना पड़ सकता है। जहां तक आर्थिक संकट में सरकार द्वारा आर्थिक सहायता दी जाने की बात है, तो मैं कहना चाहूंगा कि हमारे देश का राजकीय कोष जनता के द्वारा दिए गए विभिन्न प्रकार के टैक्सों से से पूर्ण किया जाता है, इस निधि को सरकार के द्वारा देश के नागरिकों के सुख-सुविधाओं आदि पर ही खर्च किया जाता है। आज इस महामारी से लड़ने के कारण हमारे राजकोष में भी कमी आई है आर्थिक संकट भी है उद्योग धंधे भी बंद है, लोगों को आर्थिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। परंतु सरकार द्वारा जो आर्थिक पैकेज दिया गया है यह अन्य विकास कार्यों में ना लग कर आज जनता के हितों के लिए उनके जीवन यापन को कोरोना के संकट से बाहर लाने के लिए ही उपयोग किया जाएगा। मनुष्य की दैनिक आवश्यकताओं से जुड़े, विभिन्न क्षेत्रों में इस धन का उपयोग किया जाएगा। मैं निश्चित रूप से यह कहना चाहूंगा कि संकट के समय सरकार का यह पैकेज वास्तव में एक बहुत बड़ा संकल्प साबित होगा।
आप सभी से मेरा निवेदन है जितना अधिक से अधिक हो सके अपने आप को सुरक्षित रखिए अपने देश को सुरक्षित रखिए। जय हिंद जय भारत
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद -  उत्तरप्रदेश
आज चारो ओर एक ही चर्चा हैं आज के इस कोरोना महामारी के दौर में सरकार आम ओर खास के लिये क्या कर रही हैं। सरकार भी 20 लाख करोड़ का महा पैकेज लेकर आई हैं हर व्यक्ती आब यह सोच परेशान है की मेरे लिये इस  विशाल आर्थिक पैकेज में क्या हैं? जोभी हो सरकार अपनी पुरी ताकत लगा रही हैं कैसे भी हो देश की दिन चर्या पुनः सामान्य हो जाये ओर इसी लिये हर वर्ग के लिये यहा कुछ न कुछ रखा हैं सबसे अछ्छी बात यह हैं की भ्रष्टाचार न फैले इस लिये सिधे लाभार्थी को सिधा बैंक में लाभ दिया जा रहा हैं कुछ को टेक्स में छुट दी जा रही हैं तो कुछ को उभारने के लिया कर्ज दिया जा रहा हैं सरकार सही दिशा में बढ़ रही हैं ओर अवश्य ही 20 लाख करोड के आर्थीक पैकेज से देश को पुनः मजबुती प्रदान करना चाहती हैंआज के महासंकट में बडा संकल्प साबित होना ही चाहियें।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
केन्द्र सरकार की ओर से कोरोना काल की विषमताओं से मार झेल रहे गरीबो और निम्न  मध्यम वर्ग  के लिए  1• 70 लाख करोड़ के  आर्थिक पैकेज की घोषणा की गयी ।
स्वास्थय कर्मियों के लिए 50 लाख का बीमा जिससे करीब 20 लाख स्वास्थयकर्मी लाभान्वित होगे । प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत करीब 80 करोङ लोगो को 5 किलो गेहूं  , 5 किलो चावल  तीन महीने तक मुफ्त दिया जाएगा ।
किसानो के खाते में 2000 रू डाले गए और साथ ही मनरेगा की रकम बढाने का भी ऐलान किया गया । 
सबसे बङी बात यह है कि  सारा पैसा  लाभार्थी के  खाते में ट्रांसफर किया जाएगा । जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो गयी । 
उज्ज्वला के अंतर्गत तीन महीने तक मुफ्त सिलेंडर और 500 रूपये जन धन खाते में जमा करके सरकार ने कोरोना से लङने के लिए मजबूती अवश्य प्रदान की है । आत्म निर्भर भारत की ओर एक मजबूत कदम बढाने में भी यह पैकेज सहायक होगा । 
लघु और मझोले उद्योग जो धन के अभाव में मर रहे थे सरकार द्वारा लोन मिलने से वह पुनः जीवित हो उठेगे । विदेशी कंपनियों पर हमारी निर्भरता कम होगी । 
मै यह तो नहीं कहती कि इस आर्थिक पैकेज से सारी समस्याओं का निवारण हो जाएगा लेकिन गरीब और मजदूर जो रोज कमाकर खाता है उसे यह आर्थिक पैकेज भूखा तो नहीं मरने देगा  । 
- संगीता राजपूत 'श्यामा ' 
कानपुर - उत्तर प्रदेश
     वर्तमान समय में संकट से जुझ रहे समुदायों की अर्थव्यवस्था दयनीय स्थिति में पहुँच चुकी हैं। जिससे क्रियान्वयन करने  में एक लम्बा समय लगने की संभावना प्रतीत हो रही हैं, फिर भी कहां नहीं जा सकता, हमारे विचारशील, गतिशील अर्थशास्त्रियों को पूर्वाभ्यास होता तो ऐसी स्थितियां निर्मित नहीं होती। अभी आर्थिक व्यवस्था का पैकेट प्रस्तुत किया हैं,  यह स्थाई नहीं, अपितु अल्प कालीन हैं, जिस व्यवस्था को  क्रियान्वयन करने समय लग सकता हैं। प्रश्न अभी भी यह उत्पन्न होता हैं, कि श्रमिकों, निम्न वर्गों को राहत क्या मिलेगा।  छोटे उद्योग को कर्ज दिया जायेगा, फिर ब्याज के रुप वसूला जाएगा, अगर पुन: ऐसी व्यवस्था निरुपित हो गईं, तो कर्जों-कर्जों में जीवन यापन?
टीडीएस, कर्मचारियों तथा  रिटर्न का कोई औचित्य प्रतीत नहीं होता? खैर उनके,  हमारे विचार मंथन मेल न हो? 
सरकार को चाहिए संकट की घड़ी में आर्थिक पैकेट ही आर्थिक पहलूओं  पर पुनर्विचार करनी चाहिए, तभी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो सकता हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
 बालाघाट - मध्यप्रदेश
क्या सरकार का संकट में भी आर्थिक पैकेज बड़ा संकल्प साबित होगा? लाॅक डाउन  के कारण देश की जनता आर्थिक क्षेत्र में बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रही है। गरीब, मजदूर वर्ग ,सामान्य वर्ग,  छोटे-छोटे दुकानदार, फल -सब्जी विक्रेता आदि आर्थिक तौर पर बहुत मुसीबत की स्थिति में हैं । ऐसे समय में सरकार द्वारा 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज निश्चित तौर पर एक गंभीर होते जा रहे मरीज के लिए ऑक्सीजन व टानिक का काम करेगा। इस पैकेज के द्वारा मजदूरों, किसानों ,लघु- कुटीर उद्योगों को सांस लेने तथा जीवन को आगे बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी। इसके साथ ही सरकार ने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग का भी आवाहन किया है ।इस उपयोग से हमारे देश का धन बाहर नहीं जाएगा बल्कि देश के कुटीर उद्योगों या लघु  उद्योगों  को बहुत राहत प्रदान करेगा। ऐसा विश्वास किया जा रहा है कि वर्तमान समय में आर्थिक पैकेज सरकार के द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है और यह आने वाले समय में विकास के लिए  बहुत बड़ा संकल्प साबित हो सकेगा। धन्यवाद 
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम'
 दतिया - मध्य प्रदेश
आर्थिक पैकेज बड़ा संकल्प साबित होगा ये तो नही कह सकते हाँ कुछ सहयोग अवश्य मिल जायेगा।
आ० प्रधान मंत्री जी ने देशवासियों का सहयोग मांगा है। पूरा विश्व इस संकट से गुजर रहा है हो संकल्प और संयम की जरूरत है। प्रधान मंत्री जी ने20 करोड़ रूपये की आर्थिक मदद पैकेज का ऐलान किया। ये पैसा देश के विकास और आत्म निर्मर बनाने मे सहयोग देगा नई गति देगा। समाज के हर वर्ग को लाभ मिलेगा श्रमिक किसान मध्यमवर्गीय लोगों को लाभ मिलेगा। आर्थिक पैकेज कोरोना चक्र मे फंसे हुए है। आर्थिक पैकेज एक बड़ा संकल्प है इस संकल्प सें लाखो चेहरो पर खुशी घरो मे भोजन होगा। आर्थिक तंगी । झेल रहे लोगों को वरदान होगा।
- नीमा शर्मा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
क्या सरकार का संकट में भी आती सके बड़ा संकल्प साबित?
 वर्तमान परिस्थिति से निकट सरकार का संपर्क में भी आर्थिक सकें लोगों के लिए राहत का काम करेगा लंबे समय तक चल रही कोरोना  महामारी से बचाव के लिए लाक डाउन का कार्यक्रम
जिससे लोगों में धीरे धीरे  आर्थिक भय और जीवन यापन की आशंका  मन को उद्वेलित करते जा रही है लाख डाउन के चलते लोगों की कारोबार थम सी गई है जिससे आर्थिक लाभ को बुरी तरह से प्रभावित होना पड़ रहा है यह के लोगों में चिंता व्याप्त है इससे निपटने के लिए सरकार ने पैकेज की व्यवस्था की है जिससे लोगों में एक राहत की आशाएं दिख रही है।  लोग करो ना से निबटने के लिए जो नियम बनाए गए हैं उस नियम का ध्यान में रखते हुए अपने कारोबार सतर्कता पूर्वक नियंत्रित होकर चलाते हुए अपनी व्यवस्था को बनाए रखना होगा। फिर हाल  करोना से निजात ना पाते तक अपनी रोजी-रोटी दिनचर्या चलाने की विधि सफलतापूर्वक कारोबार करना होगा जरा सी लापरवाही से भयंकर परिणाम आने की संभावना बनी रहेगी सरकार का संकट में भी आपके बडा संकल्प साबित होने के साथ-साथ शुकुन और राहत देगी।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
  
          आर्थिक पैकेज मे गरीब, मजदूर को राहत का स्वप्न  दिखाना दिवा स्वप्न के बराबर है।ये पैकेज -वैकेज की भाषा और कोई समझे,मजदूर को तो बस दो वक्त की रोटी और उसके जान माल की सुरक्षा चाहिए जो इस कोरोना काल मे इन्हें पहले से भी दुर्लभ हो गया है।
     मजदूर को सही मे पैकेज देना है तो श्रम कानून खत्म करने वाले अध्यादेश को वापस लो। इस अध्यादेश के आने से सरकार मुस्कुराये ,उद्योगपति मुस्कुराये, मजदूर क्यों मुस्कराये औऱ इसका स्वागत करे। कोरोना के बहाने मजदूरों पर फैक्ट्री मालिकों औऱ सरकारों द्वारा छटनी का जुल्म ढाहा जा रहा है।
          कोरोना ने मजदूरों को सबसे ज्यादा क्षतिग्रस्त किया है।उनकी कमर टूट चूकी है। सड़क पर चलते हुए घर वापस लौट रहे हैं और मौत को गले लगा रहे हैं।एक मजदूर ने तो यहाँ तक कह दिया कि वैसे ही शहर मे खाना बिना मर रहे ही हैं पैदल चलते घर जाते हुए मर जाए तो क्या फर्क पड़ता है। यह छोटी बात नही है ,मजदूर की आत्मा की आवाज है। मजदूर की यह आवाज किसी भी देश के राजा को कपकपा देने के लिए काफी है। सच पूछिए तो जिस देश मे प्रजा भूखी और नंगी हो तो उस देश मे राजा को बने रहने का कोई औचित्य नही है।
        आखिर ये राहत यातायात के सुविधा के रुप मे ,भोजन के रुप मे ,मेडिकल के सुविधा के रुप मे सीधे आम जनो को क्यों नही र पहुँचायी जा रही है? अभी तत्काल इसी की जरूरत है। कुछ दिन पहले दूरदर्शन से यही आवाज निकल कर आयी थी कि "जान है तो जहान है।" कम से कम इस लोकोक्ति की गरिमा का तो ध्यान रखना चाहिए। ये श्रम बेचने वाले मजदूर आखिर कहाँ जाए ?आर्थिक पैकेज के गूढ़ को कैसे समझे?
       एम .एस.एम.इ.को दी जा रही राहत फिर मजदूरों के पास पहूँचेगी,मजदूरों का जीवन खुशहाल होगा,यह दिवास्वप्न सरकार उन मजदूरों को दिखा रही है जिनके पेट मे खाने को अभी दाना नही है। जिस तरह से नोटबंदी छलावा था ठीक उसी तरह से यह पैकेज भी एक छलावा है। न ही नोटबंदी से काला धन बंद हुआ और न ही आतंकवाद। ठीक उसी तरह से इस आर्थिक पैकेज से मजदूर का कल्याण नही हो सकता है।क्योंकि मजदूर को फिलहाल फौरी तौर पर उनका जीवन बचाने के लिए भोजन, पानी औऱ आर्थिक मदद मिलनी चाहिए और लानत है कि वही नही मिल रहा है।
- रंजना सिंह
पटना - बिहार
जिस प्रकार से आज पूरा भारत देश कोविद 19 के कारण भारत का प्रतेक नागरिक हर प्रकार की सुख सुविधाओं से बचित है;ईण्डसटीज  और काम धंधे पिछले 57 दिनों से बनद ढप पढ़े हैं. लोगों की आजिविका समाप्त हो रही है. युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है. लोग बेरोजगारी के कारण 2 जून की रोटी के लिये भिखारियों की तरह ईधर से उधर भटक रहे है. ईन सब बातों को देखते हुए तो सरकार का सकट के समय में भी आथिर्क पैकेज देना बहुत बड़ा साबित हो गा. कयोकि ईस पैकेज से उधोग  धधो को चलाने. आथिर्क रुप से कमजोर रेहड़ी  पटरी वालों को तथा सभी प्रकार के छोटे बड़े वयापारी भाई बहनों को अपना कारोबार पुनः चलने का अवसर  मिलेगा तो रोजगार के अवसर भी मिलेगें.इस लिए मेरे विचार से सरकार को सकट के समय में भी आथिर्क पैकेज देना जरूरी है.
- विनय कंसल 
त्रि नगर - दिल्ली
सरकार द्वारा घोषित आर्थिक राहत पैकेज बहुत ही समझदारी भरा कदम है इसके द्वारा समाज के सभी वर्गो को आर्थिक निराशा केइस माहौल से निकलने में काफी सहायता मिलेगी छोटे कामगारों मजदूरों व्यापारियो व किसानो के लिए संकट के इस दौर मे यह आशा की किरण है परन्तु यह सब तभी संभव हो सकेगा जब हम सभी सरकार के दिशा निर्देशो का पालन करते हुए सुरक्षात्मक तरीके से आगे बढेंगे व स्वदेशी उत्पादो को ही खरीदने में रूची रखेगें अब समय आ चुका है कि अब हमे उत्पादों की कीमत व एक्सपायरी तिथि देखने के साथ साथ ही .मेड इन इण्डिया भी देखकर खरीदने की आदत डालनी होगी.आओ हम सभी संकट के इस समय में देशहित में इतना करने का अपना दायित्व निभाकर देश को मजबूती प्रदान करें सरकार का सहयोग करे.....  ।
-  प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
निश्चित रुप से संकट काल में केंद्र सरकार द्वारा देश को दिया गया भारी भरकम आर्थिक पैकेज देश की डूब रही अर्थ व्यवस्था को रसातल से फिर शिखर की ओर ले जाने में बहुत बडा रोल अदा  करेगा । इस राशि से एक तरफ जहां मजदूर वर्ग को चूल्हा जलाने  का प्रबंध होगा वहीँ दुकानदारों,छोटे वा बडे उद्योग पत्तियों को कार्य व पुनाह उत्पादन शुरु करने के लिये संजीवनी मिलेगी ।
उम्मीद की जा सकती है की इस विशाल धन राशि को किसानो, बागवानों,उद्योग पतियों,मजदूरों,बैंकों,शिक्षा,स्वास्थ्य, यातायात, वा अन्य लोक कल्याण के सैक्टरों पर व्यय किया जायेगा ।ये तय है की  इस पहल के सार्थक और अच्छे परिणाम आयेंगे ।।
     - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर -हिमाचल 
सरकार द्वारा घोषित आर्थिक सहायता एक ऐसा दीपक है जो अंधकारमय जीवन को उजाले की ओर ले जायेगा।
भूखे को भोजन, प्यासे को पानी बिना छत वाले को छत मिलने का आश्वासन, बेकारी को नौकरी का आश्वासन ,ये सभी वास्तव में मानसिक रूप से तसल्ली देनेवाला है ।
अब दूसरा कदम इसे ज़मीनी हकीकत पर पहुंचने की संभावना कितना सही होता है।
यदि भ्रष्टाचार पर नियंत्रण  कर लिया गया तो सरकार की घोषणा अतिउतम है।
देश की आर्थिक स्थिति निश्चित ही सुदृढ़ बनाने में सफल होगे
इतनी विषय परिस्थितियों में इतना महत्त्वपूर्ण संकल्प लेकर आर्थिक सहायता की घोषणा करना सराहनीय क़दम है।
- कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन में एक नई आस के साथ  आर्थिक पैकेज  जो मोदी सरकार के द्वारा दिया गया है। इससे सभी सेक्टरों को लाभ होगा साथ ही  व्यापारियों को भी लाभ होगा। मुसीबत पर मोदी सरकार ने बहुत बड़ा आर्थिक पैकेज देकर एक बड़ा संकल्प का आधार बनाया है।यह काबिल योग्य है। इससे सभी बेरोजगारों को रोजगार की आस जगी है। और अब हो सकता है कि मजदूर भी राहत महसूस करेंगे भीड़भाड़ में जाने को मजबूर नही होंगे। यह सच है की लॉक डाउन में भारत में कई नए चीजो का निर्माण हुआ है और हम बहुत कुछ सीखे भी है। लॉक डाउन में लोग नई तरह की जिंदगी जिए है साथ ही घर से ही ऑफिस का कार्य कर एक नया अनुभव प्राप्त हुआ है। पर्यावरण में भी बदलाव आया है। प्रदूषित कम हुआ है।  मगर लोगो मे पहले जैसा उत्साह नही दिख रहा था लेकिन मोदी जी के आर्थिक पैकेज घोषणा के बाद अब सब बदलेगा। इससे यह कहा जा सकता है कि सरकार का आर्थिक पैकेज लॉक डाउन में बड़ा संकल्प साबित हो सकता है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढं 
भारत सरकार द्वारा, इस संकटकाल में घोषित,20 लाख करोड़ रुपए का राहत पैकेज एक बड़ा संकल्प है जो अब कार्य में परिणत होने की राह पर है। निश्चित रूप से इस राहत पैकेज से, पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था की गाड़ी को पटरी पर लाकर उसे आगे बढ़ाने में विशेष मदद मिलेगी। इससे श्रमिकों, किसानों, मजदूरों और मध्यमवर्गीय व्यापारियों को राहत मिलेगी। लोकल ब्रांड को बाजार में उतारने के लिए यह मददगार साबित होगा। सरकार ने जिस कुशलता और प्रबंधन से कोरोना संकटकाल में देश को संभाला, उसी कुशलता से देश की अर्थव्यवस्था को संभालने की दिशा में यह राहत पैकेज घोषणा हुई है। स्थानीय उत्पादों और उद्योगों को गति देने, उनको चलन में लाने और निरंतर बाजार में उपलब्ता बनाए रखने में यह कदम सहयोग करेगा।सरकार की दूरदर्शी सोच स्वदेशी उत्पादों का प्रयोग व व्यापार भी इस पैकेज से जुड़े हैं। भारतवर्ष की जनता के हितार्थ सरकार का यह बड़ा संकल्प निश्चित रूप से नये भारत के निर्माण में मील का पत्थर साबित होगा।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
लॉकडाउन यानी कोरोना काल मे केन्द्र सरकार में 20 लाख करोड़ का आर्थिक पैकेज की घोषणा कर छोटे व मझोले उद्योग वालों को बहुत ही बड़ी राहत दी है। एक तरह से देखा जाय तो कोरोना के इस बड़ी वैश्विक महामारी में केन्द्र सरकार ने स्वदेशी उत्पादन का बढ़वा दिया है। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। जैमिनी अकादमी की ओर से गुरुवार की चर्चा ने पूछे गए सवाल क्या सरकार का संकट में भी आर्थिक पैकेज बड़ा संकल्प साबित होगा। यह सवाल बहुत ही सही है। कोरोना के मामले जिस तरह से देशभर में तेजी से बढ़ रहे हैं उससे करोड़ो की संख्या में बेरोजगारी बढ़ी है। मजदूर लाखों की संख्या में स्पेशल ट्रेनों से अपने राज्य व गांव लौट रहे है जो महीनों बाद भी कोरोना के डर से फिर रोजगार के लिए दूसरे राज्य नही जाएंगे। इस परस्थिति में हर मजदूर को रोजगार व काम चाहिए ताकि वो अपने परिवार का खर्च चला सके। अब इस संकट की घड़ी में मोदी सरकार ने 20 लाख करोड़ का राहत पैकेज की घोषणा कर संजीवनी का काम किया है। इस पैकेज से कुटीर, लघु, सूक्ष्म व घरेलू उधोग को बहुत ही बढ़ावा मिलेगा। साथ ही रोजगार के अवसर मिलेंगे। सरकार ने इस पैकेज से देश के अन्य क्षेत्रों में भी राहत दी है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
सरकार का इस संकट में आर्थिक   सहायता देने का एक बड़ा संकल्प   एक नया बदलाव लाएगा जैसे एक साकारात्मक सोच , सारी जनता को होंसला, कामगारों को फिर से उठ मेहनत करने का जूनुन, उद्योग जगत में जान आदि और कहावत भी तो है कि - डूबते को तिनके का सहारा
पर यहां तो हमारी सरकार ने एक मजबूत लकड़ी दे दी जिसका सहारा ले देश फिर उन्नति की ओर अग्रसर होगा।
      भारतीय जनता हो या अन्य देश हो इस बड़े फैसले से बखूबी भारत की संविधान की विशेषताओं से परिचित हो गए हैं।
आज हम सभी जानते हैं लाकडाउन से नागरिकों की ही आर्थिक व्यवस्था नहीं  बिगड़ी बल्कि पूरे देश की अर्थव्यवस्था ऊपर नीचे हुई है उसके चलते इतना बड़ा फैसला साबित करता है कि हमारी सरकार भविष्य में हर आपदा के लिए तैयार है।
अतः भारत सरकार का संकट में उठाया ये कदम कारगार साबित होगा।
   निराशा का अन्धकार आशा की छोटी सी किरण से ही दूर हो जाता है और यह वही किरण है परन्तु बड़ी किरण जो भारत देश को फिर सोने की चिड़िया बनाएगी।
- ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
हां, यह आर्थिक पैकेज काफी मददगार साबित हो सकता है। इस आर्थिक पैकेट से जितने उद्योग धंधे हैं उनको काफी मदद मिलेगी और जो बाकी लोग हैं उनमें एक नई उमंग और हौसला जागेगा। इससे माहौल सकारात्मक होगा।इससे भारत की अर्थव्यवस्था भी कुछ हद तक ठीक हो सकती है जो कि इस माहौल में बहुत बड़ी बात है।इससे जो उद्योग धंधे हैं उनको तो फायदा होगा ही और इसके साथ वह जो बेचारे मजबूर फॉर 100 किलोमीटर का फासला तय कर रहे हैं उनको भी कुछ राहत तो मिल ही जाएगी। मजदूरों के मन में जो डर बैठ चुका था कि अब उनकी दाल रोटी का क्या होगा उनके अंदर एक नया उत्साह पैदा करेगा और उस सोच को मिटाएगा। इससे देश उन्नति के और बढ़ेगा। युवा पीढ़ी जो अभी बेरोजगार है उसके लिए भी यह एक बड़ा वरदान साबित हो सकता है जिससे वह लोन लेकर एक उद्योग धंधा चालू कर सकते हैं। विचार से सरकार का बड़ा आर्थिक पैकेज का संकल्प भारत की गरीब जनता के लिए बहुत फायदेमंद रहेगा।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
सरकार द्वारा एक बड़े आर्थिक पैकेज का ऐलान तो किया गया जो राहत देने वाला कदम महसूस किया जा सकता है परंतु सवाल ये है कि ये मदद मिलेगी किस रूप में ?
दरअसल लोगो को ये मदद फिर बैंको से कर्ज लेकर ही स्वीकार करनी होगी जो लोगो के सामने ये समस्या पैदा करती है कि एक बड़ी संख्या में लोगो ने बैंको से कर्ज  लिया हुआ है । अब वे लोग उस कर्ज को उतरेंगे कि फिर कर्ज लेंगे । और इसकी गारेंटी कौन लेगा की उन लोगो को पुनः बैंक लोन उसी सुविधानुसार मिल जाएगा अथवा बैंको के चक्कर लगा लगा कर उनकी चप्पले नही घिसेंगी । बैंक कर्ज लोगो के लिए कहा तक कारगर साबित होगा , इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है । ऐसे समय मे जब लोग डेढ़ माह से घरों में बेरोजगारी की मार झेल रहे है , ऐसे में सरकार का आर्थिक पैकेज ही जनता के लिए कारगर साबित होगा , इसमें कोई दो राय वाली बात नही है । परन्तु ये पैकेज लोगो तक उनकी सुविधानुसार पहुंचे कैसे ये बड़ी बात है । जिसके लिए गंभीर चिंतन करते हुए कई चीजो का बिल माफ करते हुए जनधन खातों में भी रकम डालने की जरूरत है । 
सरकार को चाहिए कि जो भी छोटे छोटे लोन बैंको के पास आये उन्हें तत्काल पास किया जाए और ऐसे लोन पर ब्याज दर न के बराबर ही हों । जिससे गरीब तबके के लोग इसका लाभ ले सकें और अपने जीवन को प्लेटफार्म पर ला सकें ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
सरकार का संकट के समय आर्थिक पैकेज संबंधितों के लिए निश्चित ही बड़ा राहतमंद साबित होगा। ऐसे में जब आर्थिक हालात चरमरा रहे हों, नीरस और हताशा का माहौल हो, तब संकट से उबरने के लिए यदि सरकार से मदद मिलती है तो ये कदम उत्साहित करने वाला ही है। उत्पादन और संचालन- संधारण के सभी उद्योग और व्यवसाय में सरकार द्वारा न केवल हौसला अफजाई करना बल्कि आर्थिक मदद देना प्रशंसनीय है। संबंधितों को भी चाहिए कि वे इस राहत का दुरुपयोग न करें और अपनी नैतिक जिम्मेदारी भी समझते हुए सार्थक और उचित उपयोग में लाते हुए अपने व्यवसाय को समृद्ध करें और भविष्य में समय सीमा में अदा भी करें।
 ये राष्ट्रीय स्तर पर सामाजिक व्यवस्थाएं हैं जिनका अपना अलग और विशेष किस्म का महत्व होता है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
आज की चर्चा पर मेरे विचार वर्तमान समय में पूरा विश्व कोरोना नामक महामारी से जूझ रहा है चूंकि तालाबंदी के तीन चरण लगभग पूर्ण हो चुके है तो ऐसी स्थिति में हमारे देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गया हैं और जहा से भी हमारे देश को आर्थिक विकास के लिए वित्त प्राप्त होता था वो शून्य हो गया है और हम आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे है, क्योंकि सभी तालाबंदी और इस महामारी से अपने को बचाने में लगे हुए है ऐसी स्थिति में आर्थिक सहायता प्रदान करना लोकतंत्र के लिए जनमानस के लिए एक बहुत बड़ा कदम है ये इस बात को काफी हद तक साबित करने में सिद्ध होगी कि डूबते को तिनके का सहारा,ये पैसा हमारे लघु उद्योग,और रोजमर्रा के जीवन मे जो आजीविका के अलग अलग रोजगार के लिए वित्तीय मदद करने मे कारागर हो सकते हैं साथ ही साथ ये भी एक आश्चर्य का विषय बना है कि क्या वास्तव मे 20 लाख करोड़ की वित्तीय सहायता लोगों तक पहुँचेगी, खैर विषय यह है कि इससे सुधार होगा कि नही तो हमे यही मानकर चलना चाहिए कि सुधार होगा और जो नए नए स्टार्टअप की वजह से अपने कार्य को बड़ा नही पाए थे उनको भी अवसर प्राप्त होगा,रोजगार बढेगा,आय के साधन बढ़ेंगे,मध्यम वर्गीय लोगो को भी व्यवसाय को आगे बढ़ाने का अवसर प्राप्त होगा, बहुत से व्यापार विस्तार होगा,तालाबंदी के दौरान जिनको अपने व्यवसाय में एक वृहद नुकसान उठाना पड़ा है देश को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है वो कुछ हद तक पटरी मे बैठ पाएगी,हालांकि इसमें समय काफी लगेगा और इसका हर वर्ग के लोगो पर असर दिखाई देगा ऐसी संभावना इस आर्थिक मदद से हमारे देश को कुछ लाभ होगा
और हम आर्थिक स्थिति को सामान्य करने मे देश की वित्तीय स्थिति को सम्हालने मे कुछ योगदान दे पाएंगे।जिससे स्थिति सामान्य हो सके।
- मंजुला ठाकुर
भोपाल - मध्यप्रदेश
      निसंदेह सरकार का इस बड़े संकट के समय दिया आर्थिक पैकेज बड़ा संकल्प साबित होगा। इस कठिन समय में सबसे अधिक मार छोटे-छोटे काम करने वालों पर ही पड़ी है। इसकी सहायता से वे पुनः अपना काम शुरू कर सकेंगे। इसी लिए सरकार ने इन सब बातों का ध्यान रखते हुए ही इस सरकारी पैकेज देने का प्रावधान किया है जो आगे के समय में फायदेमंद साबित होगा। किसान और मजदूर के जीवन के अंधेरे को दूर करने में यह सहायक होगी।
          बस ध्यान इस बात का रखा जाना जरूरी होगा कि जिन तक यह सहायता पहुँचनी है उन तक पहुँचे, बिचौलिये उस पर हाथ साफ न कर पाएँ।स्वदेशी अपनाने का जो मूलमंत्र रखा है वह भी इसी की ओर संकेत है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
निश्चित रूप में इस संकट काल में सरकार द्वारा दिये जाने वाला पैकेज डूबते को तिनके का सहारा बन हमारे सम्मुख संकट मोचन का प्रसाद बना है!
कोविंद १९ में हमारे देश का आर्थिक स्तर गिरा उसे समृद्धता की ओर ले जाने के लिए कृषि उद्योग, लघु, सूक्ष्म, कुटिर, गृह उद्योग एवं गरीब मजदूर, प्रवासी मजदूरो, मनरेगा के तहत मजदूरों की मदद के लिए यह पैकेज एक पौष्टिक आधार है!
जब हमारे मजदूर, हमारे लघु, सूक्ष्म, कुटिर, गृह उद्योग सक्षम होंगे आर्थिक रूप से उनका स्तर बढेगा तब हमारे देश का आर्थिक स्तर ग्राफ भी बढ़ता जायेगा!
इस कोरोना काल में सरकार द्वारा दिया गया पैकेज हर वर्ग के लोगों के लिए संजीवनी बन आया है! आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है मिली हुई धनराशि का उपयोग किसान, गरीब मजदूर, बैंक, शिक्षा, उद्योग, परिवहन एवं अन्य कल्याणकारी कामो में होगा और इसके परिणाम भी सार्थक होंगे!
सरकार ने आत्मनिर्भर पैकेज में घर काम वाले, रेहडी़ वाले, चायवाले सभी का ध्यान रखा है! लोग आत्मनिर्भर बन सके!
अपने देश का ब्रांड हर चीज में होगा तो वह दिन दूर नहीं जब भारत पुनः सोने की चिड़िया कहलाएगा!
अंत में कहूंगी अनुभव से ही सीख आती है! सरकार ने अपना कर्तव्य निभाया हमारा भी फर्ज है अपना कर्तव्य निभाएं!
कोरोना से बचने के नियमो का पालन करें एवं सोशलडिस्टेन्सिंग बनाकर रखें!
हमे कोरोना के साथ ही जीना है अतः इसे अपनी जीवन शैली में शामिल कर लेना है!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
संकट में भी आर्थिक पैकेज बड़ा संकल्प साबित होगा क्योंकि विपत्ति में थोड़ी सी सहायता भी काफी बड़ी होती है l परिस्थितियाँ जब भय, भूख, ग़रीबी, गाँव, किसान, श्रमिक और उनके स्वास्थ्य आदि के अनुरक्षण से संबंधित हो तो आर्थिक पैकेज मील का पत्थर साबित होता है l 
 वो राम की खिचड़ी भी खाते हैं, 
 रहीम की खीर भी खाते हैं, 
       वो भूखे हैं जनाब !
उन्हें मज़हब कहां समझ में आते हैं l 
ग़रीबी की क्या हँसी उड़ाई जाती है... 
      एक रोटी देकर........ 
सौ तस्वीर खिंचाई जाती हैं l 
उक्त पंक्तियाँ आर्थिक पैकेज की आवश्यकता और उपादेयता को रेखांकित कर रही हैं l लेकिन थकना, हारना और बिखरना हमें मंजूर नहीं l इस संकल्प को सिद्धि में बदलने के लिए 20 लाख करोड़ रूपये का आर्थिक पैकेज अहम क़िरदार निभाएगा l इसके द्वारा अभूत पूर्व परिवर्तन आयेंगे l उपर्युक्त पैकेज स्वीकृति के साथ साथ आर्थिक नीति का नया स्वरूप और रोडमैप भी बताया गया है कि संकट से निकलने का एक ही रास्ता है "आत्म निर्भर भारत l "इसके लिए देशवासियों का मुखर होना आवश्यक है l 
जी . डी. पी. के 10%बराबर घोषित आर्थिक पैकेज से उद्योग और आर्थिक जगत में उत्साह और विश्वास का माहौल बना है l साथ ही साथ पैकेज में भूमि, श्रम, क़ानून में सुधार के बिंदू नई अर्थ व्यवस्था की नींव रखेंगे l इस राहत पैकेज में गरीब, किसान, मध्यम वर्ग और व्यापारी वर्ग के हित समाहित हैं जिससे हर वर्ग सशक्त होगा l  देश आत्म निर्भर बनेगा l या यूँ कहे कि आर्थिक पैकेज से इस महामारी की चुनौती को एक "अवसर "में बदलने के प्रयास सफल होंगे लेकिन आर्थिक स्थिति अच्छी होने से नहीं, मानसिक स्थिति अच्छी होने से सुकून मिलता है l अतः आमजन के स्वास्थ्य अनुरक्षण सेवाओं, भोजन, आवास सुविधा देकर श्रमिक व आमजन को मानसिक रूप से आश्वस्त किया जासकेगा l 
यह आर्थिक पैकेज लेंड लेबर, विक्विडीटी, लॉ और लोकल पर फोकस करेगा जो समाज के हर वर्ग के लिए राहत देगा तथाविकस की राह पर आगे बढ़ने के संकल्प को नया जीवन देगा l 
समाज का हर तबका भय, भूख, ग़रीबी और जमाख़ोरी भ्र्ष्टाचार रूपी दानवों से और कोरोना महामारी से अघोषित जंग के मोर्चे पर खड़ा है l  आज उच्च वर्ग की मनः स्थिति है कि -
  अमीर के घर का "कौआ "
   सबको "मोर "लगता है 
   एक गरीब का बच्चा 
    जब भूखा होता है
तो सबको "चोर "लगता है l 
उपर्युक्त पैकेज ग़रीबी से भी जंग लड़ेगा l 
हमारे कुटीर उद्योग, मंझोले उद्योग जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन हैं, यह पैकेज देश के उस श्रमिक वर्ग व किसान के लिए हैं जो हर स्थिति में, हर मौसम में देशवासियो के लिए दिन रात परिश्रम करके ईमानदारी से टैक्स देते हैं l 
भारतीय उद्योग जगत ने स्वीकार किया है कि 20 लाख करोड़ रूपये का यह पैकेज कोविड -19
की महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लागू पाबंदियों से प्रभावित अर्थ व्यवस्था के पुनरुद्वार में मददगार होकर आर्थिक वृद्धि को नई गति देगा l 
         मेरे शब्दों में.... 
नए भारत की आधार शिला है, पी. एम. का आर्थिक पैकेज 
चलते चलते -
महंगे कपड़े गाड़ियां, भवन या उच्च पद से हमारा आर्थिक स्तर भले ही ऊँचा हो पर सामाजिक या आध्यात्मिक स्तर पर सम्मान और आत्म संतुष्टि केवल नम्र स्वभाव, ऊँची सोच, सबके प्रति प्रेम और सेवा से ही संभव है l 
जैसे समाज में" शबरी "और "सुदामा "को जो स्थान मिला, वह सूपर्णखां अथवा कंस अपने राजसी पद के बावजूद नहीं प्राप्त कर सके l
- डॉ छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
बहुत ही बड़ा व राहत देने का वादा मोदी जी ने किया है पर प्रश्न यह है की क्या यह पैकेज सब जरुरत मंद को मिलेगा बडे उघौगपति  नया बिज़नेस दिखा हड़प नहीं लेंगे , 
बहुत सी बातें है ,  यदि सच में 
में जो वादा किया वह सही तरीक़े से अमल में लाया जाए काफ़ी राहत का  काम होगा पर यह भविष्य का सपना है , आज जो लोग मर रहे पैदल जा रहे है. क्या बसें व गाड़ी चलवा कर नहीं भेजी सकते १००लोग ट्रकों में लद कर जा रहे है । सरकार को लोगों की दशा दिखाई नहीं दे रही किया रोज़ लोग मर रहे है , 
कोरोना ने चल कर थक कर भूख से मर रहे है । अभी की व्यवस्था करें हम घरों में बैठे हैं तो आराम से है जो रोड पर है उनकी तकलीफ़ वही जानते है 
कोरोना संकटकाल में मंदी से जूझ रही अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर अभियान का आगाज किया। इसके लिए 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इससे अर्थव्यवस्था को गति तो मिलेगी ही साथ ही एक नए अध्याय की शुरूआत भी होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह आर्थिक सुधारों की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
पीएम मोदी ने कहा, कोरोना संकट के बीच मैं विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा करता हूं। ये पैकेज आत्मनिर्भर भारत अभियान की अहम कड़ी के तौर पर काम करेगा। हाल में सरकार ने कोरोना संकट से जुड़ी जो आर्थिक घोषणाएं की थीं और आज जिस पैकेज का एलान हो रहा है, उसे जोड़ दें तो ये करीब 20 लाख करोड़ रुपये का है। ये पैकेज भारत की जीडीपी का करीब 10 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा, इन सबके जरिए देश के विभिन्न वर्गों को 20 लाख करोड़ रुपये का संबल मिलेगा। 20 लाख करोड़ का ये पैकेज 2020 में देश की विकास यात्रा को नई गति देगा। आत्मनिर्भर भारत के संकल्प पूरा करने के लिए इस पैकेज में लैंड, लेबर, लिक्विडिटी सभी पर बल दिया गया है।
हमारे कुटीर, गृह उद्योग, छोटो उद्योगों के लिए हैं जो करोड़ों लोगों की आजीविका का साधन हैं। ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक व किसान के लिए है जो हर स्थिति हर मौसम में देशवासियों के लिए दिन-रात परिश्रम करता है। ये पैकेज उस मध्यम वर्ग के लिए है जो ईमानदारी से टैक्स देता है। 
उद्योग जगत ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 20 लाख करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा समय की जरूरत थी। उद्योग मंडलों का कहना है कि इससे कोविड-19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए लागू पाबंदियों से प्रभावित अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में मदद मिलेगी और आर्थिक वृद्धि को नई गति मिलेगी।
अर्थव्यवस्था, बुनियादी ढांचा, व्यवस्था, जनसंख्या और मांग को मजबूत करने से भारत फिर से सतत वृद्धि के रास्ते पर आएगा‘हम उम्मीद करते हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब पैकेज की रूपरेखा की घोषणा करेंगी, गरीबों और जरूरतमंदों, एमएसएमई और उद्योग तथा आम लोगों की जरूरतों का समाधान होगा।
अब देखना यह है कि काम कैसे करते है किन लोगों को सहायता देते है । 
पर यह तो निश्चित है कि आज सुनने में कानों को बहुत भला लग रहा है । 
कुछ लोगों ने शंका भी जताई है की हमारे पास इतना पैसा नहीं है तो देंगे कैसे । ख़ैर यह तो विरोध करने वाले कहते हैं । 
पर सवाल आज मज़दूर की हालत सुधारने की है घर पहुँचाने की है मन मानी बस व ट्रेक वाले लूट रहे है उन्हें रोक कर कुछ व्यवस्ता करने की है । 
भविष्य की बात बाद में आज आप उन्हें राहत दे मेरा यही कहना है । 
चूकी मैं समाज से जुड़ी हूँ , उनकी तकलीफ़ पास से देखी है 
इस लिये कह रही हूँ , 
बहुत बुरा हाल है लोगों का आत्महत्या कर रहे है । आप ट्रेन का भाड़ा बसूल रहे हो ग़रीबों को पहले फ़्री में उनके घर पहूचाऐ 
बाक़ी बात तो बाद की है । पहले जान बचाने की कोशिश की जाऐ । 
लोगों की हालत देखते नहीं बन रही है ।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
पहले संकल्प की परिभाषा क्या है? यह समझना होगा। संकल्प का एक अर्थ प्रतिज्ञा भी होता है दूसरे अर्थों में संकल्प को दृढ़ इच्छाशक्ति भी कह सकते हैं। किसी काम को करने के लिए जब कोई संकल्प लेते हैं तब संसाधन की खोज शुरू होती है। जब आपके पास संसाधन होंगे तो निश्चित है संकल्प भी पूरे होंगे। यह सरकार की ओर से की गई एक अच्छी पहल है। इसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। लेकिन दूसरी तरफ जब इस तरह की घोषणा या संकल्प ली जाती है तब आर्थिक जिम्मेदारी का कुछ हद तक बोझ आम जनता पर भी पड़ता है। क्योंकि सरकार कोई बिजनेस मैन तो है नहीं जो मोटी रकम जनता के ऊपर लुटा देगी। सरकार का खर्च सबसे अधिक आम जनता ही उठाती आई है और उठाती रहेगी इसे रोका भी नहीं जा सकता रूकी कि देश की अर्थव्यवस्था चौपट। अभी पिछले दिनों की चर्चा में सरकार के बीस हजार करोड़ रुपए आर्थिक सहायता या पैकेज से जुड़े प्रश्न था। देखिए जब आपके जेब में पैसे होंगे तो आप निश्चित रूप से अपने उपयोग की वस्तुएं खरीदेंगे। नहीं होंगे तब हाथ पर हाथ रख कर चुपचाप बैठ जाएंगे। आर्थिक पैकेज की घोषणा प्राकृतिक आपदा के समय सरकार चाहे जिसकी भी हो विपत्ति से उबरने के लिए देश के लिए करती आई है। ताकि आम जनता दुःख और विपत्ति से उबर सकें। और कुछ हद तक आर्थिक सहायता से उबर भी जाते हैं। आर्थिक पैकेज से निश्चित है उद्योग धंधों में उछाल आएगा। मजदूर के लिए भी एक हजार करोड़ रुपए की आर्थिक पैकेज की घोषणा हुई है। बिजली कम्पनियों के लिए नब्बे हजार करोड़ की घोषणा हुई है। अब प्रश्न उठता है। बंद कम्पनियों में कितना उत्पादन हुआ जो बिजली कम्पनियों को घाटा हो गया।यह एक बहुत बड़ा तंत्र है जो आमजन के लिए उपलब्ध संसाधनों में से सरकार द्वारा जारी अनुदान राशि का गबन या बन्दर बांट बड़े लोग और सरकार मिलजुलकर करती आई है। फायदा होगा भी तो उन्हें जो पहले से सक्षम हैं। जिनके पास कुछ नहीं है। उन्हें देने के बाद भी गरीब लोगों के जेब तक एक रूपए नहीं पहुंचेगा ऐसा मैं अपने अनुभव से कह रहा हूॅं‌। जब तक कि असंगठित क्षेत्र के मजदूरों तक सहायता राशि उन तक डी बी टी के माध्यम से न पहुंचाई जाए। अब तो जिस तरह से औद्योगिक क्षेत्र को छोड़कर लोग घर जा रहें हैं। उससे तो यही लगता है कि दो चार साल तक तो अर्थव्यवस्था में कोई विशेष सुधार नहीं होगा। सरकार के संकल्प या इरादा भले ही मजबूत हो। अपने पर्सनल लाभ उठाने वाले लोगों की कमी नहीं है। व्यवस्था चाहे कितनी ही चाक चौबंद हो सेंध लगा ही लेते हैं। तथास्तु!
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुडगांव - हरियाणा
कोरोना संकट की घड़ी में जहां जन-जन, जीवनयापन से संबद्ध आत्मविश्वास का मार्ग अवरुद्ध होने के कगार पर आ चुका हो ;वहां सरकार द्वारा हर वर्ग के लोगों को 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की घोषणा करने से लोगों के सामने रोजी-रोटी ,स्वास्थ्य की समस्या दूर होगी। छोटे से छोटे उद्योग के श्रमिक, प्रवासी मजदूरों को वन नेशन वन राशन कार्ड  के आधार पर खाद्य सामग्री की व्यवस्था कराना एक बहुत बड़ी राहत है। ऐसे ही कर्मचारी वर्ग को आयकर में छूट देकर सरकार ने हर वर्ग को प्रसन्नता की लहर में दौड़ा दिया है।
      उद्योगों के स्वदेशी ब्रांड में लोकल वोकल ग्लोबल नारे से जान फूंक कर रोजगार बढ़ाकर, देश व देशवासियों को आत्मनिर्भरता की राह दिखाई है। आज विषम, विकट, परिस्थितियों में जब हर जगह, हम सब जनता और विशेषकर किसान और श्रमिक देश के विकास की आधारशिला हैं। इस वर्ग के लिए सरकार ने आर्थिक पैकेज में विशेष ध्यान रखा है।
        यह सब तो ठीक है पर भ्रष्टाचारी लोगों को प्रधानमंत्री की इस सकारात्मक पहल के परिणामों को साकार कराने में ईमानदारी से सहयोग देना होगा।
  सरकार का यह आर्थिक पैकेज लोगों में नई उमंग, ऊर्जा, आत्मविश्वास, आत्मनिर्भरता बढ़ाकर देश को फिर से सोने की चिड़िया बनाने में सफल होगा ।
- डाॅ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
संकट सरकार पर कभी नही होता । और आर्थिक तो कभी नही ।  यदि कभी कोई संकट  होता भी  है  तो वह या तो सरकार को बनाने का या सरकार को बचाने का । जो सरकार केवल करोड़ की बात करती है उसे सैकड़े की वेदना कभी महसूस नही हो सकती । 
     सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज को बड़ा संकल्प बनाने के लिए उसे सही जगह पहुँचाने की भी जिम्मेदारी उससे भी बड़ा संकल्प है । उस संकल्प को बिना किसी नई समस्या के पैदा हुए लक्ष्य तक पहुँचाने का संकट है ।सहायतार्थ दिए  पैकेज के पीछे इतनी भाषणबाजी नही होती । मीडिया में पैकेज को लोकप्रिय बनाने के पीछे कुछ और नियत  झाँकती नजर आ रही है । 
     किसी संकल्प का क्रियान्वयन केवल पूंजी ही सर्वोपरि नही है वरन उससे सम्बन्धित अनेक पहलुओं में उतपन्न बाधाएँ है जिनकी तैयारियो से अवगत कराना आवश्यक है । 
      सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे नागरिकों को मुफ्त गैस सिलेंडर बाट कर वाहवाही लूटी लेकिन 20 दिन के बाद उनके  खाली होने के बाद कि कोई नीति नही बनाई । परिणामत: चूल्हे के पास सिलेंडर सजे रहे और खाना लकड़ियां जला कर चूल्हे पर ही बनता रहा । 
     इस पैकेज भी भविष्य यही नजर आ रहा है ।।
- सुशीला जोशी
मुजफ्फरनगर - उत्तर प्रदेश
      जी हां इस संकट की घड़ी में सरकार का उपरोक्त आर्थिक पैकेज बड़ा संकल्प साबित होगा। डरी सहमी जनता के घावों पर साहस एवं आत्मनिर्भरता का लेप होगा। जो कोरोना महामारी से पटरी से उतर चुके विकास एवं विश्वास को तीव्र गति प्रदान करेगा। और तो और यह गिरे मनोबल के गर्म स्तर को शीतलता देकर उज्जवल भविष्य की ऊर्जा प्रवाहित करेगा।
      यह आर्थिक पैकेज बिगड़ी अर्थ व्यवस्था के लिए इम्यूनिटी बढ़ाने का रामबाण साबित होगा। यह देश के छोटे-मझोले बीमार उद्योगों के लिए रक्तदान के समान होगा।यह पैकेज उद्यमियों के ठंडे पड़ चुके उद्यम को नई दिशा देगा। यह उद्यमियों के बिखरे सपनों को पुनः संजोएगा। जिससे हमारे सपने साकार होंगे और हमारा राष्ट्र विश्व की बुलंदियों को छूएगा।
      अतः यदि कम शब्दों में कहें अर्थात सागर को गागर में भरें, तो लोकप्रिय माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी द्वारा जारी 20 लाख करोड़ रुपए का पैकेज मृत्यु शैय्या पर पड़ी अर्थ व्यवस्था के लिए संजीवनी बूटी साबित होगा।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जी हाँ सरकार का संकट में आर्थिक पैकेज  बड़ा संकल्प साबित होगा। कोरोना के कारण 50 दिन  का लाकडाउन  में  सभी व्यापार , काम चौपट हो गया । सरकार के सकारात्मक सोच के  आर्थिक पैकेज से  भारत की अर्थव्यवस्था के पुनरुत्थान में  मदद मिलेगी ।
20 लाख करोड़ कृषि , ग्रामीण अर्थ व्यवस्था को मजबूती मिलेगी ।  भारत में कोरोना 
संकट के  इस काल को आत्मनिर्भर के  अवसर में बदल सकते हैं । 
आज आर्थिक पैकेज घोषणा का सरकार का दूसरा दिन है । भारत का गरीब कल्याण योजना गरीबों और श्रमिकों पर ध्यान दिया गया  है ।  जरूरतों मन्दों , गरीबों को खातों में रुपये सरकार ने भेजे । किसानों को रियायती दर  पर  4 करोड़ रुपये  का लोन दिया । 25 लाख किसान   को क्रेडिट कार्ड की मंजूरी दी है । 
 गरीबों 22 करोड़ से ज्यादा का  बीमा हुआ । 12 करोड़  रुपये का उद्योंग के लिए  पैकेज दिया है । 
भारत में उत्पादन स्थानीय स्तर बनाना शुरू हो जाएगा । 
देसी समान खरीदने से  देश मजबूत होगा ।
विदेशी कंपनियां देश में घुसी हुई हैं   । असंभव से  कुछ भी  संभव नहीं है , बस संकल्प कीजिए । भारत तमाम चीजों में स्थानीय उत्पाद करता है । वही चीजें  ग्लोबल  ब्रांड बन सकती हैं ।
भारत का योग  , आयुर्वेद  तो  ग्लोबल तो हुआ है । योग से भारत्वभविष्य में नयी  कहानी गढ़ सकता है । योग तो  सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत है । हमारे पास अवसर आया है । बिजनेस बूम हो सकता है ।
- डॉ मंजु गुप्ता 
 मुंबई - महाराष्ट्र
भारत अपने आप में अनोखा देश बनता जा रहा है। इस देश ने दूसरों को सिखाया है तो खुद भी सीखा है। आर्थिक पैकेज की जरूरत तो निश्चित तौर पर पड़नी थी । हमारे प्रधानमंत्री ने भी यह पैकेज दिया है।
 लेकिन पैकेज का फायदा किसे मिलेगा और मिल रहा है इस पर भी नजर होनी चाहिए। दूसरी बात ये तो उद्योग-धंधों की बात है, जो खाली पेट बैठे हैं उनके लिए क्या? उद्योग के लिए कामगार कहाँ से आएंगे? छोटे फेरी वाले क्या करेंगे? 
अभी के हालात में तो सभी कंगाल हो गए हैं। खासकर मध्यम और निचला वर्ग । उनके लिए भी कुछ व्यवस्था करनी होगी।
इसके बाद का नारा 'लोकल को वोकल करना है' बहुत सही है। इस दौर में हमारे देश में भी अब हर तरह की चीजें बन सकती हैं , लेकिन हमें उसका प्रचार चाहिए, वैसी पसन्द चाहिए, गुणवत्ता चाहिए। 
मुझे उम्मीद है कि इस पैकेज से उद्योग आर्थिक त्रासदी से बाहर आ सकेगा और अपने पैरों पर खड़ा हो सकेगा ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
इस  महामारी  के  संकट  काल  में  आर्थिक  पैकेज, मानवीयता  के  लिए  बहुत  बड़ा  कदम  है, बहुत  बड़ी  राहत  है ।  साथ  ही   भारत  को  आत्मनिर्भर  बनाने  का  सशक्त  माध्यम  है  । 
         इससे  संकट  वाले  उद्योगों  को  संबल  मिलेगा । रोजगार  बचे  रहेंगे  । नये  रोजगार  के  अवसर  प्राप्त  होंगे  तो  रोजी-रोटी  की  समस्या  काफी  हद  तक  सुलझेगी  । 
       सूक्ष्म,  लघु  एवं  मध्यम  उद्योगों  पर  फोकस  रहने  के  कारण  कोरोना  महामारी  से  बचाव  के  निर्देशों  का पालन  करने  में  भी  अधिक  कठिनाई  का  सामना  नहीं  करना  पड़ेगा  । 
         सरकार  का  यह  सही  समय  पर  सही  कदम  चरमराती  जिन्दगी  और  आर्थिक  स्थिति  को  सुधारने  में  महत्वपूर्ण  योगदान  होगा  । आवश्यकता  है  इस  पैकेज  का  उपयोग  इमानदारी  से  वास्तविक  जरूरत  वाले  लोगों  तक  पहुंचाने  में  इमानदारी  बरती  जाए  । 
       भ्रष्टाचार  पर  नियंत्रण  होने  पर  ही  यह  सब  संभव  हो  सकता  है  । 
        - बसन्ती पंवार 
         जोधपुर - राजस्थान 

" मेरी दृष्टि में " सरकार ने आर्थिक पैकेज की घोषणा कर के कुछ आर्थिक सहायता देने का प्रयास किया जा रहा है । जिससे व्यापारियों को कुछ उम्मीद नज़र आने लगीं है । बाकी तो निकट भविष्य में स्पष्ट हो जाऐगा । फिर भी सरकार का आर्थिक पैकेज मील का पत्थर साबुन होगा । ऐसा सभी को उम्मीद हैं ।
                                                         - बीजेन्द्र जैमिनी
                                         
सम्मान पत्र






Comments

  1. में संगीता राजपूत जी के विचारों से सहमत हूं आपने बहुत ही सटीक आंकलन किया है जरूर ये आर्थिक पैकेज देश को एक नया रूप देगी

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