कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( सम्मान पत्र संंकलन ) - सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
सम्पादकीय
अग्रवाल जी का पागलपन
कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( लघुकथा संंकलन ) में शामिल सभी लघुकथाकारों को डिजिटल सम्मान पत्र देना शुरू ही किया । कुछ लोगों के पेट में दर्द शुरू हो गया । लगता हैं कहीं ना कहीं उन की दुकानदारी अवश्य प्रभावित हो गई है । नाम है दिल्ली से बलराम अग्रवाल
जिसने फेसबुक के " लघुकथा साहित्य " में 27 मई 2020 को एक पोस्ट डाली । जो मेरे व भारतीय लघुकथा विकास मंच के खिलाफ के साथ - साथ कोरोना वायरस का लॉकडाउन ( लघुकथा संंकलन ) में शामिल लघुकथाकारों को भी भला - बुरा लिखा गया ।
शुरुआत में सम्मान पत्र में प्रयोग प्रचलित वाक्य " उज्जवल " को लेकर हुईं । यहां पर स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मेरे से बहुत पहले से प्रचलित वाक्य " उज्जवल " का प्रयोग सम्मान पत्र में होता आ रहा है । इस का सबूत दस - पन्द्रह साल पुराने सम्मान पत्र मेरे पास भी सुरक्षित हैं । क्यों कि यह भारतीय साहित्य में प्रचलन वाक्य है । इस का ज्ञान बलराम अग्रवाल को नहीं हैं तो मैं क्या कर सकता हूँ ।
वास्तविकता यह है कि बलराम अग्रवाल जी लघुकथा साहित्य को अपनी सम्पत्ति मानते है । अगर कोई लघुकथा साहित्य पर कार्य करता है तो बलराम अग्रवाल को पेट दर्द शुरू हो जाता है फिर कुछ ना कुछ अवश्य करते हैं ।
अग्रवाल जी ने " भारतीय लघुकथा विकास मंच " के जिस सम्मान पत्र को छेड़छाड़ कर के जिस ढंग से अपनी पोस्ट में दिया है । यह कानूनी रूप से अपराध है । शायद यह ज्ञान अग्रवाल जी को नहीं है ।
आशा खन्नी व संदीप तोमर ने मयार्दा से बाहर जा कर, जिस तरह से , जो टिप्पणी की है । वह कम से कम साहित्य की भाषा नहीं कहीं जा सकती है ।
लोगों का यह सुझाव भी सामने आया है कि यह सम्मान पत्र वितरण स्थगित कर देना चाहिए । इस से स्पष्ट है कि ये एक सौ एक सम्मान किस तरह से कुछ लोगों के पेट दर्द का कारण बन गया है ।
अग्रवाल जी का उद्देश्य स्पष्ट नजर आता है कि मेरी छवि को खराब करना रहा है । अपने कुछ साथियों को साथ मिल कर ये अपराध किया है । मुझे लगता है कि अग्रवाल जी मानसिक रूप से पागल हो गयें है । इनके परिवार वालों को , किसी अच्छे डॉक्टर से अग्रवाल जी का इलाज करवाना चाहिए ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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सम्पादक : बीजेन्द्र जैमिनी
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बकवास बात।
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