क्या कोरोना पर अमेरिका - चीन का तनाव कम होगा ?

कोरोना वायरस ने दुनिया में बहुत अधिक बबाल मंचा रखा है । सब से बड़ी बात ये है कि अभी तक किसी की देश ने ऐसी कौई दवाई तैयार नहीं कर पाया है । जो कोरोना वायरस को खत्म कर सके ।  कोरोना का जन्म दाता चीन है । कोरोना को लेकर चीन ने अनेक गलती की है । इसको लेकर अमेरिका काफी गुस्से में है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है ।  अब देखते हैं आये विचारों को : -
जी नहीं , कोरोना पर चीन अमेरिका का तनाव कम नहीं होगा । चीन की अमानवीय  कपटी चाल को अमेरिका अच्छी तरह से जान गया है । चीन अमेरिका को मात दे के विश्व का सुपर हीरो बनाना चाहता है । 
अमेरिका ने चीन से व्यापार बंद करके चीन को आर्थिक मंदी  में डाल दिया ।
चीन अमेरिका के बीच का बढ़ता तनाव हमें विश्वयुद्ध की तरफ  ले जा रहा है ।कोरोना से तबाह हुआ
 विश्व और  अमेरिका चीन को जिम्मेदार मान रहा है । चीन और अमेरिका दोनों विश्व की परमाणु सैन्य महाशक्तियां हैं ।चीन ने दुनिया को कोरोना में फँसा कर के खुद चीन परमाणु परीक्षण करने में लगा है । दक्षिण  चीन सागर में परमाणु हथियार के जखीरे दिख रहे हैं । चीन अमेरिका की दुश्मनी बढ़ती जा रही है  जिससे  दक्षिण चीन सागर में  तृतीय  युद्ध के  परमाणु प्रलय के शोले सुलग  रहे हैं और दक्षिण चीन सागर में घातक हथियारों की होड़ मानवता के लिए खतरा है । कोरोना काल में चीन और अमेरिका के फाइटर जेट आमने - सामने खड़े हैं । अमेरिका , चीन के  परमाणु युद्ध में ड्रैगन  तीन गुणा  हथियार बढ़ाना चाहता है जिससे सामरिक मोर्चे पर चक्रव्यूह  तैयार करने में जुटा  है । चीन ने अपनी अर्थव्यवस्था मजबूत करने के लिए दक्षिण चीन सागर के 90 प्रतिशत भाग पर कब्जा कर लिया है । अमेरिका चीन के इस कदम के खिलाफ है । अमेरिका चीन को विश्व का सुपर पॉवर बनने का सपना चकनाचूर करना चाहता है । अमेरिका दुनिया को एकजुट करके एंटी ड्रैगन बना रहा है । कोरोना की वजह से चीन अब दुनिया के निशाने पर है ।भारत सहित पूरे एशिया में युद्ध का खतरा मंडरा रहा है ।अमेरिका के पास 1900 परमाणु बम हैं ।वहीं चीन के पास 230 परमाणु बम हैं ।अमेरिका के पास 1900 किलोमीटर तक सतह से सतह तक मार करने वाली मिसाइलें हैं । चीन के पास 1400 हजार  तक मार करने वाली मिसाइलें हैं ।ये  दोनों देश जल , थल , नभ से हमला करने की तैयारी में जुटे हैं । जंग की अगुवाई  करने में खड़े हैं चीन और अमेरिका ।
- डॉ मंजु गुप्ता
 मुंबई - महाराष्ट्र
करोना पर अमेरिका और चीन का दबाव कभी कम नहीं हो सकता क्योंकि चीन ने इस महामारी को पूरे विश्व में फैला दिया है और सबसे ज्यादा क्षति तो अमेरिका की हुई है अमेरिका में सबसे ज्यादा व्यक्ति मारे गए हैं और डब्ल्यूएचओ को सबसे ज्यादा फंडिंग अमेरिका ही करता है फिर भी उसने अमेरिका को सावधान नहीं किया इसलिए वहां के राष्ट्रपति जी ने उसकी फंडिंग भी बंद कर दी है वह चीन के ऊपर बहुत नाराज है और उन्होंने कहां है कि इसकी सख्त कार्रवाई होगी इस कारण बहुत सारी अमेरिकन कंपनी भी चीज से के साथ अपना व्यवसाय नहीं कर रहे हैं और उसने कठोर पाबंदी भी लगा दी है।क्योंकि इस वायरस के बारे में जानकारी चाहिए किसी को नहीं दी और ना ही किसी भी देश की सहायता मांगी और सबको एक महामारी के कगार पर लाकर खड़ा कर दिया है हजारों लोग बेघर हो गए हैं किसी के पास कोई ना नौकरी खाने-पीने तबाही और कितनी राष्ट्र की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है और सब लोग एक मौत के कगार में खड़े हो गए हैं यह भय जाने कब तक चलेगा प्ले के बाद यह सबसे बड़ी महामारी है इसलिए पूरे विश्व को चीन के खिलाफ कार्यवाही करनी चाहिए और उसको अलग-थलग खड़े कर देना चाहिए यह वायरस कहां से आया उसकी लाख से उत्पन्न हुआ या मांस खाने के कारण उत्पन्न हुआ है इस बारे में भी वह कहीं सही जानकारी नहीं दे रहा है जानकारी के अभाव पर टीके और दवाइयां बनना भी संभव नहीं है वह एक आवश्यक है उसने ऐसा लगता है कि पूरे जैविक बम बनाकर पूरे विश्व को एक अनजाने युद्ध के कगार में लाकर खड़ा कर दिया है और अपनी गलती मान भी नहीं रहा है सबसे बड़ी बात है चोरी और सीनाजोरी भी कर रहा है हमारा तो पहले से ही दुश्मन है और अब यह वायरस की दुश्मनी तो उसने सभी राष्ट्र के साथ मोल ले ली है।मेरा मानना है कि सभी रास्तों को उसके को अलग कर देना चाहिए और उसकी वीटो पावर को भी छीन लेना चाहिए तब उसको सबक मिलेगा। सुपर पावर बनने की चाहत में उसने यह सब किया है।
जान है तो जहान है हम घर पर रहें सुरक्षित रहें और स्वस्थ रहें।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर -  मध्य प्रदेश
अमेरिका के जॉन हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक देश में कम से कम 1,178 लोगों की मौत कोविड-19 के कारण हो गई है. 83,000 पॉजिटिव केस के साथ अमेरिका ने अब इटली और चीन को कोरोना वायरस के मामले में पीछे छोड़ दिया है.कोरोना वायरस की महामारी में दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका अब इटली और चीन को पीछे छोड़ते हुए पॉजिटिव मामलों की संख्या में सबसे आगे निकल गया है. यह ऐसा तमगा है जो अमेरिका को कभी नहीं चाहिए होगा, लेकिन यह सच है कि वह इसे ना चाहते हुए भी पा गया है. अभी तक दुनिया भर में सबसे अधिक मौतें इस महामारी के कारण इटली में हुई हैं.
चीन के वुहान से निकला वायरस पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले चुका है. चीन में भी वायरस के कारण मरने वालों की संख्या 3200 के पार पहुंच गई है. महामारी की मार अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी गहरी पड़ी है. महामारी के कारण अमेरिका में बेरोजगारी भी बढ़ गई है. अमेरिका में एक हफ्ते में 30 लाख से अधिक लोगों ने खुद को बेरोजगार के तौर पर रजिस्टर करवाया है.  इससे पहले 1982 में बड़ी मात्रा में बेरोजगारों की संख्या बढ़ी थी.  तब 7 लाख लोगों ने बेरोजगार के तौर पर अपना नाम दर्ज करवाया था.
अमेरिका में करीब 40 फीसदी लोग लॉकडाउन में हैं, ट्रंप ने नागरिकों से घर पर रहने और सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह दी है. दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में हर क्षेत्र में नौकरियां  जा रही हैं चाहे वह फूड सर्विस हो या फिर रिटेल या परिवहन. गैर जरूरी सेवाएं देश में बंद होने के कारण बेरोजगारी का यह आलम है. न्यूयार्क के मेयर बिल डे ब्लासियो ने पत्रकारों से कहा, "यह चौंका देने वाला है. अभी हम सिर्फ शुरुआती संख्या देख रहे हैं. दुर्भाग्य से वह और खराब हो जाएगी." उनका अनुमान है कि शहर के पांच लाख लोग अपनी नौकरी इस महामारी के कारण गंवा देंगे.
बता दें कि इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) पर बड़ा आरोप हुए कहा था कि कोरोना वायरस के मामले में डब्ल्यूएचओ ने चीन का पक्ष लेकर उसे बचाने की कोशिश की है.
ट्रंप ने व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से बात करते हुए कहा था कि डब्ल्यूएचओ लगातार चीन का पक्ष लेकर उसे बचाता रहा है. यदि दुनिया को पहले से इसकी जानकारी होती तो इतनी जानें नहीं जातीं.
इससे पहले ट्रंप ने कोरोना वायरस को चीनी वायरस तक कह डाला था. ट्रंप ने बीते सप्ताह कहा था कि चीन कोरोना वायरस के फैलने के लिए जिम्मेदार है. उन्होंने कहा था कि यह शब्द उचित है क्योंकि वायरस का केंद्र चीन का वुहान शहर है.
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा कि बीते बीस साल में चीन से पांच महामारी आई है और इसे किसी ने किसी बिंदू पर तो रोकना ही होगा. उन्होंने दुनियाभर में 2,50,000 लोगों की जान लेने वाली महामारी कोरोना वायरस के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया. ओ ब्रायन ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में संवाददाताओं से कहा, ‘‘दुनियाभर के लोग खड़े होंगे और चीन की सरकार से कहेंगे कि ‘हम चीन से निकल रही इन महामारियों को सहन नहीं करेंगे,' फिर चाहे ये पशु बाजारों से निकल रही हो या फिर प्रयोगशालाओं से.''
उन्होंने कहा, ‘‘हमें पता है कि यह (कोरोना वायरस महामारी) वुहान से निकली है और परिस्थितिजन्य सबूत हैं जो बताते हैं कि यह किसी प्रयोगशाला या पशु बाजार से निकली है.''
एनएसए ने कहा, ‘‘बीते 20 साल में चीन से पांच महामारी निकली। सार्स, एवियन फ्लू, स्वाइन फ्लू और अब कोविड-19. जन स्वास्थ्य के ऐसे भयावह हालात के साथ दुनिया आखिर कैसे रह सकती है जिसकी शुरुआत चीन से हुई और फिर यह पूरी दुनिया में फैल गया.'' उन्होंने यह नहीं बताया कि चीन से निकली पांचवी महामारी कौन सी है.
ओ ब्रायन ने कहा, ‘‘इसे कहीं न कहीं तो रोकना होगा. हमने चीन को मदद के लिए स्वास्थ्य पेशेवरों को भेजने का प्रस्ताव दिया था जो उन्होंने अस्वीकार कर दिया.''
विश्वभर में कोरोना वायरस के कारण 2.58 लाख लोगों की जान जा चुकी है और 37.43 लाख के करीब लोग संक्रमित हैं.
कुछ तो हल जल्दी  निकालनाहोगा  तभी दुनियाँ को बचाया जा सकता है
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
अमेरिका में हुई मौतों के लिए अमेरिका चीन को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है और लगातार चीन पर तीखी टिप्पणी कर रहा है । तथा इस कोरोना उत्त्पत्ति के प्रमुख कारणों और जनदाता की जांच कराने की बात कह रहा है । हालांकि अब न केवल अमेरिका बल्कि लगभग 123 देशो ने कोरोना के पैदा होने व इसके फैलने अथवा फैलाने के लिए जांच की मांग की है । और यह सही भी है कि जब पूरी दुनिया में कोरोना से हाहाकार मचा हुआ है और विश्व मे हुई लोगो की संख्या मौतों की संख्या लाखो को पार करने पर आमादा हो तो ऐसे में जांच का होना अतिआवश्यक हो जाता है ।
इस वायरस ने अमेरिका में जो तबाही मचाई है और जिस प्रकार लोगो की जिंदगी को लील लिया है , ऐसे में अमेरिका का तनावग्रस्त होना लाजमी है । वही यधपि अमेरिका चीन पर कोरोना फैलाने की साजिश रचने की बात कहते हुए सबूत होने की बात कह रहा है तो सम्पूर्ण विश्व को सबूतों के मद्देनजर अमेरिका का साथ देते हुए चीन के इस बददिमाग को ठिकाने पर लाना होगा । वही जाँच की बात होते ही चीन का बौखलाना भी इस बात को दर्शाता है कि चीन विश्व के लिये कहीं न कही खतरा बना हुआ है । इस समय तनाव न देखकर सबूतों के आधार पर कार्यवाही करने की आवश्यकता है ताकि भविष्य में कोई भी देश बायलोजिकल वेपन्स का इस्तेमाल कर विश्व को संकट में न डाल सके । 
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप के तमाम देश कोरोना रूपी महामारी में अपने लाखों नागरिकों को खो चुके हैं और अभी इस महामारी का कहर जारी है। साथ ही कोरोना से उत्पन्न परिस्थितियों ने उन्हें आर्थिक क्षेत्र में दशकों पीछे ले जाकर खड़ा कर दिया है। विश्व के अनेक देशों के साथ-साथ कोरोना ने अमेरिका पर सबसे भीषण प्रहार किया है। 
यह वायरस चीन में पैदा हुआ है इसकी पुष्टि हो चुकी है। साथ ही अमेरिका का तो स्पष्ट कहना है कि इस वायरस को चीन ने पैदा किया है और पूरे विश्व में इसके प्रसार के लिए चीन पूरी तरह से जिम्मेदार है। इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि चीन को सबक सिखाया जायेगा। उनके इस कथन का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से विश्व के लगभग 123 देशों ने समर्थन किया है। अमेरिका ही नहीं लगभग सभी देशों के कोरोना के मामले में चीन के साथ कड़वे अनुभव हैं। चीन ने इस संकटकाल में विश्व के देशों से कोरोना संबंधी खबरें छिपाने, बेकार मेडिकल सामग्री देने जैसे अमानवीय कार्य किये हैं।
चीन का प्रमाणों सहित पर्दाफाश भविष्य के गर्भ में छिपा है परन्तु अमेरिका प्रथमदृष्टया चीन को कोरोना का अपराधी घोषित कर चुका है।
इसलिए यह कहना उचित नहीं है कि कोरोना पर अमेरिका - चीन के मध्य तनाव कम होगा बल्कि नागरिकों की मौतों की संख्या में जितनी अधिक वृद्धि होती जायेगी, यह तनाव उतना ही अधिक बढ़ता जायेगा।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
कोरोना से संक्रमित लोगों का वैश्विक संख्या 48.18,296 तक पहुँच गई है, जिसमे मृतको की संख्या 3,16,925 हो गई है। कोरोना से दुनिया भर में अमेरिका सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। अमेरिका में मृतकों की संख्या 91,978 सहित सर्वाधिक 15,27,935 मामले दर्ज किए गए हैं। अमेरिका शुरू से ही कोरोना वायरस फैलाने के लिए चीन को दोषी ठहरा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को चारों तरफ से घेरने के लिए ठोस रणनीति बनाकर चल रहे हैं। जैमिनी अकादमी द्वारा पेश मंगलवार की चर्चा में   सवाल उठाया गया है कि क्या कोरोना पर अमेरिका-चीन का तनाव कम होगा ? कोरोना पर अमेरिका चीन को हर हाल में सबक सिखाना चाहता है। इसके लिए वह चीन से अपना सभी तरह के कारोबार को समेटकर अपने देश लाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। चीन पर दबाव डालने के लिए अमेरिका ने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर भी दबाव दिया है। इसके लिए राष्ट्रपति ट्रंप ने सहयोग राशि को भी देने से मना कर दिया है। कोरोना वायरस के संक्रमण का असली स्रोत  की मांग करने वाले दुनिया के 62 देशों में भारत भी शामिल हो गया है। दुनिया के ये देश भी जानना चाहते है कि आखिर वायरस कैसे और किस तरह से इंसानो तक पहुचा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सोमवार को हुई वर्चुअल सभा की शुरुआत की। इसे दुनियाभर के राजनेताओं ने अपने केन्द्रों से संबोधित किया। सवालों में घिरे चीन के रुख को सभी की निगाहें थी।  विश्व स्वास्थ्य संगठन की सभा मे चीन ने दो अरब डॉलर अनुदान के साथ कोरोना की जांच में सहयोग करने का आश्वासन दिया ताकि वो आलोचनाओ से बच सके। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप चीन को बहुत ही कठोर दंड देने का निर्णय ले चुके है ताकि चीन ने जिस तरह से दुनियाभर में कोरोना वायरस फैलाकर तबाही मचाई है वो इस तरह की दोबारा हरकत करने की बात सपने में भी नही सोच सके। ट्रंप का दावा है कि चीन ने कोरोना वायरस को अपने ही लैब  में तैयार कर दुनियाभर में फैलाया है। विश्व मे कोरोना से जो तबाही मची है उसका सूत्रधार चीन ही है। हालांकि चीन ने भी पूर्व में कोरोना वायरस के लिए अमेरिका पर आरोप लगाया था। वैसे दुनियाभर के 62 देश चीन से अपना कारोबार को समेटने की तैयारी में है उसमें भारत भी है। इन परिस्थितियों में कोरोना पर अमेरिका व चीन के बीच तनाव कम  होने की संभावना दूर दूर तक नही दिख रहा है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
करोना पर अमेरिका चीन का तनाव कम होना संभव ही नहीं है! तब जबकि अमेरिका में करोना से मरने वालों  की संख्या एक लाख तक पहुँची है और पीड़ित संख्या एक लाख अस्सी हजार है! सबसे ज्यादा क्षति अमेरिका को हुई है ! समस्त विश्व इस महामारी के गिरफ्त में आ गया है! 
4 महीने पहले यह महामारी वुहान में आई किंतु चीन ने किसी को कानो कान खबर न होने दी !संक्रमण के भयावह स्थिति आने पर कहा लाइलाज वायरस फैला है!  देर हो चुकी थी तबतक वैश्विक महामारी का रूप ले चुका था? डोनाल्ड ट्रंप चीन वायरस के नाम से ही पुकारते हैं! 
 WHO ने भी भी चीन का ही पक्ष लिया जबकि WHO को फण्ड अमेरिका ही सबसे ज्यादा फंड देता है! 
ताजा रिपोर्ट के अनुसार WHO चीन के खिलाफ हो गया है!
वुहान से जुड़ा है कोरोना  का बवंडर! विश्व ने कहा है करोना का श्रौत वुहान मार्केट और लैब है! चीन के जैविक लैब में करोना के वायरस को नष्ट करना पड़ा ऐसा चीन कह रहा है! 
तमाम देश का आर्थिक ग्राफ गिरा चीन स्वयं सुपर पावर बनना चाहता था! विश्व में उसका माल जाता है! 
अब 62 देशों ने चीन के खिलाफ अपना शिकंजा कसा है उसमे भारत भी है! दुनिया भर के साथ विचार विमर्श कर निर्णय लिया जायेगा! 
"दुनिया करेगी चीन का कोरोना  इलाज " 
अमेरिका यूरोप एवं अन्य देश उसकी (रीड की हड्डी )आर्थिक व्यवस्था को ही तोड़ दे वही उसका दंड है  ! फिर भी पहले पता चलता तो इतनी जाने न जाती! 
कहना गलत न होगा सुपर पावर बनना चाहता है इसलिए चीन ने अमेरिका को हराने के लिये पूरे विश्व को लपेटा में  ले जैविक विश्व युद्ध छेडा़ है !  
चूंकि चीन मे लोकतंत्र नही है अतः उसकी किसी भी बात पर विश्वास न कर माल न ले ताकि उद्योग  पर असर पडे़एवं अर्थव्यस्था गिर जाए! सबक तो देना ही है! ड्रैगन दूसरी बार आंख न उठाए!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
कोरोना महा बीमारी के लिए यदि सीधे तौर पर कोई देश जिम्मेदार है तो वह चीन है। बहुत दिनों तक कोरूणा से संबंधित जानकारी संपूर्ण विश्व से छिपाए रखने के कारण आज अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश चीन से नाराज है तो इसके पीछे यही एक ठोस कारण भी है।
ना केवल चीन ने इस बीमारी के जन्म लेने के विषय में कोई सही जानकारी दी, और ना ही इस बीमारी को फैलाने के बाद इसकी जिम्मेदारी ली। चीन लगातार इस खतरनाक स्थिति को पैदा करने के आरोपों से अपने आपको अलग करता रहा है।जबकि कई खुफिया जानकारी लीक होने के बाद संपूर्ण विश्व के सामने यह स्थिति स्पष्ट हो गई थी किस बीमारी का जन्मदाता चीन है और संपूर्ण विश्व को बहुत समय तक भ्रम की स्थिति में रखने का अपराधी भी चीन ही है।
अमेरिका आज विश्व का सबसे शक्तिशाली देश है, और विश्व की कई प्रमुख संस्थाओं मैं उसका सीधे सीधे हस्तक्षेप भी है। विश्व के स्वास्थ्य, व्यापार, युद्ध क्षेत्र, आदि कई क्षेत्रों में अमेरिका का विश्व में दबदबा कायम है। एक शक्तिशाली देश होने के नाते यह अमेरिका का दायित्व भी है, कि वह विश्व के अन्य देशों को समान समझते हुए किसी भी देश द्वारा की गई अनीति पूर्ण हरकत को संज्ञान में लेते हुए उस पर कार्रवाई करें।
विश्व के लगभग 123 देशों ने चीन में फैली इस बीमारी की जांच करवाइए अपना समर्थन दिया किंतु चीन बहुत समय तक इससे भी इंकार करता रहा।यही अमेरिका और चीन के बीच तनाव की वजह बना।लेकिन अब चीन ने अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते आईआईएस जांच को मंजूरी दे दी है। अतः लगता है कि शायद अब दोनो देशों के बीच तनाव कुछ कम हो सकेगा।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
कोरोना पर चीन  अमेरिका के बिच तनाव फिलाल में तो कम होता दिखाई नही देता हैं जब तक कोरोना वायरस की असली पुष्ट भूमी सामने नही आ जाती की यह वायरस आखिर प्राकृतीक हैं या मानव द्वारा रचित कोई जीवानु वायरस हैं जो अपने दूश्मन देशो को जमिन पर लाने के लिये त्यार किया गया हैं।ओर यदी यह साबित होता हैं की यह वायरस चिन द्वारा निर्मित कोई वायरस हैं तो यकिन मान्ना तिसरा महायुद्ध तय हैं वैसे यह साबित करना बढ़ा मुश्किल हैं किन्तु जैसी आशंका लगाई जा रही हैं वह सच होते ही दुनियाँ भर के देश अपनी भड़ास निकालेंगे अमिरिका हाल फिलाल में कोरोना से सबसे ज्यादा परेशान हैं जान मान की हानी तो उसे हुई हैं किन्तु आर्थिक स्तथि भी नाजुक दौर में पहुच चुकी हैं ईश्वर से सभी प्राथणा करे की कोरोना वायरस चिन की चाल न हो तब तो सब ठिक हैं वर्ना चिन अमेरिका का महायुद्ध तय हैं देखते हैं आगे आगे होता हैं क्या?
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
पूरे विश्व में कोरोना वायरस का तनाव बना हुआ है चीन हो या अमेरिका इटली या जापान सभी देशों में करुणा अपना आतंक मचाए हुए हैं लेकिन को रोना की शुरुआत कहां से हुई इस विषय पर न्यूज़ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि चीन ने इसकी पहल की है चीन के प्रयोगशाला में यह वायरस बनाया गया साथ ही साथ पशुओं में इसे इंजेक्ट कर मार्केट में भेज दिया गया इसके अतिरिक्त बुहान में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को भिंड भिंड देशों में भेज कर इस संक्रमण को फैलाया गया है आज विश्व का बहुत सारा देश वायरस के चपेट में उलझ कर रह गया है चीन एक ऐसा देश है जो समय समय पर किसी न किसी तरह से अनेक बीमारियों को फैलाता रहता है स्वाइन फ्लू भी चीन की ही देन है इस तरह चीन से शुरुआत हुआ यह बीमारी आज पूरे विश्व में तांडव नृत्य कर रहा है अमेरिका में भी यह ऐसा संक्रमण फैला है की कंट्रोल के बाहर हो गया है अभी तक इसके बचाव के किसी भी प्रकार की दवाइयां नहीं निकल पाए हैं और न वैक्सीन ही निकल पाया है शुरू शुरू में वैज्ञानिकों द्वारा या माना गया था कि वातावरण के तापमान को तापमान के बढ़ने से यह संक्रमण अपने आप कम हो जाएगा पर ऐसा नहीं देखा गया है आए दिन संक्रमण का रफ्तार 10 गुना बढ़ता गया है इस तरह चीन अमेरिका भी इस तनाव से परेशान हैं
विश्व की अर्थव्यवस्था ही चरमरा गई है अमेरिका में तो बेरोजगारी की समस्याएं बढ़ गई हैं लॉक डाउन सभी जगह होने के कारण आवागमन की सुविधा उपलब्ध नहीं है फल स्वरूप जो व्यक्ति जहां है वहां ही फंसा हुआ है।
चीन इस बात को मानने से इंकार कर रहा है कि यह वायरस चीन से ही निकला है।
अमेरिका और अन्य देश चीन से इस बात से बहुत ही क्रोधित है और चीन को सबक सिखाने के लिए तरह-तरह के योजना को बना रहा है।
भारत भारत भी इस संक्रमण से प्रभावित है ।
- डॉ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
     भारतीय संस्कृति में पूर्व से ही अपने परिवार के साथ मिल कर, अनेकों प्रकार से हमला करवाया हैं।
जिसका दुष्परिणाम गंभीर होते चले गये। व्यापार करने के उद्देश्य से आये और पूर्ण रुप से छा गये जिन्हें बहुत  मुश्किल से रवाना करना पड़ा था, कहां सोने की चिड़िया कहलाने वाला देश चिंता ग्रस्त से छुटकारा पाने में सफल तो हो गया, किन्तु शिक्षा पद्धति तथा व्यापारिक दृष्टिकोण से राहत नहीं मिली। उन्हीं के पद चिन्हों पर अग्रसर था। आज भी अधिकांशतः भारतीय अमेरिका-चीन में निवेश कर रहे हैं।  वहीं से अप्राकृतिक कोरोना आपदाओं का प्रवेश हुआ, भारत की स्थिति में नियंत्रण तो अल्प कालीन हुआ हैं, किन्तु अमेरिका-चीन का तनाव कम नहीं बल्कि बढ़ता जा रहा हैं। भारत एक गर्म देश हैं,  जिसने प्राकृतिक संसाधनों के बीच जीवन को पुनः जीवित अवस्था में पहुँचा। अमेरिका-चीन चिकित्सा पद्धति पर विश्वास करता हैं। यही भारतीय संस्कृति की पहचान हैं।  अमेरिका-चीन को कोरोना महामारी से तनाव कम करने के लिए लम्बी दूरी तय करनी पड़ेगी।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
 बालाघाट - मध्यप्रदेश
 कहा जाता है कि किसी नासमझी से किया गया कार्य अगर दूसरों के लिए समस्या पैदा करती है तो समस्या उत्पन्न करने वाले के लिए प्रतिशोध रूपी तनाव उग्रता के रूप में व्यक्त होता ही है। यह मानव की नासमझी का मूल प्रवृत्ति है। समस्या में गिरा हुआ व्यक्ति प्रतिशोध व समस्या उत्पन्न करने वाले को समस्या में डालने का प्रयास जरूर करता है। उसे सबक मिलने से ही बाज आएगा अर्थात समस्या देने वाले को समस्या देकर ठीक किया जा सकता है ऐसी मान्यता है ऐसे वर्तमान के लोग सोचते भी हैं ऐसा करते भी हैं ।लेकिन भय वश समस्या उत्पन्न करने वाला व्यक्ति कुछ समय के लिए गलत हरकत नहीं करता भय और दबाव से माहौल शांत करने के लिए चुप बैठा रहता है। लेकिन लंबी औरतों के बाद उसका शैतानी बुद्धि पुनः अवसर पाते ही समस्या खड़ा करने में लग जाता है। मत्सर्य यह प्रकृति के लोग ऐसा ही अन्य के साथ हरकत करते हैं। चीन मात्सर्य मानसिकता वाला देश है। अपने को सुपर बनने की महत्वाकांक्षा में सर्व सुख के बारे में नहीं सोचता उसे लगता है कि इस धरती का मालिक मुझे ही बनना है और अज्ञानता वश सुपर बनने में अपने मन तन धन को औरों की व्यवस्था में लगा देता है दूसरों का शोषण कर समस्या में डाल देता है ताकि लोग में भय टेंशन धन जन का अभाव हो और मैं सर्वशक्तिमान बनकर विश्व में मनमानी राज करूं ऐसा ही मानसिकता वाला देश चीन अपने स्वार्थ पूरा करने के लिए विश्व में करुणा को पैदा कर महामारी संक्रामक रोग को बुलावा दिया है। कहावत है दर्शन का जो व्यक्ति दूसरों का शोषण करता है वह आज नहीं तो कल जरूर सूचित होता है क्योंकि प्रकृति में हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है आज नहीं तो कल लगता है चीन का शोषित होने का दिन आ गया है तभी पूरे विश्व के लोग चीन से अपेक्षा नहीं उपेक्षा कर रहे हैं उससे सबक सिखाने के बारे में सोच रहे हैं। इतना बड़ा दुख देने वाला चिन्ह क्या खाक सुख चैन से रह पाएगा। एक सूत्र है "दुखी दुख बाटता है सुखी सुख बाँटता है जिसके पास जो होता है वही बाँटता है।" चीन दुखी देश है जिस देश के पास सर्व सुख के कल्याण के बारे में समझ विचार नहीं होता वह देश जिंदा रहता है भौतिक वस्तु के बल पर लेकिन जीता नहीं है समझ के बल पर। सर्व सुख की कामना करते हैं सर्व सुख के लिए योजना बनाता है सर्व सुख के लिए विचार करता है ऐसा व्यवहार कार्य करने वाला देश निरंतर सुख पूर्वक जीने का प्रयास करता है सूत्र है सर्व सुख में मेरा शुभ समाया हुआ है सर्व सुख में ही इस धरा पर रहने वाले प्रत्येक वस्तु का सुख समाया हुआ है। चिन्ह क्या समझेगा शूक्ष्मअस्तित्ववाद ज्ञान को हमारे देश में ऐसा विचार करने वाले मनुष्य आज भी देखने को मिलता है इसीलिए भारत को विश्वगुरु माना जाता है। एक सूत्र है सुधार ही दंड है। हर मनुष्य किसी को दंड देता है तो सुधार की अपेक्षा से ही देता है अगर चीन अपनी गलती स्वीकार कर भविष्य में और गलती ना हो इसका संकल्प लेता है तो तनाव कुछ कम होने की संभावना बन सकता है। जब तक चीन अपना अपराध स्वीकार नहीं करेगा बल्कि दूसरों के ऊपर अपराध को आरोपित करेगा और उनका अन्य देशों के साथ करेगा तो निश्चित ही अमेरिका चीन का तनाव कम नहीं बल्कि उग्र रूप धारण करेगा जिसमें और विनाश की स्थिति बनेगा क्या होगा भविष्य में यह वक्त ही बताएगा फिलहाल अभी परिस्थिति वश विश्व के मानव जाति को करुणा से निजात पाने के लिए चिंतन और संयम की आवश्यकता है इस आवश्यकता को सफल बनाने में हम सब को भागीदारी करना है ,धैर्य के साथ।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
कोरोना ने विश्व को अपनी चपेट में लिया है जिसका व्यापक असर अमेरिका इटली जैसे संपन्न राष्ट्रों पर हुआ है ।भारत भी अछूता नहीं है। अमेरिका इतने बड़े पैमाने पर आर्थिक ,औद्योगिक और कहीं न कहीं मानसिक हानि को झेल नहीं पाया। और इसके लिए वह पूरी तरह से चीन को जिम्मेदार मानता है ,जो कि चीन जिम्मेदार है भी। आखिर क्यों उसने अपनी प्रयोगशालाओं में 1500 तरह के वायरस का जखीरा सुरक्षित रखा है ?अभी तो कोरोना ने जान माल की हानि की है आगे चीन की नीयत संदेहास्पद है। अतः अभी फिलहाल तो कोरोना पर अमेरिकि-चीन का तनाव मेरे ख्याल से कम नहीं होगा।
- मनोरमा जैन पाखी 
भिण्ड - मध्यप्रदेश
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात ,  बिल्कुल सच होगी  पर ये बात ।
ड्रैगन  पर  कहर  बनकर , 
टू टे गा   ये   कोरो ना कांड ।
          अमेरिका शुरू से ही कह रहा है की  कोरो ना वायरस चीन ने  ही अपनी बु हा न  लैब में बनाया है   । पश्चिमी  देशों  में  अमेरिका के  अलावा  खुलकर  अगर  कोई देश  चीन  का  सामना  कर  रहा है   तो  उसका  नाम  है  फ्रांस ।
 फ्रांस  को रोना   के  बारे  में  चीन की  आलोचना  ही  नहीं  कर  रहा बल्कि  ताइवान  के साथ  डिफेंस डील  पर  चीन  को  उसकी  जगह  भी  दिखा  रहा  है  जोकि चीन को किसी बुरे सपने से कम नहीं  ।
अमेरिका चीन की साम्राज्यवादी सोच को ध्वस्त करने  मेंlभारत  , इज रा इ ल  , दक्षिणी कोरिया अमे रि का  ,फ्रास   मिलकर  चीन  के  व्यापार को   त वा ह  करेंगे  ही ।
अमेरिका अब तक को रो ना के विषय में बार -पलटवार और तकरार युद्ध चल रहा था अमेरिका की को यह अधिकार है कि वह चीन के कीड़े -मकोड़ों की व्यापार पर प्रतिबंध लगा दे । अमेरिका का सीधा सीधा  इल्जा म है  कि चीन की लैब से ही निकला  है  कोरो ना वायरस ।  
             जिसका हरजाना पूरी दुनिया भुगत रही हैं   ।
चीन को चारों खाने चित करने के लिए सबसे पहले  W H O  के भुगतान  को  रोक दिया  तो चीन तिलमिला उठा ।
और   अमेरिका की न ई  ट्रेड डील   ची न  गले  की  हड्डी  बन  गई  ।
कोरोना वायरस बना 
                 चीन का गले का फंदा अपने ही खोदे गड ढे  में  
                 गिरा  चायनीज  बंदा
सभी देशों के साथ  चौपट 
                   हुआ चीन का धंधा  
चीन  का व्यापार बंद
            और चीन का गोरखधंधा 
              - रंजना  हरित                 
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
               वर्तमान समय में चीन तथा अमेरिका के बीच कोरोना वायरस के संक्रमण व फैलाव  को लेकर बहुत बड़ा तनाव उत्पन्न हो गया है। इस तरह का तनाव पूर्व के इतिहास में कहीं नजर नहीं आता है ।जल थल तथा वायु तीनों जगह चाइना अपनी विस्तार वादी नीतियों के कारण, दुष्ट  राष्ट्रों का साथ देने के कारण दुनिया के अन्य राष्ट्रों की नजर में किरकिरी बना हुआ है ।अपने पड़ोसी देशों के साथ बिगड़ते संबंधों के कारण आज बहुत कम राष्ट्र चीन के साथ खड़े हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तान तथा उत्तर कोरिया जैसे दुष्ट राष्ट्रों  के साथ चीन खड़ा रहा है ।इन सभी कारणों से अमेरिका तथा यूरोप के अन्य राष्ट्र भी उससे नाराज हैं। अमेरिका चीन के जल,थल तथा वायु क्षेत्र में   बढ़ते हुए अवैध कब्जों , दूसरों  राष्ट्रों  को ऋण के जाल में फंसा लेने के कारण चीन से पहले से ही  नाराज चल रहा था। कोरोना संक्रमण से अमेरिका दुनिया में सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है और इसकी जिम्मेदारी वह चीन  पर ही डालना चाहता है। चीन इसका विरोध कर रहा  है और इस कारण तनाव दिन प्रतिदिन बढ़ता चला जा रहा है। मेरे अनुभव में यह तनाव आने वाले समय में और भी ज्यादा बढ़ेगा। धन्यवाद 
- अरविंद श्रीवास्तव 'असीम' 
दतिया - मध्य प्रदेश
अब जबकि ये समाचार आया है कि अमेरिका में कोरोना मौतों की संख्या उससे कहीं ज्यादा है जितनी बताई जा रही है. ऐसे में लगातार हो रही कोरोना मौतों से भड़का डोनाल्ड ट्रंप का गुस्सा समझ में आता है. अमेरिका ने ठान लिया है कि अब वह चीन को सजा दे कर रहेगा. व्हाइट हाउस के सूत्रों से मीडिया को जानकारी मिली है कि अमेरिका चीन पर कई प्रतिबंध लगाने के अतिरिक्त उसके खिलाफ बहुत से दूसरे कदम भी उठाने जा रहा है.
दुनिया का सबसे बड़ा व्यापारी देश है चीन. सामरिक दृष्टि से वह शक्तिशाली तो है ही किन्तु उसकी कमज़ोर नस उसका व्यवसाय विस्तार है. उसकी इस नस को दबा कर ही प्रतिशोध लेने जा रहा है अमेरिका. जो आर्थिक प्रतिबंध अब अमेरिका चीन के खिलाफ लगाने की तैयारी कर रहा है, उससे चीन की आर्थिक मेरुदंड को बड़ी और कड़ी चोट पहुंचेगी.
कोरोना से अब तक दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है. इसने लोगों को घरों में कैद रहने के लिए मजबूर किया है. इसका असर तमाम अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर पड़ा है. माना जाता है कि यह वायरस पिछले साल चीन में वुहान के एक बाजार से फैलना शुरू हुआ. लेकिन, ऐसी भी अटकलें हैं कि इसे वुहान की ही टॉप-सीक्रेट लैब में तैयार किया गया.
कोविड-19 संकट ने ग्‍लोबल ग्रोथ को लेकर चिंता पैदा कर दी है. यही वजह है कि अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में हाल में तेज गिरावट देखने को मिली है. इसका असर दूसरे बाजारों पर भी पड़ा है.
अमेरिका में बेरोजगारी के ताजा आंकड़ों में दावा किया गया है कि 34 लाख और लोगों की नौकरी गई है
अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने कहा कि बीते बीस साल में चीन से पांच महामारी आई है और इसे किसी ने किसी बिंदू पर तो रोकना ही होगा.
कोरोना के संक्रमण की सबसे पहले पुष्टि चीन के हुबेई प्रांत में हुई थी। हुबेई की राजधानी वुहान इस वायरस से सबसे बुरी तरह प्रभावित है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिजियन झाउ ने गुरुवार को दावा किया कि कोरोना वायरस अमेरिका में जन्मा और हो सकता है कि वुहान में इसे लाने के पीछे अमेरिकी सेना हो।
अमेरिका में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (कोविड-19) से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 15 लाख के पार पहुंच गई है और इसके कारण होने वाली मौत का आंकड़ा 90 हजार से अधिक हो गया है
कोरोना वायरस को लेकर सारी दुनिया चीन पर आरोप लगाती रही कि उसने अपने यहां वायरस फैलने से रोकने की कोशिश समय पर नहीं की और बाकी दुनिया को भी अंधेरे में रखा. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) पर भी चीन का पक्ष लेने आरोप लगता रहा लेकिन WHO की ओर से कहा जा रहा है कि चीन इसपर और सफाई से जांच कर सकता है.
चीन में कोरोना वायरस के संक्रमण के बारे में चेतावनी देने वाले आठ व्हिसलब्लोअर में एक चीनी डॉक्टर ली वेनलियांग की गुरुवार को इस महामारी में मौत हो गई. वेनलियांग ने महामारी की जानकारी जब दी थी तब पुलिस ने उनका उत्पीड़न किया था.
सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने बताया कि 34 वर्षीय वेनलियांग ने अन्य डॉक्टरों को महामारी के बारे में चेतावनी देने की कोशिश की थी और उनकी गुरुवार को वुहान में कोरोना वायरस की वजह से मौत हो गई. वह पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने पिछले साल दिसंबर में वुहान में कोरोना वायरस के सामने आने की जानकारी दी थी.
अटॉर्नी जनरल एरिक शिमिट ने कहा, ‘कोरोना से दुनियाभर में लाखों लोगां की मौत हुई है। इसके लिए सीधे तौर पर चीन जिम्मेदार है। इसके अलावा देशों की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा है। मिसौरी में वायरस से हजारों लोग प्रभावित हुए हैं और कई मर चुके हैं। परिवार अपने प्रियजनों से बिछड़ गए हैं। छोटे कारोबार बंद हो रहे हैं तथा रोजाना कमाकर खाने वाले पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’
तनाव कम नहीं हो रहा दिन ब दिन बढ़ ही रहा है । 
कुछ भी हो यह वैश्विक महामारी ने सबको भयभीत कर रखा है , 
लाखो निर्दोषों की जान ले रहा है 
जिसने भी यह किया है सजा तो मिलनी  चाहिऐ । 
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
      जब चीन द्वारा दी गई कोरोना रूपी विश्व चुनौती का सामना सबसे अधिक अमेरिका को करना पड़ रहा है, तो अमेरिका चीन को दण्ड दिये बिना शांत कैसे हो सकता है? जबकि यह दोनों सशक्त देश बड़े व्यापारी हैं और घाटा खाना किसी को भी प्रिय नहीं है।
      उल्लेखनीय यह भी है कि उपरोक्त दोनों राष्ट्र शक्तिशाली एवं अविश्वसनीय हैं। दोनों ही शक्तियां वीटो पावर से लैस हैं। दोनों की नाक ऊंची है। जबकि चीन ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना प्रभुत्व उसके द्वारा कोरोना पर चीन के पक्ष में बयान दिलवा कर प्रमाणित कर दिया है। जिसके कारण अमेरिका तो क्या दूसरे वीटो पावर देश फ्रांस, रूस, यूके सहित विश्व के अन्य देश भी चीन पर नाराज़ एवं संयुक्त राष्ट्र संघ से निराशा हैं। क्योंकि समय रहते जानकारी न मिलने के कारण उचित उपचार संभव नहीं हुआ‌। जिसके फलस्वरूप प्रत्येक राष्ट्र अपने नागरिकों के अनमोल जीवन को बचाने में सफल नहीं हो सका। जिसके लिए समस्त देश अत्यंत दुखी हैं।
      सर्वविदित यह भी है कि चीन के कोरोना महामारी के कारण वैश्विक आर्थिक तंगी आ गई है। जिससे कोई भी व्यक्ति अथवा देश अछूता नहीं है। जिसका मूल जन्मदाता चीन है। इसलिए अमेरिका-चीन का तनाव कम नहीं हो सकता। भय यह भी है कि उपरोक्त तनाव कहीं तृतीय विश्व युद्ध का रूप धारण न कर ले।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कोरोना पर अमेरीका और चीन का तनाव जिस प्रकार दिखाई दे रहा है उसके कम होने की संभावना नही दिखाई देती है अमेरीका अब चीन पर लगाम कसना चाहता है अमेरीका की अार्थिक व्यवस्था को तो गहरा आघात पहुँचा ही है महाशक्ति के रूप मे उसकी छवि भी धूमिल हुई है बहुत अधिक नागरिको की जान गई है और अभी हालात काबू मे नही दिखते व हालात और खराब होते जा रहे हैं केवल अकेला अमेरीका ही नही दूसरे देश भी कोरोना के कारण अपने यहाँ उत्पन्न इस महामारी के संकट के लिए चीन को ही दोषी मान रहे हैं उन सभी का साथ अमेरीका को मिलता दिखाई दे रहा है अत: वर्तमान हालात में कोरोना पर अमेरीका-चीन का तनाव कम होगा इसकी संभावना कम ही दिख रही है।              - प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
कोरोना पर अमेरिका वा चीन में तनाव कम होने के अभी तक कोई संकेत या संभावना नहीं है ।ये स्वाभविक है कि जब चीन में सबसे पहले अक्तूबर में कोरोना का पहला मामला आया तो चीन ने विश्व को इसकी भनक तक नहीं लगने दी ।जब नवम्बर में बुहान में स्थिति बेकाबू हो गयी तो चीन ने स्वीकार किया कि बुहान से एक वायरस फैला है जो लाईलाज है ।चीन ने ना तो दुनिया के साथ वायरस बारे जानकारियां सांझा की ना ही अपने देश में अन्य देशों के वैज्ञानिकों को जाने की स्वीकृति ही दी ।एक शंका तो ये भी है कि क्यूंकि चीन की काफी प्रयोग शालायें बुहान में ही कार्य रत है तो आशंका है कि ये वायरस किसी लैब से निकला है ।
क्यूंकि चीन में लोक तंत्र नहीं है यही कारण है कि सारा विश्व चीन पर और उसकी बातों पर विस्वास  नहीं करता । पश्चिमी देशों और अमेरिका समेत दुनिया के 200से भी अधिक देश आज इस कोरोना महामारी की गिरफ्त में आ चुके हैं ।वहां अबतक तीन लाख से ज्यादा अभागे लोग काल का ग्रास बन चुके है।
ऐसे माहौल में अमेरिका के आरोप गलत नहीं जिसके यहां 70हजार के करीब मौतें हो चुकी हैं ।ये विवाद एक विश्व युध का रुप भी ले सकता है ।।
   - सुरेन्द्र मिन्हास
 बिलासपुर - हिमाचल  प्रदेश
कोरोना पर अमेरिका - चीन का तनाव अभी कम नही क्योकि चीन अपनी गलती स्वीकार नही कर रहा है। अमेरिका क्या पूरा विश्व समुदाय चीन से नफरत करने लगा है। चीन जैसे चालाक जो अपने आप को होशियार समझता है अब होशियारी नही। सबसे भला यही है कि चीन को अपनी गलती मान लेना चाहिए। नही तो अमेरिका क्या पूरा विश्व के साथ चीन का तनाव हो सकता है और हो सकता इसकी सजा भी चीन को भुकतना पड़े।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
संबंधों का आधार आपसी सौहार्द , व्यवहार , मेलजोल और बर्ताव  पर निर्भर है । संबंधों में मधुरता और कटुता व्यवहार और बर्ताव निर्धारित करते हैं । जबसे  चीन की वुहान प्रयोगशाला से लीक होकर कोरोना वायरस ने दुनिया में दहशत और मौत का तांडव मचाया है तबसे अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर चीन की ओर लगातार दूसरी उंगलियां उठ रही हैं । अमरीका और चीन दोनों के सम्बन्धों में तनाव बना हुआ है । कारण स्पष्ट है । कोरोना संक्रमण की वजह से देश दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है । जान - माल का भारी नुकसान हुआ है । अमरीका चीन के रवैए से सख्त नाराज है । क्योंकि चीन ने डब्ल्यू एच ओ से मिलकर कोरोना संक्रमण की प्रारम्भिक जाँच , आँकड़ों  , रिपोर्ट और तथ्यों को नष्ट कर दिया । सम्पूर्ण स्थिति को छुपाए रखा  । अमरीका जहाँ एक ओर महाशक्ति है तो वहीं चीन वीटो पावर है  । दोनों अपनी अपनी शक्तियों का भरपूर प्रयोग करेंगे  । कोरोना काल विश्व बाजार में आयात - निर्यात को लेकर विदेश नीति को भी प्रभावित करेगा । गौर रहे कि विश्व में 320675 और अमरीका में 92036 लोग कोरोना की वजह से मौत के मुंह चले गए हैं  । करीब करीब 123 देश इस मुहिम को आरम्भ कर चुके हैं  ।  अमरीका कूटनीतिक चाल से अपना बाजार विश्व में स्थापित करने के लिए प्रयास करेगा तो चीन विश्व में स्थापित अपने बाज़ार को बनाए रखने के लिए कोशिश करेगा  । इसलिए उत्थान और पतन को लेकर संघर्ष  चलता रहेगा और यही संघर्ष तनावपूर्ण स्थिति को बढावा देगा  । स्पष्ट है कि अमरीका - चीन में कोरोना को लेकर तनाव फिलहाल कम होने वाला नहीं है  ।
- अनिल शर्मा नील 
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
जी नहीं अमेरिका और चीन के बीच कोरोना को लेकर तनाव कम नहीं होगा बल्कि और बढ़ेगा। यहां तक कि चीन के बढ़ते तनाव के बीच ट्रंप ने सुपर डुपर मिसाइल होने का दावा किया है ।अमेरिका और चीन के बीच में तनाव बढ़ने की सबसे बड़ी वजह कोरोना के कारण अमेरिका में हुई मानवीय एवं आर्थिक त्रासदी है ।अमेरिका का कथन है कि  चीन द्वारा कोरोना की  सूचनाएं छिपाने और दबाने की वजह से  कोरोना फैला है ,जिससे वहां के लोगों में चीन के खिलाफ बेहद आक्रोश  उमड़ गया है ।जिस वजह से हर्जाना के तौर पर अमेरिका कुछ भी कर सकता है ।चीन के संबंध  तो  अमेरिका से और  ज्यादा बिगड़ते नजर आ रहे हैं ।अमेरिका और चीन एक दूसरे को चैलेंज करने की कोशिश कर रहे हैं ।इधर ताइवान भी अमेरिका और चीन के बीच युद्ध का एक कारण बन सकता है। सुपर डुपर मिसाइल के दावे को रूस और चीन से 17 गुना ज्यादा तेज मानने वाले ट्रंप का कथन है कि ये  एक सुपर सोनिक मिसाइल है। जिसे चीन से बढ़ते  खतरे को देखकर अमेरिका तैयार कर रहा है ।अमेरिका चीन को सीधे  कोरोना का जिम्मेदार मान रहा है ,और पूरी तरह युद्ध की तैयारी में है ।अमेरिका के साथ दुनिया के अन्य सैन्य शक्तियां भी जुड़ी हुई हैं जैसे कि जापान ,ऑस्ट्रेलिया। ऐसे में चीन पर आने वाले समय में निसंदेह अमेरिका का मिलिट्री प्रेशर बढ़ेगा। शी जिपनिंग के नेतृत्व में चीन जैसे ऐसी  अग्रेसिव नीति अपना रहा है उसके चलते अमेरिका में हाई अलर्ट मोड में आ गया है ,और अपने पूरे क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए तैयारियां शुरू कर रहा है। अमेरिका हमेशा से ही खुद को पेसिफिक ओशन का पावर मानता रहा है ,उसका मानना है कि अमेरिका की आर्थिक और नेशनल सिक्योरिटी पैसिफिक क्षेत्र के करीबी तौर पर जुड़ी हुई है ।अमेरिका का दबाव और बढ़ेगा और चीन को रोकने में सहायक सिद्ध होगा सारे हालात को देखते हुए यह कह सकते हैं कि चीन और अमेरिका के संबंध कोरोना को लेकर नहीं सुधरने वाले ।
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
चीन की कोरोना बाजी के लिए अमेरिका समेत पूरे विश्व ने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। कोरोना से मारे वालों में अमेरिका का आंकड़ा बहुत ऊपर है। और ये सर्वविदित है कि कोरोना का जन्मदाता चीन ही है। अमेरिका जो महाशक्ति है अपने दुश्मन को कभी माफ नहीं करता। नागासाकी और हिरोशिमा पर एटम बम से हमला कौन भूल सकता है। 9/11  के आतंकी हमले का जवाब पाकिस्तान में घुस कर ओसामा बिन लादेन को मार कर समुद्र में फैकने से कौन वाकिफ़ नहीं है। इतिहास गवाह है कि अमेरिका अपने दुश्मन को बड़ी पटखनी देता है और उसे आने वाली नस्लें याद रखती है।
सूत्रों के अनुसार अमेरिका को WHO जैसी विश्व  स्वास्थ संघटन पर शक है कि उसने चीन का साथ देते हुए विश्व को समय रहते कोरोना के बारे में सही जानकारी नहीं दी, जिसके परिणाम आज सब के सामने है।
अभी शाम छह बजे आई जानकारी के अनुसार अमेरिका की moderna कंपनी ने कोरोना की वैक्सीन का इंसानी परीक्षण में 100% सफलता पा ली है। इस खबर के  थोड़ी देर बाद एक चीनी कंपनी ने भी वैक्सीन बनाने का दावा किया है। जबकि यह बात सब समझ चुके हैं कि चीन में कोरोना सिर्फ एक दो शहर तक कैसे सीमित रह गया क्योंकि उसके पास इस का इलाज पहले ही था लेकिन वह तो इंसानों की तबाही का जश्न मना रहा था।
अब तो अमेरिका और भी मजबूती से चीन को जवाब देगा और उसे इसकी सज़ा भुगतनी ही पड़ेगी।
"वक्त को कौन मुट्ठी में बांध पाया है"
"कल होंगे उजाले, गर आज गम का साया है।"
अगर विश्व कोरोना के महाकाल से बच जाएगा तो तीसरे विश्व युद्ध से कौन बचाएगा। आने वाला समय अपने गर्भ में अनगिनत आशंकाओं को छिपाए हुए है।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
कोरोना पर अमेरिका और चीन के मध्य जो तनाव का माहौल दिख रहा है उसका मुख्य कारण अमेरिका में होने वाला राष्ट्रपति चुनाव भी एक कारण हो सकता है। यह भी सही है कि अमेरिका एक ऐसा देश है जो अपने एक नागरिक के निर्दोष मौत को भी गंभीरता से लेता है ।आज कोरोना की वजह से उसके करीब 90000 नागरिकों की मौत हो चुकी है और सर्वविदित है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन की भूमिका पर सवाल खड़ा करते हुए बिना सत्यापित प्रमाण के भी आरोप जड़ा है कि यह वायरस चीन के प्रयोगशाला से बाहर आया है। 
    अमेरिका की सबसे बड़ी प्राथमिकता राष्ट्रपति चुनाव है। ट्रंप दोबारा चुने जाते हैं तो चीन के प्रति उनका रवैया क्रूर और प्रतिशोध भरा होगा ।अमेरिकी मतदाताओं के बीच इतनी बड़ी संख्या में मौतें भी मुद्दा बन गया है।
    दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी युद्धपोत को चीन के लड़ाकू विमान और जहाजों ने खदेड़ दिया है। इससे उपजा तनाव भी बरकरार है। चीनी सरकार ने हांगकांग में अमेरिकी पत्रकारों के काम में भी हस्तक्षेप करने की धमकी दी है ।
 अमेरिका ने भी धमकी दी है कि कोविड-19 के प्रसार में बीजिंग की भूमिका के चलते चीन के साथ अपने सभी संबंध खत्म कर सकता है। 
   अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ पर भी चीन का पक्ष लेने का और समय पर जानकारी छुपाने का इल्जाम लगा कर आर्थिक सहायता पर रोक लगा दी है।
    कोविड-19 की भयावहता और दो महाशक्तियों के तनाव के मद्देनजर हीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऑनलाइन अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन दो दिन सोमवार और मंगलवार को आयोजित किया है। उम्मीद है कि ये दोनों विकसित देश आपसी मतभेदों को भूलकर विषम परिस्थितियों से निपटने का प्रयास करेंगें।
अमेरिकी राष्ट्रपति अपने चुनाव के मद्देनजर भी इस बात को मुद्दा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस कारण जल्द तनाव खत्म होने का उम्मीद प्रतीत नहीं होता। 
                             - सुनीता रानी राठौर
                         ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
मुझे नहीं लगता है कि कोरोना पर अमेरिका और चीन का तनाव निकट भविष्य में कम होगा। बल्कि किसी भी देश का चीन के प्रति आक्रोश और तनाव कम होने वाला नहीं है।
        जिस तरह से कोरोना के कारण असंख्य लोगों की जानें गयीं है, और लोग संक्रमित भी हो रहें है, जीवन अव्यवस्थित हुआ है, आर्थिक गतिविधियाँ प्रभावित हुई है, विकास की गति अवरुद्ध हुई है, कोरोना का इलाज, वैक्सीन अभी तक सामने नहीं आया है, हर देश इससे अभी संघर्ष कर रहा है तो ऐसी स्थिति में किसी का भी तनाव और आक्रोश कम होने वाला नहीं नहीं है।
          सब चीन के सामान का बहिष्कार करें, विश्व के बाजार में उसका सर्वेसर्वा बनने का सपना ध्वस्त करें, तभी कुछ शांति प्राप्त होगी।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
कोरोना वायरस की जानकारी छुपाना चीन को भारी पड़ता नज़र आ रहा है l विभिन्न देश उस पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं l अमेरिकी विदेशमंत्री माइक पोपिओ ने कहा कि उनके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि यह वायरस चीन की प्रयोगशाला से फैला है l बिट्रेन ने भी कह दिया है कि महामारी खत्म होने पर हम इस प्रकरण की तह तक जायेंगे l कहने का आशय यह है कि कोरोना वायरस प्रकरण पर अमेरिका और चीन के मध्य तनाव कम नहीं होगा और होना भी नहीं चाहिए l 
अमेरिका और यूरोप के तमाम देश चीन देश को सहज ही नहीं भूल जायेंगे l चीन ने उन्हें दशकों पीछे ले जाकर खड़ा कर दिया है l 
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प दहाड़ रहे he कि चीन को सबक सिखाया जायेगा, इसमें उनकी कोरी गीदड़ भभकी ही नहीं दिखाई देती l हम रूस को छोड़ दें तो अधिकतर देश अमेरिका के पिछलग्गू ही माने जाते हैं l इस बार अमेरिकी गुस्सा सातवें आसमान पर हैं, इसी तनाव भरे माहौल में ट्रम्प ने बड़ा दावा किया है कि उनके पास सुपरडुपर मिसाइल है जो रूस और चीन से सत्रह गुना ज्यादा तेज है तथा चीन से बढ़ते खतरे को देखते हुए 
तैयार किया गया है l 
     विश्व स्वास्थ्य संगठन की आज अहम बैठक ने कोरोना महामारी फैलाने में चीन की भूमिका की जाँच को लेकर चर्चा होगी l दुनियाँ के प्रमुख देशों ने कोरोना को लेकर चीन की भूमिका को शक के दायरे में बताया l जिसमें भारत सहित बासठ देशों ने इसे चीन की नापाक हरकत बताया है l अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने W. H. O. को चीन के हाथों की कठपुतली तक कह दिया तथा चीन से सारे रिश्ते तोड़ने की धमकी देते हुए W. H. O. को अमेरिकी फंडिंग तक रोक दी है l अमेरिका में 90,000 से ज्यादा मौतें कोरोना -19 की वजह से हो चुकी हैं, जहां पर एक व्यक्ति की मौत को ही काफी गंभीरता से लिया जाता है l वर्तमान टकराव की स्थिति यह है कि अमेरिका ने मिलेट्री दवाब बढ़ाना शुरू कर दिया है तथा साऊथ चीन में अपनी गति विधि तेज कर दी है l 
चोरी और सीनाजोरी वाली कहावत चीन चरितार्थ करते हुए अमेरिका से कह रहा है,युद्ध की तैयारी के बजाय कोरोना -19 पर ध्यान दे अमेरिका l 
   चलते चलते -
1." भीयम दधानाम हृदयेषु शत्रुना :"
                  -ऋग्वेद  10847
अर्थात शत्रु के ह्रदय में भय उत्पन्न कर दो l 
2. चीन और रूस के हालात देखिए - " आजकल तो भाई यह दस्तूर है कि पकड़े गए तो चोर नहीं तो चतुर......... l "
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव कम होगा। कोरोनावायरस से संबंधित साक्ष्य के लिए अमेरिका प्रयत्नशील है। यदि यह आपदा चीन द्वारा प्रायोजित है।तब अमेरिका अथवा कोई भी देश उसे आसानी से छोड़ेगा नहीं। तीसरे  विश्व युद्ध की ओर अग्रसर अमेरिका दो हाथ करने का मौका ढूंढ रहा है। अभी तीन चार दिन पहले ही किसी प्राइवेट न्यूज चैनल पर देख रहा था कि अमेरिका दक्षिण चीन सागर तक युद्ध में उपयोग किए जाने वाले उपकरण परमाणु हथियार से लैस मिसाइल पनडुब्बी तैनात कर चुका है।आनन फाफन में चीन भी अपनी सीमा पर कुछ ऐसे ही तैनाती किया हुआ है। तनाव तो काफी हदतक बढ़ चुका है। कब युद्ध शुरू हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। पूरी दुनिया दो खेमों में बंट चुका है। जिसने इस विपत्ति को झेला है और झेल रहा है।वह निश्चित ही अमेरिका के साथ होगा ऐसा मेरा विश्वास है। क्योंकि चीन किसी मायने में कम दोगला नहीं है।चीन चाहता है। जैसे भी हो अमेरिका से दो कदम आगे निकले। लेकिन कामयाब नही होता है।तब कोरोनावायरस जैसे बिमारी का आविष्कार करता है ताकि दुनिया तबाह हो जाए। इतनी बड़ी आपदा से निपटने की तैयारी पहले से कर रखा होगा तभी तो इतनी जल्दी इस आपदा से उबर गया। सहायता के नाम पर वह कोई भी सहयोग किसी देश को देने में आनाकानी करता है।अतयव शक की सुई चीन की तरफ ही दिखाई देता है। इसलिए तनाव कम होना दो बड़े देश के बीच जो किसी मायने में एक दूसरे से कम नहीं है बहुत मुश्किल है।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुड़गांव - हरियाणा
सारे संसार में कोरोना वायरस के संक्रमण और उसके फलस्वरूप मनुष्य की मौतों से तहलका मचा हुआ है। अमेरिका इसका भुक्तभोगी है; क्योंकि उसकी आबादी के सापेक्ष संक्रमित मनुष्यों की संख्या और जनहानि की दर संसार में सबसे अधिक है। जिसके कारण उसकी आर्थिक व्यवस्था पर बड़ा बुरा प्रभाव पड़ा है।
    संसार के  अधिकाधिक देश जो कोरोना  महामारी से पीड़ित हैं; में यह विश्वास जगा है कि यह वायरस चीन के वुहान शहर से जन्मा है और उस से संक्रमित लोगों के एक से दूसरे देश में आवागमन से तथा इसके लिए समय समय पर सही कदम न उठाने के कारण इस महामारी ने विकराल रूप ले लिया है। चीन समय समय पर अपने वक्तव्य से संसार को सदैव ही भ्रमित करता रहा है। कभी वह इस वायरस की उत्पत्ति के संबंध में अपने शहर में चमगादड़ के द्वारा फैलाया जाना स्वीकार करता है और कभी नही  करता है। कभी वक्तव्य देता है कि उसके देश में सबसे पहले इस वायरस को एक अमेरिकी नागरिक लाया ।अमेरिका जनहानि में अर्थव्यवस्था में गिरावट और संक्रमण में संसार में सबसे बड़ा भुक्तभोगी रहा। इस कारण चीन के द्वारा फैलाए जाने के कारण अत्यंत नाराज  हैं और उसने अपने सूत्रों से यह कंफर्म कर रखा है कि इस वायरस की उत्पत्ति चीन से ही हुई है। यह इन दोनों देशों के मनमुटाव का एवं तनाव का सबसे बड़ा कारण है। इस संबंध में डब्ल्यूएचओ की भूमिका भी संदिग्ध है क्योंकि एक समय यह ऑर्गनाइजेशन चीन को क्लीन चिट दे चुकी है। परंतु अधिकाधिक देशों के दबाव में या उनके संक्रमण एवं मौतों की संख्या को देखकर इस ने अपना पहला स्टैंड बदल दिया; इस कारण दुनिया के 100 देशों ने मिलकर यह सम्मेलन बुलाया कि डब्ल्यूएचओ की भूमिका की निष्पक्ष जांच हो। वास्तविकता सामने आने पर ही दोनों देशों के मध्य तनाव कम होने की संभावना हो सकती है।
 - डॉ.रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
अमेरिका ने कोरोना पर चीन की चारों तरफ से घेराबंदी कर दी है। अब जब "बात निकली है तो दूर तक जाएगी" वाली स्थिति उत्पन्न हो गई है। अमेरिका ने चीन को विश्व के बाजार में नंगा करने का मौका तलाशा है । वह पीछे कैसे हट सकता है?
   चीन ने अंतिम दो दशको में तेजी से विश्व बाजार में अपनी पकड़ बनाई है । उसने आज खुद को आर्थिक रूप से इतना मजबूत बना लिया है कि इस आपदा में भी वह आर्थिक चिंता से मुक्त है। उसके द्वारा किये गए झूठ और धोखाधड़ी की पोल अभी कोरोना में पूरी तरह से खुल गई है। उसके द्वारा बेचे गए पी पी किट किसी काम के नहीं हैं ।इसी तरह से सभी सामान का यही हाल रहा है। कम खर्चे में उसने विश्व को धोखा बेचा है। अमेरिका उसकी शक्ति के आगे हार नहीं मानेगा । यह तनाव अपने अंतिम पड़ाव तक अवश्य पहुंचेगा। क्योंकि विश्व में चीन की शाख को लेकर प्रश्नचिन्ह खड़े हो गए हैं । अब चीन को सफाई और हर्जाना दिए बगैर कोई विकल्प नहीं है । यह प्रक्रिया भविष्य को देखते हुए भी बहुत जरूरी है। इससे बाकी देश सचेत होंगे।कोई भी देश इस प्रकार की भयानक कार्यवाही करने से डरेंगे ।
- संगीता गोविल 
पटना - बिहार

" मेरी दृष्टि में " चीन और अमेरिका कभी दोस्त नहीं रहे  हैं । कोरोना वायरस ने इनके बीच की खाई को और भी गहरा कर दिया है । ऐसी स्थिति में विश्व युद्ध होने की सम्भावना अधिक बढ गई है ।बाकि तो भविष्य के गर्भ में है।
                                                     - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 







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