क्या लॉकडाउन से धीरे - धीरे बाहर आ रहा है भारत ?
लॉकडाउन - 3 से काफी कुछ खुल गया है । तीन भागों में बाटा गया है ।जो अलग - अलग भागों में अलग अलग की सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं । जिससे भारत धीरे - धीरे खुलने लगा है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
करोना बाहर से हवाई मार्ग से समाज के कुछ लोगों द्वारा आया। और हमारे समाज के कुछ वर्ग कोअपनी जन्म भूमि को शेकडो मीलों , भुखे प्यासे पैदल चलना पड रहा है ।
मगर हमारे प्रधानमंत्री जी को देश के हित के लिए दुर्भाग्य से लाॅकडाऊन करना पडा, सही समय लाॅकडाऊन करके देश के जनता को बचाया है । लाॅकडाऊन ने हमारी हजारों हजारों जाने बचाई है। और कोरोना को रोकने में कामयाबी की तरफ हम जा रहे हैं ।
लाॅकडाऊन मे कुछ कुटुंबियोमे फायदे हो रहे है ।जैसे परिवार के सभी सदस्य एक साथ उठ बैठ ,खाना-पीना, एक दुसरे के विचार, समस्या चाहे घर के हो या बाहर के एक विचार से काम कर रहे हैं ।और समाज में भाई चारा भी बढ रहा है ।
हम यही परिस्थिति पर अपने और समाज आरोग्य का पालन कर रहे हैं।हम इस जंग में कामयाब हो कर भारत भूमि को आरोग्य संपन्न बनायेंगे ।
- पद्मश्री डॉ विजयकुमार शाह
सांगली - महाराष्ट
लॉक डाउन की स्थिति अब कम हो रही है और हर वर्ग के लोगो को राहत भी मिल रही है। आने वाले समय में भूले बिसरे याद पुरानी की बात हो सकती है। अब भारत लॉक डाउन से बाहर आ रहा है क्योकि चिकित्सा का स्तर बहुत ही कर्त्तव्यपूर्ण और जिम्मेदार रहा है। अतः हम अब लॉक डाउन से धीरे धीरे बाहर आ रहे है।
- राम नारायण साहू "राज'
रायपुर - छत्तीसगढ़
कोरोना के कहर से भारत मे लॉक बढ़ा दिया गया है।
नई गाइड़ लाईन भी जारी कर दी है। लॉक डाउन से बाहर निकलने की कोशिश कर २हा है भारत बहार निकलने का प्लान बना २हा है। जहां संक्रमण ज्यादा है वहाँ लॉक डाउन है रेड जॉन मे कुछ इलाको को थोड़ा ढिल दी है जरूरी समान की भारत कोशिश कर २हा है कुछ आफिस मे कार्य शुरू किया है। स्कूल बंद २हेगे भीड़ मे संक्रमण बढ़ने का खतरा है। पारिस्थिति मे सुधार हो तो २हा है पर संक्रमण बढ़ भी रहा है सावधानी और देश को सभी के सहयोग की आवश्यता है सभी नियमो का पालन करे आवश्यक कार्य हेतू घरों से निकले घरो मे रहे तभी तो स्थिति मे सुधार होगा।
- नीमा शर्मा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
लॉकडाउन में धीरे धीरे सरकार छूट तो दे रही है, लेकिन लॉकडाउन लगाने का उद्देश्य शायद कई राज्य सरकार भूल गई है। दिल्ली जहां 94 जगह हॉटस्पॉट है और लगभग सारी दिल्ली रेड जोन में है, वहां लॉक डाउन में ढील देना क्या उचित है।क्या ये मान ले कि दिल्लीवासी इतने अभ्यस्त हो गए है सामाजिक दूरी और नियमों का पालन करने मे, कि हमारे प्रिय मुख्यमंत्री जी ने हमें कोरोना के साथ जीने का उदघोष कर डाला।
ये कहना गलत न होगा कि केजरीवाल सरकार दिल्ली वालों को जीते जी मारने के लिए करबद्ध खड़ी है।
मंदिर, मस्जिद के द्वार बंद हैं परंतु शराब के ठेके खोल दिए गए हैं।जो लोग खाने पीने को मोहताज़ थे, आज वो जेब भरकर शराब की दुकानों पर लंबी लाइने लगाए खड़े हैं। अब कहाँ से आए पैसे इनके पास। एक नहीं दस दस बोतले एक साथ खरीद रहे हैं। कोई लिमिट नहीं है इनके लिए।जितना चाहो खरीद लो। फिर पी कर घरवालों को मारो या पीटो।या कोरोना को फ्री बांटो। जो लोग सामान्य स्थिति में नियमो का पालन नहीं कर सकते वो पीकर कौन से नियम अपनाएंगे??
न मिली इजाजत हमे, इबादत में सर झुकने की....
रौनक लौट आई है, लॉकडाउन में मयखाने की.....
साहब, जरा गहनों को दुकाने भी खुलवा दीजिए। घर के गहने बेचने भी के लिए। ये लोग कहाँ भटकते रहेंगे। इन सब से क्या होगा। अपराध हो तो बढ़ेंगे, पुलिस जो लोगो की सेवा में लगी थी, इन सब में उलझ जाएगी। जो छवि उसकी बनी थी सब मिट्टी में मिल जाएगी।
सरकारी दफ्तरों को खोल कर जो नेक काम किया है, उसके लिए आप बधाई के पात्र हैं। वो लोग वैसे भी कोई काम नहीं करते।बल्कि घर के काम से तो उनकी जान छूटेगी। (क्योंकि घर पर काम करने के लिए काम वाली बाई को भी छूट मिल गई है)
बस, मेट्रो यातायात का कोई साधन नहीं खुला है। तो इसका सीधा मतलब यह है कि सभी सरकारी कर्मचारी बहुत अमीर है सबके पास अपने-अपने वाहन है। सभी स्थानीय दुकाने खोलने का आदेश भी दिया है तो बाजार में रौनक लौट आने वाली हैं। यानी हालात सामान्य होते जा रहे हैं लेकिन आप से मरीज़ तो संभल नहीं रहे है।
एक रिपोर्ट के अनुसार अगर रोज़ एक लाख लोगों की भी टेस्टिंग हो तो 37 साल लग जाएंगे टेस्टिंग पूरी होने में।
कोरोना जो अब बिना लक्षण के भी फैल रहा है आप कैसे रोक पाओगे??
कोरोना से अभी जंग खत्म नहीं हुई है। बल्कि अब दिनों दिन कोरोना संक्रमित लोगो की संख्या बढ़ती जा रही है। और सैकड़ो केस आ रहे हैं दिल्ली में।
और भी कई राज्यो मे दिल्ली जैसे ही हालात हैं। कोरोना को हराना है तो घर से ये लड़ाई लड़नी होगी। नही तो अन्य देशों जैसे हालात होते देर न लगेगी।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
हां ,वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए करोना वायरस के प्रति सतर्कता बरतते हुए अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने हेतु भारत सरकार लॉकडाउन से धीरे-धीरे बाहर निकलने का प्रयास कर रही है।
नोएडा और दूसरे बड़े शहरों में दफ्तर और उद्योगों को राहत दी जा रही है। कर्मचारियों की संख्या कम रखने और सावधानी बरतने के शर्त पर सरकारी , निजी ऑफिस खुलने लगे हैं।
निर्माण कार्य और उद्योगों को चलाने की सशर्त मंजूरी दी जा रही है। शहरी क्षेत्र में उन साइट पर निर्माण होगा जहां निर्माण साइट पर ही मजदूर रहते हैं।
एक्सपोर्ट यूनिट को भी चलाया जाएगा।
33 फीसदी स्टाफ के साथ निजी दफ्तर भी खुल सकेंगे। आवश्यक वस्तुओं के संबंध में ई कॉमर्स गतिविधियों को भी अनुमति दी जा रही है।
ऑरेंज और ग्रीन जोन में किराना, सब्जी, फल दवाई, स्टेशनरी आदि सभी जरूरत की छोटी-बड़ी दुकानें खोली जा रही हैं।
आर्थिक मजबूती हेतु सरकार ने शराब की दुकानें भी खोलने की इजाजत दे दी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि संबंधी और दूसरे कामों हेतु छूट दी जा रही है।
जिस तरह लॉकडाउन की वजह से श्रमिक वापस गांव जा चुके हैं और जा रहे हैं उससे उद्योगपतियों की चिंता बढ़ने लगी है। इतने दिनों से फैक्ट्रियां बंद होने के वजह से कामगारों का चले जाना चिंतनीय है ।
अर्थव्यवस्था पर बुरा असर ना पड़े लोगों का रोजगार न छूटे ,बेरोजगारी के कारण कहीं लोग गलत कदम न उठाने लगे । इन सभी मुख्य बिंदुओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार धीरे-धीरे एहतियात बरतते हुए लॉक डाउन से बाहर निकलने का प्रयास कर रही है ताकि लोगों के रोजगार पर बुरा असर ना पड़े ।
देश हित में लॉक डाउन करना भी जरूरी था अब देशहित और जनता की नागरिकों की भलाई हेतु लॉक डाउन से बाहर आना भी अनिवार्य है पर सावधानियों का ध्यान रखना भी अति आवश्यक है। नहीं तो हमें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं । जिस तरह से आज दिल्ली में शराब की दुकानों पर जबरदस्त भीड़ उमड़ी उससे भयावह स्थिति उत्पन्न हो सकती है। मजबूरन सरकार को दुकानें बंद करनी पड़ी। आगे ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं होनी चाहिए।
अतः सतर्कता बरतते हुए सरकार के फैसलों में जनता को भी अहम योगदान देने की जरूरत है।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
आज दुनिया कोरोना जैसी भयावह महामारी से जूझ रही है जिसका आज तारीख तक कोई कारगर इलाज नहीं निकल पा रहा है । सभी देश किसी न किसी तरीके से निराकरण का प्रयास कर रहे हैं । लेकिन दुनिया में मरने वालों के आंकड़े दिन-प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं ।
भारत में 25 मार्च 2020 से सम्पूर्ण देश में लाकडाऊन लागू किया गया तब देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों की संख्या 500 के करीब थी। लेकिन तब से लेकर आज तक यह संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़कर 40000 को पार कर गई है। और आंकड़ा कितना बढ़ेगा कह नहीं सकते । हमारे देश के माननीय प्रधानमंत्री जी ने जिस तत्परता से लाकड़ाउन को लागू करवाया उससे उम्मीद जागी थी कि हमारा देश बहुत जल्दी स्वस्थ हो जाएगा । लेकिन सारे प्रयासों को जिन नासमझों ने हानि पहुंचाई उससे तो लगता है । हमारे देश को लाकडाउन का 4था चरण भी देखना पड़ सकता है ।
हमारे देश में स्वस्थ की दृष्टि से चिकित्सक/चिकित्सालय/चिकित्सा उपकरण जैसे संसाधन कम ही सही पर जस्बा बहुत है ।
हम होंगे कामयाब एक दिन, ये मन में विश्वास है।लाकडाउन की इस अवधि को हम धीरे धीरे ही सही पार कर जाएंगे । लेकिन यह वायरस ने हमें जो सीखाया है उसे हमने कभी भूलना नहीं चाहिए। अर्थात सामाजिक दूरी, निरन्तर हाथों को साफ रखना, अनावश्यक इधर उधर न थूकना , नाक/मूंह में उंगलियां नहीं डालना, नमस्कार करना हाथ नहीं मिलाना ।
आप सभी घर में रहें, सुरक्षित रहें । इसी कामना के साथ ।
- मनोज सेवलकर
इन्दौर - मध्यप्रदेश
भारतीय इतिहास में पहली बार लाँकडाऊन! वह भी इतना लम्बा अनुशासित रुप संचालित हुआ। जो एकता दर्शाता हैं। किन्तु जिसके परिदृष्य में समस्त व्यवस्थाएं चरमरा गई, अब तीन चरणों में विभाजित किया है, हरे रंग को निरंक मानते हुए राहत दी गई है, अगर एक भी प्रकरण सामने आया तो लाल, संतरा रंग में परिवर्तित हो सकता है, खैर ऐसा न हो। अगर हरा रंग पूर्णतः सफल रहता है, तो व्यवस्थाएं में क्रमशः कुछ सुधार होते हुए अर्थव्यवस्था के साथ-साथ कार्यालयीन कार्य सुचारू रूप से सम्पादित हो सके। बस ऐसा नहीं होनी चाहिए कि इतना लम्बा लाँकडाऊन आंशिक रुप से खुलने के बाद सामग्रियां की कीमतों को मंहगा नहीं किया जाये, वैसे भी आमजन पूर्व से विपरीत परिस्थितियों को झेलते ही आ रहा हैं। हरे रंग के कारण शहर-कस्बों में पुनः धीरे-धीरे भारत की रौनक रंग ला रही है।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
लाकडाउन से बाहर निकलने के लिए सरकार द्वारा रूपरेखा तैयार की जा रही है । संभवतः धीरे धीरे संक्रमण के प्रति संवेदनशील होकर कदम आगे बढ़ाएगी।
वर्तमान में शहरों जिला राज्य को लाल,हरा,औरेज जोन में बांटकर लोगों में जागरूकता पैदा कर दी गयी है आप कितने खतरे में है । सावधानियां को नजरंदाज नहीं करेंगे।
तभी आप सुरक्षित है
हरे जोन को थोड़ी छूट दी गई है छोटे छोटे रोजगार वाले अपनें रोजगार शुरू कर सकते है।
दूसरा पहलू है कि कुछेक अवागमन की सुविधा शर्तों के साथ लागू की गई है।जिसके कारण फंसे हुए नागरिक अपने अपने घरों को जा सकतें हैं।
सावधानी रखने में थोड़ी भी लापरवाही नहीं करनी है। चूंकि ऐसे समय ही संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
सरकार भरपूर कोशिश में है कि
बिना क्षति के ही स्थिति सामान्य होती जाए।
- डाँ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन से धीरे- धीरे ही बाहर आना होगा अन्यथा फिर से महामारी फैल सकती है । जब तक अति आवश्यक न हो तब तक किसी को भी बाहर जाने से बचना चाहिए ।
तीसरे चरण के लॉक डाउन में सरकार ने ग्रीन, ऑरेंज और रेड तीन जोन के रूप में बाँट कर अलग- अलग स्तर पर छूट दी है । धार्मिक स्थल , टॉकीज, मॉल साथ ही ऐसे स्थल व कार्यक्रम जहाँ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न हो सके उन्हें बन्द रखा है ।
बहुत से ऑफिस व छोटे रोजगारों को खोल दिया गया है । सभी लोग सावधानी बरतते हुए कार्यों को करें ऐसी अपेक्षा है । मजदूरों को व छात्रों को अपने घर भेजने हेतु विशेष बस चल रहीं हैं ; पूरी जाँच के बाद ही सारी गतिविधियों को पूरा किया जा रहा है ।
जनमानस के सहयोग से ही सरकार लॉक डाउन को धीरे - धीरे खोल कर पुनः जन जीवन सामान्य कर सकती है । हमें हमेशा के लिए इन सावधानियों को जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए ।
- छाया सक्सेना प्रभु
जबलपुर - महाराष्ट्र
हमारे भारत मे कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन का तीसरा चरण 4 मई से शुरू हो रहा है, जो 17 मई तक रहेगा। परंतु लॉकडाउन में जो ग्रीन व ऑरेन्ज ज़ोन में सरकार सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक छूट देने जा रही है, लेकिन देश मे 120 जिले रेड ज़ोन में है जहां पर किसी भी तरह की छूट नहीँ मिलेगी। देश की ख्यातिप्राप्त संस्था जैमनी अकादमी द्वारा चर्चा में जो विषय है कि क्या लॉकडाउन क्या धीरे धीरे भारत बाहर आ रहा ।सवाल बहुत ही उचित है। सही मे अब संवेदनशील लोग हो रहे हैं संयम से है और लाँकडाउन से निकलने हेतू प्रयासरत है भारत राशन, दूध, गैस, सब्जी की बिक्री पर ही शुरू से छूट दी गई है।मछली, चिकन, मटन के कारोबार पर भी प्रतिबंध नही हैं, लेकिन इसका बाहर से आयात नही हो रहा है स्थानीय रोजगार के दम तोड़ने के कारण देश मे लाखों नही बल्कि करोड़ों की संख्या में लोगों के सामने भुखमरी की स्थिति उतपन्न हो गई है। लॉकडॉउन 3 में केन्द्र सरकार ने सैलून, दर्जी, शराब, इट भट्ठा व ग्रामीण क्षेत्रों में काम व कारोबार करने की छूट दी है, जुसमे सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसी बीच दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों, छात्रों को राज्य सरकारें स्पेशल ट्रेन , बस से लाने का काम शुरू कर दिया है। देशभर में 7 स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है, जिसमे झारखंड, बिहार, एमपी, यूपी, छत्तीसगढ़ के मजदूर घर लौटना शुरू कर दिए है। इनकी स्क्रीनिंग व मेडिकल जांच की जा रही है। जो पूरी तरह से ठीक है उन्हें घर भेजा जा रहा है। उन्हें 14 दिनों तक घर मे ही रहना होगा। जिसमें थोड़ी भी गड़बड़ी है उन्हें कलोरटाईन सेंटर में 14 दिनों के लिए रखा जाएगा। इन प्रवासी मजदूरों के घर वापसी भी कम खतरनाक नही है। इस स्थिति में भी स्थानीय रोजगार पर असर पड़ेगा,अब ग्रीन जोन मे सुबह 7 बजे से रात 7 बजे तक छुट दी गई है ।धीरे धीरे हमारा भारत इस परिस्थितियों से बाहर आता दिखाई पड रहा संपूर्ण रुप से नही परन्तु धीरे धीरे परिस्थितियों काबू की जा रही है
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
सही है लांक डाउन से धीरे-धीरे बाहर आना है। लॉक डाउन का तीसरा चरण चल रहा है। संक्रमित राज्य हैं उन्हें रेड जोन जो उसे काम है ऑरेंज और जहां पर बिल्कुल पूर्ण रूप से समाप्त हो गया है उसे हरा 3 जोनों में बांटा गया है एस्से एक ही शहर में ऑरेंज रेड और ग्रीन 3 भागों में बांटा गया है । जहां पर ज्यादा संक्रमण है उससे रेड जोन पूर्ण रूप से बंद किया गया है। संक्रमित व्यक्तियों को कोरन टाइन में रखा गया है।अभी संक्रमण का खतरा टला नहीं है क्योंकि बाहर से जो विद्यार्थी पढ़ने वाले हैं और मजदूर वह लोगों को भी करंट टाइम रखा गया है और जो व्यक्ति संक्रमित हैं वह भी जाने कितने लोगों को बाहर संक्रमण किए हैं इसलिए हमें धीरे-धीरे बाहर जब आवश्यक हो तभी जाना चाहिए नहीं तो अभी भी अपने घर में रहना चाहिए स्वच्छता के पूरे नियम का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि खतरा और बढ़ गया है।
जैसे हम इतने दिनों तक बचे हैं,और अपने घर के अंदर रहे।जब तक आवश्यक ना हो और बहुत जरूरी काम ना हो तब तक घर के बाहर हमें नहीं निकलना चाहिए घर के बाहर गए तो खतरा बढ़ा।
उम्मीद रखनी चाहिए और हम इससे पूरी तरह से मुक्ति पा लेंगे कुछ ही दिनों में ऐसा विश्वास मन में रखना चाहिए और सावधान रहना चाहिए सावधानी हटी दुर्घटना घटी।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
जी हां, बिल्कुल लाकडाउन से धीरे-धीरे भारत बाहर आ रहा है। अब मात्र 13 दिन का और लाकडाउन और शेष बचा है। सरकार धीरे-धीरे कारोबार में, बाजार में छूट दे रही है। एक राज्य से दूसरे राज्य यात्रियों को लाने,ले जाने के लिए विशेष बसें ट्रेन भी चलाई जा रही है। गांवों में दुकानें खुलने लगी हैं। शहरों में भी गली मोहल्ले की दुकानें,खुलने लगी है। धीरे धीरे लाकडाउन से देश बाहर लाने की प्रक्रिया चलने लगी है। ट्रांसपोर्ट के ट्रक वगैरा चलाने की अनुमति हुई है।अभी रेड जोन में हर प्रतिबंध लागू है।राहत तो पहले ही मिल जाती ,मगर कुछ गैरजिम्मेदाराना हरकतों की वजह से कोरोना मरीज बढ़ते रहे और उसके कारण लाकडाउन भी।अब इससे उबरने के दौर में बहुत सावधानी रखने की जरुरत है। कहीं भी कोई ऐसी चूक न हो जाएं,जो कहीं फिर इसे बढ़ाने की जरुरत पैदा कर दे। सरकार ने जो धीरे-धीरे छूट देने की नीति अपनाई है,वह सुरक्षा की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है।
- डॉ.अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जी हाँ लाकडाउन से धीरे धीरे भारत बाहर आ रहा है 40 दिन बाद जिंदगी पटरी पर दौड़ी । देश के जिलों को रेड ,
ओरेंज , ग्रीन बाँटा है । ग्रीन , ओरेंज के इलाकों को कुछ छूट दी गयी हैं । गाड़ियां , स्कूटर , मोटरसाइकिल , कार आदि से लोग काम करने जा रहे हैं । छूट मिलते ही लोगों की भीड़ सड़कों में मिली । सड़के जाम होने लगी हैं ।गली से शहर तक दुकान खुल गयी । आईटी कंपनी खुली है । रेड जॉन के इलाकों में छूट नहीं। दी । वहाँ पर अभी बन्द कायम है।
लाकडाउन में ढील इसीलिए दी है । राज्यों के आर्थिक हालात सुधरे जिससे करोबार के चलने से जनता की रोजमर्रा की आवश्यकताएँ पूरी कर सकें । कपड़ों की दुकान , किराने , शराब , बर्तनों आदि की दुकानें खुली है । कारोबार , कामों में गति आए । लाकडाउन में शराब की दुकानों खुलने से पीने के शौकीनों ने सोशल डिस्टेंसिंग का कहीं पालन किया और कहीं पर नहीं ।
लेकिन इस बात का ध्यान रखना है कि कोरोना नहीं फैले । प्रवासी मजदूरों के लिए ट्रेन भी सरकार ने चलाई है ।
सरकार ने आने जाने की छूट दी तो है लेकिन जमीनी हकीकत से दूर है ।
जिन लोगों के पास ई - पास नहीं हैं उन्हें काम के लिए जाने नहीं दिया जा रहा है । कुछ कार्यलयों को काम करने की ढील मिली है । लोगों की आवाजाही कारों से कार्यस्थल तक जा रहे हैं । जिंदगी पटरी पर उतरी है ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
यदि एम्स के डायरेक्टर के सुझाव के आलोक में बात करें तो अभी कोरोना का पीक आना शेष है। ऐसे में अभी तक के लॉक डाउन के आधार पर ये निष्कर्ष निकालना गलत होगा कि हम लॉक डाउन के दौर से बाहर आ रहे हैं। हमारे देश में यह संतोष की बात है कि लोगों ने धैर्य के साथ इस पीरियड का अनुपालन किया। हालांकि बड़ी संख्या में अब भी काई मजदूर साथी अपने घर से दूर किसी जगह विवशता का जीवन जी रहे हैं। हम आशा करें कि उनका सुरक्षित व्यवस्थापन हो जाएगा और इस बीच कोरोना के नये मामले सामने नहीं आएंगे। लॉक डाउन के दौर से अभी जल्द मुक्त होने के आसार नहीं दिखाई दे रहे। हाँ, ग्रीन ज़ोन और ऑरेंज ज़ोन पर भी पूरी सतर्कता रखना होगी ताकि हमारे अब तक के प्रयास व्यर्थ न जाएं।
- मनोज पाँचाल
इंदौर - मध्यप्रदेश
इस स्थिति को समझना बडी गंभीर बात है।लाक डाउन से धीरे धीरे बाक्षर आ रहा है सम्पूर्ण रुप से ऐसा नही कहा जा सकता। लाक डाउन कही कही छुट दी जा रही है तो इसका मतलब यह नही कि करोना का संक्रमण कम हो रहा है ऐसा नही है।बल्की लोगो की रोजी रोटी की आवश्यक पूर्ती न हो पाने के कारण लाख डाउन गीली की गई है इस स्थिति को देखने से पता चलता है कि करोना रोगी का संक्रमण कम नहीं हो रहा है बल्कि धीरे-धीरे बढ़ रहा है तो ऐसी स्थिति में कैसे कर सकते हैं जी लाख डाउन से धीरे-धीरे भारत बाहर आ रहा है लाख डाउन उनसे धीरे-धीरे अपनी स्थिति को सुधारने के लिए छोटे-छोटे रोजगार मजदूर व्यापारियों के काम धंधे से उनकी आए का स्रोत बनाए रखने के लिए लाभ डाउन धीरे धीरे जगह के अनुसार एवं वहां की दैनिक दिनचर्या के अनुसार आवश्यकता पड़ने पर लॉक डाउन वीरे दी रे बाहर आ रहा है ऐसा ना करने से लोगों में रोजी-रोटी की परेशानी हो रही है लेकिन एक बात और है कि अभी छत्तीसगढ़ सरकार जहां नशाबंदी वरुणा के चलते हुआ था तो नशाबंदी खोल दिया गया है अब दारू दुकानों में मिलने लगी है एक तरफ करती है कि सरकार लोगों की आय का स्रोत रोजी रोटी पूर्ति के लिए लाभ डाउन किया जाएगा ऐसे लोगों को परेशानी नहीं होगी दूसरी तरफ दारू का भट्टी खोलकर लोगों की अनावश्यक चीजों की पूर्ति कर रही है एक तरफ मरते हुए को जीने का काम कर रहा है और दूसरी तरफ धीरे-धीरे मारने का काम हो रहा है तो ऐसी स्थिति में कैसे कहा जा सकता है कि भारत लाग डाउन से धीरे-धीरे बाहर आ रहा है बल किसे कहा जा सकता है कि भारत के जनता नासमझी के कारण अनियंत्रित होने के लिए अवसर ढूंढ रहे हैं और ऐसा ही हो रहा है दारू की भट्टी में जिस तरह डालने से मक्खियां दौड़ती हैं इसी तरह दरूवा दिखाई दे रहे हैं । यह लाभ डॉन का कौन सा नियम है जहां बार-बार लोगों को अपने घर में रहने के लिए कहा जा रहा है और इंदरवा को छोड़ दे कर दारु भट्टी में भीड़ लगाने के लिए कहा जा रहा है यह कैसी सरकार की मति मारी गई है एक तरफ समस्या का समाधान के लिए नौटंकी कर रही है और दूसरी तरफ ना मूर्ख लोगों को दारू पिलाकर सरकार अपनी खजाना भर रही है तो उसे कैसे कहा जा सकता है यह भारत की समझदारी है की नासमझी है स्थिति को गंभीरता से लेते हुए सिर्फ जनता को ही समझने होगी और समझदारी के साथ कोरोना जैसे महामारी से निजात पाने के लिए समाज के लोगों को ही आगे आना होगा सरकार तो अंधी है हां कराते हुए भी देखने की कोशिश नहीं करती बल्कि जनता को और भ्रमित में डाल रही है जो अनावश्यक है उसके लिए नियम तोड़कर पूर्ति कर रही है ऐसी स्थिति में क्या कहा जाए लाख डॉन से धीरे-धीरे बाहर आ रही है भारत ऐसा कहना बड़ा मुश्किल हो रहा है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
कोरोना ग्रस्त संख्या एवं बढ़ते हुए लोग डाउन को देखते फिलहाल स्थिति जटिल है ! लॉक डाउन ही ऐसा विकल्प है
जिससे हम महामारी से बच सकते हैं किंतु प्रवासी मजदूरों की समस्या ,गिरता आर्थिक स्तर एवं अन्य समस्या के समाधान को लेकर धीरे धीरे लॉकडाउन से बाहर आने के लिए प्रशासन ने जो ग्रीन जोन ,ऑरेंज जोन और रेड जोन की रणनीति तैयार की है उसके अनुसार छूट दी जा रही है !
हमें भी सोशल डिस्टेंसिंग और कोरोना के लगते अन्य नियमों का पालन करना चाहिए तभी हम लोग डाउन से बाहर आ सकते हैं ! किंतु यह क्या राजस्व के खाली होती कोष को भरने के लिए शराब की दुकानें खुलने का निर्णय लिया गया लंबी कतारों में नियम का उल्लंघन कहां की सोशल डिस्टेंसिंग है राजस्व उसको भर दी कि यदि यही उपाय है तो हम लोग डाउन से जो धीरे-धीरे निकलने की उम्मीद कर रहे हैं वह व्यर्थ है हमारे प्रधानमंत्री ने इस महामारी में जो समय सूचक का दिखाई एवं सभी ने मान्य कर इस महामारी को कंट्रोल में रखा भारत की एकता से समस्त विश्व चकित था फिर क्यों हम गलती कर रहे हैं अंत में कहूंगी समस्या आती है तो समाधान के साथ अतः हमें संयम और धैर्य से प्रशासन द्वारा 3 जून की ग्रीन रेड ऑरेंज रणनीति को न्याय से अपनाते हुए नियम का पालन करें तो अवश्य कोरोना को हरा देंगें!
मुश्किलें आती है जाती हैं
हमें डरना नहीं है
आंखों में जिसके सपने हैं
जिंदगी के हर पल अपने हैं!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
लाॅकडाउन से भारत धीरे-धीरे बाहर आने का प्रयास तो कर रहा है परन्तु खतरा अभी टला नहीं है, इस बात का सभी को ध्यान रखना अति आवश्यक है । प्रतिदिन रेड जाॅन में वृद्धि होना घातक है । अनपढ़ नासमझ को क्या कहें जब समझदार लोग भी लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करते नजर आते हैं । सोशलडिस्टेंस रखना, मास्क लगाना, बार-बार साबुन से हाथ धोना, अति आवश्यक होने पर ही घर से बाहर निकलना अब भी अति आवश्यक है ।
स्थिति सुधरने मे अभी वक्त लगेगा । सभी स्व-अनुशासन बनाएं रखें........सरकार का सहयोग करें ........जिन क्षेत्रों में छूट दी गई है, वहां यदि नियमों का पालन न होकर उल्लंघन होता हो तो वहां न जायें । धैर्य बनाएं रखें और ग्रीन जाॅन होने का इंतजार करें ।
- बसन्ती पंवार
जोधपुर - राजस्थान
सही है, लॉक डाउन से धीरे - धीरे बाहर आ रहा है भारत और इस मिशन से सभी खुश भी हैं। लॉकडाउन की वजह से कोरोना आपदा से जो परिणाम आए हैं, सुकून देने वाले ही हैं, वरना स्थिति इतनी भयंकर होती है कि संभलना मुश्किल पड़ जाता। कहा गया है ' घड़ी भर का दुख, जनमभर का सुख ।' यह सूक्ति इस परिवेश में सही सिद्ध हो रही है। लॉकडाउन में समस्त देशवासियों ने जिस सहनशीलता, उदारता, धैर्यता के साथ सहयोग और सौहार्द्र बनाये रखकर, सच्चे नागरिक की पहचान दी है। मिसाल भी है और तारीफ के काबिल भी।
जीवन में आपदाएं आती-जाती रहतीं हैं। यह वक्त भी गुजर जायेगा। पर जो सीखने और समझने मिल रहा है, वह अद्भुत है। सुखद है और इसके दूरगामी परिणाम आशातीत होंगे।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
मेरा यह मानना है कि जिस तरह से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा, धीरे धीरे लॉक डाउन को बढ़ाया जा रहा है, उससे यह स्थिति स्पष्ट होती है, कि को रोना वायरस की इस महामारी का खतरा अभी कम नहीं हुआ है। मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि धीरे-धीरे लॉक डाउन की अवधि कम अवश्य हो रही है अतः इसको दृष्टिगत रखते हुए यह कहा जा सकता है कि भारत की शीघ्र ही इस व्यवस्था से बाहर आ जाएगा। पूर्ण रूप से इस विषय पर टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी। कोरोना संक्रमण के मरीज जिस तरह लगातार बढ़ रहे हैं वह एक भयानक स्थिति है। और जिस तरह कई जगह जनता सरकार द्वारा लगाए गए लॉक डाउन के नियमों का पालन गंभीरता से नहीं कर रही है, उसे देख कर तो यही लगता है की यह व्यवस्था हमें कुछ और दिनों तक आगे भी झेलनी पड़ सकती है। यदि हम पूर्ण मनसे इस बीमारी को हरा करना लॉक डाउन से बाहर आना चाहते हैं, तो हम सभी को सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों एवं नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा। जय हिंद जय भारत, आप सुरक्षित, देश सुरक्षित।
कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
वर्तमान स्थिति को देखते हुए।अभी यह कहना कितना सम्भव लगता है।कि क्या लॉकडाउन से बाहर आ रहे हैं भारत...., क्योंकि आज जिस तरह की स्थिति हमें नजर आ रही है। उसके आधार पर भारत के कई राज्यों को तीन जोन में बांटा गया है, रेडजोन, ग्रीनजोन, ऑरेंजजोन, आज की वर्तमान स्थिति को देखें तो सभी बड़े मेट्रो शहर रेडजोन घोषित हुए हैं। ऐसे में आगे की स्थिति क्या होगी। "ऊँट किस करवट बैठेगा" यह तो समय ही तय कर सकता है।अभी इस विषय पर कुछ कहना थोड़ा मुश्किल सा लग रहा है।प्रशासन द्वारा कुछ चीजों के लिए जिस प्रकार छूट दे रखी है। यदि वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया तो इस संक्रमण को रोकना बड़ा कठिन हो सकता है। ऐसे में हम सिर्फ कयास ही लगा सकते हैं। कि आने वाले दिनों में हम किस मोड़ पर खड़े होंगे। क्योंकि जो संक्रमितों की संख्या आ रही है। वह पैथोलॉजी टेस्ट पर आधारित है।इसलिए उन्हें देखकर अभी कुछ कहना संभव नहीं! फिर भी काफी लोग इलाज के बाद ठीक होकर अपने-अपने घर जा चुके हैं। कुछ उपयोगी साधनों को खोलने की अनुमति सरकार ने दे दी है।तो कुछ आशा की किरण नजर आ ही रही है। जहां ग्रीन जोन है, वहां की गतिविधियां थोड़े पैमाने पर ही सही लेकिन चालू कर दी गई है। यहीं आशा हमें दिखाई देती हैं। कि हम जल्दी ही इन विकट परिस्थितियों से बाहर आ सकते हैं। और हम जल्दी इस वैश्विक महामारी कोरोना पर विजय प्राप्त सकते हैं।और फिर जनजीवन सामान्य स्थिति में आकर सुचारू रूप से चलेगा। इन्हीं आशाओं के साथ....।
"आशा का एक दीपक हजारों अंधेरों को रोशन करता है"
- वंदना पुणतांबेकर
इंदौर - मध्यप्रदेश
फ़िलहाल अभी तोस्थिति जटिल है , बहार आने में समय लगेगा । नज़र डालते है ..
भारत में लॉकडाउन 17 मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है. यह तीसरा मौक़ा है जब लॉकडाउन की तारीख़ बढ़ाई गई है.
इससे पहले 24 मार्च को 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. 21 दिन की यह अवधि पूरी होने से ठीक एक दिन पहले यानी 13 अप्रैल को एक बार फिर लॉकडाउन की घोषणा की गई. इस बार 19 दिन के लिए लॉकडाउन रखा गया.
यह अवधि तीन मई को पूरी होने वाली थी लेकिन इससे ठीक दो दिन पहले एक बार फिर लॉकडाउन को दो सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है.
दुनिया भर में जहां कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 33 लाख के पार पहुंच गए हैं वहीं मरने वालों की संख्या भी दो लाख 37 हज़ार से अधिक हो गई है.
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक़, भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 35 हज़ार से अधिक हैं जबकि मरने वालों की संख्या 1152 है. देश का सबसे अधिक प्रभावित राज्य महाराष्ट्र है जहां संक्रमितों की संख्या 10 हज़ार से अधिक है. दूसरा सबसे अधिक प्रभावित राज्य गुजरात है, जहां संक्रमण के कुल चार हज़ार से अधिक मामले हैं.
महाराष्ट्र में मरने वालों की संख्या जहां साढ़े चार सौ से अधिक है वहीं गुजरात में मौत का आँकड़ा 214 के पार है.
भारत सरकार की ओर से शुरू से ही यह दावा किया जाता रहा है कि उन्होंने सही समय पर सही रणनीति अपनाई. कठोर फ़ैसले लिए. जिसका परिणाम है कि भारत में कोरोना वायरस के मामले कई देशों की तुलना में बेहद कम हैं. सरकार दावा करती रही है कि उसने परिस्थिति को बेहतर तरीक़े से संभाला है.
हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन भी भारत के इस दावे का समर्थन करती नज़र आई है. भारत ने अब तक कोरोना संक्रमण को लेकर जो क़दम उठाए हैं, उसकी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तारीफ़ की है.
लेकिन समय-समय पर यह भी सवाल उठते रहे हैं कि भारत में संक्रमण की असल तस्वीर सामने नहीं आ पा रही है.
क्रमण के कुछ हॉट स्पॉट्स में काम कर रहे डॉक्टरों का दावा है कि देश में वायरस संक्रमण की असल तस्वीर सामने ही नहीं आ रही है.
उनका दावा है कि बड़े पैमाने पर टेस्टिंग नहीं होने की वजह से संक्रमित लोगों की तादाद सरकार की बताई संख्या से ज़्यादा हो सकती है. हालांकि, सरकार टेस्ट कम होने के आरोपों को ख़ारिज करती रही है.
भारत में संक्रमण के कुल 35 हज़ार से अधिक मामले हैं और एक मई सुबह नौ बजे तक देश में कुल 902654 सैंपल टेस्ट किए जा चुके हैं. भारत में हर रोज़ 50 हज़ार से अधिक टेस्ट किए जा रहे हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक मई को प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि बीते 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 1993 मामले आए. प्रेस कॉन्फ्रेंस में लव अग्रवाल ने बताया कि भारत में मरीज़ों की रिकवरी रेट 25.37 प्रतिशत हो गई है.
30 अप्रैल को पीआईबी द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक़, भारत में मृत्यु दर 3.2 प्रतिशत के क़रीब है.
एक अहम बात यह है कि भारत में कोरोना वायरस से मरने वालों में पुरुषों की संख्या महिलाओं की तुलना में अधिक है. पुरुषों में मृत्यु दर जहां 65 फ़ीसदी है वहीं महिलाओं में 35 फ़ीसदी.
मरने वालों में 45 साल से कम उम्र के क़रीब 14 फ़ीसदी लोग हैं. 45-60 साल के बीच के लोगों का प्रतिशत 34.8 प्रतिशत है. मरने वालों के 51.2 प्रतिशत मामले 60 साल से अधिक उम्र के लोगों के हैं.
भारत में संक्रमण के मामले 11 दिनों में दोगुना हो रहे हैं. यहां इस बात का ज़िक्र करना अहम है कि लॉकडाउन से पहले तक कोरोना वायरस संक्रमण के मामले 3.4 दिन में दोगुने हो रहे थे
हालत को सुधरने में वक्त जायेगा , यह लड़ाई बहुत संयम व सावधानी से लड़नी है
मुझे विश्वास है हम जल्द ही इससे बहार आ जायेगें ।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
ये बिल्कुल सही है कि लोकडाउन ने कोरोना के मरीजो की बहुत बड़ी संख्या पर अंकुश लगाया है , यधपि भारत को लोकडाउन न किया गया होता तो आज भारत के हालात शायद इटली ओर अमेरिका से भी बदत्तर हो गए होते और रही बात भारत के धीरे धीरे लोकडाउन से बाहर निकलने की तो शायद वह तीसरी बार किये गए इस लोकडाउन से काफी हद तक बाहर निकल गया होता परंतु राज्य सरकारों की अपनी चांदी न बनने के कारण व अपने निजिधनस्वार्थ को पूरा करने के लिए मरीजो पर रकम खर्च करने के लिए पैसा न होने का हवाला देते हुए जो शराब की दुकाने खुलवाई गई है , उन्हें देख ऐसा प्रतीत होता है मानो इनकी बुद्धि जैसे घांस चरने गई हो और पैसे ओर कुर्सी के अलावा इन्हें जनता से कोई मोह न हो । सरकार की इस हरकत से मरीजो की संख्या में जो इजाफा होगा और मजदूरी तक न होने की दशा में शराबियों के द्वारा जो घरों का सत्यानाश होगा वह सब सरकार की ही देन होगी । जिसके लिए सरकार धन्यवाद की पात्र तो है ही ।
- परीक्षीत गुप्ता
हीमपुर दीपा - उत्तर प्रदेश
लाॅकडाउन से धीरे धीरे अब हमें बाहर आना ही होगा सरकार को जो प्रयास करने थे बहुत अछ्छे से कीये जनता को जीतने नियम पालना थे उन्होने भी पालन कीये। ऐसा तो लम्बे समय तक नही चल सकता है। यदी हमें कोई गम्भीर बिमारी हो जाये तो क्या हम डाॅकटर के बताये परहेज नही करते? यदी हमें स्वस्थ जीना हैं तो परहेज करना ही होंगे वेसे ही अब सरकार को भी धारा 144 के साथ धीरे धीरे लाॅकडाउन को छुट देनी ही होगी पुलिश को नियम पालन लगातार करवाना चाहिये कही भी भीड़ ना हो इस लिये कदम उठाने चाहिये आम जनता को भी अपनी सुरक्षा आप करनी चाहिये इस कोरोना वायरस से लड़कर जीता जा हकता है मेरा मतलब साफ है अब हमे इस वायरस से लड़कर ही जीतना होगा अपनी सुरक्षा आप करनी होगी सरकार डाॅकटरो द्वारा बताये सभी नियम हमें सतर्कता के साथ जीना होगा अब सुरक्षा ही बचाब हैं ।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्यप्रदेश
अभी यह कहना बहुत जल्दबाजी होगा कि लाॅकडाउन से धीरे धीरे बाहर आ रहा है भारत। क्योंकि कोरोना आपदा अभी टला नहीं है। नित्य नए नए आंकड़ों के साथ बिमारी के बढ़ने का खतरा बदसूरत जारी है। लोग अभी कोई भी खतरा मोल लेने को तैयार नहीं हैं।काम धंधे सब बंद पड़ा है। कुछ जरूरी उपयोग में आने वाले समान के दुकानों को छोड़कर जिनमें सब्जी राशन और मेडिकल सुविधाएं। जो लोग घर से निकल भी रहे हैं तो उनके पास आर्थिक मजबूरी है अन्यथा वह भी नहीं निकलते।जब तक स्थिति सामान्य नहीं हो जाती तब कुछ कहना मुश्किल है।
- भुवनेश्वर चौरसिया 'भुनेश"
गुड़गांव - हरियाणा
भारत में लॉकडाउन तो धीरे धीरे खत्म हो ही जायेगा, आखिर सरकार कब तक पूरे देश को लॉकडाउन रखकर आर्थिक नुकसान वहन करेगी। सरकार को हम नागरिकों की चिंता है इसलिये लॉकडाउन का कदम उठाया गया। अब हमें अपनी कुछ गैरजरूरी व गलत आदतों को लॉकडाउन करना होगा तभी कोरोना जैसी बीमारी को लॉकडाउन कर पायेंगे।
- दर्शना जैन
खण्डवा - मध्यप्रदेश
भारत को धीरे-धीरे ही लॉक डाउन से बाहर आना चाहिए और इसी नीति के तहत योजनाबद्ध तरीके से रेड, अॉरेंज और ग्रीन जोन बना कर धीरे-धीरे छूट देते हुए लॉक डाउन से बाहर आने का प्रक्रिया को गति देने का सरकार प्रयास कर रही है।
इसमें जनता को पूरी तरह सहयोग करना होगा। होता यह है कि छूट का प्रावधान, चाहे वह नियमों के तहत ही मिल रहा हो, मिलते ही जनता उसे तोड़ने के लिए टूट पड़ती है। आज शराब की दुकानों पर दिखी भीड़ ने यही तो साबित किया है कि शराब ही जीवन के लिए सबसे बड़ी और उपयोगी चीज है जिसे लेने के लिए नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए टूट पड़ो।
इतने दिन से जो प्रयास और संघर्ष किए गए और किए जा रहे हैं उसका फायदा तभी होगा जब लॉक डाउन, हटे या रहे... उसे स्वयं जीवन में आत्मसात करते हुए देश की जनता सभ्य और समझदार नागरिक की तरह मानती रहेगी।
लॉक डाउन तो एक सीमा के बाद हटेगा ही, पर यदि लोगों ने नियमों को धता बता कर, अपनी जीवन शैली में परिवर्तन किए बिना, पूर्ववत जीना शुरू कर दिया तो यह अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा। अब लोगों को स्वयं निर्णय करना होगा।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
यह लाॅक डाउन का तीसरा चरण चल रहा है । अभी हमारे देश की स्थिति बहुत अच्छी नहीं कही जा सकती है ।पहले की उपेक्षा दिनों_ दिन लोग संक्रमित हो हीं रहें हैं । हां, ये बात भी सही है कि लोग ठीक भी हो रहें हैं । दरअसल इतने दिनों से हर काम बिल्कुल बंद रहने के कारण काम काज पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है । इसीलिए कुछ शर्तों पर कुछ रियायतें दी जा रही है। जितने भी अतिआवश्यक सर्विसेज हैं उनको विशेष रूप से छूट दी जा रही हैं ,जो अब ज़रूरी भी है ।देश के हर भाग को लाल, नारंगी,हरा,जोन में बांटा गया है ओर उसी के अनुसार उनको छूट दी जा रही है । अभी हमारे देश से कोरोनावायरस का खतरा टला नहीं है ।अब बहुत से लोग इस बीमारी से कैसे खुद सावधान रहें ये भी काफ़ी हद तक जाने गये हैं ।फलत: ऐसा प्रतित हो रहा है कि लाॅक डाउन से भारत बाहर आ रहा है , परंतु हमें अभी भी सारे दिए गए निर्देशों का पालन करना चाहिए और अत्यंत आवश्यक हो तभी बाहर निकालना चाहिए । जितना हम सब नियम निर्देशों का पालन करेंगे सम्भवतः उतना हीं अच्छा रिजल्ट आयेगा।इस महामारी की जंग में सभी का सहयोग होना चाहिए तभी हमारा भारत एक बार पुनः भयमुक्त ओर रोगमुक्त होकर उभरेगा ।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
भारत द्वारा कोरोना संक्रमण को लेकर जो कदम उठाये गये है उनका समर्थन W.H.O.ने भी किया है l प्रश्न उठता है कि जब संक्रमण की स्थिति नियंत्रण में है तो लॉक डाउन तीन की आवश्यकता क्यों पड़ी ?इसके पीछे मंशा यही है कि एकदम लॉक डाउन से बाहर आने पर संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है अतः भारत लॉक डाउन से धीरे धीरे बाहर आ रहा है तथा जोन के आधार पर लॉक डाउन में प्रभावी रण नीति के तहत छूट दी जा रही है l
लेकिन प्रवासी मजदूरों की लाइफ इस्टाइल जिसमें खान पान पर्सनल हाइजीन प्रमुख हैं l खतरे का बड़ा कारण है अतः लॉक डाउन से बाहर आने में स्तरीय प्रयास काफी कारगर होंगे l
आज कोरोना संकट वैश्विक स्वास्थ्य संकट नहीं रहा वरन आर्थिक संकट भी बन चुका है अतः स्थानीय ग्रामीण रोजगार उद्योग धंधों कृषि कार्यो को लॉक डाउन से बाहर लाने को प्राथमिकता प्रदान करनी चाहिए l
करोङो भारतीयों की जान बचाना हमारा उद्देश्य है न कि लॉक डाउन से बाहर आना ,सारा प्रश्न स्वीकार्यता का है l आज हर
भारतवासी अपने प्राणों की क़ीमत पर लॉक डाउन से बाहर नहीं आना चाहता है l उसने इसे स्वीकार्य कर लिया है l
लेकिन दूसरी तरफ रोजी रोटी के संकट और आर्थिक संकट का सामना करने के लिए लॉक डाउन से बाहर आने के स्तरीय प्रयास काफी कारगर होंगे l ध्यान रहे -
पहले तो पहले ये चुपके चुपके
यूँही हिलते डुलते हैं
ये कोरोना के बंद दरवाज़े हैं
साहब !आखिर ,
खुलते खुलते ही खुलते हैं
अपने घर के दरवाजों से
धीरे धीरे ही
बाहर आना है l
इसके लिए -
1. लॉक डाउन धीरे धीरे संक्रमण प्रभावित दुर्बलता को देखकर जोन वाइज प्राथमिकता के आधार पर खोले l
2. कोरोना फ्री जिलों में पहले बाहर आएं l 3. रिटेल स्टोर पहले खोलें ,कॉलोनी ,मोहल्ले की दुकानें पहले खोलें l 4. स्कूलों व आई .टी .सेंटर पूर्ण प्रतिबंधित हों .
5. कृषि कार्य ,मनरेगा सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कराते हुए करें l
6. फिक्की के सुझावों के अनुरूप है l लॉक डाउन से बाहर आवे l जैसे -होटल ,सिनेमाघर ,मॉल पूर्ण बंद रहें l
7. साप्ताहिक बाज़ार फैक्ट्रियां ,गोदाम ,वर्कशॉप नहीं खोलें जाये l
8. सार्वजनिक परिवहन बंद रहें l ग्रीन जोन में 25%बसें ,50%यात्री भार के साथ चलें l
9. धार्मिक ,सामाजिक संस्थाएँ बंद रहें l
10. क्रेता -विक्रेता बिना मास्क के गतिविधियाँ नहीं करें ,बिना मास्क करने पर जुर्माना लगे l
11. शाम सात बजे से प्रातः सात बजे तक जीरो मोबिलिटी प्रभावी रहे l
चलते चलते -
आज कोरोना विनाश के उत्पात से हटकर ,
निर्माण के गीत गाओ
बनकर "नींव की ईंट "
एक नया भारत बनाओ
मेहनत रूपी कला की
कब नहीं बनी है "आकृति "
ब्रम्हा की भाँति तुम भी
एक" रचियता "बन जाओ l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
भारत लाॅकडाउन से धीरे-धीरे बाहर आ रहा है या नहीं आ रहा है। इस पर कहना ज्यादा सुखद नहीं है। जितना सुखद भारतीयों की भयमुक्त मानसिकता से उभरने का आ रहा है।
क्योंकि यह लाॅकडाउन ही है जिसने भारतीयों को पुलिस की प्रशंसा करना सिखाया है। यह लाॅकडाउन ही है जिसने गंगा के पानी को शुद्ध निर्मल और पीने योग्य बनाया है। यह लाॅकडाउन ही है जिसने कभी समाप्त न होने वाले प्रदूषण को समाप्त किया है अर्थात प्रदूषणमुक्त भारत बनाया है। यह लाॅकडाउन ही है जिसने समस्त नागरिकों को प्रधानमंत्री की आज्ञा का पालन करना सिखाया है। यह लाॅकडाउन ही है जिसने घूस की दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाया है और यह लाॅकडाउन ही है जिसने सम्पूर्ण भारत को पारदर्शी बनाया है।
आशा यह भी है कि जिस प्रकार भारत की विधायिका कार्यपालिका और पत्रकारिता पारदर्शी हो गई है। उसी प्रकार यदि न्यायपालिका भी सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित होकर पारदर्शी बन जाए, तो मेरा दावा है कि भारत पुनः सोने की चिड़िया बन कर विश्व तो क्या स्वर्ग में उड़ने लगेगा।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
लॉक डाउन का तीसरा दौर शुरू हो चुका है। इस अवधि में कोरोना भारत में अपनी अधिकतम सीमा को पा चुका है । इसके बाद संख्या घटने का क्रम शुरू होगा । अब इस विश्वास के साथ राहत दी जा रही है कि लोग खुद से खुद का ध्यान रख सकेंगे ।
इसका असर लोगों को इस हद तक डरा गया है कि साधारण मनुष्य अब हमेशा दूरी बना कर चलेगा । फिर भी समाज में हर दिमाग एक जैसा नहीं सोचता । उसमें कुछ खुराफाती (तब्लीगी जमात या आतंकवादी) लोग हमेशा दूसरों का अहित ही करना चाहते हैं । इसलिए हमें वैसे लोगों से सावधान रहना होगा ।
काफी राहत की खबर है कि कुछ सरकारी दफ्तर व दुकानों को, जो ग्रीन जोन में हैं कुछ शर्तों के साथ खोलने का निर्देश मिला है। यही निर्देश बहुतों को राहत पहुंचाएगी । परन्तु आने वाले संकट को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते । जहाँ हम नेट पर काम से लेकर पढ़ाई तक करना सीख गए हैं, वहीं स्थानीय रोजगार बंद पड़े हैं । बस, ऑटो या अन्य वाहन के लिए कोई परेशानी नहीं है ।मगर गृह उद्योग-धंधों का फिर से चालू होना सरकार के लिए चुनौती बन रहा है । लेकिन आशा की किरण अभी मौजूद है और हमारे हौसले भी बुलंद हैं तो हम इस बढ़ से भी उबर पाएंगे ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
दो हफ्तों के लिए डाउन को बढ़ा दिया गया है ।लॉक डाउन 3 के लिए नई गाइडलाइन भी जारी कर दी गयी है ।
आपको बता दें कि अकेला भारत ही नहीं है जो लॉक डाउन से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है ,बल्कि वे देश भी हैं जो अब तलक लाक डाउन से बाहर आने का प्लान बना चुके हैं, जहां कोरोना ने जबरदस्त तबाही मचा रखी है ।
कोरोनावायरस हिंदुस्तान पर ही नहीं बल्कि पूरे दुनिया पर कहर मचाये है मगर इससे बचने का जो रास्ता चीन ने दिखाया उसी पर पूरी दुनिया अब तक आगे बढ़ रही है। क्योंकि जिसने भी लॉक डाउन में देरी की ,उसी देश का बुरा हाल हुआ ,भले ही वह अमेरिका ,इटली, फ्रांस ,स्पेन व जर्मनी हो ।मगर अब दुनिया की तीन चौथाई आबादी पिछले कई महीनों से लॉक डाउन मे कैद है । परन्तु भारत अब अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए धीरे-धीरे एग्जिट प्लान तैयार कर रहा है। जाहिर है कि लॉक डाउन से बाहर आने के लिए भारत सावधानी के साथ इससे बाहर आने की योजना तैयार कर रहा है ।हालांकि भारत के हालात दूसरे देशों से बेहतर है। लेकिन कोरोनावायरस के कहर के मद्देनजर इसे पूरी तरह नही खोला जा सकता न ही इसे बिल्कुल खोलकर मेहनत पर पानी फेरा जा सकता ।
इसलिए दुनिया के दूसरे देशों की तरह भारत भी कई दौर में इसे लाने के रास्ते पर ही आगे बढ़ेगा ,।यही वजह थी कि 3 मई को लॉक डाउन नहीं हटा ।रेड जोन इलाकों में सख्ती से पालन की आवश्यकता है ,इसके बाद ऑरेंज और ग्रीन के साथ छूट दी गई है। कोशिश की जा रही है की ऑरेंज जोन धीरे धीरे ग्रीन जोन मे बदला जा सके ।
ईरान ,इटली और वुहान में लॉक डाउन समाप्त हो चुका है, । स्पेन में आंशिक तौर पर हटा दिया गया है ।यह वह तमाम देश है जहां कोरोना का कहर अभी खत्म नहीं हुआ है ,मगर क्या करें,वहाँ अर्थव्यवस्था बिगड़ने के डर से लॉक डाउन खोल दिया गया। क्योंकि कोरोनावायरस से बचेंगे तो भुखमरी से मरेंगे ।बस यही एक समस्या है ।इसलिए लॉक डाउन को आंशिक तौर पर धीरे धीरे खोला जा रहा है।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
यह नितांत सत्य है की वर्तमान पीढ़ी ने लॉक डाउन का अनुभव पहली बार इतने लंबे समय तक किया है। लाॅक डाउन का अनुभव इसके पहले किसी भी तरह के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए नहीं किया गया था। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए यह बहुत अनिवार्य भी था इस तरह के अनुभव से गुजरने के पश्चात लोगों के व्यवहार में ,लोगों की सोच में, लोगों की मानसिकता में बहुत परिवर्तन आए ।कुछ परिवर्तन सुखद है तो कुछ परिवर्तन अच्छे नहीं कहे जा सकते हैं। सुखद परिवर्तन में यह है कि लोगों ने एक दूसरे की भलाई करना, समृद्ध लोगों ने गरीबों की मदद करना और सामान्य लोगों ने भी एक दूसरे की मदद के लिए हाथ बढ़ाने का प्रयास किया ।मानवता की मिशाल हमारे उद्योग पतियों ने अपने योगदान के द्वारा पेश की। लॉक डाउन के दौरान जहां संवेदनशीलता बढ़ी है ,वहीं पर कुछ भयभीत करने वाले अनुभव लोगों के रहे हैं।डाक्टर्स पर हमले,पुलिस कर्मियों पर पथराव आदि, और यह समझा जा रहा है कि संक्रमण मई 2020 के अंत तक काफी हद तक नियंत्रित हो जाएगा। तीन जोन में अभी पूरे देश के प्रत्येक जिले को बांटा गया है ।निस्संदेह, हम धीरे-धीरे लाॅक डाउन से बाहर निकलते जाएंगे और एक समय होगा जब हम पूरी तरह से बाहर हो जाएंगे।हमें संक्रमण से निजात मिल जाएगी।
अरविंद श्रीवास्तव असीम
दतिया - मध्य प्रदेश
" मेरी दृष्टि में " लॉकडाउन में कोरोना से प्रभावित क्षेत्र को छोड़कर , सब में सुविधाएं धीरे - धीरे शुरू हो जाऐगी ।बाकी आने वाले समय में स्पष्ट हो जाऐगा ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र
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