अब वक्त आ गया है कि कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं ले ?

कोरोना के खिलाफ जंग लड़ते हुए ऐसी स्थिति आ गई है । जिसमें सब को अपनी - अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं उठानी होगी । तभी हम कोरोना की जंग जीत सकते हैं । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को भी देखते हैं : -
बिल्कुल! यह बहुत जरूरी है कि अपनी सुरक्षा का दायित्व हम स्वयं लें न केवल कोरोना काल में वरन् सुरक्षा की सजगता हमेशा रहनी चाहिए। जब हर कोई अपनी सुरक्षा के प्रति सजग हो जाए तो काफी हद तक काबू पाया जा सकता है।
       - गीता चौबे "गूँज"
        राँची - झारखंड
मनुष्य को हर हाल में अपनी जिम्मेदारी स्वयं ही लेनी पड़ती है यह तो वर्षों से ही होता आ रहा है माता-पिता हमें उंगली पकड़ के चलना सिखाते हैं पर एक उम्र के बाद वह हमें छोड़ देते हैं जैसे बेटियां होती हैं तो उनका विवाह कर दिया जाता है लड़कों को भी नौकरी के लिए बाहर जाना पड़ता है।
जिंदगी में कभी ना कभी हमें अपने पैरों पर खड़े होना पड़ता है मां-बाप भी यही सिखाते की सारी उम्र साथ कोई नहीं देता है भगवान का एक सहारा और विश्वास रखकर ही हमें उस असीम शक्ति की और विश्वास रखना सिखाते हैं कि वही जरूरत पड़ने पर मदद करता है दुनिया का कर्ताधर्ता है और उसके सहारे हमें इस दुनिया में अकेले छोड़ देते हैं ठीक उसी तरह हमें इस बीमारी और समस्याओं का भी सामना डटकर करना पड़ेगा स्वच्छता का ध्यान देना पड़ेगा सोशल डिस्टेंस  को फॉलो करना पड़ेगा और घर के बाहर तो हमें निकलना  मुंह पर कपड़ा बांधना पड़ेगा क्योंकि इंसान हो या जानवर सबको रोजी रोटी के लिए दौड़ना ही पड़ता है  खुद को भी सुरक्षित रखना अपने परिवार को भी सुरक्षित रखना है डर डर के जीना भी कोई जीना होता है हिम्मत रखना चाहिए हिम्मत रखने वाले की मदद भगवान करता है इस दुनिया में आए हैं तो कुछ काम करेंगे अपना नाम करो एक कहावत भी कही गई है जो हिम्मत रखता है उसी की मदद भगवान करता है सब ठीक हो जाएगा सब अच्छा होगा ऐसा विश्वास रखकर हमें अपने देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत करना है।
बंदे मातरम जय हिंद
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्य प्रदेश
हम सबने कोरोना से अपनी सुरक्षा स्यम करनी होगी , कोरोना से लड़ना भी हैं और जीना भी तो भविष्य में सावधानी से ही काम करना होगा 
लॉकडाउन से देश से कोरोना खत्म नहीं होना वाला है। अगर हम सोचें कि किसी एरिया में लॉकडाउन कर दिया और वहां केस जीरो हो जाएंगे तो ऐसा पूरी दुनिया में नहीं हो रहा है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि कोरोना वायरस खत्म नहीं होने वाला, लोगों को इसके साथ ही जीने की आदत डालनी पड़ेगी। सीएम ने कहा कि लॉकडाउन कोरोना वायरस का इलाज नहीं है, बस ये इसको फैलने से रोकता है। केजरीवाल ने कोरोना संकट से निपटने के प्रयासों के लिए केंद्र सरकार और पीएम मोदी की प्रशंसा करते हुए उन्हें बधाई दी। सीएम ने कहा, 'केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं कि उन्होंने समय रहते 24 मार्च को लॉकडाउन लागू कर दिया।' 
खत्म नहीं होने वाला कोरोना: सीएम 
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन करने से देश से कोरोना खत्म नहीं होना वाला है। उन्होंने कहा कि अगर हम सोचें कि किसी एरिया में लॉकडाउन कर दिया और वहां केस जीरो हो जाएंगे, ऐसा पूरी दुनिया में नहीं हो रहा है। अगर हम पूरी दिल्ली को लॉकडाउन करके छोड़ दें तो केस खत्म नहीं होने वाले। लॉकडाउन कोरोना को कम करता है, खत्म नहीं करता। 
कोरोना के साथ जीना होगा 
केजरीवाल ने कहा कि अब वक्त आ गया है अर्थव्यवस्था को खोलने का। अब दिल्ली पूरी तरह तैयार है। लॉकडाउन के बाद अगर पॉजिटिव केस बढ़ते भी हैं तो हम लोगों को तैयार रहना है। केंद्र सरकार को चाहिए कि हर राज्य को अपनी तैयारी करनी चाहिए और केंद्र सरकार को चाहिए कि धीमे-धीमे राज्यों से लॉकडाउन खोला जाए। उन्होंने कहा कि जो रेड जोन है केवल उन इलाकों को बंद रखना चाहिए बाकी इलाकों को खोलना चाहिए। ऐसे में और लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। 
सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में केवल तीन कंटेनमेंट जोन में 60 फीसदी मौत हो रही हैं। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मरकज से कम से कम 3,200 लोगों को निकाला। इसमें से 1,100 लोग संक्रमित मिले और 700-800 विदेशों से आए लोगों में संक्रमण की पुष्टि हुई। काफी कंट्रोल किया गया है। उन्होंने कहा, 'हमने 35 हजार से अधिक लोगों को होम क्वारनटीन किया था। अगर हमने शुरुआती कदम न उठाए होते तो दिल्ली में 25 से 30 हजार केस होते, इसलिए मैं कह रहा हूं दिल्ली ने मुश्किल लड़ाई लड़ी।' 
केजरीवाल ने बताया ऐक्शन प्लान 
सीएम ने कोविड-19 महामारी पर काबू पाने के लिए दिल्ली सरकार के ऐक्शन प्लान की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस लॉकडाउन में दिल्ली सरकार ने कोविड हेल्थ सेंटर बना लिए, पीपीई किट जमा कर लिए और टेस्ट किट भी इकट्ठा कर लिए हैं। 
 हम सबको सचेत रहना है। कोरोना में ही रहना हैऔर अब कोरोना के साथ ही जीना पड़ेगा
नयी दिल्‍ली। देश इस समय कोरोना संकट से जूझ रहा है। अब तक जो आंकड़े सामने आये हैं उसके अनुसार देश में 37776 लोग संक्रमित हो चुके हैं और 1223 लोगों की मौत भी हो चुकी है। कोरोना संक्रमण का इलाज अब तक खोजा नहीं जा सका है। अब तक केवल शोध कार्य जारी हैं, लेकिन कोई पुष्‍ट दावे नहीं किये जा सके हैं कि कोरोना की दवा खोज ली गयी है। कोरोना से बचाव का एक मात्र उपाय सोशल डिस्‍टेंसिंग ही रह गया है।
अब हमें स्वंयम यह लड़ाई लड़नी है कोरोना से बचाना है जीवन जीना है 
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
एक अदृश्य असुर ने विश्व भर में कहर मचाया हुआ है ।  कोरोना नामक इस लाइलाज वायरस से निपटने के लिए हमारे देश में करीब 65 दिनों से लाॅकडाउन चला हुआ है  । घंटी ताली थाली से  लेकर अब लाॅकडाउन का चौथा चरण है  । लाॅकडाउन के चलते कुछ आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर आय के स्त्रोत बंद कर दिए गए हैं । निवेश विनिवेश शुन्य है  । परिणाम यह है कि अर्थव्यवस्था चरमरा गई है  । देश विदेश से लोग अपने घरों को लौट कर वापस आ रहे हैं  । मजदूर श्रमिक अपने अपने घरों को लौट रहे हैं  । इस घर वापसी ने भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं , पर यह घर वापसी अब संक्रमण का सबब बन रही है  । और लम्बे समय तक लाॅकडाउन जारी रख पाना भी सम्भव नहीं है । हालात के मुताबिक हम सबको अपनी जीवन शैली में बदलाव करना जरूरी है  । यह जरूरी ही नहीं समय की मांग भी है । जब तक इस अदृश्य असुर का संहार करने वाली शक्ति नहीं प्रकट होती है तब तक हमें इस कोरोना के खिलाफ संग्राम को लम्बा खिंचना होगा  । मास्क पहनना  , हाथ सफाई बारम्बार  करना  , सैनेटाइजर का निरन्तर प्रयोग करना  ,  दो गज की दूरी   , अनावश्यक रूप से घर से  बाहर ना निकलना , खान - पान की शैली में  बदलाव करना  जैसे  कदम अपनी दिनचर्या में शुमार करने होंगे  । हो सके तो पैदल ही आवागमन हो  । अपने ही  वाहन में  आना जाना हो  । बाजारों या मधुशाला में जो भीड़ दिखाई दे रही है वो भविष्य के लिए सुखद संकेत नहीं है  । भीड़ में शामिल होने की गलती ना की जाए । घरवास या एकांतवास ही जरूरी है । बचाव में  ही बचाव है और बचाव के लिए परहेज की आवश्यकता है  । परहेज है  दो गज की दूरी  । जितनी लापरवाही हम बरतेंगे उतना अधिक खामियाजा भुगतना पड़ेगा  । जब हम  स्वयं सुरक्षित  होगें तो जग सुरक्षित होगा  । नहीं तो आप मुए जग परलै  ।
- अनिल शर्मा नील 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
कोरोना का संक्रमण दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। संख्या में होने वाली बढ़ोत्तरी चरम सीमा छूने को है। वर्तमान स्थिति को देखा जाये तो आज भारत टॉप 10 संक्रमित देशों की सूची में आ चुका है और इसके बाद भी देश में लॉकडाउन 4 के अंतर्गत अधिक ढील प्रदान की गयी हैं।
यदि वर्तमान की समीक्षा की जाये तो ये कहना उचित होगा कि केन्द्र सरकार ने सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार पर छोड़ दी है।राज्य सरकार द्वारा जिला प्रशासन पर, जिले द्वारा स्थानीय प्रशासन पर और स्थानीय प्रशासन द्वारा सीधे नागरिको पर....।
अब जिस गति से दिन प्रतिदिन केस बढ रहे हैं अतः सावधानी भी उसी गति से बढ़ानी अनिवार्य होगी अन्यथा कोरोना हमें असावधान कर देगा।
आज किस व्यक्ति में कोरोना है, इसकी जानकारी हमें उपलब्ध नहीं है क्योंकि अभी हम टेस्टिंग करने में बहुत पीछे है इसलिए स्वतः ही सावधान रहे, यह परम आवश्यक है।
अब वह उचित समय आ गया है कि खुद को सावधान रखते हुए अन्य को भी अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं ले।
- विभोर अग्रवाल
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
अब वक्त आ गया है कि कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयम ले विषय मेरी दृष्टि से आज बहुत महत्वपूर्ण विषय है । क्योंकि आज यदि यह विषय मिला है तो हमें सब कुछ साफ कर 
देने की जरूरत है ।
दरअसल आज जनता को किसी सरकार , डॉक्टर अथवा अन्य किसी के भरोसे रहने की आवश्यकता नही है । क्योंकि आज जनता को भली भांति दिख जाना चाहिए कि इस बीमारी से कोई भी अछूता नही है इसलिए आज समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने आपको बचाने की उसकी स्वयम की जिम्मेदारी बन जाती है । जिसके लिए आज उसे स्वयं संकल्पबद्ध होने की आवश्यकता है । क्योंकि आज यदि हम सुरक्षित है तो ही हम से जुड़े लोग , समाज के लोग सुरक्षित है । अर्थात समूचा समाज व देश प्रत्येक व्यक्ति से जुड़ा है । इसीलिए प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं ही लेनी होगी ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
ये बात सच है कि पूरे विश्व मे कोरोना नामक महामारी फैली हुई है और सम्पूर्ण विश्व इस अदृश्य दुश्मन से आतंकित है,इसी के बचाव के लिए भारत सहित कई देशों में लौकडॉन किआ गया।कई महीने गुज़र गए और इस बंदी की वजह से पूरे देश को,देशवासियों को आर्थिक,मानसिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है ,इसलिए अब समय आ गया है कि हम सभी कोरोना से खुद के बचाव की ज़िम्मेदारी खुद उठाए।अब हमें इससे बचने के उपायों की जानकारी है तो हम संयमित जीवन शैली को अपना कर इस अदृश्य रोग से अपनी सुरक्षा खुद कर सकते हैं 
 -  संगीता सहाय
रांची - झारखण्ड
 क्या यह संभव है कि इस समाज में रहते हुए हम अपनी सुरक्षा की जिम्मेवारी ले सकें|एक समय था जब तुलसीदास का कथन अत्यंत सटीक था व एक सहयोगी  मार्गदर्शक का कार्य करता था| उन्होंने कहा था .......
'तुलसी इस संसार में भांति भांति के लोग |
सबसे हंस मिल बोलिए नदी नाव संयोग'|
 लेकिन आज इस कथन के अर्थ बदलने होंगे \आज के परिप्रेक्ष्य में जब हम सामाजिक दूरी की बात करते हैं तो भी लोग यह सब जानते हुए भी पहले की तरह मिल बैठना चाहते हैं |जो कि सम्भव नहीं  |इसलिए यह आवश्यक है कि  सभी इस बात को समझें कि किस प्रकार कोरोनावायरस  के विरुद्ध जंग जीत सकते हैं|  
लॉक डाउन  के बाद  जो लोग घरों से बाहर निकले हैं उन्हें यह समझना परम आवश्यक है कि अगर बाहर जाना  अत्यावश्यक है तो ही बाहर निकले |लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि   कोरोना  के डर से घर में तो नहीं बैठ सकते |ठीक है नहीं बैठ सकते, तो अपने व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए जो  करने योग्य है, करें |
और कुछ लोग इस गंभीर समस्या को मजाक में लेते हुए कहते हैं कि  कोरोना  और मोहब्बत एक जैसे हैं जब तक हो न जाएं तब तक पता नहीं चलता| इसका अर्थ यह हुआ कि हम इतने बेहोश हैं कि अपना जीवन भी दांव  पर लगाने के लिए तत्पर हैं |माना कि कुछ ऐसी आवश्यक सेवाएं हैं जिनसे हम बच नहीं सकते उनके साथ हमारा लेनदेन निश्चित है |क्योंकि  किसी भी समाज का    अस्तित्व पारस्परिक निर्भरता के बिना नहीं हो सकता इसलिए यह समझना अत्यावश्यक है कि बाहर तभी जाएं जब बहुत आवश्यक हो और ध्यानपूर्वक सभी प्रकार से सावधानियों का पालन किया जाए|
 प्राचीन काल की बात करें तो लोग सभी  नियमों का पालन करते थे |यात्राएं  बहुत कम करते थे| 40 मील से अधिक की यात्रा उनके लिए कठिन थी||लेकिन अब सभी बाहर जाने को बेचैन रहते हैं| दूसरे  देशों की बात करें तो यह स्पष्ट है कि वे सामाजिक दूरी का पालन नहीं करते थे इसलिए उन्हें भयावह स्थितियों से गुजरना पड़ा | अत: हमें अब विवेक पूर्वक समझने की आवश्यकता है| इस प्रकार की स्थितियों  पर  समझ पूर्वक रोक लगाने की आवश्यकता है| हमें अपने लिए अपने मन में संकल्प पूर्वक  लक्ष्मणरेखा  खींचने ही होगी ,  तांकि  उसके भीतर चल कर, सुरक्षित रह कर सभी सुनियोजित  ढंग से जीवन यापन कर सकें तभी हम तुलसीदास के कथन को यूं कह सकते हैं|
‘ तुलसी इस संसार में भांति भांति के लोग|’
 दूरी से सबको मिले दुर्लभ जीवन योग|
 - चन्द्रकान्ता अग्निहोत्री 
पंचकुला - हरियाणा

      कोरोना लाकडाउन -4 के अब मात्र छः  दिन बचे हैं।लाकडाउन -4 लाकडाउन के लिए नहीं जाना जाएगा बल्कि लाकडाउन मे सब तरह की छूट के लिए जाना जाएगा। ऐसी परिस्थिति मे कोरोना से लडने की जिम्मेवारी हर ब्यक्ति की अहम हो जाती है। कोरोना के बचाव के उपाय का सभी लोगों को सख्ती से पालन करना चाहिए। सरकार या पुलिस आपके साथ अब सख्ती नही करेगी कि कोरोना के बचाव के नियमों का आप पालन करें। सरकार के लिए अहम हो गया है कि वह अर्थव्यवस्था को पटरी पर लावे। जनता के लिए अहम हो गया है कि कोरोना के बचाव के जो तरीके हैं उसे सख्ती से अपनाये। हमें स्वतः इसके लिए अनुशासित होना है। ऐसा करके हम एक बड़े सामाजिक दायित्व का निर्वहन कर सकते हैं। कोरोना को फैलने नही देना है ,उसे बेड़ियों मे जकड कर सीमित कर देना है। यह हम सबो के लिए जन अभियान जैसा होना चाहिए। 
     यह ध्यान रहे कि हमें शारीरीक दूरी बना कर रखना है। अगर कोई कोरोना का मरीज मिलता है तो उसे चिकित्सा केन्द्र तक पहुचाना जन -जन का अभियान होना चाहिए।
   - रंजना सिंह
  पटना - बिहार
जी हाँ अब वक़्त आ गया है कोरोना के ख़िलाफ़ अपनी ज़िम्मेदारी स्वयं लेने का क्योंकि मेडिकल साइंस ने कह दिया कि अभी कोई इलाज नहीं है कोरोना रूप परिवर्तन कर रहा है इसलिए वैक्सीन नही बन पा रही है ।
कुछ भी हो ये तो सामान्यतया सभी समझते हैं कि अपनी सुरक्षा अपने हाथ में होती है सभी अपनी अपनी ज़िम्मेदारी सँभाल लें तो निश्चित ही कोरोना क्या कोरोना का बाप भी कुछ नहीं बिगाड़ सकता संक्रमण को सावधानी पूर्वक रहकर अपनी जीवन शैली को परिस्थिति के अनुसार बदल कर ही रोका जा सकता है । परिवार के मुखिया अपने परिवार की ज़िम्मेदारी ले प्रधान गाँव की ज़िम्मेदारी समझे इसी प्रकार सब अपने कर्तव्यों का पालन करें तो सभी स्वस्थ रह सकते हैं । ज़िम्मेदारी दी नही जाती है ज़िम्मेदारी ली जाती है और ये सुखद भविष्य के सभी का नैतिक दायित्व बनता है ज़िम्मेदारी लें । 
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
जी हां, सही कहा अब वक्त आ गया है कि कोरोना के प्रति अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी व्यक्ति स्वयं निभाए। यह दौर अब लाकडाउन में छूट के साथ शुरू भी हो चुका है। जब तक आप स्वयं अपनी सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार नहीं होंगे, तब तक कोई भी सुरक्षा उपलब्ध कराना व्यर्थ होगा। इसके लिए स्वयं जागरूक रहते हुए सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का अक्षरश: पालन और अतिरिक्त सावधानी बरतना ही सुरक्षा का उपाय है यदि आप स्वयं सुरक्षित रहें तो परिवार को समाज को राष्ट्र को सुरक्षित रखने में अपना योगदान दे सकते हैं। अन्यथा की स्थिति में स्वयं असुरक्षित, संक्रमित होकर कोरोनावायरस बढ़ाने के अलावा और कुछ नहीं कर सकते।अपनी जिम्मेदारी को समझिए उसका पालन कीजिए। सेनेटाइजेशन, हैंडवाश, सामाजिक दूरी, इम्युनिटी बढ़ाना,आरोग्य सेतु जैसे एप का प्रयोग करना,घर से बाहर अनावश्यक न जाना,भीड़ से बचना,मास्क का प्रयोग जैसे सामान्य नियमों के साथ सुपाच्य व ताजा भोजन करने की आदत अपनाना स्वयं को सुरक्षा के प्रति जिम्मेदार बनाएगा,यह सब तो आप कर ही रहे हैं। बहुत जिम्मेदार है आप।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस अपने पूरे उफान पर है, लाॅकडाउन को दो माह हो चुके हैं। कोरोना से बचाव हेतु सारी सावधानियों के विषय में लगभग सभी लोगों को ज्ञात हो चुका है। "जान भी और जहान भी" जैसी सोच के साथ जीना शुरू कर दिया गया है। सरकारी एवं प्राईवेट संस्थानों में कुछ शर्तों के साथ कार्य प्रारम्भ हो चुका है। बाजार भी लगभग खोल दिये गये हैं। लाॅकडाउन अब एक औपचारिकता मात्र रह गया है परन्तु कोरोना अपना अधर्म पूरी तत्परता से निभा रहा है। ऐसी स्थिति में इस बात में कोई सन्देह नहीं है कि कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं ही लेनी होगी।
देखा जाये तो सरकार सहित सभी को पहले से ही पता था कि कोरोना जल्दी समाप्त होने वाला नहीं है इसलिए लाॅकडाउन की यह दो माह की अवधि सरकार की ओर से नागरिकों के लिए एक प्रशिक्षण सत्र के समान थी। कोरोना से बचाव के लिए सामाजिक/शारीरिक दूरी, मास्क लगाना, भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचना, जीवनचर्या में ध्यान, योग को प्राथमिकता देना, अपनी प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि करने वाले साधन अपनाना, जैसी तमाम सावधानियों के विषय में मीडिया/सोशल मीडिया सहित अनेक माध्यमों द्वारा प्रत्येक व्यक्ति को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अब शेष है प्रशिक्षण के पश्चात की परीक्षा में हमारे द्वारा खरा उतरना। एक-एक व्यक्ति के ऊपर एक-एक सचेतक खड़ा नहीं हो सकता। कोरोना से बचाव के लिए हमें स्वयं ही स्वयं का सचेतक बनना पड़ेगा। 
निष्कर्षत: यह कहना उचित है कि अब वह समय आ गया है जब हम अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लेंगे तभी कोरोना के खिलाफ जारी इस युद्ध में हमारी विजय होगी।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
कोरोना के मामले जिस तेजी से देश मे बढ़ रहे हैं और सरकार लॉकडाउन में अधिक छूट दे रही है। रेल, हवाई सेवा शुरू हो गई है। राज्य सरकारें जून से बसों का भी परिचालन शुरू करने जा रही है। लोगों का आवागमन शुरू हो गया है। 
इस कारण भी देश में कोरोना के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। जून जुलाई में कोरोना के मामले चरम पर होंगे। देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए व्यापार व उद्योग धंधे शुरू हो गए हैं।  इससे अब वक्त आ गया है कि कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लेनी होगी। साथ ही कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी। यही सवाल जैमिनी अकादमी द्वारा सोमवार की चर्चा में उठाया गया है कि अब वक्त आ गया है कि कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं ले? सही बात है कि कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेना बहुत ही आसान है। सरकार का भी यही कहना है कि कोरोना से डरने की जरूरत नही है बल्कि इससे सावधान रहने की जरूरत है। सरकार का यह भी नारा है जो शत प्रतिशत सही है कि कोरोना योद्धाओं का सम्मान करें जिसमे डॉक्टर, नर्स, मेडिकल टीम, पुलिस, मीडिया, सफाईकर्मी और जरूरतमंदों तक भोजन, राशन सामग्री पहुचाने वाले। कोरोना मरीजों से भी नफरत ना करें उसे भी प्यार व सम्मान दे। कोरोना से अपनी सुरक्षा के लिए सबसे जरुरी सोशल डिस्टेंसिंग है। घर पर समय-समय पर साबुन से हाथ धोएं। जरूरी होने पर ही घरोँ से निकले। बाहर निकलने के समय मास्क जरूर पहनें। बाजारों में खरीदारी के समय सोशल डिस्टेंसिंग रखें। हाथ को सेनेटर्राईएज करते रहें। बाहर से घर आने पर जूता, चप्पल को बाहर खोलें। घर आते ही कपड़े को खोलकर अलग रखें। जरूरी हो तो कपड़े को गुनगुने पानी से धो दे और खुद ही स्नान करें। अपने मुहल्ले व आसपास के इलाके को सेनेटर्राईएज कराते रहें। गंदगी की सफाई हर समय करते रहें। सरकार की ओर से दिए गए गाइडलाइंस का पालन करके ही हम सभी कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा कर सकते हैं। 
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
हां होना भी चाहियें "अपनी सुरक्षा अपने हाथ" मेरा तो यही मंत हैं कोई कब तक आप की सुरक्षा कर सकता हैं? ओर कौन हैं जो आपको मारना चाहता हैं यह तो मात्र एक वायरस हैं ओर इसे हर व्यक्ती यदी चाहे तो अपनी सुरक्षा आप करसकता हैं तो काफी हद तक कोरोना वायरस पर हम विजय प्राप्त कर सकते हैं वैसे भी यह मसला व्यक्तीगत हैं अतः हर एक को अपनी सुरक्षा आप करनी ही चाहियें सुरक्षा भी क्या हैं? मास्क लगाना, एक दूसरे से दूरी बनाये रखना, हाथ हर बार बार बार धोते रहना, कम से कम वस्तुओं से काम चलाना उनहे सुरक्षीत घर में ले जाना फल सब्जी धो कर प्रयोग करना कपड़े धोकर सुखाकर पहन्ना आदी आदी सुरक्षा हर व्यक्ती अपने स्तर पर रख सकता हैं ओर रखना भी चाहियें। सरकार ने आपको सभी जानकारी समझा दी हैं अब आपकी बारी हैं।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
 कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आज लॉ क डाउन को पूरे दो  महीने हो गये ।
 प्रवासियों की एक जगह से दूसरी जगह जाने की कारण कोरोना के संक्रमण का खतरा और भी ज्यादा बढ़ गया है ।
आज की चर्चा  वास्तव में इस परिस्थिति को देखते हुए समया- नुकूल है क्योंकि इतने दिन हम सरकार के द्वारा दी गाइडलाइन को अपना रहे हैं तो क्या हमें स्वयं भी नहीं सहयोग करना चाहिए । अब तक हम लोक डाउन में सरकार के द्वारा दी गई गाइडलाइन को सिर्फ सरकार के डर की वजह से ही नहीं अपना रहे थे । नहीं -
हमें  भी करो कोना के संक्रमण का भी खतरा था ।
बहुत जरूरी है कि अब हमें स्वयं ही सतर्क व जागरूक रहना पड़ेगा ।आखिर लॉ क डाउन कब तक रहेगा ।
 मध्यमवर्गीय परिवार अपने परिवार को कैसे पाले  ?
अमीर परिवार को तो अपनी जमा पूंजी  ।
और गरीब परिवार को सरकार द्वारा सहायता प्राप्त हो जाती है  ।
परंतु मध्यमवर्गीय परिवार कि कौन सोचे  ?
                 कोरोना संक्रमण से बचाव यह केवल एक लड़ाई ही नहीं अपितु एक आंदोलन है। इसमें हम सबकी भागीदारी की आवश्यकता है।
 इसके लिए केवल जागरूकता ही पर्याप्त नहीं है बल्कि व्यवहार में परिवर्तन जरूरी है अब हमें यह मानकर चलना चाहिए कदम कदम पर को रोना  हमारे  साथ चल रहा है तब फिर हमें भी बचाव के लिए अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी  होगी ।            
          दिन गर्म पानी पिए  एक बार आयुष काढ़ा अ व श्य   पी ए अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाए   आहार पर ध्यान दें  खाने में हल्दी जीरा धनिया लहसुन आदि मसालों का प्रयोग करें
         मुख्य बात यह है हैंड सेनीटाइजर को अपना नया पार्टनर बनाएं  ।
नए  पार्टनर्(हैंड सेनीटाइजर)  को हमेशा  अपने संग  रखे ।
                 हर समय अपने हाथ में हैंड सेनीटाइजर रखें ।ये  सोचना है कि अगर एक हाथ में कोरोना आएगा जब दूसरे हाथ का सैनिटाइजर उसका मुकाबला करेगा तभी हम संक्रमण से बच सकते हैं ।
              सरकारी  आंकड़ों के अनुसार लोक डाउन के कारण 20 लाख मामले तथा 54000  मौतों को टाला जा सका है ।
कुछ इस तरह मैंने 
          कोरोना को दूर कर दिया ।
 किसी के घर गई नहीं 
           किसी को मना कर दिया।
 - रंजना हरित     
          बिजनौर -उत्तर प्रदेश
     सबसे लम्बा विभिन्न चरणों में विभाजित लाँकडाऊन ने अपना एक इतिहास रचा,  किन्तु जैसे-जैसे समय व्यतीत होता गया, वैसे-वैसे स्थितियां अनियंत्रित होते जा रही हैं। संख्याओं में एक दम से बढ़ोतरी हो रही हैं। जो हरे रंग में विभाजित था, अब लाल रंग में परिवर्तित हो गया हैं। क्या भविष्य में लाँकडाऊन अनुशासित रुप से पुनः  लागु करने की व्यवस्था करनी पड़ेगी, अगर ऐसा हुआ,  तो काफी हद तक परेशानियां भी हो सकती हैं।  जैसा कि वर्तमान में परिणाम देखने को मिल रहा हैं। अभी तक कोरोना महामारी की दवाएं सामने नहीं आई हैं। वहीं दवाई दी जा रही हैं, जो पूर्वोत्तर बीमारियों में दी जाती थी, फर्क  इतना हैं, पहले परहेज नहीं करते थे, रात में दवा खाते थे, सुबह काम पर निकल पड़ते थे। अब कुछ भी हुआ तो तुरंत कोरोना महामारी का प्रकरण बनाकर,  अनेकों प्रकार के परीक्षण किया जाता हैं और उक्त समयावधि में आराम से आनन्द रहने  की सलाह दी जाती हैं? तब परिवार भी उसी श्रेणी में नियंत्रित रहता और सभी धैसीयत के सांये में जीवन यापन करते हैं। पूर्व में विदेशों से देश में अपनी इच्छानुसार भ्रमण कर रहा था, आज अपने ही दरवाजे से बाहर, अपनों से मिलने को तरस रहा हैं। अब समय आ गया हैं, कोरोना के खिलाफ स्वयं मानव को जीवन शैली की दिनचर्या परिवर्तित करनी होगी, पृथक-पॄथक जिम्मेदारियां लेनी होगी, तभी आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर हो सकता हैं।  नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब मानव-मानव का दुश्मन बनने देर नहीं लगेगी।  अतः अपनी सुरक्षा ही सर्वोपरि हैं? 
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
 अब वक्त आ गया है एकदम सही बात है अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी हर व्यक्ति को लेना चाहिए हर व्यक्ति जिम्मेदारी लेता है तो समस्या ना ज्यादा नहीं होती है जितना जिम्मेदारी ना लेने से समाज में समस्याएं आती है हर व्यक्ति अगर समझदारी के साथ जिम्मेदारी लेता है तो काफी हद तक जो समस्या है उसको सुलझाया जा सकता है कहते हैं कि मेरी कोई सुरक्षा करें ऐसा होता नहीं है आदमी सुरक्षा का राह बताता है लेकिन स्वयं को इसकी जिम्मेदारी के साथ पालन करना होता है हां कोई भी व्यक्ति उसका सहयोगी बन सकता है और मार्गदर्शन दे सकता है लेकिन यह बात कहना थोड़ा मुश्किल लगता है कि मैं तुझे सुरक्षित रख लूंगा कोई किसी का सुरक्षा की गारंटी नहीं ले सकता आदमी शेर की गारंटी ले सकता है और इस  गारंटी की जिम्मेदारी लेने में  दूसरों से सहयोग ले सकता है। आज करो ना महामारी से बचने के लिए या सुरक्षित रहने के लिए हर एक व्यक्ति को सुरक्षित राणा होगा चयन की जिम्मेदारी के बल पर अगर जिम्मेदारी ना लेकर लापरवाही करने से खुद का नुकसान होगा साथ साथ परिवार और समाज का भी भला नहीं होगा। अतः हम सब की भलाई के लिए हमको सुरक्षा की जिम्मेदारी लेनी होगी हर व्यक्ति स्वयं की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेना है समझदारी है समझदार व्यक्ति ही  समाधान पूर्वक जी पाता है और समस्या पैदा करने वाले व्यक्ति कभी सुखी नहीं रहता ना दूसरों को सुखी रख पाता है अतः हम सबकी जिम्मेदारी है कि स्वयं इमानदारी के साथ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी लें और इस दुनिया से करो ना को भगाएं और भविष्य के लिए सुरक्षित योजना बनाएं।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ
वक्त आ गया है कि कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वंय लें विश्व स्वास्थय संगठन के अनुमान के अनुसार जून के महीने में भारत में कोरोना संकट बहुत तेजी के साथ बढेगा और जिस गति से मरीजो की संख्या बढ रही है यह अनुमान सही होने की प्रबल आशंका है जैसे जैसे सरकार लॉल डाउन में ढील दे रही है लोग बहुत ज्यादा लापरवाह हो रहे है यह संकट को बढाने वाला है लोगो को समझदारी से काम लेना होगा सरकार एक एक व्यक्ति पर हर समय निगरानी नही रख सकती लोगो को यह भी समझना चाहिए कि असावधानी उनके परिवार के लिए भी घातक सिद्ध हो सकती है किसी के लिए जान लेवा भी हो सकती है अर्थ वयवस्था और कामगारो के हालात को देखते हुए लॉक डाउन से सावधानी बरतते हुए धीरे धीरे बाहर आना होगा वास्तव में इस समय यह बहुत जरूरी है कि कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वंय ले और कोरोना संकट से निपटने में सरकार की सहायता करे निर्देशो का पालन करें..........................।
- प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
जी हां, अब वक्त आ गया है कि कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लें। बीते समय में अनेक माध्यमों से इससे सुरक्षित रहने के उपाय बार-बार बताए जा चुके हैं। जो ऐसा कर सकने में पूर्ण सक्षम हैं और इन उपायों को अपना रहे हैं, उन्हें अक्षम लोगों को सचेत करना होगा। हमारे समीप एक विद्यार्थी रहता है जिसके दोनों हाथ कोहनियों तक नहीं हैं।  उसका एक मित्र निरन्तर उसे मास्क पहनाने और हटाने में मदद करता है।  ऐसे मित्र को सादर नमन।  यह हम सभी के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण है ताकि हम अपने आसपास ऐसे अक्षम या शारीरिक विसंगति वाले लोगों की सहायता करने के स्वयं प्रयास कर सकें अथवा कोई राह सुझा सकें। कहा जा रहा है कि लाॅकडाउन में कोरोना के साथ रहने की आदत डालनी होगी।  निःसन्देह आगामी जीवन शैली बिल्कुल भिन्न होगी।  हमारे समाज का एक वर्ग ऐसा है जो इन सुरक्षा उपायों की धज्जियां उड़ाता है। ऐसे वर्ग के मुताबिक यह सब बेकार की बातें हैं।  यहां मुझे यक्ष और युधिष्ठिर प्रश्नोत्तरी का एक प्रश्न स्मरण हो आता है जिसमें यक्ष पूछता है कि इस संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है तो उत्तर में युधिष्ठिर कहता है कि हर रोज आंखों के सामने कितने ही प्राणियों की मृत्यु हो जाती है यह देखते हुए भी इंसान अमरता के सपने देखता है। यही महान आश्चर्य है। इसी भाव को मन में लिए यह वर्ग सुरक्षा उपायों का मजाक बनाता है। सरल शब्दों में कहें तो जिस प्रकार दुर्घटना से बचने के लिए हैलमेट लगाना, सीट बैल्ट लगाना और वाहन चलाते समय मोबाइल का प्रयोग न करना आवश्यक है उसी प्रकार वर्तमान में कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमें स्वयं ही लेनी होगी और साथ ही ऐसे वर्ग से दूरी बनाए रखनी होगी।  
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
हमारी सुरक्षा हम ही कर सकते हैं और  कोई नही ,तो क्यों न हम खुद सुरक्षित रहे और सबको समझा और कोई विकल्प नहीं है 
कारखाने बंद हैं, उत्पादन बंद है और बेरोजगारों की संख्या बढ़ रही है। लोग सब कुछ खोल देने के लिए सरकारों पर दबाव बना रहे हैं। सब कुछ खोलना तो पड़ेगा ही। हमें वायरस के साथ ही जीना सीखना होगा। लोग वायरस से संक्रमित होने का जोखिम तो उठाना चाह रहे हैं, पर भूख से मरना उन्हें मंजूर नहीं है।
हमारे सामने एक बड़ा प्रश्न यह है कि क्या हमें हमारा पहले वाला जीवन वापस मिलेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि कोरोना के बाद हमारा जीवन पहले जैसा कतई नहीं होगा। इस बारे में सोचते ही मेरे दिल में एक हूक-सी उठती है। विमान और ट्रेन से की जाने वाली यात्राएं, पर्यटन स्थलों की सैर, गांवों से लेकर शहरों तक में घूमना, सिनेमा, थियेटर, रेस्तरांओं में जाना, भीड़ भरी शादियों और सेमिनारों में जाना-क्या यह सब छूट जाएगा?
प्रेम और सौहार्द के लिए शारीरिक निकटता जरूरी है। प्रेम दूर से तो संभव नहीं है। तो क्या अब मांएं अपनी संतानों को बांहों में नहीं भरेंगी? क्या दोस्त एक दूसरे का आलिंगन नहीं करेंगे? वैज्ञानिक तो इस बारे में हमें कोई उम्मीद नहीं दिखा रहे। उनका कहना है कि कम से कम 2022 तक व्यक्तिगत दूरी का पालन करना होगा। ऐसे में, शायद दूरी बरतना ही मनुष्य का स्वभाव बन जाएगा।
कोरोना के इन चरम दुर्दिनों में जब विश्व मानवता के एकजुट होने की आवश्यकता है, तब विवाद, झगड़े और आरोप-प्रत्यारोप सामने आ रहे हैं। वैश्विक स्तर पर नेतृत्व के अभाव में सभी देश अपने-अपने स्तर पर कोरोना से जूझ रहे हैं। यह महामारी भी यदि पूरे विश्व को एकजुट नहीं कर पाई, तो फिर वैश्विक एका कभी संभव ही नहीं है।
ऐ दिल समझ ले ! कोरोना संग जीना सीख ले…लॉकडाउन के बाद भी नॉर्मल लाइफ मुमकिन नहीं रे बा बा न बा बा न 
अब हमारा जीवन उस तरह से सामान्य नहीं हो पाएगा जैसा कि कोरोना संकट से पहले था। यह बीमारी पूरी तरह तब तक खत्म नहीं हो सकती जब तक कि कोई वैक्सीन न खोज ली जाय या कोई कारगर इलाज न खोज लिया जाए
कुछ वायरस की प्रकृति ऐसी होती है उसका वैक्सीन खोजना कठिन होता है। हम कब तक इससे डर कर घऱों में कैद रह सकते हैं। कोरोना का खतरा लगातार बना रहेगा और हमें जीने के लिए बाहर निकलना पड़ेगा। अब ये हम पर निर्भर है कि बाहर निकल कर कैसे अपनी सुरक्षा करते हैं। यानी अब दिल को समझाना पड़ेगा कि हमें कोरोना संग ही जीना है।
मौत ....
लाकडाऊन से बहार निकलूँगा 
पहले वाला जीवन फिर जाऊगां 

मौत से क्यो घबरायें  तू प्राणी 
मौत तो आनी ही एक दिन जानी 
कोरोना को अपना दुश्मन समँझ 
उससे न टकराऊँ यही जतन करुगां !!

कोरोना का भय हटा दिया मन से 
आज़ादी व ख़ुशी भर गई मन में 

जीवन जीते तो है सब भरपूर 
मौत को भी तुम जियो भरपूर !!

मौत ही तो शाश्वत सत्य है 
बाक़ी सारा जीवन असत्य है !!

मानव पल पल मरता ही तो है 
फिर मृत्यु से इतना डरता क्यूँ है 


कर ले ईंश्वर भजन व नेक कर्म बंदे 
कर्म साथ जायेगें रिश्ते छूट जायेगे बंदे !!

मरने के लिये जरुरी है रोज़ रोज़ जीना 
जीने के लिये जरुरी है रोज़ रोज़ मरना !!

मोह पाश से ज़रा दूर होता जा 
चिंता फिक्र को दूर करता जा !!

कौन अपना कौन पराया जीवन में नहीं जाना 
मौत ने आते ही सब नज़ारे दिखा दिना !!

मृत्यु जीवन का अंतिम हस्ताक्षर 
अब नहीं बचा कोई साक्षात्कार 

न कोरोना से मरुगां न भूख से 
आज मन ने ठानी एक ही जगं!!

जीना जितना है खुल कर जिऐ 
कोरोना का डर अब हमें नहीं डरायें!!
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
यह तो सर्व विदित है कि चीन के वुहान शहर से निकले वायरस से सम्पूर्ण विश्व  पर मौत का संकट गहराता जा रहा है । कोरोना वायरस एक जैविक हथियार है  जिसने सम्पूर्ण विश्व में हाहाकार मचा दिया है । इसके कारण बीमारी का प्रकोप सुरसा के मुख की तरह निरंतर बढ़ता जा रहा है । यह मानव द्वारा मानव में संक्रमण फैला रहा है ।
हमारे देश में भी इस महामारी के कारण करीब पचास दिन से लाॅक डाउन लागू है ।
जिस समय हमारे भारत देश में आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने लाक डाउन की घोषणा की थी, तब लगभग पांच सौ मरीज कोरोना वायरस से संक्रमित थे, किन्तु देखते ही देखते पचास दिन बीतने पर आज संक्रमित व्यक्तियों की संख्या लाखों की संख्या पार कर चुकी है ।
इस कारण से इस महामारी की भयावहता को हम सब समझ सकते हैं । 
अब अधिक दिन लाॅक डाउन लगाना सम्भव नहीं है । देश में अन्य अनेक समस्याएं भी हैं । इसलिए अब कोरोना के साथ ही लोगों को जीवन जीना होगा ।
जहाँ सब कुछ सामान्य है वहाँ अब धीरे धीरे लाॅक डाउन की बंदिशे खुलने लगीं हैं ।
देश में सभी आर्थिक व्यापारिक सामाजिक उद्योग धन्धे कारखाने फैक्ट्री व्यापार आदि संस्थान जो बंद पड़े थे । अब खुलने की ओर हैं ।
क्योंकि अब विशेषज्ञ भी यह बात स्वीकार करने लगे हैं कि कोरोना नामक यह महामारी इतनी आसानी से जाने वाली नहीं है ।
देश के नागरिकों को सजग सावधान रहकर इस के साथ जीवन यापन करना सीखना होगा । 
सरकार भी आखिर कब तक लाॅक डाउन का पालन करा सकती है ।
देश में कामकाज बंद हो जाने के कारण मजदूरों के बीच रोजी रोटी के फाके पड गये हैं । 
कामकाज खुलेंगे तो सभी के हाथ को काम मिलेगा । और इस असहनीय स्थिति में सकारात्मक सुधार देखने को मिलेंगे ।
अब धीरे धीरे बंद पड़े संस्थानों और व्यापारिक प्रतिष्ठान में कामकाज प्रारंभ करने होंगे ।
अपने देश की अर्थव्यवस्था को सुधारना होगा । 
हमें स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग का दृढ़ संकल्प करना चाहिए ।
आपसी सहयोग सद्भाव के द्वारा इस संकट का सामना करना होगा । 

कोरोना के साथ जीवन यापन करने के लिए जनता को स्वयं सतर्क रहने की आवश्यकता होगी ।
क्योंकि सावधानी हटी दुर्घटना घटी ।

इस कोरोना महामारी के साथ जीवन यापन करने का सरल सहज तरीका है कि हम समाज में हमारी सनातन संस्कृति और संस्कारों को पुनः स्थापित करें ।
अपने अन्तर्मन में स्थित सकारात्मक ब्रह्म तत्व के प्रति जागरूक रहें ।
योग साधना संयम प्राणायाम ध्यान साधना आदि के द्वारा शारीरिक और मानसिक रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाये । 
यह समय कठिन एवं चुनौतीपूर्ण अवश्य है, इसके कारण भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है ।
इसका समाधान हमारे जीवन मूल्यों में सुधार और रहन सहन खानपान के तौर तरीकों में बदलाव के द्वारा किया जा सकता है ।
जनता जनार्दन को आपस में सोशल डिस्टेंस यानि सामाजिक दूरी का ध्यान रखते हुए दो मीटर की दूरी बनाकर रखना अति आवश्यक है । 
हाथ जोड़कर नमस्कार करने की अपनी सनातन संस्कृति को अपनायें 
कम से कम बीस सेकंड तक खुले नल के नीचे साबुन से हाथ धोने को दैनिक दिनचर्या में शामिल करें ।
फल सब्जी अथवा बाहर से लाई गई किसी भी वस्तु का स्पर्श करने पर हाथों को धोना और सैनीटाइज करना अति आवश्यक है ।
बार बार मुंह और नाक को छूने से बचना चाहिए ।
खांसने या छींकने पर टिशू पेपर या कोहनी का प्रयोग करें ।
बेहतर है कि सब्जी वाले से फल सब्जी को बिना हाथ लगाये बाल्टी में कराये ।
उसमें गुनगुना पानी भरें एक चम्मच बेकिंग सोडा डालकर धोकर बाहर निकाले ।
पानी निचुड़ने पर फ्रीज में स्टोर करके रख सकते हैं ।
बाहर जाते समय मुंह नाक पर मास्क लगाना दिनचर्या में शामिल करना चाहिए ।
आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मे का उपयोग भी अति उत्तम है ।
सिर पर कॉटन कैप लगाये । 
बाहर से आकर जूते घर के बाहर ही निकाल देने चाहिए ।
स्नान करने के उपरान्त ही घर की किसी वस्तु को हाथ लगाना चाहिए ।
आते ही कपडों को डिटाल के पानी में अथवा सर्फ़ साबुन से धोकर सुखाना चाहिए ।
मांसाहारी बासी अथवा बाहर के बने खाने के स्थान पर घर के ताजे बने भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए ।
जंकफूड और बर्गर पिज्जा नूडल्स के स्थान पर शाकाहारी भोजन दालरोटी खाना अति उत्तम है ।
रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने के लिये प्रातः और सायंकाल योगासन प्राणायाम ध्यान साधना आदि करना चाहिए ।
अनुलोम-विलोम कपालभाती प्राणायाम का अभ्यास अति महत्वपूर्ण है ।
खट्टे फल नींबू आंवला सन्तरा का सेवन करना चाहिए ।
सुबह सवेरे एक चम्मच च्यवनप्राश का सेवन फेफड़ों के लिये बहुत बढिया होता है ।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने वाले काढ़े का सेवन करना चाहिए ।
इस काढ़े की सामग्री हमारे रसोईघर में आसानी से उपलब्ध होती है ।
सुबह निहार मुख देशी काढ़ा पकाकर पीना चाहिए,यह काढ़ा फेफड़ों और गले के समस्त संक्रमण का नाश करता है ।
हल्दी का सेवन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है । 
 एक गिलास गर्म पानी में चौथाई चम्मच हल्दी 
दो तीन लौंग
दो मुनक्का
दो पिंच पिसी काली मिर्च 
एक छोटा टुकड़ा दालचीनी
जरा सा अदरक
इस सामग्री को पानी में पकाकर आधा गिलास रहने पर छान लें और गुनगुना घूंट घूंट पानी पीने से गले की खराश खांसी ज़ुकाम जैसे दुष्प्रभावों का नाश हो जाता है ।
सुबह शाम गुनगुने पानी में सैंदा नमक डालकर गरारे करने चाहिए ।
फिलहाल करीब एक साल तक माल सिनेमा और व्यर्थ बाजार आदि में घूमने फिरने से परहेज करना चाहिए ।
जब तक इस संक्रमण का टीका नहीं खोज लिया जाता है तब तक सावधानी  और सजगतापूर्वक हम इस महामारी से लड़ने में अवश्य ही कामयाब होंगे । 
हम सब भारतीय विश्व गुरु राष्ट्र की संतान हैं । 
इसलिए यह कोरोना अवश्य भागेगा और भारत फिर से मुस्करायेगा ।
अंत में यही कहूँगी कि कभी भी चिकित्सक की सलाह के बिना कोई भी दवा गोली नहीं खानी चाहिए ।
रोग बीमारी को छिपाना नहीं चाहिए ।
तबियत खराब होने पर चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लेना चाहिए ।
-  सीमा गर्ग मंजरी
 मेरठ - उत्तर प्रदेश
माता-पिता  बच्चों  को  अंगुली  पकड़  कर  चलना  सिखाते  हैं  जब  वै  चलना  सीख  जाते  हैं  तो  उनकी  अंगुली  भी  छोड़  दी जाती  है  । 
        तीनों  लाॅकडाउन  के  माध्यम  से  कोरोना  से  बचने, स्वयं  एवं  अपने  परिवार, परिचितों  को  सुरक्षित  रखने  के  उपाय,  निर्देश  आदि  सभी  कुछ  समझा  दिये  गये  अर्थात  पाठ  को  पूर्णरूप  से  समझाया  ही  नहीं  बल्कि  रटा  दिया  गया  ।  हमें  इतना  समर्थ  बना  दिया  गया  कि  कोरोना  के  खिलाफ  अपनी  सुरक्षा  की  जिम्मेदारी  स्वयं  ले  सकें  । 
        अतः  हम  सभी  को  अपनी  सूझबूझ, योग्यता  तथा  स्व-अनुशासन  द्वारा  कोरोना  से  अपना  बचाव  करना  है  । 
        कोरोना  के  साथ  जीवन  जीते  हुए  अपने  घर-परिवार, देश  की  तरक्की  में  अपना  योगदान  देकर  आगे  बढ़ना  है  ।  कोरोना  महामारी  से  मुक्ति  अवश्य  मिलेगी  लेकिन  उसके  इंतज़ार  में  हाथ  पर  हाथ  रखकर  बैठना  भी  उचित  नहीं  है  ।  धैर्य  और  सकारात्मक  सोच  के  साथ  आगे  बढ़ना  है ।
        - बसन्ती पंवार
            जोधपुर - राजस्थान 
भारत में कोरोना महामारी ने फरबरी में केरला से दस्तक दे दी थी और मार्च मध्य तक देश में अधिकतर राज्यों में पैर पसार लिये । महामारी की गम्भीरता से लोगों को अवगत करवाने के लिये केंद्र सरकार ने लॉक डाऊन 1-2-3-4 का सहारा लिया जिससे अब लोगों को कोरोना की भयावहता की अब अच्छी समझ आ चुकी है । क्यूंकि देश को लम्बे समय तक लॉकडाऊन के चंगुल में बांध कर नहीं रखा जा सकता । अब जबकि लोग 
गम्भीरता से कोरोना महामारी में अपनी वा अपने परिवार और समाज की सुरक्षा के दृष्टिगत सारे दिशा निर्देशों का पालन कर रहे हैं तो अब लॉक डाऊन उठा लेना ही सरकार का देश हित में लिया फैसला है ।
क्यूंकि कोरोना लम्बे समय तक मनुष्य के साथ रहने वाली महामारी है इसलिये हम सब को अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी और देश की वित्तीय गिरावट4को भी सुधारने के गम्भीर प्रयास करने होंगे ।।
   - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
कोरोना पर जंग फरवरी माह से ही शुरू हो गई थी । भारत में मोर्चा लेने की तैयारी चल रही थी । भारत के नायक ने अपनी प्रजा को सुरक्षा के तरीके बताने का अभ्यास मार्च अंत से शुरू कर दिया। जिसने महामारी को समझा नहीं था , उसने भी इसको समझने का प्रयास किया । पहले तो लोग भ्रम में थे। यह क्या है? बीमारी से ऐसा क्या खतरा? जनता को समझाने के लिए लॉक डाउन 2 लगाना पड़ा।
 इस दौर में उच्च वर्ग के लोगों को अपनी समस्या को घर के अंदर सुलझाने की समझ आई। लेकिन मध्यम और निम्न वर्ग अभी भी अपनी रोटी और आमदनी के फ़िक्र में लगा रहा । जिसके कारण वे बीमारी की गम्भीरता को नहीं समझ पा रहे थे। 
लॉक डाउन -3 ने उन्हें समझने पर विवश किया कि सतर्कता खुद और अपने परिवार के लिए जरूरी है। आज शहर से गाँव तक सभी इस बात को आत्मसात कर रहे हैं कि दूरी जरूरी है । लेकिन घर लौटने के लिए जो व्यवस्था की गई उसने अफरातफरी मचा दी। सब कुछ जानते हुए भी लोगों ने सरकार का सहयोग नहीं किया । छुपते-छुपाते वे जबरदस्ती घर में छुप गए । इससे संक्रमण तेजी से बढ़ गया। इसलिए लॉक डाउन - 4 लगाना पड़ा।
इसके बाद नायक ने प्रदेश-सरकार को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी। सरकार ने अपनी जनता के अनुसार कुछ नियमों में छूट दी । लेकिन इससे ज्यादा बंदी मुमकिन नहीं थी। क्योंकि मजदूर वर्ग  के जीवन-मरण का सवाल आ खड़ा हुआ था। अब जब सभी ने हिफाजत के तरीके को जान लिया है, बीमारी से वाकिफ़ हो गए हैं तो उन्हें अपनी सहायता खुद करनी होगी । जिंदगी में जिस तरह बच्चों को समाज के तरीके व नियम समझा कर  स्वाबलंबी बनाया जाता है , उसी तरह हमारे नायक के भी विचार थे । अब सरकार जनता को स्वाबलंबी बना कर जिम्मेदारी उठाने के लिए वक्त दे रही है ।
   इस वक्त हम सभी के लिए अपनी ताकत और दिमाग का इस्तेमाल करना है और खुद के साथ समाज को सुरक्षित रखना है । अपने संवैधानिक कर्तव्य का पालन करना है ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
हमारे लिए और हमारे सुरक्षा के लिए शासन प्रशासन ने अभी तक अपनी तरह से सुरक्षा के उपाय करते रहे। लेकिन अब वक्त आ गया है कि हमे अपनी सुरक्षा स्वयं करनी चाहिए क्योंकि हमने नियम का पालन भी किया है और उलंघन भी।इसलिए हम जो करेंगे उसका परिणाम भी हम पाएंगे अतः अब अपने लिए नियम का पालन करना अपनी जान के लिए करना चाहिए।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
कोराना महामारी के चलते जो लॉक डाउन चल रहा है, उसके कारण कहीं ना कहीं आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार के पास भी कहीं ना कहीं रेवेन्यू की कमी हो रही है, जबकि सरकार अपने खजाने से निरंतर देश की हर संभव सहायता के लिए कोष खर्च कर रही है। परंतु आगे आने वाले समय के लिए कुछ धन की आवश्यकता राजकोष में जमा करवाने हेतु भी पड़ेगी ताकि जनता को आगामी दिनों में राहत दी जा सके। अतः लॉक डाउन में कुछ ढील दी गई है। मेरा मानना है कि व्यक्ति की कोराना से सुरक्षा इस वक्त उस व्यक्ति की अपनी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है, क्योंकि यदि हम स्वयं को सुरक्षित रखे हुए हैं तभी हम कोरोना की इस महामारी से बचे रह सकेंगे हमें दूसरों पर विश्वास ना करते हुए स्वयं ही नियमों को पालन करते हुए अधिक से अधिक बचाव उपकरणों की सहायता से, जो भी बाजार में उपलब्ध हैं चाहे वह फेस शील्ड हो,सैनिटाइजर हो,ग्लव्स हों के माध्यम से अपने आप को सुरक्षित रखना है। अतः अब यह स्पष्ट है कि की कोरोना से बचाव की जिम्मेदारी आप हमारी अपनी स्वयं की है। और यदि हम सुरक्षित रहना चाहते हैं तो इस जिम्मेदारी से हम मुंह नहीं मोड़ सकते।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
हमारे देश में भी अब कोरोना वायरस तीव्र गति से पैर पसार रहा है। संक्रमितों की संख्या 1,38,825 हो चुकी है। मृतकों की संख्या 4000 से ऊपर पहुंच चुकी है । 24 घंटे में 7000 नए मामले आना  बहुत ही चिंतनीय और भयावह स्थिति को दर्शा रहा है। इसलिए जरूरी है कि समझदारी से कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लें।
     यह सर्वविदित है कि हमारा देश अमेरिका, इटली,चीन आदि विकसित देशों से स्वास्थ्य उपकरण, अस्पताल व डॉक्टर के मामले में बहुत ही पीछे है। जितनी टेस्टिंग की जरूरत है उतनी नहीं हो पा रही है क्योंकि यह बहुत ही खर्चीला है। हमारे पास इतना सामर्थ्य नहीं है, ना ही उतनी मात्रा में जरूरी उपकरण उपलब्ध है। जब विकसित देश वायरस पर नियंत्रण पाने में असक्षम महसूस कर रहे हैं तो हम सरकार और अस्पताल के भरोसे कहां तक खुद को बचा पाएंगे? यह विचारणीय प्रश्न है। 
डब्ल्यूएचओ के अनुसार  यह बीमारी जल्द जाने वाली नहीं है। हमें इसके साथ ही जीना होगा क्योंकि इसकी कोई दवा भी नहीं है और ना ही कोई वैक्सीन उपलब्ध है।
  अतः विवेकपूर्ण तरीके से सरकार द्वारा निर्देशित सावधानियों और सुझावों पर अमल करते हुए हम जान और जहान दोनों को सुरक्षित रख सकते हैं। इस घड़ी में एहतियात बरतने की अतिआवश्यकता है। 
    सोशल व फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करें। नियमित रूप से साबुन से हाथ धोते रहें। खुद को इसके रोगियों से दूर रखें।
 सब्जी और फलों को खाने से पहले अच्छी तरह धो लें। घर को साफ रखें। खांसते वक्त अपने नाक और मुंह को टिशू या कोहनी से ढक लें। 
जिन जगहों या देशों में इस बीमारी का प्रकोप है वहां यात्रा करने से परहेज करें। घर से बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग जरूर करें। बात करते समय निश्चित दूरी बनाकर रखें।
    निश्चित ही हम सबके लिए यह मुश्किल घड़ी है पर सावधानियां बरत कर घातक वायरस से स्वयं व परिवार को सुरक्षित रख सकते हैं। अब वक्त आ गया है कि कोरोनावायरस के खिलाफ अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लें।
                    -  सुनीता रानी राठौर
                      ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
बिल्कुल !  जिस प्रकार  बालक को चलना सिखाने की जिम्मेदारी माता पिता निभाते हैं सीखने के बाद बच्चा भी स्वयं की सुरक्षा की जिम्मेदारी ले संभल कर चलता है ताकि गिरने से बचे! ठीक उसी तरह पिछले दो महीने से हमें कोरोना  की भयानकता और संक्रमण से सुरक्षा के उपाय बताए जा रहे हैं  स्वयं की सुरक्षा का दायित्व हमें  ही उठाना होगा!
 इस कोरोना काल में  ही क्यों हम सभी यदि अपनी सुरक्षा को ले हमेशा सजगता दिखाते हैं तो कोरोना  पर काबू  पाया सकता है !
इससे केवल हम स्वयं को सुरक्षित करने का दायित्व नही लेते अपितु परिवार और समाज को भी सुरक्षित करते हैं !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
अब जबकि इतने दिन बीत गए हैं, अब लाकडाउन भी धीरे धीरे समाप्ति की ओर अग्रसर है, कोरोना से बचाव में घर में छुपते हमने बहुत दिन बिता लिए हैं। हमें ये भी पता लग चुका है कि ये विषाणु इतनी जल्दी समाप्त नहीं होने वाला है, साथ ही इससे बचकर रहने की सारी तरकीबें हमें कई कई बार समझाई जा चुकी हैं। अब ये जिम्मेदारी हमारी स्वयं की है कि हम अपनी होशियारी और सावधानी से स्वयं को और अपने समाज को कितना बचाकर रख सकते हैं। अब वक्त आ गया है हमें अपनी बुद्धिमत्ता का परिचय देने का। अंततः बात बस इतनी सी ही है कि इससे बचकर रहना अब पूर्णतया हमारे अपने ही हाथों में है। अतः हम कह सकते हैं कि अब वक्त आ गया है कि कोरोना के खिलाफ अपनी और अपने परिवार के साथ साथ अपने समाज की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी हम स्वयं लें।
                - रूणा रश्मि "दीप्त"
                  राँची - झारखंड
जिम्मेदारी एक ऐसी खाद की तरह है जो सफलता के पौधे को फलदार पेड़ में बदल देती है, या यूँ कहे कि "जवाबदेही "व्यापक अर्थो में जिम्मेदारी स्वयं के प्रति, परिवार के प्रति, समाज के प्रति और देश के प्रति होना है l लेकिन जब हम कोरोना संक्रमण और उसके फैलाव पर दृष्टिपात करते है तो इस संदर्भ में व्यक्ति को चारों ही जिम्मेदारी को निभाना वक्त की नजाकत है l 
    इतने लम्बे समय से सरकार, प्रशासन इस दायित्व को निभा रहा था और निभा रहा है l उसने आमजन को जागरूक किया, अब वक्त आ गया है कि हम भी प्रशासन के साथ साथ स्वयं सुरक्षा की जिम्मेदारी वहन करें l कोरोना संक्रमण की प्रविधियाँ हमें आगाह कर रही हैं कि हमें गैर जिम्मेदार नहीं बनना है और अपनी गलतियों में सुधार करके स्वयं को परिवार, समाज और राष्ट्र को जीवन दान देना है l 
        हाँलाकि कोरोना योद्धा लोगों को जागरूक कर होम क्वारेंटाइन में रखें गए लोगों का फॉलोअप की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं लेकिन वह एक टॉर्च मेन की भाँति अपने दायित्व को निभा रहे हैं l अँधेरे को चीरते हुए रोशनी में दो कदम हमें स्वयं को ही उठाने पड़ेंगे l यथा -हाथ धोना, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना, मास्क का प्रयोग आदि गतिविधियाँ तो आपके ही स्व विवेक से करनी होंगी l W. H. O. ने संक्रमण से निपटने के लिए वैश्विक स्तर से लेकर पंचायत स्तर तक सामूहिक जिम्मेदारी निभाने पर बल दिया है l कोरोना संघर्ष का त्रि सूत्रीय फार्मूला है -
1. कोरोना से लड़ने के लिए संघर्ष करें l 
2. एकजुट होकर मुकाबला करें l 
3. अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक सभी का उत्साह बढ़ायें l 
         हमें व्यापार व अन्य क्षेत्रों में खतरे से जूझ रहे लोगों का जीवन और आजीविका की रक्षा के साथ साथ उनका आत्मविश्वास बढ़ाना चाहिए l 
कोरोना के मोर्डोफेमान से स्वयं अपडेट रहें तथा अन्य को जागरूक करें l एक ताजा शोध के अनुसार स्वाद और गंध का महसूस न होना भी कोरोना वायरस का लक्षण हो सकता है l इस वायरस का इन्क्यूवेशन पीरियड 14 दिन का हो सकता है l ऐसा व्यक्ति नज़र आये जिसे खांसी लगातार चले, बलगम आए, सांस लेने में परेशानी प्रारम्भ हो जाये तुरंत अस्तपताल पहुंचाए l वैसे भारत में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की वेबसाइड पर कोरोना संक्रमण की हर जानकारी से अपडेट होकर दूसरों को सावधान करना भी पुनीत कार्य हो सकता है l संक्रमण के लक्षण दिखने पर व्यक्ति स्वयं स्वास्थ्य अधिकारी से सम्पर्क करें, ये नहीं की ये तो सरकार का दायित्व है, ये हमारी जिम्मेदारी है l मोहल्ला स्तर पर व्यक्ति स्वयं जागरूक होकर, प्रवासी व्यक्तियों कीयात्रा  हिस्ट्री और होम आइसोलेशन की जानकारी रखें तथा सरकार को उपलब्ध करावें l प्रोटेक्टिव इक्युमेंट का प्रयोग, हाथ धोने का तरीका आप समझा सकते हैं l पोस्टर व चार्ट क्या करें, क्या नहीं करें संचार माध्यम से देने में अपनी भूमिका निभाएं l 
           राजस्थान में कोरोना वायरस संक्रमण को खत्म करने तथा आमजन को एकजुट करने के लिए राजसमंद जिला कलेक्टर अरविन्द कुमार के "मेरा गाँव, मेरी जिम्मेदारी "अभियान के द्वारा नवाचार का शुभारम्भ पीपली आचारन गाँव से प्रारम्भ किया जिसमें आमजन कोरोना के खिलाफ संघर्ष में अपनी भूमिका अदा करेगा l इसमें स्थानीय स्तर पर सक्रिय लोगों की क्षमता और सामाजिकता का उपयोग, इस जंग में किया जायेगा l कहने का तातपर्य यह है कि संघर्ष की जिम्मेदारी हमें स्वयं के स्तर पर उठानी ही होगी l यह समय की पुकार है l इस जिम्मेदारी का एकमात्र उद्देश्य होना चाहिए गाँव और शहरवासियों के जीवन की सुरक्षा तथा कोई भूखा न सोये अभियान को पँख देना होना चाहिए l 
चलते चलते -
प्रशासन ने भी मानव हित में कदम बढ़ा दिए है l
सोशल डिस्टेंसिंग को अमल में लाना है l 
प्रशासन के संग सहयोग हमारी जिम्मेदारी है l 
सकारात्मक सोच से सामने आना है l 
जनमानस ने भी अनुशासन में रहने का ठाना है l 
सुरक्षित, मुस्कराता राष्ट्र हमें बनाना है l 
प्रशासन के साथ मिलकर कोरोना को सबक सिखाना है l 
इस जिंदगी को ऐसे नहीं खोना है  हर समय तरीके से हाथ धोना है l 
प्रशासन का मनोबल बढ़ाने में हमारी भी जिम्मेदारी है l उसे हमें निभाना है l 
प्रशासन के अनवरत संघर्ष को हमें सफल बनाना है l 
 - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जी वक्त आ गया है कोरोना के प्रति अपनी जिम्मेदारी स्वंय ले । इस कोरोना काल मे बढ़ते संक्रमण के बीच हमे अपनी सुरक्षा खुद करनी होगी। लॉक डाउन की ढील के कारण लापरवाही नही बरतनी है। बाहर निकलते वक्त मुँह पर मास्क लगाना बाहर से आकर हाथ हाथ धोना सोशन डिस्टेशिंग का पालन करना बचाब ही सुरक्षा है। आर्थिक व्यवस्था को सुधारने के लिए लॉक डाउन की ढील जिन्दगी चलाने के लिए जिम्मेदारी स्वंय लेनी होगी स्वंय सर्तकता २खनी होगी। जीवन हमारा है तो सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी होगी।
- नीमा शर्मा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
जी बिल्कुल कोरोना ही क्यों अन्य बिमारियों में भी लोग अपनी सुरक्षा स्वयं ही निर्धारित करते हैं।
और अपने स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना भी हम लोगों की नैतिक जिम्मेदारी है। जिसे आत्मसात करने से हम स्वयं सुरक्षित हो सकते हैं। किसी भी बिमारी से बचने का सबसे बेहतरीन उपाय है, जरूरी एहतियात बरतना। यदि एहतियात न बरती जाए तो बिमार मनुष्य के साथ कुछ भी हो सकता है। यहां तक कि जान भी जा सकती है। स्वस्थ और बिमारी से बचकर रहने के लिए सबसे जरूरी बात है खान पान रहन सहन। आप यदि गंदी बस्तियों में रहेंगे तब बिमारी होने का खतरा बहुत अधिक रहता है। और यदि आप साफ सुथरी और स्वच्छ माहौल में रहेंगे तब खतरा कम रहता है। सुरक्षित रहने के लिए हमें अपने आस पास के लोगों को जागरूक रखना चाहिए।यत्र तत्र अनावश्यक कुड़ा कड़कट और गंदगी न फैलाएं। जैसे अभी कोरोनावायरस जैसी बिमारी से बचने के लिए बार बार साबुन से हाथ धोते हैं। सेनिटाइजर लगाते हैं।नाक पर मास्क अथवा रूमाल, अंगोछा वगैरा बांधते हैं। किसी अनजान व्यक्ति अथवा अपने परिचित लोग से भी हाथ मिलाने में परहेज करते हैं।यह सभी उपक्रम अपने बचाव के लिए करते हैं ताकि कोरोना या अन्य बिमारियों से संक्रमित न हो। और यह प्रक्रिया मुझे ऐसा लग रहा है जो निरंतर जारी रखना चाहिए ताकि हम लोग स्वस्थ प्रसन्न रह सकें।
बल्कि यूं कहें कि हम लोगों को आज से अभी से ही यह प्रण लेना चाहिए कि हमलोग भरसक कोशिश करें कि हमेशा साफ-सुथरा रहें।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुड़गांव -  हरियाणा
कोविड-19 की शुरुआत चीन के वुहान शहर से दिसंबर में हुई। फिर अंतरराष्ट्रीय जगत से जुड़े यूरोपीय देशों में इसका संक्रमण तेजी से फैला। साथ ही भारत-पाकिस्तान, खाड़ी देश भी चपेट में आए। लाखों लोग संक्रमित होकर, हजारों काल कवलित हो गए; वही जिसने लाॅक डाउन व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया और फिर भी यदि दुर्भाग्यवश वह संक्रमित हुए; तो हजारों धैर्य ,आत्मबल के साथ क्वॉरेंटाइन होकर स्वस्थ जिंदगी भी जी रहे हैं ।
           हां इस कोरोना के  कहर ने जनमानस की संवेदना के तारों को झंकृत अवश्य ही कर दिया है। साथ ही भविष्य के लिए एक सीख भी दे दी है कि मैं कोरोना यथावत हूँ, यथावत रहूंगा, तापमान के बढ़ने और घटने का भी मेरे ऊपर असर नहीं,चीन अमेरिका के कम तापमान और ब्राजील, अफ्रीका व संयुक्त अरब अमीरात के अधिक तापमान के उदाहरणों से जाना जा सकता है ।
      आखिर कब तक हर देश की सरकार बिना आर्थिक विकास के जनता का पेट भरती रहेगी ।अतः सब देशों में लॉक डाउन को धीरे -धीरे खोला जा रहा है ;आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए।
     बहरूपिया कोरोना के लिए गर्मी, जाड़ा और बरसात के मौसम  बेअसर हैं।अमीर- गरीब सब उसके लिए समान हैं । किसी को भी गिरफ्त में ले सकता है।
    वैक्सीन बनने में समय लग ही रहा है। अतः अब वक्त आ गया है कि कोरोना के खिलाफ हम सब जनता- जनार्दन को स्वयं अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी  निभानी है ।मात्र स्वच्छ और सफाई के साथ हस्त- प्रक्षालन, मास्क का प्रयोग, सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए,  साथ ही स्वदेशी उत्पाद को अपनाकर ,मुस्कुराते हुए, वातावरण के प्रति सजग- जागरूक रहकर ,जीवन जीना है ।भारत को विकास की ऊंचाइयों पर ले जाना है।
 - डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
      सुरक्षा शब्द के सुनते ही मस्तिष्क घूम जाता है। वह शब्द भले ही देश की कन्या से जुड़ा हो या राष्ट्र की सीमा से संबंधित हो। सुरक्षा शब्द ही अत्यंत महत्वपूर्ण है। चूंकि सुरक्षा है तो स्वाभिमान है, स्वाभिमान है तो ही सुरक्षित हैं।
      सर्वविदित है कि कोरोना विश्व शत्रु का रूप धारण कर चुका है और चारों ओर सर्वनाश कर रहा है। जिससे सुरक्षा की भीष्म चुनौती उभर कर सामने आई है। उससे भी बड़ी समस्या यह है कि शत्रु अदृश्य है। जिससे लड़ना अत्यंत कठिन है।
      दुखद यह भी है कि राष्ट्र की सम्पूर्ण तालाबंदी भी समस्या का सर्व समाधान नहीं कर पाई। उल्टा अन्य कई प्रकार की गंभीर चुनौतियों ने जन्म ले लिया। जिनसे उभरने और राष्ट्र को उभारने के लिए निर्धारित समस्त सावधानियों का पालन करना अति आवश्यक है।
      अतः अपनी शारीरिक इम्यूनिटी बढ़ाते हुए स्वयं ही कोरोना से बचाव की निर्धारित समस्त सावधानियों का पालन करें। क्योंकि अब वक्त आ गया है कि कोरोना के विरुद्ध अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लें और राष्ट्र को उक्त विपत्तियों से उभारने का सहयोग करें।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कोरोना न फैले हम सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें । हाथ धोने हैं ।  लोग स्वास्थ्य , ऊर्जा से भरपूर रहे जसके लिए परंपरागत  योग करने से संभव है । सूर्य नमस्कार से हमारी ऊर्जा , बल की वृद्धि होती है । नकारात्मक शक्ति , जहरीले तत्व पसीने से बाहर निकलता है । चेहरा कांतिमान हो जाता है ।कोरोना को हम हरा सकते हैं । 
हर इंसान बाहर जाने पर मॉस्क पहने । 
घर पर रहकर हम शारीरिक , मानसिक , संवेगात्मक रूप से सबल शरीर सुडौल और सुंदर  बन सकते हैं । कोरोनो रोग भगा सकते हैं ।
 मुदगर से योगिक कुश्ती से  , दंड - बैठक से हम अपनी शरीर की चर्बी कम कर सकते हैं । सिर में जमा टॉक्सिन बाहर निकलता है । शरीर में नयी शक्ति का संचार होता है । जिम बंद पड़े हैं । ऐसे में घर में बैठ के बड़े से छोटा बच्चा कर सकता है । प्रतिरोधकता क्षमता  को हर कोई बड़ा सकता है ।
विश्व स्वास्थ संगठन ने  भारतीय  आयुर्वेद की दवा को मान्यता दी है । पंचकर्म करके भी  कोरोनो को दूर भगस सकते हैं । 
हमें ज्यादा तेल , घी , खटाई , आदि का गरिष्ठ  खाना नहीं खाना चाहिए । हल्का सुपाच्य खाना खाएं । 
- डॉ मंजु गुप्ता 
मुम्बई - महाराष्ट्र
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। मनुष्य को संसार का सबसे बुद्धिमान प्राणी कहा गया है। यह सही भी है। मनुष्य ने अपनी बुद्धि, बल , पुरुषार्थ से कई आविष्कार किए हैं। अपने जीवन को सुखी व समृद्ध बनाया है ।
वर्तमान में मनुष्य के समक्ष कोरोना के रूप में एक बहुत बड़ी चुनौती आन खड़ी है। विभिन्न देशों की सरकारें इस चुनौती का डटकर सामना कर रही है। परंतु कोरोना वायरस थमने का नाम नहीं ले रहा है। हमारे देश भारत में भी यह तेजी से बढ़ रहा है।
अब समय आ गया है कि कोरोना के विरुद्ध लोगों को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लेनी होगी।
कहते हैं जहां चाह वहां राह। अतः हमें स्वयं ही आगे बढ़ कर कोरोना से बचने के प्रयास करने होंगे। सरकार द्वारा दी गई सभी सावधानियों को ध्यानपूर्वक अपनाना होगा। तभी हम अपनी सुरक्षा को सुनिश्चित कर पाएंगे। हमें क्वारंटीन व्यवस्था का पालन पूरी इमानदारी से करना होगा। इसमें सबसे बड़ी जिम्मेदारी जो हमें उठानी होगी वह है सामाजिक दूरी। दूरी बनाकर हम स्वयं को कोरोना महामारी से दूर रख सकेंगे ।
हमें अपनी प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने वाले सभी आयाम अपनाने होंगे। हमें प्राणायाम , व्यायाम आदि करने होंगे। हमें पौष्टिक आहार को महत्व देना होगा। साफ-सफाई बनाए रखनी होगी। स्वयं को भीड़-भाड़ से बचाना होगा। एक दूसरे को समझाना होगा।। एक स्वस्थ, अनुशासित दिनचर्या अपनानी होगी। सुरक्षा नियमों को दो कदम बढ़कर अपनाना होगा। तभी हम अपने जीवन, अपने परिवार व अपने देश को सुरक्षित रखने में सफल हो पाएंगे।
यदि हम अपनी अपनी जिम्मेदारी समुचित ढंग से निभाते हैं तो हम अवश्य सफल होंगे। कहा भी गया है कि-अपना हाथ जगन्नाथ। अतः अब हमें कोरोना के विरुद्ध मोर्चा संभालना होगा और अपने अनमोल जीवन को बचाना होगा।
- केवल सिंह भारती
डलहौजी - हिमाचल प्रदेश
यह सही है कि अब हम कोरोना के उस दौर में पहुंच चुके हैं जब हमको खुद ही सोचना है कि हम सुरक्षित कैसे रहें।अब अगर ये सोचे कि सरकार की जिम्मेदारी है हमे बचाना तो ये गलत होगा।हम लोगों को अपना अच्छा बुरा खुद ही देखना है आज इतने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं कि हर इंसान ज्ञान का भंडार बन चुका है या यों कहें कि ज्ञान से लबालब भर चुका है।अब एक्शन लेने की बारी है।हम में से कुछ लोग अभी भी कोरोना को गंभीरता से नही ले रहे हैं।मास्क आदि भी पुलिस या सरकार के डर के वजह से पहन रहे हैं।इसका क्या मतलब है क्या हमारी जान बचाने की जिम्मेदारी सिर्फ प्रशासन या पुलिस की है?
जीवन मे परीक्षा की घड़ियां आती हैं और ये समय भी ऐसा ही है ।ये भी कुछ सीखा के ही जायेगा।सरकार से ज्यादा अपेक्षा हमे खुद से रखना चाहिए।सरकार हर जगह मौजूद नही हो सकती है।हमारी जान बचाने की जिम्मेदारी हमारी खुद की है।ये समय भी बीत जाएगा।हम ये जंग जीत जायेगे।अगर हम खुद अपने लिए बेस्ट नही सोच सकते तो हम अपने दुर्भाग्य के लिए खुद जिम्मेदार होंगे।सब वयस्क हैं सब समझदार हैं। हमको खुद ही अपना बेस्ट सोचना है।
- रोहन जैन
देहरादून - उत्तराखण्ड
   
         कोरोना महामारी  के साथ जंग में यह हमारा लाकड़ाउन 04 है। हमे याद है कि01 में यह आशा थी कि बस यह इक्कीस दिन की बात है ।संयम ,संतोष, अनुशासन व आदेश मान लेंगे तो जंग जीत जाएंगे पर स्थितियाँ बदल कर भी नहीं बदली ।सरकारी  और निजी संगठनों ने तन मन धन ही नहीं सकरात्मकता लाने के लिए हर संभव प्रयास  किया और कर रहे हैं पर नतीजा हम देख रहे हैं ।
           सरकार, संगठन , परिवार ,देश ,राज्य सभी साथ है पर सफलता तभी मिलती है जब हम खुद अपने साथ हों । हर व्यक्ति को अपनी सलीब खुद उठानी पड़ती है ।।अन्य आप की मदद तब करेगे जब  आप अपनी  मदद खुद करना चाहेंगे  इस का साक्षात उदाहरण कोरोना पाजिटिव मरीज जब ठीक हो कर आते हैं तो वो डाक्टरों को तो धन्यवाद देते ही हैं परयह भी बताते हैं कि उनके मनोबल ने कितना साथ दिया।
       सरकारी आदेश हमे हमेशा याद दिलाते रहते हैं कि कौन - कौन सी सावधानियां अति आवश्यक हैं। अब समय आ गयाहै कि हम उन सावधानियों को आदत बना ले।  यदि संभव हो तो गल्ती करने पर परिजनों एवं बच्चों को टोकें।

     स्वास्थ्य कर्मचारी, सरकार, संगठन के साथ अगर दृढ़ता से 
जन जन का मन से साथ मिल जाए तो जय निश्चित है 
   इस महामारी को समूल नष्ट होने में समय लगेगा तो बुद्धिमान ,श्रमशील, आत्म निर्भर मानव हाथ पर हाथ धर कर बैठ तो नही सकता है ।
     जीवन एक यात्रा है और यात्रा में तो सामान की जिम्मेदारी यात्री की ही होती है 
God helps those who help themselves.
     - ड़ा. नीना छिब्बर 
जोधपुर - राजस्थान
 अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी वैसे तो यह बात हर बीमारी , हर परिस्थिति में लागू होती है जब तक हम जागरूक नहीं होते कोई दूसरा हमारी सुरक्षा नहीं कर सकता | इस बीमारी में तो ये और भी आवश्यक हो गया है | सब लोग अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्यkअ पालन करें तो बहुत हद तक इससे बचा जा सकता है
- नीलम नारंग
हिसार - हरियाणा
यह बात सही है कि कोरोना के खिलाफ अपनी सुरक्षा किया जिम्मेदारी स्वयं ली जानी चाहिए।   मगर जागरूकता इसीलिए जरूरी है कि जो इस जिम्मेदारी को नहीं समझते हैं और बचाव के लिए सुरक्षा नियमों एवं दिशानिर्देशों का पालन नहीं करते हैं, उनकी वजह से औरों को सुरक्षा और बचाव पर असर पड़ता है, उसके लिए तो किसी न किसी को मध्यस्थता तो करनी होगी। शासन,प्रशासन, जनप्रतिनिधि हों या अन्य । सख्ती से हो या विनम्रता से समझाइश देना और नियमों का पालन कराना भी आवश्यक है। 
  - नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
कोरोना वायरस का बेतहाशा वृद्धि हो रही है। लॉक डाउन इसका सही इलाज नहीं, पर इसको तेजी से फैलने से रोकता हैं।  दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल जी का कहना है अब हमें कोरोना वायरस के साथ ही जिन सीखना होगा। इस बात को केंद्र सरकार ने भी सहमति दी। लॉक डाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है।  मजदूरों की हालत तो और भी खराब हो गया हैं। बेचारा भूखे नंगे पांव 1500 -2000 किलोमीटर की दूरी पैदल ही तय कर रहे हैं। पांव में छाले, गोदी में बच्चे और सिर पर समान देखकर इंसान का दिल दहल जाता है। एक मजदूर औरत रास्ता चलते बच्चे का जन्म देती हैं 1 घंटा आराम के बाद अपने बच्चे को गोद मे लेकर चलने को मजबूर हो जाती हैं।  मजदूर वर्ग कोरोना से पहले भूख से मार जाएंगे।  ऐसे में ज्यादा दिनों तक लॉक डाउन रखना सम्भव नहीं। जब तक कोरोना का वैक्सिन नहीं आ जाता , तब तक हम सभी को कोरोना के साथ ही जीना सीखना होगा। घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनना और घर आकर हाथों को सही से साबुन से धोना होगा। तभी हम सभी कोरोना से बच सकते हैं। खुद की रक्षा स्वयं करें। यही एक मात्र उपाय हैं।
    - प्रेमलता सिंह
पटना- बिहार
अपनी सुरक्षा ,अपने हाथ वाली बात अब हम सब को चरितार्थ करनी है । लगभग तीन महीने से सरकार हमें हर तरीके से लगातार जागरूक कर रही है कोरोना वायरस से जंग जीतने हेतु । बहुत सारे प्रचार और प्रसार द्वारा किए गये अथक प्रयास आज भी जारी है ।लाॅक डाउन सदा के लिए जारी रख आगे नहीं बढ़ा जा सकता ये सबको पता है । लगातार बंदी से हर तरह की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है ।इसलिए अब हमें इस बीमारी के साथ ही आगे बढ़ना है ।फलत: हमें हर वो एहतियात बरतने की आवश्यकता है जो इतने दिनों तक हमें सीखाया और बताया गया है ।सोशल डिस्टेंस , मास्क और सेनेटाइजर इन तीन आज के सबसे जरूरी बचाव के तरीके के साथ हमें जिंदगी में आगे बढ़ने की जरूरत है ।आज समय की यही सबसे बड़ी मांग है कि हम खुद भी जागरूक रहें और लोगों को भी जागरूक करें कोरोना के खिलाफ जीतने वाली जंग में ।जीवन चलने का नाम है,रूकने का नहीं ।
- डॉ पूनम देवा
पटना -  बिहार
वक्त वक्त की बात है यह लोगों को बता दिया है की इंसान अपनी जिम्मेदारी का निर्वाहन स्वय कर सकता है
पहला वक्त आया था जब वक्त ने यह सूचना दी कि एक ऐसा संक्रमण है जो महामारी का रूप ले सकता है इसलिए सतर्क एवं जागरूक हो जाएं
दूसरा वक्त आया जब सतर्कता और जागरूकता का प्रशिक्षण सरकार के द्वारा दिया गया जिसमें तीन बातों का ख्याल रखना अति आवश्यक कहा गया है पहला मास्क लगाना दूसरा सोशल डिस्टेंस और तीसरा हाथ धोते रहना है इन तीनों नियमों के आधार पर हम संक्रमण से अपने आप को बचा सकते हैं वक्त के इस पाठशाला में अमूमन सभी नागरिक इस पाठ को अच्छी तरह सीख लिए तीसरा वक्त आया जब यह प्रशिक्षण दिया गया कि धीरे धीरे आप अपने कार्य को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं साथ ही साथ घर से कैसे काम कर सकते हैं और सीमित आय में रहने का प्रशिक्षण दिया गया धैर्य और सहनशीलता इंसान में पैदा की गई ऑनलाइन शिक्षण एवं शॉपिंग बैंकिंग की भी ट्रेनिंग मिली इसके अतिरिक्त आवागमन की सुविधा बंद कर देने से एक शहर से दूसरे शहर जाने की जो आवश्यकता या चाहत होती रहती थी उस पर नियंत्रण हो गया अब एक ऐसा दौर आ गया है कि सरकार को यह महसूस हुआ कि हमारी देशवासी इस बात से प्रशिक्षित हो गए हैं कि स्वयं अपनी देखरेख अच्छी तरह कर सकते हैं इस संक्रमण से खुद को बचा सकते हैं अब एक नई योजना शुरू की जा रही है कि धीरे-धीरे करके जन जीवन का सामान्य पटरी पर लाया जाए ऑफिस कार्यालय शॉपिंग मॉल इत्यादि को नियंत्रित अवस्था में नियंत्रित समय के लिए खोला जाए ताकि जनजीवन साधारण हो सके।
हमारी सरकार को या विश्वास हो गया है की जनजीवन अब साधारण किया जा सकता है पर संक्रमण अभी खत्म नहीं हुआ है अगर जनजीवन साधारण किया गया तो पूरी सावधानी रखनी होगी जिन नियमों का पालन लगातार दो महीने से सभी लोग कर रहे हैं उन नियमों के साथ ही या जीवन शुरू करना होगा फिर भी अभी कुछ ऐसा क्षेत्र है जो शिक्षा का क्षेत्र है जिसमें की पठन-पाठन का कार्यक्रम होता है वह अभी भी सापेक्ष रूप में कार्यरत नहीं हो पा रहा है इसके लिए कोई दूसरी प्रविधि को तलाशा जा रहा है सरकार कई मीटिंग राज्यों के साथ कर रही है और साथ ही साथ नए-नए योजनाओं को बनाकर उसके गुणों गुणों को ध्यान में रखते हुए जनजीवन के सामने प्रस्तुत कर रही है उससे उत्पन्न कठिनाइयों पर गौर किया जा रहा है लेकिन एक सरकार इतनी पूरी जनता को सिर्फ आदेश नियम कानून बनाकर दिशा निर्देश कर सकती है अब नागरिक की यह जिम्मेदारी बनती है कि यह नियमों का पालन कर सामान्य जीवन व्यतीत कर सकें।
- डॉ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र

" मेरी दृष्टि में " कोरोना की जंग में सब को अपनी - अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी । तभी कोरोना को हरा पायेंगे । कोरोना सब का सबसे बड़ा दुश्मन है । कोरोना जैसी बिमारी से बचने के लिए जागरूक सब को होना पड़ेगा ।
                                                   - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र




Comments

  1. करोना जिसे फैलने का बहुत रास्ता हैं, पर रोकने का 1 ही रास्ता हैं, घर पर रहे ।।
    करोना,यह 1 ऐसी समस्या है, जिसका 1 ही हल हैं, की हम सब अपने आप को जिम्मेदार वयक्ति समझे और पहले खुद को सुरक्षित करे !! सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो ओ अपने काम कर रहे हैं, हम सब को अपना काम सतर्कता से करनी चाहिए, भले देश में हवाई यात्रा&ट्रेन यात्रा सुरू कर दी गई हैं, लेकिन हम सब को इसका दूरूपयोग न करना चाहिए, जिसे जादे जरूरत हैं, वही इस यता यात की लाभ उठाय, आज यह 1 अईसे जंग हैं, जिसे घर मे रह कर जीत सकते हैं ।

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