लॉकडाउन में एक - दूसरे के राज्यों के लोगों को भेजने में क्या होनी चाहिए सावधानियां ?
कोरोना के चलते लॉकडाउन चल रहा है । विभिन्न राज्यों के लोग विभिन्न राज्यों में फँस हुये है । राज्यों के मुख्यमंत्री अपने - अपने लोगों को बुलाने की मांग कर रहे हैं । एक दो राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बुलाने पर काम भी किया हैं । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
अपने घर से दूर लाॅकडाउन की अवधि में केवल चारदीवारी के अन्दर रहना और जीवनयापन की चिन्ता में पल-पल गुजारने के दर्द का अहसास उन्हें ही मालूम होगा जो दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं। वर्तमान में अनेक राज्यों की सरकारों ने ऐसे लोगों को उनके गृह राज्य में भेजने की व्यवस्था करनी शुरू कर दी है। सर्वविदित है कि भारत में अभी कोरोना वायरस का खतरा अपनी पूरी शक्ति के साथ बना हुआ है। ऐसी स्थिति में एक राज्य से दूसरे राज्य में लोगों को भेजना अत्याधिक चुनौतीपूर्ण कार्य है।
इस कार्य में प्राथमिकता के आधार पर 'सोशल डिस्टेंसिंग' का पालन अति आवश्यक है। इसके साथ ही यात्रा के प्रारम्भ और समाप्ति के स्थान पर लोगों की कोरोना जांच होनी अत्यन्त महत्वपूर्ण सावधानी है। इसके अतिरिक्त सभी लोगों को 14 दिन के क्वांरटाइन में रहना अनिवार्य सावधानी है।
साथ ही मेरे विचार में नागरिकों को भी यह प्रयास करना चाहिए कि यदि अति आवश्यक हो तभी अपने वर्तमान स्थान को छोड़ें क्योंकि अन्तत: परिस्थितियों में सुधार तो अवश्य आयेगा ही और परिस्थितियों के सामान्य होने की प्रतीक्षा यदि की जा सकती है तो अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए प्रतीक्षा करनी चाहिए क्योंकि 'जान है तो जहान है'।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
देश में कोरोना वायरस ) के कारण लॉक डाउन की वजह से अलग-अलग राज्य में फंसे लोगों और मजदूरों के लिए बड़ी समस्या है। इस लॉक डाउन में बिहार से फंसे मजदूरों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए बिहार सरकार आगे आई है। नीतीश कुमार () सरकार ने इन सब के पास 1000 रुपये की सहायता राशि पहुंचाने का काम शुरू किया है। इसके लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से मुख्यमंत्री विशेष सहायता के तहत बिहार से जितने मजदूर और अन्य लोग बाहर फंसे हुए हैं उनके बैंक खाते में सीधे डीबीटी के माध्यम से हजार रुपए राशि पहुंचाने का काम किया जा रहा है।
बता दें कि राज्य सरकार को सबसे ज्यादा आवेदन देश की राजधानी दिल्ली से मिली है, जहां पर लगभग 55,264 मजदूर और अन्य जो लोग फंसे हुए हैं उन्होंने आवेदन भेजा है। इसके अलावा हरियाणा से 41,500 वहीं महाराष्ट्र से 30,576 गुजरात से 25,638 उत्तर प्रदेश से 23,832 पंजाब से 15,596 और कर्नाटक से 15,428 तमिलनाडु से 11,914 राजस्थान से 11,776 इसके अलावा अन्य कई राज्यों में फंसे बिहार के लोगों ने राज्य सरकार को मदद के लिए गुहार लगाई है बता दें कि कोरोनावायरस के चलते देश के हर राज्य में अलग-अलग राज्य के लोग फंसे हुए हैं
देश में हुए लॉकडाउन के बाद जहां काफी संख्या में बाहरी राज्यों के पर्यटक उत्तराखंड में फंस चुके हैं तो वहीं अब सरकार भी उनको सकुशल उनके घर भेजना चाहती है.
कोरोनावायरस को लेकर सरकार ने कई दिशानिर्देशों के साथ-साथ अब हेल्पलाइन नंबर्स भी जारी कर दिए हैं। अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग नंबर हैं।
सावधानियाँ
१)सबसे पहले जाने वाले का मेडिकल परीक्षण होना ज़रूरी है
२) वाहन जिसमें सफ़र करना है
क्वारेटाईन करना जरुरी
३) सोशल डिस्टेसिंग का पुरा ध्यान रख उतने लोग ही एतबार में सफर करें भीड़ न लगाए
४) एक ही राज्य के लोग हो ताकी कोई अड़चन न आये
सबने मास्क पहना है साथ में
अपना जरुरी सामान व
दवाईया रखे कोई किसी से बात न करे
५) फिर सरकार ने जो निर्देश दिये है सब पालन करे
व सहयोग करे
जल्दबाज़ी न करें सब को सुरक्षित घर पहुँचाने की सरकार व्यवस्था कर रही है
घबराये नहीं धैर्य रखें
कोरोना से न घबराना
घरों में रहना, निर्देशों का पालन करना
कोरोना को हराना है,
जनता व अपने को बचाना है,
चालिस दिन तक घर में
रहकर,
खुद की व घरवालों की जान बचाना है,
संकल्प और संयम की शक्ति से,
लॉकडाउन का पालन करके,
हमको देश की जनता को बचाना है,
कोरोना को मार भगाना
कोरोना से न घबराना
हमें हर समय याद रखना कि पूरे विश्व में अभी तक बचाव ही इस कोरोना वायरस नामक घातक बिमारी का एकमात्र उपचार है।
जहां है वहाँ रहे , घरों में रहे व कोरोना से बचे
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
हर राज्य सरकार केवल इसी बात पर आकर रुक गई है कि इतनी भीड़ जब उनके यहां आएगी और कोई एक व्यक्ति भी यदि उक्त बीमारी से ग्रसित हुआ तो वह उस राज्य सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है । परन्तु इस विषय मे सरकार को न केवल सरकार बन बल्कि परिजन बनकर भी सोचने की आवश्यकता है । क्योंकि महज इसी डर से भी तो लोगो को बेकद्री व अपने घर परिवारों से दूर केवल चिंता करने के लिए नही छोड़ा जा सकता है ।
इस चुनौती से निपटने के दो ही तरीके है । पहला ये कि सभी सरकारें अपने अपने यहाँ फंसे प्रवासियों को उनके राज्यो में पहुंचाने के लिए एक उचित स्थान पर उचित समय के लिए उन्हें क्वारन्टीन करे ओर उसके बाद उन्हें उनके राज्यो के लिए रवाना किया जाए । और दूसरा ये कि उन्हें उनके राज्यो के लिए रवाना किया जाए और अपने अपने नागरिकों के पहुंचने पर उनकी राज्य सरकारें उन्हें राज्यो के बॉर्डर पर ही उचित समय के लिए क्वारन्टीन करें । ताकि कोरोना राज्य की सीमा में दाखिल न हो सके । परंतु इसमें पहला सुझाव ज्यादा कारगर साबित होगा क्योंकि इससे न केवल अन्य राज्यो में कोरोना जाने से बच सकेगा बल्कि वो लोग भी कोरोना से ग्रसित होने से बच सकेंगे जो यात्रा के दौरान न चाहते हुए भी एक दूसरे के संपर्क में आकर कोरोना से ग्रसित हो जाएंगे । इससे न केवल सरकार की मंशा पर उठ रहे सवाल बन्द होंगे बल्कि जंगलों के रास्ते गाँव दर गांव व शहर दर शहर चुपके चुपके पहुंच रहे कोरोना पर भी लगाम लग सकेगी ।
-परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
लाक डाउन में एक राज्य से दूसरे राज्य में लोगों को भेजने में सावधानियां विषय पर विचार करते हुए मन में प्रश्न उठा कि इन्हें एक से दूसरे राज्य भेजने और लाने की ऐसी क्या जल्दी है ? जब 38 दिनों से यह जहां रह रहे हैं, जैसे रह रहे हैं, वहीं अगर थोड़े दिन और रह ले तो भला क्या बिगड़ जाएगा ? एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने और लाने की जल्दी में यह संक्रमण के वाहक न बन जायें कहीं। खैर, शासन-प्रशासन की नीति बनी है तो, सुरक्षा के नियमों हाथ धोना, सेनेटराइजेशन, दो गज की दूरी, मुंह पर मास्क, संक्रमण की जांच, रजिस्ट्रेशन सहित आने जाने का पूरा ब्यौरा रखा जाना आदि का पूर्णतः पालन होना चाहिए। यह सावधानी रखना बहुत जरूरी है, क्योंकि सावधानी में ही सुरक्षा है। इन दिनों जहां भी कोरोना संक्रमण बढ़ा है, वहां कारण सावधानी में चूक ही सामने आया है।बस जरा सी चूक ही परेशानी का कारण बन गयी है,अतः शासन की गाइड लाइन अनुसार सभी सावधानियां बरती जानी बहुत जरूरी है।
- डॉ.अनिल शर्मा'अनिल'
धामपुर -उत्तर प्रदेश
लॉक डाउन में एक दूसरे के राज्यों के लोगों को भेजने के लिए सरकार अथक तथा सराहनीय प्रयास कर रही है।इस विषम परिस्थिति के समय सभी अपने अपने घरों में अपने परिजनों के साथ रहें तो यह बहुत ही सुखद अनुभूति होगी।इस पर हर राज्य की सरकार ध्यान दे रही है और सरकार द्वारा एहतियात भी बरती जा रही है। विचारणीय यह है कि क्या सरकार द्वारा ही सारे प्रयास किए जाने चाहिएं?क्या देश का नागरिक होने के नाते प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य नहीं है कि वह भी इस महत्वपूर्ण कार्य में पूरी ईमानदारी से अपना सहयोग दे?
जी हां,अपने घर पहुंचने की लालच में कृपया कोई भी व्यक्ति लापरवाही न करे।यदि कोई व्यक्ति जरा भी अस्वस्थ महसूस कर रहा है, तो वह जहां हैं वहीं रहकर पहले स्वयं को स्वस्थ करे।अपने साथ साथ अन्य लोगों को जोखिम में न ले।
सरकार द्वारा जारी की गई सभी गाइड लाइन्स का पालन भी अनिवार्य रूप से किया जाना चाहिए।
जिस किसी भी परिवहन के माध्यम से राज्य सरकार सुविधा उपलब्ध करवाए उसकी साफ सफाई का ध्यान भी देना नितांत आवश्यक है।इस समय धैर्य की बहुत अधिक आवश्यकता है,पहली बार में ही *मैं अपने घर पहुंच जाऊं* ऐसी इच्छा करने के चक्कर कृपया जन समूह एकत्र न करें।
छोटी छोटी सावधानियों का ध्यान रखकर हम शीघ्र ही न केवल अपनों के करीब पहुंच जाएंगे साथ ही साथ सामाजिक दूरी का पालन करते हुए वैश्विक महामारी को भी पराजित करने में सफल होंगे।
कोरोना तेरा अत्याचार,
खूब मचाया हाहाकार।
अब न तुझसे डरना है,
तेरा बहिष्कार करना है।
- डॉ. विभा जोशी (विभूति)
दिल्ली
अभी जिस तरह से लॉक डाउन का दौर चल रहा है, उसको देखते हुए देश के सभी राज्य सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर रहे हैं। क्योंकि कोरोना वायरस संपर्क में आने से फैलता है अतः एक राज्य से दूसरे राज्य में एक जिले से दूसरे जिले में लोगों के आवागमन को प्रतिबंधित किया गया है, इस महामारी को फैलने से रोका जा सके। यह भी सत्य है कि कुछ लोग जो दूसरे राज्यों में किसी कारणवश चाहे वह उनका कार्यक्षेत्र रहा हो अथवा वह किसी शादी समारोह में गए हो, या उनके बच्चे वहां पढ़ते हो अथवा किसी अन्य आवश्यक कार्य से वहां गए थे, वह अचानक लॉक डाउन की घोषणा होने के पश्चात एक दुविधा पूर्ण स्थिति में फस गए थे। यदि वह पलायन करते तो वो संक्रमित हो सकते थे, यदि नहीं किया तो उनके सामने कई प्रकार की मजबूरियां उत्पन्न हो गई। अपनों से दूरी का एहसास तभी पता चलता है जब हम उस स्थिति का सामना करते हैं। अन्य राज्यों में फंसे हुए लोगों की इसी परेशानी को समझते हुए कई राज्य सरकारों ने अपने नागरिकों को वहां से वापस बुलाने का फैसला लिया है। इससे अन्य राज्य में फंसे लोगों की दिक्कतें काफी हद तक कम हो जाएंगी, लेकिन इस स्थिति में हमें बहुत सावधानीपूर्वक इस सफर को तय करना है। शासन प्रशासन जिन बसों को अपने नागरिकों को वापस बुलाने के लिए भेज रहा है उनको सैनिटाइज किया जा रहा है यात्रियों की संख्या भी सीमित मात्रा में रखी गई है। मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है, तथा अन्य राज्यों से आने के बाद उन लोगों को स्वास्थ्य परीक्षण से गुजारते हुए quarantine भी किया जा रहा है। अतः भारत के एक जिम्मेदार नागरिक होते हुए एक राज्य से दूसरे राज्य में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सरकार द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पूर्णतया पालन करना चाहिए। जो सावधानियां शासन व प्रशासन के द्वारा बरतने को कहीं जा रही हैं उन सभी का मन से हमें पालन करना चाहिए। यदि हम सुरक्षित हैं तभी देश सुरक्षित है।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तरप्रदेश
वर्तमान समय एक ऐसी समस्या से ग्रसित है जो युद्ध से भी भंयकर है क्योंकि युद्ध को अस्त्र,शस्त्र से लड़ा जा सकता है परन्तु इस समस्या का कोई हल तक नहीं निकल रहा अमेरिका जैसे देश के डाक्टर, वैज्ञानिक,आदि भी इस प्रयास में लगे हैं परन्तु सफलता नहीं मिल पा रही। परन्तु यह भी अटूट सत्य है कि
जहां समस्या होती है वहीं समाधान भी रहता है
बस आंखों से ओझल सा हो रहा है इसके चलते सरकार ने एक ही निर्णय लिया कि जो जहां है वहीं रहे अर्थात्
घर में रहें, सुरक्षित रहें
परन्तु उस पर भी एक नई समस्या उत्पन्न हो गई कि जो लोग शिक्षा प्राप्त हेतु या धन कमाने हेतु या किसी अन्य कारणों से अपने परिवार से दूर रह रहे थे वो वहीं फंस गए और हमारी सरकार ने उन सब कि भी बच्चों की तरह देखभाल की समय पर खाना रहने को उचित स्थान समय समय पर उचित चिकित्सा भी मुहिम करवाई।
परन्तु अब यह लाकडाऊन काफ़ी लम्बा समय ले रहा है तो सभी सरकार से घर जाने की अनुमति मांग रहे हैं तो अब एक और समस्या आ गई सावधानियों की तो हमारी सरकार वहां भी सफल ही होगी परन्तु कुछ सावधानियों में इजाफा करना होगा जैसे
जिस माध्यम को चुना जाए उसमें उतनें ही व्यक्ति बैठे जिनमें दो फुट का अन्तर अवश्य हो ।
स्थान की दूरी को देखते हुए खाने व पानी की व्यवस्था भी उचित हो जिससे यात्रियों को किसी अन्य स्थान जैसे किसी ठेले से या ढाबे पर रूक कर पेट भरने की समस्या न आए आवश्यक हो तो एक चिकित्सक भी साथ भेजे जो समय समय पर जांच करता रहे
भेजे गये व्यक्तियों में से किसी एक को जिम्मेदारी सौंपी जाए कि वह सभी को अन्य नियम मानने को रस्ते भर समझ देता रहे।
इस प्रकार एक राज्य से अन्य राज्य में रह लोग सकुशल अपने घरों की और लौट पाएंगे वो भी किसी समस्या के बिना
क्योंकि यह भी सत्य है।
सावधानी हटी दुर्घटना घटी
जो कोरोना जैसी बीमारी को फैलने पर सटीक साबित होती है।
- ज्योति वधवा "रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेश में नोडल अधिकारी नियुक्त होने चाहिए । नोडल अधिकारी यानी छात्र , प्रवासी मजदूर , यात्री आदि संपर्क करके शर्तों का अनुपालन के साथ मजदूरों , छात्र आदि को घर तक पहुंचाएंगे । उन फंसे हुए लोगों को पंजीकृत करेंगे । एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने की उनकी अनुमति के लिए संपर्क करें । राज्यों को आपस में सड़क परिवहन की सड़कमार्ग की सामूहिक अनुमति देनी होगी ।झारंखड ने तो रेल सुविधा देकर अपने फंसे हुए लोगों को ला रही है । स्क्रीनिंग भी होनी चाहिए । जिसमें कोरोना के लक्षण नहीं होंगे उन्हें यात्रा करने दी जाएगी । फिर वे अपने गृह नगर पहुँचेंगे तो वहाँ स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी उनका टेस्ट करेंगे ।
बसों का सेनिटाइजिग करें । बस के अंदर यात्रियों को बैठाने में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होना चाहिए ।
संकट के समय हर इंसान अपने आत्मीय जनों के साथ रहना चाहता है । लेकिन आज ही कुछ राज्यों में मजदूरों का जत्था बिना पंजीकृत , सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करके बसों में बैठ के रवाना हो गये । हमारे पास वक्त है स्वास्थ्य शोध का कोई वैक्सीन बना लें । हमारे देश , विश्व इंसान बच सकें ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
अनिश्चित- कोरोना -काल के ला क डाउन में दूसरे राज्यों में फंसे छात्रों ,श्रमिकों को अपने गृह- राज्य मैं आना और वापस बुलाना। -
आने वालों के लिए भी और बुलाने वालों के लिए भी शोचनीय है
क्योंकि कोटा कोचिंग से आए छात्रों तथा साधुओं की बस में संक्रमित होने का परिणाम हमारे सामने हैं !
सबसे पहले बस या ट्रेन में बैठे लोगों का चेकअप अच्छी तरह से होना चाहिए जो व्यक्ति संदेहास्पद हो उसको वहीं पर रोककर क्वॉरेंटाइन करना चाहिए
सभी को डबल सेफ्टी सूट पहनकर ,हाथों में दस्ताने ,पैरों में जूते मोजे, चेहरे पर पूरा मास्क सिर भी पूरी तरह से ढका हुआ आदि पहनकर दूर-दूर बैठे !
बस या ट्रेन तो सेनेटराईज करेंगे ही +सभी बंदे अपनी-अपनी सीट फिर से सीनेटे रेआइज करने की सावधानी बरतें किसी भी चीज को टच नहीं करने की और ना दूसरे का पानी पीने की ,और न दूसरों का खाना ना खाने की सख्त सलाह देकर अपने राज्य में पहुंचते ही फिर से चेकअप कराना चाहिए जो संदेहास्पद हो उससे 14 दिन के क्वॉरेंटाइन में रखा जाए अन्यथा दूसरों को home quarantine में रहने की सलाह दी जाए
जो राज्य दूर हैं उनके लिए ट्रेन से प्रबंध होना चाहिए
यात्रियों को भी बस या ट्रेन में उतरते या चढ़ते समय बिना किसी को टच किए सावधानी रखनी आवश्यक है!
छात्रों को तथा श्रमिकों को अलग- अलग वाहन में बैठाने की भी सावधानी होने चाहिए
मुख्यतः दूसरे राज्यों के लोगों को भेजने में लंबा सफर -कम समय में पूरा करने की व्यवस्था भी सावधानीपूर्वक करनी चाहिए
- रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
लॉक डाउन के चलते कई मजदूर छात्र और तीर्थयात्री एक दूसरे स्थानों पर फंसे हैं। बेचारे परेशान हैं उनके लिए बस की व्यवस्था की गई है जो कि उचित नहीं है उनके लिए सरकार को ट्रेन की व्यवस्था करनी चाहिए वहां पर सोशल डिस्टेंसिंग अच्छे से फॉलो हो जाएगा और उन लोगों को ट्रेन में एक सीट पर दो दो लोग या तीन तीन लोग करके बैठ दूरी बना कर आराम से बैठ सकते हैं और आराम से ट्रेन जैसे उदाहरण के लिए एक ट्रेन मुंबई से डायरेक्ट पटना जाएगा जिस स्थान पर लोगों को जाना है उस स्थान के लिए डायरेक्ट ट्रेन करते मुंबई से डायरेक्ट मध्यप्रदेश भोपाल या जबलपुर के लिए करते बीच में कहीं भी ना रुके इस तरह फंसे हुए लोग अपने घर में पहुंचकर आराम से रह सकेंगे क्योंकि महामारी के कारण तो वैसे भी परेशान है घर पहुंच कर थोड़ा तो उन्हें शांति और सुकून मिलेगा लेकिन सरकार उनके लिए कोई व्यवस्था नहीं कर रही है वह बसों के माध्यम से भेज रही है और कुछ सरकार तो लेना ही नहीं चाहती मजदूरों को की समस्याएं बढ़ जाएंगी अरे क्या समस्याएं बढ़ेंगी मजदूर तो मजदूर है जहां रहेंगे वही काम करेंगे उनके लिए उचित उद्योग धंधों की व्यवस्था करो या कुछ तो शुरू होना चाहिए बेचारा रोज का खाने वाला क्या करेगा एक तो महामारी से परेशान है दूसरा लोन के कारण विचारों को खाने-पीने की भी परेशानी हो रही है साइकिल से भी बिचारे और पैदल हजारों मी लंबी यात्राएं कर रहे हैं।
देख कर बहुत दुख होता है सरकारों की जाने कहां मानवता चली गई है।
हर अंधेरी के बाद उजाला आता है इसी उम्मीद पर दुनिया कायम है एक दिन यह सब मुसीबत का अंत जरूर होगा।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
लॉक डाउन में लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने के लिए सावधानियां बरतना अत्यंत आवश्यक है। केंद्र सरकार ने प्रवासी लोगों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजने की अनुमति प्रदान कर दी है ।इसके लिए सावधानियों को बरतने की अत्यंत आवश्यकता है। जिसके तहत निर्धारित मानक प्रक्रियाओं का पालन करते हुए बसों में ले जाना चाहिए। सामाजिक दूरी के नियंत्रण का पालन करना परम आवश्यक है। बस व अन्य वाहनों को सैनिटाइज किया जाना चाहिए ।अधिकारियों को इस कार्य के लिए बहुत ही जिम्मेदारी से कदम उठाना होगा। सरकार ने इस कार्य के लिए जिलाधिकारी व नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं,एवं वरिष्ठ आई ए एस अधिकारी भी नियुक्त किए गए हैं ,जो मंत्रालय में बैठकर देखरेख करेंगे ।
एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने के लिए आवश्यक है कि नियुक्त अधिकारी आपस में बात करें कि प्रवासियों को सड़क मार्ग से कैसे ले जाया जाए ।जो लोग अपने स्वयं के वाहन में यात्रा करना चाहते हैं उन्हें भी उसी तरह राज्यों की सहमति होनी चाहिए। राज्य सरकार ने तय किया है कि कलेक्टर निदेशक राज्य आपदा प्रबंधन का पास देंगे जो कि अनिवार्य है इसके बिना किसी भी समूह के लोगों को जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। दोनों राज्यों के नोडल अधिकारी सुनिश्चित करेंगे की जाने वालों मे कोरोनावायरस के लक्षण है कि नहीं । यदि है तो उनका यहां इलाज होगा ।यात्रा में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन आवश्यक रूप से होना चाहिए । यात्रियों की सूची उस राज्य ,जिले को देनी चाहिए ,जहां पर यात्री उतरेंगे। उनमें जाने से पहले जांच होनी चाहिए और गंतव्य पर पहुंचने के बाद भी जांच होनी चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर 14 दिन के लिए क्वारेंटीन किया जाना आवश्यक है । रास्ते मे यात्रियों के जलपान व भोजन पानी की सफाई के साथ व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए ।
यात्रियों को ले जाने वाले वाहन को राज्य पारगमन पास और उस पर सभी यात्रियों के नाम व अन्य जानकारी देने से उनको सही स्थान पर पहुंचाने में सुविधा रहेगी ।
कुल मिलाकर हम कर सकते हैं कि लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने के लिए अत्यंत सावधानी बरतने की आवश्यकता है ताकि लोग अपने गंतव्य पर पहुंच भी सके एवं महामारी की चपेट में भी ना आने पाए ।
- सुषमा दिक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
वर्तमान में बेरोजगारी के चलते अनेक लोग अपने गृह राज्य को छोड़कर अन्य राज्यों में रोजगार के लिए अथवा शिक्षा प्राप्त करने के लिए जाते हैं परंतु लॉकडाउन होने के कारण वे सभी वही फ़ंसे रह गये। इनमें से अधिकतर मजदूर वर्ग से सम्बन्धित है जिनके पास अतिरिक्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो पाती अतः उनके पास इन परिस्थितियों में अपने घर वापस जाने के अतिरिक्त कोई साधन नहीं होता।
इन सभी लोगों को अपने गृह राज्य में वापस बुलाने के लिए देश के अनेक राज्य कार्य कर रहे हैं और इन सभी को वापस ला रहे हैं परंतु इन्हें लाने से पूर्व क्या सावधानियां अपनायी जा रही है....
जिससे ये राज्य की परेशानी को ओर ना बढ़ा दे अतः राज्यों को अधिक सर्तकता बरतनी होगी।
राज्य को निम्नतम सर्तकता अवश्य बरतनी चाहिए
1 जिस राज्य में ये लोग रह रहे हैं, वही पर इनका अनिवार्य रुप से टेस्ट होना चाहिए ।
2 यदि टेस्ट निगेटिव भी आये, फ़िर भी 14 दिन तक इन्हें क्वारंटाइन सेंटर में अवश्य रखा जाना चाहिए।
3 टेस्ट पॉजिटिव आने पर किसी भी कीमत पर राज्य न छोड़ने दिया जाना चाहिए।
4 जब ये लोग दूसरे राज्य जाये तो सोशल डिस्टेन्सिग का पालन अवश्य करे।
5 राज्य एेसे नियम एवं नीतियां बनाये ताकि ये अपने घर जाने के लिए मजबूर न हो।
6 राज्य फ़िलहाल अस्थायी राशन कार्ड उपलब्ध करा सकते हैं, जिससे उनके राशन की व्यवस्था वही हो सके और वे कही भी जाने की जिद न करे।
7 राज्य प्रशासन का सहयोग लेते हुए पाबन्दियो के साथ ही इन्हें अपने घरों पर भेजे।
यदि इन सब नीतियो को अपनाया जाये तो कोरोना जैसे किसी भी अद्रश्य शत्रु पर आसानी से विजय प्राप्त की जा सकती है।
- विभोर अग्रवाल
धामपुर - उत्तर प्रदेश
इस लाक डाउन के समय प्रवासीलोगो को अपने घर भेजने में सरकार द्वारा पूरी सावधानी बरतने की आवश्यकता है ।
हर राज्य से निर्धारित रेड हरी और औरेज जोन से एक लोगों की सूची तैयार करना
गंतव्य स्थान के विषय में सही जानकारी रखना
चिकित्सा संबंधी सभी जांच मुफ्त में करा कर चिकित्सक के साथ भेजने की तैयारी की जाए
गंतव्य स्थान पर पुनः जांच की जाए।
कोरोनटाइन की व्यवस्था होनी जाए
- डॉ.कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉक डाउन मे एक-दूसरे के राज्यों में लोगों को भेजने के लिए सबसे पहले का कोविड19 का टेस्ट कराना चाहिए जिस वाहन में सभी लोग जायेगे उस वाहन को सेनेटाइज कराया जाये और सभी को मास्क सेनेटाइजर की व्यवस्था की जाये सभी यात्री मास्क लगाकर यात्रा करे और सबसे ध्यान रखने वाली बात सोशल डिस्टेशिंग का पालन सभी यात्रीयो कोअलग अलग एक मीटर की दूरी पर बैठाना चाहिए ताकि संक्रमण फैलने की सम्भावना ना हो यात्रीयो के साथ एक पुलिस कर्मी एक स्वास्थ कर्मी अवश्य होना चाहिए सुरक्षा की दृष्टि से उनके भोजन पानी की व्यवस्था होनी चाहिए दूसरे राज्य में पहुचने पर सभी यात्रीयो का कोविड19 का टेस्ट फिर से होना चाहिए सभी को कोरेनटाइन सेन्टर में रखना चाहिए14 दिन बाद उन्हे सुरक्षित उनके घरो तक पहुंचाये सुरक्षा ही सावधानी है सावधानी हटी दुर्घटना घटी।
- नीमा शर्मा हँसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
इस समय ये ध्यान रखा जाना आवश्यक है कि संक्रमण का कोई वाहक न बने। अभी ये स्थिति है कि किसी को प्रकट लक्षण न दिखे तब भी वो संक्रमित हो सकता है। एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर हालांकि खतरा ज्यादा है मगर किसी की मजबूरी को भी समझना होगा। सबसे अहम बात यह होगी कि जो कर्मचारी प्रशासन की सेवा में हैं उनके निर्देशन का अवश्य पालन करें। उनके साथ बदतमीज़ी या लुकाछिपी कर बचा निकलने जैसी गलती कोई ना करें। अपने राज्य में पहुँचने के बाद वहाँ की व्यवस्था का भी पूरी निष्ठा से पालन करना होगा। जब तक इसका टिका नही बन जाता और श्रृंखला टूट नही जाती सभी को सावधानी रखना ज़रूरी है।
- मनोज पाँचाल
इंदौर- मध्यप्रदेश
कोरोना से पार पाने के लिए जिस तरह की रणनीति सरकार ने बनाई उसमें काफी हद तक सफलता प्राप्त हुई है। अब तक इसकी कोई पक्की दवा/वैक्सीन बनी नहीं तो लॉक डाउन का नियम तो चलेगा ही एक लम्बे समय तक, बल्कि लीगों को अपनी जीवनशैली भी बदलनी होगी।
सरकार ने रेड, अॉरेंज और ग्रीन तीन जोन बनाए हैं। रेड जोन में लॉक डाउन का पूरा नियम चलेगा तो अॉरेंज में में कुछ शर्तों के साथ छूट दी रही है। ग्रीन जोन वाले एहतियात और सावधानी बरतते हुए अपने घर लौट सकते हैं।
ऐसे में पहले उनके स्वास्थ्य की पूरी जाँच कर ली जाए, जिस साधन से उन्हें भेजने की व्यवस्था हो उसमें भीड़ का वातावरण न बने, वे जहाँ-तहाँ न उतरें, संभव हो तो कोई मेडिकल स्टाफ का आदमी, एक पुलिस कर्मी साथ साथ रहे, गंतव्य पर पहुँच कर भी एकदम से पुराने ढर्रे पर चलना न शुरू करे, मास्क लगा कर जाएँ, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें।
तभी उन्हें अपने घर भेजने का लाभ होगा। सावधानियाँ नहीं बरतने से पुनः मुश्किलें बढ़ने की संभावना खड़ी हो सकती है।
- डा० भारती वर्मा बौड़ाई
देहरादून - उत्तराखंड
वैसे तो एक दूसरे के राज्यों में आवाजाही बंद है ये केवल लॉक डाउन के चलते है कुछ दिन बाद लॉक डाउन खुल जाएगा तब तक आने जाने पर पाबंदी हो फिर भी आवश्यक जो बहुत ही महत्वपूर्ण हो उसे परमिट के द्वारा ही भेजा जाए राज्यों के लिए आना जाना केवल कुछ बिज़नेस कार्य या जो मज़दूरों, कर्मचारियों के लिए ही है पहली बात तो ये सुनिश्चित किया जाए कि बिज़नेस आवाजाही केवल सामान सप्लाई के लिए ही हो मीटिंग या कोई बिज़नेस डील के लिए केवल फ़ोन माध्यम ही प्रयोग करने की अपील की जाए । मज़दूरों व कर्मचारियों की फ़ैमिली अगर साथ रह रही हो तो पहले तो उनको वहीं ठहरने के लिए बोला जाए और न माने तो ये पूछा जाए कि पुनः वापस आना है कि नही यदि नही तो प्राइवेट टैक्सी के माध्यम से भेजा जाए ताकि सीधे घर पहुँचे और यह ज़िम्मेदारी उस संस्थान को सौंपनी होगी जिसमें वह सेवा देता है और आगे सेवा निवृत्त होकर जाना चाहता है अन्यथा काम करने के लिए वही रूके तो ऐसे में व्यवस्था का ध्यान दें व काम करने के लिए सावधानी बरतते हुए सरकार की तरफ़ जारी दिशा निर्देशों का पालन करना चाहिए। लॉक डाउन कुछ दिन ही रहेगा धैर्य के साथ काम लेना चाहिए ।
राज्यों के बीच वैसे ट्रेन भी एक माध्यम है जनरल बोगियों को हटाया जाना चाहिए और केवल निश्चित सीट बुक करके ही भेजने का फ़ैसला राज्य सरकारों को करना चाहिए इसमें सोशल डिस्टेसिंग के नियम को अपनाना होगा ।
खर्च तों वैकल्पिक व्यवस्था के लिए भी सरकार को करना पड़ रहा है तो क्यूँ न लोगों को उनके घरों तक पहुँचने में मदद की जाए इसके लिए एक सप्ताह का समय तय करके रणनीति बनाई जाए । प्रत्येक गाँव शहर में प्रधान वार्डों के चुने हुए मेम्बर्स बाहर से आए लोगों की जानकारी रखें और जाँच के लिए चिकित्सा विभाग को बताए यह ज़िम्मेदारी इस प्रकार सौंपी जाए लापरवाही बरतने पर सामान्य व्यक्ति नही बल्कि ये चुने गये लोगों की ज़िम्मेदारी मानी जाए । इन लोगों से सरकार को काम लेना चाहिए ये सरकारी तंत्र में बहुत बड़ी मदद कर सकते हैं । एक दूसरे के राज्यों में भेजना बहुत आसान है परन्तु घर पहुँचने पर वहाँ जाँच सुनिश्चित करना निजी क्षेत्र में ज़िम्मेदार लोगों की डियूटी है ।
कुछ विशेष-
भेजने के लिए समयावधि निश्चित करना अनिवार्य हो ।
सोशल डिस्टेसिंग का ध्यान रखें
भेजने से पहले आधार कार्ड या अन्य आई कार्ड के ज़रिए लिस्ट बनें
राज्य सरकारों को ये व्यवस्था निजी खर्च पर करनी चाहिए
एक स्थान से दूसरे स्थान तक सीधे सफ़र तय करने के लिए व्यवस्था की जाए ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
लॉकडाउन के चलते अभी सभी प्रवासी भारतीय मजदूर पैदल ही अपने गाँव लौट रहे हैं.भूखे-प्यासे चिलचिलाती धूप आभावों को सहकर वे मिलों दूर अपने-अपने घर की प्रस्थान कर रहे हैं।और कुछ विद्यार्थी जो होस्टल में फसे हुए थे।उन्हें भी प्रत्येक राज्यों की प्रशासन घरों को भेजने का प्रबंध कर रही हैं।ऐसे में सभी बसों को सेनेटाइज किया जा रहा है।फिर भी लोगो को अपनी और से पूरी तरह से सावधानी बरतनी चाहिए।रास्ते में बिकने वाले फल और खाद्य सामग्री को खाने से बचना चाहिए।पेकिंग फूड को भी एक्सपायरी डेट देखकर ही लेना चाहिए।साथ सोशल डिस्टेंसिग का पालन भी करना चाहिए।ओर अपने सहयोगी यात्रियों की सहायता कर सरकार की मदद करनी चाहिए।"सेवा ही परमो धर्म:"का पालन करना चाहिए।अभी पूरा देश ही इस संकट का सामना कर रहा है।ऐसे में हमें भी एक भारतीय ओर अच्छे नागरिक होने का कर्तव्य पूरा करना चाहिए।राह चलते प्रवासी मजदूरों को यथा शक्ति सहयोग कर उन्हें उनके गंतव्य तक पहुचाने में मदद करनी चाहिए।
कुछ मजदूरों की दास्तां--"एक ट्रक वाले ने कुछ मजदूरों से3000/रुपये लेकर उन्हें यह कहकर बैठा लिया कि उन्हें मुंबई तक छोड़ देंगे....लेकिन इंदौर आकर उन्हें यह कहकर उतार दिया गया कि ट्रक खराब हो गया है,, आगे नहीं जा सकता..ओर रुपये भी वापस नहीं किये गए....।
अतः सभी से अनुरोध है.. की इस तरह किसी की परिस्थितियों का फायदा उठाकर उन्हें ना लूटा जाय।और सावधानी ओर सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सामाजिक समरसता और
एकता का परिचायक बन देश की सहायता में एक हाथ अपना भी सावधानी से बढ़ाये ओर सहयोग करें..किसी गरीब को लुटे नहीं... और सुरक्षा के साथ इस जंग को जीतने में मदद करें.
- वन्दना पुणतांबेकर
इंदौर - मध्यप्रदेश
लाॅकडाउन में एक-दूसरे के राज्यों के लोगों को घर भेजने के लिए वही सावधानियां होनी चाहिए जो युद्धकाल में सेना को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए अपनाई जाती हैं।बल्कि युद्धकाल से भी अधिक सावधानियां बरतनी अति आवश्यक हैं। क्योंकि युद्ध में शत्रु की उपस्थिति स्पष्ट होती है जबकि कोरोना अदृश्य शत्रु है। जिसके अब लक्षण भी दिखाई नहीं दे रहे।जिससे वह और भी अधिक धातक बन गया है।
घर से बाहर फंसे हुए लोगों में अधिकांश मजदूर वर्ग है। जो रोजी-रोटी कमाने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्यों में गए हुए हैं। जिन्हें घर लाना उतना ही आवश्यक है जितना विदेशों से भारतीयों को भारत में लाना है। चूंकि वह भी श्रमिक हैं और यह भी श्रमिक हैं।
आज चूंकि अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस भी है और मजदूरों को उनके अपने-अपने राज्यों एवं घरों में पहुंचाना 'अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस' का सर्वोच्च सम्मान है। इसलिए प्रवासियों को भी अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस का सम्मान करते हुए प्रशासन का सहयोग करना चाहिए।
ताकि प्रत्येक प्रवासी को कोरोना महामारी के समय लागु समस्त पाबंदियों, दिशा-निर्देशों, चेतावनियों इत्यादि सावधानियों का पालन करते हुए प्रशासन उन्हें साकुशल घर पहुंचा सके।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
लॉक डाउन के कई नियम हैं जिनका पालन होना ही चाहिए । ये नियम कोरोना की कड़ी को तोड़ने के लिए अत्यावश्यक कर्तव्यों के तहत गिने जाते हैं। ये सारे नियम सरकार द्वारा स्थापित किये गये हैं ।अब केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों की सलाह लेकर राज्यों में अनावश्यक भीड़ को अपने-अपने घरों की ओर प्रस्थान करने की मंजूरी दे दी है ।
लेकिन इस मंजूरी के साथ हीं कई शर्तों को भी लागू किया है। शर्तों का सार है कि कोरोना से बचने के उपाय - सोशल डिस्टेंसिंग और घर में क्वेरेन्टीन होना । चूंकि इनकी संख्या हजारों में है इसलिए सड़क मार्ग का इस्तेमाल आसान नहीं होगा। जैसा कि अभी बहस चल रही है नियमों का पालन करने में बहुत कम लोग ही एक बस में आ सकेंगे। इस परिस्थिति में ट्रेन ही बेहतर उपाय हो सकता है । उसमें ज्यादा-से ज्यादा लोग एक बार में अपने राज्य पहुंच सकेंगे। इसके साथ ही सरकार को उनकी सुरक्षा निश्चित करनी होगी कि अन्य स्टेशनों पर कोई न चढ़ पाए। चढ़ने के पहले पहले सभी लोगों का टेस्ट होना जरूरी है । 14 दिन का बनवास काटने की आवश्यकता को भी समझाना आवश्यक है ।
जिस तरह अब कोरोना के आँकड़े संतुलित नहीं हो पा रहे हैं, उसके मद्देनजर सावधानियाँ आवश्यक कार्यवाही बन गई है । किट की कमी या लापरवाही के कारण अब आंकड़ों की रूपरेखा बिगड़ने लगी है । अगर इन लोगों ने भी लापरवाही की तो भारत भी त्रस्त हो जाएगा और इतने दिनों की मेहनत बेकार हो जाएगी ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
भारत के प्रधानमंत्री द्वारा लॉक डाऊन को समय पूर्व पहलें 21दिन के लिये लगाना फिर उसे दूसरी बार 19 दिन के लिये पुनः बढ़ाना देश के लिये दूरदर्शी और सटीक निर्णय रहा जिससे भारत में लाखों लोगों की बेशकीमती जानें बच पायी ।
अब ताजा जानकारी के मुताबिक सरकार ने कैबिनेट की बैठक में आज समूचे देश को तीन ज़ोनो में बांट दिया है रेड ऑरेंज और ग्रीन ।
मेरा मानना है कि----
1-रेड जोन के क्षेत्र से ना किसी को बाहर जाने दिया जाये और ना वहां के लोगों को बाहर से आंदर आने दिया जाये ।
2-ऑरेंज जोन में कुच्छ रियायतें दी जानी चहिये और पूरे मैडिकल जांच के बाद स्वस्थ लोगों को आने जाने की इजाजत मिले ।
3-जबकी ग्रीन जोन में सारी सेवायें शुरु की जानी चहिये तथा आने जाने की भी खुली छूट दी जाये ।
पर ये आवश्यक है कि सभी जोनों में मास्क और सामाजिक दूरी सहित सभी ऐह्तियाती कदमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाना भी अति आवश्यक है ।।
- सुरेन्द्र मिन्हास
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
इस कोरोना बीमारी के कारण अभी लाॅक डाउन का समय चल रहा है ,जिसके कारण हजारों _हज़ारों की संख्या में बहुत सारे मजदूर हजारों मील दूर अन्य राज्यों में अनगिनत दिनों से फंसे हुए हैं ,जिनकी हालत दिन प्रतिदिन बद से बद्तर होती जा रही है।सचमुच जो बेचारे गरीब हैं , जिनके पास खाने पीने को कुछ नहीं है,अपने परिवार से कोसों दूर अनिश्चितकालीन परिस्थिति का सामना कर रहे हैं। ऐसे लोगों की दयनीय स्थिति पर सरकार विचार कर रही है उनके अपने गृहराज्य में भेजने के लिए ।अब इस समय एहतियातन भेजने में बहुत सारी सावधानियां बरतनी होगी जैसे आपसी दूरी बनाए रखना,,जब वे दूसरे राज्यों में पहुंचे तब पहले उनका चेक अप अच्छे से करना, फिर कम से कम १४ दिनों के लिए कोरेटांइन सेंटर में रखा जाए तब वो अपने घर गांव जाएं। बहुत सारे बच्चे जो बाहर पढ़ाई हेतु गये थे उन सभी को भी भेजने की व्यवस्था हो रही है। रेलगाड़ी द्वारा सभी प्रवासी मजदूरों को या बच्चों को लाने की व्यवस्था हो रही है । जिसमें सरकार द्वारा की गई हर सावधानियों का पूर्णतः अनुपालन करना चाहिए जो इस समय की सबसे बड़ी चुनौती है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
लॉक डाउन में एक से दूसरे राज्यों के भेजे जा रहे लोगो को सख्त सावधानी होनी चाहिए। लोगो को डिस्टेंस और मास्क दोनों जरूरी है। एक दूसरे को छूने से बचना चाहिए। जिस राज्य लोग आ या जा रहे है गाड़ी में चढ़ने से पहले कोरोना जांच करना चाहिये ताकि यह बीमारी आगे बढ़ने से रुक सके। और लोगो को समझाइस भी करना चाहिए कि हम अपने घर किसी तरह से जा रहे है तो डिस्टेंस बनाकर रखना चाहिये। ताकि यह बीमारी आगे ना बढ़े और समाप्त हो जाये। ऐसे कहने से नही करने से होगा।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
वर्तमान में कोरोना महामारी एक वैश्विक संकट बल सामने आया है जिंदगी जहां थी वहीं थम कर रह गई है इस अदृश्य वायरस में अमेरिका जैसी महारथी को भी हिला कर रख दिया है इसका कोई ठोस इलाज अभी नहीं मिला किंतु हमें इसकी बढ़ती हुई चैन को तोड़ना है अतः हमने ही इस अदृश्य राक्षस से युद्ध में लड़ने के लिए कुछ नियम बनाए हैं जो शास्त्रों के रूप में कुछ हद तक कारगर सिद्ध हुई हुए हैं !भारत में हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी
के प्रथम जनता कर्फ्यू तत्पश्चात दूसरा चरण 3 मई तक लॉक डाउन की रणनीति पूर्ण रुप से सफल रही ! महामारी से ग्रसित संख्या के आधार पर रेड जोन, ओरेंज जोन और ग्रीन जोन बनाया है !रेड जोन में लाकडाउन का पूरा नियम लागू होगा, ओरेंज ऑरेंज
जोन में कुछ शर्त के साथ छूट दी गई है ग्रीन जोन वाले की सावधानी बरतने हुए अपने घर लौट सकते हैं !
Covid-19 के खतरों से अपने नागरिक को बचाने की प्रत्येक राज्य की जिम्मेदारी है!
ऐसे में अपने राज्य से निकले प्रवासी का पहले मेडिकल चेकअप करवाएं ,ट्रेन अथवा बस जिससे वे जा रहे हैं पूर्ण क्वॉरेंटाइन करें , भीड़ ना हो सोशल डिस्टेंसिंग का पूर्ण ध्यान रहे ,साथ में मेडिकल की सुविधा और डॉक्टर साथ हो कहीं भी ट्रेन ना रुके जिस राज्य में जाना है वही जाए पुलिस का पूरा बंदोबस्त हो यदि नियम का पालन ना किया तो हमारी स्थिति और भी खराब हो सकती है और इतने दिनों से महामारी से जंग हो रही है वह पानी हो जाएगी !
अंत में कहूंगी प्रशासन के साथ-साथ हमें भी पूरा सहयोग देना है क्योंकि इसकी वैक्सीन ना होने से यह जंग जाने कितनी लंबी होगी !
कोरोना की चैन को तोड़ने के लिए हमें ही योद्धा बनना होगा !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
यह बड़ा महत्वपूर्ण विषय है कि एक राज्य से दूसरे राज्य में भेजने की प्रक्रिया के दौरान वर्तमान स्थिति में कौन सी सावधानियां आवश्यक है। सबसे पहले हमें यह देखना होगा कि कौन से लोगों का एक राज्य से दूसरे राज्य में आना-जाना या भेजने का कार्य मुख्य रूप से हो रहा है। इसमें मुख्य रूप से तीन तरह के लोग हैं- -1- मजदूर 2- पर्यटक 3- छात्र
कुछ ऐसे राज्य हैं जहाँ से बड़ी संख्या में मजदूर वर्ग दिल्ली, मुंबई आदि महानगरों या गुजरात जैसे राज्यों में मजदूरी के लिए गए हुए थे,वे लौटना चाहते हैं । फिर छात्र वर्ग है जो कोचिंग के लिए राजस्थान में कोटा, दिल्ली, बेंगलुरु आदि में अपना डेरा जमाए हुए थे। तीसरे तरह के लोग वे हैं जो पर्यटन के हिसाब से केरल हिमाचल प्रदेश या अन्य राज्यों में कुछ समय के लिए फंस गए थे।अभी पर्यटकों की विशेष समस्या नहीं है। दो तरह के लोगों का मुख्य रूप से एक राज्य से दूसरे राज्य में आना जाना हो रहा है। ऐसी स्थिति में यह जरूरी है कि उन्हें अपने संबंधित राज्य में प्रवेश कराते समय पूरी तरह से उनकी चिकित्सीय जांच होना चाहिए, जांच होने के अलावा उनका संपूर्ण रिकॉर्ड तैयार रखा जाना चाहिए ।उन्हें क्वारंन्टीन का महत्व तथा कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बताया जाना चाहिए तथा क्वारंन्टीन किया जाना चाहिए । यदि उनका रिकॉर्ड रखा जाएगा तो कोई आकस्मिकता होने पर हम तुरंत उन्हें चिकित्सक के संपर्क में ला सकते हैं या उन्हें अस्पताल में लाया जा सकता हैं। इस तरह की सावधानियां रखना बहुत आवश्यक है ।
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम '
दतिया - मध्य प्रदेश
आज हज़ारों की संख्या में मज़दूर सड़क पर आ गए है। लेकिन क्या राज्य सरकारें जो अपने प्रदेश के लोगो को वापस भेजने का काम कर रहे है, लॉक डाउन के नियमों का पालन करवा पा रही है।
अभी नांदेड़ से लोगो को वापस पंजाब सरकार ने पहुँचाया, क्या उन्हें नही पता था कि ये लोग इतने समय से वहाँ फँसे है। महाराष्ट्र में जहाँ कोरोना का प्रकोप सबसे ज़्यादा तांडव दिखा रहा है, वहाँ उनकी सुरक्षा का क्या इतंजाम है, उनके पास मास्क, सेनिटाइजर आदि सामान भी नहीं था। और हर बस में 40-40 लोगो को ठूंस कर बिठाया गया। क्या इन सब को लाते समय उचित दूरी का ध्यान रखा गया- नहीं।
क्या उनका वहाँ टेस्ट कर करवाया गया-नहीं।
क्या वापस पंजाब में उन्हें क्वारन्टीन किया गया- नहीं।सबको उनके घर भेज दिया गया।
और इसका नतीजा ये हुआ कि उनमें से जो कोई भी संक्रमित थे उन्हें पता ही नहीं था।और वे लोग अनजाने में अनगिनत लोगो तक कोरोना बांटते रहे। इसका परिणाम ये हुआ कि अचानक ही संक्रमित लोगो की संख्या बहुत बढ़ गई। ये सब हुआ प्रशासन की लापरवाही से।
लॉक डाउन के चलते हज़ारों की संख्या में मज़दूर भी फंसे है जो घर जाना चाहते हैं। तो सरकारों को उनकी सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए,सबकी टेस्टिंग करवानी चाहिए और सबको क्वारन्टीन सेंटर में रखने की पहले से ही व्यवस्था करनी होगी। तभी इस संक्रमण को आगे बढने से रोका जाएगा। अन्यथा आने वाले दिनों ने ये आंकड़ा सरकारों से संभाले भी संभलेगा।।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
लाॅकडाउन का मतलब ही घर में रहें सुरक्षीत रहें पर कुछ प्रदेश यह समझ ही नही रहें हैं जो लोग जहा हैं वही रहना चाहियें यह तो एसा हुवा की जरूरत पुरी हुई मतलब निकला ओर मुशिबत आई तुरंत बदल गये हर राज्य से हर राज्य में देश का नागरिक काम कर सकता है ओर वह जहा काम करता है उनकी उस शहर की उस प्रदेश की ही यह जवाब दारी हैं की वे जो लोग जहा हा वही उनकी भुख प्यास को मिटाने की व्यवसथा होनी चाहिये कोरोना महामारी के दौर में मैं इस का पक्ष दर ही नही हु की एक -दूसरे राज्य में लोगो भेजना चाहिये यदी अवस्यक हो तो हर राज्म दुसरे राज्य की सुची तयार करे बकायदा राज्य जिला तहसिल गांव तक की सुची बने एक दूसरे राज्य इसको आदान प्रदान करे एव सुची के हिसाब से लोगो को लाने ले जाने की व्यवस्था होनी चाहिये ना की भीड लगानी चाहिये जिस जिले के लोग जिस गाड़ी से जायेगे उनहें गाड़ी नम्बर स्थान के साथ सुचित होना चाहिये ताकी भिड़ न लगे ओर समपुर्ण लाकडाउन का पालन कराया जा सके।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्यप्रदेश
वर्तमान परिस्थिति और कोरोनावायरस के प्रकोप को देखते हुए जिस तरह से लॉकडाउन किया गया, लोग बेरोजगार हुए ,भुखमरी के डर से लोग घर जाने को बाध्य हुए, इस ज्वलंत मुद्दे और लोगों की मजबूरी व परेशानी को देखते हुए सरकार और प्रशासन को मजबूरन प्रवासी श्रमिक, छात्र व जरूरतमंद लोगों को अपने घर भेजने के लिए हामी भरनी पड़ी।
प्रवासियों को अपने गांव भेजने के लिए महाराष्ट्र जैसे राज्य ने 10000 बसों का इंतजाम किया है ।भेजने से पहले बहुत सावधानियां व सतर्कता बरती जा रही है और इसकी आवश्यकता भी है ।जैसे ----
*जिस राज्य में निवासी जाएं वहां की आपदा प्रबंधन समिति को सूचित किया जाए।
*भेजने से पहले सभी श्रमिक, छात्र, नागरिक का हेल्थ टेस्टिंग की जाए। हेल्थ चेकअप होने के बाद ही यात्रा का पात्र माना जाए ।अगर कोई कोरोना पॉजिटिव हो या संदेहास्पद स्थिति में हो उन्हें यात्रा की अनुमति नहीं दी जाए ।
*प्रशासन सभी को विशेष पास उपलब्ध कराएं ताकि उन्हें बीच में कोई पुलिस वाला परेशान ना करें।
*संभव हो सके तो पॉकेट खर्च के लिए कुछ आर्थिक मदद भी की जाए क्योंकि बहुत दिनों से मजदूर बेरोजगार बैठे हैं।
*सभी राज्यों ने अपना -अपना हेल्प नंबर जारी किए हैं। परेशानी होने पर हेल्प नंबर से मदद लें।
*जिस तरह से आज तेलंगाना से ट्रेन झारखंड के लिए रवाना हुई और उसमें बीमारी के प्रति सावधानी बरतते हुए 72 के जगह करीब 54 लोगों को शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए एक-एक डब्बे में बैठाया गया ठीक उसी तरह बसों या निजी वाहन से जाते समय फिजिकल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना अनिवार्य है।
*इस बीमारी को ध्यान में रखते हुए वाहन में चलते समय ,बैठते समय ,उतरते समय शारीरिक दूरी का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है।
*अपने राज्य में पहुंचने पर वहां के प्रशासन का साथ देते हुए 14 दिन क्वॉरेंटाइन में भी रहें। फिर हेल्थ चेकअप के बाद अपने-अपने घरों के लिए प्रस्थान करें ।
*परेशानी में भी धैर्य का परिचय दें। भीड़ ना बढ़ाएं ।एक साथ ज्यादा लोगों के खड़े होने पर आप खुद अपना दुश्मन बन सकते हैं। अतः इससे बचें ।एक जगह एक साथ ना खड़े हों।
*खाने पीने की चीजें लेते समय सावधानियां बरतें ।कुछ भी छूने से पहले और बाद में साबुन से अच्छी तरह हाथ धो लें।
*व्यवहारों में सहनशीलता वह मधुरता लाएं। किसी के तंज कसने पर कि तुम बाहर से आए हो सब्र से काम लें, आक्रामक ना बनें।
*अगर इस बीमारी से संबंधित कोई लक्षण महसूस हो बिना घबराए डॉक्टर से संपर्क करें। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें और अपने परिवार का भी।
* समझदारी अपनाते हुए हम इस बीमारी से खुद और परिवार की रक्षा कर सकते हैं ।इस बात को हमेशा ध्यान में रखें।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
लाभ डाउन में एक दूसरे के राज्यों के लोगों को भेजने में जो सामान्य सावधानियां बरती जा रही है उसका पालन करना चाहिए अगर कोई दूसरे राज्य से कोई भी लोग आए हैं और वह अपना राज्य जाना चाहते हैं तो उनके लिए सरकार को जो भी परिवहन से पहुंचाने की व्यवस्था हो रही है उस परिवहन का अच्छी तरह से विषाणु मुक्त कर उनके स्थान को पहुंचाना चाहिए किसी को चीज परिवहन में जा रहे हैं लोग कुछ में अन्य को नहीं उठाना चाहिए बैठने वाले लोग नहीं दूर-दूर में बैठकर जो भी सावधानी बरती गई है उसका इस्तेमाल कर सुरक्षित भाव से जाना चाहिए और कहीं उतरना ना पड़े अगर लंबा सफर है तो भोजन पानी की व्यवस्था पहले से हो जाना चाहिए जब अपने स्थान पर पहुंचते हैं तो अपने घर पर पहुंचने के पहले उनका चेकअप कर उनके चेकअप के अनुसार उनकी लाख डाउन घर पर ही तिथि के अनुसार रहना चाहिए इस तरह से सुरक्षा को देखते हुए उनकी व्यवस्था का प्रबंध कर पहुंचाना चाहिए इस तरह से करने हैं सुरक्षा में कोई गड़बड़ी नहीं होगी ऐसा लगता है लेकिन ब्लॉक डाउन में करोना के भाई से पहुंच सावधानी बरतना पड़ रहा है सावधानी को देते हुए सरकार को सुरक्षित लोगों के स्थान पर पहुंचाना चाहिए।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
अंतर्राज्यीय यातायात में सावधानियाँ प्रवासी लोगों के रोजगार पर लगे ताले के चलते उन्हें घर भेजना लोक कल्याणकारी सरकार का नैतिक दायित्व है लेकिन यातायात के साधनों की समस्या संक्रमण की समस्या ,चिकित्सा सुविधाओं की समस्या और सबसे बड़ी समस्या घर पहुँचने पर परीक्षणोपरांत अपनाई जाने वाली रीति नीति सभी के चलते प्रवासी लोगों को अपने घर पहुंचाने का जोख़िम भरा निर्णय प्रदेश की सरकारों ने लिए है l सभी सरकारे साधुवाद की पात्र है l लेकिन समुचित बंदोबस्त इस मुहीम की प्राथमिक कड़ी है नहीं तो "सावधानी हटी ,दुर्घटना घटी "l
आज लॉक डाउन मेंफँसे आमजन की मनःस्थिति है -
हालात कह रहे है ,मुलाक़ात नहीं मुमकिन
लेकिन उम्मीद कह रही है ,थोड़ा
इंतजार कर l
उधर अपने प्रियतम के इंतजार में विरहन अफसाना लिख रही हूँ ,
दिल -ए -बेकरार का
आँखों में रंग भरके ,तेरे इंतजार का l
दोनोही विपरीत परिस्थितियों में समन्वय बनाकर लॉक डाउन में प्रवासियों को घर तक पहुँचना चुनौती भरा कार्य है l इसके लिए निम्न बिंदू मददगार साबित हो सकते हैं -
1. रूट प्लान तैयार कर नॉन स्टॉप ट्रेनें ,जिनमें मेडिकल टीमें हों ,उन्हें संचालित करें l
2. लम्बी दूरी के लिए बसों में भेजकर संक्रमण का खतरा मोल नहीं लें अपरिहार्य परिस्थितियों में बस यात्रा आवश्यक हो तो सेनेट्राइजेशन के बाद सोशल डिस्टेंसिंग की पालना कर यात्री भार तय करें l
3. प्रवासियों के आगमन से पूर्व आवश्यकता होने पर क्वारेंटाइन सहित सभी आवश्यक संसाधनों की पूर्वमें व्यवस्था करें l
4. अंतर्राज्यीय आवागमन को देखते हुए हैल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को पहले मजबूत करें ऐसी सुचारु व्यवस्थाएं करें कि कोरोना संक्रमण को रोकते हुए व्यक्ति अपने घर पहुँच सके l
5. अपने घर पहुँचने पर ऐतिहात के तौर पर 14दिन सेल्फ क्वारेंटाइन की पालना सुनिश्चित करें l
6. प्रत्येक राज्य में नोडल अधिकारी नियुक्त हों जो लॉक डाउन में फँसे लोगों का पंजीयन कर अनुमति प्रदान करें l
7. राजयसरकारें अपने स्तर पर सड़क मार्गो से आवाजाही सुनिश्चित करें l
8. स्क्रीनिंग उपरांत लक्षण न होने पर ही आवाजाही हो l
9. राज्य सीमाओं में प्रवेश पर कोई पाबंदी नहीं हो l
10. आवाजाही से पूर्व आरोग्य एप डाउन लोड करने हेतु प्रत्येक यात्री को प्रेरित करें l
11. यात्रा के दौरान एडवाइजरी की पालना करें तथा परसनल हाइजीन का विशेष ध्यान रखें l
यह अंतर्राष्ट्रीय त्रासदी का समय है l पूर्ण निर्देशों की पालना करने पर ही आप गन्तव्य पर सकुशल पहुँच सकते हैं l
"होंसलों को यह न बताये
परेशानियाँ कितनी हैं ,
परेशानियों को यह बताएं कि हौंसले कितने बुलंद हैं l "
आज मानव मात्र को समयानुसार अपने कृत्यों को संयम ,आत्मविश्वास के साथ
पुनरसंयोजित करके सुरक्षित गन्तव्य (के साथ )तक पहुंचना
है l
चलते चलते -
कोरोना संक्रमण से बचाव ही बेहतर है ,कहीं आपके परिजन आपके पहुँचने पर यह कहने को बाध्य न हो जाये -
सूरत दिखाकर हमें बेताब कर दिया l
एक लुत्फ़ आ चला था ,गमे बेकरार में l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
" मेरी दृष्टि में " लॉकडाउन में फंसे लोगों को निकालने के लिए विभिन्न योजनाओं पर सरकार कार्य कर रही है। जो फैसला होगा । वहीं लागू होगा । आज भी एक रेलगाड़ी चलाई गई है । ऐसा कुछ भविष्य में भी होने सम्भावना हैं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र
Comments
Post a Comment