क्या लॉकडाउन की राहत से दौड़ने लगा है कारोबार ?

कोरोना वायरस के  लॉकडाउन में सब कुछ बन्द हो गया । कारोबार का असर चारों ओर देखने को मिला है । अब लॉकडाउन से राहत मिलने से कारोबार ने फिर से गति पकडऩे लगा है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
लाकडाउन की राहत से कारोबार दौड़ेगा या नहीं मगर इस कदम से कोरोना अवश्य दौड़ता नजर आ रहा है। छोटे मंझोले दुकानदार मिठाई वाले इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रॉनिक दुकान वाले अपनी रोजी कमाने लग पडे़ हैं मगर कारोबार दौड़ेगा इस में कुछ प्रॅक्क्टिकल कठिनाईयां हैं। एक मीटर की दूरी रखते हुए डरा हुआ सामान्य मानस आवश्यकताओं को बहुत--- बहुत समेट चुका है।खरीद क्षमता है मगर इच्छा नहीं शेष है। ६० दिनों के लाकडाउन ने आदतों को पूरी तरह बदल दिया है। दो जोड़ी कपड़े और दाल-रोटी की दुनिया अधिक रास आ रही है। होटलिंग, मार्केटिंग, शापिंग, किटी, पार्टी, शादी-ब्याह, पूजा-अर्चना, मंदिर तीर्थ सभी कुछ पीछे छूट चुका है। जब यही सब नहीं है तो-- तो कारोबार किसके बूते दौड़ेगा। लाकडाउन की राहत चंद मनचले उडान टप्पू टाईप के लापरवाह गैरजिम्मेदाराना किस्म के लोगों के लिए लागू हो सकती है लेकिन समाज का एक बड़ा जिम्मेदार वर्ग अभी भी अपने सुरक्षा चक्र के भीतर ही रमा है जब तक वह पूर्ण आश्वस्त ना हो जाए। इसलिए मेरा मानना है कि लाकडाउन की राहत से कारोबार थोड़ा बहुत चलने लगेगा बिना सरकारी बैसाखियों की मदद के - - मगर कारोबार दौड़ेगा यह भ्रामक तथ्य है
    मंजिलें दूर हैं अभी से पता क्या बताएं
      किस ठाँव लगेगी ये नाव कैसे बताएं!!
- हेमलता मिश्र "मानवी "
नागपुर - महाराष्ट्र
लॉक डाउन की राहत से कारोबार धीरे धीरे बढ़ रहा है। इससे व्यापारी, नौकर और ग्राहक भी खुश नजर आ रहे है। हा मगर समय सीमा की पाबंदी कोरोना की वजह से  लेकिन अब समय सीमा के अंदर ही लोग काम करने की कोशिश कर रहे है। लॉक डाउन के नियमो का पालन हो भी रहा है  और हो भी नही रह है।कारण की कुछ दुकानदार बिना मास्क वालों को सामान दे रहे है।यह गलत है किन्तु इतने दिनों के बंद व्यापार के असर को देखते हुए दुकानदार भी कुछ नही बोल पा रहा है।इससे यह कहा जा सकता है कि लॉक डाउन की राहत से व्यापार बढ़ा है।किंतु ग्राहकी तेज होने के लिए अभी वक्त और लग सकता है।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
लॉक डाउन में राहत मिलने से कारोबार तो अभी पटरी पर इतनी जल्दी नहीं आने वाले अभी बहुत समय लगेगा कोरोना से पूर्व की रौनक़ वापस आने में पर एक बात ज़रूर है जैसे ही भीड़ बाज़ारों में बढ़ेगी तैसे ही संक्रमण की रफ़्तार भी बढ़ेगी । संक्रमण की अनिश्चित समय सीमा होने के कारण बहुत दिनों तक बाज़ारों की बंदी करने से वित्तीय व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी और कोरोना से भी ज़्यादा परेशानी का सामना करना पड़ सकता है अब सरकार को अपने हिसाब से ढील देनी ही चाहिए और पब्लिक को अपनी जान की सुरक्षा स्वयं करने की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए । मुँह पर मास्क व सोशल डिस्टेंन्सिंग का ध्यान रखना अनिवार्य रूप से करना चाहिए । कारोबार भी धीरे-धीरे पटरी पर आ ही जाएगा । जो कारोबार पहले से बिल्कुल बंद हो चुके थे वो अब खुलने लगे हैं कोरोबारियो में एक तरफ़ डर का माहौल है तो कारोबार के शुरू होने से उत्साह भी है लोग ज़रूरत के हिसाब से ख़रीदारी कर रहे हैं संभावना है कुछ दिन बाद सब सामान्य होगा । धन्यवाद 
- डॉ भूपेन्द्र कुमार 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
यह सर्वविदित है कि विनाश में बहुत कम समय लगता है और विकास में बहुत अधिक समय लगता है। इसी प्रकार कोरोना के कारण उत्पन्न लाॅकडाउन की वजह से कारोबार में जो लगाम लग गयी थी, उससे आम जन-जीवन के साथ-साथ कारोबार को भी सामान्य होने में समय लगेगा। लाॅकडाउन में सबसे अधिक नुकसान कारोबारियों और उनसे जुड़े कामगारों को ही हुआ है। कारोबार के सन्दर्भ में एक जन-कहावत है कि "कोई कारोबार यदि किसी कारणवश दो दिन के लिए बन्द हो जाता है तो खुलने के बाद चार दिन तक सामान्य नहीं हो पाता।" 
वर्तमान में तो कारोबार लगभग दो माह से बन्द हैं इतने अधिक समय की बन्दी के पश्चात तत्काल कारोबार का दौड़ना तो दूर की बात है, कारोबार का चलना ही मुश्किल हो रहा है। 
लाॅकडाउन में राहत मिलने से कारोबारियों के चेहरे पर मुस्कान तो आयी है परन्तु कारोबार दौड़ने की स्थिति में नहीं आ पाये हैं, और आगे भी कारोबार की गति धीमी ही रहेगी, यह निश्चित है क्योंकि राहत लाॅकडाउन में है, कोरोना के कहर में कोई राहत अभी नहीं है। इसलिए 
बाजार में सामान्य स्थिति होने में समय लगना लाजिमी है क्योंकि कोरोना का भय अभी आम जनमानस में अपनी पैठ बनाये हुए है इसीलिए अधिकतर लोग आवश्यक सामग्री के अतिरिक्त अन्य खरीदारी में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। 
एक तथ्य यह भी है कि बहुत बड़ी संख्या में कामगारों का अपने स्थायी निवास को पलायन करने से फैक्ट्रियों की उत्पादन क्षमता कम हो जायेगी। चीजों की उपलब्धता कम होने के कारण विक्रय स्थिति प्रभावित होगी जिसका सीधा नकारात्मक असर कारोबार की गति पर पड़ेगा।
निष्कर्षत: यह कहा जा सकता है कि भले ही लाॅकडाउन में राहत मिली है परन्तु कारोबार अभी दौड़ने की स्थिति में नहीं हैं।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
लाकडाउन में मिली राहत से बाजार फिर अपने स्वरूप में आने लगा है परन्तु समय की कमी के कारण दुकानों आदि पर ना तो सामान ही पूरा है ना ही ग्राहक हां यह कहा जा सकता है कि जिस बाजार की रफ्तार एकदम से रोक दी गई थी वो अब धीरे धीरे गतिशील हो रहा है और सही भी है यह गतिशीलता जल्दी ही रफ्तार पकड़ लेगी क्योंकि जनता भी उस समय अर्थात सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक की आदि हो जाएगी  जनता इसी समय में आवश्यकता के सामान खरीदने लगेगी । क्योंकि यह समय सरकार ने जनता की भलाई के लिए ही किया है । सरकार बाजार कोरोना के अन्त होने तक बन्द नहीं कर सकती और ना ही जनता के लिए सही है । और इन 60 दिनों में जो देश के खुदरा व्यापार में लगभग 20 फिसदी नुकसान हुआ है उसके चलते  बाजार का प्रारंभ होना उतना ही आवश्यक है जितना कोरोना के 
बचाव के लिए बनाए गए नियमों का पालन करना अतः लाकडाउन  में डील देने के साथ कारोबार , व्यापार, उद्योग अपनी रफ़्तार पकड़ने लगे हैं।
   दूसरी और कामगारों की स्थिति देखी जाए तो बाजार का खुलना निहायत आवश्यक है । मजदूरों के चिंतनीय हालात भी इसकी इजाजत देते हैं । अतः लाकडाउन तो 5 व 6 भी लगने की आंशका है परन्तु उसके चलते बाजार बंद रखना बिल्कुल असम्भव है देश की अर्थव्यवस्था को भी दुरूस्त करने के लिए बाजार को गतिशीलता देनी होगी अतः हर लाकडाउन में मिली डील में कारोबार अपनी रफ़्तार को बढ़ाता जाएगा।
- ज्योति वधवा "रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
 लाक डाउन की राहत से कारोबार दौड़ने नहीं लगा है, बल्कि धीरे-धीरे चलने लगा है। हर मनुष्य को पता है वर्तमान की परिस्थिति  का ,अगर कारोबार  दौड़ने लगेगा तो, करो ना संक्रमण भी दौड़ने लगेगा ।हमारे क्रियाकलाप के आधार पर ही करो ना की गति संचालित हो रही है, हम अनियंत्रित होकर दौड़ने लगेंगे तो करो ना वायरस भी अनियंत्रित होकर बढ़ेगी और भयंकर महामारी पैदा करेगी ,अतः हम करोना के नियंत्रण में है और करो ना हमारे नियंत्रण में है ,अतः दोनों का तालमेल होने से ही सही परिस्थितियां बन सकती है लोगों को करोना  को ध्यान में रखते हुए लाक डाउन राहत का लाभ उठाना चाहिए ना की करोना को अनदेखा कर भीड़ बढ़ाकर करो ना महामारी को बुलाना चाहिए। हर मनुष्य को सोचना चाहिए। लाक डाउन  का  पालन करते हुए जनता  ईमानदारी पूर्वक आहिस्ता आहिस्ता कारोबार का शुरुआत करना चाहिए ताकि करोना भी नियंत्रण में रहे और जरा भी लापरवाही हुआ तो करो ना संक्रमण बढ़ने की संभावना हर पल बना हुआ है अतः हम मानव जाति को लाक डाउन राहत की कारोबार को सतर्कता पूर्वक धीमी गति से शुरुआत कर जिंदगी में समाधान लाने की प्रयास करना चाहिए करोना को भी नियंत्रण में रहते रहते एक दिन इस दुनिया से विदा हो जाएगा ,ऐसी सभी की कामना है। अतः हमें सतर्कता पूर्वक कारोबार का शुरुआत करें  दौड़ते हुए नहीं  तभी हमारा संतुलन बना रहेगा और करो ना भागेगा।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
लॉक डाउन से अब आगे बढ़ने का समय आया है । दो महीने जिंदगी जैसे थम गई थी । लॉक डाउन के समाप्त होने पर फिर से व्यक्ति की सोच पर चिंताओं का डेरा हो गया। कैसे जिंदगी की गाड़ी आगे बढ़ेगी । इसमें सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा चिंतामुक्त थे । लेकिन कारोबारियों की चिंता बढ़ी हुई थी, क्योंकि दो महीने बाद फिर से कारोबार को शुरू करना 20 साल पीछे को लौटाने जैसा था । अनेक चिंताएं थीं - पूँजी, कामगार, और कच्चा माल।
  अच्छी बात यह थी कि छूट मिलने के पहले ही सरकार ने राहत पैकेज की घोषणा कर दी। एक चिंता से तो शुकुन मिला, मगर बाकी दो समस्याएं भी सामने खड़ी थीं । दूसरी सबसे बड़ी समस्या कामगार की है। कामगार अपने गाँव, घर लौट गए हैं । उनके वापस आने तक रकम हाथ में ले कर भी कारोबारियों की एक अँगुली भी नहीं हिल सकती है। अभी कुछ दिन पहले यात्रा शुरू हुई है। इसमें कामगार अपने घर को जा रहे हैं , न कि काम पर लौट रहे हैं । अब इस समस्या का हल निकालने के लिए कारोबारियों को मेहनत करनी है । इन सब परेशानियों के साथ कारोबार धीमे-धीमे रेंगने लगा है। दौड़ लगाने में अभी समय लगेगा क्योंकि कामगार लौटना नहीं चाहते। वे अपने प्रदेश में ही अपने लिए काम माँग रहा है। हर सरकार लाखों को काम नहीं दे सकती। इसलिए सुचारू रूप से उद्योग को खड़ा करने में सरकार की नीति और कामगारों का निर्णय महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा । आगे देखना है ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
अभी तक इतनी खास कोई राहत लोकडाउन में नही मिली है , जिससे ये कहा जा सके कि कारोबार अपने चरम पर है । वही परेशान लोगो को अभी तक यही नही पता है कि वो अपनी दुकाने खोल भी सकते है या नही अब इसे शिक्षा का अभाव कहिए या फिर पुलिस की मेहरबानी । दरअसल ऐसे समय मे लोग जहाँ एक ओर पैसे पैसे से परेशान है और कोरोना से डरे हुए है , वहीं उन में ये भी भी अपने चरम पर है कि कही वो अपनी दुकान खोल ले तो पुलिस उन्हें मार पीट कर दुकान बंद न करा दे और पैसे न बना लें और ये भय कोरोना से भी खतरनाक है , जो लोगो को बीमारी से पहले ही ले मरेगा ।
ऐसा नही है कि ये बाते हवा में कि जा रही है , इसके सैकड़ो उदाहरण तो जनपद बिजनौर के थाना हीमपुर दीपा में ही मौजूद है । जिसकी यदि जांच की जाए तो सब साफ हो जाये । जैमनी अकादमी पानीपत द्वारा यदि सही बात कहने का अवसर प्राप्त हुआ है तो परीक्षीत गुप्ता की कलम रुकेगी नही । दरअसल जिस वर्ग के लोगो को राहत चाहिए वो तो भूखे मरो की कगार पर है । चाट , पकोड़ी वाले स्ट्रीट वर्कर्स एक धेला न होने के कारण आंसू पी रहे है । ऐसे में कोरोना के साथ साथ पुलिस का अमानवीय व्यवहार और पैसा उगाही उन्हें हार्टअटैक की ओर ले जा रहा है और इनके आंसुओ की बेकद्री कर हम ये कहें कि कारोबार दौड़ने लगा है तो ये उन लोगो के साथ अन्याय व उनके जज्बातों पर कुठाराघात होगा । 
- परीक्षीत गुप्ता
 बिजनौर - उत्तर प्रदेश
लाकडाऊन की राहत से भी कारोबार पहले जैसा नहीं रह गया , व्यापारियों के पास एक नहीं कई समस्याये है स्थितियों को सुधरने में बहुत वक्त जायेगा !
लॉकडाउन में सिर्फ कुछ चुनिंदा दुकानों के खुलने और बाकी सब बन्द होने के कारण रिटेल कारोबार की कमर टूट गई है. व्यापारियों के सबसे बड़े संगठन कन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स की मानें तो कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन के इन 60 दिनों में रिटेल व्यापार को करीब 5.5 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है. इससे आने वाले समय में रिटेल व्यापार पर संकट गहरा सकता है.
देश का 20 फीसदी रिटेल व्यापार इस झटके को नहीं झेल पा रहा है. कैट की ओर से कहा गया है कि 24 मार्च को देशभर में लॉकडाउन लागू किया गया था तब से लेकर 30 अप्रैल तक भारतीय खुदरा व्यापार में लगभग 5.50 लाख करोड़ रुपये का व्यापार नहीं हुआ और व्यापार न होने से कम से कम 20 फीसदी व्यापारियों और उन व्यापारियों पर निर्भर लगभग 10 परसेंट अन्य व्यापारियों के अपना व्यापार बंद करने की संभावना है.
कैट के महामंत्री प्रवीण खण्डेलवाल का कहना है कि देश भर में करीब 7 करोड़ रिटेल व्यापारी हैं जो करीब 15 हज़ार करोड़ रुपये का रोजाना कारोबार करते हैं. इन 7 करोड़ व्यापारियों में से करीब 1.5 करोड़ व्यापारी कुछ महीनों में अपने व्यापार को स्थायी रूप से बंद करने की कह रहे हैं. इससे इन पर निर्भर करीब 75 लाख अन्य व्यापारी भी कारोबार को लेकर परेशान हैं.
ऐसे छोटे कारोबारी हैं जो किसी प्रकार जीविका चलाते हैं. हैं जिनके पास कारोबार के लिए जरूरी पैसा भी नहीं है. वहीं इन्हें कर्मचारियों का वेतन, किराया, लोन की ब्याज आदि देनी पड़ रही है लेकिन सरकार ने कारोबारियों की सुरक्षा के लिए कोई कदम नहीं उठाया जिसके कारण देश भर के व्यापारी बेहद हताश और निराश हैं.
बड़ी भंयकर स्थिति से व्यापारी जूझ रहा । 
लाकडाऊन से कमर टूट गई है 
व्यापार ख़त्म हो गये कितने व्यापार को अभी खड़े होने में सालों लग जायेगे , 
यदि काम शुरु करते हैं तो मज़दूर नहीं है सब पलायन कर गये है ।
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
 यदि हम थोड़ी देर के लिए स्थिरता से अपने मस्तिश्क को विचाराधीन रखें तो पाएंगे कि शीघ्र ही जवाब की परिपाठी पर विचारों और यहाँ तक कि दृश्यों का भी कौतूहल होने लगता है।'लॉकडाउन में ढील जरूर मिली है और भागमभाग भी प्रारम्भ हुई है' परंतु 'कारोबार में गतिसीलता' कितनी आई है इसका उत्तर खोजने पर पता चलता है कि केवल हम ही भाग रहे हैं यानी इंसान भागने लगा है पर कारोबार केवल हल्की फुल्की गति से चल मात्र रहे हैं।फिर दौड़ने की तो बात अभी नदारद या अतिश्योक्ति ही साबित होती है।
        लोग बाहर तो निकल रहे हैं पर केवल न्यूनतम जरूरत की चीजों को लेकर फिर से घरों के अंदर हो जाते हैं।घूमना यानी छुट्टियाँ मनाने जाना बंद है,बाहर का खाना बंद है,यातायात और मौज मस्ती के साधन बंद पड़े हैं।फिर ऐसे में भला कारोबार कैसे दौड़ सकता है।हाँ इतना अवश्य है कि जो सामान लॉकडाउन के चलते गोदामों में ढेर हुआ पड़ा था,उसने अब बाहर निकलना चालू कर दिया है।इस थोड़ा-बहुत से कारोबारियों को जरूर राहत मिली है परंतु वो भी केवल कुछ ही कारोबार के संसाधनों तक सीमित है।अब दौड़ कैसी है,क्या केवल लँगड़ी टांग सा खेल प्रारम्भ हुआ है।जिसमें दो लोग एक दूसरे की सहायता से भाग तो रहे हैं,पर कोई भी पूरी तेजी के साथ नहीं भाग पा रहा है।साथ ही उनकी इस अजब सी दौड़ का (जनता व बंद दुकानों के कारोबारी) लुफ़्त उठा रहे हैं।
     अर्थात कारोबार की गाड़ी पटरी पर तभी आ सकती है जब इसका द्रष्टा ही कारोबार रूपी गाड़ी का इंजन चालक बन जाये।फिर चाहे 'लॉकडाउन' में किसी भी प्रकार की छूट मिले या ना मिले।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
लाकडाउन में छूट से व्यापार चलने तो शुरू हुए हैं,लेकिन अभी अपनी स्वाभाविक सामान्य गति नहीं पकड़ पाए हैं। बाजारों में भीड़ नजर आ रही है, लेकिन उसमें खरीदार कम घरों में बंद रहने से उकताए हुए लोग ज्यादा हैं। जो रौनक देखने के लिए बाजार की ओर रुख कर रहे हैं। खरीदार अभी आवश्यक आवश्यकताओं की  सामग्री ही खरीद रहे हैं। इसके अलावा अन्य वस्तुओं की बिक्री अभी सामान्य रूप से नहीं हो रही है। अधिकांश व्यापार लाकडाउन जैसी स्थिति में ही चल रहे हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुई थी। जिसमें रेडीमेड गारमेंट्स का एक व्यापारी कह रहा था कि सुबह से शाम हो गई बोहनी भी नहीं हुई। बाजार में कपड़ों, बर्तनों, इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम, फैंसी ड्रेसेस, कॉस्मेटिक्स, ऑटो व्हीलर, फर्नीचर आदि की दुकानों पर इक्का-दुक्का ग्राहक ही पहुंच रहे हैं।व्यापारी बाजार में ग्राहक के इस बदले रुख से स्वयं हैरान है। लाकडाउन ने सीमित संसाधनों में जीवन यापन करने की आदत डाल दी है। इसका एक कारण यह भी है कि आम आदमी की जेब में पैसा बहुत कम है। आमदनी के साधन प्रभावित हुए हैं। इससे बाजार तो प्रभावित होना ही है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर-  उत्तर प्रदेश
लॉक डाउन की राहत से अभी कारोबार को वो गति नहीं प्राप्त हुई है,जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि कारोबार दौड़ने लगा है।इतने दिनों से बन्द पड़े कारोबार को दोबारा व्यवस्थित करने में कुछ समय अवश्य लगेगा।
कॉविड 19 ने आज जीवन को उस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है,जहां सब कुछ अब पहले से अलग है।ये प्रभाव कारोबार पर भी पड़ा है। अतः पूर्व की भांति व्यापार को दौड़ने में अभी काफी वक़्त लगेगा।
आगे आने वाले दिनों में लोग केवल जरूरत भर के समान की ही खरीद करेंगे,अनावश्यक वस्तुओं पर अब जनता स्वयं ही कंट्रोल कर रही है।पैसा कमाना अगर जनता की मजबूरी है तो कोवीड 19 से खुद को बचाकर रखना भी उसकी व्यक्तिगत जिम्मेदारी है।मै यही कहना चाहूंगा कि लॉक डाउन की राहत ने कारोबार को पटरी पर चलने जरूर दिया है मगर अभी दौड़ने कि इजाजत नहीं दी है।
- कवि कपिल जैन
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
     भारतीय अर्थव्यवस्था में लाँकडाऊन का काफी प्रभाव पड़ा हैं, जिसके कारण कारोबार अनियंत्रित हो गया हैं।  व्यवसायिकताओं को सुचारू रुप से संचालित करने के उद्देश्य से क्रमशः राहत दी गई हैं,  लेकिन पूर्व की भांति सामान्यतः होने में काफी समयावधि लग सकती हैं।  जिस तरह से पूर्व में कारोबार यथावत था, आमजन  बंधे हुए थे, वर्तमान परिदृश्य में शादी-विवाह का समय चल रहा हैं।  जिस तरह से आमजन खरीदी के लिए तरह की व्यवस्थाओं के लिए निकलते,  पहुँचते थे,  समसामयिक समारोह तो  पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया हैं, जिस पर कारोबार नियंत्रित था। वहीं आंशिक रूप से कारोबार प्रारंभ हुआ हैं, जहाँ आवक तो कम बिजली के बिल के साथ-साथ अन्य व्यवस्थाओं में खर्च भी नहीं निकल पा रहा हैं। वह भी प्रतिबंधित समय में कारोबार चलाना बहुत बड़ा नुकसान भी हैं, भीषण गर्मी का समय आमजन सायं काल सामान खरीदने के लिए निकलते हैं, जब-तक दुकानें बंद करने का समय, फिर प्रारंभ हो जाता हैं, प्रशासनिक व्यवस्थाएं, ऐसे में कारोबारियों को विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा हैं। वही कोरोना महामारी के कारण जीवन शैली की दिनचर्या परिवर्तित हो चुकी हैं, आमजन अभी भी धैसीयत के साये में जी रहा हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
कोरोना महामारी में लॉकडाउन 4 में केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा राहत से कारोबारियों को जान में जान आई है। सही मायने में देखा जाय तो लॉकडाउन में राहत मिलने से कारोबार दौड़ने तो नही लगा है, लेकिन चलने लगा है। देश मे सिर्फ शराब का कारोबार दौड़ने लगा है। राज्य सरकारोँ की ओर से शराब के दामों में बढोत्तरी होने के बाद भी ठेके पर लोगों की भीड़ देखने को मिल रही है। इसके अलावे अन्य कारोबार को पटरी पर लाने में अभी और समय लगेगा। दुकानें तो खुल गई है, पर कोरोना के बढ़ रहे केश के कारण लोग घरों से बहुत ही कम निकल रहे हैं। इसके अलावे अभी भी सैलून, दर्जी, कपड़ों की दुकानें नही खुली है। होटल व रेस्टोरेंट तो जरूर खुले है, लेकिन सिर्फ होम डिलेवरी तक ही सीमित है। इसके साथ ही लोगों में कोरोना का सताने लगा है। ठेठ देहाती भाषा मे कहा जाय तो कोरोना छुआछूत की बीमारी है। जिसके परिवार में कोरोना किसी भी सदस्य को हो गया है उससे लोग किनारे हो रहे हैं। यहां तक कि महाराष्ट्र के अकोला में एक हिन्दू परिवार में एक व्यक्ति की मौत हो जाने पर उसके परिवार वालों ने अंतिम संस्कार तक नही किया। यह मामला किसी गरीब परिवार का नही है, बल्कि मृतक पैसेवाला था। उस व्यक्ति का अंतिम संस्कार मुस्लिम समाज के लोगों ने हिन्दू रीति रिवाज के साथ अकोला स्थित मोहता मिल शमशान घाट पर कर मानवता का एक मिशाल कायम किया। इन परिस्थितियों में कारोबार को दौड़ने में अभी समय लगेगा। भारत मे कोरोना के मामलों में भले ही तेजी से वर्द्धि हो रही है, लेकिन मृत्यु दर में कमी हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव लव अग्रवाल के अनुसार अप्रैल में कोरोना की मृत्यु दर 3.3 थी जो मई में  3.43 फीसदी तक पहुंच गई थी। लेकिन अब यह कम होकर 2.87 फीसदी रह गई है। यह वैश्विक औसत से 6.4 फीसदी से कम है। तथा कई देशों में यह दर बेहद ऊंची 19 फीसदी तक है। वही दूसरी ओर देखा जाय तो कोरोना महामारी में संक्रमण के मामलों में बेहताशा वर्द्धि होई है। ताजा आंकड़ो के अनुसार पिछले 24 घंटे में कोरोना के 6 हजार 535 नए मामले मिले हैं, जबकि 146 लोगों की जान गवानी पड़ी है। देशभर में 1 लाख 45 हजार 380 कोरोना मरीज़ों की संख्या हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार  80,722 मरीज़ों का इलाज चल रहा है, जबकि 60,490 मरीज पूरी तरह से ठीक हो चुके हैं।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
लाॅकडाउन की राहत से कारोबार दौड़ने लगा है,ऐसा नहीं कह सकते हैं ।लेकिन जो बिलकुल थम गया था ,अब वो सम्भल कर गतिशील हो रहा है और धीरे धीरे गतिशीलता में रफ्तार भी आ सकती है ।कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप ने सभी चीजों पर अपना व्यापक असर डाला है और हर चीज बुरी तरह से प्रभावित हुई है।चाहे वो इंसानो की रोजमर्रा की जीवनशैली हो,कारोबार हो,या पूरा वातावरण ।अपनी नई जीवनशैली, कारोबार का बदलता स्वरूप,इन सब में खुद को ढ़ालते हुए अपने पुराने दिनचर्या में वापस उसी स्वरूप में  लौटने अभी वक्त लग सकता है ।इसलिए हम कह सकते लाॅक डाउन में राहत से जल्दी ही जिन्दगी पटरी आ जायेगी और कारोबार भी अपनी रफ्तार में दौड़ने लगेगा।
             - रंजना वर्मा "उन्मुक्त "
रांची - झारखण्ड
67 दिनों से कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जारी है । पहले जनता कर्फ्यू फिर लाॅकडाउन ।  देश में आज लाॅकडाउन - 04 चला हुआ है । लेकिन जैसे चरण दर चरण लाॅकडाउन आगे बढता गया वैसे इसमें ढील का समय भी बढता गया  । पहले लाॅकडाउन में लोगों को आवश्यक वस्तुएं खरीदने के लिए तीन घंटे की मोहलत दी जाती रही ।  दूसरे लाॅकडाउन में एक घंटा और बढाकर चार घंटे का समय दिया जाता रहा  । तीसरे लाॅकडाउन में छह घंटे की ढील गई और चौथे लाॅकडाउन में राहत की समय सीमा आठ घंटे कर दी गई है  । एक तरफ संक्रमण का भय हो और दूसरी ओर लाॅकडाउन की राहत व कारोबार की बात की जाए तो सवाल - " क्या कारोबार दौड़ने लगा है  " वाजिब है  । लोगों के मन में डर घर कर गया है । यदि लोग घर से बाहर निकल भी रहे हैं तो उनके व्यवहार में बदलाव नजर आ रहा है । वो डरते - बचते से प्रतीत होते हैं  । अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति से स्पर्श कर जाए  या किसी रेलिंग से टच हो जाए या किसी दीवार से उसका शरीर स्पर्श कर जाए तो एक अजीब सी झुंझलाहट महसूस कर रहे हैं । वह भीड़ से दूर रहने की कोशिश कर रहा है । जिस दुकान में उसे भीड़ - सी नजर आ जाए उस दुकान में जाने से वह परहेज़ करता है  । अधिकांश दुकानदार कम ग्राहक आने की वजह से समय से पहले ही अपनी दुकानें बंद कर देते हैं  । यदि ग्राहक दुकान आता रहे तो वो दुकानें क्यों बंद करते । ना तो ग्राहक ही है और ना ही तो बिक्री हो रही है , इसलिए वो घर जाना ही बेहतर समझते हैं  । लाॅकडाउन की राहत से कारोबार में आपेक्षित वृद्धि नहीं हो पाई  । कारोबार दौड़ नहीं रहा है बल्कि धीरे धीरे सरक रहा है  ।
- अनिल शर्मा नील 
 बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
लाकडाउन की राहत से हमारी जिंदगी की गाड़ी पुनः पटरी पर आने के लिए प्रयासरत है। शनैः शनैः सारी सुविधाएँ आरंभ हो रही हैं। थमी हुई हमारी जिंदगी पुनः गतिमान हो रही है। सभी कार्यालयों ने सुचारू रूप से कार्य करना आरंभ कर दिया है। इतने दिनों से बंद उद्योग धंधे भी अपनी गति को प्राप्त करने के लिए प्रयासरत हैं। बंद पड़ी फैक्ट्रियाँ भी आरंभ हो रही हैं। किन्तु इस दीर्घकालिक लाकडाउन ने कारोबार के सभी क्षेत्रों को इतनी बुरी तरह प्रभावित किया है कि उनकी प्रगति को वर्षों पीछे ढकेल कर रख दिया है। अपनी पुरानी साख फिर से प्राप्त करने में उन्हें बहुत अधिक वक्त लग जाएगा। अतः लाकडाउन की राहत के बाद  हमारे जीवन की सामान्य दिनचर्या के साथ साथ ही देश के कारोबार भी आरंभ तो अवश्य हो गए हैं किन्तु हम ये बिलकुल भी नहीं कह सकते हैं कि कारोबार दौड़ने लगे हैं।
              - रूणा रश्मि "दीप्त"
                 राँची - झारखंड 
प्रकृति का नियम है कि हर अंधकार के बाद प्रकाश आता है यह दुनिया कभी किसी के लिए नहीं रखती आगे चलने का नाम है जीवन है नदी और पेड़ हमेशा आगे बढ़ते ही रहते हैं पतझड़ के पार उस पत्ते में फूल लगते हैं फल आते हैं उसी तरह जीवन तो पटरी पर लौटी सबको अपने काम धंधे तो कर पढ़ते हैं। जीने के लिए रोजी-रोटी बहुत जरूरी होती है।
उसी तरह उद्योग धंधे में खुलेंगे और सभी काम धीरे-धीरे सुचारू रूप से चलेगा जीवन जीने का और उद्योग धंधों को भी चलाने का तरीका बदलना पड़ेगा । सोशल डिस्टेंस का पालन करना पड़ेगा। स्वच्छता का ध्यान देना पड़ेगा इसे अपने जीवन में अपनाना पड़ेगा।
इतने दिन से छक्के उद्योग धंधे पर एक बंद है सभी को अपने काम शुरू करने का इंतजार है पहले से अब अच्छी तरह नई टेक्नोलॉजी और सोच के साथ नए कामों की शुरुआत होगी बदलाव से देश में उन्नति आएगी।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
लाकडाऊन की राहत से दौड़ने लगा है कारोबार ? 
दम टूट गया व्यापक रुप में कारोबार का दौड़ना तो दूर चलना मुश्किल हो गया है ..
पर रेंगना शुरु कर दिया है...
केंद्र सरकार ने  देश के कुछ इलाकों में लॉकडाउन में ढील देने और सभी जरूरी इंडस्ट्री-कारोबारी गतिविधियों को शुरू करने की इजाजत दी है
यह उन्हीं इलाकों में होगा जहां कोरोना पर अंकुश है और लोग लॉकडाउन का सख्ती से पालन कर रहे हों.
इंडस्ट्री और कारोबार के इन क्षेत्रों में शुरू होगा काम
—प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, केबल, डीटीएच सेवाएं जारी रहेंगी
—सरकारी गतिविधियों के डेटा , कॉल सेंटर खुलेंगे
कोरियर सेवा, ई-कॉमर्स कंपनियों का काम
—कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउसिंग सर्विस
—प्राइवेट सिक्योरिटी और ऑफिस मैनेजमेंट सेवाएं
—ऐसे होटल, मोटल या गेस्टहाउस जहां लॉकडाउन की वजह से टूरिस्ट फंसे हों
—इले​क्ट्रिशियन, प्लंबर, मोटर मेकैनिक, आईटी रिपेयर, कारपेंटर
—ई-कॉमर्स कंपनी और किराना जैसे जरूरी सामान की सप्लाई
—ग्रामीण इलाकों के उद्योग
—स्पेशल इकोनॉमिक जोन, एक्सपोर्ट ओरिएंटेड जोन, इंडस्ट्रियल टाउनशिप के उद्योग,
—दवाओं और अन्य जरूरी सामान के उत्पादन में लगे कारखानों के उत्पादन काम
—ग्रामीण इलाकों के फूड प्रो​सेसिंग इंडस्ट्री के काम
—आईटी हार्डवेयर की मैन्युफैक्चरिंग
—कोयला, खनिज उत्पादन और उनकी ढुलाई, खनन के लिए जरूरी विस्फोटकों की आपूर्ति
—पैकेजिंग सामग्री की उत्पादन करने वाली इंडस्ट्री का काम
—तेल एवं गैस का अन्वेषण कार्य
—जूट इंडस्ट्री का काम
—ग्रामीण इलाकों के ईंट भट्ठे
ग्रामीण इलाकों में सड़क, सिंचाई परियोजनाओं, इमारत और सभी तरह की औद्योगिक परियोजनाओं का निर्माण
—अक्षय उर्जा परियोजनाओं का निर्माण
— नगरीय इलाकों में निर्माण परियोजनाओं का काम, जहां मजदूर परियोजना स्थल पर ही हों और बाहर से किसी मजदूर को लाने की जरूरत न हो
अब समस्या मज़दूरों की भी सब गाँव चले गये ..
व्यापारी काम कैसे करे 
हाँ कुछलोगो ने अपना व्यवसाय ही बदल दिया नया ऑनलाइन बिज़नेस शुरू कर दिया है । 
सब बहुत लोग किराने के व्यवसाय व खेती करने का विचार बना रहे है , 
आने वाले समय में बहुत परिवर्तन देखने को मिलेंगे लोग 
जो नौकरियाँ खो चुके हैं जिनके 
यहाँ खाने को नहीं है वो क्या व्यवसाय करेंगे ? 
युवा ज़रूर अब नई सोच के साथ नया बिज़नेस लेकर आयेंगे 
शराब की दुकानें ज़्यादा खुलेगी 
प्रकृति का नियम है विनाश के बाद नया सृजन तो जो होगा अच्छा होगा , साकारात्म विचार लेकर चले गाड़ी पटरी से उतरी है 
टूटी नहीं है मरम्मत हो रही हैं फिर भागेंगी ......
नया सबेरा आयेगा ...सबके चेहरे पर मुस्कान होगी ..
- अश्विनी पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
लाॅकडाउन की राहत से कुछ का कारोबार तो चल निकलने की सम्भावना हैं तो कुछ का कारोबार  कोरोना वायरस की भेंट चड़ने वाला हैं सोचो चाट वाला गोल गप्पे वाला चाय पोहे वाला नास्ता पाईन्ट सब को कोरोना वायरस की मार झेलना ही होगी सुरक्षा के तहत यदी व्यक्ती ध्यान रखता है तो सोचो जो व्यक्ती फल सब्जी अनाज तक धो कर घर में लाता है तो उसे बाहर के खुले के खाद्य पदार्थ क्या भायेगें? वही दुसरी ओर दो माह से ज्यादा समय के लाॅकडाउन से अवस्यकता की वसतुऐं जीसे धोया सुखाया जा सकता हैं वे कारोबार जरूर दौड़ पढेगें।मेरा मान्ना हैं सुरक्षा को प्राथमिकता दे मास्क लगायें हाथ पैर मुॅह सब आते जाते साबुन से धोना हैं।कोरोना से डरना नहीं सुरक्षीत रहना हैं।कोरोना को भगाना हैं विजय जस्न मनाना हैं।
- कुन्दन पाटिल 
देवास - मध्यप्रदेश
लॉ क डाउन 4 में केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों को निर्देश है कि वह अपने राज्य में परिस्थिति के अनुसार राहत दे । परंतु कुछ राज्य अपनी जिम्मेदारी बढ़-चढ़कर दिखाने तथा जनमानस की जान की परवाह किए बिना कारोबारियों को आवश्यकता से अधिक छूट देने लगे हैं । कारोबारियों को कुछ नियम के तहत छूट दी गई थी 
परंतु कुछ कारोबारी अपनी जान की परवाह किए बिना तथा अधिक से अधिक पैसा कमाने के लालच में नियमो का उल्लंघन कर अपने अपने कारोबार को दौ डा ने  पर लगे पड़े हैं ।
 लॉ क डाउन 4:0में सभी को अपनी अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं लेकर छूट मिली है ।
कोई कारोबारी हो या आम जनता कोरोना की संक्रमण से अपने आप को खुद बचाना है सरकार ने गाइडलाइन जारी की है जोकि सभी को अपनाते हुए कार्य करना चाहिए कि जिससे लॉ क डाउन 5  की आवश्यकता ना पड़े ।
लॉ क डाउन  4, में कुछ राहत की वजह से भारत सरकार ने राज्य / केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय संस्थानों को 74 + लाख बीपी कवर ऑल और 111 + लाख  N  मास्क  बनाए  हैं  ।
घरेलू आपूर्तिकर्ताओं द्वारा प्रतिदिन 3 +लाख किट  का निर्माण हो रहा है।
     भारत में अब 
सक्रिय मामले         =  80222
 अब तक ठीक मरीज= 7491
 और मृत्यु             =   4106 7 
हो चुकी है। 
लॉ क डाउन -4 की राहत से प्रतिदिन कारोबारियों को तो राहत मिली ही  है
परंतु लॉ क डाउन -4 में को रो  ना  का   कारोबार भी  दौड़ने लगा है कोरोना संक्रमण संघ के मरीजों का ग्राफ में भी प्रतिदिन वृद्धि हुई   है 24 घंटे में 6000 के लगभग व्यक्ति संक्रमित पाए जाते हैं।
            अत: लॉ क डाउन  -4  में कारोबार को भले ही दौड़ाने लगे।
        परंतु करोना के   (कारोबार)  संक्रमण के ग्राफ को डाउन करने की कोशिश करनी चाहिए ।
               - रंजना हरित               
बिजनौर -उत्तर प्रदेश
लॉकडाउन की राहत से कारोबार दौड़ने लगा है ऐसा तो नहीं  कह सकते किंतु हां लॉकडाउन में काफी समय से बंद पडे़ कारोबार को खोलने की अनुमति दिए जाने के बाद से बाजारों में सड़को में फिर से चहल पहल बढ़ गई  है! जो रौनक जो जिंदगी थम सी गई थी उसे गति मिल गई है! 
सड़को पर निकलते समय सभी कोरोना से बचने के नियमों का पालन कर रहे हैं! आमजन चेहरे पर मास्क लगाकर ही निकलते हैं! 
दूकान पर खरीदारी करते वक्त शारिरीक दूरी का प्रयोग कर रहे हैं! सेनिटाइज़र का उपयोग दुकानों में घूसने से पहले ही कराया जाता है! 
लाकडाउन में  राहत मिलने से लोगों के चेहरे में खुशी की एक चमक है! कुछ लोगों के चेहरे पर अपनी रोजी रोटी पा जाने की चमक है कुछ को अपनेआवश्यक घरेलु सामान मिलने की खुशी हो रही है! 
प्रशासन द्वारा लॉकडाउन में राहत मिलने के बावजूद भी आम जनमानस में खाकी वर्दी वालों का भय बना हुआ है अतः सभी घर से निकलते हुए लॉकडाउन के नियमों  का पालन कर रहे हैं! 
चूंकि सभी को अच्छी तरह ज्ञात हो गया है कि कोरोना के चलते जीवन में बिखराव आ गया है आजीविका के श्रौत बंद तो कैसा जीवन! कोरोना ने जीवन और जीविका दोनों को प्रभावित किया है ! 
हमे अपने आर्थिक तंत्र को भी बढ़ावा देना है, मजदूरों की स्थिति देखते हुए बाजार तो खोलना ही पड़ेगा !
किंतु लॉकडाउन में रह हमने जो तकलीफ सही है वह व्यर्थ नहीं जानी चाहिए! राहत मिली है पर धीरे धीरे कोरोना से बचने के उपायों का पालन करते हुए कारोबार को गति देनी है!  
बाकी प्रशासन ने तो आर्थिक  पैकेज देकर मदद देना चालू कर दिया है! 
सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़े  !
जबतक वैक्सीन नहीं  बनी कोरोना से बचने के नियमों  का पालन करे! 
जान है तो जहान है!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
कुछ शर्तों के साथ लॉक डाउन में छूट देकर उद्योग धंधों को पटरी पर लाने के प्रयास किये जा रहें हैं लेकिन कारोबार की गति व स्थिति लोगों की सोच और व्यवहार पर निर्भर करेगी l लॉक डाउन में फॉर्मर, चिकित्सा स्वास्थ्य उपकरण तथा डिजिटल कंपनियों में उछाल देखने को मिला है l डिजिटल दुनियाँ से जुडी हुई तथा इससे संबंधित सेवाएँ उपलब्ध कराने वाली कम्पनियां जैसे -मनोरंजन, कार्य प्रणाली और रसद आपूर्ति श्रंखला अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं तथा राहत मिलने से ये अच्छा करेंगी l आवश्यक वस्तुओं में मांग में वृद्धी हुई है l मानना यह है कि राहत के बाद परिवहन, भंडारण, वेयर हाऊसिंग जैसे क्षेत्रों में कारोबार तेजी से वापसी करेंगे l 
               लेकिन 
           यात्रा, होटल, विदेश यात्रा शॉपिंग मॉल जैसे क्षेत्रों में जल्दी रफ़्तार पकड़ने की संभावना कम ही है l ई कॉमर्स और होम डिलेवरी में आगे और तेजी देखने को मिलेगी कारोबार क्षेत्र में कोरोना संक्रमण के प्रसार को देखते, जिन्हें सरकार ने बंद किया उनमें राहत से, सबसे तेजी से सुधार आने में संभावना है क्योंकि 50 दिनों में खुदरा व्यापारियों के साढ़े सात लाख करोड़ की चपत तथा सरकारी खजाने को केंद्र व राज्य दोनों मिलाकर डेढ़ लाख करोड़ जी. एस. टी. का राजस्व का नुकसान हुआ है l लॉक डाउन खत्म होने पर 20% व्यापारियों को अपना व्यापार बंद करना पड़ सकता है l क्योंकि श्रमिकों की पलायन से बनी स्थिति कार्यकारी पूंजी, मशीनों की स्थिति का सामना करना होगा l सम्भवतया दीवाली तक ही ये व्यपारी पटरी पर आ सकेंगे l ढाई करोड़ व्यापारियों के सामने लिक्विडिटी का संकट आने की संभावना है l आज कारोबार सामान्य ही नहीं हो पा रहा है तो दौड़ने की बात तो दीगर है l 
व्यपारी वर्ग की मनःस्थिति का चित्र देखिए 
अभी तक तो न कुंदन हुए, 
न राख हुए l 
हम अपनी ही आग में हर रोज 
जलके देखते हैं ll 
     चलते चलते -
कोरोना संघर्ष काल में स्वयं का जीवन व कारोबार बचाने के लिए हमें ईश्वर के बताये रास्ते पर चलना होगा l 
ईश्वर कहते हैं -
उदास न हो मैं तेरे साथ हूँ.... 
सामने नहीं, आसपास हूँ 
पलकों को बंद कर 
और दिल से याद कर.... 
मैं कोई और नहीं.... 
तेरा विश्वास हूँ l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
जी लॉक डाउन की राहत थे ३०% कारोबार चलने लगा है वो भी बड़े कारोबार नही निजी छोटे मोटे कारोबार लॉक डाउन की ढील से बाजार खुलने लगे है राशन कपड़े और आम जरूरत की सभी वस्तुएँ बाजार मे उपलब्ध है। कोरोना संक्रमण से लम्बे लॉक डाउन की वज़ह से कारोबार बंद पड़े थे आर्थिक संकट मंडरा २हा था कारोबार ना होने से कारोबारियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था व्यापारी परेशान थे माल खराब हो रहा था लॉक डाउन की वज़ह से आम जनता घरो से नही निकल रही थी बाजार मे भी जरूरत के सामन की दुकाने खुली थी। इससे अन्य कारोबारी परेशान थे जीविका चलाने के लिए कारोबार जरूरी है लेकिन लॉक डाउन में ढील  हुई है कोरोना में कोई ढ़ी ल नही है हमे अपनी सुरक्षा स्वंय करनी है बचाब जरूरी है दूरी बनाये रखे दुकानो पर ज्यादा भीड़ एकत्रित ना करे सोशल डिस्टेशिंग बनाये रखे मास्क जरूर लगाये सावधान रहे जरूरी हो तो बाजार जाये कारोबार के साथ साथ नियमों का पालन करें तभी आगे बढ़ पायेगे सड़को पर भीड़ लगी है कारोबार खुलने से वाहनो की भीड़ नियमो को अनदेखा कर रहे है कही हम आर्थिक व्यवस्था सुधारने में देश मे व्यवस्था ना बिगाड़ दे संक्रमण बढ़ रहा है। और हम भी आगे बढ़ रहे है हमें एक कदम पीछे हटना होना अन्यथा परिणाम बहुत बुरा होगा जिंदगी पटरी पर लाने मे लगे है कही पटरी खिसक ना जाये सावधान बाहर कोरोना है कारोबार के साथ साथ इस चेतावनी को याद अवश्य रखे।
- नीमा शर्मा हंसमुख
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
      कोरोना लाॅकडाउन और कारोबार की राशि आपस मैं तालमेल नहीं बिठा रही। क्योंकि कोरोना का डर कारोबारी एवं श्रमिकों में पूरी तरह व्याप्त है। इसके अलावा प्रवासी श्रमिक अपने-अपने घर चले गए हैं और स्थानीय श्रमिक कारोबार के लिए प्रर्याप्त नहीं हैं।
      सत्य तो यह है कि धान की आगामी फसल की पौध रोपण की भी कृषकों को चिंता हो रही है। वह इस उधेड़बुन में हैं कि वह बिना प्रवासी श्रमिकों के पौध की रोपाई कैसे करेंगे? कुछ कृषक तो पुरानी विधि का प्रयोग करने का मन बना रहे हैं।
      चूंकि कारोबार की कुंजी श्रमिक हैं और श्रमिक भविष्य की चिंता में घरों में बंद हैं। उनमें से कुछ अपने प्रदेश चले गए हैं और बाकी बचे जाने के लिए प्रयासरत हैं।
      जो भी है कारोबार का भविष्य अंधकारमय है। हालांकि लोकप्रिय माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी ने राष्ट्र को आत्मनिर्भर करने के लिए 'वोकल फार लोकल' का आह्वान किया हुआ है। जिसके लिए उन्होंने 20 लाख करोड़ रूपए भी जारी करने की घोषणा कर रखी है। परंतु उन्हीं के नेतृत्व वाली सरकार के अधिकारी उन्हीं को विफल करने के लिए कमर कस चुके हैं।
      उदाहरण स्वरूप एक कारोबारी 14 मई को प्रधानमंत्री समस्या निवारण कार्यालय में कारोबार आरंभ करने के लिए प्रार्थनापत्र देता है। जिसे प्रधानमंत्री कार्यालय उसी दिन संबंधित विभाग के निदेशक को भेज देता है। परंतु उक्त विभाग के निदेशक आज तक प्रार्थी से संबंध तक नहीं साध सके। ऐसे में  'वोकल फार लोकल' कारोबार स्कीम कैसे सफल होगी?
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जी बिल्कुल ऐसा कह सकते हैं। करीब तिरेपन दिनों के बाद काम पर लौटा हूॅं‌। डर के माहौल में काम करना पड़ रहा है।कारण कभी भी कुछ भी हो सकता है। मगर खुशी वाली बात यह है कि अब दो पैसे लोगों के जेब में आएंगे तो कुछ तो राहत मिलेगी।
करीब दो महीना लोगों का बहुत कष्टकर बीता। लेकिन अब लोगों के चेहरे पर खुशी देखी जा सकती है। हालांकि कोरोनावायरस इन दिनों दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। रोजी रोजगार के साधन हो तो लोग कष्ट आसानी से भोग लेते हैं। कुल मिलाकर रोजगार में तेजी धीरे धीरे आएगी जब अंतरराष्ट्रीय मार्केट से सामानों का आवाजाही सुचारू रूप से शुरू हो जाएगा।
इस बीच बहुत सी छोटी बड़ी कंपनी अपने वर्करों को राहत पहुंचाने के लिए थोड़ी बहुत आर्थिक सहायता दे दिया है।यह भी सुखद खबर है। कुछ मकान मालिकों ने भी दरियादिली दिखाते हुए किराया माफ कर दिया है।या फिर आधा किराया लिया है।यह भी सुकून देने वाली खबर है। रोजगार चले और यह प्राकृतिक आपदा से राहत मिले ऐसी शुभकामनाएॅं‌।
- भुवनेश्वर चौरसिया "भुनेश"
गुरूग्राम - हरियाणा
क्या लॉक जाउन की राहत से दौडने लगा है कारोबार जहाँ तक मै समझता हूँ कुछ हद तक कारोबार मे सुधार हुआ है पर सभी तरह के व्यापार मे नही कुछ आवश़्यक वस्तुओ से समबन्धित व्यापार में जरूर कुछ गति आयी है बाकी मे कोई विशेष सुधार नही हुआ कोरोना से व्यापार भी बुरी तरह प्रभावित हुआ क्योकि लोगो का रोजगार प्रभावित होने से क्रय शक्त प्रभावित हुई है.           
- प्रमोद कुमार प्रेम 
नजीबाबाद - उत्तर भारत
मेरे विचार में न तो दौड़ रहा है और न ही जल्दी दौड़ पायेगा।लोग इतनी जल्दी सामान्य नही हो पायेंगे।कोरोना ने बहुत कुछ बदल दिया है हमेशा के लिए।आप बताएं मुझे क्या अब सिनेमा हाल क्रिकेट स्टेडियम चुनावी रैलियाँ गेट टू गेदर हो पायेगा दोबारा?
शादी ब्याह में भीड़ कभी नही जुटेगी।लोग अनावश्यक रूप से बाहर नही निकलेंगे।
और एक कड़वा सत्य सुनिए।
अब फिजूलखर्ची बन्द हो जाएगी।और इस वजह से बहुत से धंधे अब बन्द हो जाएंगे।और ये अच्छा ही होगा पर्यावरण के लिए।पृकृति बच जाएगी।
गैर जरूरी धंधों का बन्द हो जाना ही बेहतर।
- रोहन जैन
देहरादून - उत्तराखण्ड
लॉक डाउन के बाद कई शहर  पूरी तरह खुल गए| कई दिनों  वाद सुबह से शाम तक शहरों में हलचल दिखी |
लॉक डाउन चार में कई तरह की दुकानें खुलने से लोगों को राहत मिली |इसमें मिली छूट के बाद व्यापारियों को भी मिली राहत| कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरों के बीच भी बाजार में रौनक दिखने लगी है| हालांकि बाजार खुलने के बाद भी दुकानों पर खरीददार कम पहुंच रहे हैं |कम ग्राहकी के बावजूद बाजार खुलने से व्यापारियों की आमदनी शुरू हो गई है| किराना खाद्यान्न सामग्री और दवाओं का कारोबार पूरी रफ्तार के साथ जारी है |अब अनावश्यक वस्तुओं के बाजार भी खुल गए हैं जिनमें कपड़ा बर्तन इलेक्ट्रिकल की दुकानें भी शुरू हो गई हैं| इससे व्यापारियों  को घर पर होने वाली बोरियत से निजात मिली साथ ही व्यापार ने गति पकड़ना शुरू कर दिया है| इसके साथ ही लॉक डाउन से बैंक, बीमा कार्यालय, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया हाउस को छूट भी मिली है|
 जहां पिछले 2 माह से लॉक  डाउन के चलते दुकानों पर धूल की परतें चढ़ गई थी| उसे लंबे समय के बाद इन दुकानदारों ने उत्साह के साथ साफ सफाई करके खोला | ग्राहक अपने खास दुकानों से खरीदारी करते नजर आते हैं|
 अब ट्रकों  से भर कर बाहर से सामान पहुंचने लगा है |और दुकानों में लोडिंग अनलोडिंग का काम चलने लगा है| कई स्थान पर तो सुबह से ही कुछ चाय ठेले वाले भी डिस्पोजेबल में ग्राहकों को चाय पिलाते दिखे| हालांकि लॉक खोलने के बाद पिछले सालों की तुलना में कारोबार बहुत कम है क्योंकि सर्दियों के दिनों में गर्मी के सीजन के लिए मंगवाया गया माल गोदाम और दुकान में भरा पड़ा है| जिसकी बिकने की उम्मीद बहुत कम है|
 लेकिन सभी व्यापारी राहत की सांस लेते नजर आ रहे हैं| क्योंकि यह एक प्रारंभ है  अंत नहीं| आशा करते हैं कि भविष्य में कोरोना का अंत हो और सभी अपने क्षेत्र में उन्नति के पथ पर अग्रसर  हों |
- चन्द्रकान्ता अग्निहोत्री 
पंचकूला - हरियाणा
इस विषय पर जहां तक मेरा सुझाव है कि लॉक डाउन की राहत से व्यापार में तीव्रता इतनी जल्दी नहीं आएगी
मुख्य बात यह है की मानसिक रूप से व्यापारियों काम धंधे ऑफिस वाले लोग में एक संतुष्टि अवश्य आएगी कि चलो कार्य की शुरुआत तो हुई जब किसी चीज की शुरुआत हो जाती है तो वह धीरे-धीरे अपने रास्ते पर चलने में आगे बढ़ता ही जाता है एक स्टोरी इस संबंध में मैं लिख रही हूं
एक बहुत बड़े इंडस्ट्रियलिस्ट जो अपनी गाड़ी से कहीं आवश्यक कार्य के लिए चले जा रहे थे अचानक रास्ते में खूब तेज बारिश होने लगी तूफान आ गया उनका ड्राइवर बोला साहब क्या करूं गाड़ी रोक दूं तो वह इंडस्ट्रियलिस्ट बोले नहीं गाड़ी रोको नहीं बल्कि धीरे-धीरे मंद गति से चलाने की कोशिश करो ड्राइवर पुनः कहा साहब संभव नहीं है फिर उन्होंने कहा नहीं रुकना नहीं है धीरे-धीरे गाड़ी बढ़ते जाएगी और इस तरह गाड़ी आगे बढ़ती चली गई और कुछ देर में तूफान भी कम होने लगा जिससे गाड़ी के स्पीड में थोड़ी बढ़ोतरी हो गई कुछ दूर जाने के बाद पानी भी कम हो गया तो तो गाड़ी और तेजी से चलने लगी जिंदगी भी ठीक इसी तरह है अगर किसी चीज की शुरुआत हम कर लेंगे तो धीरे-धीरे आगे बढ़ते बढ़ते हम तीव्रता को पा ही लेंगे अब यहां पर एक प्रश्न है की क्या लॉक डाउन में व्यापार की शुरुआत होगी तो सामान्य जीवन जैसा होगा या कुछ उससे अलग होगा
  व्यापार की शुरुआत होने की देर है फिर सारे रास्ते अपने आप खुलते चले जाएंगे लेकिन इस बात का अवश्य ध्यान रखना है कि 3 नियमों का कभी उल्लंघन ना करें पहला नियम सोशल डिस्टेंस दूसरा नियम मास्क लगाना और तीसरा नियम सैनिटाइजर का प्रयोग करना इन तीनों नियमों के साथ जिंदगी रूपी गाड़ी को आगे बढ़ाना है और व्यापार को फिर पटरी पर लाना है ।
राहत मिलने पर शहर में चहल पहल तो अवश्य बढ़ जाएगी फिर भी मानव मस्तिष्क के एक कोने में हमेशा कोरोना वायरस का भय बना रहेगा और सभी में सतर्कता एवं जागरूकता रहेगी । वैसे भी जिंदगी में एक ठहराव आ गई है ठहराव से बाहर निकलने की बेचैनी भी है और घबराहट हुई है बाहर निकलना भी चाहते हैं पर इस बात का भी डर बना हुआ है कहीं कोरोना वायरस का संक्रमण ना हो जाए
इन दो महीनों के लगातार लॉक डाउन के कारण आर्थिक तौर पर हर परिवार पहले की तुलना में कमजोर हो गया है जिसके कारण मेरी समझ से अभी भी मार्केट में चहल पहल तो अवश्य बढ़ेगी पर खरीददारी कम होगी
एक सतर्कता की यह भी बात है कि इतने दिनों के लॉक डाउन के बाद जो शोरूम में सामान उपलब्ध होंगे उसकी खरीदारी में सावधानी रखनी होगी क्योंकि कुछ तो एक्सपायरी डेट एक्सपायरी डेट में रहेंगे और कुछ सामान रखे रखे ही बर्बाद हो गए होंगे और व्यापार वाले यह चाहेंगे कि मिलाजुला के अपने शोरूम के माल को निकाल दिया जाए 
इस विषय पर कस्टमर को पूरी सावधानी और सतर्कता के साथ खरीदारी करनी होगी जब तक बहुत आवश्यक ना हो तब तक खरीदारी ना किया जाए साथ ही साथ पैकेट पर छपे हुए प्रिंट पर गौर करें
सरकार की पूरी कोशिश है कि सामान्य जनजीवन पटरी पर आ जाए और लॉक डाउन में राहत देकर परिस्थिति का जायजा लिया जा रहा है संभव है महीने 2 महीने में व्यापार भी दौड़ने लगेगा
- डॉ. कुमकुम वेदसेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
लॉकडाउन की राहत से कारोबार दौड़ने लगा है, ऐसा कहना अभी उचित नहीं होगा। हाँ, मगर कारोबार पुनः चालू होने से राहत जरूर मिली है। लेकिन यह राहत डरा भी रही है, क्योंकि लॉकडाउन की छूट की वजह से या यूँ भी कह सकते हैं कि लोगों की लापरवाही की वजह से कोरोना पीड़ितों की संख्या में जो लगातार वृद्धि हो रही है वह चिंताजनक है और डरावनी है।  कारोबार का पुनः प्रारंभ होना, जनता को सुविधाएं देना, यह सकारात्मक कदम है परंतु इसके निर्वहन में दिशानिर्देशों की अनदेखी करना, लापरवाही बरतना ये अनुचित और अक्षम्य कृत्य है। इसके परिणाम दुखद हैं और परेशानियों में ले जाने वाले हैं। अभी तक के बचाव और प्रयासों पर पानी फेरने वाले हैं। अतः यदि कारोबारी और ग्राहक दोनों नियमबद्ध व दिशानिर्देशों के पालन करने के साथ अपनी जिम्मेदारी निभावें तो परिणाम सुखद होंगे।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
लॉक डाउन में छूट देने से व्यापार दौड़ने लगा है ये कहना उचित नहीं होगा।  लॉक डाउन में छूट से छोटे व्यपारियो को थोड़ा राहत जरूर हुआ है। सड़कों पर चहल पहल दिखने लगा हैं। लॉक डाउन में जिंदगी थम सी गई थी, छूट से थोड़ा आत्मसंतुष्टि मिली हैं। देश की अर्थव्यवस्था लॉक डाउन से पहले भी सही नहीं थी । लॉक डाउन के बाद तो मानो ध्वस्त हो गई हैं। इसको पटरी पर लाने के लिए छूट देना जरूरी था। जो छोटे व्यपारी थे उनको अपना घर चलाना मुश्किल हो रहा था। उनके लिए लॉक डाउन में छूट दो पैसा आमद का जरिया बना । लॉक डाउन में छूट मिलने से मानसिक तनाव से ग्रसित दुकानदार के मन में आशा की किरण दिखाई दी हैं। सब कुछ इतना जल्दी ठीक तो नहीं होगा , पर धीरे -धीरे  जिंदगी पटरी पर चलने लगेगा।
- प्रेमलता सिंह
पटना - बिहार
इस विषय पर कहा जा सकता है कि ऐसा नहीं है । क्यूंकि दो माह से भी अधिक समय से देश के व्यापार और अन्य आर्थिक गतिविधियों को ग्रहण लग गया था और अर्थव्यवस्था का दिवाला पिट चुका था । ये बात सरकार भी भली भान्ति जानती है और जनता तो भुगत ही रही है ।सरकारों को रेवेनीयू भारी कमी आने से ही ये छूट लॉक डाऊन के दौरान मजबूरन देनी पडी ।ये केंद्र व राज्य सरकारें जानती हैं कि इस निर्णय से कोरोना महामारी भयंकर रुप भी धारण कर सकती है किन्तु देश व राज्यों को इस आपदा की घड़ी में खर्चे निकालने भी उतने ही जरुरी हैं जितना इस महामारी से लड़ना ।
अता सरकारों ने कुच्छ विशेष शर्तो और हिदायतों के साथ ग्रीन वा ऑरेंज जोन में कारोबार और उद्योग चलाने तथा व्यापारिक गतिविधियां शुरु की हैं ।
ये लगने लगा है की दवाई की खोज होने तक हमें कोविड 19 के साथ रहना होगा इसलिये भी हमें मास्क और दो गज दूरी की हिदायत के साथ जीना पडेगा ।
इधर लॉक डाऊन में रियायत देने से अभी लोगों के तनाव और सहमे होने के कारण करोबार में रवानगी कम है पर धीरे धीरे हमारी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आयेगी ।।
  - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
जी नहीं! लॉकडाउन की राहत से अभी कारोबार में कोई विशेष हलचल नहीं। हम प्रतिदिन सुबह-शाम मोहाली चंडीगढ़ से पंचकूला अपने क्लीनिक पर जाते हैं। 40 मिनट के रास्ते में सड़कों पर देखते हैं कोई उत्साह नहीं। बस चंद गाड़ियां दिखाई देती है। दुकानों में जहां पहले भरपूर चहल-पहल रहती थी वहाँ कोई ग्राहक नजर नहीं आता। चंद लोग जो दिखाई देते हैं उनके चेहरों को देखकर ऐसा लगता है जैसे मजबूरी बस घर से निकले हों। 
भले ही लॉकडाउन खुल गया है परंतु कारोबार की दृष्टि से देखा जाए तो दवाई, करियाना, सब्जी को छोड़कर अभी कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। सबसे पहले तो भय है.. कोरोना के मरीजों की संख्या जो दिनों दिन बढ़ती जा रही है ऐसे में लोग घर से निकलने से अब भी डरते हैं। दूसरी बात जब 22 मार्च के बाद लॉकडाउन के कारण किसी व्यक्ति ने कुछ कमाया ही नहीं तो खरीदेगा क्या? अभी तो लोगों को परिवार में रोटी आदि की जरूरतें पूरी करने के लिए पैसा चाहिए। पूरी एक चेन है साहब! अभी कारोबार दौड़ने की बात छोड़ दीजिए पहले तो सिर्फ चलने की बात कीजिए। इतनी बड़ी भयानक विपदा जो अभी भी चल रही है और चलेगी ऐसे में तो सिर्फ रोटी और दवा की बात ही हो सकती है। अन्य की ओर तो ध्यान जाता ही नहीं। कोरोना की बीमारी जैसे-जैसे कम होगी वैसे-वैसे ही कारोबार भी चलना आरंभ होगा। लॉकडाउन की  राहत से कारोबार नहीं मरीजों की संख्या बढ़ेगी और इसी के साथ कारोबार का संबंध है। लंबे समय के लिए लॉकडाउन भी संभव नहीं फिर भी हम निराश नहीं अंधेरे के बाद सूरज निकलता है। देश पर छाई इस घोर विपदा के बादल भी छटेंगें। फिर से कारोबार दौड़ेगा इस वर्ष नहीं तो अगले वर्ष तक। यदि सुख सदा नहीं रहता तो इस दु:ख की क्या औकात है ..कोरोना की दवा आएगी मरीज घटेंगे.. बाहर निकलेंगे आदमी.. कारोबार दौड़ेंगे.. हम फिर से वही मस्ती में होंगे...।। 
- संतोष गर्ग
 मोहाली - चंडीगढ़

" मेरे दृष्टि में " लॉकडाउन से राहत मिलते ही कारोबार में उछाल अवश्य आया है । परन्तु पटरी पर आने में समय अवश्य लगेगी । बाकी भविष्य में क्या होता है किसी को कुछ नहीं पता है ।
                             - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 


                                       

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