पैसों से क्या चीज नहीं खरीदी जा सकती है ?
पैसों से हर चीज को नहीं खरीदा जा सकता है । ऐसा जीवन में कई बार आता है । जिससे अभ्यास होता है कि पैसा ही सब कुछ नहीं होता है । ऐसे में लोगों का आशीर्वाद यानि दुआओं की आवश्यकता पड़ती है । ये जीवन का अभिन्न हिस्सा साबित होता है । ऐसा कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
पैसे से हर खरीदने वाली चीजें खरीदी जा सकती है जो भौतिक संसाधन है जो खरीदने योग्य है।
पर मानवीय मूल्य संवेदनाएं, विचार, मन की गहराई, जीवन और मौत नही खरीदी जा सकती किसी भी मूल्य पर।
काहे खड़ा है तू
पैसों के गुमान पर
सब यही धरा रह जाएगा
मौत के फरमान पर।
- मंजुला ठाकुर
भोपाल - मध्यप्रदेश
यह सत्य है कि वर्तमान युग भौतिकवादी युग है और इस युग में नैतिक मूल्यों में अत्यधिक गिरावट आई है। आज ईमानदारी ,सच्चाई, कर्तव्यनिष्ठा सब कुछ बिकाऊ जैसे हो गए हैं। हर इंसान चंद पैसों के लालच में आसानी से बिकने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन फिर भी यह एक सच्चाई है कि आज भी हम पैसे से बहुत सारी चीजें नहीं खरीद सकते हैं ।हम सोने के लिए अच्छे बिस्तर, अच्छे गद्दे- रजाई व तकिया खरीद सकते हैं लेकिन नींद नहीं खरीद सकते हैं ।खाने के लिए बहुत अच्छे-अच्छे व्यंजन खरीद सकते हैं या किसी अच्छे होटल में जाकर खा सकते हैं लेकिन भूख नहीं खरीद सकते हैं ।इसी तरह से आज भी बहुत सी चीजें कर्तव्य निष्ठा, सच्चाई व मेहनत के द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है ।पैसा सबकुछ नहीं है। धन्यवाद।
- डॉ अरविंद श्रीवास्तव 'असीम '
दतिया - मध्य प्रदेश
पैसों के द्वारा आत्मिक शांति नहीं खरीदी जा सकती। आज पैसों के बल पर अहंकार में चूर होकर इंसान हर चीज खरीदने की ताकत आजमाता है और सक्षम भी हो जाता है परंतु गलत व्यवहार और गलत तरीके से प्राप्त की हुई चीज उसे आत्मिक संतुष्टि क्षण भर के लिए देती है पर हमेशा के लिए नहीं मिलती।
गलत काम का गलत अंजाम आज न कल उसे प्राप्त होता है। अपने द्वारा किए हुए कठोर व्यवहार लोगों का अपमान और जलील करना उसे सुख चैन से सोने नहीं देता।
पैसों के ताकत से वह लोगों का मुंह बंद करते हुए अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर कुछ समय के लिए क्षणिक सुख प्राप्त कर लेता है पर आत्मिक शांति को वह खो देता है।
पैसे से इंसान सब चीज खरीद सकता है पर आत्मिक शांति और सुकून को नहीं खरीद पाता। किसी के दिल में इज्जत और सम्मान नहीं बना पाता।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
आज की दुनिया में पैसे के बिना ना गुजारा है ना ही पैसे के बिना जीवन जिया जा सकता है ।
पैसे से सभी द्रव्य खरीदे जा सकते हैं ।
पैसे से इन्सान वा किसी का ईमान ,कानून, और दुनिया भी खरीदी जा सकती है ।
पर पैसे से मन और इच्छाएं नहीं खरीदी जा सकती
- सुरेन्द्र मिन्हास
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
कहा भी गया है कि पैसे से दवाई खरीदी जा सकती है लेकिन स्वास्थ्य नहीं, बिस्तर खरीदा जा सकता है लेकिन नींद नहीं ,पैसे से घर मकान खरीदे जा सकते हैं लेकिन परिवार नहीं और पैसे से इंसान खरीदा जा सकता है लेकिन भरोसा नहीं । आज के जमाने में पैसा प्रधान है, पैसे से जगती हर चीज खरीद लेता है लेकिन कहीं-कहीं गौण है ,विश्वास, भरोसा, सच्चा प्यार, खुशी और सबसे महत्वपूर्ण बात सांसें। पैसे के बल पर स्वास्थ्य की देखभाल तो हो जाती है लेकिन लंबी अवधि तक सांसे खरीद पाना मुश्किल होता है । इसी प्रकार सच्चे प्यार की पहचान अदृश्य है ,विश्वास भरोसा भी अदृश्य है जो पैसों से नहीं खरीदे जा सकते, जिनकी पहचान करना मुश्किल है, इसके अलावा खुशी अत्याधिक अनमोल है जो भाग्य से मिलती है इसे भी पैसों से नहीं खरीदा जा सकता।
- शीला सिंह
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
हर चीज़ बिकती है बस खरीदने वाला चाहिए। ऐसा कहते हुए मैंने असंख्य बार सुना व देखा है। एक ओर बलात्कार के दंडस्वरूप नर को फांसी चढ़ने के किस्से सुनने को मिलते हैं और दूसरी ओर मात्र 50-50 रुपए में नारी को विवशतापूर्ण/इच्छापूर्ण नारी द्वारा अपना नारीत्व बेचने की कहानियां भी पढ़ी/सुनी हैं। सुनने में तो यह भी सुना है कि "सर्वोच्च पुरस्कार" ही नहीं बल्कि उनके चयन पदाधिकारी तक कौड़ियों के भाव बिक जाते हैं।
जैसे गेस चूल्हों की बात करें तो घरेलू गेस सरेंडर को व्यवसायिक स्थलों पर बिक्री किया जा रहा है और व्यवसायिक गेस सरेंडर कामगारों को बलपूर्वक बेचे जा रहे हैं। इसी प्रकार राष्ट्र निर्माण कार्यों के प्रोत्साहन करने के स्थान पर उन्हें दुत्कारा जा रहा है। जिससे सामाजिक, भौगोलिक आर्थिक एवं राजनीतिक अस्मिता तार-तार हो रही है। जिन्हें विकास के लिए शुभ लक्षण कदापि नहीं माना जा सकता।
परंतु इसके बावजूद पैसों से मृत्यु पर सदैव विजय अर्थात मानवीय प्राण, दृष्टिकोण, दृढ़ता, विश्वास, ममता, सुख-चैन, सुकून, ज्ञान से लेकर सच्चे राष्ट्रभक्त से उसकी "राष्ट्रभक्ति" जैसे रत्न शब्द आज भी अनमोल हैं जिन्हें पैसों के बल से नहीं खरीदा जा सकता और उन्हें चुराया भी नहीं जा सकता।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
आम आदमी को यह भ्रम है कि आज के युग में पैसे से क्या नहीं खरीदा जा सकता। लेकिन जीवन में सबसे महत्वपूर्ण चीज है खुशी जिसे पैसे से नहीं खरीदा जा सकता। जीवन में सांसारिक सुख और ऐश-ओ-राम तो खरीद सकते हैं लेकिन खुशी नहीं। अगर ऐसा होता तो महलनुमा घरों में रहने वाले लोग मानसिक रोगी न होते।
पैसा आधुनिक जीवन का अनिवार्य हिस्सा है और इसके बिना जीवन नहीं है। लेकिन पैसा और खुशी को अलग-अलग रखना चाहिए। हमारी अनमोल संपत्ति जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकती और हमारी खुशी के लिए जरूरी है वो है प्यार, बच्चे, परिवार, समय और सकारात्मक सोच आदि। समय तो सबसे अनमोल है जो पैसे से नहीं खरीदा जा सकता।
- कैलाश ठाकुर
नंगल टाउनशिप - पंजाब
आज की परिचर्चा का विषय पढ़ते ही, मस्तिष्क में 'लावारिस' फिल्म के एक गीत की ये पंक्तियां कौंध गयी,-''इन हवाओं का मोल क्या दोगे?इन घटाओं का मोल क्या दोगे?इन जमीनों का मोल हो शायद, आसमानों का मोल क्या दोगे?''
सोचिए हवा,आकाश,सूर्य, चन्द्रमा,वर्षा, बसंत शिशिर आदि ऋतुएं खरीदी जा सकती हैं क्या? नहीं खरीदी जा सकती।
पैसे से नहीं खरीदे जा सकते मां-बाप। पैसे से नहीं खरीदे जा सकते पुण्य - पाप। जीवन की नहीं खरीदी जा सकती एक भी श्वांस,और पैसे से नहीं खरीदा जा सकता प्रेम व विश्वास।
पैसा नहीं खरीद सकता एक मुट्ठी धूप,एक मुट्ठी हवा।पैसा नहीं खरीद सकता मृत्यु पर विजय की दवा। पैसे से नहीं खरीदे सकते आस्था और भक्ति, पैसे से नहीं खरीदे सकते भक्त हृदय की अभिव्यक्ति। पैसे से नहीं खरीदे सकते किसी मां का प्यार, पैसे से नहीं खरीदा जा सकता निश्छल प्रेम दुलार।
पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ईश्वर,और पैसे से मकान भले बन जाएं, नहीं बन सकता घर। पैसे
से संबंध भले बन जाएं, नहीं बनते नाते।पैसा बहुत कुछ है मित्र,मगर पैसे हर जगह काम नहीं आते। फिर भी पैसा जीवन में बहुत जरुरी है,क्योंकि इससे ही जीवन की जरुरतें होती पूरी है।बस यह रोटी,कपड़ा,मकान खरीद पाता है, लेकिन भूख, स्वास्थ्य,नींद और घर पैसे से नहीं खरीदा जाता है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
वर्तमान में जो स्थिति है उसे देख कहना मुश्किल है कि पैसा महत्वपूर्ण नहीं है चूंकि आज पैसे यदि नहीं है तो आदमी बिना इलाज के पहले ही मर जाता है!
आज तो पैसा ईश्वर बन बैठा है! जो स्थिति इस कोरोना काल में है गरीबी की वजह से, पैसों की कमी से लोग अपनी जान बचाने में लगे हैं, सभी तरह के रिश्क उठा रहे हैं कैसे बचा जाये वहीं हम शांति से घर में इस विषय पर लिख रहे हैं! यह सच है पैसे से सब चीज नहीं खरीदी जा सकती किंतु जीवन मूल्य संरक्षक की श्रेणी में प्रथम दर्जा उसी का है!
यह अलग बात है कि पैरों से हम भावनाएं नहीं खरीद सकते, प्यार, सच्चा मित्र, बिता हुआ समय, गुजरी यादें ,प्रतिभा को पैसा निखार सकता है किंतु खरीद नहीं सकता ! सबसे अनमोल खजाना मन की शांति और संतोष, चैन की नींद वह पैरों से नहीं खरीदी जा सकती! उपलब्धियां खुशी देती है किंतु और और की चाह या निन्यनबे के चक्कर में वह अपनी मन की शांति, संतोष खो देता है! वह बड़ा घर तो बना लेता है किंतु परिवार को समय नहीं दे पाता! अतः जिसमें परिवार से जो खुशी मिलती है वह घर नहीं मिलता! जिस पैसे से अपनों की खुशीयां न मिले वह किस काम का!
सबसे अहम पैसा यदि किसी के काम आये (दान-धर्म) तो काम का है वरना वह तो नश्वर है!
सच्ची खुशी तो प्रभु को याद कर उनके मकसद को जानने में ही मिलती है!
बाकी पैसे के मामले में सभी प्रेक्टीकल ही हैं!
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
हमारे पास अपार धन सम्पदा, जमीन जायदाद, बहूमूल्य आभूषण, गाड़ियों की भरमार, ऐसों आराम, शिक्षा-सम्मान, दुश्मनी-दुर्दशा आदि क्यों न हो, पैसों से क्या चीज नहीं खरीदी जा सकती हैं, अगर आपस में भाईचारा, प्रेम, सौहार्द पूर्ण वातावरण नहीं मिले तो क्या कहना? आज वर्तमान परिदृश्य में गंभीरता पूर्वक विचार कर सोचिएगा, आईने में स्वच्छ तस्वीर उभरकर सामने आ ही जायेगी, वास्तविकता का परिचय हो ही जायेगा।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
देखते ही अमिताभ बच्चन का गाना.. काहे पैसे पे इतना गरूर करे है..
बाजारों में प्यार कहाँ बिकता है... जिस्म बिक जाते हैं रूह बिकती नहीं... इन हवाओं का, इन घटाओं का मोल क्या दोगे.....याद आ जाता है l
योग्यता, काबूलियत और हुनर ऐसी चीज है जिसकी क़ीमत नहीं होती l इन्हें खरीद सकने का प्रश्न ही नहीं उठता l
पैसों से हम सम्मान, प्रेम स्नेह, वातसल्य जैसी अनमोल दौलत नहीं खरीद सकते l हम इसशाश्वत सत्य को भूल जाते हैं कि अंत में पैसा साथ नहीं जाता l
मिट्टी का खिलौना मिट्टी में ही मिल जाता है l इतना ही नहीं पैसे से हम समय, स्वास्थ्य, संस्कार, सच्चे मित्र आदि कभी नहीं खरीद सकते l
मेरे दृष्टिकोण में धन जो भीतिकवादी चीजों को तो खरीद सकता है लेकिन दिल और भावनाओं से बने रिश्तों के लिए पैसों की आवश्यकता कभी नहीं होती l इन कागज़ के टुकडों ने
इंसान के जीवन में कितना जहर घोल दिया है?
चलते चलते -----
मन रूपी मंदिर तो यह मानता है -
"ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या "लेकिन बावरा मन मिथ्या जगत में भ्रांत अहंकार के वशीभूत होकर आज इस स्थिति में पहुँच गया है कि पहले तो माँ -बाप को ही धन -दौलत समझते थे हम l
आज पैसे को ही माँ -बाप समझते हैं हम l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
सच्चाई तो यह है कि......
"चन्द सिक्कों की खनखनाहट भर रह गयी है जिन्दगी,
रिश्तों की उदास गर्माहट भर बस रह गयी है जिन्दगी।
दिल की दुनिया में खरीद न सका भावनाओं को 'तरंग'
जज्बातों की छटपटाहट भर बस रह गयी है जिन्दगी।।"
हमारे बुजुर्ग कहा करते थे कि......खूब कमाओ.... खूब खर्च करो।
इसका आशय यही था कि धनोपार्जन करने से मनुष्य को सुख सुविधाओं की प्राप्ति होती है। एक सीमा तक यह बात सही भी है। मनुष्य को अपनी जीवनचर्या को सरल सहज बनाने के लिए पैसों की अत्यन्त आवश्यकता होती है। परन्तु यह बात भौतिक वस्तुओं पर लागू होती है।
पैसे को ही भगवान समझने वाले लोग अथाह पैसा होते हुए भी अक्सर मन की शांति नहीं खरीद पाते।
अधिक धनराशि देकर मंदिर में पिछले दरवाजे से प्रवेश करने वाले क्या भगवान की कृपा पा सकते हैं?
धनवान अपने बच्चों के लिए डोनेशन देकर नामी स्कूलों में प्रवेश दिलाकर क्या उन्हें उत्कृष्ट शिक्षा का पात्र बना सकते हैं?
बहुत धन भी क्या मानव जीवन को बचा सकता है।?
मेरे विचार से पैसों से जीवन सुलभ हो सकता है परन्तु बहुत कुछ ऐसा है जो पैसों से नहीं खरीदा जा सकता।
लेकिन यहाँ यह जरूर कहूंगा कि भले ही पैसा भगवान नहीं हो सकता परन्तु आज के दौर में, जब भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है, पैसे का न होना मनुष्य के संघर्षों में वृद्धि करता है।
निष्कर्षत : पैसे से भौतिक वस्तुओं को खरीदने के लिए तो हम सक्षम हैं परन्तु ईश्वरीय कृपा, बुद्धि और मन-मस्तिष्क की शांति, शक्ति और मानवीय सद्गुणों को पैसे से नहीं खरीदा जा सकता।
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
पैसा मान्यता वश प्रतीक है वास्तविकता नहीं। पैसे से भौतिक वस्तु खरीदी जा सकती है, भाव नहीं। पैसे की कोई औकात नहीं जो भाव खरीद सके। पैसे का वही तक अवकात है जो शरीर की पोषण संरक्षण कर सके। पैसे से आत्मा को समझ देने की औकात नहीं है। पैसा सिर्फ भौतिक संसाधन खरीद सकता है।
व्यवहार नही।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
आज के युग में पैसे से लोग सब कुछ खरीद रहें हैं। लेकिन पैसे से हम मन की शांति नहीं खरीद सकते हैं। पैसे से हम चैन की नींद नहीं खरीद सकते हैं। पैसे से आंतरिक शुभेच्छा और प्यार नहीं खरीद सकते हैं। आजकल बहुत से लोगों के पास बहुत सा पैसा
है लेकिन उसे शान्ति नहीं है। घर मे कलह है। स्वास्थ ठीक नहीं। बेटा बहु ठीक नहीं हैं। पत्नी से पटता नहीं। अच्छी खासी सम्पति है लेकिन मान सम्मान नहीं, समाज में इज्ज़त नहीं। ये कुछ चीजें हैं जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकती हैं। पैसे से प्रतिष्ठा नहीं खरीदी जा सकती है। पैसे से व्यवहार नहीं खरीदी जा सकती है। पैसे से चैन ओ सुकून नहीं खरीदी जा सकती है।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश"
कलकत्ता - पं. बंगाल
जिंदगी में हर चीज पैसे से नहीं खरीदी जा सकती ।
बहुत सी ऐसी चीजें हैं जो पैसे से नहीं जा खरीदी जा सकती , उसमें 10 ऐसी मुख्य चीजें हैं जो पैसे से कदापि खरीदी नहीं जा सकती हैं । विश्वास, प्यार ,सम्मान ,ज्ञान, खुशी ,हुनर ,समय ,स्वास्थ्य, संस्कार और अनुभव यह 10 ऐसी चीजें हैं जिन्हें पैसों से नहीं खरीदा जा सकता।
विश्वास को आप कभी पैसों से नहीं खरीद सकते ,विश्वास या भरोसा वक्त के साथ लोगों के व्यवहार से पैदा होता है जिसे आप पैसे से नहीं खरीद सकते। एक बार भरोसा टूट जाए तो दोबारा वापस नहीं आता ।
इसी तरह प्यार भी पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।
आप कितने भी पैसे वाले क्यों नाम किंतु आप प्यार को कभी नहीं खरीद सकते ।
प्यार किसी भी तरह का हो सकता है माता-पिता भाई-बहन दोस्त पत्नी प्रेमी प्रेमिका या बच्चों का प्यार ।प्यार को दिल से महसूस किया जा सकता है ना कि खरीदा जा सकता है ।
यदि प्यार पैसे से खरीदा जा सकता तो आज हर इंसान अपने प्यार के साथ जी रहा होता ।सम्मान भी नहीं खरीद सकते पैसों से ,वह भी प्यार की तरह ही कमाना पड़ता है ।
आपने देखा होगा कि लोग पैसे वालों का सामने बहुत सम्मान करते हैं लेकिन पीठ पीछे उनकी बुराई करते हैं ।
सम्मान आपके काम का ,आपकी योग्यता का और आपके व्यवहार का होता है ।पैसों से तो सिर्फ चापलूसी मिलती है ।
इस तरह ज्ञान को भी पैसों से आप नहीं खरीद सकते ।
पैसों से आप महंगे कॉलेज में दाखिला ले सकते हैं ,महंगी पुस्तकें खरीद सकते हैं ,किंतु ज्ञान तो मेहनत से पढ़कर ही प्राप्त करना पड़ेगा ।कोई भी शिक्षक आपको पूरी लगन से पढ़ायेगा लेकिन ज्ञान के लिये मेहनत तो आपको खुद ही करनी पड़ेगी।
-खुशी दुनिया की सबसे महत्वपूर्ण चीज है जिसे पैसों से बिल्कुल नहीं खरीदा जा सकता ।
पैसे आपके इर्द-गिर्द भीड़ इकट्ठी कर सकते हैं ,लेकिन दिल का हाल पूछने वाला सच्चा दोस्त या सुख दुख में साथ देने वाला सच्ची खुशियां देने वाला परिवार पैसों से नहीं खरीद सकते।
योग्यता या हुनर भी ऐसी चीज है जिसे हम पैसे से नहीं खरीद सकते।
हम दुनिया की सारी दौलत खर्च करें यह फिर भी योग्यता नहीं खरीद सकते ।
आपके पास चाहे कुबेर का खजाना हो ,लेकिन आप मुंशी प्रेमचंद ,सचिन तेंदुलकर और लता मंगेशकर जैसी योग्यता नहीं खरीद सकते ।
समय भी इनमें से एक है जिसे पैसों से नही खरीद सकते ।
सभी के पास एक निश्चित समय में अपनी पूरी जिंदगी जीना होता है अपने सपने पूरे करने होते हैं क्योंकि आप समय को खरीद नहीं सकते ।कितना भी धन हो आप गुजरा हुआ समय कभी वापस नहीं ला सकता ।
इसी प्रकार स्वास्थ्य भी हमारे जीवन की बहुमूल्य चीज है जिसे पैसों से नहीं खरीदा जा सकता। महंगा इलाज जरूर करवा सकते हैं मगर अच्छा स्वास्थ्य पैसे से नहीं कर सकते ।
संस्कार भी नही खरीद सकते पैसों से ।संस्कार एक ऐसी चीज है जिसका आपके हाव-भाव, वाणी और आचरण से पता चलता है ।
इसी प्रकार अनुभव को भी हम पैसे से नहीं खरीद सकते ।आपके पास चाहे जितने पैसे हैं लेकिन अनुभव के लिए समय तो लगेगा ही इसे एक दिन में हासिल नहीं किया जा सकता ।अनुभव पैसे से नहीं खरीदा जा सकता ।
कुल मिलाकर इतना कह सकते हैं कि जीवन में बहुमूल्य चीजें वास्तव में मुफ्त ही मिलती है ।
हमें यह पता नहीं चलता कि हमारे आसपास प्यार ,परिवार, मित्र जो कि पैसे से ज्यादा अहमियत रखते हैं सब मुफ्त में ही परमात्मा ने दिए हैं ।
जब हम वास्तव में इसका विश्लेषण करते हैं तो हमें पता चलता है कि वास्तव में जीवन की सबसे बेहतरीन चीजें मुफ्त ही मिलती हैं ,जिन्हें आप पैसे से नहीं खरीद सकते ।
धन बस भौतिकवादी चीजों को खरीद सकता है।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
आज जहाँ भी जीव हैं वहाँ पैसा चाहिए। पैसा के बिना व्यक्ति अधूरा है। जीवनयापन, मनोरंजन, शिक्षा, व्यवसाय तथा स्वास्थ्य हर चीज के लिए पैसे की आवश्यकता होती है।
आज भी लेकिन कुछ चीजें पैसे से नहीं खरीदी जा सकतीं हैं , जिनमें मुख्य है - ईमान, संवेदनशीलता, रिश्ते, स्नेह । ये सभी भावनाओं से जुड़ी होती हैं। इन्हें प्राप्त करने के लिए प्रेम के दो बोल, आपका व्यवहार की कीमत लगती है।
पैसा जरूरी है लेकिन व्यवहार उससे ज्यादा जरूरी है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
किसी का जमीर पैसों से नहीं खरीदा जा सकता है। यदि इंसान संस्कार वादी है तो वह अपने संस्कारों से पीछे नहीं हटता और न ही उनका सौदा करता है। ऐसा व्यक्ति मरना पसंद करता है किंतु अपनी आत्मा का अपने वजूद का संरक्षण बराबर करता है। उसकी आत्मा बिकाऊ नहीं होती। उसके सामने पैसे की कोई अहमियत नहीं होती। वह उसे तुच्छ वस्तु समझता है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम"
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
पैसे से बहुत कुछ खरीदा नही जा सकता है।आत्मसम्मान और प्रेम पैसे से नही खरीद सकते है।हम अपने जीवन में एक दिन मौत को प्राप्त करते हैं जिसे पैसे से रोका नही जा सकता हैं।जीवनशैली में पैसे कीमत बेहद होती हैं पंरतु जीवन में पैसे की अहमियत से बडा परिवार भु होता है एक तरफ पैसा और परिवार हो तो परिवार को सुखी करना चाहिए पैसे से पैसों से हम अपने परिवार की खुशी ला सकते लेकिन जो ममत्व और प्रेम के भाव को नही खरीद सकते हैं।परिवार अगर टूटने लगे तो पैसे को तरकिनार कर देने में ही भलाई है ।पैसे जीवन का मुल आधार है पैसे से सब चीज खरीद सकते है पंरतु पैसे से प्रेम नही खरीद सकते। पैसा जीवन का आधार है पैसा सबकूछ नही है।खर्च किया जा सकता पंरतु पैसा से प्यार नही खरीद सकते हैं पैसा ही मानवता को कभी कभी ज्यादा तकलीफ़ देता है। मानव ही पैसा कमाने में सारे लोगों को तकलीफ़ देता है पंरतु पैसा से आत्मा का सूकून नही खरीद सकते है ।जीवन में इसकी अहमियत बेहद है पर इससे प्रेम नही खरीदा जा सकता है।जीवन अनमोल धरोहर है और पैसा पूंजी है ।पंरतु पैसे से कुछ ऐसी चीजें नही खरीदी जा सकता है।जो भावनाओं की होती है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
पैसे से इंसान यूं तो हर चीज खरीद सकता है। लेकिन सूकून, शांति और खुशी नहीं खरीद सकता है, लाख पैसा होने के बावजूद। हम जीवन के सारे ऐश्वर्य के समान पैसे के बल पर खरीद सकते हैं लेकिन इसके बावजूद भी हो सकता है हम खुश न रह पाए या हमारा स्वास्थ्य हमारा साथ ना दे। इसलिए बहुत सारी प्राकृतिक नैसर्गिक नजारे हैं जिनका हम नयन सुख ले सकते हैं किन्तु न तो उसे खरीद नहीं सकते हैं।
- डाॅ पूनम देवा
पटना - बिहार
"पैसा विस्तर दे सकता है पर नींद नहीं,
पैसा भोजन दे सकता है पर भूख नहीं,
पैसा कपड़े दे सकता है पर सुंदरता नहीं,
पैसा एेसो आराम के साधन दे सकता है पर सुकून नहीं"।
बात पैसों की करें तो पैसे के बिना हम अपनी दैनिक और बुनियादी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकते,
धन जीवन की सबसे आधारभूत आवश्यकता है लेकिन फिर भी हम धन के महत्व की तुलना कभी भी प्यार से नहीं कर सकते,
तो आईये आज इसी बात पर चर्चा करते है़ कि पैसों से क्या चीज नहीं खरीदी जा सकती?
मेरी दृष्टि में धन जीवन में बहुत ही आवश्क वस्तु है लेकिन यह समय, प्यार, मां की ममता, मौत, बचपन, विश्वास जैसी चीजें नहीं खरीद सकता यह तो केवल एक व्यक्ति की बाहरी आवश्यकाताओं की पूर्ती कर सकता है,
पैसों से संपति जमीन, गाड़ी आदि चीजें खरीदी जा सकती हैं लेकिन हम अपने शरीर का स्वास्थ तक नहीं खरीद सकते लेकिन फिर भी पैसे के बिना रहना आज के युग में बहुत मुश्किल है,
कुछ लोगों में हर चीज को पैसों से खरीदने का जुनून सवार रहता है और वो पैसे से हर चीज खरीदना चाहते हैं जो उन्हें दिखाई देती है लेकिन ऐसा होना संभव नहीं क्योंकी उनके पास समय ही नहीं परिवार की एकता भी तो परिवार के साथ समय वितांएने से मिलती है उनके साथ प्यार और परवाह की जरूरत भी होती है यह सब पैसो़ से नहीं आते लेकिन फिर भी लोग पैसों को महत्व देते हैं उनके मन में यही विचार होते है कि पैसा सिर्फ वस्तुओं की कीमत आंकने का जरीया ही नहीं है बल्कि पैसे से अब इंसान की कीमत भी तय होती है,
तभी तो कहा है,
"कौन कहता है कि पैसों से अपने नहीं खरीदे जाते,
मैंने अमीरों के घर रिश्तों का जमावड़ा देखा है"।
अन्त में यही कहुंगा
धन न तो समय खरीद सकता है और न ही उसे रोक सकता है न ही सच्चे प्यार की देखभाल कर सकता है लेकिन फिर भी इसकी सभी को जरूरत होती है ताकी जीवन को सही रास्ते पर अग्रसित किया जा सके
भले ही पैसा , समय और प्यार जैसी चीजें नहीं दे सकता लेकिन लोगों को खुशी, आत्मविश्वास शारीरिक और मानसिक शान्ति अवश्य प्रदान करता है जिसके कारण उन्हें जीवन जीने में आसानी होती है लेकिन मन में चैन नहीं मिलता
तभी कहा है,
"कुछ पैसे कमाने की मार में
वो विछड़ा यार नहीं मिलता,
सब कुछ मिलता है यहां पैसों से मगर वो प्यार नहीं मिलता"।
पैसा खुदा तो नहीं है पर खुदा से कम भी नहीं इस दौर में,
शायद सच बात है,
" मिली थी जिंदगी किसी के काम आने के लिए
पर वक्त बीत रहा है कागज के टुकड़े कमाने के लिए "।
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर
" मेरी दृष्टि में " बहुत सी चीजें ऐसी है । जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकती है जैसे :- दिमाग । फिर भी दुनिया पैसे के पीछे भाग रही है । यहीं दुनियां की सच्चाई है ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
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