क्या शिक्षा से दुनियां को बदला जा सकता है ?

शिक्षा के बिना इंसान की कोई कीमत नहीं होती है । शिक्षा से ही इंसान की पहचान बनती है । शिक्षा से ही कमाल होता है । यही कुछ जैमिनी अकादमी द्वारा " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
ज्ञान के बल पर दुनिया को हम बदल सकते हैं।
बेरोजगारी की समस्या तो एक दानव की तरह ही युवाओं को खाऐ जा रही है ।नौजवान जब पढ़ाई करते हैं, शिक्षा तो केवल उन्हें एक कक्षा से दूसरे कक्षा तक आगे बढ़ा देती है। हमारी शिक्षा प्रणाली तो अंग्रेजों के समय से चली आ रही है ।
अभी सुनने में आया है कि महामारी के खत्म हो जाने के बाद एक नई शिक्षा प्रणाली आरंभ होगी जो हमारे नौजवानों को रोजगार देने के लिए सही रहेगी ,आगे देखते हैं क्या होगा ।वर्तमान युग में तो हर क्षेत्र में युवाओं को   नौकरी पाने बहुत मुश्किल है,क्योंकि गवर्नमेंट नौकरियां खत्म कर दी जाएंगी। फैक्ट्री ,रेलवे सब प्राइवेट कंपनियों के हाथों पर चला जा रहा है ,या हम यह कह सकते हैं कि सब पूंजीपतियों के हाथ में जा रहा है। नौकरी पाना बहुत ही कठिन कार्य  है ,जैसे आसमान में तारे गिरने के सामान लगने लगा है।आज का युवा बेचारा क्या करें, पढ़ लिख कर उच्च डिग्रियों को भी हासिल कर उसे कुछ नहीं मिलता, छोटा मोटा प्राइवेट काम कर लेता था आजकल वह भी करो ना के कारण ठप हो गया है पहले वह किसी स्कूल में पढ़ा लेता था प्राइवेट अपनी कोचिंग चला लेता था। अब वह सभी बंद हो गए हैं।
आज का युवा गलत रास्ते को अपना ने लगता है ,और बुरी आदतों का भी शिकार हो जाता है जिसके कारण समाज में अनेक समस्याएं उत्पन्न हो जाती है इस सब के प्रमुख कारण दूषित शिक्षा प्रणाली और बढ़ती जनसंख्या की समस्या भी है ।सरकार और कुछ निजी कंपनियों को यह चाहिए । रोजगार के अवसर उपलब्ध कराएं सरकार द्वारा इस संबंध में अनेकों उपाय किए जा रहे हैं पर यह समझ नहीं आ रहा है कि उसमें कितने महीने या सालों में लागू होगा या पेपर पर ही रहेगा।
इसीलिए आज का युवा इतना अधीर और उसके अंदर भटकाव है।
धन के अभाव के कारण आपकी आगे की पढ़ाई कैसे करें, किसी तरह उसके मां बाप ने कर्ज लेकर उसे ग्रेजुएट करा दिया है या कोई कोर्स करवा दिया है,तो उसे नौकरी पक्का ही मिल जाएगी इस बात की कोई गारंटी नहीं रहती है। इसीलिए आज का युवा पढ़ाई से भागने लगा है और मां-बाप को भी यह लगने लगा है कि भाई पढ़ाई के साथ-साथ कुछ टेक्निकल डिग्री ले ले जिससे कम से कम सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी तो किसी तरह  अपनी रोजी-रोटी तो कमा सकेगा ,पर इस महामारी में सब लोगों के प्लान को चौपट कर के रख दिया है अब आगे की डगर बहुत मुश्किल है।
इस मुश्किल की घड़ी में हमें अपनी हिम्मत को बनाए रखना चाहिए और जिस भी स्थिति में रहे उस स्थिति में हमें कुछ ना कुछ और कर दिखाना है।ऐसा विश्वास रखना चाहिए कि भगवान एक रास्ता बंद करता है तो दूसरे रास्ते जरूर खोल देता है बहुत सारे हम काम कर सकते हैं बस हमें अपने नजरिए को बदलना पड़ेगा।अपने आसपास नए नए रोजगार के अवसर को तलाश ना पड़ेगा। समस्या कोई भी कभी इतनी बड़ी नहीं होती जिसका कोई ना कोई हल ना निकल सके। विद्या एक ऐसा धन है जो कभी व्यर्थ नहीं होता।
आशावादी बने ।
आज के युवा को चाहिए कि अपने दिमाग को स्थिर रखकर वह ध्यान से सोचेंगे तो बहुत सारे रास्ते इस महामारी में निकल जाएंगे ।आज का युवा कंप्यूटर, इंटरनेट में बहुत होशियार है ।इस क्षेत्र में वह आगे बढ़कर अपने लिए नए नए रोजगार उत्पन्न कर सकता है।ऑनलाइन ज्ञान लोगों के पास बहुत कम है आज का युवा उन्हें यह भी ज्ञान दे सकता है , बेरोजगारी की समस्या को हल कर सकता है।
* जहां चाह होती है वहां राह अपने आप निकल आती है।*
स्वस्थ रहें मस्त रहें
- उमा मिश्रा ' प्रीति '
जबलपुर - मध्य प्रदेश
इस बारे किसी का भी उत्तर सकारात्मक ही होगा। पाषाण युग से दुनिया अब सुपर कंप्यूटर युग में आ गयी,यह शिक्षा के कारण हुए परिवर्तन का प्रत्यक्ष दर्शन है। इस बात से इंकार किया ही नहीं जा सकता।
शिक्षा से दुनिया में परिवर्तन होता है,हुआ है और निरंतर जारी है। मानव की विकास यात्रा  में जितनी भी सुख सुविधाओं को हम देख रहे हैं, वह शिक्षा का ही सुपरिणाम है।
इस शिक्षा से परिवर्तन के कारण, नागासाकी, हिरोशिमा जैसी भीषण दुर्घटनाएं भी हुई। वर्तमान में चीन से चले कोरोना वायरस ने पूरे
विश्व में तबाही मचा दी। लेकिन इन आपदाओं, बीमारी,वायरस आदि पर विजय का मार्ग भी शिक्षा के कारण ही पाया जा सका।
शिक्षा के महत्व को हर प्राणी समझता है,मानव जीवन की विकास यात्रा में शिक्षा ने स्वास्थ्य, चिकित्सा, व्यवसाय, रोजगार,रहन सहन, सहित सभी सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में 
योगदान देकर दुनिया को बदलने में,प्रगति में अविस्मरणीय योगदान दिया है।शिक्षा में दुनिया को बदलने की भरपूर ताकत है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
   इसमें कोई दो राय नहीं है! शिक्षा ज्ञान का एक ऐसा माध्यम है जो हमें हमारी हर तकलीफों से निकालने में सक्षम है हमारी अज्ञानता ही हमारे हर कार्य में बाधक बनती है ! 
एक किसान अच्छी फसल के लिए कितना परिश्रम करता है फिर भी उसने जितनी अपेक्षा की थी उससे कम ही फल मिलता है !कभी बारिश का ना आना , कभी कीट का प्रकोप, कभी खाद कभी कुछ कभी कुछ किंतु आज शिक्षित किसान की मेहनत तो होती है साथ ही उचित खाद ,कृत्रिम बारिश ,कीटनाशक दवाइयां ,ट्रैक्टर एवं अपनी परिश्रम से मिले फल के उचित दाम भी उन्हें मिलते हैं ! शिक्षित होने से वे ठगे नहीं जाते ! गांवों में सभी बैल की तरह परिश्रम करते हैं किंतु परिश्रम के साथ शिक्षा भी समाहित हो जाये तो जरूर वह कुछ बड़ा कर सकता है! शिक्षा  से नई जागृति ला हम गांव तकिया दुनिया बदल सकते हैं! 
शिक्षा से प्राप्त ज्ञान एक ऐसा सागर है जो कभी सूखता नहीं! 
ईश्वर ने  हमें शरीर दिया है किंतु उसे श्रृंगारित कर सौंदर्य प्रदान हम करते हैं ठीक उसी तरह हममें प्रतिभा का भंडार है तो उसे हमें ज्ञान से निखारना होगा और ज्ञान के लिए  हमें  शिक्षित होना होगा!
शिक्षा से हमारे नैतिक, बौद्धिक बुद्धि का विकास होता है जिससे हमारे आचरण, व्यवहार, कर्म, धर्म सभी के प्रति हमारा कर्तव्य बोध होता है अतः वह अपने ज्ञान से स्वयं को तो बदलता है साथ ही आसपास का वातावरण भी बदल देता है! 
 शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे हम दुनिया में वैज्ञानिक  दृष्टि से, वैचारिक दृष्टिकोण से अन्य कई कारणों से बदल सकते हैं! 
स्वामि विवेकानंद जी भी तो अपने ज्ञान के आधार पर दुनियां  के लिए  मिशाल बने! 
           - चंद्रिका व्यास
          मुंबई - महाराष्ट्र
     प्राचीन काल में शिक्षा पद्धति का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं, जहाँ बिना स्वार्थों के शिक्षा-दीक्षा दी जाती थी, स्वावलम्बन बनाकर भिजवाया जाता था। धीरे-धीरे अपनी इच्छानुसार परिदृश्य को परिवर्तित कर  साज-सज्जा, पूर्ण रूपेण बनाकर प्रयास तो किया गया, लेकिन बेरोजगारों को रोजगार प्राप्त होने में समदृष्टि रखना उचित प्रतीत होता। आज वर्तमान परिदृश्य में देखिए अधिकांशतः अपराधित्व प्रवृत्तियों का जन्म बेरोजगारों के कारण ही दिखाई देती हैं। हमें वृहद स्तर पर संयुक्तानुसार विधिवत संकल्प लेना होगा, तभी शिक्षा से दुनियां को बदला जा सकता हैं ताकि शिक्षानुसार विभिन्न स्तरों से व्यवस्थाओं को क्रियान्वित करने में सार्वभौमिकता के लक्ष्य की ओर अग्रसर हो सकें।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
"शिक्षयेत क्षालयेत अनेन सह इति शिक्षा l "अर्थात व्यक्ति के मन मस्तिष्क और हृदय में आई मलीनता का जो अनेकानेक गतिविधियों द्वारा निवारण कर दे, वही शिक्षा है l
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में जहाँ सामाजिक, राजनैतिक आर्थिक परिवेश में नैतिक मूल्यों का अधोगामी पतन हो रहा है ऐसे में यह सार्वभोमिक सत्य है कि शिक्षा एकमात्र ऐसा साधन और साध्य है जिसके द्वारा दुनियाँ को बदला जा सकता है l
व्यक्ति के मंतव्य, वक्तव्य, कर्तव्य और गन्तव्य, इन सभी में एकरूपता व सामंजस्य का होना नितांत आवश्यक है क्योंकि हमारे मन के विचार हमारे कर्म को प्रभावित करते हैं और कर्म जैसा हम करेंगे वैसा फल हमें मिलेगा l शिक्षा जन्म से लेकर मृत्यु तक चलने वाली सतत प्रक्रिया है l व्यक्ति अपने अनुभवों से सीखता है और लोक कल्याण के मार्ग पर अग्रसर होता है l
       - डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
शिक्षा के सन्दर्भ में महापुरुषों के विचार..... 
"शिक्षा से अभिप्राय बालक में निहित शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक श्रेष्ठ शक्तियों का सर्वांगीण विकास है"....महात्मा गांधी। 
"शिक्षा वह है जो हमारे जीवन में सभी अस्तित्वों के साथ सामंजस्यपूर्ण संबंध बनाती है".... रविन्द्रनाथ टैगोर ।
"शिक्षा मनुष्य में निहित दैवीय पूर्णता का प्रत्यक्षीकरण है".... स्वामी विवेकानंद। 
"शिक्षा का कार्य आत्मा को विकसित करने में सहायता देना है".... अरविन्द। 
महापुरुषों के विचारों को पढ़कर मैं कहना चाहता हूँ कि शिक्षा एक ऐसी सतत् प्रक्रिया है जो मनुष्य को सीखने और सिखाने की प्रेरणा देकर उसकी प्राकृतिक क्षमताओं को निखारकर मनुष्य का निरन्तर सर्वांगीण विकास करती हुए उसे मानवीय, सामाजिक और न्यायिक मूल्यों का पालन करने के योग्य बनाती है। 
प्रश्न यह है कि क्या शिक्षा से दुनिया को बदला जा सकता है? इसके उत्तर में, मेरा यही कहना है कि प्रत्येक मनुष्य जन्म से कोरे कागज के समान होता है। शिक्षा ही उसे मनुष्य बनाती है और एक शिक्षित मनुष्य ही दुनिया में बदलाव ला सकता है। परन्तु यह भी ध्यान रखना आवश्यक है कि मात्र किताबी शिक्षा से यह बदलाव संभव नहीं। बदलाव लाने के लिए नैतिकता और मानवता का बोध कराने वाली शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है। 
इसीलिए कहता हूँ कि....... 
मिट्टी के पुतले को मानव बना देती है शिक्षा,
मानव को धरा से गगन पर बैठा देती है शिक्षा। 
शिक्षा का आंचल जिसने थाम लिया हृदय से, 
शीर्ष स्थान जग में उसको दिला देती हैं शिक्षा।। 
- सतेन्द्र शर्मा 'तरंग' 
देहरादून - उत्तराखण्ड
 शिक्षा के द्वारा ही दुनियां को बदला जा सकता है। शिक्षित लोग विवेक बुद्धि का इस्तेमाल कर समझदारी से काम करते हुए समाज और देश का विकास कर सकते हैं। दुनिया को एक संदेश दे सकते हैं कि पढ़ाई के द्वारा हम आज हर चीज को हासिल करते हुए कामयाब जिंदगी जी सकते हैं।
 परंतु वर्तमान हालात को देखते हुए लग रहा है कि राजनीति हो या आस्था का मंजर ---पढ़े- लिखे जिम्मेदार पद पर बैठे व्यक्ति जिन पर देश के नागरिकों का भविष्य टीका है---वह भी अशिक्षित की तरह कार्य कर रहे हैं।
  कोरोना महामारी नियंत्रण से बाहर हो रहा है। मरीजों के लिए बेड उपलब्ध नहीं हो रहे हैं-- ऐसी विकट घड़ी में चुनावी रैली और  हरिद्वार में शाही स्नान करते हुए 30 लाख लोगों का जमघट देख कर लगा कि हमारे यहां राजनेताओं और जनता में अभी भी शिक्षा की भारी कमी है। राजनेता को सत्ता को बचाने के अलावा कुछ नहीं सूझता। जानबूझकर जनता को महामारी की आग में धकेला जा रहा है। आ बैल मुझे मार-- वाली कहावत चरितार्थ हो गई है।
    हमारे देश में शिक्षा और जागरुकता का बहुत ही अभाव है। इक्कीसवीं सदी में भी हम पिछड़े हुए दिखाए दे रहे हैं।
गरीब बेबस जनता से कोरोना नियम का पालन करवाया जाता है जबकि पढ़े लिखे बुद्धिजीवी राजनेता अनपढ़ की तरह पेश आ रहे हैैं।
   ज्वलंत समय में सख्त आदेश के द्वारा भीड़ पर नियंत्रण की जरूरत थी। अगर आज कोरोना हमारे देश में विकराल रुप धारण करता है तो उसके जिम्मेदार हमारे देश के राजनेता होंगे।
आज जहां शिक्षित होनेने का पूर्ण परिचय देते हुए जनता को जागरुक करते हुए उन्हें सचेत करने की आवश्यकता थी वही पर प्रशासन की पूर्ण लापरवाही देखी जा रही है।
     शिक्षा हमें अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाती है। दुर्लभ और विकट घड़ी में ज्ञान प्रकाश भरते हुए संयमित और सचेत करती है पर आज हम शिक्षित होते हुए भी अशिक्षित होने का उदाहरण पेश कर रहे हैं।
         -  सुनीता रानी राठौर
           ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
हाँ ! शिक्षा से दुनिया को बदला जा सकता है। दुनिया को बदलने के लिए शिक्षा ही एक मात्र साधन है जो दुनिया को बदल सकती है। चाहे वो शिक्षा निर्माण कारी हो या विध्वंसकारी दोनों ही शिक्षाओं से दुनिया को बदला जा सकता है। लेकिन आजकल का माहौल कुछ ऐसा हो गया है कि कभी-कभी लगता है कि हम से अच्छा अशिक्षित ही थे। क्योंकि कोई भी गलत कार्य करने में उन्हें डर लगता था या कम करते थे। जबकि उनकी तुलना में आज शिक्षित लोग ज्यादा करते हैं। यहाँ पर एक छोटे से उदाहरण पर गौर किया जा सकता है। पहले के लोग अशिक्षित थे तो स्त्री के गर्भ में क्या पल रहा है इसका ज्ञान नहीं होता था तो भ्रूण हत्या नहीं होता था। लेकिन पढ़ लिखकर लोग जांच मशीनों के द्वारा नारी भ्रूण के अंदर क्या है कि जाँच कर उसकी हत्या कर देते हैं। इससे साफ जाहिर होता है कि हम अशिक्षित ही अच्छे थे। इस तरह की और बहुत सी घटनाएं हैं जो शिक्षित मनुष्य दुनिया को बदलने में सहायक होते हैं। शिक्षा के द्वारा ही तो नई नई टेक्नोलॉजी के द्वारा दुनिया को बदल रहे हैं। इसलिए ये बात जग जाहिर है कि शिक्षा के द्वारा दुनिया को बदला जा सकता है।
- दिनेश चन्द्र प्रसाद "दीनेश" 
कलकत्ता - पं. बंगाल
जी बिल्कुल शिक्षा सबसे बड़ा सशक्त हथियार है जिससे दुनिया को बदला जा सकता है ।
शिक्षा का उद्देश्य खाली दिमाग को खुले दिमाग में परिवर्तित करना है।
 नेल्सन मंडेला ने कहा था कि शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिससे आप दुनिया बदलने के लिए प्रयोग कर सकते हैं ।
इसका अर्थ यह हुआ कि जिस तरह के शिक्षा होगी समाज में वैसा ही बदलाव होगा ।
शिक्षा का मूल उद्देश्य आत्मनिर्भरता प्रदान करना व नैतिक मूल्यों का विकास करना  होता है ।
तो जाहिर है कि जब लोंगो में स्वावलम्बन व नैतिक आचरण  की परिपूर्णता होगी तो दुनिया जरूर बदल जाएगी ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
        हां यह सूर्य के प्रकाश की भांति सत्य है और सम्पूर्ण सत्य यह है कि शिक्षा से ही दुनियां को बदला जा सकता है। चूंकि दुनियां विशाल है और एक-एक को पकड़ कर उसे बदलना सम्भव नहीं होता।
        उल्लेखनीय है कि शिक्षा और शिक्षा के प्रचार-प्रसार से संविधान के चारों सशक्त स्तम्भों में बदलाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी के "मन की बात" की श्रृंखला से भी देश के नागरिकों में "बदलाव और आत्मनिर्भरता" दिखाई दे रही है।
        उदाहरणार्थ मैंने उनके मन की बात को आधार बनाते हुए माननीय जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में शीघ्र सुनवाई हेतु आवेदन पत्र दाखिल किया और मेरी याचिका अंक 139/2020 की पूर्व निर्धारित तिथि 05-07-2021 को बदल कर 01-06-2021 कर दी गई है। जबकि उक्त तिथि को माननीय मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने निर्धारित किया था और अब भी माननीय मुख्य न्यायाधीश जी ने ही तिथि को बदला है। चूंकि याचिकाकर्ता और माननीय न्यायाधीशों में शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ रही है। जिससे अकल्पनीय व विश्वसनीय परिवर्तन अर्थात बदलाव आ रहा है। जबकि पूर्व तथाकथित न्यायाधीशों और अधिवक्ताओं की तथाकथित शिक्षा संदेह के घेरे में है।
        जबकि परम सत्य यह भी है कि परिवर्तन अर्थात बदलाव के लिए शिक्षा के साथ-साथ दृढ़ संकल्प और प्रबल इच्छाशक्ति की परम आवश्यकता होती है। जैसे कि अभी भी मैं उपरोक्त तिथि बदलाव से सहमत नहीं हूं। चूंकि मेरे सहित मेरा परिवार स्वार्थी लोगों के उपहास का पात्र बना हुआ है और न्यायालय ने अगली सुनवाई की लम्बी दूरी की तारीख का आधार "विधिक राय एवं समय की बचत" के कारण निर्धारित की थी। जबकि 44 दिनों के अंतराल के बावजूद मुझे कोई लिखित विधिक राय नहीं मिली। जिसे न्यायालय की अवमानना की संज्ञा देना गलत नहीं है और यह अवमानना न्यायिक इतिहास में प्रथम अवमानना है। चूंकि आदेश जारीकर्ता और आदेश पालनकर्ता के अध्यक्ष एक ही व्यक्ति हैं। जिन्हें माननीय न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश कहते हैं और  विधिक सेवा प्राधिकरण व कमेटी में "सरंक्षक" की संज्ञा दी गई है। जिनमें विचित्रता यह है कि न्यायिक दंडाधिकारी और न्यायिक अवमानना करने वाला एक ही अधिकारी है अर्थात एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जो राष्ट्रीय स्तर के बदलाव का संकेत है।
        जिसके आधार पर मैंने एक अन्य आवेदन करने का निर्णय लिया है। जिसमें बदलाव होने की पूरी-पूरी संभावना है। क्योंकि माननीय न्यायालय का समय हमारे प्राणों अर्थात अनमोल जीवन से मूल्यवान नहीं हो सकता। इसलिए कोरोना का प्रकोप और 02 दशकों से अधिक न्यायालय की लापरवाही के कारण हुई जगहंसाई की जिम्मेदार न्यायालय हमारे जीवन की गारंटी नहीं लेगी। जिसके कारण वह सुनवाई की तिथि बदलने को ही प्राथमिकता देगी। जिसका आधार शिक्षा का प्रकाश रूपी ज्ञान है। 
        अतः उपरोक्त ठोस उदाहरणों से स्पष्ट हो जाता है कि यदि "परिवर्तन प्रकृति का नियम" है तो दुनियां को शिक्षा से बदला जा सकता है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
शिक्षा ही एक ऐसा  माध्यम है, जिसके द्वारा सत्य को भावों के माध्यम से  व्यक्त  किया जाता है। 
 शिक्षा के द्वारा ही हम व्यवहार और कार्य की सूचना पाते हैं और इन सूचनाओं को हम अपने जीवन में व्यवस्था हार और कार्य के माध्यम से व्यक्त करते हैं बिना शिक्षा के कार्य व्यवहार करने से गलतियां होती है। गलतियां का ना होना अर्थात अपराध का ना होना है दुनिया का बदलाव है आज वर्तमान युग में दुनिया में अनेक अपराध हो रहे हैं इससे कोई सुख शांति नहीं है इन्हीं अपराध से कैसे निजात हुआ जाए इसके लिए शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे सूचना पाकर सही व्यवहार और कार्य किया जा सकता है अर्थात मनुष्य को निश्चित आचरण की सूचना मिलने पर वह अपनी मानत्व आचरण में जिएगा तो दुनिया जरूर बदल जाएगी अतः यही कहा जा सकता है कि शिक्षा के माध्यम से दुनिया जरूर बदला जा सकता है।
- उर्मिला सिदार
 रायगढ़ - छत्तीसगढ़
शिक्षा से असभ्य मानव को सभ्य में बदला जा सकता हाई है । शिक्षा एक ऐसा धन है जो भाई भाई में भी नहीं बांटा जा सकता। जिस देश में साक्षरता दर कम होगी वहा बेरोजगारी वा अपराधों का बोलबाला होता है किन्तू जिस देश में साक्षरता दर अत्यधिक होगी वहां के नागरिक खुशहाल और साधन सम्पन्न होंगे ।ये वास्तविकता है कि शिक्षा के बिना व्यक्ति पशु समान है ।
जिस देश के नागरिक अत्यधिक शिक्षित होंगे वे स्वयं ही अपना रोजगार पैदा कर लेंगे जबकी अशिक्षित लोगों को सरकार जितना मर्जी सुविधा प्रदान कर दे वे गरीबी और आपराधिक प्रवृत्ति को नहीं त्याग सकते ।।
   - सुरेन्द्र मिन्हास 
बिलासपुर - हिमाचल प्रदेश
शिक्षा से दुनिया को बदला जा सकता है एकमात्र शिक्षा ही है ऐसा उपाय है जो देश को प्रगति पथ पर एवं समाज को उन्नति शील बनाता है ।शिक्षा से दुनिया ही नहीं संपूर्ण इंसान के व्यक्तित्व को बदला जा सकता है शिक्षित अगर इंसान है तो वह समाज की कूट नीतियों को वह बदल सकता है। प्रति स्पर्धाओं के जमाने में शिक्षा का होना बेहद अनिवार्य होता है शिक्षा के लिए जिंदगी अनेक प्रकार की सुविधाएं आ जाती है ।सरस्वती का वास होना जिंदगी में उन्नति और प्रगति पथ पर ले जाता है ।शिक्षा के बिना हम अधूरे हैं शिक्षा नहीं तो हम अपने जीवन में कुछ भी नहीं कर सकते हैं शिक्षा से खूद को ही नहीं पूरे विश्व को बदला जा सकता है शिक्षा का विकास जैसे मानसिकता को उच्चतम स्तर पर पहुंचाता है ।उसी प्रकार दुनिया को भी प्रगतिशील बनाता है हमारे जीवन के लिए बेहद जरूरी होता है ।शिक्षा की शुरुआत अपने घर से ही होती है अगर हम शिक्षित है तो जिंदगी में सारी सुख-सुविधाओं को पा सकते हैं ।शिक्षा विधा कभी भी नहीं मरती है । हमेशा हर विपरीत परिस्थितियों में हमारे साथ हमारा साथी बन कर खड़ा रहती है। शिक्षा सही हम अपने कर्मों के भाव को बदल सकते हैं और जीवन यापन के साधन को आराम से पा सकते हैं ।इसके बिना दुनिया अधूरी है मानसिकता अधूरी दुनिया बदला जा सकता है शिक्षा जिंदगी के लिए बेहद जरूरी होता है शिक्षा से ही जीवन के अनेक अनमोल धरोहर को विकसित कर सकते हैं अगर हम शिक्षित है तो हमारा देश में शिक्षित होगा हमारा समाज में शिक्षित होगा। शिक्षा का होना बहुत जरूरी है शिक्षा से पूरी दुनिया को बदला जा सकता है।
- अंकिता सिन्हा कवयित्री
जमशेदपुर - झारखंड
शिक्षा निश्चित रूप से समाज तथा दुनिया को बदलने का सब से प्रभावशाली हथियार है, शायद नेल्सन मंडेला ने कहीं कहा था। शिक्षा वह साधन है जिस से मनुष्य की सोच, जीवन दर्शन, जीवन प्रवृत्ति को बदला जा सकता है। विशेषकर तीसरी दुनिया के समाज की प्रतिगामी सोच को केवल शिक्षा के द्वारा ही बदलना संभव है।
भारत जैसे देश में जहां खंडित राजनीतिक संस्कृति है। लोगों में सदियों से जातिवाद, साम्प्रदायिकता व भेदभाव की विचारधारा का समावेश है। पितृसत्तात्मक समाज होने के कारण स्त्री का स्थान पुरुष की अपेक्षा निम्न माना जाता रहा है। ऐसी मानसिकता को केवल शिक्षा ही बदल सकती है। और ऐसा ही हो रहा है। आज़ादी के बाद से ज्यों ज्यों शिक्षा का प्रसार हो रहा है मनुष्यो की सोच, मनस्थिति में परिवर्तन आ रहें हैं।  अनपढ़ जाहिल लोगों की अपेक्षा शिक्षित लोग कहीं उदारवादी विचारधारा रखते हैं। समाज में गरीबी, अंधविश्वास को दूर करने का सबसे महत्वपूर्ण ढंग केवल शिक्षा है। 
आज की दुनिया टैक्नोलॉजी ज्ञान, इंटरनेट की दुनिया है । विश्व एक ग्लोबल गांव बन चुका है। यह सब शिक्षा , ज्ञान विज्ञान से ही संभव हुआ है।  इस तेज़ी से बदलते समीकरणों में भारत को यदि अपना सामंजस्य बना कर रखना है तो देश में दी जा रही शिक्षा के स्तर को बनाए रखना होगा। शिक्षा को प्राथमिकता देनी होगी।
 क्योंकि इस कथन में कोई अतिशयोक्ति नहीं कि केवल सही शिक्षा द्वारा ही दुनिया को बदला जा सकता है।
- डॉ नीलिमा डोगरा
नंगल - पंजाब
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती। प्रयास करना इंसान के हाथ में होता है। जब लगातार ईमानदारी से प्रयास किया जाएगा तो निश्चित रूप से कुछ तो सफलता हासिल होगी। एक एक करके मिलने से ही कारवां बढ़ता है। इसी प्रकार जग परिवर्तन का भी है। अभी कुछ समय पूर्व तक  निरक्षरता के जो आंकड़े थे वह पहले की तुलना में काफी कम हैं अर्थात परिवर्तन तो हो रहा है। बस निरंतर प्रयासरत होने की जरूरत है।
- गायत्री ठाकुर "सक्षम" 
नरसिंहपुर - मध्य प्रदेश
"जरूरी नहीं रौशनी चिरागों से ही हो, 
शिक्षा से भी घर रौशन होते हैं"
 देखा जाए शिक्षा सभी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, स्वस्थ्य जीवन के लिए जिस तरह भोजन जरूरी है उसी तरह शानदार और बेहतर जीवन के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करना  भी बहुत जरूरी है, 
शिक्षा का उदेश्य खाली  दिमाग को खुले  दिमाग में परिवर्तित करना है, 
 इसे स्वतंत्रता के सुनहरे दरवाजे को खोलने की कुंजी भी कहा गया है, 
तो आईये आज की चर्चा इसी बात पर करते हैं कि क्या शिक्षा से दूनिया को बदला जा सकता है? 
मेरी दृष्टि में  शिक्षा ही सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसे हम दूनिया को बदलने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं
क्योंकी जिस तरह की शिक्षा होगी  समाज में वैसा ही वदलावआएगा, 
नेल्सन मंडेला ने भी यही कहा था कि शिक्षा सबसे बड़ा सशक्त हथियार है जिससे दूनिया को बदला जा सकता है इसलिए नेल्सन मंडेला अपने देश तथा विश्व के लोगों को शिक्षित, खुशहाल तथा समृद देखना चाहते थे, 
उन्होने मानव जाति की सेवा के लिए शिक्षा को सबसे बड़े हथियार के रूप में चुना
यह सच है कि कोई भी देश  वास्तव में तब तक विकसित नहीं हो सकता जब तक उसके नागरिक शिक्षित नहीं हो जाते क्योंकी शिक्षा की ताकत मन को मुक्त करने की क्षमता स्थापित करती है और शिक्षा ही जीवन को बदल के रख देती है, 
आयोग ने इसलिए न्यू एेजुकेशन पालसी के तहत शिक्षकों के प्रशिक्षण पर जोर दिया है,
जाहिर है कि एक अच्छा शिक्षक ही बेहतर विद्यार्थी तैयार कर सकता है जो आगे चल कर अपने देश को बदल के रख देता है
अच्छी शिक्षा ही हमारे भविष्य का  निर्माण करती है यह हमे़ मानसिक, शारीरिक और समाजिक रूप से अच्छा होने के साथ साथ बेहतर जीवन जीने के एहसास को बढ़ाबा देती है इसलिए इससे दूनिया को बदला जा सकता है, 
अन्त मे़ यही कहुंगा कि शिक्षा वो अस्त्र है जिससे बड़ी से बड़ी कठिनाईयों का सामना कर सकते हैं, 
शिक्षा ही हमें पृथ्वी पर  अन्य प्राणियों से अलग करती है, 
यह मनुष्यों को,  सशक्त बनाती है और जीवन की चुनौतियों का कुशलता से सामना  करने के लिए तैयार करती है तथा शिक्षा वो शब्द है जो एक इंसान को जीवन जीना  सिखाता है, इस के बिना मनुष्य पशु सामान है 
इसलिए इसको  शक्तिशाली हथियार माना गया है जिससे दूनिया को बदला जा सकता है, 
सच कहा है, 
"अशिक्षित को शिक्षा दो, 
अज्ञानी को ज्ञान, 
शिक्षा से ही बन सकता
मेरा भारत महान"। 
- सुदर्शन कुमार शर्मा
जम्मू - जम्मू कश्मीर

" मेरी दृष्टि में " शिक्षा वो ताकत है जो इंसान का जीवन बदल देती है । बाकी शिक्षा से वो सब कुछ हो सकता है । जिसे हम भाग्य कहते हैं ।यानि दुनियां बदलने की ताकत कहते हैं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी 

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