आचार्य सत्यापुरी नाहनवी की स्मृति में " पर्यावरण है तो दुनियां है " विषय पर कवि सम्मेलन का आयोजन


जैमिनी अकादमी , पानीपत - हरियाणा ने आचार्य सत्यापुरी नाहनवी की स्मृति में ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया है । जिसमें 34 से अधिक कवियों ने भाग लिया है । नियम के अनुसार एक को सम्मानित किया गया है : -

साप्ताहिक ऑनलाइन कवि सम्मेलन : -                          
     03 जुलाई 2020                                    

               पर्यावरण है तो दुनिया है   
               ––––––––––––    

हर दिन बढ़ता जा रहा है ,प्रदूषण  विश्व में,
प्रदूषित होता जा रहा ,पर्यावरण  समूचे विश्व में ।

संपूर्ण विश्व में मच रहा है ,चारों ओर हाहाकार,
मानव की जिज्ञासा से रुक गया पर्यावरण प्रसार।

गगनचुंबी अट्टालिकाएं, अंतरिक्ष में बढ़ते कदम,
 पर्वत भेदतीं मशीनें, धरा का असीमित खनन।

ध्रुवों की और पहाड़ों की ,बर्फ  पिघलने लगी,
 भूकंप के प्रकोप से ,हर जगह धरा हिलने लगी।

वृक्षों की अंधाधुंध कटाई  ,जंगलों का खात्मा,
  चिमनियों का उठता धुआं, ग्लेशियरों का पिघलना।

कारखानों से निकलता, प्रदूषित रासायनिक जल,
पहुंचकर नदी ,नालों ,सागर में कर देता प्रदूषित जल।

ओजोन परत है घट रही ,प्राणवायु कम हो रही,
गैस संयंत्रों के रिसाव से ,जहरीली गैसें फैल रहीं।

 है बहुत जरूरी, विश्व पर्यावरण को बचाना,
नई वृक्षों को लगाकर, जंगलों को बचाना।

नदियों और जलाशयों को ,सुरक्षित व समृद्ध करना,
उनकी सफाई एवं बढ़ोत्तरी का प्रयास करना।

पशु पक्षियों की मिटती, प्रजातियों का संवर्धन करना,
उनकी बसाहट के लिए ,उचित व्यवस्था करना।

पर्यावरण है तो दुनिया है ,तभी मानव जीवन संभव है,
 बिना पर्यावरण के, हर जीव जंतु का जीवन असंभव है।
                 - श्रीमती गायत्री ठाकुर "सक्षम"             
                        नरसिंहपुर  - मध्य प्रदेश                    
एक श्रेष्ठ समीक्षक के रूप में सम्मानित किया गया है : -

कुछ अन्य कवियों की रचनाओं के अंश : -

 जब वृक्ष कोई खूब लगाएगा,    कटने से इन्हें बचाएगा, प्रदूषण  तिमिर घट जाएगा , पर्यावरण  शुद्ध हो  जाएगा।। 
        तब बादल बरसेंगे धरती पर
        सब हरा-भरा  हो  जाएगा।  
       और जंगल भी सज जाएगा, 
        पक्षी चहकेंगे  पेड़ो   पर तो 
         मन  मंगल   हो   जाएगा।। 
                             - विनोद कश्यप 
                                   चंडीगढ़ 

चहुँ ओर खिसकते हिमशिखर 
चहुँ ओर पिघलते ग्लेशियर 
चहुँ ओर सिसकती  जिंदगियां है , 
पूछती विकास की कैसी ये गति हों गयी ॥ 
                       विशाल चतुर्वेदी "उमेश "
                          जबलपुर - मध्य प्रदेश

प्रकृति की रक्षा करेगे 
लौटायेंगे उसकी ख़ुशियाँ 
प्रदूषण को मार भगायेंगे 
वृक्षा रोपण सतत करते रहेंगे 
लौटायेंगे धरती माँ का सम्मान 
हम चलायेंगे प्रदूषण मुक्त अभियान ।
प्रकृति है हमारा अभिमान 
करना होगा इसका सम्मान 
आओ बचाये पर्यावरण 
                         - डॉ अलका पाण्डेय
                             मुम्बई - महाराष्ट्र

जन-जन में सुप्त हो रही पर्यावरण चेतना को,
तभी प्रकृति और पर्यावरण के,
विनाश की ओर बढ़ते कदम,
रोक सकेंगे हम,
और तभी सच्चे अर्थों में उऋण हो सकेंगें हम।
                      - प्रज्ञा गुप्ता 
                   बाँसवाड़ा - राजस्थान

आखिर में हमने ये जाना,
ये धरती कितना देती है।
धरती, माँ कितना देती है।
एक बीज और सोच जरा सी,
ये दामन भर - भर देती है।
पेड़ लगाओ! पेड़ लगाओ!
बदले में बस ये कहती है।।

                   - अंजू अग्रवाल 'लखनवी'
                        अजमेर -  राजस्थान

प्रकृति पर प्रहार हो रहा, पेड़ पौधे  काट डाले,
गंदगी इतनी भरी तन में,भरे हुए मल गंदे नाले,
प्रभु आगे रो रहे जन, आकर ईश्वर हमें बचा ले,
स्वार्थी जन प्रदूषण बढ़ाते,रो रहे जन भोलेभाले।
                                - होशियार सिंह यादव
                                   महेंद्रगढ़ - हरियाणा
                                   

बहारों  में नहीं हो फूल पौधे तो
धरा उजड़ी लगे ऐसा बताते है|
स्वार्थवश बना नर है विनाशी अब
सभी झरने नदी सूखे नहाते है |
हुई बंजर धरा खाली पड़ी देखो
बता दीपा फसल कैसे उगाते है |
                 - दीपा परिहार
                 जोधपुर - राजस्थान

पर्यावरण है  तो  दुनिया है समझ लो
इसके  बिना  तुम  रह  नहीं  सकोगे। 
सन्तुलन बिगाड़ा तो कहर ये ढायेगी, 
मरघट  पर  बैठे  आंसू बहाते  रहोगे। 
                  - डा. साधना तोमर
                  बड़ौत - उत्तर प्रदेश

कोई ना इसका दूजा विकल्प,
लेना होगा हमें आज कठोर संकल्प।
आज लेकर कठोर संकल्प पृथ्वीवासी,
विनाश से बचा माँ वसुंधरा को बनाएं 
हम आज इसे अविनाशी।
                              - योगी प्रदीप निर्बाण
                                 अटेली - हरियाणा

आओ मिलकर कदम बढ़ाएँ
          पर्यावरण रक्षा में हो अवदान।
जन जन मिलकर पौध लगाएँ
          धरती पर हरीतिमा हो वितान।
निर्वन वसुधा की ओर निरन्तर
          जन समाज का हो पथ ध्यान।
आज समीचीन समय अनुरूप
         वृक्ष लगाने वाला है भाग्यवान।
                       - रामचंद्र प्रधान 'लोईंग'
                         रायगढ़ - छत्तीसगढ़

जागो——
जंगलों को काटना मौत को बुलाना है
धरती की पीड़ा को और भी बडाना है
वक़्त की पुकार तुम सुनो, नींद से उठो
सब तरफ़ हरियाली लाने का वक़्त आ गया
                          - सुदेश मोदगिल नूर
                          पंचकूला - हरियाणा
    
सूर्य -चन्द्रमा 
प्रहरी जिसके 
भटका मानव 
पथ पाता है 
जीवन को 
सदगति देना माँ 
कल्पना के 
अनगिनत रंगों से l 
            - डॉ. छाया शर्मा 
         अजमेर - राजस्थान 

इसके अतिरिक्त अशोक योगी शास्त्री , शैलेष वाणिया शैल , छगनराज राव दीप , उर्मिला सिदार ,सोनिया प्रतिभा तानी , कुमार जितेन्द्र , नरेश सिदार नयाल ,शिवानी गुप्ता , उमा मिश्रा प्रीत ,मधु वैष्णव मान्या , शैलेन्द्र सिंह शैली , कमला पुरोहित अपरिचित , पूरण मल बोहरा , डॉ. छाया शर्मा , डॉ. अन्नपूर्णा श्रीवास्तव , सौदामिनी खरे , एक अबोध बालक ० अमृप्त ,डॉ. अवधेश कुमार ' अवध ' ,दिनेश चंद्र प्रसाद दीनेश , सचिन श्रीवास्तव आदित्य , नूतन गर्ग , डॉ वन्दना गुप्ता आदि ने कवि सम्मेलन में भाग लिया है । सभी आभार वयक्त किया जाता है और भविष्य में भी इसी तरह सहयोग की आशा की जाती है।

Comments

  1. अद्भुत अविस्मरणीय अकल्पनीय आयोजन व संयोजन कर्ता बधाई के पात्र हैं ईश्वर आपको सदैव योग्य व न्यायोचित मार्ग पर प्रेरित करें डॉ अरुण कुमार शास्त्री

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