फल - फूल के बिना वृक्ष की क्या उपयोगिता है ?
फल - फूल वृक्ष की शोभा है । जो प्राकृतिक वातावरण को सुगंधित बना देती है । परन्तु फल - फूल से वृक्ष की उपयोगिता बहुत अधिक हो जाती है । जिन वृक्षों पर फल - फूल नहीं लगते है उन की उपयोगिता बहुत कम रह जाती है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय हैं । अब आये विचारों को देखते हैं : -
वृक्ष की उपयोगिता फल-फूल तक ही सीमित नहीं है। वृक्ष पृथ्वी के निर्माता हैं। ये पृथ्वी के वातावरण को सजीवों के उपयुक्त बनाते हैं। तभी जीवों का निवास हुआ। जहाँ पेड़-पौधे नहीं हैं वहाँ सजीवों का वास कठिन है। चाहे लद्दाख की बर्फ से ढँकी चोटी हो, राजस्थान का रेगिस्तान हो या भू-मध्य रेखा पर के देश हों । सभी जगह आबादी कम होने का कारण है पेड़-पौधों का न होना।
मुख्य रूप से ये हमें ऑक्सीजन देने का काम करते हैं तथा हमारे द्वारा हवा को दिए गए जहर, कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मात्रा को शिवजी के गरल पीने जैसा आत्मसात कर लेता है। इस ग्रह पर जीवन होने की यह सबसे बड़ी वजह है।
फल-फूल तो इसकी उदारता है। इसके अलावा मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी पेड़ की ही देन है। धूप-छाँव शब्द पेड़ों की वजह से ही बने हैं । बारिश में उपजाऊ भूमि को बहने से रोकना भी इसी ने सम्भव बनाया है। इनके बिना शाकाहारी सजीवों को भोजन प्राप्त नहीं होता तो मांसाहारी का अस्तित्व कहाँ से जीवन पाता। फिर पशु-पक्षियों का घोंसला नहीं बन पाता। इस प्रकार पृथ्वी का जीवन-चक्र प्रभावित हो जाता। शायद आज की दुनिया का रूप हीं नही बन पाता।
अनेकों पेड़ हैं जिनके फल-फूल आम आदमियों के लिए किसी उपयोग के नहीं हैं। फिर भी अपने आस-पास हम उन्हें खोजते हैं , जैसे नीम, पीपल, वटवृक्ष आदि। अतः इनके बिना हमारा जीवन संभव नहीं है।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
फल फूल के बिना भी वृक्ष की क्या उपयोगिता है?
फल फूल के बिना भी वृक्ष की बहुत उपयोगिता है। क्योंकि यह पृथ्वी को पर्यावरण को बचा कर रखते हैं। हर पेड़ फल फूल हमें सभी कुछ ना कुछ देकर जाते हैं। जो फूल फल नहीं देते वह वृक्ष में कुछ-कुछ औषधि गुण होता है जैसा एलोवेरा, पुत्र जीवा, अशोकआदि बहुत सारे पेड़ हैं।
हम नीम बरगद पीपल आदी पैरों की तो पूजा भी करते हैं बांस का पेड़ है उससे हमें टोकरी , डंडा, झांड़ू और कागज बनाने के काम में आता है। हर वृक्ष का कोई ना कोई गुण जरूर होता है पर बिना गुण के नहीं रहता।
🌳🌲*पेड़*🌲🌳
हमारे जीवन के सहभागी
पेड़ हमारे हमसफर
हमको देते छाया
सभी ऐसी सोच जगाइए।
नव फूलों की माला
हमें देते हैं औषधि
पेड़ों कि हम करें पूजा
पीपल ,बरगद को सब
संरक्षित का प्रयत्न बढ़ाइए।
पेड़ नहीं तो हरियाली नहीं इसीलिए कहती हूं
खूब पेड़ लगाइए।
वृक्षारोपण करो कुछ नहीं तो नीम तुलसी ही लगाओ
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
वृक्षों की उपयोगिता केवल फल फूल से ही नही है गर्मी में छाया देना, जड़ पत्ते और छाल, गोंद का औषधीय प्रयोग के अलावा सबसे महत्वपूर्ण उपयोग प्राणदायिनी ऑक्सीजन का उत्सर्जन वृक्षों के ऐसे कार्य हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता है । प्रत्यक्ष रूप से जिन्हें देखा नहीं जा सकता परन्तु वैज्ञानिकता के आधार पर समझा जा सकता है पर्यावरण प्रदूषण को नियंत्रित करना, मौसम के निर्माण व निर्धारण में सहयोग करना, बर्षा को आकर्षित करना, बड़े पक्षियों को घोंसले बनाने के लिए स्थान मुहैया कराना बड़े वृक्षों के उपयोग ही हैं ।
फल फूल तो केवल वृक्षों का कुछ प्रतिशत उपयोगी हिस्सा है ।
सबसे बड़ी उपयोगिता तो ऑक्सीजन देना और कार्बन डाइऑक्साइड लेना है बड़े वृक्षों में पीपल, नीम, बरगद , शीशम, शाल, और शागौन जैसे वृक्षों की गिनती होती है गम्भीरता से विचार किया जाए तो इन बड़े वृक्षों की उपयोगिता को समझा जा सकता है जैसे पीपल का फल फूल औषधि है ये जितनी उपयोगी हैं इससे कहीं ज़्यादा पीपल का वृक्ष ऑक्सीजन देता है वह भी चौबीस घंटे । एक वयस्क पीपल का वृक्ष चौबीस घंटे में दो हज़ार घन लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है । नीम शीशम बरगद के वृक्ष पेड़ों की पत्तियों, जड़ों और छाल का उपयोग दवाओं को तैयार करने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा नीम शीशम बरगद शाल शागौन के वृक्ष मनुष्य के साथ ही साथ पक्षियों और जानवरों को आश्रय प्रदान करते हैं। विशाल, घने वृक्षों से भरे जंगल जंगली जानवरों के आवास के रूप में काम करते हैं और समृद्ध जैव विविधता के लिए योगदान करते हैं। पेड़ों से निकाली गई लकड़ी और अन्य सामग्री का उपयोग कई चीजों को शिल्प करने के लिए किया जाता है जो मानव को एक आरामदायक जीवन शैली के लिए आवश्यक हैं ये वृक्ष की उपयोगिता है । कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि वृक्ष फल फूल के बिना भी जीवन रक्षक हैं। हम अच्छी गुणवत्ता वाले जीवन का आनंद तभी ले सकते हैं, जब हमारे आसपास प्रचुर मात्रा में वृक्ष हों। हमें वृक्षों को काटने से बचना चाहिए और उनमें से अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए। हमें अपने आसपास के लोगों को भी वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि धरती पर ख़ुशहाली का वातावरण बनें ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
प्रकृति ने इस धरा को अनेक प्रकार के वृक्ष रुपी उपहारों से सुसज्जित किया है वह मानव के लिए अनमोल रत्न हैं। विभिन्न प्रकार के वृक्ष हमें फल-फूल सहित अनेक खाद्य पदार्थ उपलब्ध कराते हैं जो हमारे जीवन को शक्ति प्रदान करते हैं।
फल-फूल से सज्जित वृक्ष की छटा अद्भुत होती है। परन्तु ऐसे वृक्ष भी हैं जिनकी पत्तियां, छाल जीवनोपयोगी होती हैं। अनेक वृक्ष फल-फूल से रहित होते हैं परन्तु उनका प्रयोग औषधियों के निर्माण में होता है। ऐसे वृक्ष भी हैं जो हमें मात्र छाया देकर अपनी उपयोगिता सिद्ध करते हैं।
फल-फूल वृक्ष को मनोहारी बनाते हैं परन्तु ऐसा नहीं है कि फल-फूल से रहित वृक्ष अनुपयोगी हैं।
फल-फूल से लदे वृक्षों की अपनी उपयोगिता है तो ऐसे वृक्ष जिन पर फल-फूल नहीं होते उनका योगदान हमारे जीवन में कम नहीं होता।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
"बड़ा भया तो क्या भया जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर।"
बहुत ही सरल शब्दों में गहरी बात कही है कि वो वृक्ष ही क्या जो फल व फूल से वंचित है वृक्ष कहते ही दिमाग में उसकी छवि स्वत बन जाती हैं कि वो फल, फूल से लदा होगा।
जो वृक्ष इनसे हीन है वो ठूंठ कहलाता है और हम लोग रोज मर्रा की जिंदगी में प्रयोग भी करते हैं।
बिल्कुल ठूंंठ है
अर्थात जो एकदम बिना दिमाग की बातें करते हो।
तो स्पष्ट है कि बिना फल, फूल के वृक्ष की कोई उपयोगिता नहीं होती।
घनी - घनी छाया देने को लगाया मैंने पौधा
वृक्ष बनकर शोभा देगा हरा भरा जब होगा
फल मेरे बच्चे खाएंगे राही छाया
लेगा
पक्षी बैठ चह चहाऐंगे मन
प्रफुल्लित होगा।
फल और फूल से लदे हुए ही
वृक्ष की होगी पूजा।
- ज्योति वधवा"रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
भारतीय संस्कृति में हरियाली का समस्त ॠतुओं में अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान हैं। तेज धूप में वृक्षों की उपयोगिता बढ़ जाती हैं, इसी समय आम, आमजनों के लिए स्वादिष्ट फल होता हैं। वर्षा ऋतु में पौधेरोपित कर भावी युवा पीढ़ियों को संदेश दिया जाता हैं तथा शरद ॠतु में समस्त प्रकार के फूलों के रंगों से छटाओं का पूर्ण रूपेण आनंद होता हैं। विशेष समारोह, शादी-विवाहों में फल-फूलों की मांग बढ़ने लगती हैं। कश्मीर के सेव, महाराष्ट्र के संतरा, केला अपनी अनूठी मिसाल के लिए प्रसिद्ध हैं। फल-फूलों के बिना वृक्ष की उपयोगिता हैं। शहर स्वच्छ एवं सुन्दरता की पहचान ही फल-फूल ही हैं। बड़े-बड़े बगीचे आकर्षित करते हैं और पर्यटकों का मनमोहित करते हैं।
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
फल-फूल के बिना वृक्ष की अनेक उपयोगिताएं हैं। भारतीय संस्कृति में तो वृक्षों को पूज्य भी माना गया। प्रदूषण की मार झेल रहे विश्व के देशों में वृक्षों और वनों के संरक्षण की चर्चा है। मानव अपने स्वार्थ के लिए वृक्षों को उजाड़ता आया है। हमारा बस चले तो हम हर स्थान पर फल-फूल वाले वृक्ष लगा दें। परन्तु ऐसा नहीं होता। फल-फूल वाले वृक्ष जमीन की उर्वरा और अनुकूल मौसम के अनुसार फलित होते हैं।
दिल्ली में रहते हुए मैं संतरे या सेब के वृक्ष की कल्पना करूं तो सामान्य तौर पर संभव नहीं है। अभी हम बात करते हैं फल फूल के बिना वृक्ष की उपयोगिता की। बिना फल-फूल वाले वृक्ष उतने ही उपयोगी हैं जितने फल-फूल वाले वृक्ष। ऐसे अधिकतर वृक्ष लगभग हर स्थान पर रोपित किये जा सकते हैं। पंछी और पशु जगत के लिए भी बिना फल-फूल वाले वृक्ष उतने ही लाभकारी हैं।
बढ़ती जनसंख्या, शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण वनों की तेजी से कटाई हुई है। शहरों और शहरों को जोड़ने वाले राजमार्गों पर वृक्षारोपण के निरन्तर कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। वृक्षारोपण करते समय यह जरूरी नहीं कि वे सभी फलदार वृक्ष हों। हरे-भरे फल-फूल-रहित वृक्ष जहां एक ओर हरियाली प्रदान करते हैं वहीं छाया प्रदान करते हैं। यह प्रयास होता है कि ऐसे वृक्ष आकार में बड़े, सघन और छायादार हों। अनेक ऐसे छायादार वृक्ष होते हैं जिनकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है जिसका उपयोग इमारती लकड़ी के रूप में फर्नीचर तथा लकड़ी के पुल बनाने में किया जाता है।
कुछ ऐसे वृक्ष होते हैं जो सूखे जैसी स्थिति को भी सह लेते हैं। इनका प्रयोग काष्ठ से बनी सामग्री बनाने में होता है। इससे लोगों को रोजगार के अवसर भी मिलते हैं तथा आर्थिक सुदृढ़ता भी मिलती है। वृक्ष वाहनों से निकली दूषित गैसों व प्रदूषकों को अवशोषित कर स्वच्छ पर्यावरण प्रदान करते हैं। वृक्षों के कारण फैली हरितिमा मन-मस्तिष्क को स्फूर्ति प्रदान करती है तथा प्राकृतिक संतुलन भी सुनिश्चित करती है। राजमार्गों पर लगे घने वृक्ष जहां हमें हरियाली प्रदान करते हैं वहीं हमारी यात्रा को सुखद भी बनाते हैं। पुनः दोहराना चाहूंगा कि फल-फूल वाले वृक्षों के लिए अनुकूल वातावरण चाहिए जबकि अधिकतर फल-फूल रहित वृक्ष सभी वातावरणों में उगाए जा सकते हैं। आज आवश्यकता इस बात की है कि हम अपनी जिम्मेदारी मानकर वृक्ष लगायें और उनका रख-रखाव भी सुनिश्चित करें। निष्कर्ष यह कि फल फूल के बिना वृक्ष की अपनी ही उपयोगिता है जिसे नकारा नहीं जा सकता।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
बिना फल और फूल के भी वृक्ष हमारे लिए अति उपयोगी है ना ना प्रकार की जड़ी बूटियों को देते है हमें आक्सीजन देते है वृक्षा हमें जीवन देता है ।
पौधों के बिना जीवन संभव नहीं है। यह वातावरण को शुद्ध रखते हैं, कार्बन डाई ऑक्साइड को प्राण वायु ऑक्सीजन में बदलते हैं। इनकी पत्तियों से पानी का वाष्पीकरण होता है। यह प्रक्रिया तापक्रम को बढ़ने नहीं देती अन्यथा तापमान काफी बढ़ सकता है। यही पत्तियां हवा के वेग को भी रोकने का काम करती हैं जिससे आंधी-तूफान नियंत्रित होते हैं। पेड़ों की पत्तियां ही आर्द्रता यानी वातावरण में नमी बनाए रखती हैं।
हरे पेड़-पौधे से ही प्रकृति है, पौधे जीवन के आधार हैं। यह समाप्त होंगे तो जीव-जंतु यहां तक की प्रकृति ही समाप्त हो जाएगी। इतना ही नहीं पेड़ों से हमें फल, फूल, भोजन व औषधियां प्राप्त होती हैं। यह रहेंगे तो ही जीवन रहेगा क्योंकि वृक्ष कार्बन डाईऑक्साइड के अलावा कई विषैली गैसों को भी अपने अंदर समाहित कर हम सब को सुरक्षित करते हैं।
पौधे व झाड़ियों में कोई अंतर नहीं : पर्यावरण की दृष्टि से पेड़-पौधे में कोई अंतर नहीं है। दोनों एक ही समान वातावरण को शुद्ध बनाने का काम करते हैं। बस फर्क इतना है कि पेड़ बहुवर्षीय और झाड़ियां तीन-चार वर्षो तक ही रहती हैं।
पहले गांवों में नीम, पीपल, आम महुआ, बरगद, आंवला, कैथा, बेल व जामुन आदि के वृक्ष बहुतायत में हुआ करते थे। इन वृक्षों से शीतल छाया, लकड़ी व फल-फूल तो मिलते ही थे, यह पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे।
पहले वृक्षों की उपयोगिता बिना वैद्य व स्वास्थ्य रक्षकों के हुआ करती थी। गांव के बुजुर्ग देशी पारम्परिक नुस्खों से इन पौधों की जड़, फल, फूल व लकड़ी आदि का इस्तेमाल करके अनेक प्रकार की बीमारियों का सफल इलाज भी करते थे। अब बढ़ती जनसंख्या, सड़कों के फैलाव और औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के चलते अब बाग के बाग उजाड़ दिए गए हैं। बागों का स्थान अब खेत लेने लगे हैं और जो पौधे अब बचे भी हैं वे पुलिस व वन्यकर्मियों की मिलीभगत से लकड़ी व्यवसायियों की भेंट चढ़ते जा रहे हैं।
वृक्ष है तो हम है
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
पेड़ पौधों के बिना जीवन की कल्पना नही की जा सकती है। फल - फूल के बिना भी वृक्ष की बहुत सी उपयोगिता है। यह वातावरण को शुद्ध रखते हैं। कार्बनडाइऑक्साइड को प्राणवायु ऑक्सीजन में बदलते हैं। यह प्रक्रिया तापमान को बढ़ने नही देती अन्यथा तापमान काफी बढ़ सकता है। यही पत्तियां हवा के वेग को रोकने का काम करती है, जिसमें आंधी-तूफान नियंत्रित होते हैं। पेड़ों की पत्तियां ही वातावरण में नमी बनाए रखती है। हरे पेड़ पौधों से ही प्रकृति है। पौधे जीवन के आधार है। यह समाप्त होते ही जीव जंतु यहां तक कि प्रकृति समाप्त हो जाएगी। पेड़ पौधों से हमें औषधियां मिलती है। यह रहेंगे तो हमारा जीवन रहेगा। क्योंकि वृक्ष कार्बनडाइऑक्साइड के अलावे कई विषैली गैस को अपने अंदर समाहित कर हम सबको सुरक्षित करते हैं। शरीर मे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाने का काम भी करते हैं। नीम, चिरैता जैसे कुछ ऐसी भी पत्तियां है जिसका उपयोग करने से शरीर का खून साफ होता है। नीम का दातून काफी उपयोगी होता है। फल फूल के बिना ऐसे वृक्ष होते हैं जिससे घरों को सजाया जाता है। फर्नीचर भी ऐसे ही वृक्ष से बनाये जाते हैं। जैसे साल, शीशम, सागवान आदि शामिल है। जलावन में भी लकड़ियों का उपयोग होता है। बास की कई उपयोगिता है। इसमे फल फूल नहो होते। वनों में अधिकांश पेड़ पौधे लगाए जाते हैं जिसकी उपयोगिता पर्यावरण को सुरक्षित रखने होती है। जानवरों को भी इन्हीं से भोजन प्राप्त होता है।
अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
फल-फूल के बिना वृक्ष की उपयोगिता,यह विषय सुनने में जितना सरल लगता है,वास्तव में उतना सरल नहीं। इस धरा पर प्रकृति प्रदत्त कुछ भी अनुपयोगी नहीं है,सबका अपना महत्त्व और सदुपयोग है।यह अलग बात है कि जानकारी के अभाव में मानव उसे अनुपयोगी मान ले। यही बात बिना फल फूल वाले वृक्षों पर भी लागू होती है। वैसे ऐसी कोई वनस्पति नहीं जो बिना फल फूल वाली हो।गूलर पर भी फूल आते हैं यह अलग बात है कि सामान्य रुप से हम देख नहीं पाते। आयुर्वेद ने इन समस्त वनस्पतियों का उपयोग जाना समझा और परखा है। बात यदि बूढ़े वृक्षों के संदर्भ में करें,जिनकी फलने फूलने की उम्र पूरी हो चुकी हो, तो उनकी पत्तियां, छाल,डंठल आदि में प्रयोग में आती है।बिना फल फूल वाला वृक्ष भी कार्बन-डाई-ऑक्साइड को ग्रहण कर अॉक्सीजन तो प्राणियों को देता ही है। यह सबसे महत्वपूर्ण देन है उन वृक्षों की जिन्हें फल फूल के अभाव में अनुपयोगी मानने
की गलती मानव कर बैठता है। कितने ही जीव-जंतुओं का आश्रय स्थल होता है वह। कितने ही पंछियों के घोंसलों को अपने तन पर जगह देता है वृक्ष।यदि वह ठूंठ हो गया हो,उसमें जीवन की चिह्न शेष नहीं बचे हो तो है उसकी लकड़ी विविध रुप से काम में आ जाती है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
वृक्ष हैं तो जीवन है यह कहना बिल्कुल सही है।परंतु वृक्ष फल फूल के साथ वृक्ष हैं तो ज्यादा उपयोगिता है।अर्थात वृक्ष की महत्ता को अगर देखें तो हमें उनसे शुद्ध वायु,लकड़ी,खर पतवार,शीतल छाया तथा ईधन भी प्राप्त होता है।एक वृक्ष और इतने फायदे।बल्कि कई वृक्षों की जड़ों से हमें जल भी प्राप्त होता है।यदि और उपयोगिता देखी जाए तो वृक्ष हमें सुरक्षा भी प्रदान करते हैं।वो मृदा को बांधकर रखते हैं जिसके कारण भूस्खलन नहीं होता।इसलिए सड़कों के किनारे भी वृक्ष लगाए जाते हैं।नदियों के किनारे वृक्ष लगाए जाते हैं।
अब बात आती है कि फल फूल के बिना वृक्षों की उपयोगिता क्या है? तो वृक्ष बहुत उपयोगी होते हैं फिर वो चाहे बिना फल फूल के ही क्यों ना हों।परन्तु फल फूल वाले वृक्ष होने से उनकी उपयोगिता में बढ़ोतरी अवश्य हो जाती है।हमें ऊपर दिए गए फायदों के साथ साथ फल फूल ,औषधीय उपयोगिता तथा सौंदर्य भी प्राप्त होने लगता है।फलदार वृक्ष होने से उनको लोग अपने संरक्षण में लगाना भी पसंद करने लगते हैं।
यही कह सकते हैं कि वृक्ष फल फूलदार हों तो प्रकृति के साथ साथ सेहत की भी वृद्धि हो जाती है।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
फल फूल के बिना वृक्ष की क्या उपयोगिता है जहांँ तक इस बात का प्रश्न है तो वृक्ष की उपस्थिति पर्यावरण के लिए किसी भी रूप में बहुत आवश्यक है वृक्ष न केवल फल और फूल देते हैं बल्कि इसके अतिरिक्त भी बहुत से महत्वपूर्ण कार्य करते हैं जैसे वृक्ष बहुत सारे पशु और पक्षियों को आश्रय देते हैं छाया प्रदान करते हैं पर्यावरण को शुद्ध करते हैं कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण मे अधिक बढने से रोकते हैं और प्रकाश संश्लेषण की क्रिया के द्वारा कार्बरडाई ऑक्साईड का उपयोग करके भोजन बनाने का काम करते हैं इसी से हम सभी को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से भोजन प्राप्त होता है प्रकाश संश्लेषण की इसी प्रक्रिया में ऑक्सीजन निकलती है जिससे वातावरण में CO2 का स्तर कम होता है और ऑक्सीजन का उपयोग हम सांस लेने के लिए कर पाते हैं इतना ही नहीं इसके अतिरिक्त वृक्ष वातावरण के ताप को भी कम करते हैं उपजाऊ भूमि को कटने से बचाते हैं और भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है इसके अतिरिक्त पेड़ पौधों के विभिन्न भाग जैसे पति आदि जब सूखकर भूमि पर गिरते रहते हैं तो नमी आदि पाकर यह मिट्टी में मिल जाते हैं और भूमि की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाने का काम करते हैं वर्षा लाने में सहासक है ध्वनि प्रदूषण को भी कम करते है वायु के तीव्र प्रवाह के रोकने में भी सहायता करते है इस प्रकार वृक्षों की उपयोगिता केवल उनके फल और फूल देने से ही नहीं है बल्कि सबसे अधिक उपयोगिता कार्बन डाई ऑक्साईड कोआक्सीजन में बदलने के कारण है जिससे हमें प्राणवायु मिल पाती है और हम सभी जीवित रहते हैं इसीलिए तो कहा जाता है की वृक्ष है तो जीवन है
एक वृक्ष सौ पुत्र समान
यें है प्रकृति का वरदान
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
ईश्वरीय रचना में वृक्ष प्रकृति के लिए अनुपम उपहार है। वृक्ष की जड़ से लेकर फल तक का हरेक रूप की एक महत्वपूर्ण भूमिका भी है और महत्वपूर्ण उपयोगिता भी। यहां तक कि वृक्ष की उपस्थिति ही आसपास के वातावरण के लिए अहम होती है। इसकी शीतल छाया में जो सुकून मिलता है, वह अद्वितीय है। वृक्ष की उपयोगिता औषधि के रूप में बहुत अहम है। उसकी जड़, छाल,पत्ती, ,फूल,फल सभी का आर्युवेदिक चिकित्सा में काफी उपयोग किया जाता है। मकान बनाने और सजाने में,फर्नीचर आदि में उसकी उपयोगिता के विषय में सर्वविदित है। वृक्ष पशु-पक्षियों के बसेरा के काम भी आता है।वृक्ष हरे-भरे रहने की अवस्था में जितना उपयोगी है, उतना ही उसके सूख जाने पर भी उसकी उपयोगिता किसी न किसी रूप में बनी ही रहती है। अतः संक्षेप में कह सकते हैं वृक्ष का पूरा जीवन,हर अंग और हर रूप उपयोगी है,महत्वपूर्ण है।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
मेरे दृष्टि में फल फूल के बिना वृक्ष की भी उपयोगिता है। यह सच है हम फल फूल देने वाले वृक्षों को और पत्तों को अधिक महत्व देते हैं। व्यापारिक दृष्टिकोण से यह लाभदायक है।
केवल पत्तों वाले वृक्ष या पौधे भी कम गुणकारी नहीं है जैसे;-कड़ी पत्ता, पोदीना, तुलसी और बहुत ऐसे पौधे है जिसमें औषधीय गुण से भरा रहता है। कुछ ऐसे पौधे और वृक्ष है जो छाया भरपूर देते है लेकिन फल फूल नहीं लेकिन आंखों को सुकून भी देते है। जिससे मन प्रसन्न हो जाता है।
फल फूल की तरह पत्तों वाले वृक्ष और पौधे का अपना एक संसार है।
हमारे हिंदू प्रथा में आंगन में तुलसी के पौधे रहना बहुत जरूरी है पूजा -अर्चना के लिए तथा औषधीय लाभ के लिए ।
हॉ शोभा के लिए भी। तुलसी के पौधे रखते है।
दूसरे धर्म वाले भी घर में रखते हैं चूँकि इसमें औषधीय गुण है।
वृक्ष के बिना जीवन संभव नहीं है। यह वातावरण को शुद्ध करता है। कार्बन डाइऑक्साइड को प्राणवायु ऑक्सीजन में बदलते हैं इनकी पंक्तियों से पानी का वाष्पीकरण होता है ।यह प्रक्रिया तापक्रम को कर्म को बढ़ने नहीं देता है। अन्यथा तापमान काफी बढ़ सकता है। यह पत्तिया हवा के वेग को रोकने काम करती है जिससे आंधी -तूफान नियंत्रित होता है। पेड़ों की पत्तियों आद्रता यानी वातावरण में नमी बनाए रखती है।
पर्यावरणविद भी कहते हैं:- पेड़ पौधे से प्रकृति है। पौधे जीवन का आधार है अगर समाप्त हो गए तो जीव जंतु यहां तक प्रकृति भी समाप्त हो जायेगी। इतना ही नहीं पेड़ों से हमें फल फूल भोजन औषधियां प्राप्त होती है ,रहेंगे तो ही जीवन रहेगा क्योंकि वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड के अलावा विषैली गैसों को भी अपने अंदर समाहित हम सबको सुरक्षित करते हैं।
लेखक का विचार:- जीवन जीने के लिए दोनों प्रकार के वृक्ष पौधे की आवश्यकता है इसके बिना जीवन व्यर्थ है। पूरे संसार मे पर्यावरण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है अगर पर्यावरण शुद्ध रहेगा तो बीमारी मुक्त मनुष्य रहेंगे।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
विषय का संबंध प्राकृतिक संपदा से है। पेड़ पौधे वृक्ष का मुख्य उद्देश्य वातावरण को संतुलित करना है प्रकृति के इस नियम का हम सभी जन्म से लेकर मृत्यु तक उपभोग करते हैं
वृक्षों में भी कई वर्ग हैं वृक्ष का वह वर्ग जो फल फूल और पत्तों के साथ प्रकृति की सेवा करता है
पेड़ पौधों का एक दूसरा वर्ग है जो औषधीय गुणों से जाना जाता है जिनके पत्ते टहनियां का प्रयोग दवा के रूप में किया जाता है इसे संजीवनी बूटी भी कहा गया है सिर्फ कहा ही नहीं गया है अगर सही मायने में मेरा यह अनुभव है कि यह एक संजीवनी बूटी है जिसे हम घास फूस समझ बैठे हैं वह किसी की जिंदगी को दान देता है उन पौधों में कुछ पौधों का नाम मैं यहां बता रही हूं जैसे तुलसी करी पत्ता नीम का पत्ता दूधिया छोटा छोटी आंवला अमरूद का पत्ता हरसिंगार का पत्ता सदाबहार गिलोय एलोवेरा पत्थर चट इसी तरह अनेक औषधीय पौधे हैं जिन का बहुत महत्व है
दूसरे कुछ ऐसे पेड़ पौधे हैं जो मसालों के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं जैसे तेजपत्ता नगर का फूल दालचीनी झरेला इत्यादि यह होते हैं बिल्कुल नाजुक पौधे एक्यूलिपटस गुलाब बहुत सारे ऐसे पौधे हैं जिनका उपयोग मसालों के रूप में हम लोग करते हैं
तीसरे प्रकार के पेड़ की ओर देखा जाए तो शीशम आम सागवान इत्यादि ऐसे वृक्ष जिनकी लकड़ियों से तरह-तरह के फर्नीचर दरवाजे खिड़कियां बनाई जाती हैं इसके अतिरिक्त नारियल के पेड़ ताड़ का पेड़ से खंभों का निर्माण होता है
वन विभाग से अगर पेड़ पौधों की जानकारी ली जाए तो पूरा विभाग उसकी सुरक्षा के लिए कार्य करता है पान और पान में लगने वाला कथ भी पेड़ पौधों के माध्यम से ही मिलता है यह फल और फूल नहीं है बल्कि कथ वृक्ष से निकलने वाले एक तरल पदार्थ है जिन्हें इकट्ठा किया जाता है
चौथे प्रकार के वृक्षों की चर्चा कर रही हूं अपने जीवन में देखी हूं कि सुबह-सुबह कोई आदमी ताड़ के पेड़ पर चल रहा है और ऊपर में जाकर एक हांडी को लटका देता है पहले तो बिल्कुल समझ नहीं आता था पर अब सारी बातें समझ में आती हैं ताड़ के पेड़ से निकलने वाले तरल पदार्थों को इकट्ठा कर दारू या ताड़ी भी बनाया जाता है
पेड़ पौधों का हर हिस्सा किसी न किसी रूप में व्यक्तिगत जीवन में उपयोगी है पेड़ नहीं है तो हम नहीं हैं चुकी पेड़ों से ही ऑक्सीजन मिलते हैं और मनुष्य द्वारा छोड़े गए कार्बन डाइऑक्साइड पेड़ ग्रहण कर लेते हैं अब सोच लीजिए हमारी गंदगी को वह अपनाकर उसे स्वक्ष बनाकर पुनः मुझे लौट आते हैं और हम मानव जाति इतने कठोर हो गए हैं कि उनके अस्तित्व को ही मिट आते रहते हैं
जिस प्रकार मानव ईश्वर का उत्कृष्ट और अनुपम रचना है उसी प्रकार वृक्ष पेड़ पौधे ईश्वरीय उपहार हैं पेड़ पौधों और वृक्ष का आदर मान सम्मान करना हमारा कर्तव्य है यही कारण है के समय-समय पर हर ऋतु में किसी न किसी तरह हम उनकी पूजा करते हैं आराधना करते हैं फसलों के रूप में फूलों के रूप में पत्तों के रूप में लकड़ियों के रूप में और छाया के रूप में यह हमारे भारतीय संस्कृति का पहला कर्तव्य है पेड़ पौधों का मान सम्मान आदर करना उसके पास भी भावनाएं हैं वह भी एक लिविंग थिंग है इसलिए सिर्फ पेड़ पौधे के फल और फूल ही उपयोगी नहीं है बल्कि वृक्ष के हर हिस्सा मानव के लिए उपयोगी और महत्वपूर्ण है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
वृक्ष प्रकृति की एक अनमोल देन है। जिसकी वजह से भारत में वृक्षों को प्राचीन काल से ही पूजा जाता रहा है। आज भी पीपल व आमला इत्यादि वृक्ष को पूजने की प्रथा कायम है।
वृक्ष फल-फूल के बिना भी हमारे परम हितैसी, निःस्वार्थ सहायक एवं अभिन्न मित्र हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में वृक्षों का अत्यधिक महत्व है। वृक्ष मन को शांति प्रदान करते हैं और वातावरण से कार्बन डाइ ऑक्साइड लेते हैं और ऑक्सीजन छोड़ते हैं। जिससे जीवन संभव है।
वृक्षों से हमें लकड़ी, घास, गोंद, रेजिन, रबर, फाइबर, सिल्क, टैनिन, बांस, कत्था, सुपारी, तेल, रंग तथा असंख्य औषधियाँ प्राप्त होती हैं। इसके अलावा वृक्ष प्रदूषण को दूर करते हैं। उनकी जड़ें मिट्टी को मजबूती से पकड़ कर रखती हैं। जिससे भूमि कटाव रुकता है। वह वर्षाजल को धरा पर रोकते हैं और वातावरण को नम रखते हैं।
आज वृक्षों का उपयोग कृषि जगत में ऊर्जा एवं ईंधन के श्रोत में भवन, पुल, रेल तथा साज सजावट इत्यादि के निर्माण में किया जाता है। जिसके परिणाम स्वरूप अनेकों वनस्पतियां, औषधीय पौधे समाप्त होने लगे। जिससे वृक्ष की उपयोगिता बढ़ जाती है। स्पष्ट शब्दों में कहें तो अनेकों पशु-पक्षियों की जातियाँ, प्रजातियाँ का ठौर ठिकाना यही वृक्ष हैं।
अतः फल-फूल के बिना भी वृक्ष की उपयोगिता को शब्दों में वर्णन करना गागर में सागर भरने के समान है।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
वृक्ष मानव के परम मित्र हैं! ईश्वर प्रदत्त इस अनुपम उपहार का सारा जीवन प्राणी मात्र के लिए समर्पित होता है! हमारे पूर्वजों ने वृक्ष का महत्व समझा था!
हमारे जीवन में वृक्षों का बड़ा महत्व था! युगों से वृक्षों ने ही मनुष्य के भोजन, वस्त्र, औषधि संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति की! वृक्षों की लकड़ी से औजार बनाए, घर बनाने में लकड़ी का व्यापक उपयोग किया! कलाकृति के निर्माण में भी हम वृक्षों के ऋणी हैं! वास्तव में पुराणों में ऋशि मुनियों के कहे अनुसार वृक्षों में देवता का वास होता है अतः आज इस कलयुग में भी हम वृक्ष की पूजा करते हैं!वृक्ष हमें प्राणवायु प्रदान करते हैं! वायुमंडल में आक्सीजन छोड़ वायुमंडल से कार्बनडाइआक्साइड लेता है और वृक्षों की यही प्रक्रिया हमारे स्वास्थ्य के लिए हितकर है! फिर चाहे वह फलदार हो अथवा फूलों से भरा हो अथवा ना हो ! वृक्ष जड़ो से पानी सुखकर जमीन में नमी बनाए रखते है और उर्वरक रहती है!
वृक्षों भी आकार, प्रकार गुणों की विशेषताओं में भिन्नता लिए रहते हैं! जरूरी नहीं जो फल फूल से लदे ना हो वे महत्वहीन हैं! पीपल बरगद, बांस, तुलसी, ऐलोविरा, कैक्टस अनेक वृक्ष है जिनका हमारे जीवन में अनेक महत्व है!
जिस प्रकार हमारे शरीर के सभी अंगों का अपना महत्व है ठीक उसी प्रकार पेड़ के पत्ते, फूल, फल, तना और जड़े सभी का अपना महत्व और प्रवृत्ति है !मनुष्य की तरह ही वृक्षों के सभी अंगों का अपना महत्व है! इसे ही हम कुदरत की लीला कहते हैं!
- चंद्रिका व्यास
मुंबई - महाराष्ट्र
प्रकृति पूर्णतः प्राणी जगत हेतु निस्वार्थ भाव से समर्पित है। वृक्ष के अभाव में जीवन की कल्पना भी नामुमकिन है। प्राणवायु का संचार मूलतः पेड़ पौधे की ही धरोहर है। फल लदे वृक्ष , वृन्त खिले पुष्प पेड़ का महज सौंदर्य नहीं अपितु बहुउपयोगी तथा मानवहित में लाभकारी है। औषधीय गुणों की खान फूल एवं फल जो पौष्टिक आहार तत्वों में प्रचुर है। बावजूद इसके फल फूल से रिक्त वृक्ष का भी अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। जड़ , तना ,पत्तियां , छाले व सूखी लकड़ियां तक बेहद उपयोगी है।
इस तरह हम फल फूल रहित वृक्षों की महनीय भूमिका को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
- संगीता सहाय "अनुभूति"
रांची - झारखंड
बृक्ष की उपयोगिता हर हाल में है। शास्त्रों में भी बृक्षों के महत्त्व को बताया गया है।भारत में सदा से पेड़ पौधे पूजनीय रहे हैं। बड़े बुजुर्गो से भी सुना है कि बृक्षारोपन कार्य महान
एक बृक्ष दस पूत्र समान।देखा जाय तो बृक्ष से बड़ा दाता धरती पर कोई नहीं है।बृक्ष का जीवन परोपकार में ही गुजरता है।फल,फूल को छोड़ भी दिया जाय तो वातावरण के शुद्धिकरण में, गर्मियों में छांव, पक्षियों के नीड़,कागज,गोंद हो या जलावन की लकड़ी,चिता जलाना हो या चूल्हा।घने बृक्ष मेघों को लाते हैं। हर-एक प्रकार के फर्निचर, चौखट, दरवाजे।कुंआ में जल शुद्धिकरण के लिए जामुन का जमट (लकड़ी) दिया जाता है।
पीपल,बरगद के बृक्ष तुलसी,केले के पौधे आंवले का पेड़,शमी बृक्ष सभी पूजनीय हैं।पीपल और बरगद बृक्ष की सबसे बड़ी खासियत है कि वो जल को जमीन में संरक्षित करते हैं।आम का पेड़ विवाह तथा अन्य संस्कारों में पूजे जाते हैं।पूजा हवन में आम के लकड़ी की आहुति दी जाती है। पहले लकड़ी से ही पुलिया बनती थी नदी पार करने को नाव,बैल गाड़ी।आज भीकई बृक्ष और उसके छाल से औषधि तैयार किए जाते हैं। बृक्षों की विशेषता,
एक सामान्य पेड़ साल भर में करीब बीस किलो धूल सोखता है।
हर साल सात सौ अॉक्सीजन का उत्सर्जन करता है।
प्रतिवर्ष बीस टन कार्बन डाइऑक्साइड को सोखता है।
गर्मियों में एक बृक्ष के नीचे औसतन चार डिग्री तक तापमान कम रहता है।
लिथियम,लेड आदी जहरीले धातुओं के मिश्रण को सोखने की क्षमता है।
हर साल करीब एक लाख वर्ग मीटर, दूषित हवा को फिल्टर करता है।
घर के करीब एक बृक्ष अकॉस्टिक वॉल की तरह काम करता है।यानि शोर ध्वनी को सोख लेता है।
- रेणु झा
रांची - झारखंड
वृक्ष के बिना पृथ्वी और जन जीवन की कल्पना करना व्यर्थ है ।ईश्वर ने पहले जीवन चलने की व्यवस्था की फिर इन्सान को भेजा ।वृक्ष के बिना पृथ्वी ही नहीं बचती ,जल से कटाव होते- होते एक दिन जल के गर्भ में ही समा जाती ।प्रकृति चक्र चलाने में पौधों का अनदेखा सहयोग है जिसे हम महसूस करते हैं ।आक्सीजन हमें हरे भरे वृक्ष ही देते हैं जिससे हमारी साँसे चलती हैं ।अनेक औषधियाँ वृक्षों मे मौजूद हैं याद आता है बचपन में हम चोट लगने पर नीम के पेड़ की छाल कूट -पीस कर लगा लिया करते थे ।किसी इंजेक्शन की जरुरत नहीं थी ।दूर पैदल यात्रा करने वाले की विश्राराम ठौर वृक्षों की छाँव ही हुआ करती थी ।आज भी किसान, वृक्षों की छाया में खाट लगा थोड़ी देर आँख मूंद लेता है ।आज भी कितनी बनस्पतियाँ दवा के रुप में काम कर रही हैं ।हमारी साँसों से निकली कार्बन डाईआॅक्साइड जो वातावरण में घुल जाती है वह वृक्षों द्वारा शुद्ध होती है ।अनेक पेड़़ों की छाँव मिलकर वातावरण की ऊष्मा को कम करते हैं ,बिना वृक्ष स्थल से ,वृक्ष वाले स्थान ठंडे रहते हैं ।फल -फूल के बिना भी वृक्ष हमारे लिए उपयोगी हैं ।संसार का अस्तित्व बिना वृक्ष के नहीं सोचा जा सकता ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
जल की तरह वृक्ष भी हमारे जीवन के अविभाज्य अंग हैं। वृक्ष हमारे जीवन जीने के आधार हैं। ये हमें सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। फूल-फल के बिना भी पेड़ प्राणी जगत के लिए बहुमूल्य हैं।
पेड़-पौधे से ऑक्सीजन तो मिलती हीं है साथ-साथ हमारी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में भी ये अहम भूमिका निभाते हैं। दूषित हवा को स्वच्छ बनाकर वातावरण को प्रदूषण रहित बनाते हैं। वृक्षों से ही वर्षा उचित मात्रा में होती है। तरह-तरह के फर्नीचर के लिए लकड़ियां मिलती है। पत्तों की हरियाली से थके पथिक और जीव-जंतुओं को छांव मिलती है। पक्षियों को घोंसला बनाने का जगह मिलता है। तरह-तरह के वृक्षों से जड़ी-बूटी आयुर्वेदिक दवाइयां,औषधियां बनाई जाती हैं।
अतः ज्यादा से ज्यादा मात्रा में वृक्ष लगाने का प्रयास करें। फूल-फल के बिना भी वृक्ष की हमारे जीवन में बहुत ही ज्यादा उपयोगिता है। वृक्षों से बरक्कत भी मिलती है। जीवन खुशहाल और सुख- समृद्धि से भरा रहता है।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
हर बागान में था शजर, जो वही काम दे गया l
और वो एक नीम का लिबास दे, पारिजात हो गई ll
सुर नर मुनि जन सबकी यही रीति,
स्वार्थ लागि करें सब प्रीति l
आज मानव के दुखों का मूल कारण है कि वह अपने किये का प्रतिदान चाहता है l लेकिन यह मन भी बडा बावरा है जो मिला है उससे ज्यादा पाने की चाहना रखता है और यही चाहना पेड पौधों से भी रखता है कि पेड पौधों पर फल फूल लगे जिससे आनंददायी वातावरण रहकर पोषण हेतु फल भी प्राप्त करे और यह चाहत स्वाभाविक भी है l फूल और फलों की महत्वांक्षा हम रखें, इसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन फूल एवं फलों के लिए ही पेड लगाए ऐसा नहीं हो क्योंकि पेड पौधों के बिना जीवन संभव नहीं है l ये तो वे मूक प्राणी हैं जो कार्बनडाइऑक्साइड को प्राण वायु ऑक्सीजन में बदलते हैं l इनकी पत्तियों से हुआ वाष्पीकरण वातावरण में तापक्रम को बढ़ने नहीं देता l शीतल छाया भयंकर गर्मी में पथिक को राहत देती है l इनकी पत्तियाँ हवा के वेग को रोककर आंधी तूफान नियमित करती हैं l यूँ कहें कि हरे पेड पौधों से ही प्रकृति है और पौधे जीवन का आधार हैं l यह कटु सत्य है कि फल फूल वाले पेड पौधों की तुलना में पत्ते वाले वृक्षों को कम महत्त्व देते हैं लेकिन उनके पत्ते और रंग हमें बेहद आकर्षित करते हैं l इनमें कई औषधीय महत्त्व वाले भी हैं l पतवर वहा, तुलसी, पोदीना, मीठा नीम, गिलोय, अश्वगंधा, सतावरी आदि l
फूलों की तरह पत्तों का अपना संसार है जो प्रकृति को सतरंगी बना देते हैं l वानस्पतिक दृष्टिकोण से पत्तियाँ उनका रंग, आकार आदि पहचान का सशक्त माध्यम हैं क्योंकि फल फूल तो किसी विशेष मौसम में ही लगते हैं लेकिन पत्तियाँ तो हमेशा उपस्थित होती हैं, तने पर पत्तियों के लगने का क्रम भी पहचान का महत्वपूर्ण लक्षण है l एकांतर क्रम पीपल और चम्पा चक्राकार में, कनेर सप्त पर्णी l
बिन पत्ती सब सून -पत्ती एक पहेली, सरल पत्ती, संयुक्त पत्ती l
सरल में एक पूर्ण फलक होता है जैसे पीपल, आम, जामुन जबकि संयुक्त पत्ती में फलक दो या अधिक हिस्सों में पूर्णतः बट जाता है l कहने का आशय यह है कि फूल और फलों के बिना भी पेड पौधे हमारा जीवन हैं l
ग्लोबल वार्मिंग से निज़ात पाने के लिए पेड पौधे आवश्यक हैं l
पेड़ों की छाया "माँ "की ममता के समान होती है l प्राकृतिक एयरकंडीशनर कुछ पल के लिए सुकून दे सकते हैं,पेड और उनकी बेलें सदाबहार शांति प्रदान करते हैं l लेकिन आज का परिवेश ये है कि --
आँधियाँ सब कुछ उड़ा कर ले गई
पेड पर पत्ता न फल दामन में है l
चलते चलते ----
1. कैसा होता दर्द, टूटने का डाली से पूछो l
पतझड़ आने की पीड़ा हरियाली से पूछो ll
2. पनपा मैं जिस डाल पर, छोड़ चला अब उसका साथ l
वक़्त की रूहानियत कहूँ या फिर कोई और बात?
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
वृक्ष हमारे जीवन की प्राण वायु है वृक्षों से हमें जीने के लिए ऑक्सीजन के रूप में प्राणवायु मिलती है कार्बन डाई आक्साइड ग्रहण कर ऑक्सीजन प्रदान करते हैं ।
कुछ पौधे रात और दिन हर समय ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। प्रदूषित वातावरण को शुद्ध करते हैं।
वृक्षों से हमारा पर्यावरण शुद्ध रहता है। पेड़ पौधे वर्षा में सहायक हैं जिससे हमें पीने के लिए पानी ,खेतों में फसल उगाने के लिए पानी तथा चारों तरफ हरियाली ही हरियाली प्राप्त होती है।
फल फूलों के बिना भी वृक्ष हमारे लिए ज्यादा उपयोगी हैं कितना की फल फूल वाला वृक्ष यदि कोई वृक्ष कुछ वर्ष बाद फल फूल भी देना बंद कर दे तब भी वह हमारे लिए बहुत उपयोगी है ।
वृक्षों से हमें ऑक्सीजन के अलावा ठंडी ठंडी छाया, आश्रय स्थल ,औषधि, पशुओं के लिए चारा, वृक्षों की टहनियों से इंधन तथा पक्षियों के लिए घोंसला आदि बनाने में सहायक हैं।
वृक्षों से हमें कागज ,कपड़ा फर्नीचर के लिए लकड़ी इमारत बनाने के लिए लकड़ी प्राप्त होती रहती हैं।
पेड़ पौधे ,वृक्ष आदि मिट्टी के अपरदन यानि कटाव को रोककर बाढ़ को रोकने में सहायक सिद्ध होते हैं।
सावन के महीने में हरियाली तीज पर पेड़ों पर झूला डाल कर जो सुकून और आंनद मिलता है वह कहीं नहीं मिलता ।
महिलाएं नीम के पेड़ से गाना भी गाकर सावन को .......
कच्चे नीम की निमोली,
सावन जल्दी आइयो रे ।
वृक्ष हैं -तो हम हैं।
एक वृक्ष - सौ पुत्र समान।
वृक्ष हमारे जीवन का आधार है।
- रंजना हरित
बिजनौर -उत्तर प्रदेश
एक पेड़ की कितनी कीमत है जिसे लिखने के लिए पन्ने कम पड़ जाएंगे ,सियाही भी कम पड़ जाएगी।
हमारे भारत मे तो तमाम वृक्षो को देवता के रूप मे पूजा जाता रहा है उसके तमाम वैज्ञानिक एवं व्यवहारिक कारण हैं ।
गीता मे भगवान श्री कृष्ण ने यहाँ तक कहा है कि,, वृक्षो में मैं पीपल हूँ ,,।
फल फूल के बिना भी वृक्षों के बहुत फायदे हैं।
एक गीत है ,दरख्तों के साए ,,,
वृक्ष क्या-क्या नहीं देते जिसे वर्णन करना बहुत मुश्किल होगा। दवाइयां ,भोजन ,कपड़े से सुरक्षा तक पेड़ ही तो देते हैं।
यह हवाएं, यह प्राणवायु के रूप में ऑक्सीजन ,यह जल वर्षा, यह वर्षा के पानी से भूस्खलन को रोकना, मिट्टी को बचाकर धरती की सुरक्षा करना यह पेड़ों का ही काम है।
हर प्रकार से धरती से लेकर धरती वासियों की हिफाजत करते हैं यह पेड़ ।
पंछियों के बसेरे से लेकर इंसानों की झोपड़ी से महल तक की लकड़ी व फर्नीचर इन पेड़ों से ही प्राप्त होते हैं ।
घरों की शोभा बढ़ाने वाले फर्नीचर वृक्षों की देन है ।
थके हारे पथिक वृक्षों के साए में चैन की सांस लेते हैं।
पूरा-पूरा भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद सिद्धांत जो पूरे विश्व में अपना परचम लहरा रहा है वह वृक्षों पर ही आधारित है।
पता नहीं कितनी औषधियां वृक्षों के पत्ते छाल आदि से बनते हैं। यहां तक कि घर में रोज इस्तेमाल होने वाली माचिस से लेकर जीवन के बाद भी वृक्षों की लकड़ियां ही देह दाह के काम आ कर मोक्ष के द्वार ले जाते ये पेड़ ।
हर पेड़ का तना अलग-अलग किस्म का होता है, किसी का हरा किसी का चिकना तो किसी का छाल से भरा हुआ सभी के अपने-अपने फायदे हैं क्योंकि हरे तने भी पत्तियों की तरह सूर्य के प्रकाश में भोजन बनाते हैं ।और मजबूत तने इंसान की जरूरत के लगभग सभी सामान बनाने के काम आते हैं ।चीड़, देवदार, शीशम जो कि बिना फल फूल
उनकी लकड़ी से फर्नीचर, दरवाजे आदि बनते हैं।
वृक्षों की जड़े भूस्खलन से धरती की सुरक्षा करती हैं , बाढ़ में मिट्टी को बह जाने से रोक लेते है ये पेड़।
इकोसिस्टम की तो बुनियाद ही पेड़ होते हैं ।इकोसिस्टम में पेड़ सबसे महत्वपूर्ण रोल में होते हैं। शहर और सड़कों की को भी ठंडा रखते हैं ये पेड़ ।
रिसर्च में देखा गया है कि जिन शहरों में वृक्ष कम होते हैं उनका तापमान अधिक होता है और जहां वृक्ष अधिक होते हैं उनका तापमान सामान्य होता है।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
:- एक वृक्ष भले ही फल- फूल नहीं दे लेकिन वृक्ष का होना ही हमारे लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है क्योंकि हमारे देश में प्रदूषण बहुत है उसे रोकने के लिए वृक्षों का होना अति आवश्यक है यदि वृक्ष नहीं होंगे तो कड़कती धूप में जल मरेंगे हम। वृक्ष ही हैं जो हमें छाया देते हैं तपते रेगिस्तान जैसे मौसम में ठंडक पैदा करते हैं। वृक्ष ही हैं जिन लोगों का कोई सहारा नहीं होता उन्हें 2-4 घड़ी सुस्ताने के लिए आसरा देते हैं। वृक्ष ही हैं जो हमें ऑक्सीजन देते हैं।
इसीलिए हमारी जो परंपराएं हैं.. वह कहती हैं कि पेड़ लगाओ, पीपल को पूजो। बरगद दादा का पूजन करें, नीम उगाएं। त्रिवेणी पीपल, बड़, नीम का महत्त्व भी इसी कारण से है।
हमारे बुजुर्ग बहुत समझदार थे उन्होंने पेड़ों को पूजने की परंपरा इसीलिए शुरू की थी ताकि पीढ़ी दर पीढ़ी हम पेड़ लगाएंगे तो वातावरण शुद्ध रहेगा। आक्सीजन की कमी नहीं रहेगी। आज जब जंगल कटने शुरू हो गए, हर जगह सड़कें बनी आरंभ हो गई, पर्यावरण प्रदूषित हो गया तब हमें चिंता हुई है कि हमें पेड़ लगाने चाहिए.. पेड़ों के बिना हमारा जीवन कुछ भी नहीं है। भले ही वृक्ष फल फूल नहीं दें लेकिन वह हमें छाया के साथ साथ बल्कल, गोंद, ठंडी हवा, हरियाली तो देते हैं और सबसे बड़ी बात उन्हें देख कर ही एक सुकून मिलता है। किसी अकेले व्यक्ति को ऐसा लगता है कोई संग में है..। पेड़ होंगे तो पंछी भी आते हैं.. चिड़िया चहचहाती हैं.. पेड़ों पर घोंसले बनाती हैं। घर के बड़े बुजुर्ग उनके नीचे बैठ बतियाते हैं, ताश खेलते हैं, पूरे गली-मौहल्ले में क्या हो रहा है पूरी निगरानी रखते हैं। शुद्ध हवा मिलती और अब ए सी के कारण
बीमारियों से जकड़े रहते हैं। सही शब्दों में पेड़ों के संग में रहना कितना सुखदाई होता है जो कोई रहता है वही जानता है।
किसी पेड़ को जब कोई अकेला व्यक्ति आलिंगन करता है तो ऐसा लगता है किसी प्रेमी की भांति वह भी अपना भरपूर स्नेह लुटा रहा है। किसी सूनी सड़क पर जब दोनों और हम पेड़ों की कतारें देखते हैं और बीच में कहीं सूर्य उदय होता हुआ.. तब हम यह नहीं सोचते कि इन पेड़ों पर फल- फूल लगते हैं या नहीं। उनका होने का अस्तित्व ही बहुत बड़ी बात है ..खास करके रचनाकार साथियों के लिए.. पेड़ों की छाया तले जब लेखनी चलती है तब बात ही कुछ और होती है।
- संतोष गर्ग
मोहाली -चंडीगढ़
वृक्ष जीवन का है आधार
वृक्ष धरती का है श्रृंगार
धरती पर रहने वाले अनगिनत जीव जंतुओ का वृक्षों के कारण ही अस्तित्व है। हर वृक्ष फलदार नहीं होता और न ही फूल देता है।
वृक्षों से हमें अनेको फायदे हैं। सबसे बड़ी सौगात तो हमारे लिए वायु यानी आक्सीजन की है जो सिर्फ और सिर्फ पेड़ ही हमें दे सकते हैं। पेड़ हमें क्या, पंछियों को भी आश्रय देते हैं। पेड़ हमें दवाइयां जो कि उनकी जड़ो से, छाल से या पत्तियों से भी बनती है। पेड़ो की लकड़ी का उपयोग तो सभी जानते हैं। क्या फर्नीचर क्या औज़ार कितना कुछ है जो लकड़ी से ही बनता है।
वृक्ष हमें पत्तियो के रूप में भोजन देते हैं।रबड़ भी हमें पेड़ो से ही मिलते हैं। ईंधन का मुख्य स्रोत्र भी लकड़ी ही रहा है। वर्षा को लाने में भी वृक्षों की मुख्य भूमिका होती है। उसके साथ ही बाढ़ को रोकने का काम भी पेड़ों का ही हैं। मिट्टी के उपजाऊपन को रोकने में वृक्षों का ही हाथ है।
ठंडी शीतल छाया भी तो वृक्ष ही हमें देता है। धरती के तापमान को भी नियंत्रित करते हैं वृक्ष।
इस तरह वृक्ष अगर, फल-फूल नहीं भी देता तो भी वे हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं।
- सीमा मोंगा
दिल्ली
" मेरी दृष्टि में " वृक्ष प्राकृतिक का बहुत बड़ा हिस्सा हैं । वृक्ष के बिना प्राकृतिक की कल्पना अधूरी है । फिर भी वृक्ष के बिना सभी तरह के प्राणियों के जीवन असम्भव सा है । आज कल दुनियां में विभिन्न तरह के अभियान चला कर वृक्षों का बढाने के लिए कार्य किये जा रहे हैं ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र
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