क्या समाधान पर ही जीवन चलता है ?
जीवन में सफल होना है तो सभी समस्याओं का समाधान खोजना चाहिए । जीवन इसी से चलता है । बाकी जीवन में संघर्ष तो चलता रहता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। अब आये विचारों को देखते हैं : -
" जीवन चलने का नाम ,चलते रहे सुबह शाम "
जी हां! समाधान पर ही जीवन चलता है। पहले घर परिवारों में बच्चे बड़ों की राय लेते थे उनसे अपनी मुश्किलों का समाधान पूछते थे परंतु आजकल बच्चे बड़ों से ज्यादा समझदार हो गए हैं ..बड़े बच्चों से राय लेते हैं दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं क्योंकि हमारा जो जीवन है उसमें सभी चाहते हैं हमारा जीवन सदैव खुशियों से भरा रहे लेकिन परिवर्तन संसार का नियम है आज सुख है तो कल दु:ख है और दु:ख भी सदा नहीं रहता। दु:ख के बाद सुख भी आता है। इसीलिए जब संकट की घड़ी आती हैं अथवा हमारे जीवन में कोई भी मुश्किल आती है तब हम घबरा जाते हैं व्याकुल हो जाते हैं और यह नहीं समझ पाते कि करना क्या है। कई बार बहुत क्रोध में आ जाते हैं और क्रोध जो है हम सब जानते हैं मनुष्य का दुश्मन है और उस क्रोध में हम न जाने क्या- क्या गलत कर बैठते हैं। भारी तनाव में आ जाते हैं तनाव ग्रस्त जीवन अपने लिए तो मुश्किल पैदा करता ही है औरों के लिए भी मुसीबतों की एक चेन बना देता है।
जीवन है तो समस्याएँ भी आयेंगी और उन समस्याओं का समाधान भी ईश्वर साथ ही देता है किन्तु हम उन्हें पहचान नहीं पाते l
"सबै दिन जात न एक समान "व्यक्ति के जीवन में कष्टदायक दिन आते हैं तो इसके बाद अच्छे दिनों का भी आगमन होता है l
समय का चक्र भी अनवरत गति से ऊपर नीचे, नीचे ऊपर घूमता
ही रहा करता है l बुरा समय कब चील की तरह झपट्टा मारकर सुखों को निगल जाये, हमें ऐसी स्थिति में सावधान रहना है, धैर्य नहीं खोना है, समाधान ढूंढना है l
हाँ, यह अवश्य है कि दृढ़ संकल्प वाले व्यक्ति अपने महत्वपूर्ण कार्यो द्वारा समय के माथे पर भी मेख गाड़ जाया करते हैं अर्थात अपना एक विशिष्ट इतिहास बना जाया करते हैं l
पुरुष वह है जो मजबूत हो, दृढ़ हो, उसमें समस्याओं या यूं कहे कि मुसीबतों से लड़ने की ताकत हो l जो हर निराशा को आशा में बदल दे, उसमें चिंगारी है जिससे भीषण आग प्रकट कर सकता है l गाँधी जी का उदाहरण -अकेले अंग्रेज सरकार के विरुद्ध खड़े हुए -सुभाष आज़ाद हिन्द फौज लेकर अंग्रेजों से भिड़ गये -अकेला प्रताप अकबर से लड़ गया -अकेला जुगनू अँधेरी रात से लडता है -दिया रात को दिन में बदलने की हिम्मत करता है l बड़े से बडा अँधेरा भी दीपक को निगल नहीं सकता l हम तो मनुष्य हैं संघर्ष करें l
जब मन में शक्ति, तेज और उत्साह ठाठें मारता है तो आशा का जन्म होता है इसी के बल पर मनुष्य हजारों विपत्तियों में भी हँसता मुस्कराता रहता है, सूखे रेगिस्तान में तालाब सा खिला रहता है, काँटों में भी गुलाब सा महकता रहता है l प्रसिद्ध विचारक स्वेट मार्टेन कहते हैं -मन ही अपने लिए जीवन का रास्ता बनाता है और मृत्यु का रास्ता भी मन ही में तैयार होता है l
चलते चलते ----
1. जब नाव जल में छोड़ दी,
तूफान ही में मोड़ दी
दे दी चुनौती सिंधु को
फिर धार क्या मझधार क्या?
2. हमको मन की शक्ति देना,
मन विजय करें.... l
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
समाधान पर ही जीवन यापन करना कोई अक्लमंदी की बात नही है । यह वाक्य इंसान की कायरता को प्रदर्शित करता हुआ बताता है कि जो व्यक्ति ऐसी सोच रखता है , वह हालातो से लड़ना नही चाहता , वह केवल वक्त के साथ समझौता ही करना चाहता है । जबकि निखरता वही इंसान है , जो वक्त ओर हालात को मुंहतोड़ जवाब देकर उसे अपने अनुकूल बना ले । अथवा हालातो के सामने मजबूती से खड़ा रहे । वक्त और हालात के आगे घुटने टेक देना तो आत्महत्या के समान ही है । ऐसे इंसान ही केवल इस अग्रेसित होते है ।
हालातो से समझौता कर , बची जिनकी जानो में जान
कि हालातों से जो ना लड़े , कायर क्यो ना कहे श्रीमान
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
जीवन अनवरत चलने वाली एक प्रक्रिया है रुक गई तो अंत ।जीवन में सुख दुख आते और जाते हैं ।यह जरूरी नहीं कि जीवन में सुख ही सुख हो समाधान ही समाधान हो ।
समस्या जीवन में आती रहती है किसी समस्या का समाधान नहीं भी हो पाता ,तब भी जीवन चलता ही है। और चलना भी चाहिए वो जिंदगी ही क्या जिसमें समस्या ना हो।समस्या का समाधान हो तो खुश हो जाए और समस्या का समाधान नहीं हो तो दुखी हो जाए ।सुख दुख ही तो हमारी जीवन की गाड़ी को चलाते हैं। अगर कोई समस्या है तो उसका समाधान भी संभव है भले ही देर से हो।
समस्या के समाधान के अभाव में जीवन को कभी भी त्यागना नहीं चाहिए।
- रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
इस गीत की पंक्ति में जीवन को गति का पर्याय माना गया है। सच है जीवन तो सागर की लहरों के समान उतार-चढ़ाव ,ऋतु -चक्र के अनुसार हर मौसम के रंग को महसूस करना, पहाड़ों सी दृढ़ इच्छा शक्ति वाले हौसलामंद इंसान को भी तिनके सा ड़ूबता देखने को मजबूर हम सब। जीवन तो जन्म -मरण का खेल है। इस बीच संघर्ष और समाधान में सामंजस्य बिठाना ही मंजिल पर पहुँचना और जीवन की सार्थकता है । मनुष्य जीवन में यदि सुख-दुठ, उतार -चढ़ाव, हार -जीत, आशा -निराशा उन्नति-अवन्नति, के श्वेत-श्याम शेड़ ना हो तो जीने का मजा ही नहीं आता।
जीवन को चलाने के लिए समाधान ही जरूरी है ऐसा मैं नहीं मानती। कई बार अनेक परिस्थितियों का, कामों की जटिलता का समाधान नहीं होता है। हाँ उस परिस्थिति में अधूरे हल को मन को समझाने के लिए समाधान मान लेते हैं क्योंकि उसी मोड़ पर रूक तो सकते नहीं।आआगे बढ़ना, लड़ना, जीतना, हारना, फिर रूक कर साहस बटोर कर नये मुकाबले पर दो हाथ करने हैं ।
यह सच है कि समाधान की परिभाषा, सीमाएं और रंगरूप भी व्यक्तिगत.ही होता है । कार्य का समाधान अपने अपने दृष्टिकोण पर ही निर्भर है। समाधान तो कभी पूर्णतः मिलता है कभी अंश दर अंश पर जीवन चलता रहता है।
-ड़ा.नीना छिब्बर
.जोधपुर - राजस्थान
मेरे चिंतन से निष्कर्ष यह निकला की उत्कृष्ट जीवन का लक्ष्य ही है समाधान।
* जल ही जीवन है*।*जल के बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है*। इसे बेवजह बर्बाद से रोके, जल के संकट के समाधान जल के सरंक्षण से ही है। नगरीकरण और औद्योगिकीकरण के तीव्र गति से बढ़ने से प्रदूषण होना एक समस्या देश के सामने उत्पन्न हो रहा है। साथ ही जनसंख्या में वृद्धि होना भी चिंताजनक है।इस के समाधान हेतु, जल्द से जल्द कानून आना चाहिए।
22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है ए यह सिर्फ औपचारिकता नहीं है बल्कि समाज को जागरूक करने का उद्देश्य है।
सभी को हमारे जीवन में जल के महत्व और जल की कमी के दौरान आने वाली समस्या को समझना होगा।
जीवन के समाधान के लिए:-" समय पर बदलाव अपनाना ही सफलता की कुंजी है।" समय बर्बाद करना खुद को ही लुटना है।" समय के साथ परिवर्तन प्रकृति का नियम है।" बदलाव के साथ नई चीजें,नई सिद्धांत और नये नियम आते हैं।समय पर बदलाव को अपनाना ही "सफलता की कुंजी है।"
समय ही एकमात्र ऐसा धन है जो ईश्वर ने सबको बराबर बाटे है। इसको अच्छे कार्य में निवेश करना उचित हैं ।समय हाथ से निकल जाएगा तो वापस कभी ना आ सकता है। इसलिए कबीर जी के कहे अनुसार:-* कॉल करें आज करें, आज करे सो अब। पल में प्रलय होएगी,बहुरी करेगी कब।।
अर्थात :- कल करना है उसे आज करो,और जो आज करना है उसे अभी करो, जीवन बहुत छोटा होता है पल भर में खत्म हो सकता है,फिर तुम कब कर लो गे।
लेखक का विचार:- उत्कृष्ट जीवन के लिए समाधान ही है। जीवन को समय अनुसार परिवर्तित करना ही सफलता की कुंजी है।
कबीर के दोहे को महत्व देकर जीवन को सफल जीवन में व्यतीत कर सकते हैं।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
इसीलिए जीवन के किसी भी मोड़ पर घर हो परिवार हो समाज हो अथवा हमारे कहीं काम का कोई दफ्तर हो प्रत्येक जगह पर अड़चनें तो आएंगी। कहीं न कहीं डांट फटकार मिलेगी। हाँ! सब कुछ हमारे भले के लिए, आगे बढ़ने का,अच्छे कार्य करने का रास्ता मात्र होता है तो हमें उस समय तनाव में नहीं आना। उस बात को समझना है। कोई दु:ख तकलीफ आती है तो उसका समाधान सोचना है।
जैसे हमारे घर में किसी बच्चे को एकदम चोट लगी एक बात तो यह है कि हम रोने लग जाएँ ..मेरे बच्चे को चोट लगी चिल्लाने लगी मेरे बच्चे को चोट लग गई दूसरा हम सोचे कि समाधान क्या है हम तुरंत उस बच्चे को उठाएं और जल्दी से डॉक्टर के लेकर जाएं। इसी तरह जीवन में घटनाएँ घटती हैं। कोई भी बात हो कहीं कमाई का साधन बंद हो जाए तो उसमें घबराए नहीं उसका समाधान सोचें कि हम कोई भी छोटे सा छोटा कार्य कर लेंगे। जीवन के हर मोड़ पर समाधान ही सबसे बड़ा उपाय है जिस व्यक्ति को समाधान नहीं निकालना आता वह हमेशा तनाव में रहेगा इसीलिए समाधान निकालें और सदैव प्रसन्न रहने की आदत डालें।
- संतोष गर्ग
मोहाली - चंडीगढ़
जहँं तक इस बात का सवाल है की क्या जीवन समाधान पर ही चलता है तुम मेरा विचार है कि समस्या और समाधान दोनों साथ साथ चलते हैं जब समस्या उत्पन्न होती है तो समाधान के विषय में सोचा जाता और प्रश्नों के हल तलाशे जाते है जो जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए बहुत आवश्यक है किसी भी व्यक्ति के जीवन में समग्र विकास और उन्नति तभी संभव है जब वह अपने सामने आने वाली समस्याओं के समाधान के प्रति सजग है अन्यथा वह समस्याओं में उलझा रहेगा और उसकी कोई उन्नति नहीं हो सकेगी समस्याएं सदैव आती रहती है शायद कोई भी ऐसा नहीं है जिसके जीवन में कुछ समस्याएं नहीं है और उसे उनके समाधान की आवश्यकता नहीं सभी के जीवन में समस्याएें हैं आती रही हैं और आती रहेंगी समाधान तलाशे जाने आवश्यक हैं और तलाशी जाते भी रहेंगे यही जीवन को उन्नति के मार्ग पर अग्रसर करने का एक तरीका है
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
कहते हैं की उम्मीद पर दुनिया कायम है, अतः उम्मीद रख कर समस्याओं के हल खोज कर निस्तारित करने का प्रयत्न करना चाहिए, क्योंकि समाधान पर ही जीवन चलता है ।
जिस स्थिति या परिस्थिति को हमारा मन जटिल मानता है या यूं कहें जिसमें अनुकूलित नहीं हो पाता उसे समस्या माना जाता है।
कहने का आशय यह है कि समस्या हमारी दृष्टि पर आधारित होती है ।
जीवन है तो समस्याएं तो आएंगी ही ।
किसी ने ठीक ही कहा है कि हमारी दृष्टि ही सृष्टि की निर्मात्री है। बहरहाल जीवन में कभी कभी बाहरी कारणों की वजह से हमारे सामने ऐसी विषम परिस्थिति उत्पन्न हो जाती है जिसका सामना ना चाहते हुए भी करना पड़ता है। ऐसी दशा में हम क्या करें और कैसे उस से निपटें अर्थात वस्तुगत रूप से कौन सी प्रक्रिया अपनाएं ।
दरअसल समस्या विहीन जीवन की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
समस्या आने पर कैसे हल् करें , उसका समाधान कैसे निकालें।
इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बातों की जानकारी लेना जरूरी है ,जैसे कि सबसे पहले अपने मन में झांकें कि आपको कौन सी बात मूल रूप से तनाव दे रही है ।यह आपका कोई व्यवहार, विचार या भाव हो सकता है ।
समस्या का दूसरा पहलू है संभावित विकल्पों पर विचार करना। आप के मन मस्तिष्क में जितने हल हो लिख डालें ।इसके बाद तीसरी सबसे महत्वपूर्ण बात है सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन करना ।अब बारी बारी से एक एक विकल्प को व्यावहारिकता के आधार पर निस्तारित करते चलें ।
कहने का आशय यह है कि जो सबसे उपयुक्त लगे उसका चयन करें फिर उसे लागू करें। जानना वही होता है जो जीवन में लागू किया जा सके ।
अगर हम ठीक से जानेंगे तो ही ठीक से करेंगे।
वास्तव में उधार का ज्ञान बहुत ज्यादा काम नहीं आता, हां अपने ज्ञान से अपनी सोच से समस्या का हल निकालने का प्रयत्न करें।
मगर दूसरों से भी उचित मार्गदर्शन ले सकते हैं ,उस पर अमल कर सकते हैं ।
हर समस्या का कोई न कोई समाधान तो होता ही है और समाधान पर ही जीवन चलता है,,, समस्याओं से लड़ें व परास्त करने का प्रयत्न करें ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
'जीवन समाधान पर ही चलता है' आज के विषय पर मन में विचार उठा जैमिनी जी ने इस गहन विषय को कितनी सहजता से हमें दे दिया।यही तो वह विषय है जिस पर विश्व के सभी ग्रंथ विचार करते हैं। बड़े-बड़े चिंतक, विचारक इस गुत्थी को न सुलझा सकें और मध्यम मार्ग समाधान की ही बात कह गये। समाधान को हम दूसरों शब्दों में कहें तो संतुलन। किसी भी विषय में संतुलन होना ही समाधान है। एक तरफ पलड़ा झुका, संतुलन डगमगाया तो समस्या शुरू। फिर समस्या का समाधान यानि संतुलन।जीवन की गाड़ी इसी पर चलती है। समाधान करने की इस कोशिश से, संतुलन बनाने के प्रयास से भगवान और अवतार भी न बच सके।वरन, वह तो सारा जीवन इसी कोशिश में लगे रहे, फिर आम आदमी की तो बात ही क्या। श्रीमद्भागवत गीता समाधान करने वाले प्रभु वचन ही तो है। किसी भी समस्या को सुलझाने का उपकरण समाधान ही है। जीवन समाधान पर ही चलता है, मैं इससे सहमत हूं।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
हर व्यक्ति के जीवन मे कुछ न कुछ समस्याएं होती ही है। जब समस्या है तो उसका समाधान भी है। जीवन समाधान पर ही चलता है। समस्याओं को बाहर ही छोड़कर घर मे प्रवेश करना चाहिए तभी आप शांति से रह सकते हैं। हमारे जीवन मे हर दिन कुछ न कुछ समस्याएं आते ही रहती है, जिसमें कुछ छोटी तो कुछ बड़ी हो सकती है। बहुत सी समस्याओं का हल पल भर में हम खोज लेते हैं तो कुछ समस्याएं पहाड़ जैसी दिखने लगती है। अभी वर्तमान समय मे पूरे विश्व मे कोरोना संक्रमण जैसी महामारी फैली है, जिससे लाखों की संख्या में लोगों की जान गई है। लाखों लोग इस संक्रमण से जूझ रहे है। पूरे विश्व मे हाहाकार मचा हुआ है।
विश्व के सामने कोरोना सबसे बड़ी समस्या है। पर पूरी दुनियां इसका समाधान ढूंढने में लगी हुई है। छोटा से बड़ा देश इस महामारी से बचने के लिए दवा बना रहा है। पर अभी तक पूरी तरह सफलता नही मिली है। कोरोना कितनी बड़ी समस्या है इसे अपने ही देश के आंकड़ो को देखने से अनुमान लग जाएगा। भारत मे कोरोना संक्रमण से पिछले 24 घंटे में सर्वाधिक 45,720 मरीज मिले हैं, जबकि 1,129 मरीजों की जान गई है। देश मे कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या 12 लाख 38 हजार 635 है, जिसमे 4,26,167 सक्रिय मामले हैं। जिसमें से 7,82,606 मरीज ठीक हुए है। देश मे कोरोना से 29,861 मौते अभी तक हो चुकी है। यह बहुत बड़ी समस्या तो जरूर है पर हर देश इसका समाधान ढूंढने में लगा हुआ है।
ऐसी परिस्थितियों में हमें अपनी क्षमताओं और रुचियों को ध्यान रखते हुए समाधान खोजना चाहिए। व्यक्ति के जीवन मे आनेवाली समस्याओं में कठिनाई, आघात, बीमारी, धोखा, विश्वासघात शामिल है। ये सब जीवन मे चलते रहता है। इसका डटकर सामना करना चाहिए। समाधान पर काम करें। मन की खुशी का ध्यान रखें। खुशी अक्सर हमारे जीवन मे समाधान लेकर आती है। भगवान ने हमें बुद्धि दी है। ह्रदय जैसी खूबसूरत चीज दी है। अगर हम सही रास्ते पर चलें तो परमात्मा भी हमारे साथ हैं। जिन लोगों ने ऊंचाइयों को छुआ है उसके पीछे उनकी उनका मन, श्रद्धा, मेहनत, व्यक्तित्व और विश्वास जुड़ा है। इसलिए पूरी लगन, मेहनत से समाधान ढूंढे। यह भी सत्य है कि हमारे काम मे देर सवेर बढ़ाएं आती ही है। जीवन का कोई भी क्षेत्र संकट से अछूता नही है। इसका सामना किए बिना आप कुछ भी हासिल नही कर सकते। समस्याओं को देखने का नज़रिया बदलें। क्योंकि जीवन समाधान पर ही चलता है।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखड
- - - - - - - जी जीवन समाधान पर चलता है। लेकिन समाधान या संतुष्टि जीवन की प्रगति के लिए व्यवधान नहीं बननी चाहिए। मानवीय प्रवृत्तियों पर तो ऋषि मुनियों का नियंत्रण नहीं रह पाया तो हम सामान्य मानव कैसे अछूते रह सकते हैं।
काम- क्रोध- मद- मोह- लोभ ये पंचविकार हर इंसान के भीतर निहित होते हैं। ये इंद्रियजनित विकार ही समाधान की दिशा में सबसे बडे़ अवरोधक होते हैं।
समाधान- संतुलन- संतोष- समझौता- संज्ञान- समन्वय व सहयोग ये सप्त संधान ही सामान्य सफर के संचालक हैं।साधुवाद और शुभकामनाएं आप सभी को।
समाधान की समिधा जीवन यज्ञ में प्रवाहित रहे तो आसपास का माहौल व वातावरण स्वस्थ और सुवासित रहता है। परंतु यह समाधान यदि सिर्फ समझौता बन कर कायरता की ओर ले जाये तो यह प्रवृत्ति उचित नहीं है। समाधान की ओर कदम सरलता और सहजता के परिचायक होना चाहिए ना कि पलायन के। राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर ने कहा है---
क्षमा शोभती उस भुजंग को जिसके पास गरल हो।
उसको क्या जो दंत हीन विषरहित विनीत सरल हो।।
तो स्पष्ट है कि समाधान भी हमारे लिये गौरव की बात होनी चाहिए। लेकिन यदि राष्ट्र की सुरक्षा अखंडता या संप्रभुता की कीमत पर समाधान मानना हो तो वह कभी भी मान्य नहीं हो।
समाधान सिर्फ एक उठे हुए सिर और सीधी रीढ़ का गहना हो तभी तक स्वीकार्य है। झुके सिर से मान्य समाधान कदापि ना स्वीकार्य हो।
- हेमलता मिश्र मानवी
नागपुर - महाराष्ट्र
समय , बदलाव और समाधान यह जीवन की कुंजी है ।
समय सबको भगवान एक सा दिया है जिसने सदुपयोग कियावह ....
बदलाव भी जरुरी है अच्छी चीजों के लिए बदलाव करते रहना है
समाधान को रखना पड़ेगा हमें तभी हम ख़ुश रह पायेंगे अंसतोष से दुख ही मिलता है
जीवन समझौतों और समाधान करके चलने का नाम है
संघर्ष जीवन की एक कसौटी है जो अंत में विजय का द्वार खोलती है और समस्या का समाधान करती है। संघर्ष का जीवन जीना है तो भूल को भूलना सीखना होगा। प्रतिशोध के कटु परिणाम ही आते हैं। इसलिए क्षमा सहज-सरल जीवनशैली का मूल मंत्र है। जीवन में परिवर्तन का क्रम चलता रहता है। अगर एक जैसी परिस्थितियां बार-बार हो रही हों तो कभी यह नहीं समझना चाहिए कि अब जीवन में सब कुछ समाप्त हो गया है। मेरे लिए कुछ नहीं बचा है। संघर्षशील व्यक्ति को एक बार पुन: उसी जोश व उत्साह के साथ नए सिरे से प्रयास में जुट जाना चाहिए। प्रयास सफलता की कुंजी होती है। संघर्ष काल में यह बात हमेशा ध्यान में रहनी चाहिए कि व्यक्ति के स्वयं के हाथ में कुछ नहीं है। व्यक्ति पुरुषार्थ कर सकता है, लेकिन परमार्थ का फल समय से पूर्व प्राप्त नहीं कर सकता। कहते हैं कि समय से पहले और मुकद्दर से ज्यादा न किसी को मिला है और न किसी को मिलेगा। उसके लिए इंतजार ही सबसे बड़ा सहयोग है। इस सोच से ही व्यक्ति प्रतिकूलताओं में भी अनुकूलता की सुगंध भर सकता है। जीवन का विकास कर सकता है।
सफलता और संघर्ष साथ-साथ चलते हैं। चुनौतियां केवल बुलंदियों को छूने की नहीं होतीं, बल्कि वहां टिके रहने की भी होती हैं। यह ठीक है कि एक काम करते-करते हम उसमें कुशल हो जाते हैं। उसे करना आसान हो जाता है, पर वही करते रह जाना हमें अपने ही बनाई सुविधा के घेरे में कैद कर लेता है। रोम के महान दार्शनिक सेनेका कहते हैं कि कठिन रास्ते भी हमें ऊंचाइयों तक ले जाते हैं। अनिश्चितताएं हमारी शत्रु नहीं हैं। कुछ स्थायी नहीं होना बताता है कि मैं और आप कोई भी जीवन की असीमित संभावनाओं को जान नहीं सकते। कभी आप अनिश्चितताओं की तरफ बढ़ते हैं तो कभी वे आपको ढूंढ़ लेती हैं। यही जीवन है। हर रात के बाद सवेरा आता ही है और यह भी सत्य है कि रात जितनी काली और भयावह होगी, सुबह उतनी ही प्रकाशमान और सुहानी होगी। गर्म हवाओं के चलने से ही जल वाष्प बनकर मेघ बनता है और फिर जीवनदायिनी वर्षा के रूप में बरसता है। जीवन में आए दुख, चिंता, तनाव और समस्या ही मनुष्य को निरंतर कर्मशील रखती है। सच तो यह है कि विपत्ति एक कसौटी है जिस पर कसकर मनुष्य का व्यक्तित्व और चरित्र जांचा-परखा जाता है। आपका हर दिन बीते दिन से अलग है। इसे स्वीकारना ही जीवन को ग
समय के साथ बदलाव प्रकृति का नियम है. समय पर इस बदलाव या समस्या की पहचान करना भी सफलता का हिस्सा है. आपने अक्सर सुना होगा कि समय पर जिसने परिवर्तन को पहचान कर सबसे पहले उसे अपनाया यानी समस्या को पहचानकर उसका समाधान दिया, वो सबसे अधिक लाभ में रहा है. जिसने बदलाव अपनाने में टालमटोल की या देरी की वो सबसे ज्यादा घाटे में रहा.
समय ही एकमात्र ऐसा धन है जो ईश्वर ने सबको बराबर बांटा है. समय का चक्र अपनी गति चलता रहता है. समय ऐसी अमूल्य निधि है जिसका उपयोग कर सकते हैं. अच्छे कार्य में निवेश कर सकते हैं. बुरे कार्य में दुरुपयोग कर सकते हैं. इस निधि को सोने, चांदी या हीरे की तरह बचा के नहीं रख सकते हैं. इसका उपयोग, खर्च या निवेश नहीं करेंगे तो यह नष्ट हो जायेगा. खोया पैसा आप वापस कमा सकते हो, परन्तु समय हाथ से निकल जाने के बाद वापस कभी नहीं ला सकते. समय का सदुपयोग कर कोई आगे निकल जाता है जबकि कोई समय को व्यर्थ खर्च करके इसकी कमी का रोना रोता रहता है. समय के साथ कदम से कदम मिलाकर नहीं चलने वालों के हिस्से में पश्चाताप ही आता है !
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
समाधान की आवश्यकता तभी पड़ती है जब कोई समस्या पैदा हो जाए। यदि हम अपने विवेक का, अपने मां-बाप के आदर्शों का, प्राप्त शिक्षा का पालन करते रहते हैं तो संभवतः जीवन निर्बाध गति से चलता रहता है। कभी-कभी जीवन में ऐसे क्षण आ जाते हैं जिनसे हमारा पहले कभी भी सामना नहीं हुआ होता। इन क्षणों में हम उलझ कर रह जाते हैं और समझ नहीं पाते कि क्या करें। इसे ही हम समस्या की संज्ञा दे देते हैं। समस्या रहने से दिमाग इसी में उलझा रहता है और जीवन की गति रुक जाती है। ऐसे ही जिस प्रकार सुगमता से बह रहे पानी के रास्ते में यदि कोई चट्टान आ जाए तो उसके पथ में रुकावट आ जाती है। यह रुकावट समस्या का ही एक रूप है। पानी को भी क्षण-भर लगता है समझने में और अन्त में वह रास्ता निकाल ही लेता है। पानी ने खुद अपना रास्ता निकाला ऐसा नहीं है। पानी भी अनेक अणुओं को मिलकर बना है जो एक प्रकार से जल-परिवार के छोटे-बड़े सदस्य हैं। जिस प्रकार ये अणु अपने अनुभवों से पानी को समस्या का समाधान सुझाते हैं उसी प्रकार जीवन में कोई समस्या सामने आ जाने पर हमें अपने मां-बाप, मित्रों और हमदर्दों से समस्या का समाधान ढूंढने में मदद के लिए कहने में संकोच नहीं करना चाहिए। यदि ऐसा नहीं करेंगे तो अवसाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है जिसके दुष्परिणाम सर्वत्र ज्ञात हैं।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
मानव जीवन के साथ समस्याओं और उनके समाधान का गहरा नाता है। प्रत्येक मनुष्य के जीवन में एक या अनेक बार विपरीत परिस्थितियों का आना-जाना लगा रहता है।
"मिलना विपरीत परिस्थितियों का जीवन में दोस्तों,
समान है, खिलना गुलाब का कांटों के बीच में दोस्तों ।
जरूरी हैं उतार-चढ़ाव से संघर्ष मंजिल को पाने में,
कश्ती को भी नहीं मिलता किनारा शांत धारा में दोस्तों।"
ये विपरीत परिस्थितियां रूपी समस्यायें जीवन का अवरोध हैं परन्तु इनके समाधान पर ही जीवन चलता है। यह भी एक सार्वभौमिक सत्य है कि ईश्वर ने मनुष्य को जीवन-पथ पर आने वाली समस्याओं के समाधान की अद्भुत शक्ति प्रदान की है। मानव को बस उस शक्ति को पहचान कर प्रयास करने की आवश्यकता है।
"विपरीत परिस्थितियों से जुनूनी जंग लड़ी जिन्होंने,
नाम रोशन जग में अपने जज्बे से वो ही करते हैं।
वक्त के तिरस्कार को एक चुनौती समझा जिन्होंने,
सम्मान के चार चाँद उन्हीं के दामन में लगते हैं।
समस्या के समाधान का सफर आसान नहीं यूं तो,
कर संघर्ष परिस्थितियों से समाधान निकलते हैं।"
इसलिए मेरा दृढ़ विश्वास है कि ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान न हो। समाधान हमारे वश में है और यह समाधान हमारी जिजीविषा से उत्पन्न होता है।
याद रहे ईश्वर ने हमें समस्याओं के समाधान की शक्ति दी है, यह समाधान ही हमारे आत्मविश्वास में वृद्धि करता है और निश्चित रूप से समाधान पर ही जीवन चलता है।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
जीवन एक माया रुपी चक्र हैं, जिस पर हम पग-पग बढ़ते चले जा रहे हैं। जिसमें नाना प्रकार के उतार-चढ़ाव कार्यों को सम्पादित करते हैं और अपने लक्ष्य को अग्रेषित करते हैं। संस्कृति एक बिंदु हैं, जिसे साधने के लिए विभिन्न प्रकार की परीक्षाएं तथा समस्या का समाधान ही अंत में करना पड़ता हैं जिसे क्रियान्वित करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं। जिस पर अनेकों धर्मों के अनुयायियों द्वारा अपने-अपने मनों के विचारों को व्याख्यान प्रस्तुत करतें हुए, उन मुश्किलों का किस तरह से सामना करना हैं, बताया हैं? आज वर्तमान तंत्र में भाग दौड़ ज्यादा हैं, मन की शांति का कोई मूल्य नहीं हैं, सभी अपने-अपने स्तर पर कीर्ति मान,आस्था और विश्वास स्थापित करना चाहते हैं। मन के विचारों का पूर्ण रूपेण वर्गीकरण हो चुका हैं, नैतिकताओं का विकेन्द्रीकरण हुआ हैं। न चाहते हुए भी, प्रतिस्पर्धात्मक बनते जा रहे हैं, कोई गरीबी का जीवन यापन कर जीवित हैं, तो अमीरों का जीवन यापन करते हुए, सर्व सुविधाओं से परिपूर्ण होते हुए भी, विरोधाभासी प्रवृत्तियों से जीवित तो हैं, किंतु विचारतंत्रों में नम्रता नहीं। वहीं दूसरी ओर मध्य वर्ग दोनों अमीरी-गरीबी की रूपरेखा को वृहद स्तर पर देखते हुए, अपने जीवन को समाधान पर ही चलते हैं, वहीं सुखी तंत्र हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
समाधान से ही जीवन चलता है और जीवन में समाधान हर समस्या का है समस्या को समस्या समझना ही सबसे बड़ी समस्या है समाधान पर ही जीवन चलता है जी हाँ ये बात सौ फ़ीसदी सही है क्योंकि हमारे सामने प्रतिदिन कोई न कोई समस्या आती रहती है, जो छोटी या बड़ी हो सकती है। बहुत सी समस्याओं का समाधान चुटकियों में हो जाता है। जबकि कुछ समस्याओं के समाधान के पहले हमें सोचना पड़ जाता है कि ऐसी परिस्थिति में हम क्या करें? ऐसी परिस्थिति में हमें अपनी क्षमताओं और रुचियों को ध्यान में रखते हुए समस्याओं के समाधान की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए ताकि हम अपनी ऊर्जा आख़िरी क्षण के लिए बचाकर रख सकें। जब हम काम के आख़िर में होंगे और हमारा मन उस काम से मुक्ति के लिए पूरा जोर लगा रहा होगा।
कभी-कभी जीवन में व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याएं, कठिनाइयां, आघात, बीमारियां-ये सब जीवन के इम्तिहान लेती हैं।जो कर्मठ, धैर्य, सकारात्मक और मुस्कराहट के साथ समस्याओं से जूझने वाले लोग होते हैं वो निश्चित ही समाधान खोज लेते हैं। ज्ञान साहस धैर्य और पूँजी व्यक्ति के लिए किसी भी समस्या का समाधान प्रस्तुत करने में सहायक होते हैं जीवन है तो समस्याएं हैं और समस्याएं हैं तो जीवन है। जीवन और समस्याएं एक-दूसरे से गुंथे हुए हैं और इनके साथ गुंथे रहकर चलने से ही जीवन का आनंद आता है। जहां समस्याओं को अलग करने का प्रयास किया जाए तो वहां जीवन कृत्रिम हो जाता है।
किसी विचारक ने कहा है कि किसी भी समस्या से संवाद का विकल्प हमेशा खुला रखें ताकि जब भी संभव हो समाधान का एक रास्ता खुला रहे।
स्पष्ट रूप से जीवन केवल साँस आने और जाने की प्रक्रिया मात्र नही है इसमें असंख्य उतार चढ़ाव होते हैं जिन्हें समस्या का नाम दिया जाता है और एक छोर से दूसरे छोर तक सरलता से पहुँचाने की सहज क्रिया समाधान है और समाधान ये युक्त जीवन ही जीवन है ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
यह प्रश्र वह प्रश्न है। जिस पर ग्रंथ लिखे जा सकते हैं और फिर भी 'प्रश्न' प्रश्न ही रहेगा। क्योंकि जीवन चलने का नाम है। जिसका समाधान हो ही नहीं सकता।
उदाहरणार्थ युगों में सतयुग बीत गया पर समाधान कुछ नहीं हुआ। फिर त्रेतायुग द्वापरयुग से पहले पके हुए आम की भांति टपक पड़ा। परंतु सीताहरण और द्रोपदी चीरहरण के समाधान से पहले कलयुग आ गया। जो चल रहा है और समाधान के नाम पर गंभीर से गंभीर प्रश्नचिंह हैं। हालांकि फांसियां और एनकाउंटर सुर्खियां बटोर रही हैं।
किन्तु कहने वाले तो कहते हैं कि रामचंद्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा। हंस चुगेगा दाना-दुनका और कौवा मोती खायेगा। वास्तव में वर्तमान में यही हो रहा है। जिसे खुली आंखों से हम देख रहे हैं और मन से अनुभव भी कर रहे हैं।
जबकि कलयुग चीख-चीख कर कह रहा है कि मैं निर्दोष हूं। मुझे बिना अपराध के बदनाम किया जा रहा है। मानवता का दण्ड दिया जा रहा है। यह मेरे विरुद्ध सोचा समझा षड्यंत्र है। एक साज़िश के अंतर्गत मेरे विरुद्ध चक्रव्यूह रचा गया है।
किन्तु कलयुग की कोई सुनवाई नहीं हो रही। कोई चिंतन नहीं कर रहा कि क्या वह दोषी है या निर्दोष?
चूंकि न्यायाधीश धन व सत्ता की शक्ति के आगे झुके व बिके हुए हैं। प्रशासन मिट्टी का माधो बना हुआ है। इसी कारण जीवन गेहूं की भांति दो पाटों में पिस रहा है। जिसका समाधान न कभी हुआ और ना कभी होगा।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
जिंदगी कभी रुकती नहीं तूफ़ां के आगे
चलते रहती है सदा,जो समय के साथ भागे।
जीवन मे सुख दुख दो पहिए है जिस पर यह चलती है। लेकिन दुखों से हार मानकर बैठने का नाम नहीं है। गमों के दौर तो आते जाते रहते हैं। समस्या के सामने डटकर उनका मुकाबला करने वालो की ही जीत होती है। हर समस्या का समाधान मिल सकता है चाहे कितनी भी बड़ी मुश्किल हो। तभी जीवन चल सकता है।
न मुँह छुपा के जियो
न सर झुका के जियो
ग़मो का दौर भी आए तो
मुस्कुरा के जियो।
- सीमा मोंगा
रोहिणी - दिल्ली
हमारी जिन्दगी भी रात और दिन के समान है ।कभी अच्छी ,कभी कष्ट देने वाली स्थितियाँ ,आती ही रहती हैं । हमें हर परिस्थितीयों का सामना करना ही पड़ता है ।खुशहाल जीवन चलाने के लिए समाधान शब्द बहुत उपयुक्त है ।कोरोना के समय ने ये प्रुफ कर दिया कि समाधान से जीवन चलता है ।कितनों ने घर पर रहते हुए खाली समय का सदुपयोग किया ,किसी ने किताबें लिखीं ,किसी ने घर पर बैठ कर लोगों के लिए मास्क तैयार किए ,गृहणियों के साथ मिल कर पुरुषों ने भी गृहस्थी का काम किया ,घर बैठे स्कूल आफिस सब संभाला गया ।मजदूर पैदल घर के लिए निकल पड़े इतनी विकट स्थिति में जब जीवन यापन का समाधान निकलता गया ।इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा ।समय चक्र चलता रहता है उसके साथ जीवन भी ,समाधान जीवन को सरल बनाता है । शान्त मन ,बिगड़ी परिस्थितियों में भी समाधान खोजलेता है ।सत्य है समाधान से जीवन चलता है ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
समय, बदलाव, समाधान और सफलता में अन्योन्याश्रित संबंध है। समय पर बदलाव को अपनाकर और समस्या पर विचार-विमर्श कर उचित समाधान ही सफलता की कुंजी है।
हर समय हम जिद पर अड़े रहे तो किसी समस्या का समाधान संभव नहीं है और समाधान नहीं तो प्रगति संभव नहीं। जीवन है तो मुसीबत आएंगी। हमें सदैव समाधान ढूंढते हुए आगे बढ़ना है अन्यथा जीवन मुसीबतों से घिर जाएगा थे और जीवन अंधकारमय हो जाएगा।
अतः समस्याओं का समाधान निकालते हुए जीवन पथ पर सुचारू रूप से अग्रसर होना है। समाधान पर ही जीवन चलता है।
जीवन का मूल मंत्र
जीवन एक पहेली है
मुसीबतें आनी जानी हैं।
समस्या का समाधान निकाल
निरंतर प्रगति पथ पे चलना है।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा -उत्तर प्रदेश
जीवन है तो समस्याएं है और समस्याएं हैं तो समाधान भी है!
जीवन में अनेक तरह की समस्याएं आती हैं हम एक समस्या को सुलझाते हैं तो किसी कारण से दूसरी समस्या खड़ी हो जाती है!
जहां तक श्वासे हैं समस्या तो आती रहेंगी !कभी कम कभी ज्यादा!
अतः इन समस्याओं के साथ और बीच रहकर हमें समझौता कर जीवन का आनंद उठाना सीख लेना चाहिए चूंकि जीवन समाधान और समझौते का ही नाम है!
जैसे आज समस्त विश्व में कोरोना जैसी संक्रमित बीमारी की बहुत बड़ी समस्या आन पड़ी है हम समाधान ढूंढ रहे हैं किंतु रुक तो नहीं जाएंगे कोशिश जारी है! इधर कोरोना का समाधान हुआ नहीं कि चाइना का वार खड़ा हो गया, कहीं बाढ़ की स्थिति आ गई ! ऐसी अनेक समस्याएं अचानक खड़ी हो जाती है !हम सभी को सुलझाने में यानीकि समाधान ढूंढ ने में लग जाते हैं!
जीवन में कुछ समस्याएं अपने आप दूर हो जाती है, कुछ समस्याएं तो संघर्ष और कोशिश के बावजूद नहीं सुलझती उसे समय के हवाले कर आगे बढ़ जाना चाहिए और वर्तमान पल को खुशी से जीने का अंदाज सीख लेना चाहिए !
चूंकि जीवन चलने का नाम है!
कोरोना संक्रमण की जब तक वैक्सीन नहीं आई हमने कितने समाधान निकाले हैं मानाकि पूर्ण रूप से सफलता नहीं मिली किंतु प्रयत्न, संघर्ष तो जारी है और हम अपने संघर्ष के साथ वर्तमान को जी रहे हैं!
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
जी हां ,अवश्य ही समाधान पर जीवन चलता है समाधान का अर्थ है समस्या से मुक्ति होकर के जीना अर्थात निरंतर सुख के साथ जीना ।जीवन निरंतर सुख के साथ जीना चाहता है। वह समस्या में जीना नहीं चाहता ।जरा सी भी समस्या होता है, तो वह उस समस्या से निजात पाना चाहता है इससे यह सिद्ध होता है कि मनुष्य समस्या में नहीं समाधान में जीना चाहता है अतः हर पल हर क्षण सभी के साथ सुख पूर्वक जीना चाहता है ।मनुष्य सुबह से लेकर शाम तक और जन्म से लेकर मृत्यु तक इसी संतुष्टि की तलाश में वह कार्य व्यवहार करता है ।लेकिन यह संपूर्ण समृद्धि सर संसार होते हुए भी मनुष्य नासमझी के कारण दुखी है। अगर मनुष्य में समझदारी आ जाए अर्थात हर मनुष्य ज्ञान विवेक , विज्ञान संपन्न हो जाए, तो निश्चित ही इस धरा पर मनुष्य चिरकाल तक निरंतर सुख पूर्वक जी सकता है। क्योंकि यह संसार मनुष्य को तोहफा स्वरूप में सुख पूर्वक जीने के लिए मिला है ।ना कि शोषण कर समस्या पैदा करने के लिए। मनुष्य वर्तमान में जिंदा तो है लेकिन नहीं जी पा रहा है। क्योंकि मनुष्य भौतिक वस्तु जो हमारी शरीर की सुविधा है उसमें सुख की तलाश ढूंढता है जिसमें सुख की निरंतरता नहीं उसमें सुख ढूंढने का प्रयास ही बंधन है। यही बंधन मनुष्य को सुख नहीं पहुंचने देता ।अतः इस समस्या को समझते हुए हर मनुष्य को समाधान की ओर अग्रेषित होना चाहिए क्योंकि समाधान ही सुख है समस्या ही दुख है अतः वर्तमान में मनुष्य जिंदा है जी नहीं पा रहा है।
जिंदा है मानव,
जी नहीं पा रहा है।
जीने की आरजू में,
जिंदगी तलाश रहा है।
हर पल हर क्षण मनुष्य सुख पूर्वक जीने की तलाश में है अतः जीवन समाधान के बिना जी नहीं पाएगा समस्या में जीना उसका प्रभाव नहीं है तभी तो वह समस्या से निजात होना चाहता है वर्तमान समय में मनुष्य कोरोना महामारी की समस्या से जूझ रहा है । इस समस्या से भी निजात पाना चाहते हैं क्योंकि कोई समस्या में जीना नहीं चाहता समाधान नहीं जीना चाहता है अतः यही कहा जा सकता है की जीवन के लिए समाधान में जीना निहायत जरूरी है।
आता हर मनुष्य को चिंतन करने की आवश्यकता है चिंता करने की नहीं।
"चिंता है तो चिंतन नहीं ,
चिंतन है तो चिंता नहीं।"
"समाधान ही सुख,
समस्या ही दुःख।"
मध्यस्थ दर्शन
इस बात से यही सिद्ध होता है कि समाधान पर ही जीवन चलता है ।समस्या पर नहीं।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ
आज का विषय है क्या समाधान पर ही दुनिया चलती है
बहुत ही रोचक विषय है यहां पर दो विषय है एक दुनिया और दूसरा समाधान पहले हम लोग दुनिया ही की बात करें
दुनिया में भिंड भिंड जाति धर्म भाषा क्षेत्र के लोग रहते हैं और सभी की सोच अपनी अपनी है इस सोच में निम्न प्रकार के व्यक्ति देखने पड़ते हैं
कुछ ऐसे व्यक्ति होते हैं जो सहर्ष ही समाधान के माध्यम से दुनिया को आगे बढ़ाना चाहते हैं
एक दूसरी प्रकार के व्यक्ति होते हैं जो अपने विचार और सिद्धांत पर मजबूती से खड़े रहते हैं झुकना नहीं चाहते हैं झुकाना चाहते हैं चाहे समस्या कितनी दूर तक कितने दिनों तक बना रहे।
दुनिया एक वातावरण हो गया और समाधान एक तरीका है इन दोनों के बीच में संबंध रखने वाला मानव जाति है इस संबंध में जहां तक मेरा विचार है अगर समस्या आती है तो समाधान साथ लेकर आती है लेकिन उसे समझने देखने की पारखी नजर चाहिए।
समाधान एक प्रकार का समझौता है कभी अपने आप से इंसान समझौता करता है कभी परिवार से समझौता करता है कभी देश से समझौता करता है और समझौता के माध्यम से समाधान हो जाता है
यदि समस्या को समस्या जानकर उस पर विचार करते रहिएगा तो समाधान के उपाय आपके मानस पटल पर उभरने में समय लगेगा
लेकिन यदि समस्या को समस्या समझ कर उसमें उलझना चाहिए गा उसी के लिए बार-बार सूची का क्यों हुआ कैसे हुआ नहीं होना चाहिए था तो आप समस्या के क्षेत्र से बाहर नहीं निकल पाएंगे समस्या के क्षेत्र से बाहर निकलने के लिए आपको सबसे पहले स्वीकार करना होगा समस्या तो आ गई अब समाधान खोजा जाए कैसे इस समस्या का निदान क्या होगा तो बहुत सारे आइडिया आपके दिमाग में आएंगे और उनका मूल्यांकन कर समाधान का रास्ता बना सकते हैं
समाधान उन्नति का मार्ग है विकास की सीढ़ी है समस्याओं को समझाते जाइए आप अपने आप आगे बढ़ते चले जाएंगे समाधान के क्रम में सुख भी मिलेंगे दुख भी मिलेंगे हानि भी होगा लाभ भी होगा लेकिन परिणाम अवश्य सकारात्मक मिलेंगे
एक छोटी सी कहानी की चर्चा कर रही है बारिश हो रही है गाड़ी चलाने में बहुत असुविधा हो रही है ड्राइवर कहता है गाड़ी को रोक दिया जाए पर उस गाड़ी में बैठे हुए सज्जन कहते हैं धीरे-धीरे आगे बढ़ते चलो और ऐसा करने पर दूरी भी तय हो गई और बारिश भी रुक गई समाधान भी हो गया तो यह छोटी सी कहानी इस बात को का संकेत देती है कि रुकना नहीं है आगे बढ़ते जाना है मंजिल अवश्य मिलेगी
कई बार यह भी देखने को मिलता है की इंसान को उम्मीद के अनुसार परिणाम नहीं प्राप्त होते हैं और वहां पर एक निराशा होती है लेकिन वैसे समय में आप आत्म विश्लेषण कर स्वयं को यह समझाइए की समय से पहले और भाग्य से ज्यादा कभी किसी को हासिल नहीं हुआ है हो सकता है हमारी उम्मीद ही ज्यादा थी जो मिल गया वह हमारे लायक है।
कई बार ऐसा भी देखने को मिला है मैंने उम्मीद नहीं किया लेकिन हमारी जिससे उम्मीद से भी ज्यादा हो गए वैसी परिस्थिति में खुशियां बहुत अधिक होती हैं दोनों ही स्थिति में समझौता ही करता है समाधान ही करता है
दो बालक है रात के अंधेरे में सड़कों पर चला जा रहा है कहां जा रहा है उसे खुद भी नहीं पता है पर चला जा रहा है दोनों के पास ना पैसे हैं और ना खाने को कुछ सामान दोनों चलते चलते एक पेड़ के नीचे रुक गए और थोड़ा आराम किया फिर चलना शुरू किया अचानक एक लड़के को यह सुनाई पड़ा की चले जा रहे हो तो रास्ते के पत्थर को उठाते चले जाओ उसने दूसरे बालक से भी पूछा तुम्हें भी सुनाई पड़ा उसने कहा हां मुझे भी सुनाई पड़ा अब दोनों विचार करने लगे कि क्या करना चाहिए दोनों में से एक ने कहा मैं तो नहीं करूंगा पर दूसरा कहा क्या जाता है पत्थर को उठाते ही चलते हैं और उसने अपने झूले में रास्ते के कंकड़ पत्थर को उठाते चल दिया रात गुजर गई सुबह हुई फिर एक पेड़ के नीचे सो गया सोने के बाद जब वो उठा दूसरा वाला लड़का तो आसानी से चलने के लिए तैयार हो गया लेकिन पहला वाला लड़का जो था जिसके पास झोले में पत्थर थे वह नहीं आसानी से चल सका फिर सोचा कि इन पत्थरों को सड़क के किनारे रख देता हूं और उसने सड़क के किनारे उसे रख दिया जब उसने देखा तो पत्थर नहीं है यह तो कुछ दूसरी तरह का चमकीला पदार्थ है उसे लगने लगा कि यह अवश्य कीमती है और उसे लेकर वह शहर पहुंचा वहां जौहरी के पास गया उसने देखा तो कहा ही तो बहुत कीमती है और बहुत सारा उसे पैसा मिल गया अब यह सोचने की बात है क्या समाधान की जिंदगी है
इस प्रकार जहां तक मेरा विचार है की दुनिया में जितना समाधान करते रहिएगा दुनिया आगे की ओर बढ़ेगा जिंदगी में जितना समाधान करते रहिएगा संतुष्टि मिलेगी शांति मिलेगी और जिंदगी आगे बढ़ेगी स्वस्थ रहेंगे समाधान ही जिंदगी है सबसे पहले समस्या को स्वीकार्य स्वीकार करके उसके अनुसार अपने आप को बदलने की चेष्टा करिए परिवर्तन ही संसार का नियम है रितु बदलते हैं शरीर की गति बदलती है शरीर की वृद्धि बदलती है मानव के स्वभाव में भी बदलाव उसी तरह से लाना है तो परिस्थिति के बदलते हुए तरीकों को जितना जल्दी अपना ना समाधान उतना आसान होगा कभी हवा चलती है कभी आंधी आता है कभी तूफान आती है हर परिस्थितियों के अनुसार इंसान अपने आप को बदलता है तो दुनिया के विकास के लिए समाधान उत्तम है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
समस्याएं तो जीवन भर चलती रहती है जीवन है तो समस्याएं हैं। इंसान एक समस्या हल करता है तो दूसरी समस्याएं खड़ी हो जाती है फिर पहले वाली समस्याएं हमको कम लगती है दूसरी वाली बहुत ज्यादा लगती है और कई बार ऐसा होता है कि किसी दूसरे पीड़ित या दुखी व्यक्ति को देख लेते हैं तो अपनी समस्याएं कम लगने लगती है लगता है कि हमारा दुख बहुत छोटा है मन को मार कर और समस्याओं को से आगे बढ़कर ही जीवन है एक छोटे से बच्चे को भी पूछेंगे तो उसको भी बहुत समस्याएं रहती हैं जीवन तो नदी की भांति ही चलना है और जब तक जीना है तो संघर्ष करना है यह तो प्रकृति का शाश्वत नियम है।
- प्रीति मिश्रा
जबलपुर - मध्य प्रदेश
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