क्या आधुनिक तकनीक से लैस नया संसद भवन होना चाहिए ?

भारतीय संसद भवन का नया परिसर विकसित करना ,  सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है । परन्तु यह मामला सुप्रीम कोर्ट के अधीन विचाराधीन है । वर्तमान में संसद भवन बहुत छोटा पड़ गया है । ऐसी स्थिति में आधुनिक तकनीक से लैस नया भवन बनना चाहिए । जो वर्तमान मांग का प्रतीक भी है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय भी है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
परिवर्तन ही जीवन है और जो परिवर्तन को नहीं अपनाता वो ज़माने से पिछड़ जाता है । परन्तु यह भी आवश्यक है कि परिवर्तन को उतना ही अपनाया जाए कि वो विनाश का कारण ना बन जाए   अतः हमारे संसद भवन में भी तकनीक का इस्तेमाल उतना ही हो जितना फायदेमंद हो और जनता को असावधानी का कारण ना बन जाए क्योंकि आज का युग तकनीकी का युग है।
   ‌बहुत छोटा सा उदाहरण है मोबाइल फोन ,अब पहले पत्र चलते थे जिसमें समय बहुत लगता।
संसद भवन देश का हृदय होता है 
हृदय स्वस्थ होगा तो शरीर अच्छा काम करेगा और शरीर को व हृदय को सही और उचित योगा की कसरत की आवश्यकता होती है और तकनीक हमारे संसद भवन का योगा है अतः संसद भवन ना तकनीक से लैस हो ना अनावश्यक प्रयोग किया गया हो।
- ज्योति वधवा "रंजना"
बीकानेर - राजस्थान
भारत को एक नया संसद भवन मिलने जा रहा है। यह नया संसद भवन वर्ल्ड क्लास का होगा, जो आधुनिक तकनीक से लैश होगा। नए संसद भवन की जगह वर्तमान संसद भवन से थोड़ी दूरी पर दिखलाया गया है, जिसका नक्शा पिछले दिनों अखबारों में छपा था। इस नक्शे में विजय चौक से लेकर इंडिया गेट तक पूरी तरह परिवर्तन लाने की तैयारियों को दिखलाया गया है। प्रधानमंत्री आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय को राजपथ पर साथ-साथ दिखाया गया है और इनके सामने सड़क की दूसरी तरफ इस नक्शे पर में अन्य कार्यालयों को दिखलाया गया है। नए संसद भवन में 1350 सीटे होंगी। नए संसद भवन में लोकसभा का  सेंट्रल हॉल इतना बड़ा होगा कि आने वाले समय मे सांसदों की संख्या बढ़ाई भी जा सकती है।  
सरकार द्वारा प्रस्तावित नए संसद भवन के लोकसभा की नई बिल्डर में सदन के अंदर 900 सीटे होंगी। वहीं संयुक्त सत्र के दौरान 1350 सांसद आराम से बैठ सकते हैं। सरकार के सेंट्रल विस्टा को पुनर्विकसित करने की योजना की मंजूरी मिल गई है। नया संसद भवन त्रिकोणीय होगा। लोकसभा के नए भवन में सदन के अंदर सीटों की संख्या 
को इसलिए बढ़ाया जा रहा है ताकि भविष्य में लोकसभा में सीटे बढ़ती भी है तो किसी तरह की परेशानी न हो। नए लोकसभा सदन में दो सीट वाली बेंच होगी जिसमें 3 सांसद बैठ सकते हैं। इस तरह 1350 सांसदों की बैठने की सुविधा होगी। नए संसद भवनबके लिए केन्द्र सरकार द्वारा टेंडर निकाला जा चुका है। डिजाइन की मांग की गई है। वर्तमान  संसद भवन का उद्घाटन 92 साल पहले 1927 में किया गया था, जिसमें 47 मंत्रालय और 75 हजार लोग काम करते हैं। वर्तमान संसद भवन में लोकसभा, राज्यसभा और सेंट्रल हॉल है। 15 अगस्त 2022 को देश 75 वा स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। प्रयास किया जा रहा है कि 2022 तक देश को नए लोकसभा भवन मिल जाय। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का प्रयास यही है कि नए लोकसभा संसद भवन वर्ल्ड क्लास का होगा जिसे दुनियां देखते ही रह जाएगी। नए संसद भवन अत्याधुनिक तकनीक से लैश होगा।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
दुनिया में कभी भी ऐसा समय नहीं आया है जबकि सुधारों की आवश्यकता नहीं पड़ी सुधारों की आवश्यकता हमेशा से रही है और समय के साथ साथ सुधार होता भी रहना चाहिए यही देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है तकनीकी उन्नति किसी भी देश को मजबूत बनाने के लिए बहुत आवश्यक और इसका उपयोग मानव हित में  किया ही जाना चाहिए यदि यदि अपने देश के संसद भवन को आधुनिक तकनीक से लैस किया जाता है तो इसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए बल्कि यह अच्छा ही है इसे इस तरह से बनाया जाना चाहिए कि वह बहुत सुरक्षित तो हो ही वहाँ की कार्यवाही को देश का एक साधारण जन भी देख सकें और वहाँ बनाए जाने वाली देशहित की योजनाओं एवं विचार विमर्श को वह भी सुन सके.....! 
- प्रमोद कुमार प्रेम
 नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
, परिवर्तन तो जीवन का नियम है जब हमारा घर भी मकान भी पुराना हो जाता है तो हम उसे नया करते हैं नए होने से वहां पर हम और उत्साह से कार्य करते हैं और रहते हैं जीवन में कुछ नयापन होने से उत्साह बना रहता है। ठीक उसी तरह जिस तरह आत्मा पुराने शरीर को छोड़कर नया शरीर भी धारण कर लेती है यह प्रकृति का शाश्वत नियम है परिवर्तन और आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। उसी तरह हमारे संसद को भी नयापन जरूरी है सांसद रहेंगे सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करते हुए नई तकनीकों से लैस होना चाहिए अच्छे-अच्छे कानून और नियम भी बनने चाहिए अब तो जरूरत है कि योग्य और पढ़े-लिखे सांसद आए तभी देश का विकास हो सकता है।
वंदे मातरम जय हिंदी जय हिंद।
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर - मध्य प्रदेश
आधुनिक सुविधाओं से युक्त नवीन संसद भवन वर्तमान केंद्र सरकार की एक महत्वपूर्ण योजना है।इस योजना के विरुद्ध विपक्ष सूप्रीम कोर्ट जा पहुंचा और मामला अब उसके विचाराधीन है।
अपने उद्घाटन १८ जनवरी १९२७  से अब ९३ वर्ष के बाद इसकी हालत कमजोर तो होनी ही है। आगे भविष्य में सांसदों की संख्या २०२६ में संसदीय क्षेत्र सीमांकन में ९०० तक होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ऐसे हालात में नया संसद भवन होना अनिवार्य आवश्यकता है।
यह भी जरुरी है कि वह भवन अत्याधुनिक सुरक्षा व्यवस्था से लैस हो ताकि कोई भी हमले जैसी घटना न हो सके। सूचना क्रांति के दौर में संसद भवन में आधुनिक सूचना तकनीक यंत्रों की समुचित व्यवस्था भी होनी चाहिए। एक अनुमान के अनुसार ऐसे केंद्रीय हाल की व्यवस्था होनी चाहिए जहां १५०० लोगों के बैठने की व्यवस्था हो। राज्यसभा के पूर्व महासचिव योगेंद्र नारायण जी का एक आलेख आज ही देश के प्रतिष्ठित समाचार पत्र में है,उसी के हवाले से मैं ने यह बात कही है ।उनके मुताबिक वर्तमान संसद भवन के रखरखाव पर सालाना २५ करोड़ रुपयों का खर्च आता है। उस पर भी आधुनिक तकनीक व सुरक्षा व्यवस्थाओं का समुचित प्रबंध न होना चिंता का विषय तो है।इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट करता निर्णय देगा यह भविष्य के गर्भ में है। लेकिन इतना जरूर है कि अब नये संसद भवन का होना बहुत जरूरी है।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
संसद भवन लोकतन्त्र का मंदिर है। भारत के नागरिक अपने लोकतान्त्रिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए अपने जन-प्रतिनिधियों को चुनकर संसद भवन भेजते हैं। जिन सांसदों को चुनकर नागरिक संसद भवन में भेजते हैं उनके द्वारा संसद भवन से ही लोकतन्त्र की रक्षा हेतु कार्य किये जाते हैं, लोकतान्त्रिक व्यवस्था की सुदृढ़ता हेतु कार्य करना प्रत्येक सांसद का धर्म है और जिस स्थान से लोकतान्त्रिक धर्म का निर्वहन होता हो उस स्थान की सुरक्षा देश हित में महत्वपूर्ण है। संसद भवन की सुरक्षा में किसी प्रकार की कमी लोकतन्त्र के लिए सही नहीं है।
13 दिसम्बर, 2001 को संसद भवन पर आतंकवादी हमला हुआ था। संसद भवन पर हमला होना सीधे-सीधे हमारे लोकतन्त्र पर चोट है। यह कहा जा सकता है कि जब हमारा संसद भवन ही असुरक्षित है तो देश की सुरक्षा में सेंध होना कोई कठिन नहीं होगा। 
इसलिए संसद भवन को आधुनिक तकनीक से लैस करना अति आवश्यक है।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
     अंग्रेज सरकार के सर एडविन लुटियंस ने प्रेरित किया कि संसद भवन का निर्माण किया जायें, उनके विशेष आग्रह पर 12 फरवरी, 1921 को शिलान्यास किया गया। जिसे निर्मित होने में 6 वर्ष लगे और 83 लाख रुपये की लागत से संसद भवन बन कर तैयार हुआ, जिसे उदघाटित तत्कालीन वायसराय लार्ड इनविन ने 18 जनवरी, 1927 को किया। संसद भवन नई दिल्ली की बहुत ही सुन्दर लाजवाब भवनों में से एक हैं। इसके तीन ओर तीन कक्ष लोक, राज्य सभा और पूर्ववर्ती ग्रंथालय कक्ष (जिसे पूर्व में प्रिंसेस चैम्बर कहा जाता था) अंग्रेज़ों द्वारा निर्मित संसद भवन को विलोपित कर, नये स्वरुप में बनाने की तैयारी वर्तमान सरकार सौ करोड़ के ऊपर याने उच्च लागतों से व्यय करने की मंशा बना चुकी हैं। जो आधुनिक तकनीकी से लैस नया संसद भवन संभावित हैं, साथ ही नये स्वरुपता में बनना भी चाहिए। वैसे भी पूर्व संसद भवन को 100 साल पूर्ण होने वाले हैं और शताब्दी वर्ष कहलाकर पुरातत्व धरोहरों के रुप में संरक्षित करने की आवश्यकता प्रतीत होती हैं। लेकिन दूसरी ओर प्रति दिन बेरोजगारियां बढ़ती जा रही हैं, साथ ही नये-नये उद्योगों को प्रस्तावित कर बेरोजगारों को रोजगार प्रदान किया जा सकता हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
  बालाघाट -मध्यप्रदेश
आज की जरुरत है , पुरानी व बिल्डिंग पर रख रखाव खर्च भी बहुत आता है , 
आवश्कता ही आविष्कार की जननी है , समय के साथ चलना ही चाहिए , 
संसद भवन देश की ह्दय स्थली है , सबकी नज़रें वही है , संसद भवन से सारे देश की व्यवस्था चलती है , उसे आधुनिक तकनीक से लेस व सारी सुरक्षा की नई तकनीक से लेंस होना ही चाहिए ! 
अच्छा है कि मौजूदा सरकार संसद भवन की नई इमारत के विषय में गंभीरता से सोच रही है। यह आवश्यक भी है। इस पुरानी और कमजोर इमारत की मरम्मत और रखरखाव पर सालाना 25 करोड़ रुपये खर्च करने से बेहतर है कि उसके स्थान पर आधुनिक फिटिंग एवं लाइटिंग वाली नई इमारत बनाई जाए जिसमें आग से निपटने के भी बेहतर इंतजाम हों। यह विकासशील देशों के लोकतंत्रों के लिए एक मिसाल बननी चाहिए। जहां तक मौजूदा संसद भवन का सवाल है तो उसे एक संग्रहालय बना दिया जाए, या कोई दर्शनीय स्थल भारतीय संस्कृति की झलकियाँ दिखाये की लोग आये व देखे , व जाने भारत का इतिहास ..
हमें सुरक्षा कारणों से भी एक नए संसद भवन की आवश्यकता है। किसी परमाणु या जैविक हमले की स्थिति में सदस्यों को बचाने के लिए फिलहाल कोई माकूल इंतजाम नहीं है। संसद भवन का निरीक्षण करने वाली उच्चस्तरीय सुरक्षा टीम ने ऐसे किसी इंतजाम की संस्तुति की थी। इसी तरह अग्निशमन इंतजाम भी बहुत साधारण से हैं।
संसद भवन नई तकनीक से सुज्जित व सुरक्षित होना चाहिए
नई इमारत बनाने की बात शुरु हो गई है । 
मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है पर देखना यह है कि यह योजना भी बाक़ी योजनाओं जैसी रहेगी या पूर्ण होगी । 
देश की शान होता है संसद भवन 
विदेशी राजनितियज्ञ अतिथि भी यहीं आकर मीटिंग करते हैं तो 
सारी सुविधाओं से युक्त नई तकनीक से लैस संसद भवन आज जरुरत है । 
- डॉ अलका पाण्डेय
 मुम्बई - महाराष्ट्र
  नए संसद की मांग समय की अनुकूल है। जिस तरह तकनीकी क्षेत्र का विकास हुआ है, उस को ध्यान में रखते हुए नए संसद की जरूरत है। 
यह भवन 1927 में बना था।यह अब संसदभवन की पुरानी और कमजोर इमारत होगई है उस से बेहतर है कि आधुनिक सुविधाओं से लैस नई इमारत बने। जो फाइव स्टार सुविधा से लैस रहेगा। *नया संसद भवन*।2022 तक नए संसद भवन पूरा विकास होगा यह भवन भूकंप रोधी भी होगा। तीन चरण में काम पूरा होगा। सबसे बड़ी बात यह है की डिजाइन परिकल्पना भवन निर्माण सभी काम भारतीय निर्माता को मिला है इसकी लागत  
12450 करोड़ रुपए  का खर्च होने का अनुमान है। 20:22 तक पूरा होने का अनुमान है।
मौजूदा संसद भवन को एक संग्रहालय बना दिया जाए ताकि भारत में लोकतंत्र का, भारत के शुरुआती चरणों का स्मरण कराता रहे।
सेंट्रल विस्टा मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, इसके तहत संसद भवन का नया परिसर विकसित किया जाना है इस मामला को विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट लेकर गया है और फैसले की प्रतीक्षा की जा रही है।
लेखक का विचार:- जिस तरह से तकनीकी क्षेत्र विकास किया है यह सुविधा पुराने सांसद भवन में देने के लिए जो लागत आ रही है और साथ में पूर्ण रूप से  सांसद उठा  भी नहीं रहे हैं इससे अच्छा नया भवन  आधुनिक सुविधा के साथ बनाया जाए जैसे सांसद को पूर्ण रूप सुविधा प्राप्त हो।
- विजयेंद्र मोहन 
बोकारो - झारखण्ड
      जब हम दो हजार बीस में सांस ले रहे हैं तो तकनीक भी आधुनिक ही होनी चाहिए। वह चाहे निजी कक्ष हो या संसद भवन हो।
      जबकि संसद भवन वह भवन है, जिसे लोकतंत्र का मंदिर भी कहा गया है और मंदिर की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक का होना स्वाभाविक, आवश्यक एवं अनिवार्य है। जबकि यह बात भी किसी से छुपी नहीं है कि संसद भवन पर पहले भी हमला हो चुका है। जिसे हमारे सुरक्षा कर्मियों ने प्राणों की आहुति देकर शत्रुओं को असफल बनाया था। 
      वर्तमान में भारत के शत्रुओं की संख्या तो और भी बढ़ चुकी है। जैसे नेपाल एक मित्र देश था। जो चीन के उकसावे में आकर शत्रुता पर उतर आया है। पाकिस्तान तो पहले ही शरीक भाई है। इसके अलावा चीन ने कोरोना विषाणु पहले ही फैला रखा है।
      इन हालातों को देखते हुए समय की मांग है कि सुरक्षा की दृष्टि से राष्ट्र में चारों ओर बदलाव किया जाए और संसद भवन को आधुनिक ही नहीं बल्कि अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया जाना चाहिए।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
बिल्कुल होना चाहिए।  संसद भवन एक अति संवेदनशील स्थान है।  देश की अनेक सत्ताओं का प्रत्यक्षदर्शी है संसद भवन।  संसद भवन में न जाने कितने महापुरुषों के पदचिह्न अंकित हैं, स्वतन्त्रता से लेकर अब तक।  शांतिप्रिय और शांतिदूत भारत की संसद में रक्त-चिह्न भी अंकित हैं जो बुजदिल आतंकियों के कायरतापूर्ण कार्य की निशानी है।  बदलती मानसिकता ने गरिमामय देश की संसद की सुरक्षा पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिये।  संसद में भी आतंकियों द्वारा अमानुषिक हमला होगा यह नहीं सोचा जा सकता था। पर ऐसे सिरफिरों के बाद से संसद और संसद से जुड़े सभी महानुभावों की सुरक्षा आवश्यक हो जाती है।  चूंकि आतंकवादी भी आधुनिक हथियारों और तकनीक से सुसज्जित होते हैं अतः ऐसी स्थिति में यह आवश्यक हो जाता है कि संसद को भी आधुनिक तकनीक से लैस कर अभेद्य किले की तरह निर्मित किया जाये चाहे इसके लिए नया संसद भवन निर्मित करना पड़े। पर इस कदम को भीरूपन का संकेत नहीं समझा जाये अपितु कायर आतंकियों को यह संदेश है कि भारतीय संसद समय के साथ चलती है अतः आतंकी यह सोचने की गलती न करें कि संसद पर कोई भी हमला करना आसान होगा। उल्टे आतंकियों के मुख पर यह जबर्दस्त तमाचा होगा। अतः मैं इस बात का पूर्ण समर्थन करता हूं कि आधुनिक तकनीक से लैस नया संसद भवन होना चाहिए। 
 - सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
जी बिल्कुल आधुनिक तकनीक युक्त सांसद होना परम आवश्यक है। देश के नए संसद भवन पर जिससे साइबर हमला भी संभव ना हो, संसद भूकंप रोधी हो एवं फायर प्रूफ होना चाहिए ।यह प्रस्तावित योजना भी आ गई है ।
अगले ढाई सालों तक की जरूरत को ध्यान में रखकर इस पर कार्य किया जा रहा है ।नया संसद भवन परिसर  साइबर क्राइम मुक्त होगा ।वैश्विक आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाएगा, जिसमें एक हजार से ज्यादा सांसदों के बैठने की व्यवस्था होगी ।सभी सांसदों व उनके स्टाफ के लिए अलग-अलग कमरे दिए जा सकेंगे ।
इसमें कुल अनुमानित राशि प्राथमिक तौर पर 12345 0 करोड़ का अनुमान है।
 संसद को बदलने की कवायद भी शुरू कर दी गई है ।संसद भवन को पांच सितारा सुविधाओं से लैस किए जाने की तैयारी की जा रही है ।संसद भवन को फिर से डिजाइन किए जाने की महत्वाकांक्षी योजना के लिए अहमदाबाद स्थित फार्म एचसीपी डिजाइन प्लानिंग को वास्तु सलाहकार के रूप में चुना गया है। विमल पटेल के नेतृत्व वाली कंपनी ने गांधीनगर में केंद्रीय विस्तार अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट का पुनर्विकास भी किया था ,उन्हीं से इस  योजना पर भी विचार किया जा रहा है ,जो कि नितांत आवश्यक है ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
संसद भवन देश का सर्वोच्च भवन है। यहाँ राष्ट्रपति के भाषण से लेकर विदेशी मेहमान तक को न्यौता देकर बुलाया जाता है। 
 इस इमारत का उद्घाटन 28 जनवरी 1927 को हुआ। उस वक्त यहाँ 396 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था थी। लेकिन अब अपने सदस्यों को ही जगह नहीं मिल पाती तो विदेशी मेहमानों की तकलीफों की बात ही न करें। एक अत्याधुनिक कैंटीन की भी व्यवस्था उस भवन के अंदर होनी चाहिए , जिसमें विदेशी खान-पान की व्यवस्था हो। 
अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस भवन की आवश्यकता आज की मोदी सरकार ने समझी। उन्होंने 'सेंट्रल विस्टा' के अंतर्गत इस योजना पर भी विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। इस भवन के रख-रखाव में करीब 25 करोड़ खर्च आते हैं । उन पैसों का सदुपयोग होना चाहिए। क्योंकि 2026 के बाद जब सांसदों की संख्या बढ़ेगी तब नेता एक साथ कैसे हर कार्यक्रम में भाग ले पाएंगे? 
विदेशी मेहमानों को भी हम आसानी से उनके कार्यकलापों को देख पाएंगे। अब हमारी प्रतिष्ठा भी इससे जुड़ी है। सुरक्षा व्यवस्था में भी बदलाव लाने के लिए नए भवन की आवश्यकता है। वोटिंग के वक्त भी कई बार तकनीकी खराबी हो जाती है। जिसके कारण काफी मशक्क्त करनी पड़ती है।
जब हम डिजिटल युग की बात करते हैं तो सबसे पहले संसद भवन को ही डिजिटल होना चाहिए।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
नया संसद भवन मौजूदा सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है ।अभी की संसद भवन का निर्माण अंग्रेजों द्वारा हुआ ।यह वास्तु शास्त्र के अनुसार बनी हुई है 1952 के बाद इसे संसद का रुप दिया गया  ।
आज की स्थिती में  कई कारणों को देखते हुए नये संसद भवन की आवश्यकता हो गई है । दिनों -दिन जनसंख्या बढ़ रही है ,इसके कारण निर्वाचन क्षेत्र और सांसद भी बढ़ रहे हैं ।अभी भी बैठने की कुछ व्यवस्थायें वैकल्पिक की गयी हैं ।विदेशी मेहमान भी  इस व्यवस्था से रुबरु होते हैं ।संसद से जुड़े सभी लोगों को इस परेशानी का सामना करना पड़ता है ।सुरक्षा की दृष्टि से भी संसद भवन में बदलाव जरुरी है ।आज कल युद्ध के कई तरीके हो गये हैं ।कोई आक्रमण हुआ तो सभी की जान खतरे में होगी ।हमारा संसद भवन भी आधुनिक तकनीक से लैस होना चाहिए ।आखिर देश की गरिमा का भी सवाल है मैं तो चाहूँगी हमारा नया संसद भवन 
लोकतंत्र की मिसाल बने ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
आधुनिक तकनीक से लैस नया संसद भवन क्यों नहीं होना चाहिए , अवश्य होना चाहिए बशर्तें सरकार के पास सरप्लस पैसे हों। आज की स्थिति ऐसी है कि सरकार के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए फंड नहीं है। केंद्रीय कर्मचारियों के 1 साल के D.A.काट दिए गए।
  आंख बंद करने से हकीकत छुप नहीं जाती। यह सर्वविदित है कि हमारे देश के दूरदराज गांवों की स्थिति कैसी है? वहां के बदहाल स्थिति का समाचार मीडिया वाले कितना दिखाते हैं, सभी बुद्धिजिवियों  को पता है।
  जनता के टैक्स का पैसा राजनेता कहां इस्तेमाल करें यह उनके ऊपर निर्भर करता है। सरकार आते- जाते रहती है। गरीबों की स्थिति यथावत बनी रहती है। सरकार का प्रथम कर्तव्य है कि जनता के मूलभूत सुविधाओं को बेहतर बनाने और गांव को भी खुशहाल बनाने का प्रयास करे।
  वर्तमान में अस्पतालों की जो स्थिति है और विशेषकर गांव में जितनी कमी अस्पतालों की है ,आज के समय में त्वरित गति से किस ओर काम करने की आवश्यकता है एक अच्छी सरकार भली-भांति समझ सकती है।
  यदि आप कर्तव्यनिष्ठ सरकार हैं और अपने फर्ज को ईमानदारी से पूर्ण करना चाहते हैं तो सर्वप्रथम मूलभूत जरूरतों पर ध्यान देकर पैसों का सही समय पर सही इस्तेमाल करें न कि आधुनिक तकनीक से लैस नया संसद भवन बनाने पर। जनता की आंख के तारे बनें न कि आंख की किरकिरी। आम नागरिक की सरकार से यही अपेक्षा रहती है।
                           -  सुनीता रानी राठौर
‌                        ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2022 तक नये संसद भवन का पूर्ण निर्माण होना है । ये भवन नयी तकनीक से लैस होना चाहिए या नही ये मुद्दा तो बाद कि बात है । पहले दिमाग मे एक प्रश्न यह आता है कि नए संसद्भवन का निर्माण इस समय होना भी चाहिए कि नही ? दरसल जिस प्रकार के चनौती पूर्ण हालात इस समय देश में बने हुए है , भुखमरी अपने चरम पर है और लोग बेइलाज दर बदर भटक रहे है । संसदभवन में वास्तुदोष है ? इसीलिए इसका पुनर्निर्माण कराया जा रहा है । यह बात भी चर्चा का विषय बनी हुई है ।
दरअसल साल 2002 मव लोकसभा स्पीकर रहे मनोहर जोशी ने पहली बार कहा था कि भारत का संसद्भवन वास्तुदोष से ग्रसित है । जिसके बाद ये चर्चा तेज हो गई थी और कही न कही हर नेता , मंत्री के मन मे घर कर गई थी । उसके बाद 13 सांसदों की मौत के बाद ये आशंका ओर भी प्रबल हो गई थी और लगातार हो रही सांसदों की मौतों के सिलसिले ने हर किसी के मन मे घर कर लिया था । बहुत हद तक इस संसद भवन का निर्माण आवश्कता नही बल्कि इन लोगो के मन मे बैठा हुआ डर है ।।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
21वीं सदी के भारत में नवीन विचारों से और आधुनिक तकनीक से युक्त नया संसद भवन होना चाहिए l आज के युग को विज्ञान का युग कहा जाता है l वैज्ञानिक अविष्कारों ने आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में क्रांति ला दी है l 
पूर्व युग- सा आज का जीवन नहीं लाचार, 
आ चुका है दूर द्वापर से बहुत संसार l 
यह समय विज्ञान का, सब भाँति पूर्ण समर्थ, 
खुल गये हैं गूढ संसृति के अमित गुरु अर्थ l 
        महाकवि दिनकर की ये पंक्तियाँ आज संसद भवन के आधुनिक तकनीकी से युक्त होने का भाव ही प्रकट कर रही है l जहाँ अविष्कारों ने मानव जीवन की काया ही पलट दी है वहाँआधुनिक  तकनीकी युक्त संसद भवन होना हम भारतीयों के लिए गौरव की बात होगी l विश्व में भारत प्रतिष्ठित अपनी पहचान को, गरिमा को भी रेखित करेगा l भारत विश्व का सबसे बडा लोकतंत्र है l इस देश की ह्रदय स्थली तो मजबूत, स्वस्थ्य, अधुनिक तकनीक से परिपूर्ण हो l यहाँ सभी देशों के मंत्रियों की बैठक होती है l अतः प्रभावी संसद भवन होना चाहिए l 
त्रासदी के समय पूर्ण सुरक्षा की  भी इसमें व्यवस्था हो ताकि सभी सुरक्षित रहें l 
बदल जायेगा संसद भवन, इशारा बहुत है 
समय को तुम्हारा सहारा बहुत है 
बदल दो जमाना 
1. "काल करे सो आज कर "और आज और अभी की तर्ज पर क्यों न श्री गणेश किया जाये l 
2. बहुत ही सरल है उठे को गिराना 
बहुत ही सरल है बने को मिटाना 
नहीं है सरल किन्तु निर्माण करना 
अगर कर सको तो इसे कर दिखाना. 
         -डॉ. छाया शर्मा 
                अजमेर - राजस्थान 
आधुनिक तकनीकी से लैस नया संसद भवन होना चाहिए क्योंकि परिवर्तन का का युग है आज जबकि देश की सबसे छोटी पाठशाला प्राइमरी स्कूल को भी अत्याधुनिक नई सुविधाओं से युक्त कर आगे बढ़ने के लिए तैयार किया जा रहा है तब संसद भवन और संसद भवन में चुनकर जाने वाले राजनीतिक नेताओं को भी तकनीकी युग में कदम से कदम मिलाकर चलना चाहिए न की संसद भवन में अनुशासनहीनता दर्शा कर ऐसे में हमारे देश की सबसे बड़ी पाठशाला जहां नागरिकों के लिए की देश के लिए सुरक्षा के लिए नियम कानून बनते हैं। वहां पर भवन तकनीकी से लैस होना चाहिए 
कहते हैं जैसा आचरण परिवार में बड़े करते हैं वैसा ही परिवार के अन्य सदस्य भी होते हैं 
जो कि प्रजातंत्र के लिए ही हैवहां पर अत्याधुनिक तकनीकी संयुक्त संसद भवन अवश्य बनना चाहिए संसद भवन की सुरक्षा संसद भवन की गोपनीयता संसद भवन के हित में ध्यान रखते हुए तकनीकी व्यवस्था करनी चाहिए।
- रंजना हरित 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
परिवर्तन संसार का नियम समय के साथ साथ जितनी जल्दी अपने आप को अपडेट करते जाएं जीवन शैली को रहन-सहन के स्तर को तकनीकों के माध्यम से बदलाव लाते जाएं तो वह विकास की एक नई सीडी बन जाती है वर्तमान संसद भवन की जो भी रूपरेखा है वैसे है बहुत ठोस बढ़िया और सहज एवं सरल लेकिन अगर नए तकनीकों से उसे और भी उत्कृष्ट बनाया जाए तो अति उत्तम होगा
यहां पर एक सवाल उठ खड़ा होता है की जितना संसद भवन को उच्च तकनीकी के आधार पर परिवर्तित किया जाए उससे ज्यादा जनता की आवश्यकता ओं की पूर्ति हेतु भी ध्यान दिया जाए यदि दोनों समानांतर रूप से कार्य होगा तो शिकायत का मौका जनता में कम बनेगी वर्तमान परिवेश यह है कि एक छोटा सा उदाहरण में दे रही हूं 5 साल के बाद चुनाव होता है और चयनित व्यक्ति संसद के सदस्य होते हैं हो सकता है अगले 5 वर्षों में उनका पुनः चुनाव नहीं होगा और वह चयनित भी नहीं होंगे लेकिन 5 साल की जिंदगी में वह इतना कमा लेते हैं की 2 से 3 पुस्त उनका आराम से जिंदगी गुजारे गा साथी साथ उन्हें पेंशन भी उतनी ही मिलती है लेकिन सामान्य नियम यह है कि किसी भी संस्था में यदि 20 वर्ष तक लगातार कार्य किया जाए तभी पेंशन की सुविधा उपलब्ध होती है अब बताइए खुद सोचिए की क्या यह सरकार की दो नीति नहीं है इसलिए जनता उग्रवादी हो जाती है और संसद के सदस्य बनने के लिए हर संभव प्रयास में जुट जाती है वह इस बात को अच्छी तरह जानती है कि अगले चुनाव में उसका श्वेत चयन नहीं होना है इस आभास के साथ अपनी नीति बदल कर विकास कम आत्मिक विकास पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है
संसद को नई तकनीकों से लैस करना अच्छी बात है पर साथ ही साथ जनता के आवश्यकता हित की बात भी सोचनी है
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
यह संसार परिवर्तनशील है।जो व्यवस्था हम कार्य करने के लिए बनाए रहते हैं उनमें त्रुटियां पाई जाती है।तो उसे व्यवस्थित करने हेतु परिवर्तन करने की आवश्यकता होती है कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि जो वस्तु बनाया गया है और उसकी उपयोग हो रही है।उससे हमारी व्यवस्था में व्यवधान नहीं हो रहा है।फिर भी लोग आधुनिकता की चपेट में आकर परिवर्तन के बारे में सोचते हैं ऐसी मानसिकता दिखावा के लिए होता है।वरना बनाया वस्तु को अनुपयोगी ना होते हुए भी उसमें चकाचौंध की पॉलिश चढ़ाकर परिवर्तन कर लेते हैं।यह बात ठीक नहीं होता संसद हर देश का महत्वपूर्ण स्थल होता है।वही देश की कार्य व्यवहार क्रिया वन्य होता है कहीं भी का संसद सोच समझकर बनाई जाती है।उसके तहत आने वाली समस्त आवश्यकताओं के बारे में विचार कर बनाया जाता है।इसके बावजूद अगर उसमें परिवर्तन की आवश्यकता होती है तो जरूर करना चाहिए अनावश्यक एक दूसरे को देखकर हमारी जो व्यवस्थित व्यवस्था होती हैं उसे नहीं अव्यवस्थित अर्थात परिवर्तन नहीं करना चाहिए जहां जहां परिवर्तन की आवश्यकता होती है वही करना चाहिए आधुनिक तकनीक से लैस नया संसद भवन बना लेने से देश की उन्नति बढ़ जाएगी ऐसा नहीं है जितना अधिक आधुनिक तकनीक का विकास हो रहा है उतना ही अधिक जैविक मूल्य चारित्रिक पतन हो रहा है।समाज में अनेक अमानवीय घटनाएं घट रही हैं।अच्छा खाना अच्छा कपड़ा पहन लेने से व्यक्ति अच्छा नहीं होता शरीर अच्छा दिखता है शरीर भी स्वस्थ होता है या नहीं यह भी निश्चित नहीं होता संसद को चकाचौंध आधुनिक तकनीकी करण कर लेने से संसद की महत्व बढ़ जाएगी ऐसा नहीं है।संसद सुंदर सुसज्जित जरूर दिखेगा लेकिन संसद का क्रिया वन्य में गुणात्मक परिवर्तन नहीं होगा तो संसद का कोई महत्व नहीं होता शब्दों के रूप में होता है।औरतों की प्रायोजन समझना नहीं आ रहा है।ग्रुप तो कहीं बातों से यही कहते बनता है कि आधुनिक तकनीकी लैस नया संसद भवन होना चाहिए यह आवश्यकता आधारित होना चाहिए वस्तु का सदुपयोग ही सुरक्षा है।जिससे अस्तित्व में व्यवस्था बनी रहती है।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
अवश्य होना चाहिए! संसद भवन से ही सारे देश की व्यवस्था तो चलती है! बाकी आज यदि हम नये संसद भवन की सोच रहे हैं तो इसका मुख्य कारण सुरक्षा है! 
सुरक्षा की दृष्टिकोण से हम देंखे तो कुछ वर्ष पहले संसद भवन में  आतंकी हमले हुए थे संसद में कार्य करने वाले तमाम लोगो की जान खतरे में थी !
ऐसी कोई व्यवस्था नहीं  थी जहां उन्हें  सुरक्षा मिले! 
अमेरिका में  कुछ महीने पहले रंग भेद के चलते डोनाल्ड ट्रंप की जान खतरे में  थी! व्हाइट हाउस में बंकर की व्यवस्था  थी उन्हें  वहां रखा गया वहीं  से वे जनता के संपर्क में रह कार्य करते थे पूर्ण सुरक्षित  थे! अन्य देश में  भी भवन में व्यवस्था है शायद हमारे यहां भी हो किंतु शायद न भी हो चूंकि अंग्रेजों के समय की बिल्डिंग  है! पुष्टि नहीं  है अतः सुरक्षा की दृष्टि से देश को सुचारु रुप से चलाने वाले, और जहां देश केअहम और गुप्त निर्णय लिए जाते हैं वह आधुनिक तकनीक से लैस होना ही चाहिए  !
- चन्द्रिका व्यास
मुम्बई - महाराष्ट्र
ऐसा कहा जाता हैं की आज का जो संसद भवन हैं वह अंग्रेजो का बनाया हुवा हैं हमारे लिये तो यह गुलामी के यादों को ताजा करने के समान ही हैं भारत वर्ष में आज भी कई अंग्रेजो के बनाये हुवे स्थान भवन हैं उनकें नाम से हैं जीसे भी बदलने की महती अवश्यकता हैं ऐसे में यदी भारत में आजादी के 73 वर्षो बाद ही सही हम आधुनिक तकनीक से लैस नया संसद भवन बनाते हैं तो यह सम्पुर्ण भारत वर्ष के लिये गौरव की बात होगी ।
- कुन्दन पाटिल
 देवास - मध्यप्रदेश
परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है।अगर हम नई तकनीक को नहीं अपनाएंगे तो पिछड़ जाएंगे परंतु ये भी सही है कि एक मापदंड तय होना चाहिए किसी परिवर्तन को अपनाने की।नई तकनीक की समझ होनी चाहिए तभी कार्य सम्पादन ठीक तरीके से हो पाएगा।विकास एवं परिवर्तन एक दूसरे के पूरक हैं अतःसंसद के आधुनिक तकनीक से लैश होने से देश की उन्नत्ति ही होगी।
                   - संगीता सहाय
रांची - झारखण्ड

" मेरी दृष्टि में " भारतीय संसद भवन आधुनिक तकनीक से लैस के साथ - साथ विभिन्नता में एकता का प्रतीक भी होना चाहिए । जो समय के साथ - साथ , सभी तरह की मांग की पूति करने वाला होना चाहिए ।
                                                   - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 






Comments

  1. आज की चर्चा में हमें डॉ० कुमकुम वेदसेन जी का विचार तर्कसंगत और सारगर्भित लगा।

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