क्या इस बार चीन की बर्बादी निश्चित है ?

       चीन की स्थिति जगल में गीदड़ के सामान है । उस को नहीं पता है कि शेर भी जंगल में रहता है । चीन की स्थिति गीदड़ जैसी हो गई है । जो चारों और से घिर गया है । अब देखना है कि चीन की हालत , उसे कहाँ तक पहुचाती है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
                                 
हां सो फ़ीसदी यह बात अब सच होती हुई नजर आ रही है कि चीन की बर्बादी निश्चित है क्योंकि वहसंपूर्ण विश्व में महा शक्तियों से लड़ाई ले रहा है अमेरिका से अलग उससे भी बात कर रहा है हांगकांग की अलग समस्या है भारत की भी सीमा पर कब्जा करने की नीति और किसी से मिलकर रहना ही नहीं चाहता अपने आप को सुप्रीम पावर महाशक्ति दिखाने की होड़ में कई लोग बर्बाद हो जाते हैं उसे भी रावण की तरह अभिमान हो गया है उसका अभिमान चूर चूर होना ही चाहिए।
- प्रीति मिश्रा
 जबलपुर  - मध्य प्रदेश
जो हालात चीन ने स्वयम खड़े किए हुए है और लगातार जिन विश्वविरोधी कार्यो पर चीन बना हुआ है , उसे देख तो यही प्रतीत होता है कि चीन बहुत जल्दी ही अपने विनाश का कारण स्वयम बनने वाला है । जब भी किसी इंसान को अहम या वहम कुछ भी हो जाता है , तो वह स्वयम के पतन का कारण बन जाता है और चीन को देखिए चीन को अहम ओर वहम दोनो ही है , जिसके ललाट पर उसकी बर्बादी को बंद आंखों से भी देखा जा सकता है ।
वहीं चीन का अमेरिका , भारत , वियतनाम से आज सीधा विवाद है , जो चीन को नास्तेनाबूत करने के लिए चीन की एक हल्की सी चूक का इंतेजार कर रहे है । कमाल बात ये भी है कि विश्व मे कोई भी देश आज चीन का साथ देने के लिए तैयार नही है । यहाँ तक कि चीन का मित्र रूस भी अब उसका साथ छोड़ खुलकर भारत के पक्ष में आ गया है । जापान ने भी सीक्रेट डील को मंजूरी दे दी है । ये सब बाते चीन का भविष्य अंधकार में ही दर्शा रही है । जिससे साफ हो जाता है कि चीन ने अपनी बर्बादी स्वयम ही निश्चित की हुई है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
चीन के 'पापों का घड़ा' भर चुका है और अब चीन दुनिया के भंवर में हिचकोले खाती उस नाव के समान है जिसका डूबना निश्चित है। बशर्ते चीन के विरूद्ध  भारत-अमेरिका-रूस सहित अन्य देशों के अन्दर चीन के विरूद्ध लड़ने का जज्बा तब तक कायम रहे जब तक चीन 'घुटनों पर न आ जाये'। 
चीन विगत कई वर्षों से अपनी विस्तारवादी नीति के तहत अपने पड़ोसी देशों को परेशान करता रहा है इसके साथ ही उसने विश्व को कोरोना वायरस देकर 'अपने पैरों में खुद ही कुल्हाड़ी मार ली है'।  गलवान घाटी में भारत के साथ की गई उसकी कायरतापूर्ण हरकत ने तो जैसे 'आग में घी का काम किया है'। 
अमेरिका और भारत खुलकर उसके सामने आ गये हैं। जबकि सच्चाई यह भी है कि विश्व के अनेक देश चीन से तंग आ चुके हैं और उसके  दुष्कर्मों की सजा देने को एकजुट हो रहे हैं।
कहावत है "बकरे की मां कब तक खैर मनायेगी"। इसी प्रकार अब चीन को अपनी कुटिलताओं के परिणाम झेलने के लिए तैयार रहना चाहिए। 
मुझे आश्चर्य होता है कि आज के वैश्वीकरण के दौर में चीन विश्व पर संप्रभुता का स्वप्न कैसे देख सकता है? भले ही चीन विश्व पर राज करने के लिए साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाले परन्तु वह यह क्यों भूल जाता है कि यही नीतियां विश्व के अन्य देशों द्वारा अपनाकर उसे नेस्तनाबूद किया जा सकता है।
चीन की बुरी नियत को विश्व के शक्तिशाली देश अब समझ गये हैं और इसीलिए चीन को जल-थल-नभ में घेरने की तैयारियां की जा रही हैं, जिसके कारण चीन का बर्बाद होना तो भविष्य के गर्भ में है परन्तु यह निश्चित है कि इस बार चीन को कड़ा सबक मिलने वाला है।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
कहते हैं हम जैसा बीज  बोते हैं ।वैसा ही फल होता है ।वर्तमान समय में चीन काँटों की पौध लगा रहा है ,अतः उसकी बर्बादी निश्चित  है ।पाप का घड़ा जब भर जाता है तो वह स्वयं टूट जाता है ।चीन ने दुनिया को कोरोना जैसी बिमारी दी जो आज मानवता की दुश्मन बन गई है ।दुनिया कंगाली के कागार पर खड़ी है ,दुनिया की बर्बादी में भी वह स्वयं के विकास का रास्ता खोज रहा है ।कितने ही देशों की जमीन हड़पने में लगा है ।गिने -चुने देश को छोड़ कर सभी उसके विरोधी बन बैठे हैं ।दक्षिण चीन सागर में अमेरिका चुुनौती दे रहा है ,चीन सीमा पर भारती विमान युद्ध के साजो-सामान  जवानों के साथ इकठ्ठा कर रहा है ।
जापान, फ्रान्स ,आस्ट्रेलिया,इटली  सभी चीन के विस्तारवादी नीति का विरोध कर रहे हैं । चीन की दुर्दशा उसकी अपनी ही नितियों और घमडं  के कारण होगी ।
- कमला अग्रवाल
गाजियाबाद - उत्तर प्रदेश
     चीन ने अल्पकाल में बहुत तेजी के साथ विकास की ओर अग्रसर हुआ। वहां के चीनी नागरिकों द्वारा बहुआयामी व्यक्तित्व का परिचय देते हुए, हर वस्तुओं को बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया हैं, जिसे नकारा नहीं जा सकता हैं। समस्त राष्ट्रों में अपनी कौशलता दिखाते हुए, अपनी अर्थव्यवस्था तथा सैन व्यवस्था को मजबूत करने में अहम भूमिका रही हैं, उसके बाद चीन का अपना अहम धीरे-धीरे सामने आने लगा। उसका ध्यान तब सामने आया, जब भारत ने चीनी वस्तुओं की उपयोगिता कम कर दी, उसके बाद से चीन सतर्क हो गया और अपने व्यवहार में बदलाव करना प्रारंभ कर दिया तथा भारतीय सीमा नियंत्रण रेखाएं के पास गुप्त व्यवस्थाओं को जन्म दे दिया, आज उसी का फायदा उठाकर, यह साबित कर दिया, कि हमसे सतर्क रहें?  चीनी अचानक आक्रमण होने से भारत ने भी पूर्ण रूप से चीन को सबक देने का  इंतजाम पूर्ण रूपेण कर लिये हैं, उसी का ही परिणाम अब भारत, चीन को बर्बाद करके ही छोड़ेगा। क्योंकि भारत का सहयोग जापान, अमेरिका आदि दे रहे हैं, जिसका दूरगामी परिणाम भी देखने को मिल रहा है कि 
चीन ने जिस तरह से अचानक आक्रमण किया था, भारत के साथ-साथ उसे भी अप्रत्यक्ष रूप से हानि तो हुई हैं, चीन को वे ही राष्ट्र सहयोग कर रहे हैं, जो भारत की व्यापकता व्यवस्थाओं को देख नहीं सकते हैं। चीन के साथ-साथ, भविष्य में उन राष्ट्रों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता। इस तरह से चीनी व्यवस्था डगमगाई हैं, जो बर्बादी के लक्षण प्रतीत हो रहे हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
   बालाघाट - मध्यप्रदेश
 वर्तमान की स्थिति देखने से तो यही लग रहा है चीन की बर्बादी निश्चित है क्योंकि चीन विश्व में जो महामारी कोरोना कोविड-19 लाकर विश्व को  समस्या में डाला है उसे भुलाया नहीं जा सकता, सभी की आह चीन को बद्दुआ दे रही है यह बद्दुआ कहां जाएगा जहां से यह समस्या निकली है वही जाएगा अर्थात चीन को सभी की नजर लगी हुई है अर्थात बद्दुआ लगी हुई है चीन समस्या में घिरेगी और बर्बाद होगी ।अभी यहीं आकलन हो रहा है क्योकि  प्रकृति का नियम है हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, जो जैसा क्रिया करेगा उसको प्रतिक्रिया के रूप में वैसा ही फल मिलेगा। दूसरों को समस्या में डालने वाला खुद समस्या में घिरा हुआ अपने को अकेला महसूस करता है ।यहीं से उसका मनोबल टुटने लगता है यही स्थिति चीन की है। अगर चीन गंभीरता से नहीं समझेगा तो इसकी बर्बादी निश्चित है। अंदर से बौखलाया हुआ और बाहर से धौंस जमाता हुआ आज चीन की बुरी  दुर्दशा दिखाई दे रहा है। चीन को जो भी करना होगा, उसे बहुत सोच समझ कर करना होगा ,नहीं तो चीन को मरना होगा निश्चित ।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - छत्तीसगढ़
‘विनाश काले विपरीत बुद्धि’ - बौखला चुका चीन अब अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसे कार्य कर रहा है।  विश्व की शक्तियों से पंगा लेकर उसने अपनी बर्बादी की शुरुआत की है। अपनी युक्तियों को धराशायी होते देखकर शी जिनपिंग तिलमिला चुके हैं और कुछ भी अनाप-शनाप किये जा रहे हैं।  उनके सोचने की शक्ति समाप्त हो गई है और अब वे केवल शैतानी दिमाग का प्रयोग कर रहे हैं।  आक्रामक रुख अपनाने से कोई लाभ नहीं है उन्हें यह समझ नहीं आ रहा।  उनकी धमकियां गीदड़ भभकी जैसी हैं।  अंदर से डरे हुए और बाहर से डराते हुए वे यह संदेश देना चाहते हैं कि विश्व के देशों द्वारा उठाए जा रहे कदमों और कोरोना वायरस के फलस्वरूप उन्हें कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। तेजी से भागता हाथी जब बौखला जाता है तो उसकी रफ्तार भी धीमी हो जाती है और वह रास्ता भी भटक जाता है।  यही हाल शी जिनपिंग का हो रहा है। उन्हें अब नहीं सूझ रहा कि वे इतनी अधिक चुनौतियों का मुकाबला कैसे करेंगे जब ले देकर उनके साथ दो चार कमजोर देश खड़े हैं जिनकी अपने ही यहां बगावत की सुगबुगाहट है। पश्चिमी देश उसके खिलाफ हो गए हैं। विदेशों में रह रहे चीनियांे को इस बात का एहसास बखूबी होने लगा है। चीन ने हफ्तों तक कोविड-19 की बात छिपाई, इससे भी इस पहल पर नकारात्मक असर हुआ है।
चीन द्वारा सीमा पर उठाये गये कदम के पीछे मंशा थी चीन का दबदबा साबित करना पर यह दांव ठीक नहीं बैठा।  लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन ने जब घुसपैठ की भारत ने उसका करारा जवाब दिया। भारत कभी इस डर से चुप नहीं बैठेगा। ऑस्ट्रेलिया ने भी आयात बंद करने की चीन की धमकी को नजरअंदाज करते हुए चीनी सैनिकों के आने पर रोक लगा दी है। दक्षिण चीन सागर में जापान और दक्षिण एशियाई देश चीन के आगे मिलकर खड़े हैं और उससे समुद्र के नियमों का पालन करने की हिदायतें दे रहे हैं। हांग कांग के लिए नए कानून बनाकर चीन को वैश्विक स्तर पर आलोचना झेलनी पड़ रही है, लेकिन अहंकारी जिनपिंग शायद ही अपना निर्णय बदलें। 
अगर चीन ने अपना अहंकार नहीं छोड़ा तो इस बार चीन की बर्बादी निश्चित है।
- सुदर्शन खन्ना
 दिल्ली
चीन तो युद्ध से पहले ही बर्बाद होने के रास्ते पर चल पड़ा है भारत के कुछ निर्णय चीन की अर्थव्यवस्था को पटरी से उतार सकते है जैसे बहुत सारी मोबाइल एप्स बंद करना, चीन की बनी वस्तुओं की ख़रीदारी का बहिष्कार करना ।
वैसे भी तो अब पुराने ज़माने की युद्ध शैली नही है जब एक साधारण सा गोला तोपों से निकल कर कुछ दूर जा गिरता था कोई सामने आ गया तो मर गया। ना सटीक निशानेबाज़ी थी और न ही एटॉमिक हथियार थे युद्ध में बहुत कम साजों सामान की ज़रूरत होती थी । वर्तमान में चीन पर परमाणु बम है भारत पर भी और तो और लगभग सभी परमाणु शक्ति सम्पन्न राष्ट्र भारत के साथ युद्ध में आने को तैयार बैठे हैं अगर युद्ध हुआ तो निश्चित ही चीन पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा बर्बाद हो जाएगा । दरअसल चीन को भारत ६२ का भारत नहीं समझना चाहिए क्योंकि अब भारत के पास बहुत बड़ी सैन्य शक्ति है तीनों सेनाओं के पास युद्ध सामग्री व रण कौशल की कमी नही है और किसी भी परिस्थिति में युद्ध लड़ सकती हैं. चीन की सेना के पास युद्ध का बहुत अच्छा अनुभव भी नही है । जिसमें हारना तय है चीन ने अपने सीमावर्ती सभी देशों के साथ तनावपूर्ण संबंधों को जन्म दे रखा है जो परिस्थितियों को प्रतिकूल दिशा में ले जाता है. और चीन की बर्बादी के माहौल को जन्म देता है । अमेरिका और रूस का भारत के साथ खड़ा होना आस्ट्रेलिया फ़्रांस ताइवान का समर्थन चीन के विनाश का कारण है जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
लगता तो यही की चीन के दिन अब ख़त्म , लोगों को कष्ट पुहूचाने वाला कहाँ चैन से बैठने सकता है । 
भगवानों घर देर है अंधेर नहीं.... है 
कोरोना चीन की अर्थव्यवस्था को जल्द ही गर्त में धकेल सकता है। कोरोना के बाद से चीन के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट BRI पर तो जैसे काले बादल मंडरा रहे हैं। कई देशों में BRI का प्रोजेक्ट ठप पड़ा हुआ है तो वहीं कई देश अब चीन के दिये गए कर्ज़ को चुकाने में आनाकानी कर रहे हैं तथा और समय की मांग कर रहे हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि चीन अब अपने बिछाये कर्ज़ के जाल में खुद ही फंस गया है और उसके द्वारा दिया गया हजारों करोड़ रुपये का कर्ज़ डूबने की कगार पर खड़ा है।
दरअसल, कोरोना के बाद से चीन समेत कई देशों में चीन के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट BRI का काम रुक गया है। अब पाकिस्तान समेत कई देशों ने इस प्रोजेक्ट के लिए चीन द्वारा दिये गए कर्ज़ को चुकाने के लिए लगभग 10 वर्ष अधिक समय की मांग की है। एक रिपोर्ट के अनुसार, इस्लामाबाद कर्ज़ को वापस चुकाने के लिए 10 साल तक की देरी करना चाहता है और बीजिंग के पास सहमत होने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। पाकिस्तान को देख कर कई अन्य देश भी चीन से इसी तरह की मांग करने लगे हैं। फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार “बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव” में शामिल संकटग्रस्त देशों ने चीन से कर्ज़ में राहत के लिए आवेदन किया है और इसका कारण सिर्फ कोरोना वायरस ही बताया गया है।
यानि अब चीन को वुहान वायरस की वजह से ही अपने कर्ज़ को पुनः प्राप्त करने में और अधिक समय लगने वाला है, परंतु इसकी भी निश्चितता नहीं है क्योंकि अब कई देश चीन के कर्ज़जाल की कूटनीति को समझ चुके हैं।
बता दें कि वर्ष 2013 में चीन ने देशों में चीनी व्यापार को बढ़ाने के लिए एक मल्टी-ट्रिलियन डॉलर इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट BRI को परिकल्पित किया था। अपने इस प्रोजेक्ट के तहत विकास के नाम पर चीन ने अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया और यूरोप में अरबों डॉलर की कई परियोजनाओं  को वित्तपोषित किया है। अन्य देश विकास के नाम पर ऋण लेते गए और चीन देता गया।
चीन BRI के माध्यम से किसी प्रोजेक्ट के लिए एक देश को इतना कर्ज़ दे देता है कि आगे चलकर उस देश के लिए वह कर्ज़ चुकाना मुश्किल हो जाता है। इसके बाद बदले में चीन उस प्रोजेक्ट पर पूरी तरह अपना नियंत्रण कर लेता है।इसके साथ ही प्रोजेक्ट के लिए चीन के पास जो ज़मीन गिरवी रखी गई होती है, वह उसे भी अपने नियंत्रण में ले लेता है। उदाहरण के लिए जिबूती बंदरगाह और हम्बनटोटा बंदरगाह। परंतु अब कई देशों को चीन के इस कुटिल नीति का पता चल चुका है और वे धीरे धीरे अपने आप को बचाने में लगे हैं।
पिछले ही वर्ष दो अफ्रीकी देशों सियरा लियोन और तंजानिया ने पिछले साल BRI से स्वयं को दूर कर लिया था। वर्ष 2018 में म्यांमार ने भी क्यायूकफ्यू बंदरगाह प्रोजेक्ट छोटा कर दिया था। इस बंदरगाह को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव प्रोजेक्ट के तहत बनाया जाना था। मलेशिया में भी ईस्ट कोस्ट रेल लिंक (ECRL) प्रोजेक्ट की लागत भी शुरू से दो तिहाई घटा दी गई थी।
यानि देखा जाए तो BRI वास्तव में चीन के ऋण जाल की वजह से ही ढह रहा है। इसके बाद आए कोरोना ने इस प्रोजेक्ट को दोहरा नुकसान दिया है। कई देशों की अर्थव्यवस्था डूबने के कगार पर है और इसी कारण से ये BRI के सदस्य देश चीन को कर्ज़ चुकाने में देरी के लिए मजबूर कर रहे हैं।
चीन ने एक बार नहीं कई बार भारत को धोखा दिया है, इसलिए चीन के प्रति भारत के जन-मानस का आक्रोश बढ़ता चला जा रहा है। गलवान घाटी में भारतीय सेना के 20 जवानों की शहादत को याद करते प्रत्येक भारतीय चीन से युद्ध करने तक को तैयार है। सीमा पर तो हमारे जवान मोर्चा संभाले हुए हैं, आर्थिक मोर्चे पर हम सब को चीन विरुद्ध लडऩा होगा। 
चीन को हराना ही होगा , 
- डॉ अलका पाण्डेय 
मुम्बई -महाराष्ट्र
इस बार चीन की बर्बादी हर हाल में निश्चित है। भारत ने चीन के 59 मोबाइल एप पर प्रतिबंध लगाकर इसकी शुरुआत भी कर दी है। कोरोना का जीवडू तैयार कर पूरे विश्व में महामारी फैलाकर मौत का तांडव मचाने के कारण अमेरिका, जापान, भारत, आस्ट्रेलिया सहित दर्जनों देश चीन के खिलाफ हैं। अमेरिका में कोरोना संक्रमण से सबसे अधिक मौते हुई है। भारत के साथ अमेरिका सहित अन्य देशों ने भी चीन से अपने कारोबार को समेटना शुरू कर दिए हैं। चीन के खिलाफ आर्थिक मोर्चे पर भारत, अमेरिका सहित कई देशों ने हमला बोल दिया है। सबसे पहले तो चीन आर्थिक मोर्चे पर बर्बाद होगा। इसके बाद लद्दाख के गलवान घाटी सीमा पर भारत के साथ गतिरोध जारी है। भारत चीन को हर मोर्चे पर जवाब देने को तैयार है। भारत के समर्थन में अमेरिका पहले से ही साथ खड़ा है। जापान भी भारत के साथ खुलकर सामने आ गया है। अमेरिका ने तो चीन की घेराबंदी भी शुरू कर दिया है। अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में दो विमान वाहक पोत भेज दिया है। इसके साथ ही भारत ने चीन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए जापान, आस्ट्रेलिया और यूके आदि देशों से खुफिया सूचनाओं की आदान प्रदान करने पर चर्चा की। अमेरिका के साथ पहले से ही खुफिया सूचनाओं को साझा किया जा रहा है। जापान अपनी समुद्री सीमा में चीन द्वारा अतिक्रमण का विरोध कर रहा है। चीन से तनातनी के बीच एलएसी पर भारत ने वायुसेना की चौकसी बढ़ा दी है। भारत हर चुनौती का जवाब चीन को देने के लिए तैयार है। 
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
चीन महत्वाकांक्षी देश है। यह कभी भी अपनी परिस्थिति से संतुष्ट नहीं होता। कभी विकास की बातें नहीं करता। अगर यह किसी भी देश के प्रवेश करता है तो इसकी पॉलिसी विस्तारवाद की ही होती है। यह अंग्रेजों की तरह "कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना" वाली आदत का गुलाम है। इसलिए इसे सबक याद कराने की आवश्यकता है। 
 यह हमेशा हथियाने की फिराक में ही रहता है। आज यह कोरोना काल को भी अपने विस्तारवादी मनसा को पूरा करने में लगा रहा है। चीन कोअपनी ताकत का इतना घमंड है कि उसे चौतरफे वार की भी चिंता नहीं है। जब कि मालूम है कि सभी कोरोना के फैलने का कारण चीन को ही बता रहे हैं। अमेरिका, ब्रिटेन भारत के साथ खड़ा है, इसलिए 'अब की बार, चीन की हार' ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
मपूरे देशवासियों की नजर में है- भारत की जय निश्चित है ,युद्ध तय भी है। चीन की बर्बादी। खगोल शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण जो लगा है। इस ग्रहण से चीन के विनाश का संयोग बन रहा है। संजोग नहीं  यह प्रयोग है।
भारत ने LAC पर लड़ाकू विमान बढ़ाई ।वायूशक्ति हर हमले के जवाब देने को तैयार।
चीन के सहयोग करने वाला पाकिस्तान भी अपनी ताकत बढ़ाई है,लेकिन उसे मालूम होना चाहिए अगर चीन का साथ देंगे तो भारत द्वारा मिट्टी पलीत कर दिया जाएगी ।लेकिन पाकिस्तान क्या करें चीन के कर्ज़ में फसा है । उसकी हालत सांप छछूंदर की हो गई है ।
चीन किस किस से लड़ेगा- भारत ताइवान अमेरिका ऑस्ट्रेलिया पूरी दुनिया से बैर ले लिया है। उसके बर्बादी निश्चित है। चीन अपने गुस्ताखी की सजा उसके बर्बादी ही होगी।
एक कहावत है" विनाश काले विपरीत बुद्धि"। चीन का विनाश काल आता दिखाई देने लगा। इस वक्त ड्रैगन के ऊपर रामधारी सिंह दिनकर जी की कविता बिल्कुल सटीक बैठती है दिख रही है " जब नाश मनुज पर छाता है पहले विवेक मर जाता है"। हम इसलिए कह रहे हैं इसके पीछे की वजह बताते हैं कोरोनावायरस पर पूरी दुनिया का गुनाहगार है अपने गुनाहों को छुपाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है।
चीन कर रहा है युद्ध की तैयारी लेकिन किस किस के साथ करेगा कहना अनिश्चित है पूरे दुनिया का दुश्मन बनने के लिए फडफडा रहा है। चीन भूल गया है कि उसकी एक छोटी सी गुस्ताखी उसे भारी कीमत चुकाने के लिए मजबूर कर देगा। एक तो चोरी ऊपर से सीना जोरी दिखाना चाहता है।शी. जिनपिंग अपने सेना को सलाह दिए हैं तैयारी और ट्रेनिंग ट्रेनिंग बढ़ाओ सबसे खराब स्थिति की कल्पना करो। और मुसीबत को कारगर तरीके से निपटें की कोशिश करो। चालबाज चीन अपना गेम प्लानिंग कर रहा है।
लेखक का विचार:- चीन बर्बादी की ओर कदम बढ़ा रहा है अगर साथ पाकिस्तान देगा तो उसे भी भुगतना होगा। 
भारत के साथ अमेरिका ऑस्ट्रेलिया जापान ताइवान वियतनाम जैसे देश साथ खड़ा है। तो भारत को विजय होना निश्चित है। इस युद्ध के बाद चीन के आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर हो जाएगी।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
देखो भाई कल क्या होगा यह किसी को नही पता पर यह तय हैं की हमारे कर्म हमारा पिछा नही छोड़ते ओर चीन ने तो सम्पुर्ण मानव जाती को ही संकट में डाल दिया हैं यह कर्म कताई क्षमा योग्य नही हैं। बात यही समाप्त नही होती चीन ऐसा देश हैं जो अपनी गलती मानने को त्यार नही हैं अपनी शक्ती के बल पर छोटे देशों को दबाना चाहता हैं। पहले अपनी गलती नहीं मानना ओर फिर अपने पढोसी देशों से विवाद करना दर्शाता हैं की "विनाश काले विपरित बुद्धी" हो चली हैं।ऐसे में यही प्रतित होता हैं की बात आगे बढी तो बहुत बढा विनाश होगा साथ ही साथ चीन को इसकी बहुत ही बढी किमत चुकानी पढेगी।
- कुन्दन पाटिल
 देवास - मध्यप्रदेश
जी हाँ मेरे मतानुसार  भारत की सैन्य तैयारी से चीन की बर्बादी निश्चित है । भारत ने अभी तक संरक्षात्मक रूख चीन के प्रति बनाया था , जिससे युद्ध में जान ,माल का विनाश नहीं हो । शांति बनी रहे लेकिन भारत के गलवान के महावीरों ने अपने खून के कतरे ,कतरे से भारत माँ पर आँच नहीं आने दी ।
 सैनिकों के आत्मविश्वास शौर्य , वीरता से चीनियों को मुँह की कहानी पड़ी है । धोखेबाज चीन का विस्तारवाद का खेल अब खत्म हो गया है।  भारत के वीरता के वीडियो को दुनिया ने देखा । अगर चीन ऐसे ही घुड़की देगा तो  माँ को छेड़ेगा तो उसे खत्म करके ही दम लेगा ।
कहते हैं गीदड़ की मौत आती है । शहर की ओर भागता है ।
 अगर चीन  कहीं भारत के साथ युद्ध करेगा तो भारत के साथ सारे पड़ोसी देश ,  मित्र राष्ट्र जैसे अमेरिका , जापान , रूस आदि भारत  का साथ देंगे फिर चीन की बर्बादी पक्की है । 
चीन का सीमा विवाद 23 देशों के साथ है । वियतनाम की सीमा का विवाद है । दक्षणी कोरिया , भूटान आदि देशों के नाक में दम कर रखा है । आस्ट्रेलिया भी चीन के खिलाफ है 
चीन के पड़ोसी  देशों से भारत की मित्रता है ।  समुद्र में भी चीन मोदी की चाल से फँस जाएगा । भारत की ताकत , कूटनीति , युद्ध नीति को देखते हुए चीन को परास्त करना संभव है ।
- डॉ. मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
यदि वर्तमान स्थिति की बात करें तो लगता है कि इस बार चीन की बर्बादी निश्चित है।एक ओर उसकी अपनी जनता द्वारा देश में ही सरकार का विरोध और दूसरी तरफ विश्व के कई देशों द्वारा चीन के प्रति कड़ा रुख।किसी ने व्यापार पर रोक लगाई तो किसी ने उसे सैन्य खलबलियों को लेकर धमकी दी है।यानि चीन हर तरफ से घिरता जा रहा है।शिकंजा कसता जा रहा है।यह उसके लिए की ही सजा है।
          अब यदि उसने अपनी आदतों को जरा सा नियंत्रित नहीं किया या फिर  उन पर सुधार नहीं किया तो उसको इसका बुरा अंजाम भुकतना होगा।यदि विदेशों में व्यापार पर पाबन्दी लग गई तो चीन का सबसे बड़ा नुकसान यही होगा क्योंकि उसे आर्थिक झटका लगेगा।जिसके कारण उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा जाएगी और उसका सीधा असर देश की शांति भी पड़ेगा।लोगों के रोजगार के अवसरों पर भी असर पड़ेगा।इतना सब होने के बाद चीन अब बैकफ़ुट पर जरूर आएगा।जैसी करनी वैसी भरनी कहावत बिल्कुल यथार्थ होती नजर आएगी।अगर ऐसा नहीं करता है तो चीन की बर्बादी निश्चित है।
- नरेश सिंह नयाल
देहरादून -उत्तराखंड
हां चीन के व्यवहार को देखते हुए तो ऐसा ही लगता है! उसकी घेराबंदी चारो तरफ से हो गई  है! समुचे विश्व में ऐसा कौन सा देश है(पाकिस्तान को छोड़कर) जो उसका मित्र हो! कोरोना महामारी  देकर उसने सभी से पंगा ले लिया है! उसकी जो विस्तारवाद की जो नीति है उससे म्यानमार (बर्मा), हांगकांग, तिब्बत श्री लंका ऐसे अनेक देश हैं जो चीन से खफा हैं किंतु अब भारत सामने है और भारत को हराना खेल नहीं! यह पहले वाला भारत नहीं है नया भारत है! भारत की शक्ति को देख अन्य देशों ने भी अपना मोर्चा सम्हाल लिया है! गलवन घाटी में जो दुष्कृत्य उसने किया उसके परिणाम और आर्थिक तौर पर जो मार उसे भारत की तरफ से मिल रही है पारस अमेरिका, ब्रिटेन, इटली ने जो चीनी सामान को ना लेने की पहल कर आर्थिक मार दी है उससे वह बौखला गया है और अब वह गलती पर गलती करते जा रहा है! 
दूसरी बात नेपाल ने भी भारत से दुश्मनी मोल लेने की अपनी गलती स्वीकार ली है! वह चीन से दूर रहना चाहता है! 
तीसरी बात अमेरिका और ब्रिटेन भारत के साथ है! 
चीन चारो तरफ से घिर गया है! 
फिर भी उसका अगला कदम क्या होगा कोई नहीं जानता! वह विश्वास घाती है! 
हा इतना अवश्य कहूंगी ------ चारो तरफ से घिर जाने से उसकी हार तो निश्चित है !
- चंद्रिका व्यास
 मुंबई - महाराष्ट्र
चीन बेशक ताकतवर है लेकिन इतना भी नहीं कि भारत, अमेरिका, जापान जैसे देशों से एक साथ दुश्मनी कर सके l चीन ताकत से ज्यादा धौंस दिखा रहा है l वह न सुपर पावर है न कभी बन सकता है l यह कहना है प्रो. जॉन ली का l प्रो. ली सिडनी यूनिवर्सिटी और अमेरिका के हडसन इंस्टीट्यूट में चीन की पॉलटिकल इकोनॉमी व इंडो पैसिफिक रीजन के विशेषज्ञ हैं lवे कहते हैंचीन जताना चाहता है कि वह उभरता सुपर पावर है किन्तु सच्चाई अलग है l 
     चीन के पास 3लाख करोड़ डॉलर का फॉरेक्स रिजर्व है l उसने इसका हिस्सा भी सैन्य ताकत बढ़ाने में खर्च किया, तो उसकी अर्थ व्यवस्था चरमरा जायेगी l दूसरी तरफ चीन ने अमेरिका को इतना उधार दिया हुआ है कि वह उसे अपने सिकंजे में ले सकता है लेकिन चीन के पास अमेरिका की मात्र 5% फाइनेंशियल सिक्योरिटी है l अमेरिका भी चीन के डॉलर ऐसेट फ्रीज कर सकता है, जिसका खामियाजा चीन बर्दाश्त नहीं कर सकेगा l 
   चीन की घरेलूअर्थ  व्यवस्था  भी स्वस्थ्य नहीं है l चीन सरकार ने बैंकों को कम और निगेटिव दरों पर उधार देने के लिए विवश किया अतः वहाँ सरकारी उधार की वृद्धि दर 20% है जो उसकी जी डी पी की वृद्धि दर से ज्यादा है l चीनी कंपनियों का उधार देश की जीडीपी का दोगुना है l वही उसका कुल उधार जीडीपी का तीन गुना से ज्यादा है l 
  चीन एकमात्र ऐसा देश है जिसका रक्षा बजट उसके आंतरिक सुरक्षा बजट से कम है l उसकी आंतरिक व्यवस्था इतनी कमजोर है कि सरकार को आर्म्ड पुलिस पर सालाना 220 अरब डॉलर से ज्यादा खर्च करना पड़ता है जबकि रक्षा बजट 200 अरब डॉलर है l इसमें पुलिस का खर्च नहीं जुडा है l चीन में सरकार के खिलाफ 1 लाख से ज्यादा हिंसक प्रदर्शन होते हैं और पुलिस इनका दमन करती है l शायद दुनियाँ को अंदाजा है भी नहीं कि कम्युनिस्ट पार्टी का अस्तित्व कितना खतरे में हैं l 
     चीन ने लद्दाख में भारत के साथ उलझकर बहुत बड़ी गलती कर दी है l अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान सभी चीन को घेरने को तैयार हैं, लेकिन भारत इस आशा में संयम बरत रहा है कि वह चीन समेत बड़े देशों के साथ मिलकर विकास के रास्ते पर चले लेकिन एलओसी पर चीन की दग़ाबाजी ने भारत के संयम को तोड़ दिया है l कोई भी देश सुपर पावर तब होता है जब वह दुनियाँ में कहीं भी, कभी भी सैन्य कार्यवाही में सक्षम हो l आर्थिक मजबूत हो l उसकी युवा आबादी अधिक हो l इन मापदंडो पर चीन की असल स्थिति अच्छी नहीं है l चीन ने स्वास्थ्य सेवाओं और पेंशन सुविधाओं को भी नज़र अंदाज किया हुआ है फलतः चीन जल्दी बूढा हो रहा है l 
चलते चलते ---
सावधान आया तूफ़ान चीन तू होजा सावधान शंकर का तीसरा नेत्र खुलने वाला है, तू सावधान l 
बदल जायेगा युग, इशारा बहुत हैl
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
चीन की बेईमानियां, धोखे बाजियां, असत्य बयान बाजियां सारे देश समझ चुके हैं ।भारत के पूर्वी क्षेत्र लद्दाख में उसका पैर जमाना गलवान घाटी में खूनी झड़पे और तो और सन 13 में ही कोरोना जैसे वायरस की उत्पत्ति को इतनी समय तक छुपाकर संपूर्ण विश्व को महामारी के संकट का प्रसाद बड़े भोले मन से सन 2020 में बांट दिया ; जहां संपूर्ण विश्व जनहानि से त्राहि-त्राहि कर रहा है। सभी की अर्थव्यवस्था को उसने बहुत बड़ा झटका दिया है।
       भारत के पड़ोसी देशों को आर्थिक सहायता व हथियार देकर आतंकवाद को पनपाना, नेपाल और तिब्बत में धीरे-धीरे अपने पैर जमाना, सैन्य शक्ति के अड्डों को स्थापित करना ,अमेरिका, जापान, रूस, ताइवान, मयमार और लंका जैसे सभी देश भली प्रकार उसकी चाल बाजियां समझ गए हैं। अब चीन के बायकाट और आर्थिक बहिष्कार के नारे गूंज रहे हैं। उसके अपने देश में ही उसके खिलाफ विरोध के स्वर फूट रहे हैं। वहीं के शिनजियांग प्रांत में उड़गर  मुस्लिमों के अधिकार छीन लिए गए हैं। उसके अपने ही राजकीय कोष में सोने की अपेक्षा 4% पीतल का खजाना जानबूझकर रखा गया है।
        देखा जाए तो वह स्वयं इस बात से अपनी निगाह में गिर सकता है; वह चीन संपूर्ण विश्व को अपने विकसित होने का ढोंग बहुत दिखा चुका है। अब उसकी अर्थव्यवस्था  चरमराने लगी है।
     भारत ने चीनी हरकतों को हर क्षेत्र में गंभीरता से लिया है। अब दुनिया की सभी महा शक्तियां भारत का हर प्रकार से समर्थन व साथ दे रही हैं क्योंकि चीन की विस्तार वाली नीतियों एवं कोरोना संकट की महामार को कई देशों ने भली-भांति महसूस किया है। भारत व अन्य देश उसके  बढ़ते आर्थिक कदमों एवं रक्षा मसौदे पर एकजुट हो रहे हैं। इस प्रकार हर तरफ से चीन की बर्बादी निश्चित ही है ।अब उसका सुपर पावर का भ्रम पुअर पावर में बहुत ही शीघ्र बदलने वाला है।
- डॉ. रेखा सक्सेना
मुरादाबाद - उत्तर प्रदेश
       वीर भारतीय सैनिकों के साहस, वीरता और पराक्रम पर जाएं तो इस बार चीन और चीनियों की बर्बादी निश्चित है। 
     परंतु सत्य पर आधारित इस प्रमाण को भी कैसे झूठलाऊं कि जब चीन प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी के 56 इंच सीने से डर रहा है, तो उनकी अपनी सरकार के सरकारी अधिकारी उनसे डर क्यों नहीं रहे? जो लोह पुरुष गृहमंत्री अमित शाह जी के नेतृत्व में उनकी लक्ष्यपूर्ति में बाधक हैं। जिन्हें राष्ट्रहित में दण्डित करना आवश्यक एवं अनिवार्य है। यह अत्यंत आवश्यक एवं महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि प्रधानमंत्री जी राष्ट्रहित में कार्यरत हैं और राष्ट्र सर्वोपरि होता है।
       सर्वविदित है कि कोरोना से लड़ा जा रहा युद्ध भी चीन के युद्ध से कम नहीं है। जिससे हुई हानि की पूर्ति के लिए प्रधानमंत्री जी ने 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। जिसे उनकी ही सरकार के उच्च अधिकारी ने राजनैतिक ड्रामा कह कर उन्हें अपमानित किया हुआ है और विडम्बना यह है कि अभी तक उक्त अधिकारी को कोई दण्ड नहीं दिया गया। जबकि सरकार के सचिव स्तर की जांच की समय सीमा भी समाप्त हो चुकी है। जबकि राष्ट्र के सम्पूर्ण नागरिकों की आशा उपरोक्त घोषणा के सुनहरे भविष्य पर टिकी हुई है। युवा उद्यमी 'लोकल फार वोकल' का सपना संजोए हुए हैं और प्रधानमंत्री जी की ही सरकार राजनैतिक ड्रामा कह कर उनका उपहास उड़ा रही है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री जी के साथ-साथ माननीय गृहमंत्री अमित शाह जी भी चुप्पी साधे हुए हैं। जबकि यह उदण्डता राजद्रोह/राष्ट्रद्रोह की संज्ञा में आती है।
       हालांकि इस राजद्रोह/राष्ट्रद्रोह गतिविधि की सूचना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अध्यक्ष माननीय मोहन भागवत जी एवं भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री जेपी नड्डा जी को भी दी हुई है।
      ऐसे में भारत के सपूतों के पराक्रम पर प्रधानमंत्री जी साहस का लेप कैसे लगाएंगे? कैसे युद्धक अस्त्रों-शस्त्रों के लिए 500 करोड़ के अतिरिक्त पैकेज के उपरांत और अधिक आर्थिक पैकेज जारी कर सकेंगे? प्रधानमंत्री जी की अद्वितीय घोषणा का स्वागत कौन और किस आधार पर करेगा? उनके मेक इन इंडिया के विश्वास को कौन विश्वासपात्र समझेगा? जबकि राष्ट्र कोरोना से लेकर चीन तक, पाकिस्तान से लेकर नेपाल तक, गरीबी से लेकर लाॅकडाउन तक युद्ध की सी स्थिति में है। जो अत्यंत गंभीर, चिंताजनक एवं दुखद है। हालांकि उपरोक्त पहलुओं में एक बात अत्याधिक सुखद भी है कि प्रधानमंत्री जी को दिव्यांग निर्बल विपक्ष से कोई खतरा नहीं है।
     अतः कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि इस बार चीन की बर्बादी तो वीर साहसी पराक्रमी भारतीय सैनिकों द्वारा निश्चित रूप से है। किंतु राष्ट्र की मजबूती के लिए उदण्ड अधिकारियों की उदण्डता का दण्ड माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र दामोदर दास मोदी जी पर निर्भर करता है। क्योंकि सीमा पार के शत्रुओं से भीतरी शत्रु 'घर का भेदी लंका ढाए' के तर्क की भांति अधिक घातक होते हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
एक बात ध्रुव सत्य है। अवश्यमेव भोक्तव्यं शुभाशुभ कर्म फलम्। इसी क्रम में  हानि,लाभ,जीवन-मरण,यश,अपयश विधि हाथ। और साथ ही साथ,सबहि नचावत राम गुसाईं, को भी नहीं भूलना चाहिए। अब इस
चीन ने तो इतने  कुकर्म कर लिए कि स्वयं ही बर्बादी को न्यौता दे बैठा। अब तक शुभकार्यों का फल भोग रहा था,अब अशुभ कर्मों के परिणामों की शुरुआत हो गयी है,तो बचना मुश्किल ही नहीं असंभव है। प्रकृति के साथ किया गया अन्याय प्रकृति अधिक सहन नहीं करती और जब अपना संतुलन बनाने को अंगड़ाई लेती है तो तहस नहस कर देती है।मानव जाति तो प्रकृति की बेहतरीन कृति है, इसके प्रति अपराध को कैसे सहन कर सकती है प्रकृति? दंड तो देगी, हर दोषी को देगी। कोविड-19 वायरस देकर ही सबसे बड़ा अपराध किया है चीन ने,तो भला बर्बादी से कैसे बचा रहेगा। हम सब माध्यम है उस प्रकृति के,जो उसकी कठपुतली की तरह काम करते हैं। तो फिर कठपुतली तो चीन भी हुआ, प्रकृति का।जैसा उसने नचाया,नाचा।जैसा कराया,किया। लेकिन प्रकृति ने एक शक्ति हर मानव को दी है,जो कोई भी ग़लत काम करने पर हमें रोकती-टोकती है,वो है अंतर्रात्मा की आवाज। लेकिन विनाशकाले विपरीत बुद्धि, उसे सुनकर भी मानने नहीं देती।बस यही स्थिति अब चीन की हो चुकी है।इस स्थिति में बर्बादी की शुरुआत तो ही चुकी है,अब ये किस हद तक होगी, भविष्य ही बताएगा।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर -उत्तर प्रदेश
जी बिल्कुल अबकी बार अगर युद्ध हुआ तो चीन की बर्बादी निश्चित है क्योंकि 1962 से लेकर 2020 तक का भारत बिल्कुल बदल चुका है अब चीन की गलती बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
अब भारत  अपनी सैन्य शक्तियों से लेकर तन मन धन से पहले की अपेक्षा बेहतर है ,बाकी मनोबल ,साहस व शौर्य मे तो हम भारतीय वैसे भी विश्व मे सबसे बढ़ चढ़कर सदैव रहे है  ।
एकबात और बताते चलें की हम भारतीयों की एक खूबी हमे दुनिया से इस लिए भी अलग बनाती है कि हम लोग वैसे तो छोटे छोटे मुद्दों को लेकर आपस मे भले ही लड़ते रहते हैं मगर जब बात शत्रु देशो से टकराव की होती है तो हम सभी एक परिवार की तरह  एक होकर शत्रुओं का सामना करते आये है इतिहास इसका गवाह रहा है ।
 युद्ध जैसे हालात दिन-ब-दिन बन रहे हैं ,पर 1962 वाला भारत और है नहीं रणनीति हो या हथियार चीन की तुलना में भारत कहीं बराबरी तो कहीं आगे आ खड़ा हुआ है अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर न केवल हम ज्यादा चौंकन्ने हैं बल्कि हमारी पूर्ण तैयारियां भी हो चुकी हैं।
 भारत ,पाकिस्तान और चीन की गतिविधियों को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहा है।
 चीन ,पाकिस्तान की सीमा पर होने वाली हर हरकत पर आधुनिक सेटेलाइटो की नजर है, पल-पल की जानकारी रक्षा सचिव समेत शीर्ष नेतृत्व को दी जाती है ।
2016 में ही अरुणाचल सीमा पर टैंक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस की तैनाती को मंजूरी दी गई ।
सीमा पर सैनिक और युद्धक सामानों का जमावड़ा बढ़ा दिया गया है ।सीमा तक बुनियादी ढांचे तैयार हैं किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए ।
कई अत्याधुनिक अस्त्र-शस्त्र तैनात किए गए हैं ।
भारतीय सुखोई विमान 30 ए के आई है वो चीन के सुखोई 27 से ज्यादा उन्नत है यह  एक साथ 20 लक्ष्यों को निशाना बना सकता है।
 चीन के लड़ाकू विमान तीसरी चौथी पीढ़ी के  हैं जबकि भारत के  तीसरी पीढ़ी के ।
भारत के पास 380  ऐसे ड्रोन हैं जिनसे वह बम और 500 किलोग्राम वजनी मिसाइल से हमले करवा सकता है।
 जल्द ही राफेल भी हमारा मुख्य लड़ाकू विमान होगा ।
सीमा पर बिछाए गए सड़कों के जाल  से भी भारत की स्थिति  बेहतर हुई है ।
ब्रह्मपुत्र नदी पर 9 दशमलव 15 किलोमीटर रोड ब्रिज बनाया गया है यह 60 टन  वजनी टैंक  सहन करने में सक्षम है ।
तो इस तरह हमारी युद्ध संबंधी क्षमता और हमारे सैन्य शक्तियों का शौर्य  चीन को घुटने टिकवा देगा ।उसकी सारी हेकड़ी धरी की धरी रह जाएगी ।
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश


" मेरी दृष्टि में "  चीन को  तानाशाही की विस्तारवादी नीति का भुगतान करना पड़ेगा । अब समय आ गया है कि दुनिया में चीन की तानाशाही को खत्म किया जाऐ । दुनिया चीन के खिलाफ एक जुट होने लगीं है । यही चीन का भविष्य तय करेंगे ।
                                                  - बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र 



Comments

  1. इस मंच के सभी प्रबुद्ध लेखको -  आदरणीय बीजेन्द्र जी द्वारा दिए गए विषय पर आपके विचार सटीक हैं और एकमत हैं. सादर प्रणाम. 

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  2. नित नयी कक्षा, नित नए विषय, नित नया ज्ञान, इन्हीं से जैमिनी अकादमी बना महान  

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