ऑनलाइन दर्शनों में मन्दिरों की भूमिका क्या है ?

भक्त और भगवान का रिश्ता अटूट होता है । भक्त को भगवान के घर यानि मन्दिर में आने से रोक दिया गया । ऐसी स्थिति शायद पहलें कभी नहीं आई है । परन्तु मन्दिर प्रबंधक ने ऑनलाइन जैसी सुविधा देना करना  यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है। अब आये विचारों को देखते हैं : -
ऑनलाइन दर्शन में मंदिरों की भूमिका एक प्रबंधक की भूमिका है जो भक्तों को घर बैठे उनके इष्ट के दर्शन कराने की व्यवस्था आधुनिक तकनीक के माध्यम से कर रहे हैं। मंदिर प्रबंधन ने अपने आई टी सेल,बेबसाइट, फेसबुक पेज,यू टयूब चैनल,की वी चैनल के जरिए दर्शन कराने का कार्य शुरू किया। यह सब पहले भी था लेकिन,मार्च 2020 में जब देश में लॉक डाउन लागू हुआ तो मंदिरों के कपाट भी बंद कर दिए गए। भक्तों को उनके इष्ट के दर्शन कराने के लिए मंदिरों की प्रबंधन समितियों ने ऑनलाइन दर्शन कराने की व्यवस्था से जहां एक और दर्शनार्थियों की संख्या 100 गुना तक बढ़ गई वही प्रसाद और अभिषेक कराने वालों की संख्या में 90 फ़ीसदी की गिरावट दर्ज की गई, यानी कि दर्शकों की संख्या बढ़ी पूजा कराने वाले श्रद्धालुओं की संख्या घट गई। वास्तव में यह मंदिर आस्था का केंद्र होने के साथ-साथ एक ऐसी ऊर्जा का केंद्र है जिस के संपर्क में आने पर मानव को सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।कुछ जगह गर्भ ग्रह के दर्शन न कराने की व्यवस्था की गई जैसे उत्तराखंड के चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड ने निर्णय लिया की इन मंदिरों के ऑनलाइन दर्शन तो कराए जाएंगे, लेकिन गर्भ ग्रह के दर्शन नहीं कराए जाएंगे। बीते मार्च माह में देश के बड़े 8 मंदिरों के ऑनलाइन दर्शन के आंकड़े सामने आए थे जिनके अनुसार सोमनाथ मंदिर के ऑनलाइन दर्शन ढाई करोड़ श्रद्धालुओं ने किए इनमें 45 देशों के श्रद्धालु शामिल रहे शिरडी साईं मंदिर के आई टी हेड अनिल शिंदे ने मीडिया को बताया था कि उनकी वेबसाइट पर पहले 16000 लोग ऑनलाइन दर्शन करते थे जो अब 30,000 हो गये है। विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर यह आंकड़ा प्रतिदिन एक लाख को पार कर चुका है। इसी तरह सिद्धिविनायक मंदिर में एक माह में ऑनलाइन दर्शन करने वालों की संख्या एक करोड़ को पार कर चुकी है वैष्णो देवी मंदिर के ऑनलाइन दर्शन काशी विश्वनाथ मंदिर के ऑनलाइन दर्शन प्रतिदिन 15 से 25000 श्रद्धालु ऑनलाइन कर रहे हैं। चिंतपूर्णी मंदिर के दर्शन 10000 श्रद्धालु प्रतिदिन महाकालेश्वर मंदिर के ऑनलाइन दर्शन पहले 50,000 श्रद्धालु प्रतिदिन करते थे। लॉकडाउन के बाद यह संख्या साढ़े 55 लाख प्रति दिन तक पहुंच गई है इसी प्रकार बांके बिहारी मंदिर के ऑनलाइन दर्शन 50,000 श्रद्धालु प्रतिदिन कर रहे हैं इसमें मंदिर प्रबंधन की भूमिका यह है की उन्होंने इस व्यवस्था के लिए आईटी हेड नियुक्त कर दिए हैं इस ऑनलाइन दर्शन व्यवस्था से मंदिरों में अभिषेक कराने वाले प्रसाद व्यवस्था कराने वाले या ऑनलाइन जब कराने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में 90% तक की गिरावट आ गई है जिससे इस व्यवस्था में लगे लोगों की आमदनी प्रभावित हुई है। फूल प्रसाद माला पूजन सामग्री की बिक्री खत्म हो गयी। 
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
ऑनलाइन दर्शन ने शायद कहीं न कहीं इस बात को सिद्ध कर दिया है फिलहाल कि " कण कण में भगवान बसते हैं या यत्र तत्र सर्वत्र ईश्वर विराजमान"।हम सब अपने घरों में ही अब पूजा अर्चना कर रहे हैं।एक छोटी सी मूरत,पत्थर या फिर कोई फोटो ईश्वर की रखी है उसी को और उसी में ईश्वर का वास मानकर वहीं श्रद्धा बनाए हैं।काफी समय हो गया हम मन्दिरों में भी नहीं गए हैं परन्तु भक्ति और श्रद्धा कहीं कम नहीं हुई है।
        अब प्रश्न है कि ऑनलाइन दर्शनों में मन्दिरों की भूमिका क्या है? यदि हम इस कोरोना काल से जरा सा पीछे जाएं तो ऑनलाइन दर्शन पहले भी विद्दमान थे।मां वैष्णो देवी की आरती,बाबा केदार की आरती,हर की पौड़ी की आरती,आनंद साहेब की आरती इत्यादि पहले भी चलती थी।जो लोग साक्षात रूप में वहां नहीं जा पाते थे वो लोग अपने घर बैठे ही मोबाइल या टीवी में पवित्र धार्मिक स्थलों के दर्शन कर लिया करते थे।जिससे देखा जाए तो वहां पर भीड़ भी कम हुआ करती थी।बस जो हमारे आसपास या हमारी परिधि में मंदिर थे या हैं उन पर जरूर असर हुआ है।श्रद्धालु मन्दिर नहीं जा पा रहे हैं।प्रभु के दर्शन अपने पसंदीदा मन्दिरों में नहीं कर पा रहे हैं।
        छोटे तौर पर ये हो सकता है कि लोकल केबल या किसी तरह उस कॉलोनी के सभी घरों को जोड़ दिया जाए और केवल मन्दिर के पुजारी वहां पूजा अर्चना करने जाए तो उस पूजा अर्चना को सभी तक पहुंचाया जा सकता है। अर्थात छोटे स्तर पर भी ऑनलाइन दर्शन के साथ पूजा अर्चना संभव है।
         हां ऑनलाइन दर्शन होने से उस मंदिर के पुजारी और मन्दिर एडमिनिस्ट्रेशन पर जरूर असर पड़ा है।इसको भी श्रद्धा चड़ावा के रूप में इंटरनेट के जरिए पुजारी द्वारा मन्दिर तक पहुंचाया जा सकता है।अगर जरा सा सोच बदलें तो सबकुछ संभव है और भक्ति तथा श्रद्धा भी पूर्ण रूप से बनी रहेगी।
 - नरेश सिंह नयाल
देहरादून - उत्तराखंड
ऑनलाइन दर्शन में मंदिरों की भूमिका अहम है किंतु कोई महत्व नही है। क्योंकि दर्शन का मतलब फोटो या वीडियो देखना नही होता है। दर्शन का मतलब तो तभी सफल होता जब भगवान की सामने से चरण स्पर्श करें इस या सामने दे देखे। लोगो की इच्छा हेतु ही ऑनलाइन दर्शन होता है। यदि ऑनलाइन दर्शन से  काम चलता तो हर किसी के घर में भगवान या देवियों के उपलब्ध है। घर मे ही सब है तो मंदिर की क्या जरूरत है। इच्छा पूर्ति कर लेने से काम नही होता।
- राम नारायण साहू "राज"
रायपुर - छत्तीसगढ़
ऑनलाइन दर्शनों से मंदिरो की भूमिका को केवल इतना कहा जा सकता है कि इस क्रियाकलाप से जहां एक ओर लोगो की आस्था बरकरार रहेगी , वही मंदिरों के रोज के खर्चो में भी मंदिर ट्रस्ट को कुछ सहूलियत प्रदान होती नजर आएगी ।
दरअसल बड़े बड़े ओर प्रसिद्ध धामो में ईश्वर को प्रतिदिन भोग लगाया जाता है , जिस भोग का खर्च कई हजार रुपये प्रतिदिन होता है । महीनों लोकडाउन होने के कारण जहां एक ओर मंदिरों में भगवान को लगने वाले प्रतिदिन भोज का संकट गहराने लगा है । वही एक लंबा समय बीत जाने के कारण लोग भी अपने आराध्य के दर्शन नही कर पाए । जिसके लिए धामो की ऑनलाइन दर्शन की यह पहल सराहनीय है । इससे न केवल भक्तों को अपने आराध्य के दर्शन बहुत ही आसानी से हो रहे है बल्कि मंदिरों को भी कुछ राशि रोजमर्रा के खर्चो में सहयोग के रूप में प्राप्त हो रही है ।।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
ऑनलाइन दर्शनों में मंदिर की कार्यकर्ता, पुरोहित के भूमिका यह हो गया है :- समय  पर सभी कार्य करना आवश्यक हो गया।
समाचारों के अनुसार ऑनलाइन दर्शन का रिपोर्ट :-8 मंदिर मैं 100 गुना तक बढ़ा। 
यह अच्छी बात है,की मंदिर के पट बंद है तो लोग ऑनलाइन दर्शन कर रहे हैं। लेकिन ऑनलाइन अभिषेक और प्रसाद बुकिंग 90% में गिरावट हो गई है।
1) शिरडी साईं मंदिर ऑनलाइन दर्शन के लिए भक्तों की संख्या दोगुनी से ज्यादा हो गई है।
2) सिद्धिविनायक मंदिर 1 महीने में एक करोड़ लाइव दर्शन किए।
3) वैष्णो देवी मंदिर 10000 ऑनलाइन दर्शन अटका आरती लाइव देखें।
4) सोमनाथ ज्योतिर्लिंग 45 देशों के ढाई करोड़ रोकने दर्शन किए पहले केवल तीन लाख करते थे।
5) वाराणसी ऑनलाइन दर्शन की संख्या 15000 से 25000 हो गयी।
6) चिंतपूर्णी माता- लॉकडाउन के दिन से शुरू की ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था किए। रोजाना 10000 लोग घर बैठे माता और आरती दर्शन कर रहे हैं।
7) महाकालेश्वर मंदिर बेन 10 * बड़े ऑनलाइन फॉलोअर।
8) मथुरा में बांके बिहारी मंदिर में पहले 10,000 अब 50,000 भक्त दर्शन कर रहे हैं।
ऑनलाइन भगवान के दर्शन करने की मांग बढ़ी है लेकिन पूजा हवन दान देना हुआ कम।
जिससे मंदिर की आमदनी 90% गिरावट आई है जिसके कारण ट्रस्टी पहले के  डिपॉजिट पर बैंक से लोन ले रही है जिससे पुजारी एवं स्टाफ को बेतन दे सके तथा मंदिर का खर्च मे सुविधा हो।
लेखक के विचार:- ऑनलाइन से भक्तों की संख्या बढ़ी है लेकिन मंदिर की आमदनी बहुत कम गई है जिसके कारण ट्रस्टी को परेशानी हो रही है। सरकार इस ओर ध्यान दें।
- विजेंयेद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
कोरोना महामारी ने क्या क्या नहीं सिखाया? हमारी प्राचीन संस्कृति को जीवंत कर डाला वही सभी को ऑन लाइन का पाठ पढ़ाया है l क्या बच्चे और क्या बड़े सभी ऑनलाइन रंग में रंग गये हैं यहाँ तक कि स्वयं भगवान भी ऑनलाइन हो गये हैं,भक्तों को दर्शन दे रहे हैं l 
परिवार में अधिकांशतः बुजुर्ग लोग तीर्थ यात्रा के द्वारा जगह जगह प्रभु के दर्शन कर और मनौती भी मांगते है पर कोरोना काल में उनकी यह इच्छा ऑनलाइन दर्शन करके ही पूरी हो रही है l मंदिरों में प्रभु की दैनिक दिनचर्या जैसी हमेशा होती है यथा विधि सम्पन्न की जाती है l वहाँ मंदिरों में दर्शन के लिए लाइन लगती थी तो अब स्वयं को ऑनलाइन देखना है l यही समय का फेर है, इसे ही परिवर्तन कहते हैं l 
आज जीवन के हर क्षेत्र में बदलाव आ गया है l कोरोना काल में सोशलडिस्टेंसिंग की पालना अति आवश्यक है l अनावश्यक बाहर नहीं निकलना है l मास्क पहनना है l 
मंदिरों में प्रभु के शयन से जागरण तक आरती, वंदन, भोग, श्रंगार आदि का विधिवत पालन करते हुए भक्तों की आस्था और प्रेम को बनाये रखना है l यूँ तो प्रभु घट घट वासी हैं l वह तो मन मंदिर में व्यक्ति के ह्रदय में विराजमान रहते हैं l 
     चलते चलते ---
मोको कहाँ ढूंढे वंदे, मै तो तेरे पास में l 
न मैं मंदिर न मैं मस्जिद, ना काबा कैलाश में ll
- डॉ. छाया शर्मा
अजमेर - राजस्थान
यह विषय एक आस्था का विषय है विश्वास एवं भावनाओं से जुड़ा हुआ है एक भजन याद आ रहा है मंदिर मंदिर मूरत तेरी फिर भी न दिखे सूरत तेरी
ईश्वर तो मन के मंदिर में विराज रहे हैं व्यक्ति के हृदय में हैं भावनाओं में हैं विश्वास में हैं कहां गया है मोको कहां ढूंढे रे बंदे मैं तो तेरे पास हूं ना मैं मंदिर ना मैं मस्जिद ना काबा कैलाश
इस सच्चाई को स्वीकारना है
मंदिर और भगवान की मूरत दो पहलू है एक स्थान का पहलू है और दूसरा विश्वास का पहलू है जितने भी मंदिर है जागृत मंदिर हैं और वह स्थान बहुत पवित्र है इंसान वैसे स्थान पर पहुंच कर एक संतोष खुशी का अनुभव करता है।
वर्तमान समय में कोरोनावायरस के कारण सारे मंदिर मस्जिद गिरजाघर मैं दरवाजे बंद पड़े हैं सामूहिक तौर पर कोई इंसान इन स्थानों पर नहीं जा पा रहा है कहीं ना कहीं थोड़ी बेचैनी तो इंसान को हो जाती है पर सुरक्षित रखना ही अभी के दौर में प्राथमिकता है
इसलिए ऑनलाइन दर्शन करिए अपनी भावनाओं के माध्यम से जुड़ जाइए श्रद्धा से भक्ति से उन्हें महसूस करिए उस दिव्य शक्ति को अपने आप में महसूस करिए आज का मंदिर आपका अपना शरीर और आपका अपना कर्म है कई शायर भी कर लिख गए हैं मैं कोई इधर-उधर नहीं बल्कि तेरे पास हूं जरा सा सर झुका लो तू मुझे पा लेगा
सावन का महीना है शिव की आराधना शिव के 12 लिंगों की पूजा बड़े श्रद्धा भक्ति से सभी लोग करते हैं देवघर में जल चढ़ाने कांवरिया जाते हैं महाकाल के मंदिर की आरती देखते हैं अब यह सारी प्रणाली को कुछ दिनों के लिए तो स्थगित करना ही होगा तभी हम सभी सुरक्षित रहेंगे
अपनी सोच की प्रणाली को परिवर्तित करना है और अपने मन मंदिर में श्रद्धा पूर्वक कर्मों के माध्यम से हरिश्वर को प्राप्त करना है ऑनलाइन की प्रथा के माध्यम से सबसे बड़ा फायदा है की हर दूरी भीड़ से अपने आप को हम लोग बचा पा रहे हैं इसलिए ऑनलाइन प्रणाली के हम सभी थैंकफूल रहना है 
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
करो ना महामारी वायरस फैला है। वायरस के संक्रमण के कारण लोग घर से बाहर नहीं निकल सकते कहीं आ जा नहीं सकते ऐसे में सावन के महीने में बहुत सारे लोग कांवर लेकर बैजनाथ धाम की यात्रा करते थे वह भी जाना उनके लिए संभव नहीं है महाकाल की आरती भी नहीं देख सकते 12 ज्योतिर्लिंगों में सभी लोग सावन के महीने में शिव का दर्शन करने के लिए जाते थे तो अब वे ऑनलाइन अगर दर्शन करके अपने घर बैठे पूजा कर लेते हैं तो यह बहुत ही अच्छा काम है वीर से भी बचेंगे सोशल डिस्टेंसिंग भी फॉलो होगी और भगवान के दर्शन भी हो जाएंगे परिवर्तन ही जीवन का नियम है इसलिए हमें अपने पूजा पाठ में भी परिवर्तन करना चाहिए और हमें घर बैठकर ही भगवान का नाम का जाप करना चाहिए।
ओम नमः शिवाय ओम नमः शिवाय हर हर बोलो नमः शिवाय।
- प्रीति मिश्रा 
जबलपुर - मध्य प्रदेश
ऑन लाइन दर्शनों में मंदिरों की भूमिका मात्र कुछ प्रतिशत धर्मान्ध लोगों की मानसिक शान्ति के अलावा कुछ भी नहीं. 
मुझे किसी शायर का एक शेर याद आता है - साक़ी शराब पीने दे मस्जिद में बैठकर या वो जगह बता जहां पर खुदा न हो । मंदिरों के अंदर विराजमान मूर्ति रूप भगवान जिसके दर्शन ऑन लाइन कराने का कार्यक्रम जिन सुधियों ने शुरू किया है क्या वो ये नहीं जानते कि ईश्वर कण कण में व्याप्त है और जिसे नयन मूँदकर ही देखा जा सकता है नयन खोलकर देखना संभव ही नही. तो फिर ये क्या ऑन लाइन दर्शन मंदिरों और गर्भगृहों में रखी प्रतिमाओं के नाम धनार्जन करने की सहज प्रक्रिया के अलावा कुछ नहीं । 
 कुछ लोगों की आजीविका का साधन धर्म और धर्म से जुड़े कुछ प्रतीक ही सदैव रहे हैं समय बदल रहा है लोग जागरूक हो रहे हैं धर्म की आड़ में चल रहे पैसा कमाने के तौर तरीक़े बदल रहे हैं संयोग है कि लॉक डाउन के चलते टेक्नोलॉजी ने अपने पाँव तेज़ी से पसारे हैं अगर लॉक डाउन न भी होता तो भी समयाभाव लोगों को मंदिरों में जाने की मनाही करता ऐसी स्थिति में ऑन लाइन दर्शन ही एक मात्र विकल्प बचता. जो लोग अंधश्रद्धा से ग्रस्त हैं वो निश्चित ही अपने लिए इस तरीक़े को स्वीकार करेंगे इससे उन्हें मानसिक संतुष्टि का अनुभव अवश्य होगा । इसमें मंदिरों की भूमिका क्या है ये तो स्पष्ट नही कहा जा सकता मंदिरों के रखवालों की भूमिका अवश्य है जो अपने अस्तित्व को बचाने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा ले रहे हैं ये सहारा लाभदायक भी रहेगा ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर 
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
कोरोना वायरस की वजह से मन्दिरों में प्रत्यक्ष दर्शन करना बन्द हुआ तो विकल्प के तौर पर आनलाइन दर्शनों का चलन शुरू हो गया। अधिकांश प्रसिद्ध मन्दिरों में दर्शन सहित प्रातःकालीन एवं सायंकालीन आरती का भी आनलाईन लाइव प्रसारण शुरू हो गया जिसमें अधिकाधिक लोग सम्मिलित भी हो रहे हैं।
आस्था की सबसे बड़ी शक्ति विश्वास है। ईश्वर के प्रति पूर्ण रूप से आस्था रखने वाला व्यक्ति कण-कण में ईश्वरीय शक्ति के होने का विश्वास रखता है।
ऐसे में जब कोरोना वायरस की वजह से पूजा-पाठ में भी प्रतिबन्धों का सामना करना पड़ रहा है तब आनलाईन दर्शन भी मानव मन को शांति प्रदान करने का उत्तम माध्यम है।
आनलाईन दर्शनों में मन्दिरों की भूमिका में खास परिवर्तन नहीं आया है बस इतना ही है कि मन्दिरों को भक्तों के लिए आनलाईन दर्शन की सुचारू व्यवस्था करनी है जिससे भक्तों की आस्था और विश्वास का समुचित प्रवाह बना रहे। 
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
     भारतीय संस्कृति में धर्म का अति महत्वशाली इतिहास रहा हैं। जहाँ राजाओं-महाराजाओं ने विभिन्न प्रकार के मंदिरों का निर्माण करवाकर, धर्म के प्रति आमजनों को आकर्षित किया हैं। प्रतिदिन तथा विशेष पर्वों पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ पड़ती हैं। कुछ मंदिर, मंदिर समितियों,  कुछ ट्रस्टों के अधीनस्थ संचालित हो रहे हैं। आज वर्तमान परिदृश्य में चारों ओर कोरोना महामारी के दौरान लाँकडाऊन लगाकर जन जीवन को घरों-घरों में कैद कर, पूजन अर्चना घरों में में करने बाध्य कर दिया हैं। बसों , ट्रेनों का पूर्ण रूपेण आवागमन बन्द कर दिया हैं। सामान्य जन  तीर्थयात्रियों की यात्राएं बन्द हैं। घरों में रहकर भक्ति भाव से पूजन किया जा रहा हैं। सावन मास का शिव पूजन महत्वपूर्ण रहता हैं, ऐसी विपरित परिस्थितियों में आॅनलाइन दर्शनों में मंदिरों के दर्शन ही सर्वोपरि जनसमूह के लिए हैं, लेकिन कई तो इसे उचित नहीं मानते। जो प्रत्यक्ष रूप से दर्शन होते हैं, आॅनलाइन दर्शनों में वह भाव नहीं आ पाते, सिर्फ आंखों को तसल्ली देना ही हैं। भविष्य में आॅनलाइन दर्शन ही रहा तो मंदिरों में ताले लग जायेंगे, पुजारी सहित अन्य कर्मचारी, पाकिटमारों  बेरोजगार हो जायेगें। मंदिरों के आस-पास विभिन्न दुकानें संचालित हो रही हैं, मंदिरों की अर्थव्यवस्था भी चौपट हो जायेगी तथा मंदिरों से श्रद्धा-भक्ति बन्द हो जायेगी, खैर मन में श्रद्धा-भक्ति रही तो ईश्वर के दर्शन हो ही जाते हैं। कई-कई की तो ईश्वर के प्रति आस्था दिखावटी भी होती और कई की सहानुभूति पूर्वक? मंदिरों को खोला भी गया हैं, लेकिन भीड़ कम ही दिखाई दे रही हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर' 
  बालाघाट - मध्यप्रदेश
मंदिरों में ऑनलाइन दर्शन 100 गुना तक बढ़े ! कोरोनाकाल में भक्तों के आस्था में भी बदलाव आया है।  अच्छी बात है कि लोगों की सुरक्षा के लिए मंदिरों के द्वार बंद हैं पर देवी देवताओं के दर्शन हो रहे हैं। देश के प्रमुख मंदिर में भगवान के ऑनलाइन दर्शन के लिए भक्तों की संख्या 100 तक बढ़े हैं। इस दौरान मंदिर प्रबंधन और पुजारियों की जिम्मेदारी भी काफी बढ़ गई है। ऑनलाइन दर्शन के लिए एक तरफ मंदिर प्रबंधन को साफ सफाई से लेकर सारे प्रबंध करने पड़ रहे है ताकि लोग घर बैठे मोबाइल, टीवी पर भगवान के दर्शन कर सकें। हालांकि मंदिरों में ऑनलाइन दान देने वालों की संख्या 10 फीसदी ही रह गई है। पिछले एक महीने के दौरान मंदिरों में ऑनलाइन दर्शन करने वलो की संख्या 100 फीसदी तक बढ़ी है। मंदिरों की सफाई हर रोज प्रातः 4 बजे तक हो। जाती है। इसके बाद सुबह 5 बजे से रात 7 से लेकर 9 बजे तक लोग ऑनलाइन दर्शन कर रहे हैं। पुजारी लोग भगवान का श्रंगार करते हैं। फिर उनकी पूजा और आरती की जाती है। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं जाने के बाद प्रसाद वितरण किया जाता है। देश के प्रमुख मंदिरों में उज्जैन के महाकालेश्वर, वाराणसी के बाबा विश्वनाथ मंदिर, देवघर के बाबा बैजनाथ मंदिर, शिरीडी के श्री साई बाबा मंदिर, जम्मू के माता वैष्णो देवी, पटना के महावीर मंदिर, मथुरा के बांके बिहारी मंदिर, 
मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर, 
केदारनाथ मंदिर में ऑनलाइन दर्शन भक्त कर रहे हैं। कोरोना जैसे वैश्विक महामारी के कारण यह पहला मौका है कि सावन के महीने में कावर यात्रा रोकनी पड़ी। 
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर  - झारखड
इस समय कोरोना इफेक्ट ने आस्था पर भी कहर  बरपा रखा है ,मगर कहते हैं भक्त की भगवान से मुलाकात कौन रोक सकता है ,बस श्रद्धा होनी चाहिए ।इस समय कोरोना के कारण
देश के ज्यादातर मंदिरों में ऑनलाइन दर्शन 100 गुना तक बढ़ गए हैं ।ऐसे में ऑनलाइन लाइव दर्शन से लेकर  प्रसाद , अभिषेक  व आरती  सब कुछ व्यवस्थित है ।
 2019 में सरकार के अधीन मंदिरों में करोड़ों की आय हुआ करती थी, लेकिन कोरोनावायरस से डाउन लगा तो मंदिर के कपाट बंद होने से श्रद्धालुओं से होने वाली आय रुक गई ।परंतु मंदिर के कर्मचारियों के वेतन  व मंदिरों के खर्चे वैसे ही रहे ।ऐसे में ऑनलाइन दर्शनों का सिलसिला बढा , जो अब भी जारी है ।
बेबसाइट के जसेट करते हैं एवं शांति प्राप्त करते हैं और दुआएं मांगते हैं तकनीकी मदद से लोगों को अपने आराध्य तक पहुंचा रही है जिसके लिए मंदिरों ने अपने वेबसाइट खोल रखे हैं उन के माध्यम से लोगों को दर्शन से लेकर प्रसाद अभिषेक तक का कार्यक्रम स्थापित कर रखे हैं।
 कोरोना के चलते मंदिर प्ररबन्धको ने सरकारी निर्देशो के अधीन पहल करते हुए श्रद्धालुओं के लिए आन लाइन दर्शनों की सेवा उपलब्ध कराई थी।अब जब इस तरह की व्यवस्था है तो खासकर प्रसाद वगैरह मंदिर के कर्मचारियों को ईमानदारी व साफ सफाई से चढ़वाना चाहिए । इस प्रकार दर्शन प्राप्त कर श्रद्धालूओं को शांति भी मिलेगी व  कोरोना से भी बचेंगें
- सुषमा दीक्षित शुक्ला
लखनऊ - उत्तर प्रदेश
कोरोना काल ने सारी व्यवस्थाएं उलट-पुलट कर रख दीं। इसके भय ने आॅनलाइन जगत में क्रांति ला दी है। डिजिटल क्रांति का इतनी तीव्र गति से विस्तार होगा यह सोचा भी नहीं गया था।  प्रतिदिन कोई न कोई गतिविधि आॅनलाइन के दायरे में आती जा रही है जिसमें शिक्षा भी अछूती नहीं रही है। यही स्थिति विभिन्न धर्मों के प्रति आस्था रखने वालों की हुई है। जो लोग नित्यप्रति मंदिरों में जाने के अभ्यस्त थे उन्हें मन-मसोस कर घर बैठना पड़ा और सिर्फ ग्रहणों या अन्य कुछ अवसरों पर मंदिरों में ताले लगने वाले अवसरों को छोड़कर बाकी दिनों में हर छोटे-बड़े मन्दिरों में भक्तों का तांता लगा रहता था। जहां भक्तों की धर्म की प्यास बुझती थी वहीं उनके द्वारा चढ़ाये गये छोटे-बड़े चढ़ावे से मन्दिरों की व्यवस्था भी चलती रहती थी। जहां अत्यधिक लम्बे लाॅकडाऊन और कोरोना के भय ने मंदिरों में भक्तों की संख्या में अप्रत्याशित रूप से कमी ला दी है वहीं मन्दिर भी आर्थिक मोर्चे पर जूझ रहे हैं। नियमित रूप से चंदा देने वाले भी स्वयं को मुश्किल की स्थिति में पा रहे हैं। इससे भी मंदिरों की आर्थिक स्थिति में प्रभाव पड़ रहा है। आॅनलाइन दर्शनों की व्यवस्था हर मंदिर तो नहीं कर सकता।  हां कुछ सुविधा सम्पन्न आर्थिक रूप से सुदृढ़ मंदिरों ने यह व्यवस्था कर दी है और अनेक मंदिरों में तो यह कोरोना काल से पहले से ही है। जिन मंदिरों को यह व्यवस्था करनी पड़ी है उन पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। उम्मीद है कि भक्तगण भी आॅनलाइन चंदा देकर मंदिरों की आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद करेंगे। हालांकि भक्तगणों को आॅनलाइन दर्शनों में वह आनन्द नहीं आ रहा जो वहां स्वयं जाकर आता था। पर कोई रास्ता भी नहीं है। सरकार को चाहिए कि वे छोटे मन्दिरों को आॅनलाइन होने में मदद दें ताकि वे भी इससे अछूते न रह सकें। 
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
      विश्वास की कोई सीमा नहीं होती। वह तो अथाह सागर को भी भेदकर पार निकल जाता है। उसकी ज्योति के आगे ईश्वर भी झुक जाता है। यही विश्वास गीता में भी दर्शाया गया है। 
      उल्लेखनीय है कि मन्दिर भी आस्था एवं विश्वास का प्रतीक है। वह आस्था जो मन में होती है और अंतर्मन से प्रज्वलित होती है। जो कस्तूरी की भांति भीतर होती है। जो सर्वोच्च और सर्वोपरी है।
      उस मन-मन्दिर के दर्शन आनलाइन हों या आॅफलाइन कोई अंतर ही नहीं पड़ता। उसकी भूमिका मीरा के प्रभु गिरधर नागर जानते हैं। उसकी भूमिका द्रौपदी जानती है। उसकी भूमिका कुरूक्षेत्र जानता है। उसकी भूमिका माता अनसुईया एवं सत्यभामा जानती हैं कि प्रभु प्रेम और समर्पण की भावना से प्रसन्न होते हैं।
- इन्दु भूषण बाली
जम्मू - जम्मू कश्मीर
कोरोनावायरस फैलने के डर से मंदिर का पट बंद किया गया। भक्त ऑनलाइन दर्शन कर अपनी आस्था को पूर्ण करते रहें इसके लिए सोशल मीडिया अकाउंट के जरिए वर्चुअल दर्शन कराने में मंदिर वालों ने सहयोग किया।
   मंदिर ट्रस्ट ने पहल करते हुए श्रद्धालुओं के लिए
सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक ऑनलाइन पूजा,अभिषेक, हवन, प्रसाद बुक करवा कर भगवान का दर्शन करवा कर उनकी आस्था को पूर्ण करने में अपना योगदान दिया।
    मंदिर ट्रस्ट वेबसाइट के अलावा यूट्यूब, एफबी पर भी दर्शन की सुविधा उपलब्ध है। वैष्णो देवी की अटका आरती वेबसाइट, ऐप के अलावा श्रद्धा चैनल पर भी आरती का लाइव प्रसारण किया जा रहा। जियो रिलायंस ने देश भर के हनुमान मंदिरों में पटना के हनुमान मंदिर को सबसे पहले लाइव दर्शन के लिए चुना और पटना चैनल की शुरुआत की।
  देश के प्रमुख मंदिरों शिर्डी के साईं मंदिर, सिद्धिविनायक मंदिर, वैष्णो देवी, सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, काशी विश्वनाथ, चिंतपूर्णी माता कांगड़ा,   महाकालेश्वर मंदिर उज्जैन , बांके बिहारी मंदिर मथुरा,  महावीर मंदिर पटना आदि प्रसिद्ध मंदिर  ऑनलाइन दर्शन द्वारा भक्तों की आस्था को पूर्ण करने में अपनी अहम भूमिका अदा कर रहे हैं। अब तो मंदिरों के पट खोल दिए गए हैं। विकट घड़ी में समाज को निराशा पूर्ण स्थिति से निकालने में और भक्तों की आस्था को संतुष्ट करने में ऑनलाइन दर्शन के द्वारा मंदिरों ने अपनी अहम भूमिका निभाई।
                   - सुनीता रानी राठौर
                     ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश


" मेरी दृष्टि में " मन्दिरों में ऑनलाइन सुविधाएं अभी प्राईमरी स्तर पर हैं । जिसका विस्तार होना बहुत जरूरी है । निकट भविष्य में सभी मन्दिरों में ऑनलाइन दर्शनों की सुविधा उपलब्ध हो जाऐगी ।
                                                     - बीजेन्द्र जैमिनी 
सम्मान - पत्र



Comments

  1. बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं छाया मैम
    आपके विचार उत्तम हैं।🙏

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