क्या कोरोना को रोकने के लिए छोटी - छोटी अवधि के लॉकडाउन लगने चाहिए ?
कोरोना संक्रमण की सख्यां दिनो दिन बढती जा रही है । फिर भी काफी हंद तक स्थिति काबू में है । ऐसे में छोटी - छोटी अवधि के लॉकडाउन का प्रयोग करना चाहिए । यही सब " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : -
कोरोना को रोकने के लिए छोटे- छोटे लॉकडाउन से कुछ नहीं होगा ।
जरूरी है सख्त कदम उठाने की - घर से बाहर जाते समय हम तो सावधान हैं परंतु बेहरूपिया कोरो ना हमारे साथ घर आने के लिए हम से भी ज्यादा सतर्क है ।
राज्य सरकार ने कोरोना संक्रमण रोकने के लिए मिनी लॉकडाउन जारी किया जिसमें सप्ताह में 2 दिन शनिवार व रविवार को लॉकडाउन रहेगा इसमें क्या होगा । शुक्रवार और सोमवार को मार्केट में, व्यापारिक प्रतिष्ठान तथा यातायात में भीड़ ज्यादा होगी तथा संक्रमण का खतरा और भी ज्यादा रहेगा।
सभी को अपनी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने, मास्क लगाने, हाथों को बार-बार धोना से निटाइज करना , 2 गज की दूरी आदि से भी बातों को हमेशा अपनाना चाहिए।
- रंजना हरित
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
कोरोनावायरस डाउन बहुत ही मुश्किल का वक्त है पहले तो ऐसा लगता था की 10 दिनों में या या ज्यादा से ज्यादा महीना 2 महीना में खत्म हो जाएगा पर जिस प्रकार से यह संक्रमण फैल रहा है उससे तो स्पष्ट हो गया है वर्तमान समय में यह खत्म होने वाला नहीं है लॉक डाउन की प्रक्रिया लगभग चौथे महीने तक लगातार बनी रही है फिर भी यह संक्रमण की सीमा कम नहीं बल्कि और बड़ी गई है।
छोटे समय के लिए लगाए जाने पर यह संक्रमण भी उसी क्रम में ही रहेगा हां एक फायदा जरूर हो सकता है की बेरोजगारी जो बहुत ज्यादा बढ़ गई है पैसे पैसे के लिए इंसान मोहताज हो रहा है उससे 5 परसेंट राहत मिल सकती है हर व्यापारी वर्ग वेतनभोगी वर्ग के सामने यह समस्या उठ खड़ी हुई है की आगे की जिंदगी कैसे चलेगी इसी समस्या के निराकरण में इंसान सारे नियमों को तोड़कर के आगे बढ़ जाता है स्थिति यह है कि एक और कोरोना से संक्रमित होने का डर है और दूसरी ओर पैसे नहीं रहने पर भूखे रहने की नौबत है। इंसान को ना चैन है न नींद है और न शांति है व्याकुलता निराशा मन में बढ़ती जा रही है इन सारी समस्याओं के समाधान के लिए हमारी समझ से लॉक डाउन की अवधि को छोटा बनाया जाए और कड़ी निगरानी रखी जाए तो शायद आम नागरिकों के लिए फायदेमंद होगा या तो दिन भर व्यापार न करें सुबह का 5 घंटा और शाम का 2 घंटे का समय निर्धारित किया जाए इस तरह से परिवर्तन करने पर शायद थोड़ी सी समस्या में समाधान हो सके
- कुमकुम वेद सेन
मुम्बई - महाराष्ट्र
देश में कोरोना केस के आंकड़े बढ़ते ही जा रहे हैं
। लोगों ने अनलॉक की छूट का फायदा उठाया ।जिन्होंने सरकार की कोरोना नियमों की एडवाइजरी को नहीं माना है तो वे कोरोना के संक्रमण से ग्रसित हुए हैं । जिधर एडवाइजरी का कढ़ाई से पालन हुआ वहाँ संक्रमण में गिरावट आई है ।
महाराष्ट्र कोरोना संक्रमण की राजधानी बनता जा रहा है और रिकार्ड पर रोकार्ड संक्रमण जे बने हैं वहीं धारवी कोरोना रोकने में कामयाब हुआ है । विश्व स्वास्थ्य संगठन ने धारावी के प्रयासों की प्रशंसा भी की है।
भारत की स्थिति को देखते हुए कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए छोटी -छोटी अवधि के लिए लॉक डाउन मेरे विचार से सही रहेगा । देश की लोगों की अर्थ व्यवस्था पर बहुत असर पड़ रहा है । इसलिए लाकडाउन खोले , बंद करें की व्यवस्था के बारे में सरकार सोचे । इससे हर व्यक्ति कुछ तो जीवकोपार्जन कर सकेगा । वक्त बुरा है ।संभल के जागरूक होना होगा ।
जब कोरोना के लिए वेक्सीन नहीं बनता है ,तब तक यही संक्रमण रहेगा ।
हमारी सोसाइटी द्वारका का एक परिवार आज कोरोना संक्रमित हो गया । बीएआरसी में एडमिट हैं ।हाल ही में लीजेंड अभिताभ बच्चन के घर की तरह न तो सोसाइटी सील हुई न ही सेनिटाइजिंग की । यह अंतर आम और खास का सदा रहा है रहेगा ।
सोसाइटी के आत्मीयजन उनकी स्वास्थ्य की कामना कर रहा है।
सामाजिक , धार्मिक , शैक्षणिक , खेल , मनोरंजन के क्षेत्रों में पाबन्दी लगी हुई है । कोरोना के नियमों का पालन करते हुए इन्हें भी अल्प अवधि के लिए खोलें , बन्द करें । मॉस्क , सेनिटाइजिंग , हाथ धोना , 2 गज की सामाजिक दूरी , अलगाव में रहना आदि के पालन से कोरोना को भगाने में सहायक हैं ।
- डॉ मंजु गुप्ता
मुंबई - महाराष्ट्र
छोटी-छोटी अवधि के लॉक डाउन लगाने से कोरोना संक्रमण पर अंकुश लगने की बात कुछ हद तक ही सही कही जा सकती है क्योंकि इसे सावधानी और चेतावनी के रूप में ही समझा जाना कह सकते हैं। एक दिन के लिए लॉकडाउन लगा देने से क्या होगा। उसके पहले वाले और बाद वाले दिनों में तो संक्रमण होने और फैलने के अवसर तो रहेंगें ही रहेंगे। बचाव के लिए सही तरीका तो सभी को सुरक्षा उपायों का निष्ठा से पालन करना ही उचित और सफल होगा। इसे लेकर सदैव जागरूक रहना भी है और करना भी है। पहले भी लंबे समय तक लॉकडाउन लगाया गया है परंतु वह पूरी मेहनत बेकार ही गई या मन को समझाने के लिए कह सकते हैं कि यदि वैसा लॉकडाउन नहीं करते तो आज स्थिति और भयावह होती। सार यह है कि कोरोना संक्रमण के बचाव के लिए लॉकडाउन की अपेक्षा सुरक्षा नियमों के पालन करने और कराने की अत्यंत आवश्यकता है। छोटी-छोटी अवधि के लिए लॉकडाउन लगने का कोई औचित्य नहीं है और लंबी अवधि के लिए लगाना अनुकूल नहीं।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव
गाडरवारा - मध्यप्रदेश
कोरोनावायरस के मामले में भारत विश्व में तीसरे स्थान पर पहुंच चुका है। वायरस न फैले, सभी लोगों को बीमारी से बचाया जा सके, लोगों को सही जानकारी उपलब्ध हो सके,सभी एहतियात बरतें ----इस उद्देश्य से सरकार ने जो लंबे समय के लिए चार दफा लॉकडाउन लगाया, वो पर्याप्त था। लोगों में इतनी जागरूकता आ जानी चाहिए कि खुद के बचाव के लिए क्या सावधानियां बरतनी है। हमें नहीं लगता कि छोटी छोटी अवधि के लॉकडाउन से कोई फायदा होने वाला है। जब सप्ताह में 5 दिन एहतियात बरतते हुए बाहर जा कर अपना काम कर सकते हैं तो 2 दिन भी उस तरह से अपना ध्यान रख सकते हैं बशर्ते जनता जागरूक हो।
कोरोनावायरस जिस तीव्र गति से फैला है वह इसी लापरवाही का परिणाम है। सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ देखने को मिलती है। पर्याप्त मात्रा में जांच नहीं होता जिसके कारण लोग अंधेरे में रहते हैं। पढ़े-लिखे सुशिक्षित लोग भी नियमों का उल्लंघन करते हुए देखे जाते हैं। जब तक खुद में समझदारी नहीं हो तब तक सरकार छोटी-छोटी अवधि के लॉकडाउन के द्वारा भी कुछ हासिल नहीं कर सकती। इससे प्रदूषण को कम किया जा सकता है पर कोरोना वायरस को नहीं।
- सुनीता रानी राठौर
ग्रेटर नोएडा - उत्तर प्रदेश
लम्बा लॉक डाउन पहले ही देश की आर्थिक सेहत काफी बिगाड़ चुका है l विकास के पहियों ने जो थोड़ी बहुत रफ़्तार पकड़ी है, उन्हें फिर बंद कर अर्थ व्यवस्था का और अहित नहीं किया जा सकता l
कोरोना के लगातार बढ़ते मरीजों के कारण महाराष्ट्र के पुणे जिले में आज सोमवार से दस दिन का लॉक डाउन शुरू हो रहा है l बेंगलूर में 14 जुलाई से एक हफ्ते का लॉक डाउन करने का फैसला किया गया है तो उत्तर प्रदेश में हफ्ते में दो दिन यानि शनिवार -रविवार को लॉक डाउन रहेगा l देश में रविवार को कोरोना संक्रमितों की सँख्या करीब
8. 5 लाख तक पहुँच चुकी है l मरीजों की सँख्या के मामले में अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरे नंबर पर है l हांलाकि भारत में 5. 3 लाख मरीज स्वस्थ्य हो चुके हैं l फिर भी रोज सामने आ रहे मरीजों के कारण संकट जस का तस है l
एक जुलाई से शुरू हुए अनलॉक -2.0 के दौरान अगर सरकार ने स्कूल -कॉलेजों, मॉल, सिनेमाघरों मेट्रो और जिम पर से पाबंदी नहीं हटाई तो इसका मतलब वह लोगों को भीड़ से दूर रखना चाहती है l कई शहरों के बाजारों और सड़को पर उमड़ी भीड़ देख कर जनता की लापरवाही ही सामने आ रही है l इसीलिए विभिन्न शहरों में छोटे छोटे लॉक डाउन लागू कर लापरवाही को नियंत्रित करने की कोशिश हो रही है l कम मियाद के लॉक डाउन से अपेक्षित परिणाम मिलने की उम्मीद तो नहीं पर सरकार लम्बे लॉकडाउन के पक्ष में भी नहीं l चूंकि 68 दिन के लॉक डाउन में देश की आर्थिक हालत भी नाजुक हुई है l
देश में बिना कारगर दवा के भी कोरोना से युद्ध जारी है l इसमें हमारी स्वास्थ प्रणाली और कर्म योगी चिकित्साकर्मियों की बड़ी उपलब्धि ही कहा जायेगा l इस उपलब्धि को बुलंदी पर पहुंचाने के लिए हर नागरिक को एहतियात बरतने की आवश्यकता है l मास्क और सेनेटाइजर के इस्तेमाल से अनजान, संदिग्ध लोगों की भीड़ से बचा जा सकता है l छोटे छोटे लॉक डाउन के फैसले राज्य सरकारों को अपने स्तर पर करने पड़ रहे हैं क्योंकि लोग अनलॉक -2.0 के दौरान सुरक्षा उपायों की अनदेखी कर रहे हैं l इन मिनी लॉक डाउन से भी अर्थ व्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ेगा l जिन कारखानों के पहिए लम्बे समय बाद घूमने शुरू हुए हैं, उन्हें बंद करने से मजदूरों पर संकट तो आयेगा ही, उत्पादन भी ठप्प होगा l
चलते चलते ----
1. सरकार के भरोसे सब कुछ छोड़ने के बजाय व्यक्ति आत्म संयम से रहे l उसका दृढ़ निश्चय ही कोरोना के खिलाफ युद्ध में धारदार हथियार साबित होगा l
2. सुरक्षा नियमों का पालन करने पर मिनी लॉक डाउन की नौबत नहीं आयेगी l
3. हम सब इस जहांन में जिंदगी के गीत गाये, नगमों से डर के मौत भाग जाये....
- डॉ. छाया शर्मा
अजेमर - राजस्थान
कोरोनावायरस को रोकने के लिये छोटे छोटे लॉक डाउन लगाना एक मात्र प्रयोग ही है इसमें सफलता और विफलता दोनों ही हैं ये निश्चित नही कहा जा सकता है कि भविष्य में क्या मानव के हिस्से में आएगी । स्वास्थ्य रक्षकों, चिकित्सकों, विशेषज्ञों, सलाहकारों, की मानें तो लॉक डाउन में कोरोनावायरस की बढ़ती रफ़्तार में कमी अवश्य आती है हालाँकि वायरस को फैलने से रोकने में बहुत से उपाय नाकाम रहे हैं कोरोनावायरस या वायरस की कोई दवा नहीं होती है इसे केवल शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही हरा सकती है । लॉक डाउन से देश की जनता को परेशानी उठानी पड़ती है, वित्तीय संकट खड़ा हो जाता है, क्रमबद्धता भंग होने से व्यापार में मंदी और माँग पूर्ति में व्यवधान पैदा होता है बहुत सारे उद्योगों को लॉस उठाना पड़ता है । लॉक डाउन के बजाय पब्लिक को जागरूक करना चाहिए और वायरस के साथ कैसे जीवन जीना है सिखाया जाए जैसे मास्क लगाने, आपसी दूरी बनाने, सैनेटाइजर का प्रयोग, इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाने के लिए क्या करें । लॉक डाउन में गाड़ियों से निकलने वाला धुआं बंद हो जाता है वर्क फ्रॉम होम होने के बाद ऑफिस में लगे भारी संख्या में एसी बंद हो जाते हैं जिसका साफ असर हवा और हमारे पर्यावरण पर दिखता है। हवा पूरी तरह से साफ हो जाती है, दिल्ली, मुंबई और चेन्नई जैसे शहरों में इतना साफ आसमान बड़ी मुश्किल से ही देखने को मिलता था। इस वक्त रात में आसमान में टिमटिमाते तारों को गिनने की कोशिश कर सकते हैं जैसा कि बचपन में करते थे। जालंधर से हिमालय की पर्वत शृंखलाएं स्पष्ट दिखाई देने लग गई हैं। जिस हवा को साफ रखने के लिए दिल्ली जैसे बड़े शहरों में स्मॉग टॉवर लगाने पड़े, वही हवा इस वक्त बिना किसी खास मेहनत के साफ-सुथरी हो चुकी है।लॉक के लाभ मिलते हैं परन्तु कोरोनावायरस के रोकने में कितना कारगर साबित होंगे यह उतना ही अनिश्चित है जितना अतीत में तय हो गया है जब चार माह का लम्बा लॉक डाउन भी आंशिक लाभ दे पाया तो छोटे छोटे लॉक डाउन से सफलता की बहुत संभावना नहीं रखनी चाहिए ।
- डॉ भूपेन्द्र कुमार धामपुर
बिजनौर - उत्तर प्रदेश
प्रत्येक सप्ताह दो-तीन दिन के लाॅकडाउन से कोरोना कैसे चला जायेगा, मेरी समझ से बाहर है। जबकि हर तरफ लोगों की लापरवाही साफ दिखाई देती है।
कोरोना में सबसे चिंताजनक बात तो यह है कि संक्रमित व्यक्ति को स्वयं पता नहीं होता कि वह संक्रमित है या नहीं। अब तो ऐसे भी केस सामने आ रहे है जिनमें कोरोना के लक्षण नजर ही नहीं आ रहे। इस स्थिति में कोरोना से संक्रमित व्यक्ति दो दिन घर में रहे और पांच दिन बाहर रहकर अनजाने में संक्रमण बांटता रहेगा तो दो दिन घर में रहने का क्या लाभ? इस प्रकार तो सप्ताह में दो दिन मनुष्यों के और शेष पांच दिन कोरोना के हुए।
जब यह पता चल चुका है कि यदि कोरोना के लक्षण उभरते हैं तो भी सात से चौदह दिनों में उभरकर आते है तो दो-तीन दिन के लाॅकडाउन में केवल शहर की साफ-सफाई और सेनिटाइजेशन का कार्य हो सकता है। टेस्टिंग की गति धीमी होने के कारण छोटी अवधि के लाॅकडाउन निष्प्रभावी हैं।
मेरे विचार से कोरोना की निरन्तर बढ़ती हुई भयावहता को देखते हुए एक बार फिर कम से कम 21 दिनों का लाॅकडाउन लगाना आवश्यक हो गया है और इस अवधि में कोरोना के टेस्ट की गति को बढ़ाना और प्रत्येक शहर में स्थान-स्थान पर लगातार सेनिटाइजेशन करने जैसे कार्य महत्वपूर्ण सकारात्मक परिणाम दे सकते हैं।
- सत्येन्द्र शर्मा 'तरंग'
देहरादून - उत्तराखण्ड
कोरोना की रोकने के लिये जो भी किया जाय मेरे मत से कम ही कहलायेगा कोरोना का वायरस लगातार बढता ही जा रहा हैं सम्पुर्ण लाॅकडाउन अब संभव नही हैं ऐसे में हमें जहा भी कोरोना का प्रभाव दिखे वहा वहा लाॅकडाउन लगाकर ही अब हम इसे कन्टोल कर सकते हैं।जीस हिसाब से केश बढ रहे हैं कल की क्या स्थती बनेगी कहना मुसकिल हैं।अब कोरोना रोकथाम का यही एक तरिका हैं की छोटी छोटी अवधि के लाॅकडाउन लगाते रहें कोरोना को मात देते रहें सुरक्षा उपाय अपना कर कोरोना को नष्ट करते रहें।
- कुन्दन पाटिल
देवास - मध्यप्रदेश
कोरोना महामारी का प्रकोप बढ़ते चले जा रहा हैं। जिस तरह से स्वतंत्र पूर्वक विभिन्न राज्यों में लाँकडाऊन में छूट क्या दी गई, वैसे ही आमजनों की भीड़ की बढ़ोतरी हो गई, भले ही रेल गाड़ियाँ, बस प्रारंभ नहीं हुई। लेकिन कोरोना एक सूक्ष्म कण हैं, जो हवा के माध्यम से, आमजन अपने नीजि वाहनों से अपने गंतव्य स्थलों तक आवागमन तो कर ही रहे हैं। उनके साथ ही विभिन्न राज्यों में अनेकों रुपों में प्रवेश कर रहा हैं। विदेशों में अध्ययन-अध्यापन कर रहे, वे अपने-अपने गृह राज्यों में पहुँचने के बाद भी संक्रमणों से ग्रसित होकर अस्पतालों में पहुँच रहे हैं। हाल ही में मध्यप्रदेश में हर रविवार को सम्पूर्ण लाँकडाऊन का प्रातः 5 बजे से रात्रि 12 बजे तक निर्धारित तो कर दिया हैं, लेकिन अन्य राज्यों में यह व्यवस्था नहीं बनाई गई हैं। अगर सम्पूर्ण राज्यों में प्रत्येक शनिवार और रविवार को, शुक्रवार की रात्रि 12 बजे से सोमवार के प्रातः 5 बजे तक लाँकडाऊन लगाकर जन जीवन को राहत प्रदान की जा सकती हैं। लाँकडाऊन अवधि में अनिवार्य सेवाओं को ही छूट दी जानी चाहिये, परन्तु देखने में आता हैं, कि इसका फायदा उठा कर अन्य जन धुमते हुए नजर आते हैं। वर्तमान समय वर्षा ऋतु का हैं, जहाँ प्रति दिन अनेकों बीमारियाॅ -मलेरिया, पीलिया, सामान्य बुखार,सर्दियाँ-खाँसियों प्रकोप का तांडव नृत्य प्रारंभ हो जाता हैं। ऐसे में छोटी-छोटी अवधि के लाँकडाऊन लगाकर जन जीवन को पुनः जीवित अवस्था में पहुँचाया जा सकता हैं?
- आचार्य डाॅ.वीरेन्द्र सिंह गहरवार 'वीर'
बालाघाट - मध्यप्रदेश
देशभर में कोरोना संक्रमण के मामले जिस तरह तेज रफ्तार से बढ़ रहे हैं वह बहुत ही चिंताजनक बात है। कोरोना मरीजों की संख्या इसी तरह बढ़ती रही तो भारत बहुत ही जल्द विश्व मे पहले स्थान पर आ जाएगा। इस परिस्थिति में देश के लोगों को बहुत ही सावधान रहने की जरूरत है। कोरोना की रोकथाम के लिए छोटी छोटी अवधि में लॉकडाउन लगते रहने चाहिए।
उत्तरप्रदेश सरकार ने तो कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए हर सप्ताह शनिवार व रविवार को बाजार-मॉल बंद रखने का आदेश दे दिया है। इस तरह हर माह 8 दिन लोग बाहर नही निकलेंगे। भारत में पिछले 24 घंटे में कोरोना कोरोना वायरस के 28,701 नए मामले सामने आए और 551 मौतें हुईं। देश में कोविड 19 पॉजिटिव मामलों की कुल संख्या 8,78,254 है, जिसमें 3,01,609 सक्रिय मामले, 5,53,471 ठीक/डिस्चार्ज/विस्थापित मामले और 23,174 मौतें शामिल हैं। यह जानकारी स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा गई है। एक संस्था द्वारा किए गए सर्वे में बताया गया है कि कोरोना संक्रमण को नियंत्रित नही होता है तो फरवरी 2021 में कोरोना केश प्रतिदिन 2 लाख से अधिक होंगे। तब देशभर में हर तरफ मौत का तांडव देखने को मिलेगा। इसलिए इसे नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही नही बल्कि सभी को है। इसी बीच वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर रूस में बहुत राहत की उम्मीद नजर आ रही है। दुनिया की सबसे पहली कोविड 19 वैक्सिन के नैदानिक परीक्षण को सेचनोव फर्स्ट मॉस्को स्टेट मेडिकल यूनिवर्सिटी में स्वयंसेवको पर सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। हालांकि सभी को कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सावधानी बरतनी होगी।
- अंकिता सिन्हा साहित्यकार
जमशेदपुर - झारखंड
भारत में प्रतिदिन अब १५ हजार कोरोना मरीज बढ़ने का आंकड़ा आ गया है। कुल संख्या भी लगभग साढ़े आठ लाख पहुंच गयी है। विभिन्न राज्यों ने अपने अपने यहां आवश्यकता के अनुसार छोटी अवधि के लाक डाउन लगाए।
उत्तर प्रदेश सरकार ने तो हर शुक्रवार की रात १० बजे से सोमवार की सुबह ५ बजे तक के लिए लाक डाउन की व्यवस्था घोषित की है।इस अवधि में व्यापक सेनेटाइजेशन का काम किया जाएगा। इसके साथ ही कोविड-१९ की संक्रमण चेन भी ब्रेक होगी। छोटी-छोटी अवधि का लाक डाउन जनता भी सहर्ष स्वीकार कर रही है, इससे कारोबार पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ रहा।सब कामकाज धीरे धीरे पटरी पर लौटने लगा है। स्वस्थ होने वाला का प्रतिशत भी बढ़ रहा है।
हालात सामान्य तो नहीं है किन्तु अब पूर्ण लाकडाउन में बंद हुई गतिविधियां शुरू होने से से तय हुए हैं।इतना सब होने पर भी संक्रमण का आंकड़ा बढ़ना शुभ संकेत नहीं। कोरोना की चेन को तोड़ने में यह छोटी छोटी अवधि के लाक डाउन महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। बस हमें लापरवाही से बचना चाहिए।
- डॉ.अनिल शर्मा 'अनिल'
धामपुर - उत्तर प्रदेश
जब तक कोरोना है तब तक 'लॉक डाउन' शब्द वातावरण में घूमता रहेगा। बड़ा लॉक डाउन तो अब सम्भव नहीं है। छोटे-छोटे लॉक डाउन शायद लोगों को दूरी बनाना सिखाने के लिए जरूरी है।
छूट मिलते के साथ कोरोना की संख्या तेजी से बढ़ने लगी। कारण था नियमों का उल्लंघन करना। प्रवासी जब अपने घर लौटे तो आजाद पंछी नजर आने लगे। दूरी की कोई गारंटी नहीं रह गई, सर्दी-खांसी बुखार पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसे केवल उनकी गलती नहीं कही जा सकती।
व्यवस्था इस तरह चरमरा रही थी कि लोग सेन्टर से भागने-बचने लगे। खाने-रहने की सही व्यवस्था नहीं थी । जाँच के पर्याप्त साधन नहीं थे । इसीलिए लोग जहाँ-तहाँ भागने लगे। ये छोटे-छोटे लॉक डाउन मेरी नजर में ज्यादा कारगर हैं। साथ में टेस्टिंग भी होती जाएगी तो कोरोना के पैर खुद-ब-खुद उखड़ जाएंगे ।
- संगीता गोविल
पटना - बिहार
यह निश्चित रूप से एक प्रभावी उपाय है परंतु दिक्कत यह है की लोग इसका ठीक ढंग से पालन नहीं कर रहे यह भी नहीं कहा जा सकता कि ऐसा सभी लोग कर रहे हैं ऐसे भी व्यक्ति हैं जो लोग ना उनका बहुत अच्छे से पालन कर रहे हैं जहाँ तक छोटे-छोटे लाख डाउन का प्रश्न है तो जितने भी समय का लॉकडाउन लगाया जाए उसका शत-प्रतिशत पालन भी किया जाए तो यह बहुत तो यह अधिक कारगर हो सकता है परंतु यदि लोक डाउन के समय में लोग ठीक ढंग से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करते मास्क का प्रयोग नहीं करते हैं तो यह उतना प्रभावी सिद्ध नहीं होता जितना होना चाहिए अतः यह आवश्यक है कि लोग इस बात को समझें सरकार की तरफ से इसमें काफी अधिक प्रयास किया जा रहा है जो सरकार कर सकती है इसके विषय में काफी जागरूकता प्रिंट मीडिया विजुअल मीडिया के माध्यम से फैलाई गई है परंतु कुछ लोग हैं कि सुधरने का नाम नहीं ले रहे यह एक ज्वलंत समस्या है और बिल्कुल सही बात है की लंबी अवधि का लोक डाउन को न लगाकर छोटी छोटी अवधि के लोग डाउन लगाए जाएें जिससे दैनिक उपयोग की वस्तुओं की उपलब्धता बनी रहे और अन्य काम भी चलते रहे परंतु यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए की लोक डाउन का 100% पालन हो तो यह छोटी छोटी अवधि के लोक डाउन भी बहुत अधिक कारगर सिद्ध होंगे और कोरोना संक्रमण से बचा जा सकेगा..!
- प्रमोद कुमार प्रेम
नजीबाबाद - उत्तर प्रदेश
जहां तक मेरा मत है अबलाकडाऊन खोल देना चाहिए छोटे छोटे लाकडाऊन से जनता व रोज़गार दोनो परेशान हो रहे है ।
सरकारमददत तो कर नहीं रही है आज चार महिने से लोग घरों में बैठ कर खा रहे है , काम धंधे बंद हो गये बेरोज़गारी बढ़ गई है । रोज़गार बंद , उपर से रोज़ लाकडाऊन बढ़ा दिया जा रहा है जिससे और परेशानी बढ़ रही है लोगों को अपनी सुरक्षा स्वयम करनी होगी ,लाकडाऊन ख़त्म करना होगा ।
लोग भूख से मर रहे हैं , पता नहीं अभी कितने और बेमौत मरेंगे . ये लाकडाऊन अब नहीं होना चाहिए ।
निजी संस्थानों भी कोरोना की रोकथाम में पूरा सहयोग दे रहे हैं. तमाम कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए कहा है. जो संस्थान खुले हैं, उनमें इसकी रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि अब कोरोना वायरस के प्रभाव की वजह से जहां एक ओर लोगों के स्वास्थ्य पर संकट छाया है तो दूसरी ओर पहले से कमज़ोर अर्थव्यवस्था को और बड़ा मिला है और झटका मिल सकता है.
- डॉ अलका पाण्डेय
मुम्बई - महाराष्ट्र
बेशक इन छोटी छोटी अवधियों के लोकडाउन के बड़े फायदे जरूर देखने को मिलेंगे । लोगो का बेपरवाज होकर उड़ना ही इस कोरोना को बढ़ावा दे रहा है और लगातार इसी वजह से मरीज बढ़ते जा रहे है । जिसे देख कर सरकार का ये छोटे लोकडाउन के जरिये लोगो को कोरोना से दूर रखने का सही निर्णय है । इस समय दिल्ली और मुंबई में जिस तरह लोग कोरोना के शिकार हो रहे है , वहां के हालात देख कर लगता है कि जैसे वहाँ कोरोना अब हवा में ही घुल मिल गया हो, जिस कारण वहां का हर दूसरा व्यक्ति घर से बाहर निकलते ही कोरोना का शिकार हो रहा हो । जहां ऐसे छोटे छोटे लोकडाउन जनता व व्यापार को बैलेन्स किये हुए कोरोना के संक्रमण को कम करने का कारगर उपाय है ।
- परीक्षीत गुप्ता
बिजनौर - उत्तरप्रदेश
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने लॉकडाउन को आंशिक रूप से हटाने के सुझाव दिया। साथ में केंद्रीय सरकार सभी राज्य के मुख्यमंत्री से बात करने के बाद अपना अधिकार राज्य सरकार को दे दी है। जिससे अर्थव्यवस्था पटरी पर धीरे-धीरे आए। साथ में कुछ सुझाव भी दीए:- जैसे मॉल,सिनेमा हॉल, रेस्टोरेंट, मंदिर, धर्मशाला, सामुदायिक भवन इत्यादि पर रोक लगा दीए। राज्य सरकार अपने जिले के प्रशासन को सुझाव दिए हैं कोरोनावायरस जीस एरिया मे है उसे एरिया को प्रतिबंध कर दिया जाए। सभी जिला प्रशासन राज्य के कहने के अनुसार काम कर रही हैं ।जिससे जनजीवन सुचारू रूप से चल रहा है।
कुछ राज्यों को छोड़कर अधिकतर राज्य में कोरोनावायरस ना के बराबर हो गया है। जहां है वहां छोटी छोटी अवधि के लिए लॉकडाउन लगाया जा रहा है।
लेखक का विचार:- छोटी छोटी अवधि के लिए लॉकडाउन ठीक है जिससे अर्थव्यवस्था ज्यादा नुकसान भी नहीं होगा। मैं इस सिद्धांत से सहमत हूं।
- विजयेंद्र मोहन
बोकारो - झारखण्ड
लाॅकडाउन खुलते हीं कुछ लोग हर वो मना किया गया काम करने शुरू कर देते हैं जो नहीं करना चाहिए ।कोरोना को बहुत हल्के में लेकर घूमना , बाजार ,मिलना_ जुलना काफी कुछ दिखता है।वही जब बंद हो जाता है तब इसको प मजबूरीवश हीं और पुलिस का डर मानते हुए घर में रहकर पालन करते हैं। बार _बार लोगों को समझाया या बोला जा रहा है जरूरी ना हो तो घर से ना निकलें लेकिन लोग नहीं मान रहे हैं ।सोशल डिस्टेंस का भी पालन नहीं करते हैं भीड़ वाले इलाके में मसलन सब्जी मंडियों में फुटपाथ वाले दुकानों मे अक्सर इन नियमों का लोग पालन नहीं कर रहें हैं जिसके कारण आज लगातार संक्रमितों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि होती जा रही है ।यह आंकड़े बहुत भयावह हैं।बस एक अच्छी बात है कि रिकवरी रेट भी बढ़ रही है ।फिर भी हमें बहुत सतर्क और एहतियात बरतनी चाहिए जो अति आवश्यक है। पूरे देश में फैलते और बढते केसेज के कारण अभी सरकार को बराबर छोटी _छोटीअवधि के लाॅकडाउन लगाने की आवश्यकता है ताकि इसका चेन टूटता रहे और हम सब सुरक्षित रहें और यह बीमारी अपना विकराल रूप में ना आ जाए।छोटी अवधि में लाॅक डाउन लगने से व्यापार _उद्योग भी बहुत ज्यादा प्रभावित नहीं होगा जिससे हमारी अर्थव्यवस्था पर भी ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसलिए मेरे विचार से यह सही क़दम है।
- डॉ पूनम देवा
पटना - बिहार
करोना को रोकने के लिए छोटी छोटी अवधि के लाक डाउन अवश्य लगनी चाहिए। लंबी लॉकडाउन में लोगों को ज्यादा परेशानी होती है अतः क्षेत्रीयता और करो ना कि संक्रमण की स्थिति को देखते हुए छोटे-छोटे लाभ डाउन अवश्य लगनी चाहिए ताकि लोगों को ज्यादा जिंदगी जीने में व्यवधान ना हो लॉकडाउन छोटी हो या बड़ी करोना के लिए जो नियम बनाए गए हैं उसका अवश्य पालन करते हुए लाक डाउन का पालन करना चाहिए तभी हम धीरे-धीरे करो ना को हमारे देश के लगाने में कामयाब होंगे लगता है कि किसी भी देश से वह जल्दी से नहीं जा रहा है क्योंकि अभी तक उसका और कोई इलाज नहीं मिल रहा है अतः एक ही विकल्प दिखाई दे रहा है । लाक डाउन का पालन करते हुए एवं अपने खान-पान पर ध्यान रखते हुए जिंदगी जीने की आवश्यकता आन पड़ी है । जब तक करो ना का माजरा पूरा खत्म नहीं हो जाता तब तक हर व्यक्ति को सचेत और संभल कर जीने की आवश्यकता पड़ रही है। ऐसा करने के लिए तराना से निजात पाया जा सकता है। लाक डाउन छोटी हो लेकिन नियम के अनुसार अनिवार्य हो।
- उर्मिला सिदार
रायगढ़ - हरियाणा
कोरोना को रोकने के लिए छोटी-छोटी अवधि के हांे या बड़ी अवधि के लाॅकडाउन हों जब तक लोग आत्मसंयमी नहीं होंगे और आत्मनियंत्रण नहीं रखेंगे इसका बहुत लाभ होने वाला नहीं है। अनलाॅक खुलते ही लोग ऐसे निकले हैं जैसे पिंजड़ों से कैद पंछी निकलते हों। अनभिज्ञता और अज्ञान भी इसमें बहुत बड़ा रोल अदा करते हैं। डाॅक्टर बार-बार चेता रहे थे कि बाहर निकलने पर मास्क अवश्य पहनें क्योंकि कोरोना वायरस के ड्राॅपलैट्स लगभग 2 घंटे की अवधि तक वायु में रहते हैं जिससे व्यक्ति कोरोना से प्रभावित हो सकता है और अब तो विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैज्ञानिकों के शोध के आधार पर वक्तव्य जारी कर दिया कि कोरोना के जीवाणु लगभग 8 घंटे तक वायु में रह सकते हैं और कोरोना दूषित वायु से भी फैल सकता है। लोग सुबह सैर पर जाते हैं जिनमें नौजवान भी होते हैं। वे तेज दौड़ लगाते हैं और फिर हांफते हुए सांसें छोड़ते हैं। कोई भी कोरोना के लक्षण वाला नौजवान अन्य लोगों के लिए मुसीबत का कारण बन सकता है। जगह जगह पुलिस द्वारा नोटिस लगाए गए हैं कि मास्क अवश्य पहनें पर लोग हैं कि मानते ही नहीं। ऐसे बुजुर्ग जो नियमित रूप से सैर करते आये हैं और यह नियम टूटने नहीं देना चाहते उन्हें तो विशेष तौर पर सावधान रहना होगा। कोरोना से बचने के अन्य सभी उपायों का पालन भी करना होगा। यदि ऐसा नहीं किया तो सरकार छोटे-2 लाॅकडाऊन लगाने पर बाध्य होगी जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ेगा।
- सुदर्शन खन्ना
दिल्ली
" मेरी दृष्टि में " लॉकडाउन को सिर्फ वहीं प्रयोग करना चाहिए । जहाँ पर कोरोना संक्रमण के केस निकल रहे हैं ।बाकी सभी को साधारण रूप से चलने देना चाहिए । इससे अर्थव्यवस्था में ज्यादा कोई प्रभावित नहीं होता है । ऐसे प्रयोग का उपयोग करना चाहिए ।
- बीजेन्द्र जैमिनी
सम्मान पत्र
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