क्या जीवन का मूलमंत्र सहनशीलता है ?
जीवन में सहनशीलता बहुत जरुरी है । बिना सहनशीलता के जीवन नंरक के समान है । सहनशीलता से ही जीवन में अनुशासन आता है । यही " आज की चर्चा " का प्रमुख विषय है । अब आये विचारों को देखते हैं : - सहनशीलता का अर्थ है सहनशील होना , सहन करना , सहिष्णुता होना है सहनशील होना मानव के जीवन का गुण है । इस गुण को बचपन से ही संस्कार ढाल लें हमारा वर्तमान , भविष्य दोनों टिकाऊ बनते हैं । जितने भी सन्त , महापुरुष हुए हैं उन्होंने इस सहनशीलता को अपने जीवन में धारण किया है । महात्मा गांधी जी इसकी मिसाल हैं । उन्होंने कहा था , कोई तुम्हें गाल पर एक थप्पड़ मारे तो दूसरा भी आगे कर दो । कर्ण बचपन में धनुर विद्या सीखने के लिए भगवान परशुराम के पास पहुंच जाते हैं, लेकिन भगवान परशुराम भी सिर्फ ब्राह्मणों को ही विद्या देते थे। अब कर्ण किसी भी तरह से धनुर विधा सीखना चाहता था, तो वह भगवान परशुराम से झूठ बोलता है कि वह ब्राह्मण है। भगवान परशुराम भी कर्ण को ब्राह्मण समझकर उसे शिक्षा देने लगते हैं। जब कर्ण की शिक्षा खत्म होने वाली थी तब एक दिन उनके गुरु भगवा...